Book Title: Agam 05 Bhagwati Sutra Part 01 Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
View full book text
________________
आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-1'
शतक/ शतकशतक /उद्देशक/ सूत्रांक भगवन् ! मनुष्य-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल के प्रकारों के लिए प्रश्न । गौतम ! वे दो प्रकार के कहे गए हैं यथा-सम्मूर्छिम-मनुष्य-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत-पुद्गल औरगर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल ।
भगवन् ! देव-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! वे चार प्रकार के कहे गए हैं, जैसे-भवनवासी-देव-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल, यावत् वैमानिकदेव-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल।
भगवन् ! भवनवासी-देव-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल के प्रकारों के लिए प्रश्न । वे दस प्रकार के हैं, असुरकुमार-प्रयोग-परिणत पुद्गल यावत् स्तनितकुमार-प्रयोग-परिणत पुद्गल । इसी अभिलाप से पिशाच से गन्धर्व तक आठ प्रकार के वाणव्यन्तरदेव (प्रयोग-परिणत पुद्गल) कहना, ज्योतिष्कदेव-प्रयोग-परिणत पुद्गल पाँच प्रकार के हैं, चन्द्रविमानज्योतिष्कदेव यावत् ताराविमान-ज्योतिष्कदेव (-प्रयोग-परिणत पुद्गल) । वैमानिक देव (-प्रयोगपरिणत पदगल) के दो प्रकार हैं, कल्पोपपन्नकवैमानिकदेव और कल्पातीतवैमानिकदेव (-प्रयोग-परिणत पदगल)।
कल्पोपपन्नक वैमानिकदेव० बारह प्रकार के हैं,यथा-सौधर्मकल्पोपपन्नक से अच्युत कल्पोपपन्नक देव तक कल्पातीत वैमानिकदेव दो प्रकार के हैं, यथा-ग्रैवेयककल्पातीत और अनुत्तरौपपातिककल्पातीत । ग्रैवेयककल्पातीत देवों के नौ प्रकार हैं, यथा-अधस्तन-अधस्तन ग्रैवेयककल्पातीत यावत् उपरितन-उपरितन ग्रैवेयककल्पातीत । भगवन् ! अनुत्तरौपपातिक-कल्पातीत-देव-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुदगल कितने प्रकार के हैं ? गौतम! पाँच प्रकार के-विजय-यावत् सर्वार्थसिद्ध-अनुत्तरौपपातिक-कल्पातीत-देव-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल।
भगवन् ! सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गए हैं ? गौतम ! वे दो प्रकार के कहे गए हैं । यथा-पर्याप्तक-सूक्ष्मपृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल और अपर्याप्तक सूक्ष्मपृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल । इसी प्रकार बादरपृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल के भी दो भेद कहने चाहिए । इसी प्रकार वनस्पतिकायिक (एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत-पुद्गल) तक प्रत्येक के सूक्ष्म और बादर ये दो भेद और फिर इन दोनों के पर्याप्तक और अपर्याप्तक भेद कहने चाहिए।
भगवन् ! द्वीन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गए हैं ? गौतम ! वे दो प्रकार के कहे गए हैं, जैसेपर्याप्तक द्वीन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल और अपर्याप्तक-द्वीन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल । इसी प्रकार त्रीन्द्रिय-प्रयोगपरिणत पुद्गलों और चतुरिन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गलों के प्रकार के विषय में भी समझ लेना चाहिए।
भगवन् ! रत्नप्रभापृथ्वी-नैरयिक-प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गए हैं ? गौतम ! वे दो प्रकार के कहे गए हैं, पर्याप्तक रत्नप्रभापृथ्वी-नैरयिक-प्रयोग-परिणत पुद्गल, अपर्याप्तक-रत्नप्रभा-नैरयिक-प्रयोग-परिणत पुद्गल । इसी प्रकार यावत् अधःसप्तमीपृथ्वी-नैरयिक-प्रयोग-परिणत पुद्गलों के प्रकारों के विषय में कहना चाहिए।
भगवन् ! सम्मूर्छिम-जलचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल प्रकारों के लिए पृच्छा है । गौतम ! वे दो प्रकार के हैं, पर्याप्तक-सम्मूर्छिम-जलचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुदगल और अपर्याप्तक-सम्मूर्छिम-जलचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल । इसी प्रकार गर्भज-जलचर सम्बन्धी प्रयोगपरिणत पुद्गलों के प्रकार के विषय में जानना । इसी प्रकार सम्मूर्छिम-चतुष्पद स्थलचर तथा गर्भज-चतुष्पद स्थलचर सम्बन्धी प्रयोग-परिणत पुद्गलों के विषय में भी जानना । यावत् सम्मूर्छिम खेचर और गर्भज खेचर से सम्बन्धित-प्रयोगपरिणत पुद्गलों के दो-दो भेद कहना।
भगवन् ! सम्मूर्छिम-मनुष्य-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गए हैं ? गौतम ! वे एक प्रकार के कहे गए हैं, यथा-अपर्याप्तक-सम्मूर्छिम-मनुष्य-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल । भगवन् ! गर्भज-मनुष्यपंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गए हैं ? गौतम ! वे दो प्रकार के कहे गए हैं, वे इस प्रकारपर्याप्तक और अपर्याप्तक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल।
भगवन् ! असुरकुमार-भवनवासीदेव-प्रयोग-परिणत पुदगल कितने प्रकार के कहे गए हैं ? गौतम ! वे दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा-पर्याप्तक-असुरकुमार-भवनवासीदेव-प्रयोग-परिणत-पुद्गल और अपर्याप्तक-असुर कुमार-भवनवासीदेव-प्रयोग-परिणत पुद्गल । इसी प्रकार स्तनितकुमार-भवनवासीदेव तक प्रयोग-परिणत पुद्गलों
मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
Page 150