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हिंदी-गुजराती कोश
संपादक मगनभाई प्रभुदास देसाई
पाया
2015
गूजरात विद्यापीठ अमदावाद-१४
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"हिन्दी और उर्दूको मैंने एकसाथ जाना है। हिन्दुस्तानी शब्दका इस्तेमाल भी खुलकर किया है । सन् १९१८ में इन्दौरके हिन्दी साहित्य सम्मेलनमें मैंने जो कुछ कहा* था, वही आज भी कह रहा हूँ। हिन्दुस्तानीका मतलब उर्दू नहीं, बल्कि हिन्दी और उर्दूकी वह खूबसूरत मिलावट है, जिसे उत्तरी हिन्दुस्तानके लोग समझ सकें, और जो नागरी या उर्दू लिपिमें लिखी जाती हो। यह पूरी राष्ट्रभाषा है, बाक़ी अधूरी।" महाबलेश्वर, १-५-'४५
मोहनदास करमचंद गांधी * " हिन्दी भाषा वह भाषा है, जिसको उत्तरमें हिन्दू व मुसलमान बोलते हैं, और जो नागरी अथवा फारसी लिपिम लिखी जाती है। यह हिन्दी एकदम संस्कृतमयी नहीं है, न वह एकदम फारसी शब्दोंसे लदी हुई है . . .।"
[ भारतके संविधानसे ] यूनियनकी दफ़तरी भाषा देवनागरी लिखावटमें हिन्दी होगी।
युनियनके दफ़तरी मतलबोंके लिए हिन्दसोंका जो रूप काममें लाया जायगा वह हिन्दुस्तानी हिन्दसोंका अन्तर-कौमी रूप होगा। [३४३- (१)]
यूनियनका फरज़ होगा कि, हिन्दी भाषाके फैलावको बढ़ाए, और इसका इस तरह विकास करे कि वह भारतकी मिलीजुली कल्चरके सब अंगोंको ज़ाहिर करनेका साधन बन सके, और उसकी आत्माको छेड़े बिना, जो जो रूप, जो शैली और मुहावरे हिन्दुस्तानी में और आठवीं पट्टीमें दर्ज भारतकी दूसरी भाषाओंमें* काम आते हैं उनको उसमें रचा पचाकर, और, जहाँ कहीं ज़रूरी या चाहनी हो, उसकी शब्दावलीके लिए पहले संस्कृतसे और फिर दूसरी भाषाओंसे शब्द लेकर, उसे मालामाल करे। [३५१] * दर्ज की गई भारतकी दूसरी भाषाएँ ये चौदह है :
१. आसामी २. बंगला, ३. गुजराती, ४. हिंदी, ५. कन्नद, ६. कश्मीरी, ७. मलयालम् , ८. मराठी, ९. उड़िया, १०. पंजाबी, ११. संस्कृत, १२. तामिल, १३. तेलुगु, १४. उर्दू ।
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हिंदी - गुजराती कोश
संपादक मगनभाई प्रभुदास देसाई
साविया
गूजरात विद्यापीठ अमदावाद - १४
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छ रूपिया
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मुद्रक जीवजी डाह्याभाई देसाई नवजीवन मुद्रणालय, अमदावाद - १४
प्रकाशक
मगनभाई प्रभुदास देसाई
महामात्र, गूजरात विद्यापीठ अमदावाद
१४
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सर्व हक्क प्रकाशक संस्थाने आधीन छे.
पहेली आवृत्ति, १९३९, २००० बीजी आवृत्ति, १९४६, ५००० सुधारेली वधारेली त्रीजी आवृत्ति, १०,०००
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ऑक्टोबर, १९५६
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देशना अप्रतिम राष्ट्रभाषाप्रचारक
पूज्यश्री गांधीजीने
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अनुक्रमणिका त्रीजी आवृत्तिनुं निवेदन अगाउनी आवृत्तिनां निवेदनोमांथी बे बोल
गांधीजी कोश वापरनारने सूचनाओ हिन्दी-गुजराती कोश
१-५७३
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त्रीजी आवृत्तिनुं निवेदन दस वरसे आ बीजी सुधारेली वधारेली नवी आवृत्ति बहार पडे छे, तेथी संतोष थाय छे. आम जोतां, बीजी आवृत्ति लगभग पांच-छ वरसमां खपी गई हती. एटले नवी आवृत्ति आथी वहेली बहार पडवी जोईती हती. तेम न थई शकवाथी हिंदीना अभ्यासीओने सोसवू पडडुं छे, ते माटे क्षमा चाहुं छु.
आ दस वरसमां आपणी दुनिया बहु फरी गई छे; आपणे स्वतंत्र थया अने आपणा देशने माटे कई भाषा राजभाषा बने ते आपणी राष्ट्रीय बंधारण सभाए नक्की. कयु. ए भाषानुं स्वरूप केवं हशे तेनी चोकस व्याख्या आपवामां आवी; अने तेनी लिपि एक नागरी हशे अने आंकडा तेमना अंग्रेजी रूपमा रहेशे, एम ठराव्यं. ए भाषा हिंदनी बधी भाषाओ वच्चे कडीरूप आंतरभाषा हशे. अने ते तरीके तेने, आवतां १५ वरसमां, आपणा राष्ट्रीय राजवहीवटमा दाखल करवी, एम पण आंकवामां आव्यु.
आ निर्णय आपणी राष्ट्रीय आगेकूचनी एक भारे मजल कापनारो छे. तेनी असर भारे दूरगामी हशे, ए उघाडु छे.
एनी रूए, बेलिपिनो प्रश्न ऊकली गयो गणाय. तेथी उर्दू लिपिमां पण शब्दो लखीने गई आवृत्ति बहार पाडेली, ते आ आवृत्तिमा चालु राखवानी जरूर न रही. ए आवृत्तिना प्रारंभे गांधीजीए लखेला ‘ने बोल' आ प्रस्तावनामां संघर्या छे. तेमां आ कोषना उपयोग अने तेने वधारे सारो बनाववामां मदद करवा विषे जे उल्लेख छे ते भणी वाचकोनुं ध्यान खेंचु छु.
___ गई आवत्तिओमां जणावेल के, गजराती अने हिंदीमां समान शब्दो संघर्या नथी; एवा शब्दोनी संख्या पंदर हजार करतांय वधारे हो. तेमां सुधारो करीने एवा शब्दो आ नवी आवृत्तिमां उमेरी लेवामां आव्या छे. ते उपरांत पण वधु हिंदी शब्दो लीधा छे. तेने सारु केटलुक साहित्य पण जोईने शब्दो वीणीने संघर्या छे. आ काममा विद्यापीठना विद्यार्थीओए ठीक ठीक मदद करी छे. ते जे साहित्य भणता, तेमाथी तेमणे शब्दो काढी आप्या हता. आम करतां
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शब्दभंडोळ लगभग ३३००० जेटलं थयुं छे. परिणामे कोशन कद अने किंमत ते मुजब वध्यां छे. हिंदी भाषानो अभ्यास हवे आपणी बधी शाळाओ तथा कॉलेजोमां चालशे. आ कोश तेमां सोने मददरूप थशे एवी आशा छे.
शब्दो पसन्द करवामां जे नीति पहेली आवृत्तिथी लीधेली छे ते ज कायम छे. आपणी आंतरभाषानुं स्वरूप आपणी विपूल राष्ट्रीयताने अनुरूप अने तेवं ज वैविध्यपूर्ण अने व्यापक हशे. तेमां शब्दो अपनाववानी अनोखी शक्ति रहेली छे. ते तेनो भारे गुण छे. बंधारणे जणाव्यं छे के, आपणी भाषानी प्रकृति मजब, शब्दो गमे त्यांथी लेवा घटे ते लेवा जोईशे. आ भाषा हवे खूब शक्तिशाळी बनवी जोईए. हिंदनी बधी भाषाओनी साथे ते पण विकसवी जोईए. हिंदीभाषी प्रदेश माटे आथी एक खास जवाबदारी आवे छे. तेओ पोतानी भाषा परत्वे अतिअभिमान न धरावे. ते तेमनी प्रदेशभाषा के स्वभाषा छे; तेवी ज तेमना देशबांधवोनी पण स्वभाषा छे. बे वच्चे सरसाई न होय; विरोध न होय. एमनी भाषानी मूळ प्रकृतिना काठाने वफादार रहीने आपणी
आंतरभाषा हिन्दी बनशे अने चालशे. आ वस्तु लक्षमा राखीने जो ते भाषानो विकास करवामां आवे, तो ते भाषा दुनियानी एक मातबर प्रजानी भाषा बने अने तेवू मान पण तेने जगतना दरबारमा मळे. एम करवू होय तो दरेक राष्ट्रप्रेमी हिंदीए ए भाषाने शीखीने तेने खीलववामां भाग लेवो जोईए. आ कोश गुजराती बोलता हिंदीओने एमां मदद करशे एवी आशा छे. अंते तेमने विनंती के, आ कोशने वधु उपयोगी बनाववामां तेओ बनती मदद करे. २-१०-१९५६
म० प्र० देसाई
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अगाउनी आवृत्तिनां निवेदनोमांथी
राष्ट्रभाषाने शिक्षणमा स्थान होवु जोईए एम गांधीजी दक्षिण आफ्रिकाथी हिंद भाव्या त्यारथी सतत कहेता आव्या छे. एटले, राष्ट्रीय शिक्षणनी शरूआतथी तेमां तेने अनिवार्य स्थान आपवामां आव्युं छे; अने ते मुजब, विद्यापीठनी स्थापनाथी राष्ट्रभाषाना शिक्षणने तेमा स्थान रघु छे. बल्के, विद्यापीठनां ध्येयोमा ज ए विषे एक कलम छे के, “ विद्यापीठमां राष्ट्रभाषा हिंदी-हिंदुस्तानीने आवश्यक स्थान हशे.” अने तेनी ज साथे ए भाषानी व्याख्यानी स्पष्टता करवा नोंध मूकवामां आवी छे के, “ हिंदी-हिंदुस्तानी ए भाषा के जे उत्तरना सामान्य हिंदु मुसलमान बोले छे अने देवनागरी अथवा फारसी लिपिमा लखाय छे."
१९३० थी '३४ना युद्धना दिवसो वाद, ई. स. १९३५ मा विद्यापीठे नवेसर पोतार्नु काम शरू कर्यु त्यारे राष्ट्रभाषाने अंगे एक वधु काम पण तेणे उपाडा, भने ते पोताने स्थानेथी बने तेटली राष्ट्रभाषाप्रचारने मदद करवान. आने अगे १९३६मां विद्यापीठ मंडळे एक कार्यदिशा पण आंकी हती, अने तेमां गुजरातनी प्रजाने उपयोगी थाय एवो नानकडो राष्ट्रभाषानो कोश करवो, एQ एक कार्य हतुं. आ कोश ते अनुसार करवामां आव्यो छे.
गुजरातमां राष्ट्रभाषाप्रचार काम एक रीते जोईए तो साव सहेलुं छे. अ-हिंदीभाषी प्रान्तोनी भाषाओमा गुजराती भाषा कदाच हिंदुस्तानीनी साथे घणी ज मळती भावे छे. वेना शब्दभंडोळमां तद्भव अने तत्सम शब्दो ठीक ठीक प्रमाणमां सरखा छे, अथवा फेरफार छे तो एवो जजजाज के भणेलो गुजराती वाचक सामान्य हिंदी शब्दोनो अर्थ कल्पी शके. एटलं ज नहि, गुजरातमांथी हिंदी लेखको पण पाक्या छे. वळी, व्रजभाषा साथेनो तेनो सांस्कृतिक संबंध सैकांथी एकसरखो चालतो आवेलो छे. राष्ट्रभाषाना स्वयंसिद्ध प्रचारक समा साधुसंन्यासीओ गुजरातनां गामडांमां हमेश फरता रह्या छे अने तेओए हिंदी साथेनो तेनो संपर्क सतत चालु राखेलो छे. अने तेथी गुजरातमां गिरिधर करताय कदाच तुलसी-रामायण वधारे वंचाय छे. कबीर अने दादुनां भजनो तेमना पंथ मारफते हजी जीवतां रहेलां छे. आ उपरति गुजराती वेपारी पण करोडोनी भाषाने कामचलाउ जाण्या वगर ओछो ज रहे एवो छे ? गुजरातना मुसलमान राजाओना काठमां फारसी अरबीनी असर पण तळपदी भाषामा ओछी ऊतरी नथी. एटले, गुजरातने माटे राष्ट्रभाषाप्रचारकार्य सहेलुं छे एमां प्रश्न नथी.
पण तेथी ज कदाच ए विषे उपेक्षा थवानो पण भोरे भय रहे छे. मात्र वेपार के मुसाफरीनी सवड पूरतो ज परिचय जरूरी छे एम जो मनाय, तो तेटला परिचयथी आपणे एक बोली जरूर शीखी लई शकीए. परन्तु राष्ट्रभाषा एवी बोली मात्र नथी. तेणे तो हिंदनी एकतानुं अने आपणी हिंदी संस्कृतिनुं वाहन बनवानुं छे. प्रजाना राजकारणनी भाषा तो आज भापणी नजर सामे ते बनी रही छे. अनेक प्रांतीय साहित्य-प्रवाहो ए ज मोटी राष्ट्रगंगामां मवाना छे. आज आपणां प्रांतीय साहित्यो सहेजे बनी जतो परस्पर संबंध कदाच साधे छे.
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पण तेनी कोई नीतिरीति के नियमबद्ध पद्धति भापणे हजी नथी विकसावी. ए काम पण आगळ जतां राष्ट्रभाषाने ज माथे भावशे एमां कोईने शंका छ ?
राष्ट्रभाषान आवं स्वरूप होवाथी तेने आपणे मात्र एक बोली रूपे जाणीने निरांत वाळीए, तो सांस्कृतिक प्रगतिमा गुजरात पाछळ ज पढे एमां शंका नथी. एटले भाषा तरीके तेनुं अध्ययन थर्बु जोईए, वध, जोईए, अने विकसतुं जोईए. तेने माटे बे दिशाओ देखाय छे :- (१) प्रौढ वर्ग हिंदी प्रचारनी परीक्षाओ आपवाने निमित्ते भाषानो शास्त्रीय अभ्यास शरू करे; (२) शाळाना विद्यार्थीओना अभ्यासक्रममां राष्ट्रभाषाने स्थान मळवू जोईए; - जे सुधारो, में शरूमां का ए प्रमाणे, गांधीजी आफ्रिकेथी देशमा व्या त्यारथो कहेता आल्या छे. प्रौढ वर्गोनी शरूआत गुजरातमा थई छे ए सौने खबर छे. तेनी गति दिवसे दिवसे वधशे एमां शंका नथी. अने सुखनी वात ए छे के, केळवणीना महासभावादी प्रधानोए शाळामां हिंदुस्तानी शिक्षणनी बीजी बावतने पोताना कार्यमां स्थान भाप्युं छे.
___ आ उपरांत एक त्रीजो वर्ग पण जरूरनो छ, भने ते उपरना बे वर्गोने मददरूप एवा राष्ट्रभाषाना प्रचारको अने तेना शिक्षकोनो. भा वर्गनी उत्पत्ति पण आजे गुजरातमां प्रारंभिक दशामा ज छे. जेम जेम आपणी राष्ट्रीय भस्मिता वधती जशे अने तेथी करीने राष्ट्रभाषानी किंमत वधारे ने वधारे जोता जईशुं, तेम तेम मा शिक्षफ-प्रचारक-वर्गे वधq ज जोईशे - ते वधशे ज. अने ए वर्ग उपरना बे वर्गोने पछी पहोंची वळशे.
राष्ट्रभाषानो आ गुजराती कोश आ त्रणे वर्गोने लक्षमा राखीने करवामां आव्यो छे. शाळानो विद्यार्थीवर्ग कदाच भा कोशने एकदम न पण अपनावी शके, परंतु राष्ट्रभाषाप्रेमी प्रौढ लोक अने ते भाषाना शिक्षकवर्गने आ कोशथी पूरती मदद मळ्शे एम मार्नु हुं. हिंदीमां अर्थो आपता कोशो आज पणा छे. परंतु ते कोशी आपणे माटे बे रीते ऊणपवाळा छे : एक तो, शीखवानो प्रारंभ करनारने हिंदीमा ज आपेला अर्थों बरोबर न फावे; ते अर्थों जो गुजरातीमा मापवामां आवे तो सरलता पडे. बीजं, प्रचलित हिंदी कोशोमां राष्ट्रभाषानी दृष्टि राखीने भने जरूर विचारीने शन्दो संघरायेला नथी होता. तेमां हिंदी साहित्यनी जरूर ध्यानमा राखेली होय छे, - अने ते योग्य ज छे. तेथी करीने ते कदमां मोटा भने अन्यभाषाभाषीने माटे बिनजरूरी विस्तारवाला थई पडे छे. आधी ते कोशो प्रारंभना अभ्यासमा काम दई शकता नथी.
मा कोशथी आ ऊणपो आपोआप टळे छे. तेमां शब्दोनी पसंदगी राष्ट्रभाषाना स्वरूपने बरोबर ख्यालमा राखीने करवामां आवी छे. फारसी अरवी शब्दो ने सामान्य रीते उत्तरना हिंदु-मुसलमानोमा बोलाय छे तेमने पण आ कोशमां स्थान भापवामां आव्युं छे. मा कामने अंगे विद्यापीठना सेवक भाई गिरिराजजी तथा पं० सुरेशचंद्रजीनी मदद लीधी छे. भाई गिरिराज दिल्ही प्रांतना छे भने उर्दू सारी पेठे जाणे ठे, ए आ फामने माटेनी तेमनी योग्यता बताववा पूरतुं छे. पं० सुरेशचंद्रजी युक्त प्रांतना वतनी छे अने धृदावन भयोध्या वगेरे विभागोनी हिंदीथी परिचित छे. मा बेज गाईओए मळीने, हिंदी-हिंदुस्तानीनी व्याख्यानी दृष्टिए शब्द-पसंदगी करवामां कीमती मदद करी छे. तेथी ज भा कोश- काम संतोषप्रद ने सहेलु तथा झट बनी शक्युं छे.
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कोनो विस्तार नाइक वघे नहि तेटला माटे, शब्दो लेवामां ए धोरण राख्युं छे के, जे शब्दो समान रूपे ने समान अर्थमां गुजरातीमां पण चालता होय, तेमने आ कोशमां आप जरूर नथी. ए नियमथी, मोटा भागना संस्कृत शब्दो, 'पूछना, मीचना, आदमी, खरीदना, खबरदारी, वगेरे जेवा शब्दो भा कोशमां नयी संघर्या, संघरवा जरूरना पण नथी. परंतु, जे शब्दोनी जोडणीमां के भर्थमां लिंगमा फरक होय तेवा लीधा छे. जेम के 'भात्मा, असर 'मां गुजराती हिंदुस्तानीमा लिंगफेर छे; ' पहोंच, पहुँचना " महसूल, महसूल 'मां जोडणीफेर छे; 'सगीर' 'संकीर्ण' वगेरे जेवा अनेक शब्दोमा भर्थभेद छे. लिंगफेरने अंगे एक वस्तु नोंघवी जोईए : हिंदीमां नपुंसक लिंग नथी. एटले जे शब्दो गुजरातीमां नपुंसक लिंगना छे अने हिंदुस्तानीमां पुंलिंग छे तेनने छोडी दीघा छे. ए लिंगफेरवाळा शब्दो लीधा नथी.
,
शब्दोना अनो विस्तार करवामां पण, गुजरातने केवा कोशनी आजे जरूर छे ते ख्यालमा राखीने चालवाथी, आपोआप केटलुक लाघव साधी शकायुं छे.
तुलसी, कबीर, सुरदास जेवा भक्त कविओ जे आपणे त्यां लोकप्रिय छे तेमना शब्दोने जो घटतुं स्थान आपवामां आवे तो कोशनी उपयोगिता सहेजे वधी जाय. ए ख्यालथी
कविना शब्दाने स्थान आपवामां आव्युं छे. पण तेनो अर्थ एम नथी के, तेमना अभ्यासीने ते कविओनां लखाणोना बधा ज शब्दो आ कोशमांथी मळशे उपर जणान्युं एम, आ शब्दसंग्रहनी पसंदगी करवामां गुजरातनी तात्कालिक जरूरने मुख्यत्वे नजर सामे राखवामां आवी छे भने तेथी ज ते संग्रह आवडो नानो ने माफक किमतनो करी शकायो छे.
राष्ट्रभाषाप्रचारने माटे वाती परीक्षाओोमां तथा गुजरात विनय मंदिरनी सात श्रेणीभोमां चालतां पाठयपुस्तकोना शब्दो आ कोशमां आवी जाय ते हेतुथी ते पुस्तको जोई जवामा आन्यां छे. ते उपरांत पण केटलंक सामान्य वंचातुं साहित्य जोवामां आव्युं छे. बाकी, शब्दपसंदगी माटे, मुख्यत्वे, उपलब्ध कोशोमांथी सीधी विणामणी करवामां भावी छे भने तेम करवाने माटे 'हिंदी शब्दसागर 'नी नानी, मोटी ने मध्यम ए त्रण आवृत्तिभो, काशी विद्यापीठनो 'हिंदी शब्दसंग्रह', रेवरंड बेट कृत हिंदीभाषानो ( अंग्रेजी) शब्दकोश, श्री. रामचंद्र वर्मा कृत
·
'उर्दू - हिंदी शब्दकोश', इंडियन प्रेसनी • Hindustani English Dictionary', पं. रामनरेश त्रिपाठी कृत 'हिंदुस्तानी कोश' तथा बीजा केटलाक कोशोनो उपयोग करवामां भाव्यो छे. ते सर्व ग्रंथोना विद्वान संपादकोनो आ स्थळे हुं आभार मानुं छं.
हिंदी शब्दोना गुजराती भर्थों आपवामां एक ए ख्याल पण राख्यो छे के, मूळ हिंदी शब्दने मळतो जो गुजराती शब्द होय, भने ते अर्थमां, तो तेने नोंधवो भाथी करीने तुलनात्मक भाषाभ्यासीओने थोडी घणी सामग्री भ कोशमांथी मळशे एम मानुं छं. केटलाक तद्भव शब्दो जे बेउ भाषामा समान रूपे ने समान अर्थमा छे ने जे, हुं उपर कही आव्यो एम, आ कोशमां नथी संघर्या, ते अलग वीणी काढया होय तो सारु, एम एक संमान्य मुरब्बीनी सूचना हती. ए रसिक काम तो हवे आाथी अलग रूपे कथोरेक करवा उपर छोट जोईए. अत्यारे तो, कोशनो उपयोग करनारने तेना विना कशी भडचण नथी पडवानी एटलं समाधान छे.
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उपरनी मर्यादामां रहीने काम करता, लक्षावधि जेवडा हिंदी शब्दसागरमाथी १५३२० शन्दो आ कोशमां समाया छे. ते उपरांत, बेउ भाषामा तत्सम एवा संस्कृत तथा अन्य शन्दो जे आ कोशमा छोडी दीधा छे, ते उमेरो तो एटला ज बीजा थाय, एमां शंका नथी. एटले के, कुछ ३० हजार उपर शन्दो जेटलुं काम आ कोशथी सरशे एम गणाय. कोशमां नोंघेला शन्दो साथे व्याकरण भने केटलीक व्युत्पत्ति आपवामां आवी छे. तथा शब्दोनी साथे तेमना रूढ शब्दप्रयोगो पण नोंध्या छे. तेमां पण जे रूढिप्रयोगो गुजरातीमां पण ते ज रूपे चाले छे-- अने तेवा घणा छे-तेमने नथी आप्या, केम के गुजराती वाचकने ते परिचित ज छे. ता. ३०-४-३९
म० प्र० देसाई
ई. स. १९३९ ना मे मासमा 'राष्ट्रभाषानो गुजराती कोश' नामथी प्रसिद्ध करेला हिंदुस्तानी-गुजराती शब्दकोशनी नवे नामे ने सुधारेलीवधारेली भा नीजी आवृत्ति छे. पहेली आवृत्ति लगभग त्रणेक वर्षमा ज पूरी यई गई हती. पण वच्चे १९४२-४नो गाळो आववाथी तेनी नवी आवृत्ति आटली मोडी बहार पाडवी पडी छे. ____ आ वर्षोमां राष्ट्रना जीवननां अनेक क्षेत्रो जेम राष्ट्रभाषा-प्रचार विषे पण भारे फेरफार थयो छे. देशनुं आ काम एक पगलं आगळ वध्युं छे. ई. स. १९४२ सुधी आ रचनाकार्य हिंदी साहित्य संमेलननी वर्षा समिति मारफत चालतुं हतुं. ते सालमां छेवटे ए संस्थाए स्पष्ट फर्यु क, ते तो नागरी लिपि अने हिंदी शैलीनो ज अनुक्रमे राष्ट्रलिपि अने राष्ट्रभाषा तरीके प्रचार करशे; आ तेनी मर्यादा छे. तेणे राष्ट्रभाषानुं राष्ट्र-मान्य 'हिंदुस्तानी' नाम पण अपनाववा तैयारी न बतावी. बेउ लिपि द्वारा लखाती उत्तर हिंदनी जे आम लोकभाषा ते राष्ट्रभाषा छे, एवी व्याख्यामां आम तेणे फेरफार कर्यो. आथी पूर्ण राष्ट्रभाषानु ए काम करवा माटे राष्ट्रना आ रचनाकार्यना नेताओए 'हिंदुस्तानी प्रचार सभा'नी स्थापना करी, भने तेनुं काम आपणे त्यां शरू थयु.
आ स्थितिमां कोषे पोतार्नु शब्दभंडोळ वधारवा उपरांत बेउ लिपिनो पण समावेश करवो जोईए. तो उपरना कार्यमां कोशे पोतानो फाळो आप्यो एम कहेवाय. आ दुष्टिए मा नवी भावृत्तिमा शब्दने बेउ लिपिमा आप्या छे. एटले के, नागरी जोडे उर्दू लिपिमां पण ते छाया छे. आ करी शकायं तेथी संतोष थाय छे.
__ शब्दभंडोळ वधीने कुल १६००० थयुं छे. शन्दो उमेर्या छे ते चालु वंचातुं केटलुक हिंदुस्तानी साहित्य जोईने. केटलाक मित्रोए पण लेवा जेवा शब्दोनी नानी मोटी यादी मोकली छे. ए बधानां नाम गणाव्या वगर ते सौनो आभार मानुं छु.
शब्दो संघरवा अंगे आंकेली मर्यादा, मा आवृत्तिमाय चालु रहे छे. एक एवी सलाह हती के, गुजराती तथा हिंदुस्तानी बेउना एकसरखा शब्दो, के जे आ कोशमां नथी संघर्या, तेय लेवा. आ शन्दो लगभग १५००० थाय छे.
शन्दोनी यादी भाषाशास्त्रनी दृष्टिए करवा जेवी खरी. पण भा कोशमां ते उमेरवाथी कद व ने किंमत वधे, जे तेना प्रचारमा बाधा भाणे. ए ज वहेवारु ख्यालयमा
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शब्दी आ वेळाय नथी लीधा. आजनी मोंघवारीथी भामेय किंमत तो सारी पेठे वधी ज छे, जेने माटे तो कशी उपाय नथी.
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गई आवृत्तिमा 'राष्ट्रभाषानुं स्वरूप' ए मथाळे पू. गांधीजीना विचाराने आमुख तरीके आपेला. आ वेळा तेमणे खास 'बे बोल '* लखी आप्या होवाथी ते भाग जतो कर्यो छे. गांधीजीना विचारो जाणवा माटे हवे तेमनुं 'राष्ट्रभाषा विषे विचार ' ए नामनुं स्वतंत्र पुस्तक प्रसिद्ध थयुं छे, ते वाचक जुए.
छेवटमा एक वात : हिंदुस्तानी भाषाना प्रचारने अंगे एक गेरसमज थती जोवामां आवे छे, ते ए के, तेमां फारसी अरबी ने संस्कृत शब्दोनो अदलोबदलो के आघापाछी करवानी होय छे. पण, भाग्ये ज कोई एम माने छे. आ तो एक अवळी दलील ज छे. आ कोशनी पाछळ एवी कोई दृष्टि न मानवा विनंती छे. आजनी स्थितिमां हिंदी + उर्दू बेउ शब्दोनुं भंडोळ चालवानुं. लेखक पोतानां रुचि भने शिक्षण प्रमाणे सहेजे अहींथी के तहींथी शब्दो लखशे. जे शब्दो ने जे शैली सामान्य जनताने वधु समजाशे ने गमशे, ते वधु चालशे. आ मोटी कसोटीने जो लेखको अनुसरे, तो आपोआप तेओ सरळ लोकभाषा तरफ वळशे. ते हिंदी हशे तो सरळ हिंदी बनशे ने उर्दू हशे तो सरळ उर्दू बनशे अने ए दिशामां जतां बेउ शैलीओ एक प्रचलित लोकभाषा, जेने हिंदुस्तानी नामथी कहेवामां आवे छे, तेनी वधुमां वधु नजीक, आपोआप पहोंचो. आ काम कोशनुं नथी. कोशे तो चालु स्थितिमा काम दे एवो शब्दसंग्रह आपवानो छे. एथी ज एम केटलाक कहे छे के, भाजे तो उर्दू शब्दकोश + हिंदी शब्दकोश = पूरी हिंदुस्तानी शब्दसागर गणाय.
एक भी ऊलटी विचार-दिशा पण प्रवर्ते छे. अने ते ए के, पायानी हिंदुस्तानी जेवुं एक रूप संशोध अने तेने माटे जरूरी एवं नानुं पायारूप शब्द-भंडोळ खोलवु आवा प्रयत्नो पण एक बे जाणमा छे. राष्ट्रभाषाना खेडाण भने वृद्धिने अर्थे आवा भावा विविध अभ्यासो थवा जोईए; प्रांतीय भाषाओ भने हिंदुस्तानीमां एकसरखा शब्दोनी यादीओ थवी जोईए. भा बधुं खूब उपयोगी काम छे. ने तेमां अभ्यासीओ लागशे तो ज एक राष्ट्रभाषा निर्माणना महान कामने सारु वैज्ञानिक मदद पण मळी शकशे.
भा कोश तैयार करवा माटे शब्द - पसंदगी लोकमां प्रचलितताने धोरणे करवानी नेम राखी छे. एने पायानी के संपूर्ण हिंदुस्तानीनो कोश मानवानी भूल न करवामां भावे. एनी नेम एटली ज छे के, आजे आपणे त्यां हिंदुस्तानी प्रचारनी जे प्रगति छे तेने तेणे पहोंची वळवा मथवु. ते भर्थं जेटलो सरे तेटलो एनी कृतार्थता छे. एने वापरनाराओ ए दृष्टिए एने भागळ उपर सुधारवावधारवा सक्रिय मदद करता रहे ए विनंती छे.
१२-३-२४६
म० प्र० देसाई
* आ ' बे बोल' मा निवेदन पछी भाप्या छे ते जुभो.
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बे बोल हिंदुस्तानी-गुजराती कोषनी आ बीजी आवृत्ति छ । एवो कोष आपणी भाषामां बीजो में नथी जोयो। नागरी ने उर्दू लिपिमा साथे शब्दो आपवावाळो कोष ए नवं साहस लागे छ । जो नागरी अने उर्दू लिपि साथे जाणवा ने हिन्दी अने उर्दू रूपमा साथे बोलवानी आवश्यकतानो स्वीकार थाय, तो आवा कोषोनी जरूरियात बहु छ ।
आ कोष वापरवानी रीत सामान्य कोष वपराय छे तेम नथी। आ कोषने हिन्दुस्तानीनो अभ्यासी वारंवार जुए तो तेमांथी बन्ने लिपिनुं ने बन्ने बोलीना शब्दो- तेनुं ज्ञान सहेजे वधे । आ कोषना सदुपयोगनी बीजी रीत ए छे के, तेमां भूल रही गई होय तो तेनी नोंध करी लेवी ने जे शब्दो न मळे ते लखी लेवा, ने एनी नोंध वखतोवखत संपादकने मोकल्या करवी । संपादक पोते सूचनानो घटतो उपयोग नवी आवृत्तिने सारु करी शके अथवा वधारा तरीके जेनी पासे कोष होय ते नजीवे दामे नवी आवृत्तिनुं काम लई शके। वळी मूळ कोष खरीदनारने ते पुरवणी तरीके मोकली शकाय ।
मारी उमेद छे के आ साहसने गुजराती जनता वधावी लेशे। मद्रास जतां ट्रेनमां,
मो० क० गांधी २१-१-४६
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कोश वापरनारने सूचनाओ १. कोशमां वपरायली संज्ञाओनी समजूती आ प्रमाणे छे : पुं० पुंल्लिग (नाम)
(प.) एटले के मुख्यत्वे पद्यमां वपराय छे स्त्री० स्त्रीलिंग (नाम) ब० व० बहुवचन वि. विशेषण
ए० व० एकवचन अ० अव्यय
अ. अरबी स० सर्वनाम
फा. फारसी अ० कि० अकर्मक क्रियापद सं. संस्कृत सक्रि० सकर्मक क्रियापद । तु. तुर्की
इं., अं. इंग्नेजी २. शब्दनो क्रम गोठववामां अनुनासिक के अनुस्वारवाळो अक्षर ते वगरना अक्षरनी अगाउ मकवामां आव्यो छे. एटले, दा०त० कंस, कंद वगेरे 'कई 'नी पहेलां आवे. ते सिवाय बाकीनी गोठवणी कक्कावारीना सामान्य रखाता क्रममां छे.
३. शब्दना पेटामां तेना रूढिप्रयोग तथा तद्भव ने झट समजाय एवा शब्दो मूक्या छे. जेम के, (१) 'केचेरा' नुं स्त्रीलिंग ‘कचेरिन' ते शब्द जोडे (स्त्री० -रिन)
एम करीने बताव्युं छे. (२) 'कान' शब्दमा '-को कोड़ी न होना' एटले के 'कानको
कोड़ी न होना' रूढिप्रयोग आप्यो छे. (३) वि० साथे तेनुं स्त्रीलिंग रूप कौंसमां स्त्री० करीने टांक्यु छे.
जेम के, काहिल वि० [स्त्री० -लो]. मूळ शब्द परथी बनतुं नाम आप्यु छे त्यां कौंसमां [नाम, . . ] करीने आप्यु छे. जेम के, गिड़गिड़ाना [ नाम, -हट ] एटले के, गिड़गिड़ाहट. गिलकार [ नाम, -री]. लँगड़ा वि० [अ० क्रि० -ना] एटले के 'लँगड़ाना' वगेरे. तेम ज क्रियापद, विशेषण- पण समजवं.
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४. मूळ शब्दना विकल्प होय तो तेमने आखा लखवाने बदले, शक्य होय त्यां, नीचे प्रमाणे ढूंकावीने मूक्या छे. जेम के,
तिकोना(-निया ) = तिकोना, तिकोनिया तिरछ (-छा )ई = तिरछई, तिरछाई
रिझा( ०व)ना=रिझाना, रिझावना एटले के, आ – संज्ञा तेनी पूर्वेना अक्षरने बदले लेता थता शब्दनो अने आ . संज्ञा तेमां उमेरीने बनता शब्दनो विकल्प सूचवे छे.
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अंक पुं० (सं.) अंक ; संख्यानो आंकडो अंकुशग्रह पुं० (सं.) महावत (२) आंक; निशान (३) नाटकनो , अंकुस पुं० अंकुश अंक (४) खोळो.-देना, - भरना, अंकुसी स्त्री० आंकडी; हक -लगाना = भेटवू; जुओ 'अॅकवार अंकोर पुं० अंक; खोळो (२) भेट; देना' [आंकडानुं गणित नजराणुं (३) लांच (४), खेडूतनुं अंकगणित पुं० (सं.) संख्यान- भाथु के भात [भेटवू ते अकड़ी स्त्री० जुओ 'अँकुड़ी'.. अंकोरी स्त्री० अंक; खोळो (२) अंकन पुं० (सं.) आंकवू ते; आंकणी . खड़ी स्त्री० आंख [मिचौली' अंकपाली स्त्री० (सं.) धाव; आया. अख-मीचनी स्त्री०. जुओ 'आँखअंकमाल पुं० गळे बाझीने भेटवू ते. अॅखिया स्त्री० आंख .. -देना = भेटवू
[धान अँखुआ पुं० (सं. अंकुर) बीजमांथी अकरा पुं० घउं भेगुं ऊगतुं एक हलकुं फूटतो अंकुर के कुंपळ. -आना, अकवार स्त्री० गोद; छाती. -देना, उगना, निकलना, फूटना, फेंकना,
-भरना= भेटवू; छाती सरसुं लगाववू लेना= अंकुर फूटवो [ऊगवं अकाई स्त्री० आंकवं ते; जओ'ॲकाव' अॅखुआना अ० क्रि० अंकुर फूटवो; अंकाना सक्रि० ('आँकना'नुं प्रेरक) अंगड़-खंगड़ वि० वध्यंघटथु; तूटपुंअंकावq; · अंदाज कढाववो (२) फूटधु (२) पुं० भंगार परखावq; परीक्षा कराववी [अटकळ अंग पुं० (सं.) अंग; शरीर (२) बैंकाब पुं०आंकवानुं काम (२)अंदाज; भाग; टुकडो. - करना = अंगीकार अंकित वि० (सं.) आंकेलं के अंकायेलं
कर. - देना= वामकुक्षी करवी. अंकुड़ा पुं० आंकडो
-मोड़ना = लज्जाथी शरीर संकोचq. अंकुड़ी स्त्री० नानो आंकडो
(२) आळस खावी.-लगना=पचवू; अंकुड़ोदार वि० आंकडावाळं
लोही लई पुष्ट थर्बु (२) कोईना • अंकुर पुं० (सं.) अंकुर; नवो फूटेलो खपमा आव. -लगाना = भेटवू
फणगो.-आना,उगना,निकलना,फूटना, (२) स्वीकारवू; अपनावq (३) फेंकना = अंकुर फूटवो [अंकुरवाळू लग्न करावq अंकुरित वि० (सं.) अंकुर फूटेलं; अंगज वि० (सं.) अंगमाथी जन्मेलु (२) अंकुश पुं० (सं.) हाथीनो अंकुश (२) पुं० पुत्र, परसेवो, वाळ, काम, प्रतिबंध; काबू; दाब (-देना,रखना) क्रोध इ०. अंगजा स्त्री० पुत्री
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अंगड़ाई
अंगुली अंगड़ाई स्त्री० शरीर फाटq ते (जेम' अंगा पुं० अंगरखं के ताव आवतां पहेलां) (२) अंगाकड़ी स्त्री० अंगार उपर शेकीने आळसथी के शरीर जकडाईने अक्कड करेली रोटी; बाटी. थ\ होय. तेथी शरीरनां अंगो ताणतां अंगार पुं० (सं.) अंगारो. - उगलना फेलाववां ते. -तोड़ना = आळसु = अंगारा जेवा बोल काढवा; आग बेठा रहेवू; काम न कर,
वर्षाववी. -पर पैर रखना = जाणी अंगड़ाना अ०क्रि० शरीर फाटq (२) जोईने नुकसान के मुश्केलीमा
आळस काढवा के अंगो अकडावाथी ऊतरवू. लाल अंगारा = वि० लालशरीर ताणवू-खंचवू
चोळ ; खूब गुस्से थयेलु अंगण पुं० आंगणुं [बखतर; कवच
अंगारक पुं० (सं.) अंगारो (२) अंगत्राण पुं० (सं.) अंगरखं (२) मंगळ ग्रह
[झाड अंगदान पुं० (सं.) पीठ देखाडवी;
अंगारपुष्प पुं० (सं.) इंगोरी; इंगुदीनुं युद्धमां पार्छ पडवू ते
भंगारमणि पुं० (सं.) माणेक [वेल अंगना पुं० (प.) आंगणुं
अंगारवल्ली स्त्री० (सं.) चणोठीनी अंगना स्त्री० (सं.) सुन्दर स्त्री
अंगारा पुं० अंगारो अंगभंग पुं० (सं.) अंगनी खोड; । अंगारिणी स्त्री० (सं.) सगडी (२) अपंगता (२) वि० खोडीखें
सूर्यास्तनी दिशा-पश्चिम अंगभंगी स्त्री० (सं.) भंगी; नखरां; अंगारी स्त्री० नानो अंगारो; तणखी शरीरना कामुक चाळा
(२) चिनगारी (३) सगडी 'अंगभाव पुं० (सं.) अंगनी चेष्टाथी अंगारी स्त्री० शेरडीना सांठा परनां बतावातो मनोभाव
पान (२) गंडेरी; शेरडीना बडवा अंगभूत पुं० (सं.) जुओ ‘अंगज';
अंगिया स्त्री० (सं. अंगिका, प्रा० पुत्र (२) वि० अंतर्गत; अंगनुं अंगिया) चोळी; स्त्रीनुं कापडं अंगमर्द पुं० (सं.) अंग फाटवु के कळवू . अंगी पं० (सं.) देहधारी ते (२) अंग दाबनार - चंपी करनार
अंगीकार पुं० (सं.) स्वीकार अंगरखा पुं० अंगरखं; 'अंगा' . अंगीकृत वि० (सं.) स्वीकृत; मंजूर अंगरा पुं० अंगारो
अपनावेलं अॅगराना अ० क्रि० जुओ 'अँगड़ाना' अँगीठा पुं० (सं. अग्नि + स्था) मोटी अगरेज पं० अंग्रेज
सगडी. अंगीठी स्त्री० सगडी अंगरेजी स्त्री० अंग्रेजी भाषा अंगुर पुं० अंगुल; आंगळ अंगलेट पुं० ; स्त्री०शरीरनु काटु-बांधो अंगुरी स्त्री० अंगुली; आंगळी अँगवना स० क्रि० (प.) सहवू; अंगुल पुं० (सं.) आंगळ
खम; वेठQ [कामदेव अंगली स्त्री० (सं.) आंगळी (२) ,अंगहीन वि० - (सं.) अपंग (२) पुं० हाथीनी सूंढनं टेरवू
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अंगुल्यादेश
अंगुल्यादेश पुं० (सं.) इशारो; आंगळीथी निशानी करवी ते [ते; बदनामी अंगुल्यानिवेश पुं० (सं.) आगळी चांघवी अंगुश्त पुं० ( फा . ) आंगळी अंगुश्तनुमाई स्त्री० ( फा . ) आंगळीदेखामणुं; बदनामी ; कलंक ; लांछन अंगुश्तरी स्त्री० ( फा . ) 'अँगूठी'; वींटी अंगुरताना पुं० ( फा . ) सीवती वखते
दरजी आंगळी पर पहेरे छे ते अंगूठी अंगुष्ठ पुं० (सं.) अंगूठो अँगुसी स्त्री० जुओ 'अँकुसी' (२) सोनीनी फूंकणी; 'बंकनाल ' अंगूठा पुं० ( सं. अंगुष्ठ ) अंगूठी. - चूमना = खुशामत करवी (२) ताबे - अधीन थj. - दिखाना = टिक्को बताववो; कांई करवा के देवा ना कहेवी. अँगूठे पर मारना = : तुच्छकारवु; परवा न करवी अँगूठी स्त्री० ' अंगुश्तरी ; वींटी अंगूर पुं० ( फा . ) अंगूर - लीली द्राक्ष अंगूरी वि० अंगूरनुं बनेलुं के तेना
रंगनुं (२) पुं० आछो लीलो रंग अंगेठी स्त्री० जुओ 'अँगीठी ' अँगोछना अ० क्रि० अंगूछायी शरीर लोहवुं [ दुवाल अँगोछा पुं० अंगूछो; अंग लोहवानो अँगोछी स्त्री० नानो अंगूछो के टुवाल ( २ ) पंचियुं; नानी पोतडी अंगोरा पुं० मच्छर
अंग्रेज जी जुओ 'अँगरेज़, -ज़ी ' अंघस पुं० पाप [' आखा अंधिया स्त्री० झीणा लोटनी चाळणी; अंध्रि पुं० (सं.) पग
अंघ्रिप पुं० (सं.) झाड
,
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अंजाना
साडीनो छाती
अँचरा पुं० अंचल; पर आवतो भाग; पालव
अंचल पुं० (सं.) पालव (२) छेवाडानो भाग ( ३ ) किनारो अँचला पुं० साधुओ धोतियाने बदले वटे छे ते कपडानो टुकडो अँचवना स०क्रि० जुओ 'अचवना' अंछर पुं० जादुमंतर. - मारना = जादु करवो के मंत्र मारवो
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अंज पुं० कमळ अंजन पुं० (सं.) आंज के अंजा ते (२) काजळ; सुरमो ( ३ ) शाही (४) एक जातनुं बगलुं ( ५ ) माया अंजनशलाका स्त्री ० (सं.) सुरमो आजवांनी सळी [ आंजेलं अंजनसार वि० अंजनवाळु; सुरमो अंजनहारी स्त्री० जुओ 'अंजनी ' ( २ )
माटीनुं घर करती एक जातनी भमरी अंजना, -नी स्त्री० आंखनी आंजणी अंजबार पुं० ( फा . ) एक औषधि अंजर पंजर पुं० (सं. पंजर) पांसळी के तेनो माळ (२) अ० आसपास; नजीक. - ढीला होना = शरीरना सांधा ढीला थवा ; सुस्त के शिथिल [ अन्नजल अंजल, - ला पुं० जुओ अंजलि ( २ ) अंजलि, -ली स्त्री० बे हाथनी पोश, माय तेटलुं के ते
थबुं
(सं.) अंजलि ; खोबो के तेमां
अंजलि (-ली ) पुटपुं० (सं.) अंजलि
अँजवाना स०क्रि० 'आँजना 'नुं प्रेरक ; अंजाव (अंजन, सुरमो इ० ) अंजही स्त्री० दाणापीठ
अंजाना स० क्रि० जुओ ' अँजवाना '
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अंजाम
पर
=
अंजाम पुं० ( फा . ) आखर; अंत ( २ ) परिणाम: करना, - देना, पहुँचना = पूरु करवुं; निपटावबुं अंजाम-कार अ० आखरे; छेवटे अंजित वि० (सं.) अंजायेलुं के आंजेलुं अंजीर पुं० अंजीर के तेनुं झाड अंजुमन स्त्री० ( फा . ) सभा; मंडळ; संस्था अंजुरी (-ली) स्त्री० अंजलि ; खोबो अँजोर, - रा पुं० अजवाळं प्रकाश [(दीवो) अँजोरना स० क्रि० चेतावनुं; प्रगटावबुं अंजोरा पुं० जुओ अँजोर (२) वि० अजवाळावाळु. अँजोरा पाख = अजवाळियुं [ अजवाळियुं अँजोरी स्त्री० अजवाळं (२) चांदनी; अंझा पुं० (सं. अनध्याय) अणोजो ; छुट्टी अंटना अ०क्रि० समावुं; बरोबर आवी रहेवुं; पूरतुं हो [' अंडबंड ' अंटसंट अ० पाया वगर; अप्रस्तुत ; अंटा पुं० गोळो (२) मोटी कोडी - कोडो (३) बिलियर्ड 'नी रमत अंटा गुड़गुड़ वि० नशामां चकचूर; बेहोश [ जगा अंटाघर पुं० 'अंटा' - बिलियर्ड रमवानी अंटाचित अ० चित्तापाट लांबुंछट . पंडे लुं. - करना = चित करवुं; पछाडवु. - होना = बेहोश थईने पडवुं ( २ ) नकामुं के बरबाद थवुं अँटिया स्त्री० पूळी; पुळेटी अँटियाना स० क्रि० आंटी के गूंचळी
"
-
करवी (२) आंगळीओ वडे छुपाववुं अंटी स्त्री० बे आंगळीओ वच्चेनी जगा के गाळो (२) ओटी (३) ( दोरानी) आंटी के ते उतारवानुं अटेरण (४) आंटी; विरोधभाव.
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अंडल
- करना = छेतरी लेवुं (२) अटेरवु.
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- रखना = छुपाववु; दबावी राखवुं अँटौतल पुं० घाणीना बळदनी आंखनुं ढांकण
अंड पुं० (सं.) 'अंडा' ; ईंड (२) पेळ: गोळी ; अंडकोश (३) ब्रह्मांड (४) ( देहना) पंच कोश
अंडकोश पुं० (सं.) अंड के अंडी कोळी (२) ब्रह्मांड (३) फळनुं छोतरु अंडज पुं० (सं.) इंडामाथी थतो जीव
( सर्प, पक्षी, माछली इ० ). अंडबंड स्त्री० अडसट - उटपटांग वात;
कवाद (२) वि० उटपटांग ; नकामुं; ढंगधडा वगरनुं
अंडवृद्धि स्त्री० (सं.) गुह्यांगनी गोळी वधवानो रोग
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अंडस स्त्री० कठिनता; मुश्केली; संकट अंडा पुं० अंड, इंड. - ढीला होना सांधा गगडी जवा; खूब श्रम पडवो; थाकी जवं. - फूट जाना = भ्रम के भेद खूली जवो. - सरकना = पांगोठां हलाववां; मथवु. - सेना = घरकुकडी बनी बेठा रहेवुं (२) बाळबच्चांने गोदमा लईने सूबुं
अंडाकार वि० (सं.) इंडाना आकारनं ; • लंबगोळ [ लंबगोळ अंडाकृति स्त्री० (सं.) ईंडानो आकार; अंडी स्त्री० दिवेली के दिवेलो; एरंडी के एरंडो (२) एक रेशमी कापड अँडुआ पुं० सांठ; खसी न करेलुं पशु; 'आँडू'; ' बधिया' - बैल =सांढ (२) (ला. ) सुस्त माणस अँडुआना स० क्रि० खसी करवुं अंडल वि० ( पेटमां) ईंडावाळ
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अंत
अंतर्वर्ती अंत पुं० (सं.) अंत; आखर (२) 'अंतरा पुं० आंतरो; गाळो (२) परिणाम; फळ (३) मोत; मरण एकांतरो ताव (३) खूणो (४) वि० (४) जुओ 'आँत'(५)अ० अंते (६) एक छोडीने बीजें (प.) अन्यत्र; बीजे; अलग. - करना
अंतरा अ० वच्चे; मध्यमां (२)पासे; =हद करवी (२) खतम करवं.-पाना
नजीक (३) विना; सिवाय (४) पुं० = भेद के मर्म पामवो.-बनना = सारं
. संगीतनो अंतरो (५) सवार सांज
वच्चेनो समय-दिवस [अंतःकरण परिणाम आवकुं;सफळ थq.-बिगड़ना = बूरुं फळ आवq (२)अवगति थवी.
अंतरात्मा स्त्री० (सं.) जीवात्मा (२)
अंतराय पुं० (सं.) विघ्न ; बाधा; हरकत -होना = नाश थवो
अंतराल पुं० (सं.) अंतरियाळ ; अंतक पुं० (सं.) यमराजा (२) संनि
वचगाळो (२) घेरो के घेरायेली जगा । पात; मूंझारो (३) शिव [घडी।
अंतरि (-री)क्ष, -ख पुं० (सं.) अंतकाल पुं० (सं.) आखरनी-मोतनी
आकाश (२) वि० अंतर्धान ; अलोप अंतक्रिया स्त्री० (सं.) मर्या बादन. कारज; अंत्येष्टि
3. अंतरित वि० (सं.) अंदर करेलं, राखेखें [गत; निपुण ,
के समायलं (२) छप; अंतर्धान अंतग पुं० (सं.) अंतरयामी (२)पारं
(३) ढांकेलं
[भूशिर अंतगति स्त्री० (सं.) मरण
अंतरीप पुं० (सं.) टापु; द्वीप (२) मंतडी स्त्री० आंतर९. अंतड़ियोंका बल अंतरीय वि० (सं.) अंदरनुं (२) पुं० खोलना=बहु दिवसो बाद खावानुं धोतियुं .. [- अस्तर जेवू कपहुं मळे त्यारे खूब पेट भरीने खावू. अंतरौटा पुं० झीणी साडी नीचे पहेरातुं -गलेमें पड़ना = कशी आपत्तिमा अंतर्गत वि० (सं.) अंदर; अंदर फसावं. -जलना = खूब भूख लागवी आवेलुं (२) छू'; गुप्त [भावना अंतपाल पुं० (सं.) द्वारपाळ (२) अंतर्गति स्त्री (सं.)मननो भाव के वृत्ति; सरहदनो रक्षक
अंतर्धान पुं० अंतर्धान'; अलोप . अंतरंग वि० (सं.) अंदरनुं (२)
अंतर्नाद पुं० (सं.) अंतरनो अवाज नजीकन; आत्मीय ('बहिरंग' थी अंतर्बोध पुं० (सं.) आत्मज्ञान ऊलटुं) (३) पुं० दोस्त
अंतर्भाव पुं० (सं.) अंदर लपावं के समायूँ अंतर पुं० (सं.) अंतर; वच्चेनो
ते (२) अंतरनो भाव - मतलब, आशय गाळो के तेनुं माप (२) मन; अंत:
. अंतर्भूत वि० (सं.)अंदर समायेलं (२) करण (३) अंतरपट ; पडदो (४) पुं० जीव; प्राण __ अलगता (५) (प.) अंदर
अंतर्मुख वि० (सं.) अंदरनी बाजु अतरजामा पु० अतयामा; परमेश्वर मुखवाळू (२) 'बहिर्मुख'थी ऊलटुं अंतरदिशा स्त्री० (सं.) बे दिशा वच्चेनी अंतर्यामी वि० (२)पं० (सं.)अंतरजामी;
दिशा; खूणो ['कपड़मिट्टी' भगवान अंतरपट पुं०(सं.) आड ; पडदो (२) जुओ अंतर्वर्ती वि० स्त्री० सगर्भा (२) अंदरनी
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६
अंतर्वाणी अंतर्वाणी पुं० विद्वान'; पंडित अंतर्विकार पुं० (सं.) भूख, तरस, इ० शरीरधर्म . [ब्रह्मावर्त अंतर्वेद पुं० (सं.) दोआब (२) (सं.)
अंतर्वेशिक पुं० (सं.) जनानखानानो -- रक्षक; खोजो [थयेलुं । अंतर्शय्या स्त्री० मरणनो चोको (२)
स्मशान (३) मृत्यु अंतहित वि० (सं.) गुप्त; अंतर्धान अंतस पुं० अंतःकरण अंतसद पुं० चेलो; अंतेवासी अंतस्थ वि० (सं.) अंदरनं(२) अंतरियाळ
(३) पुं० य, र, ल, व चार अर्धस्वर अंतस्सलिल वि० (सं.) जमीननी अंदर
जेनो प्रवाह होय एवं [फल्गु नदी अंतस्सलिला स्त्री० (सं.). सरस्वती के । अंतःकरण पुं० (सं.) मन; चित्त अंतःपुर पुं० (सं.) जनानखानुं. अंतावरी स्त्री० आंतरडां' अंतिम वि०. (सं.) आखरी; सौथी।
छेडेनु (२) सौथी श्रेष्ठ [अंत्यज.. अंतेवासी पुं० (सं.) शिष्य (२) चांडाल; अंत्य वि० (सं.) अंतिम; आखरी : अंत्यकर्म पुं० (सं.) अंत्येष्टि क्रिया; कारज
म नायेलो ते अंत्यज पुं० (सं.) वर्णोमां छेल्लो अंत्याक्षरी स्त्री० अंतकडीनी रमत । अंत्येष्टि पुं० (सं.) उत्तरक्रिया; कारज अंत्र पुं० (सं.) आंतरभु [रोग , अंत्रवृद्धि स्त्री० (सं.) आंतरडानो एक अंदर अ० (फा.) अंदर; महीं अंदरसा पुं० एक मीठाई; अनारसुं अंदरी(-रूनी)वि (फा.)अंदरनुं भीतरनुं अंदाज पुं० अन्दाज; अडसट्टो; अटकळ; अनुमान (२) ढब; ढंग; रीत (३)भाव;
अंधेर-खाता चेष्टा. - उड़ाना = चाळा पाडवा. - करना, -लगाना = अन्दाज काढवो अंदाजन् अ० (फा.) अडसट्टे; अंदाजथी अंदाजपट्टी स्त्री० जुओ 'कनकूत' अंदाजा पुं० (फा.) अंदाज; अटकळ अंदेशा पुं० (फा.) चिंता; फिकर (२) अंदेशो; संशय (३)डर; आशंका (४) दुविधा; डांमाडोळपणु अंदोख्ता वि०(फा.)बचत; जमा; संघरेलं अंदोर पुं० (प.) शोरबकोर [फिकर अंदोह पुं० (फा.) शोक; दुःख (२)चिंता; अंध वि० (सं.) आंधळं (२) अज्ञान; असावध (३) पुं० आंधळो (४) घुवड (५) चामाचीडियु (६) अंधकार अंधक पुं० (सं.) आंधळो अंधकार पुं० (सं.) अंधारुं [नरक अंधकूप पुं० (सं.) अंधारो कूवो (२) एक अंधखोपड़ी स्त्री० मूर्ख ; अक्कल वगरनुं
माणस अंधड़ पुं० आंधी; तोफान अंधधुंध पुं० जुओ 'अंधाधुंध' अंधपरंपरा पुं० (सं.) गाडरियो प्रवाह अंधबाई स्त्री० आंधी; वावंटोळ अंधरा पुं० आंधळो (२) वि० अंध अंधा वि० (२) पुं० आंधळो. -दीया = मंद बळतो दीवो. -बनना = जाणी जोईने ध्यान पर न लेवू; आंख आडा कान करवा. अंधकी लकड़ी या लाठी = एकमात्र आधार (२) एकनो एक छोकरो अंधाधुंध स्त्री० अंधाधुंधी; अंधेर अंधियार,-रा वि०(२)०जुओ 'अँधेरा' अंधियारी स्त्री० पशुओने आंख पर बंधाती पट्टी के ढांकण; 'अँधेरी' . अंधेर पुं० अंधेर; अन्याय; गरबडगोटो अंधेर-खाता पुं० अंधेरखातुं
सपास
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अंधेरना अंधेरना स० क्रि० अंधारुं करवं अंधेरा पुं० (२) वि० अंधार. - गुप या, धुप = अंधारं घोर; गाढ अंधकार. अंधेरे मुंह, मुंह अंधेरे भरभांखळे; मळसके 1 [वद पक्ष अंधेरिया स्त्री० अंधारु (२) अंधारियु; अंधेरी पुं० अंधकार (२) अंधारी
रात (३) 'अंधड़'; आंधी (४) बळद, घोडानी आंख पर बंधातो पडदो.
-कोठरी-पेट; गर्भ; कूख(२)गुप्त भेद. .. - डालना या देना= आंखमां धूळ
नाखवी; दगो देवो; छतरीने खाडामां नाखवू [ढांकण; 'अँधियारी'. अघोटी स्त्री० बळद के घोडानी आंखनुं अंब स्त्री० अंबा; माता (२) पुं० आंबो अंबक पुं० (सं.) आंख अंबर पुं० (अ.) एक सुगंधी चीज जे वहेल माछलीमाथी मळे छ (२) एक अत्तर
[छटा अंबर-डंबर पुं० सूर्यास्त वेळाना रंगनी अंबर-बेलि स्त्री० अमरवेल; अंतरवेल अबराई स्त्री०, -4 पं० (सं. आम्र+
राजी) अमराई; आंबावाडियु अंबा स्त्री० (२) पुं० (सं.) जुओ 'अंब' अंबार पुं० ढगलो; 'ढेर' अंबारी स्त्री० अमारी'; हाथीनी अंबाडी अंबिया स्त्री० नानी काची केरी; मरवो अंबिया पुं० (अ. 'नबी'नुं ब० व०) नबी अने पेगम्बरो अबिरथा अ० (प.) वृथा; व्यर्थ अंबु पुं० (सं.) पाणी. अंबुज पुं० (सं.) कमळ अंबुधर पुं० (सं.) वादळ अंबुधि,-निधि पुं० (सं.) समुद्र
अकड़बाई अंबुप,-पति पुं०(सं.) समुद्र (२) वरुण देव अंबुशायी पुं० (सं.) विष्णु अंबोह पुं० (फा.) टोळु; भीड अंभ पुं० पाणी अंभोज पुं० (सं.) कमळ .. अंश पुं० (सं.) भाग (२) अपूर्णांकनो
अंश (३) खूणाना मापनो अंश अंशपत्र पुं० (सं.) भागीदारीनुं खतपत्र अंशी वि० (सं.) अंश-भागवाळू (२)
अवतारी (३) पुं० भागियो अंशु पुं० (सं.) किरण (२) बहु थोडो-अंशमात्र भाग (३) सूतरनो तागडो (४) सूर्य अंशुमान् ,-ली पुं० (सं.) सूर्य अंस पुं० अंश; भाग; खंड अंसर पुं० (अ.) जुओ ‘अन्सर' असुआ,-वा पुं० (प.) आंसवू; आंसु असुवाना अ० क्रि० (प.) आंसु भरावां अंह, अंहस पुं० (सं. अंहस्) पाप अउ, अउर अ० (प.) जुओ 'और' अऊत वि० (प.) अपुत्र ; वांझियु अएरना स० क्रि० (प.) ग्रहण करवू; स्वीकार अकंटक वि० (सं.) निष्कंटक ; निर्विघ्न;
शत्रु वगरनुं . [व्यभिचारी अकच्छ वि० नागुं (२) काछडीछूटुं; अकड़ स्त्री० अकडाट; अंकडावं ते (२) अकडाई; एंट; जींद (३) घमण्ड; शेखी (४)धीटपणुं; धृष्टता अकड़ना अ० क्रि० अकडावू (जुओ 'अकड़') (२) मिजाज करवो (३) शेखी मारवी (४) हठ करवी अकड़बाई स्त्री० शरीरनो अकडाट; तेथी थती पीडा के दुखावो
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अकड़बाज
अकाली अकड़बाज वि० शेखीखोर; अहंकारी अकल स्त्री० (अ.) अक्कल अकड़बाजी स्त्री० अकडाई; शेखी अकलखुरा वि० आपमतलबी; एकलपेटुं अकड़ाव पुं० अकडावं ते
अकलन अ० (अ.) अक्कलमां; समजमां अकड़ (-ईत) वि० 'अकड़'वाळो अकलियत स्त्री० लघुमती (जुओ 'अकड़'); अभिमानी; घमंडी अकलीम स्त्री० (अ.) देश; प्रांत । अकथ, अकथनीय, अकथ्य वि० (सं.) अकवन पुं० 'आक'; आकडो न कही शकाय के न कहेवा जेवू अकस पुं० (अ.) वेर; खार अकद पुं० (अ.) प्रतिज्ञा; वायदो अकसना सक्रि० वेर, द्वेष, खार राखबो अकदस वि० (अ.) पाक; पवित्र अकसर अ० जुओ 'अक्सर' अकनना स० क्रि० (प.) सांभळवू अकसरियत स्त्री० जुओ 'अक्सरियत' अकना अ० क्रि० गभरावं
अक्साम पुं० (अ. 'किस्म'ब०व०) अकबद स्त्री० बकबकाट; नकामो प्रकार (२) कसम'; शपथ लवारो (२) गभराट; धडक (३) वि०
अकसोर स्त्री० (अ.) रसायण (२) निस्तब्ध; अवाक [चकित थq
रोग मटाडवानो कीमियो (३) वि० अकबकाना अ० क्रि० गभरावू (२)
रामबाण ... [(२) दैवयोगे अकबर वि० (अ.) सौथी मोटुं;
अकस्मात् अ० (सं.) अचानक ; ओचितुं . महानमां महान
अकहा-हवा वि० (प.) जुओ 'अकय' अकबरी स्त्री० एक प्रकारनी मीठाई (२) अकांड वि० (सं.) शाखारहित (२)
अकस्मात्; अकारण लाकडा परतुं एक प्रकारनुं नकसीकाम
अकाउंट पुं० (इं.) हिसाब; नामु (नीस अकबाल पुं० जुओ 'इकबाल'
अकाउंटेंट पुं०(इं.)नामुं लखनार;हिसाबअकर वि० करवामां कठण (२) कर के
अकाज पुं० नुकसान ; अकार्य (२)खोटुं महेसूलमा माफ (३) कर-हाथ विनानुं
बूरुं काम(३)अ०अकाज; व्यर्थ; नका, अकरकरा पुं०(सं.आकरकरभ)अक्कलगरो
__ अकाजना अक्रि० नुकसान जवू (२) अकरण पुं० (सं.) कर्मनो अभाव
- मरवू (३) स० क्रि० हानि करवी (२) ईश्वर. (३) वि० अकरणीय
अकाटय वि. कापी न शकाय एवं; अकरणीय वि० (सं.) न करवा लायक
- मजबूत
[नकामुं अकरास स्त्री०. अकडावं ते; जुओ अकाम वि० (सं.) निष्काम (२) अ० 'अंगड़ाई' (२) आळस
अकाय वि० (सं.) अशरीरी; निराकार अकरासू वि० स्त्री० गर्भवती अक्कायद पुं० (अ.) 'अकीदा'नुं ब० व० अकरी स्त्री० वावणियो [करनार
अकारत,-थ अ०व्यर्थ; निष्फळ;निरर्थक अकर्मण्य वि० (सं.) आळसु; काम न __ अकाल पुं० (सं.) दुकाळ (२) कवखत अकर्मी पुं० (सं.) पापी; दुष्कर्मी अकालमति स्त्री० . (सं.) नित्य अकलंक,-कित वि०(सं.)निर्दोष [बचेन अविनाशी पुरुष [नानकपंथी अकल वि० (सं.)अकळ(प्रभ२)आकुळ; अकाली पुं० काळो फेंटो बांधतो एक
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अक्सर अक्खर पुं० (प.) अक्षर [थेलो, गूण अक्खा पुं० पशु पर अनाज लादवानो अक्टोबर, अक्तूबर पुं० ऑक्टोबर मास अक्द पुं० (अ.) संबंध (२) सगाई; (३)शादी (४) एकरार [व्यवस्थित अक्रम वि० (सं.) क्रम विनानु; अअक्रिय वि० (सं.)कर्म न करनारुं (२)
जह
अकास पुं० (प.) आकाश अकासबानी स्त्री० आकाशवाणी अकासबेल स्त्री० अंतरवेल अकिंचन वि० (सं.) गरीब अकिल स्त्री० अक्कल अकिलदाढ़ स्त्री० डहापणनो दांत अक्रीक पुं० (अ.) अकीक पथ्थर हीदत स्त्री० (अ.) धार्मिक श्रद्धा (२) कोई धर्मनी मूळ मान्यता जे वगर कोई ए धर्मनो न गणाय [मजहब अकीदा पुं०(अ.) दृढ विश्वास (२) धर्म; अकीर्ति स्त्री० (सं.) अपकीति; अपजश अकील पुं० (अ.) (स्त्री० -ला.)
अक्कलमन्द; बुद्धिमान . अकुंठ वि० (सं.) अकुंठित; तीक्ष्ण अकुल, -लोन वि० (सं.) हलका कुळy (२) पुं० हलकुं, ऊतरतुं कुळ अकुलाना अ० कि० (सं० आकुल) जलदी करवू; उतावळा थq (२) गभरावू; अकळा अकूत वि० बेशुमार; अपरिमित भकूबत स्त्री० (अ.) दंड; सजा अकृत वि० (सं.) स्वयंभू (२) नका;
खराब . अकेला वि० (स्त्री० -ली) एकलं
(२) अपरिणीत (३) पुं० एकान्त; निर्जन स्थान. - दम=एक ज प्राणी. -दुकेला = एकलदोकल अकेले अ० एकल; एकाकी (२)मात्र;
फक्त. - दुकेले = अ० साव एकल अक्का स्त्री० (सं.)माता (२)मोटी बहेन मक्खड़ वि० मनस्वी; उद्धत (२) झघडाखोर (३) असभ्य (४) नीडर (५) आखाबोल
अक्ल स्त्री०(अ.) अक्कल; बुद्धि; समज. -का चरने जाना = बुद्धि - समज न होवो. -का दुश्मन, -का पूरा% बेवकूफ; मूर्ख. -खर्च करना = विचारवं; बुद्धि लगाववी अक्लमन्द वि० (फा.) अकलमन्द;
समजदार; बुद्धिमान अक्लमन्दी स्त्री० समजदारी; बुद्धिमत्ता अक्ष पुं० (सं.) रमवानो पासो के तेनी रमत (२) पृथ्वीनी धरी (३) वाजवानी दांडी (४) आंख; अक्षि अक्षत वि० (सं.) अखंड; आखं (२) पुं० अक्षत - चोखा, डांगर इ० अक्षम वि० (सं.) क्षमा वगर- (२) अशक्त
[अजर अमर अक्षय,-ग्य वि० (सं.) अविनाशी; अक्षर वि० (२) पुं० (सं.) अक्षर अक्षरौटी स्त्री० कक्को; वर्णमाळा अक्षुण्ण वि० (सं.) अतूट; आखू अक्षोट पुं० (सं.) अखरोट अक्षोनी स्त्री०(प.) अक्षोणी; अक्षौहिणी अक्षोभ वि० (सं.) गंभीर ; शांत (२) नीडर; क्षोभरहित (३) पुं० शांति अक्स पुं० (अ.) छाया; प्रतिबिंब (२) चित्र; छबी; तसवीर [घणुं; अधिक अक्सर अ० (अ.) अकसर;प्रायः (२)वि०
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Mi
अक्सरियत
अगवांसी अक्सरियत स्त्री० बहुमती [सतत अगड़बगड़ वि० (२) पुं० अगडंबगडं; अखंड वि० (सं.) आखू; अतूट ; पूरुं; ढंगधडा वगरनुं; नका, ('अगडंअखज पुं० अज़'; ग्रहण करवू ते बगड़' पण लखाय छे) .[असंख्य अखत पुं० अखाडियो; मल्ल अगणनीय, अगणित, अगण्य वि० (सं.) अखती, ०ज स्त्री० अखात्रीज अगति स्त्री० (सं.) दुर्गति ; खराब दशा अखनी स्त्री० मांसनो सेरवो अगती वि० पापी; दुराचारी (२) अखबार पुं० (अ. 'खबर'नुं ब०व०) ___ अ० अगाउथी अखबार; छापुं
अगन,-नी स्त्री० अग्नि [कोण अखरना स० क्रि० खटकवू; कठवू (२) अगनू स्त्री०, नेउ,-नेत पुं०(प.)अग्नि
दुःखदायी के बूरं लागवं[नकली अगम,-म्य वि० (सं.) अगम्य ; अकल अखरा वि० खरुं नहि ते; बनावटी; . (२) अत्यंत; अथाक । अखरावट,-टी स्त्री०जुओ 'अक्षरोटी' अगमानी पुं०(२)स्त्री० जुओ 'अगवानी' अखरोट पुं० अखरोट के तेनं झाड अगमोसी स्त्री० जुओ 'अगवाँसी' अखलाक पुं० (अ.) आदत (२) __ अगर पुं० (सं. अगरु) अगर; चंदन
स्वभाव (३) नीति के सदाचार अगर अ० (फा.) जो; यदि. -मगर भखाड़ा पुं० अखाडो(कुस्तीनो, साधुनो) करना=विवाद करवो; तर्क दोडाववो
(२) सभा; दरबार; रंगभूमि (३) (२) गरबडगोटाळामां नाखवू . तमासगीरोनी के गानार-वगाडनारनी
मी अगरई वि० अगरना रंगर्नु मंडळी
अगरचे अ० (फा.) जोके . अखियां स्त्री० (प.) आंख
अगरबत्ती स्त्री० अगरबत्ती; धूपसळी अखिल वि० (सं.) आखं; बधुं; पूरे अगराज स्त्री०(अ. 'गरज' नुं ब०व०) अखीर पुं० (अ.) आखिर'; आखर;
मतलब; हेतु (२) जरूरियातो अन्त; समाप्ति
अगरी स्त्री० आगळी; उलाळी अखूट वि० अखूट; अक्षय
अगरु पुं० (सं.) चंदन- लाकडं अखै वि० (प.) अक्षय ; अखूट अगलब अ० (अ.) घणुं करीने ; प्रायः; अखोह पुं० खाडाटेकरावाळी जमीन घणो संभव छे के तम' ; बे बाजुए अखौट, -टा पुं० घंटीनो खीलडो । अगल-बग़ल अ० (फा.) आसपास; आम अख्खाह अ० अहा; आश्चर्यसूचक शब्द । अगला वि० (सं. अग्र) आगलं; आगळy अखजं पुं० (अ.) लेवू ते; ग्रहण; अखज' (२) पूर्व-; पहेलांY (३) प्राचीन; अख्तियार पुं० 'इख्तियार'; अखत्यार पुराणुं (४) आगळ पर आवनारुं; अगंड पुं०(सं.)कबंध हाथपग वगरनुं धड आगामी (५) पुं० (स्त्री० -ली) पूर्वज अग वि० (सं.) न चालनारं (२) .(६) आगेवान [तैयार थवं . पुं० पर्वत (३) झाड
अगवना अ० क्रि० 'आगे'-आगळ वधवू; अगड़धत्ता वि० ऊंचुं ताड जेवू . अगवांसी स्त्री० हळy तुंगु
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अगवाई
अग्र अगवाई स्त्री० सामे-आगळ जईने अगुआई स्त्री० आगेवानी; सरदारी । सत्कार करवो ते; 'अगवानी' (२) अगुआना स० क्रि० आगेवान बनाववो पुं० आगेवान ; अग्रेसर ['अगवानी') के ठराववो (२) अ.क्रि० आगळ वधवं अगबान पुं० 'अगवानी' करनार (जुओ अगुण वि० (सं.)गुणरहित(२)मूरख (३) अगवानी स्त्री० सामे जईने सत्कार पुं० अवगुण करवो ते (२) विवाहमा जानने सामे अगुरु वि० (सं.) हलकू; भारे नहि लेवा जवानो विधि (३) पुं० आगेवान एवं (२) गुरु वगरनुं (३) पुं० अगस्त पुं० ऑगस्ट मास(२)अगस्त्य ऋषि चंदन (४) शीशम । अगहन पुं० अग्रहायण ; मागशर मास अगुवा पुं० जुओ 'अगुआ' अगहनिया वि० मागशरमा थनाएं (धान) अगुवानी स्त्री० जुओ ‘अग्रवानी' अगहनी स्त्री० मागशरमा लेवाती फसल अगूता अ० आगळ; सामे [व्यक्त अगहुड़ अ० (प.) आगळ
अगोचर वि० (सं.) इंद्रियातीत; अअगाऊ वि० अगाउथी; 'पेशगी'. उदा० अगोट पुं० आड; रोकाण 'उसको अगाऊ कुछ दाम दे दो' अगोटना स० कि० रोक (२) केद (२) अ०. (प.) आगळ ; अगाडीथी कर (३) घेर (४) अ० क्रि० अगाड़ी अ० अगाडी; आगळ (२) पुं० रोकावू; आड आववी वस्तुनो अगाडीनो भाग (३) घोडानी अगोरना स० क्रि० राह जोवी (२) अगाडी
रखवाळी करवी अगाड़ अ० अगाडी
अगोरिया पुं० रखेवाळ [टोचई अगाध वि० (सं.) अगाध; घणुं ऊंडु अगौरा पु० शेरडीनो छेडानो भाग(२) अपार (३) अगम'; गहन (४) अग्नि स्त्री० (सं.) आग; देवता (२) पुं० खाडो
[अग्नि
जठराग्नि । अगिन वि० अगणित (२)स्त्री० अगन; अग्निकर्म पुं० (सं.) हवन (२) अग्निदाह अगिनबोट पुं० आगबोट
अग्निक्रिया स्त्री० (सं.) अग्निदाह अगिया स्त्री० एक वनस्पति(२) आगियो । अग्निदाह पुं० (सं.) मड, बाळवू ते; अगियाना अ० क्रि० आग ऊठवी अग्निसंस्कार . [थवी ते अगिया बैताल पुं० आग जेवो क्रोधी अग्निमांद्य पुं० (सं.) मंदाग्नि; भूख मंद माणस [नाखवानी क्रिया अग्निसंस्कार पुं० (सं.) अग्निदाह अगियारी स्त्री० आगमां धूप इ० अग्निसेवन पुं० (सं.) तापवू ते . अगियासन पुं० आगियो
अग्य वि० (प.) अज्ञ; अजाण अगीतपछीत अ० आगळ पाछळ (२) अग्यारी स्त्री० जुओ ‘अगियारी . पुं० आगळ ने पाछळनो भाग
अग्न पुं० (सं.) आगळनो भाग (२) अगुआ पुं०आगेवान; मुखी; नेता (२) वि. आगळy; पहेलं; उत्तम (३) पंचात वगेरे करीने विवाह गोठवनार अ० आगळ ; अग्रे
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अग्रगण्य
अछरी अग्रगण्य वि० (सं.) आगळ गणातुं अचवन पुं० आचमन (२) जमीने हाथ अग्रज,-जन्मा पुं० (सं.) मोटो भाई मों धोई कोगळा करवा ते . (२) ब्राह्मण
अचवना सक्रि० 'अचवन' करवू (जुओ भग्रणी, -सर पुं० (सं.) आगेवान
. 'अचवन') भग्रहायण पुं० (सं.) जुओ 'अगहन' .. अचांचक,अचानक अ०अचानक; ओचितुं भग्राह्य वि० (सं.) त्याज्य ; ग्रहण
अचार पुं० 'आचार'; अथाj करवा माटे अयोग्य
अचित वि० (सं.) निश्चित; बेफिकर अग्रिम वि० (सं.) आगामी (२) मुख्य आचत्य वि० (स.) चितनीय; अज्ञय भघ पुं० (सं.) पाप (२) दुःख (२). बेहद; धार्याथी खूब (३) मघट वि० अघटित; अयोग्य (२) दुर्घट: आकस्मिक; अणधार्यु दुष्कर (३) अक्षयः; घटे नहि एy..
अचिर वि० (सं.) जलदी; तरत (४) एकरस; स्थिर [अयोग्य
अचीता वि० (स्त्री० -ती) अणधायु; मघटित वि० असंभव; अशक्य (२)
आकस्मिक (२) अचिंत्य ; बेशुमार मघवाना स० क्रि० 'अघाना' नुं प्रेरक
अचूक वि० निश्चित; अमोघ (२) अ. अघाई स्त्री० संतोष; तृप्ति ; धरावं ते
__ अवश्य ; जरूर (३) होशियारीथी
अचेत वि० (सं.) बेहोश ; बेभान (२.) अघाट पुं०. कायमी भोगवटानी-वेची न शंकाय एवी मालकीनी जमीन
आकुल व्याकुल (३) अजाण (४)
अणसमजु; मूढ भघात वि० अगाध; घj; मनमान्यु
अर्चन पुं० बेचेनी; व्याकुलता अघाना अ० क्रि० धराईने खावं (२)
अच्छ वि० (सं.) स्वच्छ, निर्मळ संतोष पामh (३) प्रसन्न-खुशी थर्बु
अच्छत पुं० अक्षत; चोखा भधी पुं० (सं.) पापी; कुकर्मी अच्छरा,-री स्त्री०. (प.) अप्सरा भघोर वि० (सं.) शोभीतुं; सौम्य (२) अच्छा वि० (स्त्री० -च्छी) उत्तम;
अतिधोर; भयंकर (३)पुं०(सं.)महादेव उमदा (२) तन्दुरस्त ; नीरोगी (३) भधारपथ पु० अघोरी बावाओनो प्रथ अ० सारं; 'हा, ठीक' अर्थसूचक अघोरी पुं० एक भयंकर अने मेली
__ उद्गार. अच्छे आना बरोबर अवसर साधना करनार (२) वि० अति पर आव, मेलुं ने घृणा उपजावे एवं
अच्छाई स्त्री०, -पन पुं० उत्तमता; अचंभा पुं० अचंबो; आश्चर्य
'अच्छा' होवू ते [(२) नीरोम अचक वि० खूब; बहु (२) पुं० अचंबो अच्छा बिच्छा वि० सारं सारं; चूंटेलु अचकन पुं० एक जातनो लांबो कोट अच्युत वि० (सं.) अचळ ; अटळ ; नित्य अचर वि० (सं.) स्थिर; जड (२) पुं० विष्णु . [पस्तावू अचरज पुं० आश्चर्य
अछताना पछताना अ० क्रि० खूब अचल वि० (सं.) अचळ (२)पुं० पर्वत अछरा,-री स्त्री० (प.) अप्सरा
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अछरोटी
अजी अछरौटी स्त्री० जुओ 'अक्षरौटी' अजमोद पुं० अजमो अछूत वि० अस्पृश्य(२)नवू; ताजु; पवित्र अजय पुं० (सं.) हार (२) वि० अजेय
(३)हरिजन (आ अर्थ आधुनिक छे) अजय्य वि० (सं.) अजेय अछूता वि० जुओ 'अछूत' १,२ अर्थ अजर वि० (सं.) जरा के घडपण रहित अछोह पुं० अक्षोभ; शांति(२)निष्ठुरता; , (२) न पचे एवं निर्दयता ['अज़-तरफ़' =तरफथी अजल स्त्री० (अ.) मोत मज (फा.) 'थी' अर्थनो प्रत्यय. उदा० . अजल स्त्री० (अ.) अनंत अनादि होवू ते अज पुं० (सं.) स्वयंभू; प्रभु (२) (२) आराम (३) मूळ; ऊगम. रोजे. कामदेव (३) बकरो के घेटो
अजल = (सृष्टिनी) उत्पत्तिनो दिन अजगंधा स्त्री० (सं.) अजमो अजल-गिरिफ़्ता, अजल-रसीदा वि० अजगर पुं० (सं.) अजगर; साप जे- मोत आव्यु होय ते अजगरी स्त्री० अजगरवृत्ति; श्रम अजली वि० (अ.) शाश्वत . वगरनी आजीविका (२) वि०
अजवाइ(-य)न स्त्री० अजमो अजगरनी वृत्तिवाळं
अजस पुं० (प.) अयश; अपयश अजजा पुं० (अ. 'जुज'न ब० व०) अजसी वि० बदनाम'; अपजशवाळं टुकडा; अंश; भागो
अजस्त्र अ० (सं.) सदा; हमेश अजवहा पुं० (फा.) अजगर
अजहद अ० (फा.) हद उपरांत; बहु अजवहाम पुं० भीड; गरदी
अजहूं (-हू) अ० (प.) हजी पण; अजदाद पुं० (अ.)पूर्वज;वडवा;बापदादा हमणां पण; आज पण अजनबी वि० (अ.) अज्ञात; अपरिचित अजाचक, अजाची पुं० न मागनारो (२) अजाण्यु (३) परदेशी
अजाती वि० नात बहार अजनास पुं० (अ.) वस्तुभाव; जणस अजान वि० अज्ञान; अणसमजु (२) (२) घरवखरी; सरसामान
पु० अज्ञानता; अजाण । अजन्म, --मा वि० (सं.) अनादि; नित्य अजान पुं० (अ.) बांग'; अझान अजपा वि० न जपातुं; न बोलातुं . अजाब पुं० (अ.) दुःख (२)संकट(३) पाप अजब वि० (अ.) अजब ; 'अजीब' अजायब पुं० (अ.)अजब-विचित्र वस्तु अज-बर अ० (फा.) याददास्त परथी ('अजीब 'नुं ब० व०) [झियम अज-बस अ०(फा.)वूब; बहु [चमत्कार अजायब-खाना, अजायब-घर पुं० म्यु. अजमत स्त्री० प्रताप; महत्ता (२) अजित वि० (सं.) नहि जितायेलु (२) अजमाइश स्त्री० अजमायश; 'आज- पुं० (सं.) विष्णु, शिव के बुद्ध माइश'
[माव, अजिन पुं० (सं.) मृगचर्म . अजमाना स० क्रि० 'आज़माना'; अज- अजिर पुं० (सं.) आंगणुं (२) हवा अजमूदा (ह०) वि० 'आजमूदा'; अज- अजी अ० (सं. अयि) बोलाववा माटेनो मावायेलं; प्रयोगमा आवेलु 'हे' 'ए' भावनो उद्गार
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अजीज
अट्ठाईस • अजीज वि० (२)पुं० (अ.) अजीज; प्यारं. अटकलना सक्रि० अटकळवू; अनुमानवू . (२) सगुंसंबंधो ।
अटकल-पच्चू पुं० कपोळ-कल्पना (२) अजीब वि०(अ.)अजब; विचित्र; विलक्षण वि० उटपटांग; ख्याली (३) अ० अजीम पुं० (अ.) वृद्ध अने पूज्य (२) अध्धर'; अंदाजथी [के धन वि० विशाळ; बहु मोटुं
अटका पुं० जगन्नाथजीने चडावातो भात अजीम-उश्शान वि० (अ.) बहु शानदार
अटकाना स० क्रि० अटकाव; रोकवू अजीयत स्त्री० (अ.)अत्याचार; परपीडन' अटकाव पुं० रोकाण; विघ्न'; अडचण अजीरन, अजीर्ण पुं० अजीरण; अपचो
अटना अ० क्रि० अटवू; भमg; रखडवू अजुगत पुं० (प.) अजुगती के असंगत अटपट वि० (स्त्री० अटपटी) अटपटुं; वात (२) वि० आश्चर्यजनक
अघीं; कठण; गूढ (२) उटपटांग; अजूबा वि० (अ.) अजायब; अद्भुत ठेकाणा वगरनुं [गूंचावू; गभरावं भजेय वि० (सं.) न जीती शकाय एवं अटपटाना अ० क्रि० अटक; लथडावू; भजो पुं० (अ. अज्व) भाग; हिस्सो अटरनी पुं० (इं. एटर्नी) एक वती अजोग वि० (प.) अयोग्य
काम करवा बीजाने कायदेसर नीमेलो भजोता पुं० (अ+जोतना) चैत्री पूर्णिमा प्रतिनिधि
(आ दिवसे बळद जोडाता नथी) अटल वि० अटळ; ध्रुव; पाकुं [चोपडी अज्ञ वि० (सं.) अज्ञान'; अणसमजु .. अटलस पुं० एटलास; भूगोळना नकशानी अज्ञात वि० (सं.) अजाण; अपरिचित अटवी स्त्री० (सं.) जंगल अज्ञान पुं.० (सं.) अज्ञान'; अजाणपणुं अटा स्त्री० अटारी
(२) वि० अज्ञान; नादान; मूर्ख अटाटूट वि० बेशुमार; खूब अज्ञानी वि०(सं.)नादान; मूर्ख [अगम्य अटाला पुं० (सं. अट्टाल) ढगलो (२) अज्ञेय वि० (सं.) न जाणी शकाय एवं; सरसामान (३) कसाईवाडो [खूब अपम पुं० (अ.) निश्चय . अटूट वि० अतूट; मजबूत (२) लगातार; अम-बिल-जस्म पुं० (अ.) दृढ निश्चय अटेरन पुं० अटेरण (२) घोडाने चक्कर अज पुं०(अ.) बदलो; महेनताणुं (२)खर्च फेरववानी रीत(३) कुस्तीनो एक दाव अश्व पुं० जुओ 'अजो'
अटेरना स० क्रि० अटेरणथी सूतर अटंबर पुं० ‘ढेर'; ढगलो [संकोच . उतारवं; अटेरQ (२) खूब दारू पीवो अटक स्त्री० अटक;अडचण; रुकावट (२) अट्टसट्ट पुं० अडसट्टे -- गमे तेम कराती अटकना अ० क्रि० अटक; रोकावू (२) वात; बकवाद लाग्या रहेQ; वळगq (३) विवाद अट्टहास पुं० (सं.) जोरथी हसवू ते करवो; झघडवू
अट्टालिका स्त्री० (सं.) अटारी । अटकर स्त्री०, अटकरना स० क्रि० जुओ अट्टी स्त्री० आंटी (सूतर के दोरानी) 'अटकल', 'अटकलना' [अंदाज अट्टा पुं० गंजीफानो अठो अटकल स्त्री० अटकळ; अनुमान (२) अट्ठाईस वि० अठ्ठावीस; २८
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अट्ठानवे
अदुकना अट्ठानचे वि० अठ्ठागुं; ९८ । अड़दार वि० अडियल (२) मस्त अट्ठावन वि० अठ्ठावन; ५८ 'अड़ना अ० क्रि० अडवू; रोकावू (२) अट्ठासी वि० अठ्यासी; ८८
हठ करवी; मंड्या रहे अठ वि० (प.) आठ (प्रायः समासमा) अड़बंग वि०. पुं० ऊंचुनीचं; असमान(२) अठई स्त्री० आठम
विकट; दुर्गम (३) विलक्षण; अनोखं अठखेली स्त्री० विनोद; खेल (२) अड़सठ वि० अडसठ; ६८
चपळता (३) मस्तानी चाल । अड़ाड़ पुं० ढोरनी कोढ ; अडाळु; अठत्तर वि० 'अठहत्तर'; इछोतेर; ७८ अड़ान स्त्री० थोभवानी जगा; पडाव अठन्नी स्त्री० आठ आनी; अडधो अड़ाना स० क्रि० लटकाव; रोकवू (२) अठबन्ना पुं० वणवानो ताणो जेनी पर वचमां वस्तु नाखी रोकवू; ठांसवू; लपेटी रखाय छे ते वांस के लाकडी सीड (३) पुं० एक राग; अडाणो ('अठवाडु' सरखावो)
अड़ार पुं० 'ढेर; ढगलो (२) बाळवानां अठमासा पुं० अषाढथी महा सुधी लाकडां के तेनी दुकान खेडाती रहेती शेरडीनी जमीन के अडिग वि० जुओ 'अडग' खेतर
[गीनी अड़ियल वि०अडियल (२) सुस्त ; जड अठमासी स्त्री० आठ मासानो सोनयो; अड़ी स्त्री० हठ; जक (२) अडी-ओपटी अठवाँसा पुं० जुओ 'अठमासा' (२) अड़सा पुं० (सं. अटरूष) अरडूसो . वि० आठ मासे जन्मेलु
अडोल वि० अडग; स्थिर [पास अठवारा पुं० अउवाडियु
अड़ोसपड़ोस पुं० आडोशपाडोश; आसअठहत्तर वि० अठत्तर'; इछोतेर;७८ अड़ोसीपड़ोसी पुं० आडोशीपाडोशी; अठारह वि० अढार; १८
आडोशपाडोशमां पासे रहेनार अठासी वि० इठ्यासी; 'अट्ठासी';८८ अड्डा पुं० (सं. अट्टा) थोभवानी जगा अठोत्तरी स्त्री०१०८ दाणानी जपमाळा
(२) अड्डो (३) केन्द्र ; धाम (४) अडंगा पुं० रुकावट; विघ्न. - डालना, पंखीने बसवा पांजरामां होय छे एवी - लगाना = अडचण करवी; वचमां आडी (५) नाडु वणवा के भरतकाम आवQ (२). अडंगो; कुस्तीनो एक जेवामां वपरातुं लाकडानु चोकळु दाव (३) स्त्री० जथाबंध माल थाय अड्रेस स्त्री० (इं.) सरनामुं; ठेकाj के वेचाय ते धाम
अढ़तिया पुं० आडतियो; दलाल अड़ पुं० हठ; जीद
अढ़वना स० क्रि० (प.) काम वळगाडवू; अडग वि० अडग; अटळ
_काम कहेवू अड़गोड़ा पुं० ढोरना कोटनो डेरो अढ़ाई वि० अंढी अड़चन, -ल स्त्री० अडचण; मुश्केली - अढ़क पुं० ठोकर अड़तालीस वि० अडताळीस; ४८ अढुकना अ० क्रि० ठोकर खावी (२) अड़तीस वि० आडत्रीस; ३८
अढेलq
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मढ़या
अथवना अढ़या पुं० अढी शेरनुं तोल या माप अतालीक पुं० (तु.) उस्ताद; शिक्षक .. (२) अढियानो गडियो . अति वि०(सं.)घj(२)स्त्री० अतिशयता मणि, –णी स्त्री० अणी; भोंकाय एवो अतिक्रम पुं० (सं.) उल्लंघन; भंग (२) छेडो (२) छेडानो भाग
. अवळो वर्ताव . [(३) अग्नि अणिमा स्त्री० (सं.) योगनी आठ सिद्धि- अतिथि पुं० (सं.) महेमान (२) संन्यासी
मांनी एक ---- अगु जेम सूक्ष्म थq ते अतिया पुं० (अं.) भेट-दाननी चीज अणु पुं० (सं.) नानामा नानो कण अतिरंजन पुं० (सं.)अत्युक्ति; वधारीने (२). जरासरखं माप (३) वि० " कहेवू ते अति सूक्ष्म के झीगुं
अतिरंजित वि० (सं.) अतिशयोक्तिवाळू अणुवीक्षण पुं० (सं.) सूक्ष्मदर्शक यंत्र . अतिरथी पुं० (सं.) एकलो अनेक जोडे (२) झीणुं कांतवू के दूधमांधी पोरा लडे एवो योद्धो । काढवा ते . [व्याकुल; बेचेन अतिरिक्त अ० (सं.) सिवाय; बाद अतंद्रिक वि० (सं.) असंद्रित (२) करतां (२)वि० अतिरिक्त; वधारेनें अतः, अतएव अ०(सं.) तेथी; तेटला माटे अतिशय वि० (सं.) खूब; बहु अतनु वि० (सं.) शरीररहित (२) पुं० . अतीत वि० (सं.) गत ; थई गयेलु (२) कामदेव
जुएं; अलग (३) पुं० यति; अतिथि अतर पुं० (अ. इत्र) अत्तर
अतीव वि० (सं.) घj अतरदान पुं० (फा. इत्रदान) अत्तरदानी अतीस पुं० (सं.) एक वनस्पति-औषधि अतरसों अ० (सं. इतर + श्वः) परम अतुराई स्त्री० आतुरता; जल्दी (२) दिवसथी पहेलांनो के ते पछी आववानो चंचळता; चपळता थिएँ दिवस; श्रीजे दिवसे
अतुराना अ० क्रि० आतुर के उतावळा अकित वि० (सं.)अणधायु; ओचितुं अतुल वि० अपार; खूब (२) अनुपम अतयं वि० (सं.) अचिंत्य; तर्कथी पर अजोड (३) पुं० तलनो छोड अतलस स्त्री० (अ.) अतलस कपडुं
अतोल, अतौल वि० जओ 'अतुल'. अतलस्पर्शी वि० (सं.) खूब ऊंडु
अत्तवार पुं० आतवार; रविवार; अतवार पुं० (अ. 'तौर'नं ब०व०) 'ईतवार' [गांधी ; दवाओ वेचनार .
रहेणीकरणी; चालचलगत . अत्तार पुं०(अ.)अत्तारी; अत्तरियो (२) अतसी स्त्री० (सं.) अळसी
अत्यंत वि० (सं.) खूब; घj अता पुं० (अ.) दान'; भेट. - करना अत्याचार पुं० (सं.) अन्याय; जुलम
= आपq. - लेना = अपावू; मळवू (२) दुराचार (३) दंभ; ढोंग - अताई वि० (अ. अता) दक्ष; प्रवीण अत्र अ० (सं.) अहों अविश्रांत (२) पक्कुं; चालाक (३) जाते . अथक वि० अथाक; न थाके एवं; कुदरती बक्षिसथी शीखी ले एवं .. अथ च अ० (सं.) अने; वळी अताब पुं० जुओ 'इताब'
अथमना, अथवना अ० क्रि० आथमवू
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बापरा
अद्भुत अपरा पुं० (स्त्री०, -री) माटी, कूडं अदवान स्त्री० खाटलाना 'वाणने तंग अथवा अ० [सं.] के; यां;. किंवा करवानी दोरी (पांगतनी) । [व० अथाई स्त्री० मंडळीने बेसवानों चोतरो; अवविया (०त)स्त्री० [अ.] 'दवा 'नुं ब० ओटलो (२) मंडळी
अवहन पुं० [सं. आदहन ] आधण : अथान (-ना) पुं० अथाणुं . अदांत वि०दांत न आव्या होय एवं(पशु) अथाह वि० अथाग'; अपार (-२) अगाध; अदांत वि० [सं.]इंद्रियदमन वगरनु(२)
अति ऊंडु(३)०ऊंडो खाधरो(४)पमुद्र उदंड हावभाव; नखरां (३) ढंग अथिर वि० (प.) अस्थिर; चंचळ । अदा वि० [अ] चूकतुं; चूकवेलु(२)स्त्री० अथोर वि० (प.) थोडं नहीं; बह , अदाग वि० 'अदग'; निष्कलंक ; पवित्र अदंड वि० [सं.] दंड के सजाने अपात्र अदायगी स्त्री० [अ.] अदा-चूकते थq ते (२) कर-माफीवाळु; इनामी;महेसूल- अदालत स्त्री० [अ.] अदालत; कचेरी माफ (जमीन)(३) उदंड;स्वेच्छाचारी (२) न्यायाधीश. - खलीफ़ी = नाना अव(-दाग वि०डाघा वगरन:निष्कलंक
कामोनी अदालत.-दीवानी दीवानी
अदालत. -माल = महेसूली अदालत अदद स्त्री० [अ.] संख्या के तेना अंक
अदालती वि० अदालतने लगतुं (२) अवन पुं० [अ.] आदमने बनावीने जे
अदालतमां लडनार बागमां खुदाए राखेलो मनाय छे ते बाग
अदावत स्त्री० [अ.] अदावत; वेर अदना वि० [अ.] मामूली; सामान्य
अदावती वि० वेरी; अदावत राखनार . (२) क्षुद्र; नम्र; अदनु. -व आला
अदिन पुं० [सं.] नठारो दिवस; दुर्भाग्य = नानां मोटा बधां
अदीठ वि० [सं. अदृष्ट] न दीठेलु (२) अदब पुं० [अ] अदब; विवेक; आदर (२) . गुप्त; छु'
[शिक्षक साहित्य; वाङ्मय. -करना=आदरथी अदीब पुं० [अ.] विद्वान ; पंडित (२) वर्तवू; मान आपq. - देना= विवेक अदीम वि० [अ.] नष्ट (२) अप्राप्य शोखववो (२) शिक्षा करवी; दंडवू अदू पुं० [अ.] शत्रु; वेरी ... अवबदाकर अ० अवश्य ; जरूर; टेकथी। अदूर अ० [सं.] पासे [अणसमजु अवम पुं० [अ.] अभाव; न होवू ते. अदूरदर्शी वि० [सं.] ढूंकी दृष्टिवाळु; . (समासमां) उदा० · अदम-पैरवी . अदृश्य वि० [सं.] न देखाय एवं (२) = केसमां जरूरी पेरवी न करवी ते. अगोचर (३) अलोप [नसीब अदम सबूत = प्रमाणनो अभाव अदृष्ट वि०न जोयेलु (२)अलोप(३) न० अवय वि० [सं.] निर्दय
अदेखी वि० अदेखुं; देखी न शके एवं अदरक पुं० आईं
अदेस पुं० आज्ञा(२) (साधुओमा)प्रणाम. अदरा पुं० आर्द्रा नक्षत्र
अवेह वि० [सं.] अदेही (२)पुं०कामदेव अदल पुं० [अ.] न्याय'; इन्साफ अद्धा पुं०अर ते.-खी स्त्री०ी दमडी अदल-बदल पुं० अदलाबदली; फेरफार अद्भुत वि० [सं.] विचित्र; आश्चर्यजनक हि-२
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अध
...
१८
अधेड़
अद्य अ० [सं.] हमणां; आज अधिकांग वि० [सं.]वधारेना अवयववाळू अद्यापि अ० [सं.] हजी पण अधिकांश पुं० [सं.] मोटो भाग (२) अद्रि पुं० [सं.] पर्वत : [पुं० ब्रह्म वि० अधिक (३) अ० मोटे भागे; अद्वैत वि० [सं.] एकलं (२) अजोड (३) घणुं करीने [वडाई; महिमा अधंग पुं० अर्धांग; पक्षाघात.... अधिकाई स्त्री० (प.) अधिकता (२) अधंगी वि० अर्धांगनुं रोगी
अधिकाना अ० क्रि० (प.) अधिक थवू; अधः अ० [सं.] नीचे [(२) विनाश वधq. [(२) योग्यता; लायकात अधःपतन, अधःपात . [सं.]अधोगति अधिकार पुं० [सं.]हक ; सत्ता; कबजो अध वि० [सं. अर्द्ध] (समासमा) अधुं. अधित्यका स्त्री० [सं.] पहाडी उच्च
उदा० 'अधकचरा' (२)(प.) अ० अवः प्रदेश; 'टेबललॅण्ड' अधकचरा वि० अधकचरूं; अधूरं (२) अधिमास पुं० [सं.] अधिक मास काचुं; शिखाउ
अधिया स्त्री० अर्को भाग (२) अर्धनी अधकपारी (-ली) स्त्री० आदाशीशी भागीदारी (३) पुं० अर्धे भागीदार अधकहा वि० अस्पष्ट के अधुं कहेलुं अधियाना स० क्रि० अर्धं करवू; अर्धं अपना पुं०,-श्री स्त्री० ढबु अर्ध आनो __ अधुं वहेंचर्चा अधपई स्त्री० [हिं० आधा + पाव] अधियार पुं० जुओ 'अधिया' अर्ध पाशेर (बंगाली) जेटलं माप के अधियारिन स्त्री० 'अधियार' नुं स्त्री० तोल; पाशेरी के पाशेरो । अधियारी स्त्री० अर्धी भागीदारी अधबीच अ० अधवच; वच्चोवच [दुष्ट अधिरथ पुं० [सं.] सारथि अधम वि० [सं.] नीच; हलकुं (२)मापी; ' अधिवेशन . [सं.] अधिवेशन; बेठक अधमरा, अधमुआ वि० अधमूउं अधिष्ठाता पुं० [सं.] अध्यक्ष, वडो अधमर्ण वि० [सं.] ऋणी; देवादार अधिष्ठान पुं० [सं.]निवास (२) नगर अधर पुं० [सं.] नीचलो होठ (२)अध्धर (३) पडाव (४) आधार; टेको (५)
स्थान'; अंतरीक्ष (३) वि० बूरुं; नीच अधिकार; सत्ता अधर्म पुं० [सं.] कुकर्म; दुराचार . अधीन वि० [सं.] आधीन'; आश्रित; अधवा स्त्री० [सं.] विधवा
ताबानुं (२) पुं० दास अधसेरा पुं० अच्छेरो
अधीर वि० [सं.] गभरायेलं; (२) अधाधुन्ध अ० अंधाधुंधी होय तेम' चंचळ ; उतावळियु (३) असंतोषी अधार पुं० (प.) आधार
अधुना अ० [सं.] अत्यारे; हवे अधारी स्त्री० आधार (२) साधुओ टेका अधूत वि० [सं.] नीडर; अडगे . माटे लाकडानी एक बनावट राखे अधूरा वि० अधूरं; अपूर्ण.-कर देना=
छे ते (३) मुसाफरीनो झोयणो, थेलो कमजोर करी देवू. -जाना गर्भपात अधावट वि० अर्धं उकाळेलं (दूध) थवो. - होना = अणसमजु होवू अधिक वि० [सं.]खूब वधारेनें:फालतु अधेड़ वि० आधेड
!!
Ma!!!
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अधेला
अधेला पुं० अवेलो; अरधोजी - अधेली स्त्री० आठ आनी; अर्वो अधोगति स्त्री० [सं.] पतन; अवनति; दुर्दशा अधोतर पुं०. एक जातनुं जाडुं कपडुं अध्यक्ष पुं० [ सं . ] स्वामी; मालिक (२) नायक; ast (३) अधिकारी अध्ययन पुं० [ सं . ] अभ्यास; भणवुं ते अध्यवसाय पुं० [सं.] सतत उद्योग;खंत ने महेनत ( २ ) निश्चय [ धंधो अध्यापकी स्त्री० अध्यापकनुं काम के अध्वर पुं० [ सं . ] यज्ञ अनंग पुं० [ सं . ] कामदेव [ ( ३ ) शेषनाग अनंत वि० [ सं . ]अपार ( २ ) पुं० विष्णु अनंतर अ० [ सं . ] पछी ( २ ) निरंतर अन नकारवाचक उपसर्ग ( हिन्दी शब्दोमां, गुजराती 'अ'ण' पेठे वपराय छे. उदा० अनगढ़) अन-अहिवात पुं० विधवापणुं; रंडापो अनइस वि० बूरुं ; खराब; 'अनेस' अनक़रीब अ० [ अ ] नजीक; पासे अनख पुं० [सं. अत्+अक्ष] क्रोध (२) ईर्षा; द्वेष (३) नजर न लागे ते माटे करातुं काजळ टपकुं अनखाना अ० क्रि० गुस्से थवं; चिडावुं अनखाहट पुं० क्रोध; नाराजगी अनगढ़ वि० (स्त्री०,–ढ़ौ) घडघा वगरनु
(२) स्वयंभू ( ३ ) बेडोळ; अणघड अनगना वि० अगणित ( २ ) पुं० गर्भनो आठमो मास [' अनगना ' अनगिन ( ०त, -ना) वि० अगणित; अनजान वि०अजाण; नादान (२) अज्ञात; अपरिचित [ असावधानीमां अनजाने अ० अजाण्ये; वगर समज्ये;
१९
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अनवासना
अनत अ०
(प.) अन्यत्र ; बीजे स्थाने (२) [सं.] वि० न नमेलुं [स्त्री० अहंकार अनति वि० [सं.] अति नहि ; थोडुं (२) अनदेखा वि० न देखेलुं; 'अदीठ ' अनध्याय पुं० [ सं . ] रजानो दिवस; अणोजो
अनन्नास पुं० अनेनास फळ अनपच पुं० अजीर्ण; बदहजमी अनपढ़ वि० अभण; निरक्षर ; मूर्ख अनबन स्त्री० अणबनाव [अविद्ध अनबि ( - बे ) धा वि० वेध्या वगरनुं; अनबोल ( ० ना, -ला) वि० मूंगुं ( प्रायः पशु माटे ) [ कुंवारुं अनव्याहा वि० (स्त्री० - ही) अविवाहित; अनभल पुं० भलुं नहि ते; अहित. - ताकना = बूरुं ताकबुं अनमन ( - ना ) विं० ( स्त्री०, नी )
अन्यमनस्क ; उदास; खिन्न [ असंबद्ध अनमिल वि० (स्त्री० - ली ) मेळ वगरनं अनमेल वि० मेळ वगरनुं; 'अनमिल '
(२) सेळभेळ वगरनुं; विशुद्ध अनमोल वि० अमूल्य; उत्तम अनरस पुं० रसहीनता ( २ ) अरुचि (३) अणबनाव. - पड़ना = अणबनाव थवो अनर्थ पुं० [सं.] खोटो के ऊलटो अर्थ (२) खराबी; नुकसान (३) अधर्मनो पैसो अनर्थक वि० [ सं . ] अनर्थ करे एवं (२) व्यर्थ ; नका
अनल पुं० [ सं . ] अग्नि अनवट पुं० अणवट; स्त्रीनुं अंगूठियं अनवद्य वि० [ सं . ] निर्दोष; अनिंद्य अनवरत वि० [ सं . ] सतत ; निरंतर अनवासना स० क्रि० नवुं वासण 'पहेलप्रथम वापरवु
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अनशन .२०
अनीस अनशन पुं० [सं.] उपवास
अनार्य पुं० [सं.] आर्य नहीं ते(२) अश्रेष्ठ अन-सखरी स्त्री० जुओ 'निखरी' अनावश्यक वि० [सं.] बिनजरूरी [सुकवणुं अनसुना वि० (स्त्री०,-नी) न सांभळेल. अनावृष्टि स्त्री० [सं.]वरसादनो अभाव; 'अनसुनी करना=पांभळयु ना सांभळयु अनाह पुं० [सं.] पेट चडवानो एक रोग
करवू; ध्यान न देवु [नहीं ते अनिद(-2) वि.सं.] निर्दोष ; उत्तम अनसूया स्त्री० [सं.] असूया के ईर्षा
अनिच्छा स्त्री० [सं.] इच्छा न होवी ते अनहोता वि० गरीब (२) असंभव (३)
अनित्य वि० [सं.] नश्वर; अस्थायी (२) आश्चर्यजनक [असंभव-विलक्षण वात
क्षणभंगुर (३) असत्य । अनहोनी वि० स्त्री० असंभव (२)स्त्री०
अनिद्र वि० [सं.] ऊंघ जेने न आवे ते अनाकानी स्त्री०आंख आडा कान करवा
- (२) पुं० तेनो रोग . ते (२) आनाकानी :
अनिमि(-मे)ष अ० [सं.]एकीटसे;निरंतर अनागत वि० [सं.] नहि आवेलु; गैर. हाजर (२) अजाण्यं (३) अजन्मा;
अनियमित वि० [सं.] नियमरहित; : अनादि (४) अ० (प.) अचानक
अव्यवस्थित (२) अनियत अनाचार पुं० [सं.] दुराचार; कुरीति अनियारा वि०(प.)अणियाळं; अणीदार अनाज पुं० अन्न; धान्य . अनिर्वचनीय वि० [सं.] अवर्णनीय अनाड़ी वि०अनाडी; नादान'; अणसमजु . अनिल पुं० [सं.] पवन; वायु । अनात्म वि० [सं.] जड(२) पुं०आत्माथी अनिवार्य वि० [सं.] जरूरी (२) जरूर ऊलटो- जड पदार्थ
थनाएं; टाळी न शकाय एवं अनाथ वि० [सं.] असहाय ; दीन ; दुःखी अनिष्ट वि० [सं.] न इच्छेलं (२) पुं० अनादर पुं० [सं.] अवज्ञा; अपमान
अहित; बुराई अनादि वि० [सं.] आदिरहित ; अजन्मा. अनी स्त्री० [सं. अणिं] अणी (२) वस्तुनो अनाप-शनाप पुं० नकामो बकवाट
आगळनो भाग(३)समूह; झुण्ड(४)सेना अनाम वि० [सं.]नाम विनानु(२)अप्रसिद्ध
(५) [हिं. आन-मर्यादा] ग्लानि; खेद अनामय वि० [सं.] नीरोगी (२) निर्दोष । अनीक पुं० [सं.] युद्ध (२) सेना (३)वि० (३) पुं० तेंदुरस्ती [जुओ 'अनाम'
[अ + हिं. नीक = अच्छं] बूरुं; खराब अनामा स्त्री०अनामिका (२)वि०स्त्री० अनायत स्त्री० [अ.] कृपा; महेरबानी
अनीठ वि० [सं. अनिष्ट] (प.) अनिष्ट; अनायास अ० [सं.] विना. महेनते (२)
अप्रिय (२) खराब अचानक [दारूखानानी कोठी
अनीति स्त्री० [सं.] अन्याय (२) अंधेर अनार पुं० [फा.] दाडम (२)तेना घाटनी
अनीश वि० [सं.] अनाथ (२) पुं० विष्णु अनारदाना पुं० [फा.] एक जातना खाटा
(३) जीव के माया । अनारना सूकवेला दाणा
अनीस पुं० [अ.] दोस्त (२) प्रेम के अनारी वि०जुओ 'अनाड़ो' (२) अनार- सहानुभूति राखनार (३) वि० (प.) दाडमना रंगर्नु; लाल
जुओ ‘अनीश'.
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अनुकंपा
अनुकंपा स्त्री० [सं.] दया अनुकरण पुं० [सं.] देखादेखी करवुं ते अनुकूल वि० [सं.] माफक (२) तरफ
के मदद रहेनार ( ३ ) प्रसन्न ; राजी अनुकूलना स० क्रि० (प.) अनुकूल थधुं अनुकृति स्त्री० [सं.] नकल; अनुकरण अनुक्रम पुं० [सं.] क्रम; क्रमवार होय. ते अनुक्रमणिका स्त्री० [सं.] क्रम (२) सूची; सांकळि [ नोकर अनुग, ०त वि० [सं.] अनुगामी (२) पुं० अनुगति स्त्री० [ सं . ] पाछळ जनुं ते (२) अनुकरण (३) मरण [थनुं ते अनुगमन पुं० [ सं . ] अनुसरण ( २ ) सती अनुगामी वि० [सं.]पाछळ पाछळ जनार; अनुयायी. (२) आज्ञांकित
उपकार;
अनुगृहीत वि० [सं.] ऋणो; आभारी अनुग्रह पुं० [ सं . ] दया; महेरबानी (२) अनिष्ट निवारण अनुग्राहक वि० [सं.] अनुग्रह करनार अनुचर पुं० [सं.] तोकर; दांस अनुचित वि० [सं.] अयोग्य; खोटुं अनुज पुं० [सं.] नानो भाई अनुज्ञा स्त्री० [सं.] आज्ञा हुकम [पस्तावो अनुताप पुं० [सं.] दाह (२) दुःख (३) अनुदिन ro [सं.] रोज अनुनय पुं० [सं.] विनंती; प्रार्थना ( २ ) [ (वर्ण) अनुनासिक वि० [सं.] नाकमांथी बोलतो अनुपम, -मेय वि० [सं.] उत्तम; अजोड अनुपयुक्त वि० [सं.] अयोग्य • अनुपयोगी वि० [सं.] नकामुं. अनुपस्थित वि० [सं.] गेरहाजर . अनुपस्थिति स्त्री० [सं.] गेरहाजरी अनुपात पुं० [ सं . ] त्रिराशि
मनाव
२१
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अनुसरण
अनुपातक पुं० [सं.] महापाप अनुपान पुं० [सं.] दवानुं अनुपान अनुप्रास पुं० [सं.] अनुप्रास; एक वर्णालंकार
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अनुभव पुं० [सं.] अनुभव ( २ ) लागवु; प्रतीत थवुं ते. - करना = ख़बर पडवी; मालूम थवु लाग
1
अनुभवना स० क्रि० अनुभववं. अनुभवी वि० [सं.] अनुभव वाळु जाणकार अनुभाव पुं० [ सं . ] महिमा ; मोटाई अनुभूति स्त्री० [सं.] अनुभव, साक्षात्कार अनुमति स्त्री० [सं.] हुकम ; आज्ञा (२) रजा; बहाली [ धारणा अनुमान पुं० [ सं . ]अटकळ; अंदाज;क्यास; अनुमोदन पुं० [सं.] खुशी थवी ते (२) समर्थन; टेको [ नोकर; दास अनुयायी वि० [सं.] अनुसरनार (२)पुं० अनुरक्त वि० [सं.] आसक्त ( २ ) लीन अनुराग पुं० [सं.] प्रेम प्रीति अनुराध पुं० [सं.] विनंती प्रार्थना [योग्य अनुरूप वि० [0] [ सं . ] समान ( २ ) अनुकूल; अनुरोध पुं० [सं.] बाधा; रोकजुं ते (२) प्रेरवुं ते (३) आग्रह; दबाण अनुलोम पुं० [सं.] ऊंचेथी नीचे जतो क्रम (२) संगीतमा अवरोह [ भाषांतर अनुवाद मुं० [सं.] फरी कहेवुं ते ( २ ) अनुशासन पुं० [ सं . ] आज्ञा (२) उपदेश अनुष्टुप् पुं० [सं.] अनुष्टुभ छंद अनुष्ठान पुं० [ सं . ] कामनो आरंभ; मंडाण (२) देवनुं पुरश्चरण अनुसंधान पुं० [सं.] शोधखोळ; तपास अनुसंधाना स०क्रि० ( प. ) खोळबुं (२.) विचार [ करते अनुसरण पुं० [सं.]अनुसरवु के अनुकरण
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२२
अपन.
अनुसार अनुसार अ० [सं.] मुजब'; प्रमाणे अन्य पुरुष पुं० [सं.] श्रीजो पुरुष अनुसाल पुं० (प.) पीडा; दुःख (व्याकरणमां) [(३) जुलम अनुस्वार पुं० [सं.]स्वर पछी उच्चारमां अन्याय पुं० [सं.] गेरइनसाफ (२)अंधेर
अवतो एक अनुनासिकं वर्ण के तेनुं अन्योन्य स० परस्पर; अन्योअन्य चिह्न- अनुस्वार
अन्वय पुं० [सं.] संबंध; मेळ (२) अनूठा वि० [सं. अनुत्थ] (स्त्री०, -ठी) । कवितानो अन्वय (३) वंश; खानदान
अनूठं; अद्भुत (२) अद्वितीय ; उत्तम अन्वाअ स्त्री० ब०व० [अ.] 'नौ'अनूढ़ा स्त्री० [सं.] अविवाहित स्त्री
रीत, प्रकार-तुं ब० व० (पण प्रेम राखती) [करायेलं
अन्वान पुं० जुओ 'उन्वान' अनूदित वि० [सं.] अनुवादित ; भाषांतर
अन्वित वि० [सं.] युक्त; -वाळं अनूप वि० अनुपम
अन्वीक्षण पुं०, अन्वीक्षा स्त्री० [सं.] अनृत पुं० [सं.] असत्य; जूठ
ध्यानथी जोवू ते (२) खोज ; तपास अनेक वि० [सं.] घणुं (संख्यामां)
अन्वेषण पुं० [सं.] खोज ; तपास; शोध अनेग वि० (प.) अनेक
अन्सर पुं० [अ.] मूळ तत्त्व अनेरा वि० [सं. अतृल] (स्त्री०,-री)
अपंग वि० अपंग; ललं (२) अशक्त नकामुं; निष्प्रयोजन; व्यर्थ
अपकर्म पुं० [सं.] खराब काम अनैक्य पुं० [सं.] मतभेद; फूट
अपकाजी वि० स्वार्थी; मतलबी अनैस, -सा वि० 'अनइस'; बूरुं
अपकार पुं० [सं.] अनुपकार ; हानि(२) अनोखा वि० अनोखं; निराळं (२)
__ अपमान; अनादर
अपकारक, अपकारी वि०[सं.] अपकार - नवु (३) सुन्दर
करनारु (२) विरोधी अन्दलीब स्त्री० [अ.] बुलबुल
अपकीर्ति स्त्री० [सं.] बदनामी अन्न पुं० [सं.] अन्न; अनाज (२)
अपक्व वि० [सं.] काचुं भात (३) (प.) वि० अन्य
अपघात पुं० [सं.] आपघात (२) हत्या; अन्नकूट पुं० [सं.] अणकोट . हिंसा (३) विश्वासघात अन्नछेत्र पुं० अन्नक्षेत्र [आजीविका अपच पुं० अजीर्ण, अपचो अन्नजल पुं० [सं.] दाणोपाणी (२) अपछरा स्त्री० (प.) अप्सरा अन्नदाता पुं० [सं.]मालिक; स्वामी; शेठ
अपजस पुं० अपयश; बेआबरू [मूर्ख अन्नसत्र पुं० [सं.] अन्नक्षेत्र
अपठ, अपढ़ वि० 'अनपढ़'; अभण (२) अन्ना स्त्री० [तु.] माता (२) धाव अपत्य पुं० [सं.] संतान अन्य वि० [सं.] बीजुं (२) परायु अपथ पुं० [सं.] विकट के खराब मार्ग अन्यत्र अ० [सं.] बीजे ठेकाणे
अपथ्य वि० (२)पुं० [सं.] पथ्य नहि अन्यथा वि० [सं.] विपरीत; ऊलटुं (२) एवो (आहार) असत्य (३.) अ० नहि तो; तो पछी अपन सर्व० (प.) आपणे
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अपनपी
२३
.. अप्रसिद्ध अपनपी पुं० (प.) जुओ ‘अपनापन' अपवश वि०(प.) परवश' थी ऊलटुं; अपनयन पुं० [सं.] दूर करवू ते
स्वाधीन अपना सर्व० [सं. आत्मनः] (स्त्री०,-नी) अपवाद पुं० [सं.] विरोध; खंडन (२) पोतानुं (त्रणे पुरुषमां वपराय)(२) पुं०
बदनामी; निंदा (३) दोष; कलंक स्वजन. अपनी अपनी पड़ना = पोत
. (४) सामान्य नियमनाथी विरोधी ते पोतानी पडी होवी. अपने तक रखना (५) आज्ञा; आदेश =कोईने न कहे. -सा मुँह लेकर रह
अपवादक, अपवादी वि० [सं.]निंदाखोर जाना शरमिंदं थईने रही जवू; पाछा
(२) विरोधी ; बाधक [उडाउपर्यु पडवू; बनवू
अपव्यय पुं० [सं.] खोर्यु खरचq ते; अपनाना स० क्रि० अपनावq; पोताने अपशकुन पुं० [सं.] खराब शुकन
अनुकूळ के वश करवू; पोतान करवू · अपशब्द पुं० [सं.] खोट्रो के अर्थ विनानो अपनापन पुं०, अपनायत स्त्री०अपनावq शब्द (२) गाळ (३)वाछूटनो अवाज
ते (जुओ 'अपनाना'); आत्मीयता - अपसनां अ० क्रि० (प.) खसवू; सरकवू अपने आप अ० आपोआप'; पोतानी मेळे अपसोस पुं० (प.) अफसोस अपभ्रंश पुं० [सं.] पतन (२) विकृति; अपसोसना अ०क्रि०(प.)अफसोस करवो
बगाड (३) वि० विकृत; बगडेलु अपांग पुं० आंखनो खूणो (२) वि० अपंग अपमान पुं० [सं.]अनादर; अवगणना अपात्र वि० [सं.] अयोग्य अपमानना स० क्रि० अपमान करवू अपान पुं० (प.) आत्मज्ञान (२)अभिमान अपमानी वि० अपमान करनारं
(३) [सं.] अपान वायु अपमृत्यु स्त्री० [सं.] कमोत
अपार वि० [सं.] अपार; बेहद ; असंख्य अपयश पुं० [सं.] अपकीर्ति; बदनामी अपाह (-हि)ज वि० लूलंलंगडु; अपंग; अपरंच अ० [सं.] वळी; उपरांत (२) काम न करी शके एवं (२) आळसु तोपण
अपि अ० [सं.] वळी; पण (२) जरूर अपर वि० [सं.] पहेलु (२)पछोनु(३)बीजं अपितु अ० [सं.] परन्तु (२) बल्के अपरस वि० अस्पृश्य
अपील स्त्री० [ई.] उपली कोर्ट मां अपील अपराध पुं० [सं.] गुनो (२) कसूर; भूल
(२) निवेदन अपराधी वि० [सं.] गुनेगार
अपुत्र वि० [सं.] पुत्ररहित अपराह्न पुं० [सं.] पाछलो पहोर अपूर्ण वि० [सं.] अधूरु अपरिग्रह पुं० [सं.] (दान) न लेकुं ते । अपूर्व वि० [सं.] अनोखं; उत्तम (२) अपरिग्रह; त्याग
अपेक्षा स्त्री० [सं.] इच्छा (२) अपरिचित वि० [सं.] अजाण्युं ; अज्ञात जरूरियात (३) तुलना; सरखामणी अपरूप वि०अपूर्व ; अद्भुत (२)[सं.] (४) आशा; भरोसो बेडोळ; कदरू
अप्रतिम वि० [सं.] अद्वितीय ; अनुपम अपलक्षण पुं० [सं.] खोटं चिह्न दोष अप्रसिद्ध वि० [सं.] अजाण्यं (२) गुप्त
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२४
अप्रस्तुत
अबास अप्रस्तुत वि० [सं.] प्रसंग के स्थान अफ़्नत स्त्री० [अ.] बदबो; दुगंध बहारनुं; असंबद्ध
अब अ० आ वखते; हमणां; हवे.-तब अप्राप्त वि० [सं.] नहि मळेलु के मेळवेलं होना या लगना = मरणघडी आववी. (२) परोक्ष; अप्रस्तुत
-तब करना=आजकाल करवी; अप्रामाणिक वि० [सं.]प्रमाण विनानु बहानुं काढी ढील करवी
उटपटांग (२)विश्वासपात्र नहि तेवू अबखरा पुं० [अ.] बाफ; वराळ अप्रासंगिक वि० [सं.] प्रसंग विरुद्ध अबतर वि० [फा.] बूरं; खराब (२) __ अप्रस्तुत
बगडेलु; भ्रष्ट [बगाड अप्रिय वि० [सं.] अणगमतु(२)अरुचिकर अबतरी स्त्री० खराबी (२) अवनति; - अप्रैल पुं० एप्रिल मास [करणी अबद स्त्री० [अ.] अनंतता; असीमता अफ़आल पुं० [अ. फेल 'मुंब०व०] कृत्यो; अबदी वि० [अ.] अनंत; अमर अफ़ई पुं० [अ.] काळो नाग
अबरक पुं० [सं. अभ्रक] अबरख [कपडु अफगान [अ.] अफवान; काबुली अबरा पुं० [फा.] 'अस्तर'.नुं ऊलटुं; उपलं अफजल वि० [अ.] उमदा; सर्वोत्तम अबरी स्त्री॰ [फा.एक जातनो चीकणो अफजाइश स्त्री॰ [फा.] वृद्धि ; वधारो कागळ (२) एक पीळो पथ्थर अफ़तारी स्त्री० उपवास-रोजानुं पार| अबरू स्त्री० आंखनी भमर; 'अब्रू' अफ़्यून स्त्री० [फा.] अफीण .. अबल वि० [सं.] निर्बळ ; कमजोर अफरना अ०क्रि०पेट भरीने खावुधरावं अबलक(-ख) वि० [अ.] काबरचीतरुं; (२) अफरावू(३) ऊबना'; अरुचि थवी सफेद अने काळा के लाल रंगर्नु अफरा पुं० आफरो -
अबला स्त्री० [सं.] अबळा; स्त्री अफलातून पुं० [अ.] प्लेटो (२) बहु अबवाब पुं० [अ] ('बाब'न ब० व०)
अभिमानी माणस.-का साला घमंडी अध्याय (२) एक मुसलमानी कर माणस [खबर.(-उड़ाना, फैलाना) अबस अ० [अ.] व्यर्थ; नाहक अफ़वाह स्त्री० [अ.] अफवा; ऊडती अबा पुं० [अ.] डगला नीचे पहेरवानुं अशा वि० जुओ ‘इफ़शा'
ढोलं कपडं अफसर पुं० ऑफिसर. -माल-महेसूल अबादान, अबादानी जुओ 'अवादान', खातानो अमलदार
___'अवादानी' [(२) अपार अफ़साना पुं० [फा०] कहाणी; कथा अबाध वि.सं.]बाधा के अडचण रहित अफ़सुरवा वि० [फा.] दुःखित ; मूंझायेलुं अबाधित वि० [सं.] अबाध (२) स्वतंत्र
(नाम, दगी स्त्री०) [पस्तावो अबाध्य वि० [सं.] न रोकाय एवं; अफ़सोस पुं० [फा.] अफसोस ; शोक; . अनिवार्य . [एक पक्षी अफ़ीम स्त्री अफीण । [नो व्यसनी अबाबील स्त्री० [फा.] काळा रंगनुं अफ़ीमची, अफ़ीमी पुं०अफीणियो;अफीण- अबार स्त्री० (प.) विलंब ; वार; ढील अफू पुं० [अ. अफ्व] क्षमा; माफी अबास पुं० (प.) आवास ; निवास
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२५
नक्षत्र
अबीर अबीर पुं० [अ.] अबील [{० तेवो रंग अभिजित वि० [सं.] विजयी(२) पुं० एक अबीरी वि० [अ.] अबोलना रंगk (२) . अबुहाना अ० क्रि० धूणवं; 'अभुआना' अभिज्ञ वि० [सं.] जाणकार (२) निपुण अबूझ वि० अबोध; अणसमजु . अभिज्ञान पुं० [सं.] स्मृति'; ओळख अबे अ०. (नाना के ऊतरता माणस
(२) ओळखनी निशानी माटे संबोधन)ए, अल्या. -तबे करना
अभिधान पुं० [सं.] नाम (२) शब्दकोष = निरादरसूचक बोलवू .
अभिनन्दन पुं० [सं.] आनंद (२) संतोष अवेर स्त्री०(प.) [सं. अवेला] विलम्ब (३) प्रशंसा (४) नम्र विनंती अबोध वि० [सं.] जुओ 'अबूझ' अभिनय पुं० [सं.] चाळा; नकल (२) अबोला पुं०रिसाईने न बोलवू ते;अबोला
नाटकनो वेश भजववो ते अब्ज पुं० [सं.] कमळ (२) अबज संख्या
अभिनव वि० [सं.] नवु (२) ताजु अन्द पुं० [सं.] वरस (२) वादळ
अभिनिवेश पुं० [सं.] अंदर पेसवं ते अब्धि पुं० [सं.] समुद्र
(२) एकाग्रता (३) दृढ संकल्प । अब्बा पुं० [फा. बाप
अभिनेता पुं० [सं.]अभिनय करनार; नट अब्बास पुं० [अ.] एक फूलझाड ।
अभिप्राय पुं० [सं.] मतलब; आशय अब्बासी स्त्री० इजिप्तनो एक जातनो
अभिभावक वि० [सं.] वश करनार; कपास (२) एक जातनो लाल रंग
हरावनार अब पुं० [फा.] अभ्र; वादळ
अभिभूत वि० [सं.] वश; पराजित अब्रह्मण्य पुं० [सं.] ब्राह्मणने उचित ।
अभिमत वि० [सं.] इष्ट; वांछित (२) नहि एबुं-- कुकर्म ; पाप।
__ संमत (३) पुं० मत'; अभिप्राय (४) अबू स्त्री० [फा.] जुओ ‘अबरू'
मननी वात . अबे-बाराँ पुं० [फा.] वरसादनुं वादळ .
अभिमान पुं० [सं.] गर्व; अहंकार अभंग वि० [सं.] अखंड; अविनाशी
अभिमानी वि० [सं.] गर्विष्ठ ; अहंकारी अभक्ष्य वि० [सं.] न खाई शकाय तेवू अभिमुख अ० [सं.] सामे; सन्मुख --निषिद्ध
अभियुक्त वि० [सं.] आरोपी; प्रतिवादी अभय वि० [सं.] नीडर (२) पुं० नीडरता । अभियोक्ता पुं० [सं.] वादी; फरियादी अभागा,-गी वि० अभागी
अभियोग पुं० [सं.] आरोप; फरियाद अभाग्य पुं० [सं.] दुर्भाग्य ; कमनसीब (२) चडाई; हल्लो अभाव पुं० [सं.] न होवू ते(२)कमी; खोट. अभियोगी पुं० [सं.] जुओ ‘अभियोक्ता' अभिक्रमण पुं० [सं.] चडाई; हुमलो
अभिरुचि स्त्री० [सं.]हचि; चाहा पसंदगी अभिगमन पुं०[सं.] से जq ते(२) पंभोग अभिलाष पुं०, -षा स्त्री० [सं.] इच्छा; अभिचार पुं० [सं.] मंत्रथी जारण-मारण
कामना; आकांक्षा करवू ते
अभिवादन पुं० [सं.] नमस्कार(२) स्तुति अभिजात वि० [सं.] कुलीन; खानदान' । अभिशाप पुं० [सं.] शाप (२) मिथ्या (२) योग्य; मान्य (३) सुन्दर
आरोप .
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अभिषेक
२६
अभिषेक पुं० [सं.] जळ छांटवुं ते (जेम के. राजानो) (२) शिवलिंग पर जळाधारी अभिसरना अ० क्रि० (प.) जवुं (२) इष्ट जगाए के प्रियने मळवा जवुं अभिसार पुं० [सं.] प्रियजनने नक्की जगाए मळवा जनुं ते
अभी अ० [हिं. अब + ही ] हमणां ज; अबघडी
अभीक वि० [सं.] नीडर अभीष्ट वि० [ सं . ] इष्ट; मनवांछित अभुआना अ० क्रि० [सं. आह्वान] भूत आव्युं होय एम धूणवुं ने हाथ पंग हलाववा [ अपूर्व अनोखं अभूत वि० [सं.] पूर्वे नहि बनेलं; अभेद पुं० [सं.] एकसमानता ( २ )
वि० एकसमान
अभ्यंग पुं० [सं.] तेलनी मालिस अभ्यंतर पुं० [सं.] अंतर (२) मध्य; वच *(३) अ० अंदर [ सत्कार अभ्यर्थना स्त्री० [सं.]विनंती (२) स्वागत; अभ्यस्त वि० [सं.] महावरावाळं ; कुशळ अभ्यागत पुं० [सं.] अतिथि अभ्यास पुं० [ सं . ] फ़री फरी कांई करवु ते (२) टेव; आदत
अभ्युत्थान पुं० [ सं . ] उत्थान; उदय; उन्नति
अभ्युदय पुं० [सं.] उदय; उत्पत्ति; उन्नति अन पुं० [सं.] वादळ (२) आकाश (३) 'अभ्रक ' ; अबरक अक पुं० [सं.] अंबरख अमका पुं० [ सं . अमुक ] अमुक; फलाणो अमचूर पुं० आमचूर अमन पुं० [अ.] शांति ; चेन ( २ ) रक्षण;
बचाव
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अमानतदार
अमन - अमान, अमन-चैन पुं० सुख-शांति सुखचैन
अमर वि० [सं.] न मरे एवं (२) पुं० देव
अमरख पुं० ( प. ) अमर्ष; क्रोध अमरबेल, अमरवल्ली स्त्री० अंतरवेल अमरसी वि० केरीना रसना रंगनुं; सोनेरी [ आंबावाडियं अमराई स्त्री०, अमराव पुं० अमराई; अमराज पुं० [अ.' मर्ज़' ' नुं ब०व०] रोग अमरू पुं० एक जातनुं रेशमी कपड़े अमरूत ( - द ) पुं० [फा. ?] जामफळ अमरंया पुं० (प.) अमराई ; आंबावाडियं अमर्ष पुं० [सं.] क्रोध; रीस अमल पुं० [अ.] अमल; सत्ता; नशी इ० अमलतास पुं० गरमाळानी सींग अमल-दर-आमद पुं० [फा.] अमल थवो ते अमलदारी स्त्री० अधिकार ( २ ) एक प्रकारनी विघोटी
अमला पुं० [अ.]कुचेरीमां काम करनार; अमलदार (२) स्त्री० [सं.] लक्ष्मी अमली वि० [ अ ] अमलमां आवनाएं; व्यावहारिक ( २ ) अमल करना (३) नशेबाज ; केफी [ मोतो अमवात स्त्री० ब० व० [अ] मरणो अमहर पुं० काची छोलेली केरीनी सूकी चीर; चीरियुं
अमात्य पुं० [सं.] प्रधान; वजीर अमान वि० [सं.] अमाप ; बहु ( २ ) मान के गर्व रहित; नम्र ( ३ ) तुच्छ ; अपमानित [तेम राखेली वस्तु अमानत स्त्री० [अ.] अनामत राखबुं ते के अमानतदार पुं० अनामत राखनार; ज़ेने त्यां अनामत रखाय ते
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अयाल
अमाना
२७ अमाना अ० क्रि० समावं; पूरुं मार्बु (२) अमुक वि० [सं.] फलाj [मिथ्या . फुलावू; गर्व करवो
अमूलक वि०[सं.]मूळ वगरनुं(२)असत्य; अमानी स्त्री० [अ.] मजूर पासे रोजी के अमूल्य वि० [सं.] खूब कोमती पगार पर जाते काम करावq ते(२)वि० ।
अमृत पुं० [सं.] अमृत; सुधा (२) पाणी [सं.] मान वगरन; निरभिमानी; नम्र (३)दूध, घी (४) खूब स्वादिष्ट वस्तु अमानुष,-षी वि० [सं.]मनुष्यनी शक्ति अमृतवान पुं० माटीनू रोगान करेलु
बहार (२) पाशवी; राक्षसी . वास'ण (घी, अथा' इ० राखवानु) अमाप वि० बेहद; खूब
अमेय वि० [सं.]अपरिमित; अमाप; बेहद अमामा पुं० [अ.] जुओ 'अम्मामा'
अमोघ वि० [सं.] अचूक ; अटल अमारी स्त्री० [अ.] अंबाडी . अमोल, ०क वि० (प.) अमूल्य अमाल पुं० [अ.] हाकेम'; अमल करनार अमोला पुं० आंबानो नवो छोड अमावट स्त्री० केरीना रसने सूकवीने - अमौआ पुं० केरीना सूका रस जेवो रंग
करेली पापड (२)एक जातमी माछली के तेवा रंगर्नु कपडं अमावस, अमावस्या [सं.] स्त्री० अमास . अम्दन् अ० [अ.]जाणी जोईने; इरादाथी अमिट वि० (स्त्री०,-टा) सुटी न शके अम्माँ (-मी) स्त्री० अम्मा; मा
एवं; स्थायी (२)अटल ; अवश्यंभावी अम्मामा पुं० [अ.] एक प्रकारनो मोटो अमित वि० [सं.] अमाप; बहु
(मुसलमानी) फॅटो अमिताभ पुं० [सं.] बुद्धदेव
अम्मारी स्त्री० हाथीनी अंबाडी . अमिय पुं० [सं. अमृत] अमी
अम्र पुं० [अ.] वात; अर्थ; मुद्दो; कहेवानी अमिल वि० दुर्मळ ; दुर्लभ (२) ऊंचुंनीचुं; मतलब; विषय (२)आज्ञा; विधि (३) अ-सपाट (३) मेळ वगरनुं
(व्या०)आज्ञार्थ.-व निही विधिनिषेध अमिली स्त्री० 'इमली'; आमली (२)
अम्ल वि० [सं.] खाटुं (२) पुं० खटाश मेळ न होवो ते; अणबनाव
(३) तेजाब अमी पुं० (प.) अमी; अमृत
अम्हौरी स्त्री०. अळाई अमीन पुं० [अ.] अदालतनो एक
अयन पुं० [सं.] गति (जेम' के सूर्यनी)(२) अमलदार (२) थापण राखवा माटे घर; आश्रम (३) ढोरनु थान विश्वासु माणस
अयाँ वि० [अ.] साफ; ‘स्पष्ट : अमीर पुं० [अ.] सरदार; उमराव (२) अयान, वि० (स्त्री० -नी) अजाण;अज्ञान . श्रीमंत ; धनी
(२) [सं.] वाहन वगरनु; पगपाळं. अमीराना वि० [अ.] अमीरना जेवू;
अयानत स्त्री० [अ.] सहायता अनीरी . [अमीर जेवू
अयानी वि० (प.) अज्ञानी अमीरी स्त्री० अनीरपणुं (२) वि०
अयाल पुं० [फा.] घोडा के सिंहनी अमीरो-कबीर वि० [अ.] 'अमीर-व- केशवाळी; याळ (२) [अ] परिवार; कबीर'; खूब धनवान'
बालबच्चा
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अयुत
अराक अयुत पुं० [सं.] दश हजारनी संख्या अरदली पुं० [अं. ऑर्डरली] चपरासी; अयोग्य वि० [सं. अघटित ; नालायक पटावाळो अय्याका वि० [.] विलासी; विषयी अरदास स्त्री० [फा. अर्जदाश्त] विनंती; अय्यार पुं० [अ.] खंवो; चालाक माणस प्रार्थना; अरजी (२) भेट अरंड पुं० एरंडो
अरना पुं० (स्त्री०,-नी) जंगली पाडो अरंड-ककड़ी स्त्री० एरणकाकडी; पपैयुं (२) सुकाई गयेलं छाण, जे बाळवामां अरई स्त्री०. हांकवानी परोणी वपराय छ (३) अ०क्रि० जुओ 'अड़ना' अरक पुं० [अ.] अर्क; कस (२) परसेवो. अरनी स्त्री० [सं. अरणी] अरणीनुं झाड - उतारना,-खींचना, -निकालना= अरब पुं० अबज संख्या (२) घोडो (३) अर्क काढवो. अरक्र-अरक होना= [अ.] अरबस्तान देश पसीनायी भोंजाई जवु;परसेवो परसेवो __ अरबा वि० [अ.]चार; ४ (२)पुं० त्रिराशि थई जर्बु
अरबाब पुं० ब० व० [अ.] मालिक अरकाटी पुं० गिरमीटियाओनी भरती अरबी वि॰ [फा.] अरब देशन (२)स्त्री० अरकान पुं० [अ.?] मुख्य प्रधान; सरदार अरबी भाषा(३)पुं०अरबी ऊंट के घोडो अरग,जा पुं० [सं. अगरु] अरगजो अरमान पुं० [फा.] इच्छा; चाह; होश अरगजी वि० अरगजाना जेवा रंग के अरराना अ० कि० अरर एवो शब्द सुगंधवाळ.
काढवो; अरेराटी छूटवी अर(-ल) गनी स्त्री० वळगणी ; कपडा अरवा पुं० ताको; गोख .
इ० सूकववानी दोरी [घेरं लाल अरवाह स्त्री० ब० व० [अ.] अरवा; अररावानी पुं० [फा.] लाल रंग (२)वि० आत्मा (२) फिरस्ता; देवदूतो अरगाना अ० क्रि०(प.) चूप रहे, (२) अरविंद पुं० [सं.] कमळ जुओ ‘अलगाना'
अरवी स्त्री० एक कन्द; अळवी. अरघा पुं०[सं. अर्व] अर्घ्य आपवानुं एक अरस पुं० आळस (२) वि० नीरस; पात्र (२)शिवलिंग जेमा स्थपाय छे ते
फीकुं (३) असभ्य; गमार . अरज स्त्री० जुओ 'अर्ज'
अरसट्टा पुं० अडसट्टो; अंदाज अरजी स्त्री० अरजी; विनंती (२) वि० ।
अरसना-परसना स० क्रि० स्पर्श; भेटवू अरज करतार . [(२) सूर्य अरस-परस पुं० 'डाहीनो घोडो' जेवी अरणि, -णी स्त्री० [सं.] अरणीनुं झाड एक रमत अरण्य पुं० [सं.] जंगल; वन अरसा पुं० [अ.] अरसो; समय; मुदत अरण्यरोदन पुं०. अरण्यरुदन
अरहट पुं० [सं. अरघट्ट] रहेंट अरथ पुं० (प.) अर्थ
अरहन पुं० [सं. रंधन (शाक, कढीमां अरथाना सक्रि० (प.) अर्थ समजाववो नंखातो) चणानो लोट अरथी स्त्री० ठाठडी [मर्दन कर अरहर स्त्री० तुवेर [त्यांनो घोडो अरदना स० क्रि० [सं. अर्द ] कचडवू अराक पुं० [अ. इराक इराक देश के
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अराज
अर्श अराज वि० राजा बिनानु; अंधर (२) अर्ज स्त्री० [अ.] विनंती; अरज; प्रार्थना .. पुं० अराजकता; अव्यवस्था
(२) पुं० पनो; चोडाई (३) जमीन अराजक वि० [सं.] राजा विनानुं अर्जदाश्त स्त्री० [फा.अरजी; विनंतीपत्र अराजकता स्त्री० [सं.] जुओ'अराज' अर्जन पुं० [सं.] कमावू-पेदा कर, ते अराजी स्त्री० [अ.] जमीन (२) खेतर .. अर्जमन्द वि० [फा.] आबरूदार; लायक अराति पुं० [सं.] शत्रु (२) काम क्रोधादि अर्जा वि० [फा.] सस्तुं षड्पुि
अर्जानी स्त्री० [फा.] सस्तापर्यु अराधन पुं० आराधन
अर्जी स्त्री० [अ.] अरजी; अर्जदाश्त'. अराधना [सं.] आराधq; पूजवू. अर्जी-दावा पुं० [फा.] दावा-अरजी अरारू(-रो)ट पुं० [इं.एरोरूट] एक कंद अर्थ पुं० [सं.] अर्थ; मायनो (२) हेतु अराल वि० [सं.] कुटिल; वांकु (२) पुं० (३) लाभ (४) संपत्ति मद गळतो हाथी
अर्थकर वि० [सं.] लाभकारक अरि पुं० [सं.] शत्रु; दुश्मन
अर्थमंत्री पुं० [सं.] नाणाप्रधान - अरिष्ट पुं० [सं.] दुःख, पीडा (२)
अर्थवेद पुं० [सं.] शिल्पशास्त्र आफत; अपशुकन
अर्थशास्त्र पुं० [सं.] सम्पत्तिशास्त्र अरी अ० स्त्री माटेनुं संबोधन'; 'हे'
अर्थ-सचिव पुं० [सं.] जुओ 'अर्थमंत्री' अरीजा वि० [अ.] निवेदित; अरज
अर्थात् अ० [सं.] यानी; एटले के करायेलु (२) पुं० अरजी ।
अर्थी स्त्री० जुओ 'अरथी' अर अ० (प.) अने; 'और'
अर्दन पुं० [सं.] पीडवू ते ; हिंसा अरुचि स्त्री०[सं.] अनिच्छा (२) मंदाग्नि
अर्दली पुं० जुओ 'अरदली' (३) घृणा ['उलझना'
अर्द्ध वि० अर्व; 'आधा' अरुझना अ० क्रि० फसावं; गूंचवावु :
अांग पुं० [सं.] लकवो; पक्षाघात अल्झाना स० क्रि० जुओ 'उलझाना'
अर्धागिनी स्त्री० [सं.] स्त्री पत्नी अक्षण वि० [सं.] लाल (२) पुं० सूर्य (३) अर्वागी वि० लकवो थयेलु (२)पुं० शिव सिंदूर
अर्पण पुं० [सं.] आपq ते (२) भेट अरोगना सक्रि०(प.) आरोगना'; खाईं।
अर्पना स० क्रि० अर्प; आपq अर्क पुं० [अ.] जुओ 'अरक़'.
अर्बुद पुं०[सं.]दस करोडनी संख्या [नानुं अरेजी स्त्री० [अ.+फा.] खूब महेनत अर्भक पं० [सं.] बालक (२)वि० नादान; अर्गलं पुं०[सं.] आगळो; भुंगळ
अर्वाचीन वि० [सं.] आधुनिक; नवं अर्घ पुं० [सं.] पूजानो एक विधि
अर्श पुं० [अ.] मुसलमानो माने छे ते (२) पूजापो (३) किंमत...
. सौथी ऊंचु - खुदानुं धाम (२) (सं.) अर्घ्य वि० [सं.] पूज्य (२) कीमती ..
हरस रोग. -पर चढ़ाना-खूब तारीफ अर्चन पुं० [सं.] पूजन' (२) आदर- करवी. -पर दिमाग होना = बहु सत्कार
अभिमान होवू
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अर्हत
अलाल
अर्हत,-न्त पुं०परमज्ञाानी;बुद्ध;तीर्थंकर अलमारी स्त्री० अलमारी; कबाट अलंकार पुं० [सं.] आभूषण; घरेणुं अलमास पुं० [फा.] हीरो [वगरनुं अलंग पुं० बाजू; तरफ
अलल-टप्पू वि० अलेलटप्पु; ठेकाणा अलकतरा पुं० [अ.] डामर
अलल-बछेड़ा पुं० (हिं. अल्हल+बछेड़ा) अलख वि० अलख ; अगोचर.-जगाना 'घोडानो बछेरो (२) अल्लड आदमी =पोकारीने प्रभुस्मरण करवं; अलख अललाना अ० क्रि० चीस पाडवी; गळू जगाववी
फाडीने बोलवू अलखधारी, अलखनामी पुं० 'अलख' ... अलवाँती वि०स्त्री० [सं.बालवती]प्रसूता 'अलख' पोकारी भिक्षा मागनार एक अलवाई वि०स्त्री० एकबे मासनी वियाजातनो साधु
येली (गाय, भेंस); 'बाखडी 'थी ऊलटुं अलग वि० जुईं; भिन्न (२) सुरक्षित; ... अलवान पुं० [फा.] ऊननी चादर बचेलं .
अलस वि० [सं.] आळसु अलगनी स्त्री० जुओ ‘अरगनी'
अलसान, अलसानि (प.) स्त्री० आळस; अलग़रजी वि० [अ.] बेपरवा
सुस्ती (२) शिथिलता अलगाई स्त्री०, - व पुं० अलगपणुं
अलसाना अ० क्रि० आळसमां पडवू; अलगाना अ० क्रि० अलग थq; छूटुं सुस्त थवं पडवु(२)प०क्रि० अलग करवु:हठाव अलसी स्त्री० [सं. अतसी] अळसी अलगोजा पुं० [अ.] अलगोजा -- एक अलसेट स्त्री० (प.) ढील (२) अडचण .जातनी वांसळी
(३) झघडो अलपाका पुं० आलपाको; 'आलपाका' . अलसेटिया वि० 'अलसेट' करनारं अलफा पुं० विना बायतुं लांबु कुरतुं अलसौंहा वि०(स्त्री०, ही)आळसयुक्त; अलफ़ाज पुं० [अ. 'लफ्ज़'ब० व०] सुस्त
[परोढिये शब्दो (२) पारिभाषिक शब्द अलस्सुबाह अ० [अ.] वहेली सवारे; अलबत्ता अ० [अ.] अलबत्त; बेशक अलहदगी स्त्री० [अ.]इलायदापणु:जुदाई अलबम पुं० [फा.] 'आल्बम'; चित्रो । अलहदा वि० [.] इलायदुं; अलग
संघरवानी पोथी [कठण उर्दू अलहदी वि० आळसु; 'अहदी' अलबी-तलबी स्त्री० अरबी, फारसी के अलान पुं० [सं. आलान]हाथी- अलान अलबेला वि० (स्त्री०,-ली) [सं. अलभ्य । अलानिया अ० [अ.] वुल्लंखुल्ला; स्पष्ट +हिं. प्रत्यय ला अलबेलं; फांकडु (२) अलाप पुं० आलाप सुन्दर; अनोखं
अलापना अ० क्रि० बोलवं; बातचीत अलभ्य वि० [सं.] दुर्लभ (२) अमूल्य करवी (२) गावं अलम पुं० [अ.] दुःख (२) झंडो अलामत पुं० [अ.] निशानी; चिह्न अलमस्त वि० [फा.] अलमस्त; मदमत्त; अलार पुं० जुओ अलाव' (२)[सं.] कमाड. चकचूर (२) मस्तानी; बेफिकर अलाल वि० आळसु (२) नवरं; नकामुं
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अलालत
अलालत स्त्री० [अ.] बीमारी; 'अलील' परथी नाम [ढेर; तापणी अलाव पुं० [सं. अलात]अलाव; आगनो अलावा अ० [r.] सिवाय अलजर पुं० [सं.] माटीनो पाणीनो घडो अलंद पुं० [सं. अन्द्र ] भमरो (२) [सं.] घरना द्वार आगळनो ओटलो के छजुं अली पुं० [सं. अलि] भमरो (२) [ सं . आली ] सखी (३) पंक्ति अलीक वि० [सं.] जूहुं; असत्य ( २ ) अप्रतिष्ठित
अलील वि० [ अ ] बीमार अलुमीनम पुं० एल्युमिनियम धातु अलेख वि० अज्ञेय (२) अगणित अलोक वि० [सं.] अदृश्य (२) निर्जन ; एकांत (३) पुं० परलोक (४) निंदा ; [अस्वाद
अपयश
अलोना वि० [सं. अलवण] अलूणु;फीकुं; अलोप वि० अदृश्य; 'लोप' अलौकिक वि० [सं.] अद्भुत अपूर्व अल्कत वि० [अ.] रद के समाप्त करेलुं अल्काब पुं० [अ.] इलकाब अल्काबो- आदाब 'अलकाब-व आदाब' ; ओ 'आदाब-ब-अकाब' अल्- क़िस्सा अ० [अ०] टूकमां अल्-गरज, अल्-ग़र्ज़ अ० [अ.] मतलब कम तात्पर्य के
अल्प वि० [सं.] थोडुं (२) नानुं अल्ल पुं० [अ. आल] अटक; उपनाम अल्लम गल्लम पुं० नकामो बकवाद; rasars
अल्लाना अ० क्रि० जुओ अललाना अल्लामा स्त्री० कर्कशा ; वढकणी स्त्री अल्लाह [अ.] अल्ला ; ईश्वर अल्लाहताला पुं० खुदाताला
७
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अवटना
अल्लाह- बेली श०प्र० [अ०] ईश्वर सहाय छे. (विदाय वेळानो बोल ) [ शुक्रवार अल्- विदा पुं० [ अ ] रमजाननो छेल्लो. अल्हइत पुं० 'आल्हा' छंदनुं गीत
गानार
अल्-हक़ अ० [अ.] खरेखर (२) हा ; ठीक अल्हजा पुं० गप; डिंग. - मारना=गपं ' मारवी
अल्हड़ वि० अल्लड, नादान; बेवकूफ (२) पुं० नहि पलोटायेलो बाछडो अव अ० ( प. ) ' और ' ; अने (२) [सं.] एक उपसर्ग
अवकाश पुं० [ सं . ] खाली जगा; आकाश (२) समय (३) नवराश (४) फासलो ;
अंतर
अवगत वि० [सं.] जालुं (२)नीचे गये लुं अवगतना स०क्रि०[सं. अवगत ] समजवु; विचारं [दुर्गति; पतन अवगति स्त्री० [सं.] समज ; बुद्धि ( २ ) अवगाह वि० ( प. ) अथाह ; बहु कंडुं (२) पुं० अंडु के संकटनुं स्थान ( ३ ) [सं.] पाणीमां पडी नाहवुं ते अवगाहना अ० क्रि० नाहवुं ( २ ) डूबकुं मारवुं ( ३ ) स०क्रि० अंडा ऊतरी विचार; तपास
अवगुंठन पुं० [सं.] ढांक के संताडवु ते (२) घूमटो; बुरखो
अवगुण पुं० [सं.] दुर्गुण; दोष ; अपराध अवग्रह पुं० [सं.] धा; अडचण (२) शाप अवघट वि० विकट दुर्गम; कठण अवचट अ० 'औचट'; अचानक ( २ ) पुं० मुश्केली; संकडामण
अवज्ञा स्त्री० [ सं . ] अपमान; अवगणना अवटना स० क्रि० 'ओटना'; उकाळवं
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अवडेर
अवसेरना अवडेर पुं० झंझट; बखेडो; गरबड (२) अवर वि० (प.) अन्य; बीजं (२) हलकुं;
फेर; चक्कर [नांखq; फसावq नीचुं (३) निर्बळ अवडेरना स० क्रि० फेर - चक्करमा । अवरेखना स० क्रि० लखवू; चीतरवं अवडेरा वि० चक्करमा नांखे एवं; (२) अनुमानq; कल्पवू; मानवू झंझटवाळं ; गरबडियु
अवरेब पुं० 'औरेब'; वक्र गति (२) अवतंस . [सं.] भूषण (२) हार; माळा कपडानो वांको काप (३) कठिनाई (३)वाळी(४) श्रेष्ठ व्यक्ति; शिरोमणि (४) झघडो; खेंचताण . [लेवं ते अवतरण पुं० [सं.] पार ऊतरवू ते (२). अवरोध पुं० [सं.] अडचण (२) घेरी जन्मकुं ते (३) नकल (४) सोडी; घाट । अवरोह पुं० [सं.] ऊतरवू ते; 'अवनति' के तेनी सीडी भूमिका अवर्ण वि० [सं.] वर्णरहित (२) खराब अवतरणिका स्त्री० [सं.] प्रस्तावना; रंगर्नु अवतार पुं० [सं.] अवतरवू ते; जन्म अवर्ण्य वि० [सं.] अवर्णनीय (२) ईश्वरनो अवतार .
