Book Title: Agam 05 Bhagwati Sutra Part 01 Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-1' शतक/ शतकशतक/उद्देशक/ सूत्रांक अधःसप्तमपत्रथ्वीनैरयिक-प्रवेशनक | भंते ! क्या एक नैरयिक जीव नैरयिक-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करता हुआ रत्नप्रभापृथ्वी में होता है, अथवा यावत् अधःसप्तपृथ्वी में होता है । गांगेय ! वह नैरयिक रत्नप्रभा, या यावत अधःसप्तमपृथ्वी होता है।
भगवन् ! नैरयिक जीव, नैरयिक-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए क्या रत्नप्रभापृथ्वी में उत्पन्न होते हैं, अथवा यावत् अधःसप्तपृथ्वी में उत्पन्न होते है ? गांगेय ! वे दोनो रत्नप्रभापृथ्वी में उत्पन्न होता है, अथवा यावत् अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होते है । अथवा एक रत्नप्रभापृथ्वी में उत्पन्न होता है और एक शर्कराप्रभापृथ्वी में । अथवा एक रत्नप्रभापृथ्वी में उत्पन्न होता है और एक बालुकाप्रभापृथ्वी में । अथवा यावत् एक रत्नप्रभापृथ्वी में उत्पन्न होता है और एक अधःसप्तमपृथ्वी में । अथवा एक शर्कराप्रभा पृथ्वी में उत्पन्न होता है और एक बालुकाप्रभा में, अथवा यावत् एक शर्करापृथ्वी में उत्पन्न होता है और एक अधःसप्तपृथ्वी में । अथवा एक बालुकाप्रभा में और एक पंकप्रभा में, अथवा इसी प्रकार यावत् एक बालुकाप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होता है । इसी प्रकार एक-एक पृथ्वीछोड़ देना; यावत् एक तमःप्रभा में और एक तमस्तमःप्रभा में उत्पन्न होता है।
भगवन् ! तीन नैरयिक-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए क्या रत्नप्रभा में उत्पन्न होते है ? अथवा यावत् अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होता है ? गांगेय ! वे तीन नैरयिक (एक साथ) रत्नप्रभा में उत्पन्न होते है, अथवा यावत् अधःसप्तम में उत्पन्न होते है । अथवा एक रत्नप्रभा में और दो शर्कराप्रभा मे; अथवा यावत् एक रत्नप्रभा में और दो अधःसप्तम पृथ्वी में । अथवा दो नैरयिक रत्नप्रभा में और एक शर्कराप्रभा में । अथवा यावत् दो जीव रत्नप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में । अथवा एक शर्कराप्रभा में और दो बालुकाप्रभा में, अथवा यावत् एक शर्कराप्रभा में और दो अधःसप्तमपृथ्वी में । अथवा दो शर्कराप्रभा में और एक बालुकाप्रभा में, अथवा यावत् दो शर्कराप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में शर्कराप्रभा की वक्तव्यता समान सातों नरकों की वक्तव्यता, यावत् दो तमःप्रभा में और एक तमस्तमःप्रभा में होता है, तक जानना।
अथवा (१) एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और एक बालुकाप्रभा में, अथवा एक रत्नप्रभा में एक शर्कराप्रभा में और एक पंकप्रभा में होता है। अथवा यावत् एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है । अथवा (६) एक रत्नप्रभा में, एक बालकाप्रभा में और एक पंकप्रभा में होता है। अथवा एकरत्नप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता है। इसी प्रकार यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है।
अथवा एक रत्नप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता है; यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है । अथवा एक रत्नप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है; अथवा एक रत्नप्रभा में एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वीमें होता है । अथवा एक रत्नप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है । अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और एक पंकप्रभा में होता है; अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता है; यावत् अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है । अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में और धूमप्रभा में होता है; यावत् अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है । अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है । अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है । अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अध-सप्तमपृथ्वी में होता है।
अथवा एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता है । अथवा एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है; अथवा एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है । अथवा एक बालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है । अथवा एक बालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है । अथवा एक बालुकाप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक
मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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