Book Title: Agam 05 Bhagwati Sutra Part 01 Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-1'
शतक/ शतकशतक/उद्देशक/सूत्रांक
शतक-८ सूत्र-३८१
१. पुद्गल, २. आशीविष, ३. वृष, ४. क्रिया, ५. आजीव, ६. प्रासुक, ७. अदत्त, ८. प्रत्यनीक, ९. बन्ध, १०. आराधना, आठवें शतक में ये दस उद्देशक हैं।
शतक-८ - उद्देशक-१ सूत्र - ३८२
राजगृह नगर में यावत् गौतम स्वामी ने श्रमण भगवान महावीर से इस प्रकार पूछा-भगवन् ! पुद्गल कितने प्रकार के कहे गए हैं ? गौतम ! पुद्गल तीन प्रकार के कहे गए हैं, वे इस प्रकार हैं-प्रयोग-परिणत, मिश्र-परिणत और विस्रसा परिणत। सूत्र - ३८३
भगवन् ! प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गए हैं ? गौतम ! पाँच प्रकार के कहे गए हैं, एकेन्द्रियप्रयोग-परिणत यावत्, त्रीन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, चतुरिन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल।
भगवन् ! एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! पाँच प्रकार के पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल, यावत् वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल । भगवन् ! पृथ्वी-कायिक एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! वे दो प्रकार के हैं, सूक्ष्मपृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग परिणत पुद्गल और बादरपृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल । इसी प्रकार अप्कायिक एकेन्द्रिय-प्रयोग परिणत पुद्गल भी इसी तरह कहने चाहिए । इसी प्रकार वनस्पतिकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल तक प्रत्येक के दो दो भेद कहने चाहिए।
भगवन् ! अब द्वीन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल के प्रकारों के विषय में पृच्छा है । गौतम ! वे अनेक प्रकार के कहे गए हैं । इसी प्रकार त्रीन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गलों और चतुरिन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गलों के प्रकार के विषय में जानना । पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गलों के विषय में प्रश्न । गौतम ! चार प्रकार के हैं, नारक-पंचेन्द्रिय-प्रयोगपरिणत पुद्गल, तिर्यंच-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल, मनुष्य-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल और देव-पंचेन्द्रियप्रयोग-परिणत पुद्गल। नैरयिक पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गलोंके विषयमें प्रश्न । गौतम ! सात प्रकार के, रत्नप्रभापृथ्वी-नैरयिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुदगल यावत् अधःसप्तमा पृथ्वी-नैरयिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल ।
तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गलों के विषय में प्रश्न । गौतम ! तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोगपरिणत पुद्गल तीन प्रकार के कहे गए हैं । जैसे कि-जलचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल, स्थलचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल और खेचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल। भगवन् ! जलचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! दो प्रकार केसम्मूर्छिम जलचर-तिर्यंचयोनिक पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल और गर्भज जलचर-तिर्यंचयोनिक पंचेन्द्रियप्रयोग-परिणत पुद्गल | भगवन् ! स्थलचर-तिर्यंचयोनिक पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुदगल कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! दो प्रकार के चतुष्पद-स्थलचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल और परिसर्प-स्थलचरतिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल । चतुष्पद-स्थलचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! दो प्रकार के सम्मुर्छिम चतुष्पद-स्थलचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुदगल और गर्भज-चतुष्पद-स्थलचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुदगल।
इसी प्रकार अभिलाप द्वारा परिसर्प-स्थलचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल भी दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा-उरःपरिसर्प-स्थलचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल और भुजपरिसर्प-स्थलचर तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल । उरःपरिसर्प (सम्बन्धी प्रयोगपरिणत पुद्गल) भी दो प्रकार के हैं। सम्मूर्छिम और गर्भज । इसी प्रकार भुजपरिसर्प-सम्बन्धी पुद्गल और खेचर के भी पूर्ववत् दो-दो भेद कहे गए हैं।
मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (भगवती) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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