अवलंघना स० क्रि० लांघवं अवदात वि० [सं.] निर्मळ ; शुद्ध (२) अवलंबन पुं० [सं.] आधार; टेको • श्वेत ; गोरु (३) पीळं
अवलेप पुं० [सं.] लेप (२) घमंड अवद्य वि० [सं.] अधम; हीन अवलेपन पुं० [सं.] चोपडवू ते (२) अवध पुं० अयोध्या (२) स्त्री० अवधि . जुओ 'अवलेप' . अवधान पुं० [सं.] ध्यान; एकाग्रता अवलेह पुं० [सं.] चाटवानुं औषध अवधारण [सं.] निश्चय; निरधार अवलोकन पुं० [सं.] जोवू ते (२) तपास अवधि स्त्री० [सं.] सीमा; हद (२) अ० अवश वि० [सं.] प्रतंत्र; लाचार पर्यंत; सुधी
अवशिष्ट वि० [सं.] बचेलं; बाकी अवधी स्त्री० अवध-अयोध्यानी बोली। अवशेष पुं० [सं.] शंष; बाकी (२.) . (२) वि० अयोध्या संबंधी
समाप्ति (३)वि० बाकी (४) समाप्त । अवधूत पुं० बावो; संन्यासी
अवश्य अ० [सं.] जरूर (२) वि० वश अवन पुं० [सं.] रक्षण (२) (प.)अवनि । - न थाय तेवू अवनति स्त्री० [सं.] पडती (२) नीचे
अवसर पुं० [सं.] मोको; लाग (२) नमवू ते
फुरसद (३) थाक अवनि स्त्री० [सं.] पृथ्वी
अवसाद पुं० [सं.] वि दि; खेद (२) नाश अवम पुं० [सं.] अधिक मास
अवसान पुं० [सं.] मरण (२) अंत; अवमतिथि स्त्री० [सं.] क्षय थती तिथि समाप्ति (३) सांज अवमान • [सं.] अपमान [अंग अवसि अ० (प.) अवश्य अवयव पुं० [सं.] अंश; भाग(२)शरीरनुं अवसेर स्त्री० [सं. अवसर] विलंब; अवयवी वि० [सं.] अनेक अवयववाळ ढील (२)चिंता; फिकर (३) हेरानगत (२) कुल; संपूर्ण (३) पुं० देह अवसेरना स० क्रि० पजवq; दुःख देवू
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३३
अवस्था
अंशुद्ध अवस्था स्त्री० [सं.] दशा; हालत अवेर स्त्री० ढील; मोडु थQ ते; वार
(२) उमर [(२) नक्की अवैतनिक वि० [सं.] वेतन वगरन; मानद अवस्थित वि० [सं.] हयात; विद्यमान अव्यक्त वि० [सं.] अगोचर (२) अज्ञात अवस्थिति स्त्री० [सं.] हयाती
(३) पुं० प्रकृति (४) जीव (५) अवहेलना स्त्री० [सं.] अनादर (२) अव्यक्त राशि
सक्रि० अनादर करबो [भठ्ठी अव्यक्त-गणित पुं० [सं.] बीजगणित अवा(-वा) पुं० 'आवाँ'; कुंभारनी अव्यय वि० [सं.] नित्य ; निर्विकार (२) अवांतर वि० [सं.] अंतर्गत (२) पुं० पुं० व्याकरणनो अव्यय शब्द मध्य ; वच
अव्यवस्था स्त्री० [सं.] व्यवस्था के अवाई स्त्री० (हिं० आना) आवq ते नियमनो अभाव; गरबड अवाक वि० [सं.] चूप (२) चकित अव्युत्पन्न वि० [सं.] अजाण; अणसमजु अवाङ्मुख वि० [सं.] अधोमुख ; ऊलटुं अव्वल वि० [अ.] अवल; पहेलु (२) (२) शरमायेलं
. उत्तम; श्रेष्ठ (३) पुं० शरूआत; अवाची स्त्री० [सं.] दक्षिण दिशा
आदि. उदा० 'अव्वलसे आखिर तक अवाच्य पुं० [स.] गाळ (२) वि० न अशंक वि० [सं.] नीडर; निःशंक
बोलवा-कहेवा जेवू (३) नीच अशअश करना-खूब खुश के संतुष्ट थq अवाम पुं० [अ.] आमजनता
अशआर पुं० [अ] ('शेर' नुं ब०व०) अवाम-उन्नास पुं० जुओ 'अवाम' काव्यनी ढूंको अवायल वि० [अ.] प्राथमिक ; शरूनुं अशकुन पुं० अपशुकन ('अव्वल'नें ब०व०)
. अशक्त वि० [सं.] नबछु; शक्ति वगरनुं अवार सुं० [सं.] नदीनो आ किनारो; अशक्ति स्त्री० [सं.] नबळाई; कमजोरी 'पारथी' ऊलटुं नो चोपडो अशक्य वि० [सं.] असंभव; शक्तिबहारन अवारजा पुं० [फा. अवारिज] हिसाब- अशखास [अ. 'शख्स' नुं ब०व०] घणा अविच्छिन्न, अविच्छेद वि० [सं.] अतूट; माणसोनु छै; जनसमूह
लगातार; अखंड [माया अशजार पुं [अ.] झाडी; वृक्षसमूह अविद्या स्त्री० [सं.] अज्ञान; मोह (२) अशन पुं० [स.] खावं ते (२) खोराक अविधि वि० [सं.] विधि-नियमथी अशरफ़ पुं० भलो माणस'; मोटेरो विरुद्ध; नियम बहार
अशरफ्री स्त्री० [फा.] सोनानो एक अविरथा अ० (प.) वृथा; नाहक सिक्को (२) एक पोळु फूल । अविरोध पुं० [सं.] विरोधनो अभाव • अशराफ़ वि० शरीफ; भलु (माणस)
(२) मेळ ; समानता [(२) अन्याय अशिया स्त्री० [अ.] चीजो; वस्तुओ अविवेक पुं० [सं.] अविचार; अणसमज अशिष्ट वि० [सं.] असभ्य ; असंस्कारी अविश्वास पुं० अणभरोसो(२)अनिश्चय अशुद्ध वि० [सं.] मेलं; अपवित्र अवेज पुं०[अ. एवज] (प.) बदलो; अवेज (२) भूलभरेलु . हिं-३
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अशुन
असामी अशुन पुं० (प.)अश्विनी नक्षत्र असत्य वि० [सं.] मिथ्या; जूठं अशुभ वि० [सं.] बुरुं; भूईं; अमंगल असबर्ग पुं० [फा.] रेशम रंगवामां
(२) पुं० -अहित (३) पाप आवतुं एक खुरासानी घास अशेष वि० [सं.] पूरुं; बधू (२)खतम; . असबाब पुं० [अ.] चीज ; वस्तु; सामान
समाप्त (३)अनेक; बहु. असमंजस स्त्री०[सं]दुविधा(२) अडचण अशौच पुं० [सं.] अपवित्रता; अशुद्धि असमय पुं० (सं.) दुःखनो-खराब समय (२) सूतक
(२) अ० कवखते अश्क पुं० [फा.] आंसुः (वादळ असर पुं० [अ.] असर; प्रभाव अश्म पुं० [सं.] पथ्थर (२) पर्वत (३) असरार अ० (प.) लगातार; सतत (२) अश्मरी स्त्री० [सं.] पथरीनो मूत्ररोग पुं० ब०व० [अ.] भेद; गुप्त वातो अश्रु पुं० [सं.] आंसु . असल वि० [अ.] खरं; सावु (२) अश्लील वि० [सं.] बीभत्स; गहुँ उच्च ; श्रेष्ठ (३) शुद्ध; भेळसेळ अश्व पुं० [सं.] घोडो निक्षत्र वगरनु (४) अकृत्रिम (५) पुं० अश्विनी स्त्री० [सं.] धोडी (२) एक जड; मूळ ; पायो अषाढ़ पुं० अषाढ मास
असलह पुं० [अ.] शस्त्र; हथियार . अष्ट वि० [सं.] आउ. ०म वि० [सं.] असला अ० [अ.] जरा पण (२) कदापि; आठमुं. मी स्त्री० आठम
हरगिज असंक्रांति मास पुं० [सं.] अधिक मास असलियत स्त्री॰ [अ.] साच; तथ्य (२) असंख्य वि० [सं.] अगणित
मूळतत्त्व ; सार (३) जड़; मूळ असंगत वि० [सं.] अजगतं; अनचित असली वि० असल;खरं (२) मूळ ; मुख्य असंतोष पुं० [सं.] अतृप्ति (२) (३) शुद्ध; निर्भेळ अप्रसन्नता .
असवार पुं० सवार. -री स्त्री० सवारी असंभव वि० [सं.] अशक्य ; 'नामुमकिन' असह वि० असह्य असंभावना स्त्री० [सं.] असंभव असहयोग पुं० असहकार अस वि० (प.) आवं; आ प्रकारचें. असही वि० अदेखु ; ईर्षाळु (२) समान; तुल्य
असाच वि० असत्य'; मिथ्या असकताना अ.क्रि० आळस करवं; असा पुं० [अ.] सोटो; दंडो आळसी जवू
असाढ़ पुं० [सं. आषाढ़] अषाढ़ मास असकन्ना पुं० तलवारनु म्यान अंदरथी असाढ़ी वि० अष.ढनुं (२) स्त्री०
स.फ करवान लोढा- एक ओजार . . अषाढी पाक (३) अषाढी पूनम असगंध पुं० एक औषधि; अश्वगंधा असाध्य वि० [सं.] न थई शके एवं;. असगुन पुं०. अपशुकन
कठण (२) न मटी शके एवो (रोग) असत् वि० [सं.] बूरं; खराब (२) असामी पुं० [अ. आसामी] आसामी; जूटुं (३) असाधु
व्यक्ति (२) देणदार (३) साथियो
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असारं
अहंवाद (४)अपराधी (५) स्त्रा० वेश्या; अस्तबल पुं० [अ.] तबेलो; घोडाशाल रखात (६) नोकरी; जगा अस्तर पुं० [फा.] नीचेनुं पड के थर असार वि० [सं.] सार वगरनुं (२) (२) कपडान अस्तर खाली (३) तुच्छ
अस्तरकारी स्त्री० [फा.] चूनाथी धोळवू असालत स्त्री० [अ.] कुलीनता(२)पत्य के प्लास्टर करवं ते असालतन् अ० [अ.] स्वयं ; खुद अस्तव्यस्त वि० रफेदफे; आडाअवळी असावधानी स्त्रो० सावधान न होवू . अस्ति स्त्री०,०त्व पुं० हस्ती; हयाती ते; गाफैली
अस्तु अ० [सं.] ठीक; भले [बूराई असावरी स्त्री० आशावरी राग
अस्तुती स्त्री० स्तुति (२) [सं.] निंदा; असास पुं० [अ.] जड ; पायो; मूळ
अस्तुरा पुं० [फा. अस्तरो असासा पुं॰ [अ] असबाब; माल; संपत्ति ।
अस्तेय प सं.] चोरी न' करवी ते; असि स्त्री० [सं.] तलवार
पांचमांनो एक यम असित वि० [सं.] काळु (२) खराब; अस्त्र पुं०[सं.] फेंकवा, शस्त्र (२) बंदूक बूर (३) वांकुं
के ढाल जे हथियार (३) नस्तर असिस्टंट वि० [इ.] मददनीश; सहायक
अस्त्रचिकित्सा स्त्री० [सं.] वाढकापर्नु असी स्त्री० [सं.] एक नदी जे काशी वैदक पासे गंगाने मळे छ
अस्त्रवेद पुं० [सं.] धनुषविद्या असीम वि० [सं.] अपार; बेहंद . अस्त्री पुं० अस्त्रधारी, सशस्त्र माणस असीर पुं० [फा.] केदो
अस्थि स्त्री० [सं.] हाडकुं, असील वि० [अ.] खानदान (२) सुशील अस्थिर वि० [सं.] डगमगतुं ; चंचळ ; असीस स्त्री० (प.) आशिष
अनिश्चित (२) (प.) स्थिर असीसना सक्रि० आशिष देवी . . अस्ता पुं० (अ.) वचगाळानो समय; असु पुं० (प.) अश्व (२) अ० आशु; शीघ्र (३) [सं.]प्राण
अस्नान पुं० (पः) स्नान असुबि(-वि)धां स्त्री० अगवड अस्प पुं० [फा.] अश्व . असुर पुं० [सं.] राक्षस
अस्पताल पुं० इस्पिताल ; दवाखानु असूझ वि० अन्धकारमय (२) अपार । अस्पंज पुं० [इं. स्पंज] वादळी (३) विकट; कठण
अस्मत स्त्री० [अ.] पापभीरता (२) असूया स्त्री० [सं.] ईर्षा; दाझ स्त्रीतुं पातिव्रत्य, शियळ । असूल पुं० जुओ ' उसूल ' तथा 'वसूल' अस्मिता स्त्री० [सं.] अहंकार; हुंपणुं असेसर पुं० [इ.] एसेसर
अस्वस्थ वि० [सं.] बेचेन (२) बीमार असोज 'पुं० [सं. अश्वयुज] आसो मास अस्सी वि० ८० ; अॅसी कार; गर्व अस्त वि० [सं.] आथमेलु (२) पुं० अहं, कार पुं०, ०ता स्त्री० [सं.] अहंलोप; अदृश्य थर्बु ते
अहंवाद पुं० [सं.] शेखी; पतराजी .
दरमियान
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अह
अह अ० आह ! (२) पुं० दिवस अहक स्त्री० (प.) इच्छा अहकना अ० क्रि० प्रबल इच्छा करवी अहकर वि० [अ.] अति तुच्छ अहकाम पुं० [अ. 'हुक्म 'नुं ब० व०] आज्ञाओ; हुकमो
अहतमाल पुं० [अ.] भय; आशंका अहद पुं० [अ.] वायदो; करार ( २ ) सुलेह (३) (राज्यनो) समय अहदनामा पुं० [फा.] करारनामुं ( २ ) सुलेहनामुं .'
अहदी वि० [ अ ] आळसु (२) नवरुं; नका (३) पुं० अकबरना समयनो एक सिपाही जेने बोलावे त्यारे ज कामे आवे, बाकी बेठो रहेतो ते अहना अ० क्रि० [ सं . अस्] होवु (आनां 'अ'हैं,' 'अ'हा' ए ज रूपो मळे छे) अनिस अ० ( प. ) अहोरात; रातदिवस अहम वि० [अ०] खास महत्त्वनुं; बहु जरूरी
"
अहम वि० [अ०] बेवकूफ; मूर्ख अहमियत स्त्री० [ अ ] महत्त्व अहमेव पुं० अहंकार; घमंड अहरन स्त्री० [ सं . आधरण] एरण अंहरा पुं० [पं. आहरण] जेरणांनो ढग . के तेनी आग (२) पाणीनो मोटो
जमाव ज्यांथी खेतरोमां पाणी लेवाय अहरी. स्त्री० परब ( २ ) होज के पाणीती कुंडी
अहल पुं० [अ.] व्यक्ति; जण (२)मालिक (३) लोक ( ४ ) वि० लायक; योग्य; शक्तिवाळ
अहलकार पुं० [फा.] काम करनार; गुमास्तो; नोकर
३६
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अहेतुक
अहलमद पुं० [फा.] अदालतनो एक
अमलदार
अहवाल पुं० ब० व० [ अ ] हेवाल; समाचार ( २ ) दशा; हालत ( 'हाल' नुं ० ब० व० ) [ उपकार अहसान पुं० [ अ ] अहेसान; आभार; अहसानन्द वि० [फा.] आभारी अहाता पुं० [अ.] वाडो (२) चारे तरफनी वाड के दीवाल
अहार पुं० ( प. ) आहार; खोराक अहारना स०क्रि० ( प. ) आहार करवो (२) चोटाडवं (३) कपडामां आर नाखवो
अहाली - मवाली पुं० ब० व० साथीओ तथा नोकर-चाकर लोक अहाहा अ० हर्षनो उद्गार अहिंसा स्त्री० [सं.] कोअी जीवने न मारबुं के पीडवुं ते अल वि० [सं.] अहिंसक [धूर्त अहि पुं० [ सं . ] साप ( २ ) रा ( ३ ) खल; अहित पुं० [ सं . ] हानि; नुकसान (२) वि० शत्रु' वेरी ( ३ ) हानिकारक अहिनी स्त्री० [ सं . अहि ] सापण अहिफेन पुं० [सं.] अफीण (२) सापनी लाळ
अहिवात स्त्री० हेवातण; स्त्रीनं सौभाग्य अहिवाती वि० स्त्री० सौभाग्यवती; सधवा अहीर पुं० [ सं . ] ( स्त्री० - रिन ) आहीर; गोवाळ
अहटना अ० क्रि० ( प. ) हठबुं; दूर खसवुं [भगावनुं अहुटाना स० क्रि० ( प. ) हठाववुं; अहेतु, oक वि० [सं.] विना कारण
•
(२) व्यर्थ
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अहेर
अहेर पुं० [ सं . आखेट] शिकार के तेनो भोग थार प्राणी
अहेरी पुं० शिकारी ( ते जातनी के शिकार करनारो माणस ) अहोर - बहोर अ० फरी फरी; वारंवार
३७
आ
आँक पुं० अंक (२) चिह्न (३) अंश; भाग
आँकड़ा पुं०आँकड़ो; संख्या आँकना स०क्रि० आंकवु; परीक्षा करवी आँकर वि० [सं. आकर ] ऊंड (२) घणुं . ( ३ ) [ सं . अय्य] मोधुं आँकु पुं० अंकुश आँकू पुं० आंकनारो
आँख स्त्री० आंख (२) दृष्टि; नजर; ध्यान (३) विचार; विवेक (४) परख; पिछान ( ५ ) कृपादृष्टि ( ६ ) संतान ; बालक. -आना या उठना = आंख आववी. -उठाना = जो बुं; ताकबुं (२)बूरं ताकवु. -उलट जाना = ( मरती वखते) आंखनी पुतळीओ ऊंचे चडी जवी. - खुलना = आंख ऊघडवी (२) भ्रम टळवो; समजवं. -गड़ना = आंख दुखवी (२) टक टक ताक (३) इच्छाथी आंख चोटवी. आँखें चार करना, चार आँखें करना
=
आंख सामे आववुं . - आँखें चुराना या छिपाना = आंख आडी करवी; सामे न जोवुं आँखें डबडबाना = अ० क्रि० आंखमां आंसु आववां.
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आँच
अहोरा - बहोरा पुं० विवाहनी एक रीत (जेमा कन्या सासरे जई ते ज दहाडे पाछी पियर आवे छे ) (२) अ० ( प. ) वारंवार
= आंख
बचाना =
(२) आंखमां आंसु लाववां. - निकालना काढवी. सामे न आव; कतरावु. आँखें बिछाना = प्रेमथी स्वागत करवुं (२) वाट जोवी. - भर देखना = बरोबर जोवुं. - मारना : आंखो मारवी; इशारो करवो. - मँ चरबी छाना = गर्वथी छकी जवं. आँखों में फिरना=ध्यान पर चडवुं; याद रहेवु. आँखोंमें रात काटना- कष्ट के चिंताथी रात जागवुं. लगना - ऊंघथी आँख मळवी. ( किसीसे ) आँख लगना - प्रेम थवो. - लड़ना - प्रेम थवो. - सेंकना - नेत्रसुख लेवुं - होना =परख होवी; समज के विवेक होवो. आँखड़ी स्त्री० आँख आँखफोड़ टिड्डा पुं० एक लीलुं जीवडुं (२) कृतघ्न आँखमिचौली, आँखमीचली स्त्री० संताकूकडीनी रमत
आँगन पुं० आंगणुं; घरनो चोक आँगी स्त्री० जुओ 'अंगिया' आँधी स्त्री० बारीक कपडे मढ़ेली चाळणी आँच स्त्री० [ सं . अर्चिस् ] आंच; गरमी (२) आग (३) तेज (४) आघात ;
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३८
आंचल
आकलन चोट (५) हानि; अनिष्ट (६)विपत; आंवला पुं० [सं. आमलक आमळू संकट (७) प्रेम; महोबत
आंवलोहू पुं० आमनो रोग; मरडो आंचल पुं० अंचल ; छेडो; पालव; आवां पुं० जुओ 'अवाँ' 'अंचरा' (२) जुओ 'अँचला' आंशिक वि० [सं.] अंशवाळु; कांईक भांजना स०क्रि० आंजवू; अंजन लगावq. (पूरु नहि) .
छि आँट स्त्री० अंगूठा ने तर्जनी वच्चेनो
आंसी स्त्री० मीठाई,जे मित्रोमां वहेंचाय हथेळीनो भाग (२)वेर (३) ओटी; आँसू पुं० आंसु.-गिराना, ढालना रडवू. गांठ (४) गठ्ठो ; पूळो (५) दाव; जोग -पीकर रह जाना-मनमां ने मनमांज आंटना अ० क्रि० जुओ 'अँटना' दुःख शमावी लेवू आँट-साँट स्त्री० दावपेच; प्रपंच आँहड़ पुं० वासण आँटी स्त्री० आंटी (२) ओटी (३) आँहां अ० आंहां, 'ना' देखाडतो उद्गार सूतरनी आंटी (४) गिल्ली . आइ स्त्री० (प.) आयु; उमर आँठी [सं. अष्टि; प्रा. अट्टि] दही, कफ आइंदा वि० [फा.] आवनारुं; आगंतुक इ० नो लोचो (२) गांठ (३)गोटली (२)पुं० भविष्य (३) अ० आगळ; आंत स्त्री०आंतरडुं.-उतरना आंतरडुं भविष्यमां; हवे पछी ढीलुं पडी नीचे ऊतरवाथी एक रोग आई स्त्री० [हिं. आना]मृत्यु(२) आना' नुं थवो. आँतोंका बल खुलना=धरावं. भूतकाळ स्त्री० रूप (३) जुओ 'आई'
आँते कुलकुलाना या सूखना-भूखनी आईन पुं० [फा.] नियम; कायदो पीडा थवी. आंतें गलेमें आना-खूब आईना पुं० [फा.]आयनो; आरसी.-होना श्रम पडवो; आंतरडा ऊंचा चडी जवां । =स्पष्ट होवू. आईनेमें मुंह देखनाआँदू पुं० [सं. अंद] बेडी; बंधन
पोतानी लायकात विचारवी-जोवी आंदोलन पुं० [सं.]. हिलचाल
आईनी वि० [फा.कानूनी कायदाने लगतुं आंधरा वि० आंधळं
- आक, आकड़ा पुं० आकडो । आँधी स्त्री० आंधी; जोरथी हवा वाई. आकन पुं० खेडेला खेतरमांथी बहार धूळ धूळ थई जवी ते;सखत वावाझोडु फेंकेल घास झांखरां इ० (२) वि० आंधी जेवू तेज
आक बत स्त्री० [अ.] सांपराय; मरण आंब पुं० आंबो के केरी हळदर पछीनी अवस्था; परलोक आंबाहलदी स्त्री० 'आमाहलदी'; आंबा
आकर पुं० [सं.] भंडार (२) खाण आँयबाय स्त्री० 'अंडवंड'; नकामी वात। आकरिक पुं० [सं.] खाणियो; खाणआंव पुं० आम; काचो मळ
काम करनार आँवठ पुं० धार; किनार
आकरी स्त्री० खाण, काम आँवड़ा वि० (प.) ऊंडु
आकर्षण पुं० [सं.] खेंचाण आंवल पुं० गर्भनी ओर
आकलन पुं० [सं.] संग्रह (२) गणतरी आँवल-नाल स्त्री० जन्मेला बालकनों नाळ (३) ग्रहण कर, के तपास, ते
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आकला
आगरी आफला वि० (स्त्री० -ली) आकळं आखिरी वि० [फा.] आखरी; अंतिम आकली स्त्री०आकुळता; व्यग्रता; बेचेनी आख पुं० [सं.] उंदर आकस्मिक वि० ओचितुं; अणधार्यु आखेट पुं० [सं.] शिकार आकांक्षा स्त्री० [सं.] इच्छा
आखेटक पुं० शिकार (२)वि०शिकारी आकांक्षी वि० [सं.] इच्छुक
आखेटी पुं० शिकारी आका पुं० [सं. आकाय] भठ्ठी; चूलो आखोट पुं० [सं.. अक्षोट] अखरोट आता पुं० [अ.] मालिक; धनवान; शेठ आखोर पुं० [फा.] ओगाट (२)नकामी आकार पुं० [सं.] घाट; स्वरूप (२) रद्दी वस्तु (३) वि० नकामुं; रद्दी बनावट (३) निशानी [अबरख आख्ता वि० जुओ 'आखता' आकाश पुं० [सं.] गगन; आसमान (२) आख्या स्त्री० [सं.] ख्याति (२)व्याख्या आकाशबेल स्त्री० अंतरवेल [मंडप.. आख्यात वि० [सं.] कहेलं (२) विख्यात आकाशी स्त्री० छांयो करवा बांधेलो . आख्यान पुं० [सं.] वर्णन (२) कथा आकिल वि० [अ] बुद्धिमान; अकलमन्द आख्यायिका स्त्री० [सं.] कथा; वार्ता आकीर्ण वि० [सं.] व्यापेलं; भरेलुं आग स्त्री० आग; ताप. -होना, आकुंचन पुं० [सं.] संकडावं ते
.-बबूला (बगूला) होना या बनना आकुंठन पुं० [सं.] शरम; लज्जा क्रोधमां आवी जवं. आकुल, -लित वि० [सं.] व्याकुळ ; आगत-स्वागत पुं० आगता-स्वागता
गभरायेलु (२) व्यापेलं तेनो भाव आगमपुं० [सं.]आगमन (२) भविष्यकाळ आकृति स्त्री० [सं.] आकार (२)मों के (३) बननारी वात (४)वेद; शास्त्र (५) आक्रमण पुं० [सं.] हल्लो; चडाई (२)
वि०आगामी. -करना-उपाय करवो. आक्षेप; निंदा
-बाँधना=आवनारी वात नक्की करवी आक्षेप पुं० [सं.]आरोप; आळ (२)व्यंग आगमजा (-जा)नी वि० भविष्यवेत्ता आखत पुं० अक्षत - चोखा . आगमना पुं० [सं.आगमन]आगळ जनारी आखता वि० [फा. खसी करेलो सेना (२)पूर्व दिशा(३)वि०(स्त्री०-नी)
(अंडकोश काढी नाखेलो) घोडो आगमनार-आगळ झूकनार; साहसिक •आखर पुं० (प.) अक्षर
आगमवाणी स्त्री० भविष्यवाणी आखा पुं० जुओ 'आँधी' (२) वि० आगम-सोच(-ची) वि० अगमचेतीवाळं; [सं. अक्षय आखं; पूरु।
आगळy विचारनार; दूरदर्शी आखातीज स्त्री० अखात्रीज
आगमी पुं० जोषी; भविष्य जोनार आखिर वि० [फा.] अंतिम (२) पुं० आगर पुं० [सं.आकर]खाण(२)डग ढेर(३)
आखर; अंत (३) अ० अंते; आखरे - निधि (४) मीठानो अगर (५)[सं. आखिरकार अ० [फा. आखरे; अंते आगार घर (६)छाज; छापरु (७) आखिरत स्त्री० [अ.] मरणदिन (२) वि० [सं. अग्र] श्रेष्ठ (८) दक्ष ; चतुर कयामत (३) परलोक
आगरी पुं० अगरियो
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आगल
आगल पुं० [सं. अर्गल ] आगळो (२) वि० आगलुं ( ३ ) अ० आगळ; अगाउ आग्रा पुं० [तुर्की] शेठ; आका; मालिक ' आगा पुं० कोई वस्तुनो आगलो भाग (२) छाती (३) मोढुं (४) कपाळ; मायुं (५) अंगरखानो आगळनो भाग आगाज पुं० [फा.] प्रारम्भ; शरूआत आगापीछा पुं० दुविधा; आनाकानी (२) परिणाम
आगार पुं० घर (२) खजानो; भंडार आगाह वि० [फा.] वाकेफ
आगाही स्त्री० [फा.] जाण; खबर आगिल ( - ला ) वि० ( प. ) आगळनं आगलुं ( २ ) भविष्यनुं
आगे अ० 'आगळ' जेवा बधा अर्थमां प्रयोग थाय छे
आग़ोश स्त्री० [फा.] गोद; खोळो आग्नेय वि० [सं.] अग्नि संबंधी ( २ ) पुं० सोनुं
४०
आग्रह पुं० [सं.] जोर करीने के खूब कहेवुं ते; अनुरोध (२) हठ के भारपूर्वक कांई कर्तुं ते [आक्रमण आघात पुं० [ सं . ] धक्को ( २ ) प्रहार; आचरण पुं० [सं.] वर्ताव; आचरवुं ते
(२) लक्षण; चिह्न (३) रथ आचरना स० क्रि० आचरबुं; वर्तवुं आचार पुं० [फा.] जुओ 'अचार ' (२) [सं.] आचरण; चालचलगत आचारजी स्त्री० गोरपदुं आचारी वि० आचारवान ( २ ) पुं० रामानुजी वैष्णव
आज अ० आजे (२) हमणां आजकल अ० आजकाल ; आ दिवसोमां.
—
• लगना = मरण पासे आवबुं
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आडंबर
आजमंद वि० [फा.] लालचु; लोभी आजम वि० [अ. अअज़म] बहु मोटु; महान; मुख्य
आजमा वि० [फा.] अजमावी जोनार; परीक्षक . [ कसोटी आजमाइश स्त्री० [फा.] अजमायश; आज़मानां स०क्रि० अजमाववुं; पारखवं आजमूदा वि० [फा.] अजमावेलुं आजा पुं० [ सं. आर्य ] ( स्त्री० - जी ) बापना बाप दादा
आजाद वि० [फा.] आझाद; स्वतन्त्र (२) बेफिकर (३) नीडर ( ४ ). स्पष्टवक्ता (५) उद्धत आजादगी, आज़ादी स्त्री० आझादी आजार पुं० [फा.] आजार; रोग ( २ ) दुःख ; तकलीफ
आजिज वि० [ अ ] दीन; नम्र ( २ ) सपडालु; सपटामणमां आवेलुं आजिजी स्त्री० [अ.] दीनता आजीविका स्त्री० [सं.] निर्वाह; वृत्ति आजुर्दगी स्त्री० [फा.] दुःख; खेद आजुर्दा वि० [फा.] खिन्न ; दुःखी आज्ञा स्त्री० [सं.] आज्ञा; हुकम (२) मंजूरी; अनुमति
आज्ञापन पुं० [सं.] जाहेर करवुं ते; सूचन आटना स० क्रि० दबाववु; ढांकी नाखवु आटा पुं० आटो; लोट (२) भूको आटे दालका भाव मालूम होना = संसारव्यवहारनी गम हौवी
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·
आठ वि० आठ; ८. आठ-आठ आँसू रोना = खूब रोवं. आठों गाँठ कुम्मैत= सर्व वाते संपूर्ण (२) चतुर (३) धूर्त आडंबर पुं० [सं.] मोटो आवाज (२) ढोंग; दंभ; देखाव; उपरनी टापटीप (३) तंबु (४) एक मोटुं ढोल
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०४
आडंबरी
आवर माउंबरी वि० ढोंगी; दंभी
आतश-दान पुं० [फा. सगडी [पारसी आड़ स्त्री०आड; पडदो(२)रक्षण आशरो आतश-परस्त पुं० [फा.] अग्निपूजक; (३) रोकाण; प्रतिबंध (४) पियळ; आतशी वि० आतस-अग्नि संबंधी आडं तिलक (५)पुं० वींछीनो डंख (२) तापथी न फूटे एवं (काच) आड़न स्त्री० ढाल
आतिथ्य पुं० [सं.]परोणागत;महेमानगीरी आड़ना स० क्रि० रोकवू (२) मनां आतिश स्त्री०आतस; आग (२)गुस्सो करवी (३) आडमां मूक; गीरवq। आतिशबाजी स्त्री० आग साथे खेलq आड़ा वि० आडु; वाकुं; वच्चे आवतुं. ते (२) आतसबाजी; दारूखानुं आड़े आना-आडा आवQ;रोकवू; वच्चे आतुर वि० [सं.] अधीरु; व्यग्र ; बेचेन; पडवू. आड़े हाथों लेना-व्यंगोक्तिथी गभरायेलु (२) दुःखी (३) रोगी (४) कोईने शरमावर्बु
अ० जलदी . [(२) उतावळ आड़ी स्त्री० तबलां मृदंग वगाडवानी आतुरता,आतुरी स्त्री अधीराई;गभराट एक ढब (२) करवती; आरी (३) आत्मघात पुं० [सं.] आपघात पुं० ओथ देनार; रक्षक
आत्मज पुं० [सं.] पुत्र (२) कामदेव आड़ पुं० एक खटमधुरुं फळ ; 'पीच' आत्मज्ञान पुं० [सं.]आत्मानो साक्षात्कार आढ़ पुं० स्त्री० आड; ओथ (२)अंतर; आत्मत्याग पुं० [सं.] स्वार्थनो त्याग
आंतरो. - आढ़ करना= आजकाल आत्मनिवेदन पुं० [सं.] सर्वस्व अर्पण करवू; ढील करवी; टाळवू .. करवू ते (२)नवधाभक्तिनो एक प्रकार आढ़क पं० चार शेरनुं माप के मापियुं आत्मसात् अ० [सं.] एकरूप; पोता आढ़त स्त्री० आडत के तेनो माल रहेतो. जेवू होय एम होय ए स्थान
आत्मा स्त्री० [सं.] आत्मा मानसिक आढ़तिया पुं० आडतियो; 'अढ़तिया' आत्मिक वि० [सं.] आत्मा संबंधी (२) आढच वि० [सं.] संयुक्त; -वाळू आत्मीय वि० [सं.] पोता, (२) पुं० आतंक मुं० [सं.] भय (२) रोग सगुंसंबंधी आतंकवाद पुं० [सं.] त्रासवाद
आत्यंतिक वि० [सं.] अतिशय आततायी पुं० [सं.] अत्याचारी; पापी आथना अ०क्रि० (प.) होवू आतप पुं० [सं.] ताप; गरमी (२) ताव आदत स्त्री० [अ.]स्वभाव; प्रकृति(२)टेव आतपी पुं० [सं.] सूर्य
आदतन् अ० [अ.] आदतने लईने; आतमा स्त्री० आत्मा
स्वभावतः [आदमी; माणस आत (-ति)श स्त्री० [फा.आतंस;अग्नि आदमजाद पुं० आदमनुं संतान; आतशक पं[फा.चांदी गरमी उपदंशनो आदमियत स्त्री० [अ] मनुष्यत्व:माणसाई रोग
आदमी पुं० [अ.] माणस (२) नोकर; आतशकी वि० चांदीनुं रोगी सेवक. -बनना-सभ्यता शीखवी . आतश-खाना पुं० पारसीनी अगियारी आदर पुं० [सं.] सन्मान; आबरू
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आदान-प्रदान
नियम
आदान-प्रदान पुं० [सं.] आपले ; लेवं देवं ते आदाब पुं० [अ. 'अदब' नुं ब०व०] (२) अदब मर्यादा ( ३ ) नमस्कार; सलाम. - अर्ज करना=प्रणाम करवा. - व - अल्काब = अदब अने विवेकनां विशेषणोनी भाषा, जेवी के पत्रमां वपराय छे
आदि पुं० [सं.] प्रारंभ. (२) परमेश्वर (३) वि० प्रथम; शरूनुं (४) अ० वगेरे आदित्य पुं० [सं.] सूर्य आदिम वि० [सं.] आदि; पहेलुं आदिल वि० [फा.] अदल; न्यायी आदी वि० [अ०] आदतवाळु; टेव पडेलुं आदेश पुं० [ सं . ] आज्ञा (२) उपदेश (३) ( साधुओमां) नमस्कार आद्य वि० [सं.] पहेलुं आद्यन्त, आद्योपान्त वि० [सं.] आदिथी अंत सुधीनुं; पूरेपूरुं
आद्रा स्त्री० आर्द्रा नक्षत्र आप वि० अर्धं (बहुधा समासमा ) आधा वि० [स्त्री० -धी] अर्ध. - तीतर आधा बटेर = दोदश; रफेदफे - होना =अर्धं थई जवुं; दुबळं थवं. आधी बात जरा पण घसाती, अपमानकारी वात. आघोआध = अर्धोअर्ध -आधा पुं० [सं.] स्थापवुं ते (२) गर्भ आधार पुं० [सं.] आशरो; टेको; आलंबन (२) पायो
आधारी वि० आधारवाळं (२) स्त्री० (?) साधुओ टेका माटे अमुक लाकडी राखी बेसे छे ते आधासीसी स्त्री० आधाशीशी आधि स्त्री० [ सं . ] चिंता; फिकर ( २ ) गीरो आधुनिक वि० [सं.] वर्तमान; हालनुं आध्यात्मिक वि० [सं.] आत्मा संबंधी
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आपसदारी
आनंद - बधाई स्त्री० मंगळ उत्सव के प्रसंग आनंद-बन पुं० काशी नगरी आन स्त्री० [सं. आणि = सीमा ] मर्यादा (२) सोगन (३) आण (४) ढंग; रीत; क्षण; जरा वार (५) प्रतिज्ञा; टेक (६) अदब मर्यादा की आनमें झटपट आनक पुं० [सं.] नगारुं; दुंदुभी ( २ ) गरजतुं वादळ
आनन-फानन अ० [अ] झटपट आनना स० क्रि० आणवु लाववुं आन-बान स्त्री० ठाठमाठ
उपनयन
=
आनयन पुं० [सं.] लावबुं ते ( २ ) जनोई ; [अवैतनिक आनरेरी वि० [इं.]' ऑनररी'; मानद; आना पुं० आनो (२) अ० क्रि० आवबुं (३) आवडवु. आ धमकना, निकलना =अचानक आवी पहोंचवं. आया गया अतिथि. आये दिन प्रतिदिन आ रहना पडी जवं. आ लगना पहोंचवुं (२) आरम्भ थवो; बेसवु. आ लेनापकडी लेवुं (२) आक्रमण कर आनाकानी स्त्री० ध्यान पर न लेवुं ते (२) वात टाळवी ते ( ३ ) कानफूसियां करवां ते (४) आनाकानी • आप सर्व० स्वयं; खुद (त्रणे पुरुषमां )(२) 'तमे' के 'ते' ने स्थाने आदर-वाचक उपयोग थाय छे
आपत्ति स्त्री० [ सं . ] दुःख, पीडा (२) वांघो; अडचण (३) दोषारोपण आपद, - दा स्त्री० [सं.] आफत ; पीडा आपस स्त्री० संबंध; भाईंचारो (छठ्ठी सातमी विभक्तिमा प्रायः वपराय छे ) आपसदारी स्त्री० परस्पर व्यवहार; भाईचारो
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४३
आबला
मापसमें आपसमें अ० परस्पर; अंदरअंदर आपा पुं० पोतानुं अस्तित्व (२) अस्मिता; - अहंकार (३) सुधबुध; भान (४)स्त्री०
मोटी बहेन (मुसलमानोमां) आपात पुं० [सं.] पतन (२) अचानक थर्बु ते (३) आरंभ (४) अंत । आपाततः अ० [सं.] अचानक ; अकस्मात् (२) आखरे आपाधापी स्त्री० पोतपोतानी चिंता के कामनुं ध्यान (२) खेंचताण आपापंथी वि० मनस्वी; कुपंथी आपुस पुं०, जुओ 'आपस' आप्त वि० [सं.] प्राप्त (२)कुशळ (३) विश्वासपात्र; प्रमाण गणाय एवं आनत स्त्री० [अ.] आपत्ति; कष्ट; मुसीबत. -उठाना दुःख सहवं. -का परकाला-होशियार (२) आकाश पाताळ एक करनार; भारे उद्योगी (३) उधमातियु; उपद्रवी. -ढाना
उधमात, दंगो मचाववो (२) तकलीफ-दुःख देवं. -मचाना-उधमात
मचाववो(२)उतावळ करवी.-लाना ५. %पीडा के झंझट ऊभी करवी आफताब पुं० [फा.] सूरज आफ़ताबा पुं० [फा.](पाणी गरम करवानु) एक प्रकारनुं वासण आफ़ताबी स्त्री० [फा. मोटुं छत्र (२) दारूखानानी एक जात (३)घर सामेनी नानी ओसरी (४) वि० गोळ (५) सूर्यने लगतुं आफ़रीन अ० [फा. शाबाश; वाह आफ़ाक़ पुं० [अ.] दुनिया; संसार आफ़ियत स्त्री० [अ.] क्षेमकुशळ आफिस पुं० [इ.] ऑफिस; कार्यालय
आफू स्त्री० अफीण आब स्त्री० [फा.] चमक; कांति (२) शोभा (३) पुं० पाणी आबकारी स्त्री० [फा.] शराब गाळवानी
के वेचवानी जगा (२)मादक पदार्थो __ बाबतनुं सरकारी खातुं आबखोरा पुं० [फा.] प्यालो; कटोरो आबखोरे भरना = मानता मानवी आबगीना पुं० [फा. आयनो (२) हीरो आबगीर पुं० [फा.] तळाव(२)वणकरनो कूचडो आबजोश पुं० [फा.] मुनक्का जेवी एक द्राक्ष (२) सूप; सेरवो (३) पाणी ऊकळवू ते . [(२)शोभा आब-ताब स्त्री० [फा.] चमक; रोनक आबदस्त पुं० [फा.] जाजरूमां लई जवानुं
पाणी के ते वापरतुं ते. -लेना-शौच __ जईने धोवू आबदाना पुं० [फा.] अन्नजल ; निर्वाह. - उठना = अन्नजळ ऊठवू आबदार वि० [फा. चमकदार; पाणीदार आबदारी स्त्री० [फा.] चमक; कांति आबदीदा वि० [फा.] अश्रुपूर्ण आबनाए स्त्री० [फा.] सामुद्रधुनी आबनूस पुं० [फा.] अबनूस ; सीसम जेवू एक काळ लाकडु; 'एबनी'.-का कुन्दा =सीसमनो ककडो; अति काळू माणस आबनूसी वि० अबनूस जेवू के तेनुं बनेलं आबपाशी स्त्री० [फो.] (खेतरमा) पाणी पावू ते; पाण .. आबरवां स्त्री० [फा.] एक जात, बारीक मलमलने कपडं (२) पुं० वहेतुं पाणी आबरू स्त्री० [फा.] आबरू; इज्जत आबला पुं० [फा.] छालं; फोल्लो. -पड़ना=फोल्लो पडवो .
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आबशार
आबशार पुं० [फा.] झरणुं ( २ ) घोध हवा स्त्री० [फा.] आबोहवा हवापाणी आबा पुं० ब०व० [अ०] बापदादा; वडवा. -व-इजदाद = बापदादाओ
आबाद वि० [फा.] वसेलुं वस्ती वाडी वगेरे वाळं; समृद्ध [के जमीनदार आबादकार पुं० एक प्रकारनो खातेदार आबादान वि० ' आबाद' जुओ आबादानी स्त्री० ' आबादी' जुओ आबादी स्त्री० [फा.] वस्ती; जनसंख्या ( २ ) वसवाटनी जगा
आबिद पुं० [ अ ] इबादत करनार ; भक्त आबी वि० [फा.] पाणीनुं (२) फीकुं आछा रंग (३) पुं० दरियानुं मीठं आबेरवाँ पुं० [फा.] जुओ 'आबरवाँ' आबेबक़ा, आबेहयात पुं० [फा.] अमृत आब्दिक वि० [सं.] वार्षिक आभ स्त्री० आभा; शोभा ( २ ) पुं० आब पाणी (३) अभ्रं ; आकाश आभरण ( - ) पुं० [सं.] आभूषण (२) भरण-पोषण [ प्रतिबिंब आभा स्त्री० [सं.] कांति; तेज (२) आभार पुं० [सं.] बोजो; भार (२) गृहस्थजीवननो भार (३) आभार; उपकार आभारी वि० [सं.] आभार के उपकार माननारं; आभार तळे आवेलुं आभीर पुं० [सं.] आहीर; गोवाळ (2) एक छंद के राग
/
आभूषण पुं० [सं.] घरेणुं [भीतरनुं आभ्यन्तर - रिक वि० [सं.] अंदरनुं आमंत्रण पुं० [ सं . ] नोतरु. आमंत्रित वि० [सं.] नोतरेलुं आम पुं० [ सं . आम्र] आंबो के केरी (२) आम; जळस (३) वि० [अ.]
૪૪
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आमी
सामान्य; मामूली (४) जाणीतुं ; प्रसिद्ध
( वस्तुनी साथै वपराय छे ) आमखास पुं० दीवाने आम
राजानी खास बेठक;
आमद स्त्री० [फा.] आववुं ते (२) आवक आमदनी स्त्री० [फा.] आमदानी; आवक (२) आयात; परदेशथी आवतो माल
आमन स्त्री० शियाळु पाक (२) एक ज पाक देती जमीन आमनस्य पुं० [सं.] वैमनस्य आमना-सामना पुं० सामासामी आवी जवुं ते; बाझंबाझा
आमने-सामने अ० आमन-सामन; एकबीजानी सामे; मांहोमांहे
आमफहम वि० [अ. +फा.] आमजनताने समजाय एवं; सरळ आमय पुं० [सं.] रोग; बीमारी आमरख पुं० जुओ 'अमरख'; अमर्षः क्रोध आमलक, आमला पुं० 'आँवला'; आमळु आमादगी स्त्री० [फा.] तैयारी आमादा वि० [फा.] तैयार; तत्पर आमाल पुं० [ अ ] करणी; कर्म आमाल-नामा पुं० [अ.] नोकरनी 'सर्विस - बुक', तेनी लायकात, काम इ०नुं रजिस्टर आमास पुं० [फा.] सोजो आमाहलदी स्त्री० जुओ 'आँबाहलदी ' आमिख पुं० जुओ 'आमिष' आमिल पुं० [ अ ] नोकर; गुमांस्तो
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(२) सिद्ध पुरुष
आमिष पुं० [सं.] मांस ( २ ) प्रिय; भोग्य वस्तु ( ३ ) लोभ; लालच आमी स्त्री० नानी केरी; मरवो
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आमीन
आमीन अ० [ अ ] तथास्तु आमुख पुं० [सं.] प्रस्तावना आमूदा वि० [फा.] सजेलं; ठीकठाक करी गोठवेलुं
आमेज वि० [फा.] मिश्रित ( प्रायः समासमां. उदा० दर्द - आमेज़) आमेजिश स्त्री० [फा.] मिलावट; मिश्रण; भेळ
आमोख्ता पुं० [फा.] तैयार करेंलो पाठ के लेसन. - करना या पढ़ना= जूनो पाठ फरी करी जवो आमोद पुं० [सं.] आनन्द; मनोरंजन आमोद-प्रमोद पुं० [सं.] मजा; मनोरंजन आमोदी वि० आनंदी
आम्र पुं० [सं.] आंबो के केरी आयँबायँ पुं० जुओ 'आँयाबाँय' आय स्त्री० [ सं . ] आय; आवरो; आमदानी आयत स्त्री० [अ.] निशानी ( २ ) कुराननी आयात (३) वि० [सं.] चोडुं; विशाळ
आयद वि० [ अ ] आरोपित आय - व्यय पुं० [सं.] आवक अने खर्च आयस पुं० [सं.] लोढुं (२) बखतर आयसी वि० लोखंडी (२) पुं० बखतर आयसु स्त्री० ( प. ) आदेश; आज्ञा आया स्त्री० आया (२) अ० [फा.] प्रश्नार्थक 'शुं '
आयात पुं० [सं.] परदेशथी थती आयात आयास पुं० [सं.] प्रयास; प्रयत्न आयु स्त्री० उमर; आयुष आयुध पुं० [सं.] हथियार . आयुर्वेद पुं० [सं.] वैदक आयुष्मान वि० [ सं . ] दीर्घायु; चिरंजीवी आयुष्य पुं० [सं.] आयु; उमर
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आराजी
आयोजन पुं० [सं.] प्रबंध; तैयारी (२) साधनसामग्री
आरंभ पुं० [सं.] शरूआत आरंभना अ०क्रि० शरू थवुं ( २ ) स ० क्रि० शरू करवुं
आर पुं० [सं.] काचुं लोढुं (२) पित्तळ (३) किनारो ( ४ ) पैडानो आरो (५) स्त्री० [सं. अल] परोणानी आर (६) वींछी के माखीनो डंख ( ७ ) [सं. आरा ] मोचीनी आरी ( ८ ) [ अ ] तिरस्कार (९) वेर (१०) लाज ; शरम आरक्त वि० [सं.] लाल
आरज वि० [ सं . आर्थ्य ] ( प. ) आर्य आरजा पुं० [ अ ] बीमारी; रोग आरजी वि० [अ.] अवास्तविक ( २ )
कामचलाउ
आरजू स्त्री० [फा.] इच्छा (२) विनंति आरण्य, ०क वि० [सं.] अरण्यनुं के ते संबंधी; जंगली
आरत वि० आर्त; दुःखी; व्याकुल आरति स्त्री० दु:ख; आति (२) [सं.] वैराग्य; निवृत्ति [गीत आरती स्त्री० देवनी आरती के तेनुं आरन पुं० ( प. ) वन; अरण्य आर-पार पुं० बेउ किनारा (२) अ० आरपार; सोंसरुं आरब्ध वि० [सं.] आरंभायेलुं आरस पुं० आळस ( २ ) स्त्री० आरसी आरसी स्त्री० आरसी; दर्पण ( २ ) स्त्रीओनुं हाथनुं एक घरेणुं आरा पुं० [सं.] करवत (२) मोचीनी आर आराइश स्त्री० [फा.] सजावट ( २ ) लग्नमां कागळनी फूलवाडी करे छे ते आराजी स्त्री० [अ] जमीन; खेतर
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आलाइश
आराति आराति पुं० [सं.] शत्रु; वेरी . आत्ति स्त्री० [सं.] पीडा; दुःख आराधना स्त्री० [सं.] पूजा; उपासना आर्थिक वि० [सं.] अर्थ संबंधी (२) स० क्रि० आराधq; पूजq आर्च वि० [सं.] भीy . आराम पुं० [सं.] बाग (२) [फा.] चेन; आर्दा स्त्री० [सं.] एक नक्षत्र (२) आएं सुख (३) थाक खावो ते. आरामसे= आर्य,र्य वि० [सं.] उत्तम; श्रेष्ठ (२) निरांते; फुरसदे; धीरे धीरे
पुं० श्रेष्ठ पुरुष आराम-कुरसी स्त्री० [फा. + अ.] आराम आर्ष वि० [सं.] ऋषि संबंधी(२)वेदने लगतुं खुरसी
[(२) आळसु आलंब,०न पुं० [सं.] आलंबन ; टेको; आराम-तलब वि० [फा.] आरामप्रिय
आधार आरास्ता वि० [फा.] सजेलु . आल पुं० हरिताल (२) झंझट; पंचात आरिफ़ वि० [अ.] संतोषी (२) पुं० साधु (३) [सं. आर्द्र] भीनाश (४) स्त्री० आरियत स्त्री० [अ.] उछीनुं मागी [अ.] दीकरीनी संतति (५) वंश आणवू ते
आल-औलाद स्त्री० [अ.] बाळबच्चा; आरिया स्त्री॰ [सं. आरू] आरियुं:चीभडं
परिवार आरी स्त्री० आरी; नानी करवत (२) आलकस पुं० आळस (-सी वि० आळसु. परोणानी आर (३) मोचीनी आरी -सना अ०क्रि० आळसवू) (४) [सं. आर] बाजू ; तरफ (५) कोर
आल-जंजाल स्त्री० झंझट; जंजाळ आरी वि० [अ.] थाकेलं; कंटाळेलं. आलथी-पालथी स्त्री० बंने पग जांघ -आना= कंटाळवं; थाकवं.
पर चडावीने बेसवार्नु आसन आरूढ़ वि० [सं.] सवार थयेलं; चडेलं आलपीन स्त्री० [पो. आलफिनेट]. (२) दृढ ; मक्कम (३) तैयार; तत्पर टांकणी; पिन । आरोग,-य वि० नीरोगी; तंदुरस्त आलबाल पुं० आलवाल; क्यारो आरोगना स० कि० आरोगq; खावू . आलम पुं० [अ.] दुनिया (२) दशा (३) आरोग्यता स्त्री० तंदुरस्ती; स्वास्थ्य
भीड; समूह आरोप पुं० [सं.] आक्षेप; तहोमत (२) । आलमारी स्त्री० जुओ 'अलमारी' खोटी कल्पना के आरोपण । आलय पुं० [सं.] जगा (२) घर आरोपना सक्रि० (प.) आरोपवू (२) आलवाल पुं० [सं.] क्यारो लगाववू; रोपवू
आलस वि० आळसु (२) पुं० आळस आरोह पुं० [सं.] उपर चडवू ते (२) : आलसी वि० आळसु चडाई (३) ऊगर्बु ते
__ आलस्य पुं० [सं.] आळस आरोही वि० [सं.] चडनारु (२) पुं० सवार आला पुं० सं. आलय] ताको; गोख ' आर्जव पुं० [सं.] ऋजुता; सरळता । (२) [सं. आर्द्र भीy (३) वि० [अ.] आर्टिकिल स्त्री० [इ.] लेख . उत्तम; श्रेष्ठ (४) पुं० [अ.] ओजार आर्त वि० [सं.] 'आरत'; दुःखी; व्याकुळ आलाइश स्त्री० [फा.] गंदकी; मळ
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आलात
आलात पुं० [सं.] बळतुं लाकडुं (२) [अ.] ओजारो; साधनसामग्री; 'उपकरण' - काश्तकारी = खेतीनां हळलाकडां आलान पुं० [सं.] हाथी बांधवानो खीलो के दोर या सांकळ [आलाप आलाप पुं० [सं.] वातचीत ( २ ) संगीतनो आलापचारी स्त्री० खूब आलापथी गावं ते आलापना स० क्रि० गावं; सूर काढवो आलापाला पुं० झाडनो आलोपालो आलापी वि० [सं.] बोलनार (२) गावामां आलाप लेनार
आलिंगन पुं० [सं.] भेटवुं ते आलिंगना स०क्रि० (प.) आलिंगवुं - भेटवुं आलि स्त्री० [सं.] सखी ( २ ) वींछी (३) भमरी ( ४ ) हार; पंक्ति आलिम वि० [ अ ] पंडित; विद्वान आली स्त्री० [ सं . ] सखी (२) वि० स्त्री० (हिं. आला ) भीनी (३) वि० [अ.]
उच्च; उत्तम
आलीजाह वि० [अ०] ऊंचा दरज्जानुं आलीशान वि० [अ.] आलेशान; भव्य; विशाळ ; भभकदार
.४७
आलू पुं० [सं.] बटाटो
आलूचा पुं० [फा.] आलु जेवुं झाड के फळ आलूदा वि० [फा.] खरडायेलुं आलूबुखारा पुं० [फा.] आलुबुखार, आलेख पुं० [सं.] लखाण आलेख्य पुं०[सं.]चित्र(२)वि० लखवा जेवुं आलोक पुं० [सं.] प्रकाश; रोशनी ( २ ) [ तपास आलोचन पुं० [सं.] विवेचन; गुणदोषनी आल्हा पुं० एक छन्द (२) एक वीर पुरुषनुं नाम
चमक
आव-आदर पुं० आदर-सत्कार
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आवृत्त
आवज ( - झ ) पुं० [ सं . आवाद्य, प्रा. आवज्ज] एक जातनुं पुराणुं वाद्य आवन पुं० ( प. ) आववुं ते; आगमन आव-भगत स्त्री० जुओ 'आव-आदर' आवरण पुं० [सं.]ढांकण, पडदो (२) अज्ञान आवर्दा वि० [फा.] आणेलुं (२) कृपापात्र आवली स्त्री० [सं.] पंक्ति; हार आवश्यक, -कीय वि० [सं.] जरूरी आवाँ पुं० कुंभारनो निमाडो आवागम ( - ) न पुं० आवागमन;आवबुं जवुं; जन्ममरण
आवाज स्त्री० [फा.] ध्वनि; अवाज (२) बोल. -उठाना = विरोध करवो. -देना, मारना, लगाना = जोरथी पोकारवु; बूम मारवी - पड़ना = अवाज बेसवो (२) अवाज दई बोलाववु . - में आवाज़ मिलाना = स्वर मेळववो (२) हामी हा भगवी
आवाजा पुं० [फा.] कटाक्ष; टोणो. - कसना, फेंकना, - मारना, -सुनाना = टोणो मारवो
आवाजाही स्त्री० आववुं जवुं; आवागमन आवारगी स्त्री० [फा.] बदमासी; कुमार्ग (२) रखडेलपणुं; 'आवारा' - पणुं आवारजा पुं० [फा.] 'अवारजा'; जमा-. उधारनो चोपडो
आवारा वि० [फा.] नकामुं; रखडेल (२) वंठी गयेलुं (३) बदमास कुमार्गी आवारागर्द वि० [फा.] रखडेल; नकामुं आवास पुं० [सं.] रहेठाण (२) घर आवाहन पुं० [सं.] मंत्रथी देवने बोलाववा ते आविष्कार पुं० [सं.] प्रगट थवुं ते (२) शोध; 'ईजाद ' [घेरायेलुं आवृत्त वि० [सं.] छूपुं; ढंकायेलुं (२)
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४८.
एरिंग
आवृत्ति
आसपास आवृत्ति स्त्री० [सं.] वारंवार करवू के आश्चर्य,-र्य पुं० [सं.] अचंबो; नवाई; पढवू ते; अभ्यास
ताजुबी. -करना, -मानना, -होना= आवेग पुं० [सं.] जोश; जोर
आश्चर्य पाम, आवेजा पुं० [फा.] लटकतुं आभूषण; आश्चर्चाय (-य्यित वि० ताजुब; चकित
आश्रम पुं० [सं.] विश्रामनी जगा (२) आवेदक वि० [सं.] अरजी के निवेदन ऋषिनो आश्रम (३) जीवननी चार करनार .
अवस्था - ब्रह्मचर्य, गृहस्थ वगेरे । आवेदन पुं० [सं.] निवेदन (२) अरजी . आश्रमी वि० सं.] आश्रम संबंधी (२) भावेदनपत्र पुं० [सं.] अरजीपत्र
आश्रममा रहेनार आवेश पुं० [सं.] जोश; आवेश (२)
आश्रय पुं० [सं.] आशरो; आधार (२) वायुनो. रोग
शरण (३) घर आशंका स्त्री० [सं.] शंका; डर; संदेह आश्रयी वि० [सं.] आश्रय लेनार आशकार वि० [फा.] प्रकट; जाहेर; खुल्लु आश्रित वि० [सं.] आशरे रहेल के आशना वि० [फा.] परिचित (२) प्रेमी आवेलुं (२) आधीन (३) प्रेमपात्र; यार ।
आश्लेषा स्त्री० [सं.] एक नक्षत्र आशनाई स्त्री० जाणपिछाण (२) प्रेम आश्वास,०न पुं० [सं.] दिलासो; सांत्वन (३) अनुचित संबंध; यारी
आश्विन पुं० [सं.] आसो मास आशय पुं० [सं.] हेतु; इरादो (२) इच्छा; आषाढ़ पुं० [सं.] अषाढ मास वासना (३) स्थान-जेम के जलाशय आषाढ़ा स्त्री० [सं.] एक नक्षत्र आशर पुं० [सं.] राक्षस
• आषाढ़ी स्त्री० [सं.] अषाढी पूनम आशा स्त्री० [सं.] इच्छा; उमेद (२) आस स्त्री० आशा (२) लालच; कामना भरोसो (३) दिशा
(३) आधार; भरोसो (४) [फा.] आशिक़ पुं० [अ.] आशक; आसक्त . दळवानी घंटी . आशियाँ, आशियाना पुं० [फा.] पक्षीनो आसकत स्त्री० (वि०-ती; क्रि०-ताना) माळो (२) झूपडं
सुस्ती; आळस . मोहित आशिष, स्त्री०, आशीर्वाद पुं० [सं.] दुवा आसक्त वि० [सं.] राग के वासनावाळु; आशु अ० [सं.] झट; जलदी
आसक्ति स्त्री० [सं.] राग; चाहना; मोह आशुग वि० [सं.] जलदी जनाएं (२) । आसते अ० आस्ते; धीमे पुं० वायु (३) बाण
आसन पुं० [सं.] बेसवानी रीत; बेठक आशुफ्तगी स्त्री० [फा.] हालहवाल; . (२) ठेका[; जगा (साधुनी) बेहाली; परेशानी .
आसना अ०. क्रि० [सं. अस्] होवू आशुफ़्ता वि० [फा.] बेहाल ; परेशान; । आसनी स्त्री० नानु आसन गभरायेलं
आसन्न वि० [सं.] पासेर्नु; नजीकर्नु माशोब पुं० [फा.] आंखनी पीडा आसपास अ०पासे; आजुबाज: चारे तरफ
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आसमान
आहनी आसमान, पुं० [फा.] आभ; आकाश. आसुन पुं० (प.) आश्विन मास . -के तारे तोड़ना, -टूट पड़ना=3 आसुर वि० [सं.] असुर - राक्षसने लगतुं अचानक विपत्ति पडवी. दिमाग आस- (२) पुं० असुर मान पर होना=बहु अभिमान थवं.
आसुरी वि० राक्षसी (२) स्त्री० असुर -पर चढ़ना = मगरूरी करवी. -में
आसूदगी स्त्री० [फा.] जुओ 'आसूदा' मां छेद करना = कठण के अशक्य काम
आसूदा वि० [फा. संतुष्ट (२) संपन्न; करवू. -सिर पर उठाना = उपद्रव
खातुंपीतुं (नाम, -दगी स्त्री०) । मचाववो
, आसेब पुं० [फा.] भूतप्रेत वळगq ते (२) आसमानी वि० आकाशने लगतुं (२)
दुःख, पीडा; बला भ6 (३) देवी (४) स्त्री० ताडी आसोज पुं० [सं. अश्वयुज्] आसो मास आसरना सक्रि० (प.) आशरो लेवो;
आसौं अ० ओण; आ साल आशर [प्रतीक्षा(३)आशा आस्तिकं वि० [सं.] आस्थावाळं ; ईश्वर, आसरा पुं० आश्रय; आशरो (२) राहा वेद इ० मां माननाएं आसव पुं० [सं.] अर्क (२) दारू (३) आस्तीन स्त्री० [फा.] कपडानी बांय. औषधिनी एक रीत
-का साँप-मित्र थईने शत्रुता करनार; आसवी वि० दारू पीनार
'मारे आस्तीन'. आसा स्त्री० (प.) आशा (२) [अ. असा] आस्था स्त्री० [सं.] श्रद्धा; पूज्यभाव (२)
राजाओनी आगळ रखाती छडी बेठक; सभा (३) भरोंसो; आशा आसाइश स्त्री० [फा. आसाएश ; आराम
आस्पद पुं० [सं.] स्थान (२) पद; आसान वि० [फा.] सहेलु; सरल . प्रतिष्ठा (३) वंश; खानदान । • आसानी स्त्री० [फा.] सरळता; सुगमता। आस्वाद पुं० [सं.] स्वाद ; मजा; लहेजत आसामी वि० आसाम देशनुं के तेने
आह अ० पीडा, शोक, खेद इत्यादि लगतुं (२) स्त्री० आसामी भाषा (३)
सूचक उद्गार (२) स्त्री० दुःख के पुं० व्यक्ति; जण
क्लेशसूचक शब्द; हाय. -पड़ना = आसार पुं० [अ.] चिह्नः लक्षण (२)
कोईनी हायनो शाप लागवो. -भरना चोडाई; पहोळाई (३) स्त्री० [सं.]
= निसासो नाखवो. -लेना= कोईनी मुसळधार वृष्टि आसावरी स्त्री० एक राग; आशावरी
हाय लेवी; सतावq [खटकारो (२) पुं० एक जातनुं कबूतर के आहट स्त्री० पगनो अणसारो; आववानो सुतराउ कपडं .
आहत वि० [सं.] घायल; जखमी (२) आसिन पुं० आश्विन - आसो मास जर्जरित; जून (३) कंपित आसीन वि० [सं.] बेठेलं; बिराजेलं आहन पुं० [फा.] लोढुं (वि० -नी) आसीस स्त्री० आशिष (२) पुं० उशीकुं आहन-गर पुं० [फा.] लुहार आसु अ० (प.) आशु; शीघ्र (२) सः । आहन-गरी स्त्री० लुहारकाम [कठोर आनु; 'इसका'
आहनी वि० [फा.] 'आहन'-लोढा, (२) हिं-४
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आहर
आहर पुं० [सं. अहः] समय ( २ ) [सं. आहव] युद्ध (३) [सं. आहाव] ना तळाव; तळावडी आहरी स्त्री० नानी तळावडी आहव पुं० [ सं . ] युद्ध (२) यज्ञ आहवन पुं० [सं.] हवन करवुं ते आहाँ स्त्री० हाक ( २ ) पोकार आहा अ० अहा ! अहो ! आहार पुं० [सं.] खोराक आहित वि० [सं.] मूकेलं; स्थापेलुं (२) गीरी मूकेलं
आहिस्तगी स्त्री० [फा.] मंदता; धीमा' पणुं (२) कोमळता आहिस्ता अ० [फा.] आस्ते; धीमे; 'आसते' (२) वि० धीमुं (३) कोमळ
इंक स्त्री० [इं.] शाही
इंग पुं० [सं.] इशारो; चिह्न (२) हालवु चालवुं ते (३) हाथीदांत इंगला स्त्री० इडा नाडी (योग) . इंगलिश वि० [इं.] अंग्रेजी (२) स्त्री० अंग्रेजी भाषा .
इंगलिस्तान पुं० इंग्लन्ड देश इंगित पुं० [सं.] चाळो; इशारो इंगुदी स्त्री० [ सं . ] इंगोरी; 'हिंगोट' इंगुर पुं० जुओ 'इंगुर ' इंगुरौटी स्त्री० सिंदूरनी डबी इंच स्त्री० [इं.] इंच माप इँचना अ० क्रि० एंचवुं; खेंचवं; 'ऐंचना' इंजन पुं० एन्जिन; इंजिन इंजीनियर पुं० इजनेर
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इंदुर
आक पुं० [ सं . ] एक राजा कृष्णनो वडवो आहुत पुं० [सं.] आदर सत्कार; आतिथ्य ( २ ) भूतयज्ञ आहुति स्त्री० [ सं . ] हवन के तेनी सामग्री आहू पुं० [फा.] मृग (२) खोड; ऊणप
Rao [सं.] आह्वान करेलु;बोलावेलु आहे अ०क्रि० ( प. ) 'है'; छे आहो-जारी स्त्री० ! आह-व- ज़ारी '; रोककळ; हायहोय
आह्निक वि०[सं.] दैनिक ( २ ) पुं० रोजी आह्लाद पुं० [सं.] आनंद; खुशी आह्वय पुं० [सं.] नाम; संज्ञा आह्वान पुं० [सं.] बोलाववुं ते ( २ ) यज्ञमां देवनुं आह्वान (३) अदालतनो
"
'समन्स '
इंजील स्त्री० यहूदीनं धर्मपुस्तक; जूनो
करार
इंडरी स्त्री०, इंडुवा पुं० ऊढण; उढाणी इंतक़ाम पुं० [अँ इंतिक़ाम ] बदलो; प्रतिशोध; सामुं वेर लेवुं ते इंतक़ाल पुं० [अ.] अन्तकाल ; मोत ( २ ) एकथी बीजी जगाए जवुं ते इंत ( - ति) खाब पुं० [अ.] चूंटणी; पसंदगी इंतजाम पुं० [ अ ] प्रबन्ध; बन्दोबस्त इंतजार पुं० [ अ ] इन्तेजारी; राह;
वाट
इंत ( - ति) हा पुं० [ अ ] अंत; हद इंदारा पुं० कूवो; 'इनारा ' इंदु पुं० [सं.] चंद्र (२) कपूर इंदुर पुं० [सं. इन्दूर] उंदर
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इंद्र
इंद्र वि० [सं.] विभूतिमान (२) श्रेष्ठ; मोटुं (३) पुं० इन्द्रदेव इंद्रगोप पुं० [सं.] चोमासानुं एक जीवडुं इंद्रजाल पुं० [सं.] जादु; माया इंद्रजाली पुं० [सं.] जादुगर इंद्रधनुष पुं० [सं.] मेघधनुष इंद्राणी स्त्री० [सं.] इंद्रनी स्त्री; (२) मोटी इलायची
शचि
इंद्रिय स्त्री० [सं.] ज्ञान के कर्मना साधन रूपी शरीरनो कोई अवयव
इंद्री स्त्री० इन्द्रिय
इंद्री - जुलाब पुं० पेशाब वधारे एवी दवा इंसाफ़ पुं० [ अ ] इन्साफ; न्याय ( २ ) फैसलो. पसंद = न्याय मागनारो इक वि० एक
इose वि० 'इक्कीस ' ; एकवीस; २१ इकट्ठा वि० [ सं . एकस्थ ] ( स्त्री० - ट्ठी) एकत्र; एकठु; जमा
इकतरा पुं० एकांतरो ताव इकता, ०ई स्त्री० ( प. ) एकता इकतान वि० एकतान; एकाग्र इकतार वि० एकतार; बरोबर ( २ ) अं० लगातार [कपड़ इकतारा पुं० एकतारो (२) एक जातनुं इकतीस वि० एकत्रीस; ३१ इक़दाम पुं० [ अ ] अपराध करवानी तैयारी ( २ ) इरादो
इकबारगी अ० सहसा ; एकदम; 'एकबारगी '
इक़बाल पुं० [अ.] 'एकबाल' ; भाग्य (२) ऐश्वर्य [आदर इकराम पुं० [अ०] दान; इनाम (२) इक़रार पुं० [ अ ] एकरार; वायदो इकला वि० एकलुं; 'अकेला'
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Ja++++
इकलाई स्त्री० एकलापणुं (२) साफानों जेवुं एक झीणुं वस्त्र ( रेशमी प्रायः ) इकलौता पुं० एकनो एक छोकरो इकल्ला वि० एकवडुं (२) एकलुं इकसठ वि० एकसठ; ६१
इक़साम पुं० जुओ 'अक़साम इकहरा वि० 'एकहरा'; एकवडुं इकाई स्त्री० जुओ 'एकाई ' इकांत वि० ( प. ) एकांत; एकलं. इकावन वि० ५१; 'इक्यावन' इकासी वि० 'इक्यासी ; ८१ इक्का वि० [सं. एक ] एकाकी; एकलुं (२) अद्वितीय (३) पुं० गंजीफानो एक्को (४) एक्को - गाडी (५) एकलवीर; एक्को इक्का-दुक्का विo एकलदोकल इक्कीस वि० एकवीस; 'इकइस '; २१ इक्तफ़ा पुं० [अ:] धरपत; संतोष; तृप्ति इक्यावन वि० ५१; एकावन इक्यासी वि० ८१; एकाशी इक्षु पुं० [सं.] शेरडी; 'ईख' इखराज पुं० [अ] निकास ( २ ) खर्च इखराजात पुं० [ अ. 'खर्च' नुं ब० व० ] खर्च; व्यय
>
इख़लाक़ पुं० जुओ ‘अखलाक ' इखलास पुं० [अ.] एखलास; मैत्री; प्रेम इतराअ पुं० [अ.] अखतरो (२) शोध इख्तसार पुं० [अ.] संक्षेप इख्तियार पुं० [अ.] अखत्यार ; अघिकार; सामर्थ्य
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"
इख्तिलाफ़ पुं० [अ.] विरोध; अणबनाव इच्छना स० क्रि० (प.) इच्छवं; चाहवुं इच्छा स्त्री० [सं.] मरजी; कामना इच्छित वि० इच्छेलं; इष्ट इच्छु,०क वि० [सं.] इच्छनार
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. इत्यादि
___ कर, ते
इजतराब
५२. इजतराब पुं० [अ. इज़तिराब] गभराट इतमाम पुं० [अ.] समाप्त करखं; पूरुं
(२) बेचेनी इजतिनाब पुं० [अ.] परहेजी (२) संयम . इतमीनान पुं० [अ.] विश्वास (वि०-नी) इजमाल पुं० [अ.] समस्त; समष्टि (२) इतर वि० [सं.] बीजं (२) फालतु;
सहियारी मालकी [अमल साधारण (३) ऊतरतुं हलकुं (४) पुं० इजरां पुं० [अ]जारी करवू(२)व्यवहार; 'इत्र'; अत्तर [अणबनाव इजराय पुं० [अ.] अमल; उपयोग (२) इतराजी स्त्री० नापसंदगी; विरोध; चालु करवं ते; प्रचार
इतराना अ० क्रि० घमंड करवो (२) इजलास पुं० [अ.] बेठक (२) कचेरी 'इठलाना' (नाम, इतराहट स्त्री०)इजहार पुं० [अ.] जाहेरात; प्रकाशन इतरेतर अ० [सं.] परस्पर; अंदर अंदर
(२) साक्षी; जुबानी. . इतलाक पुं० [अ.] 'इजराय'; अमलइजाजत स्त्री० [अ.] आज्ञा; हुकम (२) बजावणी के तेनी नोंध परवानगी; हुकम
इतवार पुं० आतवार; रविवार । इजाफ़ा पुं० [अ] चडती; वृद्धि (२) बचत इताअत स्त्री० [अ.]आज्ञापालन;ताबेदारी इजाबत स्त्री० [अ.] मंजूरी; स्वीकार इताति स्त्री० (प.) जुओ 'इताअत' । (२) मलत्याग
इताब पुं० [अ.]कोप; खफगी . [अंत इजाया पुं० [अ.] एक, यहूदी पेगंबर इति अ० [सं.] पूरु (२) स्त्री० समाप्ति; इजार स्त्री० [फा.] इजार; पायजामो इतेक वि० 'इतना'; आटलं इजारबंद पुं० [फा.] इजारबन्द ; नाडु. इतो,-तो वि० (प.) 'इतना'; आटलं
-का ढीला = छूटी काछडीनो; कामी इत्तफ़ाक़ पुं० [अ.] इत्तिफाक; मेळ; इजार(-रे)दार वि० [फा.] इजारदार; एकता (२) संजोग, अवसर. -पड़ना ठेकेदार
संयोग आववो; मेळ खावो इजारा पुं० [अ.] इजारो (२) अधिकार इत्तफ़ाकन् [अ],. इत्तफ़ाक़से अ० इज्जत स्त्री० [अ.] आबरू.-उतारना __ संजोगवशात्; अकस्मात् .. आबरू खोवी के खराब करवी. इत्तफ़ाक़िया वि० [अ.] आकस्मिक -करना-मान आपq. -देना=आबरू इत्त (-त्ति)ला स्त्री॰ [अ.] खबर; सूचना खोवी-दई देवी (२) जुओ '-करना'. इत्तसाल पुं० [अ.] मेळाप (२) संबंध -होना = आदरमान थर्बु-करावं इत्तहाद पुं० [अ.] एकता (२) दोस्ती इठलाना अ० क्रि० बेडशी मारवी (२) इत्तिला स्त्री० जुओ 'इत्तला'. नखरां करवां (३) जाणी जोईने मोडु इतिहाम पुं० [अ.] दोष; आक्षेप;तहोमत. करवु (नाम, इठलाहट स्त्री०) . -देना=दोष देवो; आक्षेप मूकवो इत अ० [सं. इतः] आ बाजू; अहीं इत्तो वि० (प.) जुओ 'इतो'. इतना (-नों) वि० (स्त्री०-नी) आटलं इत्थम् अ० [सं.] आम; आ मुजब इतनेमें अ० एटलामां
इत्यादि अ० [सं.] वगेरे
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इमामदस्ता इत्र पुं० [अ.] अत्तर
इन्सानियत स्त्री० [फा.] आदमियत; इत्रफ (-फ़ि) रोश पुं० [अ.] अत्तर वेचनार मानवता
[रोकवू ते इधर अ० . आ बोजु ; अहीं. -उधर इन्सिदाव पुं० [अ.] काबूमा लेवू के अ०%Dअहीं तहीं (२) आसपास.-उधर इन्ह स० (प.) 'इन'; आ करना ऊलटसुलट करवं; रफेदफे इफ़रात स्त्री० [अ.] अधिकता करवं; फेंदी नांखवू. -उधरको बात इफ़लास पुं० [अ.] गरीबी; दरिंद्रता = सांभळेली वात; अफवा (२) ठेकाणा इफ़शा वि० [अ.] जाहेर; खुल्लू वगरनी वात. -उधरमें रहना व्यर्थ इफ्तार पुं० [अ.] रोजो तोडवो-नास्तो समय खोवो.-उधर होना=आघापाछा करवो ते थ, (२) बगडवू; भेलाई जq. -की इबरत स्त्री० [अ.] समज; बोध उधर करना या लगाना = अहींनी इबरानी वि० [अ.] यहूदी (२) स्त्री हिब्रू वात त्यां करवी; सलाडा करवा. इबलीस पुं० [अ.] सेतान -को दुनिया उधर होना=असंभव इबादत स्त्री० [अ.] प्रार्थना; भक्ति वात बनवी
इबारत स्त्री० [अ.] शैली इन स० 'इस'नुं ब० व०
इब्तदा, इब्तिदाद स्त्री० [अ.] आरंभ ; इनसान पुं० [अ.] इन्सान; मनुष्य जन्म (२) मूळ; ऊगम इनसानियत स्त्री० [फा. माणसाई । इब्तदाई वि०. [फा.] शरून; प्रारंभिक इनानं स्त्री० [अ.] लगाम . इब्न पुं० [अ.] पुत्र इनाम पुं० [अ.] इनाम; बक्षिस इब्नत स्त्री० [अ.] पुत्री इनाम-इकराम पुं० इनाम अकराम; . इमकान पुं० [अ.] शक्ति बक्षिस अने आदरमान
इमदाद स्त्री० [अ.] मदद इनायत स्त्री॰ [अ.] कृपा; अनुग्रह (२) इमदादी वि० मदद जेने मळती होय तेवू महेसान; आभार; अनुग्रह (३) भेट; इमरती स्त्री० [सं. अमृत] एक मीठाई एनायत. -करना% भेट आपQ
इमराज पुं० 'मरज' नुं ब० व० ; रोगो इनारा पुं० 'इँदारा'; कूवो
इमरोज़ अ० [फा.] आज इनेगिने वि० गणतर; थोडंक; 'चुनंदा इमला पुं० [अ.] श्रुतलेखन इन्क (-कि)शाफ़ पुं० [अ.] जाहेर के इमली स्त्री० आमली खुल्लु थq के पकडावू ते
इमशब अ० [अ.] आज राते इन्किलाब पुं० [अ] क्रान्ति; पलटो .
इमसाल अ० [फा.] आ साल इन्किसार पुं० [अ.] नम्रता
इमाद पुं० [अ.] थांभलो (२) आधार; इन्त (-न्ति)हा स्त्री० जुओ इंतहा'.. विश्वास इन्शा स्त्री० [अ.] लेखनशैली. -को इमाम पुं० [अ.] नेता; आगेवान (२) किताब= पत्रलेखननी चोपडी
मुसलमान धर्मगुरु इन्सान पुं० [अ.] मनुष्य; आदमी इमामवस्ता पुं० खांडणी - पराई
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इमामबाड़ा
इमामबाड़ा पुं० ताजिया डुबाड़े के नो उत्सव ज्यां करे ते स्थान
इमारत स्त्री० [अ०] इमारत ; मोटुं मकान (२) अमीरी
इमि अ० ( प. ) आम
इम्त ( - म्ति ) ना पुं० [ अ ] मनाई; निषेध इम्तियाज पुं० [ अ ] विवेकबुद्धि; पारख इम्तिहान पुं० [ अ ] परीक्षा इम्दाद स्त्री० [अ.] जुओ 'इमदाद ' इसाक पुं० [ अ ] थंभावनुं; रोकबुं ते (२) तोटो; कमी; ताण
इयत्ता स्त्री० [सं.] सीमा; हद; मर्यादा इरशाद पुं० [ अ ] आज्ञा; हुकम इरसाल पुं० [ अ ] (पत्र) मोकलवो ते (२) भरणुं ( महेसूली )
इराक़ी वि० इराक देशनुं (२) पुं० एक. जानो घोड [इरादापूर्वक इरादतन् अ० [ अ ] विचारपूर्वक; इरादा पुं० [अ.] ख्याल ; विचार; संकल्प इर्तका पुं० [अ.] कोई अपराध करव ते (२) कोई काम माथे लेवुं ते इर्द-गिर्द अ० आसपास; चोतरफ; 'गिर्द' इर्शाद पुं० जुओ 'इरशाद' इलज़ाम पुं० जुओ 'इल्जाम' इलहान पुं० [अ.] संबंध; मेळाप इलहाम पुं० [ अ ] ईश्वरी अवाज;
अन्तरनाद
इलाक़ा पुं० [अ.] संबंध; क्षेत्र; लागतुं वळगतुं होतुं ते (२) जमीनदारी (३) राज्य; इलाको
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इलाकेदार पुं० [फा.] जमीनदार ★ इलाज पुं० [ अ ] दवा; चिकित्सा ( २ ) उपाय; युक्ति
इलाम पुं० 'अलान'; आज्ञा; सूचना
इष्टका
इलायची स्त्री० इलायची; एक तेजानों इलावा अ० जुओ 'अलावा ' इलाही पुं० [अ.] अल्ला; ईश्वर (२) वि० ईश्वरी - खर्च = नकामुं के वधारे खर्च - गज = अकबरे चलावेलो गज (३३ इंचनो)
लगाना =
इल्जाम पुं० [ अ ] आरोप; आळ; आक्षेप. - देना, आरोप मूकवो इल्तिजा स्त्री० [अ.] प्रार्थना; निवेदन इल्तिमास पुं० [ अ ] प्रार्थना; 'इल्तिजा' इल्म पुं० [अ.] विद्या; ज्ञान; आवडत इल्लत स्त्री० [अ.] बीमारी (२) झंझट ; पंचात (३) दोष, अपराध (४) कुटेव इल्लिलाह श०प्र० [अ] हे ईश्वर ! सहाय कर
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इव अ० [सं.] पेठे; जेवुं इशरत स्त्री० [अ.] आनंद; खुशी (२) चेन; सुख; भोगविलास [ प्रकाशन इशाअत स्त्री० [अ.] प्रसिद्ध करवुं ते (२) इशारत स्त्री० [अ०] इशारो; संकेत; सान इशारतन् अ० [अ.] इशारा के संकेतथी इशारा पुं० [ अ ] इशारो (२) बारीक के थोडीक मदद; आधार इश्क़ पुं० [ अ ] महोबत प्रेम; अनुराग -इश्क़पेचा पुं० [अ.] लाल फूलनी एक वेल' इश्त ( - शित) हार पुं० [अ.] नोटिस; जाहेरात; जाहेरखबर
;
इश्तिआल ( - क) स्त्री० [अ.] उत्तेजना; उश्केरणी. —देना=उश्केरवुं
इश्तियाक़ पुं० [अ०] इच्छा; आतुरता इश्तिहार पुं० जुओ 'इश्तहार' इष्ट वि० [सं.] इच्छेलुं; वांछित (२) पुं० इष्टदेव ( ३ ) मित्र ( ४ ) ईंट steer स्त्री० [सं.] ईंट
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इष्टि इष्टि स्त्री० [सं.] इच्छा (२) यज्ञ. इस स० आ ('यह 'नुं विभक्तिरूप) इसपंज पुं० [इं. स्पंज] वादळी; ‘इस्पंज' इसपात पुं० पोलाद; एक जातनुं
मजबूत लोढुं इसबगोल पुं० [फा.] जुओ 'इस्पग़ोल' इसराफ़ पुं० [अ.] खर्चाळपणुं; उडाउपणुं इसरार पुं० [अ.] हठ (२) आग्रह;अनुरोध इसलाम पुं० [अ.] इस्लाम [(२)हजामत इसलाह स्त्री० [अ.] सुधारणा; संशोधन इसहाल पुं० [अ.] झाडा थई जवा ते इसारत स्त्री० इशारत; 'निशानी इसे स० 'इस' नुं चोथी तथा बीजी- रूप इसकात पुं० [अ.] पतन; पडवू ते . इस्तगासा पुं० [अ.] दावो; फरियाद
(अदालतमां) इस्तदुआ स्त्री० [अ.] विनंती; निवेदन इस्तमरारी वि० [अ.] कायमी; नित्य इस्तहकाम पुं० [अ.] मजबूती; दृढ़ता इस्तिजा पुं० [अ.] पेशाब करीने ढेफाथी
इन्द्रीने मुसलमान शुद्ध करें छे ते इस्तिकबाल पुं० [अ.] स्वागत करवं ते
इस्तिकलाल पुं० [अ.] धैर्य; दृढ़ता । इस्तिरी स्त्री० धोबीनी अस्तरी इस्तिलाह स्त्री० [अ.] कोई शब्दनो
खास पारिभाषिक उपयोग इस्तिलाही वि० [अ.] पारिभाषिक इस्तिस्ना स्त्री० [अ.] अपवाद (२)
न मानवं ते इस्तीफ़ा पुं० [अ. इस्ति-अफा] राजीनामुं इस्तेमाल पुं० [अ.] उपयोग; वापर इस्पंज स्त्री० जुओ 'इसपंज' इस्पग्रोल पुं० [फा. इसपगोळ ; ऊंटियुं जीरं . इस्म पुं० [अ.] नाम; संज्ञा इस्लाह स्त्री० [अ.].जुओ ' इसलाह' इह अ० [सं.] अहीं; आ लोकमां इहतिमाम स्त्री० [अ.] कोशिश; प्रयत्न
(२) प्रबंध; व्यवस्था (३) निरीक्षण इहतियात स्त्री० [अ.] सावधानी; जुओ 'एहतियात'. -न् अ० सावधानीथी इहसान पुं० [अ.] अहेसान; आभार; कृतज्ञता. -मंद वि० आभारी इहाँ अ० 'यहाँ'; अहीं . इहाता पुं० [अ.] जुओ · अहाता'
इंगुर पुं० [सं. हिंगुल, प्रा. इंगुल] हिंगळोक इंचना सकि० खेंचवू; एंचवं ई जानिब श० प्र० अमे (मोटा लोक नानानी जोडे वातमां पोताने माटे
आ वापरे छे) इंट स्त्री० [सं. इष्टका] ईंट. -चुनना= दीवाल बनाववा ईंटो चणवी. डेढ़ या ढाई इंटकी मसजिद अलग बनाना=
बधाथी ऊलटुं कहेवू के करवू. -पत्थर कांई नहीं. -से इंट बजना कोई घर के नगर नाश पामवं. ईंटा पुं० ईंट इंडरी स्त्री० ऊढण; 'इंडुरी' ईंधन पुं० ईंधण; बळतण [आंख ईक्षण पुं०[सं.] जोq के तपासवं ते (२) ईख स्त्री० [सं. इक्षु शेरडी; 'ऊख'
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उचाई
ईखना ईखना सक्रि० [सं. ईश्] (प.) जोQ ईछना सक्रि० (प.) इच्छवू; इच्छना' ईछा स्त्री० (प.) इच्छा ईजा स्त्री० [अ.] ईजा. -देना,पहुँचाना ईजा पहोंचाडवी-करवी. -पहुंचना ईजा. पहोंचवी-थवी ईजाद स्त्री० [अ.] शोध; नवं कांई • शोधq के बनावq ते ईठ पुं० [सं. इष्ट] (प.) मित्र[स्त्री० ईठी] ईठि स्त्री० (प.) दोस्ती ईठी स्त्री० भालो; बरछी(२) ईठ'नुं स्त्री० ईढ़ स्त्री० (प.) जिद्द; हठ ईति स्त्री० [सं.] खेती बगाडनार
उपद्रव, विघ्न वगेरे (२) पीडा; दुःख ईद स्त्री० [अ.] मुसलमानोनी ईद. -का
चाँद देखना-प्रियदर्शन करवं. के पीछे टर-वखत चूक्या पछी शो लाभ! ईदगाह स्त्री० ईदनी नमांजनी जगा ईदृश वि० [सं.] आवं ईप्सा स्त्री० [सं.] इच्छा; अभिलाषा
ईप्सित वि० [सं.] इच्छित ईमान पुं० [अ] आस्था; आस्तिकता (२) सद्वृत्ति; नेक नैयत (३) सत्य; सच्चाई. -कापना = अंतरमा डर लागवो. -देना = ईमान छोडवू- जतुं करवं. ०वार वि० ईमानवाळू ईरान पुं० [फा.] ईरान देश ईर्षा, -या स्त्री० [सं.] अदेखाई; झेर ईर्षा (D)ल वि० झेरीलं; अदेखें ईश पुं० [सं.] ईश्वर (२) स्वामी;
राजा (३) अगियार संख्या ईशान पुं० [सं.] जुओ 'ईश' (२) ईशान खूणो
महादेव ईश्वर पुं० [सं.] भगवान; प्रभु (२). ईषत्,-द् अ० [सं.] जरा; थोडं ईस पुं० ईश; ईश्वर । ईसवी वि० [फा.] ईस्वी; ईशु संबंधी ईसा, ईसामसीह पुं० [अ.] ईशु ख्रिस्त ईसाई वि० [फा.] खिस्ती; विश्वासी ईहा स्त्री॰ [सं.] इच्छा (२) लोभ, लालच
उंगल स्त्री० जुओ 'अंगुल' उँगली स्त्री० जुओ 'अंगुली'. (किसीकी
ओर) -उठाना = आंगळी चींधवी; -नो दोष काढवो (२) आंगळी अडकाडवी; जराय हामि पहोंचाडवी. -करना = सतावq. -पकड़ते पहुंचा पकड़ना = आंगळी आपतां पोंचो पकडवो. उँगलियों पर नचाना-पोताने फावे तेम करावq-चलावq. पाँचों
उंगलियां धीमें होना = बधी रीते . लाभ ज थवो उघाई स्त्री० जओ 'औंघाई' उघाना अ० कि० ऊंघ आववी उंचन स्त्री० खाटलाना वाणने तंग
करवानी पांगतनी दोरी उंचना स० क्रि० 'उंचन' खेंच, उचाई स्त्री०, उँचान (-ब, -स) पुं० ऊँचाई
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उंचास
५७
उगलाना उंचास वि० ..४९; ओगणपचास; उकाब पुं० [अ.] गरुड पक्षी के गीध 'उनपचास'
. उका(के)लना सक्रि० (छोडु के पड) उंछ,०वृत्ति स्त्री० खळं थया पछी खोलवं; उखाडवू (२) चोटेलू उखाडवू
खेतरमां पडेला दाणा निर्वाहने माटे उकासना सक्रि० (प.)उपर करवू (२) वीणी लेवा ते
उश्केर उजेरा,-ला पुं० जुओ 'उजाला' उकेलना स० क्रि० जुओ. 'उकालना' उँडेलना स० क्रि० जुओ 'उड़ेलना' । उकौना पुं० गर्भवतीनो दोहद उंदुर पुं० [सं.] उंदर
उक्त वि०[सं.]कहेलं; बोलेलं कहेवत उह अ० 'ना' सूचवतो उद्गार (२) । उक्ति स्त्री० [सं.] कथन; वचन (२) दुःखनो उद्गार
उक्दा पुं० [अ] गांठ (२) कोयडो; समस्या, उऋण वि० [सं. उत्+ऋण] ऋणमुक्त उखड़ना अ०क्रि० ऊखडq (२) घोडानी उकटना सक्रि० वारंवार कहे चालमां भंग पडवो (३) संगीतमा उकटा वि० (स्त्री० -टी) वारंवार ताल के सूर बगडवो (४) हठवू; अलग (अपराध के उपकार) कही बतावनार
थर्बु (५) तूटी जq. उखड़ी उखड़ी बातें उकटा पुरान पुं० गईगुजरी के दवाई
करना=विरक्तिथी वातो करवी. पैर रहेली वातोनुं विस्तारथी कहेवू ते या पांव उखड़ना-एक जगाए ठरीउकठना अ० क्रि० सुकावू; सुकाईने । ठाम न थQ लाकडा जेवू थवं
उखम पुं० (प.) उष्मा; गरमी उकठा वि० सूकुं
उखल पुं०, उखली स्त्री० [सं. उत्खल उकई पुं० [सं. उत्कृतोरु ] एडी पर खांडणियो
[एक दाव अदूगडु के उभडक बेस ते
उखाड़ पुं० उखाडवू ते (२) कुस्तीनो उकताना अ०क्रि० अधीरुं थवू; गभरावं उखाड़ना सक्रि० उखाडq ('उखड़ना' नुं (२) ऊबना'; कंटाळी जवू प्रेरक). गड़े मुर्दे उखाड़ना= गईगुजरी उकबा पुं० [अ.] प्रलय (२) परलोक पाछी काढवी. पैर उखाड़ देना= पग उकलना अ०क्रि० छूटुं- अलग पडवू; काढवो; हठाव . .. गूंचायेलं के चोडेलं ऊखडवू-ऊकलवू उखारी स्त्री० शेरडीनं खेतर उकलाई स्त्री० ऊलटी; वमन उगटना सक्रि० जुओ 'उकटना' उकलाना अ०क्रि० ऊलटी करवी; ओक उगना अ०कि. ऊगवं . . उकसना अ.क्रि० ऊभरावू; उपर आवq उगलना - स०कि० [प्रा. उग्गिलन] (२) अंकुर नीकळवा
ओकलै (२) यूंकी काढवू. उगल उकसानां स० कि० ('उकसना'नं प्रेरक)
पड़ना-बहार नीकळी आव. जहर उपर करवू (२) उश्केर (३) दीवानी । उगलना-झेर जेवू लांगे एवं बोलवू बत्ती वधारवी' [फूटतुं; खीलतुं उगलवाना, उगलाना सक्रि० 'उगउकसौहा वि० ऊभरातुं: उपर ऊठतुं (२) लना नुं प्रेरक
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उगवना
५८ .
उछांटना उगवना, उगाना स० क्रि० 'उगना' नुं उचाट पुं०, उचाटी स्त्री० [सं. उच्चाट] प्रेरक; ऊगवq
. उदासीनता; मन न लागवू ते उगार(-ल) पुं० धुंक; गळफो के कफ ... उचाटना सक्रि० 'उचटना'नुंप्रेरक(२) उगालवान पुं० धूकदानी
जीव हठाववो-काढी लेवो उगाहना स० क्रि० उघरावq; एकळु . उचाड़(-र)ना सक्रि० 'उचड़ना'नुं प्रेरक -- करवं .
उचाना स० क्रि० ऊंचं करवू उगाही स्त्री० उपराव ते (२) उचारना स० क्रि० (प.) उच्चारवं;
उघराणुं (३) व्याजवटुं; धीरधार बोलवं (२) जुओ 'उचाड़ना' उगिलना सक्रि० जुओ 'उगलना' उचित वि० [सं.] योग्य; घटतुं; वाजवी उन वि० [सं.] प्रचंड; प्रबळ; तेज . उचेलना स० क्रि० जुओ 'उकेलना' (२) पुं० महादेव
.. उच्च वि० [सं.] ऊंचु (२) श्रेष्ठ उघटना स०क्रि० ताल आपवो (२) उच्च (-च्चा)रण पुं० [सं.] उच्चार ते गईगुजरी वारंवार काढवी (३) भलं- उच्च (-च्चा)रना स० कि० ऊचर; बूरुं कोईने कहेवू (जुओ 'उकटना') . उच्चारधू; बोलवू उघटा वि० जुओ 'उकटा'
उच्चार, ०ण पुं० [सं.] बोलवं ते . उघड़ (-र)ना अ० क्रि० ऊघडवू (प्रेरक उच्छव पुं० (प.) ओच्छव उघाड़ (-र) ना)
उच्छाव पुं० (प.) उत्साह उचकन पुं० कशाने एक बाजु ऊंचुं। उच्छाह पुं० (प.) जुओ 'उछाह'
करवा नीचे मुकातुं टेकण . .उच्छिष्ट वि० [सं.] एर्छ (२) पुं० एठवाड "उचकना अ.क्रि० ऊंचे थवू (२) कूदवू (३) मध
[उछांछळ (३) स०क्रि० ऊछळीने लेवं (प्रेरक उच्छृखल वि० [सं.] उदंड; निरंकुश; उचकाना)
उच्छेद पुं० [सं.] खंडन; नाश । उचका अ० अकदम; अचानक उच्छ्वास पुं० [सं.] श्वास भेटवू उचक्का पुं० (स्त्री०-क्को) ऊंचकी । उछंग पुं० (प.) खोळो; गोद.-लेना
जनारो- चोर; ठग; बदमाश उछकना अ०क्रि० (प.) छाक के नशो उचटना अ०क्रि०अलग थवू; हटवू (२) . ऊतरवो; भानमा आवद्यु
ऊखडq (३) भडकवू(४) विरक्त थर्बु उछर(-ल)ना अ०क्रि० ऊछळवू; कूदवू उचड़(-२)ना अ० क्रि० ऊखड, (२) (२) खूब राजी थर्बु (३) ऊपसवं हठवू; अलग थQ
(प्रेरक उछार (-ल)ना) उचना अ०क्रि० (प.) ऊंचुं थवं; 'उचक- उछल-कूद स्त्री० खेलq कूदवू ते (२) ना' (२) सक्रि० ऊंचुं करवू
अधीराई; अजंपो उचरंग पुं० पतंगियु
उछलना अ० क्रि० जुओ. 'उछरना' उचरना अ०क्रि० ओचर; बोलवं (२) उछाँटना सक्रि० मन ऊंचु कराव(२) जुओ 'उचड़ना'
(प.) 'छाँटना'; वीण
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५९
उटज
___ 'उजारा'
उछार उछार(-ल) स्त्री० ऊछळवू - कूदको उजास पुं० उजास; अजवाळं
मारवो ते (२) छलंग (३) ऊलटी उजियार पुं० (२) वि० (प.) जुओ उछार(-ल)ना सक्रि०'उछरना'- प्रेरक 'उजारा (-ला)' ['उजालना' उछाला पुं० उछाळो; जोश (२)ऊलटी उजियारना स० क्रि० (प.) जुओ उछाह पुं० [सं. उत्साह] (वि० -हो) उजियारा (-ला) पुं० जुओ 'उजारा' उत्साह, उमंग (२) उत्सव (३) उजियारी स्त्री० (प.) चांदनी(२)प्रकाश उत्कंठा; इच्छा
उजीर पुं० (प.) वजीर; प्रधान उजड़ (-र)ना अ०क्रि० उज्जड, वेरान, उज्जल अ० जुओ 'उजान' (२) वि. __ अस्तव्यस्त थवू; नाश पामवं . (प.) उज्ज्व ळ उजडू वि० [सं. उदंड गमार; असभ्य; - उज्ज्वल वि० [सं.] चळकतुं; ऊजळ (२) मूर्ख (२) उदंड; निरंकुश
धोळं; निर्मळ उजबुक पुं०[तु.] एक जातनो तातार(२) उज्यारा पुं० (प.) जुओ 'उजारा' वि० बेवकूफ; मूर्ख
उज्यास पुं० (प.) उजास उजर पुं० उजर; जओ 'उज' ... उजेर,-रा,-ला पुं० (२) वि० जुओ उजरत स्त्री० [अ.] मजूरी (२) भाडु उजरा वि० (प.) जुओ ‘उजला'
उज्र पुं० [अ.] उजर; बहानु (२) वांधो; उजलत स्त्री० [अ.] उतावळ; जलदी। हरकत, आपत्ति (३) माफी; क्षमा उजलवाना स० क्रि० (घरेणां, शस्त्र उज्र-वाही स्त्री० मरण प्रसंगे दिलासो इ०) धोवडावq; साफ कराव,
देवा-बेसवा जवू ते उजला वि० (स्त्री०-ली) उज्ज्वळ; उज्रवारी स्त्री० [फा. अदालतमां कोई.
ऊजळू; धोळं (२) स्वच्छ । ‘मागणीनी सामे पोतानो वांधो रजू उजागर वि० ( स्त्री०-री) झगझगतुं
करवो ते (२) प्रसिद्ध
उज-माजिरत स्त्री० [अ.] माफी; क्षमा उजागरा पुं० उजागरो
उझकना अ० क्रि० ऊछळव (२) जोवा उजाड़(-र) पुं० उज्जड स्थान (२) माटे ऊंचु थर्बु (३) चोंकवू जंगल (३) वि० उज्जड; वेरान उझरना अ०क्रि० ऊछळवं; उपर आवळू उजाड़ (-र)ना स० कि० उजाडवू उझ (-शि)लना सक्रि० [सं.उज्झरण] उजान अ०सामे प्रवाह ('भाठा'थी ऊलटुं)।
प्रवाहीने उपरथी रेडवू; ढोळy (२) उजारा(-ला) पुं० अजवाळं; प्रकाश ।
अ० क्रि० (नदीमां) रेल आववी -- (२) वि० उज्ज्वळ
उटंग वि० मापमां नानु (कपडु) उजारी (-ली) स्त्री० चांदनी
उटंगन पुं० एक छोड (पाननी शाकउजालना स० कि० (घरेणुं, शस्त्र इ०) भाजी थाय छ) . [करवं
धोवू; साफ करवू; अजवाळवू (२): उटकना स० क्रि० अटकळवू; अनुमान । जाळवू; बाळg
उटज पुं० [सं.] झुपडी
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उगन
उगन पुं० अठींगण; टेको उठगना अ० क्रि० उटंग; अगि (२) सूवुं; पड्या रहेवुं [बंध करवु उठेगाना स० क्रि० ( कमाड ) वासवं; उठना अ० क्रि० [सं. उत्थान] ऊठवुं. उठ जाना=मरी जवं. उठती जवानी : ऊगती जुवानी
=
उठबैठ स्त्री० ऊठबेस; ऊठवुं बेसवु ते; अजंपो ( २ ) ऊठबेस कसरत उठल्लू वि० रखडेल; अस्थिर उठाईगीर ( - रा) वि० उठावगीर ( २ ) बदमाश
उठाऊ - चूल्हा वि० 'उठल्लू'; अस्थिर उठान स्त्री०, उठाव पुं० [सं. उत्थान ] 'ऊठवुं ते; उठाव (२) आरम्भ (३) उठाव; उपाड
उठाना सं० क्रि० उठाववं. उठा देना = खर्ची नांखवं; उडावी देवु. उठा रखना = बाकी राखवु
• उठौआ (-वा) वि० उठावीने आधुपाछु ई.
उठनी स्त्री० उठाववुं ते (२) उठाववानी मंजूरी (३) उठमणा जेवी एक रीति (४) खेडूतोने फसल पर अगाउथी धिरातां नाणां उडकू वि० ऊडी शके एवं उड़खाना अ० क्रि० अप्रिय लागवुं उड़चक पुं० चोर; 'उचक्का' उड़ ( -र) द पुं० जुओ 'उरद' - पर सफेदी = धूळ पर लींपण
उड़न स्त्री० ऊडवुं ते उड़नखटोला पुं० विमान उड़नछू वि० छूकरी जनारु; गोटलीमार. - होना = छू थई जवं
६०
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उढ़ाना
उड़ना अ० क्रि० ऊडव ( २ ) स०क्रि० कूदीने पार करवु. उड़ चलना अ० क्रि० झपाटामां चालवु (२) कुमार्गे जयं (३) रोफमां चालव (४) रसोई स्वादिष्ट बनवी
उड़व पुं० ओडव जातनो राग उड़सना अ० क्रि० पथारी के बिस्तरो लपेटवो (२) नष्ट थवुं
उड़ाऊ वि० ऊडनारुं; 'उड़ाका' ( २ ) उडाउ; खरचाळ
उड़ाका ( - कू) वि० ऊडनाएं; ऊडी . शकनारुं [ कूदको; छलंग उड़ान पुं० 'उड़न'; ऊडवुं ते (२) उड़ाना स० क्रि० उडाववं'; 'उड़ना' नं प्रेरक
1
उड़ासना स० क्रि० बिस्तरो उठाववोसमेटवो
उड़िया वि० ओरिसा देश वासी उड़ीसा पुं उत्कल ओरिसा उडुंबर पुं० [सं.] उमरडो उडु स्त्री० [सं.] तारा (२) पक्षी (३) नाविक (४) पाणी
उडुप पुं० [सं.] चन्द्र ( २ ) होडी उड़स पुं० माकण
उड़लना स० क्रि० रेडव; ढोळवु उड़नी स्त्री० ( प. ) आगियो उड्डयन पुं० [सं.] ऊडवं ते उढ़कना अ० क्रि० ठोकर खावी (२) रोका; थोभवु (३) टेको लेवो; अढेलधुं ( प्रेरक - उढ़काना ) उदरना अ० क्रि० नातरे जव उदरी स्त्री० रखात ( २ ) नातरे काढी लीली स्त्री
उढ़ाना स०क्रि० ओढाडवु; ढांक
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'
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उढ़ावनी उदावनी, उढ़ौनी स्त्री० ओढणी उतंग वि० (प.) उत्तुंग; ऊंचं ' उत, न अ० (प.) ते तरफ; त्यां उतना वि० (स्त्री० -नी) एटलं उतरन पुं० ऊतरेखें कोई पण वस्त्र उतरना अ० क्रि० ऊतरवं उतराई स्त्री० नीचे ऊतरवानी क्रिया (२) नदी पार ऊतरवार्नु खर्च (३) उतार; ढाळवाळी जमीन उतराना अ०क्रि० [सं.उत्तरण] पाणीनी उपर आवयूँ (२) ऊकळवू; ऊभरा (३) प्रगट थq (४) सक्रि० उतरावq उतरायल वि० ऊतरेलु; पुराणुं . उतलाना अ० क्रि० उतावळ करवी. उतान वि० [सं. उत्तान] चीत; चत्तुं उतायल अ० (प.) जुओ ‘उतावल' उतायली स्त्री० (प.) जुओ 'उतावली' उतार पुं० ऊतरवं ते (२) नदीनो
उतार (३) झेर, केफ इ० नो उतार उतारन स्त्री० उतारेल- जीर्ण वस्त्र; 'उतरन' (२) माथा पर दाणा इ० उतारीने वाळवा ते; 'उतारा' उतारना स० क्रि० उतार उतारा पुं० उतारो ऊतरवानी जगा(२) नदी पार करवी ते (३) भूत इ० माटे दाणा वगेरे उतारवा ते के तेनी वस्तु उतारू वि० तैयार; तत्पर उताल अ०, -ली स्त्री० (प.) जुओ .
अनुक्रमे 'उतावल, -ली' । उतावल अ० जलदी (२)स्त्री० उतावळ उतावला वि० (स्त्री० -ली) उतावळु उतावली स्त्री० उतावळ उतण वि० ऋणमुक्त । उत अ० 'उत'; त्यां; ते तरफ
उत्तूगर उत्कंठा स्त्री० [सं.] तीव्र इच्छा उत्कट वि० [सं.] तीव्र; उग्र उत्कर्ष पुं० [सं.] श्रेष्ठता; मोटाई (२) चडती; उन्नति
.. उत्कुण पुं० [सं.] माकण उत्कृष्ट वि० [सं.] उत्तम; श्रेष्ठ उत्कोच पं०[सं.]लांच [पहेलो पुरुष उत्तम वि० [सं.] श्रेष्ठ. -पुरुष =(व्या०) उत्तमर्ण पुं० [सं.] लोभीरनार; महाजन उत्तर पुं० [सं.] उ दिशा (२) जवाब (३) वि० पछी- (४) चडियातुं (५) अ० पछी. उत्तर-क्रिया स्त्री० [सं.] कारज उत्तरदाता पुं० [सं.] जवाबदार माणस उत्तरदायित्व पुं० [सं.] जवाबदारी उत्तरदायी वि० [सं.] जवाबदार उत्तराधिकार पुं० [सं.] वारसो. -री पुं० वारस उत्तरायण पुं० [सं.] उतराण उत्तरीय पुं० [सं.] उपरj (२) वि.
उत्तरन (३) उपरनुं . . उत्तरोत्तर अ० [सं.] एक पछी एक; क्रमशः (२) लगातार उत्ता वि० 'उतना'; एटलं उत्साप पुं० [सं.] गरमी (२) दुःख; पीडा (३) शोक थियेलं उत्तीर्ण वि० [सं.] पारंगत (२) पास उत्तुंग वि० [सं.] ऊंचु; श्रेष्ठ उत्तू पुं० [फा.] कपडा पर भात पाडवाएक ओजार, जे गरम करीने वपराय छे;या ते द्वारा थत काम(२)वि० नशामां चकचूर. -करना = खूब मारवं पीटवू उत्तूकश, उत्तूगर पुं० [फा.] 'उत्तू' नुं काम करनार (जुओ 'उत्तू')
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उत्तेजन
उदंड उत्तेजन पं०,-ना स्त्री० [सं.] उत्तेजव . उदय पं० [सं.] ऊगव के प्रगटवं ते
ते; प्रोत्साहन . [उन्नति; चडती (२) उन्नति; चडती [भाग उत्थान पुं० [सं.] ऊठ, ते (२) उदर पुं० [स.] पेट (२) पेटुं; अंदरनो उत्थापन पुं० [सं.] उठाडवू-जाग्रत उदरना अ० कि० फाटवं ; चिरावं (२) करवं ते (२) हलावq-डगाव ते
“छिन्नभिन्न, नष्ट थर्बु - उत्पत्ति स्त्री० [सं.] उदभव; पेदाश; . उदाई स्त्री० ऊदापणुं; भूरो रंग जन्म (२) आरंभ
सदात्त वि० [सं.] दयाळ (२) उदार उत्पन्न वि० [सं.] पेदा थयेलं; जन्मेलं (३) श्रेष्ठ (४) ऊंचा सूरतुं उत्पल पुं० [सं.] कमळ
उदार वि० [सं.]. दानशील (२) विशाळ उत्पाटन पुं० [सं.] उखाडवू ते; निकंदन के सरळ दिलन उत्पात पुं० [सं.] उपद्रव; आफत (२) उदारना स० कि०[सं. उदारण] फाडवू; , उधमात; खळभळाट
चीरवं; तोडवू [खिन्न ; दुःखी उत्पादन पुं० [सं.] पेदा करवं ते; उत्पन्न उदास वि० विरक्त (२) तटस्थ (३) उत्सर्ग पुं० [सं.] छोडवं ते; त्याग (२)दान उदासी पुं० संन्यासी; त्यागी (२) उत्सव पुं० [सं.] तहेवार; मंगळ पर्व . स्त्री० उदासीनता (२) आनंद
उदासीन वि० जओ 'उदास' उत्साह पुं० [सं.]उमंग; आनंदनो उछाळो उदाहरण पुं० [सं.] दाखलो; दृष्टांत उत्सुक वि० [सं.] आतुर (२) तत्पर उदीची स्त्री० [सं.] उत्तर दिशा उथपना सक्रि० (प.) उखाड; उदीच्य वि० [सं.] उत्तरतुं रहीश (२) उथापवं; उजाड
उत्तरतुं [(३) नपुंसक उथलना अ० क्रि० [सं. उत्+स्थल] उदुंबर पुं० [सं.] उमरडो (२) ऊमरो ऊथलवं; गबड, (२) डामाडोळ थर्बु उदू पुं० [अ.]दुश्मन ; शत्रु [थवं ते (३)पाणी ओछं थर्बु (जुओ 'उथला'). उदूल पुं० [अ.] अवज्ञा (२) विमुख -पुथलनाऊथलपाथल थवं उदलहुक्मी स्त्री॰ [फा.] अवज्ञा करवी उथल-पुथल स्त्री० (२) वि० उथल- ते; आज्ञा न मानवी ते पाथल; ऊलटपुलट
उद्गम पुं० [सं.] ऊगम उथला वि० छछरुं; ऊंडु नहि एवं उद्गार पुं० [सं.] ऊभरो (२) ऊलटी उदंत वि० दांत वगरनु (पशु माटे) (३) ओडकार (४) यूंक; कफ (२) पुं० [सं.] खबर
(५) मननी वात कही नांखवी ते उदंतक पुं० [सं.] उदंत; समाचार उद्घाटन पुं० [सं.] उघाडवं ते उदक पुं० [सं.] पाणी .
उद्घात पुं० [सं.] आघात; धक्को (२). उदय पुं० (प.) [सं. उद्गीथ] सूर्य आरम्भ
[आरम्भक उदधि पुं० [सं.] समुद्र
उद्घातक वि० [सं.] आघातक (२) उदबस वि० (प.) वेरान; सूनुं उदंड वि० [सं.] उद्धत; नीडर; उद्दाम
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उनमानना उद्दाम वि० [सं.] उद्दाम; निरंकुश (२) उद्वासन पुं० [सं.] स्थान छोडावq; स्वतंत्र (३) महान ; गंभीर (४) पुं० भगाव ते (२) मारवं ते; वध वरुण (५) एक वृत्त
उद्वाह पुं० [सं.] विवाह उद्दिष्ट वि० [सं.] बतावेलु (२) उद्विग्न वि० [सं.] उद्वेगवाळु [आवेश अभिप्रेत; उद्देशेलं
उद्वेग पुं० [सं.] व्याकुळता (२) मननो उद्दीपन पुं० [सं.] उत्तेजित करवं ते उधड़ना अ० कि० ऊखड; (चोटेलं) के तेम करे तेवो पदार्थ
अलग थq; उधेडावू उद्देश पं० [सं.] इच्छा (२) हेत; उधर अ० ए तरफ; बीजी बाजु कारण. -श्य वि० (२) पुं० लक्ष्य । उधरना अ०क्रि० (प.) उद्धर; छूटवू उद्धत वि० [सं.] उग्र; न गांठे एवं (२) जुओ 'उधड़ना' (३) स० क्रि० (२) मोटुं; ऊंचु
उद्धार उद्धरना स० क्रि० उद्धार करवो (२) । उधराना अ० क्रि० विखेराई. जवू; अ० कि० ऊगरवू; ऊधरवू
हवाथी ऊडी जवू (२) उधमात करवो उद्धार पुं० [सं.] मुक्ति; छुटकारो (२) उधार पुं० [सं. उद्धार करज; ऋण;
उन्नति (३) उधार; वगरव्याज देवं देवं (२) उधार के उछीन लेव ते (३) उद्धृत वि० [सं.] उगारेल; उतारेल
उद्धार. -खाए बैठना-कशी के कोईनी उद्ध्वस्त वि० [सं.] भाग्यं तूटयु आशा के आधार पर बेठा रहेवू उद्बोध, न पुं० [सं.] ज्ञान; जागृति उधारना स० क्रि० (प.) उद्धारवू उद्भट वि० [सं.] प्रबळ ; श्रेष्ठ उधेड़ना सकि० उधेड (२) सीवण उद्भव पुं० [सं.] उत्पत्ति (२) उन्नति उकेलq (३) विखेरवू . उद्भास पुं० [सं.] प्रकाश (२) प्रतीति उधेड़बुन स्त्री० [हिं. उधेड़ना, बुनना] उद्भिज (-ज्ज,-द) पुं० [सं.] उद्भिद; बांधछोड; विचारणा (२) पंचात बनस्पति
उन, स० 'उस' न ब० व० (२) [सं.] उखत वि० [सं.] तैयार; तत्पर ... अंकमां 'एक कम' ए अर्थमा वपराय उद्यम पुं० [सं.] महेनत (२) उद्योग; छे. उदा० । उनतीस' कामधंधो. -मी वि०
उनइस वि० 'उन्नीस'; १९ उद्यान पुं० [सं.] बाग
उनचालीस, उनतालीस वि० ओगणउद्यापन पुं० [सं.] कोई व्रत नियमनी चालीस; ३९ । पूर्णाहुतिनी उजवणी
उनचास वि० 'उंचास'; ४९ उद्योग पं० [सं.] जुओ 'उद्यम'.-गी वि० उनतीस वि० ओगणत्रीस; २९ उद्रेक पु०[सं.] अतिशयता; खूब वृद्धि । उनमना वि० जुओ ' अनमना' उद्वह पु० [सं.] (स्त्री-हा) पुत्र... उनमान पुं० (प.) अनुमान; अंदाज (२) उद्वहन पुं० [सं.] उपर खेंचq ते (२) माप (३.) वि० समान उद्वाह; विवाह
उनमानना सकि० अनुमानवू;अंदाजदूं
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उनमुना
उपदंश उनमुना वि० (प.) मौनी; चूप उन्हें स० तेमने ('उन'नी बीजी ने उनसठ वि० ओगणसाठ; ५९
चोथी विभक्तिन रूप) उनहत्तर वि० अगणोतेर; ६९ उपंग पुं० एक वाद्य उनींदा वि० [सं. उन्निद्र] (स्त्री०-दी) उपकरण पुं० [सं.] साधन सामग्री (२) ऊंघतुं; ऊंघ भरायेलं
छत्र, चमर. इ० राजचिह्न उन्का पुं० [अ.] एक कल्पित पक्षी (२) उपकार पुं० [सं.]भलाई(२)लाभ;फायदो वि० अप्राप्य (३) दुर्लभ
उपकारक, उपकारी वि० [सं.] उपकार उन्नत वि० [सं.] ऊंचु (२) उत्तम करनार उन्नति स्त्री० [सं.] ऊंचाई (२) चडती; उपकार्या स्त्री० तंबू . . [कृतज्ञ 'तरक्की '
उपकृत वि० [सं.] उपकार तळे आवेलं; उन्नाब पुं० [अ.] एक जातवें बोर उपक्रम पुं० [सं.] आरंभ (२) भूमिका
(हकीमो दवामां वापरे छे) उपक्रमणिका स्त्री० [सं.] अनुक्रमणिका; उन्नाबी वि० 'उन्नाब' ना रंगन ; घेरं
सांकळियं. लाल (२) पुं० तेवो रंग
उपखान पुं०(प.)उपाख्यान; पुराणी कथा उन्नासी वि० ओगण्याशी ७९ उपग्रह पुं० [सं.] केद; बंधन (२) उन्निद्र वि० [सं.] निद्रा रहित (२) नाना के मोटा ग्रहनो ग्रह विकसित; खीलेलं
उपचार पुं० [सं.] इलाज; दवा (२) उन्नीस वि० ओगणीस; १९. -बिस्वे= सेवा; पूजन (३) लांच . अ० मोटे भागे; घणं करीने. -बीस उपज स्त्री० ऊपज; पेदाश (२) नवी होना = (बे वच्चे) भेद होवो; एकथी सूझ; शोध; कल्पना (३) कपोलकल्पित बीजं चडवू.-होना = गुण के मात्रामां उपजना अ० क्रि० ऊपज थोडं घटवं . बेभान , उपजाऊ वि० उपजाउ, फळद्रूप (भूमि). उन्मत्त वि० [सं.] मदांध (२) पागल; उपजाना सकि. उपजाववं पेदा कर उन्मन, ०स्क वि० [सं.] उदास; व्यग्र उपजीवन पुं० [सं.] निर्वाहमां परावउन्माद पुं० [सं.] पागलपणु; चित्तभ्रम . लंबन [निशान; चिह्न उन्मार्ग पुं० [सं.] खोटो मार्ग; दुराचार उपटन पुं० 'उबटन'; उपटण (२) उन्मीलन पं० [सं.] खलव के खील ते उपटना अ० क्रि० निशान पडवं ; जेम उन्मुख वि० [सं.] उत्सुक (२) उद्यत के शाही फूटवानुं के भारथी लखवा, उन्मूलन पुं० [सं.] जडमूळथी उखेड ते (२) ऊखडवू (प्रेरक -उपटाना) उन्मेष पं.सं.] पलकारो (२)झबकारो; उपड़ना अ० क्रि० ऊखडq; ऊपडवू थोडो प्रकाश (३) खील ते . (२) 'उपटना'; निशान पडवू उन्वान पुं० [अ.] (पुस्तक इ० )नाम; उपत्यका स्त्री० [सं.] तळेटी शीर्षक (२) ढंग; रीत
उपदंश पुं०. [सं.चांदी के गरमीनो उन्स पुं० [अ.] महोबत ; प्यार - रोग (२) गजक ..
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उपदिशा
उपविशा स्त्री० [सं.] खूणो उपदेश, स पुं० बोध; शिखामण उपदेशक पुं० [सं.] उपदेश आपनार उपदेश ( स ) ना स० क्रि० उपदेश उपद्रव पुं० [सं.] उत्पात; खळभळाट (२) उधमात; दंगोफिसाद; बखेडो उपद्रवी वि० [सं.] उधमातियुं; बखेडो करनाएं [ शरणमा लेव उपधरना स० क्रि० ( प. ) अपनावबुं; उपधा स्त्री० [ सं . ] छळ; कपट ( २ ) उपाधि; पंचात [ तकियो उपधान पुं० [सं.] टेको; आधार (२) उपनना अ० क्रि० (प.) ऊपनवु; ऊपजबु (प्रेरक उपनाना ) उपनय, ०न पुं० [सं.] जनोई के उपवीत संस्कार [ तखल्लुस उपनाम पुं० [सं.] बीजुं नाम ( २ ) उपनिवेश स्त्री० [सं.] वसाहत; 'कॉलोनी' उपन्यास पुं० [सं.] नवलकथा उपपत्ति स्त्री० [ सं . ] साबिती; प्रतिपादन करवं ते (२) हेतु
• उपभोग पुं० [सं.] माणवु, भोगववुं ते उपमा स्त्री० [सं.] तुलना (२) एक अलंकार [स्त्री० धाव उपमाता पुं० [सं.] उपमा देनार ( २ ) उपमान पुं० [सं.] जेनी उपमा अपाय ते उपमाना स० क्रि० ( प. ) उपमा देवी; सरखावबुं
उपमेय पुं० [सं.] जेने उपमा आपवानी ते उपयुक्त वि० [सं.] योग्य;' वाजबी उपयोग पुं० [सं.] खप (२) योग्यता ( ३ ) फायदो; लाभ (४) प्रयोजन; जरूर उपयोगी वि० [सं.] खपनुं (२) लाभदायी (३) माफक ; अनुकूळ
हिं-५
६५
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उपली
उपरत वि० [ सं . ] विरक्त (२) मरेलुं उपरति स्त्री० [सं.] वैराग्य (२) मरण उपरना पुं० उपरणं (२) अ० क्रि० जुओ 'उपड़ना'; ऊखडवुं उपरफट (-हू) वि० फालतु; छूटक (२) ठेकाणा वगरनुं नका [ अर्थ मां ) उपरांत अ० तें पछी ( समयवाचक उपराचढ़ी स्त्री० चडसा - चडसी ; स्पर्धा उपरांना अ० क्रि० उपर आववुं (२) प्रगट थवुं ( ३ ) स० क्रि० उपर करवुं; उठाव [ आराम उपराम पुं० [सं.] उपरति ; वैराग (२) उपराला पुं० उपराळं; पक्ष लेवो ते.. -करना = उपराळं लेबुं
उपरावटा वि० माथुं ऊंचं राखनाएं; गर्विष्ठ; अक्कड
उपरि अ० [सं.] उपर उपरी-उपरा पुं० अहमहमिका; पापडी; स्पर्धा उपरैना पुं० उपरणं
उपरंनी स्त्री० उपरणी; ओढणी उपरोक्त वि० उपर के पहेलुं कहेलुं उपरौंछा पुं० अंगूछो; दुवाल (२) अ० उपरनुं [ ( स्त्री०. -ठी) उपरौठा वि० उपरनुं; उपर आवेलुं उपर्युक्त वि० [सं.] उपरोक्त उपल पुं० [सं.] पथ्थर (२) 'ओला' ; करा (३) रत्न (४) वादळ उपलक्ष, क्ष्य पुं० [सं.] चिह्न (२) उद्देश. - मैं = (अमुक) दृष्टि के विचारथी उपलब्ध वि० [सं.] मळेलुं (२) जाणेलुं उपलब्धि स्त्री० [सं.] प्राप्ति ( २) ज्ञान उपला पुं० [सं. उत्पल] छाणुं; जेरणुं उपली स्त्री० नानुं जेरणुं
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चडसा-चडसी;
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उसक
उपल्ला उपल्ला पुं० कोई वस्तुनो उपलो भाग उपवन पुं० [सं.] बाग [-सी वि० उपवास पुं० [सं.] न खावं ते ; लांघो. उपवीत पुं० [सं.] जनोई उपशिष्य पुं० [सं.] शिष्यनो शिष्य उपसंहार पुं० [सं.] समाप्ति (२) सारांश उपस स्त्री० दुर्गंध; बदबो उपसना अ०कि. गंधावू; सडवू; वासी थर्बु (प्रेरक उपसाना) . . उपसर्ग पुं० [सं.] अपशुकन (२) देवी उत्पात (२) व्याकरणमां उपसर्गअनु, अव इ० [भाग; खाडी उपसागर पुं० [सं.] नानो समुद्र; समुद्रनो उपस्थ पुं० [सं.] गुह्य इंद्रिय (२) पेढ़ (३) गोद (४) वि० पासे बेठेलु उपस्थित वि० सं.] हाजर (२) याद उपस्थिति स्त्री० [सं.] हाजरी उपहार पुं० [सं.] भेट; नजराणुं । उपहास पुं० [सं.], -सी स्त्री० (प.) हांसी (२) निंदा उपही पुं० (प.) अजाण्युं माणस:परदेशी उपांग पुं० [सं.] अंगनुं अंग; अंगनो भाग;
अंश (२) तिलक उपांत्य वि० [सं.] छेल्लानी पहेलं उपाइ, उ,-व पुं० (प.) उपाय उपाख्यान पुं० [सं.] पुराणी कथा
(२) वृत्तांत उपाट (-3)ना सक्रि० (प.) उखेडवू उपादान पुं० [सं.] प्राप्ति; (२) जाणः । बोध. (३) मूळ पदार्थ जेमांथी बीजें कांई बने ते; कारण । उपाधि स्त्री० [सं.] उपाधि (पीडा; इलकाब; चिह्न वगेरे अर्थो) (२) छळ; कपट; 'उपधा' .
उपाधी वि० [सं. उपाधिन उपद्रवी;
उपाधि के उत्पात करनारं उपाध्याय पुं० [सं.] शिक्षक; गुरु. -या स्त्री० शिक्षिका. -यानी स्त्री० गुरुपत्नी.-यी स्त्री० गरुपत्नी(२)शिक्षिका उपानत (-ह) पुं० [सं.] उपान ; जोडो;
पगरखं [करवं; रचवू उपाना सक्रि० (प.) पेदा करवु (२) उपाय पुं० [सं.] युक्ति; इलाज (२) पासे जवं ते उपायन पुं० [सं.] उपहार; भेट उपारना सक्रि० (प.) जुओ उपाटना उपार्जन पुं० [सं.] कमावू ते; कमाणी उपार्जित वि० [सं.] कमायेलं; मेळवेलं उपालंभ पुं० [सं.] ठपको; 'उलाहना' उपाव पुं० (प.) उपाय उपास पुं० उपवास उपासक पुं० [सं.]उपासना करनार;भक्त उपासना स्त्री० सं.] प्रार्थना; भक्ति; पूजा (२) सक्रि०(प.)सेवापूजा करवी (३) अ० कि. उपवास करवो उपासी वि० (प.) उपासक(२)उपवासी (३) स्त्री० उपासना उपास्य वि० [सं.] पूज्य ; आराध्य उपेक्षा स्त्री० [सं.] उदासीनता बेपरवाई
(२) अवगणना उपेक्षित वि० [सं.] उपेक्षा करायेलं उपेक्ष्य वि० [सं.] उपेक्षा करवा जे उपना वि० (प.) उघाडु; नागुं उपोद्घात'पुं० [सं.] प्रस्तावना; भूमिका उपोषण, उपोसथ पुं० उपवास उफ़ अ० [अ.] शोक पीडा के दुःखनो
उद्गार - ऊंह उफ़ (-) पुं० [अ.] क्षितिज
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६७
उफड़ना अ०क्रि०(प.) जुओ 'उफनना'. उबरना स० क्रि० (प.) उद्धारवु; उततादगी स्त्री० [फा.] नम्रता बचाव उफ़तादा वि० [फा.] पडतर (खेतर). उभड़(-२)ना अ० क्रि० ऊंचु थवं; उफनना, उफनाना , अ० क्रि० [सं. ऊठी आववं; फूल, (२) ऊपजवं (३)
उत् + फेन] उभरावं; उछाळो मारवो खूलवं (४) वध उफान पुं० ऊभरो; उछाळो
उभय वि० [सं.] बंने उक्त पुं० जुओ 'उफ़क'
उभा स्त्री० ओभा; चिन्ता उबकना अ०कि. ऊबको आववो;ओकवू
उभाड़ पुं० ऊंचाई (२) वृद्धि उबकाई स्त्री० ऊबको; उलटी
उभाड़ना. स० क्रि० 'उभड़ना नुं प्रेरक उबटन पुं० [सं. उद्वर्तन] उपटण;
(२) उश्केर; बहेकाववं . • 'उपटन'; मालिस माटेनी एक सुगंधी
उभै वि० (प.) उभय [अधिकता बनावट उबटना अ० क्रि० उपटण मालिस करवं
उमं(-म)ग स्त्री० उमंग (२) जोश; उबरना अ० क्रि० [सं. उद्दारण]
उमें (-म)गना अ०क्रि०ऊमग ऊमडवू; ऊमर (छूटq के बचत थवी)
ऊभरावं (२) उमंगमां आवq उबरा वि० (स्त्री० -री) ऊगरेलु
उमड़ स्त्री० भरती; भरावो; वृद्धि उबलना अ० क्रि० [सं. उद्+वलन]
उमड़ (-ड़ा)ना अ० क्रि० ऊभडवं; ऊकळवू; खळखळ करत ऊछळवू (२)
ऊभरावं (२) ऊमटवू (जेम के वादळ) ऊभरावू
(३) आवेशमां-जोशमां आववं उबहना स० क्रि० (प.) हथियार उमदा वि० जुओ 'उम्दा' . खेंचवू- म्यानमांथी काढवू (२) उमर स्त्री० जुओ 'उम्र' उलेचq (३) जुओ 'जोतना' (४) उमर-कद स्त्री० जनमटीप. -दी पं. वि० उघाड-पगुं [छुटकारो उमरा, ०३ पुं० ('अमीर'ब०व०) उबार पुं० [सं. उद्वारण] उगारो; उमराव लोक; अमीरो उबारना स० क्रि० 'उबरना' नुं प्रेरक उमस स्त्री० [सं. उष्म] बफारो; कारो उबारा पुं० कूवानो हवाडो
उमाह पुं० (प.) उत्साह, उमंग उबाल पुं० ऊभरो; ऊछाळो; 'उफान' उमूम वि० [अ.] साधारण; आम उबालना स० क्रि० 'उबलना' प्रेरक उमेठ(-)ना स० क्रि० [सं. उद्वेष्टन] उबासी स्त्री० [सं. उश्वास] बगासुं। __ 'ऐना'; आमळवू उबाहना स० कि० जुओ 'उबहना' उम्दगी स्त्री० [फा.] उमदापणुं; उत्तमता उबि (बी)ठना स० क्रि० अरुचि थवी; उम्दा वि० [अ.] उमदा अच्छंभल:सारं मनमाथी ऊतरी जवु (२) अ०क्रि० उम्मत स्त्री० [अ.] जमात; फिरको (२) गभरावं; जीव गभरावो .
एक संप्रदायनी मंडळी (३) ओलाद; उबेना वि० (प.) जुओ 'उबहना'
परिवार
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उम्मी
उलझौहाँ उम्मी पुं०[अ.] नानपणमां बाप वगरनो उर्दू स्त्री० [तु.] अधिक अरबी फारसी थयेलो जेयी मा के दाईए उछेरेलो शब्दोवाळी हिंदी भाषा जे फारसी ते (२) अभण (३) महंमद पैगंबर लिपिमा लखाय छे. (२) पुं० छावणी.. (४) कोई 'उम्मत' नो माणस -ए मुल्ला स्त्री० ऊंची उर्दू. ०बाजार उम्मी(-म्मे)द [फा. उमेद .
पुं० लश्करन बजार उम्मेदवार पुं० [फा.] इच्छुक (२) । उर्फ़ पुं० [अ.] उपनाम; उरफे बोलातुं उमेदवार. -री स्त्री०
बीजं नाम उन्न स्त्री० [अ.] उमर; आयु
उमि स्त्री० (प.) अमि उर पुं० छाती (२) हैयु; दिल उर्वरा स्त्री० [सं.] उपजाउ जमीन (२) उरग पुं० [सं.] साप
पृथ्वी (३) वि० स्त्री० उपजार; उरझना अ०क्रि० (प.) जुओ 'उलझना' फळद्रुप (जमीन) उरण पुं० [सं.] घेटुं, मेंढुं (२) युरेनस ग्रह उर्वी स्त्री० [सं.] पृथ्वी [मरणतिथि उरद पुं० अडद; 'उर्द'
उर्स पुं० [अ.] ओरस; पीर वगैरेनी उरदी स्त्री० नाना दाणाना अडद ।
उलंग वि० [सं. उन्नन] नागुं उरबसी स्त्री० उर्वशी .
उलंघना सक्रि० उल्लंघवं (ओळंगवं उरबी स्त्री० (प.) उर्वा; पृथ्वी
के न मानवू - लोपवू) उरमाल पुं० (प.) रूमाल
उलका स्त्री० उल्का; खरतो तारो उरला वि० पछी- ; पाछल (२)विरलं
उलच (-छ)ना सक्रि०जुओ'उलीचना' उरस वि० फीकुं; नीरस (२) पुं० उर; छाती (३) हृदय
उलझन स्त्री० फांस; गूंच (२) कोयडो;
समस्या (३) चिंता उरसना सक्रि० ऊंचुं नीचुं करवं उरसिज पुं० [सं.] स्तन .
उलझना अक्रि० (ऊलटुं 'सुलझना') उराहना पुं० जुओ 'उलाहना'
फसावं; जकडावं (२) लपटावं (३) उरिण (-न) वि० उऋण; ऋणमुक्त
काममां लीन थर्बु (४) मुश्केलीमा उह वि० [सं.] विशाळ; लांबूपहोळं (२)
फसावं (५) झघडवू; तकरार करवी पुं० (प.) ऊरु; जांघ
. (६) वांकु थ; आमळ चडवो उरुवा पुं० घुबड जेवू एक पक्षी; 'रुरुआ' उलझना-पुलझना अ० क्रि० बरोबर उरूज पुं० [अ.] वृद्धि; चडती फसावं- लपटावू उरूस स्त्री० [अ.] वधू
उलझाना स० कि० 'उलझना नुं प्रेरक उरे अ० आगळ (२) दूर उलझा-पुलझा वि० वांकु के सीधु (२). उरेह पुं० चित्र के ते दोरवं ते भलु के बूरुं उरेहना सक्रि० चित्र दोर उलझाव, उलझेड़ापुं० फसावं ते (२) उरोज पुं० [सं.] स्तन
' झघडो; बखेडो (३) चक्कर; फेर उर्द पुं० 'उरद'; अडद
उलझौहाँ वि०फसावनार के लोभावनार
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उलटना .
उल्लेख उलटना अ० कि० [सं. उल्लोठन] उललना अ० क्रि० (प.) ऊछळवू ऊलट (२) स० क्रि० ऊलटुं के उलहना अ०क्रि० खीलq (२) उल्लासवू ऊंधु करवं (३) अस्तव्यस्त कर (४)
(३) जुओ 'उलाहना' कलटी करवी. [गोटाळो
उलॉक पुं० 'डाक'; टपाल उलट-प(-पु)लट स्त्री० ऊलटपूलट, उलट-फेर पु० फेरफार; पलटो परिवर्तन
उलांक-पत्र पुं० पत्तुं; पोस्टकार्ड
उलाँकी पुं० टपाली उलटा वि० (स्त्री०-टी)ऊलटुं.-हाथ = पु० डाबो हाथ. उलटी खोपड़ीका=
उलार वि० उलाळवाळं (गाई) जड; मूर्ख. उलटी गंगा बहना न
उलारना स०क्रि० उछाळq(२)उलाळबुं
उलाहना पुं० ओळंभो; ठपको के रान। बनवानें बनव. उलटी माला फेरना=3 बुरुं ताकवू. उलटी सांस चलना
__ फरियाद (२)सक्रि० दोष देवो; निंदवं मरवा वखतनो सास चालवो. उलटी . उलीचना स० क्रि० उलेचQ सोषी सुनाना-झाटकवू; धमकाववं. उलूक. पुं० [सं.] घुवड उलटे छुरेसे मुंडना-बेवकूफ बनावीने उलूखल पुं० [सं.] खांडणियो (२) गगळ काम काढवु. उलटे पाँव फिरना= . उलेड़ना स०क्रि० (प.) जुओ 'उड़ेलना' तरत पार्छ फरवू. उलटे मुंह गिरना= उलेल स्त्री० (प.) उमंग; जोश; उछाळो] बीजानु अनिष्ट करवा जतां पोतानू (२) वि० अलेल; नादान; बेपरवा] थ
उल्का स्त्री० [सं.] खरतो तारो (२) उलटा-प(-पु)लटा वि० ऊलटपूलट प्रकाश (३) मशाल उलटा-पलटी स्त्री० फेरफार; अदला- उल्कापात पुं० [सं.] तारो खरवो ते (२) बदली
उत्पात; दंगो; खळभळाट उलटाव पुं० पलटो; फेरफार
उल्था पं० भाषांतर; तरजुमो उलटी स्त्री० ऊलटी (२) गोटमडं उल्लंघन पु० [सं.] लांघवं ते (२) उलटे अ० ऊलटु ; अवळी रीते. -पांव उल्लंघन; अवगणना "फिरना=तरत ऊभे पगे पार्छ फरवू उल्लंघना सक्रि० उल्लंघवं; उलंघना' उलथना स० क्रि० ऊथलपाथल के
उल्लास पुं० [सं.] प्रकाश; झळक (२) उलटपुलट करवं; उथलाव, (२)
हर्ष; आनंद (३) ग्रंथनो भाग के खंड. भ० कि० (प.) अथलावू
उल्लासी वि० आनंदी उलया पुं० ताल प्रमाणे ठेकवू ते (२) पासु फेरव ते (३) ऊथलो; गुलांट
उल्लू पुं० [सं. उलूक घुवड (२) उल्लु; (४) जुओ उल्था'
मूरख. -करना, बनाना-उल्लु बनाउलद स्त्री० (प.) वरसादनी झडी व. -का पट्टा = मूर्ख. -फंसाना = उलदना अ० कि० खूब वरसQ (२)
बराबर चुंगलमां लेबु. -बनना, होना स० क्रि० (प.) वरसावq
= उल्लु बनवू. -सीधा करना= काम उलफत स्त्री० [अ.] प्रेम; 'उल्फ़त' - बनावq-साधी लेवं.. लखवू ते उलरना अ० क्रि० (प.) ऊछळवू; कूदq उल्लेख पुं०[सं.] वर्णन; 'जिकर' (२)
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उल्व
उल्व पुं०[सं.] उल्ब; ओर (२) गर्भाशय उशीर पुं० [सं.] खस; वीरण उषा स्त्री० [सं.] अरुणोदय के तेनी लालिमा
उष्ट्र पुं० [सं.] ऊंट [ (३) डुंगळी उष्ण वि० [सं.] गरम (२) पुं० उनाळो उष्णता स्त्री०, -स्व पुं० [सं.] गरमी ताप उष्णीव पुं० [सं.] पाघडी; साफो (२) मुगट उष्म पुं०, -ष्मा स्त्री० [ सं . ] गरमी उस सर्व ० विभक्तिओमां यतुं 'वह' नं रूप. जेम के ' उसने, उसको उसकन पुं० वासण मांजवानो कूचो उसनना स०क्रि० उकाळवु (२) पकाववुं उसनाना स० क्रि० 'उसनना' नुं प्रेरक उसाँस, उसास स्त्री ० लांबो श्वास उसासी स्त्री० अवकाश; छूटी उसी स० 'उस ही'; ए ज
७०
म, ऊँघ, ऊँघन स्त्री० जरा ऊंघनं शोकुं आववुं ते; ढणको ऊँगा पुं० अपामार्ग; अंघेडो - एक छोड ऊँघना अ० क्रि० ऊंघनं झोकुं खावुं; जरा ऊंघ आवी जवी ऊँच वि० ऊंच
ऊँचनीच वि० ऊंचुनीचुं (२) नानुं मोटं (३) भलुंबूरुं सारंनरसुं; लाभालाभ ऊँचा वि० ऊंचं. नीचा सुनाना = सारं माठु कहेनुं; वढवु. - बोल = गर्वनी वाणी. - सुनना = ओछु सांभळवं ऊँचाई स्त्री० ऊंचाई (२) मोटाई; श्रेष्ठता
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आबाई
उलीला पुं० अठींगण (२) ओशीकुं उसूल पुं० [ अ ] सिद्धान्त उसूलन् अ०[अ.]सिद्धांतथी; सिद्धांत पूर्वं क उस्त (स्तु) रा पुं० अस्तरो; 'उस्तुरा' उस्त (स्तु) वार वि०, री स्त्री० जुओ 'उस्तुवार'
उस्ताद पुं० [फा.] शिक्षक, गुरु (२) वि० उस्ताद; चालाक ( ३ ) निपुण ( नाम -दो स्त्री० ) उस्तानी स्त्री० [फा.] गुरुपत्नी ( २ ) शिक्षिका ( ३ ) चालाक, ठगारी स्त्री उस्तुरा पुं० [फा.] अस्तरो उस्तुवार वि० [फा.] मजबूत ( २ ) सपाट (३) सीधुं ; सरळ ( नाम, -री स्त्री० ) उहवा पुं० [अ.] होद्दो; 'ओहदा ' उहाँ, उहाँ अ० 'वहाँ'; त्यां उही, उहें स० 'वही'; ते ज
ऊँचे अ० ऊंचे; उपर (२) ऊंचेथी; जोरथी ( बोलवु ). ( पैर) ऊँचनीचे पड़ना = खराब टेवमां के बूरा काममा फसा ऊँछना अ० क्रि० ओळवं.
ऊँट पुं० ऊंट •वान पुं० ऊंटवाळो ऊँड़ा वि० ऊंड (२) पुं० चरु (३) भोंयरुं
ऊँदर पुं० उंदर
ॐहूँ अ० ना, नहीं बतावतो उद्गार अ० ( प. ) 'भी' ; पण (२) स०ते; 'वह' बाई विका; व्यर्थ ; (२) उंगघडा विनानुं ( ३ ) स्त्री० खोटो गभराट
O
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ऊन ऊक पुं० (प.) लू (२) ताप; आंच ऊना वि० ऊणुं; कम; अधूरु । (३) भूल; चूक
ऊनी वि० ऊननुं (२) कम; थोडु (३). अकना अ० क्रि० चूक; लक्ष्य छुटवं स्त्री० उदासीपणुं; खेद । (२) स० कि० भूलवं (३) जाळवं; ऊपर अ० उपर. ऊपर ऊपर अ० वाळवु
चूपकीथी; कोई न जाणे एम. को ऊख पुं० [सं.] 'ईख' ; शेरडी [प्पियो आमदनी= लांच के तेवी अयोग्य ऊखल पुं० [सं.ऊलखल] ऊखळ; खांड- आवक. -तले = उपर नीचे (२) एक ऊगना अ० क्रि० ऊगवं; 'उठना' पछी एक क्रममां. -तलेके =एक पछी ऊज पुं० (प.) उपद्रव; उधमात एक ए क्रमनुं (भाई बहेनो माटे).
जड़,-र वि० उज्जड; वेरान .लेना हाथ पर जवाबदारी लेवी ऊजर,-रा वि० (प.) ऊजळं ऊपरी वि० उपरk; बहारनुं (२), कटक-नाटक पुं० नकाम के ढंगधडा देखाव पूर। बगरखें काम
ऊब स्त्री० कंटाळो (२) 'ऊभ'; ऊटना अ० क्रि० (प.) ऊलटमा आवी उमंग; उत्साह
जवू (२) तर्कवितर्क करवा; 'ऊढ़ना' ऊबट पुं० [सं. उद्+वर्त्य] कठण ऊटपटांग वि० उटंग; ठेकाणा वगरनुं अटपटो रस्तो (२) वि० जुओ (२) वाहियात; व्यर्थ
'ऊबड़खाबड़'
[अटपटुं अड़ी स्त्री० डूबकी; 'गोता' ऊबड़खाबड़ वि० ऊंचुं नीचु; असमान; अढ़ वि० [सं.] परणेलं
ऊबना अ० क्रि० कंटाळवू; गभरा, अढ़ना अ० क्रि० (प.) परणवू (२) ऊभ वि० (प.) ऊ, (२) स्त्री०
अनुमानQ; तर्कवितर्क करवा कंटाळो (३) होंश; उमंग (४) गरमी अत वि० अपुत्र (२) मूर्ख भना अ० क्रि० (प.) ऊभवू; ऊठवू ऊतला वि० (प.) उतावळं; वेगवाळु ऊमर पुं० उमरडो. ऊद पुं० [अ.] अगरु ; चंदन (२) ऊमी स्त्री० उंबी ; घउं, जव वगेरेनुं डूंडु जुओ 'ऊदबिलाव'
ऊरु पुं० [सं.] जांघ [शक्ति ऊदबत्ती स्त्री० अगरबत्ती .. ऊर्ज वि० [सं.] बळवान (२) पुं० बळ; ऊदबिलाव पुं० जळबिलाडी; 'ऑटर' ऊर्ण पुं० सं.] ऊन ऊदा वि० [अ. ऊद; फा. कबूद] ऊदूं। ऊर्ध्व वि० [सं.]ऊंचुं;उपरनी तरफनुऊ, ऊधम पुं० उत्पात; उधमात
ऊमि,-र्मी स्त्री०[सं.] लहेर; तरंग (२) ऊधमी वि० उधमातियु
पीडा; दुःख (३) छनी संख्या ऊधो पुं० उद्धव; ओधवजी ऊल-जलूल वि० असंबद्ध; कढंगु (२) ऊन पुं० घेटां बकरांनु ऊनं (२) वि० __ अनाडी (३) अशिष्ट - [सं.] कम; बाकी (३.) तुच्छ (४) ऊषा स्त्री० [सं.] उषा; वहेली सवार पुं० खेद; दुःख
ऊष्म वि० [सं.] गरम (२) पुं० उष्मा .
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७२
एकताक ऊष्मा स्त्री० [सं.] गरमी; ताप (२) ऊह अ० [सं.] ओह ! (२) पुं० अनुमान ' उनाळो (३) बाफ; वराळ (३) तक; दलील (४) अफवा - ऊसर पुं० [सं.ऊपर ऊखर-खारी जमीन ऊहापोह पुं० तर्कवितर्क; शोच विचार
ऋक् स्त्री० [सं.] वेदनी ऋचा (२) ऋतु स्त्री० [सं.] मोसम (२) स्त्रीनो पुं० ऋग्वेद
[नक्षत्र मासिक धर्म- रजादशन ऋक्ष [सं.], -च्छ पुं० रीछ (२) तारो;
ऋतुम (-व)ती वि० स्त्री०[सं.] रजस्वला ऋग्वेद पुं० [सं.] एक वेद . ऋतुराज पुं० [सं.] वसंत ऋतु ऋचा स्त्री० [सं.] वेदनो मंत्र
ऋत्विज पुं० [सं.] यज्ञ करावनार ब्राह्मण
ऋद्ध वि० [सं.] समृद्ध; संपन्न ऋच्छ पुं० जुओ 'ऋक्ष'
ऋद्धि स्त्री० [सं.] समृद्धि; आबादी ऋजु वि० [सं.] सरळ; सीधं (२) अनुकूळ
ऋद्धि-सिद्धि स्त्री० [सं.] रिद्धिसिद्धि ऋण पुं० [सं.] देवं.-उतरना, -चढ़ना=
ऋन पुं० ऋण.-निया, -नी वि० ऋणी देवू ऊतरवू, चडवू. -पटाना= देवू
ऋषभ पुं० [सं.] पोठियो (२) एक पतव- चूकते करवू
विशेष नाम
तत्त्वज्ञानी ऋणी वि० देवादार (२) आभारी ऋषि पुं० [सं.] वेदना मंत्रोनो द्रष्टा;
एंच-पेंच पुं० दावपेच; युक्ति एंजिन पुं० इंजिन एंडा-बेंडा वि० सीधं वांकु; आडुअवळू ऍड़ी स्त्री० एक जातनो रेशमनो कीडो
के तेनुं रेशम (२) जुओ 'एड़ी' । ऍडआ पुं० ऊढण एकंग वि० एकल एकंगा वि० एकांगी; एक तरफनु एक वि० [सं.] एक. -आँख न भाना-3 जरा पण ठीक न लागवू. -आंख से देखना=सी साथे समान भाव राखवो.
-न चलना=जरा पण न फावq; एक पण युक्ति न चालवी एक-आध वि० एकाद एक-कलम अ० एक-झपट; एकीसाथे एकज,न्मा पुं० [सं.] शूद्र (२) राजा एकटक अ० एकीटसे; अनिमेष एकड़ पुं० एकर (जमीन) एकतरफा वि० [फा. एकतरफी; पक्ष
पातवाळू; एक बाजुनु [समानना एकता स्त्री० [सं.] ऐक्य ; मेळ (२) एकताक वि० (प.) बराबर सरखं
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एकतान एकतान वि० तल्लीन; एकाग्र एकतारा पुं० एकतारो (तंबूरो) एकतालीस वि० ४१; एकताळीस एकतीस वि० ३१; एकत्रीस [ जगाए एकत्र अ० [सं.] एकठं; भेगुं (२) एक एकत्रित विo एक थयेलुं के करेलु एकदम अ० तरत; झट ( २ ) एकसाथ एकनी स्त्री० एक आनी
,
एकबारगी अ० [फा.] ' इकबारगी '; 'अचानक (२) एक साथ; एक जवारमां एकबाल पुं० [ अ ] जुओ 'इकबाल' एकमत वि०[सं.] संमत; समान मतनुं एकरबन पुं० [सं.] गणेश एकरार पुं० जुओ 'इक़रार' [तेवुं ज एकरूप वि० [सं.] समान ( २ ) जेवुं ने एकल वि० ( प. ) एकलुं (२) अजोड एकला वि० एकलुं
1
- एकलौता वि० जुओ 'इकलौता ' एकवॉज स्त्री० एक ज संतानवाळीarraध्या
७३.
एकवेणी वि० सादो अंबोडो बांधनारी (स्त्री) ( २ ) वियोगिनी के विधवा. एकसठ वि० ६१; एकसठ [बधुं ज एकसर वि० एकलं ( २ ) [फा.] तमाम; एकसाँ वि० [फा.] समान एकसरखु एकसा वि० ( स्त्री०, सी) समान एकहत्तर वि० ७१; इकोतेर एकहत्था विo एकहथ्थुं
एकहरा वि० 'इकहरा' ; एकवडु - बदन = एकवडो कोठो [एक अंकवाळु एकांकी पुं० [सं.] एक अंकनुं नाटक (२) वि० एकांगी वि० [सं.] एकतरफी ( २ ) हठीलुं एकांत पुं० [सं.] निर्जन जगा (२) वि० तद्दन अलग ( ३ ) निर्जन; सूनुं
•
एजेन्सी
एकांतिक वि० [सं.] एकने ज लागु पडतं; खास; एकदेशीय
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एका पुं० एकता; मेळ एकाई स्त्री० एकम स्थान के तेनी संख्या (२) कोई वस्तुनो घटक एकम; 'युनिट' ( ३ ) एकता एकाएक (-की) अ० एकाएक; ओचितुं एकाकार वि० [सं.] एकसमान एकाकी वि० [सं.] एकलुं एकाक्ष वि० [सं.] काणुं; एक आंखवाळू एका वि० [ सं . ] एकध्यान; तल्लीन एकादश वि० [सं.] अगियार एकादशाह पुं० [सं.] अगियारमुं एकादशी स्त्री० [सं.] अगियारश एकीकरण पुं० [ सं . ] एक करवुं ते एकेन्द्रिय वि० [ सं . ] एक ज इंद्रियवाळं (प्राणी) (२) तल्लीन; एकाग्र एकोतरसो वि० १०१; एकसो एक एकौझा विo एकलं
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-
एक्का वि० एकलुं (२) पुं० टोळाथी अलग फरतुं पशु पक्षी (३) एकागाडी (४) गंजीफानो एक्को एक्कावान पुं० एकावाळो एक्की स्त्री० एक बळदनी गाडी; एको (२) गंजीफानो एक्को एक्यानबे वि० ९१; एकाणुं एक्यावन वि० एकावन; ५'१; 'इक्यावन' एक्यासी वि० 'इक्यासी'; एकाशी एखनी स्त्री० [फा.] मांसनो शेरवो एगानगी स्त्री० [फा.] एकता; मेळ (२) मैत्री
एजेन्ट' पुं० [इ.] एजन्ट'; आडतियो एजेन्सी स्त्री० [इं.] आडत (२) एजन्टनी जगा
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एड (-ड़ी) स्त्री० एडी [संपादनकार्य एलची पुं०[तु.] राजदूत; एलची..गीरी एडिटर पुं० [सं.] संपादक. -री स्त्री० स्त्री० एलचीन काम एड़ी स्त्री० जुओ 'एड
एला स्त्री० [सं.] इलायची एडीकांग पुं० [ई.] सेनापति इ० नी एवं अ० [सं.] एम (२) अने
तहेनातमा हाजर रहेनार कर्मचारी . एवज पुं० [अ.] अवेज; बदलो एतकाद पुं० [फा.] विश्वास
एवज-मुआवजा पुं० [फा.] अदलोबदलो एतदाल पुं० [अ.] बराबरी; समानता एवजी स्त्री० अवेजी माणस । एतना वि० (प.) 'इतना'; आटलं एह स० (प.) 'यह'; आ एतबार पुं० [अ.] इतबार; भरोसो.
.एहतमाम पुं० [अ.] जुओ इहतिमाम' -उठना विश्वास जतो रहेवो. एहतमाल पुं० [अ.] सहन करवू ते (२) -करना, मानना= विश्वास करतो. आशंका; संदेह -खोना= विश्वास खोवो-गुमाववो । एहतियाज पुं० [अ.] जरूरियात; हाजत एतमाद पुं० [अ.] विश्वास'; भरोसो एहतियात स्त्री० [अ.] सावधानी; खबरएतराज पुं० [अ.] वांधो; विरोध
दारी; संभाळ (२) परेज एतवार पुं० 'इतवार'; आतवार एहसान पुं० [अ.] 'अहसान'; उपकार; एता वि० (प.) 'इतना'; आटलं कृतज्ञता; आभार एतिक वि० स्त्री० (प.) आटली एहसानफ़रामोश पुं० [अ.] कृतघ्न; अहे. एरंड पुं० [सं.] एरंडो. कंकड़ी स्त्री०, सान भूली जनार.
०खरबूजा पुं० एरणकाकडी; पपैयुं एहसानमन्द वि० [अ.] कृतज्ञ एराक पुं० [अ.] इराक देश एहो अ० हे; ए
ऐ अ० 'एं' एवो, न सांभळयुं होय . ऐठन स्त्री० लपेट; वळ; आमळ
त्यारे फरी पूछवाना उद्गार ऐंठना सक्रि० मरोडवं; आमळवू (२) ऐचना सक्रि० एंचवू; खेंचवू (२) छळथी के डरावीने वसूल करवू (३) बीजानुं करज पोते ओढवू
अ.क्रि० वळ चडवो; अमळावू (४) ऐचाताना वि० ऐंचातागुं; बाडु अकडावू; अक्कड थई जवु. (पेट ऐचातानी स्त्री० खेंचताण; पोतपोताना ऐठना=पेट दुखवू) (५) पतराजी
पक्ष ताणवू ते ओळवू (माथु) घमंड करवो (६) सीधी वात न ऐछना स० कि० (प.) 'ऊँछना'; करवी; वांकु बोलवू ऐठ स्त्री० एंट; ठसकी; अकडाई (२) ऐठा पुं० दोरडाने वळ देवाने लाकडानी गर्व (३) विरोध; द्वेष
एक बनावट - ओजार
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ऐहिक ऐठ वि० मिजाजी;अभिमानी;ऐंठ'वाळ ऐब-गो वि० [फा.] निंदक; एब कहेनाएं ऐड पुं० 'ऐठ'; ठसकी; गर्व (२) ऐब-गोई स्त्री० [अ.+फा. निंदा पाणीनो भमरो (३) वि० नकामं ऐब-जो वि० [अ.+ फा.] दोषदृष्टिवाळं; ऍडदार वि० घमंडी
एब-दोष जोया करनारं; छिद्रान्वेषी ऐड़ना अ०क्रि० 'एठना' अ०क्रि० जुओ।
ऐब-जोई स्त्री० [अ.+फा.] दोषदृष्टि;
छिद्र. जोवां ते • (२) स०क्रि० आमळवू (३) अंगड़ाना';
ऐब-पोश स्त्री० [अ.+ फा.] एब ढांकनारं आळस काढवी (४)आळसु पड्या रहेवू
ऐबी वि० [अ.] एबवाळं (२) काj ऐड़बड़ वि० (प.) वांकुचूकुं; 'ऐडाबड़ा' । के बीजी रीते खोडवाळू ऐडा वि० (स्त्री०-ड़ी) वांकुं . ऐमाल पुं० [अ.] काम; करणी ऐड़ाना अ० क्रि० आळस खावी (२) ऐया स्त्री० डोसी के दादीमा एंट देखाडवी
ऐयाम पं० [अ.] समय; वखत.' से ऐडा-बड़ा वि० वांकुचकुं
होना स्त्रीने अटकाव आववो ऐम० ए; है; अयि
ऐयार . [अ.] चालाक ; उस्ताद ऐक्य पुं० [सं.] एकता
ऐयारी स्त्री० चालाकी; पक्काई; उस्तादी ऐगुन पुं० (प.) अवगुण
ऐयाश वि० [अ.] आरामी; विलासी (२) ऐच्छिक वि० [सं.]इच्छानुसार;मरजियात विषयी; कामी . ऐजन वि० [अ.] एजन; एन ए ज;
ऐयाशी स्त्री० भोगविलास; एशआराम उपर मुजब
ऐरा-रा वि० [अ.] अजाण्यु (२) ऐजाज पुं० [अ.इअजाज] आदर; सन्मान तुच्छ; हीन ऐतिहासिक वि० [सं.] इतिहास संबंधी । ऐराब पुं० [अ.] झेर, झबर, पेश इ०संज्ञा
के तेमां मळतुं (२) इतिहास जाणनार ऐरावत पुं० [सं.] ऐरावत हाथी (२) ऐबाद स्त्री० [अ. अअदाद 'अदद' वीजळी के तेथी चमकतुं वादळ (३) ब०व०; संख्या; गणना . इंद्रधनुष . [करवू ते ऐन पुं० अयन; घर (२) [अ.] आंख ऐलान पुं० [अ. इ-अलान] घोषणा; प्रगट (३) वि० [अ.] योग्य; ठीक (४) ऐवान पुं० [फा.] महेल (२) मोटो बरोबर; पूरेपूरुं
ओरडो-हॉल ऐनक स्त्री० [अ. ऐ = आँख] चश्मा ऐश, आराम पुं० [अ.] एशआराम; चेन ऐपन पुं० चोखा ने हळदर भेगां वाटीने ऐश्वर्य पुं० [सं.] वैभव; संपत्ति (२)प्रभुत्व करातुं एक पीठी जेवू लेपन (पूजामां । ऐसा वि० (स्त्री०,-सी) आवं; आवो वपराय छे.)
