Book Title: Agam 05 Bhagwati Sutra Part 01 Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-1' शतक/ शतकशतक/उद्देशक/ सूत्रांक को छोड़कर शेष सातों कर्मप्रकृतियों के विषय में समझना । आयुष्यकर्म के सम्बन्ध में नीचे के तीन-के लिए भजना समझना । नोसंयत-नोअसंयत-नोसंयतासंयत आयुष्यकर्म को नहीं बाँधते ।
भगवन् ! ज्ञानावरणीयकर्म क्या सम्यग्दृष्टि बाँधता है, मिथ्यादृष्टि बाँधता है अथवा सम्यग्-मिथ्यादृष्टि बाँधता है ? गौतम ! सम्यग्दृष्टि कदाचित् बाँधता है, कदाचित् नहीं बाँधता, मिथ्यादृष्टि बाँधता है और सम्यग्-मिथ्या दृष्टि भी बाँधता है । इसी प्रकार आयुष्यकर्म को छोड़कर शेष सातों कर्मप्रकृतियों के विषय में समझना । आयुष्य कर्म को नीचे के दो-भजना से बाँधते हैं सम्यग्-मिथ्यादृष्टि नहीं बाँधते । भगवन् ! ज्ञानावरणीयकर्म को क्या संज्ञी बाँधता है, असंज्ञी बाँधता है अथवा नोसंज्ञी-नोअसंज्ञी बाँधता है ? गौतम ! संज्ञी कदाचित् बाँधता है और कदाचित् नहीं बाँधता । असंज्ञी बाँधता है और नोसंज्ञी-नोअसंज्ञी नहीं बाँधता । इस प्रकार वेदनीय और आयुष्य को छोड़कर शेष छह कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिए । वेदनीयकर्म को आदि के दो बाँधते हैं, किन्तु अन्तिम के लिए भजना है आयुष्यकर्म को आदि के दो-जीव भजना से बाँधते हैं । नोसंज्ञी-नोअसंज्ञी जीव आयुष्यकर्म को नहीं बाँधते।
भगवन् ! ज्ञानावरणीयकर्म को क्या भवसिद्धिक बाँधता है, अभवसिद्धिक बाँधता है अथवा नोभवसिद्धिक - नोअभवसिद्धिक बाँधता है ? गौतम ! भवसिद्धिक जीव भजना से बाँधता है । अभवसिद्धिक जीव बाँधता है और नोभवसिद्धिक-नोअभवसिद्धिक जीव नहीं बाँधता । इसी प्रकार आयुष्यकर्म को छोड़कर शेष सात कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिए । आयुष्यकर्म को नीचे के दो भजना से बाँधते हैं । ऊपर का नहीं बाँधता ।
भगवन् ! ज्ञानावरणीयकर्म को क्या चक्षुदर्शनी बाँधता है, अचक्षुदर्शनी बाँधता है, अवधिदर्शनी बाँधता है अथवा केवलदर्शनी बाँधता है ? गौतम ! नीचे के तीन भजना से बाँधते हैं किन्तु-केवलदर्शनी नहीं बाँधता । इसी प्रकार वेदनीय को छोड़कर शेष सात कर्मप्रकृतियों के विषय में समझ लेना चाहिए । वेदनीयकर्म को नीचले तीन बाँधते हैं, किन्तु केवलीदर्शनी भजना से बाँधते हैं।
भगवन् ! क्या ज्ञानावरणीयकर्म को पर्याप्तक जीव बाँधता है, अपर्याप्तक जीव बाँधता है अथवा नोपर्याप्तक-नोअपर्याप्तक जीव बाँधता है ? गौतम ! पर्याप्तक जीव भजना से बाँधता है; अपर्याप्तक जीव बाँधता है और नोपर्याप्तक-नोअपर्याप्तक जीव नहीं बाँधता । इस प्रकार आयुष्यकर्म के सिवाय शेष सात कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिए । आयुष्यकर्म को नीचले दो भजना से बाँधते हैं । अंत का नहीं बाँधता।
भगवन् ! क्या ज्ञानावरणीयकर्म को भाषक जीव बाँधता है या अभाषक? गौतम ! दोनों-भजना से बाँधते हैं। इसी प्रकार वेदनीय को छोड़कर शेष सात के विषय में कहना । वेदनीयकर्म को भाषक बाँधता है, अभाषक भजना से बाँधता है।
__ भगवन् ! क्या परित जीव ज्ञानावरणीयकर्म को बाँधता है, अपरित्त जीव बाँधता है, अथवा नोपरित्तनोअपरित्त जीव बाँधता है ? गौतम ! परित्त जीव ज्ञानावरणीय कर्म को भजना से बाँधता, अपरित्त जीव बाँधता है
और नोपरित्त-नोअपरित्त जीव नहीं बाँधता । इस प्रकार आयुष्यकर्म को छोड़कर शेष सात कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिए । आयुष्यकर्म को परित्त जीव भी और अपरित्त जीव भी भजना से बाँधते हैं; नोपरित्त-नोअपरित्त जीव नहीं बाँधते । भगवन् ! ज्ञानावरणीयकर्म क्या आभिनिबोधिक ज्ञानी बाँधता है, श्रुतज्ञानी बाँधता है, अवधि-ज्ञानी बाँधता है, मनःपर्यवज्ञानी बाँधता है अथवा केवलज्ञानी बाँधता है ? गौतम ! ज्ञानावरणीयकर्म को नीचले चार भजना से बाँधते हैं; केवलज्ञानी नहीं बाँधता । इसी प्रकार वेदनीय को छोड़कर शेष सातों कर्मप्रकृतियों के विषय में समझ लेना चाहिए । वेदनीयकर्म को नीचले चारों बाँधते हैं; केवलज्ञानी भजना से बाँधता है।
भगवन् ! क्या ज्ञानावरणीयकर्म को मति-अज्ञानी बाँधता है, श्रुत-अज्ञानी बाँधता है या विभंगज्ञानी बाँधता है? गौतम! आयुष्यकर्म को छोड़कर शेष सातों कर्मप्रकृतियों को ये बाँधते हैं। आयुष्यकर्म को ये तीनों भजना से बाँधते हैं
न् ! ज्ञानावरणीयकर्म को क्या मनोयोगी बाँधता हैं, वचनयोगी बाँधता है, काययोगी बाँधता है या अयोगी बाँधता है ? गौतम ! नीचले तीन-भजना से बाँधते हैं; अयोगी नहीं बाँधता । इसी प्रकार वेदनीय को छोड़कर शेष सातों कर्मप्रकृतियों के विषय में कहना चाहिए । वेदनीय कर्म को नीचले बाँधते हैं; अयोगी नहीं बाँधता ।
मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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