Book Title: Agam 05 Bhagwati Sutra Part 01 Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-1'
शतक/ शतकशतक/उद्देशक/सूत्रांक
शतक-५ सूत्र-२१५
पांचवे शतक में ये दस उद्देशक हैं-प्रथम उद्देशक में चम्पा नगरी में सूर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर हैं । द्वीतिय में वायुसम्बन्धी प्ररूपण । तृतीय में जालग्रन्थी का उदाहरण । चतुर्थ में शब्द-सम्बन्धी प्रश्नोत्तर । पंचम में छद्मस्थ वर्णन | छठे में आयुष्य सम्बन्धी निरूपण है । सातवे में पुद्गलों का कम्पन | आठवे में निर्ग्रन्थी-पुत्र । नौवे में राजगृह नगर है और दशवे में चम्पानगरी में वर्णित चन्द्रमा-सम्बन्धी प्ररूपणा है।
शतक-५ - उद्देशक-१ सूत्र - २१६
उस काल और उस समय में चम्पा नामकी नगरी थी। उस चम्पा नगरी के बाहर पूर्णभद्र नामका चैत्य था। वहाँ श्रमण भगवान महावीर स्वामी पधारे...यावत् परिषद् धर्मोपदेश सूनने के लिए गई और वापस लौट गई । उस काल और उस समय में श्रमण भगवान महावीर स्वामी के ज्येष्ठ अन्तेवासी गौतमगोत्रीय इन्द्रभूति अनगार थे, यावत् उन्होंने पूछा-भगवन् ! जम्बूद्वीप में सूर्य क्या ईशान-कोण में उदय होकर आग्नेय कोण में अस्त होते हैं ? अथवा आग्नेय कोण में उदय होकर नैर्ऋत्य कोण में अस्त होते हैं ? अथवा नैर्ऋत्य कोण में उदय होकर वायव्य कोण में अस्त होते हैं, या फिर वायव्यकोण में उदय होकर ईशान कोण में अस्त होते हैं ? हाँ, गौतम ! जम्बूद्वीप में सूर्य-ईशान कोण में उदित होकर अग्निकोण में अस्त होते हैं, यावत् ईशानकोण में अस्त होते हैं । भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में दिन होता है, तब क्या उत्तरार्द्ध में भी दिन होता है ? और जब जम्बूद्वीप के उत्तरार्द्ध में दिन होता है, तब क्या मेरुपर्वत से पूर्व-पश्चिम में रात्रि होती है ? हाँ, गौतम ! जब जम्बूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में दिन में होता है, तब यावत् रात्रि होती है । भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से पूर्वमें दिन होता है, तब क्या पश्चिममें भी दिन होता है ? जब पश्चिम में दिन होता है, तब क्या जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से उत्तर-दक्षिण में रात्रि होती है? गौतम ! हाँ, इसी प्रकार होता है। सूत्र - २१७
भगवन् ! जब जम्बूद्वीप नामक द्वीप के दक्षिणार्द्ध में उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिन होता है, तब क्या उत्तरार्द्ध में भी उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिन होता है ? और जब उत्तरार्द्ध में उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिन होता है, तब क्या जम्बूद्वीप में मन्दर (मेरु) पर्वत से पूर्व-पश्चिम में जघन्य बारह मुहूर्त की रात्रि होती है ? हाँ, गौतम ! यह इसी तरह होती है। भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से पूर्व में उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिन होता है, तब क्या जम्बूद्वीप के पश्चिम में भी उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिन होता है ? और भगवन् ! जब पश्चिम में उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिवस होता है, तब क्या जम्बूद्वीप के उत्तर में जघन्य बारह मुहूर्त की रात्रि होती है ? हाँ, गौतम ! यह इसी तरह-यावत्...होता है । हे भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में अठारह मुहूर्तानन्तर का दिवस होता है, तब क्या उत्तरार्द्ध में भी अठारह मुहूर्त्तानन्तर का दिवस होता है ? और जब उत्तरार्द्ध में अठारह मुहूर्त्तानन्तर का दिन होता है, तब क्या जम्बूद्वीप में मन्दर पर्वत से पूर्व पश्चिम दिशा में कुछ अधिक बारह मुहूर्त की रात्रि होती है ? हाँ, गौतम ! यह इसी तरह होती है; भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के मन्दराचल से पूर्व में अठारह मुहुर्तानन्तर का दिन होता है, तब क्या पश्चिम में भी अठारह मुहूर्त्तानन्तर का दिन होता है ? और जब पश्चिम में अठारह मुहूर्त्तानन्तर का दिन होता है, तब क्या जम्बूद्वीप में मेरुपर्वत से उत्तर दक्षिण में भी सातिरेक बारह मुहूर्त की रात्रि होती है ? हाँ, गौतम ! यावत् होती है।
इस प्रकार इस क्रम से दिवस का परिमाण बढ़ाना-घटाना और रात्रि का परिमाण घटाना-बढ़ाना चाहिए । यथा-जब सत्रह मुहूर्त का दिवस होता है, तब तेरह मुहूर्त की रात्रि होती है । जब सत्रह मुहूर्त्तानन्तर का दिन होता है, तब सातिरेक तेरह मुहूर्त की रात्रि होती है । जब सोलह मुहूर्त का दिन होता है, तब सातिरेक तेरह मुहूर्त की रात्रि होती है । जब सोलह मुहूर्त का दिन होता है, तब चौदह मुहूर्त की रात्रि होती है । जब सोलह मुहूर्त्तानन्तर का दिवस होता है, तब सातिरेक चौदह मुहूर्त की रात्रि होती है । जब पन्द्रह मुहूर्त का दिन होता है, तब पन्द्रह मुहूर्त की रात्रि होती है । जब पन्द्रह मुहूर्तानन्तर का दिन होता है, तब सातिरेक पन्द्रह मुहूर्त की रात्रि होती है, जब चौदह मुहूर्त का
मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (भगवती) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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