जातनुं. -तैसा, वैसा= सामान्य; ऐब पुं० [अ.] एब; दोष; कलंक. मामूली. ऐसी तैसी करना खराब -निकालना= कशामां दोष बताववो. के बेआबरू करवू .... -लगाना= कलंक लगाड,
ऐसे अ० आम; आ रीते संसारन ऐषक पुं० [फा.] दास; गुलाम ऐहिक वि० [सं.] आ लोकन; दुन्यवी;
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७६
ओनचन.
भों अ० हां; आं (२) ओम् ; ॐ . ओझाई स्त्री० भूवानो कामधंधो मोंकार पुं० ओम् मंत्र
ओट स्त्री० आड; ओथ ओंगना स० क्रि० (गाडीन पड) ऊंजवं ओटना स० क्रि० लोढवू (२) एकनी ओंठ पुं० होठ; 'होंठ.' -चबाना- क्रोध
___ एक वात कुटवी अने दु:ख प्रगट कर
ओटनी, ओटी स्त्री० लोढवानो चरखो ओंडा वि० (प.) ऊंडं (२) पं० खाडो . ओठंगना अ० कि० अठींगवं; टेकवू ओक स्त्री० ऊलटी; ओकवं ते (२) ओठंगाना स०क्रि० टेकववं २) बारणं । पुं० खोबो; अंजलि (३) [सं.] घर मोकना अ० क्रि० ओकवू (२) आरडवू
ओड़न पुं० ढाल ओकाई स्त्री० ओकवू ते
ओड़ना स०क्रि० ओडवू; रोकवू, वारण
करवं (२) हाथ ओडवो; धरवं; पसार मोखली स्त्री० [सं. उलूखल] खांडणियो. -में सिर देना-कृष्ट सहवा तैयार थq
ओड़ा पुं० मोटो टोपलो (२) खोट;
कमी; तोटो ओखा वि० रूखं; सूकुं (२) कठण; ओढ़ना स० कि० ओढवं (२) पोता अटपटुं (३) खोटुं; भळतुं (४) पर जवाबदारी लेवी (३.) पुं०
आर्छ (५) पुं० (प.) बहानुं । ओढवान वस्त्र • भोघ पुं० [सं.] समूह; ढगलो ओढ़नी स्त्री० ओढणी
ओछा वि० (स्त्री०-छी) तुच्छ; क्षुद्र; ओढ़र पुं० बहानुं नीच (२) छछरुं; ऊंडु नहि (३) ओढ़ाना स० क्रि० ओढाडवू हलकुं; नानुं (४) कम; ओछु ओत स्त्रो० आराम (२) लाभ; बचत भोछाई स्त्री० 'ओछापन' ('ओछा'जुओ)
(३) आळस (४) वि० [सं.] वणेलं भोज पुं० ओजस; तेज
ओतप्रोत वि० [सं.]. एकमेकमां मळी मोजस्वी वि० [सं.] तेजस्वी; प्रभाव- गयेलं (२) पुं० तागोवाणो (३) . शाळी. -स्विता स्त्री०
साटुं (लग्नमुं) ओझ, ओझर पुं० ओझरी; पेट ओता,-तो,-त्ता वि०(प.) उतना' एटलं 'ओझल पुं०; स्त्री० ओझल; एकांत (२) ओद(-दा) वि० भीनुं
आड (३) पडदो. -करना=संताडq. ओदन पुं० [सं.] भात; रांधेला चोखा -होना=संता; पडदा पाछळ थq . ओदा वि० जुओ 'ओद' [विदार ओझा पुं० [सं. उपाध्याय] (स्त्री० ओवारना स० क्रि० चीर; फाडवू;
ओझाइन) एक जातनो ब्राह्मण (२) ओनचन स्त्री० खाटलानी पांगथनी भूत काढनार; भूवो
खेंचवानी दोरी
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ओनचना
ओहो ओनचना स कि 'ओनचन' खेंचवी ओल वि० [सं.] भीनु (२) पुं० सूरण ओना पुं० तळाव, पाणी नीकळवानो (३) स्त्री० गोद (४) आड (५) मार्ग-गरनाळं. -लगना = तळाव ओथ; शरण (६) बहानुं . एटलं भरावं के 'ओना'थी पाणी . ओलती स्त्री० छापरानुं ने नीकळवा लागे .
ओला पुं० 'ओरा'; करा (२) एक ओनामासी स्त्री० [ॐ नमः सिद्धमभण- मीठाई (३) वि० खूब ठंडु वरनो आरंभ (२) प्रारंभ; मंगळाचरण
ओलाहना पुं० जुओ 'उलाहना' ओप स्त्री० ओप (चमक; शोभा; ढोळ) ।
ओलियाना अ० क्रि० गोदमां भरवू (२) ओपची पुं० बखतरवाळो योद्धो रक्षक
स० क्रि० घुसाडवू; ठांसवू; हुलावी देवू ओपचीखाना पुं० चोकी .
ओली स्त्री० 'ओल'; गोद (२)पालव ओपना सक्रि० (२) अ०क्रि० ओपवं.
... (३) झोळी
ओषधि, -धी स्त्री० [सं.] औषध ; दवा ओफ़ अ० जुओ 'उफ़'
ओष्ठ पुं० [सं.] होठ मोबरी स्त्री० नानुं घर; कोटडी..
ओस स्त्री० झाकळ. -पड़ना या पड़ बोरंगोटंग पुं०(मलाया ओरंग-मनुष्य+ . जाना चीमळावं (२) उमंग जतो ऊटन = वन) उरांगउटांग
रहेवो (8) शरमिंदा पडQ [भेस ओर स्त्री० [सं. अवार] बाजु; तरफ ओसर(-रिया) स्त्री० जोटडु; जुवान (२) पक्ष (ज्यारे आनी पूर्वे संख्यावाचक ओसरा पुं०,-री स्त्री० वारी; अवसर वि. आवे छे त्यारे पुं०मां उपयोगथाय ओसाई स्त्री० फटकथी अनाज ऊपण छ. उदा० घरके चारों ओर) (३) ते के तेनी मजूरी ऊपणवू अंत ; आरों. -निभाना या निबाहना ओसाना स० क्रि० फटकथी 'अनाज = अन्त सुधी पोतानुं कर्तव्य पूरुं करवु ओसार पुं० फेलावो; विस्तार; पहोळाई ओरहा पुं० 'होरहा', चणानो छोड के ओसारा पुं० ओसारो; मोटी ओसरी पोपटो
ओसारी स्त्री० ओसरी , . . ओरा पुं० (प.) 'ओला;' करा ओसीसा पुं० 'उसोसा'; ओसीकुं ओराना अ० क्रि० पूरुं थQ
ओह अ० आश्चर्य, दुःख इ० नो उद्गार; ओराहना पुं० जुओ 'उलाहना' ओह ! अरे! ओरी स्त्री० 'ओती'; नेवू
ओहदा पुं० [अ.] होद्दो ओलंदेज (जी) वि० होलॅन्डन; फिरंगी; ओहदेदार पुं० [फ.] होद्देदार [-पडदो । पलंदानुं
ओहार रथ पालखी वगेरेनो ओढो ओलंबा,-भा, पुं० उपालंभ; महे| ओहो अ० आश्चर्य के आनंदनो उद्गार
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भगना
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आँगना स० क्रि० (गाडी) जवी;
'ओंगना'
आँगा वि० [ सं . अवाक् ] मूगुं; मूक औंगी स्त्री० मूगापणं; चूपकी औघ ( - घा) ना अ० क्रि० 'ऊँघना'; ऊंघमा झोकुं खावं.
भाँघाई स्त्री० ऊंघनं झोकुं आँजना अ० क्रि० 'ऊचना'; अकळावुं औंठ स्त्री० किनार; कांठो जड़ा वि० (स्त्री० -ड़ी) ऊंडुं औंधना अ० क्रि० ऊंधुं थवं; ऊलटावु
(२) स० क्रि० उलटाववु
आँधा वि० (स्त्री० - धी ) ऊंधुं. आँधी खोपड़ीका = मूर्ख; जड. औंधे मुँह गिरना = बरोबर फसावुं (२) भूल करवी
औंधाना स० क्रि० 'औंधना' नुं प्रेरक मौक़ात पुं० [अ. 'वक्त' नुं ब०व० ] समय; बखत ( २ ) स्त्री० शक्ति; गजुं. - बसर करना = जीवननिर्वाह करवो भोगी स्त्री० दोरीनो कोरडो (२) बळदनो परोणो (३) जानवरन फसाववा माटे करातो खाडो औगुन पुं० ( प. ) अवगुण औघड़ पुं० [सं. अघोर ] (स्त्री - ज़िन) अघोरी पंथनो माणस ( २ ) मनस्वी; मोजी माणस (३) वि० ओघड; अवघड; विचित्र [अनोखं औघर वि० अवघड; विचित्र ( २ ) भौचक अ० अचानक; एकाएक
७८
ओ
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औपन्यासिक
औचट अ० 'औचक'; अचानक ( २ ) अजाणमां; भूलमां (३) स्त्री० उचाट; सांड; मुली
औचित वि० ( प. ) निश्चित; बेफिकर औचित्य पुं० [सं.] उचितता; योग्यता औज पुं० [अ०] ऊंचाई (२) प्रताप; तेज; ओजस
औजड़ वि० ( प. ) अनाडी औजार पुं० [अ.] ओजार औझड़ ( - र) अ० लगातार; निरंतर औटना स० क्रि० उकाळवु (२) अ क्रि० ऊकळवु
औटाना स० क्रि० उकाळवं औढर वि० गमे तेम ढळी जाय एवं; ढोचका जव
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औथरा वि० ( प. ) छछरूं; 'उथला' औदार्य पुं० [सं.] उदारता औद्योगिक वि० [सं.] उद्योग संबंधी औध पुं० ( प. ) अवध; अयोध्या औष, -घि स्त्री० ( प. ) अवधि; सीमा औना पौना वि० अर्धपोणं; थोडं घणुं
(२) अ० ओछुवत्तुं करीने. औने पौने करना = जेटलं मळे तेटलामां वेची देव; फटकारी मारखुं औपचारिक वि० [सं.] उपचार संबंधी (२) केवळ उपचार पूरतुं औपनिवेशिक वि० [सं.] उपनिवेश - संस्थान विषेनुं
औपन्यासिक वि० [सं.] उपन्यास - नवलकथा विधेनुं (२) अद्भुत ( ३ ) पुं० नवलकथाकार
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कंचन औषध,-धि स्त्री० दवा; ओसड औसत पुं० [अ] सरासरी (२) वि० मध्यम; साधारण औसतन अ० [अ.] सरेराशे औसना अ० क्रि० गरमी पडवी (२)
मोम
७९ औम स्त्री० [सं. अवम] क्षयतिथि और अ० अने (२) वि० बीजु (३) अधिक. -का और = कांईनुं कांई. -क्या-हा, बरोबर ए अर्थनो उद्गार औरत स्त्री० [अ.] ओरत; स्त्री औरेब पुं० वक्र गति (२) कपडानो वांको काप (३) पेच; छळ; युक्ति औलाद स्त्री० [अ.] ओलाद; वंश औला मौला वि० मोजी; धूनी; मनस्वी औलिया पुं० [अ. 'अली' नुं ब० व०]
ओलियो; सिद्ध ; पीर [सर्वश्रेष्ठ मोवल वि० [अ.] अवल; प्रथम ; मुख्य;
औसर पुं० (प.) अवसर औसान पुं० (प.) अवसान; अन्त (२) परिणाम (३) [फा. सूधबूध; होश औसाफ़ पुं० [अ.] सद्गुण के खास गुण औसेर स्त्री० (प.) जुओ 'अवसेर' औहाती वि०स्त्री०(प.)जुओ 'अहिवाती'
कं पुं० [सं.] पाणी (२) सुख (३) - कंगना पुं० कंकण (२) कंकण बांधतां 'अग्नि (४) काम
के छोडतां गवातुं गीत कंक पुं० [सं.] एक पक्षी कॅगनी स्त्री० नानुं कंकण (२) कांगरी कंकड़ (-र) पुं० [सं. कर्कर] कांकरो; (३) दांतो के दांतावाळू . गोळ कंकर (२) गांगडो
चक्कर; 'कोग-व्हील' (४) स्त्री० कांग कंकड़ी स्त्री० कांकरी (२) गांगडी अनाज; चीणो। कंकडी(-री)ला वि०कांकराळे;कांकरावाळू.
कंगला, कंगाल वि० कंगाळ; गरीब
कंगाली स्त्री० कंगालियत . . कंकण (-न) पुं० हाथर्नु कंकण . कंकरीट स्त्री० [इं. कॉन्क्रीट] कांकरेट
__ कंगूरा पुं० कांगरो; शिखर; टोच (२)
किल्लानो बुरज कंकरीला वि० जुओ 'ककड़ीला'
- कंघा पुं० कांसको (२) फणी; 'कंघी'. कंकाल पुं० [सं.] हाडपिंजर .
-करना = वाळ ओळवा कंकाली पुं० एक नीच जाति (२) कंघी स्त्री० नानी कांसकी (बे बाजु वि० कर्कशा (स्त्री)
___ दांतवाळी) (२) फणी. -चोटी करना कखवारी स्त्री० बगलमां थतो फोल्लो
= माथु ओळी करी सजवू कखौरी स्त्री० 'काँख'; बगल (२) कॅघेरा पुं० [स्त्री० -रिन ] ' कंधा' जुओ 'कखवारी'
बनावनार कंगन पुं० कंकण. -को आरसी क्या? कंचन पुं० कंचन; सोनुं (२) एक जिप्सी -प्रत्यक्ष वातनो पुरावो था माटे? जेवी जात जेमनी स्त्रीओ यः
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.८०
कंचनी गुणकानुं काम करे छे. -का कौर कंट्रक्ट पुं० कंट्राक्ट; ठेको खिलाना-खूब प्रेमथी राखवू.-बरसाना कंठ पुं० [सं.] गळू (२) अवाज (३)
= खूब धन मळवू : विश्या कांठो; तट. -करना = मोढे करवू. कंचनी स्त्री० कंचन जातनी स्त्री (२) -खुलना-गळं खूलवू; अवाज बरोबर कंचुक पुं० [सं.] जामो (२) वस्त्र (३) नीकळवो. -फूटना = गळं खूलवू(२)
बखतर (४) सापनी कांचळी हैडियो फूटवो. -बैठना = गलू के कंचुको स्त्री० [सं.] चोळी (२) पुं० अवाज बेसवो ।
अंतःपुरनो रक्षक (३) साप कंठमाला स्त्री० [सं.] कंठमाळनो रोग कंचुरि,-ली स्त्री०(प.) सापनी कांचळी कंठा पुं० कांठलो (२) कपडानो कॉलर कचेरा पुं० [स्त्री० -रिन] काचकाम (३) कंठो; मोटी कंठी करनारो
- कंठान वि० कंठस्थ; मोढे कंज पुं० [सं.] कमळ (२) ब्रह्मा कंठी स्त्री० की.-देना या बाँधना= कंजई वि० राखोडी रंगनुं
कंठी बांधवी; चेलो करवो.-लेना= कंजड़(-र) पुं० एक रानीपरज(दोरडां वैष्णव थवू; मद्य-मांस छोडवू
भागवां वगेरे काम करे छे) . कंडरा पुं० एक शाक (२) स्त्री० [सं.] कंजा पुं० [सं. करंज ] एक जातनी धोरी नस . कांटाळी झाडी (२) वि० राखोडिया . फंडा पुं० छाj. -होना= सुकावं; दुबळं रंगनुं (३) ते रंगनी आंखवाळ; भूखरी पडद् (२) मरी जq आंखवाळु
[कंजूसाई कंडाल पुं० एक वाद्य; तूरी (२) [सं. कंजूस वि० कृपण; पाजी. -सी स्त्री० कंडोल] धातु, पाणीनु एक वासण कंटक पुं० [सं.] कांटो (२) विघ्न (३) कंडी स्त्री० नानु छाणुं रोमांच
कंडील स्त्री० [अ. कंदील] दीवो (२) कंटकित वि० [सं.] कांटावाळु (२) . (दिवाळीमां) शोभानो करातो पुलकित; रोमांचित
कागळनो दीवो कंटर पुं० [ई. डिकेन्टर] सुंदर (दारू । कंडीलिया स्त्री० दीवादांडी 'वगेरेनो) शीशो
कंत (-2) पुं० (प.) कथ; स्वामी कंटाइन स्त्री० भूतडी; डाकण (२) कंथा स्त्री॰ [सं.] गोदडी वढकणी स्त्री; कर्कशा
कंथी पुं० कथावाळो; साधु कॅटिया स्त्री० खीली (२). माछली . कंद पुं० [सं.] कंदमूळ (२) [फा. साकर पकडवानो आंकडो (३) कुवामां नांख- कंदरा स्त्री० [सं.] गुफा वानी बिलाडी (४) माथा- एक घरेणुं कंदर्प पुं० [सं.] कामदेव . कंटीलो वि० कांटावाळू
कंवला पुं० सोनाचांदीनी चीप के तार कंटूनमेन्ट स्त्री० [इ.] छावणी; कॅम्प कंदा पुं० कंद (शकरियु के अळवी) कंटोप पुं० कानटोपी .
कंदील स्त्री० [अ.'कंडील'; दीयो
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- कंदुक
कंदुक पुं० [सं.] दडो (२) उशीकुं (३) सोपारी (४) एक वर्णबंध कंवला वि० मलिन; गंडुं [ 'करधनी ' कँदोरा पुं०, कंधनी स्त्री० कंदोरो; कंघ पुं० (प.) डाळी (२) 'कंधा'; खभो कंधा पुं० स्कंध; खभो. -डाल देना,
- डालना = बळदे झुंसरुं उताखुं (२) नामित थ के थाकवं. -देना = ठाठडी ऊंचकवी ( २ ) मद करवी. कंधे से कंधा छिलना = खूब भीड होवी कंधार पुं० कंदहार नगर कंधावर स्त्री० झुंसरी (२) खेस कला पुं० साडीनो खभा परनो छैडो कंप पुं० कॅम्प (२) [सं.] कंप्र; कांपवु ते कंपकंपी स्त्री० कपारी; कमकमी कंपन पुं० [सं.] कांपवुं ते; कंप कंपना अ० क्रि० कंपवुं (२) डरबुं कंपनी स्त्री० [इं.] वेपारी मंडळी; कपनी. - कागद = चलणी नोट
·
कंपा पुं० पक्षी पकडवानी वांसनी एक बनावट
[ते
कंपाना स० क्रि० कंपाववुं ( २ ) डरावनुं कंपास पुं० [इं.] होकायंत्रं (२) वर्तुल दीवानो कंपास कंपू पुं० कॅम्प छावणी; कंपु कंपोज पुं० [इं.] छापवाने बीबां गोठवावां कंपोजिटर पुं० [ई] बीबां गोठववानुं
काम करनार
कंपौंडर पुं० [इं.] दवा बनावी आपनार कंपाउन्डर
कंबल पुं० [सं.] कामळो; धाबळो कँवल पुं० कमळ
कँवल गट्टा पुं० कमळ काकड़ीतुं बी कंस पुं० [सं.] कांसुं के तेनुं वासण (२) प्यालो (३) मंजीरा (४) कंस मामो हि-६
८१
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कचकोल
कई वि० कई; केटलुक ककड़ी ( - री) स्त्री० काकडी. के चोरको कटारीसे मारना = कीडी पर कटक आणवु; जरा दोषनी भारे शिक्षा करवी
ककनी स्त्री० जुओ 'कँगनी' (२) एक मीठाई [ वर्णमाळा ककहरा पुं० कक्को; कथी ह सुधीनी ककोड़ा, - रा पुं० कंकोड; 'खेखसा ' ककोरना स० क्रि० कोखुं; खोतरखुं कक्कड़ पुं० सूकों (चलममां पीवानो) कक्का पुं० प्राचीन केकय देश ( २ ) नगारुं ( ३ ) काको
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कक्ष पुं० [सं.] काख; बगल (२) कक्षा; दरज्जो (३) कंदोरो
Far स्त्री० [सं.] कक्षा ; श्रेणी; दरज्जो (२) सरखामणी ( ३ ) काख ; बगल ४) काछडो
कखौरी स्त्रो० जुओ 'कॅखोरी' कगर पुं० ऊंचो किनारो (२) कांगरी (३) कोर; किनार (४) अ० किनारा पर ( ५ ) पासे
कगार पुं० 'कगर'; ( नदीनो) ऊंचो किनारो (२) टेकरो
कच पुं० [सं.] वाळ (२) कुस्तीनो एक दाव (३) 'कच' एवो कापवा के भोंकवानो रव; कच; भच (४) वि० 'कच्चा ' नुं समासमां आवतुं रूप उदा० 'कचपेंदिया'
कचक स्त्री० . कचडावाथी वागते कचकच पुं० कचकच; बकवाद कचकचाना अ० क्रि० कचकचवुं (२) दांत कचकचाववा - पीसवा कच ( - ज ) कोल पुं० भिक्षापात्र
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खांड
कचदिला
कछुः कचदिला वि० पोचा दिलन; न जीरवी कचोना सक्रि० घच दईने खोस,
शके एवं [कचपच; कचकच भोंक, कचपच पुं० गीचोगीच होते; भीड(२) कचोरा पुं० कटोरो; प्यालो कचपची (-चिया) स्त्री० कृत्तिका नक्षत्र कचौड़ी (री) स्त्री० अडदनी दाळ कचदिया वि० काचा तळियानुं (२) वगेरेना पूरणनी एक प्रकारनी पूरी
अस्थिर मनन [परिवार कच्चा वि० काचु (२) पुं० काचो कचबच पुं० 'कच्चेबच्चे'; बच्चांकच्चां; खरडो (३) जडबुं; दाढः -करना कचर कचर पुं० कचर कचर चाववानो जूठं साबित कर (२) शरमावq. अवाज (२) कचकच
-पड़ना=जूठं ठरवू. कच्चे जीका कचरकूट पुं० खूब कूट-मार ते (२) होना=गभरावू खूब पेट भरीने भोजन
कच्चा-चिट्ठा पुं० खरेखरी वात; कंचरना सक्रि० [सं. कच्चरण] पगथी रहस्य ; गुप्त भेद [वगरनो हाथ कचडवू; दबावq [(३) कचरो कच्चा हाथ पुं० काचो-आवडत कचरा पुं० काकडी (२) काचुं खडबूचुं कच्ची वि० स्त्री० काची (२) स्त्री० कचरी स्त्री० एक वेल जेनां फळ काची रसोई. -गोली खेलना=नादान खावामां आवे छे
होवू कचलोंदा पुं० कणकनो लूओ
कच्ची चीनी स्त्री० ओछी साफ करेली कचलोहू. पुं० दूझता घामांथी झरतुं पाणी कच्ची पक्की स्त्री० गाळ . कचवाँसी स्त्री० जमीन- एक माप । कच्ची बही स्त्री० काचो चोपडो [वात कचवाट स्त्री० कचवाट; खेद; अणगमो
कच्ची बात स्त्री० अश्लील-लज्जाजनक कचहरी स्त्री० कचेरी.-चढ़ना=अदालते कच्ची रसोई स्त्री० दाळभात जेवी मामलो लई जवो. -लगना = दरबार पाणीनी-बोटाय एवी रसोई भरावो; ठठ जामवी [कचाश । कच्चे पक्के दिन पुं० चार पांच मासनो कचाई स्त्री० काचापणुं(२)कम अनुभव;
गर्भकाळ (२) बे ऋतु वच्चेनो गाळो. कचारना सक्रि० कपडांने (कचरी कच्चे बच्चे पुं० कच्चाबच्चा छोकरांछैयां धीबीने) धोवां
कच्छ पुं० [सं.] कछोटो (२) काचबो कचालू पुं० एक कंद (२) एक जातनी (३) कच्छ प्रदेश काचबी) तेनी वानी. -करना, -बनाना = . कच्छप पुं० [सं.] काचबो (स्त्री-पीखूब पीटर्बु
कछनी स्त्री० काछडो. -काछना, कचिया पुं० दातरडु
-बांधना, -मारना=काछडो मारवो कचियाना अ०क्रि० हिंमत हारवं; पार्छ कछान (ना) पुं० काछडो .. पडवू (२) शरमावू
कछार पुं० [सं. कच्छ] समुद्र के नदीकचूमर पुं० कचुंबर.-करना, निकालना किनारानी कांपवाळी जमीन __ = खूब कूटवू, पीटर्बु (२) नाश कर · कछु (क) वि० (प.) 'कुछ'; कांई
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८३
कछुआ
कटिबंध कछुआ, -वा पुं० काचबो
कटघरा पुं० लाकडानुं (जq के,-कठेराकछुई स्त्री० काचबी
वाळू साक्षी माटे कोर्ट मां होय छ) पांजरुं कछोटा, कछौटा पुं० 'कछनी'; काछडो; __ कटड़ा पुं० भेंसनुं पाडु कछोटो
दोष; खोड कटती स्त्री० वेचाण; खपत कज पुं० [फा. वक्रता; वांकापणुं (२) कटना अ०क्रि० कपाq (२) वीतमु (३) कजरा पुं० काजळ (२) वि० काळी शरमावू; झंखवाणु पडq ('जाना' नी आंखवाळो (बळद)
साथे). कटती कहना= कोईनु कापतुं कजरारा वि० काजळवाळं (२) काळं -तेने घसातुं कहे कजलाना अ०कि० [हिं.काजल] काळू कटनी स्त्री० कापवानुं ओजार के पडवू (२) (देवता) कजळावो; बुझावं. कापणी.-काटना=आमतेम नाशभाग (३) स०कि० मेश आंजवी
करवी.-मारना=वैशाख जेठमां घास कजली स्त्री० मेश(२)गंधक ने पारानी झांखरां खोदी काढवां (खेडवा पहेलां)
कजली (३) एक प्रकारनु (वर्षा) गीत कटरा पुं० नानु बजार (२) पाडु कजलोटा पुं० काजळनी डबी . कटवाँ वि० कपातुं के कपायेलं.-व्याज
जा स्त्री० [अ.] मरण (२) नसीब पुं० कापतुं व्याज (३) नमाज के रोजानो समय चूकवो कटवाना स० क्रि० कपाव, ते. -करना = मरवू
कटसरैया स्त्री० कांटासरियो क्रजा(-जा)क पुं० [तुर्की] लूटारु; कटहरा पुं० जओ 'कटघरा' कजाक. -की स्त्री० लूट (२) दगो; कटहल पुं० [सं. कंटकि फल] फणस . छळकपट
कटहा वि० [स्त्री० -ही] ‘कटखना'; कजावह [फा.,कजावा पुं० ऊंटनो काठडी करडे एवं
[के मजूरी नजिया पुं० [फा.] कजियो; झघडो कटाई स्त्री० कापवान् - कापणीनुं काम (२) कोर्टनो झघडो. -पाक होना
कटाकट पुं० कटकट अवाज (२) लडाई; कजियो पतवो दोष; खोड कटाकट कजी स्त्री० [फा.] 'कज'; वक्रता (२) कटाकटी स्त्री० मार-काट; कापाकापी कज्जल पुं० [सं.] काजळ; मेश कटाक्ष पुं० [सं.] वक्र दृष्टि (२) कटाक्ष; कजान पुं०, की स्त्री० जुओ 'कज़ाक़'. . व्यंग्य कंटक पुं० [सं.] फोज; सेना (२) कडु कटान स्त्री० काटq ते (२) कापणी कंकण (३) चटाई; सादडी कटाना स० क्रि० कटावq; कपावq कटकई स्त्री० (प.) फोज; कटक कटार, -री स्त्री० कटार हथियार कटकट स्त्रो० दांतोनो कटकट अवाज कटाव पुं० काप के कापेलं ते (२) (२) कचकच; झवडो
कापी करीने बनावेल वेलबुट्टा । कटकटाना अ०क्रि० दांत कटकटाववा कटि स्त्री० [सं.] केड; कमर [कटिबंध कटखना वि० करडे एवं (२) पुं० युक्ति कटिबंधे पुं० कमरपटो (२) पृथ्वीनो
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कटीला
कटीला वि० [स्त्री० - ली] कांट ळु (२) अणीदार ( ३ ) तीक्ष्ण - ( ४ ) प्रभाव पाडे एवं
कटु [सं.], ०क वि० कडबुं [ के वेण कटूक्ति स्त्री [ सं . ] कडवी - अप्रिय वाणी कटोरदान पुं० सोई की रा राखवानुं एक वार्सण; गरमुं [ वाडको कटोरा पुं० (-री स्त्री ० ) कटोरो; कटौती स्त्री० कोई रकममाथी अमुक भांग धर्मादा काढवो ते; धर्मादा लागो (२) दलाली (३) अंदाजपत्रम मुकातो काप - 'कट'
S
कट्टर व करडे एवं (२) कट्टर; चुस्त दृड (३) हठीलुं (४) अंधश्रद्धाळ कट्टा पुं० मरणने अंगेनुं दान लेना र ब्राह्मण; 'महाब्राह्मण' कट्टा वि हृष्टपुष्ट; 'हट्टा-कट्टा' (२) बळवान (३) पुं० जडब; 'कच्चा ' कट्ठा पुं० पांच हाथ चार आंगळ •जेदलुं जमीननुं एक माप ( २ ) काठा घ कठ ं पुं० समासमां आवतां (१) काठी, लाकडु के (२) जंगली, हलकं ए अर्थ बतावे छे, उदा० 'कठपुतली; कठकेला' (३) [सं.] कठ ऋषि के एक उपनिषद् कठकेला पुं० खासडियं के चुं - कठकोला पुं० लक्कड फोडो; 'कठफोड़वा' कठड़ा ( - रा ) पुं० जुओ 'कटरा ' ( २ ) जुओ 'कठौता'
कठताल पुं० करताल कठपुतली स्त्री० काष्ठनी पूतळी (२) जेम नचावे एम नाचे एवी व्यक्ति कठफोड़वा पुं० जुओ 'कठकोला' कठबाप पुं० बीजो - सावको बाप
૮૪
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कड़कड़ाहट
कठमलिया पुं०कंठों पहरनार - वैष्णव (२) बग-भगत; जूठो साधु
कठमस्त (-स्ता) वि० पाडा जेवुं अलमस्त हृष्टपुष्ट (२) व्यभिचारी. ( - स्ती स्त्री० )
कठरा पुं० जुओ 'कठड़ा'
कठला पुं० मादळियुं के तेवी बच्चाने पहेरावाती माळा
कठवत स्त्री०, ता पुं० जुओ 'कठेला' कठिन वि० [सं.] कठण कठिनता, कठिनाई स्त्री० कठणाई कठिनी स्त्री० लखवानो चाक; खडी कठिया वि० कठण (२) कठण कोटलावाळं. उदा० 'कठिया बदाम, गेहूं' कठियाना अ० क्रि० सुकाईने लाकडा जेवुं थई जनुं
कठैला, कठौता पुं० लाकडानुं एक पोळं मोटं वासण; कथ रोट कठोर वि० [सं.] कठण (२) निर्दय; निष्ठुर कठौता पुं० जुओ 'कठैला'. ती स्त्री० नानी कथरोट
कड़क स्त्री० कडाको; गर्जना (२) चपळता; तडपवुं ते (३) दर्दनो चसको (४) रोकाईने बळतरा साथे पेशाब थवानो रोग
कड़कड़ पुं० कडकड अवाज . कड़कड़ाता वि० कडकड अवाज कर (२) तंज; प्रचंड
कड़कड़ाना अ०क्रि० कडकड अवाज थवो (२) (घी इ० ) ककड (३) स०क्रि० कडकड अज साथे तोडवुं ( ४ ) (घी इ० ) ककडाव
कड़कड़ाहट स्त्री० ककडाट; कडकड अवाज
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८५.
कतराई कड़कना अ०क्रि० कडकड अवाज करवो कड़आपन पुं०,कड़आहट स्त्री०कडवारण (२) जोरथी तडूकीने अवाज करवो कड़ए कसैले दिन पुं० ब० व० खराब(३) कडाका साथे फाटQ के तूट, . दुःख, पीडा के चिताना दहाडा कड़खा पुं० [हिं. कड़क लडाईमां गावानुं कढ़ना अ०क्रि० [सं. कर्षण] नीकळवू; युद्धगीत; कडखो
बहार आवq; उदय थवो (२) नातरे' कड़खैत पुं० कडखद-कडखो गानार जq (३) (दूध) घाटुं थq - कढवू कड़बड़ा वि० काळा ने धोळा वाळवाळं कढ़ाई स्त्री० कडाई; 'कड़ा' (२) कड़बी स्त्री० जारनी कडब; 'कड़वी'
'कढ़ना' परथी नाम कड़वा वि० कडवू; 'कड़आ' कढ़वाना, कढ़ाना स० क्रि० कढाव, कड़वी स्त्री० जुओ 'कड़बी'
('काढ़ना नुं प्रेरक) कड़ा पुं० कडु (२) वि० [सं. कड़] कढ़ाव पुं० वेलबुट्टा काढवा ते [स्त्री० -डो] कठण (३) लुखुं (४) उग्रः ।
कढ़ी स्त्री० खावानी कढी. -का सा संखत; दृढ (५) तेज:प्रचंड (६) मुश्केल;
उबाल = क्षणिक जोशनो ऊभरो. -में दुष्कर (७) असह्य (८) कर्कश .
कोयला=दाळमां काळं कड़ाई स्त्री० 'कड़ा'-पणुं
कढ़ोरना सक्रि० (प.) खेंचवू; घसडीने कड़ाका पुं० कडाको लांघो(२)अवाज]
बहार काढवू
कण पुं० [सं.] कण; दाणो. -णिका कड़ाकेका वि० जोरदार; तेज; खूब कड़ाबीन स्त्री० [तु. कराबीन] नानी
स्त्री० नानो कण के नानी नाळनी बंदूक
क्रत पुं० [अ] कत; कलमनो काप
कत अ० (प.) केम? शा माटे? । कड़ाहा पुं० [सं.कटाह, प्रा.कडाह] कलैयु
कतई अ० [अ.] बिलकुल;एकदम; नितांत कड़ाही स्त्री० कड़ाई
कतना अ०क्रि० कंता; कातना'-कर्मणि कड़ी स्त्री० [हिं. कड़ा] सांकळनी एक
कतनी स्त्री० 'कतरनी'; कातर कडी (२) कडी लटकाववानो आंकडो
कतब पुं० जुओ 'कत्बा' (३) गीतनी कडी (४) लगाम (५)
कतरन स्त्री० कातरवामांथी पडता रद्दी . मुश्केली; मुसीबत
कापला-कापलीओ कडुआ वि० [स्त्री० कडुई] कडवु (२)
कतरना सक्रि० [सं. कर्त्तन] कातरवू क्रोधी (३) अप्रिय; कटु (४) कठण;
कतरनी स्त्री० कातर; 'कैंची' 'कड़ा'.-करना=धन बगाडवू.-घूट =
कतरब्योंत स्त्री० कापकूप; आम तेम कडवो चूंटडो; कठण काम.-मुँह-कटु
करवू ते (२) जो विचारवं ते; गडभांग बोलनार मोढुं. -होना=गुस्से थवें कतरवाना सक्रि०कतरावq; कतराना' कड़ा तेल पुं० सरसियु
कतरा पुं० [अ.]टुकडो;खंड (२) बंद; बिंदु कड़आना अ०क्रि० कडवू लागवू (२) कतराई स्त्री० कातरवानें काम के गुस्से थर्रा (२) आंखमां कलतर थq तेनी मजूरी
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कतराना कतराना सक्रि०कतराव(२)अ०क्रि० कत्ल, कत्लेआम पुं० [अ] जुओ अनुक्रमे
कतराता जq; वांका फंटा __ 'क़तल', 'कतलाम' • कतल पुं० [अ. कल] कतल; हत्या कथंचित् अ० [सं.] कदाच कतलबाज पुं० शिकारी; जल्लाद कथक पुं० [सं.] कथाकार (२) पुरागी कतला पुं० [अ. क़तरा] खाद्यनो टुकडो; (३) जुओ 'कत्थक' फांक (२) एक माछली
कथकीकर पुं० काथानुं झाड कतलाम पुं० [अ. क़त्लेआम सर्वसंहार; कथक्कड़ पुं० कथा कहेनार कतलेआम
वगेरेनो) कथना सक्रि० कहे . [बकवाद कतली स्त्री नानो टुकडो (मीठाई कथनी स्त्री० (प.) कथनी; वात (२) कतवाना स० क्रि० कंताववं [वगेरे कथरी स्त्री. गोदडी; कंथा कतवार पुं० कूडोकचरो; रद्दी घास कथा स्त्री० [सं.] कथा; वार्ता (२) कतहुँ (-हूँ) अ० क्यांय; कोई जगाए । धर्मनी कथा (३) खबर; हाल (४) कता स्त्री० [अ. क़त] बनावट; आकार . . वादविवाद; बोलाबोली
(२) ढंग (३) कपडावें वेतरण; 'कट' कथानक पुं० [सं.] कथा (२) नानी कथा कताई स्त्री० कांतवू ते के तेनी मजूरी कथावस्तु स्त्री० [सं.] वार्ता, वस्तु कता-कलाम पुं० [अ.] वातमां बच्चे कथित वि० [सं. कहेलं; कहेवायेलं कहेवा लागवू-पडवं ते
कथोपकथन पुं० [सं.] वात चीत (२) कताना स० क्रि० 'कतवाना'
वादविवाद कतार स्त्री० [अ] पंक्ति; हार (२) कदंब पुं० एक झाड; 'कदम' (२) ढंगलो समूह; जूय
कद स्त्री० [अ. कद्द] द्वेष (२) हठ (३) कतारा पुं० लाल मोटी शेरडी . अ० [सं. कदा] क्यारे कति(०क,-तेक) वि० केटलं; केवडं। कद पुं० [अ.] कद; ऊंचाई कतिपय वि० [सं.] केटलुक
कद-आवर वि० [अ.+फा. कदावर ऊंचं कतेक वि० जुओ 'कतिक'
कदम पुं० कदंब- झाड कतौनी स्त्री० जुओ 'कताई' कदम पुं० [अ.] कदम; पगलं.-उठाना कत्ता पुं० छरो; वांस फाडवान ओजार = पग उपाडवा; जलदी चालवू. कत्तिनस्त्री० (मजूरी पर)कांतनारी स्त्री -निकालना = (घोडाने) पलोटवो, कत्ती स्त्री० छरी; कटार
केळववो. -फरमाना, रंजा करना=3 कत्थई वि० कथ्थाई (रंग-)
पधार; आववानी के जवानी तस्दी कत्थक पुं० गावा बजावा ने नाचवानुं लेवी. -बढ़ाना=पग उपाडवो (२)
काम करती एक जात [झाड आगळ वधQ. भरना= चालवू; पगलं कत्या पुं० [सं. क्वार्थ] काथो के तेनु मांडवु. -मारना=दोडधाम करवी; कत्बा पुं० [अ.] (मकान मसीद वगेरे (चालवामां) खूब झपाटो मारपो. पर लखातो के कोतरातो) लेख -लेना चरणस्पर्श करवो
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कदमचा
कनरसिया कदमचा पुं० [फा.] पग मूकवानी जगा, कनक पुं० घउंनी एक जात (२) घउंनो जेवी के जाजरूमा
- लोट (३) [सं.] सोनुं (४) धंतूरो । कदमबोसी स्त्री० [अ.] मोटाने पगे कनकटा पुं० कानकट्टो (२) कान कापी लागवू ते; तेमनी शुश्रूषा
लेनारो . [एक रोग कदर स्त्री० [अ.] कदर; किंमत कनकटी स्त्री० कानना पाछला. भागनो कदरज वि० कदरज; कंजूस (२) पुं० कनकना वि. जरामां तूटी जाय एवं; एक पापीतुं नाम
बरड (२) जरामां चिडाय एवं; चीडियुं कदरदाँ(-दान) वि०गुणग्राही कदरदान (३) खंजवाळ लागे एवं (४) अरुचिकर. कदराई स्त्री० कायरता; भीरुता. (नाम हट स्त्री०) कदर्य वि० [सं.] कदरज; कंजूस कनकनाना अ०कि० खंजवाळ लागवी कदली स्त्री० [सं.] केळ
(२) न रुचवू कदह पुं० [अ.] कटोरो; वाडको किनकी स्त्री० कणकी [आनावारी 'कदा अ० [सं.] क्यारे?
कनकूत पुं० खडो पाक आंकवो ते; कदाच(-चि) अ० (प.) कदाच; रखेने कनकौवा पुं० कनकवो; पतंग कदाचित् अ० [सं.] कदाच (२) क्यारेक कनखजूरा पुं० कानखजूरो कदापि अ० [सं.] क्यारे पण (प्रायः कनखियाना सकि० त्रांसी नजरे जोवं नकार जोडे)
के आंखथी इशारो करवो कदामत स्त्री० [अ.] कदीमपणुं. -पसंद कनखी स्त्री० त्रांसी नजरे जोवू ते (२) वि० जुनवाणी; 'कॉन्झर्वेटीव'
आंखनो इशारो. -मारना= आंखथी क़दीम (-मो) वि० [अ.] जूनुं पुराणुं इशारो करवो के ना कहेQ कद्दू पुं० [फा.] जुओ 'क'
कनखोदनी स्त्री०कानखोतरणुं-तेनी सळी कदूरत स्त्री० [अ.] मेल; गंदापणुं (२) कनगुरिया स्त्री०(कानमां नंखाती) सौथी बैमनस्य; अणबनाव
नानी आंगळी कद्दावर वि० [फा.] कदावर कनछेदन पुं० कान वींधवा ते कद्दू पुं० दूधी (तूमडा घाटनी) (२) कनटोप पुं० कानटोपी . . कोळं; 'कुम्हड़ा'
कनपटी स्त्री० कान ने आंख वच्चेनी कद्दकश पुं० [फा. छीणी
जगा; लमणो कईदाना पुं० [फा.] झाडामां नीकळता कनफटा पुं० कानफटो; गोरखपंथी साधु
धोळा नाना अमुक कीडा कनफुका वि० [स्त्री०-को] कानमा क़द्दे-आदम वि० [अ.]कदमां माणस जेटलं ___ मंत्र फूकनार (गुरु) कधी अ० कदी. -कधार =कदी कदी कनफुसका वि० [स्त्री०-को] कानफूसियुं कन पुं० कण (२) प्रसाद (३) भिक्षान्न कनफुसली स्त्री० कानफोसणी (४) शरीरशक्ति (५) समासमां 'कान' कनरस पुं० संगीत के वातो सांभळवान बदले आवे छे. उदा० 'कनपटी' रस (वि० -सिया)
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कनवास
कनवास ु० कॅन्वास कपड़े कनसलाई स्त्री० नानो कानखजूरो कनसार पुं० कंसारो
कनस्तर पुं० [इं. कॅनिस्टर ] टिननो डब्बो क़नाअत. स्त्री० [अ.] संतोष ( २ ) संयम (३) सबूरी; खामोशी
कनागत पुं० [सं. कन्यागत ] श्राद्ध (२) श्राद्ध पखवाडियं [ जाडो पडदो क़नात स्त्री० [ अ ] तंबूनी कनात के कनारी स्त्री० कानडी भाषा कनियाँ स्त्री० गोद; खोळो' कनिष्ठ वि० [सं.] नानामां नानुं (२) छेक ऊतरतुं [आंगळी कनिष्ठा, - ष्ठिका स्त्री० [सं.] टचली कनी स्त्री० कणी (२) हीराकणी (३) कणकी (४) बुंद
कनीज स्त्री० [फा.] दासी; नोकरडी कनीनिका स्त्री० [सं.] आंखनी की की (२) कन्या
कने अ० कने; पासे (२) तरफ; बाजु कनेठा वि० काणुं (२) बाडु कनेठी स्त्री० कान आमळवो ते कनेर पुं० करेण. - रिया वि० करेणना फूलना रंगनुं
कनौड़ा वि० काणुं (२) अपंग; खोडवाळं (३) पुं० खरीदेंलो दास (४) कृतज्ञ माणस (५) नीच क्षुद्र आदमी कनौती स्त्री० पशुनो कान के तेनो छेडो (२) काननी वाळी (३) कान ऊंचा करवानी रीत
कना पुं० [सं. कर्ण, प्रा. कण्ण] पतंगनी कन्ना (२) किनार; कोर कभी स्त्री० पतंगनी बे बाजु (२) कन्वी, पतंगनी लांबी पूंछडी (३)
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कपित्थ
किनार - खाना या मारना = = (पतंगनं), गिन्ना बु; कन्नावु. - देना = पतंगने छूट आपवी
कन्या - त्यका स्त्री० [सं.] कुंवारी छोकरी (२) दीकरी
कन्हाई, कन्हैया पुं० कृष्ण (२) प्रिय माणस (३) सुन्दर छोकरो कपट पुं० [सं.] दगो; छळ ( २ ) छुपा
कपटना स० क्रि० कापी लेवं; चातरबुं कपटी वि० [सं.] कपट करे एवं
दगाबाज
कपड़छ (-छा) नपुं० कपडाथी चाळवं ते (२) वि० तेवी रीते चाळेल; अति बारीक [भंडार कपड़द्वार पुं० वस्त्र भंडार; कापडनो कपड़ मिट्टी स्त्री० दवा बनाववाना पात्रनुं मोढुं बंध करवा कपडुं बांधी माटीनो लेप करवो ते
कपड़ा पुं० [सं. कर्पट, प्रा. कप्पट - ड ] कपडु; वस्त्र. कपड़े आना, कपड़ोंसे होना = स्त्रीने मासिक धर्म आववो. कपड़ा-लत्ता पुं० कपडालत्तां कपड़ौटी स्त्री० जुओ 'कपड़ मिट्टी' कपाट पुं० [सं.] कमाड़; बारणं कपार ( -ल) पुं० कपाळ (२) खोपरी (३) ठींकरु के एवं भिक्षापात्र कपाली पुं० [ सं . ] शिव (२) एक जानो मांगण - साधुभिखारी कपास स्त्री० [सं. कर्पास ] कपास कपासी वि० कपासना फूलना रंगनु; आछु पीळं (२) पुं० तेवो रंग कपि पुं० [सं.] वांदरो (२) हाथी कपित्थ पुं० [सं.] कोठं के कोठी
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कपिल
कपिल वि० [सं.] भूरुं (२) धोळं (३) पुं० एक ऋषि [ गाय कपिला स्त्री० [सं.] कपिल रंगनी (सीधी ) कपिश, - स वि० माटी रंगनुं कपूत पुं० कुपुत्र; खराब छोकरो कपूर पुं० कपूर पदार्थ
कपूरी वि० कपूरनं बनेलुं के तेना रंगनुं (२) पुं० तेवो रंग (३) कपूरी पान कपोत पुं० [सं.] कबूतर ( २ ) पक्षी कपोती स्त्री० कबूतरी (२) वि० कबूतरना रंगनुं • कपोल पुं० [सं.] गाल [बनावटी बात कपोलकल्पना स्त्री० [सं.] गप; जूठ; कपोलकल्पित वि० [सं.] बनावटी; जूठ कप्तान पुं० कॅप्टन (वहाण या सेना इ०नो) कफ़ पुं० शरीरनो कफ (२) [फा.] हथेली के पगनुं तळियुं (३) फेण (४) [इं.] खमीसनो कफ. कफ़ अफ़सोस मलना = पस्तावामां हाथ घसवा कफ़गीर पुं० [फा.] कडछी कफ़न पुं० [ अ ] शबनुं कफन. कौड़ी न रखना = कमावुं एटलुं वापरी नांख को कौड़ी न होना या रहना: = अत्यंत गरीब होवुं. - फाड़कर बोलना = एकदम जोरथी बोलवु. - लपेटना, सिरसे बाँधना = जान जोखममां नाखको; मरणिया थवुं कफ़न -खसोट वि० ( नाम, - टी) कंजूस; अत्यंत लोभी
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कफ़नाना स०क्रि० कफनमां मडदुं लपेटवु कफ़नी स्त्री० फकीरनो चोलो; कफनी क़फ़स पुं० [अ.] पांजरं ( २ ) पक्षीनी चबूतरी (३) केंदखानुं (४) हवा उजास वगरनी सांकडी जगा ( ५ ) शरीर
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कबूतरबाज
.
कफ़ा ( - फ़्फा ) रा पुं० [ अ ] पापोनुं प्रायश्चित्त
कब अ० क्यारे ? - का, के, से = क्यारनं कबड्डी स्त्री०. हुतुतुतु
क़बर स्त्री० जुओ 'क़ब्र'. ० स्तान पुं० जुओ 'कब्रिस्तान'
कबरा, -री वि० [सं. कर्वर, प्रा. कब्बर ] (स्त्री० - री) का बरुं; काबरची तरु क़बरिस्तान पुं० [ अ ] कबरस्तान. क़बल अ० [अ.] पहेलां; पूर्वे (२) वि० पूर्वनुं; पुराणुं
बस पुं० [अ.] पेटतुं एक दरद क़बा पुं० [ अ ] एक जातनो लांबो ने खुलतो झब्बो [ के काम कबाड़ (-र ) पुं० रद्दी नकामी वस्तु कबाड़ा पुं० नकामी वात; झंझट कबाड़िया, कबाड़ी पुं० भांग्या तूटया के रद्दी मालनो वेपारी (२) नका के तुच्छ काम करनारो (३) झघडाखोर कबाब पुं० [अ.] मांसनी एक वानी कबाबी वि० कबाब वेचनार ( २ ) मांसाहारी
क़बाय पुं० 'कंबा'; एक जातनो झब्बो कबार पुं० रोजगार; वेपार ( २ ) ' कबाड़ ' क़बाला पुं० [अ.] कबालो; वेचाणखत; सोदानो दस्तावेज
बाहत स्त्री० [अ.] बूराई; दुष्टता (२) मुकेली; अडचण [ संत कबीर कबीर वि० [अ.] श्रेष्ठ; महान ( २ ) पुं० क़बीला स्त्री० [अ.] स्त्री; जोरु ( २ ). कबीलो; परिवार
बुलवाना, जुलाना स०क्रि० कबुलावकुं कबूतर पुं० [फा.] कबूतर कपोत कबूतरबाज वि० [फा.] कबूतर पाळनार
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कमरिया कबूद वि० [फा.] आसमानी; नील कमंद पु० कबन्ध (प.) (२) [फा.जंगली कबूल पुं० [अ.] स्वीकार; कबूलत. पशुने बांधवानो पाश कबूलनां स० क्रि० कबूलबुं; स्वीकार कम वि० [फा.] थोडं; ओछु (२) कबूलियत स्त्री० [अ.] कबूल-मंजूरीनो खराब (प्रायः समासमां) जेम के - दस्तावेज; कबूलतनामुं
कमनसीब क़बूली स्त्री० [फा.] चणानी दाळनी कमअसल वि० [फा.+अ.] वर्णसंकर खीचडी
[कबजियात कमखाब पुं० [फा.] किनखाब कब्ज पुं० [अ.] ग्रहण; पकड (२) .. कमची स्त्री० [तु.] पातळी सोटी; चाबुक कब्जा पुं० [अ.] (तलवारनी) मूठ; ___ कमच्छा स्त्री० कामाक्षी देवी दस्तो (२) कब्जो; अधिकार (३). कमजोर वि० [फा.] कमजोर; अशक्त नरमादा; बरडवां
(नाम -री स्त्री०) कब्जादार पुं० [फा.] कब्जो धरावनार . कमठ पुं० [सं.] काचबो (२) कमठाळं;
आसामी (२) वि० कबजावाळू . वांस (३) साधुनी तूमडी कब्जियत स्त्री० [अ.] कबजियात 'कमठा पुं० [सं. कमठ] कामर्छ; धनुष्य क्रब स्त्री० [सं.] कबर. –में पांव या कमठी स्त्री० कमठाडु (२)[सं.] काचबी .पैर लटकांना=मरण पासे होवू (२) कमतर वि० [फा.]. बहु ओछं बहु घरडा थq
कमती स्त्री० (२) वि० कमी; ओर्छ कब (-ब्रिस्तान पुं० [फा.] कब्रस्तान कमनीय वि० [सं.] सुंदर; मनोहर कभी अ० कोई पण वखते; क्यारे पण. कमनेत पुं० बाणावळी; तीरंदाज
-कभी, -कभार = अवारनवार; क्यारे कमबख्त वि० [फा.] कमनसीब; दुर्भागी क्यारे. -का अ० क्यारन; घणा (नाम, -ख्ती स्त्री०) वखतथी. -न कभी% कोई ने कोई कमयाब वि० [फा.] दुर्लभ वखते
कमर स्त्री॰ [फा.] केड; कमर. -टूटना कभू अ० (प.) जुओ ‘कभी' निरुत्साह, निराश थq कमंगर पुं० [फा. कमानगर] कमान कमर पुं० [फा.] चंद्रमा बनावनार (२) हाडवैद (३) चितारो कमरकोट,टा पुं० किल्लानी उपरनी (४) वि० दक्ष; निपुण
(कांगरा इ०वाळी) वंडी के दीवाल कमंगरी स्त्री० 'कमंगर'नो धंधो के काम कमरख स्त्री कमरखी के कमरख फळ कमंचा पुं० शारडी फेरववानुं कामठा कमरखी वि० कमरखना आकार- . . जेवू ओजार .
कमरबंद पुं० [फा.] कमरबंध (पटो, कमंडल पुं० कमंडळ (साधुनु) नाडु इ०) (२) वि० तत्पर कमंडली वि० कमंडलु राखनार; साधु कमरा पुं० कोटडी; ओरडी (२) कॅमेरा
(२) पाखंडी (३) पुं० ब्रह्मा .. (३) कामळो कमंडलु पुं० [सं.] (साधु-) कमंडळ कमरिया पुं० एक प्रकारनो हाथी .
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कमल
करक कमल पुं० [सं.] कमळनु फूल के वेलो (२) कमीज (-स) स्त्री० [अ.] खमीस कमळो रोग
[बीज कमीन पुं० वसवायु कमलगट्टा पुं० कमळकाकडी; कमळy कमीना वि० [फा. कमी; ओछं; क्षुद्र. कमलबाई स्त्री० कमळानो रोग [नाम -नगी,-नी (स्त्री०),०पन पुं०]. कमला स्त्री० [सं.] लक्ष्मी (२) कातरा कमीशन पुं० [इ.] कमिशन; दलाली जेवू एक जीवडं (३) अनाजमां पडतुं (२) खास काम माटे नीमेलु मंडळएक जंतु; 'टोला' , [(सं.) ब्रह्मा कमिशन कमली स्त्री० नानी कामळी (२) पुं० क्रमीस स्त्री० जुओ 'क़मीज़' कमवाना सक्रि० 'कमाना' नुं प्रेरक . कमून पुं० [अ.] जी कमसिन वि० [फा.] कम उमरखें कमूनी वि० [फा.] जीरावाळं के जीरा कमसिनी स्त्री० [फा.] बाळपण संबंधी (२) स्त्री० (जीरानी) एक दवा कमसे कम अ० ओछामा ओछ (२) कांई कमेटी स्त्री० कमिटी; समिति नहि तो
कमेरा पुं० काम करनारो; मजूर; नोकर कमाई स्त्री०कमाणी के तेनुं काम के धंधो कमेला पुं०पशु मारवानीजगा कतलखानु कमाऊ वि० कमाउ; कमानाएं कमोरा पुं० माटी- एक वासण (जेवू के कमान स्त्री० [फा.] धनुष (२) कमान घडो; माटलं) (घरनी) (३) तोप के बंदूक कमोरी स्त्री० माटली; नानो 'कमोरा' कमान स्त्री० [इं. कमान्ड ] लश्करी । कम्बखत वि० [फा.] कमबख्त; कमनसीव 'आज्ञा के नोकरी
कम्मा पुं० ताडपत्र पर लखेलो .लेस कमाना सक्रि० कमावू (२) कमाव; . कम्युनिज्म पुं० [ई.] साम्यवाद . केळवq; कसीने दृढ करवू (३) नानुं कम्युनिस्ट पुं० [ई.] साम्यवादी . मोटुं (सेवान) काम करवू(४)कम कर क्याफा पुं० [अ.] चहेरो; सिकल; सूरत. कमानिया पुं० जुओ 'कमनैत' __.शिनास वि० [फा.] चहेरो जोई कमानी स्त्री० स्प्रिंग; कमान
मननो भाव समझनार कमाल पुं० [अ.] संपूर्णता (२) कुशळता कयाम पुं० [अ.] रोकावं ते के तेनी - (३) अद्भुत काम (४) वि० कमाल जगा; विश्राम (२) स्थिरता; निश्चय
कमालियत स्त्री० [अ.] कमालपणुं कयामत स्त्री० [अ.] कयामत (२) कमासुत वि० कमाउ (२) उद्यमी प्रलय (३) ऊथलपाथल; खळभळाट कमिटी स्त्री० [इ.] कमिटी; समिति कयास पुं० [अ.] क्यास; ख्याल; अनुमान. कमिश्नर पुं० [इ.] कमिशनर . -दौड़ाना,-लगाना,-लड़ाना= क्यास कमिश्नरी स्त्री० कमिशनरती कचेरी बांधवो; ख्याल दोडाववो.-में आना=
के तेनुं काम के तेनी हकूमतनो प्रदेश समजावू; ख्यालमां आवq कमी स्त्री० [फा.] कमी; ऊणप (२) । कयासी वि० कल्पित; ख्याली हानि; नुकसान
करंक पुं० [सं.] हाडपिंजर
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करपर करंज,-जा पुं० [सं.] जुओ 'कंजा' करतबी वि० पुरुषार्थी (२) निपुण; करंड पुं० [सं.] मधपूडो (२) करंडियो 'करतब'वाळं (जुओ ‘करतब') के टोपली
करतल पुं० [सं.], -ली स्त्री० हथेळी करतीना पुं० [इ. क्वोरेंटाइन] चेपी करता पुं० कर्ता (२) बंदूकनी गोळी
रोगना स्थानमांथी आवनारने अमुक जाय तेटलं अंतर . वखत एक स्थाने रोकी लेवामां आवे करतार पुं० परमेश्वर; जगकर्ता छे ते जगा
करताल पुं०,-ली स्त्री० [सं.] हाथनी कर पुं० [सं.] हाथ (२) किरण (३) ताळी (२) वगाडवानी करताल (३) करवेरो (४) हाथीनी सूंढ (५) (प.) मंजीरा
[कळा; हुन्नर 'का'-'न' संबंधक प्रत्ययना अर्थमा करतूत (-ति) स्त्री० करतूक; काम (२) करई स्त्रो० एक माटीनं वासण (२) करद वि[सं.] कर आपनार; आधीन अनाजनो भंडार
(२) स्त्री० [फा. कारद] छरी करक स्त्री० जुओ 'कड़क' (२) [सं.] करदा पुं० खरीदेला मालमां कचरो करवडो; कमंडलु (३) दाडम
इत्यादि होय ते खाध के ते पेटेन करकट पुं० 'कतवार'; कचरो बारदान कपाय ते (२) नवा माल करकना अ.क्रि० जुओ 'कड़कना' । पेटे जूनो आपी बदलो करतां उपर करकरा वि० [सं. कर्कर] ककरुं।
आपवानुं रहेतुं बाकी वळतर करकराहट स्त्री० ककरापणुं(२)आंखमा करदोरा पुं० कंदोरो कांकरी पडवानी पीडा
करधनी स्त्री० कंदोरो करकस वि० (प.) कर्कश
करधर पुं० वादळं; मेघ करखा पुं० जुओ 'कड़खा'(२)उश्केरणी करनफूल पुं० काननी फूलवाळी (३) मेश; 'करिखा'
करनबीक़ पुं० [अ.] अर्क काढवानुं एक करगह, करघा [फा. कारगाह] पुं० साळ नान वासण [स०क्रि० करवू के तेनी पावडीनो खाडो
करना पुं० एक जातनु मोटं लींबु (२) कर(-ल)छा पुं० कडछो
करनाई स्त्री० [अ. करनाय] शरणाई कर(-ल)छी स्त्री० कडछी
करनाटक पुं० कर्णाटक प्रांत. -की करछुला पुं० मोटो कडछो (भाडभुंजानो) पुं० कर्णाटकी (२) जादुगर के खेलाडी करज पुं० [सं.] नख (२) आंगळी करनाल पं० [अ. करनाय] 'करनाई' करण पुं० [सं.] ओजार; साधन (२) (२) मोट ढोल (३) एक जातनी तोप इंद्रिय (३) देह; शरीर (४) (व्या.) · करनी स्त्री० करणी (२) मरणक्रिया त्रीजी विभक्तिथी सूचवातो अर्थ (३) कडियान लेलं . [अमलदार करणीय वि० [सं.] करवा योग्य करनेल पं० [इं.कर्नल] एक ऊंचो लश्करी करतब पुं० कर्तव्य; काम (२) हुन्नर; करपर वि० कृपण; कंजूस (२) स्त्री० कळा (३) करामत; जादु
(प.) कर्पर; खोपरी
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करबरना करबरना अ०क्रि० कलरव करवो करष(-षा) पुं० [सं. कर्ष] वेर; अणबनाव करबला पुं० [अ.] ताबूत डुबाडवानी करष(-स)ना स० कि० (प.) आकर्ष; जगा (२) निर्जळ प्रदेश (३) कब्रस्तान खेंचवं (२) सूकव (३) समेटवू; (४) (सं.) हजरत हुसेनने ज्यां मार्या एकळु करवं" ते स्थान [(२) कमर; केड करसान पुं० किसान; खेडूत करभ पुं० [सं.] हाथी के ऊंटन बच्चु करसायर(-ल) पुं० काळो मृग करम पुं० कर्म; काम (२) करम; करसी स्त्री० छाणांना टुकडा नसीब (३) [अ.] महेरबानी; कृपा करह पुं० ऊंट (२) फूलनी कळी (४) उदारता .
कराँत पुं०. करवत. करमकल्ला पुं० करमकल्लो; कोबी . करांती पुं० वेरणियो [साप करमठ, करमी वि० कर्मठ; कर्मकांडी कराइत पुं० 'करैत'; एक झेरी काळो कर(-ल)मुंहा वि० जुओ 'कलमुंहाँ कराई स्त्री० काळप; शामळापणं (२) करवट स्त्री० [सं. करवर्त] पासाभेर सूकुं करवानी के कराववानी हिंमत (३) के पासुं. -खाना, -होना= फरी जवं. दाळ- भू -लेना= कोई कार्य विषे ध्यान न कराना सक्रि० कराववं सगाई राखq. -बदलना, -लेना= पासुं राबत स्त्री० [अ]समीपता (२) संबंध; बदल (२) पलटवू. करवटें बदलना= कराबा पुं० [अ.] मोटो काचनो शीशो पथारीमां बेचेन पासां घस्या करवां कराबीन स्त्री० [तु.] जुओ 'कड़ाबीन' करवट, करवत पुं० [सं. करपत्र] करवत; करामात स्त्री०ब०व०चमत्कार; करश्मा
आडियु. -लेना =(काशीए) करवत करामाती वि० सिद्ध; चमत्कारी मेलाव
करार पुं० [अ.] स्थिरता (२) धीरज कारवर स्त्री० विपत्ति; संकट; मुसीबत . संतोष (३) आराम; चेन (४) करार; करवा पुं० करवडो; धातु माटीनो वायदो; ठराव (५)[सं.कराल?]कराड; नाळवाळो लोटो..चौथ स्त्री० कारतक भेखड; करारा'.-आना-आराम थवो; वद चोथ (स्त्रीओ 'करवा थी गौरी- चेन पडवू.-देना नक्की करवू; ठराव पूजा करे छ)
करवो. -पाना-ठरवं; नक्की थq। करवाना स० क्रि० कराव; 'कराना' करार-दाद पुं० [अ.+फा.] लेणदेणने करवार(-ल) पुं० [सं. करबाल]तलवार अंगेनो करार करवाली स्त्री० नानी तलवार; कटार; करारा पुं० कराड; भेखड (२) वि० 'करौली
कराल; तीक्ष्ण; तेज; कठोर करवीर पुं० [सं.] करेण (२) तलवार कराल वि० [सं.] विकराळ; भयानक करवया वि० करनार; करवैयो कराव(-वा) पुं० नातलं; कोईने त्यां करश्मा पुं० [फा.] चमत्कार; अद्भुत ठाम बेसवं ते . करामत
फराह पुं० डाथी आह कर ते
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कराहना
कराहना अ० क्रि० पीडाथी आह आह करवुं [ 'कड़ाही'. कराहा, कराही जुओ अनुक्रमे 'कड़ाहा', कराहियत स्त्री० [अ.] अप्रसन्नता; अणगमो (२) अयोग्य के निद्य काम (३) घृणा; 'नफ़रत '
करिखई स्त्री० ' कराई; काळप करिखा पुं० 'करखा'; मेंश करिणी [सं.], -नी स्त्री० हाथणी करिया वि० काळं (२) पुं० खलासी (३) हलेसुं
करिहाँ (०व) स्त्री० कमर; कटि करो पुं० [सं.] हाथी
क़रीन वि० [अ] निकट; संगत; जोडेनुं करीना पुं० [ अ ] रीत; ढंग [लगभग क़रीब अ० [अ०] पासे नजदीक ( २ ) करीम वि० [अ.] दयाळु (२) पुं० ईश्वर करीर [सं.] - ल पुं० वांसनो फणगो (२) कांटाळु एक झाड; केरडो करीह वि० [अ] चीतरी चडे एवं ; घृणाजनक
करुआ वि० (प.) कडवुं; 'कडुआ' करआई स्त्री० (प.) कडवापणुं ; कटुता करुण वि० [ सं . ] दयाळु (२) पुं० करुण रस- दया
करुणा स्त्री० [सं.] दया ( २ ) शोक करे (ले) जा पुं० 'कलेजा'; कलेजुं करे स्त्री० [इं. प] करेप; एक बारीक रेशमी कपड़
करेमू पुं० एक भाजी करेर वि० कठोर
करे ( - ₹) ला पुं० कारेली के कारेलु करत पुं० जुओं 'कराइत'. [माटी करेल, -ली मिट्टी स्त्री०कांप जेवी काळी
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कर्दम
करैला पुं० जुओ 'करेला' करोड़ वि० करोड संख्या करोड़ी पुं० खजानची करोदना, करोना स० क्रि० खणवं; खोतवुं ; खोदवुं
करौंदा पुं० [सं. करमर्द] करमदी करौत पुं० 'कराँत'; करवत ( २ ) स्त्री० रखात - दासी
करौता पुं० करवत (२) जुओ 'क़राबा' करौती स्त्री० आरी (२) नानो 'क़राबा' (३) काचनी भट्ठी.. करौली स्त्री० जुओ 'करवाली' कर्कट पुं० जुओ 'करकट' कर्कर पुं० [सं.] करकर (२) वि० ककरु कर्कश वि० [सं.] कठोर (२) पुं०
तलवार (३) शेरडी कर्पूर पुं० [सं.] सोनुं क़र्ज़ (-र्जा) पुं० [अ.]करज; देव. - उठाना, - खाना, - लेना-देव करवुं (२) सपाटामां आवकुं. - उतारना, - पाक करना=देव चूकते कर क़र्जखाह पुं० लेणदार
कर्जदार पुं० देवादार क़र्जा पुं० जुओ 'क़र्ज़'
कर्ण पुं० [सं.] कान (२) सुकान (३) काटखूण त्रिकोणनी कर्णलीटी (४) (सं.) कर्ण [सुका कर्णधार पुं० [सं.] नाविक; सुकानी ( २ ) कर्तन पुं० [ सं . ] कापवुं ते (२) कांत ते कर्त्तव्य पुं० [सं.] फरज (२) वि० करवा योग्य
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कर्त्ता पुं० [सं.] कर्ता कर्त्तार पुं० करतार; प्रभु कर्दम पुं० [ सं . ] कादव (२) मांस (३) पाप
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कर्न
कलम कर्न पुं० [अ.] लांबो समय : कलईगरपुं०कलाई करनारो कलाईवाळो कर्पूर पुं० [सं.] कपूर
कलईदार वि० [फा.]कलाई करेलु खेद कर्बुर पुं० [सं.] सोनू (२) वि० काबरं कलक्क पुं० [अ.] बेचेनी (२) दुःख; चिंता; कर्म पुं०[सं.] कर्म; काम (२) करम; कलकल पुं० [सं.] खळखळ झरणुं वहे ते नसीब (३) क्रियाकर्म .
अवाज (२) कोलाहल (३)स्त्री० झघडो कर्मक (-का) र पुं० लुहार के सोनी(२) । कलका वि० थोडा दिवसचें; कालनुं
नोकर (३) बळद (४) वेठियो । कलकानि स्त्री० हेरानगत; मुश्केली कर्मचारी पुं० [सं.]कार्यकर्ता(२)अमलदार कलक्टर पुं० कलेक्टर कर्मठ वि० [सं.] कार्यकुशळ (२) संध्या- कलगी स्त्री० [तु.] पक्षी के मुगट इ० पूजा इ० नियमित करनार
नी कलगी (२) मकाननो उपरनो भाग कर्मण्य वि० [सं.] उद्योगी; प्रयत्नशील
कलछा, कलछी जुओ 'करछा, करछी' कर्ममास पुं० [सं.] श्रावण मास कलछुला पुं० जुओ 'करछुला' । कर्मयुग पुं० [सं.] कलियुग
कलत्र स्त्री० [सं.] स्त्री; पत्नी कर पुं० [अ.] विजय (२) वैभव; प्रभाव. कलदार वि० कळ-चावी के चांपवाळू
-व फर = वैभव अने शोभा . . .(२) पुं० कलदार रूपियो कर्रा वि० 'कड़ा'; कठण; मुश्केल कलधूत पुं० [सं.] चांदी [मधुर ध्वनि करीना अ०क्रि० 'कर्रा' थवं कलधौत पुं० [सं.] सोनुं (२) चांदी (३) कलंक पुं० [सं.] डाघ (२) एब कलप पुं० [सं. कल्प] वाळनो कलप कलँगी स्त्री० कलगी
(२) जुओ 'कलफ़' कलंदर पुं०[अ.] एक जातनो मुसलमान ___ कलपना अ० क्रि० कल्पांत करवू; कलपवू विरागी साधु (२) मदारी
(२) स० क्रि० काप कल पुं० [सं.] मधुर ध्वनि (२) वि० ____ कल] पुं० कपडानी अस्तरी करवामां सुंदर (३) स्त्री० [सं. कल्य, प्रा. कल्ल] नंखातो आर(२)चहेरा परनुं काळं चार्छ आरोग्य (४) आराम; सुख; कळ; कलबल पुं० उपाय; युक्ति (२) कलबल; संतोष (५) अ० काले (६) स्त्री०कळा; गरबड
मुक्ति (७) कळ; यंत्र. -पाना = कळ कलबूत पुं० [फा. कालबूद] कालबूत(२) : वळवी; शांति के संतोष थवी.-से अ०. (पाघडी टोपी इ० नो) फरमो. आरामथी (२) धीरे धीरे
कलम पुं०, स्त्री० कलम (लखवानी के कलई स्त्री० [अ.] कलाई (२) बहारनो रोपवानी) (२) चित्रकारनी पींछी के
ओप (३) चूनाथी धोळवू ते. -उड़ना, शिल्पी, टांकणुं (३) धरु करी ववातुं उतरना = कलाई ऊतरवी. -करना, धान(४)कान पासे हजामतमांथी बाकी पोतना = धोळg. -करना, होना = रखाता नाना वाळ. -खींचना, फेरना, कलाई करवी के थवी.-खुलना-उधाडु वा मारना = लखेल रद करवं; चेकी पडवू. -न लगना=युक्ति ना चालवीं ___नांखq.-तोड़ना-लखवामा हद करवी
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क़लम-क़साई
कलम- कसाई पुं० [ अ ] भणेलो छतां लोकने हानि करनारो क़लमतराश पुं० [फा.] चाकु कलमदान पुं० [फा.] कलमदानी; कलम'खडियो राखवानो डब्बो के तेवुं साधन क़लमबन्द वि० लखेलुं (२)ठीक; बरोबर क़लम - रौ स्त्री० [फा.] राज्य; सल्तनत कलमा पुं० [अ.] वाक्य; वात (२) कलमो. - पढ़ना = मुसलमान थवं (२) कशामां खूब श्रद्धा राखवी क़लमी वि。[अ.] लखेलुं 'कलम बन्द (२)
मी (आंबो इ० ) [(३) अभागी कलमुँहाँ वि० काळा मोनुं (२) कलंकित कलवरिया स्त्री० दारूनुं पीठं
कलवार पुं० कलाल कलश ( स ) पुं० [सं.] कळश; घडो (२). मंदिर इ० नुं शिखर
कलसा पुं० कलश; कळशियो ( २ ) 'मंदिरनुं शिखर
कलसी स्त्री० नानो 'कलसा' कलह पुं० [सं.] झघडो; लडाई • कलहनी, कलहारी वि。स्त्री० लडकणी; झघडाळु (स्त्री)
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कलही वि० कलहप्रिय; लडकणुं कलाँ वि० [फा.] मोटं; वडुं कला स्त्री० [सं.] कळा (२) युक्ति; छळ कलाई स्त्री० हाथनुं कांडु (२) 'कलावा' नुं अल्पतावाचक रूप [- बरफी कलाकंद पुं० [फा.] मावानी एक मीठाई कलाधर पुं० [सं.] चंद्र ( २ ) शंकर कलाप पुं० [सं.] झुंड, गुच्छ (२) मोरनुं पूंछ (३) चंद्र (४) बाणनुं भायुं कलाप पुं० [सं.] मोर (२) कोयल
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कलुष
कलाबत्तू पुं० [तुर्की-कलाबतून] कलाबूत; सोना चांदीना तारवाळो रेशमी दोरो के तेनुं मोळियुं [ उस्ताद कलाबाज वि० खेलकूद के नटक्रियामा क़लाबाजी. स्त्री० गुलांट; गोटमडुं. - करना, खाना = गोटमडुं खावुं कलाम पुं० [अ.] वाक्य ( २ ) वातचीत
(३) प्रतिज्ञा ( ४ ) वांधो; खचको कलार ( -ल) पुं० 'कलवार'; कलाल कलावा पुं० सूतरनुं कोकडु; लाल aisiest has
कलिंग पुं० [सं.] कलिंगडुं ; तडबूच (२) कालिंगड राग (३) एक प्राचीन देश feat स्त्री० [सं.] कालिंदी ; जमना नदी कलि पुं० [सं.] झघडो ( २ ) पाप ( ३ ) कलियुग ( ४ ) वि० कांळं कलिका स्त्री० [सं.] कळी कलिमल पुं० [सं.] पाप
क़लिया पुं० [अ.] रसादार पकावेलुं मांस कलियान पुं० [फा.] एक जातनो हूको कलियाना अ ०क्रि० कळीओ बेसवी (२) पक्षीने पांख आववी कलियुग पुं० [सं.] कळियुग कलींवा पुं० कलिंगड; तडबूच hot स्त्री० फूलनी के पहेरणनी कळी (२) पक्षीनी नवी आवेली पांख (३) हूकानो नीचेनो भाग (४) [अ. कलई ] पथ्थर वगेरेना टुकड़ा जेनो चूनो बने छे. -लेना = झाडने कळी बेसवी ख़लील वि० [अ.] अल्प; थोडं hter पुं० [फा.] यहूदी के ख्रिस्ती देवळ कलीसिया पुं०यहूदी के ख्रिस्ती धर्ममंडळ कलुख, - [सं.] पुं० पाप; मेल (२) वि० पापी; मलीन
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कलुवाई
कलुवाई स्त्री० चित्तनी कलुषता कलुषित वि० [सं.] पापी; मलिन; दोषित कलूटा वि० [स्त्री० - टी] काळं कलेऊ पुं० 'कलेवा'; नास्तो कलेजा पुं० कलेजु; काळजुं (२) छाती. - उलटना = : ऊलटी करतां जीव गभरावो. -ठंडा करना = संतोषवु. - निकलना = जीव जवा जेवुं लागवुं. - निकाल कर रखना = सर्वस्व दई देवु. - पक जाना = सहन करी करीने थाकी जवुं मुंहको या मुंह तक आना = आकुळव्याकुळ के बेचैन थवं; गभरावं. कलेजे पर साँप लोटना = hi सांभरी आवतां शोक थवो कलेजी स्त्री० पशुना काळजानुं मांस कलेवर पुं० [सं.] शरीर (२) खोखुं; 'ढांचा' कलेवा पुं० नास्तो; (२)भार्थी (३) कलवा जेवी विवाहनी एक रीत -करना = खाई जवुं (२) मारी नाखवु कलैया स्त्री० गुलांद; गोटम डुं कलोर स्त्री० वाछडी
.
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कलोल पुं० कल्लोल
बालोलना अ० क्रि० कल्लोलवु ; आनंदबुं कलौंजी स्त्री० एक जातनुं शाक कलौटा वि० जुओ 'कलूटा ' कल्कि पुं० [सं.] कल्कि अवतार कल्प पुं० [ सं . ] ( ब्रह्माना दिवस जेटलो ) . लांब काळ (२) वेदनं (छमांनं) एक अंग कल्प- तर, -द्रुम पुं० [सं.] कल्पवृक्ष कल्पना स्त्री० [सं.] रचना; बनावट (२) मननी कल्पनाशक्ति (३) कल्पी काढेली वात; मान्यता कल्पवास पुं० [सं.] माह महिनामां गंगा पर संयमपूर्वक वास - एक व्रत
हि-७
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कल्पान्त पुं० [सं.] प्रलय कल्पित वि० [सं.] कल्पेलुं
कवच
कल्ब पुं० [अ.] हृदय (२) बुद्धि (३) मध्य भाग (४) खोटी चांदी के सोनुं कल्मष पुं० [सं.] पाप; मेल कल्माष वि० [सं.] काबरचीतरुं (२) काळु कल्य पुं० [सं.] सवार ( २ ) शराब कल्याण पुं० [सं.] कल्याण; भलुं (२) सोनुं (३) एक राग (४) वि० भलुं; सासं कल्लर पुं० 'कल्हर'; खारी माटी; ऊस (२) ऊखर जमीन
#
क़ल्लांच वि० जुओ 'क़ल्लाश' (२) शठ; बदमास; गुंडो
कल्ला पुं० अवाज (२) अंकुर ( ३ ) दीवानुं मोढियुं ( ४ ) [फा. कल्ला ] जडबु. (५) गळं; बकरी इ०नुं माथु. -मारना = डिंग मारवी; छांटनुं कल्लातोड़ वि० जडबातोड; जबरदस्त कल्लादराज वि० [फा.] बहु बोलनार; - बकवादी. [नाम -जी स्त्री० ] कल्लाना अ० कि० वागवाथी के कशाथी चामडी बळवी; बळतरा थवी ( २ ) असह्य थवुं
क़ल्लाश वि० [तु.] गरीब; कंगाळ (२) नफट; निर्लज्ज (३) दारूडियो कल्लोल पुं० [सं.] तरंग; मोजु (२) क्रीडा; गमत; आनंद :
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कल्लोलिनी स्त्री० [सं.] नदी कल्ह अ० 'कल'; काले कल्हर पुं० जुओ 'कल्लर' कल्हारना स० क्रि० तळवुं ( २ ) अ० क्रि० 'कराहना'; दुःखनो उद्गार काढवो कवच पुं० [सं.] बखत र (२) ढांकण (३) मोटुं ढोल; डंको
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फवन
कवन स० ( प. ) 'कौन'; कोण कवर पुं० [इं.] कवर; पूठं के परबीडियं (२) [सं.] वाळतो गुच्छो (३) मीठं(४) [सं. कवल] कोळियो
कवरी स्त्री० [सं.] वेणी कवल पुं० [ सं . ] कोळियो
कवलित वि० [सं.] कोळियो कराई गयेलुं भक्षित
वाम पुं० [ अ ] 'किमाम'; चासणी; उकाळीने मध जेवो करेलो रस कवायद पुं० [ अ. 'कायदा' नुं ब०व० ] नियम; शिस्त ( २ ) स्त्री० कवायत (३) व्यवस्था; शिस्त (४) व्याकरण कवि पुं० [सं.] कवि; काव्य रचनार (२) [सं.] शुक्राचार्य
कविता स्त्री० [सं.] पद्यरचना; काव्य कवि पुं० कवित्व; कविता
क़वी वि० [अ०] जबरुं; बळवान; मजबूत कवीठ पुं० 'कैथा'; कोठं
क़वी - हैकल वि० [अ.] कदावर; मोटुं कवेला पुं० कागडानं बच्चुं कवेलू पुं० नळियु ['क़ौवाल’' कव्वाल पुं० [ अ ] कवाली गानार; haarit स्त्री० [अ.] कवाली; 'कौवाली' . कश पुं० [सं.] चाबुक (२) [फा.] खेंच;
आकर्षण (३) हूका के चलमनो दम क़शक़ा पुं० [फा.] टीलुं; तिलक कशमकश स्त्री० [फा.] खेचताण (२) भीड; धक्काधक्की (३) विचारमां पडते
कशा स्त्री० [सं.] दोरी (२) चाबुक कशिश स्त्री० [फा.] खेंच; आकर्षण ( २ ) अणबनाव. - शे-सिक्ल स्त्री० [फा.] गुरुत्वाकर्षण
९८
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कसबी
कशीदगी स्त्री० [फा.] वैमनस्य; अणबनाव कशीदा पुं० [फा.] कशीदो; जरीनुं भरतकाम (२) वि० खेंचेलं कश्ती स्त्री० [फा.] कस्ती; होडी ( २ ) धातुनो टाट ( ३ ) शेतरंजनुं एक महो- हाथी
कश्नीज पुं० [फा.] धाणा कश्मीर पुं० काश्मीर प्रदेश कश्मीरी वि० काश्मीरनुं, तेने, लगतुं (२) स्त्री० काश्मीरी भाषा (३) पुं० काश्मीरनो वतनी के त्यांनी घोडो कषाय वि० [ सं . ] तुरुं (२) गे रंगनुं (३) पुं० मननो विकार (जैन) कष्ट पुं० [सं.] दुःख, पीडा (२) संकट कस पुं० परीक्षा; कसणी (२) काबू; वश (३) कस; सार (४) [फा.] व्यक्ति; माणस (५) स्त्री० बांधवानी कस ( ६ ) (प.) केम ? केवी रीते ? - का = काबूमां होय ते; आधीन
कसक स्त्री० सणको; सळक (२) जूनुं वेर (३) इच्छा; होंश (४) सहानुभूति. - निकालना = जूनुं वेर वाळवं कसकना अ० क्रि० चसको के लपको मारवो; सळकबुं
कसकुट पुं० कांसु - मिश्र धातु कसना स० क्रि० कसनुं (खेच; तंग करवु; पारखवं; पीडतुं इ० ) ०) (२)ठांसीने भरवु (३) अ०क्रि० तंग थवु; जकडावु (४) ठांसाईने भरावं कसनी स्त्री० बांधवानी रसी ( २ ) कसणी (३) परीक्षा
कसब पुं० जुओ 'कब'
क़सबा पुं० जुओ ‘क़स्बा' कसबी वि० जुओ 'कस्बी'
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क्रसम
कहत कसम स्त्री० [अ.] कसम; सोगन. -उता- कसूरमंद, कसूरवार वि० [फा.] गुनेगार; रना=नामनु काम करवू. -दिलाना, अपराधी देना, रखना = कसम खवडाववा. कसे वि० [फा.] कोई (व्यक्ति) -लेना= कसम खावा
कसेरा पुं० [स्त्री०-रिन] कंसारो कसमसाना अ०क्रि०सळवळवू;खळभळवू कसैला वि० [स्त्री० -ली] कसाणुं; (२) गभरावं; आधुपार्छ थवू. [नाम . कषाय स्वादनुं कसमसाहट स्त्री०]
कसैली स्त्री० सोपारी [वाडको कसर स्त्री० [अ.] कसर; ऊणप (२) कसोरा पुं० वाडको; कटोरो(२)माटीनो द्वेष; वेर (३) ष; विकार. -काढ़ना, कसौटी स्त्री० [सं. कषपट्टी, प्रा. कसवट्टी] निकालना = जनी बाकीनी भरपाई कसोटी [(वि०, -रिया) करवी; कसर काढवी (२) वेर लेवं कस्तूर (-रा,-रिया )पुं० कस्तूरी मृग कसरत स्त्री० [अ.] कसरत; व्यायाम कस्तूरी,-रिका स्त्री० [सं.] कस्तूरी (२) अधिकता; वैपुल्य
__ कस्द पुं० [अ.] इरादो कसरत-राय स्त्री० [अ.] बहुमती कस्दन् अ० [अ]इरादापूर्वक;जाणी जोईने कसरती वि० कसरत करनार (२) कस्ब पुं० [अ.] कसब; धंधो; हुन्नरदृढ ने मजबूत (शरीर) ___ कळा (२) पेदाश (३) वेश्यावृत्ति कसवाना सक्रि० (कसीने) बंधाव कस्बा पुं० [अ.] 'कसबो कसाई पुं० (स्त्री०-इन) कसाई (२) कस्बात पुं० ब० व० 'कसबा' नुं वि० निर्दय
कस्बाती वि० कसबामां रहेनाएं कसाना अ०क्रि० कसाणु थर्बु (२) कटावं कस्बी वि० [अ.] कसबी; कसबवाळू (२)
(३)सक्रि० कसना'- प्रेरक; कसवाना' स्त्री० वेश्या कसाफ़त स्त्री० [अ.] गंदकी (२) स्थूळता क़स्मिया अ० [अ.] कसम खाईने सोगनथी कसाब पुं० 'क़स्सा'; कसाई
कर पुं० [अ.] महेल (गणित) कसार पुं० [सं. कृसर] कंसार कन्न स्त्री० [अ.] अंश (२) अपूर्णांक कसाला पुं० कष्ट (२) महेनत कत्र-आशारिया पुं० दशांश अपूर्णांक कसाव [सं. कमाय] कसाणापणुं; काट । कस्साब पुं० [अ] कसाई; 'क़साब कसोदा पुं० [अ.] स्तुति के निंदा करता खाना पुं० कतलखानु काव्यनो एक प्रकार
कहें अ० (प.) 'कहाँ'; वयां (२) बीजी कसीदा पुं० जुओ 'कशीदा' [जायें। तथा चोथीना प्रत्यय तरीके वप राय छे कसीफ़ वि० [अ.] गंद; मेलं (२) स्थूळ; · कह-कशा स्त्री० [फा.] आकाशगंगा कसीर वि० [अ.] घणु; बहु
कह-कहा पुं० [फा.] अट्टहास्य. -लगानाकसीस पुं० हीराकशी
खडखड हस क भा वि० [सं. कुसुभ] कसुबी कहगिल स्त्री० भींत लींपवानी गार . कसूर पुं० [अ.] कसूर; गुनो; अपराध कहत पुं० [अ.] खूब अछत (२) दुकाळ
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कांत
कहतजदा महतजदा पुं० दुकाळियो; खूब भूख्यो कांइयाँ वि० चालाक; पाकुं; पहोंचेल कहतसाली स्त्री० [अ.] दुकाळनो समय कांकर पुं० (प.) कांकरो. -री स्त्री० कहता पुं० कहेनार
कांकरी.-चुनना दु:खमां दिवस काढवा कहन स्त्री० कथन (२) वचन; वात कांख स्त्री० काख; बगल । (३) कहेवत (४) कवन; कविता काँखना अ० क्रि० करांजवू (२) श्रम कहना सक्रि० कहेवं.-बदना=नक्की. के पीडाथी ऊंह करवू करवं. कहबदकर प्रतिज्ञापूर्वक; दृढ । कांखासोती स्त्री० जनोई पेठे खेस संकल्पथी. कहनकी बात कहेवा मात्र पहेरवानी रीत -खरेखर नहि एवी वात
कांखी वि० (प.) कांक्षी; इच्छतुं - कहनावत, कहनूत स्त्री० कहेवत कांगडी स्त्री० काश्मीरमां गळे पहेराती कहनी स्त्री० कथनी; 'कहानी'
नानी शगडी कहर पुं० [अ.] केर; जुलम (२) क्रोध ।
कांग्रेस स्त्री ० कॉन्ग्रेस; महासभा. -सी (३) आफत (४) वि० भयंकर.-टूटना
वि० कॉन्ग्रेसने लगतुं(२)पुं० कॉन्ग्रेसमॅन =आफत आववी.-ढाना-केर वर्ताववो काँच स्त्री० काछडी (२) काच कहरन् अ० [अ. बळजोरीथी
कांचन पुं० [सं.] सोनुं (२) धंतूरो कहल पुं० कठारो; बफारो ।
कांचरी(-ली) स्वी० सापनी कांचळी कहलना अ० क्रि० तापथी बफावूकठवू कांजी स्त्री०आथो चडवा दईने बनावातो कहलवाना, कहला(-वा)ना स० क्रि० एक खाटो प्रवाही पदार्थ (२) फाटेला , कहेवडाव
दूधनुं के दहींनुं पाणी ढोरनो डबो कहवा अ० (प.) क्या?
कांजी-हाउस स्त्री० [इं. काइन-हाउस] कहवा पुं० [अ.] कावो; बुंद; कॉफी
कांटा पुं० कांटो (२) कुवामां नाखवानी कहाँ अ. क्यां?
बिलाडी (३) हिसाबनो ताळो (४) कहा 'पुं० कहेण; आज्ञा (२) स० शं ? आंकडो.(रास्तेमें)काँटा बिछाना-बच्चे (व्रजभाषा) (३) अ० (प.) केवी रीते विघ्न नांखq. -बोनाबूराई करवी. कहाकही स्त्री० बोलाबोली; 'कहा-सुनी' -होना=बहु दूबळं थQ. काँटेको कहाना स० क्रि० कहाव,
तोल = बरोबर तोल. काँटोंमें घसीटना कहानी स्त्री० कहाणी; कथा (२) जूठी =अति प्रशंसा करवी - कहेवानी वात
कांटी स्त्री० नानो कांटो (२) खीली कहार पुं० पालखी इ० ऊंचकनार-भोई काँठा पुं० कंठ (२) कांठलो (३) कांठो कहावत स्त्री०कहेवत(२)मरणनी चिठ्ठी ___ कांड़ना सक्रि० कचर; कूटवू : कहा-सुना पुं० भूलचूक (कहेलं सांभळेलु) कांड़ी स्त्री० जमीनमा दाटेली खांडणी कहा-सुनी स्त्री० तकरार; बोलाबोली (२) वांस के लाकडानो नानो टुकडो . कहीं अ० कोई जगाए; कहीं; क्यां कांडी-कफन पुं० ठाठडीनो सामान कहुँ (-हूँ) अ० (प.) जुओ 'कहीं कांत पुं० [सं.] पति
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मकान; महेल
. कांता
. काजल कांता स्त्री० [सं.] पत्नी; प्रिय स्त्री काका पुं० काको कांतार पुं० [सं.] गाडं वन [सौंदर्य काकाकौआ, काकातूआ पुं० काकाकोवो कांति स्त्री० [सं.] चमक; तेज(२)शोभा; काकी स्त्री० काकी (२) [सं.] कागडी कांती स्त्री० (प.) वींछीनो डंख (२) काकु पुं० [सं.] व्यंगमा बोलवू ते . कातु; छरी
काकुल पुं० [फा.] कान पर लटकती लट कांदना अक्रि० [सं. क्रंदन] रोवू काख पुं० [फा.] मोटु आलेशान कांदव पुं० कादव; 'काँदो' कांदा पुं० कांदो; डुंगळी (२) कादव . काग पुं० कागडो कांदो पं० कादव
काग्रज पुं० [अ.] कागळ (२) दस्तावेज कांष पुं० (प.) कांध; खभो. -देना (३) छापुं (४) सरकारी नोट. -का मदद करवी. -मारना=दगो देवो रुपया=चलणी नोट. -की नाव = कॉप स्त्री० काने पहेरवानो काप- नाशवंत के नकामी वस्तु. -पत्र =
एक घरेणुं (२) पतंगनी कमान कागळपत्र (२) दस्तावेज कॉपना अ०क्रि० कांपवू; 5जवं . काराजात पुं० ब० व० [अ.] कागळपत्र काय काय, कांव काँव कागडानी काका काग्रजी वि० कागळयूँ के, कागळ जेवू (२) शोरबकोर
पातळु (जेम के काग़ज़ी नीबू) (२) कांवर (-रि) स्त्री० कावड
लखेलु (३) पुं० कागदी काँवरिया पुं० कावडवाळो; कावडियो कागद पुं० कागळ; 'काग़ज़' . कांस पुं० एक जातनु घास
कागर पुं० (प.) कागळ (२) पीछु काँसा पुं० कांसुं (२) जुओ 'कासा' कागारोल पुं० कागारोळ; शोरबकोर कांसागर, काँसार पुं० कांसान काम काच पुं० [सं.] काच; 'काँच' : करनार-कंसारो
काचा वि० (प.) 'कच्चा'; काचुं . का छठ्ठी विभक्तिनो प्रत्यय (स्त्री० काछ पुं० [सं. कक्ष] पेढु ने जांघ वच्चेनो -की) २)वजभाषामा 'किस', 'कोन'ना भाग (२) काछडी विभक्तिरूपनी आदेश. जेम के 'काको,' __ काछना स० क्रि० काछडी घालवी (२) 'कासों'
हथेळी के चमचीथी उपर उपरथी काई स्त्री० लील (२) मेल (३) काट. लेवू
-छुड़ाना-मेल के दुःखदारिद्र दूर करवू काछनी स्त्री० 'कछनी'; काछडी . काऊ अ० (प.) कदी (२) सर्व कोई काछा पुं० काछडो (३) कशं; कांई
काछी पुं० काछियो काक पुं० [सं.] कागडो
काछे अ० -(प.) पासे; नजीक काकवंत पुं० (ला.) असंभव वात. . काज़ पुं० काज; काम (२) प्रयोजन (३) काकरेज, काकरेजी पुं० [फा.] काळो- धंधोरोजगार (४) बटननो गाज काकरेज, घेरो लाल जांबली रंग काजर(-ल) पुं० काजळ
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काजी
काजी पुं० [अ.] काजी; (इस्लाम प्रमाणे ) न्यायाधीश
काजू पुं० काजु के तेनुं झाड काजू -भोजू वि० काचुंपोचुं; तकलादी काट स्त्री० कापवुं ते (२) घा; जखम (३) चालबाजी; दगोकपट काटछाँट स्त्री० मारामारी; लडाई (२)
ओछावत्तापणुं; कापकूप
काटना स०क्रि० कापवुं (२) कापी लेवं; कमी करवुं (३) समय विताडवो (४) करडवं; डसवु. काटो तो खून नहीं = बिलकुल स्तब्ध थई जवुं काटू वि० कापनाएं (२) डरामणुं काठ पुं० काष्ठ; लाकडुं. - कबाड़ = भांग्योतूटयो सामान. - का उल्लू= as; पाको मूर्ख. - को हाँडी = दगो दे एवी नाटकाउ चीज होना = काष्ठवत् स्तब्ध के अक्कड बुं काठड़ा पुं० लाकडानी कथरोट काठी स्त्री० शरीरतुं काठं (२) ऊंटनी काठst; . घोडाना जिननुं काठं काड लिवर आयल पुं० [इं.] कॉड मछली तेल
काढ़ना स०क्रि० काढवुं (२) कढाईमां तळीने काढं पकाव (३) (चित्र) काढ; आलेख
काढ़ा पुं० काढो; क्वाथ
कातना स०क्रि० कांत
कातर वि० [सं.] दु:खी; बेचेन (२) बेबाकळं: अधीर (३) गभरायेलं; बीनेलं [छरी काता पुं० कांतेलुं सूतर; दो े (२) कातु: कातिक पुं० कारतक मास कातिब पुं० [ अ ] लहियो; लखनार क़ातिल वि० [ अ ] कतल करनार; घातक
१०२
कानी
काती स्त्री० कातर (२) चाकु (३) [गोदडी; कंथा
कटार
काय पुं० ( प. ) खावानो काथो ( २ ) कादंबरी स्त्री० [सं.] कोयल; मेना ( २ ) वाणी; सरस्वती (३) एक जातनो दारू कादर वि० कातर; डरपोक क़ादिर वि० [ अ ] सशक्त; समर्थ कान पुं० कर्ण; कान (२) काननुं एक घरेणुं (३) स्त्री० जुओ 'कानि' (४) [फा.] खाण. - उठाना = सांभळवा तैयार थवुं. - कतरना, -काटना = मात करवुं चडियाता वुं; माथे चपटी भभरावी (२) धोको देवो; छेतरवू. - करना, देना, धरना = ध्यान देव; कान देवा. - पर जूँ न रेंगना = कशी परदा न करवी - फूँकना, भरना = कानभंभेरणी करवी. - भर जाना = सांभळी सांभळीने कंटाळवं. कानमें तेल या रूई डालना = कान बंध करवा - न सांभळवु के ध्यान पर न लेबुं - होना = सतेज थवं; भान आनवु. कानोकान खबर न होना = जराय खबर न होवी
कानन पुं० [सं.] वन (२) घर कानफरेन्स स्त्री० [इं.] परिषद काना वि० [स्त्री०-नी] काणुं (२) डंखेलुं (फळ) (३) तीरछ; बांकुं (४) पुं० aari कानो (T)
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Camera, कानाफूसी, कानाबाती स्त्री० कानमां वात कहेवी ते [संकोच कानि स्त्री० लोकलाज; मर्यादा ( २ ) कानी वि०स्त्री० सौथी नानी ( - ऊँगली) (२) काणी. -कौड़ी स्त्री० काणी कोडी; फूटी बदाम
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कानीन
१०३ कानीन वि० [सं.] कन्याथी पेदा थयेल काफ़िरिस्तान पुं० [अ.]अफघानिस्ताननी कानीहाउस पुं० जुओ 'कॉजी-हाउस' 'काफ़िर' जातनो प्रदेश . कानून पुं० [फा.] कायदो. -छाँटना, काफ़िरी स्त्री० काफ़िरिस्तान' नी भाषा बघारना, लड़ाना = कानूनी चर्चा- काफ़िला पुं० [अ.] काफलो कायदाबाजी करवी;तर्कबाजी लडाववी । काफ़ी वि० [अ.] काफी; पूरतुं (२)स्त्री० कानूनगो पुं० [फा.] तलाटीओनो एक एक राग (३) कॉफी पीj [जवू उपरी-अमलदार
काफूर पुं० [फा.] कपूर. -होना= छू थई काननदाँ पुं० [फा.] कानून जाणनार काफ़री वि० कपूरनुं के तेना रंगनुं कानूनदानी स्त्री० [फा.] कायदानुं ज्ञान काब स्त्री० [तु.] मोटी तासक; थाळ कानूनन् अ० [अ.] कायदेसर
काब (बु)क पुं० [फा.] कबूतरखानुं कानूनिया वि० कानून जाणनार (२) काबर वि० काबरचीतलं तकरारखोर
काबलियत स्त्री० जओ 'काबिलीयत' कानूनी वि० कायदा कानूनने लगतुं, काबा पुं० [अ.] मक्कार्नु काबा स्थान ते संबंधी . काने
काबिज वि० [अ.] अधिकारवाळ (२) कानोंकान अ० कानोकान; एकथी बीजे दस्त रोकनारे; कबजियात करनारुं कान्फरेन्स स्त्री० [इं.] परिषद . .. क़ाबिल वि० [अ.] योग्य; लायक (२) कान्स्टिटयुशन पुं० [इ.] राज्यबंधारण विद्वान. ० (-ले)तारीफ़ वि० प्रशंसकान्स्टेबिल पुं० [इ.] पोलीसनो सिपाई .. नीय; वखाणवा लायक. दीद वि० कान्ह, ०र पुं० कहान; श्रीकृष्ण जोवा लायक कान्हड़ा पुं० कानडो राग
क़ाबिलीयत स्त्री० [अ.] . योग्यता; कापालिक पुं० [सं.] वपाली. बावो- लायकात (२) पांडित्य; विद्वत्ता शिवभक्त
काबुक स्त्री० [फा.] कबूतर राखवानी कापाली पुं० [सं.] शंकर;, महादेव पेटी; कबूतरखान कापी स्त्री० [इं.] कॉपी; नकल के नोट काबुल पुं० [फा.] काबुल प्रदेश. -में कापुरुष पुं० [सं.] कायर, बायलो माणस
क्या गधे नहीं होते ?= सारा साथे काफ़ पुं० [अ.] अरबी-फारसी वर्ण- नठारं नथी होतं ? गाम होय त्यां माळानो एक अक्षर (२) एक कल्पित पर्वत. -से काफ़ तक =आखा विश्वमा काबुली पुं० [फा.] काबुली (२) वि० काफ़िया पुं० [अ.]काफियो; अंत्य अनुप्रास. काबुलन के तेने लगतुं [हकूमत -तंग करना=पजववं
काबू पुं० [तु.] काबू; कबजो; सत्ता; काफ़िर वि० [अ.] एक जातिनुं काम पुं० काम; इच्छा; वासना (२) कर्म; (अफवानिस्ताननी सरहद परनी) (२) काम. -आना = काममां आवq (२) काफर; गेरमुस्लिम (३) नास्तिक (४) लडाईमां मरवू. -का= कामनु; उपनिर्दय (५) दुष्ट
योगी. -तमाम करना काम पूरुं करवू
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१०४
कामकाज
कारंधमी (२) मारी नाखवू.-निकलना, बनना कामी वि० कामगरुं; 'कामकाजी' (२) काम सफळ थq. -रखना = संबंध के [सं.] कामी; विषयी लेवादेवा होवी के राखवी (२) कठण कामुक वि० [सं.]इच्छुक; कामी नाटक. के मुश्केल पडवू. -से काम रखना= . कामेडी स्त्री० [इं.] 'कॉमेडी'; सुखांतक पोते पोताना काममां ध्यान राखq. काभ्रेड पुं० [.] जुओ 'कामरेड' --होना= काम थर्बु (२) मरवू (३) काय स्त्री० [सं.] काया; देह खूब तकलीफ पडवी
कायथ पुं०. कायस्थ जातिनो माणस कामकाज पुं० कामकाज; कामधंधों कायथी स्त्री० कैथी लिपि कामकाजी वि० कामकाजवाळं; उपयोगी कायदा पुं० [अ.] कायदो (२) सिद्धांत; कामगार वि० [फा.] सफळ; कामियाब नियम(३)वर्तननो ढंग(४)व्यवस्था; क्रम (२) पुं० कामदार
(५) बाळपोथी. बाँधना=नियम करवो कामचलाऊ वि० कामचलाउ; जेनाथी कायदादाँ वि० [फा.] विवेक सभ्यताना काम चाली जाय एवं [आळसु . नियम जाणनार; सभ्य कामचोर वि० काममां जीव चोरनार; कायदे-आजम पुं० [अ.] सौथी मोटो नेता कामत स्त्री० [अ.] कद; आकार कायफर,-ल पुं०. कायफळ झाड के फळ कामदानी स्त्री० भरतकाम के ते करेलु
कायम वि०[अ.] कायम;स्थिर स्थापित; एक कपडु
निश्चित; मुकरर कामदार वि० कसबी भरतवाळू (२) कायम-मिजाज वि० · शांत मिजाजन पुं० काम करनार; प्रबन्धकर्ता कायम-मुक्काम वि० [अ.] अवेजी . कामधाम पुं० कामकाज
कायमा पुं० [अ.] काटखूणो. कामधेनु स्त्री० [सं.] कामधेनु गाय कायर वि० डरपोक; बीकण. ०ता स्त्री० कामना स्त्री० [सं.] इच्छा [विवश थईने कायल वि० [अ.] माननाएं; कबूल काम-ना-काम अ० [फा.] लाचारीथी; करनारं. -करना, -माकूल करना-3 कामयाब वि० [फा.] सफळ; कृतार्थ समजाववू; मनाव. -होना समजवू; कामयाबी स्त्री० [फा. सफळता मानवं; स्वीकार कामरी,-रिया स्त्री० कामळी कायस्थ पुं०एक हिंदुजाति के तेनो माणस कामरू,प पुं० [सं.] कामरूप देश काया स्त्री० काया; देह; शरीर : कामरेड पुं० [इ.] साथी (साम्यवादी); कायाकल्प पुं० वृद्धने तरुण करवानो 'कामेड' कमळानो रोगी एक औषधोपचार [फेरफार कामल [सं.], -ला पुं० कमळो. -ली० कायापलट स्त्री० कायापलटो; भारे कामा पुं० [इं.] 'कॉमा'; अल्पविराम कायिक वि० [सं.] देह संबंधी; शारीरिक कामिनी स्त्री० [सं.] (सुंदर के कामयुक्त) कायिका स्त्री० [सं.] व्याज [पक्षी स्त्री (२) दारू
कारंड, व पुं० [सं.] हंसनी जात, एक कामिल वि०[अ.] पूरुं; कुल (२) योग्य कारंधमी पुं० [सं.] रसायनशास्त्री
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कार
१०५
कारण्य कार वि० [सं.](समासमां अंते आवे त्यां). कार-परदाजी स्त्री० [फा.] मुनीमी; करनार, जेम के, कुंभकार (२) पुं० . कामदारपणुं [फा. कामकाज (३) स्त्री० [इं.]मोटर कारबंद वि० [फा.] आज्ञाकारी कार-आमद वि० [फा.] काममां आवे कारबन पुं० [ई.] 'कार्बन'; एक रसायणी
एवं; उपयोगी । [एवं; अनुभवी मूळतत्त्व कार-करदा वि० [फा.] काम करेलं होय कारबार. पुं० [फा.] कारभार; धंधो कारकुन पुं० [फा. कामकाज करनार;
कारवारी वि० [फा.] कामकाजवाळ (२) कारकुन; गुमास्तो
पुं० कारभारी लगत; 'कार्बोनिक' कारखाना पुं० [फा.] कारखानू (२) ।
कारबोनिक वि० [इं.] कार्बन- के तेने कारभार;व्यवसाय(३)घटना;मामलो.
काररवाई स्त्री० [फा.काम(२)कार्यवाही -नेदार पुं० कारखानदार.
(३)कारस्तान; गुप्त प्रयत्न [काफलो कार-खास पुं० [फा. खास काम कारवां पुं० [फा.] यात्रीओनी टोळी; कारखर पुं० [फा.] पुण्य काम
कारवा-सराय स्त्री० [फा.] धर्मशाळा कारगर वि० [फा.] असरकारक (२)
कारसाज वि० [फा.] काम पार उतारउपयोगी; काममां आवे एवं
नार; कार्यकुशल [गुप्त चालबाजी कार-गुजार वि० [फा.] कर्तव्यपरायण ।। कारसाजो स्त्री० [फा.] कार्यकौशल्य (२) कारगुजारी स्त्री० [फा.कर्तव्यपालन(२) कारस्तानी स्त्री० [फा.] चालबाजी; होशियारी; आवडत
कारस्तान होवां ते कार-चोब पुं० [फा॰] भरतकाम माटे कारा स्त्री० [सं.] केद; बंधन (२) पीडा कपडं तंग राखवानुं चोकळु (२) भरत
कारागार, कारागृह पुं० [सं.] केदखानुं जेल . करनारो
कारावास पुं० [सं.] केद कार-चोबी वि० [फा.] भरतकामने लगतुं कारिंदा पुं० [फा.] मुनीम; कारकुन (२) स्त्री० भरतकाम; कोतरकामकारिक पुं० [अ.] 'कुर्की-जपती करनार कारटून पुं० [इं.] 'कार्टून'; व्यंगचित्र कारिका स्त्री० [सं.]छंदमां करेलु विवरण कारट्रिज, [ई.], कारतूस पुं० [पो.] बंदूक (२) नटी (३) व्याज पिस्तोलनो कारतूस [सबब(२)साधन कारिख स्त्री० जओ'कालिख' कारण पुं० [सं.] कारण; हेतु; प्रयोजन; कारी वि० [फा. काम ठीक करी बतावे कारन पुं० कारण
एवं; होशियार (२) कारी; धातक (३) कारनामा पुं० [फा.]कोईनां कार्योनो हेवाल पुं०(कुरान) पढनार(४)[सं.] (समासने कारनिस स्त्री० [ई.] दीवाल परनी ___अंते) ते करनालं. जेम के कल्याणकारी कांगरी; 'कानिस
कारीगर पुं० [फा.] कारीगर; अमुक कारनी वि० प्रेरक (२) पुं० बुद्धिभेदक कार्यमां कुशळ माणस. -री स्त्री० कार-परदाज वि० [फा.] काम करनार, कारीगरनें काम के कुशळता कामदार; मुनीम.
कारुण्य पुं० [सं.] करुणा; दया
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कारू
कालीबह कारूँ पुं० [अ.] मूसानो धनवान पण कालबुद [फा.], कालबूत पुं० जुओ कृपण भाई (२) कंजूस. -का खजाना “कलबूत'; कालबूत =अपार धन
कालभैरव पुं० [सं.] शिव कारूरापुं० [अ.] पेशाब (२) मूत्रपरीक्षा
कालरात्रि,-त्री (-त,-ति) स्त्री० [सं.] माटे मूत्र राखवानी शीशी । जुओ 'कालनिशा। कारो वि० (२) पुं० जुओ 'काला'
कालांतर पुं० [सं.] बीजो समय कारोबार पुं० जुओ 'कारबार';कामकाज काला वि० काळु (२) (ला.) भारे; बहु कार्ड पुं० [ई.] पोस्टकार्ड; पत्तुं
मोटु (३) खराब (४) पुं० काळो साप कातिक पुं० [सं.] कारतक महिनो
कालाकलूटा वि० का भमर; काळमेश कानिस स्त्री० [ई.] जुओ 'कारनिस' कालाचोर पुं० काळो चोर; भारे मँडो कार्पण्य पुं० [सं.] कृपणता; कंजूसी; दया के चोर माणस कार्बन पुं० [इं.] जुओ 'कारबन' । काला नमक पुं० संचळ [बोजो कार्बोनिक वि० [इं.] जुओ 'कारबोनिका
काला पहाड़ पु० भारे(दुःखनो)के असह्य कार्य पुं० [सं.] काम
काला पानी पुं० काळूपाणी; देशनिकाल कार्यकर वि० [सं.] कार्यसाधक
(२) दारू कार्यकर्ता पुं०[सं.]काम करनार [करनार 'कालिंग वि० [सं.] कलिंग देश- (२) कार्यार्थी वि० [सं.] उमेदवार (२)दावो पुं० कलिंगनो वतनी के त्यांनो साप कार्यालय पुं० [सं.]दफतर कचेरी ऑफिस (३) हाथी कार्रवाई स्त्री० जुओ 'काररवाई' . कालिदी स्त्री० [सं.] यमुना नदी काल पुं० [सं.] काळ; समय (२) मृत्यु कालिका स्त्री० [सं.] काळका; काली (३) दुकाळ (४) काळो रंग (५) वि० (२) काळापणुं (३) मेश (४) वादळ काळं (६) (प.) अ० 'कल'; काले. (५) शराब -काटना= वखत गाळवो-गुजारवो कालिख स्त्री० [सं. कालिका]मेश;काजळ कालकूट पुं० [सं.] एक भयंकर झेर- कालिज पुं० कॉलेज (टोपीनो)
औषधि (२) जेलनी अंधारी कालिब पुं० [अ.] शरीर; देह(२)कालबूत कालकोठड़ी (-री) स्त्री० काळी कोटडी . कालिमा स्त्री० [सं.] काळाश (२)अंधारु कालचक्र पुं० [सं.] समयनुं चक्र (२), (३) जुओ 'कालिख' जीवननी सारी माठी दशा
कालिय पुं० [सं.] काळी नाग(यमुनानो) कालधर्म पुं० [सं. मरण (२) समय के काली स्त्री० [सं.] कालिका; काळी
ऋतुनो धर्म - [(२)दिवाळीनी रात ___माता; (२) काळी स्त्री (३) काळो कालनिशा स्त्री० [सं.] घोर अंधारी रात रंग, शाही, वादळ, पक्षी इ० (४) कालपुरुष पुं० [सं.] काळ; यमराजा (२) कोयल (५) एक दारू भगवाननुं विराट रूप
कालीदह पुं० यमुनानो धरो जेमां काळो कालबंजर पुं० पडतर जमीन
नाग रहेतो हतो
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कालीन
१०७
किचकिचाना कालीन वि० [सं.] (समासमां) काळy कासार पुं० [सं.] तळाव के ते सबंधी
कासिद पुं० [अ.] कासद कालीन पुं० [अ.] गालीको
कासिर' वि० [अ.] कसरवाळं(२)असमर्थ काली मिर्च स्त्री० मरी
कास्टिग वोट पुं० [इं.] सरखा मत काल स्त्री० कालु माछली
पडतां अपातो निर्णायक मत कालोनी स्त्री० [इं. कॉलोनी] वसाहत . कास्टिक पुं० [इं.] कॉस्टिक सोडा कालौंछ स्त्री० काळापणु (२) कालिख' काह अ० (प.) शं; शी वात ? काल्पनिक वि० [सं.] कल्पेलं; कल्पित काह स्त्री० [फा.] सूकुं घास । काल्ह, -ल्हि अ० (प.) काले काहकशां पुं० [फा.] जुओ 'कहकशाँ' कावा पुं० [फा. घोडाने गोळ गोळ काहिल वि० [अ.] आळसु; सुस्त फेरववो ते
शुक्राचार्य काहिली स्त्री० [अ.आळस; सुस्ती काव्य पं० [सं.] कविता (२) (सं.) काही वि० [फा.] घाराना रंगर्नु; काश अ० [फा.] 'ईश्वर करे आम थाय' घेरुं लीलू
एवो उद्गार [फांक; टुकडो काहु (-हू) स० (प.) कोई पण; 'किसी' काश स्त्री० [तु.] फळ इ० नी चीरी; काहू पुं० [अ.] एक छोड, जेना बी काशाना पुं० [फा.] झुपडी; नानु घर दवामां वपराय छे काशि,०का,-शी स्त्री० [सं.] काशी नगरी काहे,काहेको अ०(प.) शा माटे ? केम? काशी-करवट पुं० काशीनुं करवत के ते कि अ० जुओ 'किम्' मुकाववानुं काशीनुं तीर्थस्थान.-लेना- किंकर पुं० [सं.] दास; चाकर काशीनुं करवत मुकावg
किंकिणी स्त्री० [सं.] कंदोरो (२) एक काशीफल पुं० कोळं
जातमी खाटी द्राक्ष काश्त स्त्री० [फा.] खेती (२) गणोत किंकिनी स्त्री० किंकिणी'; कंदोरो काश्तकार पुं० [फा.] खेडूत(२)गणोतियो . किंगरी स्त्री० रावणहथ्था जेवी सारंगी काश्तकारी स्त्री० [फा.] खेती किंतु अ० [सं.] पण; परंतु काश्मीरा पुं० एक जातनु गरम कापड किंपुरुष पुं० [सं.] किन्नर (२) हलको काश्मीरी वि० काश्मीरनुं (२) पुं० वर्णसंकर माणस काश्मीर निवासी (३) रबर- झाड (४) । किंवदंती स्त्री० [सं.]अफवा; ऊडती वात स्त्री०. काश्मीर प्रदेशनी भाषा किंवा अ० [सं.] अथवा; के । काश्मीर्य पुं० [सं.] केसर [भगवू वस्त्र कि अ०(प.) केवी रीते ? (२)[फा.] के काषाय वि० [सं.] भगवा रंगर्नु (२) पुं० किकियाना अ०क्रि० किकियारी पाडवी काष्ठ पुं० [सं.] लाकडु (२) ईंधण (२) रोवू; रोककळ करवी 'कास पुं० [सं.] खांसी (२)काश-दर्भ घास किचकिच स्त्री० कचकच (२) तकरार कासनी स्त्री० [फा.]एक वनस्पति-औषधि किचकिचाना अक्रि० दांत कचकचाववा कासा पुं० [अ.] कटोरो; भिक्षापात्र के पीसवा के बेसाडवा
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feafrat
[पडवो
किचकिचाहट, किचकिची स्त्री० दांत पीसवा ते किचड़ाना अ० क्रि० ( आंखमां) कचरो किचपिच, चिरपिचर स्त्री० जुओ 'कचपच'; भीड (२) वि० अस्पष्ट किछु वि० ( प. ) 'कुछ' किटकिट पुं० कटकट; कजियो Prefeटाना अ०क्रि० 'किटकिट' अवाज करवो (२) क्रोधथी दांत पीसवा (३) दांतमां कांकरी आववा जेवुं लागवं
- कचर कचर थ
किटकना पुं० चाल; चालाकी (२) मोटा कन्ट्राक्टनो पेटा कन्ट्राक्ट अपाय ते किटकना ( - ने) दार पुं० 'किट किना' - पेटा कन्ट्राक्ट लेना किट्ट पुं० [सं.] मेल; काटरडो कित अ० ( प. ) क्यां (२) कई तरफ कितक वि० ( प. ) केटलूं; केबुं कितना वि० (२) अ० [स्त्री० - नी] केटलं कितने (०९) क वि० केटलाक किता पुं० [अ.] सिलाईनो काप ( २ ) ढंग (३) संख्या (४) विभाग; टुकडो किता वि० (स्त्री० - ती) 'कितना' किताब स्त्री० [अ.] किताब ; ग्रंथ ( २ ) वही (३) धर्मग्रंथ - कुरान के बाइबल किताबखाना पुं० [ अ. +फा.] पुस्तकालय किताबत स्त्री० [ अ ] लखवुं ते किताबी वि० [ अ ] किताबना आकारनुं, ने लगतुं (२) पुं० किताबना धर्मनो यहूदी, ख्रिस्ती के इस्लामी [केटलुं कितिक वि० ( प ) ' कितक'; 'कितना'; कितेक वि०(प.) केटलुंक (२) केटलाएक कितेब स्त्री० ( प. ) किताब
कितं अ० ( प. ) क्या ?
१०८
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किमरिख
कितो वि० (२) अ० ( प. ) जुओ 'कितना ' किधर अ० क्यां; कई बाजू किष अ० ( प. ) या; अथवा किन स० 'किस' नुं ब०व० (२) अ० ( प. ) 'क्यों न'; भलेने (३) पुं० चिह्न; बाघ किनका पुं० अन्ननो टुकडो (२) कणकी किनकी स्त्री० 'किनका' नुं अल्पत्ववाचक किनार स्त्री० [फा.] पास ; बाजू (२) भेटवुं ते (३) पुं० जुओ 'किनारा'. दर किनार = बाजूए रघुं; क्यां वात ! किनारदार वि० किनारी वाळु किनारा पुं० किनार; कोर (२) [फा.] किनारो -करना, खींचना = दूर थवु; हठी जवुं. किनारे लगना = 1 = किनारे पहोंचj; समाप्त थवुं. किनारे होना= अलग के दूर थ
किन्नर पुं० [सं.] कुबेरना गणोनी एक देवयोनि (स्त्री० - री) किफ़ायत स्त्री० [अ.] काफी - पूरतुं होवु ते (२) किफायत; बचत ( ३ ) सस्तापणुं कम किंमत
किफ़ायती वि० संभाळीने - कम खरच करनारुं; करकसरवाळुं क़िबला पुं० [ अ ] नमाज पढवानी - कबानी पश्चिम दिशा ( २ ) मक्का ( ३ ) बाप (४) पूज्य वडील [बादशाह बिला-ए-आलम पुं० [ अ ] ईश्वर ( २ ) बिलानुमा पुं० [फा.] पश्चिम दिशा
बतावनानं अरबी खलासीनुं एक यंत्र क़िबला-रू वि० काबा तरफ मोंवाळूं किम् स० [सं.] कयुं ? शुं ? किमपि अ० [ सं . ] कांई पण; कशुंय किमरिक ( -ख) पुं० [इं. कॅम्ब्रिक ] एक जानुं कापड
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किलना
किमाछ किमाछ पुं० 'केवाच'; कौच किरात पुं०[सं.] एक प्राचीन जाति (२) किमाम पुं० जुओ 'कवाम'
'किरयात'; करियातुं (३) साईस क्रिमार पुं० [अ.] द्यूत; जूगटुं. ०खाना किरान अ० (प.) पासे; नजीक . पुं० [फा.] जुगारखानुं
किराना पुं० 'केराना'; करिया| किमारबाज वि० [फा.] जुगारखोर किरानी पुं० जुओ 'केरानी' क्रिमाश पुं० [अ.] जात; प्रकार; ढंग किराया पुं० [अ.] किरायु; भाई किमि अ०(प.)केवी रीते; केम [किंमत किरायेदार पुं० भाडे राखनार किम्मत स्त्री० चालाकी; होशियारी (२) किरासन, किरासिन पुं० केरोसीन कियत वि० [सं.] 'कितना'; केटलुं . किरिच स्त्री० जुओ 'किरच' किया= कर्यु. ‘करना न भूत० रूप किरिमदाना पुं० किरमज कीडो, जेमांथी कियारी स्त्री० क्यारी (२) मीठानो अगर ते. नामनो रंग बने छ किरंटा पुं० किरानी; युरेशियन किरिया स्त्री० (प.) सोगन (२) कर्तव्य (तुच्छकारमा)
(३) मृतकर्म; क्रिया फिरका पुं० नानो कांकरो किरियाकरम पुं० क्रियाकर्म; मृतक्रिया किरकिरा वि० करकरवाळं. -हो जाना, किरीट पुं० [सं.] मुगट
होना= रंगमां भंग पडवो . किर्म पुं० [फा.] 'किरम'; करम. किरकिराना अ०कि० करकर लागवी -पीला रेशमनो कीडो. -शबताब पुं० (२) करकरथी पीडा थवी. [नाम आगियो कोडो -हट स्त्री०]
किमिज पुं० जुओ 'किरमिज' किरकिरी स्त्री० करकर (२) अपमान किलक (-कार,-कारी) स्त्री० किलकिरच स्त्री० कीरच; करच (जेम के कारी; हर्षध्वनि (२) जुओ 'किलिक
काचनी) (२) अणीदार संगीन किलकन स्त्री० किलकार, ते किरण (-न)स्त्री० [सं.] किरण. -फूटना किलक (-कार)ना अ०क्रि० किलकारी -सूर्य ऊगवो
मारवी; किलकार, किरपा स्त्री० (प.) कृपा
किलकार,-री स्त्री० किलकारी किरपान स्त्री० किरपाण; तलवार । किलकारना अ०कि० जुओ 'किलकना' किरम पुं० करम; कीडो; कृमि
किलकिल स्त्री० कचकच; झघडो (२) किरमिच पं० कॅन्वास कपडु [रंग सिं.] खुशीनो किलकिलाट. किरमिज पुं० एक लाल - किरमजनो किलकिला स्त्री० खशीनो किलकिलाट किरमिजी वि० किरमजी रंगर्नु (२) एक पक्षी (३) गर्जतो समुद्र रियात पुं० करियातुं; 'चिरायता' किलकिलाना अ०क्रि० किलकार. [नाम किरराना अ.क्रि० दांत पीसवा-कच- -हट स्त्री०] कचाववा
[डब्बो किलकीस्त्री०सुतारनुं एक ओजारगरमी । किरांची स्त्री० गाडु (२) भारखानानो किलना अ०क्रि० 'कीलना' नुं कर्मणि
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किलनी
किलनी स्त्री० जूवो; कथीरी ( कूतरां इ० पशुने चोटे छे ते) किलबिलाना अ० क्रि० जुओ 'कुलबुलाना' किलवाना ० क्रि० ' कीलना' नुं प्रेरक रूप किला पुं० [अ.] किल्लो. - फ़तह करना, सर करना = मोटो गढ जीतवो; भारे मोटुं कांई काम करवुं क़िलाबंदी स्त्री० किल्लेबंदी
fator, किल्क स्त्री० [फा.] कलमनुं बरु क़िलेदार पुं० [फा.] किल्लेदार; गढवी क़िल्लत स्त्री० [अ.] ऊणप; कमी (२) तंगी किल्ला पुं० खीलो; खूंटो किल्ली स्त्री० मेख; खूंटी ( २ ) कूंची. - ऐंठना या घुमाना = चावी फेरववी; युक्तिव
किवाड़ (-र ) पुं० [स्त्री० - ड़ी] कमाड. - देना, लगाना = = कमाड बंध करवुं किशमिश स्त्री० [फा.] किसमिस; द्राक्ष किशमिशी दि० किसमिसवाळु के तेना रंगनुं
किश ( - स ) लय पुं० [सं.] कूंपळ किशोर पुं० [ सं . ] ११ थी १५ वरसनी उमरनो छोकरो. (स्त्री० - री) किश्त स्त्री० [ अ ] शेतरंजमां राजाने शेह पड़वी ते (२) पाकनुं खेतर किश्तवार पुं० [फा.] तलाटीनो खातांना नंबरोनो चोपडो
किश्ती स्त्री० [फा.] जुओ 'कश्ती' किश्वर पुं० [फा.] देश; मुलक किस स० 'कौन' नुं विभक्ति मां यतुं रूप किसब पुं० कसब; धंधो किसबत स्त्री० [ अ ] हजामनी थेली किसमत स्त्री० जुओ 'किस्मत' किसलय पुं० जुओ 'किशलय'
११०
.
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कोड़ी
किसान पुं० [सं. कृषाण, प्रा. किसान ] खेडूत. - ती स्त्री० खेती
किसी स० 'कोई' नुं विभक्तिमा धतुं रूप जेम के, 'किसीने', 'किसीको' इ. किसी न किसी = कोईनुं कोई; कोई एक क़िस्त स्त्री० [ अ ] हपती ( महेसूल के देवानो); कीस क़िस्तबन्दी स्त्री० [फा.] किस्तबंधी; हपता चूकववानुं नक्की करवुं ते किस्त-ब - किस्त, किस्तवार अ० हपते हफ्ते किस्त स्त्री० [अ.] जुओ 'किसबत' क्रिस्मस्त्री० [अ.] किसम; जात; रीत; प्रकार क़िस्मत स्त्री० [अ.] नसीब (२) अमुक जिल्लाओनो थतो प्रांत क़िस्मतवर वि० [फा.] नसीबदार क़िस्सा पुं० [ अ ] किस्सो; कथा ( २ ) वृत्तांत (३) झघडो [नकामी वात क़िस्सा-कहानी स्त्री० काल्पनिक के क़िस्सा-कोताह, - मुख्तसर अ० [फा.] कमां के; तात्पर्य के
.
की 'क' प्रत्ययनुं स्त्री० (२) स०क्रि० करी; 'किया' नुं स्त्री०
कीक स्त्री० 'चीख'; 'चीस. [ - देना, मारना ] कोकना अ०क्रि० चीस पाडवी; 'चीखना' कीकर पुं० बावळियो
ater स्त्री० बावळती एक जात (२) एक जातनी सिलाई
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कीच पुं० कीचड [पीयो कीचड़ ( - २) पुं० कीचड ( २ ) आंखनो कीट पुं० [सं.] कीडो (२) कीटु: मेल कीड़ा पुं० [सं. कीट, प्रा. कीड ] कीडो (२) मंकोडो (३) जू, मांकण इ० (४) साप [(२) कीडी कोड़ी स्त्री० 'कीडा' नुं अल्पतावाचक
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कोनसाब
- १११ कीनखाब पुं०जुओ कमखाब'; किनखाब कुंची (-जी) स्त्री० कूची कोना पुं० [फा.] कीनो; वेर. ०वर कुंज पुं० [सं.] कुंज; लतामंडप (२) [फा. वि० कीनाखोर .
. खूणो] शालना खूणा परतुं भरतकाम कोप, कोफ़ [फा. स्त्री० नाळचुं कुंजड़ा पुं० [स्त्री०-डिन,-ड़ी] शाकभाजी कीमत स्त्री० [अ.] किंमत (वि० -ती) वावनार वेचनार जातनो आदमी; क्रीमा पुं० [अ.] मांसनो खीमो कुंजडो
ते वर्गमां श्रेष्ठ कीमिया पुं० [फा.] रसायणी क्रिया कुंजर पुं० [सं.] हाथी (२)(समासने अंते)
२)कामया करा. जाणनार कुंजा पुं० कूजो; 'कूजा' कोमियागर पुं० [फा.] रसायणी क्रिया कुंजी स्त्री० कूची; चावी (२) टीकानी कीमुहत पुं० [फा. गधेडा के घोडान - चोपडी
चामडं (लीलुं दाणादार होय छे ते) कुंठ वि० [सं.] बुर्छ; मूरख कीर पुं० [सं.] कीर; पोपट (२)काश्मीर कुंठित वि० [सं.] 'कुंठ'; मूरख (२)
(३) व्याध; शिकारी [कीर्तनकार रूंधायलं; रोकायेलं कीर्तन पुं० [सं.]गुणगान; भजन.-नियापुं० कुंड पुं० [सं.] पाणीनो कुंड; होज (२) कोति स्त्री० [सं.] यश; ख्याति (अग्निनो) कुंड कील स्त्री० [सं.] खीली के कांटो (२) कुंडरा पुं० कुंडाळू (२) ऊढण कुंभारना चावडानी के घंटीनी वचली कुंडरा पुं० कुंडु (२) माटलं खीली-खीलडो
कुंडल पुं० [सं.] कुंडळ (काननू) कीलक पुं० [सं.] खूटी (२) खीलो कुंडलिया पुं० कुंडलियो छंद
(ढोर बांधवानो)(३)मंत्रनो मुख्य भाग कुंडली स्त्री० जन्मकुंडली (२) जलेबी कोलना सक्रि० खीली मारवी (२) (३) पुं० [सं.] साप (४) मोर । • वश करवू (३) मंत्रनुं मारण कर कुंडा पुं० कुंडु (२) कमाडनी सांकळनो कोला पं० खीलो; खूटो खीली नको कोली स्त्री० धरी (२)कीली; कूची(३) कुंडी स्त्री० पथ्थर के माटी- कुंडी जेवू कोश पुं० [सं.] वानर
वासण (२) कमाडनी सांकळ (३) कोसा पुं० [फा. थेली (२) खिस्सुं . सांकळनो आंकडो कुँअर(-रेटा) पं० [स्त्री० -रो]'कुँवर'; कुंत पुं० [सं.] भालो (२) जू पुत्र (२) राजपुत्र
कुंतल पुं० [सं.] वाळ कुंआ(-बा)रा धि० कुंवारुं (स्त्री०-री) कुंद पु०[सं.] कुंद फूलझाड के फूल (२) कुंई स्त्री० कुमुदिनी; 'कुई ___ नवती संख्या (३) वि० [फा.] कुंठित; कुंकुम पुं० [सं.] कंकु (२) केसर ___ बुर्छ (४) मंद कुंकुमा पुं० होळी मां गुलाल भरी नंखातो कुंदाजेहन वि० मंदबुद्धि
लाखनो गोळो (वाळ) · कुंदन पुं० [सं.] चोख्खं सोनू कुंचित 'वि० [सं.] वांकु (२) वांकडिया कुंदरू पुं० घिलोडूं- शाक -
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कुंदा
११२. कुंदा पुं० लाकडान नहि चीरेलं मोठं कुकड़ा पुं० कूकडो ठूणगुं-डीमचु (२) बंदूकनो कुंदो - कुकड़ी,-री स्त्री० 'खुखडी'; सूतरनी लाकडानो-मूठनो भाग (३) दस्तो; कोकडी (२) ककडी; मरची (३) मूठनो भाग (४) कुन्दी करवानी मोगरी मकाईदोडो .. (५) कुस्तीनो एक दाव
कुकड्रंकू अ० कूकडेकूक कुंदी स्त्री० कपडांने मोगरीथी टीपी कुकरना अ०क्रि० जुओ 'कुकड़ना' सफाईदार करवू ते. -करना टीपवं; . कुकरी स्त्री०जुओ 'कुकड़ी' [(स्त्री०-टी) मारधू; धीबवू
कुकुर पुं० कुक्कुर; कूतरुं कुंदीगर पुं० कपडांने कुन्दी करनारो कुकुर-खांसी, कुकुर-ढाँसी स्त्री० सूकी कुँदेरना स०क्रि० खरादवं
उधरस; ठांसो कुँदेरा पुं० खरादी
कुकुर-माछी, ककुरोंछी स्त्री० बगाई कुंभ पुं० [सं.] घडो (२) हाथीनुं कुंभ- कुकुर-मुत्ता. पुं० कूतरानो कान; . स्थळ (३) एक राशि
बिलाडीनो टोप कुंभकार, कुंभार पुं० [सं.] कुंभार कुक्कुट पुं० [सं.] कूकडो (२)चिनगारी कुँभिलाना अ०क्रि० चीमळावू कुक्कुर पुं० [सं.] कूतरं कुंभी पुं० [सं.] हाथी (२) मगर (३) । कुक्ष पुं०, -क्षि स्त्री॰ [सं.] कूख; पेट स्त्री० नानो कुंभ -घडो
कुच पुं० [सं.] स्तन कुंभीर पुं० [सं.] मगर, ['कुंआरा
कुचकुचाना सक्रि० लगातार कोचवं कुंवर(-रेटा), कुंवारा जुओ 'कुअर', (जेम के, मुरब्बान आमळू) (२) थोडं कुंहकुंह पुं० कुंकुम; कंकु
कचर .. कु उपसर्ग =खराब, नीच, नानु, अल्प कुचना अ०क्रि० संकोचावं; संकडावं इ० भाव बतावे
कुचलना स० क्रि० कचडवू; मसळवं; कुआँ पुं० [सं. कप प्रा. कुव] कवो. पगथी दाबवं
-खोदना = कूवो खोदवो; बीजानू बूरं कुचला पुं० झेरकचोलं ताकवू (२) रोटलो कमावा मथq. कुचाली वि० कुचालवाळु; दुराचारी कुएं में बाँस डालना= खूब खोळवं. कुचाहं स्त्री० (प.) अशुभ वात कुएंमें बांस पड़ना-खूब खोळ थवी. कुचील (-ला), कुचैला वि० [सं. कुचैल] कुएं में भांग पड़ना= बघांनी बुद्धि (स्त्री०-ली) मेलां कपडांवाळू (२) मारी जवी
- गंदु; मेलं कुआर पुं०(वि० -रा, -री)आसो मास कुछ वि० थोडं; केटलुंक; काईक. -एक कुइयाँ स्त्री० कई; नानो कूवो वि० थोडंक. -ऐमा वि० एवं कांईक कुई स्त्री०कूई(२)[सं.कुव]कुमुदिनी; कुई -विलक्षण. -का कुछ = शुनुं शं; कुकटी स्त्री० कोकटी रू [संकोचा, ___कांईनु कांई ऊलटुं. कुछ कांई काई; कुकड़ना अ०क्रि० कोकडं वळी जवू; थोडु. -हो = चाहे ते हो
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कुत्ता कुज पुं० [सं.] मंगळ ग्रह (२) झाड कुड़कुड़ानाअ०क्रि० मनमां बळवू;बबडवू; कुजा अ० [फा॰] क्यां; कये ठेकाणे ___ चडभडवू (२) खेतरमां पक्षी उडाडवां कुज्जा पुं० जुओ 'कूजा'
कुड़कुड़ी स्त्री० पेटमां गुडगुड बोलq ते कुटंट स्त्री० कूटियु; मारपीट कुड़बुड़ाना अ०क्रि० 'कुड़कुड़ाना'; मनमा कुटका पुं० कटको; ककडो
चडभडवू; कढवू-गुस्से थर्बु कुटकी स्त्री० कटकी (२) चीणो; 'कॅगनी' कुडौल वि० बेडोळ; कढंगुं कुटनहारी स्त्री० खांडनारी स्त्री-गोली कुढंग पुं० खोटो खराब ढंग (२) वि. कुटना पु० कूटणो (२) बेने लडावी जुओ 'कुढंगा' मारनार-चुगलीखोर [नाम.०ई](३) कुढंगा, -गी वि० कढंगू; 'भद्दा' (२) अ०क्रि० कूटव; मारवं पीटq(४)खांड, बूरी चालनुं [कढवू ते कुटनाना स०क्रि० स्त्रीने बहेकावी
कुन स्त्री० [सं. कृद्ध] मनमां ने मनमां. कूटणीना कुमार्गे लई जवी
कुढ़ना अ० क्रि० कढवू; बळापो करवो कुटनी स्त्री० कूटणी; वेश्या । कुढ़ाना सक्रि० चीडव; दुःखी करवू कुटाई स्त्री० कुटवं ते के तेनी मजूरी कुतका पुं० [तु.] कूतकुं; दंडो कुटिया स्त्री० कुटीर; झुपडी कुतना अ० क्रि० अंदाज, अडसट्टो थवो कुटिल वि० [सं.] खोटुं; दुष्ट; कपटी कुतर पुं० [अ. कुत्र] वर्तुलनो व्यास कुटी स्त्री०, ०र पुं० [सं.] जुओ कुटिया' कुतरना अ०क्रि० दांतथी करपी लेवू कुटुंब पुं० [सं.] कुटुंब; परिवार
(२) वच्चेथी चातरी लेवू कुटुम पुं० कटम; कुटुंब; परिवार कुतवार, -ल पुं० कोतवाल'; कोटवाळ कुटौनी स्त्री० खांडवाने काम के तेनी कुतिया स्त्री० कूतरी
मजूरी. -पिसौनी = दळवू खांडवं ते कुतुब पुं० [अ.] ध्रुव तारो कुट्टनी स्त्री० [सं.] कूटणी; 'कुटनी' कुतुब स्त्री० ('किताब 'नुं ब०व०) कुट्टी स्त्री० कापेलो बारीक चारो (२)
चोपडीओ कट्टा करवी; मैत्री छोडवी ते कुतुब-खाना पुं० [अ.+फा.]'किताबखाना' कुठला पुं० [सं. कोष्ठ;प्रा. कोट्ट](अल्प०, कुतुबनुमा पु० जुओ 'कुत्बनुमा'
-ली) कोटलो (२) चूनानी भट्ठी कुतुब-फ़रोश पु० [अ.+फा.] बुकसेलर कुठाउँ,कुठाँव पुं०,स्त्री० कुठाम; कठेकाणं कुतूहल पुं० [सं.] उत्कंठा; इच्छा (२) कुठार पुं० कोठार (२)[सं.] कुहाडी (२) कौतुक; खेल (३) अचंबो फरसी
[[सं.] कुहाडी कुत्ता पुं० [स्त्री० -ती] कुत्तो (२) कुठारी पुं० कोठारी; भंडारी (२) स्त्री० कुतरियुं घास (३) उलाळो (४) कुठाली स्त्री० अंगीठी
बंदूकनो घोडो. कुत्तेकी हुड़क-हडकवा. कुठाहर,कुठोर पुं० कुठाम(२)कु-अवसर (-उठना-हडकवा थवो;अधीरुं बनवू.) कुठिया स्त्री० कोठी (अनाजनी) ___ कुत्तेखसी व्यर्थ नकामु काम. कुत्तेने कुड़क स्त्री०इंडा मूकती बंध थयेली मरची काटना-पागल थवं हि-८
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क़ुत्ब
क़ुत्ब पुं० [अ.] ध्रुव तारो (२) धरी (३) नेता
क़ुत्बनुमा पुं० [अ + फा.] होकायंत्र क़ुत्ब-शुमाली पुं० उत्तर ध्रुव प्रदेश कुत्सा स्त्री० [सं.] निंदा -त्सित वि० निद्य; नीच
कुदकना अ०क्रि० कूदबुं कुदका पुं० कूदको
क़ुदरत स्त्री० [ अ ] प्रकृति; माया ( २ ) महिमा शक्ति [ प्राकृतिक (२) दैवी कुदरती वि० स्वाभाविक; असली; कुदान स्त्री० कूदवुं ते; कूदको; छलंग. -भरना = -कूद (२) पुं० [ सं . ] खोटं अपात्रे दान
कुदाना स० क्रि० कुदावबुं'; 'कुदवाना' कुदार, ल, - री, ली स्त्री० [सं. कुद्दाल] कोदाळी द्विष कुदरत स्त्री० [ अ ] हृदयनो मेल; कीनो; कुदृष्टि स्त्री० [सं.] खराब नजर; पापदृष्टि [ एक दाव कुद्रव पुं० [सं.] कोदरा (२) तलवारनो कुधर पुं० [सं. कुछ ] पर्वत ( २ ) शेषनाग कुधातु स्त्री० [सं.] लोखंड कुनकुना वि० कोकरवायुं कुनना स० क्रि० खरादवुं
कुनबा पुं० [सं. कुटुंब, प्रा. कुडुंब ] कुटुंब कुनबी पुं० कणबी
कुनवा पुं० खरादी
कुनह स्त्री० [फा.] तत्त्व; तथ्य ( २ ) बारीकी (३) [फा. कीना ] द्वेष; वेर कुनाई स्त्री० खरादीकाम के तेनी मजूरी (२) खरादतां पडतो भूको; वहेर कुनैन स्त्री० क्विनीन [ रस्तो कुपं ( प ) थ पुं० [सं.] खराब के खोटो
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कुमुद
कुपढ़ वि० अभण; मूर्ख कुपथ पुं० [सं.] जुओ 'कुपंथ' कुपथ्य पुं० [ सं . ] शरीरने ना माफक ते कुपना अ०क्रि० (प.) कोपबृंं; गुस्से थवुं कुपाठ पुं० [सं.] खोटो पाठ के सलाह शिखामण
कुपात्र वि० [सं.] अयोग्य; नालायक; अपात्र कुपार पुं० ( प. ) अकूपार; समुद्र कुपित वि० [ सं . ] गुस्से थयेलं कुप्पा पुं० ( स्त्री० -पी) चामडानो कुप्पो. - होना = फूलवुं के हृष्टपुष्ट थवं कुकुर, कुफ़ [अ.] पुं० काफरपणुं; इस्लाममां नास्तिकता
क़फ़्ल पुं० [अ.] ताळं
कुबड़ा पुं० [सं. कुब्ज ] ( स्त्री० -ड़ी) खूंध (२) वि० धुं; कूबड कुब्ज वि० [सं.] कूबडुं; खंधुं
कुमक स्त्री० [तु.] कुमक; मदद ( २ ) पक्षपात ( वि० की ). -पर होना: पक्ष लेवो
=
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कुमकुम पुं० केसर (२) जुओ 'कुंकुमा'' क्रममा पुं० [तु.] काचनो रंगबेरंगी नानो गोळी ( छतमां टंगाय छे ते) (२) जुओ 'कुंकुमा'
कुमरिया पुं० एक जातनो हाथी क़मरी स्त्री० [अ.] कबूतर जेवुं एक पक्षी कुमाच पुं० [अ. कुमाश] एक जातनुं रेशमी कापड [(३) वि० कुंवारुं कुमार पुं० [सं.] छोकरो (२) राजकुमार कुमारबाज वि० [अ. किमार + बाज] जुगारी [छोकरी - कन्या कुमारी, -रिका स्त्री० [सं.] कुंवारी कुमार्ग पुं० [सं.] खोटो - पापी रस्तो कुमुद पुं० [सं.] कमळ
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कुम्मैत
कुम्मैत पुं० [ अ ] लाखनो रंग के ते रंगनो घोडो
कुम्हड़ा पुं० [सं. कुष्मांड ] कोळं. कुम्हड़ (०की) बतिया = नबळो पोचो माणस (२) नानुं काचुं कोळं कुम्हलाना अ० क्रि० चीमळावु कुम्हार पुं० (स्त्री० - रिन) कुंभार कुम्ही स्त्री० ( प. ) पाणी पर फेलाती एक वेल
कुरंग पुं० [ सं . ] हरण (२) खराब रंग के लक्षण (३) वि० खराब रंगनुं. (स्त्री० - गिन = हरणी )
कुआ पुं० [अ.] रमवानो पासो (२) वात नक्की करवा नखाती चिठ्ठी वगेरे क़ुरक़ी स्त्री० जुओ 'कुर्की' कुरकुर पुं० कडकड थतो अवाज (जेम के पापडतो) [एवं; कडक कुरकुरा वि० 'कुरकुर' अवाज साथ भागे कुरता पुं० [तु.] कुरतुं; पहेरण कुरती स्त्री० सदरा जेवुं स्त्रीनं कुरतुं कुरना अ० क्रि० ( प. ) 'कूरा' - ढग थवो क़ुरबत स्त्री० [ अ ] नजदीक; समीपता कुरबान पुं० [ अ ] बलि; बलिदान कराय ते जाना, होना=वारी जवुं; न्योछावर थवं
क़ुरबानी स्त्री० बलिदान [ ( स्त्री० - री) कुरर [सं.] - रा पुं० टिटोडी; क्रौंच पक्षी कुरसी स्त्री० [अ.] खुरसी ( २ ) मकाननी बेसणी (३) पेढी. - देना = मान आपवुं कुरसीनामा पुं० [अ. +फा.] वंशावळी कुराई ( - ) स्त्री० (प.) कुराह; कुमार्ग (२) खाडाटेकरावाळो मार्ग क़ुरान पुं० [अ.] कुरान धर्मग्रंथ कुरानी वि० मुसलमान; कुरानने लगतुं
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कुलच्छन
कुराह स्त्री० कुमार्ग; खोटो राह कुराही स्त्री० जुओ 'कुराह' (२) वि० दुराचारी
कुरिया स्त्री० झुंपडी (२) नानुं गामडुं कुरियाल स्त्री० पक्षी मोजमां आवो पांखो फफडावे ते. - में आना = मोजमां आवj. - में गुलाल लगना = रंगमां भंग पडवो
कुरी स्त्री० ( प. ) वंश, खानदान (२) टुकडो कुरु स्त्री०वांस के मुंजनी नानी टोपली कुरुख वि० [कु + रुख ] नाराज कुरुम पुं० (प.) कूर्म; काचबो ['करोदना' कुरेद (-ल) ना स० क्रि० खणं; खोदवुं; कुरं ( - रौ ) ना स० क्रि० ( प. ) ( जुओ 'कूरा') ढगलो करवो
क़ुक़ वि० [तु.] जप्त करेलु -अमीन: जप्ती-अमलदार
क़ुक़ स्त्री० जप्ती; 'कुरकी' कुर्ता पुं० [तु.] जुओ 'कुरता' - ती जुओ 'कुरती'
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=
कुर्ब पुं०, ०त स्त्री० [ अ ] 'क़ुरबत'; समीपता [के प्रदेश क़ुर्ब-व-जवार पुं० [अ.] आसपासनी जगा कुर्मी पुं० कणबी [पृथ्वी कुर्र - ए - अर्ज पुं० [अ . ] पृथ्वीनो गोळी; कर्स पुं० [अ.] सूर्यबिंब (२) गोळी कुर्सी स्त्री० जुओ 'कुरसी'. ०नामा जुओ 'कुरसीनामा' [मरघो कुलंग पुं० [फा.] एक जातनुं सारस (२) कुल पुं० [सं.] कुळ; ओलाद (२) वि० [ अ ] बधुं; तमाम [के रोटी कुलचा पुं० [फा.] एक जातनी मीठाई कुलच्छन पुं० (२) वि० कुलक्षण नी पुं० (२) स्त्री०कुलक्षणवाळो के - वाळी
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कुल-जमा कुल-जमा अ० [अ.] बधुं मळीने (२)
केवळ; मात्र कुलजम पुं० [अ.] लाल समुद्र कुलट पुं० व्यभिचारी. -टा स्त्री० ।
खराब स्त्री कळथी- एक धान । कुलथ पुं०, -थी स्त्री० [सं. कुलत्थिका] कुलफ पुं० 'कुल'; ताळं कुलफ़त स्त्री॰ [अ.] चिंता; फिकर कुलफ़ा पुं० [अ.] एक जातनुं शाक कुलफ़ी स्त्री० कुलफी नळी जेमा मलाई ।
इ० ठारवामां आवे छे कुलबुल पुं० कलबल कुलबुलाना अ० क्रि० कलबल करवी
(२) खदबदबु (३) सळवळवू कुल-मुख्तार पुं० [फा.] कुल-मुखत्यार कुलह (-हा) स्त्री० 'कुलाह'; टोपी(२) । शिकारी पक्षीनी आंख परनुं ढांकण कुलही स्त्री० कानटोपी कुलाँच, -ट स्त्री० छलंग; कूदको कुलाबा पुं० [अ.] मिजागरुं (२) मोरी ।
(३) माछलीनो कांटो कुलाल पुं० कुभार(२)वुवड.-ली स्त्री० कुलाह पुं० [फा.] एक जातनी टोपी कुलिश,-स पुं० [सं.] वज्र (२) हीरो कुली पुं० [तु.] गुलाम (२) रेलवेनो कुली-मजूर. ०कबारी पुं० हलका पछात लोक कुलीन वि० [सं.] कुलवान; खानदान कुलुफ पुं० ताळं; कुफ्ल' [(हिमालयनी) कुल,०त [सं.] पुं० एक पहाडी जाति कुलेल स्त्री० कल्लोल; क्रीडा कुल्फ़ी स्त्री० जुओ 'कुलफ़ी' कुल्य पुं० [सं.] कुलीन पुरुष [(३) नदी कुल्या स्त्री० [सं.] कुलीन स्त्री (२) नहेर
कुसीद कुल्ला पुं०, कुल्ली स्त्री० कोगळो कुल्लियात पुं० कुल कृतिओनो संग्रहग्रंथ कुल्ली वि० [अ.] कुल; बधं कुल्हड़ पुं० [सं. कुल्हर] कुलडी; चडयो कुल्हाड़ा पुं० कुहाडो कुल्हाड़ी स्त्री० कुहाडी कुल्हिया स्त्री० कुलडी (नानी). -म गुड़ फोड़ना=कुलडीमां गोळ भागवो; गुप्त रीते काम कर कुवलय पुं० [सं.] भूरुं कमळ कुवाँ पुं० कूवो -री वि० कुवार, कुवार पुं० 'कुआर'; आसो मास. कुवेर पुं० [सं.] कुबेर कुव्वत स्त्री० जुओ 'कूवत' कुश पुं० [सं.] कुश घास कुशल वि० [सं.] कुशळ; चतुर (२) स्त्री० कुशळता; खुशी. ०क्षेम पुं० क्षेमकुशळ. -लाई, -लात स्त्री० (प.) कुशळता; खुशी कुशाग्न वि० [सं.] तीक्ष्ण; तेज कुशादगी स्त्री०[फा. विस्तार;मोकळाश कुशादा वि० [फा.] खुल्ल; मोकळु (२)
विस्तृत; विशाळ [गायक; नट कुशीलव पुं० [सं.] कवि; भाटचारण (२) कुश्ता पुं० [फा.] धातुनी भस्म कुश्ती स्त्री० [फा. कुस्ती. -खाना= कुस्तीमा हार. -मारना = कुस्तीमां हराव-पछाडq कुश्तोखून पुं० [फा.] मारकाट; खूनरेजी कुष्ठ पुं० [सं.] कोढ. -ष्ठी वि० कोढियु कुष्मांड पुं० [सं.] कोळं [०लाई(-त)' कुस,०ल,०लाई (-त) जुओ 'कुश,०ल, कुसवारी पुं० रेशमनो कीडो कुसीद पुं० [सं.] व्याज; 'सूद'
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कुसुंभ
कुसुंभ पुं० [सं.] कसुंबानं फूल कुसुंभा पुं० कुसुबो (रंग के अफीणतो) कुसुंभी वि० कसुंबी; कुसुंबी कुसुम पुं० [सं.] फूल (२) एक नेत्ररोग क़सूर स्त्री० [अ.] कसूर; भूल. 0 मंद, •वार वि० अपराधी; भूलवाळं कुह ( - हु ) कना अ० क्रि० [सं. कुहक ] पक्षी कुहूकुहू - मधुर बोलवु; टहुकवुं कुहन वि० [फा.] जूनुं; पुराणुं कुहनी स्त्री० [ सं . कफोणि] कोणी कुहरा पुं० धूमस कुहराम पुं० [अ. कहर - आम] रोककळ कुहाना अ० क्रि० रूठवुं; रिसावुं कुहासा पुं० 'कुहरा'; धूमस कुहुकना अ० क्रि० जुओ 'कुहकना ' कुहू स्त्री० [ सं . ] अमास (२) कुहू कुहू अवाज कूंच पुं० वणकरनो कूचडो ( २ ) रती कूंचा पुं० झाडु; सावरणो
कूंची स्त्री ० सावरणी (२) पींछी के कूचडो ज पुं० क्रौंच पक्षी
कूंजना अ० क्रि० कूजवुं
कूंड स्त्री० लाढानो टोप ( माथा माटे ) (२) हळनो चास (३) एक वासण कँडा पुं० कंडुं. -ड़ी स्त्री० जुओ 'कुंड़ी' कू पुं० [फा.] गली कई स्त्री० कुमुदिनी
कूक स्त्री० मोर, कोयल इ० नो टहुको (२) घडियाळ, वाजा इ०नी चावी. - देना = चावी आपवी
·
कूकर पुं० कूतरुं. ०कौर पुं० एटुंजू ; तुच्छ वस्तु
कूका पुं० एक शीख संप्रदाय कूच पुं० [सं.] स्तन (२) [तुर्की] कूच; प्रस्थान. - कर जाना=मरी जवं.
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( किसीके ) देवता कूच कर जाना = होशकोश ऊडी जवा. - बं . - बोलना = ऊपडवु कूचा पुं० [फा.] गली. ०गर्दी स्त्री० नकामी रखडपट्टी. ० बंद पुं० एक तरफ रस्तावाळी - बंध गली कूज, ०न स्त्री० [सं.] ध्वनि; अवाज ( २ ) पक्षीनुं कूजवं ते
कूजना अ० क्रि० जुओ 'कूंजना' कूजा पुं० [फा.] कूजो; माटीनुं पाणी मानुं वासण (२) माटीना वासणमां जमावातो साकरनो अर्धगोळ गांगड़ो कूट पुं० [ सं . ] शिखर (२) कूडकपट (३) ढगलो (४) वि० अचळ; स्थिर (५) कूडुं; कपटी (६) बनावटी; जूठु कूटना स०क्रि० कूट; खांडवुं (२) मारखं ठोकवु (३) (घंटी इ० ) टांकवी कूटू पुं० एक छोड के तेनुं बी, जेनो लोट फराळमां चाले छे
कूड़ा [सं. कुट, प्रा. कूड = ढेर] ' कतवार'; कचरो पूंजो(२)नकामी चीज. ० कचरा, ०करकट पुं० कूडो कचरो; कचरापट्टी. ०खाना पुं० कचरापेटी कूढ़ वि० नासमज; बेवकूफ कूढ़मग्ज दि० मंदबुद्धि कूत स्त्री० अनुमान; अंदाज; अडट्टो कूतना स० क्रि० अनुमानवु, अंदाजवं कूद स्त्री० [ क्रि० कूदना = कूदवं ] कूदवं ते कूद - फाँद स्त्री० कूद के कछळवं ते कून स्त्री० [फा.] गुदा कूप पुं० [सं.] कूओ
कूब, कूबड़ पुं० [सं. कूबर] सूंध (२) कोई चीजनुं वांकापणुं
कूर वि० क्रूर (२) दुष्ट; बूरुं (३) कामं (४) जड; मूर्ख
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कूरा
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केराना कूरा पुं० [सं. कूट, प्रा. कूड] (स्त्री० कृषक पुं० [सं.] किसान; खेडूत
-री = ढगली) ढगलो (२) भाग; अंश कृषि स्त्री० सं.] खेती कूर्म पुं० [सं.] काचबो
कृष्ण वि० [सं.] काळु (२) पुं० श्रीकृष्ण फूल पुं० [सं.] किनारो (२) तळाव कृष्णाष्टमी स्त्री० [सं.] गोकळआठम कूला, कूल्हा पुं० कूलो ---- के के स्त्री० चे चे अवाज कूवत स्त्री० [अ.] कौवत; शक्ति केंचली स्त्री० सापनी कांचळी कृच्छ्र पुं० [सं.] कष्ट; दुःख (२) वि० केंचुआ (-या) पुं०अळसियु;सरसियु(२) काठण; कष्टमय
सतयुग झाडामां नीकळतो सफेद लांबो करम कृत वि० [सं.] करेलु (२) पुं० कार्य (२) केंचुरि(-ल,-ली) स्त्री० जुओ केंचली' कृतकृत्य वि० [सं.] कृतार्थ; सफळ; धन्य केंद्र पुं० [सं.] केन्द्र, मध्यबिंदु [एकत्रित कृतघ्न वि० [सं.] निमकहराम; उपकार केंद्रित, केंद्री वि० [सं.] मध्यमां आवेलुं;
न माननार कदर करनार केंद्रीय वि० [सं.] केंद्रित (२) मुख्य कृतज्ञ वि० [सं.]निमकहलाल; उपकारनी के स० (प.) कोण? कृतांत पुं० [सं.] यम (२) शनिवार (३) केउ स० (प.) कोई सिद्धांत
केकड़ा पुं० करचलो पुं० मोर कृतार्थ वि० [सं.] कृतकृत्य
केका स्त्री० [सं.] मोरनो टहुको. -की कृति स्त्री० [सं.] कार्य; रचना (२) केड़ा पुं० नवो अंकुर; कुंपळ(२)नवजुवान जादु (३) एक छंद (४) कातर के छरी
केत पुं० केतन; घर (२) केतकी घj कृती वि० [सं.] कृतार्थ; नसीबदार (२) केतक पुं० [सं.] केवडो(२)(प.)केटलं(३) कुशळ; होशियार (३) भलं; पवित्र केतकी स्त्री० [सं.] केवडो निशान (४) कह्यागरुं (३) कृत्तिकानक्षत्र केतन पुं० [सं.] घर; स्थान (२) धजा; कृत्ति स्त्री० [सं.] मृगचर्म (२) चामडु केतली स्त्री० कीटली; चादानी कृत्तिका स्त्री० [सं.] एक नक्षत्र केता वि० [स्त्री०-ती] केटलं; 'कितना' कृत्य पुं० [सं.]कार्य(२)वि० करवा योग्य केतिक वि० केवु (२) केटलं कृत्रिम वि० [सं.] बनावटी; नकली केतु पुं० [सं.] धजा (२) एक ग्रह कृत्स्न वि० [सं.] आखं; बधुं; समग्र केतो वि० (प.) जुओ ‘केता' 'केतक' कृपण वि० [सं.] कंजूस (२) दीन; क्षुद केदली स्त्री० कदली; केळ कृपा स्त्री० [सं.] महेरबानी; दया केदार पुं० [सं.] वावेलु खेतर (२) कृपाण (-न) पुं० [सं.] किरपाण;तलवार _क्यारडो (३) झाडनो क्यारो कृपाल,-लु [सं.] वि० कृपाळ; कृपा के केन्द्र,-न्द्री इ० जुओ 'केंद्र' महेरबानीवाळू
केयूर पुं० [सं.] बाजुबंध कृमि पुं० [सं.] करम; जंतु; कीडो केर [सं. कृत] (स्त्री० -री)(प.) केरं';नुं कृश,-शित वि० [सं.] दुबळं पातळू (२) अर्थनो एक प्रत्यय । नानु; क्षुद्र
केराना पुं० 'किराना'; करियाणु
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केरानी
कैफ़ केरानी पुं० 'किरानी'; युरेशियन (२) केंची स्त्री० [तु.] कातर (२) साणसो. कारकुन
-करना-काप.-काटना= फरी जवू; केराब पुं० वटाणा
नामुकर जq (२) छूपीथी सरकी जq. केरी स्त्री० काची नानी केरी; 'अँबिया'
-बाँधना=बे जांघो वच्चे दबावq. केरोसिन पुं० [इं.] ग्यासतेल
-लगाना कापवू; कातर चलाववी केला पुं० केळ के केळं [रति - क्रीडा
कैंडा पुं० चाल; रीत; ढंग (२) चालाकी; केलि (-ली) स्त्री० [सं.] हांसी खेल (२) चालबाजी (३) माप; अंदाज. -करना केवका पुं०प्रसूतिमां अपातो एक मसालो
=अंदाज काढवो केवट पुं० [सं. कैवर्त] एक वर्णसंकर
कैंप पुं० [ई.] कॅम्प; पडाव; छावणी जात; माछी के नाविक
के वि० 'कितना' (२) अ० या, अथवा केवटी (दाल) स्त्री० अनेक प्रकारनी
+ स्त्री० [अ.वमन भेगी दाळ
कैतव पुं० [सं.] छळकपट; ठगाई (२) केवड़ई वि० केवडाना रंगनू
जूगटुं (३) वि० ठगारुं के जुगारी केवड़ा,-रा पुं०केवडो, तेनुं फूल के अत्तर केवल वि० [सं.] केवळ; फक्त (२) शुद्ध;
कैतून स्त्री० [अ.] (सोनेरी के रूपेरी) पवित्र उत्तम.-ली पुं०केवळ ज्ञानवाळो
एक जातनी कपडां पर लगावाती फीत केवाँच स्त्री० कौवच; 'कौंच'
कथ,-था पुं० कोठी- झाड केवा पुं० [सं. कुव] कमळ
कैथिन स्त्री० कायस्थ स्त्री
कैथी स्त्री शिरोरेखा वगरनी नागरीने केवाड़ पुं० 'किवाड़'; कमाड केश (-स) पुं० [सं.] वाळ
मळती एक लिपि केशरंजन, केशराज पं० [सं.] भमरो कैद स्त्री० [अ.] केद; बंधन (२) केदखानुं केश (-स)र पुं० [सं.] केसर
(३) प्रतिबन्ध; रोकावट (४) शरत; केश (-स)री पुं० [सं.] केसरी; सिंह
मर्यादा.-काटना, भरना-केदनो वखत के घोडो (२) केश; वाळ
पूरो करवो-गुजारवो. -लगना-प्रतिकेस पुं० [इं.] केस; किस्सो; मामलो बंध मुकावो; शरत के मर्यादा होवी केसर पुं० [सं.] केसर (२)केशवाळी; याळ कैदक स्त्री० [अ.] पोर्टफोलियो';कागळो केसरिया वि० (२) ० केसरी के ते रंग राखवानी फाईल केसरी पुं० जुओ 'केशरी'
कैदखाना पुं० [फा.] केदखानुं केसारी स्त्री० एक हलकुं धान कैद-तनहाई स्त्री०अंधारी कोटडीनी केद केहा पुं० केका; मोर
कैद-महज स्त्री० [अ.] सादी केद केहि स० (प.) 'किस'; 'किसको'; कोने दी पुं० [अ.] केदी केहूँ, -हू स० (प.) कोई (२) केवी के कैधौं अ० (प.) या; अथवा । कोई रीते
[बाडु कैप पुं० [इ.] कॅप; टोपी मैंचा पुं० मोटी कातर (२) वि० 'भंगा'; कैफ पुं० [अ.] केफ; नशो
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कैफ़ियत
कैफ़ियत स्त्री० [ अ ] समाचार ( २ ) वर्णन; विवरण ( ३ ) आश्चर्यनी के हर्षनी घटना. - तलब करना - केफियत मागवी; कारण पूछबुं कैफ़ी वि० [अ.] केफी; नशाबाज कैबिनेट पुं० [इं.] राज्यनुं प्रधानमंडळ (२) खानावाळु एक कबाट कैमेरा पुं० [इं.] कॅमेरा, 'कमरा ' कैरा वि० भूखरो रंग (२) सफेद बळद कैलंडर पुं० कॅलेंडर ; ई० स० नुं पंचांग कैवल्य पुं० [सं.] मुक्ति; एकता कैवा अ० (पं.) कई वार कैश पुं० [इं. ] रोकड नाणुं कैशियर पुं० [इं. ] रोकड खजानची कैंसर पुं० [अ०] सम्राट; बादशाह कैसा वि० (स्त्री० - सी ) केवुं; कोना जेवुं कैसे अ० केवी रीते (२) केम; शा माटे कैसो वि० (प.) जुओ 'केसा' कोंचना स०क्रि० कोचवुं;घोचवुं;भोकवुं कछ पुं० साल्लानो एक छेडो जेनाथी खोळो कराय छे. -भरना = ( (स्त्रीनो) खोळो भरवो
कोंछना, कोंछियाना स० क्रि० कांई छेडामा भरीने ते केडे खोसवो ( २ ) साडीनी पाटली करी ते खोसवी कोंढा पुं० कडी के आंकडो (२) वि० कडी के आंकडामां परोवेलुं
कोंप स्त्री० जुओ 'कोंपल'. ०ना अ०क्रि० कूंपळ नीकळवी
कोंपर पुं० केरीनी साख
कोंपल स्त्री० कूंपळ, नवां कोमळ पान कोंवर - रा वि० ( प. ) कोमळ कोहड़ा पुं० कोळं, 'कुम्हड़ा' [ प्रत्यय को स० को; कोण (२) चोथी ने बीजीनो
१२०
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कोटी
कोआ पुं० जुओ 'कोया' ( २ ) रेशमनो कोशेटो
कोइरी पुं० 'काछी' जात
कोइल, लिया स्त्री० कोयल पक्षी कोइली स्त्री० काळा डाघवाळी एक जातनी केरी
कोई स० (२) वि०कोई (३) अ० लगभग. उदा० कोई दस आदमी [कोईक कोउ, ऊ स ० ( प. ) कोई. ०क स० ( प. ) कोका पुं० [अ०] दूध-भाई; एक धावने धावेल [वेल कोकाबेरी ( -ली) स्त्री० भरा कमळती कोकिल पुं० [सं.] कोयल (२) अंगारो कोकिला स्त्री० [ सं . ] कोयल कोकी ( - के) न स्त्री० [इं.] कोकेन - एक केफी औषधि
कोको स्त्री० कागडो (बाळभाषामा) कोख स्त्री० Toकूख. उजड़ जाना, उजड़ना = संतान मरी जवुं (२) गर्भपात थवो. - खुलना : = बाळक थवुं -बंद होना, -मारी जाना = वंध्या थवुं
O
कोच ० [इं.] बगी (२) बेसवानी कोच कोचक वि० [फा.] नानुं कोचना स०क्रि० 'कोंचना'; कोचवुं; भोंक. कोचा करेला = बळियाना डाघवाळो चहे
कोचवान पुं० कोचमॅन; वगीवाळो कोजागर पुं० [सं.]कोजागरी; शरद-पूनम कोट पुं० [सं.] किल्लो (२) [इं.] कोट; डगो (३) [सं. कोटि] समूह; करोड कोटर पुं० [ सं . ] झाडनी बखोल कोटि स्त्री० [सं.] धनुषनो छेडो (२) वर्ग; कक्षा (३) करोड संख्या ( ४ ) समूह कोटिक वि० करोडो; अगणित कोटी स्त्री० जुओ 'कोटि'
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१२१
कोठ
कोरमा कोठं वि० खटायेलं (दांत माटे) कोदई, कोदरा, कोदव, कोदो, कोद्रव कोठड़ी (-री) स्त्री० कोटडी; नानी [सं.]पुं० कोदरा.कोदो देकर पढ़ना या ओरडी
सीखना=अधूरी ढंग वगरनी केळवणी कोठा पुं० मोटी कोटडी (२) अटारी;
लेवी. छाती पर कोदो दलना = सामो उपरनो ओरडो (३) कोठो-खानुं के जाणे तेम एवं काम करवू जेथी तेने पेट इ०
[-री पुं० बुरुं लागे - खूणे भरावं कोठार पुं० भंडार; कोठार; वखार. कोना पं० खुणो; कोण. -झाँकना = कोठिला पुं० कोठलो; 'कुठला' कोना-खतरा पुं० खूणोखांचरो कोठी स्त्री० मोटुं भव्य मकान (२) कोई
कोनिया स्त्री० खूणामां मुकाती अभराई कामकाज माटेनी पेढीनुं के कचेरीनु कोप पुं० [सं.] क्रोध; गुस्सो.नाअक्रि. मोटु मकान (३) गर्भाशय (४) खाळ
कोपवू. -पी वि० क्रोधी कुवामां उतारवानी कोठी [साहुकार
कोफ्त स्त्री० [फा.] पीडा; दुःख (२) कोठीवाल पुं० महाजन; मोटो वेपारी;
लोढा पर सोना चांदी- जडित काम कोठेवाली स्त्री० वेश्या
कोफ्ता पुं० [फा.] एक जातनो कबाबकोड़ना स० क्रि० गोडवू; खोदवं मांसनी वानी कोड़ा पुं० कोयडो
कोबा पुं० [फा.] मोगरी; कबो कोड़ी स्त्री० वीसनी कोडी; वीसी कोबी स्त्री० कोबी, करमकल्लो; गोबी' कोढ़ पुं०पत- कोढनो रोग. -की खाज, । कोमल वि० [सं.] कोमळ; मृदु -में खाज =दुःख पर दुःख आवq. कोय स० 'कोई' -चूना, टपकना= कोढ गळवो . कोयल स्त्री० कोयल पक्षी कोढ़ी वि० कोढियु (स्त्री० -दिन) कोयला पुं० कोलसो; कोयलो कोण पुं० [सं.] खूणो दिशा कोया पुं० आंखनो डोळो के खूणो (२) कोत स्त्री० (प.) कौवत; बळ (२) कोण; फणसन चांपु (३) रेशमना कीडानो कोतल पुं० [फा.] कोतल; सवार वगरनो कोशेटो
सजेलो के सवारीनो खास घोडो कोर स्त्री० कोर (किनार; धार) (२) कोतवाल पुं० कोटवाळ; फोजदार द्वेष; वेर (३) दोष; खामी (४)पंक्ति; कोतवाली स्त्री० पोलीसथाणुं के हार (५) वि० [फा.] अंध. -दबना =
कोटवाळजें काम के पद [-ती) लागमा आव [वत्ताओछापणुं कोता(व्ह) [फा.]वि० नानुकम (स्त्री० कोर-कसर स्त्री० दोष ने खामी (२) कोताही स्त्री० [फ..] कमी; बाकी; कसर कोरट पुं० [इं.] कोर्ट ऑफ वॉर्डझ;वालीनुं कोथला पुं० कोथळो (२) पेट. -ली काम करती कोर्ट स्त्री० कोथळी; थेली
कोरनिश [फा.] स्त्री० कुरनिस; झूकीने कोदंड पुं० [सं.] धनुष्य
करेली सलाम कोद स्त्री० (प.) 'कोत'; दिशा कोरमा पुं० [तु.] खूब घीमां तळेलु मांस
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कोरा १२२
कौथा कोरा वि० (स्त्री०-री) कोरं (२) पुं० कोहबर पुं० [सं. कोष्ठवर] विवाह
सादु रेशमी कापड (३) गोद; खोळो इ०मां पूजवाना कुलदेवतानुं स्थान कोरि वि० (प.) कोटि; करोड कोहराम पुं० [फा.] जुओ 'कुहराम' कोरी,-ली पुं० (हिंदु) वणकर कोहसार पुं० [फा. कुहसार] पहाड के कोल पुं० [सं.], कोली स्त्री० गोद:खोळो पहाडी प्रदेश कोलाहल पं० [सं.] कळाहोळ; शोरबकोर कोहान पुं० [फा.] ऊंटनी खूध कोलिया स्त्री० सांकडी गली (२) पटी ।
कोहाना अ० क्रि० रोषावू; गुस्से थq; जेवू खेतर
रूसणुं लेवू कोली स्त्री० जुओ 'कोल'(२) पुं० जुओ कोहाब (-व) पुं० (प.) रूसj 'कोरों'
कोहिस्तान पुं० [फा.] पहाडी देश कोल्ह पुं० कोल के घाणी. -काटकर कोही वि० क्रोधी (२) पहाडी मुंगरी बनाना = थोडा लाभ माटे कोंच (-छ) स्त्री० कौवच मोटी हानि वहोरवी. - का बैल = कौंध (-धा) स्त्री०वीजळीनो चमकारो घांचीना बळद जेवो
(अ.क्रि० कौंधना = वीजळी चमकवी) कोविद वि० [सं.] कुशळ; प्रवीण कौंसल पुं० [इं.] वकील; बारिस्टर कोश (-प) पुं० [सं.] खजानो (२) कौंसिल स्त्री० [इं.]काउन्सिल;धारासभा. संघरेलुं धन (३) शब्दकोश (४) र पुं० तेनो सभ्य [कागारोळ; शोर ढांक[; आवरण
कौआ पुं० कागडो. ०र, रोर पुं० कोशिश स्त्री० [फा. प्रयत्न; महेनत कौटिल्य पुं० [सं.] कुटिलता; फरेब कोष पुं० [सं.] जुओ 'कोश' कौटुंबिक वि० [सं.] कुटुंब संबंधी (२) कोष्ठ पुं० [सं.] कोठो; पेट (२) भंडार पुं० घरनो वडील कोष्ठक पुं० कोष्टक .
कौड़ा पुं० मोटी कोडी; कोडो(२)तापणी कोष्ठी स्त्री० जनमोतरी
कौड़ियाला वि० कोडीना रंग- (२) कोस पुं० गाउ; क्रोश
पुं० एक झेरी साप (३) कंजूस धनिक कोसना स० क्रि० महेणुं मार; भांडवुः । कौड़ी स्त्री० कोडी (२) धनसंपत्ति. शापवू. -काटना = शाप अने गाळो -फिरना= दावमां सारी कोडी पडवी देवां. पानी पी पीकर कोसना = । कौतुक पुं० [सं.] कुतूहल (२) अचंबो खूब 'कोसना..
(३) हांसीखेल (४) विवाह- कंकण कोसा-काटी स्त्री० शाप; निंदा कौतुकी,-किया पुं० कौतुक करनार (२) कोह पुं० क्रोध (२) [फा.] पहाड विवाहनो पुरोहित कोहकनी स्त्री० [फा.] भगीरथ काम कौतूहल पुं० [सं.] कुतूहल कोहन,-ना वि० [फा. कुहन] पुराणुं कौय स्त्री० [कौन+तिथि] कई तिथि कोहनी स्त्री० 'कुहनी'; कोणी
के तारीख ? (२) शो संबंध ? कोहनूर पुं० [फा.] कोहिनूर कौथा वि. केटलामुं?
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कौन
१२३ कौन स० कोण. -सा= कोण. -होना- क्यों अ० केम? शा माटे? (२) (प.) शो अधिकार छ (२) शो संबंध के कैसे'. -कर अ० 'कैसे'; केवी रीते. सगाई छे?
-कि अ० एटला माटे के. -नहीं अ० कोपीन पुं०[सं.] लंगोटी (२) पाप; गुनो जरूर; बेशक क़ौम, क्रोमियत स्त्री० [अ.] कोम; जाति कंदन पुं० [सं.] रुदन(२)युद्ध माटे पडकार (२)राष्ट्र(ब०व० अक़वाम;वि० क़ौमी) ऋतु पुं० [सं.] यज्ञ कौमार पुं० [सं.] कुमारावस्था क्रम पुं० [सं.] एक पछी एक आवे ते क्रोमियत स्त्री० जुओ 'कौम' मां व्यवस्था (२) पगलं (३) (प.) कर्म कौमी वि० [अ.] राष्ट्रीय
क्रमिक वि० [सं.] क्रममा आवतुं क्रमबद्ध कौमुदी स्त्री० [सं.] चांदनी (२) आसो क्रमेल,०क पुं० [सं.] ऊंट या कारतक पूर्णिमा
क्रय पुं० [सं.] खरीद कौर पुं० [सं. कवल] कोळियो (२) क्रयविक्रय पुं० [सं.] वेपार
घंटीमां एक वार ओराय एटलं-चपटी क्रांति स्त्री० [सं.]मोटो पलटो(२)सूर्यमार्ग कोरना सक्रि० शेकवं.
क्रिकेट पुं० [इ.] क्रिकेट रमत कौरा पुं० कमाड पाछळनो भाग. कौरे क्रिया स्त्री० [सं.] कर ते; कर्म (२)
लगना= कमाड पाछळ संतावू कोई धार्मिक क्रिया कौरी स्त्री० बाथ भरवी ते क्रियाकर्म पुं० [सं.] अंत्येष्टि क्रिया कौल पुं० [सं.] वाममार्गी (२) खानदान क्रिस्तान पुं० (वि० -नी) त्रिस्ती (३) [कवल] जुओ ‘कौर'
क्रीड़ा स्त्री० [सं.] खेल; रमत कोल पुं० [अ.] कोल;प्रतिज्ञा (२) कथन; क्रोत (०क) पु० [सं.] बार प्रकारना वाक्य. -(व) करार = कोलकरार; . पुत्रमांनो एक (२) वि० खरीदेखें परस्पर प्रतिज्ञा. -का पूरा, पक्का क्रूर वि० [सं.] घातकी; निर्दय (२)पुं० या धनी= सत्यवादी
भात; रांधेला चोखा (३) बाज पक्षी कौवा पुं० (स्त्री०-वी) कागडो; कौवो
क्रूस पुं० ख्रिस्ती धर्मचिह्नः क्रॉस (२) धूर्त. -गुहार, -रोर शोरबकोर.. क्रोड़ पुं० [सं.] गोद;खोळो (२)बाथ;छाती कौवे उड़ाना = नवलं होवू
क्रोडपत्र पुं० [सं.] (पुस्तक के छापानु) कौवाल,कौवाली [अ.जुओ क़व्वाल,-ली' । परिशिष्ट; पुरवणी; वधारो कौशल,-ल्य पुं० [सं.] कुशळता(२)पंगळ क्रोध पं० [सं.] गुस्सो. –धी वि० क्रोध कोस स्त्री० [अ.] धनुष; कमान. -ए। करनारं (२) पुं० एक संवत्सर
जहः क़ौस-कुजा= इन्द्रधनुष क्रोश पुं० [सं.] कोस, अंतर (२) रोते कौस्तुभ पुं० [सं.] एक मणि
क्रोष्टु,०क पुं० [सं.] शियाळ; कोलं क्या स० शं? -कुछ, -क्या = बधुं. क्रौंच पुं०[सं.] एक पक्षी. -ची स्त्री० -खूब! वाह ! धन्य!
तेनी मादा क्वारी,-ली स्त्री० क्यारो
क्लब पुं० [ई.] क्लब; कोई मंडळीनी बैठक
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क्षेम
क्लर्क
१२४ क्लर्क पुं० [इं.] क्लार्क; कारकुन. -र्की क्षपा स्त्री० [सं.] रात (२) हळदळ. स्त्री० कारकुनी
[थाक ०कर पुं० चंद्र क्लांत वि० [सं.] थाकेलं. -ति स्त्री० क्षम वि० [सं.] (समासमां) -ने योग्य. क्लाक पुं० [इ. क्लॉक] मोटुं घडियाळ ता स्त्री० शक्ति; बळ (२) योग्यता क्लास पुं० [इ.] वर्ग; दरज्जो; श्रेणी क्षमना स० क्रि० (प.) क्षमा करवी क्लिप स्त्री० [इं.] चांप (कागळो इ० क्षमा स्त्री० [सं.] माफी; दरगुजर कर राखवानी)
ते (२) धरती क्लिष्ट वि० [सं.] क्लेश पडे के पाडे व क्षमी वि० [सं.] क्षमावान (२) समर्थ
समजवामां कठण-अस्पष्ट [डरपोक क्षम्य वि० [सं.] क्षतव्य; माफीने लायक क्लीब, व पं० [सं.] नसक (२) वि० क्षय पुं० [सं.] क्षीण थवू ते; ह्रास; क्लेद पुं० [सं.] भेज (२) पसीनो । नाश (२) क्षय रोग (३) घर; मकान . क्लेश पुं० [सं ] कंकास; दुःख; राग- क्षर वि० [सं.] चल; नाशवंत; अनित्य द्वेषादिनी पीडा
क्षात्र वि० [सं.] क्षत्रिय संबंधी (२) पुं० क्लोरोफार्म पुं० क्लॉरोफॉर्म; शस्त्र- क्षत्रिय के तेनुं कर्म (३) थोडं क्रियामां सूंघाडाती दवा
क्षाम वि० [सं.] क्षीण; पातळं (२) दुर्बळ क्वचित् अ० [सं.] कोक ज वार क्षामा स्त्री० [सं.] पृथ्वी [(४) वि० खारु क्वथ, क्वाथ पुं० [सं.] काढो; क्वाथ क्षार पुं० [सं.] खार (२) मीठु (३) भस्म क्वाँरा, क्वारा वि० (स्त्री०-री)कूवारुं क्षिति स्त्री० [सं.] पृथ्वी (२) स्थान; क्वारंटाइन पुं० [इं.] क्वॉरॅन्टीन
जगा. ०ज पुं० दृष्टिमर्यादा (२) झाड क्वार पुं० आसो मास लग्न थवं क्षिप्र वि० [सं.] तरत; जलदी (२) तेज; क्वारपन पुं० कुंवारापj. -उतरना = वेगीलु [गयेलं; पूरुं थयेलं क्विनाइन स्त्री० [इं.] 'कुनैन' दवा क्षीण वि० [सं.] दुबळं; कमजोर (२) घटी संतव्य वि० [सं.] माफ करवा जेवू; क्षम्य क्षीर पुं० [सं.] दूध (२) जळ [(३) कंजूस क्षण पं० [सं.] 'छन'; क्षण - पळ क्षुद्र वि० [सं.]नानु; अल्प (२) तुच्छ; नीच क्षणभंग (प.), ०र वि० [सं.] क्षणमां क्षुधा स्त्री० [सं.] भूख. •तुर, ०र्त वि० नाश पामे तेवू
भूख्यु. ०लु वि० खाउधरु; भुखाळवं. क्षणिक वि० [सं.] क्षण जेटलु; अनित्य -धित वि० भूख्यं अशांत; चंचळ क्षत वि० [सं.] घायल(२) पुं० घा; जखम क्षुब्ध, क्षुभित वि० [सं.] खळभळेल; क्षति स्त्री० [सं.] हानि; नाश; नुकसान क्षुर पुं० [सं.]छरो;अस्तरो(२)पशुनी खरी क्षत्र पुं० [सं.] क्षत्रिय (२) बळ (३) राज्य क्षुरी स्त्री० [सं.] छरी (२) पुं० वाळंद क्षत्राणी स्त्री० क्षत्रियाणी
(३) खरीवाळं पशु . क्षत्रिय, क्षत्री पुं० [सं.] क्षत्रिय जातिनो क्षेत्र पुं० [सं.] खेतर; जमीन (२) कार्यमाणस. -याणी स्त्री०
क्षेत्र (३) तीर्थस्थान (४) देह क्षपणाक पुं० [सं.] (बौद्ध के जैन) संन्यासी क्षेम पुं० [सं.] खेमकुशळ
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क्षोणि
क्षोणि, -णी स्त्री० [सं.] धरती; पृथ्वी. ०प पुं० राजा
क्षोभ पुं० [सं.] खळभळाट; व्याकुळता (२) क्रोध; रो
ख० वि०खाली (२) उज्जड; वेरान खार पुं० जुओ 'खखार' खखारना अ०क्रि० खोखारवु; खांसनुं खंग पुं० खड्ग; तरवार
गहा वि० दांत (२) पुं० गेंडो खंगारना, खँगालना स०क्रि० खखाळवं;
घो (२) खाली करवु; खंखेरी लेवु खंचना अ० क्रि० निशान पडवं; अंकावुं बँचाना स० क्रि० आंकवु; निशान पाडवु (२) जलदी जलदी लखवुं
जड़ी, - री स्त्री० बजाववानी खंजरी खंजर पुं० [ अ ] खंजर; कटार खँजरी स्त्री० जुओ 'खँजड़ी' खंड पुं० [सं.] भाग (२) खांड खंडन पुं० [सं.] भांगवं; तोडवं ते खंडनी स्त्री० सांथ; कर खंडर पुं० जुओ 'खँडहर ' खंडवानी स्त्री० खांडनुं पाणी ( २ ) जानैयाओने नास्तो पाणी शरबत इ० मोकल
खंडश पुं० चणाना लोटनुं एक पकवान खंडसार, -ल स्त्री० देशी खांडनुं कारखानुं
खंडसारी स्त्री० एक जातनी देशी खांड खंडहर, खंडर पुं० [खंड + घर] खंडेर खंडित वि० [सं.] भांगेलं; तूटेल; अपूर्ण
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खगना
क्षोम पुं० [सं.] शणियं ( २ ) वस्त्र क्षौर पुं० [सं०] हजामत क्ष्मा स्त्री० [ सं . ] पृथ्वी वेलिका स्त्री० [सं.] मश्करी; गमत
खंडिया स्त्री० नानो खंड - टुकडो खंडौरा पुं० जुओ 'ओला'; एक मीठाई ख़तरा पुं० खाडो; तराड; बखोल खंता पुं० (अल्प ० - ती स्त्री०) कोदाळो; पावडो [(२) खाघरो खंदक स्त्री० [अ.] किल्लानी खाई खंदा पुं० ( प. ) खोदना रो [ हसमुखुं खंदा पुं० [फा.] हास्य. ०रू, ०पेशानी वि० खंदी स्त्री० कुलटा खँधवाना स० क्रि० खाली कराववुं खंधार पुं० (प.) छावणी; डेरो; तंबू खंभ ( - भा) पुं० (स्त्री० - भिया) खंभो; थांभलो [डर (३) शोक खंभार पुं० ( प. ) गभराट; चिंता; (२) खई स्त्री० खई; क्षय (२) लडाई (३) झघडो [अनुभवी माणस खक्खा पुं० जुओ 'कहकहा' (२) खखरा पुं० देगडो (२) वांसनो टोपलो खखार पुं० गलफो, कफ इ० जे खांखारीने कढाय छे
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खखारना अ० क्रि० खोंखारवु; 'खखारना' खग पुं० [ सं . ] पक्षी (२) तीर (३) वादळ (४) चंद्र सूर्य के तारा (५) हवा खगना अ० क्रि० ( प. ) खची जवुं अंदर पेसी जबुं - भोंकावुं (२) मनमां चोंटी जव; असर थवी
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खगोल
१२६
खड़कना खगोल पुं० [सं.] गगन (२) खगोळविद्या खटपाटी स्त्री० खाटलानी पाटी.-लेना खग्रास पुं० पूर्ण ग्रहण (सूर्य के चंद्रन) =(स्त्रीए) रूसणुं लेवू खचना अ० क्रि० (प.) खची जवू; खटबुना पुं० खाटलो भरनारो अंदर जडाई जवं
खटमल पुं० [खाट+मल=मैल] मांकण खचरा वि० वर्णसंकर (२) दुष्ट खटमिट्ठा, खटमीठा वि० खटमधुरं खचाखच अ० खचोखच; ठसोठस खटराग पुं० खटखट; झंझट; बखेडो (२) खचित वि० [सं.] जडेलु; अंकित:
नकामी चीजोनो समूह खच्चर पुं० खच्चर; 'खचरा' खटवाट स्त्री० जुओ 'खटपाटी' खज वि० (प.) खाद्य
खटाई स्त्री० खटाश के खाटी वस्तु. खजला पुं० खाजु-एक पकवान -में डालना = एम- एम अनिश्चित खजानची पुं० [फा.]खचानची;कोशाध्यक्ष पड्युं राखवू. में पड़ना = एमनुं एम खजाना, खज़ोना (प.) [अ.] खजानो; अनिश्चित रहे,
तरत धनभंडार (२) राजभंडार
खटाखट पुं० खटखट अवाज (२) अ० खजुआ,-वा पुं० 'खजला'; खाजु खटाना अ०क्रि० खटाएँ; खाटु थर्बु (२) खजुली, -लाना जुओ 'खुजली, -लाना' नभवं; टकवू [अणबनाव खजूर पु०स्त्री० खजूर के तेनुं झाड (२) खटापट,-टी स्त्री० खटपट; झघडो; एक मीठाई (वि०-री)
खटाव पुं० निभाव; गुजारो खट पुं० खट अवाज. -से = तरत खटास स्त्री० खटाश खटक स्त्री० खटको; डर; चिंता (२) खटिक पुं० काछियो (२)खाटकी(स्त्री० खटकवू ते
खटकिन) खट (-ड) कना अ० क्रि० खटकवू; खट- खदिया स्त्री० खाटली; नानो खाटलो खट थq; मनमा लागवू (२) डर खटोलना, खटोला पुं० 'खटिया' (३) मनमां चिंता थवी (४) रही रहीने खट्टा वि० खाटुं. जी खट्टा होना=दिल पीडा थवी (५) आखडवू; झघडवं ऊतरी जवं; रुचि ना रहेवी खटका पुं० खटको (२) भय (३) चिंता खट्टाचूक वि० खाटुंचरड; खूब खाटुं खटकिन स्त्री० काछियण. (पुं० खटिक) खट्टा-मीठा वि० जुओ 'खटमिट्ठा'. जी खटकीड़ा (-रा) पुं० मांकण; 'खटमल' खट्टामीठा होना=मोंमां पाणी आव; खटखट स्त्री० खटखट (अवाज के ललचायूँ पंचात)(२) झघडो खखडाववू खट्टी स्त्री० खाटु लींबु [कमानार खटखटाना स० कि० खटखटाववं; खटू वि० खाटनार; लाभी जनार; खटना सक्रि० कमावू; खाटवं (२) खट्वा स्त्री० [सं.] खाटलो [छे ते अ.क्रि० कामधंधे लागवं
खडंजा पुं० फरस करवा ऊभी ईटो चणे खटपट स्त्री० खटखट अवाज (२) खड़ पुं० खड; घास अणबनाव; झघडो
खड़(-र)कना जुओ 'खटकना'...
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खड़खड़ाना १२७
खनना खड़खड़ाना अ० क्रि० खखडवू (२) खावी; दगामां फसावं. -होना= सक्रि० खखडाव
भूली जq (२) भूल थवी खड़खड़िया स्त्री० पालखी
खतावार वि० [फा.] गुनेगार; अपराधी खड़ग पुं० (प.) तलवार. -गी वि० खतियाना स० क्रि० खतव, तलवारवाळो [(२) ऊलटासूलटी खतियोनी स्त्री० खातावही (२) खतववं खड़बड़,-डाहट,-ड़ी स्त्री० खळभळाट ते (३) गामनी जमीन महेसूल वगेरेनुं खड़बड़ाना अ० क्रि० खळभळवू (२) तलाटीनुं पत्रक [विषुववृत्त स० क्रि० ऊलटसुलट करवू (३) खते-इस्तिवा पुं० [अ.] भूमध्य रेखा; खळभळाव
खते-जद्दी पुं० [अ.] मकरवृत्त । खड़बिड़ा वि० खडबचडं; असमान ।
खते-मुस्तकीम पुं० [अ.] सरळ रेखा खड़ा वि० खडु; ऊ, (२) तत्सर (३) खतौनी स्त्री० जओ 'खतियौनी' . चालु; जारी. खड़ा जवाब = साफ खत्ता १० खाडो (२) अन्न संघरवानी ना. खड़े खड़े-तरंत; झटपट
जगा (स्त्री०-ती) खड़ाऊँ स्त्री० खडाउ; पावडी खत्म वि० [अ.] 'खतम'; पूरु खड़िया, खड़ी स्त्री० खडी; खडी माटी खदंग पु. [फा., -गी स्त्री० तीर खड़ी-बोली स्त्री० पश्चिमी हिंदीनो- खदबदाना अ० क्रि० खदबदवू (दिल्लीनी आसपासनो) एक भेद खदरा वि० नकामु; रद्दी(२)पुं० खाधरो खड्ग पुं० [सं.] तलवार. -गी वि० खदशा पुं० [अ.] डर; भय तलवारवाळो
खदान स्त्री० खाण [(३) चंद्रमा खडु पुं० ब्रे पहाडो वच्चेनो ऊंडो मोटो खदिर पुं० [सं.] खेरनुं झाड (२) काथो
खाडो- ऊभी खीण (२) 'खड्ढा' खदीव पुं० [फा.] खुदावंद (२)शहेनशाह खड्ड, खड्ढा पुं० खाडो
(३) मिसरनो खेदीव खत पुं० [अ.] खत; पत्र (२) रेखा . खदेड़ (-र)ना स० क्रि० खदेडq;भगाडवू
(३) दाढीना वाळ (४) हजामत खद्दड़, -र पुं० खादी । खत [पुं० सं. क्षत] (प.) घा खद्योत पुं० [सं.] आगियो (२) सूर्य खत-किताबत स्त्री० खत-खुतूत पुं० खन पुं० (प.) क्षण (२) समय (३) पत्रव्यवहार; 'चिट्ठीपत्री' __ अ० तरत (४) खण अवाज (५) खतना पुं० [अ.] सुन्नत; मुसलमानी मकाननो मजलो; माळ खतम वि० [अ.] खलास; पूरुं. -करना= खनक पुं० [सं.] खोदनार (२) खाण (३) मारी नांखg; पूरुं करवं
भूस्तरशास्त्री (४) स्त्री० खणको खतर(-रा) पुं० [अ.] खतरो; जोखम; खनकना अ० क्रि० खणखण
भय. नाक वि० भयंकर; जोखमवाळू खनकाना,खनखनाना अ०क्रि० 'खनकना' खता स्त्री० [अ.] भूल; खत्ता (२) (२) स० कि० खणखणाववं अपराध (३) दगो. -खाना=भूल खनना स० क्रि० (प.) खोदवू; गोडवू
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खनि
खनि, - नी स्त्री० खाण (२) गुफा . ०ज वि० खाणमांथी नीकळतुं
खपची, च्ची स्त्री० खपाटियानो नानो टुकडो
खपड़ा, - रा पुं० [ सं . खर्पर] नळियुं खपड़ी स्त्री० कूंडा जेवुं एक माटीनुं वाण (२) खोपरी
खपड़ैल स्त्री० नळियांनुं छापरुं के घर खपत, ती स्त्री० खपत; मांग ( २ ) समावेश
खपना अ०क्रि० खपवुं (२) हेरान थ खपरा पुं० जुओ 'खपड़ा' खपरिया स्त्री० खापरियुं (२) नानुं नळियुं - 'खरा'
खपरैल स्त्री० जुओ 'खपड़ैल' खपाच, - ची स्त्री० 'खपची'; खपाटियुं खपाना स० क्रि० 'खपना' नुं प्रेरक खप्पर पुं० खोपरी (२) भिक्षापात्र.
-भरना = खप्परनां दारू वगेरे देवीने astaai (२) संतोष ; माग पूरी करवी खफ़क़ान पुं० [अ.] ( वि० - नी) गांडपण
फ़गी स्त्री० [फा] खोफ; कोप; नाराजी खफ़ा वि० [अ०] नाराज (२) क्रोध
गुस्सामां आवेल (नाम - फ़गी स्त्री ० ) खफ़ी वि० [अ.] झीणुं; बारीक ( अक्षर
माटे) (२) छूपुं; गुप्त खफ़ीफ़ वि० [ अ ] थोडं (२) तुच्छ (३) सामान्य (४) लज्जित
१२८
खबर स्त्री० [अ.] खबर; समाचार (२) होश; भान ( ३ ) जाण. -उड़ना = अफवा फेलावी. - लेना = मदद करवी (२) खबर लई नांखवी; सजा करवी खबरगीर [अ + फा.] जासूस ( २ ) संरक्षक; पालक
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खयाली
ख़बरदार वि० [फा.]होशियार; सावधान (स्त्री० -री)
खबररसाँ पुं० [अ. +फा.] खेपियो; दूत ख़बीस पुं० [अ.] खवीस; भूत; राक्षस खन्त पुं० [ अ ] ( वि० -ती) गांडपण;
धून; रंगीलापणुं [ भेळववु मिश्र कर खभरना स०क्रि० खभळे एम करवुं (२) खम पुं० [अ.] वांकापणुं झुकाव . झूकबुं (२) हारवु.
-खाना
जोरथी
- ठोककर = दृढ़तापूर्वक ; - ठोकना = कुस्तीमां जांघ ठोकी तैयार थव खम-दम पुं० साहस; पुरुषार्थ खमदार वि० [फा.] वांकुं; झूकेलं खमियाजा पुं० [फा.] आळसथी अंग मरोड के बगासु खावुं से (२) कर्मफळ भोगव ख़मीदा वि० [फा.] वळेलु; झूकेलं; नमेलं खमीर पुं० [अ०] आथो चडावे ते - खमीर (२) तमाकुनो शीरो; काकब (३) स्वभाव
खमीरा पुं० [ अ ] एक जातनी पीवा माटेनी तमाकुनी बनावट ( २ ) वि० पुं० मीठाईमां बनावेली (औषधि) खमीरी वि० खमीरवाळं (२) स्त्री०
खमीरवाळी एक जातनी रोटी खमोश खमोशी जुओ 'खामोश, - शी' खम्माच स्त्री० खमाच रागिणी स्त्री० (प.) क्षय [विश्वासघात खयानत स्त्री० [ अ ] बेईमानी; दगो; खयाल पुं० [ अ ] ख्याल (विचार; घ्यान;
स्मरण) (२) ख्याल - गानपद्धति खयालात पुं० [अ . ] 'खयाल' नुं ब०६० खयाली वि० [अ.] ख्याली; कल्पित (२) ख्यालने लगतुं
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खर १२९
खरी खर पुं०[सं.] गधेडो (२) खच्चर (३) खरहरा पुं० 'खरेरा'; खरेरो (२) खड; घास (४) वि० कठण; सखत सावरणो मेवो; खारेक ? (५) तेज; तीक्ष्ण (६) नुकसानकारक खरहरी स्त्री० नानो 'खरहरा' (२) एक खरक पुं० [सं. खडक] ढोरनो वाडो के खरहा पुं० ससलं चरो (२) खपाटियानुं बारj (३) खरा वि० तेज; तीक्ष्ण (२) खरं स्त्री० जुओ 'खटक'
(साचं; साफ; घणु शेकाई गयेखें इ०) खरकना अ० क्रि० जुओ 'खटकना' (३) स्पष्टवक्ता खरका पुं० दांतखोतरj. -करना= खराई स्त्री० खारापणुं (२) सवारना तेनाथी दांत साफ करवा [अवाज खावाना समयमां मोडं थवाथी, टेवने खरखर अ० ऊंघमां नाक बोलवानो
लीधे शरीरमां थती विक्रिया.-मारना खरखशा पुं० [फा॰] झघडो
=नास्तो करवो खरगोश पुं० [फा.] 'खरहा'; ससलं खराऊँ स्त्री० जुओ 'खड़ाऊँ खरच,-चा पुं० खरचो; खर्च
खराद पुं० [फा. खर्राद]खराद; संघाडो खरचना स० क्रि० खरचवं; वापर; (२) स्त्री० खरादवानुं काम । उपयोगमां आणवू
खरादना स० क्रि० खरादर्रा खरचीला वि० ओ 'खर्चीला' खरादी पुं० खरादवानं काम करनार खरदरा वि० खरबचडुं [बुद्धिन खराब वि० [अ.] खराब; बूरूं; नठाएं सर-दिमाग वि० [फा.] मूर्ख; गधेडानी (२) बेहाल; दुर्दशामा पडेलु. (नाम, वरनफ्स वि० [फा.] लंपट
-बी स्त्री०) तद्दन पायमाल खरब पुं० खर्व संख्या
खराब व खस्ता वि० [फा. खराबखास्ता; खरबूजा पुं० [फा.] खडबूचुं खराबा पुं० [फा.] बरबादी; खराबी खरभर पुं० खळभळ; शोर; गरबड । खराबात स्त्री० [अ.] उज्जड़ जमीन; खरभर (-रा)ना अ० क्रि० खळभळवं खराबो (२)वेश्यावाडो (३)दारून पीठे . (२) शोर मवाववो
खराबी स्त्री० जुओ 'खराब' मां खरमस्ती स्त्री० [फा.] दुष्टता खराश स्त्री० [फा.] 'खरोंच'; खसरको; खरमा (-वाँ)स पुं० मंगळ कार्य न कर- उझरडो; छोलावं ते
वाना-पोष अने चैत्र-मास . खरास स्त्री० [फा. खरीस] घंटी खरल पुं० वाटवानो खल. -करना = खरिया स्त्री० दोरीथी वणेली झोळा खलमां वाट
जेवी जाळी (२) छाणांनी राख (३) खरवास पुं० जुओ 'खरमास' जुओ 'खड़िया' खरसा पुं० एक पकवान (२) उनाळो खरियाना स० क्रि० 'खरिया'मां भरवं (३) खरडियुं (४) खुजली; लूखस. (२) कबजे करवं -सैला वि० खुजलीवाळं (पशु) खरिहान पुं० जुओ 'खलियान' खरसान स्त्री० धार काढवानो पथ्थर खरी स्त्री०जुओ खड़ी'(२)खोळ; खली'
हि-९
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खरीता
खलीता खरीता पुं० [अ.] (स्त्री० -ती) थेली खलक पुं० खलक; जुओ 'खल्क' (२) खीसु (३) खरीतो
खलक-खुदा पुं०, खलकत स्त्री० खरीद स्त्री० [फा.] खरीदवं ते के ईश्वरनी सृष्टि । खरीदेली चीज
खलखलाना अ० क्रि० खळखळवू खरीदना स० क्रि० खरीदवं; वेचातुं लेवू खलड़ा पुं० खाल; काचुं चामडु खरीद-फरोख्त स्त्री० [फा.] क्रय-विक्रय खलड़ी स्त्री० खालडी; खाल (२) खरीदेली चीज
खलना अ० क्रि० बुरुं, माटु लागवू खरीदार पुं० [फा.] खरीदनार; घराक खलफ़ पुं० [अ.] पुत्र (२) वारस । खरीदारी स्त्री० [फा.] घराकी; खपत खलब (-भ)ल,-ली स्त्री० खळभळ; खरीफ़ स्त्री० [अ.] खरीफ-चोमासु पाक __ 'खरभर' (२) खळखळवू खरोंच (-ट) स्त्री० छोलावानुं चिह्नः खलब (-भ)लाना अ० क्रि० खळभळवू 'खराश' (२) एक पकवान खलल पुं० [अ.] खलेल; हरकत खरोंच (-ट)ना स० क्रि० छोलवू खलल-अंदाज वि० खलेल पाडनार खरोट, ना जुओ 'खरोंच, खरोंचना' खलवत स्त्री० [अ.] एकांत खरोश पुं० [फा.] शोर-बकोर खलवत-खाना पुं० खानगी वात माटेनी खरोष्ट्री,-ठी स्त्री० खरोष्ठी लिपि बेठक; खलबत (२) जनानो खर्च,-र्चा पुं० [अ. खर्ज] खरच खला पुं० [अ.] खला; खाली जगा (२) खर्चना स० क्रि० जुओ 'खरचना' आकाश (३) जाजरू खोतरj खर्चीला वि० खरचाळ; उडाउ खलाल वि० [अ.] (धातुनू) दांत खजूर पुं० [सं.] खजूर के तेनुं झाड खलास वि० [अ.] पूरु; खलास (२) खर्पर पुं० [सं.] खप्पर (२) खोपरी __ मुक्त (३) च्युत; भ्रष्ट खर्ब,- पुं० सो अबज; खर्व संख्या (२) खलासी पुं० खलासी (२) स्त्री० वि० नानू (३) ठींगणुं
__ मुक्ति; छुटकारो खर्रा पुं० खरडो (२) लांबो हिसाब खलित वि० (प.) स्खलित; खरेलू के दस्तावेजनो कागळ
खलिया(-हा)न पु० खळं (२) 'ढेर' खर्राच वि० [फा.] खरचाळ; उडाउ । खलियाना स० क्रि० खाल उतारवी खर्राटा पुं० ऊंघमां नाक बोलवानो (२) खाली करवू अवाज. -भरना, मारना, लेना=3 खलिश स्त्री० [अ.] पीडा (२) चिता घसघसाट ऊंघवं
(३) डंखवू ते खर्व पुं० जुओ 'खर्ब'
खलिहान पुं० जुओ 'खलियान' खल वि० [सं.] धूर्त; दगाबाज (२) खली स्त्री० खोळ मिलनसार दुष्ट; नीच (३) निर्दय; क्रूर (४) खलीक वि० [अ.] सुशील; सज्जन; निर्लज्ज (५) पुं० वाटवानो खल. ०ई। खलीज स्त्री० [अ.] अखात; खाडी. (प.) स्त्री० दुष्टता; सलता खलीता पुं० [फा.] जुओ 'खरीता'
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खलीफ़ा
१३१ खलीफ़ा पुं० [अ.] अध्यक्ष (२) बुजरग खसलत स्त्री० [अ] स्वभाव; प्रकृति (२) (३) खलीफ (४) हजाम (५) दरजी आदत; टेव
पाडवू (६) बबरची .
खसाना सक्रि० नीचे खसेडवू; नीचे खलील पुं० [अ.] साचो मित्र खसासत स्त्री० [अ.] 'खसीस'-पणं खलु अ० [सं.] खरेखर; नक्की; अवश्य खसिया, खसी पुं० बकरो (२) खसी खल्क स्त्री० [अ.] खलक; सृष्टि (२) ___ करेल. पशु (३) नपुंसक मनुष्यमात्र
खसीस वि० [अ.] कंजूस खल्लड़ पुं० 'खलड़ी'; खालडी (२) ।
खसोट,-टी स्त्री०('खसोटना' परथी नाम) मशक के चामडानो थेलो (३) खल खसोटना स० क्रि० जोरथी उखाडवू, (वाटवानो) [रोग (२) तालियो खेंच (२) छीनवं खलवाट पुं० [सं.] ताल पडी जवानो खस्ता वि० [फा.] छुट; भभरु (२) खवा पुं० खभो [कूवास्तंभनो खाडो दुःखी (३) भांगेलं (४) घायल खवाई स्त्री० खावं ते (२) वहाणना (नाम, -स्तगी स्त्री०) खवाना स० क्रि० 'खाना' नुं प्रेरक खस्सी पुं० [अ.] जुओ 'खसी' खवा(-व्वा)स पुं० [अ.] खवास; दास खाँ पुं० जुओ 'खान' खवासिन स्त्री० दासी; खवासण खाँखर वि० पोलु (२) काणांकाणांवाळ खवासी स्त्री० खवासनुं काम; चाकरी खाँग पुं० कांटो (२) गेंडा के सूवरनो खवैया पुं० खानार
आगळनो दांत के शिंगडु (३) स्त्री० खशखाश स्त्री० [फा. खसखस कमी; ऊणप खस स्त्री० [फा. वीरणनो वाळो-खस खाँगना अ०क्रि० कमी थर्बु (२) लंगडा खसकना अ० क्रि० खसवं; सरकवू खाँगी स्त्री० कमी; 'खाँग' (धीमेथी, चूपचाप)
खाँचा पुं० (स्त्री० -ची)टोपलो झाबा' खसख (-खा)स स्त्री० जुओ 'खशखाश' खांड़ स्त्री० साफ कर्या वगरनी खांड खसखसा वि० भभरु; छुटुं (२) बारीक; (२) (प.) खाडो ।
खसखस जेवू घर के ओरडो खाँड़ना स० क्रि० खंडवू; तोडवू (२) खसखाना पुं० [फा.]खसनी टट्टीओ बांधेलं चाव, (३) खांड खसखास स्त्री० जुओ 'खशखाश' खाँडा पुं० खांडु (२) खंड; भाग खसना अ०क्रि० (प.) खसवं; 'खसकना' । खाँभ पुं० 'खंभा'; थांभलो (२) खसम पुं० [अ.] खसम, पति (२) मालिक परबीडियु; 'खाम' कर, (३) 'खस्म;' शत्रु
खांभना स० क्रि० परबीडियामां बंध खसरा पुं० [अ.] तलाटी- खेतरोने खाँवा पुं० पहोळी खाई अंगेनं पत्रक (२) काचो रोजमेळ (३) खाँसना अ० क्रि० [सं. कासन] खांसवं 'खारिश'; खूजली (४) ओरी-माता खाँसी स्त्री० उदरस नीकळे ते
खाई स्त्री० (कोट इ० नी) खाई
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खाऊ ..
१३२
खाना-खुदा खाऊ वि० खाउधरु; खूब खानार खातिरदारी स्त्री० [फा.] खातरदारी; खाक स्त्री० [फा.] खाख; धूळ. -उड़ना बरदास; आदर [खातरी. =नाश थई जवू;धूळ ऊडवी. -उड़ाना खातिरी स्त्री० खातर; आदर (२) या छानना= मार्या मार्या फरवं. खाती स्त्री० सुतार (२) खोदेली जमीन -छाननाखूब तपास करवी खातून स्त्री० [तु.] मोटा घरनी खानखाकसार वि० [फा॰] अल्प; तुच्छ दान स्त्री [खातर नांखवू खाक-स्या(-सिया)ह वि० [फा.] धूळ- खाद स्त्री० खातर. -डालना, देना=3 धाणी-बळीने खाख थयेलं
खादर पं० नीची क्यारीनी जमीन खाका पुं० [फा.] कशानी योजनानुं । खादिम पुं० [अ.] खिदमतगार; नोकर स्वरूप (२) अंदाजपत्र (३) खरडो. खाद्य वि० [सं.] खावा जेवं (२) पुं० -उड़ाना= मश्करी करवी . खोराकनी चीज तेनी रीत के सामग्री खाकी वि० [फा.] माटीना रंगनुं (२) । खान स्त्री० खाण (२) [स.] खावू ते के वगर पायेलु खेतर (३) पुं० राख खान पुं० [तु.] खां; खान; सरदार चोळनार एक वैष्णव साधु (४) खानए-खुदा पुं० [फा. मस्जिद खाकीशाहनो अनुयायी भोंकावू खानक पुं० खाणियो; खाण खोदनार खागना अ० कि० जुओ 'खाँगना' (२) (२) कडियो खाज स्त्री० खूजली
. खानकाह स्त्री० [अ.] फकीरोनो तकियो खाजा पुं० खाद्य (२) खाजु
खानखानां पुं० [फा.] खान-खानान; खाट स्त्री० खाटलो; पलंगडी
खानोनो खान [स्त्री० वेश्या खाट-खटोला पुं० खाटलापाटला इ० खानगी वि० [फा॰] खानगी; अंगत (२) घरवखरी; बिस्त्रो-पोटलां
खानदान पुं० [अ.] वंश; कुल. -नियत खाड़ी स्त्री० दरियानी खाडी स्त्री० खानदानी; कुलीनता.-नी वि० खात पुं० [सं.] खोदेलं ते-तळाव, खानदानवाळं; कुलीन रीत कूवो के खाडो
खानपान पुं० [सं.] खावूपीq ते के तेनी खातमा पुं० [फा.] खातमो (मृत्यु के अंत) । खानम स्त्री० खाननी स्त्री; बेगम; खाता पुं० वखार (२) खातुं
- कुलीन स्त्री
रसोइयो खातिम पुं० [अ.] खतम करनार खानसामाँ,-मा पुं० [फा॰] अंग्रेजी ढबनो खातिर स्त्री० [अ.] खातर; बरदास; खाना स० क्रि० खात् (२) करडवू; सन्मान (२) अ० खातर; माटे. -में डस. मुंहकी खाना खूब नीचुं जोवू आना = ध्यानमां आवq (२) लेखावं; (२) हार के, डाकखाना) वखणावं
खाना पुं० [फा.] घर; जगा; खानु(जेम खातिर-ख्वाह अ० इच्छा मुजब खाना-खराब वि० खराबखास्ता; पायखातिर-जमा स्त्री० [अ.]विश्वास खातरी माल (२)लफंगु; 'आवारा' (नाम.-बी) खातिर-तवाजा स्त्री० [अ.] आदरसत्कार खाना-खुदा पुं० [फा.] मसीद
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खाना-जंगी
खाली खाना-जंगी स्त्री० घरनी लडाई (२) खार पुं० क्षार (२) खारी माटी (३) धूळ आंतर-युद्ध; यादवी
खार पुं० [फा.] कांटो (२) खार; द्वेष. खानाजाद पुं० [फा.] दास; गुलाम -खाना=दाझे बळवू; द्वेष राखवो। खाना-तलाशी स्त्री० [फा॰] झडती;तपास खारवा पुं० खारवो; खलासी (२) लाल खाना-दामाद पुं० घरजमाई
जाडु एक जातवें कपडु; 'खारुवा' खानादार पुं० [फा॰] गृहस्थ. -री स्त्री० खारा वि० खारु (२) पुं० एक चोखंडो [फा. गृहस्थीनुं कामकाज
— टोपलो (३) [फा.] एक जात- लीटीखाना-नशोन वि० [फा.] (नाम. -नी) दार कपडु
कामकाज छोडी घर पकडीने बेठेलुं खारिक पुं० खारेक [अलग; भिन्न खाना-पुरी स्त्री० [फा॰] कोठानां खानां खारिज वि० [अ.] बहिष्कृत; बातल (२)
भरवां ते (२) वखत विताडवो ते खारिश (-त) स्त्री० [फा॰] खूजली खाना-बदोश वि० [फा.] घरबार वगरनुं खारी वि० खारुं; 'खारा' । (नाम, -शी स्त्री०) [घरोनी गणतरी ___खारुआँ (-वा) पुं० एक जातनो लाल खाना-शुमारी स्त्री० [फा.] (गामनी) रंग के ते रंगवाळं कपडु खाना-साज वि० [फा.] घेर बनेलं खाल स्त्री० खाल; चामडी (२) नीची खानि स्त्री० [सं.] खाण. ०क स्त्री० जमीन (३) खाडी (४) खाली जगा (प.) खाण
खाल पुं० [अ.] शरीर परनो तल खाब पुं० (प.) ख्वाब; स्वप्न
खाल-खाल वि० कोई कोई; थोडुक; खाम वि० [फा.] (नाम, -मी) कमी; एकलदोकल अधूरूं; काचुं; खामीवाळ. -करना= खाल (-लि) सा वि० (२) पुं० जुओ ढांक, बंध करQ .
'खालिसा'. -करना, खालसे लगाना= खाम पुं० 'खाँभ'; परबीडियु (२)सांधो . जप्त कर, (२) खतम करवू (३) खंभ; थांभलो
खाला वि० नीचुं. -ऊँचा ऊंचुंनीचुं; खाम-खयाल वि० [फा.] गेरसमजु; असमान (२) सारुंनरसुं
बेवकूफ [भूलभरेलो ख्याल खाला स्त्री० [अ.] मासी. -जीका घर खाम-खथाली स्त्री० [फा.] खोटो- सहेलं काम खामखाह (-ही) अ० खामुखा खालिक पुं० [अ.] सरजनहार; ईश्वर खामना स० क्रि० 'खाँभना' (२) माटी खालिस वि० [अ.] शुद्ध; निर्भेळ । के लोढयी कशानं मों बंध करवं खालिसा वि० [अ.] खालसा-केवळ एक खामोश वि० [फा. चप; शांत; मौन ज मालकीनी के सरकारी (जमीन) (नाम, -शी स्त्री०)
(२) पुं० शीख पंथ खायफ़ वि० [अ.] कायर; डरपोक खाली वि० खाली; ठालु; रहित; नकामुं खाया पुं० [फा.] मरनीनुं ईंडु (२) (२) अ० फक्त;. केवळ. -जाना = * अंडकोश
खाली, नकामुं जर्बु (जेम के निशान)
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खालू खालू पुं० [ अ ] मासो खाविंद पुं० [फा.] खसम; पति (२) मालिक खास वि० [ अ ] खास; विशेष; 'आम' थी ऊलटुं (२) पोतानुं खुद. - कर = खास करीने; प्रधानतः खास-क़लम पुं० [ अ ] खानगी, मंत्री खासगी पुं० [अ०] राजा के उमरावनो साथी ( २ ) स्त्री० रखात खासदान पुं० [अ + फा.] पानदानी खास-बरदार पुं० [फा.] राजा के मोटा सरदार आगळ चालतो सिपाही खासा पुं० [ अ ] राजभोग; मोटा लोक खाणुं (२) एक जातनुं मलमल (३) वि० खासुं : रूडुं (४) स्वस्थ; नीरोगी (५) सुंदर (६) पूरुं खासियत स्त्री० [अ.] खास गुण; लक्षण; स्वभाव; विशेषता
खासी वि० स्त्री० 'खासा नुं स्त्री० (२) स्त्री० राजानी खास तलवार के बंदूक इ०
ख़ासा पुं० [ अ ] खास गुण; खासियत खाह-मखाह अ० खामुखा खिचना अ० क्रि० खेंचवुं (२) अनुराग कम थवो (३) भाव तेज थवो. (प्रेरक - खिचाना, खिचवाना) खिचाई अ० क्रि० खेंचवानी क्रिया के तेनी मजूरी
खिचड़वार पुं० मकरसंक्रांति खिचड़ी स्त्री० [सं. कृसर] खीचडी (२) 'खिचड़वार' - पकाना = गुप्त कांई सलाह थवी. ढाई चावलकी खिचड़ी अलग पकाना = सौनी संगति विरुद्ध के अलग कांई कर [ते; खेंच; ताण खिचांव पुं०, ०ट, हट स्त्री० खेंचबुं
१३४
खिराम
खिज ( - झ ) ना अ० क्रि० खिजावुं खिजलाना अ० क्रि० खिजावुं (२) स० क्रि० खीजवनुं खिजां स्त्री० [फा.] हेमन्त; पानखर ऋतु खिजा (०व ) ना स० क्रि० खीजवनुं खिजाब पुं० [ अ ] वाळनो कलप खिजालत स्त्री० [अ०] शरम; लज्जा खिझना अ० क्रि० जुओ 'खीजना' खिझा ( ० ब) ना स०क्रि० जुओ 'खिजाना' खिड़की स्त्री० बारी ख़िताब पुं० खिताब; इलकाब खिता पुं० [अ०] देश प्रदेश खिदमत स्त्री० [.] सेवा; बरदासचाकरी खिदमतगार, - गुज़ार वि० [फा.] ( नाम, - री) स्वामीभक्त सेवक खिदमती वि० खिदमतगार; सेवा करनार (२) खिदमत संबंधी खिन पुं० ( प. ) क्षण - खिन = प्रतिक्षण खिनखिनाना अ० क्रि० नाकमांथी गणगणता रोखुं
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खिन्न वि० [सं.] उदास; शोकातुर खिपना अ० क्रि० (प.) खपवुं (२) - मां मग्न थ; खूपवुं खियानत स्त्री० जुओ 'खयानत ' खियाना अ० क्रि० घसाई जवुं (२) 'खिलाना' [ हांसी; खेल खियाल पुं० ख्याल; विचार (२) खिरद स्त्री० [फा.] अक्कल ख़िरद-मंद वि० [फा.]अक्लमंद बुद्धिशाळी खिरनी स्त्री० रायण के रायणुं खिरमन पुं० [फा.] जुओ 'खलियान ' खिराज पुं० [अ.] कर; मालगुजारी; सांथ (२) खंडणी
खिराम स्त्री० [फा.] चाल (२) मस्त चाल
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विराम
१३५
-
खिरामा वि० [फा.] मस्तानी चाले चालनाएं. - खिरामाँ = धीरे धीरे; मस्त चाले ( चालवु ) खिलंदरा ( - ड़ा ) वि० खेलतुं कूदतुं खिलअत स्त्री० [अ०] खिल्लत; राजा तरफथी माननो पोशाक
'खिलक़त स्त्री० [अ.] सृष्टि (२) भीड खिलकौरी स्त्री० खेल; गमत खिलखिलाना अ० क्रि० खीखी के
खडखड हरा
खिलत ( - ति) स्त्री० जुओ 'खिलअत ' खिलना अ० क्रि० खीलवुं (२) शोभवुं (३) वच्चेथी फाटवुं (४) अलग अलग थ; छूटुं पडवुं खिलवत स्त्री० [ अ ] 'खलवत'; एकांत जगा. - खाना = 'खुलवत-खाना' खिलवाड़ (-र ) पुं० जुओ 'खेलवाड़' खिलाई स्त्री० खावुं के खवडाववुं ते (२) आया; बच्चाने राखनार स्त्री खिलाऊ वि० उदार
खिलाड़ (-डी) पु० (स्त्री० - डिन) खेलाडी (२) जादूगर
खिलाना स० क्रि० 'खेलना', 'खाना',
'खिलना' नुं प्रेरक खिलाफ़ वि० [ अ ] सामेनुं; विरुद्ध खिलाफ़ क़ानून वि० [फा.] गैरकायदे; कायदा विरुद्ध
पद
ख़िलाफ़ - गोई स्त्री० [फा.] जूठं बोलवं ते खिलाफ़त स्त्री० [अ.] इस्लामना खलीफनुं [[फा.] रूढि विरुद्ध खिलाफ़ - दस्तूर, खिलाफ़-मामूल वि० खिलाफ़ - मरजी वि० [फा.] मरजी विरुद्ध खिलाफ़ - वर्ज़ी स्त्री० [अ. + फा.] अवज्ञा (२) अयोग्य वर्तन
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खीसा
खिलाल स्त्री० [अ.] रमत के बाजीमां हार (२) जुओ 'खलाल' (३) अंतर खिलौना पुं० खिलोणुं; रमकडुं खिल्त पुं० [ अ ] शरीरनी कफ धातु खिल्त मिल्त वि० मिश्रित; भेगुं खिल्ली स्त्री० खेल; हांसी; मजाक ( २ )
पाननुं मोटुं बीडुं (३) खीली खिश्त स्त्री० [अ . ] ईंट (वि० - श्ती) खिसकना अ०क्रि० जुओ 'खसकना ' खिसाना अ०क्रि० जुओ 'खिसियाना' खिसारा पुं० [ अ ] घट; खोट; हानि खिसियाना अ०क्रि० खिसियाणुं पडवु शरमा (२) रितावुं
खिसी स्त्री० शरम (२) धृष्टता खोंच स्त्री० खेंच [खेंचताण खींचतान, खींचाखोंची, खींचातानी स्त्री० खींचना स० क्रि० खेंचबुं खीज, -झ स्त्री० खीज [खिजावुं खीज ( झ ) ना अ०क्रि० 'खिजना';खीजवुं; खीन वि० क्षीण [नाम, ता, ताई ] खीमा पुं० [ अ ] 'खेमा'; तंबु खीर स्त्री० दूधपाक [ प्राशन कराववुं खीर चटाना = बाळकने पहेलवहेलुं अन्नखीरा पुं० [सं. क्षीरक] काकडी जेवुं एक [जुओ 'खिरनी' खीरी स्त्री० ढोरनुं बावलुं; 'बाख' (२) खील स्त्री० धाणी (२) कील; खीली खीला पुं० खीलो
फळ
खीली स्त्री० 'खिल्ली'; पाननो बीडी खीवन, नि स्त्री० मदनी मस्ती खीस स्त्री० खीज; क्रोध (२) लज्जा;
शरम (३) दांतरापणुं (४) करेटुं (५) वि० नष्ट; पायमाल
खीसा पुं० [फा.कीसा] खीसुं (२) थेली
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खुआर
खुदा-दाद खुआर वि० खुवार; 'ख्वार' (नाम-री) खुदकुशी स्त्री० जुओ 'खुदकशी' खुक्ख वि० शुष्क; खाली; निर्धन [शस्त्र खुद-गरज वि० [फा.] आपमतलबी; खुखड़ी स्त्री० (दोरानु)कोकडु(२)कूकरी स्वार्थी. (नाम -जो स्त्री०) . खुगीर पुं० [फा. खोगीर] खोगीर; खुददार वि० स्वमानी.-रीस्त्री०स्वमान . घोडानुं जीन; नमदो. -को भरती = खुदना अ० क्रि० खोदावं
नकामी वस्तुओ के लोकोनो जथो खुद-नुमा वि० [फा.] (नाम, -माई खुचर, खुचुर स्त्री० खणखोद; दोषदृष्टि स्त्री०) अभिमानी; आप-वडाई करनार खुजलाना स० क्रि० खंजवाळवू (२) खुद-परस्त वि० [फा.] स्वार्थी; मतलबी अ० कि० खंजवाळ आववी
(२) मगरूर
स्वतः खुजलाहट स्त्री० खंजवाळ; खुजली खुद-ब-खुद अ० [फा.] पोतानी मेळे; खुजली स्त्री० खुजली
खुद-बीनी स्त्री० [फा.] गर्व; घमंड खुजाना स० क्रि० (२) अ० क्रि० जुओ खुद-मतलब वि०, -बी स्त्री० जुओ 'खुजल,ना'
[आशंका 'खुदग़रज, -जी' खुटक स्त्री०,-का पुं० 'खटक'; खटको; खुद-मुखतार वि० [फा.स्वतन्त्र; आझाद. खुटकना स० क्रि० खूट; उपरथी ट्रंप (नाम -री स्त्री०) । खुटका पुं० जुओ 'खुटक'; खटको खुदरा पुं० फुटकळ चीज खुटचाल स्त्री०खोटी-बदचाल(वि०-ली) खुदराई स्त्री० [फा.] स्वेच्छाचार खुटना अ० क्रि० खूटवू; पूरुं थQ खुदराय वि० [फा.] स्वेच्छाचारी खटपन (-ना) पं०; खुटाई स्त्री० खुदरौ वि० [फा.] आपोआप ऊगनाएं; खोटापणुं; दोष
जंगली (झाड के छोड) खुटाना अ०क्रि० जुओ 'खुटना' खुदवाई स्त्री० खोदवानुं काम के मजूरी खुट्टी स्त्री० रेवडी
खुदवाना स० क्रि० खोदाववं खुट्ठी स्त्री० जुओ 'खुरंड' [पगनी बेठक खुद-सिताई स्त्री० [फा.] आत्मश्लाघा खुड्डो (-ड्ढी) स्त्री० जाजरूनो खाडो के खुदा पुं०खुदा परमेश्वर. खुदा करके = खुतबा पुं० [अ.] तारीफ; स्तुति (२) बहु महेनत-मुश्केलीथी.-का कारखाना प्रवचन (जेम के, जुमानी नमाज बाद, पुं० दुनिया. -का घर पुं० मसीद पेगंबर वगेरेनी प्रशंसा करीने अपातुं) । (२) स्वर्ग. -की मार स्त्री० ईश्वरी खुत्थी, -थी स्त्री० खूपरो; जडियुं (२) कोप- शाप. -को दरमियान देना=. अनामत (३) पैसा राखवानी वांसळी ईश्वरने साक्षी राखवो । (४) संपत्ति [आपोआप खुदाई स्त्री० जुओ 'खुदवाई' खुद अ० [फा.] स्वयं ; जाते. -ब खुद= । खुदाई स्त्री० [फा.] ऐश्वर्य (२) सृष्टि खुदक (-कु) शी स्त्री० [फा.] आत्महत्या । खुदा-तर्स वि० [फा.] ईश्वरथी डरनार खुद-काम, गरज वि० [फा. स्वार्थी; (२) दयाळु आपमतलबी
खुदा-दाद वि० [फा.] ईश्वरदत्त
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सुर्वी
खुदानखवास्ता
१३७ खुदानखवास्ता = खुदा न करे; न करे खुरचन स्त्री० खुरचन; उखाडी उझरडी नारायण
एकळं करेल ते खुदा-परस्त वि० [फा.] ईश्वरभक्त . खुरचना [सं. क्षुरण] उखाडवू; उझरडवू खुदाया अ० [फा.] या खुदा! हे राम! खुरजी स्त्री॰ [फा.] खुरजी(२)मोटो थेलो खुदावंद पुं० [फा.] मालिक; स्वामी (२) खुरदरा वि० जुओ 'खरदरा'
मोटा लोक माटे संबोधन - खुदावंत खुरदा पुं० जुओ 'खुर्दा'. -करना= खुदा-हाफ़िज़ श० प्र० [फा.] खुदा- परचूरण कराववं, वटावq हाफेज; 'ईश्वर तमारुं रक्षण करो' खुरपका पुं० ढोरनो (मों के खरीनो) एवो विदाय-बोल
एक रोग खुदी पुं० [फा.] अभिमान; शेखी खुरपा पुं० [सं. क्षुरप्र] मोटी खूरपी खुद्दी स्त्री० चोखादाळ वगेरेनू कोरम खुरपी स्त्री० खूपी [नाळ जडवी ते खुनक वि० [फा.] ठंडु; शीत खुर-बंदी स्त्री० घोडा इ० नी खरीए नुनकी स्त्री० [फा. ठंडक; शरदी खुरमा पुं० [अ.] खुरमुं- एक मीठाई खुनखुना पुं० बच्चानु रमकडं-धूघरो (२) खारेक खुनस स्त्री० (वि०,-सी) खुन्नस; क्रोध खुरशीद पुं० [फा.] खुरशेद; सूरज खनसाना अ० कि० क्रोधे भरावं खुराक स्त्री० [फा.] खोराक (२) खुफ़िया वि० [अ.] गुप्त; छु दवानो डोझ [वधारे खानारुं खुफ़िया पुलिस स्त्री० छूपी पोलीस खुराकी स्त्री० [फा.] खोराकी (२) वि० खुभना अ०क्रि० 'चुभना';खूप;भोंकावू खुराफ़ात स्त्री० [अ.] बेहूदी नकामी खुभी,-भिया स्त्री० कान- लविगियुं ___वात (२) गाळ (३) बखेडो (२) हाथीना दांत पर घलाती खोळी खुरिश स्त्री० [फा.] खावापीवानी खुम पुं० [फा.] दारूनुं वासण. . ०कदा, सामग्री; सीधुंसामान
०खाना पुं० दारूनी दुकान खुरी स्त्री० खरीन चिह्न खुमरा पुं० (स्त्री०-री) एक मुसलमान
खर्द वि० [फा.] नान; छोटुं; सूक्ष्म फकीर
खुर्दबीन स्त्री० [फा.] सूक्ष्मदर्शक यंत्र खुमार अ.] पु०, -री स्त्री० खमारी; खुर्दबुर्द अ० [फा.] नष्ट-भ्रष्ट; खेदानमद (२) नशो ऊतर्ये जणाती थकावट मेदान (३) जागरणनी असर
खुदरा वि० जुओ 'खुरदरा' खुमी स्त्री० दांतमा जडावाती सोनानी खुर्द-साल वि० [फा.] उमरमां नानु. खीली (२)हाथीना दांत पर चडाडाती -ली स्त्री० नानपण खोळी (३) बिलाडीना टोप जेवी खुर्दा पुं० [फा.] परचूरण; खुरदो (२) वनस्पति
नानी मोटी चीज. -फ़रोश पुं० फुटखुर पुं० [सं.] चोपगानी खरी कळ चीजोनो वेपारी खुरखुरा वि० खरबचडु; 'खरदरा' खुर्दी स्त्री० [फा.] नानपण
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खुर्रम
१३८
डूंटी खुर्रम वि० [फा.] प्रसन्न; खुश (नाम खुश-बू स्त्री० [फा.] खुशबो; सुगन्ध, -मी स्त्री०) .
०दार वि० सुगन्धी खुटि वि० वद्ध अनुभवी (२) लुच्चु खुश-मिजाज वि० [फा॰] प्रसन्न; खुश
चालाक खुलासाथी; बरोबर खुशहाल वि० [फा.] खुशाल; सुखी खुलना अ० क्रि० खूलवू. खुलकर = । (नाम -ली स्त्री०) खुला वि० खुल्लू
खुशामद स्त्री० [फा.] खुशामत खुलासा वि० [अ] खुल्लु (२) पुं० । खुशामदी वि० [फा.] खुशामतियु. टट्ट सारांश. (३) खुलासो [श्रद्धा पुं० खुशामतियो [इच्छा; मरजी खुलूस पुं० [अ.] सरळता; पवित्रता (२) खुशी स्त्री० [फा.] आनंद; राजीपो (२) खुले आम, -खजाने, -बंदाँ, -बाजार, खुश्क वि० [फा.] शुष्क; सूकुं (२) -मैदान, खुल्लमखुल्ला अ० जाहेरमा; नीरस. ०साली स्त्री० सूकुं वर्ष खुल्लंखुल्ला.
खुश्की स्त्री० [फा.] शुष्कता (२)खुशकी; खुल्क पुं० [अ.] सुशीलता; सज्जनता
जमीनमार्ग (३) अकाळ; सूकुं वर्ष खुश वि० [फा.] खुशी; राजी (२) सारु
खुसर पुं० [फा.] ससरो खुश आमदेद [फा.] भले पधार्या
खुसरवाना वि० [फा.] शाही; राजवी खुशकिस्मत वि० (नाम, -ती स्त्री०)
खुसरू पुं० [फा.] बादशाह नसीबवान; भाग्यशाळी खुशको स्त्री० जुओ ‘खुश्की'
खुसिया पुं० [अ.] अंडकोश खुश-खत वि० [फा॰] सुंदर अक्षरवाळू (२)
खुसुरफुसुर स्त्री० जुओ ‘कानाफूसी'; पुं० सुंदर लखाण
गुसपुस (२) अ० धीमे; गुचपुच खुशखबरी स्त्री० [फा॰] खुश खबर;
खुसूफ़ पुं० [अ] चंद्र ग्रहण शुभ समाचार
खुसूमत स्त्री० [अ.] दुश्मनी खुश-खुराक वि० [फा.] खावामां शोखीन खुसूस अ० खसूस; खास. न अ० [अ.] खुश-खुल्क वि० [फा.] उत्तम स्वभावचें;
खास करीने; खसूस विशेषता सज्जन
खुसूसियत स्त्री० [अ.] खासियत; खुश-गवार वि० [फा.] प्रिय; मनोहर खूखार वि० [फा. लोही पीनार (२) खुशगुल वि० [फा.] मधुर स्वरवाळू खूनखार; क्रूर; भयंकर खुश-जायका वि० [फा.] स्वादिष्ट खूट पुं० खूणो (२) तरफ; बाजु (३) खंड खुश-दामन स्त्री० [फा] सासु
(४) स्त्री० काननो मेल (५) पूछपरछ; खुश-दिल वि० [फा.] आनंदी; प्रसन्न टोकवू ते [खूटq; कम थवं हसमुखं. (नाम -ली स्त्री०) खूटना सक्रि० पूछवं गाछवं;टोकवू(२) खुश-नसीब वि० [फा. नसीबदार (नाम खूटा पुं० ढोरनो खीलो; खूटो -बी स्त्री०) [स्त्री॰) । खूटी स्त्री० खूटी; खीली (जेम के सतार खुशनुमा वि० [फा.] सुंदर (नाम ०ई इ०नी) (२) छोडनु ठूठियुं खेतरमां खुश-बस्त वि० - [फा.] सुखी
रही जाय ते (३) सीमा; हद
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बूंदना
खेवना खूदना अ० क्रि० खूदq; गूंदवू (२) । करी सारी खेती करवी (२) पाक ऊछळीने गदडवू
उत्पन्न करवो. -करना= लडवू; युद्ध खरेज वि० [फा.] लोही रेडनारुं करवं. -रहना=जुओ 'खेत आना' खरेजी स्त्री० [फा. खूनरेजी खेतिहर पुं० खेडूत खेतीवाडी खू स्त्री० [फा.] आदत; खो। खेती, खेतीबाड़ी (-री) स्त्री० खेती; खूटना अ० क्रि० खूटवू-कम थवू के खेद पुं[सं.]खेद; दु:ख; ग्लानि(२)याक पूरुं थर्बु (२) बंध थq ___ खेदना स० क्रि० खदेडवू (२) पीछो खूद, खूदड़ (-र) पुं० वस्तुने साफ कर्ये पकडवो नकामो रहेतो कचरो; कचरापटी खेदा पुं० शिकार [समय काढवो खून पुं० [फा.] खून (लोही; हत्या). खेना सक्रि० हलेसवुनाव हांकवी (२) -खुश्क होना या सूखना खूब भयभीत खेप स्त्री० आंटो; फेरो (२) एक थ-सफ़ेद होना स्नेह सुजनता जतां आंटामा लदाईने अणाय तेटलु.-भरना रहेवां
=खेपनो भार लादवो खून-खराबा पुं० मारकाट; मारामारी खेपना स० कि० [सं. क्षेपण] विताडवू; खून-खार, स्वार वि० जुओ 'खूखार' गुजार खूनरेज,-जी जुओ 'खूरेज,-जी' खेमटा पुं० एक प्रकारनुं गायन के नाच खूनी वि० खून करनार (२) घातकी. खेमा पुं० [अ.] तंबू. ०गाह पुं० ज्यां
बवासीर स्त्री० दूझता हरस . घणा तंबू लाग्या होय ते जगा । खूब वि० [फा.] अच्छं; उमदा (२) अ० । खेल पुं० रमतगमत (२) मामलो अच्छी रीते
(३) तमासो खूब-कला स्त्री॰ [फा. एक घासनां बीज खेलकूद स्त्री० रमतगमत खूबसूरत वि० [फा.] सुंदर; रूपाळू. खेलना अ० कि० खेलवं रमवं. -खाना (नाम -ती स्त्री०)
= खेलq कूद;रमतमां जीवन गुजार, खूबानी स्त्री० [फा.] जरदालु खेलवाड़ पुं० खेल; क्रीडा; तमासो (२) खूबी स्त्री० [फा.] भलाई; उमदापणुं (२) गमत; मजाक मजाकी; विनोदी विशेषता; खूबी [शुष्क; अरसिक खेलवाड़ी वि० भारे रमनार (२) खूसट,-र पुं० उल्ल; घुवड (२) वि० खेला-खाया वि०दुनियाजोयेलु अनुभवी खेकसा, खखसा पुं० कंकोडं
खेलाड़ी वि० जुओ 'खेलवाड़ी' (२) खेचर पुं० [सं.] पक्षी (२) विमान (३) पुं० खेलाडी (३) तमासो करनार तारा, ग्रह, वायु (४) वादळ खेलाना स० क्रि० खेलाव; रमाडवू खेटको पुं० [सं.] शिकारी
खेलार पुं० जुओ 'खेलाड़ी' खेड़ा पुं० [सं. खेट] नानुं गाम; खेडं खेवट, -टिया पुं० खेवट; सुकानी (२) खेत पुं० खेतर (२) रणक्षेत्र. -आना: तलाटीनो एक चोपडो लडाईमा मर. -कमाना-खेडखातर खेवना स० क्रि० 'खेना'; नाव चलाववी
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खेवा
खेवा पुं० नावमा नदी पार करवी ते के तेनुं भाडुं ( २ ) वार; समय खेवाई स्त्री० नाव चलाववी ते के तेनी मजूरी [पुं० गुं खेश वि० [फा. ख्वेश] पोतानुं ( २ ) खेस पुं० ओढवा पाथरवा माटेनी एक जातनी जाडी चादर
खेसारी स्त्री० एक हलकुं अन्न-दाळ खेह (०२) स्त्री० खेर; खेरंटो; धूळ खेचना स० क्रि० जुओ 'खींचना' खेर पुं० खेर वृक्ष (२) काथो खैर स्त्री० [फा.] क्षेमकुशळ (२) अ० खेर; भले
१४०
रअंदेश वि० [फा.] शुभचितक; खेरखाह खर- आफ़ियत [फा.] क्षेमकुशळ खैर-खा (खवा) ह वि० [फा.] खेरखां; शुभेच्छक. ( नाम - ही स्त्री०) ख़ैर बाद पुं० [फा.] 'कुशळ हो' एवो बोल खैर मक़दम पुं० [ अ ] स्वागत; भले पधारो खैरसार पुं० खेरसार; काथो खैरा वि० कथ्थाई; काथाना रंगनुं खैरात स्त्री० [अ . ] खेरात; पुण्यदान (वि० -ती)
ख़ैरियत स्त्री० [फा.] खेरियत; राजीखुशी खोंच स्त्री० खूंच; 'खरोंच' (जेम के, कपडामा कांटो भरावाथी) (२) पुं० मूठीमां आवे तेटलं ( अन्न इ० ) खोंटना स०क्रि० खूंटवु; टूपवु; चूंटवुं खोंडर पुं० जुओ 'खोडरा' खोंडा, - डहा वि० खांडु अपंग ( २ )
आगला दांत विनानुं खोता - तल पुं० माळो (पक्षीनो); 'खोता' खोंप स्त्री० बखियो (लांबो) (-भरना, मारना)
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खोपरी
खोपना स०क्रि० भोंकवूं : खूपे एम कर खोंसना स०क्रि० खोसवुं
खोआ - या - वा पुं० जुओ 'खोया' खोई स्त्री० धाणी (२) शेरडीनो कूचो (३) वरसादमां माथे ओढतो कामळो खोखला वि० पोलुं खोगीर पुं० [फा.] घोडानुं जीन; नमदो खोज स्त्री० खोळ; तपास ( २ ) निशान; चिह्न (पगलु, चीलो इ० ). - ख़बर लेना = खबर अंतर पूछवी. -मारना, मिटाना = नामनिशान न रहेवा देवुं खोजना स०क्रि० खोळवु; ढूंढवं; तपासवु खोजा पुं० खोजो जनानानो (नपुंसक) सेवक (२) सरदार [जासूस खोजी ( - जिया) पुं० खोळ करनार; खोट स्त्री० [सं.] दोष; बूराई (२) हलकी वस्तु मिश्रण
खोटा वि० खोटं; बूरुं . ( नाम - ई स्त्री०) खोड़ स्त्री० देवनो कोप खोड़रा पुं० कोटर; झाडनी बखोल खोता पुं० पक्षीनो माळो खोद पुं० [फा.] बख्तरनो टोप खोद पुं० खणखोद; पडपूछ खोदना स० क्रि० खोदवुं (२) कोतखुं (३) भोंकवु ; खोसवु; खोखुं खोद - पूछ स्त्री०, खोद - विनोद पुं० पूछपरछ; खणखोद; तपास खोदाई स्त्री० 'खुदाई' खोना स० क्रि० खोवुं (२) बगाडवुं (३) अ० क्रि० खोवावु खोन्चा पुं० [फा. स्वान्चा] खूमचो खोपड़ा, -रा पुं० खोपरी (२) मायुं (३) कोपरुं के नारियेळ खोपड़ी, - रो स्त्री० खोपरी के मायुं
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ख्वाहिश
करवा
खोपा
१४१ खोपा पुं० छापरा के मकाननो रस्ता ख्यात वि० [सं.] जाणीतुं प्रसिद्ध (नाम
पर पडतो खूणो; करो (२) अंबोडो -ति स्त्री०) खोय स्त्री० [फा. खू] खो; आदत ख्याल पुं० जुओ ‘खयाल' (२) खेल; खोया, -वा पुं० दूधनो मावो
क्रीडा खोर स्त्री० सांकडी गली (२) स्नान ख्याली वि० कल्पित (२) खेल करनार. (३) ढोरनी गमाण (४) जुओ 'खोड़' -पुलाव पकाना शेखचल्लीना तरंग खोर वि० [फा.] खानार (समासमां. उदा० नशाखोर)
निष्ट पुं० ईशु ख्रिस्त खोरना अ० क्रि० नाहवू
खिष्टान पुं० 'क्रिस्तान'; ख्रिस्ती खोरा पुं० कटोरो (२) पाणी- पात्र(३) शिष्टीय वि० ख्रिस्ती वि० खोडु; अपंग; खोंडा' [-की' खवाँ वि० [फा.] (समासने अंते) कहेनार, खोराक पुं०, -की वि० जुओ 'खुराक, गानार, पढनार एवा अर्थमां खोल पुं० खोळ; गलेफ (२) उपरनी स्वाँदा वि० [फा.] भणेल; शिक्षित चामडी (जे प्राणी उतारे छे); कांचळी ख्वाजा पुं० [फा.] मालिक; सरदार (२) (३) मोटो ओछाड
सद्गृहस्थ (३) व्यंडळ; खोजो खोलना स० क्रि० खोलवू; उघाडवू ___ ख्वाजा-सरा पुं० [फा.] खोजो; रणवासमां खोली स्त्री० खोळ; गलेफ
राखवा नपुंसक बनावेलो ते खोवा पुं० 'खोया'; मावो [लूम खवान् पुं० [फा.] थाळ; मोटी थाळी खोशा पुं० [फा.]अनाजनुं डूंडु के फळनी खवान्चा पुं० [फा.] 'खोन्चा';खूमचो (२) खोह स्त्री० गुफा; खो
नानी थाळी खौ स्त्री० खाडो(२)अन्न राखवार्नु भोयरुं खवाब पुं० [फा.] निद्रा (२) स्वप्न. खोज पुं० [अ.] गहन विचार
गाह पुं० सूवानो ओरडो खौफ़ पुं० [अ.] खोफ; डर (वि०-नाक) ख्वार वि० [फा.] खुवार; पायमाल (२) खौर स्त्री० तिलक टीका' (२)स्त्रीओनुं तिरस्कृत [नाम -री स्त्री०] माथा- एक घरेणुं .
ख्वास्तगार वि० [फा.] इच्छुक. [नाम खौरना स० क्रि० तिलक कर (२) -री स्त्री०] 'खोर' घरेणुं पहेरवू
ख्वाह अ० [फा.]अथवा (२)स्त्री० इच्छा खौरा पुं० (कूतरां बिलाडांने थती) लूखस ख्वाह-मख्वाह अ० [फा.] जरूर;अवश्य; (२) वि० तेनुं रोगी
खामुखा; इच्छाए के अनिच्छाए खौलना अ० कि० ऊकळवू
ख्वाहिर स्त्री० [फा.] बहेन खौलाना स० क्रि० प्रवाही गरम करवू स्वाहिश स्त्री० [फा.] खाएश; इच्छा
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१४२
गवरदल
गंग स्त्री० गंगा नदी(२)पुं०एक कवि गंजीफा पुं० [फा.] पानांनो गंजीफो गंग-बरार पुं० [गंगा+फा. बरार गैठकटा पुं० जुओ 'गिरहकट' गंगानो के कोई नदीनो कांप ठरी गठजोड़ा, गठबंधन पुं० वरकन्यानां नीकळी आवेली जमीन; 'डेल्टा' वस्त्र गांठवानी क्रिया [भाग गंग-शिकस्त पुं० [गंगा+फा. शिकस्त गंड, स्थल पुं० [सं.]कपाळ के लमणानो
नदीथी तणाई के धोवाई गयेली जमीन गंडा पुं० गांठ (२) मंतरेलो दोरो; गंगा स्त्री० [सं.] गंगा नदी. -उठाना= तावीज के मादळियं (३) पक्षीना गंगाना सम खावा. -पार करना= गळानो कांठलो (४) आडी लीटीओनी देशनिकाल करवू. -पीना जूठा हार; चटापटा (जेम के साप पर) सम खावा
काळ्धोळं. (५) चार कोडी जेटलां दाम गंगा-जमुनी वि० मिश्र; बेभथ्थु (२) गँडासा पुं० (स्त्री० -सी) घासचारो गंगाजल पुं० [सं.] गंगाजळ (२) एक कापवानुं ओजार-धारवाळू फळं रेशमी कापड. -ली स्त्री० गंगाजळ गॅडेरी स्त्री० शेरडीनो बडवो; गंडेरी लाववानुं पात्र. -उठाना=गंगाना गंदगी स्त्री० [फा.] गंदकी सम खावा एक मोटुं वासण गॅदला, गंवा [फा.] वि० गंदूं गंगाल पुं० 'कंडाल'; धातुनुं पाणी- गंदुम पुं० [फा., सं. गोधूम घउं गंगालाभ पुं० [सं.] मृत्यु
गंदुमी वि० घउंवणु गंगासागर पुं० गंगानो समुद्र-संगम । गंध पुं० [सं.] महेक; वास; सोड
(२) एक जातनी मोटी झारी गंधक पुं० [सं.] गंधक खनिज [प्रवीण गंगोत्तरी स्त्री० गंगोत्री
गंधर्व पुं० [सं.] एक देव-जाति(२)संगीलगंगोदक पुं० [सं.] गंगाजळ
गंधाना अ० क्रि० गंधावू; वास मारवी गंज पुं० माथानी ताल (२) खजानो। गंधी पुं० तेल अत्तर वेचनार (२)
(३) ढेर; गंज (२) नाश वरसादमां थतुं मांकणियुं जीवj गंजन पुं० [सं.] अवज्ञा; तिरस्कार गंधीला वि० (प.) गंदु; गंधातुं गंजना स० क्रि० अनादर करवो (२) गंभीर वि० [सं.] ऊंडु; अगाध; गहन
नाश करवू माथानी ताल (२) शांत; सौम्य गंजा वि० माथे तालवाळू (२) पुं० गॅव स्त्री० अवसर; मोको (२) मतलब; गॅजिया स्त्री० जाळीदार गूंथेली थेली प्रयोजन; (३) उपाय; युक्ति गंजी स्त्री० गंजीफराक (२) गंजी; ढग गंवई स्त्री० (वि० -इयाँ) गामनी वस्ती गंजी, गंजेड़ी वि० गंजेरी
गॅवरदल वि० गमार; गामडियुं
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गेवर-मसला १४३
गठरी गेवर-मसला पुं० गामठी कहेवत के गजबका वि० अपूर्व; विलक्षण उखाणो
गजर पुं० गजर; चोघडियां गॅवाना स० कि० [सं. गमन] गुमाववं गजर-दम अ० सवारे गॅवार, -रू वि० गमार (२) गामडियुं गजरा पुं० फूलमाळा (२) गजरी-- गवारी स्त्री० गमारपण (२) गमार स्त्री कांडानुं एक घरेणुं
(३) वि० गमार जq (४) बदसूरत गजल स्त्री० [अ.] फारसी उर्दूमां एक गंस पुं० (प.) (मननी) गांठ; द्वेष; झेर । प्रकारनी कविता-गजल (२) स्त्री० तीरनी अणी
गजवान पुं० [सं.] महावत गंसना स० क्रि० बरोबर जकड, के गजानन पुं० [सं.] गणपति गांठq के बांधवू (२) ठांसीने वणवू ग्रजाल पुं० [अ.] हरण, बच्चुं (३) अ० क्रि० ठसोठस वणावं के गजी स्त्री० हाथणी (२) पुं० [सं.] भरावं; ठांसावं
हाथी पर बेसनार गॅसीला वि० अणीदार (२) ठांसेलं गजी स्त्री० [फा.] गजियु. गाढ़ा पुं० गई करना=जवा देवू; जतुं करवं. जाडु सस्तुं गजिया जेवू कपड़े गई-बहोर वि० खोवाई गयेलाने फरी गज्झा पुं० गंज; ढेर
देनार के बगडेलाने सुधारनार गझिन वि० गाईं; घट्ट गऊ स्त्री० गाय. ०घाट पुं० ढोरने गटकना स० कि० गटकाव गट करी पाणी पीवा माटेनो घाट
ज; खाई हडप करी जवू गगन पुं० [सं.] गगन; आकाश (२) गटपट स्त्री० अधिक मेळ; सहवास शून्य. ०चुंबी, भेदी ०स्पर्शी वि०
गट्ट अ० गट अवाज. -करना= गटकावq बहु ऊंचे स्त्री० नानो घडो गट्टा पुं० कांडु (२) चूंटण (३) गांठ गगरा पुं० गगरो; घडो. -री, रिया (४) हूकानो मेर (५) एक मीठाई गच पुं० गच दईने पेसी जवू ते (२) गदर पुं० मोटी गांसडी चना वगेरेथी करेली पाकी फरस गट्टा पु० गट्टर' (२) गठ्ठो; गांठियो के ते करवानो चूनो वगेरे मसालो (जेम के डुंगळीनो) (२) गांठ (३) गच्ची; अगाशी काम गट्ठी स्त्री० नानो गठ्ठो के गांसडी गचकारी स्त्री० 'गच'- के चूना इ०नुं गठन स्त्री० रचना; बनावट गज पुं० [सं.] हाथी
गठना अ० कि० गांठ; जोडQ (२) ' गज पुं० [फा.] गज; वार. -इलाही. मोटा बखियाथी सीव (जूता गठना)
= अकबरनो ४१ आंगळनो गज (३) गोठवू; फावतुं आव; बनवू गजक पुं० [फा.] दारू पीने करातो (४) दाव के गुप्ततामा सामेल थर्बु नास्तो (२) तलपापडी (३) नास्तो गठरी स्त्री० गांसडी; पोटलुं (२) जमा गजट पुं० [इं.] सरकारी गेझेट करेली मिलकत.-मारना=धन ठगवू; अबब पुं० [अ.] गजब (२) कोप धूती भाणवू
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१४४
गठवाना
गढ़ाना गठवाना, गठाना सक्रि० गंठावq (२) गड़बड़िया वि० गडबडियु; गडबडवाळं सिवडावQ (३) टांका के बखिया गड़बड़ी स्त्री० जुओ 'गड़बड़ भराववा . .
गड़मड़ वि० सेळभेळ; भेगु; एकळु गठित वि० गांठेलं; रचेलं
गड़ (-३)रिया पुं० गडेरियो; भरवाड गठिया स्त्री० थेलो; खुरजी(२)सांधाना । गड़हा पुं० 'गड्ढा'; खाडो दरदनो एक रोग .
गड़ा पुं० 'गड्ड'; ढेर; ढगलो गठियाना स० क्रि० गांठ मारवी
गड़ाना स० क्रि० भोंकवू; 'गड़ना' नुं गठी बखिया पुं०ओटीने मारेलो बखियो प्रेरक (२) दटाव; गडाव, गठीला वि० (स्त्री० -लो) गांठगळं (२) गड़ारी स्त्री० गोळाकृति (२) घेरावो; मजबूत
घेर (३) गरगडी के तेनो खाडावाळो गठौत, -ती स्त्री० गोठवू ते; मित्रता
घेराव(४) गंडा' आडीलीटीओनी हार गड़ पुं० [सं.] आड (२) ओथ (३)
गड़आ, -वा पुं० जुओ 'गडवा' वाड (४) गढ
गड़ई स्त्री० नानो 'गड़वा'; झारी गड़गड़ा पुं० एक जातनो हूको
गड़र, -ल वि० [सं.] कूबडु; खूधुं गड़गड़ाना अ० क्रि० गडगडQ; (वादळ)
गड (-डो)लना पुं० बाबागाडी गर्जq (२) हूको गगडाववो
गड़वा पुं० नाळचावाळो लोटो- गडवो गड़गड़ाहट स्त्री० गगडाट
- गड़ेरिया पुं० जुओ 'गड़रिया' गड़दार पुं० हाथी जोडें भालो लई
गड़ोलना पुं० जुओ 'गड़लना' चालनार माणस
गड्डु पुं० (स्त्री० -ड्डी) गंज; थोकडी; गड़ना अ० क्रि० गडवू; पेसी जq (२)
खरकलो; गडी (२) खाडो शरीरमा भोकावा जेवं दर्द थव (३)
गड्डब (-म)ड्ड वि० अस्तव्यस्त; आईगडावू; दटावू; दफन थq (४) स्थिर
अवळं (२) पुं० गरबडगोटो थ; जामवं. गड़े मुर्दे उखाड़ना= गड्डा पुं० गाडु गईगुजरी पाछी का ढवी
गड्ढा पुं० खाडो गड़पना स० क्रि० 'गटकना'; हडप गढंत वि० बनावटी; कल्पित (वात) गड़प्पा पुं० खाडो (२) कळण
गढ़ पुं० गढ; किल्लो (२) खाई [आकृति गड़बड़ वि० ऊंचुनीचु (२) अव्यवस्थित । गढ़त, -न स्त्री० 'गठन'; घडवू ते (२) (३) पुं० अव्यवस्था; गरबड (४) गढ़ना स० क्रि० घडवू; बनाववू (२) गोटाळो; उपद्रव [माल; गोटाळो
घडी काढवू(३)घडी नांखवू; मारवू गड़बड़झाला, गड़बड़ाध्याय पुं० गोल- गढ़वाल पुं० किल्लेदार गड़बड़ाना अ० क्रि० गरबडमां पडवू गढ़ा पुं० 'गड्ढा'; 'गड़हा'; खाडो (२)बगडगोटाळो थवो (३) सक्रि० गढ़ाई स्त्री० घडवान काम के मजूरी गरबडमां नांखवू (४) बगाडवं (५) गढ़ाना अ० क्रि० मुश्केली पडवी के चकरावा के भुलावामां पाडवू मुश्कल थर्बु (२) 'गढ़ना' नुं प्रेरक
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गढ़िया
गढ़ (ढ) या पुं० घडनारो गण पुं० [सं.] गण; समूह (२) शिवनो पण (३) छंदनो गण (४) जाति वर्ग गणक पुं० [सं.] जोशी
गणतंत्र पुं० प्रजाशाही राज्य के तेनुं तंत्र गणना स्त्री० [सं.] गणतरी; लेख; हिसाब; अंदाज
गणराज्य पुं० [ सं . ] 'गणतंत्र'; प्रजातंत्र गणिका स्त्री० [सं.] गुणका; वेश्या गणित पुं० [ सं . ] हिसाब के तेनी विद्या गण्य वि० [सं.] गणनापात्र ( २ ) प्रतिष्ठितः मान्य
गण्य-मान्य वि० [सं.] प्रतिष्ठित गत स्त्री० गति; दशा (२) वि० [ सं . ] गयेलं; वीतेलं. – बनाना = दुर्दशा करवी; टीपं [लाकडी गतका पुं० ढाललकडी के ते खेलवानी गति स्त्री० [ सं . ] जनुं ते (२) चाल (३) झडप ; वेग (४) दशा (५) मरण बादनी स्थिति
गत्ता पुं० कागळनी थोकडी गत्तालखाता पुं० मांडी वाळवानी रकमनुं खातुं
गव पुं० [ सं . ] रोग (२) विष गदका पुं० जुओ 'गतका' गदगद वि० गद्गद गदना स० क्रि० ( प. ) कहेवुं सदर पुं० उपद्रव; खळभळाट (२) बळवो गदरा ( ०ना) वि० पाकवा आवेलुं; नरम (फळ इ० )
गदराना अ० क्रि० (फळ) पाकवा पर आववुः नरम थवं (२) जुवानीथी शरीर भरावा लागवुं (३) आंख आववी (४) गंदु थबं (५) वि० जुओ 'गदरा' हि-१०
१४५
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गय
गदला वि० 'गेंदला'; गंदु वहपचीसी स्त्री० गध्धापचीसी गदहपन पुं० गध्धापणु; मूर्खता गदहा पुं० [स्त्री० - ही] 'गधा'; गधेडुं (२) [सं.] वैद्य
गदा पुं० [फा.] भिखारी; फकीर ( २ ) स्त्री० [ सं . ] गदा हथियार गदाई वि० तुच्छ; क्षुद्र (२) रद्दी नकामुं (३) स्त्री० भीख-वृत्ति
गदी बि० [सं.] रोगी (२) गदाधारी गदेला पुं० गदेलुं (२) नानो छोकरो गदोरी स्त्री० हथेळी
गद्गद वि० [सं.] हर्ष इ०थी लागणीवश बनेलुं (जेथी वाणी पर असर थाय). गद्द पुं० नरम जगामां धब दईने पडबुं ते (२) भारे खाधानो पेटमां भार गद्दर वि० काचुंपाकुं (२) पुं० मोटुं गदेलुं गद्दा पुं० गोदडुं गादी [भारे बेवफा गद्दार वि० [अ.] भारे बळवाखोर (२) गद्दी स्त्री० नानुं गोडुं (२) गादी (३) हथेली के पगनुं तळियुं गद्दीनशीन वि० गादीए बेठेल (२) वारस गद्य पुं० [सं.] गद्य लखाण गधा पुं० 'गदहा'; गधेडुं
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गनगनाना अ० क्रि० कंपवु धूजवं गनगौर स्त्री० चैत्र सुद त्रीज; स्त्रीओनी गौरीपूजा [भारे स्वतंत्र रानी वि० [अ] भारे धनवान ( २ ) गनीम पुं० [ अ ] शत्रु (२) डाकु; लुटारो रानीमत स्त्री० [ अ ] लूंटनों के मफतियो माल (२) गनीमत; संतोषनी सारी बात ग्रनूदगी स्त्री० [फा.] ऊंघ आववी ते गन्ना पुं० शेरडी गप स्त्री० जुओ 'ग्रप'
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ग्रप
ग्रप स्त्री० [फा.] गप; डिंग (२) पुं० गफ्फो लईने खावुं ते [खाई जवुं गपकना स० क्रि० गपकाववु; गब गब गपड़चौथ स्त्री० नकामी गप; गपाटो गपना स० क्रि० ( प. ) गप मारवी गपशप स्त्री० गपसप; नकामी - नवरा पहोरनी वात; बकवाद गपागप अ० गपगप ( जलदी खावुं ) गपिया, - हा ( प. ) वि० गप्पी गपोड़ा पुं० गपोडो; गप
गप्प स्त्री० गप-पीवि० गप मारनाएं गफा पुं० गफ्फो; गफ दईने मरातो बूको (२) लाभ; फायदो
गफ़ वि० [फा.] उस; गाढ़; घट्ट ग्रफ़लत स्त्री० [ अ ] सावधानी, परवा या खबर होवानो अभाव (२) भूल गफूर वि० [ अ ] क्षमावान (ईश्वर)
फ़ार वि० [ अ ] भारे दयाळु (ईश्वर) ग़बन स्त्री० [अ०]सुपरत विषे बेईमानी करवी - हडप करी जबुं ते गबरू वि० [फा. खूबरू] गभरु; नवजुवान (२) भोळं (३) पुं० पति गबरून पुं० एक जातनुं जाडु कपडुं बी वि० [अ.] गबो; मूरख गब्बर वि० गर्विष्ठ (२) मंद; सुस्त (३) गब्बर; कीमती ; धनवान गन पुं० [फा.] अग्निपूजक - पारसी गभस्ति पुं० [ सं . ] सूर्य (२) किरण गंभीर वि० [सं.] गंभीर गभुआ ( - वा) र वि० जन्मथी राखेला (वाळ) (२)तेवा वाळवाळूतानं (बाळक) गम स्त्री० गम; पहोंच; सूझ ग्रम पुं० [अ.] गम; दुःख (२) चिंता गमक स्त्री० सुगंध (२) संगीतनी गमक
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गरमरा
ग्रमकदा पुं० [फा. संसार गमकना अ० क्रि० महेकबुं रामखोर, गमवार वि० [फा.] गमखारः गम खाय एवं; सहिष्णु ग्रम-ग़लत पुं० [अ.] दुःख हलकुं करे ते (२) खेल; तमासो (३) दारू ग़मगी, - गीन वि० [फा.] गमगीन; उदास ग्रम- गुसार वि० [फा.] दुःखभंजन गमछा पुं० दुवाल, अंगूछो [हावभाव रामज्ञा पुं० [ अ ] ( प्रियानां ) नखरां के गमन पुं० [सं.] जवं ते (२) स्त्रीसंग गमनना, गमना अ० क्रि० ( प. ) जबं रामनाक वि० [फा.] दुःखद गमला पुं० फूलझाडनुं के जाजरूतुं कंडु गमाना स० क्रि० 'गँवाना' ; गुमाववुं गमार वि० 'गँवार'; गामडियं ग्रमी स्त्री० [अ.] गमी; शोक (२) मरण बादनो शोक (३) मरण
वि० [सं.] जवा, पहोंचाय एवं (२) साध्य (३) समजाय एवं
गय पुं० [सं.] घर ( २ ) आकाश (३) [प्रा. गय] गज; हाथी
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गया- गुजरा, गया-बीता वि० ऊतरी गयेलुं; नकार्मु; खराब गयावाल पुं० गयावाळ; गयानो पंडो गर पुं० (प.) गळं गरदन (२) [सं.] झेर; विष (३) रोग (४) [फा.] 'करनार' अर्थनो प्रत्यय. जेम के सोदागर ग़रक़ वि० [अ.] लीन; डूबेलुं रक़ाब वि० [अ.] गरकाव; निमग्न (२) पुं० डुबाय एटलं पाणी ग्ररकी स्त्री० [फा.] डूबबुं ते (२) अतिवृष्टि; रेल (३) नीचाणवाळी जमीन गरगरा पुं० 'गराड़ी'; गरगडी
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गर-चे
१४७
गरीब-खाना गर-चे अ० [फा.] 'अगरचे'; जोके गरमाना अ० क्रि० गरम थर्बु (२)उमंग गरज स्त्री० वादळ के सिंहनी गर्जना के आवेश या क्रोधमां आवq (३) गरजना अ० क्रि० गर्जवं
स० क्रि० तपाववू; उकाळवू गरज स्त्री० [अ.] गरज; जरूर (२) गरमाहट स्त्री० गरमी; गरमावो आशय; मतलब (३) चाह; इच्छा (४) गरमी स्त्री० गरमी; ताप (२)आवेश; अ० निदान; आखरे (५) सारांश के; क्रोध (३) उमंग; जुस्सो (४) उनाळो मतलब के
(५) गरमीनो रोग. -निकालना गरज-मंद, गरजी (-जू) वि०गरजवाळं गर्व हणवो तोरी उतारवी. गरमियोंमें गरदन स्त्री० [फा.] गर्छ; डोकुं.-उठाना उनाळाना दिवसोमां = विरोध करवो; सामे थq. -में हाथ गरल पुं० [सं.] झेर देना या डालना = गरदन पकडी गरां वि० [फा.]भारे(वजन के किंमतमां) बहार काढवू
गरांव पुं० ढोरना गळानुं बेवडुं दोरडु गरदनियाँ स्त्री० गरदन पकडी बहार
- गाळियु काढवं ते
गरा पुं० 'गला'; गळं गरदनी स्त्री० घोडानो ओढो (२) गराड़ी स्त्री० गरगडी (२) घसारानो 'कुस्तीनो एक दाव
कापो गरदा पुं० 'गर्ग'; गरदा; धूळ गरानी स्त्री० [फा.]मोंघापणु(२)भारेपणुं गरदान स्त्री० [फा॰] [व्या.] क्रियापदनुं गरारा वि० गर्ववाळं (२) प्रबळ रूपाख्यान (२) पुं० पाळेलु कबूतर गरारा पुं० [अ.] कोगळो गरदानना स० क्रि० वारंवार कहेवू । गरिमा स्त्री० [सं.] गुरुता; भारेपणुं; (२) गणवं; लेख; मानवं
गौरव (२) एक सिद्धि गर, पुं० [फा.] आकाश (२) गाडी गरियार वि० मंद; गळियु (ढोर) गरना अ० क्रि० निचोवq (२) (प.) गरिष्ठ वि० [सं.] भारे (पचवामां) (२) गळवं; 'गलना'
खूब भारे ग्ररब पुं० [अ.] पश्चिम दिशा गरी स्त्री० नारियेळनो गोटो गरब पुं० गर्व; घमंड. -गहेला वि० गरीज पुं० [अ.] स्वभाव; प्रकृति गर्विष्ठ
गरीजी वि० [अ.] स्वाभाविक; सहज; गरब(-बा)ना अ० कि० गर्व करवो; कुदरती फुलावू
गरीब वि० [अ.] निर्धन; रंक (२) कंगाळ; गरबा पुं० गरबो
दीन (३) नम्र (४) परदेशी; परायु. ग्ररबी वि० [फा.] पश्चिमनुं
(नाम -बी स्त्री०) गरबीला वि० गविष्ठ; अभिमानी गरीब-उल्-वतन वि० [अ] विदेश खेडतुं गरम वि० [फा.] ऊनू (२) क्रोधी (३) गरीब-खाना पुं० [अ.+फा. मारुं मकान' तीक्ष्ण; उग्र
ए अर्थनो नम्रतानो शब्द
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गरीब-गुरबा १४८.
गलबा आरीब-गुरबा पुं० गरीबगरबां; दीन गर्भाशय पुं० [सं.]गर्भ रहेवानुं अंग; कूख गरीब लोक
गर्भिणी वि० स्त्री० [सं.] सगर्भा गरीब-नवाज, -परवर वि० [फा.]
गभित वि० [सं.]मर्मयुक्त(२)पूर्ण;भरेलु गरीबने पाळनार; तेनो बेली
गर्म वि० [अ.]'गरम'. (नाम -र्मी स्त्री०) गरीबाना वि० [फा.] गरीबने योग्य; गर्व पं० [सं.] अभिमान; घमंड [करवो गरीब ढंगनुं
['गरीब')
गर्वाना अ० क्रि० (प.) 'गरबाना'; गर्व गरीबी स्त्री० [फा. गरीबाई (जुओ गर्वी, ०ला वि० गर्ववाळं; घमंडी गर, ०अ, आ, -रू वि० (प.) गुरु; गर्हण पुं०, गर्हा स्त्री० [सं.]निंदा; बूराई
भारे; मोटु मगरूरी; गर्व गहित वि० [सं.] निदित; बूरु; खराब ग्ररूर पुं०, -री स्त्री० [अ. गुरूर] गर्दा वि० [सं.] निंदापात्र गरेबाँ,-बान पुं० [फा.] कपडानो कॉलर. गल पुं० [सं.] गर्छ -फाड़ना = खूब दुःखथी रोककळ गलका पं०आंगळी पर थतो एक फोल्लो करवी. गरेबानमें मूं डालना= शर- गलगंज पुं०घोंघाट;शोर (अ०क्रि० ०ना) मावं; मों संताडवं
गलगल स्त्री० एक जातनुं मोटुं खाटुं गरेरी स्त्री० गरेडी; गरगडी लीवु (२) एक पक्षी गरोह पुं० [फा.] जथो; झुंड; दळ गलगुथना वि० हृष्टपुष्ट; गोळमटोळ गर्क वि० [अ.] गरक; लीन; मग्न गलत वि० [अ.] खोटु; भूलभरेलु (२) गर्ज स्त्री० जुओ 'गरज'; गरज असत्य (नाम -ती स्त्री०) गर्जन पुं०,-ना स्त्री० [सं.] गर्जq ते के गल-तकिया पुं० गालमशूरियु तेनो अवाज
गलत-नामा पुं० [अ.+ फा.] शुद्धिपत्रक गर्त पुं० [सं.] खाडो (२) कबर गलत-फ़हमी स्त्री० [अ.] भ्रम; गेरसमज गर्द स्त्री० [फा.] गरद; धूळ. (किसीकी) ग़लता पुं० [अ.] एक प्रकारचें रेशमी
गर्दको न पाना= सामे कांई न चालवू कपडु (गजियाणी?) गर्दखार, गर्दखोर (-रा) वि० [फा.] गलती स्त्री० जुओ 'गलत'मां. (-खाना,
धूळखाउ (२) पुं० पगलुछणियु __ करना) गर्द-गुबार पुं० धूळ
गलथना पुं० गलस्तन (बकरीनो) गर्दभ पुं० [सं.] गधेडु
गलना अ० क्रि० ओगळवु (२)ठंडीथी गर्दाबाद वि०धूळथी भरेलु उज्जड वेरान ठरवू (३) निष्फळ थर्बु गर्दिश स्त्री० [फा.] चक्कर; फेरो (२) गलफड़ा पुं० पाणीमां श्वास लेवानुं आमत्ति; तकलीफ; मुश्केली
जळचर- अवयव (२) जडबु गर्ब [अ.] 'गरब'; पश्चिम [गर्भाशय गलफांसी स्त्री० फांसो(२)झंझट;जंजाळ गर्भ पुं० [सं.] गर्भ; हमेल (२) कूख; गलबाही स्त्री० गळे वळगq ते गर्भपात पुं० [सं.] गर्भ पडी जवो ते मलबा पुं० [अ.] प्रभावनी अधिकता गर्भवती स्त्री० [सं.] सगर्भा; बेजीवी (२) आक्रमण; हल्लो
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गला
१४९
गला पुं० गळं. -काटना= बहु हानि गवारा वि० [फा.]गवारा;फावतुं मनपसंद पहोंचाडवी(२)गळामां खजूरी लागवी. (२) स्वीकार्य; मंजूर । -घुटना=श्वास रोकावो. -घोंटना= गवास पुं० कसाई [-ही स्त्री०) गळं दबाव (२) जबरदस्ती करवी. गवाह पुं० [फा.] साक्षी पूरनार (नाम गले मढ़ना, लगाना-माथेमारवं; गळे गवेल, गहा वि० गामडा-; देहाती वळगाडवं
गवेषणा स्त्री० [सं.]खोज तपास;संशोधन गलाऊ वि० ओगळे एवं (जेम के दाळ) गवैया पुं० गवैयो; गायक गलाना स० क्रि० ओगाळवं; नरम करवू गव्य पुं० [सं.] गायमांथी मळतुं (छाण, (२) खरचवू
दूध इ०) (२) गायनुं धण गलियारा पुं०;-री स्त्री० नानी गली प्रश पुं०, -शी स्त्री० [अ.] मूर्छा; गली स्त्री० गली; शेरी
बेहोशी; तम्मर. -खाना तम्मर अलीचा पुं० जुओ 'ग़ालीचा'
आववी; बेहोश थवं ग्रलीज वि० [अ.] गलीच (२) अपवित्र गश्त पुं० [फा.] गस्त; पहेरों (२) भ्रमण
(३) घट्ट, घाडु (४)पुं० गंदकी (५) मळ गश्ती वि० [फा.] गश्त मारनार; घूमनार गलेफ़ पुं० 'गिलेफ़'; गलेफ; खोळ (२) स्त्री० कुलटा गलेबाज वि० सारं गानार
गसना अ० कि० ग्रसवू पकडवू; जकडवू गल्प स्त्री० गप; डिंग (२) लघु कथा गसीला वि० (स्त्री० -ली) खूब गीच; ग्रल्लई वि० गल्लाने लगतुं (२) पुं० जकडेलं; घट्ट (जेम के, वणाट) पाक के अनाजमां लेवातुं महेसूल के गस्सा पुं० ग्रास; कोळियो । सांथ
टोळं; घोरी गह स्त्री० पकड (२) मूठ; हाथो गल्ला पुं० 'गुल'; शोर (२) [फा.] ढोरनुं गहगहा वि० प्रफुल्लित(२) धामधूमवाळं ग्रल्ला पुं० [अ.] फसलनी ऊपज (२) गहगहाना अ० क्रि० खूब प्रसन्न थर्बु अनाज (३) गल्लो; वकरो
(२) (झाड के पाक) लसलसवू ग्रल्लेबान पुं० [फा.] गडेरियो
गहगहे अ० धामधूम के खुशीथी गर्व स्त्री० लाग; दाव; मोको गहडोरना स० क्रि० (पाणी) डहोळवू; गसे अ० लाग जोईने (२) धीरेथी। हलावी गंदं करवं गवन पुं० गमन (२) 'गौना'; पहेलं गहन वि० [सं.] कठण; दुर्गम (२) गाढ; आणुं वळावq ते
· ऊंडु (३) गंभीर (४) पुं० (प.) ग्रहण गवनचार, गवना पुं० गौना'; पहेलु आ| (५) हठ; जिद गवर्नमेंट, गवर्मेट स्त्री० [इ.] सरकार गहना पुं० घरेणुं (२) स० क्रि० ग्रह, गवर्नर पुं० [ई.] प्रदेशनो हाकेम. -री गहबर वि० (प.) गह्वर; दुर्गम(२) व्या
स्त्री० तेनुं काम के तेनो प्रदेश कुल; गभरायेलं गवाक्ष [सं.] (-ख, -छ) पुं० झरूखो; गहर स्त्री० (प.) विलंब; वार (२)वि. • अटारी
घेरुं; दुर्गम
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१५०
गहरना
गाढ़ा गहरना अ० क्रि० (प.) ढील के वार गाँसना स० क्रि० वींध; भोंक, (२)
करवी (२) कढवू; चिडावं गूंथq (३) पकडमां राखq (४) ठांसवं गहरा वि० घेरे; (२) ऊंडु (३)गंभीर गांसी स्त्री० तीर बरछी इ० नुं फळं (४) घाटुं. -हाथ = बरोबर सपाटो. (२) कपट; मननो मेल गहरे लोग%ऊंडा-भारे उस्ताद गाइड पुं० [इं.] पुस्तकनी गाइड (२) गहराना अ० क्रि० घेरुं थq(२)सक्रि० रस्तो इ० बतावनार; भोमियो घेरुं करवू (३)अ० क्रि० 'गहरना'; वार गाउघप्प वि० पारकुं हडप करनार करवी [('गहना'नुं प्रेरक) गाउन पुं० [इं.] झब्बो (वकील, ग्रॅज्युएट गहवाना, गहाना स० क्रि० पकडाववं इ० पहेरे छे ते) गहिरा वि० जुओ 'गहरा'
गागर (-री) स्त्री० गागर; नानो घडो गहेजुआ पुं० छछंदर [गांडु गाच स्त्री० [इं. गॉझ] गाझ गहेला वि० हठीलं (२) घमंडी (३)घेलंः । गाछ पुं० झाड (२) छोड गह्वर पुं० [सं.] गुफा; बखोल (२) गुप्त गाज स्त्री० गर्जना (२) वीजळी (३) जगा (३) झाडी; जंगल
पुं० फीण
[राजी थर्बु गाँछना स० क्रि० गूंथवू
गाजना अ० क्रि० गाजवू (२) राचवू; गाँज पुं० गंज; ढेर
गाजर स्त्री० गाजर कंद पाउडर गाँजना स० क्रि० गंज करवो ग्राजा पुं० [फा.] मों पर घसवानो एक गाँजा पुं० गांजो
गाजी पुं० [अ.] गाझी; धर्म माटे लडनार गांठ स्त्री० गांठ (२) गठडी (३) शरीरनो वीर (मुसलमान) (२) वीर पुरुष
सांधो (४) (शेरडी, सडियानी) गांठ गाड़ स्त्री० खाडो [ठोकवु(३)संताडवू गाँठगोभी स्त्री० नोलकोल
गाड़ना स० क्रि० गाडवू; दाटq(२)अंदर गांठना स० कि० गांठ मारवी (२) साथे गाडर स्त्री० गाडर; घेटुं; मेंढुं जोडवू (३) फाटयुंतूटयुं ठीक करवू; गाड़ा पुं० (प.) गाडु; बेलगाडी (२) समारवं. मतलब गाँठना= मतलब खाडो (फसाववाने माटेनो) साधवी; काम काढवू
गाड़ी स्त्री० गाडी. -छूटना= स्टेशनेथी गांडर स्त्री० एक जातनु घास; खस
गाडी ऊपडवी गाँडा पुं० गंडेरी; बडवो
गाड़ीवान पुं० गाडीवाळो - हांकेड गाँथना स० क्रि० गूंथवू
गाढ़ वि० गाढं; घट्ट (२) मजबूत; दृढ गांधी स्त्री० [सं.] चोमासामां थतं (३) पुं० संकट; मुश्केली
माकणियं जंतु (२) हिंग (३) गांधी गाढ़ा वि० घाटुं; घट्ट (२) गूढ; घेरुं गाँव, गाँव पुं० गाम. -मारना=गाम (३) घोर; विकट (४) पुं० गजियू; भांगवू; धाड पाडवी ।
खादी (५) मस्त हाथी. गाढ़का साथी गाँस स्त्री० बंधन (२) वेरभाव (३) या संगी = संकटनो मित्र-सहायक. रहस्य; भेद (४) अधिकार (५) गांठ गाढ़ेको कमाई = महेनतनी कमाणी.
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गाढ़े
माढ़े दिन = मुश्केलीना दहाडा गाढ़े अ० (प.) सारी पेठे; बरोबर ( २) जोरथी; दृढपणे
गात पुं० गात्र; शरीर; अंग (२) गुप्त अंग (३) स्तन (४) गर्भ. - से होना = गर्भ रहेवो
गाता पुं० [सं.] गवैयो
गाती स्त्री० गातडी वाळी पहेरातुं वस्त्र मात्र पुं० [ सं . ] शरीरनुं गात्र - अंग गाथा स्त्री० [ सं . ] कथा (२) स्तुति (३) एक छंद
गाद स्त्री० प्रवाहीमां नीचे ठरतो कचरो गादड़, र वि० कायर; डरपोक (२) गुस्तमंद (३) पुं० गळियो बळद गाव वि० [सं.] छछरुं (२) थोडुं (३) पुं० जगा (४) तळियं (पाणीनं) (५) लोभ गान पुं० [सं.] गावं ते; गायन; गीत गाना स० क्रि० गावुं (२) वर्णववुं (३) aari के स्तुति करवी. -बजाना = मोजमजा - आनंद करवो ग्राफ़िल वि० [ अ ] गाफेल; असावध गाभ, गाभा पुं० कूंपळ (२) गोदडा रजाई अंदरनो गाभो (३) कशानो अंदरनो भाग - गाभो
गाभिन, नी वि० स्त्री० गाभणी गाय स्त्री० गाय; धेनु
गायक पुं० [ सं . ] गानार; गवैयो गाय - गोठ स्त्री० गोशाळा गायत वि० अत्यंत ( २ ) असाधारण ( ३ ) स्त्री० छल्ली हद
गायताल वि० 'ताल'; नकामुं रद्दी (२) पुं० नकामुं ढोर
गायत्री स्त्री० [ सं . ] गायत्री मंत्र के छंद गायन पुं० [ सं . ] गवैयो (२) गान; गायुं ते
१५१
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गाव
ग़ायब वि० [अ.] गेब; अलोप (२) (व्या.) त्रीजी ( पुरुष )
गार पुं० (अ.) खाडो (२) गुफा (३) [फा.] 'करार' अर्थनो प्रत्यय
ग्रारत वि० [ अ ] नष्ट; पायमाल गारद स्त्री० [इं. गार्ड]चोकीदार टुकडी (२) पहेरो में करना, देना, रखना = पहेरामा राख [साथे घसवुं गारना स० क्रि० निचोववुं (२) पाणी गारा पुं० ( माटी चूनानो) चणवा माटेनो गारो
गारी स्त्री० (प.) गाळ; 'गाली'. -आना, पड़ना, लगना= कलंक लागवु. - लाना =कलंक लगाडवु
गाड़ी पुं० [ सं . ] सानो मंत्र जाणनार गाजियन पुं० [इं.] वाली; संरक्षक गार्ड पुं० [इं.] (गाडीनो) गार्ड गार्डेन पुं० [इं.] बाग गाल पुं० [ सं . गल्ल] गाल (२) बकबक करवानी आदत (३) मध्य भाग; वच (४) ग्रास; फाको. - करना = बकबक करवुं. – पर गाल चड़ना = हृष्टपुष्ट थवु. - फुलाना = रिसावुं - बजाना या मारना = डिंग मारवी
गालगूल पुं० (प.) बकवाद; नकामी वात गालमसूरी स्त्री० एक मीठाई गाला पुं० पूणी [(३) संभवित गालिब वि० [अ.] बळवान (२) विजयी ग्रालिबन् अ० [अ.] संभवत:
गाली स्त्री० गालि; गाळ [गाळागाळी गाली-गलौज स्त्री०, गाली-गुफ्ता पुं० ग्रालीचा पुं० [फा.] गालीचो गालू वि० गप्पी; तडाकी गाव पुं० [फा.] गावडी; गाय
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गाव-कुशी - १५२
गिरिफ्तार गाव-कुशी स्त्री० [फा.] गोवध गिनी, गिन्नी स्त्री० गीनी सिक्को गाव-जबान स्त्री० [फा. एक बट्टी गिने-गिनाये, -चुने = थोडाक; गणतर गाव-तकिया पुं० [फा. मोटो तकियो गिरगिट पुं० काचंडो; 'गिरदान' गावदी वि० मूर्ख; अणसमजु [जतुं गिरजा (घर) पुं० ख्रिस्ती देवळ गाव-दुम वि० [फा.] उपरथी पातळ थतुं गिरदान पुं० जुओ 'गिरगिट' गाह पुं० ग्राह; पकड (२)मगर(३)ग्राहक गिरदाब पुं० [फा.] पाणीनो भमरो गाह स्त्री० [फा.] जगा; स्थान (उदा० गिरदावर पुं० जुओ 'गिर्दावर' इबादत-गाह) (२) वखत
गिरना अ० क्रि० गरवं; पडQ. -पड़ना गाहक पुं० ग्राहक; घराक [सोदो थवो । पडवू आखडवू गाहकी स्त्री० घराकी; वेचाण.-पटना= . गिरफ्त स्त्री० [फा.] पकडq - गिरफ्तार गाह-गाह, गाह-ब-गाह, गाहे-गाहे अ० गिरफ्ता, -पुतार वि० [फा.] गिरफ्तार;
कदी कदी; क्यारे क्यारे [करवं केद पकडेलु गाहना स० क्रि० डूबकी मारवी(२)खळ
गिरमिट पुं० गिरमीट; 'अॅग्रीमेन्ट' गाहा स्त्री० गाथा; कथा [मान
गिरवाना स० क्रि० जुओ 'गिराना' गाही स्त्री० फळ गणवानुं पांचवें एक
गिरवी वि० [फा.] गीरवेलं; गीरवी गिजना अ० क्रि० चोळाईने मेरों के
गिरवी-गाँठा पुं० गीरो खराब थवं; 'गींजना'नुं कर्मणि
गिरवीदा वि० [फा. मोहित; आसक्त गिआन पुं० (प.) ज्ञान
गिरवीदार पुं० [फा. गीरो राखनार गिउ पुं० (प.) गर्छ; गरदन
गिरवीनामा, गिरवीपत्र पुं० गीरो-खत गिचपिच, गिचिरपिचिर वि० अस्पष्ट;
गिरह स्त्री० [फा.] गांठ (२) खीसं (३) गमे तेमना क्रममां; गुचपुच
__ वारनो १६ मो भाग (४) गुलांट गिजगिजा वि० पाणीपोचु; लचपच ।
गिरहकट वि० खीसाकातरु गिजा स्त्री० [अ.] भोजन; खोराक .
गिरहबाज पुं० [फा.] गिरेवाज; गुलांट गिटपिट स्त्री० गोटपीट
खातुं ऊडनारु एक पक्षी गिट्टक स्त्री०, गिट्टा पं० चलमनो तवो गिरा वि० जुओ ‘गरौँ' (२) अप्रिय गिट्टी स्त्री० मरड के ठीकरुं (२) गिट्टा' ।
गिरा स्त्री० [सं.] वाणी; वाचा(२)भाषा गिड़गिड़ाना अ० क्रि० नम्रताथी विनंती (३) जीभ (४) सरस्वती करवी (नाम, -हट स्त्री०)
गिराना सक्रि० 'गिरना'नुं प्रेरक पाडवू गिद्ध पुं० गीध पक्षी
गिरानी स्त्री० जुओ ‘गरानी' गिनती स्त्री० मणतरी (२) संख्या (३) गिरामी वि० [फा॰] पूज्य; वयोवृद्ध हाजरी (४) १ थी १०० सुधी आंक.
गिरावट स्त्री० पडवानी क्रिया के रीत -के-गणतर; थोडाक
गिरि पुं० [सं.] पर्वत. ०जा स्त्री०पार्वती गिनना स० क्रि० गणवू; लेखवू [प्रेरक गिरिफ़्त स्त्री०, -पता (०२)वि० जुओ गिनवाना, गिनाना स० क्रि० 'गिनना', 'गिरफ़्त, -फ्ता(र)'
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गुंधाई
गिरी
१५३ गिरी स्त्री० 'गूदा'; गर; अंदरनो मावो गिलौरी स्त्री० पाननो बीडो गिरेबान पुं० जुओ ‘गरेवान' गिलौरीदान पुं० पानदानी गिरंयाँ स्त्री० नानु गाळियु (२) वि० गोंजना स० क्रि० (कपडां इ०)मसळवू पडनाएं; पडतुं
रोळवं; चोळी नांखी बगाडवू गिरो वि० [फा.] गीरो; गीरवी गींव स्त्री० ग्रीवा; गरदन गिर्जा, गिर्जाघर पुं० जुओ ‘गिरजा' गीत पुं० [सं.] गायन । गिर्द अ० [फा.] आसपास; चोतरफ गीति स्त्री० [सं.] गान (२) एक छंद गिर्दा पुं० पाणीनो भमर-वमळ गीती स्त्री॰ [फा.] दुनिया गिर्दावर पुं० [फा.] (सर्कल-इन्स्पेक्टर गीदड़ पुं० शियाळ (२) वि० डरपोक
जेम) फरीने काम करनारो गीदी वि० [फा.] कायर; डरपोक (२) गिल स्त्री० [फा.] माटी (२) गारो बेवकूफ; मूरख । गिलकार पुं० [फा॰] (नाम,-री स्त्री०) गीध पुं० जुओ 'गिद्ध' प्लास्टर करनार
गीधना अ० क्रि० चसको लागवो; गिलट पुं० गिलेट; ढोळ
लालचूडा थवं गेरहाजरी गिलटी स्त्री० गांठ (गोड घालवाथी ग्रीबत स्त्री० [अ.] चाडीचुगली (२) थती के सांधा परनी)
गीला वि० भीन; पलळेलु गिलन पुं० गॅलन माप
गुंग [फा., -गा वि० मूगुं गिलना सक्रि० [सं. गिरण] निगलना'; गुंगी स्त्री० आंधळी चाकळ
गळवू (२) मनमा दाबी राखQ गुंचा पुं० [अ.] कळी (२) नाचरंग गिलबिलाना अ० क्रि० अस्पष्ट - गरबड गुंज स्त्री० [सं.] गुंजारव (२) गळानुं सरबड बोलवू
एक घरेणुं गिलम स्त्री० नरम ऊननो गलीचो के गुंजन पुं० [सं.] गुंजारव
पाथरj (२) वि० नरम; मुलायम गुंजना अ० क्रि० गुंजवू; गणगणवू गिलमिल पुं० एक सारी जातनुं कापड गुंजा स्त्री० [सं.] चनोठी के तेनुं झाड गिलहरी स्त्री० खिसकोली
के तेटलुं- रतीभार वजन (२) गुंजन गिला पुं० [फा.] फरियाद (२) ठपको गुंजाइश स्त्री० [फा. समावानी जगा; ग्रिलाजत स्त्री० [अ.] गंदकी (२) विष्टा ।
- स्त्री० [अ.गंदकी (२) विष्टा अवकाश (२) 'सुभीता'; सवड ग्रिला(-ले)फ़ पुं० [अ.] गलेफ; खोळ (२) गुंजान वि० [फा.] घन; घाडु
मोटी रजाई (३) म्यान [गारो गुंजार पुं० गुंजारव गिलाव, -वा पुं० कीचड(२)चणवा माटे गुंडली स्त्री० ऊढण गिलास पुं० ग्लास; प्यालो गुंडा पुं० गुंडो; दांड; बदमाश गिली वि० [फा.] माटी,
गुंथना अ० क्रि० गूंथतुं ... गूथ, गिलेफ़ पुं० जुओ 'गिलाफ़' गुंधना अ० क्रि० 'गूंधना'; गूंदवू (२) गिलोय स्त्री० [फा.]एक वेल; गुरुच';गळो गुंधाई स्त्री० गूंदवू के गूंथq ते
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गुंफ पुं० [सं.] गूंथण (२) झघडो; पंचात (३) 'गलमुच्छा'; थोभियो [ पंचात बुंफन पुं० [ सं . ] ( २ ) गूंथण (२) झघडो; मुंबज ( ब ) [फा.] पुं० गुंबज; घुमट मुंबा पुं० ठीमणु; 'गुलमा' गुआ पुं० चीकणी सोपारी गुआर, -री स्त्री० गवार; 'ग्वार' मुइयाँ पुं०; स्त्री० साथी; भेरु; सखी गुग्गुर ( - ल - लु) पुं० गूगळ; एक औषधि मुच्ची स्त्री० गबी ( गीलीदंडा इ० खेलवानी)
मुच्छ, -च्छा पुं० [सं.] गुच्छो; गोटो गुजर पुं० [फा.] गुजर; गति; पहोंच; प्रवेश ( २ ) समय वीतवो ते (३) निभाव; निर्वाह; गुजारो [ पार करवानी घाट गुजरगाह स्त्री० [फा.] रस्तो (२) नदी गुजरना अ० क्रि० गुजर (समय वीतवो के वीत) (२) कोई स्थाने थईने जवं के आववुं ( ३ ) बनवु; नभवु. गुजर जाना = गुजरी जवं गुजर-बसर पुं० [फा.] गुजरान; निभाव गुजरान पुं० गुजरान; गुजारो गुजरता वि० [फा.] गत; भूत (काळ) गुजारना स० क्रि० विताडवु समय काढवो (२) पहोंचावुं गुजारा पुं० [फा.] गुजारो (२) होडी उतारे ते स्थान (३) टोलनी जगा गुजारिश स्त्री० [फा.] निवेदन; विनंती गुझिया स्त्री० एक मीठाई - घूघरो गुटकना स० क्रि० गटक दईने गळवु (२)
अ० क्रि० कबूतरनुं बोलवु [पुस्तक सुटका पुं० गुटिका; गोळी ( २ ) गुटको गुटरगूं स्त्री० कबूतरनो अवाज गुटिका, गुटी स्त्री० गोळी
१५४
गुथव
गुट्ट पुं० दल; जूथ; झुंड -करना = मळीने मसलत करवी. - बाँधना= टोळी जमाववी; दळ एकठ्ठे कर गुट्टबंदी स्त्री० पोतानुं जूथ जमावबुं ते गुल वि० गोटवाळं (फळ) (२) जड; मूर्ख (३) पुं० गठ्ठो (४) गांठ; ढीमणुं गुठली स्त्री० गोटली; ठळियो; गोटलो गुडंबा पुं०काची केरी बाफीने चासणीमां आथे ते; गोळकेरी जेवुं एक अथा गुड़ पुं० [सं.] खावानो गोळ गुड़गुड़ाना अ० क्रि० गुडगुड अवाज करवो; (हुको) गगडाववो reast स्त्री० grat [लाड गुनिया, गुड़धानी स्त्री० एक प्रकारनो गुड़हर (-ल) पुं० एक झाड के तेनुं फूल गुड़ाकू पुं० गडाकु; तमाकु गुड़िया स्त्री० ढींगली. - का खेल: रमतनुं काम
=
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गुड़ी स्त्री० पतंग; 'गुड्डी' ['गिलोय' गुडूची स्त्री० [सं.] गळो; अंतरवेल; गुड्डा पुं० ढींगलो (२) मोटो पतंग गुड्डी स्त्री० पतंग (२) एक नानो हूको गुण पुं० [ सं . ] लक्षण; धर्म ( २ ) स्वभाष; शक्ति; प्रभाव; तासीर ( ३ ) सारी तारीफ; सद्गुण गुणना स० क्रि० गुणवं गुणा पुं० गुणाकार
गुत्थमगुत्था पुं० परस्पर लपटाई- फसाई जवं ते (२) बध्थंबध्था गुत्थी स्त्री० गांठ; गूंच
गुथना अ० क्रि० [सं. गुत्सन] फूल, मणका इ० गूंथावुं (२) खराब सिवावु (३)(लडवा) बाझवु (प्रेरक गुथबाना) थवाँ वि० गूंथेलं
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गुदकील
गुदकील पुं० जुओ 'गुदांकुर' गुदगुदा वि० मांसल (२) मुलायम गुदगुदाना अ० क्रि० गलीपची थवी के करवी (२) विनोद करवो (३) उत्कंठा उत्पन्न करवी गुदगुदाहट, गुदगुदी स्त्री० गलीपची (२) विनोद; उमंग (३) उत्कंठा गुदड़ी स्त्री० गोदडी. - बाजार = गुजरी; जूनी बस्तुओनुं बजार. - में लाल = तुच्छ जगामां कीमती चीज गुदना अ० क्रि० भोकावुं; गोदो वागवो (२) पुं० छंदणुं
गुदरना अ० क्रि० ( प. ) गुजरवुं; स०क्रि० (२) निवेदन करवु; कहेवुं
गुदांकुर पुं० [ सं . ] हरस गुदा स्त्री० [ सं . ] मळद्वार [कोमळ गुदाज वि० [फा.] मांसल; दळदार (२) गुदाना स० क्रि० गोदाव; भोंकाव गुदारा पुं० नदी पार ऊतरखुं ते के बेनी जगा; 'गुज़ारा '
गुद्दा पुं० झाडनुं मोटुं डाळ गुद्दी स्त्री० अंदरनो गर (२) बोची. आँखें गुद्दीमें होना या चली जाना = ना देखावुं के समजावुं गुन पुं० ( प. ) गण गुनगुना वि० गूंगणुं (२) जुओ 'कुनकुना' गुनगुनाना अ० क्रि० गूंगणुं बोलवु गुनना स०क्रि० गुण (२) गणवं (३) गोखवं (४) विचारखुं गुनहगार वि० [फा.] गुनेगार गुना प्रत्यय संख्याने लागतां 'तेटला गणुं' अर्थ थाय. दा० त० दसगुना (स्त्री० जी) [गुनेगार पुं० [फा.] गुनो. ०गार, -ही पुं०
१५५
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गुरबा
गुनिया पुं० जुओ 'गोनिया' गुन्ना पुं० [ अ ] अनुस्वार गुपचुप अ० चुपचाप; छानुंमानुं (२) स्त्री० एक मीठाई [छानुं; गूड गुप्त वि० [ सं . ] छूपुं संतायेलुं ( २ ) गुप्तचर पुं० [सं.] जासूस
गुप्तमार स्त्री० मूढ़ मार गुप्ती स्त्री० गुप्ती हथियार गुफा स्त्री० [ सं . ] पहाडनी गुफा - गुहा गुफ्तगू, गुफ़्तार स्त्री० [फा.] वातचीत गुफ्फा पुं० फूलनो गुच्छो (२) टोपीबूं फूमतुं [क्रोध, द्वेष दुःख वगेरे गुबार पुं० [ अ ]धूळ (२) मनमां दबावेलो गुबा ( (-ब्बा ) रा पुं० गुबारो; बलून गुम वि० [फा.] गुम (२) अप्रसिद्ध (३) गुप्त गुमटा पुं० (माथानं) ढीमं गुमटी स्त्री० गुंबज; घूमट गुमनाम वि० [फा.] अजाण्यं; अप्रसिद्ध (२) नाम वगरनुं
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गुमर पुं० गुमान (२) 'गुबार '; मनमां दबायेलो क्रोध इ० (३) घुसपुस वाल गुमराह वि० [फा.] राह भूलेलुं (२) नीतिभ्रष्ट कुमार्गे वळेलुं गुमसुम वि० चूप; स्तब्ध; सुमसाम गुमान पुं० [फा.] अनुमान; कयाम; ख्याल (२) गुमान गर्व गुमाना स० क्रि० गुमाववं; खोबुं गुमानी वि० घमंडी; अभिमानी गुमाश्ता पुं० [फा.] गुमास्तो; मुनीम. ० गिरी स्त्री० गुमास्तागीरी गुम्मट पुं० घूमट
गुम्मा पुं० मोटी ईंट (२) वि० चून गुर पुं० गुरुमन्त्र; युक्ति; चावी गुरगा पुं० चेलो (२) नोकर (स्त्री० -गो).
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गुरगाबी
१५६
गुलाब-जामुन गुरगाबी पुं० [फा.] एक जातना जोडा =काई विचित्र बनवू. -खाना=डाम गुरदा पुं० [फा. गुर्दः; सं. गोर्द] मुत्रपिंड; खावो; डंभावं. -खिलना= विचित्र
'किडनी' (२) साहस; हिंमत बनाव बनवो (२) बखेडो थवो गुरबत स्त्री० [अ.] परदेश-निवास (२) गल-अब्बास पुं० [फा.] एक फूलझाड मुसाफरी (३) नम्रता
गुलकारी स्त्री० [फा.] फूलनु भरतकाम गुरिया पुं० माळानो मणको; दाणो
गुलगपाड़ा पुं० शोर; गुल (२) नानो टुकडो मोढुं; भारे
गुलगश्त पुं० [फा.] बागमां फरवू ते गुरु पुं० [सं.] गुरु; शिक्षक (२) वि० गुलगीर पुं० [फा.बत्ती कापवानी कातर गुरुआनी स्त्री० गुरुनी स्त्री के स्त्री
गुलगुल वि० जुओ 'गुलगुला' गुरु; गोराणी [धारण करवू ते गलगला पुं० एक मीठाई (२) वि० गुरुडम पुं० गुरु बनी बेसवू- गुरुपणुं नरम; 'गुलगुल'; मुलायम [पावडर गुरुद्वारा पुं० शीख मंदिर
गुलगूना पुं० [फा.] मुख पर लगाववानो गुरुमुख वि० गुरुमंत्र लीधेलं; दीक्षित गलची पं० [फा.] माळी . गुरुमुखी स्त्री० (शीख धर्मग्रंथनी) एक गलछर्रा पुं० अनुचित स्वच्छंद के लिपि
[माणस
__ भोगविलास. गुलछरें अड़ाना-मोजगुरू-घंटाल पुं० बडो चालाक -घंट
मजा करवी भर्युभादर्यु; सुंदर गुरूब पुं० [अ.] तारा के सूर्यनो अस्त
गुलजार पुं० [फा.],बाग (२) वि० गुरूर पुं० [अ.] जुओ 'ग़रूर'
गुलमटी स्त्री० गांठ [भात गुरेज स्त्री० [फा.] कशाथी नासवू, दूर गुलत्थी स्त्री० लोचो थाय एम रंधायेलो रहेQ के बचq ते (२) विषयान्तर ।
गुलथी स्त्री० (पाणीमां जेम के लोट गुरेरना स० क्रि० आंख फाडीने जोवू नांखतां पडी जाय छे एवी) गांगडी गुर्ज पुं० [फा. गदा जेवं एक शस्त्र
गुलदस्ता पुं० [फा.]गुलदस्त फूलनो गोटो गुर्वा पुं० जुओ 'गुरदा'
गुलदान पुं० [फा.] फूलदानी गुर्रा पुं० [अ.] श्रेष्ठ वस्तु (२) बीज; गुल-दुम पुं० [फा.] बुलबुल मोहरमनो बीजनो चांद. -बताना गुलनार पुं० [फा.] दाडमनुं फूल के = कांई आप्या वगर टाळ उडावी देवं तेना जेवो लाल रंग गुर्राना अ० क्रि० धूरकवू(२)(बिल्लीनो) गुलमा पुं० गुल्म; ढीमणुं घरघर अवाज थवो
गुलमेख स्त्री॰ [फा.]गोळ माथानी मेख गुर्वी, -विणी स्त्री० [सं.] गर्भवती(स्त्री) गुलशन पुं० [फा.] बाग हजारी गुल पुं० [फा.] गुल (फूल; गुलाब; . गुलहजारा पुं० [फा.] एक फूलझाड;
बत्तीनो मोगरो) (२) हसतां गाल पर ____ गुलाब पुं० [फा.] गुलाब- फूल के पडतो खाडो (३)तमाकुनो गल(४)डाम छोड (२) गुलाबजळ (५) गुलशोर (६) लमणो. (चिराग़) गुलाब-जामुन पुं० गुलाबजांबु मीठाई गुल करना = बुझाव. -कतरना (२) एक फळझाड
भवात शवो
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गलाब-पाश
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गूदर गुलाब-पाश पुं० [फा.] गुलाबदानी गुस्सा पुं० [फा.] गुस्सो; क्रोध. -के गुलाबी वि० [फा.] गुलाबी रंग; गुलाब मारे भूत होना खूब क्रोध करवोअंगे- (२) पुं० गुलाबी रंग (३) स्त्री० तेथी कंप.-नाक पर रहना जरामां शराबनी प्याली (४) एक मीठाई गुस्से थq. -पीना, -पी जाना, गुलाम पुं० [अ.] गुलाम (२) सामान्य -मारना=गुस्सो रोकी लेवो-दबानोकर. -मी स्त्री०
ववो-जीतवो. -फूक देना= गुस्सो गुलाल पुं० लाल रंगनो कंकु जेवो- दूर करवो; दरगुजर करवू भूको-गुलाल
गुस्साबाज, गुस्सावर [फा.], गुस्सैल कि० गुलाला पुं० 'गुललाला' - एक फूल; क्रोधी; चीडियुं गुल्लाला
गुहना स०क्रि०गूंथq(२)बखियो मारवो गुलिस्ताँ पुं० 'गुलशन'; बाग गुहराना अ० क्रि० जुओ 'गोहराना' गुल पुं० [फा.] गळं (२) स्वर गुहा स्त्री० [सं.] गुफा गलबंद पुं० [फा.] गलपटो; गलूबंद गुहाना स० क्रि० 'गुहना' नुं प्रेरक; गुलेल स्त्री० गलोलो फेंकवानी कामठी; 'गुहवाना' गलोल
गुहार,-रि स्त्री० रक्षा माटे बूम; गोहार' गुलेलची पुं० गलोलो फेंकी जाणनार गुह्य वि० [सं.] गुप्त; पुं; छार्नु (२) गुलेला पुं० [फा. गुलूल] गलोलो (२) गूढ (२) पुं० छूपो भेद; रहस्य गलोल
गूंगा वि० जुओ 'गुंग' - मूगुं गुल्फ पुं० [सं.] चूंटी; 'टखना' गॅच स्त्री० जुओ 'गुंजा'; चणोठी गुल्म पुं० [सं.] पेटनो गोळानो रोग गंज स्त्री० गुंजन (२) पडघो (३) गुल्ला पुं० [फा.] गलोलो (२) शोर; गुल भमरडानी आर. गुल्लाला पुं० एक लाल फूल गूंजना अ०क्रि० गुंजq(२)पडघो पडवो गुल्ली स्त्री० ठळियो (२) गिल्ली; मोई गूंथना स० क्रि० गूंथवू; 'गूथना' गुवार पुं० जुओ 'ग्वाल'; गोवाळ गूदा पुं० 'गोंदा'; गूंदो; माटीनो लोंदो गुवारपाठा पुं० जुओ 'ग्वारपाठा' गंधना स० क्रि० गूंदवू; मसळवू ग्रुसल पुं० जुओ 'गुस्ल'
गू(०ह) पुं० गू; विष्टा गुसांई पु० गोसांई; गोस्वामी (२) प्रभु गूग(-गु)ल पुं० गृगळ; 'गुग्गुल' गुस्ताख वि० [फा.] (नाम,-खी स्त्री०) गूजर पुं० गोवाळनी एक जात बेअदब; अविवेकी; अशिष्ट गूजरी स्त्री० 'गूजर' स्त्री (२) पगर्नु गुस्ल पुं० [अ.] गुसल; स्नान
एक घरेणुं
['गुझिया' मुस्लखाना पुं० [फा.] गुसलखानु; गूशा वि० गुह्य; गुप्त (२) पुं० जुओ नाहवानी ओरडी
गूढ़ वि० [सं.] गुह्य; गुप्त (२) अकळ मुस्ले-सेहत पुं० [अ.] बीमारीमाथी गूथना स० क्रि० गूंथर्बु (२) सांधवू नीकळये करातुं स्नान
गूदड़ (-र) पुं० चीथरूं; धागो
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गूदा
गूदा पुं० गर; फळ के कोई चीजनो अंदरनो मावो; मगज [एक घास गून स्त्री० रसी; दोरडुं ( नावनं) (२) गुना पुं० [फा.] वर्ण; रंग (२) प्रकार गूनागूं, -गून वि० [फा.] विधविध; भात भातनुं (२) रंगबेरंगी गूमा पु० एक छोड - औषधि गूलर पुं० उमरडो. - का कीड़ा = कूपमंडुक. - का फूल = दुर्लभ वस्तु गृध पुं० [सं.] गीध गृह पुं० [सं.] घर [घरकंकास गृह कलह, गृहयुद्ध पुं० घरनो झघडो; गृहस्थ पुं० [ सं . ] घर-संसारी ( २ ) खेडूत गृहस्थी स्त्री० गृहस्थनं कर्तव्य ( २ ) गृहव्यवस्था (३) कुटुंब के घरनो सरसामान (४) खेतीवाडीनो रोजगार गृहिणी स्त्री० [ सं . ] स्त्री; घरवाळी गृही पुं० [ सं . ] गृहस्थ [स्वीकृत गृहीत वि० [ सं . ] ग्रहण करेलुं; मानेलं; गंगटा पुं० जुओ 'केकड़ा' गेंड़ना स० क्रि० घेवु; खेतरनी चारे कोर हदनो पाळो बांधवो गेंडली स्त्री० चळ; कुंडाळं (जेम के, सापनं) - बाँधना, - मारना=गूंचळं वळ
गेंड़ा पुं० शेरडीनां उपलां पान ( २ ) शेरडी (३) 'गैंडा', गेंडो
गेंडुआ, वा पुं० तकियो (२) मोटी गेंद; दो [उढाणी गेंडुरी, -ली स्त्री० जुओ 'गेंडली' ( २ ) गेंद पुं० दडो. ०घर पुं० क्रिकेट, टेनिस, बिलियर्ड इ० रमवानं स्थान. ०तड़ी स्त्री० मारदडीनी रमत गेंद बल्ला पुं० गेडीदडो (२) क्रिकेट
१५८
गैर-जरूरी
गेंदा पुं० एक फूलझाड; हजारी गेंदुआ, या पुं० (गोळ) तकियो, ओशीकुं गेगला वि० मूरख; बाघुं गेटिस पुं० [इं. गार्टर ] मोजां बांधवानी पट्टी-गार्टर
ती स्त्री० [फा.] संसार गेय वि० [सं.] गवाय एवं गेरना स० क्रि० गेरवबुं; पाडवुः ‘गिराना' (२) घेरवुं
गेरवाँ, गेराँव पुं० जुओ 'गराँव' ; गाळियुं गेरुआ वि० गेरु रंगनं; भगबुं (२) पुं० घउंनो गेरवो रोग
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गेरू स्त्री० गेरु माटी गेस पुं० [फा.] वाळनी लट; जुलफुं ह पुं० [सं.] घर
गेहनी स्त्री० ( प. ) गृहिणी; घरवाळी गेहुँअन पुं० घवर्णो एक झेरी साप गेहुँआ वि० घवर्णं गेहूँ पुं० घरं
गैंडा पुं० गेंडो
ती स्त्री० तीकम के कोदाळी ग्रैब पुं० [अ.] गेब; अदृष्ट; परोक्ष विषय बत स्त्री० [ अ ] चुगली; गीबत; निंदा बी वि० [अ.] परोक्ष; गुप्त; अज्ञात; गूढ गैयर पुं० ( प. ) गयवर; मोटो हाथी गया स्त्री० गाय
गैर स्त्री० ( प. ) अंधेर; अन्यायती अंधाधुंध (२) निंदा
और वि० [अ.] अन्य; बीजं (२) परायुं; अजाण्यं परजन (३) अभाव सूचवतो 'गेर' पूर्वंग
गैर-आबाद वि० [अ.] उज्जड; वेरान; पडतर ( जमीन ) गैर-जरूरी वि० [अ.]
[ अनावश्यक बिनजरूरी;
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गैर-जिम्मेदार १५९
गोड़िया गैर-जिम्मेदार वि० [अ.] बिनजवाबदार; गोइयाँ पुं०; स्त्री० जुओ 'गुईयाँ'मविश्वासपात्र
साथी, दोस्त औरत स्त्री० [अ.] लाज; शरम गोई स्त्री० [फा.] कथन कहे ते रतदार, गैरतमंद वि० लज्जा; (समासमां.उदा०बदगोई)(२) गोइयाँ'; शरमाळ
सखी; साहेली के तेनो छोड गैरमनकूला वि० [अ.] अचल; स्थिर गोक्षुर [सं.], गोखरू पुं० गोखरु कांटो रमनकूहा वि० स्त्री॰ [अ.]अविवाहिता । गोखा पुं० गोख; झरूखो (२) रखात
गो-घातक, -घाती, -न वि० [सं.] गैरमामूल, -लो वि० [अ] असाधारण गोहत्या करनार गैरमुनासिब वि० [अ.] गेरमुनासिब; गोचर पुं० [सं.] गोचर; चरो अयोग्य, गेरवाजबी
गोज पुं० [फा.] वा सरवो ते; वाछूट गैरमुमकिन वि० [अ.] असंभव; अशक्य
गोजई स्त्री०जव अने घउं(भेगा वावे ते) गैरवाजिब वि० [अ.] गेरवाजबी अयोग्य
गोजर पुं० कानखजूरो गैर-सरकारी वि० सरकारी नहि एवं
गोजरा पुं० जुओ ‘गोजई' गैरहाजिर वि० [अ.] गेरहाजर (नाम,
गोजी स्त्री० लाकडी (२) डांग -री स्त्री०)
गोझा पुं० गूंजु; खिस्सुं (२) एक गरिक पुं० [सं.] गेरु (२) सोनुं
पकवान (३) एक कांटाळू घास . गैरीयत स्त्री० [अ.]परायापणु परजनता
गोट स्त्री० गोट; किनारीनी पट्टी; गैल स्त्री० गली; रस्तो [एक माप
मुगजी (२) मंडळी (३) शेतरंजन गैलन स्त्री० [इ.] गॅलन - प्रवाही
महोरं (४) मिजबानी; जमण गैलरी स्त्री० [इ.] गॅलरी
गोटा पुं० सोनेरी रूपेरी फीत-किनार गैस स्त्री० [इ.] गॅस; वायु ।
गोटी स्त्री० कूटी (२) शेतरंजन महोरु गोंठ स्त्री० कमर परनी धोतियानी
गोठ स्त्री० गोशाळा; गोठो (२)गोठ गांठ-ओटी
[गोंड
(मजा, सहेल के गोष्ठी) गोंड़ पुं० एक आदिवासी पहाडी परज;
गोड़ पुं०पग (स्त्री० -ड़िया नाना पग) गोंडा पुं० वाडो (ढोरनो) (२) महोल्लो;
गोड़इत पुं० गामनो चोकीदार पाडो (३) आंगणुं गोंद पुं० गुंदर. ०दानी स्त्री० गुंदरियुं
गोड़ना स० क्रि० गोडवू, खोदवू जेथी
माटी तळे उपर थई पोचु थाय । गोंदनी स्त्री० गूंदीनुं झाड गो अ० [फा.] जोके (२) प्रत्यय -
गोड़ा पुं० खाटला वगेरेनो पायो (२) 'कहेनार' अर्थमां. उदा० बदगो=
घोडी (३) खामणुं; आलवाल बूराई करनार (३) स्त्री० [सं.] गाय गोड़ाई स्त्री० गोडवू ते के तेनी मजूरी (४) इंद्रिय
गोड़ारी स्त्री० खाटलानी पांगत (२) गोइठा पुं० सूकुं छाण; अडायुं __ जूतियु
युक्तिबाज गोइन्दा पुं० [फा.] बोलनार(२)गुप्तचर. गोड़िया स्त्री० जुओ 'गोड' मां (२)'.
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गोड़ी
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गोरस्तान गोड़ी स्त्री० लाभ; फायदो(२) गोड' पग गोपाष्टमी स्त्री० [सं.] कारतक सुद गोत पुं० गोत्र; खानदान(२)(प.)समूह आठम
[(२) गोवाळण सोता पुं० [अ.] डूबकी. -खाना=गो गोपी, -पिका स्त्री० [सं.] वजनी गोपी खाई ज; फरेबमां सपडावं. -मारना गोपुर पुं० [सं.] मंदिर के नगरनुं द्वार = डूबकी खावी (२) वच्चे डूबकी -दरवाजो मारी जq - जता रहे --- गोफन, -ना पुं० गोफण खोता-खोर, -मार पुं० डूबकी मारनार गोफा पुं० कूपळ; नवो फणगो (२) गोत्र पुं० [सं.] गोत्र; कुल(२)समूहःदळ __ स्त्री० गुफा गोद स्त्री० गोद; खोळो. -पसारकर गोबर पुं० गोमय; छाण (गायन) = खोळो पाथरीने; साव वश थईने. गोबराणे (-)श वि० कदरू'; बेडोळ -बैठना = दत्तक जq. -भरना= (२) मूर्ख; बेवकूफ खोळो भरवो
गोबरी स्त्री० लोपण (२) छागुं गोदनहरा पुं० बळिया टांकनार गोबरला पुं० छाणनो कीडो गोदना स० कि० गोडव; खोसq (२) गोभी स्त्री० एक शाक; 'फ्लावर' (२) गोदावq (३) पुं० छंदणु (४) बळिया एक घास (३) छोडनो एक रोम; टांकवानी सोय.-गोदना= शृंदणुं छंदवू 'गोभ' पण कहे छे गोदनी स्त्री० बळिया टांकवानी सोय गोमय पुं० [सं.] 'गोबर'; छाण (गायनु) गोदा स्त्री० गोदावरी नदी (२) पुं० गोमाय, -यु पु० शियाळ नवी फुटेली डाळी (३) वड पीपळ गोमुख पुं० [सं.] गायनुं मुख (२) माळा इ० नो पाको टेटो
जपवानी गोमुखी. -नाहर, -व्याघ्र गोदान पुं० [सं.] गाय- दान करवू ते =देखवामां सीधो पण अति वांको गोदाम पुं० माल- 'गोडाउन' - वखार माणस गोदी स्त्री० गोद; खोळो (२) आगबोट । गोमेध पुं० [सं.]गायना बलिथी थतो यज्ञ
इ० नी गोदी [गायोन धण गोयंदा पुं० जुओ ‘गोइन्दा' गोधन पुं० [सं.] गायो रूपी धन (२) गोय पुं० (प.) दडो; 'गेंद' गोधूम पुं० [सं.] घउं [संध्यानो समय गोया अ० [फा.] के जाणे; जाणे के गोधूलि, -ली स्त्री० [सं.] गोरज - गोर स्त्री० [फा.] घोर; कवर (२) वि, गोन, -ती स्त्री० [सं. गोणी] गूण; गौर; गोरु. -व कफ़न अंत्येष्टि
छालकुं (२) टाट ['गोवना' क्रिया गोना स० क्रि० (प.) गोप; छुपाववं; गोर-कन पुं० [फा.] घोर खोदनार गोनिया स्त्री० कडियानो ओळंबो (२) गोरखधंधा पुं० झघडो; पंचात पुं० गूणो ऊंचकनार
गोरखा पुं० गुरखो गोनी स्त्री० जुओ 'गोन' [गोवाळियो गोरस पुं० [सं.] दूध, दहीं वगेरे गोप, -पाल पुं० [सं.] गायोनो रखवाळ; गोर(-रि)स्तान पुं० [फा.] कब्रस्तान
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गोरा .. १६१
गौर-तलब गोरा वि० गोरु (२) पुं० गोरो- गोशा पुं० [फा.] खूणो (२) एकांत (३) विलायती माणस. (नाम ०ई स्त्री०, तरफ; बाजू (२) संसारत्यागी वि० स्त्री० -री)
गोशानशीन वि० [फा.] एकांतवासी गोरिल्ला पुं० गोरीलो वांदरो गोशाला स्त्री० [सं.] गोशाळा गोरिस्तान पुं० जुओ 'गोरस्तान' गोश्त पुं० [फा.] गोस; मांस गोरू पुं० ढोर; घोरी
गोष्ठ पुं० [सं.] पशुनी गमाण के गोशाळा गोलंदाज पुं० तोपची
(२) गोष्ठी; वातचीत (३) मंडळी गोलंबर पुं० घूमट (२) गोळाई गोष्ठी स्त्री० [सं.] वातचीत; मंत्रणा गोल वि० (२) पुं० [सं.] गोळ; वर्तुळ (२) सभा; मंडळी
(२) [इ.] फूटबॉल इ० नो गोल गोसाई पुं० गोसांई; 'गसाई' बोल पुं० [फा.] गोळ; मंडळी; झुंड ।
गोस्तना, नी स्त्री० [सं.] द्राक्ष गोलक पुं० [सं.] माटी, मोटुं कूड़ें
गोस्पंद, गोस्कंद स्त्री० [का.] घेटुं; बकरूं (२) वकरो; ‘गल्ला' (३) फंड (४)
गोह स्त्री० घो ['गुहार' (२) शोर गोलक (गोळो इ०)
गोहरा पुं॰छाj. गोहरा,-री स्त्री०जुओ गोल-गप्पा पुं० एक नानी पूरी
गोहराना अ० क्रि० 'गुहराना'; मोटेथी गोल-मिर्च स्त्री० मरी
बोलवू; पोकारवू गोला पुं० गोळो (२) नारियेळनो गोटो गोहार (-रि,-री) स्त्री० रक्षण माटे (३) मोटुं दाणा-बजार (४) वळो
बूम पाडवी ते; पोकार (२) शोरबकोर गोलाई स्त्री० गोळाई; गोळपणं
गौ स्त्री० [सं.] लाग; दाव (२) गोला-बारूद . स्त्री० दारूगोळो इ० ।
__मतलब; गरज. -का यार=मतलबी युद्धसामग्री
गौघात पुं० बरोबर लाग गोली स्त्री० गोळी
गौ स्त्री० [सं.] गाय [गोखलो गोलोक पुं० [सं.] स्वर्ग (२) व्रज गौख स्त्री० [सं. गवाक्ष] गोख; झरूखो; गोवना स० कि० (प.) जओ 'गोना' गौखा पुं० 'गौख' (२) गायनुं चामडं गोश पुं० [फा.] कान
गौग्रा पुं० [अ.] (वि०-पाई) घोंघाट; गोश-गुजार वि० [फा.(नाम -री स्त्री०) कोलाहल; शोर (२) अफवा [पेटा सांभळेलु. -करना = निवेदन कर । गौण वि० [सं.]ओछा के ऊतरता महत्त्वजें; कहेवू लटकतो मोतीनो तोरो गौन पुं० (प.) गमन एवी स्त्री गोशमायल पुं० [फा.] पाघडीमाथी गोनहाई वि० स्त्री० जेनुं आणुं कर्यु होय गोश-माली स्त्री० [फा. कान आमळवा गौनहार स्त्री० 'गौनहाई' [धंधावाळी ते (२) चेतवणी
गौनहार/-रिन,-री) स्त्री० गावाना गोश-वारा पुं० [फा.] काननी वाळी के गौना पुं० कन्याने वळाववी ते; आणुं कुंडळ (२) पाघडीनो तलो (३) तोरोः । गौर पुं० [अ.]गोर;विचार;ख्याल ध्यान कलगी (४) खातावार तारण ग्रौर-तलब वि० [अ.] विचारवा जेवू
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घटना
गौरव
१६२ गौरव पुं० [सं.] मोटाई (२) भार; ग्रामीण, ग्राम्य वि० [सं.] गामडा-(२) वजन (३) आदरमान ।
गामडियं; गमार गौरी स्त्री० [सं.] गोरी स्त्री (२) पार्वती मास पुं० [सं.] कोळियो (२) प्रसवं ते गौरया स्त्री० एक जळपक्षी ग्राह पुं० [सं.] ग्रहण (२) मगर गौहर पुं० [फा.] मोती
ग्राहक पुं० घराक (२) ग्रहण करनार ग्यान पुं० (प.) ज्ञान
ग्राही वि० [सं.] कबजियात करे एवं ग्यारस स्त्री० अगियारश
ग्राह्य वि० [सं.] ग्रहण करवा योग्य ग्यारह वि० अगियार; ११ ग्रीष्म स्त्री० [सं.] ग्रीष्म ऋतु: उनाळो ग्रंथ पुं० [सं.] ग्रंथ; पुस्तक. कर्ता, कार ग्रीवा स्त्री० [सं.] गरदन पुं० ग्रंथलेखक
ग्रेज्युएट पुं० [इ.] ग्रॅज्युएट; स्नातक ग्रंथसाहब पुं० शीखोनु धर्मपुस्तक प्रेन पुं० [इं.] ग्रेन वजन [खिन्नता ग्रंथि स्त्री० [सं.] गांठ (२) बंधन ग्लानि स्त्री० [सं.] अरुचि; अभाव; प्रसना स० क्रि० ग्रसवू; पकडवू ग्लास पुं०[इं.काच(२) गिलास'-प्यालो ग्रस्त वि० [सं.] पकडायलं; फसायेलं ग्वार स्त्री० गवार । ग्रह पुं० [सं.] ग्रह तारो (२) ग्रहण ग्वारपाठा पुं० कुंवारपाठे . ग्रहण पुं० [सं.] ग्रह-पकडq के लेवू ग्वारफली, ग्वारी स्त्री० गवारफळी ते (२) सूर्यचंद्रनुं ग्रहण
ग्वाल, -ला पुं० (स्त्री० -लिन) गोवाळ ग्रांडोल वि० [इ. ग्रॅन्जर] ऊंचु ने मोटुं बैंडा पुं० गाम पासेनी जगा ग्राम पुं० [सं.] गाम
ग्वैडे अ० पासे
घेघरा पुं० घघरा'; घाघरो घघरा ०,-री स्त्री०जओ 'घाघरा-री' घंघरी स्त्री० घाघरी
घट पुं० घडो [सं.] (२) शरीर (३) घंघोर(-ल)ना सक्रि०प्रवाही हलावीने स्त्री० घट; कमी (४) वि० घटतु थोडं
तेमां घोळवू (२) डखोळवं घटक पुं०[सं.] मध्यस्थ;पंच (२) दलाल घंटा पुं० [सं.] घंट (२) कलाक (३) (३) घडो (४) एकम; अवयव मोटुं (भीतन) घडियाळ
घटका पुं० छेवटनो श्वास; घोघरो घंटाघर पुं० टावर
बोलवो ते [(३) अप्रतिष्ठा घंटी स्त्री० नानो घंट (२) घूघरी (३) घटती स्त्री० घट; कमी (२) पड़ती गळानो घोघरो(४)गळा वच्चे लटकती। घटना अ०क्रि० घटवू; बनवू; थर्बु (२) पडजीभ
घरं; ऊंडु घटवू; बंधबेसचु; लागु पडq (३) ओर्छ भई स्त्री० (प.) भमरो; बमळ (२) वि० थर्बु (४) स्त्री० घटना; बनाव
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घटबड़
१६३
घर
घटबड़ स्त्री० वधघट घटवार पुं० नदीघाटनुं महेसूल लेनार (२) होडीवाळो (३) घाट पर दान लेनार ब्राह्मण घटवारि (-लि) या पुं० घाट के तीर्थनो । ब्राह्मण-पंडो झाड इ० नी) घटा स्त्री० [सं.] घटा; जमावट (वादळ, घटाना स० क्रि० घटावq; कम करवू घटाव पुं० घटाडो (२) नदीमां ओट घटित वि० [सं.] थयेलं; बनेलं [ऊलटुं घटिया वि० हलकुं; सस्तूं; 'बढ़िया'नुं घटिहा वि० गठियु; लुच्चु (२) बदमाश घटी स्त्री० कमी (२) 'घाटा'; नुकसान
(३) [सं.] घडी घट्टा पुं० घाटो; कमी (२) चीरो; फाट.
-खुलना= फाटवू; चीरो पडवो घट्ठा पुं० (शरीर पर पडतुं) आंटण घड़घड़ाना अ०क्रि० गगडQ (नाम -हट
स्त्री०). [मों ऊतरी जवू शरमावू घड़ा पुं० घडो. धड़ों पानी पड़ जाना= घड़िया स्त्री० धातु गाळवानी अंगीठी घड़ियाल पुं० घंट; घडियाळू (२)मगर घड़ियाली पुं० घंट वगाडनार घड़ी स्त्री० घडी; समय(२)घडियाळ.
घड़ी घड़ीकी खैर मांगना- चालु चिंतामां रहेQ. -में तोला, घड़ीमें मासा= झट बदलाया करतुं घड़ीसाज पुं०घडियाळी(नाम,-जी स्त्री०) घडाँची स्त्री० पाणीन वासण राखवानी
घोडी घतिया पुं० घातक (२) दगो देनार घन पुं० [सं.] घण; हथोडो (२) धन; वादळ (३) वि० घाटुं; घेरु (४) घन मापर्नु; नस्कर
घनघनाना अ०क्रि० गडगड अवाज थवो;
गर्जवं. (नाम, -हट स्त्री०) । घनघोर वि० बहु घेरं (२) पुं० खूब
गडगडाट; गर्जना घनचक्कर पुं० मूर्ख माणस (२) एक दारूखानु-जलेबी (३) चक्कर; फेरो. -में आना या पड़ना-चक्करमां पडवू; मूंझावु; सपडावं घनसार पुं० [सं.] कपूर घना वि० (स्त्री० -नी) घन; घाडु; गीच (२) नजीकनुं (३) खूब; घणुं । घनिष्ठ वि० [सं.] अति गाढ के घेरं घने, घनेरा वि० घणुं; बहु; अनेक घनई स्त्री० माटीनां हांल्लां ने मोटां
लाकडांनो बनावेलो तरापो घपची स्त्री० बाथ; बे हाथथी पकडq ते.
-बाँधना=बाथ भीडवी; बाथमां लेवू घपला पुं० गरबड; गोलमाल घबड़ा (-रा)ना अ.क्रि० गभरावं (२) रघवाट थवो (३) मूंझावु (४) सक्रि० गभराव घबड़ा(-रा)हट स्त्री० गभराट घमंड पुं० गर्व; अभिमान; शेखी. -पर आना, होनाघमंडमां आव; गर्व करवो घमंडी वि० अभिमानी; घमंडवाळू घमका पुं० घममम अवाज (२) घुम्मो; ठांसो (३) 'घमसा'; गरमी; घाम घमस स्त्री०, -सा पुं० घाम ; उकळाट (२) अधिकता घम(-मा)सान पुं० घमसाण; भयंकर घर पुं० घर; मकान (२) कुळ (३) कोठो; खानु; स्थान. -का उजाला या चिराग पुत्र; संतान. -को मुर्गी
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घरघराना
दाल बराबर = निकटनी - घरनी वात वस्तुती कदर न थवी. घर घरका होना - हो जाना = मार्या मार्या फरवु - में भूंजी भाँग न होना = बहु गरीब • होवू. - सिर पर उठा लेना =होहा करवु; उधमात मचाववो. [अवाज थवो घरघराना अ० क्रि० घर घरवुं; घरर घर-घाट पुं० रंगढंग; अवस्था [स्त्री घरनी स्त्री० [प्रा. धरणी] गृहिणी; घरणी; घरफोरी स्त्री० कुटुंबक्लेश करावनारी घरबसा पुं० यार; उपपति (स्त्री० -सी) घरबार पुं० घरबार; ठाम ठेकाणुं; मालमिलकत (२) घरसंसार; कुटुंबकबीलो घरबारी पुं० गृहस्थ; घरसंसारी घरवाला पुं० घरवाळो पति; घर
मालिक (स्त्री० ली).
घराऊ वि० घर सम्बन्धी (२) निजी घरतुं घराती पुं० कन्यापक्षना लोक घराना पुं० घर; खानदान; कुळ घरू वि० जुओ 'घराऊ' घरेलू वि० पाळेलुं (२) 'घरू'; घरनुं; खानगी (३) घेर बनेलुं
घरौंदा, -धा पुं० घर घर रमवा माटे बाळक बनावे छे ते घर
धर्म पुं० [सं.] घाम ताप घर्रा ( ०टा) पुं० कफ घररर बोले ते घलना अ० क्रि० छूटी जव; फेंका (२) मारामारी थवी
घलाघल, -ली स्त्री० मारामारी घलुआ पुं० खरीदनारने उपरथी छूटनं धारे आप
घसिटना अ० क्रि० घसडावुं घसियारा पुं० घास वेचनारो घसीट स्त्री० घसरडवुं ते
१६४
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धानी
घसीटना स० क्रि० घसरडवु; ढसरडवु घस्सा पुं० 'घिस्सा'; घिस्सो घहर ( - रा ) ना अ० क्रि० गर्जना जेवो अवाज काढवो
घाँघरा पुं० 'घाघरा '
घाँटी स्त्री० गळं के अंदरनी पडजीभ घाईं स्त्री० बाजु; तरफ (२) वार; 'दफ़ा' (३) पाणीनो वमळ, भमरो घाऊघप वि० जुओ 'गाऊघप्प' घाग, घाघ पुं० भारे चतुर माणस घाघरा पुं० घाघरो
घाट पुं० [ सं . ] जळाशयनो घाट; ओवारो (२) पहाड के पहाडी रस्तो (३) घाट; ढंग; लाग
घाटवाल पुं० जुओ 'घाटिया' घाटा पुं० घट; खोट; हानि [ब्राह्मण घाटिया पुं० 'घटवार'; घाट के तीर्थनो घाटी स्त्री० खीण; पर्वतो वच्चेनो पहाडी सांकडो रस्तो
घात पुं० [सं.] घा; प्रहार ( २ ) घात; वध (३) स्त्री ० लाग; दाव; सुयोग (४) खराब करवानो लाग ताकवो ते. -चलाना = जंतरमंतरवुं. - पर चढ़ना, - में आना = लागमां आववु में फिरना = लागमां फरवु; तक साधवी ( खराब करवा). – लगना = लाग खावो; मोको मळवो
घातक वि० [सं.] मारनार (२) हिंसक (३) पुं० हत्यारो (४) शत्रु घातकी, घाती वि० घातक; हत्याएं घान पुं०, घानी स्त्री० [सं. घन] घाण; रांधवा दळवा खांडवा इ०मां एकसाथे वातो समूह (२) प्रहार [पीलबं घानी स्त्री० घाण (२) समूह. - करना =
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घाम घाम पुं० सूर्यनो ताप; गरमी मूर्ख घामड़ वि० घामथी पीडातुं (पशु) (२) घाय पुं० घा; चोट; जखम घायल वि० जखमी; घवायेलं घाल,-ला पुं० जुओ 'घलुआ'. -न
गिनना= तुच्छ समजवू घालना स० कि० मारी नांखवू (२)
घालबुं; खोसवू (३) बगाडq घालमेल पुं० घालमेल, गरबडसरबड (२) मेळ; मिलन; संयोग घाव पुं० 'घाय'; घा. -देना-दुख देवं; आघात पहोंचाडवो. -पूजना, भरना =घा मटवो घास स्त्री० घास; तण; चार.-काटना, खोदना-घास कापवू नका, के व्यर्थ काम के महेनत करवी. -खाना पशु जेवू - बावरं बनवू पूंजो घास-पात,-फूस पुं० घास-पांदडु; कचरो घिग्घी स्त्री० डूसकुंके भयथी खमचाता बोलq के न बोलवू ते. -बँधना=डरथी मों बंध थर्रा प्रार्थना करवी घिधियाना अ० क्रि० करुण अवाजे घिचपिच स्त्री०संकडाश; जगानी तंगी
(२) वि० जुओ 'गिचपिच' घिन स्त्री० घणा; अरुचि ऊबको; सग घिनाना अ०. क्रि० 'घिन' ऊपजवी . घिनावना, घिनौना वि० 'घिन'-
घृणाजनक; खराब घिन्नी स्त्री०गरेडी; घिरनी'(२)चक्कर घिया स्त्री० दूधी; ‘कद्द' घियाकश पुं० 'कद्दकश'; छीणी घिया-तरोई, तोरई, -तोरी स्त्री०
एक शाक; गलकुं (?) . घिरना अ० क्रि० घेराई ज; घेरा,
घुघुआ घिरनी स्त्री० गरेडी (२) दोरडाने
वळ देवानी फीरकी घिराई स्त्री० घेरवु ते (२) डोरने
चारवा लई जq ते के तेनुं महेनताj घिराव पुं० घेरावं ते (२) घेरो घिसना सक्रि० घसq (२) अ० क्रि०
घसावं घिसधि (-पि)स स्त्री० घालमेलथी थतो
विलंब; ढील; दीर्घसूत्रीपर्यु घिसाई स्त्री० घसवं ते के तेथी पडतो
कचरो के तेनी मजूरी घिसाना,घिसवाना सक्रि० घसावQ घिस्सा पुं० घिरसो; घसरको (२) धक्को घी पुं० घी; घृत. -का कुप्पा लढ़ना, -के कुप्पे लुढ़कना=भारे नुकसान थq.-का डोरा (देना)=घीनो दोरो देवो; (भात इ० मां) ऊनुं घी नांखq. -के दीए जलाना या भरना = खूब माणवू; सुखचेनमा रहे. -खिचड़ी होना=भारे प्रेम के दोस्ती या बनाव
घी-कुवार पुं० कुंवारनु पर्छ घुइयाँ स्त्री० अळवी कंद. घुघची स्त्री० चनोठी; रती घुघनी स्त्री० कोई अन्न पलाळी ते तळीने थतुं खाद्य; घूघरी जेवं धुंधरारे,-ले वि० वांकडिया (वाळ) (स्त्री० -री, -ली) घुघरू पुं० घूघरी (२) घूघरीवाळं पगर्नु घरेणुं (३) जुओ ‘घटका' [बोरियु घुडी स्त्री० कपडानुं गोळ गांगडी जेवू घुग्घी स्त्री० कामळाने त्रिकोण वाळी बनावातुं माथा- ओढण घुग्घू, घुघुआ पुं० घुवड .
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घुघुआना
घुघुआना अ० क्रि० घुवड पेठे घुघु बोलवु (२) बिलाडीनुं घूरकवुं घुटकना स०क्रि० गटगटावी जवुं; पीवुं घुटकी स्त्री० गळानी अन्ननळी घुटना पुं० घूंटण. - टेकना = घूंटणे पडवु; ताबे . घुटनों में सिर देना = चिंता के शरमथी माथुं नीचुं करवुं; पस्तावुं घुटना अ० क्रि० श्वास घूंटावो (२) खूंटावुं (३) घसावुं जेथी सुंवाळं थाय के चळके. घुट घुटकर मरना = = खूब पीडाईने मरवं घुटा हुआ - बहु चालाक घुटना पुं० जांघियो घुटाई . स्त्री० घूटवुं के घसवुं ते घुट्टी स्त्री० बाळकने पाचन माटे पिवाडाती दवा में पड़ना = गळथूथीमां पडवु; स्वभावमां होवु घुड़ ( - र) कना स० क्रि० घूरकवुं; कोथी घांटो काढीने कहेवुं घुड़की स्त्री० घूरकवूं के वढवुं ते घुड़चढ़ा पुं० घोडेस्वार घुड़दौड़ स्त्री० घोडदोड [तोप घुड़नाल स्त्री० घोडा पर चडती एक घुड़बहल स्त्री० घोडवहेल; घोडानी वहेल घुड़सवार पुं० घोडेसवार घुड़सार ( - ल ) स्त्री० घोडार; तबेलो घुन पुं० अनाज वगेरेमां पडतो एक जीव. - लगना = ए जीव पडवो (२) सडवुः खवावुं
घुनघुना पुं० घूघरो (रमवानो) घुनना अ० क्रि० 'घून' थी खवावु घुन्ना वि० (स्त्री० त्री) क्रोध, द्वेष
इ० मनमा दाबी राखनार धुप वि० घाडुं; घोर (अंधारुं) घुमक्कड़ वि० सहेलाणी; खूब घूमनार
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१६६
घूंट
घुमटा पुं० माथुं घूमे - चक्कर आधे ते घुमड़ स्त्री० वादळां घेरावां ते घुमड़ना अ० क्रि० वादळ घेरावां (२) एक थ; छवा [ 'घुमनी' घुमड़ी स्त्री० घुमरी; चकरी (२) जुओ घुमना वि० (स्त्री०-नी) जुओ 'घुमक्कड़' घुमनी स्त्री० गोळ गोळ फरी गबडी पडे एवो पशुरोग [(३) जुओ 'घुमनी'
घुमरी स्त्री० चकरी ( २ ) पाणीनो वमळ घुमाना स० क्रि० घुमाव : फेरववुं (२) कशामां लगाड
घुमाव पुं० घूमवुं के घुमाववुं ते (२) फेर; चक्कर (३) रस्तानो वळांक [ अवाज ) घुमुर अ० घम्मर घम्मर ( चक्कीनो धुरकना स० क्रि० जुओ 'घुड़कना ' घुरघुराना अ० क्रि० गळामांथी घुर घुर अवाज नीकळवो
=
घुरना अ० क्रि० घोर अवाज थो घुलना अ० क्रि० ओगळवु (२) मळी जवं (३) क्षीण थवुं (४) समय वीतवो ( प्रेरक घुलवाना, घुलाना) घुल जाना = बहु कमजोर थवुं. घुल-मिलकर : खूब हळी मळीने. घुला हुआ= वृद्ध घुसना अ० क्रि० घूसवुं घुसपैठ स्त्री० प्रवेश; गति घुसाना, घुसेड़ना स० क्रि० घुसाउनुं घूँघट पुं० घूंघट; घूमटो. उठाना, - उलटना = घूमटो दूर करवो; मों देखाडवु. - करना, - काढ़ना, -निकालना, -मारना=घूमटो ताणवो लाज काढवी घूंघर पुं० वाळनुं वांकडियं जुलकुं घूँघरवारी ( -ले) वि० जुओ 'घुंघरारे' घूंट पुं० घूंटडो. - भरना, -लेना = घूंटडो मरवो; घूंटडे घूंटडे पीबुं
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चूंटना
घ्राण
१६७ चूंटना स० क्रि० चूंटड़ो उतारवो; पीवू घोखना सं० क्रि० गोखवू चूंटी स्त्री० जुओ 'घुट्टी'
घोटना स० कि० सुंवाळु के चमकतुं धूंसा पुं० लूंसो; मुक्को
करवा खूब घस (२) चूंटवू (३) घुक [सं.], घुघू पुं० घुवड; 'घुग्धू' गोख (४) वढवू (५) गळं रूंधq घटना सक्रि० जुओ 'चूंटना'(२)दबाव घोटाला पुं० गोटाळो। बूंटq (गळं)
घोड़बच स्त्री० घोडावछ औषधि घूम स्त्री० जुओ 'घुमाव'
घोड़सार,-ल स्त्री० घोडासार; तबेलो घूमना अ०क्रि० फरवू; टहेलq(२)घूम; घोड़ा पुं० घोडो (२) खूटी (कपडा. भम
माटे). -उठाना, -डालना, -फेंकना धूर(-रा) पुं० कचरोपूंजो के ते
घोडो तेज करवो. -खोलना = घोडो नाखवानी जगा - उकरडो ।
छोडवो; साज वगेरे दूर करवू (२) घूरना अ० क्रि० गुस्साथी एकीटसे
घोडोचोरवो.-फेरना घोडोपलोटवा जोया करवू (२) कुदृष्टि करवी
गोळ गोळ फेरववो. -मारना=घोडो घस स्त्री० लांच (२) छ दर (?) मारी मूकवो । घुसखोर वि० लांचखोर; लांचियुं घोड़ा-नस स्त्री०एडी आगळनी धोरी नस घृणा स्त्री० [सं.] अणगमो; तिरस्कार; घोडिया स्त्री० नानी घोडी (२) नफरत
भीतनी खूटी घृणित वि० [सं.] घृणापात्र
घोड़ी स्त्री० घोडी (२) लाकडानी घृत पुं० [सं.] घी
घोडी (३) वरपक्षनुं लग्नगीत.-चढ़ना घृतकुमारी स्त्री० [सं.] कुंवारपार्छ =घोडे चढवू; परणवा जवू घंटा पुं० डुक्कर- बच्चे
घोर वि० [सं.] भयंकर; विकराळ (२) घेघा पुं० गळानी नळी (२) नळाना गीच; दुर्गम (३) घेरे; ऊंडु (४) अति सोजानो एक रोग
खराब; पापी (५) अतीव; खूब (६) घर पुं० घेर; घेरावो; परिष
स्त्री० घोर अवाज; गर्जना घेरना स०क्रि० घेरवू(२)खुशामत करवी । घोल पुं० घोळी ओगाळीने करेलु ते घेरा पुं० घेर; घेरावो (२) घेरो (३) घोलना स० क्रि० घोळवू
नाडा के घेरनी हद [घिराई' घोष पुं० [सं.] मोटो अवाज (२) गोवाळ घेराई स्त्री०, -व पुं० घर; घेरावो; के तेमनो वास जाहेरात घेवर पुं० घेबर; एक पकवान घोषणा स्त्री० [सं.] गर्जना (२) ढं रो; घोंघा पुं० घोंघा; पाणी । एक जीव घोसी पुं० घांची; दूध वेचनार (२) वि० निःसत्त्व (३) मूर्ख
(मुसलमान) . घोटना स० क्रि० चूंटडे धूंटडे पीq (२) । घौद पुं० फळोनी लूमः (केळांनू) गोड जुओ 'घोटना'
घ्राण पुं०, स्त्री० [सं.] सूंघवं ते (२) घोंसला, घोंसुआ पुं० पक्षीनो माळो नाक (३) वास; बू
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चंक्रमण
१६८
चंक्रमण पुं० [सं.] आम तेम फरवू,
आंटा मारवा. ते चंग स्त्री० [फा.] चंग वाजें (२) पतंग (३) पुं० गंजीफानी चंग रमत (४)वि० [सं.] सरस; सुंदर; चंगु. - उमहना, - चढ़ना= चगवू; खूब जोर थवं.-पर चढ़ाना=वातचीत करीने-चगावीने मेळवी लेवं चंगा वि० (स्त्री० -गी) चंग; चंगु चंगुल पुं० चंगूल; पशु-पक्षीनो पंजो (२) । • चुंगल. -में फँसना चुंगलमा फसावं चंगेर (-री,-ली) स्त्री०वांसनी छाबडी के टोपली (२) मशक; पखाल (३) बाळकनुं खोयु चंचरी स्त्री० भमरी (२) एक छंद चंचरीक पुं० [सं.] भमरो। चंचल वि० [सं.] चंचळ; अस्थिर (२)
चपळ. ०ता, ताई (प.), लाई स्त्री० चंचला स्त्री० [सं.] वीजळी (२)लक्ष्मी (३) एक छंद चंचु, (०का, -चू) स्त्री० [सं.] चांच चंट वि० चालाक; पहोंचेल; पाकुं चंड वि० [सं.] उग्र; तीव (२) भयंकर ।
(३) क्रोधी (४) पुं० ताप चंडांशु पुं० [सं.] सूरज चंडाल पुं॰ [सं.]चंडाळ (२) नीच माणस । चंडावल पुं० सेनानो पाछलो भाग; _ 'हरावल'थी ऊलटो (२) पहेरेगीर चंडिका, चंडी स्त्री० [सं.] दुर्गा के काली देवी(२)वढकणी के कर्कशा स्त्री
चंडू पुं० चंडूल; अफीणनी एक मादक
वस्तु. ०खाना पुं० चंडूल पीवानो अड्डो चंडूल पुं० चंडोळ पक्षी चंडोल पुं० एक जातनी पालखी; मेना चंद पुं० [सं.] चंद्र (२) वि० [फा.]
थोडुक (संख्यावाचक) चंदक पुं० [सं.] चंद्र (२) चांदनी (३)
एक घरेणु (४) एक माछली चंदन पुं० [सं.] सुखड के तेनुं झाड चंदनी स्त्री० (प.) चांदनी [अस्थायी चंद-रोजा वि० [फा. थोडा दिवसचें; चंदला वि० 'गंजा'; माथे तालवाळं चॅदवा पुं० चन्दरवो चंदा अ० [फा.] आटलं (२) आटली वार चंवा पुं० चन्दा; चन्द्र (२) [फा॰] फंड; फाळो (३) लवाजम चंदिया स्त्री० खोपरी; तालकुं (२) चानकी; नानो (छेवटे वधेला लोटनो) रोटलो चंद्र पुं० [सं.] चांदो. ०कला स्त्री० चंद्रनी कळा. ०मा पु० चांदो. ०मौलि,
शेखर पुं० शंकर चंद्रिका स्त्री० [सं.] चांदनी [दवा . चंद्रोदय पुं० [सं.] चंद्रनो उदय (२) एक चंपई वि० चंपाना रंगन; पीळू चंपक पुं० [सं.] चंपो पकडवी चंपत बनना, होना = छू थई जवू; चलती चैपना अ०क्रि० दबावं; चांपवू (२) सक्रि० दबाव चंपा पुं० चंपो फूलझाड
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चंपू
चंपू पुं० [ सं . ] काव्यनो एक प्रकार चँवर पुं० चामर (२) घोडा हाथीना M माथानी कलगी. - डलना = चामर ढोळावी. ०ढार पुं० चामर ढोळनार च वि० 'चौ'; समासमा 'चार' अर्थमां आवे छे. उदा० चउदस, चपाई इ०
चक पुं० चक्र; पैडुं (२) 'चकई' रमकडुं (३) चकवो पक्षी (४) जमीननो (५) गामडुं (६) अधिकार (७) वि० भरपूर (८) चकित ' चकई स्त्री० चकवी; 'चका' नुं स्त्री० (२) गोळ फेरववानुं एक रमकडुं चकचकाना अ० क्रि० झमबुं; झरखं; ततक
१६९
चकचून वि० चूरेचूरा थयेलुं; चकचूर arata स्त्री० जुओ 'चकाचौंध ' anataar अ० क्रि० तेजथी अंजावु चकती स्त्री० चकती (२) ढींगली. बादलमें चकती लगाना = असंभव वात करवा मथवुं
चकत्ता पुं० चामुं (२) दांत बेठानं चिह्न (घा नहि ) [चकित थ चक ( - का) ना अ० क्रि० ( प. ) चोंक ; चकनाचूर वि० जुओ 'चकचून ' (२) बहु थाके
चकफेरी स्त्रो० चकरडी; परिक्रमा ariat स्त्री० जमीनना भाग - नक्की करवा
-
पटा
चक्रमक़ पुं० [तु.] चकमक पथ्थर चकमा पुं० थाप; फरेब ( २ ) हानि चक्रमान पुं० चकमक चक्रमाक़ी वि० चकमकनुं के चकमक - वाळं (२) स्त्री० बंदूक
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चक्की
चकर पुं० (प.) चक्कर (२) चकवो पक्षी चकरबापुं॰ चक्कर;गूंचवाडो (२) बखेडो चकरा वि० (स्त्री० - री) चोडुं; पहोळं चकराना अ० क्रि० ( माथु ) घूमवुं; चक्कर आवai ( २ ) चकित थवुं (३) स० क्रि० चकित करवुं चकला पुं० रोटली वणवानी आडणी; चकलो (२) वेश्या वाडो (३) चकलं; विभाग इलाको (४) घंटी (५) वि० जुओ 'चकरा' चकली स्त्री० गरेडी (२) ओरसडी (३) वि० स्त्री० 'चकला' [मित्रोनो हांसीखेल चकल्लस स्त्री० कचकच; झघडो ( २ ) चकवा पुं० चक्रवाक - चकवो पक्षी (स्त्री० - वी ) [पक्षी; चकवो चका पुं० चक्कर; पैडु (२) चक्रवाक चकाचक वि० ( रख० ) खूब; लचपच; तरबोळ (२) स्त्री० तलवार इ० नो उपराउपरी अवाज के तेती झडी चकाचौंध स्त्री० तेज आगळ आंख
अंजावी ते; ' चकचौं व '
चकाना अ० क्रि० ( प. ) जुओ 'चकना ' चकाबू ( ०ह) पुं० चक्रव्यूह; चक्कर चकित वि० [सं.] चोकेलुं; विस्मित; गभरायेलुं
चकुला पुं० ( प. ) चकलो पक्षी चकोटना स० क्रि० चूंटी खणवी चकोतरा पुं० चकोतरं; पपनस चकोर पुं० [सं.] एक पक्षी (स्त्री० - री) चक्कर पुं० चक्र (२) फेर; घेर (२) गूंचवाडो. - काटना, मारना = फेरो मारवो चक्का पुं० पंडु; चक्र चक्की स्त्री० घंटी (२) घूंटणनी ढांकणी (३) वीजळी - पीसना = दळवु
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चक्र पुं० [सं.] चक्र; पैडुं (२) पाणीनं वमळ (३) कुंभारनो चाक चक्रधर, चक्रपाणि पुं० [सं.] विष्णु चक्रवाक पुं० [सं.] चकवो पक्षी चक्षु पुं० [सं.] आंख चक्षुष्य वि० [सं.] आंखने प्रिय के हितकर ( २ ) पुं० अंजन
O
पुं० चक्षु (२) [फा.] झघडो; तकरार चखचख पुं० तकरार; बोलाबोली चखना स०क्रि० चाखवं ( प्रेरक चखाना) चखाचखी स्त्री० 'चख'; तकरार; लडाई चगड़ वि० चालाक; होशियार चचा पुं० (स्त्री० - ची) काका; 'चाचा'. - बनाना = वेर वाळ
चचिया वि० काका बरोबरनं. -ससुर = काकाजी. - सास = काकीसासु चचेरा वि० (स्त्री० - री) काकानुं. - भाई = काकानो दीकरो [ दाबीने) चचोड़ (र) ना स०क्रि० चूस (दांतथी चट अ० चट; झट कर जाना = बधुं खाई जवं ( २ ) वीजानुं उठावी जनुं चटक स्त्री० चमक (२) जलदी (३) अ० चट; झट (४) वि० चमकतुं (५) चपळ (६) मजेदार
चटकदार वि० लहेजतदार; स्वादु (२) मनोहर; आकर्षक; चमकतुं चटकन पुं० ' चटकना'; तमाचो चटक ( -ख) ना पुं० तमाचो (२) अ० क्रि० चट अवाज करवो (३) चीरा पडवा; ततडवु; तरडावं (४) खीलवुं (फूल) (५) चटी जव; अणबनाव थवो चटक ( -ख) नी स्त्री० बारी बारणानी आंकडी; 'सिटकनी'
चटक मटक स्त्री ० हावभाव; नाच नखरां
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चट्टी
चटका ( - खा ) ना स० क्रि० तोहवं; चीर (२)आंगळीना टचाका बोलाववा (३) चट चट अवाज नीकळे एम करवुं (४) चीडवj; गुस्से करवु. जूतियां चटकाना = जूतां घसढता -: - मार्या मार्या फर 'चटकहर
चटकारा ( - रेका), चटकीला वि० जुओ चटनी स्त्री० चटणी
चटपट अ० झटपट चटचट चटपटा वि० लहेजतदार मसालेदार चटपटी स्त्री० तालावेली; अधीराई (२)
अकळामण
चटाई स्त्री० सादडी (२) चाटवुं ते चटाक ( -ख) पुं० आंगळीनो टचाको चटाका ( -खा) पुं० कडाको; टचाको; कांई कठण तूटवानो अवाज. चटाकेका = बहु तेज; उग्र [(३) लांच आपवी चटाना स० क्रि०चटाडवं (२) खवडाव चटापटी स्त्री० उतावळ (२) चेपी' रोगथी टपोटप मरखुं ते
चटावन पुं० बाळकनो अन्नप्राशन संस्कार चटियल वि० झाडपान वगरनुं चोखुंचट (मैदान)
चटोरा वि० चटूडुं; सवादियुं (२) लोलुप चट्टान स्त्री० मोटो पहोलो खडकनो पथ्थर; मोटी पहोळी शिला चट्टा बट्टा पुं० रमकडांनो समूह. एक ही थैलीके चट्टे-बट्टे = एक ज - मळेला माणस. चट्टे-बट्टे लड़ाना = आपसमां लडावी मारखं
चट्टी स्त्री० पडाव (२) स्लीपर जोडा (३) खोट; नुकसान ( ४ ) दंड. - धरना = दंड लगाववो. - भरता = नुकसान भरी आप
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१७१
चप्पल चट्ट वि० 'चटोरा'; सवादियुं चनक (-ख)ना अ० क्रि० गुस्से थ; चढ़त स्त्री० देवने चडावाती भेट चटी जवं; 'चटकना' चढ़ना अ० क्रि० चडः चढ़ बढ़कर चना पुं० चणा. चनेका मारा मरना= होना=चढियातुं होवं. चढ़ बनना= बहु नबळं पड़ी जq [अ० डाबं-जमणूं फावq; लाग खावो
चप वि० [फा. डाबु.-व रास्त वि० (२) चढ़ाई स्त्री चडवू ते (२) चडाई
चपकन स्त्री० एक जातनुं अंगरखं(२) (३) चडाव (४) पूजापो के नैवेद्य वगेरे
ट्रंक वगेरेनी बेसाडीने वासवानी कळ चढ़ा-उतरी स्त्री० चडऊतर
चपक (-ट) ना अ०क्रि० जुओ 'चिपकना' चढ़ा-ऊपरी, चढ़ाचढ़ी स्त्री० चडसा- चपटा वि० जुओ 'चिपटा'; चपटुं चडसी; स्पर्धा; होड
चपड़ा पुं० साफ-चपडालाख (२) वंदो चढ़ान स० क्रि० चडावq (२)पी जवू
चपड़ा(-रा)स स्त्री० चपरासीचढ़ाव पुं० चडवू ते (२) चडाव (जेम के पटावाळाना पटानी तखती पहाडनो, नदीनो) (३) जुओ 'चढ़ावा' चपड़ा (-रा)सी पुं०चपरासी; पटावाळो चढ़ावा पुं० लग्न वेळा वर वधने आपे
चपत स्त्री० चपेट; तमाचो छे ते घरेणं (२) पूजापो (३) उत्साहः चपती स्त्री० पट्टी; फूटपट्टी हिंमत. -देना= उत्साह देवो; उत्तेजवू चपना अ० कि० दबावु (२) शरमावू चतुरंग वि० [सं.] चार अंगवाळं (सेना चपनी स्त्री० चपणु (२) हांल्ली के इ०)(२) पुं० शतरंज प्रवीण चूंटणनी ढांकणी चतुर वि० [सं.] चालाक; होशियार (२) चपरना स० क्रि० (प.) चोपडवू; चतुर्थ वि० [सं.] चोथु [विभक्ति । __'चिपड़ना' चतुर्थी स्त्री० [सं.] चोथ (२) चोथी चपरास, -सी जुओ 'चपड़ास,-सी' चतुर्दशी स्त्री० [सं.] चौदश
चपल वि० [सं.] चपळ; चंचळ (२) चतुर्विक् (-) पुं० [सं.]चारे दिशा (२) पुं० पारो
अ० चोतरफ [आकृति (२) विष्णु चपला स्त्री० [सं.] 'चंचला'; वीजळी चतुर्भुज पुं० [सं.] चार बाजुवाळी (२) लक्ष्मी (३) जीभ (४) वि० चतुर्वर्ग पुं० [सं.] चार पुरुषार्थ-धर्म, स्त्री० चपळ (स्त्री०) अर्थ, काम ने मोक्ष
चपाट पुं० सपाट; खासडी चतुर्वर्ण पुं० [सं.] चार वर्णो- ब्राह्मण, चपाती स्त्री० चपाटी; रोटली क्षत्रिय, वैश्य अने शूद्र [चौकोना' चपाना स० क्रि० 'चपना' नुं प्रेरक चतुष्कोण पुं० [सं.]चार खूणिया आकृति; चपेट स्त्री० [सं.], -टा पुं० चपेट; चतुष्टय पुं० [सं.] चारनो समूह थप्पड (२) आफत (३) आघात; धक्को चतुष्पद वि० (२) पुं० [सं.] चोपगुं। चपेटना स०क्रि० दबावq (२)वमकाव_ चदरिया स्त्री० (प.) चादर चपेटा पुं० जुओ 'चपेट' चद्दर स्त्री० चादर (२) धातुनुं पतरं चप्पल पुं० चंपल
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चप्पा १७२
चरखा चप्पा पुं० चोथो भाग (२) थोडो चमत्कृति स्त्री० [सं.] चमत्कार भाग के जगा (३) चार आंगळ जगा चमन पुं० [फा.] बगीचो चप्पी स्त्री० चंपी
चमर पुं० [सं.] चमरी गाय (२)चम्मर चप्पू पुं० हलेसुं; चाटवो
चमरख स्त्री० चमरखं (२) वि० चबाना स० क्रि० चाव
चमरखां जेवी सुकलकडी (स्त्री) चबूतरा पुं० चबूतरो; चोतरो (२) चमला पुं० भिखारीनुं चपणुं मोटु पोलीस-थाj [नास्तो । चमार पुं० चामडियो. -रिन स्त्री० चबेना पुं० चवाj. --नी स्त्री हाजरी; चमारण चभोरना स० क्रि० झबोळवू चमारी स्त्री०चमारकाम(२)चमार स्त्री चमक स्त्री० चमक; कांति; झळक(२) चमू स्त्री० [सं.] सेना; फोज चसक. -देना, -मारना= चमक.
चमेली स्त्री० चंपेली फूलवेल -पड़ना=चसक आववी
चमोटा पुं०, -टी स्त्री० हजामनो चमक-चाँदनी स्त्री० बनी ठनी रहेनारी चामडानो टुकडो [(३)जुओ 'चमोटा' नखरेबाज स्त्री
चमोटी स्त्री० चाबुक (२) पातळी सोटी चमक-दमक स्त्री० चमक (२) ठाठमाठ चमौवा पुं० रद्दी खासयुं . चमकदार वि० चमकतुं
चम्मच पुं० चमचो के चमची चमकना अ० क्रि० चमकवू (२) चसक चय पुं० [सं.] ढगलो; समूह; संग्रह आववी के मारवी
चयन पुं० [सं.] संग्रह (२) चूंटणी चमकाना सक्रि० चमकावq; चमकतुं
करवी ते करवू (२) चोंकाव, (३) चीडवर्बु चर पुं० [सं.] दूत; जासूस (२) वि० (४) चगावq
' अस्थिर; फरतुं चमकारा पुं० चमकारो
चरई स्त्री०ढोरने चारो पाणी नीरवान चमकीला वि० चमकतुं (२) शानदार होज के कुंडी जेतुं स्थान; गमाण चमकौवल स्त्री० चमकाववं ते चरक पुं० [सं.] चर; दूत (२) जासूस चमगादड़ पुं० चामाचीडियु
(३) मुसाफर (४) चरक वैद चमचमाना अ० क्रि० चमकवू (२) चरकटा पुं० चारो कापी लावनार स० क्रि० चमकाव
चरका पुं० [फा.] उझरडो के जराक चमचा पुं० [फा.] चमचो (२) चीपियो. जखम (२) डाम (३) छळ; दगो
-ची स्त्री० नानो चमचो के चीपियो चरख पुं० [फा. चर्ख] चक्र (२)रेंटियो चमजु(-जो)ई स्त्री० चामजू (२) जू (३) कुंभारनो चाक (४) तोपनी गाडी पेठे वळगे ते चामडं कमावQ (५) गोफण (६) खराद; संघाडो चमड़ा पुं० चामडु (२) छाल.-सिझाना चरखा(-खा) पुं० चक्र (२) रेटियो चमड़ी स्त्री० चामडी [आश्चर्य (३) रेंट (४) खराद (५) गरगडी चमत्कार पुं० [सं.] अद्भुत घटना (२) (६) माथाकूटियुं काम
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चरखी
१७३ चरखी (-खो) स्त्री० फरकडी, गरगडी चराना स० क्रि० (ढोर) चरावयूँ (२) इ० जेवी फरनार वस्तु (२) लोढवानो . मूर्ख बनावq। चरखो (३) एक जातनुं दारूखानुं चरिदा पुं० [फा पशुः चरे ते चरचना स० कि० चन्दन आदि चरचर्चा चरित, -त्र पुं० [सं.] चरित्र; कथा
-अर्चा करवी (२) पूजा करवी चरितार्थ पुं० [सं.] कृतार्थ; सफळ चरचराना अ०क्रि० चचर(२)ताडानी चरित्तर पुं० चरीतर; नटखटपणुं पीडा थवी (३) जुओ 'चर्चना' चरी स्त्री० चराण जमीन (२) चारा चरण (-न) पुं० [सं.] पग (२) काव्यर्नु माटेनी लीली जुवार (३) [सं.]
चरण (३) चोथो भाग [करनार जासूस स्त्री [तेनुं वासण चरती पुं० वतने दिवसे उपवास न घर पुं० [सं.] यज्ञर्नु-आहुतिनुं अन्न के चरना अ० क्रि० (ढोरनु) चरवू (२) चर्ख पुं० [फा.] आकाश (२) चक्र (३) (प.) चालव, विचरy (३) चारो रेंटियो (४) कुंभारनो चाक (५) चरनी स्त्री० चरो; चराण (२) गमाण चरख पशु चरपरा वि० तीखु (स्त्री० -री) चर्खा पुं० रेंटियो चरब वि० जुओ 'च'; तेज तीखं ची स्त्री० [फा. गरगडी; 'चरखी' (२) चरबी- चीकटवाळं
चर्च पुं० [ई.] गिरजाघर; देवळ चरबांक,चरबाक वि०चालाक(२) नीडर चर्चक पुं० [सं.] चर्चा करनार चरबी स्त्री० [फा. चरबी; वसा; मेद चर्चा स्त्री० [सं.] चर्चा (२) वातचीत चरम वि० [सं.] छेवटचें; अंतिम (३) अफवा . [(२) अर्चा थयेलं चरमराना अ० क्रि० चरड चरड शब्द चचित वि० [सं.] चर्चायेलं; विचारायल करवो (जेम के, जोडा, खाटलो) चर्पट पुं० [सं.] थपाट; वोल चरवाई,-ही स्त्री० ढोर चारवानुं काम चर्ब वि० [फा.] सुंवाळु; लोस; चीकj के तेनी मजूरी; चराई।
(२) स्थूल (३) तेज; चपळ चरवाहा पुं० ढोर चारनार
चर्ब-जबान वि० [फा.] खुशामतियु चरस पुं० पाणी काढवानो कोस (२) चर्बी स्त्री० [फा.] चरबी गांजानो चडस (३) जमीन, एक चर्म पुं० [सं.] चामडुं.०कार पुं० चमार माप-२१०० हाथ .
चर्या, -र्या स्त्री० [सं.] आचरण (२) चरसा पुं० भेंस वळदनु चामडु(२)कोस कामकाज; चालचलगत चरसी पुं० कोसियो (२) चडस पीनार चर्राना अ० कि० चररर अवाज थवो चराई स्त्री० जुओ 'चरवाई' (२) (२) ततडq (३) चळ आववी; जोरथी चरवा अंगे कर
इच्छा थवी चरागाह, चरान पुं० चरो; गोचर चर्वण पुं० [सं.] चावq ते (२) चवाणुं चराचर वि० [सं.] चर अचर; स्थावर चवित वि० [सं.] चवाई गयेलं जंगम (२) पुं० आखी सृष्टि चल वि० [सं.]चळ; चंचळ(२) पुं०पारो
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चलकना
१७४
चहलकदमी चलकना अ० क्रि० चळकवू; चमकवू चश्म स्त्री० [फा.] आंख चलचलाव पुं० जुओ 'चलाचली' चश्मक स्त्री० [फा.] आंखनो इशारो चलचाल वि० चंचळ; अस्थिर (२) चकमक; बोलाचाली; झघडो चलचित्र पुं० [सं.] सिनेमा
चश्मदीद वि० [फा.] साक्षात् ज़ोयेलं चलता वि० चालु (२) चालाक (३) चश्म-नुमाई स्त्री० [फा.] आंखो काढवी स्त्री० [सं.] चंचळता. पुरजा वि० ते; धमकी
उपेक्षा होशियार; पहोंचेल.-बनना चालतुं
चश्मपोशी स्त्री० [फा.] चसमपोशी; थएँ; जवू
चश्म (-इमे) बदस्त्री० बूरी,खराब नजर चलती स्त्री० चलण; जोर; प्रभाव ।
चश्मा पुं० [फा.] चसमां (२) झरो चलन पुं० [सं.] चाल (२) चलण (३) रिवाज. ०सार वि० चलणी
चसक स्त्री० चसक आवे ते चलना अ० क्रि० चालवू (२) नभy;
चसकना अ०क्रि० चसक मारवी (२) टकवू(३) पुं० चाळणो. चल निकलना
चसको लागवो आदत पडवी = चालवा लागq; चाली जq. चल चसका पुं० चसको; तलब; लत.-पड़ना बसना= मरवं
चसना अ.क्रि० चोटवू लागq; बाझh चलनी स्त्री० चाळणी
चसपा वि० जुओ 'चस्पाँ' चलाऊ वि० चाले एवं; टकाउ चसम,-मा जुओ 'चश्म, चश्मा' चलाक वि०चालाक (नाम -की स्त्री०) चस्पाँ वि० [फा.] चोटाडेलं चलाका स्त्री० वीजळी
चह पुं० नदीनो डक्को (२) स्त्री० चलाचली स्त्री० चालती के नीकळती [फा. चाह] खाडो वेळानी तैयारी के तेनी धमाल(२)मोत चहक, कार स्त्री० कलरव चलान स्त्री० मोकलवानी के चालवा चहकना, चहकारना अ०क्रि० कलरव चलाववानी क्रिया (२) भरतियु; करवो (२) उमंगथी खूब बोलवू मोकल्या मालनी यादी(३) अपराधीने चहचहा पुं० कलरव (२) ठिठियारी अदालतमा रजू करवो ते ।
(३) वि० आनंद करावनाएं। चलाना सक्रि० चलाव [चळायमान चहचहाना अ० क्रि० जुओ 'चहकना' चलायमान वि० [सं.] चळ; भस्थिर;
चहना स० क्रि० (प.) चाह; इच्छयूँ चलावा पुं० चाल; रीत; रिवाज (२) (२) देखवू . चालचलगत (३) आणु
चहबच्चा पुं० पाणी भरी राखवानो चलित वि० [सं.] चळेलु; अस्थिर
खाडो के होज; चहेबचो (२) धन चवन्नी स्त्री० चार-आनी
संताडवानुं जमीन अंदरनुं भंडकिj चवाई पं० निंदक (२) चगलीखोर चहर, ०पहर स्त्री०जुओ 'चहल,०पहल' चवाव पुं० चोतरफ फेलानारी चर्चा; चहल स्त्री० आनंदोत्सव (२) कीचड __ अफवा (२) बदनामी; निंदा
(३) वि० [फा.] 'चेहल'; ४० चशम, घशमा जुओ 'चश्म, चश्मा' चहलकदमी स्त्री० जुओ 'चेहलकदमी'
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१७५
बकवाद
चाटना चहल-पहल स्त्री० धामधूम
चाँदी स्त्री० चांदी (२) तालकुं; 'चाँद चहला पुं० 'चहल'; कीचड
(३) सारो आर्थिक लाभ. -का जूता चहार वि० [फा. चार
लांच. -काटना खूब कमावू चहारदीवारी स्त्री० कोट; वंडो; घेरो । चांद्र वि० [सं.] चंद्रनु, -ने लगतुं (२) चहारशंबा पुं० [फा.] बुधवार पुं० चंद्रकांत मणि (३) आदु (४) चहारुम वि० [फा.] चतुर्थांश (२) चोथु चांद्रायण व्रत एक कठण व्रत चहुँ,-हूँ वि० (प.) चार; चारेय . चांद्रायण पुं० [सं.] महिनामां पूरुं थतुं चहूँटना अ० क्रि० चोटवू
चांप स्त्री० चांपq - दबाव ते (२) चहेटना स० कि० निचोड काढवो धक्को (३) प्रेरणा (४) बंदूकनी चांप चहेता वि० प्रिय; वहालं (स्त्री०-ती)। चाँपना स० क्रि० चांपवं; दबावq चहोरना अ.क्रि० छोडने एक जगाएथी. चाय चाय, चाँव चाँव स्त्री० चवचव; बीजी जगाए चोडवो (२) संभाळ
लर; कुलपति राखवी
चांसलर पुं० [इ.] युनिवर्सिटीनो चान्सेचाँई वि० धूर्त; चालाक (२) तालवाळू चाक पुं० चाक; चक्र; गरेडी इ० (२) चांकना स० क्रि० आंकवं; हद बांधवी फा.] चीरो (३)वि० चिरायेलं; फाटेल (२) ओळखवा निशानी करवी चाक वि० [तु.] दृढ; मजबूत (२) चाँगला वि० चंग; स्वस्थ (२) चतुर चपळ; फूर्तील चाँचु पुं० (प.) चांच
चाकचक वि० सुरक्षित; मजबूत चांटा पुं० थप्पड (२) (प.) मंकोडो चाकचक्य पुं० [सं.] चकचकाट;चळकाट चाँटी स्त्री० तबलानी चांट के तेनो चाक-चौबंध वि० हृष्टपुष्ट-
अवाज (२) (प.) कीडी मकोडी भरावदार (शरीर) . चाँड वि० चंड; उग्र; प्रबळ (२) स्त्री० चाकना स० क्रि० जुओ 'चाँकना'
भारे अगत्य; गरज (३) टेको; थांभलो चाकर पुं० [फा.] नोकर; दास; सेवक चांडाल पुं० [सं.] चंडाळ (२) क्रूर ।
चाकर(-रा)नी स्त्री०चाकरडी; दासी नीच कर्म करनार
चाकरी स्त्री० [फा. नोकरी; सेवा चाँद पुं० चांदो (२) स्त्री० तालकुं. चाकी स्त्री० चक्की; घंटी -का टुकड़ा=बहु रूपवान माणस.-पर चाकू पुं० [तु.] चप्पु; चाकु [प्रत्यक्ष थूकना= कोई सज्जनने एब लगाडवा चाक्षुष वि० [सं.] चक्षु - आंख विषे (२) जतां पोताने ज लागवी
चाखना स० क्रि० चाखवं चांदना पुं० अजवाळू (२) चांदनी चाचा पुं० (स्त्री० -ची) चचा'; काका चाँदनी स्त्री० चांदनी (२) बिछाववानी। चाट स्त्री० तीखू खावानो चटको; शोख सफेद चादर (३) सफेद चंदरवो (३) आदत; टेव (४) चटपटी; चळ चांदमारी स्त्री० बंदूकथी निशान (५) तीखी चीज के फरसाण [जवू ताकवानुं शीखवू ते
चाटना स० क्रि० चाटवं (२) चट करी
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१७६
चाटु
चाटु पुं० [सं.] प्रिय वात ( २ ) खुशामद चाटुकार पुं० [ सं . ] खुशामत करनार चाड़ी स्त्री० पीठ पाछळ निंदा; वूगली चाढ़ा वि० ( प. ) प्याएं (२) प्रेमी आसक्त चातक पुं० [सं.] चातक पक्षी [ चतुरता चातुरी स्त्री०, - पुं० [सं.] चतुराई; चादर स्त्री० चादर (२) दुपट्टो (३) पतरु (४) पाणीनो सपाट वहेतो प्रवाह. - उतारना = बेआबरू करवु. - ओढ़ाना, - डालना = विधवाविवाह करवो. -तानकर सोना = सोडो ताणीने - निरांते सू. - देखकर पाँव फैलाना = मर्यादा समजी चालवुः गजामा रही ने खर्च वुं. - रहना = लाज आबरू रहेवी [to [सं.] धनुष चाप स्त्री० चाल; पगलांनो अवाज (२) चापट - स्त्री० 'चोकर'; भूसुं; घउंना लोटनुं चळामण ( २ ) वि० चपटं (३)
सपाट
चापना स०क्रि० चांप दबाव बुं; 'चाँपना' चापल, -ल्य पुं० [सं.] चपळता; चंचळता; चालाकी (२) उतावळ चापलूस वि० [फा.] खुशामतियुं चापलूसी स्त्री० [फा.] खुशामत चाब स्त्री० दाढ
चाबना स० क्रि० चाववुं
चाबी भी स्त्री० चावी (ताळा, घडियाळ, यंत्र वगेरेनी)
चाबुक पुं० [फा.] चाबुक; सोटो (२) वि० [स्फूर्तील; तेज
चाबुक - सवार पुं० [फा.] वोडो पलोटनार;
घोडो केळवनार. ( नाम, -री स्त्री ० ) चाय स्त्री० चा. ०दानी स्त्री० चादानी; कोटली. ० पानी = चापाणी; नास्तो
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चालवाल
चाय स्त्री० ( प. ) जुओ 'चाव'. ०क वि० (प.) चाहक
चाय - दानी, - पानी स्त्री०जुओ 'चाय' मां चार वि० चार (२) थोडुक (२) पुं० [सं.] चाल; गति. - आँखें होना = नजर मळवी. चारों फूटना = अंध थवं; अन्तर बाह्य चारे आंख जवी चारखाना पुं० [फा.] एक जातनुं कपडुं चारजामा पुं० [फा.] घोडानुं जीनपलाण
चारण, न पुं० बंदीजन; भाटचारण चारदीवारी स्त्री० जुओ 'चहारदीवारी' चारना स० क्रि० ( प. ) चरावबुं: चारखुं चार-नाचार अ० [फा.] निरुपाय - लाचार थईने; ना छूट चारपाई स्त्री० खाटलो. - धरना,
- पकड़ना, - पर पड़ना, -लेना = बीमारीथी पथारीवश थवुं (२) सूवुं. - से लगना = बीमारीथी पथारीमांथी न उठावुं [ रूमाल के चादर चारबाग़ पुं० चोखंडी बाग (२) चतुरंगी चारयारी स्त्री० एक सुन्नी संप्रदाय चारशंबा पुं० जुओ 'चहाररांबा' चारा पुं० चारो; घास (२) [फा.] चारो; रस्तो; उपाय चारित्र, - , - त्र्य पुं० [सं.] चरित; चालचलगत चारु वि० [सं.] सुंदर; प्रिय; मनोहर चार्ज पुं० [इं.] कामतो भार; सुपरत (२) किंमत भाव (३) आरोप चार्टर पुं० [इं.] सनद; परवानो; अधिकारपत्र [(३) दगो; छळ चाल स्त्री० चाल; गति (२) ढंग; रीत चालचलन पुं०, चालढाल स्त्री० चालचलगत; रीतभात
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चालना
'चिकारना चालना सक्रि० चाळवं (२) चलाववू; चिआं पुं० आमलीनो कचूको
हलावq (३) अक्रि० पहेले आणे जवं चिउँटा पुं० 'चींटा'; मकोडो चालबाज वि०कपटी; चालाक; दगाबाज चिउँटी स्त्री० 'चींटी'; कीडी. -के चाला पुं० रवानगी (२) वधूने पहेली पर निकलना = मरणतोल थर्बु वार सासरेथी के पियरथी वळावंवी चिगना पुं० पक्षी--खास करीने ते (३) जवानुं महुरत
मरघीनुं बच्चुं चालाक वि० [फा.] चतुर; होशियार (२) चिंघाड़ स्त्री० चीस
पहोंचेल; पक्कुं. -की स्त्री० चिघाड़ना अ० क्रि० चीस पाडवी चालान पुं० जुओ 'चलान' 'चिंतक वि० [सं.] चिंतन करनार;विचारक चालिया, चाली वि० जुओ 'चालबाज' चितन पुं० [सं.] विचारवं ते;मनन ध्यान चालीस वि० ४०; चाळीस. ०वा वि० चिता स्त्री० [सं.] चिंतन (२) फिकर; चाळीसम (२) पुं० मरण पछीन विमासण चाळीस दिवसे थतं कार्य के विधि चितित वि० [सं.] चिंतामां पडेलु (मुसलमानोमां); 'चेहलम' . चिदी स्त्री० चींदरडी; टुकडो (कागळ चाव पुं० चाह; प्रेम (२) प्रबळ इच्छा; के कपडानो)
आतुरता (३) आनंद; उमंग चिउड़ा, -रा पुं० पौंआ; 'चिड़वा' चावल पुं० चोखा (२) भात (३) चिक स्त्री० [तु.] चक (२) पुं० कसाई
चोखाभार तोल लहेजत (३) स्त्री० चसक; झटको चाशनी स्त्री० [फा.]चासणी (२) चसको; चिकट वि० चीकटथी मेलं; मेल जामेलु चास स्त्री० खेती
(२) चीकटुं चासना अ० कि० खेड,
चिकटना अ० क्रि० मेलु-चीकटुं थq चासा पुं० खेडूत
चिकन स्त्री० [फा.] एक झीणुं कापड चाह पुं० [फा.] कूवो
चिकना वि० [सं. चिक्कण] चीक[(२) चाह स्त्री० चाहना; प्रेम (२) इच्छा लपसणुं (३) साफ; सुंवाळ; सुंदर (३) माग; जरूर (४) (प.) खबर (४) माखणियु; खुशामतियु (५) प्रेमी चाहक पुं० (प.) चाहनार; प्रेमी (६) पुं० चीकट. -घड़ा=निर्लज्ज. चाहत स्त्री० (प.) चाह; प्रेम चिकनी चुपड़ी बातें = मीठी मीठी चाहना सक्रि० चाहर्बु (२) मागवू; कृत्रिम बात
पणुं इच्छा करवी (३) स्त्री० जरूर चिकनाई,-हट स्त्री०चीकाश; चीकणाचाहि अ० (प.) -ना करतां (चडियातु) चिकनाना स० क्रि० 'चिकना' करवु(२) चाहिए, ये क्रि० उचित छे; घटे छे; . अ.क्रि० 'चिकना थवं, जुओ चिकना' . जोईए
(जमीन) चिकनिया वि० छेलबटाउ - शोखीन चाही वि० [फा.] कूवावाळी; कुवेतर चिका(-का)र पुं० चीत्कार; चीस चाहे अ० गमे तेम; इच्छा मुजब चिकारना अ० क्रि० चीस पाडवी हिं-१२
fast
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चिकारा'
१७८ चिकारा पुं० सारंगी जेवू एक वाद्य; चिड़ा पुं० चकलो; चकलीनो नर चिकारी (२) चिकारडुं-एक जंगली चिड़ि(-रि)या स्त्री० पक्षी (२) पत्तानी जानवर
एक भात. -का दूध = अप्राप्य वस्तु: चिकित्सक पुं० [सं.] वैद; दाक्तर गगनकुसुम पक्षीनु संग्रहस्थान चिकित्सा स्त्री० [सं.] रोगनो इलाज;वैदूं चिडियाखाना, चिड़ियाघर पुं० पशुचिकित्सालय पुं० [सं.] इस्पिताल; चिड़िहार पुं०(प.) पारधी [९० पारधी दवाखानुं
चिड़ी स्त्री० पक्षी (२) चकली. ०मार चिकुटी, चिकोटी स्त्री० चपटी (२) चूंटी
चिढ़ स्त्री० चीड; गुस्सो; नफरत चिकुर पुं० [सं.] केश; वाळ चिढ़ना अ० कि० चिडावं चिक्कण वि० [सं.] चीकj
चिढ़ाना स० कि० चीडवb चिक्कार पुं० जुओ 'चिकार'
चित पुं० [सं.] चित्त; मन (२) वि० चिक्कारा पुं० 'चिकारा'; चिकारडु
एकळं करेलु (३) चीत; चत्तुं चिखुरी स्त्री० 'गिलहरी'; खिसकोली ।
चितकबरा, चितला वि० काबरचीतरु चिचड़ा पुं०,-डी स्त्री० जओ 'किलनी'
चितचोर वि० (२) पुं० मनोहर; चित्त चिचियाना अ०क्रि० शोरबकोर करवो;
हरी ले एवं 'चिल्लाना'
चितरना सक्रि० (प.) वीतर; नकशी चिजारा पुं० कडियो
वगेरे काढ चिट स्त्री० चिट्ठी; रुक्को
चितवन, चितौन स्त्री० नजर; दृष्टि. चिटकना अ० क्रि० तडकवू; ततडवू; -चढ़ाना=गुस्सानी दृष्टि करवी तरडावं (२) गुस्से थर्बु
चिता स्त्री० [सं.] चिता; चेह चिटनवीस पु० चिटनीस [वि० सफेद चिताना स० क्रि० चेतववं चिट्टा पुं० खोटो उत्साह के हिंमत (२) चितारी पुं० 'चितेरा'; चितारो चिट्ठा पुं० रोजमेळ; चोपडो (२) चितावनी, चितौनी स्त्री० चेतवणी; वार्षिक सरवैयु (३) यादी (४) पगार __ 'चेतावनी' के मजूरीनी रकम (५) बिल. कच्चा
चितेरा पुं० चितारो चिट्ठा पूरेपूरो हेवाल [पत्र । चित्त पुं० [सं.] मन; अंतःकरण चिट्ठी स्त्री० चिठ्ठी; 'चिट' (२) कागळ; । चित्ती स्त्री० डाघो; टपकुं (२) नानी चिट्ठी-पत्री स्त्री० चिठ्ठी-पत्री; कागळ- __ कोडी (३) चीतळ साप पत्र (२) पत्रव्यवहार
चितौन स्त्री० जुओ 'चितवन' चिट्ठीरसाँ पुं० टपाली
चितौनी स्त्री० जुओ 'चितावनी' चिड़चिड़ा वि० चीडियु; झट चिडानारूं। चित्र पुं० [सं.] चित्र; छबी; आकृति (२) चिड़चिड़ाना अ० क्रि० चिडावु (२) चांल्लो के तिलक (३) वि० विचित्र;
ततडी जर्रा (३) बळतां तड तड थर्बु अद्भुत रंगबेरंगी.-उतारना, खींचना चिड़वा पुं० [सं. चिविट] पौआ =चित्र काढq के वर्णनादिथी खडु करवू
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चित्रकार
१७९
चिलकना चित्रकार पुं० [सं.] चितारो. -री स्त्री० चिरंजीव वि० [सं.] चिरंजीवी (२) पुं० चित्रविद्या
पुत्र (३) 'घणुं जीवो' एवो आशीर्वाद चित्रण पुं० [पं.] चीतर ते चिरंतन वि० [सं.] पुरातन; प्राचीन चित्रपट पुं० [सं.] जेना पर चीतयु चिर वि० (२) अ० लांबा वखतर्नु; जून होय ते (२) सिनेमा
चिरकना अ० क्रि० चरकवू; जराक चित्रविचित्र वि० [सं.] रंगबेरंगी (२) अघy; जरा जरा घणी वार अघq नकसीदार
रंगबेरंगी चिरकीन वि० [फा.] मेलं; गंदूं चित्रित वि० [सं.] चीतरेलु (२) चित्र; । चिरकुट पुं० फाटेलु वस्त्र; चीथरूं चिथड़ा पुं० चीथरुं [अपमानQ । चिरना अ० क्रि० ('चीरना' नुं कर्मणि) चिथाड़ना सक्रि० चीर; फाडवू (२) फाटवं; चिरायूँ चिदात्मा, चिदानंद पुं० [सं.] चैतन्य; ब्रह्म चिरमि (०टी) स्त्री० चनोठी चिद्विलास पुं० [सं.] माया; लीला
चिरवाई स्त्री० चिरामण;चिरावq ते(२) चिनक स्त्री० बळतरा(जेम के पेशाबमां) पहेला वरसाद पछीनी खेड चिराववं चिनगारी, चिनगी स्त्री० तणखो; चिरवाना सकि० 'चीरना' नुं प्रेरक; चिणगारी
चिराँदा स्त्री० वाळ चामडु इ० बळवानी चिनिया वि० चिनाई; चीनन (२) चीनी गंध (२) बदनामी (३) वि० चीडियु; माटो जेवू; सफेद.-केला-नानी जातनुं 'चिड़चिड़ा' केळं. -बदाम चिनाईसींग; मगफळी चिरा अ० [फा.] केम ? शा माटे ? चूं व चिन्हार वि० परिचित(नाम,-रीस्त्री०) चिरा करना = चेंचूं करवं चिपक (-ट)ना अ०क्रि० चोटवू;वळगवू चिराई स्त्री० जओ 'चिरवाई' चिपकाना सक्रि० चोटाडवू; लगाडवू चिराग पुं० [फा.] दीवो.-जले दीवाचिपचिपा वि० चीक[; चोटे एवं वखते..दान पुं० दीवी.-बत्तीका वक्त चिपचिपाना अ०क्रि० चीकणुं लागq = दीवा-वखत; संध्या चिपटा वि० चपटुं
चिराना सक्रि० चिरावq (२) वि० चिपड़ी,-री स्त्री० छाj. -पाथना = प्राचीन; पुराणुं बदनामी फेलावी
छाणुं थापवू [(२) पोपडी। चिरायध स्त्री०जुओ चिराँदा'.-फैलना चिप्पड़ पुं० नानो चपटो ककडो; चापडो ।
चिरायता पुं० करियातुं चिप्पी स्त्री० नानो 'चिप्पड़'
‘चिरायु वि० [सं.] चिरंजीव ; दीर्घा, चिबुक पुं० [सं.] 'ठोड़ी'; हडपची; दाढी चिरिया पुं० जओ 'चिड़िया' चिमटना अ०क्रि० चोटq (२) वळगq चिरौंजी स्त्री० चारोळी (प्रेरक-चिमटाना)
चिलक स्त्री० चळक (२) सणको चिमटा पुं० चमठो; चीमटो; चीपियो चिलकना अ.क्रि० चमक चमक थ; चिमटी स्त्री० नानो चीपियो
चळक (२) सणको नांखवो (प्रेरक चिमड़ा वि० जुओ 'चीमड़'
चिलकाना)
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चिलगोजा १८०
चीरना चिलगोजा पुं० [फा.] एक मेवो चीकट वि० बहु मेलू (२) पुं० तेलनो चिलचिल स्त्री० अबरख [चीस पाडवी मेल (३) एक रेशमी वस्त्र चिलचिलाना अ.क्रि० चमकवं (२) चीख स्त्री० चीस चिलड़ा पुं० एक पकवान [वंचळ
चीखना अ०क्रि० चीस पाडवी चिलबिला (-ल्ला) वि० 'चुलबुला'; चीखना स० क्रि० 'चखना'; चाखवू चिलम स्त्री० [फा.] चलम
चीज स्त्री० [फा.] चीज; वस्तु (२)जणस चिलमची स्त्री० [तु.] अंदर हाथ-मों, (३)गायन के राग (४) विलक्षण के धोवानुं एक वासण (२)चलम पीनार
[सरसामान चिलमन स्त्री० [फा.] 'चिक'; चक चीज-वस्तु स्त्री० जणस-भाव (२) चिल्लड़ पुं० जुओ ‘चीलर'
चीठी स्त्री० चिठ्ठी चिल्लपों स्त्री० शोरबकोर
चीड़ (-) पुं० चीडनुं झाड चिल्लवाना सक्रि० 'चिल्लाना'नं प्रेरक चीतना सक्रि० चितवं ; विचारवं (२) चिल्ला पुं० [फा. चाळीस दिवस के तेनुं याद करवू (३)चीतरवू साप व्रत के पुण्यपर्व (२) प्रसवना चाळीस चीतल पुं० एक जात- हरण(२) चीतळो दिवस (३) धनुषनी दोरी.-खींचना चीता पुं० चित्तो (२) चित्त = चाळीस दिवस एकांतमां ईश्वरो- चीत्कार पुं० [सं.] चीस'; बुमराण पासनामां गाळवा. -बाँधना=चाळीस चीथड़ा (-रा) पुं० चीथरूं दिवसनुं व्रत करवू. चिल्लेका जाड़ा= चीथना सक्रि०(कपडु)फाडवू [उत्तम खूब ठंडी
चीदा वि० [फा.] पसंद करेलु; चूंटेलु(२) चिल्लाना अ०क्रि० शोर करवो बुमराण चीन पुं० [सं.] धजा (२) सीसु (३) दोरो करवं
[चिल्लपों (४) एक रेशमी वस्त्र (५) चीन देश चिल्लाहट स्त्री० शोर करवो ते; चीनना सक्रि० जुओ 'चीन्हना' । चिहुँकना अ० क्रि० (प.) चोंकवु; चीना पुं० चीनो; चीननो वतनी (२) चमक
[(२) चोंटवू वि० चीननु चिहुँटना सक्रि० (प.) चूंटी खणवी चीनी स्त्री० खांड चिहूँटी स्त्री० चूंटी; चीमटी (२) चपटी. चीन्हना सक्रि० चीनवु; ओळखवू चिह्न पुं० [सं.] निशानी. -ह्नित वि० चोपड़ पुं० चीपर्दा चिह्नवाळू; अंकित
चीफ़ वि० [इ.] मुख्य (२) पुं० राजा; ची स्त्री० [फा.] चहेरा पर पडती __ सरदार. ०कमिश्नर, जस्टिस, जज करचोळी.-ब-जबी होना= गुस्से थवं इ० मां ची-चपड़ स्त्री० सामे जवाब आपवो ते चीमड़ वि० चवड; चामडा जेवू चींटा पुं० जुओ 'चिउँटा' (स्त्री० -टी) चीर पुं० [सं.] वस्त्र (२) चीथ (३) चीक स्त्री० 'चीख'; चीस (२) पुं० स्त्री० चीरवं ते कसाई (३) कीचड़
चीरना सक्रि० चीर; फाडवू
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चीरफाड़
। १८१ चीरफाड़ स्त्री० वाढकाप (२) चीर चुक्कड़ पुं० कुलडी __ फाडवं ते
चुगद पुं० [फा.] घुवड; (२) उल्लु; मूर्ख चील स्त्री० [सं. चिल्ल] समडी पक्षी. चुगना सक्रि० (पक्षीनुं)चूगवू [निंदा -का मूत=शशविषाण; असंभव वस्तु. चुराल पुं०, -ली स्त्री० चाडी; चुगली; चील-झपट्टा पुं० चीलझपट; झडपी चुगलखोर पुं० [फा.] चुगली करनारो लेवं ते (२) एक बाळरमत जंतु (नाम -री स्त्री०) . चीलर पुं० गंदा वस्त्रमा पडतुं जू जेवू एक चुगली स्त्री० जुओ 'चुगल'. -करना, चील्ह स्त्री० चील; समडी
खाना, लगाना चुगली करवी चीवर पुं० [सं.] संन्यासीनो चोळो, कंया चुग्रा पुं० जुओ 'चोगा'
(२) बौद्ध भिख्खुनुं वस्त्र | चुगाई स्त्री० चूगवू ते चुंगल पुं० [फा.] पंजो (२) पकड (३) चुगाना सक्रि० पक्षीने दाणा नांखवा; - 'चंगुल'; चांगळु [टोल ; दाण चुगावq चुंगी स्त्री० चपटी जेटली वस्तु (२) चुचकारना स०क्रि० (रव०.) चूमवानो चुंगी-घर पुं० टोलनुं नाकुं
अवाज करी बोलवू; वहाल करवू चुंदी स्त्री० चोटली
चुचकारी स्त्री० (चूमवानो) बचकारो चुंधलाना अ०क्रि० जुओ 'चौंधियाना' चुचाना अ० क्रि० चूq; टपकवू चुंधा वि० चूंधळु; चूंखडु
चुटकना अ०क्रि० चाबुक मारवी (२) चुंधियाना अ० क्रि० जुओ 'चौंधियाना' 'चुटकी'-चपटीथी तोड। चुंबक पुं० [सं.] लोहचुंबक (२) घडानो चुटकी स्त्री० चपटी (२) चूंटी.-भरना फांसो के गाळो (३) वि० कामी . =बूटी खणवी.-लेना= मश्करी करवी चुंबन पुं० [सं.] चूमवू ते; बच्ची (२) टोणो मारवो; कटाक्ष करवो चुंबना सक्रि० (प.) 'चूमना'; चूम चुटकुला पुं० मजेदार वात (२) दवानो चुअना अ०क्रि० 'चूना'; चूg
सारो नुसखो. - छोड़ना = कोई चुआन स्त्री०खाई; नहेर [(२)वोपडवं मजानी वात छेडवी चुआना सक्रि० चुवडावq; टपकाव चुटिया स्त्री० चोटली चुकंदर पुं० [फा.] गाजर जेवं एक शाक चुटीला वि० चोट लागी के घा थयो • चुकना अ०क्रि० ('चूकना' नुं कर्मणि) होय एवं (२) सौथी उपर-; उत्तम
चूकवावं; चूकतुं थy; बाकी न रहेवू; । चुटैल वि० 'चुटीला'; घायल ।। पतवु (२) पूरुं थg; (३) (प.) चूक; चुड़िहारा पुं० (स्त्री० -रिन) चूडगर 'चूकना'
चुडैल स्त्री० चुडेल चुकरेंड पुं० चाकळ ग साप
चुनचुना वि० चचणे एवं (२) पुं० चुकाई स्त्री० चूकते थर्बु ते ।
झाडामां नीकळतो करमियो चुकाना अ.क्रि० चुकाव चुकादो चुनचुनाना अ.क्रि० चणचणवू चुकौता पुं० देवू चूकते थq ते; देवानो चुनट (-न) स्त्री० करचली; गडी
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चुनना
१८२ -
चुसनी चुरकी स्त्री० चोटली चुरना अ०क्रि०चडवू; सीझq(२)खानगी मसलत करवी (३) पुं० करमियो; 'चनचना' चुरमुर पुं० (रव०) दवावाथी थतो
अवाज, जेम के चणानो, सूकां पाननो चुरमुरा वि० 'चुरमुर' अवाज करे एवं (जेम के, पापड) चुरमुराना अ० क्रि० 'चुरमुर' अवाज करी तूटर्बु(२) सक्रि० तेवा अवाजथी तोड, चुराई स्त्री० चोर ते चुराना सक्रि० चोर, (२) छुपावq(३) उचित मनाय ते न करतां तेमां कसर
राखवी
चुनना सक्रि० चूंटवू; पसंद करवु (२) वीणq (३) सजवू; ठीकठाक कर, (४) (दीवाल इ०) चणg (५) चूंटर्बु (जेम' के फूल) (६) कपडानी कल्ली करवी चुमरी स्त्री० चूंदडी प्रेरक चुनवाना, चुनाना सक्रि० 'चुनना' नुं चुनांचे अ० [फा. चुनांचिह ] दाखला तरीके (२) एटले; अतः चुनाई स्त्री०, चुनाव पुं० चूंटणी । चुनिंदा वि० चुनंदा; उत्तम; श्रेष्ठ चुनी स्त्री० 'चुन्नी'; चूनी चुनौटी स्त्री० चूनानी डवी; चूनादानी चनौती स्त्री उश्केरणी (२) आहवानः पडकार चुन्नी स्त्री० 'चुनी'; चूनी (२) वहेर (३)
अनाजनी कणकी चुप वि० चूपशांत; मूक (२) स्त्री० मौन. -चाप, -चुप, -चुपाते= चूपचाप; गुपचूप चुपका वि० चूपकी राखनार; मौनी.
-करना= चूपकी राखवी; चूप थर्बु चुपकेसे अ० चूपकीभेर; चूपचाप चुपड़ना सक्रि० चोपडवू; 'पोतना' चुप्पा वि० (स्त्री०,-पी) जुओ 'चुपका' चुप्पी स्त्री० चूपकी; मौन चुब (-भ)लाना सक्रि० ममळावq चुभकना अ०क्रि० डूबकी खावी चुभकी स्त्री० डूबकी [चुभोना, प्रेरक) चुभना अ० क्रि० भोंकावु (चुभाना, चुभलाना सक्रि० जुओ 'चुबलाना' चुमकार पुं० बचकारो चुमकारना सक्रि० प्रेमथी चूमवाना जेवो अवाज करयो; बचकारवू चुम्मा पुं० चूमी; 'चूमा'
चुरुट पुं० [इं.]चिरूट;एक विलायती बीडी चुल (०चुली) स्त्री० खंजवाळ चुलचुलाना अ०क्रि० खंजवाळ आववी चुलबुला वि० चंचळ (२) नटखट । चुलबुलाना अ०क्रि० 'चुलबुला' थq. (नाम, -हट स्त्री०) चुलुक पुं० [सं.] चांगळं (२) खूब कीचड चुल्लू पुं० अंजलि; चांगळं.-भर पानीमें डूब मरना ढांकणीमां पाणी घालीने डूबी मरवू; खूब शरमावू. में उल्लू बनना = जरा भांग के दारू पीने गांडु के बेभान थq. चुल्लुओं रोना = खूब रडवू चुसकी स्त्री० चूसवू ते (२) चूंटडो चुसना अ०क्रि० ('चूसना' न कर्मणि)
चुसाईं (२) शोषावू; सार जतो रहेवो (३) खाली थर्बु चुसनी स्त्री. बाळकनी धावणी के दूधनी शीशी
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चुसाना
चुसाना स० क्रि० ' चूसना ' नुं प्रेरक ( नाम, - ई स्त्री ० )
चुस्त वि० [फा.] तंग; कसेलुं (२) चुस्त; दृढ, मजबूत (३) फूर्तिलं; तत्पर. - (व) चालाक = चतुर; तेज. (नाम, -स्ती स्त्री०) चुहँ ( -ह) टी स्त्री० चूंटी के चपटी; 'चुटकी'
चहचुहा ( ०ता) वि० चूतुं; रसयुक्त चुहचुहाना अ०क्रि० रस टपकवो (२) पक्षीनुं बोलवु; कलरव करवो चुहटी स्त्री० जुओ 'चुहँटी' चुहल स्त्री० मजाक; हांसी; ठठ्ठो चुहलबाज वि० मश्करुं; टीखळखोर चहिया स्त्री० उंदरडी
चूं पुं० चकलीनुं चूं चूं (२) घीमो अवाज - चाँ = चूंचां
चूँकि अ० [फा.] 'क्योंकि '; एटला माटे के चूँ चरा पुं० [फा.] सामे चूंचां के आनाकानी करवी ते (२) बहानुं चूँ चूँ अ० चकलीनो अवाज चँदरी स्त्री० चूंदडी; 'चूनरी' चूक स्त्री०, भूल, चूकवुं ते (२) पुं० 'चुका'; खाटियं शाक (३) वि० बहु खाटुं; खाटुं चैड [खोवुं; चूकना अ०क्रि० चूकवुं भूल करवी (२) चूका पुं० 'चूक'; एक शाक-खाटियुं चूची स्त्री०; चूचुक पुं० [सं.] स्तन चूजा पुं० [फा.] मरघीनुं बन्धुं चूड़ा स्त्री० माथु (२) चोटली; कलगी (३) पुं० चूडो. ०करण, ०कर्म पुं० वाळ उतारवानो एक संस्कार चूड़ी स्त्री० पहेरवानी के ग्रामोफोननी चूडी. चूड़ियाँ ठंडी करना या तोड़ना = विधवा थबुं; चूडो भांगवो. चूड़ियाँ
१८३
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चूहरा
पहनाना = विधवाविवाह करवो. चूड़ियाँ बढ़ाना = हाथथी चूडी काढवी . (- उतारना कहे अशुभ गणाय छे.) चूड़ीदार वि० चूडी जेवां वलयवाळं (२) पुं० तेवो पायजामो चूतड़ ( - २) पुं० धगडो ; कूलो. - दिखाना = पीठ बताववी; नासवु. - पीटना, - बजाना = खूब खुश थवुं चून पुं० चूर्ण; आटो
चूनर - री स्त्री० 'चुनरी'; चूंदडी चूना पुं० चूनो (२) अ० क्रि० चूवुं (३) नीचे पडवु : गरवुं [चूनानी डब्बी चूना ( ने ) दानी स्त्री० 'चुनौटी'; चूनी स्त्री० 'चुन्नी'; चूनी (२) कणकी. - भूसी स्त्री० कूसका कणकी इ०; ' चौकर '
चूमना स०क्रि० चूमवुं; चुंबन कर चूमा पुं० चूमी; चुंबन [चकचूर चूर पुं० चूरो (२) वि० तल्लीन (३) चूरण,-न पुं० चूरण; भूकी चूरमा पुं० चूरमुं - एक पकवान चूरा पुं० चूरो; भूको
चूर्ण पुं० [सं.] चूरण (२) अबील (३) धूळ (४) चूनो (५) कोडी (६) वि० चूरो करायेलुं
चूल स्त्री० सालमा बेसाडवा तैयार करेलो लाकडाना सांधानो भाग ( २ ) चणियारामां फरतो बारणानो छेडो (३) पुं० [सं.] चोटली. चूलें ढीली होना = सांधा ढीला थई जवा; खूब थाकबुं
चूल्हा पुं० [सं. चुल्लि] चूलो चूसना स०क्रि० चूसवं (२) शोषण करवुं चूहड़ा ( - रा ) पुं०, ( स्त्री० - ड़ी) भंगी
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चूहा
चूहा पुं० उंदर
चूहादान पुं० [जंदरियं
चे स्त्री० चें अवाज. ०चे, ०पे स्त्री० चेंचेंपेपें; बकवाद [जजनी चेंबर
चेंबर पुं० [इं.] सभागृह; ओरडो (२) चें अ० [फा.] शुं ?
चेअर स्त्री० [इं.] खुरशी. ०मेन, ०मैन पुं० प्रमुख; सभापति
चेक पुं० [इं.] नाणांनो चेक. -काटना = चेक फाडवो के लखत्रों [बळिया चेचक स्त्री० [फा.] शीतळामातानो रोग; चेचक-रू वि० [फा.] मों पर बळियानां चाठांवाळं
चेटक पुं० [सं.] दास; सेवक (२) जादु के तेनो खेल (३) तमासो; भवाई (४) उतावळ; जलदी
चेटका स्त्री० स्मशान (२) चिता चेटकी पुं० जादुगर; बाजीगर चेटुवा पुं० चकलीनुं बच्चुं चेटिका ( - की), चेटी स्त्री० [सं.] दासी चेत पुं० चेतना; होंश; भान (२) चित्त चेतन वि० [ सं . ] चेतनावाळं; जीवतुं (२) पुं० चैतन्य; प्रभु आत्मा
चेतना स्त्री० [सं.] होश ; भात ( २ ) चेतनपणुं (३) बुद्धि (४) अ०क्रि० चेत ; सावध थवुं (५) स०क्रि० चितं; विचारवं ['चितावनी' चेतवनि, चेतावनी स्त्री० चेतवणी; चेना पुं० चीणो
चेप पुं० कोई चीकणो रस; चीकाश चेर ( - रा ) पुं० ( प. ) चेलो ( ) नोकर. (स्त्री० चेरि (-री); नाम चेराई स्त्री०) चेल पुं० [सं.] वस्त्र चेला पुं० चेलो; शिष्य. (स्त्री० - लिन,
[-ली)
१८४
चैलेन्ज
चेष्टा स्त्री० [सं.] चेष्टा; चाळा (२) प्रयत्न; कोशिश ( ३ ) काम (४) इच्छा चेस पुं० [इं.] शेतरंज (२) छापवानां arai गोठवलं चोकठं
चेहरा पुं० [फा.] चहेरो ( २ ) आगलो भाग (३) ओळखवाती चहेरा वगेरेनी निशानी. चेहरा ( -रे) पर हवाइयाँ उड़ना=डर के गंभराटथी चहेरानो रंग ऊडी जवो. - बिगाड़ना = खूत्र मारवु. -लिखना, -होना फोजमां नाम लखावj - भरती थवुं
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चेहरा कुशा पुं० [फा.] चित्रकार. (नाम ०ई स्त्री ० )
चेहराबंदी स्त्री० [फा.] चहेरा सिकल इ०नी विगत - ओळखवानी निशानीओ चेहरा - मुहरा पुं० सूरत; सिकल; चहेरो चेहल वि० [ फा . ] 'चहल'; चाळीस चहल कदमी स्त्री० जुओ 'चहलकदमी' चेहलुम वि० (२) पुं० [फा.] जुओ 'चालीसवाँ '
चैत पुं० चैत्र [ज्ञान (३) आत्मा चैतन्य पुं० [सं.] चेतन तत्त्व (२) चेतना; ती स्त्री० रवीपाक (२) वि० चैत्र संबंधी चैत्य पुं० [ सं . ] घर (२) मंदिर (३) चिता (४) बौद्ध विहार (५) गामनी भागोळनां झusicो समूह (६) बुद्ध के तेमनी मूर्ति या भिख्खु
चैत्र पुं० [सं.] चैत्र मास (२) चैत्य चैन पुं० चेन. - उड़ाना = मोज करवी चैल पुं० [सं.] कपडुं चला पुं० फाचरो
चली स्त्री० भूकरी; छोल; वहेर चैलेन्ज पुं० [इं.] पडकार; आह्वान; 'चुनोती'
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१८५
चोंगा
चौआलीस चोंगा पं० वांसनी भंगळी, जेवी के चोबचीनी स्त्री० [फा.] चोपचीनीकलमदानीनी (२) मूर्ख
___ एक औषधि चोंगी स्त्री० धमणनी हवानी नळी चोबदार पुं० [फा.] छडीदार चोंच स्त्री० चांच. दो दो चोंचें होना चोबा पुं० तंब्रूनो वचलो दंड के वांस
बोलाबोली थवी.-बंद करना-चूप थवं चोर पुं० [सं.] चोर; डुंगो. -पड़नाचोंडा पुं० वेडवो; वीरडो (२) माथु
चोरी थवी; चोर आववा. -पर मोर (३) चोटलो
पड़ना= शेरने माथे सवा शेर थवू. चोंथ पुं० पोदळो [उखाडवू -(मनमें) बैठना=दिलमां शंका के चोंथना सक्रि० फाडq के तोडवू या चोरी होवी चोंधर (-रा) वि० चूंखळं; झीणी आंख- चोरखाना पुं० नानु के छू' खानु; संच वाळू (२) मूर्ख [पेठे बनावाय छे चोर-चकार पुं० चोरचखार; चोर;. चोआ पुं० एक सुगंधी पदार्थ जे चूवा उठावगीर चोकर पुं० आटानुं चळामण-भूसुं इ०
चोरटा वि० चोरटं; चोटें; चोर चोक्ष वि.सं.] चोख्ख (२) पवित्र (३) चोरथन वि० दूध चोरतुं-पूरुं न देत तीक्ष्ण; तेज (४) प्रशस्य (५) दक्ष (ढोर)
[फूटतो दांत चोख (-खा) वि० जुओ 'चोक्ष' चोर-दंत पुं० वधारेनो-पीडा करीने चोगा पुं० [तु. चूगा] चोगो, झब्बो चोर-दरवाजा,-द्वार पुं० छू' द्वार चोचला पुं० हावभाव; नखरां चोरना सक्रि० चोरवं; 'चुराना' चोज पं० मजाकनो बोल
चोर-बाजार पुं० काळु बजार चोट स्त्री० चोट; घा के आघात (२) चोरमहल पुं० रखातनो महेल- मकान टोणो (३) दगो; 'धोखा' (४) वार; . चोरमूंग पुं० गांगडु मग 'दफ़ा'.-खाना-चोट लागवी.-बचाना। चोराचोरी अ० चोरीछूपीथी; चूपकीथी __=घा चुकाववो, तेमांथी बचg चोरी स्त्री० चोरवं ते. -लगना = चोट-चपेट स्त्री० चोट; घा
चोरीनो आक्षेप आववो. -लगाना = चोटा पुं० (तमाकुनो) शीरो; काकब
चोरीनुं आळ मूकवू चोटी स्त्री० चोटली के चोटलो (२) __ चोरी-चोरी अ० जुओ 'चोराचोरी' शिखर. -करना=मा) ओळg.-का
चोरी-छिनाला पुं०, चोरी-यारी स्त्री० = उत्तम. -दबना लाचार थQ
चोरी ने छिनाळं; खराब काम चोटीवाला पुं० भूतप्रेत इ० । चोलना पुं० 'चोला'; फकीरनो जामो चोट्टा पुं० चोट्टो; चोर [जुओ 'चोब' चोला पुं० फकीरनो चोळो-लांबु मोटुं चोप पुं० (प.) रुचि (२) उमंग (३) जामा जेवू पहेरण (२) शरीर चोप(-ब) दार पुं० जुओ 'चोबदार' चोली स्त्री० चोळी. -दामनका साथ चोब स्त्री० [फा. छडी (२) दंडको; खूब घनिष्ठ संबंध दांडियो (३) जुओ 'चोबा' चौआलीस वि० 'चौवालिस';वाळीस
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चौंक १८६
चोपई चौक स्त्री० चोंक; चोंकवु ते चौखूट पुं० चारे दिशा (२) भाखू भूचौंकना अ० क्रि० चोंकवं
मंडल (३) अ० चोपास; चोखूट चौतिस, चौंतीस वि० चोत्रीस; ३४ चौखूटा वि० चोखंडु; 'चौकोना' चौंध स्त्री०आंख अंजावीते; चकाचौंध' चौगान पुं० [फा. गेडीदडा के पोलो चौंधियाना अ.क्रि० आंख अंजावी (२) या ते रमवान मेदान-चोगान (२) न देखावं
नगारानो दांडियो चौर पुं० चमर; 'चॅवर'
चौगिर्द अ० चोगरदम चौर-गाय स्त्री० चमरीगाय [दोरो चौगुना वि० चोगj चौंरी स्त्री० चमरीगाय (२) चोटलानो चौगोशिया वि० [फा.] चोखंडु:चतुष्कोण चौंसठ वि० चोसठ; ६४
चौघड़ पुं० 'चौभड़'; दाढ चौ वि० चार (समासमां)
चौघड़ा पुं० चार खानांवाळु पात्र-जेवू चौआ(-वा) पुं० जुओ 'चौवा' के पाननो डब्बो, मसालानु पात्र इ० चौक पुं० [सं.चतुष्क, प्रा.चउक्क चोक चौचंद पुं० बदनामी; निंदा. -पारना चौकड़ा पु० कानमा पहेरवान चोकडं निंदा करवी चौकड़ी स्त्री० फाळ; फलंग (हरणनी)
चौड़ा वि० चोडु; पहोळं (२) चार जणनी चोकडी (३) चार चौड़ाई (-न) स्त्री० चोडाई; पहोळाई घोडानी गाडी
चौतरफा अ० चोतरफ चौकन्ना वि० सावधान (२) चोंकेलं चौतरा पुं० चोतरो; चबूतरो चौकस वि० चोकस; सावधान होशियार
चौताल पुं० संगीतनो स्रोताल (२) (नाम,-साई,-सी स्त्री०)
होळी- एक गीत [चोथो भाग चौका पुं० चोको (२) चोखंडो टुकडो
चौथ स्त्री० चोथ तिथि (२) चोथाई(३) रोटलीनी आडणी (४) चोक्को चौथ(-था)पन पुं० चोथी-वृद्ध अवस्था; (५) चार सरखी चीजोनो समूह.
बुढापो; घडपण -देना, फेरना, लगाना-चोको करवो;
चौथा वि० चो) (स्त्री० -थी) लीप.-लगाना-सत्यानाश कर।
चौथाई स्त्री० चोथाई-चोथो भाग .. चौकी स्त्री० बाजठ के खुरशी (२)
चौथिया पुं० चोथियो साव (२) चोथा
भागनो हकदार [एक विधि चोकी (३) नानी आडणी (४) पडाव;
चौथी स्त्री० लग्नने चोथे दिवसे थतो उतारो..दारपुं०चोकीदार;चोकियात
चौदस स्त्री० चौक्श तिथि चौकोन (-ना, -र) वि० चोखंडु; चौदह वि० चौद; १४ . चतुष्कोण
ऊमरो चौधराई,-त स्त्री०, ना पुं० चोधरीनुं चौखट स्त्री० वारणानुं चोकळु (२) काम के पुरस्कार चौखटा पुं० चोकळु; 'फेम'
चौधरानी स्त्री० चोधरीनी स्त्री चौखानि स्त्री० चार प्रकारना (अंडज, चौधरी पुं० चोधरी; मुखी; आगेवान . पिंडज, स्वेदज, उद्भिज्ज) जीव चौप(-पा)ई स्त्री० चोपाई छंद
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चौपट
१८७ चौपट वि० चारे बाजु खुल्लं; अरक्षित चौरस वि० सपाट; सरखं (२) चोरस (२) बरबाद; नष्ट; सत्मामाश; सतम चौरसाना सक्रि० बराबर सर के चौपटा वि० सत्यानाश करनारुं चोरस कर, चौपड़ स्त्री० सोकठांनाजी; 'चौसर'
चौरा पुं० चोरो (चोतरो; बेठक; देवचौपाई स्त्री० जुओ 'चोपाई'
देवीके संतनुं स्थानक) (स्त्री०-री) चौपाया पुं० चोपगं
चौराई स्त्री० जुओ 'चौलाई' चौपाल पं० चारे बाजथी खुल्ली एवी चौरानवे वि. चोराणु; ९४ बेठक (२) गामलोकने बेसवानो चोतरो ।
चौरासी वि० चोराशी; ८४ (२) पुं० -चोरो (३) एक जातनी पालखी
८४ लाख योनि; लखचोराशी (३) चौफेर अ० चोफेर; चोतरफ
पगमां बांधवाना घूघरा चौबा(-बे) पुं० जुओ 'चौबे
चौराहा पुं० चार-रस्ता चौबाइन स्त्री० चोबानी स्त्री
चौलाई स्त्री० चोळाई शाक चौबारा पं० उपला माळनी चारे बाज़ खुल्ली मेडी (२) खुल्ली बेठक (३)अ०
चौवन वि० चोफ्न; ५४ . चौथी वार
चौवा पुं० हाथनी चार आंगळी (२) चौबीस वि० चोवीस; २४
चार आंगळ माप (३)चोक्को(४)चोषगुं चौबे पुं० एक ब्राह्मणनी जात; चोबो ।
चौवालीस वि० चूंवाळीस; ४४ चौभड़ स्त्री० 'चौघड़'; दाढ (मकान)
चौसर पुं० चोसर-सोगटांभाजी [रस्ता चौमंजिला विचार मजला के खंडोवाळं। चौहट्ट,-ट्टा पुं० चौटुं; 'चौक' (२) चार चौमासा पुं० चोमासुं
चौहत्तर वि० चुंमोतेर; ७४ । चौमासिया वि० चोमासामा थनारुं (२)
चौहद्दी स्त्री० चोपानी सीमा [चोगj पुं० चोमासा पुरतो राखेलो नोकर चौहरा वि० चोहरु-चार बेवडं (२) चौमुहानी स्त्री०, चौरस्ता, चौराहा पुं० चौहान पुं० चोहाण क्षत्रिय चार-रस्ता
च्युत वि० [सं.] पडेलं; भ्रष्ट. -ति चौर पुं० [सं.] चोर
स्त्री० पडती; भ्रष्टता (२) भूल; चूक
छंग पुं० (प.) उछंग; गोद छंटना अ०क्रि० छंटा ; विणाई जर्बु (२) कपाईने अलग थर्बु (३) अलग,
छुटुं पडवू छंटनी स्त्री० (काममाथी) दूर करवं ते छड़ना सक्रि० (प.) छोडवू; छोडq (२) । छडq (३) अ०क्रि० ओकवू
छंद पुं० [सं.] इच्छा (२) काव्यनो छंद (३) छळ; कपट (४) हाथर्नु एक घरेणुं छ, छः वि० छ; ६ छकड़ा पुं० शकट; गाडु छकना अ०क्रि० घरा (२) नशाथी चकचूर बनवू; छकवू (३) छक थq
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छकाछक १८८
छपरी छकाछक वि० खूब तृप्त (२) छलोछल छड़िया पुं० दरवान; छडीदार भरेल(२) नशामां चकचूर
छड़ी स्त्री० लाकडी (२) धजा छकोला वि० छकेलं; मदमस्त छत स्त्री० मकाननी के ओरडानी छत छक्का पुं० छक्को (२) छकडं (३) (२)छतनो चंदरवो(३)०(प.)क्षत; घा होशकोश; सूधबूध. छक्के छूटना%D छतगीर(-री) स्त्री० चंदरवो सूधबूध जती रहेवी (२) हिमत हारवी छतरी स्त्री० छत्री (२) मंडप (३) छक्कापंजा पुं० दावपेच; कूडकपट समाधिना स्थान परनो मंडप छगड़ा पुं० (स्त्री०,-डी) छग; बकरो छतनार वि० फेलायेल घटादार (झाड) छगन पुं० नान बाळक (प्यारनो शन्द). छतियाना सक्रि० छाती पासे लेQ (२)
मगनपुं०हसतां खेलतांप्यारांबाळको बंदूकने फोडवा छाती पासे लगाववी छगुनी स्त्री० टचली आंगळी
छतीसा वि० चतुर (२) धूर्त छछिआ(-या) स्त्री० छाश (२) छाश छत्ता पुं० छत्री (२) मधपूडो देवानुं मापियुं के वासण
छत्तीस वि० छत्रीस; ३६ ['छतीसा' छछूदर पुं० छ दरु(२)एक दारूखानानी
छत्तीसा पुं० हजाम (२) वि० जुओ चीज. -छोड़ना= झघडो ऊभो करवो छत्तीसी स्त्री०भारे बदमास स्त्री;छिनाळ छजना अ० क्रि० छाजवू (२) शोभq।
छत्र पुं० [सं.] छत्री (२) (राजानु) छत्र छज्जा पुं० छ—
[छूटवू छत्रपति पं० सिं.] राजा छटकना अक्रि० छटकवू; छूटीने भागवू; । छत्री पुं० क्षत्री (२) वि० छत्रधारी छटपटाना अ०क्रि० बेचेन थ; तरफडवू छद [सं.] ढांकण (२) छाल (३)पांख (२) आकुलव्याकुल थर्बु [आतुरता छदाम पुं० पैसानो चोथो भाग छटपटी स्त्री० चटपटी; बेचेनी (२) छन पं० [सं.] छळ; कपट (२) छपो छटाँक स्त्री० नवटांक; (पाका) शेरनो
वेश; छुपावq ते (३) बहानुं १६मो भाग (३) लट; सेर ।
छन (०क) पुं० क्षण; 'छिन' छटा स्त्री० [सं.] शोभा; खूबी(२)वीजळी छनकना अ०क्रि० छमकारो थवो (२) छठ स्त्री० छठ तिथि
चमक; भडकवू (३) छमकवू; छम छठवां, छठा,-ठा वि०छर्छ. छठे (-3) छम थवू -छमासे कोई वार; घणे दिवसे छनना अ० कि० बळावू (२) गळावू छठी स्त्री० छठ्ठी; जन्म पछीनो छठ्ठो (३) छणावं (४) तळावू (५) पुं० गळj दिवस. -का दूध निकालना= दम के छप स्त्री० छब एवो पाणीनो अवाज ठूस काढवी. -का दूध याद आना एवं छपछपना अ० क्रि० छबछबवू (२) हेरान थq के बाळपणनुं सुख याद आवे स० क्रि० छबछबाव, छड़ स्त्री० धातु के लाकडानो दंडूको छपना अ०क्रि० छाप पडवी (२) छपावं छड़ा पुं० पगनो छडो (२) वि० छडु; छपरख (-खा)ट स्त्री० छप्परखाट
छपरी,-रिया स्त्री० छापरी; झुपडी
म यवु
. एकाकी
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छपाई छपाई स्त्री० छाप; छापकाम(२)छपामण छपाका पुं० छबाको छप्पन वि० ५६ संख्या छप्पय पुं० छप्पो छप्पर पुं० छापलं. -पर रखना=आधु के अलग राखवू; छोडवू. -फाड़कर देना = घेर बेठे मळवू - पहोंचq.. -रखना = दोष देवो छबड़ा पुं० छाबडु; टोपलं छबि स्त्री० शोभा; सुंदरता छबीला वि० छबील; रुपाळ छब्बीस वि० छव्वीस; २६ छमना सक्रि० (प.) क्षमा करवी । छमा(०ई) स्त्री० (प.) क्षमा छमाही वि० छ मासिक छय पुं०खय; क्षय; नाश [घा पर मीठं) । छरछराना अ०क्रि० चचरर्बु (जेम के छरना अ० कि० झरवं; टपकवू (२)
छळg; बीवू [(२) तेज; फूर्तिलं छरहरा वि० (स्त्री०,-री)पातळु;हलकुं छरोरा पुं० उझरडो छर्वन पुं०, छदि स्त्री० [सं.] ऊलटी छर्रा पुं० बंदूकनो छरो (२) झांझरनी
घूधरी छल पुं० [सं.] छळ; कपट (२) ठगq ते छलक (०न) स्त्रो० छालक छलकावं ते । छलकना अ०क्रि० छलकावू छलकाना सक्रि० छलकाव, छलछंद, छलछात, छलछिद्र पुं०, छल
छाया स्त्री० कपट; चालबाजी छलछलाना सक्रि० छल छल अवाज
थवो (२) छलका (पाणी इ०) छलना सक्रि० छेतरवु (२) स्त्री० छळ छलनी स्त्री० चाळणी.-में डाल छाजमें
छांह उड़ाना = रज गज करवू; वातनुं वतेसर कर छलांग स्त्री० छलंग छलाई स्त्री० (प.) कपट; छेतरपिंडी छलाना सक्रि० 'छलना' नुं प्रेरक छलावा पुं० (भूतप्रेत) देखा दई अलोप थर्बु ते छलित वि० [सं.] छेतरायेलं छलिया,छली वि० कपटी; छळ करनार छलोरी स्त्री० नहियुं पाकवू ते; नखमां
छाला पडवां के ते पाके ए रोग छल्ला पुं० छल्लो; वींटी छवना पुं० (स्त्री०,-नी) जुओ 'छौना' छवाई स्त्री० छावं ते के तेनी मजूरी छवाना सक्रि० 'छाना'नुं प्रेरक [छबी, छवि स्त्री० [सं.] शोभा(२) तेज;प्रभा(३) छवैया पुं० छापरुं छानारो छहरना अ०क्रि० जुओ 'छहराना' छहराना अ०क्रि०(प.)बीखरावं; फेलावू (२) सक्रि० फेलाव छहियाँ स्त्री० 'छांह'; छाया छांगना सक्रि० (डाळी) तोडवी-कापवी छाँगुर पुं० छ आंगळियो छांछ स्त्री० छाश छाँट स्त्री० ऊलटी (२) काट के अलग करवं ते के तेम करेली वस्तु छाँटना सक्रि० कापीने जुएं करवु (२)
अलग करवू; जुद् पाडवू (३) साफ करवू छाँड़ना सक्रि० छोडवू छांद स्त्री० ढोरना पग बांधवानी रसी छाँदना स०क्रि० जकडवू; बांधवं छाँव, छांह स्त्री० छाया. छाँह न छूने देना-पासे न आववा देवं. छांह बचाना मासे न जवू
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छाक
छाक स्त्री० तृप्ति ( २) छाक नशो छाग पुं० [सं.] बकरो छाछ स्त्री०. छारा; 'छाँछ'
छाज पुं० सुपडुं (२) छाज (३) छजुं. -सी दाढ़ी = मोटी दाढी. छाजों मेह बरसना = मुसळधार वरसाद थवो छाजन स्त्री० कपडु; वस्त्र (२) छाज; छाप (३) एक रोग
छाजना अ०क्रि० (प.) छाजवु, घटवुं छाता पुं० छत्री (२) बिलाडीनो टोप छाती स्त्री० छाती (२) दिल (३) हिंमत छात्र पुं० [सं.] विद्यार्थी; शिष्य छात्रवृत्ति स्त्री० [सं.] शिष्यवृत्ति छात्रालय, छात्रावास पुं० [सं.] छात्रालय; होस्टेल [तेनुं साधन छादन पुं० [सं.] छावुं, ढांक ते के छान स्त्री० छापहं (२) जुओ 'छाँद' छानना स० क्रि० चाळ (२) अलग करवं छूटुं पाडवु (३) तपासवुं छानबीन स्त्री० बरोबर तपास के विचार छानबे वि० छत्न ९६ छाना स०क्रि० छा (२) बिछावनुं (३) अ०क्रि० प्रसरवुं [छाप; असर छाप स्त्री० छाप; चिह्नः मारको (२) छापना स०क्रि० छापवुं छापा पुं० छाप (२) छपुं; बीबुं (३) हाथो थापो (४) छापो छापाखाना पुं० छापखानुं 'मतबा' छायल पुं० स्त्रीनुं एक वस्त्र; छायल छाया स्त्री० [सं.] छायो (२) पडछायो; प्रतिबिंब
छार पुं० खार (२) छार; राख के धूळ.
-खार करना = खतम नष्टभ्रष्ट कर छाल स्त्री० झाडनी छाल (२) एक मीठाई
१९०
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छिनाना
छालना स० क्रि० 'छानना'; चाळबुं साफ कर
छाला पुं० छाल (२) फोल्लो छालिया पुं० कांसानुं छाल ; छालियं (२) जुओ 'छाली'
छाली स्त्री० सोपारी छावनी स्त्रो० छाज (२) छावणी छावा पुं० [सं. शावक ] बच्च् (२) पुत्र छि, छिः अ०छी एवो तिरस्कारनोउगार छिकनी स्त्री० छींक लावे एवी एक वनस्पति
छिगुनी स्त्री० टचली आंगळी छिछला वि० छीछरुं [ छिछोर (-रा) न ] छिछोरा वि० छोछ; पामर; क्षुद्र, [नाम छिटकना अ०क्रि० चोतरफ वीखरखुं ( प्रेरक छिटकाना ) [वाना प्रेरक ) छिड़कना स०क्रि० छांटवुं ( छिड़कछिड़काई स्त्री० छांट ते के तेनी मजूरी छिड़काव पुं० छंटकाव छिड़ना अ०क्रि० शरू थबुं; छेडावुं छितराना अ०क्रि० वीखवुः वेरावुं (२) स०क्रि० वेर; विखेवुं छिदना अ० क्रि०छेदावुं भोंकावुं (छिदाना प्रेरक) [ जर्जर (३) छिद्राळू छिदरा वि० वीखरायेलुं; छूटुं (२) छिद्र पुं० [ सं . ] काणुं (२) दोष छिन पुं० ( प. ) क्षण; 'छन' छितक अ० (प.) क्षण वार; जरां वार छिनकना स०क्रि० नाक नसीकवुं ( २ )
भडकवु; छळवु
छिन्ना अ०क्रि० छिनावं; हरण थवं छिनरा वि० पुं० छिनाळ वो; व्यभिचारी (स्त्री०, - री) ['छीनना' नुं प्रेरक छिनवाना, छिनाना स०क्रि० छिनवाववुः
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छिनार १९१
छुटपुटा छिनार,-ल स्त्री० छिनाळ. -ला पुं० छीका पुं० [सं. शिक्य] शीकुं; 'सीका' छिनाळं; व्यभिचार
छीछड़ा पुं० मांसनो रद्दी टुकडो छिन्न वि० [सं.] छेदायेलं; भांगेलं छीछा-लेदर स्त्री० दुर्दशा; बेहाल छिन्नभिन्न वि० [सं.] नष्टभ्रष्ट;अस्तव्यस्त छीजना अ०क्रि० क्षीण थव; घटवू छिपकली स्त्री० घरोळी होवू छोटा पुं० वांसनो टोपलो- छाबडु छिपना अ०क्रि० छीपq; छुपावू; ढंकायेलं छीतना सक्रि० डंखवू (२) मारवं छिपा-छिपी अ० छूपी रीते; चूपकीथी; छीदा वि० 'छिदरा'; छिद्राळु (२) आर्छ; चूपचूप
छूटुं छूटुं; पांखें छिपाना सक्रि० छुपावq (२) ढांक। छीन वि० (प.) क्षीण छिपा रुस्तम वि०० असाधारण शक्ति- छीन-झपट स्त्री० जुओ 'छीनाझपटी' वाळू पण अजाण्युं के छू माणस (२) छीनना सक्रि० छीन; झूटवं (२) छुटुं उपरथी सारं पण अंदरथो खराब __ करवू (३) (घंटी) टांकवी (माणस)
छीना-खसोटी, छोनाछीनी, छीनाझपटी छिपाव पुं० छुाव ते
स्त्री० (जोर झपटथी) छीनवी लेवं ते छिपे छिपे अ० छुपुं छूपं
छोप स्त्री० छीप; सीप (२) छाप; छिबड़ा पुं० छाबडं.-डी स्त्री० छाबडी डाघ; चिह्न (३) डाघ पडी जाय छिमा स्त्री० (प.) क्षमा
एवो एक त्वचारोग (४) माछली छिया स्त्री०छी;मळ(२)वृणित चीज(३) पकडवानी लाकडी
वि० गंदं.-छरद करना= छो छी करवू छोपी पुं० ीपो छिलका पुं० फळनुं छोडु-छाल; छीलटुं छीमी स्त्री० फळी; सींग [(प.) क्षीर छिलना अ०क्रि० छिलावं; छोडु कढावू छोर स्त्री० कोर; किनार; 'छोर' (२)पुं०
(२) छोलावू; उझरडो भरावो छीलना सक्रि० छीलवू; छोलवू छोक स्त्री० छींक ते के छींक.-आना, छोलर पुं० (पाणीनो) छछरो खाडो मारना, लेना छींक खावी. -होना
छुआछूत स्त्री० स्पर्शास्पर्शनो ख्याल (२) अपशुकन थवा
अछूतने अडवू ते छोकना अ०क्रि० छींक. डाँकते या
छुआना सक्रि० छूना'नुं प्रेरक; छुलाना' छोकने पर नाक कटना-नाना गुनामाटे छुईमुई स्त्री० लजामणीनो लोड । भारे सजा थवी; कीडी पर कटक थर्बु छुच्छा वि० जुओ 'छूछा' [परेणु छीट स्त्री० छांट; सीकर(२)छींट कपडु छच्छी स्त्री० नानी नळी (२)नकन एक छौटना सक्रि० जुओ 'छितराना' । छुट वि० 'छोटा'- समासमां आवतुं रूप छोटा पुं० छांटो (२) छांटा-थोडो (२) अ० (प.) सिवाय; विना; छोडीने वरसाद (३) माक्षेप टोणो. - छोड़ना, छुटकारा पुं० छुटकारो; मुक्ति देना=टोणो मारवो [(बाळ भाषा) छुटपन पुं० नानपण; बाल्यावस्था छी अ० जुओ 'छि' (२) स्त्री० छी; मळ छुटपुटा पुं० समीसांज; संध्या
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छुट्टा
१९२ .
छोटा छुट्टा वि० छूटुं; मुक्त; एकलं [राखवी छूना अ०क्रि० स्पर्श थवो (२) सक्रि० छुट्टी स्त्री० रजा; छूटी.-मनाना=रजा स्पर्श छुड़वाना, छुड़ाना सक्रि० छोडववं (२) छूरा,-री जुओ 'छुरा,-री' नूर भरी पार्सल लेवू
छेकना स०क्रि० छेकवू (२) रोक छुतिहा वि० अस्पृश्य (२) पतित (३) थोभावq (३) घेर पुं० सुरोखार; 'शोरा'
छेक पुं० छेद; छिद्र छुपना अ०क्रि० जओ 'छिपना' छेटा स्त्री० (प.) हरकत; रुकावट छुपाना सक्रि० जुओ 'छिपाना' छेड़ स्त्री० छेडवं ते (२) खीज छुरा पुं० छर (२)अस्तरो(३)[सं.] चूनो
छेड़-खानी, छेड़-छाड़ स्त्री० खीजववं छुरा(-रे)बाजी स्त्री० छरा ऊडवा- के छंछेडबुं ते के तेवी वात तेनी मारामारी थवी ते
छेड़ना सक्रि० छेडवू; सताव (२) छुरी स्त्री० छरी; नानो छ रो.-कटारी खीजवq (३) मश्करी करवी (४) रहना के होना= वेर होवं; झघडो खोदवं (५) 'छिड़ना'; शरू करवू (६) थतो रहेवो
फोल्लो फोडवो छुला (-वा)ना सक्रि० 'छूना'नुं प्रेरक । छेद पुं० [सं.] काj; छिद्र छहारा पं० खारेक (३) निर्धन छेदना सक्रि० छिद्र करवं; कापवं छेदवं छंछा वि० खाली; पोल (२) निःसत्त्व छेना पुं० दूध फ वीने कढातो मावो छू पुं० मंत्र भणी फूंक मारवानो शब्द. (२) स० क्रि० छेद (ताड इ०) -मंतर होना-छूमंतर-अलोपथई जq
छनी स्त्री० छोणी; टांकj छूछा वि० जुओ 'छूछा'
छम पुं० (प.) क्षेमकुशळ छूट स्त्री० छुटकारो; मुक्ति (२) रजा; छेरना अ० कि० छेरवू अवकाश; छुट्टो (३) लेणदेणमां जती छेरी (-ली) स्त्री० बकरी कराती-छुट अपाती रकम (४) कोई छेव पुं० छेद; घा (२) पडनार दुःख काम करवानुं भूलथी रही जवंगफलत छेवना स० क्रि० छेदवू (२) चिह्न छूटना अ० क्रि० छूट बू; मुक्त थर्बु (२)
करवू. जीव पर छेवना=जान ऊपड चालवा मांड (३)छूटुं-अलग
जोखममां नाखवो पडवू (४) नियम के व्रत तूट (५) रस छैया पुं० (प.) छयो; वहालो छोकरो छूटवो (६) बाकी बचत रहेQ (७) काम छल पुं० (प.) 'छैला'; छेल करातुं रही जवं-भूल थवी (८) फारेग
छल-चिकनियाँ, छल-छबीला वि० छेलथवू; बेकार बनवू
छबीलो; शोखी छूत स्त्री० अडवू ते; स्पर्श(२)अस्पृश्यनो । छला पुं० छल; शोखी माणस स्पर्श(रोग,गंदकी वगेरेनो)(३)वळगण. छोकड़ा (-रा) पुं० छोकरो (२)नोकर -का रोग= चेपी रोग
छोकड़ी(-री) स्त्री० छोकरी छूतछात स्त्रो० 'छुआछूत'
छोटा वि० छोटुं; नानु(२)तुच्छ;सामान्य
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जंत्री
छोटामोटा छोटामोटा वि० सामान्य; साधारण छोरा पु० छोरो; छोकरो (स्त्री० -री) छोटी हाजिरी स्त्री० सवारनो नास्तो छोराछोरी स्त्री० खेचाखेंच छोड़-चिट्ठी, छोड़-छुट्टी स्त्री० फारगती छोलदारी स्त्री० नानो तंबू छोड़ना स० क्रि० छोडवू. छोड़-छाड़कर छोलना स० क्रि०(प.) छोलवू; छीलना' = छोडी करीने
___ छोह पुं० ममता; प्रेम (२) दया छोड़वाना, छोड़ाना स० क्रि० छोडावq छोहरा पुं० 'छोरा'; छोरो; छोकरो छोप पुं० जाडो लेप के तेनो थर (२) (स्त्री० -रिया, -री) बचाव; छुपावq ते . [छांदी लेवू छोही वि० स्नेही(२)स्त्री०सांठानो कूचो छोपना सक्रि० लेप करवो (२) लींपy; छौंक स्त्री० वधार. -ना स० क्रि० छोभ पुं० (प.) क्षोभ (अ.क्रि० -ना) वधारवं छोर पुं० सीमा; हद (२)धार; किनारो छौना पुं० पशु, बच्चुं छोरना स० क्रि० छोडवू (२) हरी लेवू छौलदारी स्त्री० जुओ 'छोलदारी'
" पार
जंकशन पुं० [इं.] बे रेलवे मळतुं स्टेशन जंग स्त्री० [फा.] जंग; युद्ध (२) पुं०
जुओ 'जंग'; काट जंग पुं० [फा.] लोढानो काट जंग-आवर वि० [फा.] जुओ 'जंग' जंगजू वि॰ [फा.] लायक; वीर जंगम वि० [सं.] जंगम; चल. जंगल पुं० वन; वेरान रण [रानी जंगली वि० जंगलन के त्यां मळतं के थत; जंगला पुं० [पो. जेंगिला] जाळी जंगार पुं० [फा.] जंगाल; तांबानो काट जंगारी वि० जंगाली; जंगालना रंगनुं जंगी वि० फोजी; जंग - लडाईन के तेने
लगतुं(२) मोटुं.०लाट पुं० सरसेनापति जंगी पुं० [फा.] नंगबारनो वतनी; हबसी जंघा स्त्री० [सं.] जांघ जेचना अ० क्रि० 'जांचना'न कर्मणि (२) ठीक लागवू; गमवू (३) मालूम पडव; लागवं हि-१३
जंचा वि० बरोबर तपासेलु (२) अचूक जंजाल पुं० जंजाळ;झंझट(२)जंजार तोप जंजाली, -लिया वि० जंजाळी (२) झघडाळ जंजीर स्त्री० [फा.] जंजीर; सांकळ के बेडी(२) कमाडनी सांकळ. ०खानापुं० केदखानुं जंट, •मजिस्ट्रेट पुं० [इं. जॉइन्ट] जॉइंट
मॅजिस्ट्रेट. -टी स्त्री० ते पद जंतर पुं० यंत्र; ओजार (२) तावीज; ___ मादळियुं (३) वेधशाळा (४) वीणा जंतर-मंतर पुं० जादुमंत्र (२)वेधशाळा जंतरी स्त्री० पंचांग(२)जुओ 'जंता'(३) पुं० जादुगर
-यंत्र जंता पुं० जंतरडु; तार खेंचवानुं ओजार जंती स्त्री० नानुं जंतरडु जंतु पुं० [सं.] जंतु; जीव; जीवडं जंत्र पुं० यंत्र (२) तावीज (३) ताळं जंत्री पुं०वीणा(२)स्त्री०पंचांग; जंतरी'
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जंद
१२४
जत्राती जंद, ०अवेस्ता पुं० इराननी प्राचीन जखम, -समी जुओ 'जखम, -मा' __ भाषा के तेमां लखायेलोपारसी धर्मग्रंथ जग पुं० जगत; दुनिया जंदरा पं० जाँता'; मोटी घंटी (२) यंत्र जगजगा वि० झगझगतं.(०ना अ.क्रि.) जंबु(-बू) पुं० [सं.] जांबु फळ के झाड जगत स्त्री० कूवानो चोतरफनो परथाळ जंबुक पुं० [सं.] मोटुं पारस जांबु (२) (२) पुं० जगत; दुनिया . शियाळ
जगतसेठ पुं० बहु धनवान माणस जंबूर पुं० [फा.] जंबूरो; एक नानी जगती स्त्री० [सं.] पृथ्वी; दुनिया तोप (२) तोपनी गाडी
जगदीश पुं० [सं.] परमेश्वर जंभ पुं० [सं.] दाढ (२) जडळ(३)बगासुं जगना अ० क्रि० जागवू (२) झगर्बु जभाई स्त्री० बगासु.-लेना='जभाना'
जगमग, -गा वि० झगमगतुं अ० कि० बगासु खावू
जगमगना अ० क्रि० जगमगत् जई स्त्री० जव जेवू एक अन्न(२) जवारा' जगमगाहट स्त्री० झगमगाट जईफ़ वि० [अ.] जईफ; वृद्ध (३)दुर्बळ. . जगह स्त्री० जगा (२) मोको; अवसर -उल-बयान, जईफुल बयान = बयान
कात करवामां दुर्बळ. (वि० स्त्री० -फा) जगाती पुं० जकातदार के तेनुं काम (नाम, -फ्री स्त्री०) पराभव जगाना अ० क्रि० जगाडवू जक स्त्री० [फा.] हार (२) हानि(३) जघन पुं० सं.] पेढ़ (२) थापो; कुलो जक स्त्री० जक; हठ (२) धून; लगनी जघन्य वि० [सं.] छेल्लु (२) नीच;
(३) पुं० यक्ष (४) कंजूस । - हलकुं (३) निद्य जकड़ स्त्री० जकड; पकड; सकंजो जचगी स्त्री० [फा. प्रसूति; सुवावड जकड़ना स० क्रि० जकडवू; बांधq(२) जचना अ० क्रि० जुओ 'जॅचना'
अ० क्रि० अंग अकडावू; जकडा जच्चा स्त्री० [फा. प्रसूता स्त्री जकातं स्त्री० [अ.] जकात; कर (२) जच्चाखाना पुं० [फा.] प्रसूतिगृह
आयातवेरो (३) दान; खेरात जज पुं० [इ.] जज; न्यायाधीश जकाती पुं० जुओ 'जगाती' [पवित्रता जजमान पुं० यजमान परिणाम जकावत स्त्री० [अ.] बुद्धिमत्ता; नेकी; जजा स्त्री० [अ.] प्रतिकार (२) फळ; जको वि० [अ.] बुद्धिमान; नेक; पवित्र जजिया पुं० [अ.] दंड(२)जजिया-बेरो जखम, जरूम [फा.] पुं० जखम; घा. जजी स्त्री० जज- पद के काम या (वि० -मी, -रूमी)
तेनी कचेरी जखामत स्त्री० [अ.] स्थूलता; जाडपण जजीरा पुं० [फा. जंजीरो; बेट जखीम वि० [अ.] स्थूल; जाडु जजीरा-नुमा पुं० [अ.] द्वीपकल्पं जखीरा पुं० [अ.] जखीरो; संग्रह (२) जब पुं० [अ.] आकर्षण (२) शोषण 'नर्सरी'; फूलझाड फळझाडना उछेरनी। जज्बा पुं० [अ.] आवेश(२)प्रबळ इच्छा जगा
जज्बाती वि० भाव के इच्छा संबंधी
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जटना
जटना स० क्रि० ठगी लेबुं जटल स्त्री० गप; बकवाद जटा स्त्री० [सं.] वाळनी जटा जटित वि० [सं.] जडित; जडेलुं जटिल वि० [सं.] जटावाळं (२) चालु अटपटुं [वृद्ध (३) कठण जठर पुं० [ सं . ] पेट; होजरी (२) वि० जठराग्नि स्त्री० [ सं . ] जठरनो अग्नि जड़ वि० [सं.] निर्जीव; अचेतन ( २ ) मूर्ख (३) मूंग के बहेरु
जड़ स्त्री० मूळ; मूळियुं ( २ ) पायो. -जमना, -पकड़ना = 'जमना'; दृढ थवुं जड़ना स०क्रि० जडवुं; बेसाडवु (२) मारखं ठोकवुं (३) चाडी खावी; कही दे
जड़हन पुं० डांगर
जड़ावर पुं० [हि. जाड़ा ] गरम कपडां जड़िया पुं० जडवानुं काम करनार जड़ी, ०बूटी स्त्री० जडीबूटी; वनस्पति औषधि
जत अ० ( प. ) जेटलुं
जतन पुं० यत्न; प्रयत्न. नी वि० जतन करनाएं (२) चतुर
१९५
जतलाना, जताना स० क्रि० जणाववुं (२) अगाउथी सूचववुं जति, ती पुं० यति; संन्यासी जत्था पुं० जथो समूह (२) मंडळी; जूथ जत्था ( -त्थे ) दार पुं० जथानो नायक जत्थाबंदी स्त्री० दलबंधी; जूथ बांधवं ते जया अ० ( प. ) यथा; जेम (२) स्त्री० धन; पूंजी (३) पुं० जथो; ' जत्था ' जब अ० (प.) यदि; जो (२) ज्यारे;यदा जदपि अ० यद्यपि जोके [चोटनुं लक्ष्य जब स्त्री० [फा.] चोट; मार (२) हानि (३)
जनसंख्या
जदल पुं० [अ.] जंग; युद्ध [भोग बनेलु जदा वि० [फा.] 'जद' - हानि के चोटनं जदीद वि० [ अ ] नवुं; नवीन जदुनाथ, जदुपति, जदुराई .पुं० श्रीकृष्ण जद्द स्त्री० [अ.] प्रयत्न; कोशिश ( २ ) पुं० दादा (३) वि० ज्यादा; वधु ( प. ) जद्दपि अ० ( प. ) यद्यपि; जोके जद्दबद्द पुं० खराब - न कहेवा जेवी वात जद्दी वि० [अ०] बापदादानुं जद्दोजेहद स्त्री० [ अ ] दोडधाम; प्रयत्न जन पुं० [ सं . ] माणस ( २ ) लोक (३) पेवक जनकपुं० [ सं . ] पिता (२) वि० पेदा करनार जन स्त्री० [फा.] स्त्री (२) पत्नी. ० मुरीद वि० पत्नीवश
जनखा वि० [फा.] नपुंसक जनता स्त्री० [सं.] जनसमाज; लोक जनन पुं० [सं.] उत्पत्ति जनना स० क्रि० जणवं (२) पेदा करवुं जननी स्त्री० [सं.] माता जनम पुं० जन्म (२) जिंदगी जनमना अ० क्रि० जनमवुं; पेदा थकुं जनमघूँटी स्त्री० गळयूथी जन-मुरीद वि० [फा.] पत्नीवश जनरल पुं० [इं.] सेनापति (२) वि०
आम; साधारण
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जनरव पुं० [सं.] जनवाद; अफवा ( २ ) लोकनिंदा लोकापवाद जनवरी स्त्री० जान्युआरी मास जनवाई स्त्री० जुओ 'जनाई' जनवाना स० क्रि० 'जनना' (जणवुं) नुं, 'जानना' (जाणं) नुं प्रेरक जनवास ( -सा) पुं० जानीवासो जनश्रुति स्त्री० [सं.] अफवा; लोकवायका जनसंख्या स्त्री० [सं.] वस्ती
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जनाई
जनाई स्त्री० दाई के तेती मजूरी 'जनाजा पुं० [अ.] शत्र ( २ ) जनाजो; (मुसलमान) मडदुं लई जवानी खाली जनानखाना पुं० [फा.] जनानो; अंतःपुर जनाना स० क्रि० जुओ 'जनवाना' जनाना वि० [फा.] स्त्रीओतुं ( २ ) नपुंसक (३) निर्बळ (४) पुं० बायलो; हीजडो (५) जनानो; जनानखानुं जनाब पुं० [ अ ] श्रीयुत; महेरबान; महाशय (आदरसूचक पूर्वग ). ०आली पुं० [अ.] जनाबे आली. - बा स्त्री० श्रीमती जनाबे मन=मान्य महोदय; जनाबे आली जनाव पुं० जणाववुं ते; सूचना जनि अ० ( प. ) ना; नहीं; मत जनु अ० ( प. ) यथा; जेम ( २ ) जाणो मानो जनून पुं० [अ.] ज्ञतून; उन्माद - नी वि० जनूब स्त्री० [फा.] दक्षिण दिशा - बी वि० जनेऊ ( - ) पुं० जनोई
जनेत स्त्री० ( प. ) जान; 'बरात ' जनेव पुं० जुओ 'जनेऊ ' जन पुं० [अ.] ख्याल; विचार; (२) भ्रम जन्नत स्त्री० [अ.] स्वर्ग. - ( - ते) अदन पुं० स्वर्गतो बाग जेमां मनुष्य प्रथम हतो मनाय छे. ती वि० स्वर्गवासी (२) ओलियुं; भोळं; भलुं जन्म पुं० [सं.] जनम ( २ ) जनमारो. ० कुंडली स्त्री० जन्माक्षर जन्मना अ० क्रि० जनमनुं जन्मांतर पुं० [सं.] बीजो जन्म; पुनर्जन्म जन्माष्टमी स्त्री० [सं.] गोकळआठम
वि० [सं.] जन संबंधी (२) देश के जाति संबंधी (३) पेदा थयेलुं जप पुं० [ सं . ] जप मंत्रनुं रटण. ०तप पुं० पूजापाठ; व्रत उपवासादि
१९६
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जन
जपना स० क्रि० जपनुं (२) यज्ञ करवो जपनी स्त्री० माळा (२) गोमुखी जफ़र पुं० [ अ ] जीत (२) लाभ जफ़ा स्त्री० [फा.] सखताई (२) जुलम (३)
कष्ट. ०कश वि०. सहनशील [ अवाज जफ़ीर (-ल) स्त्री० [ अ ] सीटी के तेनो जब अ० ज्यारे. -कभी = चाहे त्यारे.
- कि = ज्यारे. - तब = क्यारेक क्यारेक जबड़ा पुं० जडबु. ०तोड़ वि०जडवातोड जबर वि० [ अ ] 'जबरा'; जबरुं (२) मजबूत ( नाम - ई स्त्री ० ) [ बळवान जबरदस्त वि० [फा.] जबरजस्त;मजबूत; जबरदस्ती स्त्री० [फा.] जोरजुलम;
अत्याचार; बलात्कार ( २ ) अ० बळजोरीथी
जबरन् अ० [फा.] बळपूर्वक जबरा वि० जबरु (२) पुं० जिब्रा पशु जबल पुं० [ अ ] पहाड
जबह पुं० [अ.] झबे; कतल; वघ जबहा पुं० साहस; हिंमत जबान स्त्री० [फा.] जीभ (२) भाषा जबान - जद वि० [फा.] सौनी जीभे होय तेनुं प्रसिद्ध जबान-दराज वि० [फा.] लांबी जीभनुं गमे तेम - अन्चित बकनार जबान -दाँ वि० [फा.] भाषानो पंडित. - दानी स्त्री० [साक्षी जानबंदी स्त्री० [फा.] मौन (२) लखेली जबानी [वि० [फा.] मौखिक (२) मोढामोढ जबून वि० [फा.] बूरुं; खराब; अपशुकनियाळ [ जब्ती स्त्री०) जब्त पुं० [अ.] जप्त करेलुं ते. (नाम जब्बार वि० [फा.] 'जब' करनार जब पुं० [ अ ] जबरदस्ती; सखती; जुलम
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जनन्
जनन् अ०
[अ.] जुओ 'जबरन्'
[कूवो
जब व मुक़ाबला पुं० [अ.] बीजगणित जमघट पुं० जमाव; भीड जमजम पुं० [अ.] काबा पासेनो पवित्र जमजमी स्त्री० [अ०] 'ज़मज़म' कूवाना
पवित्र जळनुं पत्र
[थवुं
जमना अ०क्रि० जामवु; ठरवु; एकत्र जमवट स्त्री० कूवानुं चक्कर
जमहूर पुं० [अ.] जनसमूह; प्रजा (२) राष्ट्र जमहूरियत स्त्री० [ अ ] लोकशाही जमहूरी वि० [ अ ] प्रजाकीय; राष्ट्रीय.
- सल्तनत = प्रजातन्त्र
जमा वि० [अ.] जमा; एकठं, जमा करेलुं (२) स्त्री० पूंजी; धन (३ ) महेसूल (४) सरवाळी (५) (व्या.) बहुवचन (६) समूहवाचक नाम जमा-खर्च पुं० आवक ने खर्च जमाअत स्त्री० [ अ ] जुओ 'जमात'. - ती वि० सामुदायिक
4
जमाई पुं० जमाई; 'दामाद' (२) स्त्री० जमाव ते के तेनी मजूरी
जमा ( ०अ ) त स्त्री० जमात; झुंड; समूह (२) श्रेणी; दरज्जो
जमाद पुं० [अ. जिमाद]पथ्थर जेवा पदार्थ (२) वरसाद वगरनो देश (३) कंजूस जमादात स्त्री० [ अ ] पथ्थर माटी वगेरे पदार्थ
जमादार पुं० [फा.] जमादार; सिपाईनी टुकडीनो वडो; नायक
१९७
जमानत स्त्री० [अ.] जमान ; जामिनगीरी जमानतन् अ० [अ] जामिनरूपे जमाना पुं० [अ.] समय (२) लांबो समय; जमानो
जमाना स० क्रि० जमावबुं
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जर्मयतुल उलेमा जमानासाज वि० [अ +फा.] जमानो जोई वर्तनार; कार्यदक्ष
जमाबंदी स्त्री० [फा.] जमाबंदी के ते अंगेनुं तलाटी, पत्रक
जमामार वि० बीजानुं धन दबावी पाडनार के लई लेनार
जमाल पुं० [अ.] सुन्दरता ( वि० - ली ) जमालगोटा पु० नेपाळो
जमाव, ०ड़ा पुं०, ०ट स्त्री० जमाव भीड जमींकंद पुं० सूरण [ -री स्त्री०) जमींदार पुं० [फा.] जमीनदार. ( नाम, जमींदोज वि० [फा.] जमीनदोस्त जमीन स्त्री० [फा.] जमीन; भूमि (२) पृथ्वी ( वि० - नी ) - आसमानके कुलाबे मिलाना = खूब शेखी मारवी. का पैबंद होना=माटीमा मळवु; मरी जबु. - चूमने लगना-गबडीने जमीन पर पडी जवुं; नीचं पडवु. - देखना=पडवु;गबडी जवु. - पकड़ना = (कुस्तीमां) जमीन साथे वळगी रहेवुं (२) निरांते बेसवुं . - बांधना : भूमिका तैयार करवी. - से पीठ न लगना = चेन न पडवुं
=
जमीमा पुं० [अ०] । रिशिष्ट; जुओ 'क्रोडपत्र ' जमीर पुं० [अ.]मन(२)विवेक (३) सर्वनाम जमील वि० [ अ ] सुंदर; 'जमाली' ( वि० स्त्री० - ला ) 'जमुर्रद पुं० [फा.] 'पन्ना' - हीरो; पन्नुं. - दी, दीन वि० (२) पुं० पन्नानो रंग के ते रंगनु; लीलुं
• जमुहाना अ० क्रि०बगासु खावु; 'जँभाना' स्त्री० [.] जमात ; समूह ( २ ) संतोष शांति ( ३ ) फोज जयतुल उलेमा स्त्री० [अ.] उलेमामोलवीओ मंडळ
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जमोगना १९८
जर्वचोब जमोगना सक्रि० हिसाब तपासवा (२) जरब स्त्री० [अ.] आघात; वोट (२) समर्थनमां बीजाने साक्षी आपवो (३) गुणाकार (३) तबला पर थाप देवाना जामिन आपवा
जरबखाना पुं० [फा.] टंकशाळ जम्म वि० [अ.] खूब (२) बधुं जरबफ्त पुं० [फा.] कसबी रेशमी कपडु जम्हाई स्त्री० बगासुं
जरबाफ़ पुं० जरदोज; तारकसबवाळो जम्हाना अ०क्रि० जुओ 'जमुहाना' . जरबीला वि० भभकदार; सदर जयंती स्त्री० (महापुरुषनी) जन्मतिथि जरबुल-मसल स्त्री० [अ.] कहेवत (२) धजा
जरमन सिलवर पुं० जर्मन सिल्वर धातु जय स्त्री० [सं.] जीत; फतेह जरर पुं० [अ.] हानि (२) आघात जर पुं० जरा; घडपण (२) विनाश जरस पुं० [अ.] घंट (३)(प.) जळ; पाणी (४) ज्वर; ताव जरा वि० [अ.] जरा; थोडं.-साजराक (५) स्त्री० 'जड़'; मूळ .
जरा स्त्री० [सं.] घडपण जर पुं० [फा.] जर; पैसो (२) सोनुं जराअत स्त्री० [अ.] खेती के तेनी पेदाश जरकस (-सी) वि० सोनाना तारकसब- जराफ़त स्त्री० [अ] नजाक (२)बुद्धिमत्ता . वाळं; कसबी
[खरीदेखें जराफ़तन् अ० [अ.] मजाकमां जर-खरीद वि० [फा.] (पैसा आपीने) जराफ़ा पुं० [अ.] जिराफ; 'जिराफ़ा' जरखेज वि० [फा.] फळद्रुप; जरखोज. जरायम पुं० [अ.'जुर्म'- ब०व०] अनेक.. (नाम -जी स्त्री०)
विध गुना जरगर पुं० [फा.] सोनी
जरायु पुं० [सं.] गर्भनी ओर. ज जरगा पुं० [तु. जर्गः] जिर्गा; 'जिरगा' वि० ओर साथे जन्मतुं (प्राणी) जरठ वि०[सं.] वृद्ध; घरडु (२) कठोर; बरिया पुं० [अ.] कारण; सबब (२) कर्कश
(२) वि० कसबी संबंध; लाग (३) उपाय; मदद। जरतार पुं० सोना चांदीना तार; कसब जरी स्त्री० जरी-कसब (२) वि० जरतु (-दु)श्त पुं० जरथुष्ट्र (वि०-ती) । जरीनु; कसबी
माणस जरद वि० जुओ 'जर्द' [पीळो घोडो । जरीफ़ [अ.]जरीफ-मजाकी के समजदार जरदा पुं० [फा.] खावानी तमाकु (२) जरीब स्त्री० [फा. जमीन मापवानी जरदार वि० [फा.] पैसादार; धनिक
सांकळ जरदालू पुं० [फा. जरदाळ;एक सूको मेवो जरूर वि०[अ.ज़ुरूर] जरूरी; आवश्यक जरदी स्त्री० जुओ 'जर्दी' (२) ईंडा (२) अ० जरूर (नाम, ०त स्त्री०) _अंदरनो पीळो रस
जरूरी वि० जरूरनुं; आवश्यक जरदुश्त पुं० जुओ 'जरतुश्त'
जर्क बळ वि० [फा.] झलकदार जरन(-नी) स्त्री० (प.) 'जलन'; दाह । जर्जर,-रित वि० [सं.] जरी गयेलं जीर्ण जरना अ०क्रि० जळg; बळ
जई वि० [फा.] 'जरद'; पीळं. ०चोब जरपरस्त वि० [फा.] लोभी; कंजूस स्त्री० हळदर. (-र्वी स्त्री०)
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.
१२२
जर्दालू
जवनिका जर्दालू पुं० जुओ 'जरदालू' जलवा पुं० जुओ 'जल्वा' जर्फ पुं० [अ.] वासण (२) पात्रता; जलसा पुं० [अ.] (गायन वादननो)
बुद्धिमत्ता; समज. (३) काल ने स्थान ___ जलसो (२) अधिवेशन; बेठक; समारंभ वाचक क्रियाविशेषण
जलहरी स्त्री०जळाधारीके लिंगनी बेठक जीयत स्त्री० [फा.] पात्रता; योग्यता
जलाना सक्रि० जाळवं; बाळवं जर्व स्त्री० जुओ 'जरब'
जलापा पुं० बळापो; दाझ (ईर्षानी) जर्ब-उल्-मसल स्त्री० [अ.] कहेवत (२) जलाल पुं० [अ.] तेज (२) प्रभाव. -ली वि० जाणीतं; सर्वविदित
वि० तेजस्वी (२) पुं० एक फकीर जर्रा पुं० [अ.] अणु; कण
संप्रदाय जर्रार वि० [अ.] बहादुर (२) विशाळ जलालुका स्त्री० [सं.] जळो सेना. (नाम -री स्त्री०)
जलाव पुं० खमीर; आथो के ते चडवोते जहि पुं॰ [अ.] सरजन; शस्त्रवेद
जलावतन वि०[अ.] निर्वासित; देशपार जराही स्त्री० [अ.] शस्त्रवेदं
थयेलु (नाम, -नी स्त्री०) जलंधर पुं० जलंधर रोग
जलावन पुं० बळतण; ईंधण [वगेरे जल पुं० [सं.] पाणी
जलाशय पुं० [सं.] जळाशय-नदी, तळाव जलक स्त्री० [अ. जल्क] हस्तमैथुन
जलाहल वि० जळमय; जळजंबाकार जल-खावा पुं० 'जलपान'; नास्तो । जली वि० [अ.] चोख्खा मोटा (अक्षर) जलचर पुं० [सं.] जळचर प्राणी. -री
जली-कटी, जली-भुनी (बात) द्वेष के स्त्री० माछली [मोतो, शंख, छीप इ०
क्रोधादिथी कहेली वात जलज पुं॰ [सं.] कमळ (२) माछली (३) जलील वि.अ.] तुच्छ (२) अपमानित जलजला पुं० [फा.] धरतीकंप जलूस पुं० जुओ 'जुलूस' जलडमरूमध्य पुं० [सं.] सामुद्रधुनी जलेबी स्त्री० जलेबी मीठाई जलद, जलधर पुं० [सं.] वादळ; मेघ । जलोदर पुं० [सं.] जळंधर रोग जलधि पुं० [सं.] समुद्र
जलौका स्त्री० [सं.] जलालुका; 'जळो' जलन स्त्रो० दाह;ज्वलन(२)ईर्षा;दाझ
जल्द अ० [अ.] (नाम, -दी स्त्री०) जलना अ०कि०जळg; बळवू.जला-बला, 'जलदी; झटपट. ०बाज वि० [फा.] जला-भुना=बहु गुस्सामां आवेलं. जले
काममां जलदी करनार । पांवकी बिल्ली अहीं तहीं फर्या करती। जल्प,०न पुं० [सं.] लवारो; बकवाद; डिंग - अस्थिर स्त्री. जले फफोले फोड़ना जल्पना सक्रि०लवारो, बकवाद करवो =दाझ काढवा वळी वधारे सताव
जल्लाद पुं० [अ.] फांसियो; घातक (२) जलपान पुं० [सं.] नास्तो
क्रूर घातकी माणस जलप्रपा पुं० [सं.] परब; 'प्याऊ' जल्वा पुं० [अ.] शोभा; वैभव; 'जलवा' जलप्रपात पुं० [सं.] धोध
जव पुं० जव; 'जौ' (२) [सं.] गति; वेग जलयान पुं० [सं.] वहाण; जहाज जवनिका स्त्री० पडदो
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जवमर्द
जवाँमर्द वि० [फा.] बहादुर; जबरु; मरद. ( नाम, र्दी स्त्री०) जवान वि० [फा.] जुवान (२) बहादुर (३) पुं० युवक (४) योद्धो ; सिपाई. ( नाम, ती स्त्री० )
२००
जवाब पुं० [अ०] जवाब; उत्तर; सामेथी प्रतिक्रिया (२) जोड; मुकाबलानी वस्तु (३) नोकरी छूटवानी आज्ञा. -तलब करना = वातनुं कारण पूछत्रुं; जवाब मागवो
जवाब-तलब वि० [फा.] जेनो जवाब लेवानो होय ते (नाम, बी स्त्री० ) जवाब- दावा पुं० [अ] प्रतिवादीनी केफियत [ जवाबदार जवाब- देह वि० [फा.] ( नाम - ही स्त्री० ) जवाबी वि० [फा.] जवाब संबंधी (जेम
के, कार्ड, तार इ.०) जवार पुं० [ अ ] आसपासनी जगा; पडोस
(२) स्त्री० जुवार (३) झंझट; जंजाळ जवारा पुं० ( जवना) जवारा जवाल पुं० [ अ ] अवनति (२) आफत जवास, -सा पुं० जवासो - एक औषधि जवाह ( - हि ) र पुं० [ अ ] झवेर; रत्न जवाहरात पुं० [ अ ] झवेरात जशन, जश्न पुं० [फा.] उत्सव; जलसो (२) हर्ष
जस पुं० जश; कीर्ति (२) अ० ( प. ) 'जैसा'; जेवुं [जाडाई जसामत स्त्री० [ अ ] शरीरनी स्थूलता, जसीम वि० [अ] जाडुं; स्थूल जस्त स्त्री० [फा.] कूदको; छलंग जस्ता पुं० जसत. - स्तई वि० जसतना रंगनुं [त्यां; अनेक जगाए जह अ० 'जहाँ '; ज्यां (प.) - तहँ = ज्यां
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जहेज
जहाँड़ ( - ड़ा) ना अ० क्रि० खोटमां पडवु (२) फसावुः छेतरावुं
जहद स्त्री० [अ] कोशिश [ ( २ ) थाकबुं जहदना अ०क्रि० ' जहदा' - कीचड थवो जहदा पुं० खूब कादव कीचड जहन पुं० जुओ 'जिहन' जहन्न (स्तु) म पुं० [ अ ] जहन्नम; नरक. • रसीद वि० नरके गयेलुं. - श्री वि० नरके जनासं
जहमत स्त्री० [ अ ] जहेमत; मुसीबत जहर स्त्री० [फा.] झेर (वि० ०दार, - री - रोला)
जहल पुं० [ अ ] अज्ञान; नादान जहाँ अ० ज्यां (२) पुं० [फा.] 'जहान' नुं समासनुं रूप. - तहाँ = ज्यां त्यां; अनेक जगाए - का तहाँ = ज्यांनुं त्यां; तेने स्थाने जहाँ दीदा पुं० [फi ] भारे अनुभवी माणस जहाँपनाह पुं० [फा.] बादशाह; सम्राट जहाज पं० [अ.] जहाज ; वहाण. - का कौआ = जुओ 'जहाज़ी कोआ' जहाजी वि० वहाण अंगेनुं ( २ ) पुं० खलासी. - कौआ = एक ज जगाएठेरनो ठेर रहेतो माणस (२) भारे पाको पहोंचेल माणस - डाकू = चांचियो जहान पुं० [फा.] संसार; जगत जहानत स्त्री० बुद्धिमत्ता; समजशक्ति जहालत स्त्री० [अ.] अज्ञानता; नादानी जहिआ, - - या अ० ( प. ) ज्यारे; 'जब' जहीं अ० ( प. ) ज्यां; जहीं जहीन वि० [ अ ] बुद्धिमान जहीर वि० [अ.] सहायक (२) कमजोर जहर पुं० [ अ ] जाहेरात; प्रकाश जहेज पुं० [अ.] वरने विवाहमां अपातुं धन पुं०; दे
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२०१
जह
जह पुं० [फा.] 'जहर'; झर. - ( हे ) कातिल = हळाहळ विष [ खूब यातना - कनी स्त्री० [फा.] मरणकाळनी पोडा; जांग, घ स्त्री० जांघ; साथळ जाँगड़ा, - रा पुं० भाट; चारण जाँगर : शरीर (२) हाथपगनुं जोर. ०चोर = आळसु; हाडकांनुं हराम जाँगरा पुं० जुओ 'जाँगड़ा' जांगलू वि० जंगली; गमार जाँघ स्त्री० जुओ 'जाँग' जाँघिया पुं० पहेरवानो जांघियो ( २ ) मलखमनी एक कसरत जाँच स्त्री० तपास जाँचना स०क्रि० तपासवुं (२) जाचबुं जाँत ( - ता) पुं० दळवानो मोटो घंटो जाँब पुं० ( प. ) जांबु फळ जांबव पुं० [सं.] जांबु (२) सोनुं जाँ-फ़िशानी स्त्री० [फा.] खूब महेनत जा वि० [फा.] वाजवी; उचित ( २ ) स्त्री०
० जगा
जा स० ( प. ) जे; 'यह' जाई स्त्री० दीकरी (२) जाई वेल जाकड़ • जांगड दीधेलो माल
♡
जाकि ( - के ) ट स्त्री० [इं.] जाकीट जाग पुं० [फा.] कागडो [ ( ३ ) जगा; स्थान जाग पुं०याग; यज्ञ (२) स्त्री ० ( प. ) जागवुं ते जागना अ०क्रि० जागवुं ऊठवुं (२) सावध थवं; चेतनुं [उजागरो जागरण पुं० जागवुं ते; जागृति ( २ ) जागरित वि० [सं.] जाग्रत (२) जागरण जागरूक वि० [सं.] जागतुं; सचेत जागीर स्त्री० [फा.] बक्षिस के इनाममां मळेली जमीन. ०दार पुं० जागीरवाळो. ०दारी, जागीरी स्त्री० अमीरी
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जान
जागृति स्त्री० [सं.] जागवुं त जाग्रत् वि० [सं.] जागतुं (२) सावधान जाचक पुं० याचक; मागनार ( २ ) मागण जाचना स०क्रि० याचवु मागवुं जाज ( - जिन) स्त्री० [तु . ] जाजम बिछानुं जाजरूर पुं० [फा.] जाजरू जाजिब आकर्षक
० [ अ ] शाहीचूस (२) वि०
जाजिम स्त्री० जुओ 'जाजम' जाज्वल्य, ०मान वि० [सं.] प्रकाशतुं; तेजस्वी [तळावनो वच्चेनो स्तंभ जाठ पुं० कोलुनो वचलो लठ्ठो (२) जाड़ा पुं० शियालो (२) ठंडी जाड्य पुं० [सं.] जडता ( २ ) मूर्खता जात स्त्री० जाति; नात ( २ ) वि० [सं.] जन्मेलुं
जात स्त्री० [ अ ] जात; देह जातपात स्त्री० नातजात; ज्ञाति; वर्ण जाति स्त्री० [सं.] जात; कुल; वंश (२) वर्णनात (३) राष्ट्र (४) जात ; प्रकार. ० पाँति स्त्री० 'जातपाँत'; नातजात. ०वंर पुं० सहज वेर जाती वि० वैयक्तिक ( २ ) पोतानुं जात्रा स्त्री० यात्रा. -त्री पुं० यात्री जाद-राह पुं० [अ.] रस्तानो खर्च जादू पुं० [फा.] जादु; चमत्कार ( २ ) जंतरमंतर (३) नजरबंद (४) मोहिनी; आकर्षण - डालना, मारना=जादु करवो जादूगर पुं० [फा.] जादु करनार (नाम, -री स्त्री० )
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जान स्त्री० जाण; खबर ( २ ) [फा.] प्राण; जान (३) बळ ( ४ ) सार. - आना = जीवमां जीव आववो. - के लाले पड़ना = आवी बनवु - पड़ना-शक्ति आववी ( २ ) खबर
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जामुन
जानकार
२०२ पडवी.-पर खेलना-जाननी परवा न जानु पुं० [सं.] चूंटण (२) जांच करवी.-से गुजर जाना, -से जाना जानू पुं० [फा.] जुओ 'जानु' मर,
जाने-अनजाने = जाण्ये अजाण्ये जानकार वि० जाणकार (२) तज्ज्ञ जाने-जा, जाने-मन वि० जुओ'जानजाँ', जानकारी स्त्री० जाण (२) निपुणता __'जानमन' जान-जोखिम, जान-जोसों स्त्री० जाननुं जापा पुं० जुओ 'सौरी' जोखम
जानकीजीवन जाफ पुं० थाक (२) मर्छा; बेहोशी जानकी-जान (-नि) पुं० रामचंद्र; . जाफ़त स्त्री० जाफत; मिजबानी; जान-जाँ, जाने-जां वि०अति प्रिय; जान । . 'जियाफ़त' जेवू वहाल
जाफ़रान पुं० स्त्री० [अ.] केसर जानदार वि० जानवाळं; जीवंत (२) जा-ब-जा अ० [फा.] ठेर ठेर हिंमतवाळू (३) पुं० जीव; प्राणी । जाबिर वि॰ [फा.] अत्याचारी; जालिम जानना स० क्रि० जाणवू. -बूझना = जा-बेजा अ० [फा.] टाणेकटाणे जाणवू; समजवू
जाब्ता पुं० [अ.] कायदो; नियम (२) जान-निसार वि० [फा.] जान दे एवं; जाप्तो; बंदोबस्त.-दीवानीपुं० दीवानी वफादार. -री स्त्री०
कायदो. -फौजदारी पुं० फोजदारी जान-पहचान स्त्री०जानपिछान परिचय कायदो जामुन' (३) [फा.] प्यालो जान-फ़िशानो स्त्री० [फा.] तनतोड श्रम जाम पुं० याम; पहोर (२) जांबु; जानबख्शी स्त्री० [फा.] प्राणदान; क्षमा जामगी(-गिरी) पुं०; स्त्री० [फा.] जान-बाज वि० [फा.] बहादुर; वीर. जामगरी -जी स्त्रो० वीरता; साहस
जामदानी स्त्री० [फा. जामा-कपडांनी जान-बीमा पुं० जिंदगीनो वीमो (चामडानी) पेटी (२) एक जातनुं जान (-ने) मन वि० जुओ 'जानजाँ' बारीक कापड जिओ 'जामन' जा-नमाज स्त्री॰ [फा.] नमाजनुं आसन; जामन पुं० दहीं माटेनू मेळवण (२) मुसल्लो
जामा पुं० [फा.] जामो (२) वि० [अ.] जान-लेवा वि०जान ले एवं; जानी दुश्मन कुल; सब. जामेसे बाहर होना= खूब जानवर पुं० [फा.] प्राणी; पशु (२) मूर्ख गुस्से थर्बु जा-नशीन वि० [फा.] वारस [जणवू जामा-मसजिद स्त्री० जुमामस्जिद जाना अ०क्रि० जq (२) सक्रि० (प.) । जामाता,-तु (प.) पुं० [सं.] जमाई जानिब स्त्री० [अ.] तरफ; बाजु; दिशा. जामिन,दार पुं० [अ.] जामीन वीजानी ०दार वि० [फा.] पक्षपाती; तरफदार. __ जोखमदारी पोता उपर कबूलनार; ०दारी स्त्री० [फा.] पक्षपात
जवाबदार. (नाम, -नी स्त्री० जानी वि० [फा.] जान जोडे संबंधवाळं जामिनगीरी) (२) प्राणप्रिय
जामुन पुं० जांबु के जांबुडो
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जामुनी
२०३
जाहिर व बातिन जामुनी वि० जांबुडिया रंगर्नु जाल पुं॰ [सं.] जाळ; जाळी (२) जाळं जामे-जम, जामे-जमशेद पुं० [फा.] जालदार वि० जाळीदार; जाळीवाळं ईरानना बादशाह जमशेदनो जादुई जालसाज वि० [फा.] दगाबाज; कपटी. प्यालो
['जा'; जगा -जी स्त्री० दगो जाय अ० वृथा (२) स्त्री० [फा.] जाला पुं० करोळिया जाळं (२) आंख जायका पुं० [अ. जायको; खावापोवानो पर बाझतुं जाळं-एक रोग (३)पाणीनुं
स्वाद के लहेजत (वि०, केदार) एक मोटुं माटीनुं वासण [जुलमी जायचा पुं० [फा.] जन्मोत्री
जालिम वि० [अ.जालिम जुलम करनार; जायज वि० [अ.] उचित
जालिया वि० 'जाल'-दगो करनार; जाय-जरूर पुं० [फा.] 'जा-ज़रूर';जाजरू 'जालसाज' (२) पुं० माछीमार । जायजा पुं० [अ.] तपास (२) इनाम जाली स्त्री० जाळी (२) वि० [फा.] जायद वि०[अ.] वधारेपडतुं; नका,
बनावटी;कपटी..दार वि० जाळीवाळू. फालतु.
०ले (-लो)ट पुं० एक जातनुं जाळीजायदाद स्त्री० [फा.] माल-मिलकत. दार कपडु
आबाई स्त्री० पितृकी जायदाद. जावन पुं० जुओ 'जामन' गैरमनकूला स्त्री० स्थावर मिलकत. जावित्री स्त्री० जावंत्री ०मकफूला स्त्री० गीरो मूकेली मिल- जाविया पुं० खूणो कत. मनकूला स्त्री० जंगम मिलकत जावेद वि० [फा.] स्थायी; दीर्घजीवी जाय-नमाज स्त्री० [फा.] मुसल्लो; . जासु स० (प.) 'जिसको'; जेने नमाजनी चटाई
जासूस पुं० [अ.] छूपो बातमीदार; जायफल पुं० जायफळ - एक औषधि गुप्तचर. -सी स्त्री० तेनं काम जायज वि० [फा.] पडती थतुं; नाश जाह पुं० [अ.] उच्च पद (२) प्रतिष्ठा; - पामतुं; पायमाल
गौरव. ०व जलाल पुं० जाहोजलाली; जाया स्त्री० [सं.] पत्नी; स्त्री
वैभव
त्यागी माणस जाया वि० [फा.] बरबाद; नष्ट जाहिद पुं० [अ.] जाहेद; धर्मनिष्ठा; जार पुं० [सं.] यार; व्यभिचारी.
जाहिर, जहूर वि० [अ] जाहेर; प्रगट; जार पुं० [इं.] रशियानो झार (२)[फा.] खुल्लु
करनारं 'जा'; जगा; स्थान (३) वि० रोतुं;दुःखी जाहिरदार वि० [फा.] मात्र देखाडो
(४) अ० खूब. –व कतार=सतत । जाहिरदारी स्त्री० [फा. मात्र देखाव जारी स्त्री० जारकर्म; यारी (२) वि० के ते अर्थेनुं काम के वात [अ.] चालु; वहेतुं
जाहिर-बी वि० [फा.] उपरनुं जजोनार, जारी स्त्री० [फा.] रोवू ते; रोककळ तेने ज महत्त्व आपनार. (नाम, जारूब पुं० [फा] झाडु [दगो; युक्ति -बीनी स्त्री०) [अने बहार जाल पुं० [अ. जअल जाळ;खोटी बनावट; जाहिर व बातिन अ० [फा.] अंदर
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[प्ररक
जाहिरा
२०४
. जियादती जाहिरा अ० [अ.] जाहरमा ; प्रत्यक्ष;. जितना वि० जेटलु देखवामां
जिताना सक्रि० जिताडवू; जीतना' नुं जाहिरी वि० बाह्य; उपर-; प्रत्यक्ष जितेन्द्रिय वि०[सं.] इंद्रियोने जीतनार जाहिल वि० [अ.] मूर्ख (२) अभण जिद,-६ स्त्री० [अ.] ऊलटी के विरुद्ध जाहिली,-लियत स्त्री० [अ.] अज्ञान; । वात (२) जिद; ह .-चढ़ना,-पकड़ना, मूर्खता; अभणता
-पर आना-जिद्दे चडवू. -द्दन् अ० जिक पुं० [ई.] जसतनो खार
हठपूर्वक. -द्दी वि० हठीलु जिद पुं० [अ.] जीन; झंड; भूत
जिधर अ० ज्यां; जे बाजु जिंदगी,-गानी स्त्री० [फा.] जिंदगी;
जिन पुं० [अ.] भूतप्रेत (२) [सं.] जैन जीवन; आयु
तीर्थंकर (३) स० 'जिस' न ब०व० जिंदा वि० [फा.] जीवतुं (२) प्रफुल्ल;
जिना पुं० [अ.] व्यभिचार खीलेलं (३) सळगती (आग)
जिनाकार वि० [फा.] व्यभिचारी. -री जिंदा-दिल वि० [फा.] खुश-मिजाज (२)
स्त्री० [बळात्कार करनार हसमुखं (३) रसिक; विनोदी. (नाम,
जिना-बिल-जब पुं० [अ०] स्त्री पर -ली स्त्री०)
जिनि अ० मत; नहि जिंदाबाद श० प्र० [फा.] जीवतुं रहो। जिनिस,०वार जुओ 'जिंस,०वार' जिस स्त्री० [फा.] प्रकार (२) जणस;
जिबह पुं० जुओ 'जबह' चीज (३) सामग्री (४) अनाज
जिमन पुं० [अ.] संबंध; अनुसंधान (२) जिसवार पुं० [फा.] तलाटीनुं फसल 'दफ़ा'; कायदानी कलम इ०नु एक पत्रक (२) वि० वर्गप्रमाणे.
जिमनास्टिक पुं० [इं.] कसरत (साधनो -री स्त्री० वर्गीकरण
द्वारा कराती) जिआना स० क्रि० (प.) जिवाडवू । जिमनेशियम पुं० [इं.] व्यायामशाळा 'जिलाना'
[वातचीत जिमाना सक्रि० जमाडवू; 'जीमना'नुं जिक्र पुं० [अ.] जिकर; चर्चा; उल्लेख; प्रेरक जिक्र-मजकूर पुं० [अ.] चर्चा; वातचीत जिमि अ० (प.) जेम; जेवी रीते जिगर पुं० [फा.] जीव (२) कलेजु (३) । जिम्मा पुं० [अ.] जुम्मो; जवाबदारी (२) हिंमत (४) सत्त्व; सार
देखरेख; रक्षण जिगरा पुं० जिगर; छाती; हिंमत जिम्मादा (-वा) र [फा.], जिम्मेवार वि० जिगरी वि० [फा.]जिगरन(२)दिलोजान जुम्मेदार (नाम, -री स्त्री०) जिच,-च्च स्त्री० [फ .]लाचारी;विवशता जिय पुं० (प.) मन; चित्त; जीव जिजिया पुं० जुमो 'जज़िया' जियरा पुं० जीव; जीवडो जिज्ञासा स्त्री०[सं.] जाणवानी इच्छा. जियाँ,-यान पुं० [फा.] घट; तोटो; खोट
-सु वि० [वि॰ [सं.] जितायेलुं जिया स्त्री० [अ.] प्रकाश; तेज; कांति जित अ० (प.) जे बाजु; 'जिधर' (२) जियादती स्त्री० [फा.] 'ज्यादती'
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जियादा
२०५ जियादा वि० [अ.] वधारे; बहु; ज्यादा जिस स० 'जो' नुं विभक्ति माटेनुं रूप जियान पुं० जुओ 'जियाँ' . जिस्म पुं० [फा.] जिसम; देह जियाना सक्रि० जिव डवं (२) पोष जिस्मानी वि० [अ.] शारीरिक जियाफ़त स्त्री० [अ.] जाफत; मिजबानी जिहन पुं० [अ.] समज; बुद्धि (२) यादजियारत स्त्री० [अ] र्शन(२)तीर्थयात्रा दास्त.-खुलना=बुद्धि खीलवी.-लड़ाना जियारती वि० [फा.] 'र्शनार्थी (२) यात्री खूब विचारवं; मगज दोडाववं जियारी स्त्री० जिंदगी (२) आजीविका जिहाद पुं० [अ.]जेहाद;धर्मयुद्ध.-दी वि० (३) साहस; हिंमत
जिहालत स्त्री० जुओ 'जहालत' जिरगा पुं० [फा.] जुओ 'जरगा' जिह्वा स्त्री० [सं.] जीभ जिरह स्त्री० [अ. जुरह] चर्चा; वाद- जी पु० जीव (२) अ० जी. -करना= विवाद (२) ऊलट-तपास।
हिंमत करवी (२) जीव घालवो; जिरह स्त्री० [फा.] कवच; बखतर . इच्छवं.-का बुखार निकलना-जीवनो जिराअ(-य)तस्त्रो० [अ.]जुत्रो ज़राअत' कढापो बळापो इ० नीकळी जीव जिराफ़ा 'पुं० जुओ 'जराफ़ा' ।
ठरवो. -खट्टा या फीका होना= मन जिम पुं० [अ.] जंतु; 'जर्म' (इं.) फरी जवं; घगा थवो, चिंता थवी. जिला स्त्री० [अ.] चमक; प्रकाश (२) -जानसे पूरा दिलथी; पूरी शक्तिथी. मांजी के रंगो-करीने चमकावq ते; -टंगा रहना या होना=चिंता थवी. पालीस.-करना,-देना=पालीस करवी; -डूबना=चित्त व्याकुल थ.-पर आ ढोळ चडाववो; चमक आपवी
बनना आवी बनवू.-पर खेलनाजीव जिला पुं० [अ.] जिल्लो. ०दार पुं० जोखममा नांखवो. -पानी होना,जुओ 'जिलेदार'
पिघलना-दिल पीगळवू; दया आववी. जिलाकार,जिलासाजपुं० जिला'करनार - बढ़ना=हिंमत उत्साह वधवो; खुश जिलाना सक्रि० जिवाडq (२)पाळq- थ. -बिखरना, -मतलाना-विह्वळ पोष
के बेहोश थ. -बिगड़ना=गभरामण जिलेदार पुं० [फा.] (जमीनदारनुं) थवी; जीव चूंथावो. -बुरा होना महेसूल उपरावनार अमलदार (२) ऊलटी थवी (२)घृणा के अभाव थवो. नहेरखातानो एक नोकर
-भर आना=दिल भराई आवg; दुःखजिल्द स्त्री० [अ.] खाल; चामडी (२) दया ऊपजवां.-भरना=धरा; संतोष
पुस्तकनी बांधणी (३) पुस्तक; ग्रंथ थवो.-भरभरा उठना आवेगथी मन जिल्दबंद, जिल्दसाज पुं० [फा.] बुक- उत्तेजित थq. -मालिश करना-जीव
बा न्डर (नाम, -दी, -जी स्त्री०) गभरावो (२) ऊलटीनी हाजत थया जिल्लत स्त्री० [अ.] अपमान; बेआबरू करवी.-से उतर जाना-मनथी ऊतरी (२) दुर्दशा. -उठाना या पाना = अप- जवं. -से जाना=मरी जवू. होना=3 मानित थq
मरजी होवी
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जीग्रा
जागा पुं० [फा.] कलगी; तो रो; शिरपेच जीजा पुं० मोटी बहेननो वर जीजी स्त्री० मोटी बहेन
जीत स्त्री० जीत; फतेह ( २ ) लाभ;
७
२०६
सफळता
जीतना स०क्रि० जीतवु; फतेह पामवु जीता वि० जीवतुं जीती मक्खी निगरना = जाणीबूजीने अयोग्य के अन्य काम कर. जीते जी = जीवतां; हयातीमां. जीते मरते = कोई रीते; खूब मुश्केलीथी
जीता-जागता वि० जीवतुं जागतं ; सतेज जीता लोहा पुं० लोहचुंबक जीन पुं० [फा.] घोडानुं जीन ( २ ) एक जाडुं जीननुं कपड़े
जीनत स्त्री० [फा.] शोभा; शणगार जीनपोश पुं० [फा.] जीन परतुं कपडुं जोहार अ० [फा.] 'हरगिज़'; कदापि जीना अ०क्रि० जोववुः जीवतुं रहेवुं; जीवन गाळबुं जीना पुं० [फा.] जीनो; सीडी जीभ स्त्री० जीभ (२) कलमनुं अणियुं. - भी स्त्री० ऊलिपुं (२) अणियुं जीभा, जीभीचाभा पुं० ढोरनो एक रोग जीमना स०क्रि० [सं. जिम्] जमवुं जीमूत पुं० [सं.] वादळ; मेघ (२) पहाड जीय पुं० जीव; 'जी'
जीर [सं.] - रा [फा.] पुं० जीरुं जीर्ण वि० [ सं . ] जूनुं; जरजरी गयेलुं जीर्णोद्वार [सं.] जूना पुराणानुं [बायुं जील स्त्री० धीमो अवाज (२) तबलानुं जीवंत वि० [सं.] 'जीता'; जीवतुं जागतुं जीव पुं० [सं.] जीव; प्राण (२) प्राणी
समारकाम
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जुकाम
जीवजतु पुं० [सं.] जावडां; जिवात; aastiकोडी इ०
जीवट पुं० हिंमत; बहादुरी; छाती जीवन पुं० [सं.] जीवन; जिंदगी. - भरना - जीवन गुजार जीवनमूरि स्त्री० जीवनमुळी जीवनी स्त्री० जीवनचरित जीवरा पुं० ( प. ) जीवडो; जीव जीवसू स्त्री० [सं.] जेनी संतति जीवती होय एवी स्त्री
जीवाजून पुं० जीवजंतु; प्राणीमात्र जीवाणु पुं० [ सं . ] सूक्ष्म जीवजंतु जीवात्मा पुं० [सं.] जीव; देही जीविका स्त्री० [ सं . ] आजीविका; रोजी जीवित वि० [ सं . ] जीव ( २ ) पुं० जीवन जीवन्मुक्त वि० [सं.] जीवतो छतां मुक्त; ज्ञानी
जीस्त स्त्री० [फा.] जिंदगी; जीवन जीह ( - हा - ही) स्त्री० ( प. ) जीभ जुंबिश स्त्री० [फा.] चाल; गति ( २ ) झुंबेश; हिलचाल
जुआँ स्त्री० 'जूं'; जू
जुआ पुं० झुंसरी (२) घंटीनो हाथो (३) जुवा; जूगटुं. ०खाना, ०घर जुगारनो अड्डो जुआचोर पुं० ठग; धुतारो जुआड़ी ( - री) पुं० जुओ 'जुआरी' जुआर स्त्री० जुओ 'ज्वार' (२) पुं० 'आ
जुआर भाटा पुं० जुओ 'ज्वार भाटा' जुआरी. पुं० जुगारी जुई स्त्री० नाती जू (२) एक कीडो जुकाम पुं० [अ.] सळेखमः शरदी. मेंढकीको जुकाम होना = न थई शके एवं भवु
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जुराफा जुग पुं० युग (२) जोडु; युगल (३) जुड़वाना सक्रि० जुओ 'जुड़ाना' (२) जूथ; दळ. -जुग=सदाकाळ
जुओ 'जोड़वाना' जुगजुगाना अ०क्रि० झबको मारवो; जुड़ाई स्त्री० जुओ 'जोड़ाई'
झबूकवू (२) दशा सुधरवी [दक्षता जुड़ाना अ० क्रि० ठंडु के शांत थर्बु (२) जुगत स्त्री० युक्ति;उपाय(२)व्यवहार- तृप्त थर्बु (३) स० क्रि० ठंडु पाडवू जुगनी स्त्री०; जुगनू पुं० आगियो (२) (४) तृप्त करवू
गळा- रामपगला जेवू घरेणुं जुतना अ०कि०हळे के गाडीए जोतरावू; जुगराफ़िया पुं० [अ.] भूगोळ
जोता; जोडावं-लागी जवं जुगल वि० युगल; जोडु
जुताई स्त्री० जुओ 'जोताई' जुगवना, जुगाना सक्रि० साचवीने जुतियाना सक्रि० जोडाटवु (२) भारे संभाळीने राखवू; जोगव,
अपमान करवू जुगालना अ०क्रि० वागोळवू
जुदा वि० [फा.]जुई;अलग(२)छूटुं;फारेग जुगाली स्त्री० वागोळवू ते
जुदाई स्त्री० [फा.] वियोग; छुटुं थq ते जुज पुं० [फा.] भाग; हिस्सो (२) ८ के जुनून [फा.]झ तून; पागलपणुं -नी वि०
१६ पानानी थोकडी; फॉर्म कपडं जुन्नार पुं० [अ.] कस्ती के जनोई जुजदान पुं० [.+फा.] पुस्तक बांधवानुं
जुन्हाई स्त्री० चांदनी; ज्योत्स्ना । जुजबंदी-स्त्री० [फा. जसबांधणी; अनेक जुफ्त वि० [फा.] बेकी (२)पुं०जोडी;युग्म
फॉर्म सीवीने पुस्तक बांधव नी रीत जुब्बा पुं० [अ.] फकीरनो झब्बो जुजवी वि० [फा.] जूज; थोडं जुमरा पुं० [अ.] जथो; भीड (२) फोज जुझाऊ वि० युद्ध संबंधी
जुमला पुं० [अ.] पूरुं वाक्य (२) जुमलो; जुझाना स०क्रि० झूझे एम करवू कुल सरवाळो (३) वि० कुल; बधुं जझार वि० झुझे एवं; लडवीर बहादुर जुमहूर,-रियत,-री [अ.]जुओ 'जमहूर, जुद स्त्री० जोडी (२) जथो; टोळी
-रियत,-री' जुटना अ०क्रि० जोडाव; मळवू; एकत्र
जुमा पुं० [अ.] शुक्रवार. -जुमा आठ थ; संगठित थवं
दिन थोडा दिवस; 'चंद रोज' जुटाना सक्रि० 'जुटना' नुं प्रेरक जुमा-मस्जिद स्त्री० शुक्रवारनी नमाज जट्रो स्त्री० कल्लो: पडो: झडौ (२) पढवानी-मोटी मस्जिद [गुरुवार गठ्ठो (३) थप्पी
जुमा (-मे) रात स्त्री० [अ. जुमअरात जुठारना स०क्रि० जूठं छोडवू; छांडq जुरअत स्त्री० [अ.] जुरत; हिंमत; साहस जुठिहारा एठं खानार
जुर पुं०(प.)ज्वर. ०झुरी स्त्री० धीकडी जुड़ना अ०क्रि० जोडावं; 'जुटना' (२) तावनो टाढ जुड़पित्ती स्त्री० शीळस-एक त्वचारोग जुरना स०क्रि० (प.) जुओ 'जुड़ना' जड़वाँ वि० जोडियं (२) पुं० जोडियुं जुरमाना पुं० जुओ 'जुर्माना' । जन्मेलं बाळक
जुराफ़ा [अ. जुर्राफ़:] जिराफ पशु
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- २०८ जुरूफ पुं० [अ. जर्फ़' मुंब०व०] वासण- जूआ पुं० जुओ 'जुआ' कूसण
जूजू पुं० बाळकने डराववानो हाउ जरूर, जुरूरी [अ.] जुओ 'ज़रूर,-री' जझना अ०क्रि० झंझलडवं(२)लडतां. जुर्म पुं० [अ.] गुनो; अपराध प्राण आपवा [(४) [ ] शण जुर्माना पुं० [फ] दंड
जूट पुं० [सं.] झूडो (२) जटा (३) अंबोडो जुर्रा पुं० [फा.] बाज पक्षी (नर) __जूठ वि० जुओ 'जूठा' जुर्राब स्त्री० [तु.] पगनो मोजो
जूठन स्त्री० एठं खावानं; जूठण. जुल पुं० छळ; कपट. ०बाज वि० धूर्त; जूठा वि० [सं. जुष्ट] (स्त्री०-ठी) एठं;
कपटी. ०बाजी स्त्री० कपट; दगो छांडेलु जुलाई स्त्री० [इ.] जुलाई मास जूड़ा पुं० जूट; वाळनो अंबोडो जुलाब पुं० जुओ 'जुल्लाब'
जूड़ी स्त्री० टाढियो ताव जुलाल वि० [अ.] स्वच्छ (पाणी) जूता पुं० जूतूं; जोडो जुलाहा पुं० [फा. जौलाह ] वणकर. जूताखोर वि० निर्लज्ज; शरम वगरनुं (स्त्री०,-हिन)
जती स्त्री० (स्त्रीनो) जोडो; जतुं । जुलूस पुं० [अ.] राजगादी पर आववं
जूतीकारी, जूती पंजार स्त्री० जोडाथी ते (२) सरघस के उत्सवनी धामधूम मारपीट जुल्फ़ स्त्री० [फा.] वाळ मी लट-जुलफु __जून पुं० समय (२) तृण; घास (३)[इ.] जुल्म पुं० [अ]जुलम अत्याचार अन्याय. __ जून मास (४) वि० (प.) जून; जीर्ण -टूटना=आफत आववो.-ढाना-जुलम जूरर पुं० [ई.] जूरोनो सभ्य करवो (२) भारे करवी ।
जूरी पुं० [ई.] फोजदारी केस- पंच; जुल्मत स्त्री० [अ.] अंधारुं
जूर। (२) जुओ 'जट्टो' । जुल्मात स्त्री० [अ.] अंधारी जगा जूस पुं० [सं. जूष] दाळनुं ओसामण के जुल्मी वि० [फा.] जुलमो; अत्याचारी सूप(२)[फा.जुक्त,संयुक्त] बेकी संख्या जुल्लाब पुं० [अ.] जुलाब; दस्त; रेच जूस-ताक पुं०एकोबेकी रमवानु एक द्यूत जुवा पुं० जुवा; जूगट (२) जुओ 'जुआ' जूह पुं० जूथ; समूह (२) झूसरुं जुवारी पुं० जुओ 'जुआड़ी'
जूही स्त्री० [सं. यूथी] जुओ 'जुही' जुस्तजू स्त्री० [फा.]जुस्ते जू ; तपास शोध जंभ,०ण पुं०, -भा स्त्री० [सं.] बगासुं जुहार स्त्री० जुहार; प्रणाम
(२) आळस जुहारना सक्रि० जहार करवो; प्रणाम जेंवन पुं० भोजन; जमण ['जेवना' करवा (२) मदद मांगवो
जेंवना सक्रि० [सं. जेनन ] जमवं; जुही स्त्री० [सं. यूथो] जूई; 'जूही' जे स० 'जो'नुं ब०व०; जेओ जूं स्त्री० जू. कानों पर जूं रेंगना= . जेइ, जेउ (अ) स० 'जो'; जे स्थितिनुं भान थवू; चेतवं.-की चाल जेठ. वि० ज्येष्ठ; मोटुं (२) पुं० स्त्रीनो = बहु धीमी चाल
जेठ (३) जेठ मास
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बेग २०९ .
जोगिया जेठा वि० (वि०स्त्री०-ठी) ज्येष्ठ; मोटुं जेवना स० क्रि० 'जवना'; जमवू
(२) सौथो सरस (नाम ०ई स्त्री०) जेवनार स्त्री० जमणवार (२) रसोई; .जेठानी स्त्री० जेठाणी
भोजन जेठी वि० जेठ- (२) जेठ मासन (३) जेवर पुं० [फा.] आभूषण; घरेणुं स्त्री० एक जातनो कपास (४) वि०
जेवर,-री स्त्रो० रसी; दोरी स्त्री० जुओ 'जेठा'
जेवरात पुं०('जेवर'न ब०व०) झवेरात जेठीमधु स्त्री० जेठीमध; 'मुलेठी' जेहन पुं० 'जहन'; बुद्धि; समज जेठौत (-ता) पुं० जेठनो छोकरो जेहि स० (प.) जेने (२) जेनाथी (स्त्री० -ती) पुं० जीतनार जैतून पुं० [अ.] जेतूननुं झाड जेता वि० 'जितना'; जेटलं (२) [सं.] जैन, जैनी जैन श्रावक [(३) श्रेष्ठ जेतिक,जेते (-तो) वि० (प.) 'जितना' । जैयद वि० [अ.] बळवान (२) खूब मोटुं जेटलं
जैल पुं० [अ.] नीचेनो भाग. में नीचे जेना सक्रि० जमवं
जैसा वि० (स्त्रो० -सी) जेवं. जैसेका जेब स्त्री० [अ.] जेब; खीसुं
तैसा-पूर्ववत्; जेमनुं तेम बेब स्त्री० [फा.] जेब; शोभा; सुंदरता. जैसे अ० जेम.जैसे तैसे-जेमतेम करीने -4 जीनत = शोभा; सजावट जैसो वि० (प.) जुओ 'जैसा' जेब (-बा) वि० [फा.] योग्य;छाजतुं(२) जो अ० जेम; जेवी रीते; 'ज्यों' शोभादायी (समासने अंते)
जोंक स्त्री० जळो जेबकट पुं० खीसाकातरु
जो स० जे (२) अ० (प.) जो; यदि जेबघड़ी स्त्री० खीसानु घडियाळ । जोइ, जोइया स्त्री० जोरु; स्त्री : सबदार वि० [फा.] सुंदर; शोभीतुं जोख स्त्री० जोख; तोल; वजन जेबा वि० जुओ 'जेब'..इश,०ई स्त्री० जोखना स० क्रि० जोवं; तपासवं; सुंदरता; शोभा
विचार (२) जोखवू; तोलवू जेबी वि० खीसा- (२) घणुं नानुं जोख (-खि)म, जोखों स्त्री० जोखम; जेर स्त्री० ओर; 'आँवल'
'खतरा'
[योगीपणुं घर वि० [फा.] नीचे-; ऊतरतुं (२) जोखिता स्त्री०(प.) योषिता; पत्नी (२) जेर; परास्त (३) पुं० फारसी लिपिनुं । जोग पुं० योग (२) वि० योग्य; जोगु एक चिह्न
(३) अ० जोग; -ने माटे जेरपाई स्त्री० [फा.]हलका स्त्रीना जोडा जोगड़ा पुं० जोगटो; नकली जोगी ओरबार वि० [फा.] दुःखी; दबायेलं जोगन (-नी) स्त्री० योगिनी; जोगण " (नाम,-री स्त्री०) माठी दशा जोगवना सक्रि० जुओ 'जुगवना' जेर-व-जबर पुं० [फा.] संसारनी सारी जोगिया वि० गेरु रंगनुं (२) जोगी जेल, खाना पुं० जेल; केदखानु संबंधी (३) • जोगि ; योगी (४) जेलर पुं० [.] जलनो क अमलदार जुओ 'जोगीड़ा'; जोगियो हिं-१४
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जोगी
२१०
जौक शौक जोगी पुं० योगी (२) एक भिक्षुक जात जोर पुं० [फा.] जोर; शक्ति; बळ; वेग; जोगीड़ा पुं० एक प्रकारचें गायन के तेजी (२) महेनत; श्रम (३) काबू; राग के ते गानार वृंद
अधिकार. (वि० ०दार, -रावर) जोटा पुं० जोटो; 'जोड़ा'
जोरों पर, जोरोंसे = जोरथी; खूब जोटी स्त्री० जोडी(२)जोडीदार; साथी वेगयी. जोरों पर होना=जोर पर जोड़ पुं० सरवाळो के ते करवानी क्रिया आवq के होवू
जोरी (२)जोडाणनी जगा;सांघो (३)जोडीनी जोर-जुल्म पुं० [फा. जोर-जुलम; बळवस्तु (४) समानता; बराबरी जोर-शोर पुं० [फा.] खूब जोर के वेग जोड़-तोड़ पुं० दावपेच; युक्ति जोराजोरी स्त्री० जबरदस्ती (२) १० जोड़न स्त्री० मेळवण; 'जावन' जोरथी; बळजबरीथी जोड़ना सक्रि० जोडवू; सांधवू (२) जोरावर वि० [फा.] जोरावर; बळवान एकळं करवं; सरवाळो करवो (३) (नाम -री स्त्री०) जोर जोतरवू (४) सळगावq
जोरी स्त्री०(प.)जोडी (२) जोरावरी'; जोड़वां वि० जोडवू (बाळक) जोरू स्त्री० जोरु; पत्नी जोड़ा पुं० (स्त्री० -डी) जोडी; जोटो।
जोलाहा पुं० जुओ 'जुलाहा' (२) जोडा (३) पूरो पहेरवेश जोश पुं० [का.] जोस; आवेग; जुस्सो जोड़ाई स्त्री० जोडवू ते के तेनी मजूरी (२) ऊभरो. -खाना ऊभरो आववो; (२) चणतर [(३) बेल के घोडा-गाडी
ऊकळवू. -देना=पाणी साथे उकाळवं. जोड़ी स्त्री० जोडी (२) मगदळ-जोडी -व-खरोश खूब जोरशोर; धामधूम जोत स्त्री० ज्योत (२)वाजवान दामगुं जोशन पुं० [फा. जोशन] हाथर्नु एक
(३) खेड के ते पूरती जमीन घरेणुं (२) कवच जोतना सक्रि० जोतर (२) खेडवू जोशाँदा पुं० [फा.] क्वाथ; काढो जोताई स्त्री० 'जोतना'-ए काम के । जोशीला वि. जोशीलु; जोश भरेलु तेनी मजूरी [आगळनो) जोह,०न स्त्री० खोळ; तपास (२) राह; जोति स्त्री० जोत; घोनो दोवो (देव वाट (३) कृपादृष्टि; महेरबानी जोती स्त्री० जुओ 'जोति' (२) लगाम जोहना सक्रि० जोवू (२) राह जोवी (३) त्राजवानी 'जोत'-दामj (३) खोळवू जोफ़ पुं० [अ. ज़अफ़] ढापो; घडपण
जोहरा पुं० [अ.जुहरः] गुरु-बृहस्पति ग्रह (२) निर्बळता .
जोहार पुं० 'जुहार'; प्रणाम जोबन पुं० जोबन; युवानी (२) सुंदरता जौ अ० जो (२) जुओ 'ज्यों
(३) रोनक (४) स्तन; छाती जो पु० जव (२) अ० (प.)जो (३)ज्यारे जोम पुं० [अ.] उमंग; उत्साह (२)जोम; जोक पुं० [अ] भीड; गरदी
शक्ति (३) अभिमान; गुमान जोक पुं० [अ.] आनंद. -से-सुखपूर्वक जोया वि० [फा.] ढूंढनार; खोळनार जोक शौक पुं० [अ.] मोजशोख
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जौजा जीजा स्त्री० [अ.] जोरु; पत्नी जोन स० (प.) जे (२) पुं० यवन जोपै अ० (7.) 'जी'; जो; यदि जौर पुं० [अ.] जुलम; अत्याचार जौहर पुं० [अ.] रत्न (२) सार (३) विशेषता; खूबी जौहर पुं० [जोव+हर] जौहर; जमोर
के तेनी चिता जौहरी पुं० [फा.] झवेरी ज्ञात वि० [सं.] जाणेलं. ०व्य वि०जाणवा
योग्य. -ता पुं० जाणनार शाति स्त्री० [सं.] नात ज्ञान पुं० [सं.] जाण; बोध; समज; साक्षात्कार. -नी वि० ज्ञानवान. -नेन्द्रिय स्त्री० ज्ञान माटेनी इंद्रिय. -छाँटना = पोतानुं ज्ञान बताववा लांबीपहोळी वातो ठोकवी ज्ञापन पुं० [सं.] जणावq ते; निवेदन ज्ञेय वि० [सं.] ज्ञातव्य; जाणवा जेवू; जाणी शकाय एवं ज्या स्त्री॰ [सं.] धनुषनी पणछ (२)पृथ्वी । ज्यादती स्त्री० [फा. अधिकता (२)
अत्याचार; बळात्कार ज्यादा वि० जुओ 'जियादा'; वधारे ज्यान पुं० (प.) जुओ 'जियान' स्याफ़त स्त्री० जुओ 'जियाफ़त' ज्यामिति स्त्री० [सं.] भूमिति ज्यूं, ज्यों अ० जेम; जेवी रीते (२) 'जैसे हो' जेवू; जे क्षणे; ज्यां
ज्वालामुखी ज्योष्ठ वि० [सं.] मोटु; वडु (२) पुं०
जेठ मास ज्यों अ० जुओ 'ज्यू'. -का त्यों-जेम' होय तेम. -ज्यों-जेम जेम; जे क्रमे. -त्यों-ज्यां त्यां-जेम तेम करीने. ही =जेवं; जे क्षणे ज्योति स्त्री० [सं.] प्रकाश (२) जोत ज्योतिक पुं० (प.) जोषी जोष ज्योतिविद्या स्त्री० [सं.] ज्योतिष विद्या; ज्योतिष पुं० [सं.] जोष; ज्योतिष विद्या.
-षी पुं० जोषो ज्योतिष्पथ पुं० [सं.] आकाश । ज्योतिष्मान् वि० [सं.] प्रकाशवाळं ज्योत्स्ना स्त्री० [सं.] चांदनी के तेनी रात ज्यो(-ज्यो)नार स्त्री० रसोई (२)नाफत ज्योहत,-र पुं० जौहर ज्यौ अ० (प.) जो; यदि ज्योनार स्त्री० जुओ 'ज्योनार' ज्वर पुं० [सं.] ताव (२) स्पष्टज्वलंत वि० [सं.] काशमान; जळहळतुं ज्वलन पुं० [सं.] दाह; बळ ते (२)
आग (३) ज्वाळा ज्वार स्त्री० जुवार (२) जुआळ; भरती ज्वारभाटा पुं० भरतीओट ज्वारी पुं० जुओ 'जुआरी' ज्वाल पुं०,-ला स्त्री॰ [सं.]झोळ ज्वाळा (२) आंच; ताप ज्वालामुखी पुं० ज्वालामुखी पर्वत (२) स्त्री० एक देवी
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झंकना
२१२
झंक (-ख)ना अ०क्रि० जुओ 'झीखना';
झंखवं झंकार स्त्री०[पं.] झणकार; 'झनकार' झंकारना सकि.(२)अ०क्रि० झणझण
अवाज करवो के थवो झंखाड़ पुं० घीच कांटावाळी झाडी के वृक्ष; झांखरूं (२) रद्दी झाडझांखरांनो समूह ' . झंझट स्त्री० 'झाँझट'; झंझट झंझन पुं० [सं.] झणकार; 'झंकार' । झंझनाना सक्रि० (२) अ.क्रि० जुओ 'झंकारना' झंझर स्त्री० 'झण्झर'; पाणी ठंडु करवानुं
एक जातनुं माटीनुं वासण झंझरा वि० काणां काणांवाळूजाळीदार झंझरी स्त्री० जाळी; जाळीवाळी बारी झंझा,निल,०वात पुं०[सं.] वंटोळियो; __ आंधी झंझी स्त्री० फूटी कोडी झंझोड़ना सक्रि० झंझेडवू; झटकाथी । हलाव (जेम के झाडने) झंडा पुं० झंडो; ध्वज. झंडे पर चढ़ना= फजेत के बदनाम थवं झंडा-बरदार पुं० झंडो लईने चालनार झंडी स्त्री० नानो झंडो झंडूला पुं० (वाळनी) बाधा उतार्या
वगरनुं बाळक (२) घटादार झाड झंप. [सं.] उछाळो; छलंग . झंपना अ०क्रि० छुपाएँ; ढंका; (२) ऊछळवू; कूदq (३) धस; 'लपकना' । (४) जुओ 'झेंपना'
झंपरी,-रिया स्त्री० (प.) (पालखीनो)
ओढो; ढांकण झंपान ० (पहाड चडवानी) डोळी झेंपोला पुं० नानुं छाबडु; 'झावा' झंवराना अ०क्रि० काळं पडवू; झंखवावं
(२) चीमळावं; करमावू झेंवा पुं० 'झाँवाँ';झामरो; खूब पकवेलो ईंट के ठीकरानो टुकडो जे हाथपग घसवा वपराय छे सँवाना अ०क्रि० जुओ 'झंवराना' (२)
सक्रि० 'सँवा'-झामराथी घसवं झेंसना सक्रि० गवू; छेतरी लेवू झइँ (-ई) स्त्री॰ 'झाँई';अडछायो; अंधार झक स्त्री० जक; धून (२) वि० साफ;
चोख्खु झकझक स्त्री० रकझक; नकामी तकरार झकझका वि० झगझगतुं; चळकतुं. ०ट स्त्री० झगझगाट; चळकाट झकझोर झटको; धक्को (२) वि० झगझगतुं
(२) ढोळवू झकझोरना स०क्रि० खंखेरवू; झाटकवू झकझोरा पुं० झटको; धक्को झकना अ०क्रि० जक करवी (२)गुस्सामा
अणघटतुं बोलq [वळकतुं झकाझक वि० खूब साफ; चोख्खं चट (२) सकोर (-रा) पुं० हवानो झपाटो के लहरी (२) झटको झकोरना अ०क्रि० हवानी लहरी चालवी झक्कड़ वि० जक्की; 'झक्की' (२) पुं० भारे आंधी
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मक्की
- २१३
झमझम सक्की वि० जक्की; हलु
झड़ी स्त्री० वरसादनी झडी (२) झपाटो; सख स्त्री० खिजावं ते (२) दुःख रडवं ते रमझट ।
(३)पुं०माछली.-मारना जख मारवी झनक, कार स्त्री० जुओ 'झंकार' सखना अ०क्रि० (प.) जुओ 'झंखना' (२) । झनकना अ०क्रि० झणझणवू खिजावं (३) दुःख रडवू
झनकार स्त्री० जुओ 'झनक' सगड़(-२)ना अ०क्रि० झघडव; लडवं झनकारना सक्रि० (२) अ०कि जुओ सगड़ा (-रा)पुं० झघडो; टंटो. ०फसाद, 'झंकारना'
झझणाव, ०बखेड़ापुं० टंटोफिसाद;बखेडो.-मोल
झनझनाना अ०क्रि०झझणवं(२)सक्रि० लेना-नाहक झघडो वहोरवो झनझनी स्त्री० 'झिनझिनी'; झणझणी झगड़ालू वि० झघडाखोर
झप अ० झर; झट सगा : बाळकनी गगा के ढोलुं कुरतुं झपक स्त्री० पलक वार (२)ऊंघनुंझोकुं सज्मर स्त्री० जुओ 'झंझर' झपकना अ०क्रि० झोकुं खावु-ऊंघq (२) झज्झी स्त्री० जुओ 'झंझी' [चमक जुओ 'झपना' समक, न स्त्री० खमचावं ते (२) भडक; झपको स्त्री० पलकारो (२) झोकुं मझकना अ०क्रि० खमचावू (२) चमकवू झपट स्त्री० हल्लो; हुमलो; झपाटो (३) खिजावं (प्रेरक झझकाना)
झपटना अ० क्रि० हल्लो करवो; तूटी समकारना सक्रि० वढवू (२) तुच्छ- पडवू . (२) स० क्रि० झपाटामां लेवू कारवू; धुतकारवू
झपट्टा पुं० जुओ 'झपट' । सट,०पट अ० झट; तरत; ताबडतोब झपना अ०क्रि० जुओ'झपकना', 'झंपना' सटकना, झटकारना सक्रि० झाटकवू; झपाझपी स्त्री०पडापडी;उतावळजलदी झाटको मारवो
सपेट स्त्री० जुओ 'झपट' मटका पुं० झटको (२) झपाटो; 'झोंका' झपेटना स०क्रि० झडपी लेवू; दबाव (३) रोग शोक इ० नो सपाटो सपेटा पुं० झपाटो हल्लो(२)भूतनी झपट झटिति अ० [सं.] झट
झप्पान पुं० जुओ 'झंपान' झड़ स्त्री० झडी (२) पुं० बे के वधारे झप्पानी पुं० झंपान ऊंचकनारो कळy एक जातनुं ताळू
झबरा, झबुआ वि० लांबा लांबा वाळझड़ना अ०क्रि०झर;गर(२)साफ थवू
वाळू; जाफरियु (पशु) सड़प स्त्री० झपाझपी (२) क्रोध; आवेश झबा (-डबा)पुं० घरेणा के कपडाने छेडे (३) आगनी झपट - झोळ
लटकतुं रखातुं शोभानु फूमतुं के गुच्छ मड़पना अ०क्रि० जोरथी हल्लो करवो झमक स्त्री० चमक(२)झमकार;ठणको (२) लडq (३) झडपी लेवं झमकना अ०क्रि० झमकवू (२) झमकथी सड़पाझड़पी स्त्री० झपाझपी;बाथेंबाथा चालवू नाचवू सड़(-र)बेरी स्त्री० रानी बोर झमझम अ० खूब वर्षानोअवाज (२) छम मडाझड़ अ० लगातार (२) झटपट छम अवाज (३)झमक झमक (चळक)
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२१४
समर समर समर समर अ० झरमर झरमर झाँई स्त्री० पडछायो (२) दगो (३) झमाका पुं० झणको; ठणको ___ चहेरा पर पडी जतुं काळं चकामुं. झमाझम अ० 'झमझम' वर्षानो अवाज -बताना=दगो देवो । झमूरा पुं० (रौंछ इ०) जाफरियुं पशुः झाँक स्त्री० छू डोकियुं करवं ते बाजीगरनो जंबूरो
('ताकझाँक'मां वपराय छे.) समेला पुं० बखेडो; झघडो (२) भीड. झाँकना अ०क्रि० आडमां के छूपुं जोवू -लिया वि० झघडाखोर
(२) डोकाव झर स्त्री० [सं.] झरj (२) वरसादनी झांका पुं० झरूखो [दृश्य (३) झरूखो
झडी (३) समूह; झुंड (४) आंच; झोळ झाँकी स्त्री० 'झांक'; जोवू ते; झांखी(२) सरना ० झरj (२) अ० क्रि० झरवं झांगला वि० ढोलं; रमतुं (वस्त्र इ०) झराझर अ० सतत; लगातार; जोरथी माँझ स्त्री० झांझ छबलीकां(२) झांझर शरी स्त्री० झरणुं (२) कर; लागो (३) क्रोध; दाझ (४) दुष्टता; 'शरारत' झरोखा पुं० झरूखो क्रोध झांझट स्त्री० झंझट; झघडो झल पुं० दाह; आंच (२) तीव्र इच्छा (३) साँझन (-२) स्त्री० झांझर-पगर्नु घरेणुं झलक स्त्री० झळक; चमक (२) छाया; झाँझर वि० (प.) भांगलं; जीर्ण; तूटयुआभास. ०दार वि०
फूटयु झलकना अ०क्रि० झळकवं; चळकवं (२) झाँझरी स्त्री०झांझ छबलीकां(२)झांझर आभास थवो; देखावं
माँट स्त्री० झांटुं झलका पुं० फोल्लो [झळझळ; झगमग झाप स्त्री० ऊंघ (२) पडदो; चक (३) झलझल स्त्री०. चमक; झळमळ (२)अ० कोई जातनू ढांकण शलम (-म)लाना अ०क्रि० झगमगवं; सांपना स० क्रि० ढांक (२) शरमावर्दू जळहळg (२) सक्रि० झळकावq.
झावना सक्रि० 'झाँवाँ थी - झामराथी (नाम -हट स्त्री०) . घसीने (हाथ पग इ०)धोवं सुस्त झलना सक्रि०(हवा नांखवा) हलाव; झाँवर (-रा) वि० काळ (२) मेलं (३) वींझg (२) अ०क्रि० आम तेम हालवू मावली स्त्री० आंखनो इशारो-नखरं (३) 'झालना' नुं कर्मणि
झावा पुं० जुओ 'हवा' झलमल पुं० जुओ 'झलझल' झांसना सक्रि० ठगवू; दगो देवो; छेतरवू झलमला वि० झगझगतुं; चमकतुं. ०ना झांसा(०पट्टी) पुं० छेतरपिंडी; धोखाअ०क्रि० जुओ 'झलझलाना'
बाजी; दगो.-देना-दो देवो; छेतरवू झलार झाडी; गाढुं वन झाँसू पुं० दगाबाज झल्ला पुं० टोपलो (२) वि० पातळ झाग पुं० 'गाज'; फीण
गा नहि एवं चीडवq झाड़ पुं० छोड (धुगा जेवो) (२) झाड झल्लाना अ०क्रि० चिडावु(२)सक्रि० (३) झुमर (४) स्त्री० झाडवू ते झष पुं० [सं.] माछली (२) मगर माड़खंड वन
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झाड़-संखाड़ २१५
मौसी झाड़-झंखाड़ पुं० झाड-झांखरां; जुओ झाल पुं० झांझ; छबलीकां (२) स्त्री० 'झंखाड़
तीखाट (३) लहेर; मोज (४) वर्षानी झाड़न स्त्री० कचरोपूंजो (२) कचरो झडी के हेली (५) झाळवं ते
झापटवानुं कपडं-झापटियु झालना सक्रि० झा ठ; रेण करवू झाड़ना सक्रि० दूर करवू (२) वातो झालर स्त्री० झूल (२) झांझ; छबलीकां फेंकवी (३) झाड
झावझास्त्री० बकवाद(२)जक;कजियो झाड़-फानूस पुं० झुमर, हांडी, काचना झिझक स्त्री० चोंकवु के पाछा पडq ते. प्याला इ० (रोशनी माटे)
झिझकना अ०क्रि० जुओ 'झझकना' माड़-फूंक स्त्री०मंत्रथी झाडवू के फूंकते झिझकारना सक्रि० जओ झझकारना' झाड़-बुहार स्त्री० वाळझड; सफाई । (२) 'झटकना' झाड़ा पुं० जुओं 'झाड़फंक' (२) झाडो; झिड़कना सक्रि० झाटकवं; वढवू . तपास (३) विष्टा या दस्त (४) जाजरू. झिड़की स्त्री० झाटकणी; ठपको (२) -जाना=झाडे - जाजरू जवं.-फिरना झटको = झाडे फरवू
झिड़झिड़ाना अ० क्रि० कढव; स्सो करवो झाड़ी स्त्री० नानुं झाडवू; छोड(२)साडी झिनझिनी स्त्री० 'झनझती'; झझणी झाड़ पुं० झाडु; सावरणी (२) पूंछडियो झिपना अ०क्रि० शरमावू; 'झेंपना' तारो. ०कश, ०बरदार, ०वाला पुं० (प्रेरक झिपाना) झाडवाळो; भंगी. -देना= सावरणी झिरझिरा वि० झी'; बारीक (कपडु) केरववी; वाळवं.-फिरना-झाडु फरी झिलॅगा पुं० झोला जेवो खाटलो जवू; बधुं साफ खतम थव. -फेरना= झिलमिल स्त्री० झबूकतो प्रकाश (२) खतम करी देवू.-मारना ताडु मारवं; वि० झबूका मारतुं अनादर करवो; अवगणी काढवू
झिलमिला वि० पांखं; आर्छ; जाळीदार झापड़ पुं० झापट; थप्पड -
(२) चमकतुं (३) अस्पष्ट झाबर पुं० कळण भूमि (२) 'झाबा' . झिलमिलाना अ०क्रि० चमक चमक थवं; झाबा पुं० टोपलो
झबूकवू (२) स० क्रि० झ कावq के झाम पुं० क मोटी कोदाळी तेम थाय एम हलाववंचक झामक पुं० [सं.] जुओ 'अँवा'
झिलमिली स्त्री० बारीनुं खडखडियु(२) झाउँझायें स्त्री० झणकार (२) नीरव । झिल्ली स्त्री० पातळं पारदर्शक पड (२) जगामा काने पडतो शून्यकारनो शब्द [सं.] झिल्ली; तमरुं ओर| झार स्त्री० झाळ; आंच (२) दाह (३) झोंक (-का) पुं० घंटीनुं एक वारनुं बळतरा; ईर्षा (४) पुं० समूह (५) झोखना अ० क्रि० (२)पुं० जुओ झीखना' वि० एकमात्र (६) कुल; समस्त झींगा एक जातनी माछली के जीवडुं झारना स० क्रि० ओळवू (२) जुओ झींगुर पुं० झिल्ली; तमरु 'झाड़ना
शीसी स्त्री० फरफर (वर्षा).
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सीखना
२१६
अपना
झीखना अ०क्रि० खिजावू; ढ(क)दुःख
रडवू (३) पुं० ते क्रिया (४) आपवीती झीना वि० झीणु (२) काणां काणां-
वाळं (३) दुर्बल सील स्त्री० सरोवर (कुदरती) झीलर पुं० नान सरोवर झीवर पुं० धीवर; मर; माछी झुंझलाना अ०कि. चूंधवावं; चिडावं.
-हट स्त्री० धूंधवाट; खीज; चीड झुंड पुं० झुंड; समूह; टोळु झुकना अ.क्रि. झक लटकव: नीचं
थर्बु (प्रेरक झुकाना) सुकनी स्त्री० पीडा; दुःख झुकाव पुं० झूकवूते (२) ढाळ (३) झोक झुटपुटा पुं० (सांज सवारनो) संध्यानो
वखत झुटुंग वि० जाफरां के जटावाळू झुठलाना सक्रि० जूठं ठरावधू-पाडवं (२) जू कही छेतरवू झुठाई स्त्री० जूठापणुं; असत्य • झुठाना, झुठालना सक्रि० 'झुठलाना' झनक स्त्री०झणकार (अ० क्रि०झुनकना) झुनझुना पुं० बाळकनो घूघरो झुनझुनी स्त्री० झणझणी; खाली सुपरी स्त्री० (प.) झुपडी झुमका पुं० झूमखुं (२)झूमणुं-एक घरेणुं झुर(-रा)ना अ०क्रि० झूरवू; चिंताथी
दुःखी थर्बु (२) सुकावू झुरमुट झोलु; टोळं (२) गुटपुट शरीरने ढांकी लेवं ते (३) झाड पांदडांथी ढंकायेली जगा; घीच झाडी सुराना अ०क्रि० सुकावं (२) 'झुरना';
सुकावु (२) 'झुरना'; शूरवू; दुःख के भयथी गभरावु (३) दुबळा पडq (४) स०क्रि० सूकवq
झरी स्त्री० चामडीनी करचली झुलना पुं० झूलो; हींचको (२) स्त्रीनो
एक ढीलो कबजो-'झूला' झुलसना अ०क्रि० उपर उपरथी दाझवू जेथी काळं पडी जाय (२) स०क्रि० तेवी रीते शेकवू, दझाडवू झुलाना सक्रि० झुलाव (२) धक्का
खवडाववा; ल करवी झूमल स्त्री० 'झुंझलाहट'; चीड; क्रोध झूझना अ०क्रि० 'जूझना'; झूझg झूठ पुं० जूठ; असत्य. -सच कहना या लगाना-साचुंजूळू कही फसावq (२) साचांजूठां करवां के कहेवां झूठमूठ अ० अध्धर; फोकट झूठा वि० जू; (२) नकली (३) छं: जूठा' झूम स्त्री० झोकु; ऊंघ । झूमका पुं० जुओ 'झुमका' झमड़-झामड़ पुं० खोटो प्रपंच-जंजाळ झूमना अ.क्रि० झोकां खावां; झूलता डोलवू (२) (वादळ) झझूम, सूमर पुं० माथा एक घरेणुं (२) कानझूमणुं; 'झुमका' (३)गरबा जेवू फरीने गावानुं एक गीत के तेवो नाच सूर वि० शुष्क; सूकुं (२) खाली; नका, (३) एर्छ (४) स्त्री० झूरवू ते मूलन पं० होंडोळानो उत्सव मूलना अ०क्रि० झूलq (२) कोई काममा वधु पड्या रहे - लटक्या करवु (३) वि० झूलतुं (४) पुं० झूलणा छंद मला पं० झोलो; हीडोळो (२) झूलतो पुल(३)बे बाजु बांधी सूवा माटे करातो झोलो (४) गामडाती स्त्रीओनो एक झूलतो ढोलो कबजो झंपना, झेपना म०क्रि० शरमावू; लाज,
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सर
२१७
शेर स्त्री० ( प. ) वार; विलंब (२) झघडो शेल स्त्री० तरवामां हाथपग हलाववा ते (२) हिलोको (३) वार; विलंब झेलना स०क्रि० खमवं; सहन करबु (२) तरवामां हाथपगथी पाणी कापवुं (३) ढकेल
झोंक स्त्री० झोक; 'झुकाव ' ( २ ) जोरनो धक्को (३) पाणी हिलोळो झोंकना स०क्रि० झोंकवुं; पटकवुं (२) केलवु : ठेल [(३) हृींचको झोंका पुं० धक्को; झपाटो (२) झोकुं झोंकी स्त्री० जवाबदारी; बोजो; जोखम झोंझ पुं० पक्षीनो माळी (२) अमुक पक्षीना गळानी लबडती थेली झोंझल स्त्री० जुओ 'झुंझल' झोटा पुं० लांबा वाळनुं झुंड (२) हीं चका नाखवा माटे देवातो धक्को झोंपड़ा पुं० (स्त्री० - ड़ी) झंपडुं झोंपा पुं० झूमखं; गुच्छ
टंक पुं० टांकभार (२) टांकणुं (३) कोदाळ (४) कुहाडी (५) सिक्को टंक पुं० [इं. टॅन्क ] तळाव (२) ब खतर- गाडी टंकण,—न पुं० [सं.]टंकणखार (२) रेणवं ते कना अ०क्रि० कावुं ( 'टाँकना' नुं कर्मणि) [ मजूरी काई स्त्री० टांकवानी क्रिया के तेनी टंका ( - को) र पुं० धनुषतो टंकार टंका ( - को) रना स०क्रि० ( धनु ) टंकारवुं की स्त्री० टांकी
टंकोर, ०ना जुओ 'टंकार, ०ना'
ट
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टंडर
झोझ : जुओ 'झोंझ' झोझा पुं० पेट; होजरी झोरना स०क्रि० धक्को दई हलावं; 'ढोळवु; झंझेडवु (२) झाटकवुं झोरी ( - ली ) स्त्री० झोळी झोल पुं० शेरवा के सूप जेवी वानी (२) धातुनो गिलेट ( ३ ) कपडा के कशामां पडती झूल; झोलो (४) भूल (५) राख; भस्म (६) गर्भ (७) वि० ढीलं; तंग नहि वुं (८) नका; खराब झोला पुं० झोळो (२) साघुनो झब्बो (३) झटको
झोली स्त्री० जुओ 'झोरी' झसना अ०क्रि० जुओ 'झुलसना' झौड़ ( - र) पुं० झघडो; रकझक ( २ )
ढ
झौरे अ० पासे; नजीक (२) साथ झौवा पुं० टोपली (तुवेरनो सांठीनी) झौहाना अ०क्रि० घूरकवं; जोरथी वढवु
टंको (-कौ) री स्त्री० सोना चांदीनो नानो कांटो
टँगड़ी स्त्री० टंगडी; टांगो; पग पर उड़ाना = तंगडी मारवी
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टैंगना अ०क्रि० टंगावं लटकवुं (२) ० 'वळगणी के ते कामती दोरी टॅगारी स्त्री० कुहाडी [तैयार टंच वि० नीच; कठोर (२) कंजूस (३) टंट-घंट पुं० पूजापाठ इ० तो आडंबर - ढोंग टंटा पुं०टंटो झघडो (२)माथाकूट; पंचात टंडर पुं० [इं. टेन्डर] भावतालनुं टेन्डर
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टंडल
२१८
टनमना ड(-ई)ल पुं० मजूरोनो जमादार; टक्कर स्त्री० टक्कर; अथडामण (२). मुकादम (२) नाखुदो; टंडेल
ठोकर. -का वि० बरोबरियं; समान टक स्त्री० टस; टक टक नजर.-बाँधना । टखना पुं० चूंटी; गुल्फ = एकटसे ताकवू
टगर पुं० [सं.]टकणखार(२) खेल; क्रीडा टकटकाना स० क्रि० एकटसे ताकवु (२) (३) तगरनुं झाड(४)वि० 'टगरा'; बाडु टक टक अवाज करवो
टगरा वि० बाडु टकटकी स्त्री० टस; एक नजर.-बाँधना टटका वि० तात्कालिक; ताजु; नवं = एकटसे ताकवू .
टटड़ी स्त्री० खोपरी [थई गयेलं टकटो(०२,०ल)ना सक्रि० जुओ टट जिया वि० अत्यंत गरीब; निर्धन 'टटोरना'
टटुआ पुं० टटवू; टट्ट . टकराना अ०क्रि० टक्कर खावी;जोरथी टटोर(-ल)ना स०क्रि० स्पर्श करीने
अफळावू (२) सक्रि० अफाळवं. तपासवू के ढूंढवू (२) पारखवू. (नाम, टकसार(-ल) स्त्री० टंकशाळ.-बाहर टटोल स्त्री०) =न चालतो (सिक्को) (२) अशिष्ट टट्टर, टट्टा पुं० वांस इ०- टाटुं (शब्द या प्रयोग)
टट्टी स्त्री० टट्टी; टाटुं (२) चक (३) टकसाली वि० टंकशाळy (२) खरं पातळी दीवाल (४) पायखानु. -की (३)शिष्ट; सर्वसंमत (४)पुं० टंकशाळी आड़ (या ओट)से शिकार खेलना= -टंकशाळनो उपरी
कोई विरुद्ध छूपी चाल चालवी के बूर टका पुं० जूनो सिक्को; रूपियो (२)
काम कर. धोखेकी टट्टी जेथी लोक टको; ढबु (३) धन. -सा जवाब देना फसाय एवी वात के वस्तु. में छेद
कोरुं परखावq;साफ ना कहेवी.-सा करना शरम छोडीने वर्तवलोकलाज मुंह लेकर रह जाना-झांबा पडवू; छोडवी. - लगाना= आड करवी; शरमावं. टका(-के)सी जान, टकासा
वच्चे आव, (२) भीड करवी दम=एकलो माणस
टटू पुं० टटु. -पार होना=वेडो पार टकासी स्त्री० रूपिये बु व्याज थवो; टट्ट चाली जq. भाड़ेका टट्ट टकी स्त्री० 'टकटकी'; टस
=खांधियो टकुआ पुं० त्राक
टन, टन स्त्री० टन टन अवाज टके (-2)त वि० टकावाळू; धनी टनकना अ०क्रि० टन टन वागवू के टकोर स्त्री० टकोर (२) डंका के नगारा ___ खखडवू (२) रही रहीने (माथामां)
पर ठपकार (३) टंकार (४) शेक । दर्द नांखवू टकोरना सक्रि० 'टकोर' करवी ते टन टन. स्त्री० टन टन अवाज टकोरा पुं० टकोरो-डंका नगारानो टनटनाना स० क्रि० (२) अ०क्रि० टन ठपकार
टन करवू के थर्बु टकौरी स्त्री० जुओ 'टंकौरी' . टनमन (-ना) वि० स्वस्थ तंदुरस्त;चंगुं
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टनाका २१९
टांका टनाका पुं० टन टन अवाज (२) वि० टरटरी स्त्री० बकवाट
सखत (नाप) वि० ताजु; पुष्ट टर(-ल)ना अ०क्रि० टळवू (२) हठवं टनाटन स्त्री० टन टन; टनटनियु (२) टर्रा वि० अविनीत ने कठोर बोलनार; टनेल पुं० [:] टनल; बोगदूं
उद्धत टप पुं० गाडीनी छत्री जे पाडी के टर्राना अ०क्रि० उद्धत जवाब देवो चडावी शकाय (२) पाणी टब (३) टर्स पुं० 'टर्रा'-माणस (२) देडको स्त्री० टप टप टपकवानो अवाज (४) टल्ला पुं० टल्लो; टिल्ला' ठोकर धक्को सळक जेवं दर्द. -से = टप दईने; झट टल्लेनवीसी स्त्री० टल्ले चडाववानी टपक स्त्री० टपकवं ते (२) टप टप होशियारी; बहान
पडवानो अवाज (३) सळक जेवं दर्द टस स्त्री० भारे चीज खसवानो अवाज. टपकना अक्रि० टपकवं (२) गरवं -से मस न होना जरा पण न चसकवं (जेम के, पाकुं फळ)(२) टप दईने- टसक स्त्री० चसक (अ.क्रि० टसकना)
ओचितुं आवी पडq के गरवू टसर पुं० टसर रेशम टपका पुं० टयकवू ते के टपकेली वस्तु टसुआ पुं० आंसु; 'टिसुआ' (२) पाकीने खरेलुं फळ (केरी) (३) टहना पुं० (स्त्री० -नी) डाळं; शाखा सळक जेवू दर्द पडवू ते टहल स्त्री० सेवाचाकरी (२) कामघंधो. टपकाटपकी स्त्री० टपोटप टपकवू के
-बजाना सेवाचाकरी करवी टपना अ.क्रि० 'टापना'; खाधा पीधा
टहलना अ०क्रि० टहेल; फरवू. टहल विना तप्या करवं-बेठा रहे,हेरान थर्बु
जाना-खसी जवं टपाटप अ० टपोटप; चपाचप; झटपट ।
टहलनी स्त्री० दासी; नोकरडी टपाना स० क्रि० 'टपना' नुं प्रेरक
टहलुआ, टहलू पुं० सेवक; दास टप्पा पुं० उछाळो; फलंग (२) टप्पो;
टहलुई स्त्री० 'टहलनी'; दासी बच्चेनो फासलो (३) टक्करजेम के टहोका पुं० धब्बो के लात;झटको; धक्को बॉल वच्चे टक्कर खातो जाय छे ते टॉक स्त्री० टांक वजन (२) टांक:अणियं (४) टप्पो गायन
(३) किंमतनो अडसट्टो; अंदाज (४) टब पुं० [ई.] 'टप'; पाणीनं टब सीवणनो टांको [माणस टम्बर पुं० कुटुंब; खानदान टांकर पुं० बदमाश, लुच्चो लफंगो टमटम स्त्री० एक प्रकारनी घोडागाडी ___टांकना सक्रि० टांको मारवो; सीववं टमाटर पुं० टमेटुं; 'टॉमेटो' । (२) टांकी-लखी लेवू; टपकाववं (३) टर स्त्री० कडवं के कर्कश बोलवं ते साथे जोडवू (४) टांगवू; लटकाव,
(२) देडकार्नु बोलवू (३) हठ (५) (घंटी) टांकवी टरकना अ०क्रि० टळवू; खस; हवं. टांका पुं० पथ्यरतुं टांकj (२) पाणीनुं (प्रेरक टरकाना)
टांकु (३) (सीवणनो के घानो) टांको टरटराना अ०क्रि० टेंटें-बक बक करवू (४) थींगडु
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टांकी २२०
टिकठी टांकी स्त्री० नानुं टांक[(२)फळ चाखवा टाउन हाल पुं० [इ.] टाउन हॉल
कपाती डगळी (३) पाणीनी टांकी टाट पुं० टाट; गूणपाट (२) साहुकारनी टांग स्त्री० टांग; पग.-अड़ाना=नकामी बेठक (३) नात; जमात; 'बिरादरी'. डखल करवी; माथु मारवं. -तले से -उलटना=देवाळू का बु. -में पाटका (या नीचे से) निकलना-हारवं.-पसार बखिया मेळ वगरनो साज कर सोना-पोड ताणीने-निरांते सूQ टाटक: वि० जुओ 'टटका' टांग(-घ)न पुं० टांगण; पहाडी टटु टाटबाफ़ी स्त्री० भरतकाम टाँगना सक्रि० टांगवू; टिंगाडवू टाटर पुं० टाटुं (२) 'टाँट'; खोपरी टाँगा पुं० कुहाडो (२) टांगो; गाडी । टाटी स्त्री० टाटुं टांगी स्त्री० कुहाडी
टान स्त्री० ताण; 'तनाव'; खच टाँधन पुं० जुओ 'टाँगन'
टानना सक्रि० ताणवू टाँच स्त्री० जुओ 'टाँका' ३, ४ अर्थ टाप स्त्री० घोडानी खरी के तेनो अवाज (२) काममां फांस मारवी ते (३) वि० टापना अ.क्रि० घोडाए पग पछाडवो तकलीफ देनारूं; ऊंधी मतिनुं
(२) आम तेम फांफां मारवां के राह टाँचड़ा वि० जुओ 'टाँच'
जोता तप; 'टपना' टाँचना सक्रि० जुओ 'टाँकना'
टापा पुं० मेदान (२) छलंग; कूदको टाट पुं० खोपरी
(३) ढांकवा माटेनो टोपलो टांठ (-ठा) वि० कठोर (२) दृढ;मजबूत
टापू पुं० टापु; बेट टांड स्त्री० खेडूतनो माळो के तेना जेवी
टामन पुं० टूमण; धंतरमंतरनो टुचको कोई रचना (२) मोईनो टोल्लो (३)
टार (-ल)ना सक्रि० जओ 'टालना' सामान मूकवानी अभराई; 'परछत्ती'
टारपीडो पुं० [इ.] टॉर्पोडो बोट टांडा पुं० वणजारानी पोठ के माल टांडु
टाल स्त्री० मोटो ढग (२) टाळवू ते टॉय टाँय स्त्री०टे टें, नकामो बकवाद.
(३) लाकडां भूसा इ०नी दुकान -फिस धामधूम' खूब पण फळ कांई
टालटूल स्त्री० टाळवानी युक्ति; बहानुं नहि; खाली डंफास मिथाळं
टालना स०क्रि० टाळवू टाइटिल स्त्री० [इ.] उपाधि; इलकाब(२)
टालमटूल स्त्री० जुओ 'टालटूल' टाइप पुं०[इ.] बीबु. ० राइटरपुं०टाइप
टाली स्त्री० ढोरना गळानी घंटडी राइटर यंत्र.-पिस्ट पुं० टाइप करनार
टावर पुं० [इ.] टावर; 'घंटाघर' टाइफायड पुं०[ई.] टाइफॉईड; मुदतियो
टिंडा पुं० एक शाक ताव
टिकट पुं० टिकिट टाइम पुं० [इ.] समय; वखत. ०टेबुल । टिकटिक अ० घडियाळनी टकटक पुं० टाइमटेबल. ०पीस पुं० [.] टिकठी स्त्री० टिपाई (२) फटका मारवा घडियाळनो डबो
माटे गुनेगारने बांधवानी घोडी के टाई स्त्री० [इ.] नेकटाई; गलपटी फांसीनो मांचडो (३) ठाठडी
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२२९
टीसना
टिकड़ा टिकड़ा पं० (स्त्री०-डी) गोळ चपटी , टिमटिमाना अ०क्रि० दावा झांखो बळवो टुकडो (२) बाटी
के बुझाता पहेला टमटमवो । टिकना अ.क्रि० टकवं
टिरफिस स्त्री०टडपड;डफांसभेर विरोध टिकली स्त्री० टीकडी (२) टोलडी टिरीना अ०क्रि० जुओ 'टर्राना' टिकस पुं० टॅक्स; कर
टिलिया स्त्री० नानी मरघी के बच्चुं टिकाऊ वि० टकाउ
टिल्ला पुं० टल्लो; धक्को. -ल्लेनवीसी टिकान स्त्री० टकवातुं ठेकाणुं के टकवूते स्त्री० जुओ 'टल्लेनवीसी' टिकाना सक्रि० टकावQ
टिसुआ पुं० 'टसुआ'; आंसु टिकाव पुं० टकाव [(३) टोलडी . टिहनी स्त्री० घटण (२) कोणी टिकिया स्त्री० टीकडी (२) एक पकवान टीटी अ० पोपटनो अवाज टिकैत पुं० टिकायत-पाटवी कुंवर (२) टीकना सक्रि० 'टीका'-तिलक करवू नायक; सरदार
(२) टीक-निंशानी करवी टिकोरा पुं० आंबानो मरवो [रोटलो
टीकरा पुं० टेकरो (-री स्त्री०) टिक्कड़ पुं० मोटी टीकडी (२) टिक्कड
टीका पुं० तिलक; चांल्लो (२) सगाई टिक्का पुं० 'टोका'; तिलक
कर्यानो के राज्याभिषेकनो चांल्लो (३) टिक्की स्त्रीन्टोकडी.-जमना,-बैठना,
डाघो; चिह्न (४) रसो मुकाववी ते; -लगना टीकडी लागवी; फावq
'इन्जेक्षन' (५) [सं.] टीका । टिघलना अ०क्रि० जुओ 'टेघरना' ।
टीड़ी स्त्री० 'टिड्डी'; तीड [या डब्बो टिचन वि० [इं. एटेन्शन] तैयार [हांक।
टीन पुं० [इं.] कलाई-टिन के तेनुं पतरं टिटकारना स० क्रि० (पशुने) डचकार;
टीप स्त्री० टीपवं ते (२) टीप; गोंध (३) टिटिह,-हा पुं० नर-टिटांडो पक्षी-हरी
गावामां ऊंचो सूर (४) जन्मपत्री स्त्री० टिटोडी [(२) रोककळ
टीपटाप स्त्री० टापटोप टिटिहा-रोर पुं० टिटियारो; कळाहोळ
टोपन पुं० 'टिप्पन'; जन्माक्षर टिट्टिभ पुं० [सं.] टिटोडी
टोपना स०क्रि० टोपवू (२) दबाववं; टिड्डा पुं० तीतोघोडो.
चांपq (३) टीप करवी (४) स्त्री० टिड्डी स्त्री० तीड. ०दल पुं० मोटु झुंड _ 'टोपन'; जन्माक्षर टिप टिप स्त्री० टपक टपक टपकवु ते । टीबा पुं० टीबो; टेकरो टिपका पुं० टपकुं; बुंद
टीमटाम स्त्री० टापटीप टिपवाना सक्रि० 'टीपना' : प्रेरक टोल स्त्री० नानी मरघी; 'टिलिया' टिपारा पुं० कलगीवाळो मुगट .
ला पुं० 'टीबा'; टेकरो; टिंबो (२) टिप्पणी,-नी स्त्री० टीपणी; टीका डुंगरो टिप्पन पुं० टीपणो (२) जन्माक्षर.-नी टीस स्त्री० चसक; 'टसक'. -ऊठना, . स्त्री० जुओ 'टिप्पणी'
-मारना=चसका मारवा के नाखवा टिफ (-फि) न स्त्री० [इ.] बपोरनो नास्तो टीसना अ०क्रि० चसका नाखवा
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एंटा
टेना
२२२ टुंटा(-डा) वि० ढूंटु ढूठं
टूठना अ०क्रि० (प.) तूठवू ; प्रसन्न थर्बु टुइल स्त्री० 'ट्विल' कपडं
टूठनि स्त्री० (प.) संतोष; प्रसन्नता टुक अ० थोड़ें; जरा भिखारी टूम स्त्री० घरेणुं (२) महेणं; 'ताना' टुकड़गदा पुं० टुकडा मागी खानार; टूसी स्त्री० फूलनी कळी [बकवाद; टेंटें
कड़तोड़ पुं० आश्रित; परोपजीवी स्त्री० पोपटनी बोली. -3 = खाली टुकड़ा पुं० टुकडो. -तोड़ना-बीजा पर टेंगना(-रा) स्त्री०एक जातनी माछली निर्वाह करवो.-सा जवाब देना=साफ टेंट स्त्री० ओटी (२) कपासतुं जीडवू ना पाडवी
मंडळी टॅटी स्त्री० करील'-केरडो के तेनु केरडु टुकड़ी स्त्री० नानो टुकडो (२) टुकडी; टटुवा पुं० टोटो; गळानो हैडियो टुच्चा वि० तुच्छ; क्षुद्र; हीन ट" स्त्री० जुओ ''मां; टेंटें घोडी टुटका पुं० टुचको; मंत्रनो प्रयोग टेउकी स्त्री०,-कन पुं० टेकण; टेकानी टुटपुंजिया वि० थोडी पूंजीवाळं; तूटेलं टेक स्त्री० टेक;टेको (२) हठ (३)आदत टुटरू पुं० होलो
टेक (-का)न पुं०, टेकनी स्त्री० टेको; टुटरूं हूं स्त्री० होलानी बोली (२) वि० टेकण.
एकल (३) दुर्बल ने पातळं (माणस) टेकना स० क्रि० टेकवू; टेको आपवो के टुनगा पुं०, (टुनगी स्त्री०) डाळीनो लेवो. माथा टेकना-प्रणाम करवा
आगळनो- कुंपळवाळो भाग टेकर(-रा) पुं० टेकरो [-तेनो चोतरो टुनहाया पुं० जुओ 'टोनहाया' टेकान पुं० टेकण; थांमलो (२)विसामी टंगना सक्रि० करडी के करपी खावं टेको वि० टेकोलं; टेकवाळू (२) जिद्दी (जेम के कुंपळ ) (२) धीरे धीरे टेकुआ पुं० त्राक (२) टेकानुं लाकडं करपीने
खापर होय छे ते टेकुरी स्त्री० दोरडं भागवानी फरकडी एंड पुं० मच्छर वगेरेने बे मूछो जेवू मों
के तकली दंडी स्त्री० डूंटी (२) डूंटो; फणगो
टेघरना अ०क्रि० पीगळवू; ओगळवू
टेढबिदंगा वि० वांकुंचकुं टूक, टूकर पुं० टुक; टुकडो टूका पुं० टुकडो (२) भीख
टेढ़ा वि० वांकुं (२) कठण; मुश्केल (३) टूट स्त्री० तूटी अलग पडेलो टुकडो (२)
उद्धत. -पड़ना या होना-गरम थ; तूटq ते (३) लखाणमां रही गयेलो
'टर्राना'. टेढ़ी खीर अघरुं काम. टेढ़ी भाग जे पछी उमेराय छे (४) पुं०
सीधी सुनाना-सारं-माळू संभळावq. तोटो; घट
(नाम टेढ़ाई स्त्री०) टूटना अ०क्रि० तूटवु (२) तूटी पडवू; ।
कि नवं (२) तडी पडवं टेढामेढ़ा वि० वांकुचकुं हल्लो करवो. टूट टूट कर बरसना
टेढ़े अ० सीधुं नहि; वांकमां; फेरमां. मुसळधार वरस
टेढ़े जाना-गर्वथी वर्तवू टूटा वि० तूटलं (२)कमजोर (३)निर्धन टेना सक्रि० धार काढवा पथ्थर पर .टूटाफूटा वि० तूटयुंफूट'
घस, (२) मूछ मरडवी
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टेनिस २२३
ट्रेन टेनिस स्त्री० [इ.] टेनिस रमत टोटा पुं० कारतूस (२) घट; तोटो टेबुल पुं० टेबल; मेज
टोनहा (या)पुं०टुचको करनारो-भूवो टेम स्त्री० दीवानी टश (२) टाइम;समय टोना पुं० टुचको; जादु (२) विवाहनुं टेर स्त्री० ऊंचो अवाज (२)पोकार हांक एक जात- गीत (३) सक्रि० हाथथी टेरना स०क्रि० ऊंचे अवाजे गावं के स्पर्शी जोवू; 'टटोलना' बोलवू; हांक मारवी
टोप पुं० टोपो; मोटो टोपी (२) टेरा वि० बाडु (२) पुं० पडदो टोप; लोढानी लश्करी टोपी टेलिग्राम पुं० ई.] तार
टोपा पुं० टोपो (२) टोपलो (३) मोटो टेलीफोन पुं० (इं.) टेलिफोन के तेनुं यंत्र टांको; टेभो टेव स्त्री० टेव; आदत; लत टोपी स्त्री० टोपी (२) बंदूक फोडवानी टेवना स० क्रि० जुओ 'टेना'
टोकडी; 'कॅप'. ०वाला पुं० टोपीवाळो टेवा स्त्री० जनमोत्री
- गो
[टांको टेवया पुं० धार काढनारो। टोब (-बा,-भा) पुं० 'टोपा'; टेभो; टेसू पुं० केसूडो के तेनुं फूल (२) टोल स्त्री० टोळी (२) पाठशाळा (३)
बाळकोनो (दशेरानो) एक उत्सव पुं० [इ.] रस्तानो कर, टोल टैक्स पुं० [इं.] कर; वेरो
टोला पुं० लत्तो; वगो; महोल्लो (२) टैक्सी स्त्री० [६] टॅक्सी मोटर रोडु; पयरा के ईंटनो ककडो टनरी स्त्री० [इं.] टॅनरो; चर्मालय । टोली स्त्री० नानो महोल्लो (२) टोळी टोंट स्त्री० चांच
टोवना सक्रि० जओ 'टोना' टोंटी स्त्री० नाळ (जेम के झारीन)(२) टोह स्त्री०खोळ;तपास(२)खबर;संभाळ नळनी चकलो के टोटी
टोहना स० क्रि० खोळवू (२) जुओ टोक, टाक स्त्री० टोकणी; खणखोद 'टटोलना' टोकना पुं० टोपलो (२) मोटो हांडो- टोहाटाई स्त्री० जुओ 'टोह' । देगडो (३) सक्रि० टोकवं.-नी स्त्री० टोही,-हिया वि० 'टोह' करनार के टोपली (२) नानो हांडो
राखनार टोकरा पुं० टोपलो; छाबडु ट्रक पुं० [ई.] ट्रंक; पेटी टोकरी स्त्री०टोपलो;छाबडी(२)वटलोई दृस्ट पुं० [इ.] ट्रस्ट; न्यास; सुपरत. टोटका पुं० टुचको; जादुमंतर; 'टुटका'. -स्टी पुं०
[रस्तो -करने आना=आवीने तरत जता रहे ट्राम,०वे स्त्री० [इ.] ट्राम गाडी के तेनो टोटल पुं०[.] कुल सरवाळो.-मिलाना ट्रेन स्त्री० [इ.] रेलगाडो. -छूटना =सरवाळो करवो
स्टेशनेथी गाडी ऊपडवी
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하
ठंठ वि० ठूंठ (झाड)
ठंडार वि० खाली; पोलुं
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ठंड (ढ) स्त्री० ठंडी; टाढ
ठंड ( - ड) क स्त्री० ठंडी; टाढ (२) शांति तृप्ति
२२४
ठंडा (-ढा) वि० ठंडु; शीतळ; टाढं (२) प्रसन्न; खुश (३) शांत, निरांतवाळु. - मुलम्मा पुं० वना तपाव्ये करा गिलेट. - होना = ठंडु पडवु; मरी जबुं. ठंडी आग = 1 हिम (२) बरफ. ठंडी मार = मूढ - छूपो मार. ठंडी साँस = दुःखी श्वास; आह. ठंडे ठंडे = खुश:- आनंदमां (२) टाढे पहोर (३) वूपचाप ठं ०क, ०क, –डा'
जुओ अनुक्रमे 'ठंड,
ठंढाई स्त्री० शरीरनी गरमी शमावे एवी दवा के मसालानुं पीणुं (२) रगडेली भांग
ठंढी विoस्त्री० ठंडी (वस्तु) (२) स्त्री० बळिया. – ढलना = बळिया नरम पडवा. - निकलना = बळिया नीकळवा ठक स्त्री० ठोकवानो अवाज (२) (प.) हठ (३) वि० चकित; स्तब्ध ठकठक स्त्री०ठक के अवाज (२) खटखट ठकठकाना स० क्रि० ठक ठक करवु
खटखटाव बुं
ठकुरसुहाती स्त्री० खुशामत ठकुराइन स्त्री० ठकराणी (२) क्षत्रियाणी (३) वाळंदण
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ठकुराई स्त्री० ठकराई; ठकरात ठकुरानी स्त्री० ठकराणी ( २ ) शेठाणी ठकुरायत स्त्री० ठकरात
ठग पुं० ठग; धुतारो. - लगना = ठगनो उपद्रव होवो [ 'ठगी' ठग (-गा ) ई स्त्री० ठगाई; ठगबाजी; ठगना स०क्रि० ठगनुं (२) अ० क्रि० ठगावुं (३) चकित थवुं. ठगासा = आश्चर्यचकित
ठठरी
ठगनी, ठगिन ( - नी) स्त्री० ठगणी के ठगनी स्त्री
ठगाई, - ही स्त्री० जुओ 'ठगई' ठगाना अ०क्रि० ठगात्रु; छेतरावुं ठगिन, -नी स्त्री० जुओ 'ठगनी' ठगी स्त्री० ठगनुं काम के ठगविद्या ठगोरी स्त्री० ठगविद्या जेवी करामत के मोहिनी जादु
ठट (-ठ) पुं० ठठ; भीड (२) हार; पंक्ति (३) ठाठ; सजावट. - लगना = ठठ जामवी
ठटना स०क्रि० ठराववुं (२) सजवुं (३) अ०क्रि० ठेवु; थोभनुं (४) सजावुं ठट ( 5 ) री, ट्टी स्त्री० हाडपिंजर (२) कोई वस्तुनुं खोखुं; फरमो (३) ठाठडी ठट्ट पुं० जुओ 'ठट' ठट्टी स्त्री० जुओ 'ठटरी' ठट्ठा पुं० ठठ्ठो; मश्करी
ठठ पुं० ठठ; भोड
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ठठकना अ०क्रि० जुओ 'ठिठकना' ठठरी स्त्री० जओ 'ठटरी'
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ठठाना
ठाना स०क्रि० ठोक ठाठां भांगवां (२) अ०क्रि० जोरथी हसवं ठडेरा पुं० कंसारो. ठठेरे ठठेरे बदलाई =जेवो माणस तेवो वहेवार. ठठेरेकी बिल्ली = विकट दातथी न गमरानार ठठेरी स्त्री० कंसारण ( २ ) कंसाराकाम ठठोल पुं० मश्करो (२) मश्करी ठठोली स्त्री० मश्करी
ठड़ा, -ढ़ा वि० खडुं; ऊभु. -ढ़िया पुं० ऊभो मोटो खांडगियो
ठतक, -कार स्त्री० ठगकारो ठनकना अ०क्रि० ठणकत्रु ठग ठणखणण अवाज करवो; ठणठणवं; खणखणj (२) चसका नांखवा ठगन स्त्री० मंगळ प्रसंगे दापुं लेनार वधारे लेवा करे छे ते हठ ठठन - गोपाल पुं० ठणठण-गोपाळ; कामी वस्तु के निर्धन खाली माणस उठताना स०क्रि० ठठणात्रवं; ठोकबुं airs ( २ ) अ०क्रि० 'ठनकना' ठतना अ०क्रि० प्रारंभ थत्रो (२) ठराव थवो; ठरवु (३) तैयार थबुं ठनाका पुं० ठणकारो ठपका पुं० ठेस; धक्को; आघात ठप्पा पुं०o कोई पण बीबुं के तेती छाप (२) नकसीदार फूलगोटो; थप्पो ठमक स्त्री० ठमकती चाल; ठमको (२) खमचा ते [ चालवू (२) खमचावुं उमकना अ०क्रि० ठमक; ठमकाथी ठना स०क्रि० दृढताथों शरू कर के करवा लागनुं ( २ ) ठराववुं (३) अ०क्रि० स्थिर थवुं जुओ 'ठतना' ठरना अ०क्रि० ठरवु; ठंडीथी अकडावु (२) खूब ठंडी पडवी
हि- १५
२२५
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ठादर
ठर्रा पुं० जाडुं सूतर (२) महुडी - दारू oaनी स्त्री० बेसवा के ऊठवानी रीत उस वि० स सज्जड (२) 'ठोस' ; पंगीन (३) आळसु (४) बरोबर न खखडतो (रूपियो ) (५) कंजूस [ नखरुं ठसक स्त्री० उसको; रोफ (२) ठमको; उसका पुं० सूकी उधरस; ठांपो ( २ ) ठोकर; ठेस
ठसाठस अ० ठसोठस; बरोबर ठांसीने ठस्सा पुं० ठस्सो; ठसको; ठसक ठहरना अ०क्रि० ठेवुं;थोभवुं (२) खं; नक्की थत्रुं; बनवु
ठहराव पुं० ठराव; निश्चय (२) स्थिरता ठहरौनी स्त्री० विवाहमां लेवडदेवडतो ठराव [ हसवं ठहाका पुं० अट्टहास. - लगाना = खडखड ठाँ, ०ई स्त्री०, ०उँ पुं० ठाम; जगा (२)
अ० पा
ठाँड वि० नीरस (२) वसूकेल ठाँ पुं०, स्त्री० ठाम; स्थान ( २ ) समीप (३) स्त्री० बंदूकतो 'ठां' अवाज ठाँव पुं० ठाम; स्थान ठाँसना स०क्रि० ठांस (२) रोकवुं (३) अ० क्रि० ठांस खांसनुं ठाकुर पुं० ठाकोरजी ( २ ) ठाकोर जमीनदार ( ३ ) स्वामी; धणी ठाकुरद्वारा पुं०, ठाकुरबाड़ी स्त्री० मंदिर ठाट ( उ ) पुं० ठाठ (२) टाटुं (३) अधिकता ( ४ ) साधनसामग्री; साज. - बदलना = नवां रूपरंग धारण करवां (२) नवो पेंतरो रचवो. -मारना = मोज करवी ठाट-बाट पुं० ठाठमाठ (२) आडंबर ठाटर पुं० ठाठमाठ (२) टाटियुं; 'ठाट'
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ठाढ़ा
२२६ ठाढ़ा वि० तद्दन सीधुं ऊंधु-ऊ ; खडुः ठीहा पुं० गादी (२) ठाम; स्थान (३) हद टटार (२) लठ्ठः हृष्टपुष्ट
(४) जमीनमां दाटेलं डोमचुं, जे उपर ठान स्त्री० कार्य तो आरंभ; स्थान (२) वस्तु की सुतार वगेरे काम करे छे ठराव; दृढ निश्चय
कुंठ पुं० झाडर्नु ठूलू (२) ठूठो ठानना, ठाना स० क्रि० तत्पर थई ठकना अ०क्रि० ठोकावू (२) मार खावो
आरंभq (२) ठराववं; नक्की करवू (प्रेरक, ठुकवाना) ठाम पुं० ठाम; ठेका[; जगा ठुकराना स० क्रि० ठोकर मारवी ['ठुरीं' ठार पुं० ठार; खूब ठंडी के हिम ठुड्डी स्त्री० चिबुक;दाढी; ठोड़ी'(२) जुओ ठाला पुं० बेकारी (२) कमाणोनो अभाव ठुमक, ठुमक वि० ठमक ठमक; ठमक (३) वि० ठालं; बेकार
ठुमकना अ०क्रि० ठमक ठाली वि० ठालं; बेकार; खालो। ठुमको स्त्री० पतंगतो ठुमकी ठिंगना वि० ठींगणुं; गटुं
ठुमरी स्त्री० ठुमरो गायननी चाल (२) ठिकाना पुं० ठेकाणु (२) सक्रि० राव गप; अफवा
[नहि ठि कना अ०क्रि० खमचावू; खचकावू ठुरी स्त्री० गांगडु दानो जे शेक्ये फूने fठरना, ठिारना अ०क्रि० टाढे ठठरवू ठुसना अ०क्रि० ठांसावं ठिनकना अ०क्रि० डूसकां खाई रोवू ठुसाना सक्रि० ठांसावq ठिर,०न स्त्री० ठार'; खूब ठंडी ढूंठ पुं० जुओ 'ठुठ' ठिरना अ० क्रि० जुओ 'ठरना' ठा वि० हूं, (झाड के माणस) ठिलना अ०क्रि० ठेलावू(२) धस, [घडो ठुसना, ठूसना सक्रि० ठांस ठिलिया स्त्री०, ठिल्ला पुं०गागर; नानो ठेगना वि० ठीगणुं ठिलुआ वि० ठालु; बेकार; 'निठल्ला' ठेंगा पुं० अंगूठो(२)सोटो इंडो.-दिखाना ठिल्ला पुं० जुओ 'ठिलिया'
= साफ ना कहेवी; डिंगो करवो ठीक वि० सावं; यथार्थ (२) योग्य (३) उडी(-पी) स्त्री० काननो मेल (२)
अच्छं (४) स्थिर; पाकुं; नक्की (५) अ. (काननो) दाटो ठीक; वारु (६) पुं० निश्चय; ठराव. ठेकना स०क्रि० टेकवू (२) टकवू; ठेरवं
-देना= मनमा नक्की करवू ठेका पुं० टेको (२) तबलानो ठेको (३) ठीकठाक पुं० नक्की, ठीकठाक करेलु ते; ठोकर (४) ठेरवानुं ठेकाण (५) जुयो बंदोबस्त (२) राव (३) वि० बरोबर 'ठीका'
[पटी कवी ते ठीकरा पुं० ठीकलं. (सिर पर)-फोड़ना ठेकाई स्त्री० कपडांने छापवामां काळो
= दोष माथे नांखवो. -होना खूब ठेको स्त्री० टेको; आशरो (२) विसामो खर्च थर्बु
करवो ते ठीकरी स्त्री० ठीकरी (२) चलमनो तबो ठेकेदार पुं० जुओ 'ठीकेदार' ठीका पुं० ठेको; कंत्राट (२)पटो; इजारो ठेठ वि० शुद्ध (२) बिलकुल; पूरु (३) ठीकेदार पुं० ठेकादार
स्त्री० बोली. -से = ठथ ; शख्थी
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ठेलना
ठेलना स०क्रि० ठेलवु; धकेलवु ठेला पुं० ठेलो (२) ठेलण-गाडी (३)
धक्iधक्का
ठेस स्त्री० ठेस; कर
याँ स्त्री० 'ठय'; ठाम; काणुं ठोंक स्त्री० ठोक; ठोकवुं ते ठोंकना, ठोकना स०क्रि० ठोकवुं.[. - बजाना = तपासबु; परखवुं
ठोकर स्त्री० ठेस; ठोकर (२) जोडानो आगळतो भाग. - उठाना = खोट के दुख जुहवु. - खाना, लेना = ठोकर खावी
डंक ० डंख (२) कलमनी टांक डंका पुं० [सं. ढक्का ] डंको. डंकेकी चोट कहना = दांडी पीटीने कहेवुं डंगर पुं० 'डाँगर'; ढोर [के डांखळी डंठल पुं०, डंठी स्त्री० नाना छोडनुं थंड डंड पुं० दंडो (२) दंडनी कसरत ( ३ ) दंड. - डालना = दंड करवो. -पड़ना = दंड व ; तुकसान थवुं. -पेलना = दंड पीलवा [ माणस डंडपेल पुं० पहेलवान (२) बळवान डंडवारा पुं०. -री स्त्री० फरती दीवाल के कोटनो वंडो [चोतरफती दीवाल डंडा पुं० दंडो; सोटो; लाठी (२) वंडो; डैंडिया पुं० दंड - कर वसूल करनार ( २ ) स्त्री० एक जातनी साडी हँडियाना स०क्रि० डांडियं करवा सीव डंडी पुं०दंडी; साधु (२) स्त्री० डांडी; नानो दंडो (३) दांड: (४) हाथो; दस्तो. - मारना = तोलवामां हाथचालाकीथी रांडी नमावी देवी
२२७
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डगना
ठोड़ी, -ढ़ी स्त्री० चिबुक; हडपची; दाढी ठोर पुं० ठोर पकवान (२) चांच ठोस वि० संगोन; पोलुं नहि (२) ड (३) पुं० ईर्षा; दाझ
ठोसा पुं० 'ठेंगा'; अंगूठो के डंडो ठौर पुं० ठार; ठाम (२) अवसर. ० ठिकाना पुं० ठामठेकाणुं न आना = पासे न
आववुं. - रखना = ठार कर. - रहना = ठार थवुं मरी जत्रुं ठौर कुठौर अ० कठेकाणे ( २ ) अवसर वगर; कवखते
डॅडोरना स०क्रि० ( प. ) ढूंढ वुं खूब खोळवु डंडौत अ० ( प. ) दंडवत्
डंबर पुं० [पं.] आडंबर ( २ ) विस्तार डंबेल पुं० [इं.] कसरततो मगदळ डॅवाँडोल वि० जुओ 'डाँवाँडोल' डंस पुं० डांस ( २ ) दंशनी जगा हँसना स०क्रि० ' डसना'; उसवुं डकार पुं० ओडकार (२) वाघ-सिंहनी गर्जना. - न लेना = परायुं धन चुपचाप हम करी ज [ गर्जकुं डकारना अ०क्रि० ओडकार खावो (२) डकैत पुं० डाकु; लूंटारो डकैती स्त्री० डकाटी; लूंटफाट डग पुं० डगलुं; पगलुं. -देना, भरना = डगलुं भरवु; आगळ चालवू. - मारना = पग उपाडवा; जलदी चालवु डगड ( - म ) गाना, डगडोलना अ०क्रि० डगमगवु; लथडवुं डगडौर वि० डामाडोळ; डगुमगु उगना अ०क्रि० जुओ 'डिगना'
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उगमगाना
डगमगाना अ०क्रि० डगमगबुं डगर स्त्री० रस्तो; मार्ग
डगरा पुं० 'डगर' (२) छाबडुं डटना अ०क्रि० लागवु; मंडवु; जारी रहेवु. डटकर खाना = : खूब पेट भरीने खावुं डटा रहना = लाग्या रहेवुन हटवु ट्टा पुं० हूकातो मेर (२) डट्टो डढ़ार ( - रा ) वि० दाढ के दाढीवाळु डढ़ियल वि० लांबी दाढीवाळं डपट स्त्री० वढवुं ते (२) घोडानी रपेट - जोरदार चाल [ काढव पटना स०क्रि० वढत्रु; ऊंचो अवाज डपोरसंख पुं० डिंग मारनार (२) डफोळ डफ (०ला) पुं० डफ (२) चंग; एक वाजूं डफली स्त्री० खंजरी
डफाली : डफ बजावनार (२) डबगर डब पुं० थेलो; खीसुं
डबडबाना अ०क्रि० डबडब आंसु आववां डबरा पुं० पाणीनं खाबडुं के होज या कुंड डबल वि० [इं.] बमणुं (२) जाडुं; स्थूल (३) पुं० पैसो
डबी, - बिया स्त्री० डब्बी डबोना स०क्रि० 'डुबाना'; डबोववुं डब्बा पुं० डब्बो (२) गाडीनो डब्बो डब्बू पुं० पीरसवानो डूघो डमरू पुं० डमरु; डाकलुं डमरूमध्य पुं० संयोगीभूमि डर पुं० डर भय [ ( रेरक डराना) डर ( ०प ) ना अ० क्रि० डरबुं बीबुं डरपोक वि० बीकण; डरकण डरावना वि०डराम पवानक; बिहामणुं डरावा पुं० डरावना कहेली वात ( २ ) (खेतरतो ) चाडियो
डल पुं० 'डला'; टुकडो; गांगडो
२२८
डाँड़ा-मेड़ी
डलना अ०क्रि० पडवुं; खावुं [प्रेरक डलवाना स०क्रि० नंखाववुः 'डालना'नुं डला पुं० गांगडो (२) करंडियो के छाबड डलिया पुं० 'डला'; छाबडुं
डली स्त्री० गांगडी (२) सोपारी डसना स०क्रि० स: करडवं. (डसाना, सवाना प्रेरक )
डहकना स०क्रि० ठगवुं छेतरवुं (२) अ० क्रि० विलाप करवो (३) दुःखयो उसकां भरवां; डसकवुं हकाना स०क्रि० खोवुं: गुमाववुं (२) अ० क्रि० ठगावुं (३) स०क्रि० ठगी लेवु छेत [आनंदी sesहा वि० ताजु: लीलुं (२) प्रसन्न; sesहाना अofo (वनस्पतितुं ) लील ताजु होवु (२) प्रसन्न होव डहना अ०क्रि० बळं (२) दाझे बळवं (३) स०क्रि० बाळवं (४) दुःखी करवं डहर स्त्री० 'डगर'; रस्तो
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sia स्त्री० डांक नंग नीचे जडातुं त्रांबा सोना पातळं पतरु (२) ऊ टी; ओक डाँकना स०क्रि० ओळं गवुः कूदोने पार
करं (२) अ०क्रि० ओकबुं डॉंग पुं० जंगल (२) डांग; लाठी डोंगर पुं० 'डंगर'; चोपं (२) तेती लाश (३) वि० सूकलं; दुबळं (४) गमार; पूखं डाँट स्त्री० का ू; वश ( २ ) धमकी डाँटना स०क्रि० वढनुं धनकाव डाँड़ पुं० दंडो (२) हलेसुं (३) सीमा; हद (४) दंड; 'जुरमाना ' डाँड़ना अ०क्रि० दंड करवो डाँड़ा ० जुओ 'डाँड़ '१ थी ३ डाँड़ा-मेड़ा पुं०, ड़ी स्त्री० बे मालकी वच्चेनी हद (२) झडो; अणबनाव
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२२९
डिठौना ऑड़ो स्त्रा० दाडा
(३) हाथ धावान वासण; 'चिलमची' गंवरा पुं० (स्त्री० -री) छोकरो; पुत्र (४) मेलं पाणी [(३) लोलुं नारियेळ हवा(-वाँ)डोल वि०डामाडोळ;अस्थिर डाभ पुं० दर्भ; डाभ (२) आंबानो मोर हाइ (-कि)न स्त्री० डाकण
डामर पुं० [सं.] धामधूम (२) ठाठमाठ डाक स्त्री० टप्पो; टपाल (२) 'डॉक'; (३) चमत्कार (४) डामर [सजा ऊलटी.०खाना, घरपुं०टपाल-ऑफिस. डामल स्त्री० जनमकेद; काळापाणीनी
गाड़ी स्त्री० मेलगाडो. ०बंगला पुं० डामाडोल वि० डामाडोळ; अस्थिर मुसाफरी-बंगलो. ० महसूल पुं० टपाल- डायन स्त्री० डाकण [डाइनेमो खर्च. ०मुंशी पुं० पोस्टमास्तर. ०व्यय डायन (-ना)मो पुं० [इ.] वीजळीनो पुं० टपालखर्च 'डॉकना' डायरी स्त्री० [इं.] डायरी; रोजनीशी डाकना सक्रि० (२) अ०क्रि० जुओ डार(-ल) स्त्री० डाळ (२) 'डलिया'; डाका पुं० डाको; धाड
छाबडु डाकाजनी स्त्री० धाड पाडवी ते डकाटी। डालना सक्रि० नांखवू हाकिन,-नी स्त्री० डाकण
डालर पुं० [इं.] डॉलर सिक्को के नाणु डाकिया पुं० टपाली
डाली स्त्री० डाळी (२) जुओ ‘डलिया' डाकी स्त्री० ऊलटी (२) वि० खाउधरूं डावरा पुं० जओ 'डाँवर' डाकू पुं० लूटारो(२)वि० 'डाकी';खाउधरूं । डासन पुं० (प.) बिछान; पाथर| डाक्टर पुं० [इ.] दाक्तर. -री स्त्री० डासना सक्रि० बिछावव । तेनी विद्या के काम
डासनी स्त्री० खाटलो; पलंग डाट स्त्री० टेको (२) दाटो (३) 'डाँट' डाह स्त्री० दाह (२) ईर्षा डाटना सक्रि० दाटो मारवो (२) डाहना सकि० वाळवू (२) सतावq 'डाँटना' (३) डटकर खाना' खूब खाएं डिगर पुं० ढोरनो डेरो (४) जोर करीने धकेलq
डिंगल वि० नीच (२) स्त्री० रजबाढ़ स्त्री० दाढ ; दांत (२) वडवाई. पूतानानी चारणी भाषा [शोरबकोर -रम होना=बरोबर के सारु खावानुं डिब पुं० [सं.] ईंडु (२) दंगोफिसाद (३) मळवू (२) लांच मळवी
डिभ पुं० दंभ; घमंड (२) [सं.] बच्चुं डाढ़ना सक्रि० (प.) दहवं; बाळवू के बाळक (३) मूर्ख डादा स्त्री० दावानळ (२) ताप डिगना अ०क्रि० डगवू (रक डिगाना) दाढ़ी स्त्री० दाढी. -छोड़ना, -रखना। डिगरी स्त्री० डिग्री; पदवी (२) हुकमदाढी राखवी-वधारवी. -पेटमें होना नाम: 'डिक्री'. ०दार पुं० जेना पक्षमा
नानी उमरमां मोटानी समज होवी. हकमनाम थाय ते -फटकारना= दाढी पर हाथ फेरवी डिठार, डिठियारा वि० देखनार; देखतुं संतोष के उत्साहनो भाव बताववो डिठौना पुं० नजर न लागे माटे करातुं डाबर पुं० नीची जमीन (२) तळावडं काळं टपकुं
A
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डिपटी २३०
डेस्क डिपटी पुं० डे टी- नायब अमलदार डुबाना स०क्रि० डुबाडq ('डूबनान डिपाजिट पुं० [इं.] अनामत; डि झिट प्रेरक) डिपार्टमेन्ट पुं० [इं.] विभाग; खातुं डुबाव पुं० डुबाय एटलं ऊंडाण डिपो पुं०:स्त्री० [इं.] गोदाम; भंडार डुबोना सक्रि० जुओ 'डुबाना' डिप्टी पुं० जुओ 'डिपटी'
डुब्बी स्त्री० डूबकी [चलावधू डिबिया स्त्री० डबी
डुलाना सक्रि० डोलाव; हलाव, डिब्बा पुं० डबो (२) एक बाळरोग डूंगर पुं० डुंगर (२) टेकरो डिभगना सक्रि० (प.) मोहित करव; डूंगा पुं० डूघो; एक जातनो चमचो 'डहकना'
डूबना अ०क्रि० डूबवं; बूडवू डिमडिमी स्त्री० डुगड़गी; डिडिम डेंडसी स्त्री० काकडी जे एक शाक डिम(-मु)रेज पुं० [इं.] डामरेज- डेग पुं० देग; देंगडो. ०ची स्त्री. तेना 'सा. (-लगना)
नानो देग डिमाई स्त्री० [इ.] कागळनं डेमी कद डेडहा पुं० डेंड; साप डिलिवरी स्त्री० [इ.1 टपालनी वहेंचणी डेढ़ वि० ओढ़-ईटको मसजिद बनाना डिविडेंड पुं० [इं.] शेरनुं व्याज; डिविडंड __ =मळोने काम न करवू; अतडं रहे. डिसमिस वि० [इ.] रद; बरतरफ -चावलकी खिचड़ी पकाना=जमालडिस्ट्रिक्ट पुं० [.] जिल्लो
भाई । जुदो चोको करवो; बधाथी डिस्पेंसरी स्त्री० [ई.] दवाखानुं जुदा पडवू डोंग स्त्री० डिंग; शेखो. -हांकना = डेढ़ा वि० दोढं (२) • दोढाना आंक डिंग मारवो; शेखो बकवी डेपुटेशन पुं०[ई.] 'प्युटेशन; तिनिधिडीठ स्त्री० दृष्टि; नजर (२) समज
मंडळ लई जवू ते डीठना अ०क्रि० देखावू (२) सक्रि० डेरा डेरो; पडाव (२) तंबू इ.
देखq के देखाडवं [जादूगर पडाव नांखवानो सामान (३) घर. डीठबंध पुं० नजरबंधो के ते करनार -पड़ना = डेरो नंखावो डोमडाम स्त्री० ठाठ माठ; धामधूम डेल (-ला) पुं० रोडु डील पुं० कद (२) डिल; शरीर
डेलटा पुं० [इ.] नदीनो डेल्टा डीलडौल पुं० शरीरनुं कद; कार्छ डेला पुं० आंखनो सफेद डोळो (२) डीह पुं० वस्ती; गाम (२)ऊजड गामनी । रोडुं (३) ढोरनो डेरो जगा (३) ग्रामदेवता
डेलिगेट पुं० [इ.] प्रतिनिधि डुक,-क्का पुं० घुम्मो
डेवढ़ा वि० 'डेढ़ा'; दोलु (२)पुं० दोडाचा डुगडुगी, डरी स्त्री० डुगडुगी; ढोलकी आंक
[दरवाजो डुबकी स्त्री० डूबकी; गोता' (२) कढीमां डेवढ़ी स्त्री० डेली; दोढी (२) फाटक; नखाती चणाना लोटनी वडो (-खाना, डेसिमल पुं० [इं.] दशांश । -देना, -मारना, -लगाना, -लेना) डेस्क : [इ.] ढाळियु मेज
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डैता ना पु० पाख डोंगर पुं० डुंगर डोंगा पुं० होडी (स्त्री० गी) डोई ( ही ) स्त्री० डोयो; डूघो डोकरा पुं० डोसो; डोकरो. (स्त्री० - री)
डोज पुं०;स्त्री० [इं.] दवानो डोझ डोडा पुं० मोटं जडवं
डोडी स्त्री० जींडवुं डोब ( - बा)
पुं० डूबकी
डोम ( ०ड़ा) पुं० एक अस्पृश्य जात डोम काग, -कौआ पुं० मोटो कागडो डोमनी, डोमिन स्त्री० डोम स्त्री डोर स्त्री० [सं.] दोर; दोरो. -पर लगाना = रस्ता पर आणवुं डोरा पुं० दोरो (२) लीटी. - डालना= ( रजाई इ० ना) दोरा नांखवा (२) प्रेममा फसाव - आकर्ष बुं डोरिया पुं० दोरियुं वस्त्र डोरी स्त्री० दोरी (२) पाश; बंधन डोल पुं० डोल; बालटी (२) हींडोळो (३) डोळी (४) वि० चंचल डोलची स्त्री० डोलचुं; नानी डोल डोलडाल पुं० हरवुं फरबुं ते (२) दिशाए
डंकन पुं० ' कना'; ढांकण
ढंग पुं० ढंग (२) उपाय; युक्ति ( ३ ) ढांग; बहानुं . - का = ढंगवाळूं; चतुर दंगी वि० चतुर; चालाक; पाकुं
ढोर पुं० झोळ; आंच (२) वांद ढोरची पुं० ढंढरो पीटनार ढोरता स०क्रि० ढूंढ खोळ
२३१
ढकनी
डोलना अ०क्रि० हालनु; डोलवु (२) फरवु डोला पुं० मे (२) हीं चकानो हेल्लो. = कन्या आपवी. -निकालना = कन्याने वळावत्री डोली स्त्री० डोळो
- देना :
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डोही स्त्री० जुओ 'डोई'
डौंड़ी स्त्री० दांडी पिटाववी ते -देना, बजाना = दांडी पिटाववी डौआ पुं० लाकडाती कडी डौल पुं० ढंग; ढब; रोत ( २ ) परेखा; 'ढाँचा' (३) युक्ति; उपाय. - डालना
=
- रूपरेखा के खोखुं तैयार करवुं. - बाँधना, - लगाना = उपाय के तजवीज करवी. - पर लाना = ढंगमां आणवुं; ठीक स्वरूप घडवु डौलदार वि० सुंदर; घाटीलुं
suौढ़ा वि० दोढुं (२) पुं० दोढा; 'डेवढा ' ड्योढ़ी स्त्री० जुओ 'डेजढ़ी'. ०दार,
०वान पुं० दरवान
ड्राइंग स्त्री० [इं.] ड्रॉइंग; चित्रकाम ड्राइवर पुं० [इ.] गाडो हांकनार (जेम के रेलनो, मोटरनी)
ड्राम पुं० [इं.] प्रवाहोनुं एक माप ड्रिल स्त्री० [इं.] ड्रिल; कवायत
ढढोरा पुं० ढंढेरो
ढँपना, ढकना अ०क्रि० कावुं; छपा (२) स०क्रि० ढांक छुपावबुं (३) पु० ढक
ढई स्त्री घरणुं; त्राणुं. - देना = धरणं धरीने बेसवुं
ढकनिया, ढकनी स्त्री० ढांकण; ढांकणी
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ठका
[-पीतुं
ढका पुं० डक्का; फुरजा (२) माटुं ढाल (३) (प.) धक्को ढकेलना स०क्रि० घकेल बुं ढकोसना स०क्रि० एकसाथ खूब ढींच ढकोसला पुं० ढोंग; पाखंड ढक्कन पुं० ढांकण ढक्का पुं० मोटुं ढोल नगारुं ढचर पुं० साहित्यसामग्री (२) बखेडो (३) ढोंग; आडंबर
ढड्ढा वि० बेडोळ ने मोटुं (२) पुं० खोखं; रूपरेखा (३) जूठो 'ठाठ' ढपना अ०क्रि० (२) पुं० जुओ 'ढँपना' ढब पुं० ढब; ढंग; रीत ( २ ) आदत; प्रकृति ( ३ ) युक्ति
To
ढना अ० क्रि० ( दीवाल इ० ) धसी आववुं -पडवुं (२) ध्वस्त-जमीनदोस्त थकुं ढरकना अ० ०क्रि० ढळवु ढोळावं ढरका पुं० ढोरने काई पावानी नाळ ढरकी स्त्री० वणवानो कांठलो ढर्रा पुं० रस्तो; मार्ग (२) युक्ति; उपाय (३) ढंग; चाल; टेव
ढलकना अ०क्रि० ढळं; ढोळावुं (२) गबडवु. (प्रेरक ढलकाना ) ढलका पुं० आंखनो एक रोग ढलना ० क्रि० ढळं; ढोळा मुं(२) गबडवु (३) वीबामां ढळावुं (४) चमर ढोळावो ढलवाँ वि० भरतर; ढाळेलुं [प्रेरक ढलवाना, लाना स०क्रि० 'ढालना' नुं ढलाई स्त्री० ढाळवानुं काम के मजूरी ढहना अ० क्रि० 'दया'; वसवं (ढहवाना, ढहाना प्रेरक)
ढक (प) ना स०क्रि० ढांकं [ खरडो ढाँचा पुं० बीं; फरमो ( २ ) योजना; ढाँपना स०क्रि० ढांकबुं
२३२
ढिमका
ढाँस पुं० ठांसो; सूकी खांसी [वावी ढाँसना अ०क्रि० ठांसव सूकी खांसी ढाई वि० अढी. -घड़ीकी आना = मोत आववु. -घड़ीकी बादशाहत करना = चार घडीतुं चांदरणुं होवुं ( २ ) वर
राजा थ
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ढाक पुं० पलाशनुं झाड ; खाखरो ( २ ) मोटुं एक ढोल. - के तीन पात = सदाय सरखं (निर्धन )
ढाटा पुं० बुकानी
ढाड़ ( -ढ़ ) स्त्री० राड; चीस; गर्जना. -मारना = पोक मूकीने रडवुं ढाढ़ ( - र ) स पुं० धैर्य; दिलासो; धीरज (२) हिमत दृढता - बंधाना = धैर्य के हिमत आपवी
To
ढाढ़ी पुं० एक गवैया जात (स्त्री० - दिन ) ढाना स०क्रि० धावी पाडवं; गबडावी नाखं: 'ढाहना' ढाबर वि० मेलं; गंदु (पाणी) ढारना स०क्रि० जुओ 'ढालना' ढाल स्त्री० ढाल (२) पुं०;स्त्री० ढाळ; उतार ( ३ ) ढंग; रीत; ढाळो ढालना स०क्रि०ढाळ (आंसु के आकार ) (२) ढोळव; रेडवुं (३) दारू ढींचवो ढालवाँ, ढालू वि० ढळतं; ढोळवाळु ढासना पुं० अठींगण; तकियो ढाना स०क्रि० जुओ 'ढाना' ढिंढोरा पुं० ढंढेरो के ते पीटवानुं ढोल. ( - पीटना, -बजाना ) [ तट; किनारो ढिग अ० पासे (२) स्त्री० किनार ( ३ ) ढिठाई स्त्री० धृष्टता; निर्लज्जता;
अघटित साहस [ ( २ ) लोानी चाकी ढिबरी स्त्री० दीवानो खडियो के कोडियु ढिमका स० (स्त्री० - की) फलाणं; अमुक
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डिलढिला
ढिलढिला वि० ढीलुपाचु (२) पाणी जेवु पातळं [ढोलुं करते ढिलाई स्त्री० ढीलाश (२) सुस्ती (३) ढिलाना स०क्रि० 'ढीलना' नुं प्रेरक ढिल्लड़ वि० ढील करना; मंद; ढीलु. arjsti अ० गधेडातो अवाज - होंची होंची
ढीठ (ठा) वि० धीट; वृष्ट (२) साहसिक ढोम पुं० ढीमचुं ( पथ्थर के माटीनं ) ढीमर पुं० ढेंकवो ( कूवामांथी पाणी खंचवानो )
ढील स्त्री० जुओ 'ढिलाई'. - देना = ढीलुं मूकं ; जाप्तो के पकड ढीलां करवां ढोलना स०क्रि० ढीलुं करवुं (२) छोडवुं ढोला वि० ढीलुं हुँढ़वाना स०क्रि० 'ढूँढ़ना' नुं प्रेरक बुढी स्त्री० हाथ (२) बांय ढकना अ०क्रि० घूस (२) आडमां संताव हुरहुरी, दुर्गे स्त्री० पगदंडी; पगथी बुलकना अ० क्रि० गबडवुं (प्रेरक ढलकाना )
दुलना अ० क्रि० ढळं (२) रेडावं : ढोळावं (३) तरफ झुकवं; अनुकूळ थवं (४) आम तेन डोलवु
२३३
तुला ( -लवा ) ई स्त्री० भार वही जवो - 'ढोना' - ते काम के तेनी मजूरी दुला ( - लवा ) ना स० क्रि० 'ढोना' नुं प्रेरक [ताई रहे ते. ( - लगना) हूँका पुं० कांई जोवा जाणवा छुपा छंद स्त्री० तपास; ढूंढ ते ढूँढना स०क्रि० ढूंढवु खोळवुं हूका पुं० जुओ ‘ढूँका' डूढ़िया पुं० ढूंढियो जैन बूह ( - हा) पुं० ढगलो (२) टेकरो
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ढोलनी
ढँक पुं० जळनुं एक पक्षी की स्त्री० ढेकवो (२) पाणीना ढेकवा जेवी युक्तिनो खांडणियो (३) गोटमडुं ढेंकी स्त्री० 'ढेंकली; एक जातनो खांडणियो
ढ़, ढेड़ पुं० कागडो (२) एक हलकी जाति (३) मूर्ख (४) कपासनुं जींडवुं ढेप (-पी), डेप (-पी) स्त्री० ढेप्; 'ढेला' देबुआ ( - वा) पुं० पैसो
ढेर पुं० ढेर; ढग (२) वि० खूब. - करना =मारी नांखबुं; ठार करवुं हो रहना या जाना =मरी जनुं (२) थाकीने लोथ थई ज
ढेरी स्त्री० ढगली ढलवाँस स्त्री० गोफग
ढेला पुं० ढें; ढेखलो; दगडुं. -चौथ = दगड चोथ; भादरवा सुद ४ ढैया स्त्री० अढोशेरियो ( २ ) अढिया ढोंग पुं० ढोंग; दंभ; पाखंड. ०बाज, -गी वि० ढोंगी. ०बाजी स्त्री० ढोंग ढोंढ़ पुं० कपास इ०नो दोडो
स्त्री० नाभि; डूंटी [(२) छोकरो छोटा ( - टौना) पुं० (स्त्री० - टी) पुत्र ढोना स०क्रि० भार वहवो (२) उठवीने लई ज
ढोर पुं० ढोर; चोपगुं ढोरना स० क्रि० ( प. ) ढोळ बुं ढोरी स्त्री० ढोळवु के ढळवुं ते (२) धून; लगनी
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ढोल पुं० ढोल नगारुं (२) काननो पडदो ढोलक, -की स्त्री० ढोलकी; नानुं ढोल ढोलकिया पुं० ढोलकावाळो ढोलना पुं० ढोलना आकारनुं मादळिभुं ढोलनी स्त्री० पाळणं; खोयुं
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ढोला
ढोला पुं० डेली वस्तुमा पडलो धाळो कीडो-इयळ (२) गामनी सीमनुं निशान (३) देह; शरीर (४) मूर्ख - जड माणस (५) पति (६) एक पंजाबी गीत - प्रकार ढोलिया पुं० 'ढोलकिया'; ोलवाळो
२३४
तंग वि० [फा.] तग. - आना, होना: थाकी जब ; कायर, हेरान थई जवं. - करना = सतावनुं. हाथ तंग होना = हाथ भीडमां होवो वाळू - खयाल वि० [फा.] संकुचित विचारतंगदस्त वि० [फा.] ( नाम, -स्ती स्त्री० ) कंजूस (२) गरीब [ कंजूस तंग-दिल वि० [फा.] सांकडा मननुं ( २ ) तंगहाल वि० [ : ] गरीब ( २ ) संकटग्रस्त तंगी स्त्री० [फा.] ताण; टांच ( २ ) गरीबी (३) दुःख तं पुं० [ अ ] टोणो; व्यंग [ मलमल जे स्त्री० [फा.] एक जातनुं झीं सरस तंड,०व पुं० ( प. ) तांडव; नाच तंडु ( - दु ) ल पुं० तांदुल; चोखा तंतमंत पुं० जंतरमंतर
तंतु पुं० [सं.] तांतणो; दोरो (२) वंशवेलो (३) करोळियानुं जाळं
तंतुवाय पुं० [पं.] वणकर; 'ताँती' तंत्र पुं० तंत्रशास्त्र (२) प्रबंध; व्यवस्था; बंदोबस्त काबू (३) तंतु; दोरो (४) वस्त्र के ते वणवानी सामग्री के वणकर
-
(५) सेना (६) समूह
तंत्री स्त्री० व णा, सितार इ० तंतुवाद्य के तेन तार (२) रसो; दोरडं (३) नाडी (४) पुं० तंतुवाद्य वगाडनार
त
तई
ढाला स्त्रा० २०० पानना थाकडा (२) मश्करी
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ढोव पुं० नजराणुं; भेट ढौंचा पुं० साडा चारना आंक ढौरी स्त्री० धून; रटण
तंदुरुस्त वि० [फा.] तंदुरस्त; नीरोमी. ( नाम ती स्त्री०)
तंदुल पुं० 'तंडुल'; तांदुल; चोखा तंदूर पुं० [का. तनूर ] एक प्रकारनी गोळ भट्टी, मां रोटली शेकाय छे. (वि० री) [ प्रयत्न; खंत तंदेही स्त्री० [फा. तनदिह ] महेनत; तंद्रा स्त्री० [पं.] सुस्त ; घेन. ०लु वि• तंबाकू पुं० तमाकु. ० ग ु० तमाकुवाळो तंबीह स्त्री० [अ.] चेतवर्णी; नसियत तं पुं० तंबु; डेरो [ते वगना तंबू पुं० [फा.] एक जातनुं ढोल. ० ची पुं० तंबूरा ० तंबूरो
तंबूल पुं० खावनुं पान; तांबूल तंबोली पुं० तंबोळी; पानवाळो तअज्जुब पुं० [ अ ] ताजुबी; आश्चर्य तअन पुं० [ अ ] तानो; महेणुं तअल्लुक पुं० [ अ ] संबंध ( २ ) आधार तअल्लुकः (का) पुं० [अ.] अनेक ग. मनौ जमीनदारी (२) तालुको . ० ( - ) दार पुं० तालुकदार
तअस्सुब पुं० [अ.] तासुबी; धर्मांधता तआरुफ़ पुं० [ अ ] परिचय; पिछान तआला वि० [ अ ] सर्वश्रेष्ठ (उदा० खुदाताला) [ माटे त (त्यथ) प्रति; तरफ (२) अ० वास्ते;
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२३५
तइनात तइ नात वि० [अ०] जुओ 'तैनात' तई स्त्री० जलेबीना कढाई तउ अ० (प.) तोपण; तथापि तक अ. सुधी; पर्यंत तकदमा पुं० [अ. तक्दिमा] अंदाज; बजेट' तकदीर स्त्री० [अ.] तकदीर; नसोब.
०वर वि० भाग्यवान [लेवू तकना अ० क्रि० ताकावं; जोवं (२) शरण तकबीर स्त्री० [अ.] आदर के प्रशंसा करवी ते (२) ईश्वरस्तुति(३) अल्लाहो । अकबर' के एवा सूत्रनुं वारंवार । बोल ते तकब्बुर पुं० [अ.] अभिमान; घमंड तकमील स्त्री० [अ.] पूर्णता तकरार स्त्री० [अ.] झवडो (२) विवाद.
-री वि० तकरार करनार तक़रीब स्त्री० [अ] समीपता (२) शुभ
अवसर तकरीबन अ० [अ.] प्रायः; लगभग तकरीर स्त्री० [अ.] वातचीत(२)भाषण तकरीरन् अ० [अ.] मोढे; मौखिक तकरीर पुं० [अ.] ,-री स्त्री० निमणूक । तकला पुं० त्राक (स्त्री० -ली) तकलीद स्त्री० [अ.] अनुकरण; नकल तक लोदी वि० [अ] नकली; बनावटी तकलीफ़ स्त्री० [अ.] तकलीफ कष्ट पीडा तकल्लुफ़ पुं० [अ.] शिष्टाचार (२) ठाठ;
डोळ; देखाव तक्रवा पुं० [अ.] सदाचार तकवियत स्त्री० [अ.] ताकात देवी ते;
पुष्टि; समर्थन तक़सीम स्त्री० [अ.] वहेंचणी (२)
भागाकार तक़सीर स्त्री० [अ.] तकसीर; भूल
तगमा तकाजा पुं० [अ.] तकादो (२) वचन
प्रमाणे करवा कहेवं ते (३) प्रेरणा तकान स्त्री० थकावट; 'थकान' . तनावी स्त्री० [अ.तगावी तकिया पुं० [का.] ओशोकुं (२) तकियो (३) फकोरनो तकियो (४) आशरो; भरोसो तकिया-कलाम पुं० बोलवामां केटलाक अमुक शब्द के शब्दो वारंवार कहे
छे ते. उदा० छते. समज्याने तकियादार पुं०[क] कर के तकिया
वाळो फकोर तकुआ पुं० त्राक तक पुं० [सं.] छाश तखनीनन् अ० [अ.] अंदाजथी; लगभव तखमीना पुं० [अ.] अंदाज; अनुमान तख लिया पुं० [.] एकांत स्थान . तखलीफ़ स्त्री० [अ.] कमी; न्यूनता तखल्लुस पुं० [अ.] लेखक के कवितुं
उपनाम तखसीर पुं० [अ] विजय तनसीस स्त्री [अ.] विशेषता; खासियत तखत पुं० [फा.] राजानुं सिंहासन (२)पाट तखत-ताऊस पुं० [फा.] तहलेताऊस; मयूरासन
[बेठेलं तख्त-नशीन वि० [फा.] राजगादी पर तख्ता पुं० [फा.पाटियु(२)गट(३)ता:एक कागळ (४) ठाठडी. -उलटना तैयार काम कथळवू. -हो जाना = अकडावं तखती स्त्री० तकती (२) नानोपाटियानो
टुक । (३) स्लेट तरोके वपरातुं पाटियुं तगड़ा वि० तगडु; जाडु; हृष्टपुष्ट तगदमा जुओ 'तक़दमा' तगमा पुं० जुओ 'तमगा'.
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रायपुर
तरायपुर पुं० [अ०] माटा भार फेरफार तगादा पुं० तगादो; 'तक़ाज़ा' तगाफ़ल पुं० [ अ ] उपेक्षा; बेदरकारी तगार पुं० [अ] तगारी स्त्री० चणवा माटे चूनो के गारो तैयार करवानी जगा (२) तगारुं
तचना अ० क्रि० तपत्रं गरम थवुं तज पुं० तज के तेतुं झाड तजकिरा पुं० [ अ ] चर्चा तजना स०क्रि० तजव्ं; छोडं तजम्मुल पुं० [अ.] शणगार ( २ ) शोभा तजर ( - रु) बा पुं० [अ] अनुभव (२) अजमायश; प्रयोग. ०कार पुं० अनुभवी माणस. ०कारी स्त्री० अनुभव तजल्ली स्त्री० [अ.] प्रकाश (२) ईश्वरी नूर, जेनुं मूसाने पर्वत पर मळेलुं तजवीज स्त्री० [अ.] मत (२) फेंसलो; निर्णय (३) बंदोबस्त ; तजवीज तजाबुज पुं० [ अ ] मर्यादानुं उल्लंघन; हद पार करवी ते
C
तजुर्बा पुं० जुओ 'तजरबा' तज्जार पुं० [.] 'ताजिर नुं ब०व० तज्ञ वि० तज्ज्ञ; तत्त्वज्ञ; ज्ञानी तट ुc[सं.] कांठो; किनारो (२) अ० पासे; नजीक
तटनी स्त्री० ( प. ) तटिनी नदी तटस्थ वि० [सं] पासे रहेनार ( २ ) निष्पक्ष निरपेक्ष [ तड पडवां तड़ पुं० नातनुं तड; विभाग. ०बंदी स्त्री० तड़कना अ०क्रि० तडकवं फट (२) तडूकवं, गुस्से थवुं (३) 'तड़का' - वघार देवो
तड़का पुं० सवार (२) धार (३) तडको तड़प स्त्री० तलप; कूद को (२) तडपवुं
२३६
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तदनंतर
- दुःखी थवुं ते; पीडा (३) वीजळाना चमकारो
तड़प ( - फ) ना अ०क्रि० दुःखथी तडफ तड़फड़ाना अ०क्रि० तडफडं; बेचेन थवं (२) स०क्रि० पजवबुं; रुताववुं तड़फना अ०क्रि० 'तड़पना'; तडफबुं तड़बंदी स्त्री० तड बंधाई जवां ते तड़ाक ( ०फड़ाक ) अ० तडाकभडाक; तुरन्त तडाक दईने [ तरत तड़ाका पुं० तडाको (२) अ० तडाक; तड़ाग पुं० [सं.] तळाव तड़ातड़ अ० तडफड; उपरारा उपरी तड़ावा पुं० उपरनो रोफ के मगरूरी तड़ित, -ता स्त्री० वीजळी तड़ी स्त्री० घोल; तमाचो (२) बहानुं ततारना स०क्रि० गरम पाणीथी झारखं ततैया स्त्री० 'भिड़'; भमरी तत्काल अ० [ सं . ] तरत; त्यारे - ते ज दखते. - लीन वि० त्यानं तत पुं० ( प. ) तत्त्र तत्ता वि० ( प. ) तप्त; गम तत्तार्थ स्त्री० ताताथेई ए नाचनो बोल तत्तोथंबी पुं० वच्चे पड़ी शांत पाडवुं ते तत्पर वि० [सं.] तत्पर; तैयार ( २ ) चतुर; निपुण
तत्त्व पुं० [सं.] तत्त्व; रहस्य. ०ज्ञ, ०ज्ञानी,
०दर्शी पुं० फिलसूफ; तत्त्वने जाणनार तत्वावधान पुं० [सं.] देखरेख; नजर तत्र अ० [ सं . ] त्यां तथा अ० [ सं . ] अने (२) ते प्रमाणे; तेम तथापि अ० [ सं . ] तो पण; छतां तथैव अ० [ सं . ] तेम ज तथ्य पुं० [सं.] सत्य; साचं; खरं तवं ( - दनं) तर अ० ते पछी; ते उपरांत
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तदनुरूप
तदनुरूप वि० [सं.] तेते मळतुं; तेनुं तदनुसार अ० [सं.] तेम; ते प्रमाणे तदपि अ० [ सं . ] ोपण; तथापि तदबीर स्त्री० [.] उपाय; युक्ति ( २ ) यत्न प्रयास ०ए सल्तनत स्त्री० राज्य प्रबंध; राजवहीवट तदरीज स्त्री० [ अ ] क्रमिकता तदरीस स्त्री० [अ.] भणाववुं ते तदर्थ अ० [सं.] ते माटे (२) खास; 'अॅड हॉक तदा अ० [ सं . ] त्यारे
C
तदाकार वि० [सं.] तेवुं ज; तद्रूप; तल्लीन तदबीर स्त्री [अ] 'तदबीर' तुं बं०व० तदारुक पुं० [अ.] बंदोबस्त ( २ ) दंड; सजा (३) शोध; तपास तदुपरांत अ० [ सं . ] ते उपरांत; वळी तद्भव वि० [[] मूनी बनेल (शब्द)
वि० [ i ] तेनुं ज; तदाकार [तिवुं तद्वत् अ०[सं.] तेमज ते नी जेम (२) वि० तन पुं० [फा.] तन; देह (२) अ० ( प. ) तरफ. - को लगना=असर पडवी ( २ ) ( खोराक ) शरीरने फाववो. -देना= ध्यान दे; तन देवूं तनकीहस्त्रो [अ] तपास ( २ ) मुकद्दमानो तपासा जेत्रो मुद्दो; 'इश्यु '
C
तनखत्रा (ख) ह स्त्री० [फा.] ततखो; पगार. व्दार पुं० पगारदार नजर अ० [अ०] कटाक्षमां; महेणा रूपे तनजीम स्त्रो० तंझीम; संगठन तन स्त्री० [फा०] एक जात तुं मलमल कपडुं [ पडती तनज्जुल पुं० [ अ ] -ली स्त्री० अवनति; तनतनहा अ० [का] साव एकलुं तनतना पुं० [अ] रोफ (२) क्रोध
२३७
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तन
तनतनाना अ०क्रि० रोफ के क्रोध देवाडवो
नदि वि० [फा.] तन दईने काम करनार तनविही स्त्री० जुओ 'तंदेही' तनना अ० क्रि० तणावुं ( २ ) अक्कड के टटार थवं ( ३ ) गर्व के क्रोधथी समां के अक्कड रहें
तनय पुं० [पं.] छोकरो; पुत्र. - या स्त्री० पुत्री [ 'नाना' तनवाना स०क्रि० 'तानना'नुं प्रेरक; तनसीख स्त्री० [अ.] रदबातल करवुं ते तनसीफ़ स्त्री० [ अ ] दुभागवुं - अधवारवं ते (२) भाग पाडवा ते तनसुख पुं० एक जातनुं कापड
हा वि० [फा.] तन्हा; एकलु; एकाकी तनहाई स्त्री [फा.] एकाकीपणु (२) एकांत तना पुं० [फा.] झाडतुं थंड (२) अ० तरफ; 'तन' [वेर; शत्रुता तनाजा पुं० [ अ ] झवडो (२) अदावत; तनाना स०क्रि० 'तनवाना'; तणाववुं तनाव स्त्री० [ अ ] तंबू बांधवानी रसी तनाव पुं० तणां ते; ताण (-)दोरी; रस्सी तनावर वि० [फा.] मोटुं (२) जब तनाबुल पुं० [अ.] ग्रहण करं ते ( २ ) खानुं ते [ के बोनुं शरीर लेबुं ते तनासुख पुं० [अ.] विनाश (२) रूपांतर तनासुल पुं० [ अ ] प्रजोत्पत्ति तनि ( ०क) वि० थोडुं; जरा तनिया स्त्री० लंगोटी (२) काछडो (३) चोळी [ 'तनिया' (३) अ० 'तनिक' तनी स्त्री० कपडानी कस (२) जुओ तनु पुं०;स्त्री० [ ं.] शरीर; बदन (२) वि० पातळं; कृश (३) कमळ; नाजुक (४) थांड
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तनुजा
तनुज पुं० [पं.] पुत्र. -जा स्त्री० पुत्री तनर पुं० [अ०] जुओ 'तंदूर' तनं पुं० ( प. ) तनयः पुत्र तनैया स्त्री० ( प. ) तनयाः पुत्री तन्जीम स्त्री० [अ.] जुओ 'तनज़ीम' तना पुं० ताणो
तन्नाना अ० क्रि० तणावुं (२) अक्कड थवुं तन्नी स्त्री० त्राजवानां दामणां तन्मय वि० [सं.] तद्रूप; तल्लीन; एकाग्र तप पुं० [पं.] तप (२) ताव तपन पुं० [सं.] तभवं ते; गरमी (२) सूर्य (३) स्त्री० गरमी ; दाह; ताप तपना अ० क्रि० तप; गरम अनुं (२) तप करवुं [ते; तपस्या तपश्चर्या, तपस्या स्त्री० [सं.] तप कर तपस्वी 0 [सं.] तप करनार (२) दीन; बिच रुं; गर: बडु ( माणस )
o
तपाक पुं०[फा.] आवेश; जोश (२) वेग पाना स०क्रि० तपाव; 'तपना' नुं प्रेरक तपिश स्त्री० [फा०] गरमी तपी पुं० तपस्त्री; तप करनार तपेदिक पुं० [फा.] क्षयरोग [मलेरिया तपे - लरजा पुं० [फा.] टाढियो ताव; तपोधन वि० [ i ] तपस्वी तपोबल पुं० [ नं.] तनुं बळ तपोवन पुं० [.] तप करवानुं वन; तपस्वीनो आश्रम [( ३ ) क्रोधे भरायेलुं तप्त वि० [स.] तपेलुं; गरम (२) दुःखी तफ़जील स्त्री० [अ०] श्रेष्ठता; मोटाई नफ़तीश स्त्री० [ अ ] तपास तफ़रक़ा पुं० [अ. तफ़रिकः] अंतर; फरक (२) फासला (३) वियोग तफ़रीक़ स्त्री०[अ.] वहेंचणी (२) वर्गीकरण (३) फरक (४) बादबाकी
२३८
तबाही
तफ़रीह स्त्री० [अ०] खुशी; प्रसन्नता ( २ ) हांसी (३) सहेल. ० अ० हांस खेलमा तफ़सील स्त्री० [अ.] तफसील; विगतवार
वर्णन (२) टीका; 'तशरीह '
तफ़ावत पुं० [अ०] फरक; अंतर ( २ ) दूर पडवुं ते; फासलो
तब अ'० ते वखते; त्यारे (२) तेथी तबअ स्त्री० [ अ ] प्रकृति (२) छाप; महोर ( ३ ) ग्रंथनी आवृत्ति तबई वि० [अ] प्राकृतिक तब पुं० [अ०] पृथ्वीनी उपर नीचे कल्पतो लोक (२) तबक; तासक ( ३ ) (सोनाचांदीनो) वरख. ०गर पुं० वरख
बनावनार
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तबक़ा पुं०[अ.] तबक्को; कक्षा; दरज्जो; (२) तह; थर (३) लोकसमूह ( ४ ) मकाननो माळ [ पुं० धर्मान्तर तबदील वि० [अ.] बदलायेलुं. ० मजहब तबदीली स्त्री० [फा.] फेरफार (२) बदली तबद्द (-द्दु)ल पुं० [4.] जुओ ' तबदीली ' तबर पुं० [फा.] कुहाडी (२) फरसी तब पुं० [अ.] घृणा धिक्कार [तबरूक तबर्रुक पुं० [अ.] आशीर्वाद (२) परसाद; तबल पुं० [फा.] मोटं ढोल (२) नगाएं तबलची, तबलिया पुं० तबलची तबला पुं० [ अ ]तबलु. - लिया पुं० तबलची तबलीग़ पुं० [ अ ] तबलीघ; धर्मान्तर कराव ते
तबस्सुम पुं० [अ.] मंद हास्य तबाक़ पुं० [ अ ] एक मोटी थाळी; तबट तबादला [.] 'तबदीली'; परिवर्तन तबाशीर स्त्री० [अ.] वांसलोचन औषधि तबाह वि० [फा.] बरबाद; नष्ट. ( नाम, -ही स्त्री०)
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तबीअत
२३९
तरकारी तबीअत स्त्री० [अ.] तबियत; मन; प्रकृति तमादी स्त्री० [अ.]. लेणदेण के दावानी (२) समज. (किसा पर) तबीअत आना मुदत जवी ते .. = चाहवं. -फड़क उठना = खूब तमाम वि० [अ.] तमाम बर; कुल (२) उत्साही के प्रसन्न थवू. -लगना-चाह पेदा थवी (२) ध्यान चोंटवू
पूरुं; संपूर्ण. -करना= पूरुं कर (२) तबीअतदार वि॰ [फा.] समजदार (२)
मारो नाखवू. -होना = पूरुं थर्बु (२)
मरी जवं भावुक; रसज्ञ तबीब पुं० [अ.] हकीम
तमाल पुं० [सं.] एक झाड तबेला पुं० तबेलो; घोडासर
तमाशगीर, तमाशबीन पुं॰ [फा. तमासो तब्दील,-ली जुओ 'तबदील', 'ली' जोनार (२) रंडीबाज; व्यभिचारी तभी अ०ए ज वखते; त्यारे ज(२)तेथोज ।
तमाशा पुं० [फा.] तमासी; खेल (२)
कौतुक; आश्चर्य तमंचा पुं० तु.] तनंचो; पिस्तोल
तमाशाई पुं० [अ.] तम.सो जोनार तम पुं० [सं.] तमस; अंधारु (२) तमोगुण
तमिल स्त्री० तामिल भाषा तमअ स्त्री [.]इच्छा (२)लालच लोभ
तमी स्त्री० [सं.] रात (२) हळदर तमक पुं० जोस; तीव्रता (२) क्रोध (३) [सं.] दम रोगनो एक प्रकार
तमीज स्त्री० [अ.] सारासार विवेक तमकना अक्रि० आवेश के क्रोधमां
(२) पारख; पिछान (३)ज्ञ.न(४)अदब भाव; 'त कना'
तमोगुण पुं० [सं.] प्रकृतिना त्रणमांनो तमगा पुं० [तु.] चांद; चंद्रक (२) महोर । एक गुण; तामस. -णी वि० तमनु (-चो) र पुं०(प.) कूकडो; मरघो।
तमोर, -ल पुं० (प.) तांबुल; पान तमतमाना अक्रि. ताप के क्रोधथी तमोली पुं० तंबोळी (स्त्री० -लिन) चहेरो लाल थवो
तय वि० [अ.] समाप्त(२)निश्चित(३) तमद्दन पुं० [अ.]नागरिकता(२)संस्कृति निर्णीत; फैसलो करेलु तमन्ना स्त्री० [अ.] इच्छा; आतुरता तरंग स्त्री० [सं.] पाणीनी लहरी, मोजें तमलेट पुं० जुओ 'तामलेट'
(२) उमंग; लहेर (३) विचारनो तरंग तमसील स्त्री० [अ.]उदाहरण(२)उपमा तरंगिणी स्त्री० [सं.] नदी तमस्खुर पुं० [अ.] हांसी
तरंगित वि॰ [सं.] लहेरो खातुं; डोलतुं; तमस्सुक पुं० [अ.] दर तावेज
ऊछळतुं
[मनस्वी तमहोद स्त्री० [अ.] भमिका; प्रस्तावना तरंगी वि० [सं.] तरंगवाळु (२) लहेरी; तमाँ (-मा)चा पु० [फा.] तमाचो. तर वि० [फा.] भी- (२) चीकटवाळं;
-जड़ना= तमाचो मारवो [इच्छा मालदार (३) स्त्री० काकडी तमा स्त्री० [अ. तमअ] लालच; लोभ(२) तरकश,-स पुं० [फा.] तरकस; भाथो तमाकू पुं० तमाकु.-चढ़ाना, -भरना । तरका पुं० [अ.] वारसो -चलम के हूको भरवो
तरकारी स्त्री० [फा.] शाक (२) (हिंदु तमाचा पुं० जुओ 'तमांचा'
लोकमां) मांस
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तरकीब
तरकीब स्त्री० [अ.] मेळ (२) रचना (३) युक्ति
तरक्क़ी स्त्री० [ अ ] आबादी; उन्नति तरखान पुं० सुतार [ते (३) आकर्षण तरतीब स्त्री० [.] उत्तेजन (२) उश्रखं तरजना अof aढ (२) गुस्साथी कहेवुं तरजीह स्त्री० [ अ ] महत्त्व देवूं ते तरजुमा पुं० [प्र.] तरजुमो; भाषांतर तरजुमान पुं० [ 7.] तरजुमो करनार (२)
अ०
वक्ता
२४०
तरणि पुं० [.] पूर्व (२) स्त्री० नाव; होडी तरतीब स्त्री० [t.] क्रम; व्यवस्था तरतीबवार अ० क्रतवार [ पापी तर दामन वि० [फा०+.] अपराधी (२) तरदीद स्त्री० [.] खंडन ( २ ) रदियो तरद्दुद्द पुं० [ अ ] चिंता; फिहर; अंदेशो तरना अ०क्रि० तरखुं (२) ०क्रि० तळवुं तरपर अ० उपर नीचे (२) एक पछी एक तरफ़ स्त्री० [ अ ] बाजु (२) पक्ष. ०दार वि० पक्षपाती. ०दारी स्त्रो० तरफेग; पक्षपात
तरफ़ पुं० [अ. 'तरफ' नुं ब०व०] वेउ पक्ष तरब स्त्री० [ अ ] प्रसन्नता; खुशी तर-बतर वि० [फा.] भी जाये कुं: भीनं; तर तरबियत स्त्री० [अ०] तालीम; केळवणी (२) पालनपोषण; उछेर
तरबूज पुं० 'तबूज़'; तरबूच तरमीम स्त्री० [अ०] सुवारी; 'संशोधन' तरल वि० [.] चपळ; चंचळ (२) प्रवाही (३) पोलुं
तरवर पुं० (न.) तरुवर; मोद्धुं झाड तरवरिया, - हा पुं० तलवार चलावनार तरवा पुं० जुओ 'तलवा' तरवार स्त्री तरवार; समशेर
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तरेटी
तरस पुं० दया. - खाना = (कोई पर) दया खात्री
तरसना अ०क्रि० तरसत्रं; तलसवं शंख बुं तरह स्त्री० [अ ] तरेह; भात प्रकार (२) as; पायो (३) रोत; ढंग (४) युक्ति; उपाय (५) हाल नशा (६) पादपूर्ति माटे आपेलुं पाद. - देना=जवा देवु; टाळत्रु;
ध्यान न आप
तरही स्त्री० तळेटी (२) नीची जमीन तरहदार वि० [फा.] सुंदर बनावटनं (२) शोखीन [ खोज तराई स्त्री० तळेटीनो प्रदेश (२) हाडनी तराजू पुं० [फा.] त्राजवं तराबोर वि० तरबोळ तरारा पुं० छलंग; कूदको तरावट, -त [अ तरावत] स्त्री० भीनाश (२) तर भजन [प्रकार (३) ढंग तराश स्त्री० [फा.] काप (२) रचनानो तराशना स०क्रि० कापबुं तरियाना स०क्रि० नीचे-तळे करवुं के बेसाड (२) ढांक छुनावधुं (३) अ०क्रि० नीचे ठर
तरी स्त्री० भीनाश (२) ठंडक (३) भीनाश भूमि (४) 'तराई ; तळेही (५) [सं.] होडी
तरीक़ा पुं० [ अ ] रीत; ढंग (२) प्रगाली (३) उपाय; तरीको
तरु पुं० [.] झाड तरुण वि० [.] जुवान (२) नवुं. - णाई स्त्री० तरुगपणुं -णी स्त्री० युवती तरुन वि० ( प. ) तरुग. - नाई स्त्री०, - नापन,. - नापा पुं० युवावस्था तरे अ० तळे; नीचे नरेटी स्त्री० तळेटी; 'तराई'
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तरेरना २४१
तलोंछ तरेरना स०क्रि० तरेरं थवू; गुस्सामा तलब स्त्री० [अ.] तपास; शोध (२) आंखो ततडाववी
तलप; इच्छा (३) जरूर; मांग (४) तरोई स्त्री० जुओ. 'तुरई'
पगार (५) बोलावq ते. -करनातर्क पुं० [अ.] त्याग (२) [सं.] तर्क; पासे बोलाव. ०गार, ०दार वि० विचार; दलील (३) टोणो; कटाक्ष चाहनार; इच्छुक. दास्त, नामापुं० तर्फश पुं० [फा.] तरकस; भाथो समन्स [अदालतने अपातोखरच ती पुं० [सं.] तर्क करनार तलबाना पुं० [फा. साक्षीओ बोलाववा तर्कमवालात पुं० [अ.] असहकार ___ तलबी स्त्री० [अ.] मांग (२) बोलावते तर्ज पुं० [अ.] प्रकार; तरेह (२) रीत; तलबेली स्त्री० तालावेली; चटपटी रंग (३) रचना
तलवा पुं० पगनुं तळियु. -खुजलाना तर्जन पुं० [सं.] डराववं, धमकावq ते मसाफरीमा जवान थवं (२)पगे झामरो (२) क्रोध (३) तिरस्कार.०गर्जन पुं०
होवो-मुसाफरीनी आदत पडी जवी. 'डॉट-फटकार'; धाकधमकी
तलवे चाटना=अति खुशामत करवी. तर्जना सक्रि० धमकाव; वढवू तलवे छलनी होना-खुब चालीने तर्जनी स्त्री० [सं.]अंगूठा पासेनी आंगळी तळियां चाळणी थई जवां. तलवोंसे तर्जुमा पुं० [अ.] 'तरजुमा'; तरजुमो आग लगना-भारे क्रोध चढवो । तर्पण पुं० [सं.] तृप्त करवं ते (२) तलवार स्त्री० [फा. तरवार; खडग
तर्पण करवानो विधि - जलांजलि तलहटी स्त्री० तळेटी तबूंज पुं० [फा. तर्बुज़] तडबूच तला पुं० तळियुं (२) सखतळी तर्रार वि० [अ.] वाचाळ (२) चपळ तलाक पुं० [अ.] तल्लाक: फारगती तल पुं० [सं ] तळियु (२) सपाटी (३)
तलातम पुं० [अ.] मोठं मोजु; लोड हयेळी (४) 'तला'; नीचेनो भाग तलाफ़ी स्त्री० [अ.] निवारण; प्रायश्चित्त (जेम के माळ, मजलो)
(२) नुकसानीनी भरपाई । तलक अ० 'तक'; लगी; सुधी तलाव पुं० 'तालाब'; तळाव तलकोन स्त्री० [अ.] शिखामण; समजण तलाश स्त्री०[तु.] तलाश; खोज (२) तलख वि० जुओ 'तल्ख'
जरूर; आवश्यकता तलछट स्त्री० प्रवाही नीचे ठरतो कांप तलाशी स्त्री० [फा.] तपास; खोळ के काटेडो
तली स्त्री० तळियु (२) तळिये ठरेलो तलना सक्रि० तळवं
कचरो; 'तलछट' तलपट वि० 'चौपट'; नष्ट; बरबाद; तले अ० तळे; नीचे. ऊपर अ० तळे
वळियाझाटक [स्त्री० बरबादी उपर (२) ऊलटपुलट तलक वि० [अ] जुओ 'तलपट'. -फ्री तलेटी स्त्री० तळियु (२) तळेटी तलफना अ०क्रि०जुओ'तड़पना';तलफवं तलैया स्त्री० तलावडी तलपज पुं० [अ.] उच्चारण तलौंछ स्त्री० जुभो 'तलछट हिं-१६
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२४२
तसव्वुफ़ तल्ख वि० [फा.] कडवं (२) बेस्वाद (३) तशरीफ़ स्त्री० [अ.] मोटाई; महत्ता.
अप्रिय .. [माळ; मजलो -लाना-पधारवं.-रखना=बिराजवू तल्ला पुं॰ अस्तर (२) सखतळी (३) । तशरीह स्त्री० [अ.] टीका; टिप्पण (२) तल्ली स्त्री० सखतळी; 'तला' शरीरशास्त्र तवक्का स्त्री० [अ. तवक्कुअ] आशा . तशवीश स्त्री० [अ.] फिकर; चिंता तवक्कफ पुं० [अ.] विलंब; वार तश्त पुं० [फा.] थाळी; टाट (२) तवक्कुल पुं० [अ.] ईश्वरश्रद्धा (२) ___ जाजरूनुं तस्तान परमार्थ दृष्टि
तश्तरी स्त्री० [फा.] रकाबी तवज्जह स्त्री० [अ.] ध्यान (२) कृपादृष्टि तस वि० (२) अ० (प.) तेवं; 'तैसा' तवना अ०क्रि०, तवायूँ; तपq [जनम, तसकोन स्त्री० [अ.] तसल्ली; दिलासो तवल्लुद वि० [अ.] जन्मेलं. -होना । तसदीअ(ह) स्त्री० [अ.] माथु दुखवू तवा पुं० तवो. -सा मुंह होना = काळू ते (२) तस्दी [समर्थन (३) साक्षी मोढुं थवं. तवेकीबूंद=क्षणवार टकनारुं तसवीक स्त्री० [अ.]सत्यता (२)प्रामाण्य; (२) जेनाथी जराय तृप्ति न वळे एवं तसद्दुक पुं० [अ.] दान (२) बलिदान तवाजा स्त्री० [अ.] आदर (२) आतिथ्य तसनीफ़ स्त्री० [अ.] ग्रंथ-रचना; पुस्तकतवाना वि० [फा.] बळवान (नाम,-नाई) लेखन
[देखाडो; दंग तवायफ़ स्त्री० [अ. 'ताइफ़:'मुंब.व.] तसना पुं० [अ. तसन्नुअ] आडंबर; वेश्या (२) तायफो (गानार बजाव- तसफ़िया पुं० जुओ 'तस्फ़िया' नारनी टोळी)
तसबीह स्त्री० [अ.] तसवी; माळा तवारा पुं० (प.) ताप; ताव तसमापुं० [फा. चामडानो पटो.-खींचमा तवारीख स्त्री० [अ.] इतिहास. -खी
= गळं दबावी देव; गळे फांसो नांसी वि० [अ.] ऐतिहासिक
मारवं.-लगा न रखना=गळ उडावी देवं तवालत स्त्री० [अ.] लंबाई(२)अधिकता तसर्राफ़ पुं० [अ.] खर्च (२) उपयोग (३) (३) झंझट; आपत्ति
चमत्कार तवील वि० [अ.] लांचं
तसला पुं० तांसळं (स्त्री० -ली) तवेला पुं० [अ. तवेल] तबेलो तसलीम स्त्री० [अ.] सलाम; प्रणाम (२) तशखीस स्त्री० [अ.] ठराव (२) रोग- स्वीकृति निदान
तसल्ली स्त्री० [अ.]तसल्ली; दिलासो(२) तशदीद स्त्री० [अ.] कठोरता; सखताई; धीरज.-दिलाना-हिलासो आपवो
अत्याचार (२) लेखनमां अक्षरनं द्वित्वे तसवीर स्त्री० [अ.] छबी; चित्र. सूचववा फारसी लिपिमां वपरातुं चिह्न -उतारना, -खींचना, -निकालना तशद्दद पुं० [अ.] 'तशदीद'; कठोरता __ छबी के चित्र पाडवू. -बन जाना= तशती स्त्री० [अ.] सांत्वन (२) संतोष साव बनी जदूं। तशबीह स्त्री० [अ.] उपमा (२) उदाहरण तसव्वुफ़ पुं० [अ.] जुओ 'तसौवुफ़'
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तसव्वुर
'तसव्वुर पुं० [अ.] ख्याल; कल्पना ( २ ) सूझ (३) ध्यान [साथ तपास ते तसहीह स्त्री० [अ.] शुद्ध करवुं ते (२) मूळ तसु ( - स्स्) पुं० तसु
तसौवुफ़ पुं०' तसव्वुफ़ '; गूढवाद; सूफीवाद (२) ईश्वरपरायणता [स्त्री तस्कर पुं० [सं.] चोर. -री स्त्री० चोर तस्दीअ स्त्री० जुओ 'तसदीअ' तस्क्रिया पुं० [ अ ] साफ के स्वच्छ कर ते (२) झघडानो निपटारो तह (०वाँ, - हाँ) अ० तहीं; त्यां तह स्त्री० [अ०] थर (२) पातळं पड (३) तळियं (४) गडी. - करना = गडी करवी; वाळवू. - का सच्चा = साचा दिलनुं ( माणस ) - की बात = गुप्त वातरहस्य. - तक पहुँचना = मर्म पामवो. - तोड़ना = झघडो पताववो. -देना (किसी चीज़ की ) =थर लगाववो; उपर चोपड
तहक़ीक़ ( -क़ात ) स्त्री० [अ.] शोधखोळ तहक़ीर स्त्री० अपमान; बेआबरू तहखाना पुं० [फा.] भोंयरु
तहजीब स्त्री० [ अ ] शिष्टाचार ( २ ) सभ्यता; संस्कृति [सभ्य तहजीब-याफ़्ता वि० [ अ. +फा.] शिष्ट तहत पुं० [अ.] अखत्यार (२) अधीनता तहत उस्सरा स्त्री० [अ.] पाताळ तह - दर्ज वि० [फा.] बिलकुल नवं तहपेच पुं० [फा.] पोतानुं तहफ्फुज पुं० [अ.] बचाव; रक्षण; सलामती तहबंद पुं० [फा.], तहमत ( ब ) स्त्री० लुंगी तहरीक स्त्री० [ अ ] आंदोलन (२) केरणी (३) प्रस्ताव; ठराव तहरीर स्त्री० [ अ ] लेखन शैली के लेख
२४३
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ताँती
तहरीरी वि० [फा.] लेखित (जेम के पुरावो) तहलका पुं० [ अ ] मोत ( २ ) बरबादी (३) हिलचाल ; खळभळाट तहलील स्त्री० [अ.] पीगळवं ते ( २ ) पचबुं [ (३) खजानो तहवील स्त्री० [ अ ] सुपरत ( २ ) अनामत तहस-नहस वि० बरबाद; खेदानमेदान तहसीन स्त्री० [ अ ] तारीफ; प्रशंसा; शाबाशी
तहसील स्त्री० [अ] महसूल उपरावनुं ते (२) तहसील; तालुको के महेसूल (३) महेसूलनी कचेरी. ०दार पुं० [फा.] मामलतदार; महालकारी तहसीलना स० क्रि० वसूल करवु उघराव
तहाँ अ० त्यां; तहीं
तहाना स० क्रि० लपेटवुं [ दरकार तहाशा पुं० [ अ ] डर; बीक (२) परवा; तहिया, -याँ अ० (प.) त्यारे; ते वखते वहीं अ० . त्यां ज; तहीं ज; 'वहीं' तही वि० [फा.] रहित; वगरतुं. जेम के, तही दस्त - खाली हाथनुं; निर्धन. तही-मग्ज= मूर्ख
तोबाला वि० [फा.] ऊंधुं चतं (२) बरबाद ताँई अ० जुओ 'ताई'
ताँगा पुं० 'टाँगा'; टांगो; घोडागाडी तांडव पुं० [सं.] तांडव नृत्य; पुरुषनुं नृत्य ताँत, ०ड़ी स्त्री० तांत (२) तंतु; दोरी (३) पणछ (४) साळनुं राच. -सा= बहु दुबळं पाळं
ताँता पुं० पंक्ति; हार. - बाँधना -हार करवी; हारमां ऊभा रहेवुं ताँती स्त्री० पंक्ति (२) ओलाद; पेढी (३) पुं० वणकर
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तांत्रिक
२४४
ताजीरी तांत्रिक वि० [सं.] तंत्र संबंधी (२) पुं० ताका पुं० [अ.] ताको; कपडा, 'यान'
तंत्रविद्या-यंत्रमंत्र जाणनार ताकि अ० [फा.] जेथी करीने ताँबा पुं० तांबु धातु [पुं० तंबोळी ताकीद स्त्री० [अ.] ताकीद; चेतवणी. तांबूल पुं० [सं.] पान; पानबीडी. -ली -करना ताकीद आपवी ता अ० [फा.] तक'; सुधी (२)[सं.] वि० ताकीदन् अ० ताकीदथी; आग्रहपूर्वक उपरथी भाववाचक नाम बनावतो ताकीदी वि० [अ.] ताकीदन; जरूरी प्रत्यय
[उपासना । ताखीर स्त्री० [अ.] वार; विलंब ताअत स्त्री० [अ.] सेवाचाकरी (२) ताग(-गा) पुं० तागडो; दोरो ताई अ० प्रति; पासे; तरप तागड़ी स्त्री० कंदोरो (२) केडनो दोरो ताई स्त्री० मोटी काकी (२) तावली
तागना स०क्रि० (गोदडा इ० मां) दोरा (३) टाढियो ताव [टेको नांखवा [पहेरावाय छे) ताईद स्त्री० [अ.] तरफदारी; समर्थन; तागपाट पुं०गळानुं एक घरेणु(विवाहमा ताऊ पुं० मोटा काका
तागा पुं० 'ताग'; दोरो ताऊन पुं० [अ] प्लेग; मरकी
ताज पुं० [अ.] बादशाहनो मुगट (२) ताऊस पुं० [अ.] मोर (२) ताऊस वाद्य.. कलगी (मोर,मरघा इ०नी)(३)आग्रा-सी वि० मोर जेवू के तेना रंगर्नु ।
नो ताजमहाल. ०दार पुं० बादशाह ताक पुं० [अ.] ताकुं (२) वि० एकी (३) ताजगी स्त्री० [फा.] ताजगी; ताजापर्यु अद्वितीय; अजोड. -पर धरना या
ताजन, ना पुं० चाबुक; कोरडो रखना = पडओँ रहेवा देवू; काममां । ताजा वि० [फा. ताजु; तरत थयेलं; न लेवं.-भरना=(पीर के देव इ०नी)
न; लीलु (२) थाक वगरनु; प्रफुल्ल मानता पूरी करवी
(३) वासी नहि; तरतर्नु; सोनुं ताक स्त्री० ताकवू ते (२) स्थिर दृष्टि
ताजा-दम वि० [फा.] तत्पर; तैयार (३) ताक; तक; लाग (४) तलाश. -में
ताजियत स्त्री० [फा.) मरणनो दिलासो रहना= लाग जोता रहे. -रखना,
देवा जव ते; उठमणं लगाना= लाग ताकवो
ताजिया पुं० [अ.] ताजियो; ताबूत ताक़-जुफ्त पुं० [फा.हाथमां कोडी इ०
ताजियाना पुं० चाबुक; साटको के तेना राखी रमाती एकीबेकीनी रमत
फटकानी सजा ताक-झांक स्त्री वारंवार के छुपुं जोवू ते
ताजिर पुं० [अ.] वेपारी ताकत स्त्री० [अ.] ताकात; शक्ति; बळ
ताजी पुं० [फा.] अरबी घोडो (२) ताक़तवर वि० [फा.) ताकातवाळं;
स्त्री०अरबी भाषा [सभ्यता; विवेक बळवान ताकना सक्रि० ताक; एकीटसे जोवू
ताजीम स्त्री० [अ.] ताजीम; अदब; (२) ध्यानथी जोवू; विचार (३)
ताजीमी सरदार पुं० प्रतिष्ठावानपहेलेथी जोई राखq (४) जोता रहे; मोटो सरदार [वि० फोजदारी नजर राखवी; संभाळवू
ताजीर स्त्री० [अ.] दंड; सजा. -री
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ताबीरात
ताजीरात स्त्री० [अ.] फोजदारी कायदानो संग्रह. - हिंद - हिंदनो फोजदारी कायदो ताज्जुब पुं० [ अ ] 'तअज्जुब '; ताजुबी ताड़ पुं० ताडनुं झाड
ताड़ना स०क्रि० मारखं; पीटवु; मारी
हाaj (२) समजी जव; कळी जवुं; पामी जवुं (३) स्त्री० मारपीट, धाकधमकी [झाड ताड़ी स्त्री० ताडी (२) एक नानुं ताडनं तात पुं० [सं.] तात; पिता ( २ ) वहालनु संबोधन - बेटा जेवुं
ताता वि० तातुं तपेलुं; गरम ताताई स्त्री० नृत्यनो बोल - ताताई; तातार्थया
तातील स्त्री० [ अ ] रजा; छुट्टी तात्कालिक वि० [सं.] तात्काळिक; ते वखतनुं
तात्त्विक वि० [सं.] तत्त्व के तत्त्वज्ञान संबंधी (२) यथार्थ; वास्तविक तात्पर्य पुं० [ सं . ] अर्थ; आशय; मतलब; भावार्थ (२) तत्परता ताथेई स्त्री० ताताथेई
तादात्म्य पुं० [सं.] अभेद; एकरूपता तादाद स्त्री० [अ०] संख्या; गणतरी तादृश वि० [सं.] तेवुं; तेना जेवुं ताथा स्त्री० ताताथेई
तान स्त्री० ताणवुं ते; खेंच (२) संगीतनी
तान, आलाप
तान पुं० [अ] ठपको; ताणो; महेणु; निंदा. (किसी पर) तान तोड़ना = (कोईनं) बूरुं बोलवु [नाखवु तानना स०क्रि० ताणवुं खेंचवं (२) केदमां तानपुरा पुं० तानपूरो; तंबूरो तान-बान पुं० ( प. ) जुओ ' ताना-बाना'
२४५
ताबेदारी
ताना पुं० ताणो (२) स०क्रि० ताववुः तपावनुं (३) पुं० [ अ ] ताणो; महेणुं ताना-बाना पुं० ताणो-वाणी. - करना =
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काम अहींतहीं भटकवुं के फेरा खावा तानारीरी स्त्री० साधारण गावं ते तानाशाही स्त्री० आपखुदी सरमुखत्यारी
तानी स्त्री० ताणी; ताणानुं सूतर ताप पुं० [सं.] ताप; गरमी (२) ताब (३) कष्ट; पीडा
तापतिल्ली स्त्री० प्लीहानो रोग तापना अ०क्रि० तापवुं ( २ ) स०क्रि० फूंकी मारखं; नाश करवु तापमान पुं० [ सं . ] ताप के तावनुं माफ, तेनी डिग्री
तापयंत्र पुं० [ सं . ] थरमॉमीटर तापस पुं० [सं.] तपस्वी (२) बगलो.. -सी स्त्री० तपस्वी स्त्री
तापस्वेद पुं० [सं.] कोई रीते गरमी आपी निपजावेलो परसेवो ताफ्ता पुं० [फा.] ताफतो; टाफेटो ताब स्त्री० [फा.] ताप (२) चमक ( ३ ) शक्ति (४) धैर्य
ताबड़तोड़ अ० लगातार; एक पछी एक; (२) झट झट; ताबडतोब ताबदान पुं० [फा.] बारी के प्रकाश माटेनी जाळी
ताबा, - बे वि० [अ. ताबिअ ] ताबामां रहेतुं, आधीन; आज्ञांकित ताबीर स्त्री० (स्वप्ननुं शुभ-अशुभ) फळ ताबूत पुं०[अ.] 'जनाज़ा'; ठाठडी (२) ताबूत; ताजियो ताबेदार वि० ताबामा रहेनारुं (२) पुं० नोकर. -री स्त्री० नोकरी
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ताम
ताम पुं० तामस; क्रोध (२) तमस; अंधारुं ( ३ ) वि० भीषण (४) पुं० [सं.] दोष; विकार (५) दुःख (६) [अ.] भोजन; खावुं ते
२४६
तामजान, तामझाम, तामदान पुं० एक प्रकारनी खुल्ली पालखी - खुरशीघाटनी डोळी
तामड़ा वि० तांबाना रंगनुं [टमलर तामले (-लो) ट पुं० [इं. टंबलर ] टिननुं तामस वि० [सं.] तमोगुणी (२) पुं० तमोगुण; क्रोध (३) अंधकार; अज्ञान; मोह तामसी स्त्री० अंधारी रात ( २ ) महाकाळी (३) वि० स्त्री० तमोगुणी तामिल स्त्री० तामिल भाषा; 'तमिल' (२) ते बोलनार लोक
तामीर स्त्री० [अ०] बांधकाम ( मकाननुं) तामीरी वि० [फा.] रचनात्मक तामील स्त्री० [अ.] ( आज्ञा ) पालन; अमल करवो ते [आनाकानी ताम्मुल पुं० [अ.] संदेह; दुविधा; ताम्र पुं० [ सं . ] तांबुं. ०पत्र पुं० तांबा लेख तायफ़ा पुं० [स्त्री० [फा.] वेश्या (२) गानारनी के वेश्यानी मंडळी (३) फिरको; जथो
तायर पुं० [ अ ] ऊडनार ( २ ) पक्षी ताया पुं० (स्त्री० ताई) 'ताऊ' ; मोटाका का तार पुं० धातुनो, वाद्य इ०नो तार ( २ )
जळीनो तार के ते द्वारा मोकलातो संदेश (३) तंतु; ताग (४) वि० तार ( स्वरनं ). - जमना, बैठना या बँधना= बेंत बेसवो; बरोबर गोठवाव तारक पुं० [सं.] तारो (२)तारनार; उद्धारक तारकश पुं० तारकस; तार खंचनारो. -शी स्त्री० तेनुं काम के धंधो
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तालमेल
तारघर पुं० तार ऑफिस तारण पुं० [सं.] तारखं ते; उद्धारण तारतम्य पुं० [सं.] ओछावत्तापणा मुजबनो क्रम
तारना स० क्रि० तारखं; उद्धारखं तारपीन पुं० टर्पेन्टाईन [तार तार-बक़ पुं० वीजळीथी खबर देनारो तारा पुं० [सं.] तारो. - गिनना - ऊंघ वगर
रात काढावी. - टूटना=तारो खरवो. तारे तोड़ लाना=भारे के चालाकीन काम कर. ०पथ पुं० आकाश ताराज पुं० [फा.] लूंटफाट (२) ताराज थवुं ते; नाश; खुवारी तारिक वि० [ अ ] त्यागी ((२) काळं तारीक़ वि० [फा.] ( नाम, -क़ी) अंधारुं तारीख स्त्री० [फा.] महिनानी तारीख (ईस्वी के इस्लामी पंचांगनी ) . - डालना = तारीख नाखवी - नक्की करवी (कोई काम माटे ) - पड़ना = तारीख पडवीनक्की थवी
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तारीफ़ स्त्री० [अ.] लक्षण (२) विशेषता; गुण (३) वर्णन (४) तारीफ; प्रशंसा तारुण्य पुं० [ सं . ] जुवानी तार्किक पुं० [सं.] तर्कशास्त्री ( २ ) तत्त्ववेत्ता ताल पुं० संगीतनो ताल (२) ताळी (३) हथेळी (४) मंजीरा (५) ताळं (६) तळाव (७) ताडवृक्ष ठोंकना =लडवाने आह्वान देवुं तालअ पुं० [ अ ] नसीब; भाग्य [ वगर ताल - बेताल अ० टाणे-कटाणे; ठेकाणा तालमेल पुं० ताल - सूर मेळववो ते (२) योग्य अवसर ( ३ ) बरोबर योजना; तालमेल. - खाना = ताल के मेळ खावो; संयोग लागवो
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नी
२४७
तितिक्ष ताला पुं० ताळं. ०कुंजी स्त्री० ताळा- ताश (-स) पुं० [अ.]एक प्रकार- कसबी कूची (२) एक बाळरमत
कपडु (२) गंजीफो तालाब पुं० तळाव
ताशा (-सा) पुं० [अ.तासः]ताछु;तासं तालाबेली स्त्री० 'तलबेली'; तालावेली तासीर स्त्री० [अ.असर; प्रभाव; फळ; तालिका स्त्री० इंची (२) सूची; परिणाम; गण
अनुक्रमणिका (३) यादी. [मागनार तासु स० (प.) तेनु 'उससे' तालिब पुं० [अ.] शोधनार (२) पूछनार; तासू (-सों) स० (प.) ते वडे के प्रत्ये; तालिब-इल्म पुं० [अ.] विद्यार्थी तास्सुब पुं० जुओ 'तअस्सुब' ताली स्त्री० [सं.] कूची (२) ताडी (३) ताहम अ० [फा.] तोपण ताळी (४) नानु 'ताल'-तळावडी. •ताह (-हि)री स्त्री० [अ.] एक प्रकारनी -पीटना, बजाना हसी काढq.-बज खीचडी जाना-हसवामां जवं
तितिड़ी स्त्री० [सं.] आमली तालीफ़ स्त्री० [अ.] संग्रह-ग्रंथ रचवो ते तिकड़म पुं० तिकडम; युक्ति; चालाकी.
(२) बे वच्चे मेळ के एकता करवी ते बाज,-मी वि० तिकडम करनार तालीम स्त्री० [अ.] शिक्षण; केळवणी तिकोन (-निया) वि० त्रिकोण तालु (-लू) पुं० ताळवं. -में दांत तिक्की स्त्री० पत्तांनी तीरी-तरियो जमना = खराब दहाडा आववा. -से । तिक्त वि० [सं.] तीखु (२) कडवू जीभ न लगना = बोल्या करवं; जीभ तिखाई स्त्री० तीखाश; तीखापणुं झाली न रहेवी
तिगुना वि० तगणुं तालुका पुं० तालुको पैसादार तिजरा पुं० जुओ 'तिजारी' तालेवर वि० [फा.]तालेवान;नसीबदार; तिजारत स्त्री० [अ.]वेपार;धंधोरोजगार ताल्लुक पुं० जुओ 'तअल्लुक तिजार पुं०, तिजारी स्त्री० त्रीजे दिवसे ताव पुं० ताप; गरमी (२) अधिकार आवतो ताव के सत्तानो गर्व (३) गुस्सो (४) ताव तिजोरी स्त्री० लोढानी तिजोरी (कागळ); ता. -आना = जोईए तेवू तिडी-बिड़ी वि० छिन्नभिन्न; अस्ततपq (२) गुस्से थQ. -खाना= गरम व्यस्त; वेरणछेरण थ.-देना= गरम करवं. मूछों पर तित अ० (प.) त्यां (२) ते बाज़ ताव देना-मूछ पर ताल देवो.-चढ़ना तितर-बितर वि० वेरणछेरण; आमतेम; =प्रबल इच्छा थवी
अस्तव्यस्त ताव-भाव पुं० लाग; मोको
तितली स्त्री० पतंगियु तावर,-री स्त्री० ताप; गरमी (२)ताव । तित-लौकी स्त्री० कडवी तूमडी के दूधी तावान पुं० [फा.] नुकसानीनी भरपाई; तितारा पुं० त्रण तारन वाद्य दंड ,
तितिक्षा स्त्री० [सं.] सहनशीलता (२) तावीज पुं० [अ. तअवीज] तावीज क्षमा. - वि० ते गुणवाळं
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तितिम्मा
२४८
तिलंबाना तितिम्मा पुं० [अ.] बचत; परिशिष्ट तिरछोहां वि० जरा तीरछं तिते वि० (प.) 'उतने'; एटलं तिरछोहैं अ० वांकथी; वक्रतापूर्वक तितेक वि० (प.) 'उतना'; एटलं तिरना अ० क्रि० तरवू तितै अ० (प.) त्यां
तिरनी स्त्री० घाघरानु नाडु तितैया पुं० भमरी
तिरपट वि० तीरछु (२) कठण; मुश्केल तितो वि० (प.) 'उतना'; एटलं तिरपन वि०. पन; ५३ तित्तर-बित्तर वि० जुओ 'तितर-बितर' तिरपाई स्त्री० त्रिपाई तिथि स्त्री० [सं.] मिति; देशी तारीख. तिरपाल पुं० छापराना छाजनां सांठी पत्र पुं० पंचांग
वगेरे (२) शणनी ताडपत्री तिदरी स्त्री० त्रण बारणांवाळो ओरडो
तिरमिरा पुं० आंखे अंधारां आववां के तिधर अ० त्यां; 'उधर' थोर __ खूब प्रकाशमां अंजावू ते (२) तिधारा पुं० [सं. त्रिधार] एक जातनो पाणी उपर चीकटनुं बुंद तिन स० [प.] 'तिस' नुं ब० व० तिरमिराना अ०क्रि० आंखो अंजावी तिनक (-ग)ना अ० क्रि० चिडावू तिरयाक (-क) पुं० [अ.] सापनो महोरो तिनका पुं० तृण (२)तणखलं.-तोड़ना (२) सर्व रोगनी रामबाण दवा -संबंध तोडवो (२) नजर न लागे एम तिरस्कार पुं० [सं.] अपमान; अनादर करवं के इच्छQ (स्त्री बाळकने करे छे (२) धिक्कार तरछोडायलं ते). तिनकेको पहाड़ करना = रजनं तिरस्कृत वि० [सं.] अपमानित; गज करवू टेबल; त्रिपाई तिरानवें वि० त्राणुं; ९३ ।। तिपाई स्त्री० त्रण पायानी घोडी के तिराना सक्रि० तराव, (२) तारवं तिफ़्ल पुं० [अ.] बच्चुं; बाळक तिरासी वि० श्यासी; ८३ तिबाबत स्त्री० [अ.] तबीबी; वैदूं। तिराहा पुं० त्रिभेटो तिबारा अ० त्रीजी वार
तिरिया स्त्री० (प.) स्त्री तिब्ब स्त्री० [अ.] हकीमी. -ब्बिया, तिरेन्दा पुं० समुद्रमा तरतुं रखाचं -बी वि० हकीमी संबंधी
नीचेना पहाड के विघ्ननु निशान; तिमि अ० (प.) तेम; तेवी रीते 'बॉय' (२) जाळमां माछली फसाई तिमिर पुं० [सं.] अंधारूं
एम बतावनार तरतुं रखातुं चिह्न तिमुहानी स्त्री० त्रण मों-मार्ग के तिरोवान, तिरोभाव पुं० [सं.] अदृश्य फाटकवाळं स्थान
थई जवू ते [(२) ढंकायेलं तिय (-या) स्त्री० त्रिया; स्त्री तिरोभत, तिरोहित वि० [सं.] अदृश्य तिरकुटा पुं० त्रिकटुं; सूंठ मरी ने पीपर। तिर्यक् वि० [सं.] तीरछु; वांकु (२) तिरछ (-छा)ई स्त्री० तीरछापणुं । पुं० पशुपक्षी तिरछा वि० तीरछु; वांकु; कतरातुं तिलंगा पुं० अंग्रेजी फोजनो देशी सिपाई तिरछाना अ०क्रि० तीरर्छ थवू; कतरावं तिलंगाना पुं० तैलंगण देश
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तिल
तिल पुं० [ सं . ] तल तिलक पुं० [सं.] तिलक; टीलुं तिलकुट पुं० तलनी एक मीठी वानी तिलदानी स्त्री० दरजीनी थेली जेमां सोयदोरा इ० राखे ते
तिलपट्टी, तिलपपड़ी स्त्री० तलसांकळी तिलमिल स्त्री० जुओ 'तिरमिरा' तिलमिलाना अ० क्रि० जुओ'तिरमिराना' (२) दुःख पीडाथी गभरावं, तडफडवुं तिलवा पुं० तलनो लाडु तिलशकरी स्त्री० तलसांकळी [जादुई तिलस्म पुं० जादु; चमत्कार. -स्मी वि० तिलहन पुं० तेली बियांना छोड तिलांजलि स्त्री० [ सं . ] मृतात्माने अपाती तलनी अंजलि; तिलोदक
तिला पुं० [ अ ] सोनुं (वि० - लाई) तिलाक़ पुं० जुओ 'तलाक' [पटो-तलो तिल्ला पुं० खेस पाघडी वगेरेनो कसबी तिल्ली स्त्री० प्लीहा (२) तल तिशना पुं० [ अ ] तानो; महेणुं तिश्ना वि० [फा.] तरस्युं; अभिलाषी तिस स० ( प. ) 'उस' 'ता' नुं विभक्ति पूर्वेनुं रूप [छतां तिस पर ते उपरांत; वळी (२) तोपण; तिसरायत स्त्री० त्रीजुं - त्राहित होवु ते;
तटस्थता
तिसरंत पुं० त्रीजो - तटस्थ माणस तिहत्तर वि० तोतेर; ७३ तिहरा वि० 'तेहरा'; त्रेवडुं (२) त्रीजी वारकुं. ०ना स०क्रि० 'तिहरा' करवुं तिहवार पुं० [सं. तिथिवार ] तहेवार तिहाई स्त्री० त्रीजो भाग (२) फसल तिहाउ, व पुं० (प.) क्रोध तिहारा - रो स० ( प. ) तमारुं
२४९
तुंग
तिहि स ० ( प. ) ' तेहि ; तेने [एक थाप तिहैया पुं० त्रीजो भाग ( २ ) तबलानी तीक्ष्ण वि० [सं.] तीणुं; बारीक धार अणी वाळु (२) तीखुं; तीव्र; आकरं (३) कुशाग्र; चकोर तीखा वि० तीखुं (२) तीक्ष्ण तीज स्त्री० तीज; तृतीया ( तिथि ) तीजा वि० त्रीजुं ( २ ) पुं० मरणनो त्रीजो दिवस तीतर पुं० तेतर पक्षी
तीता वि० तीखुं (२) तिक्त; कडवं तीन वि० त्रण. - तेरह करना = : वेरविखेर - अस्तव्यस्त करवु. - पाँच करना = झघडा के पंचातनी वात करवी तीनत स्त्री० [ अ ] प्रकृति; स्वभाव तीमार पुं० [फा.] बरदासचाकरी; सेवा तीमारदार वि० [फा.] सहानुभूतिवाळं
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(२) रोगीनी बरदास करनार तीमारदारी स्त्री० ( रोगीनी) बरदास;
मावजत
तीय ( -या) स्त्री० स्त्री; ओरत तीरंदाज पुं० [फा.] बाणावळी. स्त्री० धनुषविद्या
तीर पुं० [सं.] कांठो; किनारो ( २ )
[फा.] बाण. ०गर पुं० तीर बनावनार तीरथ, तीर्थ पुं० तीर्थ; यात्रानी जगा तीली स्त्री ० सी के तार (२) पगनी पिंडी तीव्र वि० [सं.] अतिशय ( २ ) उग्र;
आकरुं; तेज (३) तीखुं
तीस वि०त्रीस. - दिन, तीसों दिन हमेश तीसरा वि० त्रीजुं तोसी स्त्री० अळसी (२) फळ गणवानुं (१५०नं) एक मान [पुं० पर्वत तुंग वि० [ सं . ] ऊंचं (२) उग्र, प्रचंड (३)
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२५०
तुलना तुंड पुं० [सं.] मुख; मों (२) चांच (३) सूंढ तुफ़ैल पुं० [अ.] साधन. -से= द्वारा; तुंद वि० [फा.] तुंड; चडाउ; उग्र (२) वडे; -ने लईने विकट; घोर (३) पुं० [सं.] पेट; फांद तुम स० तमे
[तूमडं तुंदिल, तुंदैल(-ला) वि० [सं.] मोटा तुमड़ी स्त्री० तूमडी पात्र(२)वगाडवापेट-फांदवाळं
तुमुल वि० [सं.] घोर; भीषण; भारे(२) तुंबा पुं० कडवं तूमडं (२) तुंबीपात्र पु० घोंघाट -बी स्त्री० तूमडी
तुम्हारा स० तमाएं तुक स्त्री० टूक; तूक. -जोड़ना= तुम्हें स० तमने; 'तुमको
जोडकणा जेवी रद्दी कविता करवी तुरंग,०म पुं० [सं.] घोडो तुकबंदी स्त्री० जोडकणु; काव्यना गुण तुरंत अ० तरत; जलदी विनानी हलकी कविता
तुरंज पुं० बिजोरु (२) शाल, अंगरखा तुकमा पुं० [फा.] 'घुडी'-बोरियानुं नाकु वगेरे पर करातुं भरतकाम तुकार स्त्री० तुंकारो
तुर पुं० वणातुं जतुं कपडु लपेटवानो तुकारना स०क्रि० तुकारवू [जाणनार साळनो भाग-तोर तुक्कड़ पुं० जोडकणां-'तुकबंदी' रची तुरई स्त्री० तरियं के तेनो वेलो तुक्कल स्त्री० तुक्कल -मोटी पतंग तुरग पुं० [सं.] तुरंग; घोडो तुक्का पुं० [फा.] तुक्को; बूलु बाण तुरत अ० तुरंत; तरत सीव ते तुलम पुं० [अ.] तुखम; बीज
तुरपई (-न) स्त्री० दोरो भरी बोटीने तुरायानी स्त्री० [अ.].(नदीन) पूर [अल्प . तुरपना स० क्रि० दोरो भरी ओटीने तुच्छ वि० [सं.] हलकुं; शूद्र (२)नजी; सीवq. (प्रेरक तुरपवाना, तुरपाना) तुजुक पुं० [तु.] शोभा (२) कानून (३) तुरबत स्त्री० [अ.] कबर
आत्मकथा (प्रायः बादशाहनी) तुरही स्त्री० तुराई वाजु तुझ स० 'तून विभक्ति पूर्वेनुं रूप तुराई स्त्री० तळाई; गादलं (२) अ० तुझे स० 'तू'- ४ थी तथा बीजी- रूप तरत; जलदी तुड़वाना, तुड़ाना सक्रि० तोडावq (२) तुरीय, तुर्य वि० [सं.] चोथं; चतुर्थ
मोटा सिक्कार्नु परचूरण कराव तुर्की-ब-तुर्की जवाब देना रोकडो तुड़ाई स्त्री० तोडवान काम के तेनी -बरोवर उत्तर देवो .. मजूरी
तुर्रा पुं० [अ.] तोरो (२) कलगी (३) तुतरा वि० (प.) तोतडु
वि० [फा.] अद्भुत कठोर तुतरा(-ला)ना अ०क्रि० तोतडा तुर्श वि० [फा.] (नाम,-शी) खाटुं (२) तुनक वि० [फा. नाजुक (२) कमजोर तुर्शाना अ०क्रि० खटावं तुनक-मिज़ाज वि० [फा.जरामां छंछेडाई । तुलना स्त्री० तुलना; सरखामणी (२) जाय एवा स्वभाव
अ० क्रि० तोळावं (३) गाडीनां पंडां तुकंग स्त्री० [फा.] हवाई बंदूक आंजवां (४) तैयार थर्बु
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तुलबा
तुलबा पुं० ब० व० [ अ ] विद्यार्थीगण तुलवाई स्त्री० तोळवानी मजूरी (२) पैडां आंजवानी मजूरी तुलवाना स० क्रि० तोलाववुं तुलसी स्त्री० [सं.] तुळसी तुला स्त्री० [सं.] त्राजवं; कांटो (२) तुलना (३) एक राशि
तुलाई स्त्री० रजाई (२) तोळवानी मजूरी के क्रिया
तुअ पुं० [ अ ] ( सूर्यादिनो) उदय तुल्य वि० [ सं . ] बरोबर; समान तुवर पुं० तुवेर; 'तूर'
तुष, स पुं० [सं.] अनाजनुं भूसु; फोतरुं ( खास चोखानं )
तुषार पुं० [सं.] बरफ (२) झाकळ (३) वि०बरफ जेवुं ठंडु [स्त्री० संतोष तुष्ट वि० [सं.] तृप्त; संतुष्ट -ष्टि तुस पुं०, -सी स्त्री० जुओ 'तुष' तुहमत - ती जुओ 'तोहमत, - ती ' तुहफ़ा पुं० जुओ 'तोहफा' तुहिन पुं [सं.] जुओ 'तुषार ' तूं स० जुओ 'तू' तूंबा, - बड़ा पुं० तूमडुं. तू स० तुं. तू तड़ाक, तू तुकार, या तू तू मैं मैं करना = सामसामे तुंतां करीने बोलाबोली करवी तूण - णीर पुं० [सं.] बाणनो भाथो तु पुं० [फा.] एक फळझाड; 'शहतूत' तूती स्त्री० [फा.] एक पक्षी ( २ ) ततूडी. ( किसीकी) - बोलना = कोईनुं चालवुगज खावो. नक़्क़ारखानेमें तूतीकी आवाज = कदर न पामती नानी वात तूदा पुं [फा.] ढंगलो (२) हदनी निशानी; पाळी (३) बांध
[नानुं तुमडु बी स्त्री०
२५१
तेंदुआ
तूफ़ान पुं० [अ.] तोफान ( २ ) तहोमत (३) आफत ( ४ ) भारे मोटुं पूर; रेल (fao-ft) तूमड़ी स्त्री० तुंबडी; तुंबडो तूम-तड़ाक स्त्री० [फा.]ठाठमाठ;सजावट तुमना स०क्रि० पीख ; विखेरवं (२) भेद खुल्लो करवो
तूमार पुं० [अ.] वातनो व्यर्थ विस्तार; लांब पुराण ( - बाँधना श० प्र०) तूर पुं० नगारुं (२) तुराई बाजुं (३) स्त्री० तुवेर
तूल पुं० [ अ ] लंबाई; विस्तार ( २ ) [सं.] रू; कपास - देना = लंबाववुं. - खींचना-ढील थवी तुलतवील वि० लांबुपहोळ; विस्तृत तूस पुं० जुओ 'तुस' (२ ) [ अ ] उत्तम पशमीनो के कामळी
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तृण पुं० [सं.] घास. - गहना, पकड़ना = दीनता देखाडवा मोंमां तणखलुं लेवु. - टूटना = नजर लागे एवं सुंदर होव. - तोड़ना = संबंध छोडवो (२) नजर न लागवा माटे उपाय करवा तृतीय वि० [सं.] त्रीजुं. -या स्त्री० त्रीज (२) त्रीजी विभक्ति
तृप्त वि० [सं.] धरायेलुं; संतुष्ट. - प्ति स्त्री० संतोष; धरपत
तृषा स्त्री० [सं.] तरस ( २ ) लालच; लोभ - षित वि० तरस्युं [तरस तृष्णा स्त्री० [सं.] लालच; कामना (२) तें (प्रत्यय) द्वारा ; थी ( २ ) -ना करतां (३) -मांथी
तैंतालि ( - ली ) स वि० तेंताळीस; ४३ तेती ( - ति ) स वि० तेत्रीस; ३३ तेंदुआ पुं० चित्ता जेवुं एक हिंसक प्राणी
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ते
ते (प्रत्यय) जुओ 'तें' (२) सं० [सं.] तेओ तेइ ( - ई ) स वि० तेवीस; २३ तेन स्त्री० [ अ ] तलवार तेगा पुं० खांडु; कटार तेज वि० [फा.] तेज; तीक्ष्ण; उग्र; (२) मोंघुं तेज पुं० [सं.] तेज; प्रकाश. ०स्वी वि० तेजवाळु (२) प्रभावशाळी
तेजाब पुं० [फा.] तेजाब; अॅसिड - बी वि० तेजाब संबंधी
तेजी स्त्री० [फा.] तेजी; उग्रता; उतावळ (२) भावनी तेजी
तेजोमय वि० [सं.] तेजस्वी ; प्रकाशवान तेतालीस वि० 'तेंतालीस ' ; ४३ तेरस स्त्री० तेरश तिथि
तेरह वि० तेर; १३. -हीं स्त्री० तेरमुं तेरा स० तारुं तेरी सी=तारा लाभ
मतलबनी वात (प.)
तेरे अ० (प.) 'से'; ने; प्रति - एवा अर्थमां तेल पुं० तेल (२) लग्ननी एक विधिपीठी चोळवानी. उठना, चढ़ना= पीठीनी विधि थवी तेलहन पुं० तेली बी
तेलिन स्त्री० तेलीनी स्त्री; घांचण तेलिया वि० तेलियं (२) पुं० तेल जेवो एक रंग
तेली पुं० तेली; घांची तेवन पुं० बाग ( २ ) खेल; क्रीडा तेवर पुं० गुस्सानी नजर ( २ ) आंखनी भमर. - चढ़ना = क्रोधनी आंख थवी. - बदलना या बिगड़ना = मिजाज जवो तेवहार पुं० तहेवार; 'त्योहार' तेशा पुं० [फा.] वांसलो तेहरा वि०, तेहराना स०क्रि० जुओ 'तिहरा, तिहराना'
२५२
तोतलाना
तेहवार पुं० तहेवार; 'तिहवार'; त्योहार' तेहा पुं० गुस्सो ( २ ) शेखी; घमंड तेहि स० ( प. ) एने; तेने
तेही वि० 'तेहा' - गुस्सा के घमंडबाळं तैंतालीस वि० 'तैंतालीस ' ; ४३ तैंतीस वि० तेत्रीस; ३३
अ० एटलं (२) पुं० [अ.] फैसलो (३) समाप्ति ( ४ ) वि० जुओ 'तय' तैनात वि० [अ तअय्युनात ] नियतः
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मुकरर (नाम, ती स्त्री० ) तैयार वि० [अ.] तैयार (२) हृष्टपुष्ट. ( नाम, -री स्त्री ० )
तैरना अ०क्रि० तरवुं ( प्रेरक तैराना ) तैराक वि० तरवामां कुशळ; तारो तैल पुं० [सं.] तेल तैश पुं० [ अ ] क्रोध; जुस्सो तैसा वि० तेबुं. तैसे अ० तेम तों अ० [प] 'त्यों'; तेम के त्यारे तोंद स्त्री० फूलेलुं पेट; दुंद; फांद तोंदल वि० दुंदाळं; फांदवाळं तोंदी स्त्री० नाभि; दूंटी
तो अ० तो (२) स० ( प. ) ताएं तोड़ पुं० तोडवुं ते (२) नदीनुं जोरथी वहेतुं वहेण (३) दहींनं पाणी ( ४ ) तोड; निकाल करवानो उपाय तोड़ना स०क्रि० तोडवु ; भागवुं (प्रेरक तोड़वाना )
तोड़ा पुं० पगनो तोडो (२) १००० रू. राखवानी थेली (३) नदीनो कांठो (४) पलीतो (५) चकमकथी आग करवानो लोढानो ककडो
तोतई वि० तोताना रंगनं; पोपटियुं तोतरा ( -ला) वि० तोतडुं तोतरा (ला) ना अ० क्रि० तोतडाबु
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तोता
२५३ तोता पुं० [फा. तोतो; पोपट (२) तोलिया पुं० जुओ 'तौलिया' । बंदूकनो घोडो.-पालना कोई व्यसन . तोशक स्त्री० [तु.] रूनी गादी । के व्याधि होवो. हाथोंके तोते उड़ जाना तोशदान पुं० [फा.] भाथानी थेली के =बह गभराई जवं. तोतेकी तरह आँखें बचकी; कारतूसनी सिपाहीनी थेली फेरना या बदलना = ('बेमुरव्वत तोशा पुं० [फा.] वटेशरी; भा) होना') बेशरम बनवू
तोशाखाना पुं० [तु.+फा.) वस्त्रादिनो तोताचश्म पुं० [फा. बेशरम(नाम,-मी) अमीर वगेरेनो भंडार; तोशाखावें तोती स्त्री० मेना (२) रखात तोष पुं० [सं.] संतोष. -षित वि० तोदा पुं० जुओ 'तूदा'
संतोषायेलं तोप स्त्री० [तु.] तोप. ०खाना पुं० तोहफ़गी स्त्री० [फा. उत्तमता तोपखान. ची पुं० तोप चलावी तोहफ़ा वि० [अ. तुहरू] उमदा; तोफा; जाणनार
उत्तम (२) पुं० भेंट; उपहार तोफ़ा वि० 'तोहफ़ा'; सुंदर; उमदा. तोहमत स्त्री० [अ.] तहोमत
-फगी स्त्री० खूबी; सुंदरता तोहमती वि० तहोमत मूकनार तोबड़ा पुं० तोबरो. -चढ़ाना तोबरो तोहि स० (प.) तने चडाववो; ना बोलवू
तौंस स्त्री० तापथी लागती सखत तरस तोबा स्त्री० [अ. तौबह] पश्चात्ताप; फरी तौंसना अक्रि० 'तौंस'-तरस लागवी न करवानी प्रतिज्ञा. -करना=तोबा तौसा पुं० सखत गरमी पोकारवी; फरी नहि करूं एम कहेवू. तो अ० (प.) तो (२) अक्रि० हतुं -तिल्ला करना या मचाना-रडतां के तौक़ पुं० [अ.] गळानु एक घरेणुं (२) नम्र बनीने तोबा पोकारवी.-तोबा कांठलो (३) चपरास =कोई खराब काम विषे घृणा तौकीर स्त्री० [अ.] आदर: सन्मान के न थाओ एवो भाव बताववा तौफीक स्त्री० [अ.] ईश्वरकृपा (२) 'राम राम' जेवा अर्थनो उद्गार. श्रद्धा (३) शक्ति; ताकात।
-बुलवाना तोबा पोकराववी तौबा स्त्री० [अ.] जुओ 'तोबा' तोय पुं० [सं.] पाणी
तौर पुं० [अ.] ढंग; रीत; चाल; प्रकार तोर पुं० 'तूर'; तुवेर (२) स० (प.)तारु (२) दशा; हालत तोरई स्त्री० जुओ 'तुरई'; तूरियु तौर-तरीक(-का)पुं० [अ.] चालचलगत; तोरण पुं० मकाननो मुख्य दरवाजो (२) वर्तणूक; रहेणीकरणी तोरण
तौरा(-री,-रे)त पुं० तोरत; यहूदीतोरी स्त्री० जुओ 'तोरई'; तूरियु ओनो धर्मग्रन्थ जे मसाने प्रगट तोलना सक्रि० तोळवं; जोखq (२) __ थयेलो; जनो करार तोलन करवं; विचार(३)पैडु आंजवं तौल पुं० संत्राजवं (२) स्त्री० तोल; तोता पुं० तोलो वजन
वजन (३) तोळवं ते; 'तौलाई
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त्वरित
तौलना
२५४ तौलना सक्रि० जुओ 'तोलना' त्राण पुं० [सं.] रक्षण; बचाव तौला पुं० तोलाट (२) महुडी; दारू (३) त्राता(०२) पुं० [सं.] रक्षक माटलं ---
त्रास पुं० [सं.] डर (२) पीडा तोलाई स्त्री० तोळवू ते के तेनी मजूरी वाहि क्रि० [सं.] बचावो; रक्षण करो तौलिया स्त्री०; पुं० टुवाल
त्रि वि० [सं.] त्रण. ०काल पुं० त्रणे तौसीअ स्त्री० [अ.] विस्तार; लंबाण काळ. ०कोण पुं० त्रिकोण आकृति. तौसीफ़ स्त्री० [अ.] प्रशंसा; स्तुति ।
०गुण पुं० प्रकृतिना त्रण गुणो तौहीद स्त्री० [अ.] एकेश्वरवाद; ईश्वर त्रिज्या स्त्री० [सं.] वर्तुलनी त्रिज्या एक छे एवी मान्यता
त्रिदोष पुं० [सं.] सनेपात; मूंझारो तोहीन (-नी) स्त्री० [अ.] अपमान;
त्रिधा अ० [सं.] त्रण रीते अनादर; बेआबरू
त्रिपथ पुं० [सं.] त्रण मार्ग-कर्म, ज्ञान ने त्यक्त वि० [सं.] तजायेखें
भक्ति (२) त्रिभेटो. ०गा स्त्री० गंगा त्याग पुं० [सं.] छोडवू ते; त्याग; बलिदान त्रिपिटक पं०[सं.] श्रण प्रकारना बौद्ध त्यागना सक्रि० तजवू; छोडवू धर्मग्रंथोनुं साहित्य त्यागी वि० [सं.] छोडनार (२) वैरागी । त्रिपिताना अ०क्रि० (प.) धरावं; तृप्त त्याज्य वि० [सं.] छोडवा जेवू
थर्बु (२) सक्रि० तृप्त करवू त्यागपत्र पुं० [सं.] राजीनामुं त्रिपुंड,-ड्र पुं० [सं.] त्रिपुंड; तिलक त्यों अ० तेवी रीते; तेम (२) तत्काल .
त्रिफला स्त्री० [सं.] त्रिफळा चूर्ण त्योरुस पुं० बे वर्ष पूर्वेनू के बे वर्ष
त्रिपुटी स्त्री०[सं.] त्रणनो समूह (२) . पछी आवनारुं वर्ष
नानी इलायची त्योर पुं०,त्योरी स्त्री०जुओ 'तेवर';तोरी । त्रिभुज पुं० [सं.] त्रिकोण त्योहार पुं० तहेवार. -मनाना-तहेवार त्रिमूर्ति पुं० [सं.] ब्रह्मा, विष्णु ने शिव पाळवो के ऊजववो
ए त्रण त्योहारी स्त्री० तहेवारने दहाडे बाळको, त्रिय,-या स्त्री० (प.) स्त्री नोकर वगेरेने मीठाई इ० अपाय ते । त्रियामा स्त्री० [सं.] रात्रि बोणी के भेट
त्रिविध वि० [सं.] त्रण प्रकारनुं त्यौनार पुं० ढंग; रीत; तौर' ।
त्रिवेणी स्त्री० [सं.] त्रण नदीनो संगम; त्योर पुं०, -री स्त्री० जुओ 'त्योरी' प्रयाग त्रपा स्त्री० [सं.] लज्जा; शरम [समूह त्रुटि, टी स्त्री० ऊणप; खामी; भूल प्रय वि० [सं.] त्रण. -यी स्त्री० रणनो त्वचा स्त्री० [सं.] चामडी त्रयोदशी स्त्री० [सं.] तेरश
त्वरा स्त्री० [सं.] झडप; उतावळ. -रित त्रस रेणु पुं० [सं.] झीणी रजोटी वि० झडपी; वेगवान त्रसित, त्रस्त वि० [सं.] भयभीत; डरेलु (२) पीडित
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२५५
थापी
यंब (-भ) पुं० थंभ; थांभलो (२) टेको (स्त्री० -बी) यंभन पुं० स्तंभन; थंभव ते यंभना अ० क्रि० थंभवू; 'थमना' थकना अ० कि० थाकवू(२) धीमुं पडवू;
रोकावू (३) घडपणथी अशक्त थवं (४) मुग्ध थq थकान स्त्री० थकावट; थाक थका-मांदा वि० थाकेलं थकाव (-ह)ट स्त्री० जुओ 'थकान' । थकित वि० थाकेलं (२) मुग्ध [दहींनी थक्का पुं० जामेलो थर, पोपडी, जेम के थगित वि० स्थगित (२) शिथिल थन पुं० थान (चोपगानु); आंचळ थनी स्त्री० अजागलस्तन धनंत पुं० गामनो मुखी के तलाटी थपकना स० क्रि० थाबडवू थपकी स्त्री० थाबडी थपड़ा पुं० टपलो थपड़ी स्त्री० ताळी (२) टपली थपथपाना स० क्रि० थाबडवू थपुआ पुं० नळियु (छतुं गोठववानुं जरा
चपटुं होय छे ते) [धक्को मारवो थपेड़ना स० क्रि० थपाटवू; थप्पड के थपेड़ा पुं० थप्पड (२) धक्को; आघात पमना अ० क्रि० थंभवं; थोभy घर स्त्री० थर; पड थरथराना अ० क्रि० थरथरवं थरथराहट,थरथरी स्त्री०थथरवू ते; कंप घरमामीटर पुं० [इ.] थरमॉमीटर।
थर्मस पुं० [इ.] थरमॉस थर्मामीटर पुं० [इं.] थरमॉमीटर थर्राना अ०क्रि० जुओ 'थरथराना' थल पुं० थळ; स्थळ (२)(कठण) जमीन
(३) रण (४) वाघ-सिंहनी बोड पलक़ना अ० क्रि० लथडी-लची पडी
झूलवू (२) जाडु शरीर लथडपथड थQ थलचर पुं० स्थळचर जीव थलथल वि० लथडपथड झूलतुं(क्रि०-ना) थलबेड़ापुं० नाव थोभवानी जगा-घाट थवई पुं० कडियो (२) स्थपति थहर(-रा)ना अ०क्रि० थरथरवं; डरथी कांपवू
[अंदाज काढवो थहाना सक्रि० ऊंडाण मापy (२) थांग स्त्री० चोर डाकुनुं गुप्त स्थान(२)
तपास; खोज. -लगाना-तपास करवी थांवला पुं० खामणुं (झाडनू); था| था अ० क्रि० हतुं (स्त्री० -थी) थाती स्त्री० थापण; संघरो(२) अनामत
भान पुं० थान; स्थान (२) देवदेवीनुं ___ थानक (३) गमाण के तबेलो (४) ___थान; ताको (५) संख्या
थाना पुं० था| थानेदार पुं० थाण(-णे)दार थानत पुं० थानकनी देवता; ग्रामदेवता थाप स्त्री० तबलानी थाप (२) थप्पड
(३) प्रतिष्ठा (४) सोगन पापा पुं० थापो; पंजानी छाप (२)
छापर्नु बीबू के फरमो भापी स्त्री० थापडी (कडियानी)
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थाम
२५६ थाम पुं० थांभलो (२) वहाणनो मस्तूल थूथन पुं०, नी स्त्री० (ऊंट घोडा इ० ) थामना सक्रि० थंभाव;रोक (२) लांबु मोढं। पकडq (३) मदद करवी । थून स्त्री० जुओ 'थूथन' (२) 'थूनी' वाल पुं० थाळ; मोटी थाळी थूनी स्त्री० थांभलो (२) टेको थाला पुं० थाणुं; खामणुं - थूवा पुं० माटीनो लोंदो के मोटो टेकरो वाली स्त्री० थाळी. -का बैंगन-आम थूहर पुं० थूवर; युवेर
के तेम, लाभ जोई गबडनार थेई थेई स्त्री० थेई थेई नाचवानो थाह स्त्री० ऊंडाईन तळियु (२) हद । बोल के ताल चाहना सक्रि० जुओ 'थहाना' थेगली स्त्री० जुओ 'थिगली' थिगली स्त्री० थींगडं.
थेला पुं० थेलो.-करना-मारीने ढीलो थिति स्त्री० स्थिति
करी देवो ['रोकडिया'; कॅशियर थिर वि० स्थिर; स्थायी
थैली स्त्री० थेली; कोथळी. ०दार पूं० थिरकना अ०क्रि०थनथन नाचवूठमकवं थोक पुं० थोक; ढगलो; जथो. दार थिरना अ०क्रि० (प्रवाही) हालतुं स्थिर पुं० जथाबंध वेपारी
थव (२) कचरो नीचे ठरवो के तेथी थोड़ा(-र, -रा) वि० थोडं. -बहुलप्रवाही नीतर
थोडंक. -सा-थोडं; जरा थुक्का-फजीहत स्त्री० निंदा ने तिरस्कार । थोथ स्त्री० पोलापणु; निःसारता थुड़ी स्त्री० थू थू करवं ते; धिक्कार. थोथरा, थोथा वि० (स्त्री०-थी)खाली; -थुड़ी करना=धिक्कार
पोल (२) नकामुं; निःसार थूक पुं० थूक. थूकों सत्तू सानना थोडी थोपड़ी स्त्री० धोल ज सामग्रीथी मोटुं काम उपाडवू थोपना सक्रि०थापq(२)जुओ'छोपना' थूकना अ०क्रि० थूकवू (२) सक्रि० थोबड़ा पुं० जुओ 'यूथन' निंदा करवी
थोर वि० थोडं (२) पु० थोरियो
बंग वि० [फा.] दिग; चकित; स्तब्ध. दंड पुं० [सं.] लाकडी (२) शिक्षा; सजा
-रह जाना, -होना=चकित थर्बु (३) दंड कसरत. -देना-दंड, दंगई वि० दंगो करनार; झगडाळु (२) । रंडना सक्रि० दंडवू; सजा करवी • प्रचंड दंगल पुं० [फा. कुस्ती (२) अखाडो
दंडप्रणाम पुं०, दंडवत् स्त्री०; पुं० - (३) समूह; दळ (४) मोटुं भारे गादलं
दंडवत् प्रणाम के गादी
बंडी पुं० [सं.] यमराजा (२) संन्यासी दंगा पुं० दंगो; तोफान
(३) राजा (४) द्वारपाळ
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दंत
दंत पुं० [सं.] दांत. ०कथा स्त्री० किवदंती; लोकवायका दतिया स्त्री० दंतूडी: नानो दांत दंतुला वि० (स्त्री०ली ) दंताळं; दांतवुं दंद स्त्री० बाफ; गरमी (२ पुं० द्वंद्व; लडाई
वंदना पुं० [फा.] दांतो (जेवो के आरीनो) दंदारू पुं० फोल्लो; छालुं चंपती पुं० [सं.] पतिपत्नीनुं जोडुं दंभ पुं० [सं.] पाखंड, डोळ; ढोंग (२) खोटं अभिमान; घमंड भी वि० दंभोली पुं० [ सं . । वज्र देवरी स्त्री० पगर; बळद फेरवी खळं करवुं ते; 'दाँयँ'
बंश पुं० [सं.] डंख; दांतनो घा ( २ ) आक्षेप; व्यंग्य बंष्ट्रा स्त्री० [ सं . ]
मोटो दांत
दई पुं० दई; दैव; ईश्वर. - का घाला, दई - मारा वि० कमनसीब दकियानूस पुं० [ अ ] एक अत्याचारी अरबी बादशाह. -सी वि० प्राचीन (२) घणुं घरडुं (३) जुनवाणी बक्री वि० [अ.] बारीक पातळं (२) नाजुक (३) कठण
क्रीका पुं० [अ.] बारीकाई (२) कठिनता. कोई दक़ीक़ा बाक़ी न रखना-बघा उपाय करी चूकवूं दक्खिन पुं० दक्षिण; दक्खण (वि० नी)
वि० [सं.] चतुर; प्रवीण; कुशळ दक्षिण वि० [सं.] जमणुं (२) दक्षिणमां आवेलुं (३)अनुकूळ (४)पुं० दक्षिण दिशा दक्षिणा स्त्री० [सं.] दक्षिण दिशा (२)
देखणा - दान
दक्षिणायन पुं० [ सं . ] सूर्यनी दक्षिण गति हि- १७
२५७
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दचका
दक्षिणापथ पुं० [सं.] विंध्य के नर्मदानी दक्षिणनो प्रदेश; दक्षिण हिंद
दखल पुं० अ.] अधिकार ; कबजो ( २ ) दखल;दरमियानगीरी; गोद ( ३ ) पहोंच; प्रवेश. - देना = दखल करवी. - रखना = पहोंच के गति होवी दखल - बिहानी स्त्री० [फा.] कबजोअधिकार अपाववो ते
दखलनामा पुं० फा.] अधिकार के
जाहक दर्शावतुं सरकारी आज्ञापत्र दखिन पुं० दक्षिण दिशा दखिना विदक्षिण; दखणातु; दखणी reate fro[अ.] अधिकारी, कबजेदार खीलकार पुं० [फा.] जमीन पर ओछामां ओछां १२ वर्षनो कबजो धरावनार दगड़ पुं० ( युद्धनं) मोटु नगारुं दरादग्रा पुं० [अ.]डर; भ (२) दगदगो; वसवसो (३) एक जातनुं फानस दगना अ०क्रि० (बन्दूक इ० ) फूटवुं (२) दहवं; बळवं
दगर ( - रा) पुं० विलंब ; ढील बग़ल पुं० [अ.] दगो (२) बहानुं दगल ( -ला) पुं०, -ली स्त्री० जाडो मोटो डगलो
बरालफ़सल पुं० [अ.] दगो फटको दगहा वि० डाघवाळं (२) पुं० डाघु दग़ा स्त्री० [ अ ] दगो; कपट [कपटी दादार, दगाबाज वि० [फा.] दगाखोर; गैल वि० डाघ वाळु (२) पुं० दगाबाज दग्ध वि० [सं.] बळेलुं; दाझेलुं वचक स्त्री० धक्को; हडसेलो; हेलो दचकना अ० क्रि० धक्को के हडसेलो लागवो; तेथी दबावुं
दचका पुं० 'दचक'; हडसेलो; हेलो
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दच्छिन
२५८ दच्छिन वि० दक्षिण
दपतर पुं० [फा.] दपतर (कार्यालय, दढ़ियल वि० दाढीवाळू
कागळियां) (२) सविस्तर वृत्तांत बतवन स्त्री० दातण; 'दतुअ(-व)न' । दफ्तरी पुं० [फा. दफ्तरी (२) चोपडी दतिया स्त्री० जुओ 'दतिया'
बांधनार; बुक बाइन्डर. ०खाना पुं० दतुअ (-व)न, दतौन स्त्री० दातण चोपडी बांधवानुं स्थान (२) दफ्तर दत्त वि० [सं.] आपेलु (२) पुं० दत्तक पुत्र - कार्यालय
[अडबंग दत्तक पुं० [सं.] दत्तक पुत्र
दबंग वि० प्रभावशाळी; दाबवाळू (२) ददा पुं० दादा (२) स्त्री० दाया; धाव दबक स्त्री० दबावू, छुपा के संकोच ददिया(-हा)ल पुं० दादा- कुळ के घर पाम ते (२) धा ने टीपीने तार ददिया-ससुर पुं० (-सास स्त्री०)दादा- करवानी क्रिया ससरा
दबकगर पुं० धातुना तार बनावनार ददौड़ा(-रा) पुं० ढीमणुं (जेयू के दबकना अ० क्रि० डरथी छुपावं (२) मच्छर करडवाथी थाय)
सक्रि० धातुने चपटी करवा पीटवू दछ पुं० [सं.] दराज; दादर दबका पुं० धातुनो टीपीने करेलो तार वधि पुं० [सं.] दही (२) (प.) समुद्र दबगर पुं० डबगर दनदनाना अ० क्रि० दनदन' अवाज दबना अ०क्रि० दबावु. (प्रेरक दबवाना)
करवो (२) आनन्द करवो दबदबा पुं० दबदबो; दमाम; भपको दनादन अ० धणण अवाज साथे (तोप- दबाना स० क्रि० दबावq खानुं छूटवू)
दबाव पुं० दबाण. -डालना-दबाव, वनुज वि० [सं.] दानव; राक्षस दबीस्ता पुं० [फा.निशाळ . दपट स्त्री० ठपको; वढवू ते
दबीच वि० [फा. जाडु; मोटुं; घाटुं दपटना सक्रि० वढवू; ठपको आपवो दबीर पुं० [फा.] कारकुन; मुनशी दफ़ स्त्री० [फा. डफ; नगारी
दबैल वि० दबायेलं; कोईना दाब के दफ़अतन् अ० [अ.] अचानक; एकाएक __ डर तळे होय एवं वफ़तर,-री,-रीखाना जुओ 'दफ्तर, दबोचना स० क्रि० एकदम पकडीने -री,-रीखाना'
दबावq (२) संताडवू दफ़ती स्त्री० [अ.दफ़्तीन] पूर्छ; पत्तुं दम पुं० [फा.] श्वास; दम (२) पळ (३) दफ़न पुं० [अ.] दाटq ते (मडद्) । फोसलामणी. के दम-क्षणभर.-गनीदफ़नाना स०क्रि० दफनाव; दाटवू मत होना=जीवतो नर भद्रा पामे. वफा स्त्री० [अ.दफ़अ] वार(२)कायदानी -घुटना-श्वास चूंटावो. -घोंटकर
कलम (३) वि० दूर करेलुं । मारना=गळं दबावी मारवू (२) खूब दफादार पुं० एक फोजी अमलदार, दुःख देवु. -तोड़ना छेल्लो श्वास टुकडीनो नायक
लेवो.-देना-दगो देवो छेतरवं.-नाकमें बीना पुं० [अ.] दाटेलो खजानो आना-खूब हेरान थq.-फूलना-प्रवास
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२५९
दमक
खूब के भारे चालवो. -भरना-दम भराववो; अभिमान ने विश्वासथी कहेवू. -मारना थाक खावो (२) बोलवू.-मारना, लगाना(चलम इ० नो)दम खेंचवो.-सूखना-प्राण सुकावा दमक स्त्री० चमक दमकना सक्रि० चमकवू; दमकवू दमकल स्त्री०, -ला पुं० पंप; डंकी; बंबो (२) गुलाबदानी दमखम पुं० [फा.] दृढता (२) प्राण दमचूल्हा पुं० लोढानी सगडी दमझांसा पुं० छळकपट (बहु सस्तुं दमड़ी स्त्री० दमडी; पैसो.-के तीन दमदमा पुं० [फा. मोरचो; रेतीना
थेलानु कामचलाउ रक्षण दमदार वि० [फा.] दमवाळू (२) मजबूत (३) तेज
[जूठी आशा दम-दिलासा पुं०,-पट्टी स्त्री० पटामणी; दमन पुं० [सं.]दमवू ते; दबाण (२) काबू दम-बदम अ० वारंवार; हरघडी दमबाज वि० [सं.]फोसलावनारु; बहानां
बतावनाएं वमसाज पुं० [फा.] दिलोजान दोस्त वमा पुं० [फा.] दमनो रोग बमाद पुं० जमाई; 'दामाद' दमादम अ० लगातार; लागलागट बमामा पुं० [फा.] ढोल; नगारं दमी वि० दमियल (२) गांजानो दम
खेंचनार दयनीय वि० [सं.] दयापात्र दया स्त्री० [सं.] दया; कृपा; करुणा दयानत स्त्री० [अ.] साची दानत; ईमान दयानतदार वि०दानतवाळू; ईमानदार. (नाम, -री स्त्री०) .
दयार पुं० [अ.] प्रदेश (२) देव-दार. दयामय, दया, दयालु वि० [सं.] दयाळु दयावना वि० दयामणु; दयापात्र दर पुं० [सं.] दर; काणुं; गुफा (२) डर (३) शंख (४) स्त्री० दर; भाव (५) किंमत; कदर (६) पुं० [फा.] द्वार (७) अ० अंदर; महीं दरअसल अ० [फा.+अ.] खरु जोतां; वस्तुतः
[आयात दर-आमद स्त्री० [फा.] आगमन (२) दरकना अ०कि.चिरावू;फांटवू;तरडावू दरका पुं० फाट; चीरो (२) चीरी
नांखे एवो फटको ['दरकना' दरकाना सक्रि० चीरवू (२) अ०कि. दरकार वि० [फा.]जरूरी(२)स्त्री०जरूर वरकिनार अ० [फा.] दूर; अलग । वरकूच अ० [फा. सतत कूच करतां दरखत, दरख्त पुं० [फा. झाड दरखा (-ख्वास्त स्त्री० [फा.] अरजी; विनंती (२) दरखास्त; प्रस्ताव दरगाह स्त्री० [फा.] दरबार; कचेरी;
डेली (२) दरघा; मकबरो दरगुजर वि० [फा.] दरगुजर; माफ (२) अलग
एवा अर्थमां दर-गोर श०प्र० 'जा जहानममां मर दरज वि० जुओ 'दर्ज' दरज स्त्री० जुओ 'दर्ज' दरजन पुं० 'दर्जन'; डझन दरजा पुं० [अ.] 'दर्जा'; दरज्जो (२) कक्षा; वर्ग (३) हालत; स्थिति (४) मकाननो माळ दरजी पुं० [फा.] दरजी; 'दर्जी' वरव पुं० 'दर्द'; दरद; पीडा (२) दया; करुणा
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दरवर
दरदर, दरबदर अ० [फा.] जगा जगाए दरदरा वि० रवादार; झीणुं नहि एवं दरदराना स०क्रि० भरडा जेवुं थाय एम पीस के कूटवुं
वरपन पुं० दर्पण; अरीसो. -नी स्त्री० नानो अरीसो
दर-परदा अ० [फा.] गुप्त रीते; पडदामां दर-पेश अ० [फा.] सामे; आगळ दर- अ० [फा.] (कोईनी ) पूठे दरब पुं० द्रव्य; धन दरबदर अ० [फा.] जुओ 'दरदर' दरबा पुं० पक्षी राखवानुं खानादार खोखुं; कबूतरखानुं
दरबान पुं० [फा.] दरवान; द्वारपाळ. -नी स्त्री० दरवाननुं काम दरबार पुं० [फा.] राजसभा (२) राजा वरमन पुं० [फा.] दवा; इलाज दरमा पुं० वांसनुं टाटियुं दरमाहा पुं० [फा.] दरमायो दरमियान पुं० [फा.] मध्य; वच ( २ ) अ० दरमियान [मध्यस्थ; पंच दरमियानी वि० [फा.] मध्यनुं (२) पुं० दरवाजा पुं० [फा.] दरवाजो दरवेश पुं० [फा.] फकीर; साघु [जेवुं दरवेशाना दि० [फा.] दरवेश - फकीरना दरवेशी स्त्री० [फा.] फकीरी दरसना अ०क्रि० देखावुं (२) स०क्रि० देखj [हकीकतरूपे दर-हक़ीक़त अ० [फा. +अ.] खरं जोतां; दरहम वि० [फा.] अव्यवस्थित दरहम - बरहम वि० वेरण - छेरण ( २ ) गुस्से लुं [अ० खूब बराज वि०[फा.] लांबु; विस्तृत ( २ ) दराज स्त्री० चीरो (२) मेजनुं खानुं
२६०
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बर्फी
दरार स्त्री० चीरो; फाट दरारा पुं० जुओ 'दरेरा' दरिदा पुं० [फा.] हिंसक पशु दरिद्र वि० [सं.] गरीब; कंगाळ दरिया पुं० [फा.] नदी (२) दरियो. ०ई वि० दरिया के नदी संबंधी दरियाए - शोर पुं० [फा.] समुद्र ( २ ) काळापाणी
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दरियादिल वि० [फा.] उदार. -ली स्त्री० दरियाफ़्त वि० [फा.] मालूम; ज्ञात दरिया - बरामद, दरिया-बरार पुं० [फा.] नदीनुं भा दरियाव पुं० नदी [के खीण दरी स्त्री० शेतरंजी (२) [सं.] गुफा दरीखाना पुं० [फा.] घणां द्वारवाळं घर के महेल; दरीखान (२) शाही दरबार दरीचा पुं० [फा.] ( स्त्री० ची ) बारी (२) झरूखो
बरीवा वि० [फा.] फाटेलुं दरीबा पुं० पाननुं बजार बब स्त्री०जुओ 'दुरूद' [ ( ३ ) पश्चात्ताप दरे पुं० [फा.] दुःख (२) कमी; कसर दरेरना स०क्रि० रगडवु; पीसवुं दरेरा पुं० धक्को; धप्पो (२) पाणीना प्रवाहनं जोर दरोरा पुं० [ अ ] असत्य दरोग़-हलफ़ी स्त्री० [अ.] साचुं बोलवाना सोगन खाईनेय जूठं बोलवु ते दरोग्रो वि० जूटुं बोलनार दर्ज वि० [अ.] लखेलुं दर्ज स्त्री० [फा.] चीरो; फाट दर्जन पुं० 'दरजन'; डझन दर्जा पुं० [अ.] दरज्जो
वर्जी पुं० [फा.] ( स्त्री० - जिन) दरजी सई
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वर्द
बर्व पुं० [फा.] दरद पीडा (२) दया; सहानुभूति [ दर्द करे एवं; करुणाजनक दर्द-अंगेज, आमेज़, नाक वि० [फा.] दर्द खाना = दया करवी - खावी वर्द-मंद, वर्दी वि० [फा.] दरदी; दुःखी (२) दयावान दर्बुर पुं० [सं.] देडको
-सरी स्त्री० [फा.] माथाकूट; महेनत दर्प पुं० [सं.] गर्व, अहंकार, दर्पण पुं० [सं.] आरसो
दलवला वि० कळणवाळं दलवार वि० दळदार; जाडुं
दर्भ पुं० [सं.] दरभ; एक वनस्पति दर्मियान पुं० जुओ 'दरमियान' दर्रा पुं० [फा.] खीणनो मार्ग; घाटी दर्शक पुं० [ सं . ] प्रेक्षक [ तत्त्वज्ञान दर्शन पुं० [सं.] जोवुं ते (२) फिलसूफी; दर्शनीय वि० [सं.] जोवा जेवुं; सुन्दर दर्शाना स०क्रि० दर्शाववुं दर्शित वि० [सं.] दर्शावेलुं दर्स पुं० अभ्यास; भणवं ते बल पुं० [सं.] दल; पांदडुं (२) दळ; घनता; कद (३) दळ; सेना ( ४ ) पक्ष (५) (दाळना दाणानी) फाड बलकना अ०क्रि० चिरावुं (२) कंपवुं
(३) स०क्रि० डराववुं
दलदल स्त्री० कळण - भूमि ( २ ) कादव - कीचड. - में फँसना=आफतमां फसावु; मुश्केलीमां आव
२६१
दलन पुं० [सं.] नाश; संहार दलना स०क्रि० दळवु (२) नाश करवो दलबंदी स्त्री० पक्ष के टोळी बांधवी ते बलमलना स०क्रि० मसळी नाखवु; कचरी नांखवु नाश करवो
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वस्त
दलहन पुं० द्विदळ
. दलाल पुं० दलाल; मारफतियो; मध्यस्थ: -ली स्त्री० दलालीनुं काम के मळतर दलित वि० [सं.] दळायेलुं; कचडाये लुं; दबायेलं
दलिया पुं० थूलीना दळेला ककडा दलील स्त्री० [ अ ] तर्क; चर्चा दलेल स्त्री० सजारूपे सिपाहीने करावाती कवायत. बोलना = तेवी सजा फरमाववी
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दव पुं० [सं.] दावानळ; दव दवनी स्त्री० पगर; 'देवरी' दवा, ०ई स्त्री० [फा.] दवा; औषध; ओसड दवाखाना पुं० [फा.] दवाखानुं दवागि (०न) स्त्री० (प.) दावाग्नि; दव दवात स्त्री० [अ.] दोत; खडियो दवा-दरपन पुं०, दवादारू स्त्री० दवादारू; इलाज [अ० हमेश दवाम पुं० [अ.] सदा स्थायी रहेवुं ते (२) दवामी वि० [अ] कायमी ; स्थायी. - बंदोबस्त - कायमी महसूलपद्धति दश ( - स ) वि० दस; १० दशन पुं० [सं.] दांत
दशम वि० [सं.] दसमुं. ०लव पुं० दशांश दशहरा पुं० दशेरा; विजयादशमी दशा स्त्री० [सं.] दशा; हालत; स्थिति दश्त पुं० [फा.] जंगल दस वि० जुओ 'दश'
दसना अ०क्रि० बिछावुं; पथरावुं (२) ०क्रि० पाथरवुं (३) डसवुं दसी स्त्री० कपडांनी दशी दस्तंदाज वि० [फा.] दखल देनार दस्तंदाजी स्त्री० [फा.] हस्तक्षेप; दखल दस्त पुं० [फा.] दस्त; जुलाब (२) हाथ
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दस्तक
वस्तक स्त्री० [फा.] बोलाववा दरवाजो खखडाववो ते (२) महेसूल ( ३ ) महसूल के कर वसूल करवानुं हुकमनामुं दस्तकार पुं० [फा.] हाथकारीगर दस्तकारी स्त्री० [फा.] हाथकारीगरी दस्तखत पुं० [फा.] दसकत; हस्ताक्षर दस्तगीर वि० [फा.] मददगार; सहायक दस्त - निगर वि० [फा.] कोईना दान तरफ ताकनारुं; गरीब दस्त - पनाह पुं० [फा.] चीपियो दस्त - पाक पुं० [फा.] टुवाल; रूमाल दस्त-ब-दस्त अ० [फा.] हाथोहाथ दस्तबरदार वि० [फा.] कशा परथी पोतानो अधिकार उठावी लेनार दस्तस्ता अ० [फा.] हाथ जोडीने दस्तमाल पुं० [फा.] हाथरूमाल दस्तयाब वि० [फा.] हस्तगत; प्राप्त दस्तरखा ( -ख्वा) न पुं० जमवाना भाणा नीचे पथराती चादर के कपड़े दस्तरस स्त्री० [फा.] शक्ति (२) पहोंच दस्ता पुं० [फा.] दस्तो(हाथो के कागळनो
घा) (२) फूल - गोटो (३) मूठीभर वस्तु दस्ताना पुं० [फा.] हाथनुं मोजुं दस्तार स्त्री० [फा.] पाघडी दस्तावर वि० [फा.] रेचक दस्तावेज स्त्री० [फा.] दस्तावेज दस्ती वि० [फा.] हाथनुं ( २ ) स्त्री० मशाल (३) नानो दस्तो दस्तूर पुं० [फा.] धारो; रिवाज ( २ ) पारसी दस्तूर
दस्तूरी स्त्री० दलाली; कमिशन दस्यु पुं० [सं.] चोर; डाकु (२) एक अनार्य जाति [[फा.] दस; १० दह पुं० हृद; धरो (२) कुंड (३) वि०
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दहक स्त्री० दाह (२) ज्वाळा दहकना अ०क्रि० तपवुं; बळवं दहक्कान पुं० [ अ ] गामडियो बहन पुं० [फा.] मों (२) [सं.] दहन; दाह दहना अ० कि० बळवं (२) स०क्रि० बाळबुं बहर पुं० [सं. हृद] जुओ 'दह' (२) [फा.] जमानो; युग (३) [सं.] भाई (४) छछूंदर; अंदरडी दहरिया पुं० [ अ ] नास्तिक दहल स्त्री० भयनो कंप- ध्रुजारी दहलना अ०क्रि० भयथी कंपवुं बहला पुं० पत्तानो दस्सो - दहेलो दहलीज स्त्री० [फा.] ऊमरो. - झाँकना = कोई कामने माटे ऊमरी घसवा जवुं दहशत स्त्री० [फा.] दहेशत; डर दहा पुं० [फा. दह] मोहरमनो महिनो hdना प्रथम १० दिवस (२) ताजिया दहाई स्त्री० दशक
दहाड़ स्त्री० गर्जना (२) चीस दहाड़ना अ०क्रि० गर्जवुं (२)चीस पाडवी दहान पुं० [फा.] मों (२) काणुं बहाना पुं० [फा.] मोढुं; द्वार ( २ ) नदीनो संगम - मुख (३) मोरी; गटर दहिना वि० (स्त्री० - नी ) जमणं ; ' दाहिना ' दहिने अ० जमणी तरफ होना = अनुकूल के प्रसन्न थवुं दही पुं० दहीं; दधि दहुँ अ० अथवा ( २ ) कदाच दहेंड़ी स्त्री० (दहींनी) दोणी दहेज पुं० [अ. जहेज] देज दहोतरसो वि० एक्सो दस; ११० दाँ [फा.] 'जाणनार' ए अर्थनो प्रत्यय उदा० कद्र - दाँ= कदरदान (२) वार; दफा. जेम के 'एकदाँ '
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बांक
२६३
वादफ़रियाद दॉक स्त्री०, ०ना अ०क्रि० जुओ दाख स्त्री० द्राक्ष [आवेलु 'दहाड़', 'ना'
दाखिल वि० [अ.]दाखल; सामेल; अंदर दांत पुं० दांत (२) दांतो. -काटी रोटी दाखिल-खारिज पुं० [फा.] दफतरमा भारे मंत्री. -किरकिरे होना-हारी हकदारनुं नाम बदलवू ते जवू;पार्छ पडq.-खट्टे करना, तोड़ना दाखिल-दफ्तर वि० [फा. विचार पर -खूब पजवकुंके बरोबर हराव.-तले न लेतां दफ्तरमा नांखेलु उंगली दबाना आश्चर्यचकित थवं. दाखिलापुं० [अ.प्रवेश(२)दाखलो रसीद -दिखाना=दांत काढवा; हसवू (२) दागपुं० दाह.-देना-दाह देवो(मडदाने) डरावq. -पर मैल न होना-खूब दान पुं० [फा॰] (वि०.-पी) डाघ (२) गरीब होवू.-बजना-खूब ठंडी लागवी. चिह्न (३) वाग्यानुं सोळ के जखम -बैठना = दांत सिडाई जवा (मूर्छा (४) दुःख; शोक. (५) कलंक; एब. इ०मां). -रखना या लगाना-खूब दार वि० डाघावाळं इच्छा राखवी (२) वेर लेवानो दागना सक्रि० दागवं; सळगाव, (२) विचार राखवो. दांतों पसीना आना डाम देवो(३)डाघ के निशानी पाडवी
खूब श्रम पडवो. दांतोंमें जीभ-सा वागबेल स्त्री० जमीन पर कोदाळी के होना-हरवखत शत्रुओ वच्चे रहे, कशाथी करातुं निशान (सडक, पायो दांता पुं० दांतो
इ० करवामां) दांताकिटकिट, दाँताकिलकिल स्त्री० वागी वि० डाघवाळ (२) कलंकित
झघडो; बोलाबोली (२) गाळागाळी दाज (-झ)न स्त्री० (प.) दाझवू ते दाँती स्त्री० दातरडु (२) बत्रीस दांतनो । दाज (-झ)ना अ०क्रि० (प.) दाझg
समूह; बत्रीशी [पगर करवं दाडिम पुं० दाडम; अनार दांना सक्रि०खळं करवा बळद फेरववा; दाढ़ स्त्री० दाढ ['दहाड़ना' दांपत्य पुं० [सं.] दंपतीधर्म; पतिपत्नी- दाढ़ स्त्री०, ना अ० क्रि० जुओ संबंध
दाढ़ी स्त्री० दाढी के तेना वाळ दाय स्त्री० जुओ 'देवरी'
दाता,र पुं० [सं.] दान देनार दांव पुं० दाव; 'दा'.०पेच पुं० दावपेच
दातु (-तौ)न स्त्री० दातण दांवनी स्त्री० माथानी दामणी-घरेणुं दाद स्त्री० दादर; दराज (२) [फा.] दावरी स्त्री० दोरी
दाद; न्याय. ख्वाह वि० फरियादी. दाई वि०स्त्री० 'दाहिनी'; जमणी -चाहना= दाद मागवी.-देना= न्याय बाई स्त्री० दाई; धाव. -से पेट छिपाना । करवो (२) वखणावं
=जाणकारथी कांई छुपाववं दादनी स्त्री० [फा.]. देवू (२) उपलक दाऊ पुं० मोटाभाई (निवासी) अपाती रकम; 'एडवान्स'; 'पेशगी' दाक्षिणात्य वि० (२) पुं० [सं.] दक्षिण- दावफ़रियाद स्त्री० [फा.] न्यायनी दाक्षिण्य पुं० [सं.] सभ्यता; विवेक मागणी; फरियाद
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वावा
दावरी वादा पुं० दादो; पितामह (२) मोटाभाई दायम अ० [सं.] सदा जन्मटीप वादी स्त्री० दादी मा (२) पुं० दाद वायम-उल-हक्स, दायमुल्हन्स पुं० [अ.] मागनार; फरियादी
दायर वि०[अ.] जारी; चालु. -करना दादुर पुं० (प.) देडको [वस्तु (२) दाण =(दावो कोरटमां) दाखल करवो वान पुं० [सं दान: देवं ते के तेनी दायरा पुं० [अ.] गोळ; वर्तुळ (२) दानव पुं० [सं.] राक्षस. -वी वि० राक्षसी मंडळी; टोळी; डायरो दाना पुं० [फा.] दाणो (२) अनाज. दायाँ वि० जुओ 'दाहिने
-दुनका-थोडं अन्न बुद्धिमत्ता दायें अ• जुओ 'दाहिने' दाना वि० [फा.] बुद्धिमान. ०ई स्त्री० दार स्त्री० [फा.] शूळी के फांसी (२) दानापानी पुं० दाणोपाणी; अन्नजळ
पुं० [अ.] जगा (३) घर (४) वि० दानिश स्त्री० [फा.] बुद्धिः समज
[फा.] 'वाळं' अर्थनो प्रत्यय । बानिस्त स्त्री० [फा. जाण; खबर
दारक पुं० [सं.] पुत्र; बेटो तिज बानिस्ता अ० [फा. जाणी जोईने ।
बार(-ल) चीनी स्त्री॰ [फा.] दालचीनी; बानी वि० [सं.] दानी; सखी; उदार
वार-मदार, दार-व-मदार पुं० [फा.]
मदार; आश्रय (२) अवलंबन दानेदार वि० [फा. दाणादार; रवादार
दारिद्र (प.)-द्र [सं.] पुं० गरीबाई दाप पुं० [सं. दर्प, प्रा. दप्प] अहंकार
वारु पुं० [सं.] लाकडु (२) देवदार (२) जोर (३) दाव (४) क्रोध ।
(३) सुथार [कठोर; तीव्र बाब स्त्री० दाब; काबू के दबाव (२)
दारुण वि० [सं.] भयंकर; घोर (२) पुं० [अ.] रोफ: दबदबो
वारुखिलाफ़त पुं० [अ.] खलीफनुं पर वाबना सक्रि० दाबवू; दबाव
(२) राजधानी दाभ पुं० दाभ; दर्भ
वारल्शफ़ा पुं० [अ.] इस्पिताल वाम पुं० [फा. जाळ; फांसो (२) दाम; दारू स्त्री० [फा.] दवा (२) दारू; शराब
पैसो (३) [सं.] रसी; दोरी; दामj वार-दरमन पुं० [फा.]उपाय;इलाज;दवा वामन पुं० [फा.]दामन; कपडांनो नीचलो दारोगा पुं० [फा.] तपास राखनारो भाग-कोर के पालव(२)पहाड नीचेनी ___अमलदार.०ई स्त्री० तेनुं काम के होद्दो
जमीन; तळेटी [(२) दावो करनार दाल स्त्री० दाळ. -गलना-दाढ बळी दामन-गौर पुं० [फा.] पीछो पकडनार __ थवी; कार्यमां फाव, बामनी,-री (प.) स्त्री० रसी; दामj दालचीनी स्त्री० जुओ 'दारचीनी' दामिनी स्त्री०[सं.] वीजळी(२) दामणी; दालमोठ स्त्री० दाळ- एक चवाधू बंधी
दालान पुं० [फा. वरंडो; ओसारो दामाद पुं० [फा.] जमाई
दालिम पुं० दाडम दामी वि० कीमती (२) स्त्री० कर दावे पुं० दाव; वारी (२) लाग; मोको वायज (-जा) पुं० जुओ 'दहेज' दावना स० क्रि० जुओ 'दांना वायभाग पुं० [सं.]वडीलोपार्जित वारसो दावरी स्त्री० जुओ 'दाँवरी'
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गाव पुं० [सं.] वन (२) दव (३) अग्नि बावत स्त्री० [अ.] नोतरं (२) मिजबानी दावा स्त्री० दावानळ; दव बावा पुं० [अ.] दावो; हक, अधिकार (२) । फरियाद; 'नालिश' (३) निश्चयथी के दृढतापूर्वक कथन करवू ते वावागीर, दावा (-वे)दार पु० [फा.] हकदार; दावो करनार दावात स्त्री० दवात; खडियो दास पुं० [सं.] सेवक; चाकर.-सी स्त्री० दास्तान स्त्री० [फा.] हेवाल; वृत्तांत (२)
कथा; किस्सो (३) वर्णन दास्य पुं० [सं.] दासत्व; चाकरी वाह पुं० [सं.] दाह; बळतरा; अगन (२) बळवू ते [सतावq; पजवQ दाहना स० क्रि० दाहवू; बाळy (२) दाहिना वि० जमणुं (२) अनुकूळ दाहिने अ० जमणी बाजू दिअली स्त्री० माटीनो नानो दीवो दिमा पुं० 'दीया'; दीवो दिक स्त्री० [सं.] दिशा [पुं० क्षय रोग दिक वि० [अ.] हेरान (२) बीमार (३) दिक्कत स्त्री० [फा.] मुश्केली (२)
हेरानगत दिखना अ० क्रि० देखा, दिखलवाना सक्रि० देखाडाव, दिखलाई स्त्री० देखाडवू ते के तेनुं काम विखलाना स० क्रि० देखाडवू दिखाई-स्त्री० दर्शन; देखq के देखाडq ते विखाऊ वि० देखाडवू (२) देखवामात्र;
देखाडा पूरतुं दिखाना स० क्रि० देखाडवू दिखाव पुं० देखq ते (२) देखाव दिखावटी वि० देखाडा पूरतुं
दिरमानी दिखावा पुं० देखाडो; आडंबर दिगंत पुं० [सं.] क्षितिज(२)बधी दिशाओ दिगंबर पुं० [सं.] एक जैन संप्रदाय (२)
शंकर (३) वि० नग्न दिगर वि० [फा.] बीजु; अन्य दिग्दर्शक यंत्र पुं० [सं.] होकायंत्र; 'कंपास' दिग्दर्शन पुं० [सं.] सामान्य परिचय;
रूपरेखा दिग्विजय स्त्री० [सं.] संपूर्ण विजय दिग्व्यापी वि० [सं.] चारे बाजु व्यापेलं दिठाना अ० क्रि० नजर लागवी दिठौना पुं० जुओ 'डिठौना' दिन पुं० [सं.] दिवस. --डबना सूर्य आथमवो. -पड़ना = खराब दहाडा आववा; संकट आवq. -फिरना, बहुरना-पाछा सारा दहाडा आववा दिनकर पुं० [सं.] सूर्य [कार्यक्रम दिनचर्या स्त्री० [सं.] रोज, कामकाजदिनांत पुं० [सं.] संध्या; समीसांज दिनांध वि० [सं.] दिवसे न देखतुं (२)
पुं० घुवड दिनाई पुं० दराज दिनी वि० जूनू; पुराणुं; घणा दिवसनुं दिनेश पुं० [सं.] सूर्य [देखावं ते दिनौंधी स्त्री० दिनांधता; दिवसे न दिमाग पुं० [अ.] दिमाक; भेजें (२) गर्व. -लड़ाना-भेजें वापर. -गो वि. भजावाळं के तेने लगतुं ['दारी' दियानत, दारी स्त्री० जुओ 'दयानत', दियारा पुं० नदी, भार्छ (२) 'दयार
प्रदेश दियासलाई स्त्री० दीवासळी दिरमान पुं० [फा. दर्मान] उपचार; चिकित्सा. -नी स्त्री० वैदु (२)पुं० वैद
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दिल
दिल पुं० [फा.] दिल; हृदय (२) मन. -के फफोले फोड़ना = दिल ठालवी जीव हळवो करवो. -थोड़ा करना=मनमां ओछं आववुं - लागवुं; रंज थवो. -देना = दिल देवुं; प्रेम करवो. -बुझना = दिलमां उत्साह के उमंग न रहेवो. -भरके = = मन मान्युं [ मनोहर दिलकश, दिलकुशा वि० [फा.] आकर्षक; दिलगीर वि० [फा.] नाखुश; उदास; खिन्न. -री स्त्री० [ बहादुर दिलचला वि० छातीचलुं; साहसिक (२) दिलचस्प वि० [फा.] ( नाम, स्पी) मन लागे एवं; आकर्षक
दिल-जदा वि० [फा.] दुःखी; खिन्न दिल-जमई स्त्री० [फा.] तसल्ली; दिलासो दिल-जला वि० दु:खी दिल-जोई स्त्री० [फा.] जुओ 'दिल- जमई' दिल दादा वि० [फा.] प्रेमी; आशक विलदार वि० [फा.] उदार ( २ ) प्रेमपात्र; प्रिय. - स्त्री०
दिलबर वि० [फा.] प्रिय; दिल हरनाएं दिलबस्ती स्त्री० [फा.] दिल लागवुं ते; प्रेम (२) मनोरंजन दिलबस्ता वि० [फा.] आसक्त; प्रेमी दिलरुबा वि० [फा.] प्रेमपात्र; प्यारुं दिलवाना स० क्रि० अपावबुं दिलवाला वि० उदार (२) दिलेर; बहादुर दिलशाद वि० [फा.] प्रसन्न; आनंदी दिलसोज़ वि० [फा.] दिलसोजी
हमदर्दीवाळु. -जी स्त्री० हमदर्दी दिला पुं० [फा.] हे दिल ! दिलाना स० क्रि० देवडाववुं दिलारा वि० [फा.] प्रिय; माशूक दिलावर वि० [फा.] बहादुर ( २ ) उदार
२६६
बीवा
दिलावेज वि० [फा.] सुंदर; मनने गमे तेवुं (नाम, जी स्त्री० ) [ आश्वासन दिलासा पुं० [फा.] दिलासो; धीरज; दिली वि० [फा.] दिलनुं; हार्दिक दिलेर वि० [फा.] 'दिलचला' (नाम, - री) दिल्लगी स्त्री० मरकरी. ०बाज पुं० मश्करो
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दिवस पुं० [सं.] दहाडो [पुं० सूर्य दिवा पुं० [सं.] दिवस (२) दीवो. ०कर दिवाला पुं० देवाळं -निकालना, - मारना = देवाळं काढवुं दिवालिया पुं० देवाळियो दिवाली स्त्री० दिवाळी दिव्य वि० [सं.] दैवी; अद्भुत (२) दीपतुं दिश, -शा स्त्री० [सं.] दिशा दिष्ट पुं०, ष्टि स्त्री० [ सं . ] भाग्य; नसीब दिसंबर पुं० डिसेंबर मास दिसावर पुं० देशावर [ बहारनुं (माल) दिसावरी वि० देशावरथी आवतुं; बिहंदा वि० [फा.] दाता; दानी दिहाड़ा पुं० बूरी हालत ( २ ) दहाडो दिहात पुं० 'देहात'; गामडुं दीक्षा स्त्री० [सं.] गुरुमंत्र लेवो ते (२) यज्ञ दीखना अ० क्रि० देखावुं दीगर वि० [फा.] जुओ 'दिगर' दीठ स्त्री० दृष्टि; नजर (२) नजर लागे ते (३) कृपादृष्टि - उतारना या झाड़ना = नजर उतारवी. - जलाना = नजर उतारवा राईमरचां बाळवां दीठबंद पुं० [दी स्त्री० नजरबंधी; जादू दीद स्त्री० [फा.] दर्शन ater पुं० [फा.] आंख (२) दृष्टि (३) धृष्टता. - लगना = ध्यान लागवुं. दीदेका पानी ढल जाना = निर्लज्ज बनी जवुं दीदे निकालना = आंखो काढवी
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दीवार २६७
दुकाल दीवार पुं० [फा.] देदार; दर्शन; देखाव दीवान-खास पुं० [अ.] दीवानेखास; दीदा-रेजी स्त्री० [फा.] (झीणा काममां) खास राजदरबार [स्त्री० गांडपण
आंखो ताणवी के फोडवी ते दीवाना वि०[अ.] दीवान; गांडु.-नगी दीदी स्त्री० मोटी बहेन
दीवानी स्त्री० दीवानी कचेरी (२) दीन वि० [सं.] गरीब; नरम
दीवानगीरी (३) वि० स्त्री० गांडी दीन पुं० [अ.] धर्म; मजहब. ०दार वि० दीवार (-ल) स्त्री० [फा.] दीवाल
धर्म पर आस्थावाळू; धार्मिक दीवार-गीर पुं० [फा.] दीवालनी अंदरनी दीन-दुनिया स्त्री० आलोक ने परलोक चाडा जेवी बनावट दीनानाथ पुं० गरीबनो बेली; ईश्वर दीवाली स्त्री० 'दिवाली'; दिवाळी दोनार पुं० [सं.] एक प्राचीन सोनयो- दोसना अ०क्रि० (प.) दीसवें; देखाएँ सिक्को (२) एक घरेणुं
दुंद पुं० (प.) द्वंद्वयुद्ध (२) उधमात; वीप पुं० [सं.] दीवो
धमाल (३) बेनुं द्वंद्व-जोडी (४) नगारु दीपक पुं०[सं.] दीवो (२) वि० उत्तेजक दुंदुभि, भी स्त्री० [सं.] नगाएं; डंको
(३)प्रकाश करे एवं (४)भूख उघाडे एवं दुंबा पुं० [फा.] घेटो दीप्त वि० [सं.] प्रकाशित; प्रज्वलित; दुःख पुं० [सं.] क्लेश; कष्ट; पीडा. ०द,
तेजस्वी. -प्ति स्त्री० प्रकाश; तेज ०दायी, प्रद वि० दुख दे एवं.-खित, दीबाचा पुं० [फा.] दीबाचो; प्रस्तावना -खी वि० दुःखी; दुखमां पडेलु दीमक स्त्री० [फा.] ऊघई
दुःसह वि० [सं.] कठण; सहे, मुश्केल दीयट पुं० जुओ 'दीवट' [राणो करवो दुःसाध्य वि० [सं.] करQ के मटवू मुश्केल दीया पुं० दीवो. -ठंडा करना=दीवो दु वि० 'दो' - समासमां आवतुं रूप. दीयासलाई स्त्री० दीवासळी
उदा० 'दुविधा', 'दुअन्नी' दीर्घ वि०[सं.] लांबु (२) मोटुं. ०दर्शी। दुआ स्त्री० [अ.] दुवा; आशिष (२) वि० दीर्घ दृष्टिवाळू. ०दृष्टि स्त्री० विनंती. -करना विनंती करवी. लांबी नजर. सूत्र (-त्री) वि० कोई
-कहना=आशिष आपवी. -लगना काममां बहु झीणुं कांतनार । = आशिष फळवी दीर्घायु वि० [सं.] दीर्घ आयुषवाळू दुआबा पुं० [फा. दोआबः] दोआब दीधिका स्त्री० [सं.] नानुं जळाशय-तळाव दुई स्त्री० द्वैतभाव. -का परवा अज्ञान दीवट स्त्री० दीवी
के मायानो पडदो दीवा पुं० दीवो
दुकड़ा पुं० जोटो (२) दोकडो दीवान पुं० [अ.] दीवान (२) काव्य- दुकान स्त्री० [फा.] दुकान. -बढ़ाना= संग्रह (३) राजसभा; मोटो ओरडो दुकान वधाववी, बंध करवी.-लगाना दीवान-आम पुं० [अ.] दीवानेआम; =दुकान मांडवी [-री स्त्री० वेपार राजदरबार
[बेठक दुकानदार पुं० [फा.] दुकानवाळो;वेपारी. दीवानखाना पुं० [फा.] दीवानखानु; दुकाल पुं० दुकाळ
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दुकेला २६८
दुमदार दुकेला वि० (स्त्री० -लो) बेकलं दुदामी स्त्री० एक जातनुं सुतराउ कपडु
केले अ० बेकल: साथे कोईने लईने दुध-मुख,-मुंहाँ वि० जुओ 'दूधमुंहा' दुक्कड़ पुं० तबला जेवू एक वाजें दुष-हंडी, दुधांड़ी स्त्री० दूधनी हांल्ली दुक्का वि० बेकलं (२) जोडकुं दुधार, दुधैल वि० दुधाळ; दूझj (२) बुक्की स्त्री० दूरी (गंजीफानी); दूओ दूधवाळू दुख पुं० दुःख
दुधिया वि० दूधवाळु के दूध जेवू घोळू दुखड़ा पुं० दुखडं (२) आपवीती दुनाली वि० स्त्री० बेनाळी (बंदूक) दुखना अ० क्रि० दुखवं; पीडा थवी
दुनियवी, दुनियाई वि० दुन्यवी; संसारी दुखाना सक्रि० दुखाडवं; पीडा करवी दुनियां,-या स्त्री० [अ. दुन्या दुनिया. दुखानी वि० [अ.] आगना जोरथी चालतं -के परदे पर = आखी दुनियामां दुखारा,-री वि०(प.) दुखी; दुखियारं
* दुनियादार वि० संसारी (२) व्यवहारदुखी,-खिया,-खियारा वि० दुखी;
चतुर (३) पुं० गृहस्थ. -रो स्त्री० पीडित
दुनियासाज वि० [फा. मतलबी; स्वार्थी दुस्तर स्त्री० [फा.] दीकरी; पुत्री दुन्या स्त्री० [अ.] जुओ 'दुनियाँ' दुगई स्त्री० ओसरी; वरंडो
दुपट्टा पुं० बे फाळनी ओढवानी चादर दुगदुगी स्त्री० गळानो खाडो (२) (२) दुपट्टो; खेस. -तानकर सोना
गळानं एक घरेणं दूना' निरांते सू; निश्चित होवू [ 'दोपहर दुगना, दुगुण (-न) (प.), वि० बमणं; दुपहर (-रिया, -री) स्त्री० बपोर; दुग्ध पुं० [सं.] दूध
दुफ़सली वि० रवी अने खरीफ बनेमां दुचंद वि० जुओ 'दुगना'
पाकतुं (२) संदिग्ध [(२) चिंता दुचित (-त्ता) वि० अस्थिर चित्तनुं (२) दुबधा स्त्री० दुविधा; संशय; अस्थिरता
संदेहमां पडेलु [रता (२) संदेह दुबला, पतला वि० दूबळु; कमजोर दुचिताई, चित्ती स्त्री० चित्तनी अस्थि- दुबारा अ० बीजी वार; 'दोबारा' दुल्द पुं० [फा.चोर.(स्त्री०-दी-चोरी) दुबाला वि० बमणुं; 'दोबाला' । दुपदीदा वि० [फा. चोरीन. -निगाहें दुभाषिया पुं० दुभाषियो [(मकान)
कोई न देखे तेम जोनारी आंखो दुमंजिला वि० बे खंड के मजलानुं बुद्धक वि० खंडित; तूटक. -बात- दुम स्त्री० [फा.] पूंछडी. -के पीछे
साफ रोकडी के खरी वात। फिरना=केडे केडे फरवू.-दबा जाना दुत् अ० धुत; तुच्छकारनो उद्गार = डरीने भागवू.-में घुसना=गेब पई दुतकार पुं० धुत्कार
जवं; हठी जवं. -में घुसा रहना= दुतकारना स० क्रि० घुत्कारवू खुशामत करता रहे. -हिलाना = दुतर्फा वि० (स्त्री० –ी) बे तरफनुं पूंछडी पटपटाववी. [पूंछडानो पटो दुति स्त्री० (प.) द्युति; तेज दुमची स्त्री० [फा. घोडाना साजनो दुति (-ती)या स्त्री०(प.) बीज; द्वितीया दुमदार वि० पूंछडियुं; पूंछडीवाळू
WITHHTTTTTTTTTTTTTTTTTTI
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२६९
दुमाता
दुलंचा बुमाता स्त्री० खराब के सावकी मा दुर्घटना स्त्री० [सं.] आफत; दुःखद दुमुंहा वि० बे मोवाळू (२) कपटी बनाव के अकस्मात दुरंत वि० [सं.] अपार (२) दुर्गम (३) दुर्जन पुं० [सं.] खराब-दुष्ट माणस बहु मोटुं; प्रचंड
। दुर्दशा स्त्री० [सं.]खराब दशा;बूरी हालत दुरदुराना स०क्रि० दूर दूर करवू; अप- दुर्दैव पुं० [सं.] दुर्भाग्य; कमनसीब
मानपूर्वक हठावq-हांकवु (कूतरां माटे) दुर्बल वि० [सं.] दूब ; कमजोर दुरमुस पुं० कूबा जेवू ठोकवानुं ओजार दुर्बोध वि० [सं.] समजवामां कठण दुराग्रह पुं० [सं.] खोटो आग्रह; हठ दुर्भाग्य पुं० [सं.] दुर्दैव; कमनसीब दुराचरण, दुराचार पुं० [सं.] खराब दुर्भिक्ष पुं० [सं.] दुकाळ आचार-चालचलगत
दुर्मति स्त्री० [सं.] कुमति; दुर्बुद्धि (२) दुरात्मा पुं० [सं.] दुर्जन
वि० कुमतिवाळू दुरादुरी स्त्री० छुपाव, ते
दुर्रा पुं० [फा. कोयडो; चाबुक दुराना अ० कि० दूर थर्बु (२) छुपावू दुर्लक्ष्य पुं० [सं.] खोटो बूरो उद्देश (२) (३) सक्रि० दूर कर, (४) छोडवू वि० न जोई शकाय एवं; जोवू मुश्केल (५) छुपावq
दुर्लभ वि० [सं.] मळवू मुश्केल (२) दुराव पुं० दूरतानो भाव (२) कपट अनोखू; विरल दुराशय पुं० [सं.] दुष्ट - खोटो आशय दुर्वचन पुं० [सं.] गाळ [कठण के इरादो
दुर्वह वि० [सं.] असह्य; वहन करवामां दुराशा स्त्री० [सं.] खोटी के व्यर्थ आशा दुर्व्यवस्था स्त्री० [सं.] गेरव्यवस्था दुरित पुं० [सं.] पाप (२) वि० पापी । दुर्व्यवहार पुं० [सं.] गेरवर्तणूक दुरपयोग पुं० [सं.] खोटो, अयोग्य उपयोग दुलकी स्त्री० घोडानी रवाल दुरुस्त वि० [फा.] दुरस्त (२) योग्य; । दुलत्ती स्त्री० चोपगानी पाछला बे उचित
पगनी लात [एक खच्चर दुरुस्ती स्त्री॰ [फा.] दुरस्ती; सुधारो दुलदुल पुं० [अ.] पेगंबरने भेट मळेलं दुरूद स्त्री० [फा.] दुआ; आशीर्वाद । दुलराना सक्रि० बाळकने लाड करवू दुरूह वि० [सं.] कठण; दुर्गम (२) अ०कि० बाळकनी जेम प्रेममा दुगंध स्त्री० [सं.] खराब वास (२) खेल करवा पुं० संचळ (३) डुंगळी
दुलह,-हिन स्त्री० नववधू; नवी वहु दुर्ग पुं० [सं.] किल्लो
दुलहा पुं० वर; 'दूल्हा'. -हिन स्त्री० दुर्गति स्त्री० [सं.] नठारी गति; दुर्दशा दुलाई स्त्रो० थोडा रूवाळी रजाई दुर्गम वि० [सं.] जवामां के समजवामां दुलार पुं० लाड; प्रेम [गेल करवं कठण के मुश्केलीवाळू
दुलारना स०क्रि० लाड करवू; प्रेमथी दुर्गुण पुं० [सं.] खराब गुण; एब दुलारा वि० (स्त्री०,-री) लाडकुं दुर्घट वि० दुःसाध्य; बनवू कठण दुली (-ल)चा पुं० (प.) गलीचो
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दुशवार
दुशवार - री जुओ 'दुश्वार - री' दुशाला पुं० दुशालो; कीमती शाल दुश्चरित वि० [सं.] दुराचारी (२) पुं० दुराचार
२७०
दुश्नाम स्त्री० [फा.] गाळ दुश्मन पुं० [फा.] शत्रु; वेरी दुश्मनी स्त्री० शत्रुता; वेर बुश्वार वि० [फा.] ( नाम, - री) कठण; मुश्केल (२) दुःसह दुष्कर वि० [सं.] करवुं कठण; अघसं दुष्कर्म पुं० [सं.] बूरुं काम; पाप दुष्काल पुं० [सं.] दुकाळ दुष्ट वि० [सं.] खराब; पापी; अधम दुसह वि० ( प. ) दु:सह; असह्य दुसार ( - ल ) अ० ( प. ) आरपार ; सोंसरु दुसूती स्त्री० मोद जेवुं चोतारं एक बिछान् [ मुश्केल दुस्तर वि० [सं.] तरी जवुं - पार करवुं दुस्सह वि० [ सं . ] असह्य
दुहता पुं० दौहित्र; पुत्रीनो पुत्र; 'दोहता' दुहना स० क्रि० दोहवुं दुहनी स्त्री० [सं. दोहनी] दोणी दुहरा पुं० दोहरो दुहराना स० क्रि० जुओ 'दोहरांना ' दुहाई स्त्री० दोहवं ते के तेनी मजूरी (२) दुहाई; आण (३) घोषणा. - देना = आण देवी. - फिरना = आण वर्तवी (२) ढंढेरो पिटावो
दुहाग पुं० दुर्भाग्य (२) रंडापो दुहागिन स्त्री० विधवा दुहागी वि० दुर्भागी दुहिता स्त्री० [सं.] दीकरी; पुत्री दुहेला वि० दोह्यलु; मुश्केल; कठण दुई स्त्री० [सं.] जुदाई; द्वैत
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दूरदर्शी
दूकान स्त्री० जुओ 'दुकान' ०दार पुं० दुकानवालो
दूज स्त्री० 'दुतिया'; बीज ( तिथि ) दूजा वि० बीजुं
दूत पुं० [सं.] संदेशो लई जनार; खेपियो (२) जासूस; चर. - तिका, ती स्त्री० दूत स्त्री; प्रेमीओ वच्चे संदेशा इ० करनारी
दूध पुं० दूध. - उतरना = : छातीमां दूध भरावं. - का दूध और पानीका पानी करना = चोखो न्याय तोळवो. को मक्खीकी तरह निकालना, निकालकर फेंक देना = तुच्छ समझी दूर कर दूध पिलाई स्त्री० धाव ( २ ) लग्ननी एक विधि
दूध-पूत पुं० धन अने संतति दूध-मुँहा, -मुख वि० धावणुं दून स्त्री० बमणापणुं (२) पुं० खीणनो भाग. —की लेना या हाँकना = गप हांकवी दूना वि० बमणुं; बे गणुं दूब स्त्री० दरो घास टू बढ्दू अ० [फा.] सामसामे दूभर वि० कठण; अघहं दूरंदेश वि० [फा.] दूरदर्शी; अगमचेतीवाळं. -शी स्त्री० अगमचेती दूर अ० [सं.] आघे; वेगळे ( समय के स्थळमां). - को कहना = भारे सूझ के समजनी वात कहेवी. - की सोचना = दीर्घदृष्टिथी विचारवं
दूरकी बात स्त्री० बारीक, कठण के भविष्यनी वात
दूर-दराज वि० [फा.] दूर दूर; बहु दूर दूर-दर्शक, दूरदर्शी वि० [सं.] दूरंदेश; दीर्घदृष्टिवाळं
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दूरबीन
दूरबीन स्त्री० [फा.] दूरदर्शक यंत्र
दूरी स्त्री० दूरत्व; अन्तर दूर्वा स्त्री० [सं.] दरो घास दुलह, दूल्हा पुं० वर ( २ ) पति दूषण पुं० [सं.] दोष; खोड; एब दूषित वि० [सं.] दोषवाळु; बूरुं; खराब दूसरा वि० बीजुं
दृक् (ग) पुं० [सं.] आंख ; दृष्टि बृढ़ वि०[सं.]स्थिर;मक्कम; मजबूत;पाकुं दृढ़ाना अ०क्रि० दृढ थवुं (२) स०क्रि० दृढ कर
२७१
दृश्य पुं० [सं.] देखाव (२) वि० जोवा जेवुं दृष्ट वि० [सं.] प्रत्यक्ष जोयेलुं; जाणेलुं बृष्टांत पुं० [सं.] दाखलो; उदाहरण. दृष्टि स्त्री० [सं.] नजर; जोवुं ते (२) ख्याल ; अनुमान (३) मत; समज दृष्टिकोण पुं० [सं.] दृष्टिबिंदु दृष्टिपथ पुं० [ सं . ] दृष्टिमर्यादा; जोवामां आवतुं क्षेत्र [ जोवामां आववुं ते दृष्टिपात पुं० [सं.] नजर पडवी ते; देउ ( -व) र पुं० देवर; दियेर देखना स० क्रि० देखवुं; जोवुं (२) तपासवुं (३) पारखवुं (४) समजवुं - विचारखुं (५) वांचवुं. -भालना= जोवुं; तपासवुं. -सुनना - जाणवुं करवुं; खबर मेळववी. देखते देखते - आंखो सामे (२) जोतजोतामां देखते रह जाना = जोता ज रही जवुं; छक थवुं देखभाल, देखरेख स्त्री० देखरेख; संभाळ देखाऊ वि० खाली देखाडावाळु; कृत्रिम देखादेखी स्त्री० दर्शन; देखावुं ते (२) अ० देखादेखी; बीजानुं जोईने देखाव पु०, ०८ स्त्री० देखाव; ठाठमाठ 'देव पुं० [फा.] देगडो (रसोईमां वपराय ते)
देवान
देराचा पुं० [फा.] नानो देग-देगडो देराची स्त्री० देगडी
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देन स्त्री० दान; देवुं ते देनदार पुं० देणदार; देवादार [ देवं देना स०क्रि० देवं; आपवुं ( २ ) पुं० देणुं; देय वि० [ सं . ] आपवा योग्य [समय देर (-री) स्त्री० [फा.] ढील; वार (२) देरपा वि० [फा.] टकाऊ; मजबूत देरीना वि० [फा.] प्राचीन; जूनुं देव पुं० [सं.] देव; सुर ( २ ) पूज्य व्यक्ति माटे आदरसूचक शब्द (३) [फा.] राक्षस देवठान पुं० देवऊठी एकादशी देवता पुं० [सं.] देव; सुर देवदार पुं० देवदारनुं झाड के लाकडं देवधुनि, देवनदी स्त्री० [ सं . ] गंगा नदी देवनागरी स्त्री० नागरी के बाळबोध लिपि
देवपथ पुं० [ सं . ] आकाश देवभाषा स्त्री० [ सं . ] संस्कृत भाषा देवभूमि स्त्री० [सं.] स्वर्ग देवमंदिर पुं० [सं.] देवळ; मंदिर; देवालय देवर पुं० [सं.] दियेर देवरानी स्त्री० देराणी (२) इन्द्राणी देव पुं० [ सं . ] देवोमां ऋषि - नारद इ० देवल पुं० देवळ; मंदिर (२) [सं.] पूजारी देववाणी स्त्री० [सं.] संस्कृत भाषा (२) आकाशवाणी
देवस्थान पुं० [सं.] देवळ; मंदिर देवांगना स्त्री० [सं.] देवनी स्त्री ( २ )
अप्सरा
देवा वि० (समासने अंते) देनार, जेम के पानीदेवा (२) देवादार; ऋणी देवान पुं०दीवान; वजीर ( २ ) राजदरबार
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वैनवार
देवानांप्रिय
२७२
बोपारा । देवानांप्रिय पुंगसं.] बकरो (२) मूर्ख वैन पुं० [अ.] देण; देवें
देवालय पुं० [सं.] देवळ; मंदिर वैनदार पुं० [फा. देणदार; देवादार देवी स्त्री० सिं.] देवी (२) सन्नारी दैनिक वि० [सं.] रोजिंदुं; रोजर्नु देश (-स) पुं० [सं.] देश; मुल्क (२) दैन्य पुं० [सं.] दीनता स्थान; जगा
दैव वि० [सं.] देवने लगतुं (२) पुं० देशनिकाला पुं० देशनिकालनी सजा ___ नसीब (३) ईश्वर (४) आकाश देशभाषा स्त्री० [सं.] अमुक देश के वैवज्ञ पुं० [सं.] जोशी प्रदेशनी भाषा
दैवयोग पुं० सं. नसीबनो संयोग देशांतर पुं० [सं.] देशावर; बीजो देश दैवात् अ० [सं.] दैववशात् देशी (०य) वि० [सं.] देश- के तेने लगतुं दैविक वि० [सं.देवताई(२)आधिदैविक देस पुं० देश; मुल्क. -सी वि० देशी देवी वि० [सं.] 'दैविक' (२) आकस्मिक देसवाल वि० देशन; स्वदेशी दैहिक वि० [सं.] देह संबंधी; शारीरिक देसावर पुं० [फा.) 'दिसावर'; देशावर दो वि० [फा.] बे. (आ अर्थमां समासमां देह स्त्री० [सं.] देह; शरीर (२) पुं० 'दु' जेम पण आवे छे) प्रदेश [फा. दिह देहात; गाम (३)वि० देनार दोआब,-बा पुं० [फा.] बे नदी वच्चेनो (समासमां) जेम के, जवाबदेह
दोउ, ऊ वि० (प.) बन्ने; बेउ मनुष्य वेहका। - [फा.) गामडियो; ग्रामवासी दोगला पुं० [फा.] जारज के वर्णसंकर (२) खेडूत. -नियत स्त्री० गामडिया- दोचंद वि० [फा.] 'दुचन्द'; बेगj . पj. -नी वि० गामडान; गामडियु; दो-चार स्त्री० [फा.] केटलाक; बे चार ग्रामीण
दोचित्ता वि०, वोचित्ती स्त्री० जुओ बेहरा पुं० देरुं:देवालय(२)मनुष्य-शरीर 'दुचित्ता,-त्ती' देहरी,-ली स्त्री० [सं.] ऊमरो दोजख पुं० [फा.] दोजख; नरक देहांत पुं० सं.] मरण [गाम दोजानू अ० [फा. चूंटणिये (बेसवू) देहात पुं० [फा. 'दिह'नुं ब०व०] दिहात'; दोतरफ़ा अ० [फा.] जुओ 'दुतफ़ी देहाती वि० [फा. दह नु; 'देहक़ान' दोतला,-ल्ला वि० बे खंड के माळy
ही पुं० [सं.] आत्मा; देहधारी (मकान) दैत्य पुं० [सं.] द नव; असुर (२) अति । दोतारा पुं० बेतारुं वाद्य मोटो बळवान माणस
दोन पुं० दोआब (२) खीण (३) दैनंदिन अ० [सं.] प्रतिदिन; रोज (२)
नदीओनो संगम वि० रोजमुं. नी स्त्री० डायरी; दोना पुं० (स्त्री०,-बी) द्रोण; दडियो रोजनीशी
दोनों वि० बन्ने
बपोर देन पुं० दैन्य; दीनता (२) स्त्री० 'देन'; दोपहर पुं०; -रिया स्त्री० 'दुपहर'; देवं ते; भेट (३) वि० देनारु, जेम के दोफ़सली वि० जेमां बे फसल लेवाय तेवं सुखदैन (४) दिन-दिवस संबंधी दोबारा अ० [फा. जुओ 'दुबारा'
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दोबाला
गी
बोबाला अ० [फा.] 'दुबारा'; 'दूना' भाषा पुं० दुभाषियो [ 'दोतल्ला' दोमंजिला अ० [फा.] जुओ 'दुमंजिला', दोयम वि० [फा.] दुय्यम; दूयम; बीजुं बोरंगा वि० दोरंगी; बने तरफ स्त्री० दोरंगीपणुं (२) छळ दोरसा पुं० एक जातनी पीवानी तमाकु (२) वि० बे रस के स्वादवाळं. दोरसे दिन = स्त्रीना महिना दोराहा पुं० वे रस्ता ज्यांथी फंटाय ते बोरुखा वि० जेनी बेउ बाजु सरखो रंग वेलबुट्टा होय तेनुं (२) एक बाजु एक ने बीजी बाजु बीजा रंगवाळु दोल (-ला) पुं० [ सं . ] हींडोळो; हींचको (२) डोळी
दोशंबा पुं० [फा.] सोमवार दोश पुं० [फा.] खभो [-जगी) दोशीजा स्त्री० [फा.] कुंवारिका (नाम दोष पुं० [सं.] भूल; चूक (२) खोड; खामी (३) वांक (४) एब; लांछन (५) शरीरना त्रण दोष ते दरेक दोषारोपण पुं० [सं.] दोष देवो ते; आळ; आक्षेप [स्त्री० दोस्ती बोस पुं० (प.) दोष (२) दोस्त. ०दारी दोस्ती वि० चोतारुं (२) स्त्री० 'दुसूती' दोस्त पुं० [फा.] दोस्त ; मित्र [दोस्ती दोस्ताना वि० [फा.] दोस्तीनुं (२) पुं० दोस्ती स्त्री० [फा.] दोस्ती; मैत्री - दोहगा स्त्री० रखात; उपपत्नी दोहता पुं० 'दुहता'; दौहित्र दोहद स्त्री० [सं.] गर्भवतीनी इच्छादोहद (२) गर्भनुं चिह्न के गर्भावस्था वोहन पुं० [सं.], -नी स्त्री० दोहवं ते (२) दूधनो दोणी
हि- १८
२७३
दौलतमंद
दोहरना अ० क्रि० बेवडावुं (२) स०क्रि० जुओ 'दोहराना'
दोहरा वि० बेवडुं (२) पुं० दोहरो दोहराना स०क्रि० बेवडवुं (२) बीजी वार कर के कहेवुं
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दोहा पुं० दोहरो; दुहो दोहाई स्त्री० जुओ 'दुहाई' दरी स्त्री० जुओ 'देवरी' दौड़ स्त्री० दोड; दोडवुं ते (२) प्रयत्न (३) क्रिकेटनो 'रन'
दौड़धूप स्त्री० दोडधाम; खूब परिश्रम दौड़ना अ० क्रि० दोडवं [उतावळ दौडादौड़ी स्त्री० दोडादोड; त्वरा; दौड़ान स्त्री० दोट (२) वेग (३) फेरो;वारी दौना पुं० एक छोड (डमरो ?) (२) जुओ 'दोना'
दौर पुं० [अ.] दोर (सत्ता; भभको) (२) भ्रमण; फेरो (३) वार; 'दफ़ा' ( ४ ) . काळचक्र; जमानो दौरदौरा पुं० प्रबळता; सत्ता दौरा पुं० भ्रमण करवुं ते; प्रवास ( २ ) फेरो; आंटो. -सुपुर्द करना - सेशन्स जज पासे मोकलबुं
दौरान पुं० [फा.] भ्रमण; फेरो ( २ ) वारी (३) जमानो
दौरी स्त्री० टोपली; छाबडी दौर्बल्य पुं० [सं.] दुर्बळता; नबळाई दौर्भाग्य पुं० [सं.] दुर्भाग्य दौर्मनस्य पुं० [सं.] मननी खराब दशा (२) शोक; निराशा
दौलत स्त्री० [ अ ] दोलत; धन दौलतखाना पुं० [फा.] - घर; मकान ( मानार्थे बोलाय छे)
दौलतमंद वि० [फा.] धनवान, दोलतवाळं
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२७४
साधन
रोहित्र
धकेलना दौहित्र पुं० [सं.] दोहित्र; 'नाती'. (स्त्री० ब, द्वंद्व [सं.] पुं० युग्म; जोडु (२) के -त्री) _
शोभा वच्चे युद्ध (३)झघडो (४)दुविधा; शंका पुति (०मा) स्त्री० [सं.] तेज; कांति (२) द्वय वि० [सं.] बे (२).पुं० युग्म; द्वेक बूत पुं० [सं.] जूगटुं - [प्रकाशनाएं द्वादशाह पुं० [सं.] बारमुं घोतक वि० [सं.] दर्शावनाएं (२) द्वादशी स्त्री० बारश तिथि द्रव पुं० [सं.] द्रवq-ओगळवू ते (२) द्वार पुं०[सं.] बार[;दरवाजो (२)उपाय; प्रवाही के पीगळेलुं ते (३) वि० प्रवाही; पीगळेलु [(२) वहेवू द्वारपाल पुं० [सं.] द्वारपाळ; दरवान जवना अ.क्रि० (प.) द्रवईं; पीगळवू । द्विज पुं० [सं.] ब्राह्मण (२) अंडज प्राणी द्रव्य पुं० [सं.] पैसो; नाणुं(२)वस्तु; पदार्थ द्वितीय वि० [सं.] बीजं.-या स्त्री० बीजा अष्टा वि० [सं.] देखनार (२) पुं० आत्मा द्विदल पुं० [सं.] कटोळ; दाळ (२) वि० के द्राक्षा स्त्री० [सं.] द्राक्ष; अंगूर
दळ के फाडवाळु ब्रावक वि० [सं.] पिगळावनाएं द्विधा अ० [सं.] बे प्रकारे (२) बे भागमा प्राविड़ वि० [सं.] द्राविड देशनु; द्राविडी । द्विरद पुं० [सं.] हाथी दुत वि० [सं.] उतावळु; झडपी (२) द्विरेफ पुं० [सं.] भमरो पीगळे लं. -ति स्त्री०
द्वीप पुं० [सं.]बेट; टापु [(३)चीड; गुस्सो बुम पुं० [सं.] झाड (२) पारिजातक वृक्ष द्वेष पुं०[सं.] ईर्षा; झेर (२) वेर; शत्रुता प्रोन पुंसिं.] दडियो (२) होडी (३) वि० (प.) बे; बेउ कागडो (४) द्रोणाचार्य. -णि, -णी द्वत पुं० [सं.] बेपणु; भेद; जुदाई स्त्री० नानो द्रोण [द्रोह करनाएं द्वेष पुं० [सं.] विरोध (२) बेभव्यु द्रोह पुं०[सं.] दगो; वेरभाव. -ही वि० राज्यपद्धति; 'डायर्की'
बंगर पुं० भरवाड; आहीर घंध,क,र पुं०(प.) पंचात; झंझट (२)
कामधंधानो आडंबर [रहेनार बंधकघोरी पुं० खूब कामनी धमालमा
पला पुं० ढोंग (२) बहा; छळकपट 'धा पुं० धंधो; कामकाज; उद्यम घसना अ.क्रि० अंदर खची-पेसी जq धंसान स्त्री०, धंसाव पुं अंदर पसी 'जवू ते (२) कळणः जमीन,
धक स्त्री० हृदयनी घडक (२) अ.
अचानक; एकाएक [धगधगq (आगर्नु) धकधकाना अ० क्रि० धडकवू (२), धकधकी स्त्री० जुओ 'धुकधुकी धकपकाना अ०क्रि० हृदय धडकवू; डरकुं धकपेल, धकाधकी स्त्री अक्कापक्की षकियाना, धकेलना सकि० धकेलधुं:
धक्को देवो धकेलमा सक्रि० धकेल; हडसेलकुं
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धन्या
धकेल, पल
२७५ धकेल, धकेल वि० धक्को देनार; होठ पर तेनी पडती रेखा धकेलनार
धत् अ० धत्; धुत् धक्कमपक्का पुं० धक्काधक्की; खूब भीड धत स्त्री० लत; बूरी आदत धक्का पुं० धक्को; हडसेलो (२) आघात; ___धतकारना स०क्रि० धुत्कार, हानि (३) संकट; विपत्ति
धता वि० धत् करायेलं; धुत्कारेलु. धक्कामुक्की स्त्री०धक्कामुक्की मारपीट -करना या बताना भगाडवू; धत् पगड़,-डा पुं० यार उपपति;व्यभिचारी. करी काढq [गांडा जेवू फरवू -ड़ी स्त्री० कुलटा स्त्री
धतूर,-रा पुं० धंतूरो. -खाए फिरनाधज स्त्री० सुंदर रचना के ढंग [धज'
धधक स्त्री० आगनी झोळ; आंच; धजा स्त्री० धजा; वावटो (२) जुओ भभूकवू ते [धग लागवू-बळवं. धजीला वि० संदर
धधकना अ०क्रि० (अग्नि) भडके धग धज्जी स्त्री० चीदरडी के लांबी पट्टी. धन पुं० धन (२) गायो, धण धज्जियां उड़ाना-चीरा के टुकड़ा करी । धनक पुं० जुओ 'धनुक' (२) सोनेरी नांखवा (२) कशें बेहाल करी नांखवू रूपेरी नानी पटीनी फीत के किनार . पड़ पुं० शरीरनुं धड (२) झाडनुं थड धनकटी स्त्री० लणणीनो समय (२) (३) धड अवाज
एक कापड षड़क स्त्री० दिलनी धडक (२) भय धनकुबेर पुं० खूब धनवान माणस घड़कन स्त्री० धडक धडक थर्बु ते । धनतेरस स्त्री०आसोवद तेरस-धनतेरश धड़कना अ०क्रि० धडकवू (२) धड धनधान्य पुं० [सं.] धन अनेधान्य-संपत्ति
अवाज थवो [इनो चाडियो धनधाम पुं० धनदोलत अने घरबार षड़का पुं० जुओ 'धड़क' (२) खेतर धनवंत, धनवान, धनाढ्य, धनिक वि. धड़टूटा वि० कमरमांथी वळेलं (२) [सं.] पैसादार; तवंगर कूबडु; धुं
धनिया पुं० धाणा [स्वामी धड़ल्ला पुं० धडाको. धड़ल्लेसे, के साथ धनी वि० [सं.] धनवान (२) पुं० घणी;
-कशी रुकावट विना (२) बेधडक धनुआ पुं० धनुष (२) पीजण घड़ा पुं० त्राजवानो धडो (२) पक्ष. धनुई स्त्री० नानो 'धनुआ' -बाँधना= धडो करवो (३) कलंक धनुक पुं० धनुष (२) इंद्रधनुष लगाडQ धडाकाबंध; झटपट धनुकबाई स्त्री० धनुर्वा । धड़ाका पुं० धडाको, धड़ाकेसे अ० धनुविद्या स्त्री० [सं.] धनुषनी विद्या धड़ाधड़ अ० (रव०) तूटवा के पडवानो धनुष,-स पुं० [सं.] बाण- धनुष्य
अवाज (२) लगातार; जलदी. धन्ना पुं० धरणुं; त्रागुं धड़ाम पुं० धब-धबाकानो अवाज धन्नासेठ पुं० मोटो धनी आदमी धड़ी (-री) स्त्री० चार के पांच पाका धन्य वि० [सं.] कृतार्थ भाग्यशाळी (२) शेरनोएक तोल (२) पानथी के रंगथी अ० शाबाश; वाहवाह
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धन्यवाद
धन्यवाद पुं० [ सं . ] शाबाशी; प्रशंसा के तेनो बोल
धप स्त्री० घब अवाज (२) धप्पो धप्पा पुं० धप्पो (२) नुकसान धब्बा पुं० धाबु; डाघ
धमक स्त्री० धम दईने पडवानो अवाज; धमकारो (२) आघात
धमकना अ०क्रि० धम अवाज करवो (२) ( माथु) दुखवुं. आ धमकना = आवी पहोंच
२७६
धमकाना स०क्रि० धमकाववुं; डराव धमकी स्त्री० धमकी; डर धमधूसर वि० जाडुं बेडोळ ( माणस ) धमना स०क्रि० धमवुं; पवन फूंकवो धमनी स्त्री० [सं.] लोहीनी नाडी धमाका पुं० धबाको; 'धमक' धमाचौकड़ी स्त्री० धमाचकडी धमाधम अ० लगातार धम धम ( २ ) स्त्री० धमाधम (३) मारामारी मार स्त्री० धमाल (२) धमार ताल के होळीनुं एक गीत धरणि, -णी स्त्री० [पं.] पृथ्वी घरता पुं० धारण करनार (२) देणदार धरती स्त्री० धरती; पृथ्वी धरन स्त्री० धारण करवुं ते (२) धारण; पाटडो (३) धरणुं धरना स० क्रि० धरवुं; पकडवुं (२) रखात राखवी (३) गीरो मूकवुं (४) पुं० धरणुं; त्रागुं धरहरा पुं० मिनारो
धरा स्त्री० [सं.] धरती; पृथ्वी धराऊ वि० कीमती; खास अवसर माटे साचवी रखातुं
बराह पुं० जुओ 'धरहरा'
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भातु
धरित्री स्त्री० [सं.] धरती; पृथ्वी धरी स्त्री० जुओ 'धड़ी' धरोहर स्त्री० अनामत राखेलुं ते धर्म पुं० [ सं . ] धर्म; संप्रदाय (२) फरज; कर्तव्य (३) गुण; लक्षण धर्मधक्का पुं० धरमधक्को धर्मपत्नी स्त्री० [ सं . ] विवाहित स्त्री धर्मशाला स्त्री० [सं.] धरमशाळा; मुसाफरखानुं [ जेम के स्मृति धर्मशास्त्र पुं० [सं.] धर्म बतावतो ग्रंथ, धर्मात्मा वि० (२) पु० [सं.] धर्मिष्ठ पुरुष धर्मासन पुं० [ सं . ] न्यायासन; न्यायाधीरानी बेठक
धर्मिष्ठ वि० [सं.] धर्मवान; धार्मिक घर्षण पुं० [सं.] अनादर ( २ ) आक्रमण धव पुं० [ सं . ] पति (२) पुरुष. [ गाय धवल वि० [सं.] धोळं. -ली स्त्री० धोळी घवाना स०क्रि० दोडाववुं धसकना अ०क्रि० धसी पडवु; नीचे बेसी पडवुं (जमीन इ०नुं) sive स्त्री० धांध (२) दगो; फरेब धाँस स्त्री० तमाकु मरचां इ०नी तेज गंध
घाँसना अ०क्रि० ( पशुओनं) खोंखारदुं धाइ, घाई स्त्री० धाव; दाई are स्त्री० धाक; भय; डर. - बांधना = धाक पाडवी के जमाववी धागा गुं० दोरो; 'तागा'
धाड़ स्त्री० धाड; हल्लो (२) धाडु; टोळ घाड़स पुं० जुओ 'ढाढ़स' घात स्त्री० धातु (२) वीर्यं [ पालक धाता पुं० [ सं . ] ब्रह्मा (२) वि० धारक; धातु स्त्री० [ सं . ] खनिज धातु ( २ ) शरीरनी धातु (३) क्रियापदनो धातु
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पातुबाद २७७
धील पातुवाद पुं० [सं.] रसायण; तांबानुं धावा पुं० आक्रमण; हल्लो (२) दोट. सोनुं बनाववानो कीमियो
-बोलना-हल्लो करवा कहेवू.-मारना धात्री स्त्री० [सं.] धाव (२) माता दोडवू; उतावळ करवी घान पुं० डांगर
धिंग(-गाई) स्त्री० धींगामस्ती धानी वि० 'धान'-डांगरना आछा धिंगा पुं० जुओ ‘धींग' लीला रंगर्नु (२) स्त्री० शेकेला जव धिंगाई स्त्री० (प.) जुओ 'धिंग' के घउं (३) आछो लीलो रंग धिआन पुं०(प.) ध्यान. -ना सक्रि० धान्य पुं० [सं.] अनाज; धान
ध्यान करवू धाप स्त्री० मेदान (२) लंबाईतुं एक
धिकना अ०क्रि० (प.) धीक; तपवू माप (एक बे माईल जेवडु) (३) तृप्ति धिक्कार पुं० [सं.] फिटकार; तिरस्कार धापना अ०क्रि० धरावं; तृप्त थवं (२) ।
धिक्कारना स० क्रि० धिक्कार दोडवू; धावू (३) सक्रि० घरवदूं
तुच्छकार घाबा पुं०मकाननुं धाबु के तेमांनी ओरडी
धिय,-या स्त्री० कन्या; पुत्री धा-भाई पुं० दूधभाई।
घिराना अ०क्रि० धीरज राखवी (२) धाम पुं० [सं.] धाम;स्थान(२)तीर्थस्थान
धीरे के धीमुं थर्बु (३) स० कि० वामिन स्त्री० धामण साप
धमकावq; डरावq पाय स्त्री० धात्री; धाव
धींग पुं० लठ्ठ माणस (२) वि० धिंगुं; पार पुं० उधार; देवू (२) धोधमार
लठ्ठ (३) दुष्ट; पाजी वरसाद(३)स्त्री० धारा(४)शस्त्रादिनी
धींगड़ा(-रा) पुं० 'धींग' (२) बदमास; धार (५) किनारो; छेडो [देवादार
गुंडो; दुष्ट माणस पारक वि०[सं.] धारण करनार (२)
धींगा वि० जुओ 'धींग' पारन पुं० [सं.]धरवू, पहेरवु के अंगीकार
घोंगाषोंगी, धींगामुश्ती स्त्री० बदमासी करवू ते (२) उधार करवू ते
(२) धींगामस्ती; तोफान वारणा स्त्री०[सं.] निश्चय (२) समज;
घींवर पुं० धीवर; ढीमर; माछी बुद्धि (३) याददास्त; स्मृति
घी स्त्री० [सं.] बुद्धि (२) जुओ 'धीदा' धारा स्त्री० [सं.] धार; शेड (२) झर); धोजना स०क्रि०(प.) स्वीकारवू; मानवं प्रवाह (३) धारो; कायदो
(२) अ०क्रि० धीरज धरवी (३) धारासभा स्त्री० [सं.]धाराघडनारी सभा संतोषावं; राजी थq पारी स्त्री० लीटी; रेखा (२) समूह धीवा,-य,-या स्त्री० कन्या; पुत्री वारीदार वि० लीटीदार; लीटीओवाळू धीम(-व)र पुं० ढीमर; माछी धारोष्ण वि० [सं.] तरत दोहेलु (दूध) धीमा वि० धीमुं धार्मिक वि० [सं.] धर्मने लगतुं (२) धीय,-या स्त्री० जुओ ‘धीदा' धर्मवान
[धोबी धीर वि० [सं.] धैर्यवान (२) पुं०(प.)भैर्य पावक पुं० [सं.] हलकारो; खेपियो (२) धीरज पुं० (प.) धैर्य; धीरज
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२७८ पीरे क्रि०वि० धीरेथी; धीमेथी धुन स्त्री० धून.-का पक्का-आरंभेलु धोवर पुं० [सं.] ढीमर; माछी न छोडे एवो धुंबा(-वां) पुं० जुओ 'धुआँ' धुनकना सक्रि० जुओ 'धुनना' बुंगमर स्त्री० वघार
धुनकी स्त्री० पीजण शृंगारना सक्रि० वघार
धुनना सक्रि० पीज (२) मार, धुंद (-घ) स्त्री० धुंध; दृष्टिनी झांख पीटर्बु (३) वार वार कहेवू (४) कोई (२) धूळ ऊडीने थतो अंधकार । काम कर्ये ज ज . धुंधका पुं० धुमाडो नीकळवा- बाकुं; धुनि स्त्री० (प.) ध्वनि; अवाज धुमाडियु
धनियाँ पुं० पीजनार; पीजारो धुंधकार पुं० अंधकार (२) गडगडाट; धुपेली स्त्री० 'अँभौरी'; अळाई गर्जना
['धुंधला' थर्बु धुर पुं० धुरा (२) भार (३) घर; धुंधरा(-ला)ना अ० क्रि० धूंधळावू शरूआत (४) अ० बरोबर; बिलकुल. धुंधला वि० काळाश पडतुं (२) धूळना -सिरसे-तद्दन शरूथी; घरमूळथी • रंगर्नु; धुंधळवू (३) अस्पष्ट
धुरवा पुं० मेघ; वादळ धुंधली स्त्री० जुओ 'धुंध' . धुरा पुं० धरी (स्त्री० -री) धुवाँ पुं० जुओ ‘धुआँ'
धुरीण वि० धुरंधर; अग्रेसर धुआं पुं० धुमाडो. धुएँका धौरहर- धुरें(-लें) डी स्त्री० धुळेटी जरामां नाश थनार वस्तु. धुएंके धुरेटना सक्रि०(प.) धूळथी रगदोळवू बादल उड़ाना = भारे गप हांकवी.
धुर्रा पुं० रज; धूळ; कण. धुरे उड़ाना -निकालना या काढ़ना शेखी मारवी.
=धूळ काढवी; खूब मारवु (२) छिन्न-सा मुंह होना-मोढुं पडी जवु; शरमावू भिन्न करवू धुआंकश पुं० आगबोट (२) धुमाडियुं धुलना अ०क्रि० धोवावं धुआंधार वि० धुमाडाथी भरपूर (२) धुलवाना, धुलाना सक्रि० धोवडाववं
काळु (३) घोर [बगडवो धुलाई स्त्री० धोवू ते के तेनी मजूरी धुआंना अक्रि० धुमाडी पेसी स्वाद धुलेंडी स्त्री० धुळेटी पारा पुं० 'धुआँकश'; धुमाडियु धुवन पुं० [सं.] अग्नि धुआंस स्त्री० मरचांनी धूणी करवी ते धुवा पुं० जुओ 'धुआँ'
(२) जुओ 'धुवाँस' [पार्छ थर्बु ते । धुवांस स्त्री० अडदनो लोट धुकड़ पुकड़ पुं० गभराट के तेथी आधु- धुस्स पुं० माटीनो ढेर (२) नदीनो बर्ष धुकधुकी स्त्री० हृदय के तेनी धडक (२) धुस्सा पुं० धूंसो; जाडो कामळो
डर; काळजानो फफडाट (३) हैडियो बूंष स्त्री० जुओ 'धुंध' धुज पुं०, -जा स्त्री०(प.) ध्वज; धजा । धूआँ पुं० धुमाडो; 'धुआँ धुतकार स्त्री० 'दुतकार'; धुत्कार धूत वि० (प.) धूर्त; धुताएं धुतकारना स०क्रि० जुओ 'दुतकारना धूतना सक्रि० (प.) धूत; ठगवू
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२७९
घोराहर घूध अ०(रव.) देवता जोरथी बळवानो- घेला,-लचा पुं० अधेलो; अ? पैसो धग धग अवाज
घेली स्त्री० अधेली; आठ आनी धूना पुं० लोबान के तेनुं झाड
धना स्त्री० टेव; आदत (२)कामधंधो धूनी स्त्री० साधुनी धूणी (२) धूप धैर्य पुं० [सं.] धीरज; दृढता धूप पुं० [सं.] धूप (२) स्त्री० ताप. घोंधा पुं० [सं.] (माटीनो) लोंदो [वाळ -चढ़ना या निकलना = ताप थवो; । धोई स्त्री० छोडां विनानी अडद मगनी दहाडो चडवो. -दिखाना = तडके घोकड़,-ड़ा वि० जाडु धोकडूं। नाखवु. -में बाल या चूंड़ा सफेद धोका(-खा) पुं० धोको; दगो (२) करना=विना कांई कर्ये जीवन वीत, भ्रम; भूल. -उठाना भ्रममां पडी धूपघड़ी स्त्री० छायायंत्र
हानि उठाववी. -खाना-ठगावं (२) • धूपछाँह स्त्री० धूपछाँव; तडकोछांयडो
भ्रममां पडवं. -देना= छळवू (२) (२) एक जात, कपडु
भ्रममां नांखq. धोखेमें, धोखेसे= भूपदान पुं०,-नी स्त्री० धूपदानी;धूपियुं । भूलथी; अजाणमां धूपबत्ती स्त्री० धूपसळी; अगरबत्ती. धोखेबाज वि० धूर्त; कपटी [क्रिया धूम पु० धुमाडो [सं.] (२) स्त्री० धूम; धोती स्त्री० धोतियं के साडी(२)धोतीनी धमाल
धोना सक्रि० धोवं. धो बहाना= धूमकेतु पुं० [सं.] पूंछडियो तारो घोई काढy; न रहेवा देवं धूम-धड़क्का पुं०, धूमधाम स्त्री० घोब पुं० घो; घोवावं ते . धामधूम; ठाठमाठ [बूंधळं घोबिन स्त्री० धोबण. धोबी पुं० धोबी धूमल [सं.], -ला वि० जुओ 'धुंधला'; घोरी पुं० बळद (२) मुख्य; धुरंधर धन्न पुं० [सं.] धुमाडो (२) धूप-लोबान पोरे अ० (प.) पासे. -धोरे आसपास (३) वि० धुमाडीना रंगर्नु
धोवन स्त्री०धोवण;धोतां नीकळेलं पाणी पूर-रि स्त्री० (प.) धूळ
घाँक स्त्री० धमणनी फूंक (२) ताप; लू पूरपान पुं० धूळनो ढग
घाँकना सक्रि० फूंकवु(धमणथी);धमवं धूरपानी स्त्री० धूळधाणी(२) 'धूरधान' धौंकनी स्त्री० फूंकणी के.धमण धर्जटि पुं० [सं.] शंकर
घाताल वि० धूनवाळु (२) चालाक(३) धूर्त वि० [सं.] लुच्चुं; पाकुं (२) धुताई साहसिक (४) हृष्टपुष्ट; मजबत धूल,-लि [सं.] स्त्री० धूळ. ०धानी घाँस स्त्री० धमकी (२) धाक (३) . स्त्री० धूळधाणी; विनाश
'धोका'; छळ.०पट्टी स्त्री० छळकपट खुवा पुं० 'धुवाँ' [तेमा रगदोळायलं घोसना सक्रि० धमकावq (२)मार घसर,-रा-रित वि० धूळना रंगर्नु के (३) धाक देवी
ति स्त्री० [सं.] धीरज; धैर्य(२)स्थिरता घाँसा पुं० रामढोल (२) बळ; शक्ति पष्ट वि० [सं.] उद्धत; उदंड
घोरा वि० घोळं बेन स्त्री० [सं.] गाय
पौराहर पुं० मिनारो; बुरज
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पील
२८० घौल स्त्री०धोल (२) नुकसान ध्येय वि० [सं.]ध्यानने योग्य(२)पुं० लक्ष्य धौलधक्का, -क्कड़, धौल-धप्पड़ पुं० ध्रुव वि० [सं.] स्थिर; अडग; निश्चित
घोलधपाट; धोलधक्को; मारपीट (२) पुं० ध्रुव तारो के पृथ्वीनी धौला वि० धोळं (नाम,-लाई स्त्री०) धरीनो ध्रुव ध्यान पुं० [सं.] एकाग्र चिंतन एकाग्रता ध्वंस पुं० [सं.] नाश; बरबादी ध्याना सक्रि०(प.) ध्यावं; ध्यान करवू ध्वज पुं० [सं.],-जा स्त्री० ध्वज; झंडो; ध्यानी वि० . [सं.] ध्यान करनारूं; धजा; निशान ध्यानशील
ध्वन्य पुं० [सं.) व्यंग्यार्थ
नंग पुं० नग्नता (२) गुडेंद्रिय (३) न अ० [सं.] ना; नहीं (२) प्रश्नार्थ
[फा. प्रतिष्ठा (४) लज्जा; शरम वाक्यमा 'ने, ना' एवा अर्थमां. नंग-धडंग,-मुनंगा वि० साव नागुं दा. त. तुम जाओगे न ? । नंगा वि० नागुं [पण-तपास नई वि० स्त्री० 'नया' नुं स्त्री०; नवी नंगा-झोली स्त्री० पूरेपूरी-नागुं करीने नककटा, नकटा वि० (स्त्री० --टी) नंगा-बुंगा वि० साव नागुं
नकटुं; बेशरम नंगा-युच्चा, नंगा-बूचा वि०गरीब निर्धन नकघिसनी स्त्री० नाकलीटी .. नंगा-लुच्चा वि० नागुंटाट; बदमास नकचढ़ा वि० खराब मिजाज-; चीडियुं नॅगियाना सक्रि० नागुं नवस्त्रं करवू नकद पुं० [अ.] नगद धन (२) वि० (२) साव लूटी लेवू
नगद (३) अ० रोकडेथी; नगद आपीने नंदन पुं० [सं.] पुत्र (२)वि० आनंददायक
नकद-दम अ० [अ.] एकल नंदिनी स्त्री० [सं.] पुत्री (२) नणंद (३) पत्नी (४) कामधेनु
नकदी स्त्री० रोकडं नाj (२) जेनुं नंदी पुं० [सं.] शिवनो पोठियो
महेसूल रोकडमां आपवान होय तेवी नंदेऊ, नंदोई पुं० नणदोई
जमीन. 'जिनसी' थी ऊलटुं . नंदोलापुं०नानी 'नाद'-कूडी. जुओ नाद' .
नकब स्त्री० [अ.] चोरे भीतमां पाडेलु नंबर पुं० [इ.] अंक; संख्या (२)
खातर.-देना,-लगाना-खातर पाडवू; लोखंडनो वार- गज
(चोरनु) कोचवू नंबरदार पुं० गामनु महेसूल उघरावनार नकब-जन पुं० [फा.] खातर पाडनार. ' नंबरी वि० नंबर लागेलं (२) प्रसिद्ध. (नाम -नी स्त्री०)
-नाज=३६ इंचनो मापवानो गज. नक-बेसर स्त्री० नकवेसर- नाकनी नथ -सेर = बंगाळी पाको शेर नकरा पुं० [अ. नक्रः](व्या.)सामान्य नाम
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२८१ नकल स्त्री॰ [अ.] नकल (२) अनुकरण नक्ल स्त्री० [अ.] जुओ 'नक़ल' ... (३) चाळा पाडवा ते(४) हास्यरसनी नक्श वि० [अ.] चीतरेखें, अंकायेलुं के आकृति के टुचको
लखायेलं (२) पुं० चित्र (३) महोर; नकलची पुं० [फा.] बहुरूपियो
छाप (४) तावीज [(३) हाल; दशा नकलनवीस पुं० [फा.] नकलियो कारकुन नक्शा पुं० [अ.] नकशो(२)चित्र; आकृति नकली वि० बनावटी; जूळू
नक्शी वि० नकशीदार नक्रश पुं० जुओ 'नक्श'
नक्षत्र पुं० [सं.] तारो; तारानुं नक्षत्र नक़शा पुं० [अ.] जुओ 'नक्शा' के अमुक मंडळ नकसीर स्त्री०नसकोरी. -भी न फटना नख पुं० [सं.] हाथपगना नख (२)
जराय तकलीफ के हानि न थवी स्त्री० [फा.] पतंगनो दोर नकाब स्त्री॰ [अ.] मोढुं ढांकवा माथे नखलिस्तान पुं०[फा.]जुओ 'नखिलस्तान'
ओढातुं (स्त्रीन) कपडु (२) चूंघट नखरा पुं० [फा.] नखरुं (२) चंचळता. नकार पुं० नन्नो; इन्कार. ०ना अ०क्रि० -रीला,-रेबाज वि० नखरांखोर
नकार; ना पाडवी [-रची' नखवत स्त्री० [अ.] घमंड; शेखी नकारा,-रची पुं० जुओ 'नवकारा, नखास पुं० [अ. नख्खास] गुलाम के नकाश,-शी जुओ 'नक्काश, -शी'
पशुओर्नु बजार नकाशना स० क्रि० नकशी करवी नखी पुं० [सं.] नखवाळू हिंस्र प्राणी नकियाना अ०क्रि० नाकमां बोलव (२) -वाघ चित्तो इ० खारेकनं झाड नाकमां दम आववो (३) स० क्रि० नसल पुं० [अ.] झाड (२) खजूरनाकमां दम आणवो
- नखिलस्तान पुं० रणद्वीप (२) खजूरतुं नक़ीब पुं० [अ.] नकीब; छडीदार (२) वन के बगीचो [नग; पर्वतः
भाट-चारण [कुलरहित नग पुं० [फा.] नंग; रत्न (२) [सं.] नकुल पुं० [सं.] नोळियो (२) वि० नगण्य वि० [सं.] तुच्छ [स्त्री नकेल स्त्री०. ऊंटनी नाथ . नगनी स्त्री० नानी छोकरी (२) नागी नक्का पुं० (सोयनु) नाकुं [नगारखानु । नगर पुं० [सं.] मोटुं गाम; शहेर.. नक्कारखाना पुं० [फा.] टकोरखा- नगरी स्त्री० [सं.] नगर; शहेर (२) नक्कारची पुं० [फा. नगारुं बजावनार पुं० नगरवासी नक्कारा पुं० [फा.] नगारूं; नौबत नगाड़ा(-रा) पुं० नगारुं नक्काल पुं० [अ.नकल करनार(२)भांड नगी (-गी) [फा.] पुं०नंग; रत्न; नगीनो नक्काश पुं० [अ.] नकशी करनार । नगीच अ० नजदीक; नजीक नक्काशी स्त्री० [अ.] नकशी नगीना पुं० [अ.] नगीनो; रत्न (२)वि० नक्कू वि० लांबा नाकवाळू (२) सौथी ठीक जडेलु
[गायन ऊंधुं वर्तनार (३)पोताने मोटु माननार नरमा पुं० [अ.] मधुर स्वर (२) राग; नकद पुं० [अ.] जुओ 'नक़द' -नगद नग्न वि० [सं.] नागुं; उघाडु
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२८२ नचना अ.क्रि० (प.) नाचवू (२)वि० नजासत स्त्री० [अ.] मेल; गंदकी (२) नाचण; नाचनाएं
अपवित्रता नवनि (-)या पुं० नाचनार; नृत्यकार नजिकाना अ०क्रि०(प.) नजीक पहोंचवू नचाना सक्रि० नचवq (२) ऊंचुंनीचुं नजिस वि० [अ.]मेल(२) अशुद्ध; अपवित्र करवं; पजववू
नजीक अ० (प.) नजीक; पासे . नजदीक वि० [फा.नजदीक;नजीक;पासे । नजीर स्त्री० [अ.] उदाहरण; दृष्टांत नजदीकी वि० [फा.] नजीक- (२) नजूम पुं० [अ.] 'नुजूम'; जोश; ज्योतिष . स्त्री० समीपता
विद्या (२) 'नज्म'ब० व० नजम स्त्री० [अ. नम] कविता नजूमी पुं० [फा. जोषी; 'नुजूमी' ... नजर स्त्री० [अ.] नजर; दृष्टि (२) नजूल पुं० [अ.] सरकारी जमीन (२) खराब नजर (३) भेट; नजराणुं. 'नजला रोग -आना= देखावं. -उतारना= नजर नज्जार पुं० [अ.] सुतार उतारवी.-पर चढ़ना-नजरमां आवg, नज्म स्त्री० [अ.] तारो [जुओ 'नजम पसंद के ठीक लागवू. -पड़ना= नस्म स्त्री० [अ.] प्रबंध; बंदोबस्त (२) नजरे पडवू. -लगनाइनजर लागवी नट पुं० [सं.] नाचनार के नाटक नजर-अंदाज वि० [फा.] ध्यान के करनार (२) अक राग
नजरमां नहि आवेलं; उपेक्षित नटखट वि० चंचळ; उधमातियु (२) नजरबंद वि० नजरकंदमां राखेखें नटखट; धूर्त; पाकुं [नटनी स्त्री (२) पुं० नजरबंधीनो खेल नटनी, नटिन (-नी), नटी स्त्री० नटीके नजरबंदी स्त्री० नजरकेद(२)नजरबंधी नत वि० [सं.] नमेलु(२)(प.) जुजो 'नतु' नजर-बाग पुं० [अ.] मोटा मकान के । नतर(-5), नतु अ० नहितर; नहि तो महेलनी आसपास ने सामे रखातो- नतिनी स्त्री०'नातिन' दीकरीनीदीकरी घर जोडेनो बाग [तपासी जq ते नतीजा पुं० [अ] नतीजो; फळ;परिणाम नजर-सानी स्त्री० [अ.] फरीथी जोई के । नतु अ०(प.) नहीं तो; नीकर मजर-हाया वि० नजर लगाडनार नतंत पुं० नातीलो; सगो मजराना अ०क्रि० नजर लागवी (२) नत्थी स्त्री० पिन के दोराथी जोडेला सक्रि०. नजर लगाडवी (३) [अ.] कागळो (२) एकसाथे नाथेलु के नजराणुं; भेट .
जोडेलु ते नजला पुं० [अ]नजलो-एक रोग;शरदी नथ,०नी स्त्री० नाकनी नथ नजाकत स्त्री० [फा.] नाजुकता नथना पुं० नसकोएं; नाकनो.आगलो नजात स्त्री० [अ.] मुक्ति; छुटकारो भाग (२) अ०क्रि० नथावं (३) एक नजामत स्त्री० [अ. जओ 'निजामत' साथे जोडावं के बंधावू नजारत स्त्री० [अ.] नाजरपणुं नव पुं०[सं.] मोटी नदी नजारा पुं० [अ] दृश्य (२) नजर नवामत स्त्री० [अ.] शरम(२)पश्चात्ताप
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.. [घर
नारद
... २८३ नवारण स्त्री० [फा.] गेब; अलोप
कुश वि० संयमी; वासनात्यागी. मवी स्त्री० [सं.] नदी. -नाव संयोग = परस्त वि० विषयी; भोगी मसीब जोगे मळी जq ते [लोभी नफ्सानफ्सी स्त्री० स्वार्थः पोतपोतानी नदीवा वि० [फा. नादीदः]नहि देखेखें (२) चिंता; 'आपाधापी' . नघना अ०क्रि० जोडावं (बळद, घोडान) नफ़्सानियत स्त्री० [फा.] स्वार्थीपणुं (२) मनंद,ननद स्त्री० नणद (पुं० ननदोई
इंद्रियाराम; कामुकता " नणदोई)
नफ्सी वि० पोतानु; वैयक्तिक ननसार स्त्री०, ननिहाल पुं० नानानुं नबात स्त्री० [अ.] शाकभाजी नन्हा विनानु, -सा= नानुशीक नबातात स्त्री० [अ.] 'नबात' नुं ब०व० मन्हाई स्त्री० (प.) नानपण (२) नानम लीलोतरी; शाकभाजी नपाई स्त्री० मापवानुं काम के तेनुं . नबी पुं० [अ.] ईश्वरनो दूत; पेगंबर • महेनता'
नबेड़ना सक्रि० निवेडो आणवो नपुंसक पुं० [सं.] बायलो; हीजडो नबेड़ा(-रा) पुं० निवेडो; फैसलो नफख पुं० [अ.] आफरो
नब्ज स्त्री० [अ.] नब्झ; नाडी.-छूटना, नफ़रपुं० [अ.]एक जण; व्यक्ति(२)नोकर न रहना-चाडी बंध थवी; मरी जवू नफ़रत स्त्री० [अ.] घृणा. -आमेज वि० नम्बाज पुं० [अ.] नाडी जोनार; वेद, .[अ.+फा.] घृणाजनक
हकीम नारी स्त्री० [फा. एक दिवसनी मजरी नब्बे वि० नेवं; ९० संख्या (२) शाप; बददुवा
नभ पुं०[सं.] नभ; आकाश (२) वादळ नसानफसी स्त्री०जुओ 'नफ़्सानफ्सी' (३) वर्षा (४) पाणी मता पुं० नफो; फायदो. -उठाना, नम वि० [फा.] (नाम,-मी स्त्री०) भीन
-करना-नफो मेळववो के थवो नमक पुं० [फा.] निमक; लण. -अवा नझाक पुं० जुओ 'निफ़ाक़'
करना-उपकारनो बदलो चूकंववो. नफासत स्त्री० [अ.] उत्तमता; 'नफ़ीस । -फूटकर निकलना = निमकहरामीनी होवू ते
शिक्षा मळवी. -मिर्च मिलाना या नफ़ी स्त्री० [अ.] अभाव; न होवू ते (२) लगाना-मीठु मंरचुं भभरावq .
दूर करवू ते (३) नकार; इन्कार नमकवार वि० [फा.] लूण खानार नफ़ीर वि० [अ.] नफरत-घृणा करनार नमकहराम वि० [फा.] बेवफा; निमक
(२) स्त्री० फरियाद; पोकार . हराम; कृतघ्न [निमकहलाल मीरी स्त्री० [अ.] एक वाद्य; नफेरी ... नमकहलाल वि० [फा. वफादार; कृतज्ञ; नफीस वि० [अ.] उमदा (२) सुंदर नमकसार पुं० [फा.] ज्यां मीठु बने (३) स्वच्छ
के नीकळे ते जगा - नपस पुं० [अ.] प्राण; आत्मा (२) सत्त्व; नमकीन वि० [फा. मीठावाळु के खाएं तत्त्व (३) कामवासना (४) नफस; दम. (२) सुंदर (३) पुं० मीठावाळी वानी
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नमदा नमदा पुं० [फा.] नमदो; दबावीने
करेलु जाडं गरम कपड़ें . नमन पुं० [सं.] नमवू ते; नमस्कार नमना अ०क्रि० (प.) नमवं नमस्कार पुं० [सं.] नमन; प्रणाम नमस्ते = तमने नमुं छं-प्रणाम नमाज पुं० [फा.] नमाज. (श.प्र.-अदा करना, -गुजारना, -पढ़ना)-कजा होना= वखत परनी नमाज न पडवी नमाजी पुं० [फा.] नियमथी नमाज
पढनार(२)धार्मिक माणस(३)मुसल्लो नमाजे जनाजा, नमाजे मैयत स्त्री० [फा.] मरण वखते शब आगळ पढाती नमाज
ताबे करवू
ताजे करवं नमाना सक्रि० (प.). नमाववू (२) नमिश (-स) स्त्री० [फा. नमिश्क]
दूधमांथी तैयार कराती एक वानी। नमी स्त्री० [फा.] भीनाश नमूद स्त्री० [फा.] प्रगट थर्बु ते (२) । निशान; चिह्न [उदय थयेलं नमूदार वि० [फा.] प्रगट; जाहेर (२) । नमूना पुं० [फा.] नमूनो नम्र वि० [सं.] नमेल (२) नम्र विनयी नय पुं० [सं.] नीति; न्याय (२) नम्रता
(३) स्त्री० (प.) नदी नयन पुं० [सं.] नेत्र; आंख. ०पट पुं०
आंखनी पलक; पलकारो नयना, -नी स्त्री० आंखनी कीकी नयनू पुं० नवनीत; माखण (२) एक
जातनुं मलमल कपडं नया वि० नवं; नवीन नयाबत स्त्री० [अ.] नायबपणुं मददनीश
के मुनीम होवू ते.. नयाम पुं० [फा.] तलवार- म्यान
मलिनी नर पुं० [सं.] पुरुष (२) वि० नरजातिनुं नरक पुं० [सं.] नरक; दोजख (२)
गंदी जगा नरकट पुं० सरकट के बरु [गुलछडी? नरगिस स्त्री०; पुं० [फा.] एक फूलझाड; नरद स्त्री० [फा. नर्द] सोगटुं के महोरं नरदवा, नरदा पुं० मेला पाणीनी मोरी नरम वि० नरम; ढील (२) आळसु (३) कोमळ; मुलायम.(-माई,-मी स्त्री०) नरमा पुं० नरमो कपास; देवकपास नरमाना सक्रि० नरम करवू (२) शांत के धीमुं कर (३) अ.क्रि.. नरम के शांत' या धीमु थवू नरमी स्त्री० जुओ 'नर्मी' नरसिंगा,-घा पुं० ततूडा जेवू वाजू नरसों अ० जुओ 'अतरसों' नरिया पुं० नळियु नरी स्त्री०वणाटना कांठलानी कोकडी
(२) [फा.] बकरीनुं नरम चामडूं नरेली स्त्री० नारियेळनी काछली नर्तक पुं० [सं.] नट; नाचनार (२)
चारण; बंदीजन. -की स्त्री० . नर्द स्त्री० [फा.] जुओ 'नरद' नर्म वि० [फा. जुओ 'नरम' (२) [सं.
पुं० नर्म; विनोद; हास्य नर्मी स्त्री० [फा. नरमाश नर्स स्त्री० [इं.] धाव (२) रोगीनी
बरदास करनार [नळराजा नल पुं० [सं.] पाणी इ० नो नळ. (२) नला पुं० पेढुमांनी पेशाबनी नळी
(२) हाथ के पगर्नु लांबु हाडकुं (नळो) नलिन पुं०[सं.] कमळ (२) जळ नलिनी स्त्री० [सं.] कमलिनी; कमळनुं सरोवर (२) नदी
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२८५
नली
नसीम नली स्त्री० नळी; भंगळी
. नशा पुं० [अ. नश्श:] नशो के तेनी नलुआ पु. नानो नळ
चीज. -किरकिरा हो जाना=नशानी नवंबर पुं० नवेम्बर मास
मजा वच्चे बगडवी. (आँखोंमें)नशा नव वि० [सं.] नव; ९ संख्या (२) नर्बु छाना= नशो चडवो नवनीत पुं० [सं.] माखण
नशा-खोर, नशा (-शे)बाज वि० [फा. नवमी स्त्री० [सं.] नोम
नशो करवानी टेववाळु नवरात्र पुं० [सं.] नोरतां [स्वच्छ नशापानी पुं० नशो ने तेनी सामग्री नवल वि० [सं.] नवं (२) सुंदर (३) नशीन वि० [फा. बेसनार (समासमां नवसप्त पुं० [सं.] (९+७) सोळ शणगार उदा. तख्तनशीन). -नी स्त्री० नवाई वि०(प.) नवीन (२) स्त्री०विनय;
नशीला वि० मादक (२) केफ चडेलु नम्रता
नशेब पुं० [फा. निशेब नीचाण (२) नवाज वि० [फा. कृपा करनार, दयाळु नीची जगा के जमीन
(समासमां).०ना सक्रि० दया करवी __नशोनुमा पुं० [अ.] 'नश्व'; चडती .. नवाजिश स्त्री॰ [फा. नवाजिश; कृपा; नश्तर पुं० [फा.]नस्तर. -देना,-लगाना बक्षिस
__ = नस्तर मूकवु; वाढकाप करवो. नवाना सक्रि० नमाव (२)नम्र करवू नश्व पुं० [अ.] उन्नति; चडती; वृद्धि नवान्न पु० [सं.] नवं अनाज के ते नश्वर वि० [सं.] नाशवंत वापरवाना प्रारंभनो उत्सव' । नष्ट वि० [सं.] नाश पामेलु (२) दुष्ट; नवाब पुं० [अ.] मुसलमान राजा के अधम [खानाखराब थयेलं
तेनो सूबो (२) अमीर (३)एक इलकाब नष्टभ्रष्ट वि० [सं.] खतम; बरबाद; नवाला पुं० [अ.] नवालो; कोळियो नस स्त्री० नस; रग; रेसो नवासा पुं॰ [फा. (स्त्री०-सी) दौहित्र । नसतालीक पुं० जुओ 'नस्तालीक़' नवासी वि० ८९; नव्यासी
नसना अ०क्रि० नासवू (२) नाश पामवं नवाह पुं० [सं.] नव दिननी के कोई नसब पुं० [अ.] कुळ; खानदान (पितृ
सप्ताह (२) [अ.] आसपासनो प्रदेश पक्षनु) (२) वंशावळी नविश्त स्त्री० [फा.] कागळ; लेख (२) नसर स्त्री० जुओ 'नस्र' दस्तावेज
नसल स्त्री० जुओ 'नस्ल' नविश्ता वि० [फा.] लिखित (२) पुं० । नसवार स्त्री० छींकणी विधि; भाग्य
[मौलिक नसाना, नसावना अ०क्रि० नाश पाम, .. नवीन वि० [सं.] नवं (२) विचित्र (३) । नसी (-से)नी स्त्री० 'निसेनी'; निसरणी नवीस पुं० [फा.] लखनार; लेखक.-सी नसीब पुं० [अ.] देव; भाग्य. ०जला स्त्री० 'नवीस' नु काम
वि० फूटेला नसीबवाळू नवेला वि० (स्त्री-लो)नौजवान(२) नवं नसीबवर वि० [अ.] नसीबदार [हवा नवोढ़ा स्त्री० [सं.] नववधू; युवती नसीम स्त्री० [अ.] ठंडी घ.मी मजेदार
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नसीहत
२८६
सीहत स्त्री० [ अ ] नसियतः शिखामण; ; सारी सलाह
नसेनी स्त्री० जुओ 'नसीनी' [ व्यवस्था नस्त पुं० [ अ ] दस्तूर; धारो (२) नख पुं० [अ.] नकल (२) अरबी लिपिनो एक मरोड
नस्ता स्त्री० [सं.] पशुना नाकनो वेध नाथी ते नथाय छे नस्तालीक़ पुं० [अ.] उर्दू फ़ारसी लिपिनो ( हाथे लखातो) एक सुंदर मरोड नस्ति ( - स्तो) त पुं० [सं.] नाथवाळु[ ( झंडो, तंबु इ० )
नाथेलुं पशु नस्य पुं० [अ] रोपवुं; खडुं करवुं नस्य पुं० [ सं . ] छींकणी ( २ ) पशुनी नाथ नस्योत पुं० [सं.] जुओ' 'नस्ति ' नत्र स्त्री० [अ०] गद्य लखाण नस्ल स्त्री० [अ०] नसल; वंश; जाति (२) संतति ; ओलाद
नस्सार पुं० [ अ ] 'नस्र' - गद्य लेखक महँ, -ह पुं० नख
नहछू पुं० विवाहनो एक विधि नहर स्त्री० [फा.] नहेर महरनी स्त्री० [सं. नखहरणी] नराणी नहरी वि० [फा.] नहेरनी ( जमीन ) नहरूआ पुं० नारुं के वाळानो रोग नहला पुं० पत्तांमां नव्वो के नेलो नहलाना स०क्रि० नवडाववुं नहस वि० [अ.] अशुभ; अपशुकनियाळ (२) पुं० अपशुकन
नहान पुं० स्नान के तेनुं पर्व नाना अ० क्रि० नाह नहार पुं० [अ.] दिवस (२) वि० निराहार; नयणा कोठावाळु. - तोड़ना नास्तो करवो
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नाक्रम
नहारी स्त्री० [फा.] नास्तो
नहीं अ० ना; नहि. ० तो अ० एम न होय के थाय तो; नहि तो; नीकर नहीफ़ fro [अ.] सुकलकडी; दुबळं-पातळु नहूसत स्त्री० [अ.] उदासीनता ( २ ) अशुभता
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नाँऊँ पुं० नाम. ०गाँऊँ पुं० नामठाम नाँगा वि० नानुं ( २ ) पुं० नागडो बावो माँधना स०क्रि० लंघवुं ; ओळंगवुं माँठना अ० क्रि० नाश पामवु [निराय छे नांद स्त्री० माटीनुं मोटुं कुंडु जेमा पशु नाँव पुं० नाम
ना अ० ना; नहीं (२) (फा.) 'अ' पेठे नकार सूचवतो उपसर्ग. जेम के नाउम्मेद इ० नाइत्तिफ़ाक़ी स्त्री० [फा.] विरोध; मतभेद नाइन स्त्री० नाईनी स्त्री; वाळंदण नाई स्त्री० समानता (२) अ० बरोबर नाई - ऊ पुं० नाई; हजाम नाउम्मेव वि० [फा.] नाउमेद; निराश. -बी स्त्री० निराशा [ घोडो इ० ) नाकंद वि० नहि पलोटेलो (बेल, नाक स्त्री० नाक (२) वि० [फा.] पूर्ण अर्थमां समासने अंते. उदा० दर्दनाक (३) [सं.] पुं० नाक; स्वर्ग. - का बाल = नजीकनो मित्र के सलाहकार . - रगड़ना = खूब दीन बनी आजीजी करवी. - सिनकना = नाक नसीकवुः - सिकोड़ना = नाक मरडवु. नाकों आना = खूब हेरान थवुं नाकों चने चबवाना = खूब पजवबुं नाकड़ा पुं० नाकनो एक रोग नावर, नाक़द्र वि० [फा.] कदर वगरनुं अगुणज्ञ (नाम - री, -द्री स्त्री०)
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. २८७ नाका पुं० नाकुं; दरवाजो; चोकी (२) नागरिक वि० [सं.] नगर; शहेरी (२) सोयनुं नाकुं. -छेकना, -बाँधना= पुं० नगरवासी शिहेरी स्त्री नाकुं रोक
नागरी स्त्री० [सं.] देवनागरी लिपि (२) नाका(-के) बंदी स्त्री० [फा.] नाकुं नागवल्ली, -ल्लरी स्त्री० [सं.नागरवेल
रोकवू ते;पहेरो(२)पुं०नाकेदार सिपाई ना-गवार (-रा) वि० [फा.] असह्य(२) नाकाबिल वि० [फा.] अयोग्य; नालायक अप्रिय (३) पचवामां भारे ना-काम वि० [फा. नकाम; खराब नागहाँ अ० [फा.] अचानक ना-कामयाब वि० [फा.] अफळ; व्यर्थ नागहानी वि० [फा.] आकस्मिक (२) नाकारा वि० [फा.] नकामु (२) अयोग्य
स्त्री० अचानक होवू ते . नाक्रिस वि० [अ.] अधूरुं (२) खराब
नासा पुं० [अ.बच्चे गैरहाजरी; नियमित नाकिह पुं० [अ.] नेका-विवाह कराव
कार्यमां भंग; खाली गाळो... नार- काजी
नागा पुं० नागो बावो
नागाह अ० [फा.] अचानक नागण नास पुं० [अ.] शंख
नागिन स्त्री नागण(२)पीठ पर वाळनी नाकेबंदी स्त्री० जुओ 'नाकाबंदी'
नाच पुं० नृत्य (२) खेल; क्रीडा. ०कूद ना-खलफ़ वि० [फा.] खराब; नालायक
स्त्री० खेलकूद; नाच तमासो . (पुत्र; कपूत)
नाचना अ० कि० नाचवू नानुदा पुं० [फा.] नाखुदो; नाविक
नाचान वि० [फा.] नबळं; ढीलं; बीमार नानु (-खू)न पुं० [फा.] नाखुन; नख ।
नाचाकी स्त्री० [फा.] बीमारी (२) (२) खरी
अणबनाववैमनस्य लाचार विवश नानुना पुं० [फा.] आंखनो एक रोग
नाचार वि० [फा.] (नाम, -री स्त्री०) (धोळा डोळामां लाल थाय छे)
नाचीज वि० [फा.) तुच्छ; हीन नाखुश वि० [फा.] नाराज; अप्रसन्न..
नाज पुं० अनाज (२) खावानुं -शी स्त्री०
नाज पुं० [फा.] नखरां; हावभाव (२) नाग पुं० [सं.] नाग; सरप (२) हाथी.
नाज; लाड (३) गर्व सुंदर स्त्री -खेलना=जीवना जोखमवाळू काम
नाजनी(नीन) स्त्री० [फा. नाजनीन;. कर
नाजरीन पुं० जुओ 'नाज़िरीन' नागफनी स्त्री० फाफडा घाटनो थूवर
नाजां वि० [फा.] 'नाज़' - गर्ववाळू नागफेन पुं० [सं.] अफीण
ना-जायज़ वि० [अ.+फा.] अनुचित नागबेल स्त्री० नागरवेल
नाजिम वि० [अ.] प्रबंध करनार (२) नागर वि० [सं.] नगरनु; शहेरी (२) पुं० राजव्यवस्थापक (मुसलमान
चतुर; काबेल (३) पुं० नागरिक काळमां) --- नागरबेल स्त्री० नागरवेल
नाजिर पुं० [अ.] कोर्टनो नाजर (२) नागरमोथा पुं० नागरमोथ घास निरीक्षक (३) भडवो
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नाजिरीन
२८८ नाजिरीन पुं० [अ. 'नाजिर' - ब०व०] नातिका पुं० [अ.वाचा . प्रेक्षकगण (२) भणनार [अवतरनारं नाती पुं० (स्त्री॰नतिनी, नातिन)पुत्रनो नाजिल वि० [फा.] नीचे ऊतरनारु- के पुत्रीनो पूत्र । नाजुक वि० [फ..] नाजुक; कोमळ (२) नाते अ० संबंधथी (२) माटे; वास्ते - पातळू; बारीक(३)सूक्ष्म(४) झट कथळे नातेदार वि० सगुं; संबंधी के तूटे एवं (५) जोखमवाळ; दिमारा, नाथ पुं० [सं.] स्वामी; धणी; मालिक
मिजाज वि०जरामां चिडाई जाय एवं (२) स्त्री० ढोरनी नाथ ना-जेब (-बा) वि० [फा.] बेडोळ (२) नाथना स० क्रि० नाथ, अयोग्य
नाद पुं० [सं.] ध्वनि; अवाज नाटक पुं० [सं.] नाटक; रूपक.-किया, नावां, बान वि० [फा.]नादान; अणसमजु.
-की पुं० नट; नाटक करनार. -कीय -दानी स्त्री० अणसमज ... वि० नाटक संबंधी
नादार वि० [फा. गरीब; अकिंचन. नाटना अ०क्रि० प्रतिज्ञाभंग थवू; फरी
-री स्त्री० गरीबाई जवू (२) सक्रि० ना पाडवी; कबूल नादिम वि० [अ. शरमिंद्; लज्जित ना करवू
नादिया पुं० नंदी; पोठियो [उत्तम नाटा वि० नीचु; गटुं [अभिनय नादिर वि० [फा.] अद्भुत; अद्वितीय; नाट्य पुं० [सं] नटविद्या; नृत्य अने
नादिहंव वि० [फा.] (नाम, -दी स्त्री०) नाठना अ० क्रि० नासवू (२) जुओ
लेणुं न देनार-न चूव वनार स्वस्थ 'नाँठना' (३) सक्रि० नाश करवो
ना-दुरस्त वि० [फा.] ठीक नहि एवं; अनाठा पुं० वारस वगरनो माणस
नाधना स० कि० (बेल, घोडो) जोडवू; नाड़ स्त्री० गरदन; नाड
जोतरवू (२) शरू करवू नाड़ा पुं० नाडु (घाघरा इ०नुं के लाल) नान स्त्री० [फा. नान; रोटी 'नाड़ी स्त्री॰ [सं.] शरीरनी नाडी(२)नळी । नानकीन पुं०एक जातनुं सुतराउ कापड नात पुं० (प.) नातो; संबंध (२) संबंधी नान-खताई स्त्री० [फा. नानखटाई ना-तजरबाकार वि० [फा.] बिनअनुभवी नानपाव स्त्री० पाउरोटी नातमाम वि० [अ.+.फा] अधूरुं, अपूर्ण नानबाई पुं० [फा. नानबा] नान-रोटी नातर (-रि,-6) अ० (प.) नहींतर; बनावी वेचनार
नहीं तो; 'नतर' [गमार नाना पुं० नानो; मातामह (२) [अ.] नातराश वि० [फा.] असभ्य; अनघड; फुदीनो (३) अ० [सं.] नाना प्रकारनातवाँ वि० [फा.कमजोर; अशक्त नात- (४) अनेक
वान. -वानी स्त्री० अशक्ति; कमजोरी नानिहाल पुं०नाना, नानी- घर के स्थान नाता पुं० नातो; संबंध के सगाई नानी स्त्री० नानी; मातानी मा-दादी. नाताक़त वि० [फा.] नातवान; ताकात -याव आना, -मर जाना=मोतिया मरी वगरनु. -ती स्त्री० कमजोरी
जवा; दुःखमां के संकटमा फसावं
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ना-नुकर पुं० इन्कार; ना पाडवी ते नान्ह, -न्हा वि० (प.) नानु; छोटुं
(२) बारीक; पातळु (३) क्षुद्र; हलकुं नाप पुं० माप (२) माप, ते के तेनुं
परिमाण नाप-जोख, नाप-तौल स्त्री० मापवं के
जोखq ते के तेनुं परिमाण नापना स० क्रि० मापवू नापसंद वि० [फा. अप्रिय; अणगमतुं नापाक वि० [फा.] अपवित्र; गंदु; मेलं.
की स्त्री० अपवित्रता ना-पायदार वि० [फा.] पाया वगरनु;
अध्धर; अस्थिर. -री स्त्री० नापास वि० नापास; असफळ (२)
अमान्य नापित पुं० [सं.] नापिक; वाळंद नापैद वि० [फा.] पेदा न थयेलुं (२)
अलभ्य नाफ़ स्त्री० [फा.] नाभि नाफरमा पुं० [फा.] नाफरमान; आज्ञा
न माननार. -मानी स्त्री० न मानतुं ते नाफ़हम वि० [फा.] नासमजु; मूरख.
मी स्त्री० नासमज; मूर्खता नाफा पुं० [फा.] कस्तूरी मृगनी नाभिनी कस्तूरीनी थेली (२) वि० [अ.] नफाकारक; लाभदायी नाबदान पुं० [फा.] मोरी; गटर नाबालिग वि० [अ.+फा. सगीर; । 'कमसिन' ना-बीना वि० [फा.] अंध ना-बूद वि० [फा.] नष्ट ; नाबूद नाभि,-भी स्त्री० [सं.] दूंटी (२) पैडानी
नाभि (३) कस्तूरी ना-मंजूर वि० [फा.] नाकबूल; अस्वीकृत
ना-मुनासिब नाम पुं०[सं.] नाम (२) [फा.] नामना; कीर्ति. ०क वि० नामे (समासमां) नाम-आवर वि० [फा. नामवर; प्रसिद्ध नामए-ऐमाल पुं० [फा.+अ.] 'ऐमालनामा'; कारकिर्दो नामक वि० [सं.] जुओ 'नाम' मां नाम-जद वि० [फा. प्रसिद्ध (२) नाम
जेनु दाखल करायु के देवायुं होय एवं. (नाम ०गी स्त्री०). नामवार वि० [फा.] 'नामवर'; प्रसिद्ध नामपराई स्त्री० बदनामी नामधारी वि० [सं.] नामे; नामक नामधेय पुं० [सं.] नाम नामनिशान पुं० [फा.] चिह्नः पत्तो; ठेकाणुं
[जगत नामरूप पुं० [सं.] नाम अने रूप; दृश्य नामर्द वि० [फा.] डरपोक; बायलं. (नाम. –ी स्त्री०) [लेनार नामलेवा पुं० वारस; मरण पछी नाम नामवर वि० [फा.] प्रसिद्ध; नामी
(नाम. -री स्त्री०) नामशेष वि० [सं.] गत; नष्ट; मृत . नामहदूद वि० [फा.] बेहद नामांक,-कित वि० [सं.] जेनी पर नाम लखालु के कोतरायेलं होय तेवू नामा पुं० [फा.] पत्र (२) ग्रंथ ना-माकूल वि० [फा.+अ.] अयोग्य नामा-निगार वि० [फा.) खबरपत्री ना-मालूम वि० [फा.] अज्ञात; अजाण; मालूम न होय एवं नामी वि० [फा.] नामीचुं; प्रसिद्ध; नामी-गिरामी वि० [फा.) घणुं प्रसिका नामांकित ना-मुनासिब वि० [फा.] अयोग्य; अघटित
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मा-मुआफ़िक
२९० ना-मुआफ़िक वि० [फा. माफक ना नारू पुं० 'नहरुआ'; नारु आवे एवं प्रतिकूळ
नाल स्त्री० [सं.] नाळ; दांडी के नळी; नामुमकिन वि० [फा.] असंभव बंदूकनी नाळ इ० (२) पुं० बाळकनो ना-मुराद वि० [फा.] निराश; निष्फळ नाळ (३) [अ.] घोडानो नाळ (४) नामूस स्त्री० [फा.] इज्जत (२) शील; अ० (प.) नजीक; पासे
स्त्री- शियळ (३) लज्जा नालकी स्त्री० पालखी [जडनार नामसी स्त्री० [फा.] नामोशी; बेआबरू नालबंद पुं० [फा. जोडा के घोडाने नाळ ना-मेहरबान वि० [फा.] अकृपाळ; महेर नाला वि० [फा. रोनार; रोईन फरियाद वगरनुं
करतुं (२) हेरान; 'तंग' नामो-निशान पुं० [फा.] नामनिशान नाला पुं० पाणी- नाळं (२) [फा.) नामौजूं वि० [फा.] अयोग्य; गेरवाजबी रोककळ (३) शोर; बुमराण [अधम नायक पुं० [सं.] नेता; आगेवान; सरदार नालायक वि० [फा.] अयोग्य (२)नीच; (२) अधिपति; मुख्य (३) कथा, काव्य नालिश स्त्री० [फा.] फरियाद वगेरेनु मुख्य पात्र [नायिका
नाली स्त्री० नीक (२) मोरी नायका स्त्री० वेश्यानी मा; कूटणी (२)
नाव पुं० नाम नायन स्त्री०नाई स्त्री; वाळंदण; 'नाइन'
नाव स्त्री० होडी; नाव नायब पुं० (२) वि० [अ.] मददनीश;
नावक पुं० (प.) नाविक (२) [फा.) सहायक (नाम, त, -बी स्त्री०)
एक खास तीर नायाब वि० [फा. अप्राप्य;दुर्लभ(२)श्रेष्ठ
ना-वक्त वि० [फा.] कसमयनुं नायिका स्त्री० [सं.] मुख्य स्त्री-पात्र
नावर,-रि स्त्री० (प.) नावडी; होडी (२) युवती [नारंगी रंगनुं
नावाक़िफ़ वि० [फा.] अजाण; (नाम, नारंगी स्त्री० नारंगी फळ (२) वि०
नावाकफ़ियत स्त्री०) नारंजी वि० [फा. नारंगी रंगनुं
ना-वाजिब वि० [फा.] गेरवाजबी; अयोग्य नार स्त्री० गरदन (२) नारी (३)
नाश स्त्री० [अ. नअश] लाश; शब वणकरनो कांठलो (४) पुं० नाळू (२) ठाठडी (५) नाडु (६) [अ.] अग्नि नाश पुं० [सं.] नाश; संहार.०क, कारी नारा पुं० नाडु (२) [अ.] घोष;पोकार वि० नाश करे एवं (३) विजयघोष
नाशपाती स्त्री० [तु.] नासपाती नाराज वि० [फा.] गुस्से थयेलं; कफा(२)
नाशाद वि० [फा.] दु:खी; नाराज (२) नाखुश (नाम गा स्त्रा०) हुक्का कमनसीब नारियल पुं०नारियेळ के काछलीनो नाश्ता पुं० [फा.] नास्तो; हाजरी नारियली स्त्री० काछली के तेनो हुक्को नास स्त्री० सूंघीने लेवानी दवा (२) नारी वि० [अ.] 'नार'-अग्नि संबंधी छींकणी (२) स्त्री० [सं.] नारी; स्त्री ना-सजा, वार वि० [फा. अनुचित
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नासवान
नासवान पुं० छींकणीनी डबी नासमझ वि० ( नाम, - झी स्त्री० ) अणसमजु; मूर्ख
नास ( - से) ह वि० [अ. नासिह ] नसियत देनार; सलाहकार; उपदेशक नासा, -सिका स्त्री० [सं.] नाक नासा वि० [फा.] विरोधी ; प्रतिकूळ (२) बीमार (नाम, - जो स्त्री ० ) [ हराम ना- सिपास वि० [फा.] कृतघ्न; निमकनासूर पुं० [अ.] सडानुं छिद्र, जेमांथी
ऊंडेथी परू नीकळया करे, - एवो रोग नासेह वि० [ अ ] जुओ 'नासह ' नास्तिक वि० [सं.] ईश्वर इ०मां न माननार; अश्रद्धाळु [ दुष्ट (३) नीच नाहंजार वि० [फा.] बदचालनुं ( २ ) नाह पुं० ( प. ) नाथ
नाहक वि० [फा.] विना कारण; नकामुं नाहमवार वि० [फा.] असमान; ऊंचुंनीचं नाहर पुं० वाघ (२) सिंह नाहरू पुं० जुओ 'नारू’
नाहीं अ० नहि; ना निंदक पुं० [सं.] निंदा करनार निंदना स० क्रि० निंद; निंदा करवी निंदा स्त्री० [सं.] बदगोई; वगोवणी निदरिया स्त्री० ( प. ) नींदर; ऊंघ निदासा वि० ऊंघ भरायेलु; 'उनींदा ' निंबू पुं० 'नीबू'; लींबु निंदित वि० [सं.] निदायेलं; दूषित; बूरुं निद्य वि० [सं.] निदाने पात्र ; खराब निंब पुं० [सं.] लीमडो; 'नीम' निःशंक वि० [सं.]शंका के डरवगर; बेशक निःशेष वि० [सं.] पूरेपूरुं; बधुंय निःश्रेयस पुं० [सं.] मोक्ष; कल्याण निःश्वास पुं० [सं.] निश्वास; निसासो
२९१
निकास
बेधडक
निःसंकोच वि० [सं.] वगर संकोच; [नावारस निःसंतान वि० [सं.] संतानरहित; निःसंदेह, निःसंशय वि० [सं.] निःशंक; बेशक
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निःसीम वि० [सं.] असीम; बेहद, अपार निःस्पृह वि० [ सं . ] निष्काम; निर्लोभ निःस्वार्थ वि० [सं.] स्वार्थ वगरनुं निअमत स्त्री० [अ०] जुओ निआमत निअर अ० ( प. ) पासे ( २ ) वि० समान निअराना अ० क्रि० ( प. ) नजीक आववुं निआमत स्त्री० [ अ.] दुर्लभ के कीमती वस्तु (२) स्वादिष्ट भोजन (३) धनदोलत; सुख
निकंदन पुं० [ सं . ] नाश; संहार; 'खातमा ' निकट वि० [सं.] नजीकनुं (२) अ० नजीक पा
निकम्मा, निकर्मा वि० नकामुं ( २ ) आळसु निकर पुं० [सं.] ढेर; समूह ( २ ) पुं०, स्त्री० [इं.] जांघियो; चड्डी निकलना अ० ०क्रि० नीकळवं
निकलवाना स०क्रि० 'निकालना' नुं प्रेरक निकसना अ०क्रि० ( प. ) नीकळवूं निकाई स्त्री० भलाई (२) सुंदरता (३) जुओ 'निराई' ; नीदामण निकाज वि० नकामुं (२) नवरुं; काम विनानुं
निकाना स०क्रि० जुओ 'निराना'' निक़ाब स्त्री० जुओ 'नक़ाब ' निकालना स०क्रि० (बहार) काढनुं (२) निकाल करवो
निकाला पुं० निकाल; बहार काढवुं ते निकास पुं० [सं.] निकाल (२) मूळ; ऊगम (३) नीकळवानुं द्वार
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निकासी
२९२
निछान निकासी स्त्री० रवानगी; जq ते (२) निगलना स० क्रि० गळवू (२) गटाप 'परदेशनी निकास (३) आय; लाभ; करी जवू
नफो (४) खपत; उपाड । निग(-गा)ह स्त्री० जुओ 'निगाह' निकाह पुं० [अ.] निका; लग्न. -करना, निग(-गा) हबान पुं० [फा.] देखरेख -पढ़ाना, बाँधना = लग्न कर
राखनार; रक्षक निकुंज पुं० [सं.] लतामंडप
निगार पुं० [फा.] चित्र (२) भरतकाम निकृष्ट वि० [सं.] तुच्छ; हलकुं; ऊतरतुं निगाली स्त्री० हूकानी नेह निकेत,०न पुं० [सं.] स्थान; धाम; घर निगाह स्त्री० [फा.] नजर; दृष्टि (२) निकोनी स्त्री० खेतर नींदवूते; नींदामण महेरबानी; कृपादृष्टि (३) ध्यान; निक्षेप पुं० [सं.] फेंकवं ते (२) छोडवू देखरेख. बान वि० जुओ 'निगहबान' ते (३) थापण; न्यास
निगुरा वि० नगरु; गुरुमंत्र वगरनुं निखंड वि० मध्य; बरोबर वचलं निगूढ़ वि० [सं.] गूढ; अति गुप्त । निखट्ट वि० ठकाणा दगरनुं; रखडेल । निगोड़ा वि० अभागी; अनाथ (२) (२) नकामुं; आळसु
नघरोळ (३) दुष्ट निखरना अ०क्रि० साफ थq; नीखरावं निग्रह पुं० [सं.] रोकवू, अटकावq ते; निखरी स्त्री० चोखडियात-घीनी रसोई दमन (२) बंधन; सजा निखार पुं० स्वच्छता; सफाई (२) निघरघट वि० नहि धरनुं के नहि
सजावट [साफ के पवित्र करवू घाटन (२) निर्लज्ज. -देना=निर्लज्ज निखारना सक्रि० निखारवू; धोवू; थई खोटी सफाई करवी . निखालिस वि० निखालस; शुद्ध निघरा वि० जुओ 'निगोड़ा' निखिल वि० [सं.] बधं; अखिल [घटवू निचय पुं० [सं.] चय; समूह (२) निश्चय निख (-ख)टना अ०क्रि० (प.) खूटवू; निचला वि० नीचलं (२) निश्चल निखोट वि० खोटाई के दोष वगरनुं निचाई स्त्री० नीचाण (२) नीचता
(२) अ० बेलाशक; विना संकोच । निचान स्त्री० नीचाण (२) ढाळ निगंदना सक्रि० गोदडा इ०मां दोरा निचित वि० निश्चित नांखवा
[नांखवा ते निचुड़ना अ०क्रि० निचोवावं निगंदा पुं० [फा.] बखियो (२) दोरा निचोड (-२) पं० निचोड:सार तात्पर्य निगड स्त्री० [सं.] निगड; बेडी (२) निचोड़ (-र)ना, निचोना स० क्रि० हाथीना पगनी सकळ
निचोव निगम पुं० [सं.] वेद (२) मार्ग (३) निचोल पुं० [सं.] उपवस्त्र (२) ओढणी बजार (४) वेपार रोजगार. -मागम (२) घाघरो पुं० वेद वगेरे शास्त्रो [जोनार । निचौहा वि० नीचे नमेल के करेलं. निगराँ वि० [फा.] निरीक्षक (२) राह -है अ० नीचे । निगरानी स्त्री० [फा.] देखरेख; निरीक्षण निछक्का पुं० एकांत
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निछावर - २९३
निनारा निछावर स्त्री० माथे उतारीने दान निथार पुं० नितार; नीतरेलुं साफ कराती वस्तु (२) न्योछावर करेलु- प्रवाही के नीतरीने नीचे बसे ते बलिदान (कोई उपर).-होना=(कोईने निथारना अ०क्रि० नितार माटे) बलिदान थवं-मरवू निदरना सक्रि०(प.) निरादर करवो निछोह (-ही)वि० प्रेमरहित (२) निर्दय निदर्शन पुं०[सं.] दृष्टांत; दाखलो (२) निज (-जी,०का) वि० निज, पोतानुं
प्रदर्शन (२) साचुं; यथार्थ (३) खास; मुख्य.
निदाघ ० सिं.] उनाळो (२) ताप निज करके = अवश्य; जरूर
निदान पुं० [सं.] कारण (२) रीगनुं निजकारी स्त्री० भागमां खेडाती जमीन
कारण के तेनी परख (३) अंत; निजा पुं० [अ.] झघडो; तकरार छेडो (४) वि० नीचेछेल्ली कोटिन निजाम पुं० [अ.] बंदोबस्त (२) निझाम (५) अ० अंते; आखरे [चिंतन-ध्यान निजी वि० जुओ 'निज'
निदिध्यासन पुं० [सं.] निरंतर ऊंडु निज,-जू वि० (प.) निज; खास पोतान निदेश पुं० [सं.] आदेश; आज्ञा निस्व अ० [फा.] पासे (२) सामे
निद्रा स्त्री० [सं.]ऊंघ. ०ल वि० ऊंघणशी. निझरना अ०क्रि० झुडाईने साफ थq;
-द्रित वि० ऊंघेल बधुं खरी पडवू
निधड़क अ० बेधडक निठल्ला (-ल्लू) ९ि० ठालं; कामधंधा
निधन पुं० [सं.] अंत; मरण वगरन
निधन (-नी) वि० निर्धन निठाला पुं० बेकारी; नवराश;ठालापणुं निधान पुं० [सं.] आश्रय-स्थान; आधार निठुर वि० निष्ठुर; निर्दय
(२) निधि; भंडार निठौर पुं० बूरी जगा; कथोल (२) निधि स्त्री० [सं.] भंडार; खजानो(२) दुर्दशा. -पड़ना=हाल थवा
समुद्र (३) कुबेरनां नव रत्न (४) निडर वि० नीडर (२) साहसिक नवनी संख्या निढाल वि० ढीलं; अशक्त (२) उत्साह- निनरा वि० जुओ 'निनारा'
रहित; मंद [(२) ढाळ । निनाद पुं० [सं.] नाद; अवाज नितंब पुं० [सं.] (स्त्रीनो) कुलो; थापो निनानवे वि० नव्वाणु; ९९. -के फेरमें नित अ० नित्य; रोज; सदा
आना या पड़ना=धननी धूनमां पडवू नितराम् अ० [सं.] सदा सर्वदा; नक्की निनार (-रा) वि० (प.) निराळं ; जुदं; नितांत वि० [सं.] अतिशय; खुब (२) अलग; न्यारं बिलकुल; तद्दन
निनावाँ पुं० मों के जीभ आवी जवी नित्य वि० [सं.] सनातन; अमर (२) ते; तेथी थता फोल्ला इ० (२) वि. अ० सदा. कर्म पुं० रोजनां काम __ जे वस्तुनु नाम लेवू खराब गणातुं के तेनो विधि. प्रति, शः अ० रोज होय ते
'ननिहाल' निथरना अ.क्रि० नीतर' निनौरा पुं० नानी- घर; खडमोसाळ;
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निधानबे
२९४
निम्नगा निन्ना(-न्या)नबे वि० जुओ 'निनानवे' निबह पुं० समूह निपजना अ०क्रि० नीपजवं; उत्पन्न थवं निबहना अ०क्रि० पार पामवं (२)नभवं निपजी स्त्री० (प.) नीपज (२) लाभ निबहुर वि० (प.) ज्यां गये पार्छ नथी निपट अ० नीपट; केवळ; बिलकुल (२) अवातुं एवी (जगा-यमद्वार) . खूब
निबाह पुं० निभाव; गुजारो [चलाववं निपटना अ०क्रि० जुओ 'निबटना'
निबाहना सक्रि० 'निभाना'; नभाववृं; निपटा (-2) रा पुं० जुओ 'निबटारा' निबिड़ वि० [सं.] घन; गीच; घाडु निपात पुं० [सं.] पतन; पडती (२) निबेड़ (-र)ना स०क्रि० छोडावq (२) मृत्यु; नाश
निवेडो आणवो निपीड़न पुं० [सं.]पीड-दुःखी करवु ते । निबेड़ा(-रा) पुं० निवेडो; फैसलो निपुण, -- (प.) वि० [सं.] प्रवीण; (२) अन्त; पार (३) मुक्ति
कुशळ; चतुर [निःसंतान निबौरी (-ली) स्त्री० लीबोळी निपुत्र, निपूत (-ता) वि० अपुत्र; निभना अ०क्रि० नभवू.(प्रेरक निभाना) निफरना अ०क्रि० आरपार नीकळवू निभृत वि० [सं.] अचळ; स्थिर (२) (२) स्पष्ट थQ
एकांत; शांत; निर्जन (३) गुप्त; निफल वि० (प.) निष्फळ
संताडेलु (४) नम्र; धीर निफ़ाक़ पुं [अ] विरोध (२) वेर (३) निमंत्रण पुं० [सं.] नोतरुं [आमंत्रित अणबनाव
निमंत्रित वि० [स.] बोलावेलं; नोतरेलं; निफोट वि० स्पष्ट; साफ [शरत । निमकौड़ी स्त्री० जुओ 'निबकौरी' निबंध पुं० [सं.] निबंध; लेख (२) बंधन; । निमग्न वि० [सं.] अंदर डूबल; लोन; निबंधन पुं० [सं.] बंधन (२) व्यवस्था; मग्न; तन्मय प्रबंध; नियमन
निमज्जन पुं० मि.] डूबकुं मारवं ते निब स्त्री० [इं] अणियुं (होल्डरनुं) । निमाज स्त्री० नमाज; बंदगी नियकौरी स्त्री० लीबोळी; 'निबौरी' निमाना वि० नीचुं; ढळतुं(२)नरम भोळं निबटना अ०क्रि० छुटवू (२) पूरुं थवं निमित्त पुं० [सं.] कारण; हेतु (२) (३) निवेडो आववो (४) परवारवं चिह्नः लक्षण (३) शुकन (1) अ० (जेम के शौचादि) [आणवो __ लोधे; माटे; सारु [(२)पळ;क्षण निबटाना सक्रि० पूरुं करवू के निवेडो निमि (-मे)ष पुं० [सं.] आंखनो पलकारो निबटा(-2)रा, निबटाव पुं० समाप्ति । निमीलन पुं० [सं.] बिडावू के संकोचाएँ (२) निवेडो; फैसलो
ते (२) पलकारो (२) मरण निवरना अ०क्रि० ऊगरवू; छूटवू; मुक्त निमेष पुं० जुओ 'निमिष' [एक वानी थर्बु (२) पूरुं थर्बु (३) ऊकलवू निमौना पुं० लीला चणा के वटाणानी निवेडो आववो
निम्न वि० [सं.] नीचे ; नीचलं (२) निबल वि० (प.) निर्बळ
नीचाणवाळु. ०गा स्त्री० नदी
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नियंता
२९५
निराधार नियंता पुं० [सं.] नियामक. -त्रण पुं० निरगुन वि० (प.) निर्गुण; गुणातीत नियमन; काबू निश्चित (२) दुर्गुणी
निर्णय नियत वि० [सं.] नक्की थयेलुं के करेलु; निरजोस पुं० [सं. निर्यास] निचोड (२) नियति स्त्री० [सं.] नियत थq ते (२) निरधार पुं०(प.) नक्की ठराव; निश्चय. भाग्य'; नसीब
[विधि ना स० क्रि० निरधारवं नियम पुं० [सं.] नियम; नियत व्यवस्था; निरना, -ल, -ना वि० नयणा नियमन पुं० [सं.] नियममा राखवू कोठावाळं; उपवासी ते; काबू
निरपना वि० (प.) परायु नियमित वि०[सं.]नियमवाळू; नियमबद्ध । निरपराध वि० [सं.] निर्दोष; बेगुना नियर, नियराना जुओ 'निअर' निरपवाद वि० [सं.] अपवाद रहित (२) 'निअराना'
निर्दोष [अलग; तटस्थ नियाज स्त्री० [फा.] इच्छा (२) आजीजी निरपेक्ष वि० [सं.] निःस्पृह (२) स्वतंत्र; (३) कृपा (४) भेट. -हासिल करना निरम (-मा)ना स० क्रि० (प.) निर्माण
= मोटानी सेवामां हाजर थर्रा करवं; बनाव; रचq। नियाज-नामा पुं० [फा.] कृपापत्र । निरमोल, -लिक वि० (प.) अमूल्य
(कागळमां पराय छे) प्रबंधक निरर्थक वि० [सं.] नकामं नियामक पुं० [सं.] नियममा राखनार; निरवद्य वि० [सं.] अनिंद्य; निर्दोष नियामत स्त्री० जुओ 'निआमत' निरवधि वि० [सं.] अमर्याद; अपार नियार पुं०सोनीनी दुकाननो पूंजो,कत्ररो निरवयव वि० [सं.] निराकार (२) नियारा वि० न्यारं; अलग ।
अवयव विनानुं [उकेल; फैसलो नियारिया पुं० धूळधोयो ।
निरवार पुं० छुटकारो (२) बचाव (३) नियुक्त वि० [सं.] नीमेलं (२) नक्की निरस वि० [सं.] नीरस; रस विनानुं
करेलु; ठरावेलं. -क्ति स्त्री०निमणूक निरसन पुं० [सं.] दूर करवू के फेंकवृं नियोग पुं० [सं.] नियुक्त करवू ते (२) ते (२) उकेल; निराकरण (३) नाश । प्रेवु ते; आज्ञा
निरहंकार,निरहम् वि० [सं.]निरभिमानी; नियोजक पुं० [सं.] नियुक्त करनार. अहंकाररहित; नम्र पुं० नियुक्त करवू ते
निरा वि० (स्त्री०-री)शुद्ध; केवळ; नर्यु निरंकुश वि० [सं.]काबू बहारनु;स्वच्छंदी निराई स्त्री० नींदामण । निरंतर वि० (२) अ० [सं.] सतत; । निराकरण पुं० [सं.] उकेल; फैसलो (२)लगातार (२) सदा
खंडन; निरसन ईश्वर; ब्रह्म निरंध वि० भारे अंध (२) महामूर्ख निराकार वि० [सं.] निराकार (२) पुं० निरक्षर वि० [सं.] अभण
निरादर पुं० [सं.] अनादर; अपमान निरख पुं० जुओ 'निर्ख'
निराधार वि० [सं.] आधार विना- (२) निरखना स० क्रि० (प.) नीरखवू; जोवं पाया विना; अध्धर
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निराना
निर्माण निराना स० क्रि० नींदवू; 'निकाना' दुर्गुणी. -णिया पुं० निर्गुण ब्रह्मनो निरापद वि० [सं.] आपदा के पीडा उपासक
विनानं : निविघ्नः सुरक्षित परायं निर्जन वि० [सं.] एकान्त; सूनुं निरापन वि० (प.) जुओ 'निरपना'; निर्जल वि० [सं.] निर्जळ ; पाणी विनायूँ निरामय वि० [सं.] नीरोग; तंदुरस्त
निर्जीव वि० [सं.] अचेतन; जीव वगरनुं निरामिष वि० [सं.] मांस रहित (२) निर्झर पुं० [सं.] झरो शाकाहारी
निर्णय पुं० [सं.] निश्चय; ठराव; फैसलो निराला पुं० एकांत जगा (२) वि० निर्णायक वि० [सं.] निर्णय करनारुं
एकांत (३) निराळू (४) अजोड उत्तम निर्णीत वि० [सं.] नक्की; नियत निराश वि० [सं.] निराश; नाउमेद. निर्वय वि० [सं.] कर; दयाहीन ।
-शी,-स वि०(प.)निराश.-शा स्त्री० निर्दिष्ट वि० [सं.] नक्की; निश्चित; निराहार वि० [सं.] उपवासी; भूख्यु बतावेलु [बतावq ते; वर्णन निरिद्रिय वि० [सं.] इंद्रिय वगरनुं निर्देश पुं० [सं.] आज्ञा (२) उल्लेख; निरिच्छ वि० [सं.]इच्छा रहित; निस्पृह निर्दोष वि० [सं.] दोषरहित; बेकसूर निरीक्षक पुं० [सं.] निरीक्षण -देखरेख
निर्धन वि० [सं.] गरीब; अकिंचन राखनार
निर्धार पुं० [सं.] निरधार; निश्चय. निरीक्षण पुं० [सं.] देखरेख; तपास ना सक्रि० निरधारवं.-रित वि० निरीह वि० [सं.] निरिच्छ (२) उदासीन; नवकी थयेलं के करेलु शांत
निर्बल वि० [सं.] निर्बळ; नबर्छ.. निरुत्तर वि० [सं.] उत्तर वगरनु; उत्तर । निर्बुद्धि वि० [सं.] मूर्ख; बुद्धि वगरनुं न आपी शकाय एवं (२) उत्तर न । निर्बोष वि० [सं.] अज्ञान; अणसमजु आपी शकनारं; चूप थयेखें निर्भय वि० [सं.] नीडर निरुद्ध वि० [सं.] रोकेलं; बांधेलं निर्भर वि० [सं.] भरपूर; भरेलु (२) निरुपयोगी वि० [सं.] नकामुं; खप वगरन आश्रित; अवलंबित निरुपाय वि० [सं.] लाचार; उपाय वगरनुं निर्भीक वि० [सं.] नीडर निरूपण पुं० [सं.] स्पष्ट रजू करवू ते; निर्धम वि० [सं.] भ्रमरहित; निश्चित
वर्णन (२) अवलोकन; तपास (२) अ० बेलाशक; विना संकोच निरोग, -गी वि० नीरोगी; तंदुरस्त निन्ति वि० [सं.] भ्रम के संशय विनानु निरोष पुं० [सं.] रोकवू ते; प्रतिबंध; निग्रह निर्मम वि० [सं.] ममता वगरनुं निर्ख पुं० [फा.] भाव; दर [करवो ते निर्मल वि० [सं.] निर्मळ; स्वच्छ (२) निर्खबन्दी स्त्री० [फा. भाव नक्की पवित्र; निष्कलंक निगंध वि० [सं.] गंध वगरनुं निर्मली स्त्री० अरीठी- झाड के.अरीठं निर्गम पुं० सं.] बहार जवू ते; निकास निर्माण पु० [सं.] रचना; बनाव ते निर्गुण वि० [सं.] गुणातीत (२) खराब; निर्माल्य पुं० [सं.] देवने चडावेली वस्तु
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निशस्त निर्मित वि० [सं.] निर्माण थयेलुं के करेलुं निलय पुं० [सं.] स्थान (२) रहेठाण; घर निर्मूल वि० [सं.] निर्मूळ; मूळ के आधार निलाम पुं० 'नीलाम'; लिलाम; हराजी
विनानुं . [चामडी निलहा विनील- गळी साथे संबंध वाळू निर्मोक पुं० [सं.] सापनी कांचळी (२) निवर्तन पुं० [सं.] निवारण (२) पार्छ निर्मोह (-ही) वि० [सं.] मोहरहित । निर्यात पुं० [सं.] निकास थतो माल निवह पुं० [सं.] समूह; झुंड निर्यातन पुं० [सं.] बदलो; प्रतिकार
निवाज वि० 'नवाज़'; कृपाळु निर्यास पुं० [सं.] वनस्पतिमाथी झरतो
निवाजना सक्रि०निवाजवं; कृपा करवी के कढातो रस (२) गुंदर
निवाजिश स्त्री० कृपा; दया निर्लज्ज वि० [सं.] बेशरम; लाज वगरनु निवाड़(-र) स्त्री० खाटलानी पाटी निलिप्त वि० [सं.] लेपाया वगरन; (२) कूवानुं चक्कर; 'जमवट' अनासक्त
निवाड़ा स्त्री० एक नानी होडी निवंश वि० [सं.] निःसंतान: उच्छेदियं निवार स्त्री० जुओ 'निवाड़' (२) कुवान निर्वाचक पुं० [सं.] चूंटनार; मताधिकारी; चक्कर (३) पुं० [सं.] मोरिया जेवू एक . मतदार
धान निर्वाचन पुं० [सं.] चूंटणी [आवेल निवारक वि० [सं.] निवारण करनार. निर्वाचित वि० [सं.] जुटायेल; चूंटणीमां -ण, पुं०रोकवू के दूर करवू ते (२) निर्वाण पुं० [सं.] मुक्ति (२)अंत; समाप्ति छुटकारो. -ना सक्रि० (प.) निवार निर्वासन पुं० [सं.] देशनिकाल (२) निवाला पुं० जुओ 'नवाला'; कोळियो नाश; वध
निवास पुं० [सं.] रहेठाण (२) घर.-सी निर्वाह पुं० [सं.] निर्वाह; गुजारो (२) वि० रहेवासी
[बूचुं टकवू- नभवू ते; निभाव (३) पालन निविड़ वि०[सं.] घन; गीच; घाडु (२) (४) समाप्ति
निविष्ट वि० [सं.] एकाग्र (२) अंदर निर्विकार वि. [सं.] विकाररहित पेठेलु के स्थिर थयेलं; प्रविष्ट निर्विघ्न वि० (२) अ० [सं.] विघ्न विनानु निवृत्त वि० [सं.] छुटुं के फारेग थयेलं के विना
(२) मुक्त.-त्ति स्त्री० छुटकारो; मुक्ति निर्विवाद वि० [सं.] बिनतकरारी निवेदक वि० [सं.] निवेदन के विनंति निर्वीय वि० [सं.] वीरता के बल वगरन; करनार
(२) समर्पण ...निस्तेज
निवेदन पुं० [सं.] विनंती; नम्र रजूआत निर वि० [सं.] वेररहित निवेश पुं० [सं.] पडाव; डेरो (२) घर निर्व्याज वि० [सं.] सरळ; निष्कपट (३) विवाह निलज,-ज्ज वि० (प.) निर्लज्ज. ई, निशंक वि० निशंक; नीडर
ता स्त्री० (प.)निर्लज्जता. -जी वि० निश स्त्री० [सं.] रात स्त्री० बेशरम (स्त्री)
निशस्त स्त्री० [फा.] बेठक
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लिशा
२९८
निष्प्रयोजन निशा स्त्री० [सं.] रात्रि. ०कर पुं० चंद्र. निश्चेष्ट वि०[सं.] चेष्टारहित; बेहोश;
चर पुं० राक्षस (२) शियाळ (३) अचेत (२) स्थिर; निश्चल [कल्याण भूतप्रेत (४) चोर
निश्रेयस पुं० निःश्रेयस; मोक्ष; परम निशानातिर स्त्री० संतोष; निरांत निश्वास पुं० [सं.] श्वास बहार काढवो निशात वि० [सं.] धार काढलं; तीक्ष्णते; निसासो
[चोकस (२) स्त्री० [अ.] आनंद; सुख; खुशी निश्शंक वि० [सं.] नक्की; शंकारहित; निशान पुं० [फा.] चिह्न (२) वाक्टो निश्शेष वि० [सं.] पूरेपूरुं; कांई बाकी (३) लक्ष्य; ताकवा- नेम – एंधाण रह्या विनानुं
तलवार निशानची पुं० [फा.] निशान-झंडो लई निषंग पुं० [सं.] तीरनो भाथो (२) चालनार; झंडाधारी
निषाद पुं० [सं.] भील के माछी जेवी एक निशान-देही,-दिही स्त्री० [फा.] माणसनी प्राचीन जाति (२) 'नी' स्वर निशानी आपवी-ओळखावq ते के ।
निषिद्ध वि० [सं.] मना करायेलं (२) तेनी परेड
खराब; दूषित निशान-पट्टी स्त्री० चहेरा वगेरेनी । निषेध पुं० [सं.] मनाई; बाधा (२) ओळख के तेनी निशानीओ .
इन्कार; ना पाडवी ते दिलनुं निशान-बरदार पुं० [फा.] निशानची
निष्कपट वि० [सं.] कपटरहित; साचा निशाना पुं० [फा.] ताकवानुं निशान;
निष्कर्ष पुं० [सं.] निचोड; सार . एंधाण. -बाँधना, -साधना-निशान
निष्कलंक वि० [सं.] कलंकरहित; शुद्ध ताकवू. -मारना, -लगाना-निशान
निष्काम वि० [सं.] कामनारहित; वोंधq
अनासक्त व्यर्थ; नका, निशानी स्त्री० याद राखवान चिह्नः निष्कारण वि० (२) अ० [सं.] अकारण;
स्मारक (२) चिह्नः निशान निष्क्रिय वि०[सं.] क्रियारहित; निश्चेष्ट निशास्ता पुं० [फा.] घउं पलाळी तेने निष्ठा स्त्री० [सं.] श्रद्धा; विश्वास (२) वाटीने कराती एक वानी
वफादारी (३) स्थिरता; निश्चय निशित वि० [सं.] धारदार; तेज; तीक्ष्ण निष्ठुर वि०[सं.] कडक; कठोर (२) क्रूर निशिदिन, निशिवासर अ० [सं.] रात- निष्णात वि० [सं.] प्रवीण; पारंगत दिवस; हमेश
निष्पक्ष वि० [सं.] पक्षरहित; तटस्थ निशीथ पुं०, -थिनी स्त्री० [सं.] रात । निष्पत्ति स्त्री० [सं.] अंत; समाप्ति (२) निश्चय पुं० [सं.] ठराव; निर्णय (२) सिद्धि; परिणाम [फलरूप दृढ विचार के संकल्प
निष्पन्न वि० [सं.] समाप्त-पूरुं थयेलं; निश्चल वि० [सं.] अचळ; स्थिर निष्पाप वि० [सं.] पापरहित निश्चित वि० [सं.] चिंता रहित;बेफिकर निष्प्रभ वि० [सं.] निस्तेज निश्चित वि० [सं.] नक्की थयरों के निष्प्रयोजन वि०[सं] प्रयोजन विनानु; करेलु
हेतुरहित (२) व्यर्थ; नकामुं
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निष्प्राण
नीच निष्प्राण वि०[सं.] प्राणरहित; बळ के निस्संदेह वि० [सं.] संदेह वगरनु; नक्की जीव वगरनुं
निस्सार वि० [सं.] सार वगरनु; निःसत्त्व निष्फल वि० [सं.] निष्फळ; व्यर्थ निस्सीम 'वि० [सं.] असीम; अपार . निसबत स्त्री० [अ.] निस्बत; संबंध (२) निस्स्वार्थ वि० [सं.] स्वार्थ रहित
विवाहनी वात; सगाई (३) तुलना निहंग वि० निःसंग; एकाकी (२)एकल; निसबती वि० संबंधी
नमारमूंडु (३) पुं० [फा. मगर; ग्राह. निसबती भाई पुं० बनेवी के साळो
-लाड़ला वि० माबापनां लाडथी निसर्ग पुं० [सं.] स्वभाव; प्रकृति (२) बगडेलं (छोकरुं)
कुदरत; सृष्टि (३) दान [स्त्रीओ निहत वि० [सं.] नष्ट; हणायेलं निसवां स्त्री० [अ. 'निसा' नुं ब० व.] निहत्था वि० शस्त्रहीन (२) गरीब निसा (-सा)स पुं० (प.) निसासो; लांबो निहाँ वि० [फा.] छू'; गुप्त __ श्वास
निहाई स्त्री०; निहाउ पुं० एरण निसा स्त्री० (प.) निशा; रात्रि (२)
निहायत वि० [अ.] खूब; बेहद; अत्यंत संतोष; तृप्ति (३) पुं० नशो
निहार पुं० [सं.] ओस; झाकळ निसाब पुं० [फा.] पूंजी; मूडी (२) निहारना. सक्रि० (प.) निहाळवं अभ्यासक्रम
निहाल वि० [फा.] न्याल; कृतकृत्य निसार पुं॰ [अ.] जुओ 'निछावर' (२)
निहाली स्त्री० [फा.] गादी (२) 'निहाई न्योछावर (३) वि. निःसार
निहित वि० [सं.] राखेखें; स्थापेल(२)छू' निसात पुं० (प.) निसासो (वि०-सी)
निहोरना सक्रि० (प.) वीनवq (२) निसीठी वि० निःसत्त्व; नीरस
मनाक्यूँ (३) कृतज्ञ थवू निसे (स)नी स्त्री० निसरणी
निहोरा पुं० (प.) उपकार (२)विनंति निसोत वि० (प.) शुद्ध
(३) आशरो; भरोसो निस्तत्त्व वि० [सं.] तत्त्व वगरनुं
नोंद, डी(-री) (प.) स्त्री० निद्रा; निस्तब्ध वि० [सं.] साव स्तब्ध; स्थिर ऊंघ. -उचटना, -खुलना, - टूटना: निस्तार पुं०[सं.] पार ऊतरवू ते (२) । ___ऊंघ ऊडी जवी; जागवं. -पड़ना=3 उद्धार; मोक्ष
[मुक्त ऊंघ आववी. -लेना = सूवू; ऊंघवं निस्तीर्ण वि० [सं.] पार ऊतरेखें (२) नोंदना स० क्रि० नींदवू (२) निंदवू; निस्तेज वि० [सं.] तेज वगरन; फीकुं __निंदा करवी निस्पंद वि० [सं.] स्पंदरहित; स्थिर; नीक (-का), नीको [फा.] वि० भलं; अचल 1
[वगरनुं अच्छु (२) सुंदर निस्पृह वि० [सं.] स्पृहा-लोभलालच नीके अ० ठीक रीते; बरोबर निस्फ़ वि० [अ.] अरधुं
नीकोई स्त्री० [फा.]भलाई (२)सुंदरता निस्फ़ानिस्फ़ वि० [फा.] अरधोअरध नीग्रो पुं० [इं.] हबसी निस्बत स्त्री० [अ.जुओ 'निसबत' नीच वि० [सं.] नीचु; अघम; हलकट
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नीचा नीचा वि० (वि० स्त्री० -ची) नीचं; ढळतुं. ०ई स्त्री० नीचाण. -खाना= नीचुं जोh - नीचुं पडवू; हार; शरमावं. -दिखाना=नीचुं नमाव; हराव; मानभंग करवू; नीचु जोवडाव. -देखना-जुओ 'नीचा
खाना' नीचा ऊँचा वि० ऊंचुनीचु(२)सारुंनरसुं
(३) सुखदुःख (४) लीलीसूकी नौचू वि० चूतुं न होय एवं (२) नीचुं नीचे अ० नीचे; 'ऊपर' थी ऊलटुं नीज अ० [फा.) उपरांतमां; पण; वळी नीठि स्त्री० अरुचि, अनिच्छा (२) अ०
जेम तेम करीने; मुश्केलीथी नीड़ पुं० [सं.] पक्षीनो माळो नीति स्त्री० [सं.] ढंग; रीत (२) आचार
के वर्तननो नियम; न्याय; कायदो नीपजना अ०कि०(प.)नीपजवु; पेदा थवं नीबी स्त्री०(प.)नीवी; नाडु; केडनो बंध नीबू पुं० लींबु के लींबोई नीबू-निचोड़ वि० भारे कंजूस नीम पुं० लीमडो (२) वि० [फा.] अडधुं नीमचा पुं० [फा. खांडु; कटार। नीम-जाँ वि० [फा.] अधमूउं; मतप्राय नीमटर वि० अधकचरूं नीम-रजा वि० थोडी - अर्धी रजा नोम-रोज पुं० [फा. बपोर नीम(मा)स्तीन स्त्री० नीचे पहेरवानु
अर्धी बांयन, एक कुरतुं के बंडी नीम-हकीम पुं० [फा.] अधकचरो वैद्य-
हकीम नीमा पुं० [फा.] नीमो- एक पहेरवेश नीमास्तीन स्त्री० जुओ 'नीमस्तीन' नीयत स्त्री० [अ.] नैयत; भावना; दानत
नुकीला नीर पुं० [सं.] पाणी (२)फोल्ला इ०माथी नीकळतुं प्रवाही. ०ज पुं० कमळ (२) मोती 1 [वगरनूं नीरद पुं० [सं.] वादळ (२) वि० दांत नौरस वि०[सं.] रस वगरनु; फीकुं (२)
पुं० दाडम नोरोग वि० [सं.] नीरोगी; तंदुरस्त नील वि० [सं.] गळीना रंगर्नु; नीलु (२) पुं० गळीनो छोड (३) भूरा-काळा रंगनुं चकामु - सोळं (पक्षी नीलकंठ पुं० [सं.] शिव(२) मोर(३)चास नीलम पुं० [फा.]; नीलमणि पुं० [सं.] __ लीलम रत्न नीला वि० नीला रंगर्नु नीला-थोथा पुं० [सं. नीलतुत्थमोरथूथु नीलाम पुं० लिलाम नीलाम्बुज; नीलोत्पल [सं.], नीलोफ़र
पुं० [फा.] नील कमळ नीवें, नीव स्त्री० पायो. -जमाना,
डालना या देना = पायो नाखवो नीवि,-वी स्त्री० [सं.] नाडु (२) कमरना
बंधनी गांठ (३) मूडी; मुद्दल नोहार पुं० [सं.] जुओ 'निहार' नुकता पुं० [अ.] टपकुं; बिंदु; नुक्तो नुकता पुं० [अ.] सूक्ष्म वात (२) दोष (३) रहस्य. ०चों वि० नुक्तेचीन; दोष शोधनार; छिद्र जोनार. चीनी स्त्री० [फा.] नुक्तेचीनी [ सफेद रंग नुक्करा पुं० [अ.] चांदी (२) घोडानो नकल पुं० जुओ 'नुक्ल' नुकसान पुं० [अ.] नुकसान; कमी; खोट;
घट. -भरना = नुकसान भरी आपवं नुकीला वि० नोकदार; अणीदार (२) सुंदर
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नेगीजोगी नुक्कड़ पुं० अणी (२) खूणो नीकळेलो नूर पुं० [अ.] तेज; प्रकाश; कांति. होय ते; ढेको
०का तड़का पुं० प्रातःकाळ. ०चश्म नुक्का पुं० 'नोक'; नोख; अणी नीकळतो पुं० प्यारो पुत्र. चश्मी स्त्री० प्यारी छेडो. ०टोपी स्त्री० पातळी नोखवाळी पुत्री. ०बाफ़ पुं० वणकर एक जातनी टोपी
नूरानी वि० [अ.] नूरवाळं; चमकदार नुक्ल पुं० [अ.] एक जातनी मीठाई (२) (२) सुंदर [एक पेगंबर नशा पर खावानुं ते (३) नास्तो
नूह पुं० [अ] (बाईबलमां बतावेला) नक्स पुं० [अ.] दोष; ऊणप। नृ पुं० [सं.] नर; माणस नुचना अ०क्रि० ऊखडवू (२) उझरडा, नृत्य पुं० [सं.] नाच (प्रेरक-नुचवाना)
नदेव पुं० [सं.] ब्राह्मण (२) राजा नुजूम पुं० [अ.] नजूम; ज्योतिष नृप, ति, -पाल पुं० [सं.] राजा नमी पुं० [अ.] नजूमी; जोशी .
नृशंस वि० [सं.] दुष्ट; क्रूर; निर्दय नुतफा, नुत्ता पुं० [अ.वीर्य (२) नेअमत स्त्री० [अ.] जुओ 'निआमत'
ओलाद. -ठहरना = गर्भ रहेवो . नेह (-ई) स्त्री० 'नीव', पायो नुनख (-खा)रा वि० मीठावाळु; नेक वि० [फा.] नेक; भलु; शिष्ट (२) 'नमकीन'
अ० थोडं; जरा ननना सक्रि० लणवं; कापणी करवी नेकचलन वि० सदाचारी (नाम, -नी नुनेरा पु० जुओ 'नोनिया' स्त्री० सदाचार) नमा वि० [फा.] 'देखातुं', 'दर्शक' के नेकनाम वि० [फा. प्रसिद्ध; प्रख्यात. 'समान' अर्थमां समासमां. उदा० (नाम, -मी स्त्री०) 'खश-नुमा'
नेकनिहाद वि० [फा.]सुशील;चारित्रवान नुमाइन्दा पुं० [फा. प्रतिनिधि. -न्दगी । नेकनीयत [फा. वि० नेक नैयतवाळू; स्त्री० प्रतिनिधित्व
उच्चाशयी. (नाम, -तो स्त्री० ) नुमाइश स्त्री० [फा.] प्रदर्शन (२) नेकबस्त वि० [फा.] नसीबदार (२)
सजावट; ठाठमाठ [ खाली देखावडु सुशील. (नाम, -ख्ती स्त्री०) नुमाइशी वि० [फा.] देखाडा पूरतुंः। नेकी स्त्री० भलाई; सज्जनता (२) नुमाई स्त्री० [फा.] देखाडवू ते उपकार; हित. ०बदी स्त्री० भलंनमायां वि० [फा. जाहेर; प्रत्यक्ष बूढू; हितअहित. -और पूछ पूछ ? नुसखा पुं० [अ.] नुसखो. -बाँधना=3 = भलं करवामां पूछवं शं? - नुसखा प्रमाणे दवा आपवी
नेग पुं० लग्न के उत्सवने अंगे संबंधीओ नूतन वि० [सं.] नवु(२)ताजु(३)अनोखं तथा नोकरोने अपातुं दा' के लागो नून पुं० लूण; मीठं. -तेल = मीठे नेगचार, नेगजोग पुं० नेग' नो रिवाज मरचुं वगेरे घरनो सामान
नेगी पुं० 'नेग' नुं हकदार । 'नूपुर पुं० [सं.] झांझर
नेगीजोगी पुं० 'नेगी'; वसवायां
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नेजा
३०२
नैसगिक नेजा, [फा.] नेजाल पुं० (प.) नेजो; भालो नेस्त वि० [फा.] अस्तित्व वगरनु (२) नेजु; निशान. ०बरदार पुं० नाबूद वि० नष्टभ्रष्ट; खेदानमेदान भालावाळो के राजानो निशानची नेस्ती स्त्री० [फा. न होवू ते; अभाव नडे (-रे) अ० (प.) नजीक; पासे (२) आळस (३) नाश [तेल घी इ० नेत पुं० निरधार; ठराव (२) संकल्प नह पुं० (प.) स्नेह; प्रेम (२) चीकट; (३) स्त्री० नैयत
ने स्त्री० [फा. वासनी नळी के वासळी नेता पुं० [सं.] नायक; आगेवान (२) हकानी नेह नेती स्त्री० वलोणाचें नेतरुं
नै स्त्री० (प.) नदी (२) नीति; नय नेत्र पुं० [सं.] आंख (२) नेतरुं नचा पुं० [फा.] नेचो; हुकानो मेर. नेनुआ(-वा) पुं० एक शाक-गलकुं बंद पुं० नेचो बनावनार. ०बंदी नेपथ्य पुं० [सं.] वेशभूषा (२) रंगभूमिनो स्त्री० तेनुं काम
पाछळनो भाग [परोववानो नैतिक वि० [सं.] नीति संबंधी नेफ़ा पुं० [फा.लेंघो इ०नो नेफो-नाडु नन पुं० (प.) नयन नेम पुं० नियम (२)रिवाज (३)धर्मक्रिया नैनसुक (-ख) पुं० नेनसूक कपडु नेमत स्त्री० जुओ 'निआमत' नेनू पुं० 'नयनू'; माखण नेमधरम पुं० पूजापाठ इ० धर्मविधि नैपुण्य पुं० [सं.] निपुणता; कुशळता नेमि स्त्री० [सं.] पैडानो घेराव; परिघ नैमित्तिक वि० [सं.] निमित्तने लईने (२) कूआनो कांठो (३) कांठो;किनारो थतुं के करातुं; खास; विशेष नेमी वि० नेमथी रहेनार; नियम पाळ- नयर पुं० [अ.] खूब चळकतो तारो नार. ०धरमी वि० पूजापाठ वगेरे नैयरे-असगर पुं० [अ.] चंद्रमा नियमथी करनार; 'नेमधरम'वाळं नैयरे-आजम पुं० [अ.] सूर्य नेरा, नेरे अ० (प.) नेरुं; पासे; 'नियर' । नया स्त्री० (प.) नाव; होडी नेवग पुं० (प.) 'नेग'; दस्तूर; रिवाज नैयायिक पुं० [सं.] न्यायशास्त्री नेवज पुं० नैवेद्य; भोग
नैरंग पुं०, नैरंगी स्त्री० [फा. चालबाजी नेवत (-ता) पुं० 'न्योता'; नोतरुं (२) जादु. -ए-जमाना = जमानानो नेवतना स०क्रि० नोतरवू
पलटो; समयनो खेल, पलटो के जादु नेवर पुं० नूपुर (२) वि० खराब; बुरुं नैराश्य पुं० [सं.] निराशा (३) स्त्री० घोडाना बे पग अथडाईने । नैऋत, -त्य वि० [सं.] नैऋत्य कोण वागवू ते
संबंधी. -ती स्त्री० नैऋत्य खूणो नेवला पुं० नोळियो
के दिशा नेवाज वि० जुओ 'निवाज' [(३) डंख । नैवेद्य पुं० [सं.] (देवनो) नैवेद नेश पुं० [फा. नोक; अणी (२)कांटो; नै-शकर स्त्री० [फा. शेरडी नेशकर पुं० [फा. शेरडी
नैष्ठिक वि० [सं.] निष्ठावाळू नेश्तर पुं० [फा.] नस्तर
नैसर्गिक वि० [सं.] कुदरती; प्राकृतिक
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नैसा
नौसरा नसा वि० (प.) 'अनैस'; अनिष्ट; खराब नौका. -दो ग्यारह होना=अगियारा नहर पुं० पियर [पग बांधवानी रसी गणी जदूं नोइनी, नोई स्त्री० दोहती वखते गायना
नौकर पुं० [फा. (स्त्री० -रानी) नोक स्त्री० [फा.] नोख; छेडो; अणी. नोकर; सेवक. ०शाही स्त्री० सरकारी ०झोंक स्त्री० ठाठमाठ; सजावट (२) नोकरोना दोरवाळं राज्यतंत्र. -री व्यंग; कटाक्ष (३) छेडछाड. ०दार स्त्री० नोकरी; सेवा; चाकरी.-रीपेशा वि० नोखवाळं; अणीदार(२)शानदार. पुं० नोकरियात माणस ०पलक स्त्री० चहेरानी सजावड, नौका स्त्री० [सं.] होडी पान पुं० जोडानां रूपरंग तों.नौज अ० 'न करे नारायण'-ए मजबूती इ०. काझोंकी स्त्री० जुओ अर्थमां वपराय छ [-नी स्त्री०) 'नोकझोंक'. -की लेना = छांटवं; नौजवान वि० [फा.] नवयुवक. (नाम बेडशी हाकवी. -दुम भागना=जीव नौजी स्त्री० लीची । लईने नासवू. -बनाना = सजावट नौता वि० नवं; नौतम (२) पुं० 'न्योता' करवी; सजवू. -रह जाना= आबरू नौना अ०क्रि० 'नवना'; नमवू रहेवी [खेंची के झंटवी लेवं ते नौ-निहाल पुं० [फा.] नवो ऊगतो छोड नोच स्त्री० छीनवी के उखाडी या (२) नवजुवान नोच-खसोट स्त्री० छीनवी के झंटवी नौबत स्त्री० [फा.] नोबत (२) वारी: लेवं ते; लूट
प्रसंग (३) दशा.-आना-दशा आववी. नोचना सक्रि० उखाडी नांखवू (२) -गुज़रना वखत वीतवो के मोको जतो उझरडवं (३) झूटवी लेवू
रहेवो.-झड़ना-नोबत वागवी.-बजना नोट पुं० [इं.] रूपियानी नोट (२) = आनंदउत्सव थवो (२) प्रताप के चिठ्ठी (३) नोंध; टीपणी
दोरनो - डंको वागवो. खाना पुं० नोटिस स्त्री० [इं.सूचना; जाहेरात टकोरखा-.-ती, -तीदार पुं० चोकीनोन पुं० लूण; 'नून'. ०चा पुं० अथाणु दार; द्वारपाळ (२) नोबतवाळो
(प्रायः केरीनुं ) (२) खारी जमीन नौ-बरार पुं० [फा.] नदी हठवाथी मळती नोना पुं० लूणो (२) वि० खारं (३) नवी जमीन, जे उपर पहेलुं महेसूल लागे - सुंदर; सलूणुं
नौमी स्त्री० नोम; नवमी नोनिया पुं० खारी माटीमांथी मीठं नौरोज पुं० [फा.] नवरोज; पारसी बेसतुं बनावनार (२) स्त्री० लूणीनी भाजी वर्ष (२) तहेवार नोनी स्त्री० लूणीनी भाजी (२) खारी नौलखा पुं० नवलख; खूब कीमती - लूणी माटी (३) वि० स्त्री० नौशा पुं० [फा. नौशाह; वरराजा.-शी जुओ 'नोना'
स्त्री० नववधू नौ वि० नव; ९ (२) [फा.] नवं (३) । नौसत पुं० जुओ 'नवसप्त'; सोळ शृंगार स्त्री० [अ.] रीत; प्रकार (४) [सं.] नौसरा पुं० नवसर हार
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नौसरिया
नौसरिया वि० धूर्त; चालबाज नौसादर पुं० [फा. नौशादर ] नवसार, खार नौसिख ( - खिया, - खुआ ) वि० शिखाउ; काचु नपुंस
नौसेना स्त्री० [सं.] नोका सैन्य नौहा पुं० [ अ ] 'मातम'; मरणनो शोक न्यग्रोध पुं० [सं.] वड के शमीनुं झाड न्यस्त वि० [ सं . ] छोडेलुं (२) न्यास करे ; अनामत राखेलुं
न्याति स्त्री० ( प. ) ज्ञाति; जात; नात न्यामत स्त्री० जुओ 'निआमत' न्याय पुं० [सं.] इनसाफ (२) न्यायशास्त्र (३) नीति; कायदो (४) धडारूप दृष्टांत न्यायाधीश पुं० [ सं . ] जज; न्याय करनार न्यायालय पुं० [सं.] अदालत; कचेरी न्यायी वि० [ सं . ] न्यायथी वर्तनार न्याय्य वि० [ सं . ] न्यायी; न्याययुक्त न्यारा वि० न्यारुं; जुदु (२) दूरनुं (३) अनोखुं निराळं
पंक पुं० [सं.] कादव. ०ज पुं० कमळ. - किल वि० कीचडवाळं
पंक्ति स्त्री० [सं.] लीटी ( २ ) हार ; पंगत पंख पुं० पांख (२) पीछे. -जमना = बहेक; वंठवं. - लगना = पांखो आववी; पक्षी जेम वेगवान थवुं पंख ( ख ) ड़ी स्त्री० पांखडी पंखा पुं० पंखो; वींजणो. -करना = पंखो नांखवो. ० कुली पुं० पंखो खेचनार के नांखनार माणस पंखी पुं० पक्षी ( २ ) पतंगियुं ( ३ ) स्त्री० नानो पंखो
३०४
प
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पंचक
न्यारिया पुं० जुओ 'नियारिया' न्यारे अ० न्यारु; अलग; दूर न्याय पुं० न्यायी वात (२) न्याय न्यास पुं० [सं.] थापण; ट्रस्ट; अनामत (२) त्याग
न्यून वि० [सं.] कम; बाकी; खूटतुं (२) नीच; हलकुं न्योछावर स्त्री० जुओ 'निछावर'; म्योछावर कर के थवुं ते
न्योतना स०क्रि० नोतरखूं [ भोजन न्योतनी स्त्री० मंगळ प्रसंगे करातुं न्योतहरी पुं० नोतरे आवेल; आमंत्रित
माणस
न्योता पुं० नोतरुं (२) चांल्लो (३) मिजबानी; भोजन
न्योला पुं० 'नेवला'; नोळियो न्योली स्त्री० हठयोगनी नोलीनी क्रिया न्हान पुं० ( प. ) स्नान -ना अ०क्रि० ( प. ) नाहवुं
पंखड़ा पुं० खभा ने हाथनो सांधी; पांगों (?)
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पंखुड़ी स्त्री० फूलनी पांखडी पंखेरू पुं० पंखेरुं; पक्षी [ ( २ ) अपंग पंग, पंगा, पंगु [सं.] वि० पंगु; लंगडुं; पंगत ( ति ) स्त्री० पंक्ति ( २ ) जमणवार के तेनी पंगत; घाल (३) सभा पंगा, -गु वि० जुओ 'पंग'. पंगु लंगडुं
गुल वि०
पंच वि० [सं.] पांच (२) पुं० पंचक पुं० [सं.] पांचनो पांच अशुभ नक्षत्रनुं जूथ
पंच; लवाद समूह ( २ )
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पंचकी दुहाई
पंसेरी पंचकी दुहाई = सौने अन्याय सामे के पंजीरी स्त्री० पंजरी; पंचाजीरी मदद माटे पोकार
पंजेरा पुं० वासण सांधनारो। पंचकी भीख = सौना आशीर्वाद पंडल वि० (प.) पंडु; पीछे (२) पुं० पंचता स्त्री०, -त्व पुं० [सं.] मृत्यु ।
पिंड; शरीर पंचनामा पुं० पंचनामुं ।
पंडवा पुं० पाडो (बच्चुं)-पाडूं पंचम वि० [सं.] पांचमुं (२) चतुर
पंडा पुं॰ तीर्थनो पूजारी के ब्राह्मण (३) सुंदर (४) पुं० 'प' स्वर. -मी पंडाइन स्त्री० 'पंडा' नी के 'पंडा स्त्री० पांचम (२) पांचमी विभक्ति
___जातनी स्त्री पंचमेल वि० पांच के अनेक वस्तुओना
पंडाल पुं० मंडप मेळवाळु; सेळभेळ
पंडित पुं० [सं.] पंडित; विद्वान पंचरंग, -गा वि० पचरंगी
पंडिताइन, पंडितानी स्त्री० पंडिताणी पंचांग पुं० [सं.] टीपणु; करण, तिथि,
पंडिताऊ वि० पंडितना जेवू; पंडितियुं नक्षत्र, योग अने वार ए बतावतुं -
पंडुक पुं० होलो पक्षी (स्त्री०, -को) पंचांग (२) पांच अंगवाळू कांई पण
पंडुर पुं० पाणी- परडवू; डेंडq पंचानन पुं० [सं.] सिंह (२) शिव
पतीजना सक्रि० पीजवं पंचानबे वि० पंचागुं; ९५
पंतोजी स्त्री० पीजण पंचायत स्त्री० पंच (२) पंचात; विवाद. पंथ पुं० मार्ग; रस्तो (२) धर्मनो पंथ -ती वि० पंचन के ते संबंधी
-संप्रदाय. -थी पुं० पंथे जनार के पंछी पुं० पंखी; पक्षी
पंथनुं अनुयायी पंज वि० [फा.] पांच. गान, वक्ती
पंद स्त्री० [फा.] नसियत; उपदेश पुं० पांच वखतनी नमाज. रोजा वि० ।
पंदरह, पंद्रह वि० पंदर; १५ थोडा दिवसन; अस्थायी. हजारी।
पंदार पुं० [फा.] 'पंद' लेनार (जुओ पंद') पुं० पांच हजारनी सेनानो होद्दो
पंप पुं० [इ.] पंप; बंबो (२) पिचकारी (मुसलमान काळमां)
पॅवरना अ०क्रि० तरवू (२) ताग पंजर पुं० [सं.] पांजरुं (२) हाडपिंजर काढवो; तपासी जोवं पंजरोजा, वि०, पंजहजारी पुं० जुओ
पॅवर,-रि स्त्री० (प.) 'ड्योढ़ी'; डेली; 'पंज' मां
दरवाजो. -रिया पुं० दरवान. -री पंजा पुं० पांचनो समूह (२) [फा.]
स्त्री० 'ड्योढ़ी' (२) पावडी; चाखडी हाथनो पंजो. -करना, -लड़ाना= पवाड़ा,-र पुं० [सं. प्रवाद] पवाडो; हाथना पंजानी आंगळीओ मिलावीने कीतिकथा; वीरगाथा [दूर करवू जोर अजमाववं. पंजे झाड़कर पीछे पवारना स०क्रि० हठाववं; फेंकी देवं; पड़ना या चिमटना केड बांधीने पंसारी पुं० मसालानो वेपारी; गांधी लागवू
पंसुरी,-ली स्त्री० पासळी; 'पसली' पंजारा पुं० पीजारो
पंसेरी स्त्री० पांचशेरी हिं-२०
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मजूरी
पकड़ ३०६
पच पकड़ स्त्री० पकडवं ते के तेनी क्रिया पखाना पुं० जुओ 'पाखाना' (२) (प.)
या रीत (२) ग्रहण (३) समज उपाख्यान; कथा पकड़-धकड़ स्त्री० धरपकड पखारना अ०क्रि० पखाळवू; धोवू पकड़ना सक्रि० पकडq (२) रोकवू; पखाल स्त्री० पाणीनी पखाल(२)धमण. थोभावq
___०पेटिया पुं० इंदाळो-बहु खानार पकना अ०क्रि० पाकवू (२) सीझवू माणस. -ली पुं० पखाली; भिस्ती पकवान पुं० पाकी-तळीने करेली पखावज स्त्री० पखवाज; पखाज. -जी वानीओ
पुं० ते वगाडनार पकवाना सक्रि० पकावQ
पखिया पुं० झघडाळ, बखेडियुं माणस पकाई स्त्री० पाकवू ते के पकाववानी पंखुड़ी (-री) स्त्री० पांखडी [नजीक
पखुरा,-वा पुं० बगलनो भाग (२) पास; पकाना सक्रि० पकावq; पाकवा पखेरू पुं० पंखेरु; पक्षी
मूकवू; पाकवा देवं [जेवी वानी पग पुं० पग; ‘पाँव' (२) डगलं; पगलं. पकौड़ा पुं० (स्त्री० -डी) पकोडी; वडा डंडी स्त्री० पगदंडी; पगथी; केडी पक्का वि० पाकुं; पाकेल (२) पक्कु पगड़ी स्त्री०पाघडी.-उतारना=बेइज्जत (३) स्थिर; टकाउ. -खाना, पक्की करवी (२) ठगq. (किसीके साथ) रसोईघीमां करेली रसोई
पगड़ी बदलना-मैत्री करवी पक्व वि० [सं.] पाकेलं; पाकुं.-क्वान्न पगना अ०क्रि० तरबोळ-रसबस थर्बु पुं० रांधेलं अन्न (२) पकवान. पगरा पुं० पगलं; डगलं (२)(प.)प्रभात -क्वाशय पुं० होजरी
पगला वि० पागल; गांडु. ०ना अ०क्रि० पक्ष पुं० [सं.] पक्ष; बाजु; तरफ गांडं थq. -ली वि० स्त्री० (२) पांख (३) पखवाडियु. ०पात
पगहा पुं० [सं. प्रग्रह] जुओ ‘पघा' पुं० वग; तरफदारी
पगा पुं० दुपट्टो (२) पाग; पागडी (३) पक्षाघात पुं० [सं.] लकवो .
जुओ 'पघा' पक्षी पुं० [सं.] पंखी (२) वि० -पक्षनुं पगार पुं० चार तरफनी हद-दीवाल (समासमां)
(प.)(२) पग नीचेनी धूळ के कचरायेलं पक्ष्म पुं० [सं.] पापण; 'बरुनी' ते (३)पार कराय एवं जळाशय के नदी पख स्त्री० [फा.] शरत (२) पंचात; । पगाह स्त्री० [फा.] सूरज नीकळवानो लफलं (३) झघडो (४) दोष; भूल समय; सवार
[करवू पख स्त्री० जुओ 'पख' (२) पक्ष; पगुराना अ०क्रि० वागोळवू (२) हजम 'पाख'; पखवाडियु
पगोडा पुं० बौद्ध मंदिर पखड़ी स्त्री० पांखडी; 'पंखुड़ी' पघा पुं० ढोर बांधवानुं दोरडु पखवाड़ा, -रा पुं० पखवाडियुं पच स्त्री० हठ; आग्रह (२) समासमां पखान पुं० (प.) पाषाण
'पांच' अर्थमां. जेम के, ‘पचरंगा'
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पटरानी
पचड़ा
३०७ पचड़ा पुं० झंझट; बखेडो
पछाड़ना स० कि० पछाडवू पचन पुं० [सं.] पचवू-हजम थवं ते पछिताना अ०क्रि० (प.) 'पछताना'; पचना सक्रि० पचवू; हजम थर्बु (२) पस्तावं. -व पुं० (प.) पस्तावो थाकी जq
पछीत स्त्री० घरनी पछीत-पाछलो पचपन वि० पंचावन; ५५
भाग के त्यांनी भीत पच मरना काम करी करीने थाकी जवं पछेवड़ा पुं० पछेडो; मोटी चादर पचमेल वि० जुओ 'पंचमेल'; पंचराउ पछोड़ना सक्रि० ऊपणवू; झाटकवं पचरंग पुं० चोक पूरवानी सामग्री पजारना सक्रि० (प.) प्रजाळवू; बाळवू पचरंगा वि०पचरंगी(२)पुं०पूरेलो चोक पजावा पुं० [फा.] ईंटनो भठ्ठो । पचहत्तर वि० ७५; पंचोतेर पजीर वि० [फा.]पसंद, अनुकूल, कबूल; पचहरा, वि० पांच-बेवडुं
माननार-ए अर्थमां(समासमां). दा. त. पचास दि० पचास; ५०
दिल-पजीर = मनपसंद. इस्लाह-पजीर पचासा पुं० पचास नंगनो समूह =सुधाराने लायक पचासी वि० पंचासी; ८५
पजूसण पुं० जैनोनां पचूसण पचीस वि० पचीस; २५. -सी स्त्री० पझमुरदा वि० [फा.] करमायेलं '२५'नो समूह; पचीसी
पट पुं० पट; वस्त्र (२) कमाड (३) पचोतेर सो पुं० एकसो पांच; १०५ ।। पडदो. -उघड़ना, खुलना=देवना पच्चड़ (-र) स्त्री० साल के सांधो दरवाजा ऊघडवा. -पड़ना-धीमुं
इ० कांई सखत करवा मराती फाचर पडवू; न चालवं [फट दईने फाटवू पच्ची स्त्री० 'पच्चर'; फाचर (२)
पटकना सक्रि० पटकवं (२) अ०क्रि० जडवानी वस्तु
पटकनी (-निया), पटकान स्त्री० पच्चीकारी स्त्री० जडवानुं काम पटकवू ते; पटक
खेस पच्छ (-च्छि) म पुं० पश्चिम पटका पुं० कमरे बांधवानो फटको के पछड़ना अ०क्रि० पछडावं; पाछा पडवू पटतर पुं० समानता (२) उपमा पछताना, पछतावना [प.] अ०. क्रि०
पटतारना सक्रि० सपाट-सरखं करवू पस्तावू
पटना अ० क्रि० सरखं - एकसमान पछतावा पुं० पस्तावो ।
थएँ (२) बेने बनतुं आववं के सहमत पंछना पुं० चीरवा फाडवानुं अस्त्र थर्बु (३) चूकते थq पछवां वि० पश्चिम बाजन; पश्चिमी पटपर वि० सपाट; सरखं पछांह पुं० पश्चिम दिशा तरफनो देश पटबीजना पुं० आगियो पछाँहिया, पछाँही वि० पश्चिमर्नु; पटरा पुं० चोखंडु घडेलु पाटियु.-कर पाश्चात्य
देना= मारी झूडी सपाट करी देवं पछाड़ स्त्री० बेहोश थईने पडवं ते. (२) खलास करी देवू -खाना=बेहोश थईने पडवं
पटरानी स्त्री० पटराणी
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पटरी
. ३०८
पदरी पटरी स्त्री० पाटियु (२) पगथी; फूट- पट्टन पुं० [सं.] शहेर; मोटुं-पाटनमर पाथ (३) लखवानुं पाटियु.-जमना पट्टा पुं० पट्टो या बैठना=बेनुं पाटियु बरोबर पट्टी स्त्री० पाटी; स्लेट (२) पाठ; बोच गोठवू; मन मळवू
(३) खाटलानी ईस (४) पट्टी (कपडा पटल पुं० [सं.] पडदो; ढांकण (२) कागळ इ०नी) (५) पंक्ति; हार
आंखनुं पडळ (३) समूह; टोळू (६) माथानां पटियां (७) 'पत्ती'; भाग पटवा पुं० पटवो (स्त्री० पटइन) पट्टीदार पुं० भागियो.-री स्त्री० भाग; पटवारीपुं० तलाटी (नाम, पटवारगिरी) । भागीदारी पटवास पुं० [सं.] तंबू; डेरो (२) स्त्रीनी । पट्ट पुं॰ एक गरम जाडु कपड़े; पट्ट संथणी
पट्टा पुं० जुवान (२) पठ्ठो-लठ्ठ माणस पटसन पुं० शण
(३) कूलो (४) स्नायु ... पटह पुं० [सं.] दुंदुभी; नगारुं पठन पुं० [सं.] पढवू के भणवू ते पटा पुं० पट्टो; सनद (२) सोदो पठनेटा पुं० पठाणनो छोकरो पटाना सक्रि० पिटावी करी बरोबर पठान पुं० पठाण. -निन स्त्री०पठाण स्त्री करावQ (२) चूकते कर (३) अ० पठाना सक्रि० पाठवq; मोकलवं क्रि० शांत बेसवं
पठानी स्त्री० पठाण स्त्री (२) पठाणपणुं पटापट अ० पटोपट; लगातार; झटपट (३) वि० पठाणने लगतुं पटाव पुं० 'पाटना'-ए क्रिया (जओ
पठिया स्त्री० ['पट्टा' नुं स्त्री०] पठ्ठी; ___ 'पाटना) [(२) पाटी; स्लेट
जुवान स्त्री पटिया स्त्री० पथ्थरनो चोखंडो टुकडो पड़छती (-ती) स्त्री० जुओ 'परछत्ती' पटीलना सक्रि० पटाववं; समजावी पड़त स्त्री०, पड़ता पुं० पडतर किंमत लेवू (२) पूरुं करवं
पड़ताल स्त्री० तपास. ना सक्रि० पटु वि० [सं.]प्रवीण; चालाक; होशियार तपास करवी पटआ(-वा) पुं० 'पटसन'; शण पड़ (-२)ती स्त्री० पडतर जमीन (२) पटुली स्त्री० हींचकानुं पाटियु अनाज वावलवा माटेनी चादर के पटुवा पुं० जुओ ‘पटुआ'
कपडु. -उठना-पडतरनी खेती थवी. पटेबाज, पटत पुं० पटाबाज
-छोड़ना= पडतर छोडवी. -लेनापटे (-ट)ला पुं० समार; ‘हेंगा' (२) ‘पड़ती' थी वावलवू [पड्या रहेवू
कुस्तीनो एक दाव [भुंगळ पड़ना अ०क्रि० पडवू. पड़ा होना= पटैला पुं० जुओ. पटेला' (२) कमाडनी पड़पड़ना अ०क्रि० मरचा इ० थी जीभ पटोर पुं० पटोळु-रेशमी वस्त्र. -री बळवी-चचरवी स्त्री० रेशमी साडी
पड़पोता पुं० प्रपौत्र पट्ट पुं० [सं.] सिंहासन (२) पट्टी (३) पड़रा(-वा) पुं० पाडु (नर) ताम्रपट (४) वि० मुख्य पड़री स्त्री॰ 'पड़िया'; पाडी
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पड़वा
पड़वा पुं० जुओ 'पड़रा' (२) स्त्री० पडवो तिथि
३०९
पड़िया स्त्री० पाड़ी ( ' पड़वा' नुं स्त्री० ) पड़ि ( - रि) वा स्त्री० पडवो; 'पड़वा' पड़ोस पुं० पडोश. - करना = पडोशी थ पड़ोसी पुं० (स्त्री० - सिन) पडोशी पढ़ें ( -ढ़ ) त स्त्री० पढवुं ते (२) जादुमंत्र पढ़ना स० क्रि० भणवं (२) वांचवं (३) गोख [ पद्धति पढ़ाई स्त्री० भणतर (२) भणाववानी पढ़ाना स०क्रि० भणाववुं ( २ ) शीखववुं ; समजाववुं (३) पक्षीने पढावबुं पढ़ा-लिखा वि० भणेलुं; शिक्षित पण पुं० पण; प्रतिज्ञा (२) जुगटुं बाजी के तेमां मूकेली चीज (३) मूल्य: किम्मत ( ४ ) करार; शरत पण्य पुं० [सं.] दुकान (२) बजार ( ३ ) सोदो के तेनी चीज
पतंग पुं० [सं.] सूर्य (२) पक्षी (३) कनकवो (४) पतंगियुं पतंगा पुं० पतंग (२) पतंगियुं
पत स्त्री० पत; आबरू, इज्जत. - उतारना, -लेना = लाज लेवी [ऋतु पतझड़, पतझाड़ (-र) स्त्री० पानखर पतन पुं० [सं.] पडवुं ते (२) पडती; अधोगति ( ३ ) नाश
पत- पानी स्त्री० पत; प्रतिष्ठा; लाज पतर वि० पातळं ( २ ) पुं० पत्र; पांदडुं (३) पतराळं
पतरी स्त्री० पतराळं
पतला वि० पातळं पड़ना = दुर्दशामां होवु. - हाल = दुर्दशा
पतलून पुं० पाटलून पतवार (-री, -ल) स्त्री० सुकान; कर्ण
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पता
पता पुं० पत्तो ( २ ) सरनामुं. पतेकी बात = रहस्य खोलती वात. -निशान = नामनिशान
पताई स्त्री० खरेला पांदडांनो ठग पताका स्त्री० [सं.] धजा; निशान पतार, -ल पुं० (प.) पाताळ पतावर पुं० सूकां पांदडां पतंग पुं० पतंगियुं पति पुं० [सं.] घणी; स्वामी पतिआ ( -या) ना स० क्रि० पतियार करवो; पतीज
पतिआ (-या) र पुं० पतियार; विश्वास पतित वि० [सं.] पडेल; हारेलुं; अधोगति पामेलु; भ्रष्ट. ०पावन वि० पतितने पावन करे एवं; पवित्र ( २ ) पुं० ईश्वर पतियाना स०क्रि० जुओ 'पतिआना' पतियार, - रा ( प. ) पुं० जुओ 'पतिआर' पतिव्रत पुं० पति प्रत्ये अनन्य प्रेम. -ता स्त्री० पतिव्रतवाळी स्त्री पतीज ( - न ) ना स०क्रि० ( प. ) पतीजवं 'पतिआना'
पतीरी स्त्री०एक जातनी सादडी - चटाई पतील वि० पातळं [वि० 'पतील' पतीला पुं० [फा.] एक वासण; तपेलुं (२) पतीली स्त्री० नानो 'पतीला'; तपेली; हांडी
पतुरिया स्त्री० 'पातुर'; वेश्या [पडियो पतोखा पुं० पडियो. -खी स्त्री० नानो पतोह - स्त्री० पुत्रवधू पत्तन पुं० [सं.] नगर पत्तर पुं० पतरं (२) जुओ 'पत्तल' पतल स्त्री० पतराळु (२) पतराळी पत्ता पुं० पान; पांदडुं (२) पत्तुं (३) धातुनुं पतरं - हो जाना = छू थई जवं
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पनघट
पत्ती स्त्री० नानुं पान (२) पांखडी पथेरा पुं० इंटो पाडनार; दलवाडी (३) भाग
पथ्य वि०[सं.] अनुकूल; हितकर (२) पत्तीदार पुं० हिस्सेदार
पुं० कल्याण पत्थर पुं० पथ्थर. -की लकीर-स्थिर; पद पुं० [सं.] पग (२) पगलं; कदम (३) स्थायी. -पर दूब जमना=असंभव होद्दो (४) श्लोक- चरण (५) शब्द काम बनवू.-पड़ना-नष्टभ्रष्ट थई जवू (६) भजन- पद पत्थर-चटा पुं० कूपमंडूक के कंजूस पदक पुं० [सं.] चांद (२) देव- पगलं
माणस (२) एक जातनो साप पदवि,-वी स्त्री०[सं.] उपाधि; खिताब पत्थर-पानी पुं० वसमो-तोफान के (२)होद्दो; दरज्जो (३)परिपाटी; पद्धति आंधीनो समय
पदाति,०क,-तीय पुं० [सं.] पायदळनो पत्थर-फोड़ा पुं० पथ्थर फोडनारो सिपाही (२) पेदु (३) नोकर; अनुचर पत्नी स्त्री० [सं.] भार्या; विवाहित स्त्री. पदाधिकारी पुं०[सं.]अमलदार;ऑफिसर ०वत पुं० पोतानी स्त्री पर अनन्य पदाना सक्रि० पदाववू; खूब पजवq प्रमनुं व्रत
के ठस काढवी पत्र पुं० [सं.] कागळपत्र (२) छापुं (३) पदार पुं० [सं.] पगरज
पांदडु (४) पतरं (५) पार्नु; पृष्ठ पदार्थ पुं० [सं.] चीज; वस्तु. ०विज्ञान पत्रकार पुं० [सं.] छापुं चलावनार; पुं० 'फिज़िक्स'. विद्या स्त्री० पदार्थो अखबार-नवीस
विषे तत्त्वज्ञान पत्रव्यवहार पुं० [सं.] चिठ्ठीपत्र पदावली स्त्री० पदोनो-भजनोनो संग्रह पत्रा पुं० पंचांग; टीपणुं (२) पृष्ठ पदेन अ० [सं.] पदनी रूए पत्रिका स्त्री० [सं.] पत्र (२) मासिक । पद्धति स्त्री० [सं.] प्रथा; रीत; विधि जेवं छापुं; चोपानियु
पद्म पुं० [सं.] कमळ (२) चिह्न-पभिनी पथ पुं० [सं.] मार्ग; रस्तो
स्त्री० कमळनुं सरोवर (२) उत्तम पथरना सक्रि० पथ्थर पर घसी धार ___ स्त्रीनो एक प्रकार . काढवी; पथरी पर चडावq पद्य पुं० [सं.] छंदमां लखाण; कविता पथराना अ०क्रि० पथ्थर जेवं ( कठण । पधराना स०क्रि० पधरावq; पधारवा के स्तब्ध) ई जर्बु
कहेवू
[स्थापना पथरी स्त्री० [सं.] पथ्थरियं-पथ्थरतुं पधरावनी स्त्री० पधरामणी; मूर्तिनी वासण, कटोरो इ० (२) पथरीनो पधारना अ०क्रि० पधारवं; आदरथी रोग के धार काढवानी पथरी आवq के जवू [०पण;प्रतिज्ञा पथरीला वि० (स्त्री० -ली) पथ्थरवाळं। पन (प्रत्यय) पj. उदा० लडकपन (२) पथरोटा पुं०, -टी स्त्री० पथ्थरियं; पनकपड़ा पुं० वाग्या पर बांधवान भीनुं • 'पथरी' पथिक, पथी पुं० [सं.] वटमार्ग: मुसाफर पनघट पुं० पणघट; पाणीनो घाट
कपडू
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पाणं
प्रनच
३११
पयोनिधि • पनच स्त्री० पणछ
पनीर पुं० [फा.] फाडेला दूधनी एक पनचक्की स्त्री० पाणीथी चालती चक्की वानी. -चटाना= खुशामत करीने पनडुब्बा पुं० मरजीवो (२) पाणीमां काम काढ. -जमाना = आगळ पण
डूबी माछली पकडनार पक्षी फायदो रहे एवी रीते काम' लेवू पनडुब्बी स्त्री० 'सब-मॅरीन' -पाणीनी पनीला वि. पाणीपोचु (२) फीकु (३)
अंदर चालती नाव (२) एक पक्षी पनपना अ०क्रि० पाणी मळतां फरी पन्नग पुं० [सं.] साप
लील थर्बु (२) फरी साजूं थवं पन्ना पुं० एक जातनो हीरो पनभता पुं० सादो भात
पन्नी स्त्री० पित्तळ के कलाईनो वरख, पनभरा पुं० पाणी भरनारो; पाणियारो. जे वस्तुनी उपर शोभा माटे चोटाडाय -रिन स्त्री०
छे (२) पुं० [फा.] एक जातनो पठाण. पनवाड़ी पुं० पानवाळो; तंबोळी •साज पुं० ‘पन्नी' बनावनारो पनवारा पुं० जुओ 'पत्तल'
पपड़ा पुं० पोपडो(स्त्री०-डी).-छोड़ना पनस पुं० [सं.] फणस
=पोपडो बाझवो पनसारी पुं० जुओ 'पंसारी' पपीता पुं० पपैयो के पपैयुं पनसाल स्त्री० पाणीनी परब
पपीहा पुं० पपैयो; चातक पनसेरी स्त्री० जुओ 'पंसेरी' पपोटा पुं० पोपचुं पनह (-हा)रा पुं० पाणियारो पबारना सक्रि० (प.) फेंकवू पनहा पुं० कपडानो पनो (२) मर्म; भेद पब्लिक स्त्री० [इं.] जनता; लोक (२) पनहाना सक्रि० (आंचळने) दूध दोहवा वि० आम; सार्वजनिक [वादळ माटे शरूमां पंपाळवो
पय पुं०. [सं.] पाणी (२) दूध. ०द पुं० पनहारा पुं० (स्त्री० -रन,-रिन,-री) पयना वि० जुओ 'पैना' नदी जुओ ‘पनहरा'
पयस्विनी स्त्री० [सं.] गाय; बकरी(२) पनही स्त्री० जोडा
पयादा पुं० पायदळ सैनिक (२) वि० पना पुं० पर्नु; एक पेय
पगे चालतुं; 'पैदल' पनाती पुं० प्रपौत्र; पौत्रनो पुत्र पयान पुं० प्रयाण पनार,-रा,-ला पुं० जुओ 'परनाला': पयाम पुं० [फा. पेगाम; संदेश
-री, -ली स्त्री० नानी मोरी; नीक पयार, -ल पुं० पराळ. - झाड़ना= पनाह स्त्री० [फा.] रक्षा (२) शरण नकामी माथाकूट करवी पनिया वि० पाणी- के तेमां थतुं (२) पयोज पुं० [सं.] कमळ पं० पाणी. ना सक्रि० पाणी पावूः पयोद पुं० [सं.] वादळ सींचवू. ०सोत वि० झरण फूटे एवं; पयोधर पुं० [सं.] वादळ (२) स्तन (३)
बहु ऊंडु [पाणी संबंधी जळाशय (४) पर्वत - पनिहा वि० पाणी- के पाणीवाळं के पयो (नि०)घि पुं० [सं.] समुद्र
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परंच
परंच अ० [सं.] वळी; तथा (२) परंतु परंतु अ० [सं.] पण; किंतु; छतां परंपरा स्त्री० [सं.] अनुक्रम; प्रणाली (२) संतति; वंश
पर पुं० [फा.] पीछे के पांख (२) अ० पछी (३) परंतु; पण (४) वि० [सं.] पारकुं (५) उत्तम; परम [ परोपकारी परकाजी वि० परनुं काज - काम करनार; परकार, -ल पुं० [फा.] कंपास परकाला पुं० सीडी; जीनो (२) [फा.] टुकडो (३) चिनगारी
परकीय वि० [सं.] पारकुं; परायुं परकोटा पुं० कोट; किल्लो परख स्त्री० पारख; परीक्षा; कसोटी परखना स० क्रि० पारखवं (२) प्रतीक्षा के वाट जोवी
३१२
परगना पुं० [फा.] परगणुं; अमुक गामडांनो भाग. ०दार पुं० परगणानो अमलदार [जवुं (२) टेव पडवी परचना अ० क्रि० परिचय थवो; हळी परचा पुं० परिचय (२) पारख; परीक्षा (३) पुरावो; साबिती ( ४ ) [फा.] कागळनो ककडो (५) पत्र ( ६ ) प्रश्नपत्र परचाना स०क्रि० परिचय करवो; हळतुं करवुं (२) टेव पाडवी परचून पुं० सीधुंसामग्री परचूनी पुं० मोदी
परछत्ती स्त्री० अभराई (२) दीवाल जोडेनुं एकढाळियुं - छापरुं [पोकणुं परछन स्त्री० वरने पोंकवानी क्रिया; परछना स०क्रि० पोंकबुं परछाईं स्त्री० पडछायो
परजा स्त्री० प्रजा (२) वसवायां (३) जमीनदारना वसावेला खेडूतो
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परमेश्व
परजाता पुं० पारिजातक परजौट पुं० मकाननी जमीननुं भाडु परतंत्र वि० [सं.] पारकाने ताबे; परवश परत स्त्री० थर (२) गडी [ पटो परतला पुं० तलवारनो के चपरासनो परती स्त्री० जुओ ' पड़ती' परतौ पुं० [फा.] प्रकाशनुं किरण (२) पडछायो
परथन पुं० जुओ 'पलेथन'
परवा पुं० [फा.] पडदो (२) लाज; मर्यादा (३) छुपाववुं ते; आड; ओझल (४) हार्मोनियम इ०नो पडदो के स्वरनुं स्थान परदादा पुं० दादानो बाप [ रहेतुं परदानशीन वि० [फा.] पडदा के ओझलमां परदेश पुं० [सं.] बीजो के पारको देश परनाना पुं० नानानो बाप [ रेलो परनाला पुं० 'पनाला'; मोरी (२) धारा; परपराना अ० क्रि० ( जीभ पर ) चचरबुं 'पड़पड़ना'
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परपाजा पुं० दादानो पिता; प्रपितामह परपोता पुं० जुओ 'पड़पोता' परब पुं० पर्व; टाणुं; तहेवार परबाल पुं० आंखनी पांपणनो रोग (२)
प्रवाल
परम वि० [सं.]सौथी ऊंचं; मुख्य; उत्तम परमल पुं० जुआर घउंना दाणानुं एक चवाणुं
परमाणु पुं० [सं.] अति नानो अ परमात्मा पुं० [सं.] ईश्वर परमान्न पुं० [सं.] खीर
परमायु स्त्री० [ सं . ] आयुषनी अवधि परमार्थ पुं० [सं.] परम वस्तु (२) मोक्ष- थीं वि० मुमुक्षु परमेश, -श्वर पुं० [सं.] परमेश्वर : प्रभु
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परला
परला वि० (स्त्री० ली) ते तरफनुं. परले दरजे या सिरेका = हद पारनु; खूब (२) परम कोटिनुं परवर, -ल पुं० जुओ 'परवल' परवर वि० [फा.] ( समासमां अंते ) पालक परवरदा वि० [फा.] पालित; पळायेलुं परवर - विगार पुं० [फा.] पालनहार; प्रभु परवरिश स्त्री० [फा.] पालनपोषण;
परवरश
परवल पुं० परवळनुं शाक के वेलो परवश, श्य वि० [सं.] पराधीन; परतंत्र परवस्ती स्त्री० परवशी; पालनपोषण परवा स्त्री० पडवो (२) [फा.] परवा; दरकार; चिंता; गरज
परवान पुं० सढनो दांडो (२) (प.) प्रमाण. - चड़ना = मोटुं - उमर लायक थवुं (२) सफळ थ परवानगी स्त्री० [फा.] रजा; आज्ञा परवाना पुं० [फा.] परवानो; आज्ञापत्र (२) पतंगियुं
परवाह स्त्री० परवा; दरकार ; चिंता परशु पुं० [सं.] फरसी
परस पुं० ( प. ) स्पर्श (२) पारसमणि परसना स० क्रि० स्पर्शबुं (२) पीरसवुं परस पखान पुं० ( प. ) पारस पाषाण - स्पर्शमणि
परसा पुं० जुओ 'परोसा' परसाल अ० गये के आवते वर्षे परसों अ० परम दिवसे
परस्त वि० [फा.] पूजक (समासने अंते - उदा. बुतपरस्त )
परस्तिश स्त्री० [फा.] पूजा; उपासना परस्पर अ० [ सं . ] आपसमां; अरसपरस परहुमा पुं० [फा.] कलगी
३१३
परास्त
परहेज़ पुं० [फा.] परेज; करी; बाधा (२) संयम; बूरा कर्मथी दूर रहेबुं ते. -करना, - रखना = परेज राखवी परहेजगार वि० [फा.] 'परहेज़' वाळूपरेज राखनार (२) संयमी परौंठा पुं० 'परौठा'; चोपडुं परा स्त्री० [सं.] परा; वाणी ( २ ) वि० स्त्री० परम; उत्तम
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पराकाष्ठा स्त्री० [ सं . ] छेल्ली हद; आखर पराक्रम पुं० [सं.] बळ; बहादुरी ( २ ) पुरुषार्थ; साहस. मी वि० परागंदा वि० [फा.] विखरायेलुं (२) बेहाल पराग पुं० [सं.] फूलनी रज (२) धूळ
(३) चंदन. ० केसर पुं० फूलनं केसरवचलो तंतु
पराङ्मुख वि० [सं.] विमुख; प्रतिकूल पराजय पुं० [सं.] हार पराजित वि० [सं.] हारेलुं के हरावेलुं परात स्त्री० पराज;अमुक घाटनी कथरोट परात्पर वि० [सं.] सौथी परम (२) पुं० परमेश्वर
पराधीन वि० [सं.] परवश; परतंत्र पराना अ० क्रि० ( प. ) पलायन करवुं परान्न पुं० [सं.] पारकुं अन्न के भोजन पराभव पुं० [सं.] हार (२) तिरस्कार पराभूत वि० [सं.] हारेलुं (२) तिरस्कृत परामर्श पुं० [सं.] विचार ( २ ) सलाह परायण वि० [सं.] तल्लीन; तत्पर पराया, वा वि० परायुं (स्त्री० - ई) परार वि० ( प. ) परायुं (२) पुं० पराळ; 'पयाल'
परावर्त (०न) पुं० [सं.] पार्छु फरबुं ते (२) अदलबदलो; विनिमय परास्त वि० [सं.] हारेलुं के हरावेलुं
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(स्त्री)
पराह्न
३१४
परिपाटी पराह्न पुं० [सं.] तीजो पहोर; सांज परिज्ञात वि० [सं.] बरोबर जाणेलं. -न परिंदा पुं० [फा.] परिदं; पक्षी पुं० पूरुं ज्ञान के जाण परिकर पुं० [सं.] कंदोरो (२) समूह; परिणय पुं०[सं.] विवाह; लग्न
वृंद (३) पलंग (४) परिवार (५) परिणाम पुं० [सं.] फळ (२) रूपांतर नोकरचाकर
(३) विकास (४) आखर; अंत परिकरमा, परिक्रमा स्त्री० परकमा परिणीत वि० [सं.] परणेलं परिक्रम,०ण पुं० [सं.] फरवू ते (२) चारे परिताप पुं० [सं.] गरमी; ताप (२) तरफ फरवू ते; परिक्रमा
दु:ख; शोक; पस्तावो परिखा स्त्री० [सं.]कोटनी चोगरदम खाई परितुष्ट वि० [सं.] खूब तुष्ट-संतुष्ट परिगणन पुं०, -ना स्त्री० [सं.] पूरी (२) प्रसन्न; खुश. -ष्टि स्त्री० संतोष गणतरी के अडसट्टो
(२) प्रसन्नता स्त्री० परितुष्टि परिगणित वि० [सं.] गणतरीमा आवेलुं परितृप्त वि० [सं.] परितुष्ट. -प्ति के लीधेलं; गणायेखें
परितोष पुं० [सं.] परितुष्टि; संतोष परिग्रह पुं० [सं.] ग्रहण करवं ते; अंगी
परित्यक्त वि० [सं.] त्यजायेलं; तरकार (२) धन वगेरेनो संग्रह (३) छोडायलं.-क्ता वि०स्त्री० त्यजायेली लग्न (४) पत्नी (५) परिवार परिध पुं०[सं.] आगळो (२) भोगळ जेवू परित्याग पुं० [सं.] त्याग. -गी वि०
एक शस्त्र; गदा (३) घर; मकान त्यागी. -ज्य वि० तजवा योग्य ..(४) दरवाजो [(२) लक्षण परित्राण पुं० [सं.] बचाव; रक्षण (२) परिचय पुं० [सं.] ओळखाण; जाणकारी शरीर परना वाळ परिचर पुं० [सं.] सेवक; अनुचर परिध पुं० परिधि; परिघ परिचर्या, -रजा (प.) स्त्री० [सं.] परिधन (प.), परिधान पुं० [सं.] पहेरवू सेवाचाकरी
ते (२) पोशाक (३) धोतियुं इ० नीचे परिचायक पुं०[सं.] परिचय करावनार पहेरखान वस्त्र परिचारक पुं० [सं.] सेवक (२) देवनो। परिधि पुं० [सं.] परिध (२) नियत मार्ग पूजारी
[पूजारण के कक्षा (३) पोशाक परिचारिका स्त्री० [सं.] दासी (२) परिपंथ,क, थी पुं० [सं.] मार्गमां बच्चे परिचित वि० [सं.] जाणीतुं; ओळखीतुं पडनार; शत्रु परिच्छद पुं० [सं.] ढांकण; आच्छादन परिपक्व वि० [सं.] बरोबर पाकेलं-पाकुं परिच्छेद पुं० [सं.] भाग; खंड (२) । (२) अनुभवी; प्रौढ; प्रवीण प्रकरण (३) सीमा; हद
परिपाक पुं० [सं.] बरोबर पाकवू के परिछन पुं० जुओ 'परछन'
तैयार थर्बु ते; पूर्णता (२) निपुणता परिछाहीं पुं० जुओ 'परछाई' " (३).फळ; परिणाम [रीत; चाल परिजन पुं० [सं.]परिवार(२)नोकरचाकर परिपाटी स्त्री० [सं.] क्रम;प्रणाली;पद्धनि:
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परिपालन
परिपालन पुं० [ सं . ] पालणपोषण ( २ ) रक्षा (३) पाळवु - अमलमां आणवुं ते परिपुष्ट वि० [सं.] खूब पुष्ट परिपूर्ण वि० [सं.] पूरेपूरु; संपूर्ण परिप्रश्न पुं० [सं.] जिज्ञासा; प्रश्न परिभ ( - भा) व पुं० [ सं . ]अनादर; अपमान परिभाषा स्त्री० [ सं . ] स्पष्ट कथन ( २ ) लक्षण; व्याख्या (३) परिभाषा परिभ्रमण पुं० [सं.] आम तेम फरहेलवं ते (२) परिधि (३) गोळ गोळ फर
परिमल पुं० [सं.] सुवास; सुगंध परिमाण पुं० [सं.] माप; तोल; मात्रा परिमार्जन पुं० [सं.] बरोबर धोवुं के मांज ते (२) एक मीठाई परिमित वि० [ सं . ] मर्यादित; मिजानसर (२) अल्प [सीमा; हद परिमिति स्त्री० [सं.] माप; परिमाण (२) परिया पुं० दक्षिण भारतनी एक अस्पृश्य जात
परिरंभ, ०ण पुं० [सं.] आलिंगन; भेटवुं ते परिवर्तन पुं० [सं.] फेरफार (२) फेरो; चक्कर (३) अदलबदलो; विनिमय परिवा स्त्री० प्रतिपदा; पडवो; 'पड़िवा' परिवाद पुं० [सं.] निंदा; कूथली. - दी वि० निंदक
३१५
परिवार पुं० [सं.] आवरण; ढांकण (२) म्यान; कशानुं घरं (३) कुटुंबकबीलो; बाळबच्चा (४) आश्रित नोकरचाकर वगेरे
परिवृत वि० [सं.] चारे तरफ घेरायेलुं के ढंकालु - ति स्त्री० परिवृत्त वि० [सं.] ऊलटसुलट (२) घेरायेलु -त्ति स्त्री०
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परुष
परिवेष, oण पुं० [सं.] पीरसवुं ते (२) घेर; परिघ (३) कोट, किल्लो (४) प्रकाशनुं चकरडुं; 'हॅलो' [ भ्रमण परिव्रज्या स्त्री० [सं.] संन्यास ( २ ) परिपरिव्राज, ०क, -ट पुं० [सं.] संन्यासी परिशिष्ट वि० [सं.] बाकी बचेलुं (२) पुं० पुस्तकनुं परिशिष्ट परिशीलन पुं० [सं.] अनुशीलन; ऊंडो विचार के अभ्यास परिशोधन पुं० [सं.] पूर्ण शुद्धि (२) देवं पूरुं के चूकते करवुं ते परिश्रम पुं० [सं.] श्रम; महेनत ( २ ) थाक. -मी वि० महेनतु परिश्रांत वि० [सं.] थाकेलु; ढीलुं; मांदु परिषद् स्त्री० [सं.] सभा ( २ ) समूह परिष्कार पुं० [सं.] संस्कार; शुद्धि (२) सफाई, स्वच्छता (३) सजावट परिस्तान पुं० [फा.] परीओनो मुलक परिस्थिति स्त्री० [सं.] आसपासनी अवस्था; दशा
परिहरण पुं० [ सं . ] लई लेवुं ते (२) त्याग परिहार पुं० [सं.] त्याग (२) उकेल;
उपाय; निवारण (३) कर इ० नी माफी छूट
परिहास पुं० [सं.] खेल; हांसी; मजाक परी स्त्री० [फा.] अप्सरा (२) सुंदर स्त्री परीक्षा स्त्री० [सं.] तपास; कसोटी. -क्षक पुं० तपासनार. -क्षण पुं० तपासवुं ते. ०र्थी पुं० परीक्षामां बेसनार परीजाद, परीरू वि० [फा.] अति सुंदर परीशान वि०, नी स्त्री० जुओ 'परेशान, नी'
परुष वि० [सं.] कठोर; कर्कश; कडक; शुष्क (२) निष्ठुर ; निर्दय
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परे
परे अ० पेले पार; पार (२) बाद; पछी (३) बहार; पर; अतीत. - कहना = 'दूर हठों', 'खसो' एवं कहेवुं. - बिठाना = हराववुः मात करवुं परेई स्त्री० मादा पारेवुं [ जोवी परेखना स०क्रि० ( प. ) परीक्षवुं (२) राह परेग स्त्री० नानी खीली परेट, -
,-ड पुं० सिपाहीनी परेड ; कवायत परेता पुं० दोरो लपेटवानी फरकडी के फाळको
परेवा पुं० पारेवुं
परेशान वि० [फा.] हेरान; दुःखी; व्याकुल. ( नाम, नी स्त्री०)
परों अ० जुओ 'परसों' [ बहारनुं परोक्ष वि० [सं.] अज्ञात; छूपुं; नजर परोना स०क्रि० ( प. ) परोवबुं; 'पिरोना' परोपकार पुं० [सं.] बीजानुं भलं करवुं ते; परहित. ०क, -री वि० परहितकारक परोल पुं० [इं.] पेरोल; केद के पहेरामाथी छूट
परोसना स०क्रि० पीरसवुं परोसा पुं० एक जणनुं भाणुं; पिरसण परोहना पुं० वाहन; सवारी परोहा पुं० कोस ; 'चड़स'. पर्चा पुं० [फा.] जुओ 'परचा' पर्जन्य पुं० [सं.] वरसाद पर्ण पुं० [सं.] पांदडुं; पान पर्दा पुं० जुओ 'परदा' पर्पट पुं० [सं.] पापड पर्यंक पुं० [ सं . ] पलंग पर्यंत अ० [सं.] लगी; सुधी (२) पुं० समीप पास (३) अंतिम सीमा पर्यटन पुं० [सं.] भ्रमण; आम तेम फरबुं ते पर्यवसान पुं० [सं.] अंत (२) निश्चय
३१६
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पलक्ष
पर्याप्त वि० [सं.] पूरतु; 'काफ़ी' (२) समर्थ; सशक्त [(२) प्रकार पर्याय पुं० [सं.] ए ज अर्थनो बीजो शब्द पर्व पुं० [सं.] अवसर (२) उत्सव (३) भाग; खंड
पर्वत पुं० [सं.] पहाड. ती वि० पर्वतनुं के त्यां रहेतुं यतुं के ते संबंधी पर्वरिश स्त्री० जुओ 'परवरिश' पर्वा, व्ह स्त्री० जुओ 'परवाह' पहेंज पुं०, ०गार वि० जुओ 'परहेज़, ०गार
पलंग पुं० पलंग; खाटलो. तोड़ना = आळस सूता पड्या रहेवुं. लगाना = खाटलो पाथरवो
पलंगपोश पुं० पलंगनी चादर पलंगड़ी, पलंगिया स्त्री० नानो पलंग - खाटलो
पल पुं० [सं.] पळ; क्षण (२) पलक पलक स्त्री० [फा.] पलक; क्षण ( २ ) पोपचुं. - बिछाना = प्रेमथी स्वागत करबुं.. - मारना = पोपचं पटपटावबुं. - लगना = पलकवुं (२) ऊंघ आववी पलक - दरिया (०) वि० अति उदार; दानी [ खूब भीड पलटन स्त्री० लश्करनी पलटण (२) पलटना स०क्रि० पलटवुं; बदलवुं पलटा पुं० पलटो; फेरफार (२) बदलो पलटनिया पुं० पलटणनो सिपाई पलटे अ० बदले; अवेजमां [ पालडुं पलड़ा ( - रा ) पुं० त्राजवानुं पल्लुं - पलथी स्त्री० 'पालथी; पलांठी पलना अ०क्रि० पालन थवुं; पलवावुं (२) हृष्टपुष्ट थथुं 'परा पु० जुओ 'पलड़ा'
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पलवाना
पलवाना स०क्रि० पलवाववु, ('पालना'नुं प्रेरक)
पलवारी पुं० नाविक; खलासी पलस्तर पुं० प्लास्टर. ०कारी स्त्री० प्लास्टर करवुं ते. ढीला होना, - बिगड़ना = बहु हेरान थवुं पला पुं० पळ (२) पल्लुं
पलान पुं० घोडा इ०नुं पलाण. ०ना स०क्रि० पलाणवुं
पलाना अ०क्रि० (२) स०क्रि० पलायन करवुं के कराव
पलायन पुं० [सं.] नासवं - भागवुं ते पलित वि० [सं.] वृद्ध (२) धोळं (वाळ) (३) पुं० पळियुं पली स्त्री० पळी पलीता पुं० [फा.] तावीज मंतरेलो कागळ लपेटीने करातुं मादळियुं (२) पलीतो. - ती स्त्री० नानो पलीतो पलीद वि० [फा.] गंदु (२) नापाक (३) पुं० भूत; पलीत पलुहना अ० क्रि० (प.) पांगरवु पल्लववुं ; 'पनपना' . ( पलुहाना - प्रेरक ) पलेट स्त्री० प्लेट; टांको. -डालना = 'प्लेट मारवो - भरवो
पले ( - लो) थन पुं० अटामण. - निकलना = खूब मार खावो के हेरान थवुं; आटो नीळव
पलोटना स० क्रि० पग दाबवा ( २ ) अ० क्रि० कष्टथी तडफडवुं पलोथन पुं० जुओ 'पलेथन' पल्लव पुं० [सं.] कूंपळ (२) पालव (३.) कडु; कंकण . •ना अ०क्रि० पल्लववुः पांगरवुं. -वित वि० पांगरेलुं पल्ला अ० दूर (२) पुं० पल्लो; छेटुं
३१७
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पश्चिमोत्तर
(३) त्राजवानुं पल्लुं (४) कमाड (५) त्रण मण (६) [फा.] पल्लो; पालव (७) वि० जुओ 'परला. -छूटना= छुटकारी मळवो. -पसारना = पालव - खोळो पाथरवो; मागवुं. पल्ले पड़ना = मळवुं. पल्ले बांधना = जवाबदारी सोंपवी
पल्ली स्त्री० [सं.]नानुं गामडुं (२) घरोळी पल्लेदार पुं० अनाज तोलनार के ते वही जनार
पवन पुं० [सं.] वायु; हवा (२) श्वास. ० चक्की स्त्री० पवनथी चालती चक्की. ० चक्र पुं० वंटोळियो पवनी स्त्री० वसवायां
पवाई स्त्री० जोडा के पावडीनी जोडीमांनुं एक ( २ ) घंटीनुं एक पड पवाना स०क्रि० 'पाना' नुं प्रेरक पवित्र वि० [सं.] निर्मळ; पुनित ( २ ) पुं० वर्षा, घी, मध, दर्भ इ० जे पवित्र गणाय छे. -त्रित वि० पवित्र थयेलुं के कराये पशम स्त्री० [फा.] पशम ऊन ( २ ) बहु तुच्छ वस्तु. - मीना पुं० पशमीनो
कापड
पशु पुं० [सं.] चोपगुं; जानवर. ०पति पुं० शिव. ०पाल ( ०क) पुं० पशु पाळनार. ०राज पुं० सिंह पशेमान वि० [फा.] पस्तायेलुं (२) लज्जित (नाम, -नी स्त्री ० ) पश्चात् अ० [सं.] पछी; बाद ( २ ) पश्चिममां
पश्चात्ताप पुं० [सं.] पस्तावो; अफसोस पश्चिम पुं० [ सं . ] पश्चिम दिशा (२) वि० पछीन. मी वि० पश्चिमनुं. - मोत्तर पुं० वायव्य कोण
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पश्तो
पश्तो स्त्री० [फा.] पठाणोनी भाषा पश्म स्त्री० [फा.] जुओ 'पशम' पश्मीना पुं० [फा.] पशमीनो पवार (-ल) ना स०क्रि० ( प. ) पखाळवु धो [वि० जराक पसंग, गा, -घा पुं० 'पासंग ' ; धडो ( २ ) पसंद वि० [फा.] गमतुं ; अनुकूल (२) स्त्री० पसंदगी; रुचि. - दा पुं० मांसनी एक वानी -दीदा वि० सारं; गमतुं (२) पसंद करेलुं
पस अ० [फा.] पछी (२) अंते (३) तेथी पस अंदाज पुं० [फा.] संकट के घडपण माटेनो धनसंग्रह
पसखुरदा पुं० [फा.] एठवाड पस पा वि० [फा.] पार्छु हठनार. ०ई स्त्री० पीछेहठ; हार
पसर पुं० ढोरनुं पसर - राते चरे ते (२) अर्धी पोश - पसलो
पसरना अ०क्रि० प्रसरवु; फेलावुं पसरहट्टा पुं० हाट; बजार (गांधीओनुं) पसरू पुं० [फा.] नोकर; अनुचर पसली स्त्री० पांसळी. - फड़कना = मनमां जोश आव; उत्साह होवो पसाउ पुं० ( प. ) प्रसाद; कृपा पसाना स०क्रि० ओसाववुं [ फेलावो पसार (रा) पुं० प्रसरवुं ते; प्रसार; पसारना स०क्रि० प्रसारवु; फेलाववुं पसारा पुं० जुओ 'पसार' पसारी पुं० जुओ 'पंसारी' पसाव ( ०न) पुं० ओसामण पसिजर पुं० पेसेन्जर (उतारु के गाडी) पसीजना अ०क्रि० झरवुं (२) पीगळं पसीना पुं० पसीनो; परसेवो. पसीने पसीने होना = परसेवाथी रेबझेब थई जवं
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पहरावा
पसुरी, -ली स्त्री० पांसळी पसुजना स०क्रि० सीधा दोराथी सीवकुं पसेरी स्त्री० पांचशेरी
पसेउ, व पुं० पसीनो; परसेवो पसोपेश पुं० [फा. पस-व-पेश] आघापाछी; दुविधा; आनाकानी (२) लाभालाभ पस्त वि० [फा.] नीचुं; नीचाणवाळं (२) थाकेलुं (३) परास्त (४) नीच कोटिनुं पस्तक़द वि० [फा.] वामन; ठींगणुं पस्त - हिम्मत वि० [फा.] भीरु; डरपोक पस्ती स्त्री० [फा.] नीचाण (२) नीचता (३) भीरुता
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पहँ अ० ( प. ) पासे; नजीक पहँसुल स्त्री० दातरडा जेवी पाटिये जडेली शाक कापवानी बनावट पहचान स्त्री० पिछान; ओळख पहचानना स०क्रि० पिछानवु; ओळखवं पहन पुं० ( प. ) पहाणो; पथ्थर ( २ ) [फा.] पानो; प्रेमथी माने दूध छूटवं ते पह ( - हि) नना स०क्रि० पहेरवुं. ( पहनवाना, पहनाना स०क्रि० प्रेरक ) पह ( - हि) नाव ( - वा) पुं० पहेरवेश (२) पोशाकनी भेट; पहेरामणी पहपट पुं० निंदा; कूथली ( २ ) शोरबकोर (३) दगो; छळ (४) एक जातनुं स्त्रीगीत. बाज वि० 'पहपट' मां कुशळ पहर पुं० प्रहर; पहोर पहरना स०क्रि० पहेवुं पहरा पुं० पहेरी; चोकी. - देना = पहेरो भरवो; चोकी करवी. - पड़ना = पहेरो के चोकी होवी. — बैठना = पहेरो बेसवो के लागव पहराना स०क्रि० पहेराववुं वा पुं० जुओ 'पहनावा '
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पहरावनी
पह ( - हि) रावनी स्त्री० पोशाकनी भेट; पहेरामणी
३१९
पहरी, रू, रेदार पुं० पहेरेदार पहल पुं० पहेल; बाजु; पासुं (२) पहेल; प्रारंभ. ०दार वि० पासादार. -निकालना = पासा पाडवा पहलवान पुं० [फा.] पहेलवान पहला वि० पहेलुं (स्त्री० ली ) [ रहस्य पहलू पुं० [फा.] पहेल; पासुं; पक्ष (२) पहलू - तिही स्त्री० [फा.] उपेक्षा पहले अ० पहेलां. - पहल अ० पहेल - वहेलुं; सौथी शरूमां
यह ( - हि) लोठा वि० (स्त्री० ठी) पहेला खोळानुं
यह ( - हि ) लौठी स्त्री० पहेली प्रसूति पहाड़ पुं० पर्वत. - कटना = भारे संकट दूर थवुं. - टूटना = भारे संकट आव पहाड़ा पुं० आंकनो पाडो पहाड़ी वि० पहाडनुं के ते संबंधी (२) स्त्री० नानो पहाड (३) एक रागणी पहिचान स्त्री०, ०ना स० क्रि० जुओ 'पहचान, ०ना'
पहिन ( - र) ना, पहिना ( - रा ) ना स० क्रि० जुओ 'पहनना, पहनाना' पहिया पुं० पैडु ['पहरना, पहराना' पहिरना, पहिराना स० क्रि० जुओ पहिरावनि, नी स्त्री० जुओ 'पहरावनी' पहिला वि० पहेलुं (२) पहेला वेतनुं. -ले अ० पहेलां
पहिलौठा, - ठी जुओ 'पहलौठा, - ठी' पहुँच स्त्री० पहोंच . ०ना अ० क्रि० पहोंचबुं पहुँचा पुं० पहोंचो पहुँचाना स०क्रि० पहोंचाडवुं
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पहुँची स्त्री० पहोंची
पहुना पुं० परोणो; 'पाहुना'. ०ई स्त्री० परोणाचाकरी
पाँवर
पहुप पुं० ( प. ) पुष्प; फूल; 'पुहुप' पहुम, मि, मी स्त्री० पृथ्वी; 'पुहुमी' पहेली स्त्री० समस्या; उखाणो. -बुझाना = समजाय नहि एम लांब लांब कहेवुं पहलवी स्त्री० पहेलवी भाषा पाँ ( ०ई, ० उ ) (प.), ०ब पुं० पग; 'पाउँ' पाँईबाग पुं० मकान आसपासनो (खानगी) नानो बाग पाँक पुं० पंक; कीचड पाँख, ०ड़ा पुं० पक्षीनी पांख पाँखड़ी स्त्री० ( फूलनी) पांखडी पांखी पुं० पक्षी; पंखी ( २ ) पतंगियुं पाँखुरी स्त्री० पांखडी
पाँच वि० पांच; ५. ० वाँ वि० पांचमं पाँचा पुं० खंपाळी [ जोडवी पाँजना स०क्रि० रेणवं ; धातुने रेणथी पाँजर पुं० पासुं; पांसळानो भाग (२) पांसळी [ सुकावी ते पाँजो स्त्री० पार कराय एटली नदी पांडित्य पुं० [सं.] पंडिताई; विद्वत्ता पांडु पुं० [सं.] पीळाश पडतो के सफेद रंग. ०र वि० पीळं के सफेद पांडुलिपि स्त्री०, पांडुलेख पुं० [सं.] काचो खरडो
पाँति स्त्री० पंक्ति ( २ ) पंगत पांथ पुं० [सं.] पथिक; वटेमार्ग पाँय पुं० जुओ 'पाय'. ०चा पुं० जुओ 'पायँचा'. ०ता पुं० खाटलानी पांगत; 'पायँता'
पाँव पुं० 'पाव; पग पाँवर वि० पामर; क्षुद्र
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पांशु
३२०
पाटन पांशु पुं० [सं.] धूळ; रज. ०ल वि० पाखाना पुं० [फा.] पायखानु (२) मळ. धूळवाळु (२) व्यभिचारी
-फिरना=झाडे फरवं पांस स्त्री० खेतरमा नांखवा- खातर.. पाग स्त्री० पाघडी (२) पुं० चासणी. ना सक्रि० खातर नांख,
ना सक्रि० चासणीमा मूक - पांसा पं० [सं. पाशक रमवानो पासो. पागल वि० [सं.] पागल; गांडं. खाना -उलटना-बाजी फरी जवी
पुं० गांडानुं दवाखान पा पुं० [फा.] पग (प्रायः समासमां) पागुर पुं० वागोळवू ते; 'जुगाली' पा-अंदाज पुं० [फा. पगलुछणियुं पाचक वि० [सं.] पचावे एवं (२) पुं० पाइप पुं० [इं. पाईप; नळ [लीटी रसोइयो. -न पुं० पचवू ते (२) पाई स्त्री० पाई नाणुं (२) पाणनी ऊभी पकावq ते पाउँ पुं० पग; 'पाँव'
पाछ स्त्री० चीरो; फाट पाउंड पुं० [इ.] पाउंड सिक्को के नाणुं पाछना सक्रि० चीरवं; फाट करवी; पाउडर पुं० [इं.] पाउडर; भूको फाडवू पाक वि० [फा.] पवित्र (२) निर्दोष पाछल, पाछिल (-ला) वि० (प.) पाछलुं (३) पुं० [सं.] रांधव-पकववं ते. पाछी,-छू,-छे अ०(प.) पछी; पाछळ -करना, -होना= कोई अनिष्टमांथी पा(य)जामा पुं० [फा.] पायजामो; मुक्त करवू के थq [खिस्सुं पाक (के)ट पुं० पाकीट; थेली के
पाजी पुं० दुष्ट; हलकुं; खोटुं पाक-दामन वि० [फा.] पतिव्रता;
पा(०य) जेब स्त्री० [फा.] नूपुर; झांझर शीलवती (स्त्री)
पाटंबर पुं० रेशमी वस्त्र पाकबाज वि० [फा.]. अति पाक-पवित्र पाट पुं० पहोळाई; जेम के धोतियानो पाकर पुं० पीपळy (?) झाड
पनो; नदीनो पट (२) चक्कीनु पडियु पाक-साफ़ वि० तद्दन पाक (२) तद्दन (३) रेशम (४) शण (५) राजपाट (कशाथी) अलग-संबंध रहित
-सिंहासन (६) नदीनो पट (७) शिला पाकी स्त्री० [फा.] पाक के पवित्र होवं ते के जाडं पाटियु, जेम के धोबीन (८) पाकीजा वि०[फा.] पाक; पवित्र; शुद्ध कवा परतुं चोकर्छ । (२) सुंदर (३) निर्दोष ।
पाटन स्त्री० छत; गच्ची (२) पहेला पाकेट पुं० पाकीट; खिस्सु. -गरम माळ उपरनो मकाननो भाग (३)
करना लांच लेवी के आपवी पाटण - गाम पाक्षिक वि० [सं.]पक्ष संबंधी(२)पक्षपाती। पाटना सक्रि० सपाट-समतल करवं पाखंड पुं० वेद विरुद्ध आचार (२) (२) तृप्त करवू (३) खाडा परथी ढोंग. -डी वि० पाखंडवाळु
के अध्धर जवाने अध्धर पुल जेवी पाख पुं० पक्ष; पखवाडियुं (२) मकानना गोठवण करवी करानो उपलो त्रिकोण भाग पाटव पुं० [सं.] पटुता; चालाकी
सूथj
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पाटवी वि० पटराणीनो (पुत्र); युवराज (२) रेशमी
पाटसन पुं० जुओ 'पटसन'
पाटा पुं० पाटलो (२) खेडूतनो समार पाठी स्त्री० परिपाटी; रीत (२) श्रेणी; पंक्ति (३) पाटीगणित (४) पुं० पाटी; स्लेट (५) खाटलानी ईस ( ६ ) लेसन पाठ पुं० [सं.] वांचवं ते के तेनो विषय (२) पाठ; बोध [(३) उपदेशक पाठक पुं० [सं.] वांचक (२) शिक्षक पाठशाला स्त्री० [सं.] विद्यालय; निशाळ पाका वि० पठ्ठु हृष्ट-पुष्ट पाठी पुं० [सं.] जुओ 'पाठक' पाठ्य वि० [सं.] पठन करवा योग्य पाड़ पुं० किनार (२) मांडो (३) फांसीनो मांडो (४) कूवा परनी जाळी पांड़ा पुं० पाडो; महोल्लो (२) भेंसनो पाडो
पाढ़ पुं० सोनी इ०नी पाड (२) खेडूतनो चोकी करवा बेसवा माटेनो माळो पाच पुं० [सं.] वेपार (२) दाव; बाजी (३) पाणि; हाथ
पाणि पुं० [सं.] हाथ. ० ग्रहण पुं० लग्न. ०ज पुं० आंगळी (२) नख पात पुं० [सं.] पतन (२) नाश ( ३ ) ( प. ) पान; पत्र [ पापी पातक पुं० [सं.] पाप गुनो. - की वि० पातर, -ल स्त्री० पतराळं (२) वेश्या (३) वि० पातळं
पातशाह पुं० पादशाह
पाताबा पुं० [फा.] पगनां मोजां (२) जोडानी सखतळी
पाताल पुं० [सं.] पाताळ
. पातिव्रतस्य पुं० [सं.] पतिव्रतापणुं हि- २१
३२१
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पाती स्त्री० (प.) चिठ्ठीपत्र (२) झाडनां पान (३) लाज शरम
पातुर, ०नी स्त्री० पातर; वेश्या पात्र पुं० [सं.] वासण (२) नवीनुं पात्र - पट (३) नाटकनुं पात्र (४) वि० ( नाम साथ समासमा ) -ने योग्य पाथ पुं० ( प. ) पथ; मार्ग [ पीटवुं पाथना स०क्रि० घडवुं (२) थापवुं (३) पाथर पुं० ( प. ) पथ्थर पाथेय पुं० [ सं . ]
भाथं; वटेसरी
पाद पुं० [सं.] पग (२) चोथो भाग (३) खंड भाग (४) पुं०; स्त्री० पाद [ करवी पावना अ०क्रि० पाद; वाछूट थवी के पादप पुं० [सं.] झाड पादरी पुं० ख्रिस्ती धर्मगुरु; पादरी पावशाह पुं० [फा.] बादशाह; राजा पादाति, ०क पुं० [सं.] पायदळ सैनिक पादुका स्त्री० [सं.] पावडी ( २ ) जोडा पादोदक पुं० [सं.] चरणामृत पाद्य पुं० [सं.] पग धोवा माटे पाणी पाधा पुं० उपाध्याय (२) पंडित पान पुं० पान; पर्ण (२) खावानुं पान (३) [सं.] पीवुं ते (४) पीणुं - पाणी, दारू इ० (५) शस्त्रने पाणी चडाववुं ते. ० गोष्ठी स्त्री० दारू पीनारी मंडळी. ०दान पुं० पाननो डबो पान - पत्ता पुं० पानपट्टी (२) जुओ 'पानफूल' [ पांखडी पान-फूल पुं० फूल नहि तो फूलनी पाना स०क्रि० प्राप्त करवुं; पामवु पानी पुं० पाणी. का बतासा या बुलबुला = पाणीनाप रपोटा जेवुं क्षणभंगुर ते. - छूना झाडे फ़री पाणी
-
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पानीदार
३२२ लेवं. -टूटना = पाणी खूब खूटवू. पायचा पुं० [फा.] 'पार्यंचा'; लेंघा के (जळाशयमां).-देना=पाणी पावू (२) पायजामानी बांय पितृओने अंजलि आपवी. -पड़ना= पायजामा पुं० जुओ ‘पाजामा' वरसाद पडवो (२)(किसी पर)-पड़ना पायजेब पुं० जुओ 'पाजेब' = शरमि, थर्बु. -पानी होनाखूब पायतस्त पुं० [फा.] राजधानी शरमा.-मरना-दोष के वांक होवो. पायताबा पुं० [फा.] पगर्नु मोजें -लगना-(पाणीनी के बीजी खराब) पायदार वि० [फा.] टकाउ; मजबूत असर थवी; पाणी लागवू
(नाम, -री) पानीदार वि० पाणीदार
पायपोश पुं० जुओ 'पापोश' पानीदेवा वि० अंजलि आपनार-तर्पण पायबंद वि० [फा. जुओ 'पाबंद' करनार वारस
(नाम, -दी स्त्री०) पाप पुं० [सं.] पाप; कुकर्म. -कटना-पाप पायमाल वि०, -ली, स्त्री० जुलो टळवू - नाश थर्बु (२) झघडामांथी ___ 'पामाल', '-ली' छटवं. -पड़ना = मश्केल के कठण पायल स्त्री० नूपुर (२) जनमतां पहेला पडq.-मोल लेना-जाणीजोईन कशा पग बहार आव्या होय तेवू बाळक . झघडामां पडवू
पायस स्त्री०, पुं० [सं.] खीर; दूधपाक पापड़ पु.० खावानो पापड (२) वि० पाया पुं० [फा.] खाटला इ० नो पायो
पातळं. -बेलना-खूब महेनत करवी - (२) स्तंभ (३) दरज्जो पापाचार पुं०[सं.]पापी आचार; दुराचार पायाब वि० [फा.] चालीने पार करी पापात्मा, पापिष्ठ, पापी वि० [सं.] शकाय एवं छछरुं (पाणी) पापी; दुराचारी
पारंगत वि० [सं.] निपुण; निष्णात पा(य)पोश पुं० [फा.] जोडा पार पुं० [सं.] छेडो; अंत (२) सामो पाप्मा पुं० [सं.] पाप (२) वि० पापी किनारो पा-प्यादा अ० [फा.] पगवाळू; 'पैदल' पारखी पुं० पारेख; परखनार पाबंद वि० [फा.] (नाम, -बी) बद्ध; । पारचा पुं० [फा.] टुकडो (२) कपडु (३)
केद (२) नियमित (३) नियमबद्ध कवाना मों पर मुकातुं लाकडानुचोकळं पामर वि० [फा. क्षुद्र; नीच (२) पापी पारतंत्र्य पुं० [सं.] परतंत्रता; गुलामी पा(व्य)माल वि० [फा.] (नाम,-ली) पारद पुं० [सं.] पारो पायमाल; बरबाद
पारदर्शक वि० [सं.] आरपार जोई पायें पुं० (प.) पग. ०चा पुं० जुओ शकाय एवं 'पायचा'. ०ता, पुं०, ती स्त्री० पारदर्शी वि० [सं.] दूरनुं के छेवटनुं खाटलानी पांगत; 'पाँयता'
जोनार; चतुर; दूरदर्शी पायंदाज पुं० जुओ 'पा-अंदाज' पारधी पुं० शिकारी (२) हत्यारो पायखाना पुं० [फा.] 'पाखालाः जाजरू पारना सक्रि० पाडवू
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पावर
पारमाथिक । पारमार्थिक वि० [सं.] परमार्थ संबंधी;
परम सत्य पारलौकिक वि० [सं.] परलोक संबंधी पारस पुं० पारसमणि (२) ईरान देश (३) पतराळी-पतराळा पर पीरसेलू भोजन पारसा वि० [फा.] सदाचारी; धर्मनिष्ठ पारसाई स्त्री० साधुता; धर्मनिष्ठा पारसी पुं० पारसी लोक पारसीक पुं० पारस देश के तेनो
निवासी पारस्परिक वि० [सं.]आपसन; परस्परतुं पारा पुं० पारो (२) [फा.] टुकडो पारायण पुं० [सं.] समाप्ति (२) कोई
पाठनो पारायण पारावत पुं० [सं.] कबूतर; पारेवु (२)
पर्वत (३) वानर पारावार पुं० [सं.] बेउ कांठा (२) हद
(३) समद्र पारिजात, क पुं० [सं.] पारिजातक
फूलझाड पारितोषिक पुं० [सं.] इनाम (२) वि० संतोष के प्रसन्नता आपे एवं पारिभाषिक वि० [सं.] परिभाषावाळं;
खास अर्थवाळू पारिषद पुं० [सं.] सभासद (२) पार्षद;
अनुचर; गण पारी स्त्री० पाळी; वारो पार्थिव वि० [सं.] पृथ्वी संबंधी के
तेमाथी थयेलु (२) पु० राजा पार्ल (-ला) मेन्ट स्त्री० [इ.] देशनी वडी
घारासभा पार्श्व पुं० [सं.] पास; बाजु (२) पासळी । (३) पास; समीपता
पार्षद पुं० [सं.] पासे रहेनार मंत्री के
सेवक (२) सभासद पार्सल पुं० [ई.] पारसल पाल पुं० सढनुं कपडं (२) तंबू (३) स्त्री० (पाणीनी) पाळ (४) फळ पकाववा नांखवां ते पालक पुं० [सं.] पालन करनार (२) अश्वपाल (३) दत्तक पुत्र (४) पालक भाजी
. [भाजी पालकी स्त्री० पालखी (२) पालकनी पालतू वि० पाळेलं; पोषेलं पालथी स्त्री० 'पलथी'; पलांठी पालन पुं० [सं.] पाळवू के पोषवू ते (२) गायन करेटुं पालना सक्रि० पाळवू (२) पुं० पाळणुं पालव पुं० पल्लव; कोमळ पान पाला पुं० झाकळ; हिम (२) ठंडी (३) संबंध; जोग (४) अखाडो. -मार जाना=हिम पडवाथी नुकसान थवं. -पड़ना=पालां पडवां; व्यवहार बंधावो. पाले पड़ना=आशरे के वशमां
पडवु
पालागन स्त्री० पायलागणुं; पायवंदन पालान पुं० जुओ 'पलान' पालित वि० [सं.] पालन करायेलं पालिश स्त्री० [ई.] पालीस; चळकी
के ते लाववानुं साधन [पॉलिसी पालिसी स्त्री० [इ.] नीति (२) वीमानी पाली स्त्री० पालि भाषा(२) पाळी; वारी पालू वि० जुओ ‘पालतू' पार्व पुं० पग पावड़ा पुं० पग मूकवा पाथरेलू वस्त्र पावड़ी स्त्री० पावडी (२) जोडा पावर वि० (प.) पामर; क्षुद्र
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३२४
पिजियमा पाव पुं० पा-चोथो भाग (२) पाशेर पासना अ० क्रि० ढोरे पाहो मूकवो; पावक वि० [सं.] शुद्ध के पवित्र करे एवं 'पेन्हाना'
(२) पुं० अग्नि (३) सदाचार (४) सूर्य पास-पड़ोस पं० पासेनी जगा; पडोश पावती स्त्री० पहोंच; रसीद
पासबान पुं० [फा.] पहेरेगीर (२)स्त्री० पावदान पं० पग मकवानी के चडवा रखात. -नी स्त्री० पहेरो; रक्षा; __ माटे टेकववानी सवड के वस्तु चोकी पावन वि० [सं.] पवित्र; पावक (२) पासा पुं० पासो. -उलटना,-पलटना पुं० अग्नि (३) शुद्धि (४) पाणी = बाजी बगडवी; कथळQ. -पड़ना पावना सक्रि० (प.) जुओ 'पाना' (२) = फाववं; पोबार पडवू पुं० ले|
पासी पुं० [सं. पाशी ताड छेदनारी पावर पुं० [इ.] बळ; शक्ति. स्टेशन, एक अस्पृश्य गणाती जात (२) स्त्री० हाउस पुं० वीजळीघर
पाश पावली स्त्री० चारआनी
पाहें अ० (प.) जुओ ‘पाहि” पावा पुं० पायो (खुरशी इ० नो) पाहन पुं० (प.) पाषाण; पथ्थर पावस पुं० वरसाद
पाहरू पुं० (प.) पहेरेगीर; रक्षक पाश पुं० [फा.] कपडं जरी जवू ते पाहि,-हों अ० (प.) पासे (२) प्रत्ये (२) टुकडो (३) [सं.] बंध; बंधन पाहि [सं.] 'रक्षण करो'; 'बचावो' (४) फांसो (५) जाळ; फांदो पाहुना पुं० परोणो; महेमान (२)जमाई. पाशव वि० [सं.] पशु संबंधी के तेनं -नी स्त्री० स्त्री-महेमान (२) के तेना जेवं
परोणागत पाशा पुं० तुर्की सरदारनो इलकाब। पाहुर पुं० भेट; नजराणुं (२) चांल्लो पाशुपत वि० [सं.] पशुपति -शिवन; पिंग वि० [सं.] लालाश पडतुं पीळं (२) शैव
[(२) पछी- छींकणी रंगनुं (३) पुं० पाडो (२) पाश्चात्य वि० पश्चिमन के त्यां आवेल कोळ; उंदर पाषंड पुं० [सं.] पाखंड; मिथ्याधर्म; पिंगल वि० [सं.] 'पिंग'; पिंगळ (२)
दंभ. -डी वि० दंभी; पाखंडी पुं० कपि (२) नोळियो (३) पिंगळ; पाषाण पुं० [सं.] पथ्थर
छंदशास्त्र के तेना ऋषि पासंग पुं० [फा.] धडो; पाशंग. पिंगला स्त्री० एक नाडी (योगविद्या)
(किसीका) पासंग भी न होना= पिंजड़ा पुं० पांजरुं; पिंजर मुकाबले बहु ऊतरतुं होवू पिजन पुं० [सं.] पीजण पास पुं० पास; बाजु (२) समीपता पिंजर [सं.], -रा पुं० पांजरुं (३) अ० पासे (४) पुं० [फा.] पहेरो; पिंजरापोल पुं० पांजरापोळ चोकी (५) तरफदारी; शरम (६) पिंजिका स्त्री० [सं.] पूणी ख्याल; 'लिहाज'
पिंजियारा पुं० पीजारो
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पित्ताशय पिड पुं० [सं.] गोळ पिंड (२) देह; पिछला वि० पोछलं, (२) गत शरीर. -छोड़ना= तंग न करवं; न पिछवाड़ा पुं० मकान पछवाडेनो भाग पजवq. -पड़ना=पाछळ लागवं के जमीन; पछवाड़ें पिंडज पुं० [सं.] जरायुज जीव पिछाड़ी स्त्री० पछाडीनो भाग (२) पिडरोग पुं० [सं.] शरीरमां घर करीने घोडानी पछाडी-पगर्नु दोरडं
लागेलो रोग (२) कोढ; पत [कंपy पिछौरा पुं० पिछोडो; पछेडो पिंडली स्त्री० पिंडी. -हिलना = भयथी पिछौरी स्त्री० पिछोडी (२) स्त्रीओनं पिडा पुं० पिंड (२) देह (३) पिंडो..
उपरj -पानी देना=सराव
पिटंत स्त्री० मारपीट पिडारा,-री पुं० पीढारो
पिटना अ०क्रि० पिटावू; मार खावो(२) पिडाले स्त्री० एक कंद [गोळी
पुं० थापडी (कडियानी) . [मजूरी पिडी स्त्री० नानो पिंड के पिंडो; लोचो;
पिटाई स्त्री० पीटq के टीपq ते के तेनी पिअ पुं० (प.) पियु; पति (२) वि० प्रिय
पिटारा पुं० (वांस-नेतर इ० नी) पेटी पिअ (-य)र वि० पीळ. -राई स्त्री० ।
पिट्ठी,-ठी स्त्री० जुओ 'पीठी'. पीळापणुं
पिळू पुं० अनुगामी (२) खांधियो; पिआ(-या)ज पुं० प्याज; डुंगळी मददगार (३) रमतनो भेरु [वडु पिउ पुं० (प.) पियु; पति कोयल पिठोरी स्त्री० पीठी'- वाटेली दाळy पिक पुं० [सं.] कोकिल. -की स्त्री० पितर पुं० मृत पूर्वज; पितृ पिघलना अ०क्रि० पीगळवं
पितराई, -इंध स्त्री० पीतळनो काट पिघलाना अ.क्रि० पिगळावयूँ
पितराना अक्रि० पीतळथी कटावं पिचक स्त्री० पिचकारी. -का पुं० ।
पिता पुं० [सं.] बाप. मह पुं० दादा पिचकारो
पितिया पुं० काका. नी स्त्री० काकी. पिचकना अ०क्रि० दबावं; गोबो पडवो; .
ससुर पुं० काकोससरो. सास स्त्री० दबावाथी बेसी जवं.(प्रेरक पिचकाना)
काकीसासु
[पुं० काका पिचकारी, पिचकी स्त्री० पाणीनी सेड
पित पुं० [सं.] पिता (२) पितरः ०व्य के ते मारवान यंत्र. -छोड़ना=
पित्त पुं० [सं.](शरीरन) पित्त. -उबलना पिचकारी मारवी
या खौलना=पित्तो जवो. -डालना पिच्चित, पिच्ची वि० दबायेल; बेठेलं
=ऊलटी थवी के करवी [पित्तळ पिच्छ (-च्छि)ल वि० [सं.] चीक[;
पित्तल वि० [सं.] पित्त करे एवं (२)पुं० लीसुं
पित्ता पुं० पित्ताशय (२) साहस; हिंमत. पिछड़ना अ०क्रि० पाछळ पडवू- रहे - उबलना या खौलना-पित्तो जवो के पिछलगा,-ग पुं० अनुयायी (२) नोकर ऊछळवो. -मारना क्रोध दबाववो पिछलगी स्त्री० अनुयायी के नोकर। पित्ताशय पुं० [सं.] पित्तनो संग्रह होवू ते
शरीरना जे अंगमा रहे छे ते
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पित्ती
३२६ पित्ती स्त्री० अळाई (२) एक पित्तरोग पिल्लू पुं० इयळ पिदड़ी, पिही स्त्री०, पिद्दा पुं० एक पक्षी पिव पुं० (प.) पियुः पति पिधान पुं० [सं.] ढांकण; आवरण(२) पिशवाज स्त्री० [फा.] नाचती वखते म्यान (३) कमाड
पहेराय छे एवो एक जातनो घाघरो पिनकना अक्रि० ऊंघथी के अफीणना पिशाच पुं० [सं.] भूतप्रेतनी एक योनि नशाथी झोका खावां
पिशुन वि० [सं.] चाडियु (२) नीच; दुष्ट पिनकी पुं० अफीणियो
पिष्ट वि० [सं.] पीसेलु के पिसायेलं पिपासा स्त्री० [सं.] तरस (२) इच्छा; पिष्टपेषण पुं० [सं.] तेन ते फरी कह्या
लालच. -सित,-सी,-सु वि० तरस्युं करवू ते [दळी खानारी स्त्री पिपीलिका स्त्री० [सं.] कीडी [प्रिय पिसनहारी स्त्री० दळनार के दळणां पिय(-या) पुं० पियु; पति (२) वि० पिसना अ०क्रि० पिसावं; दळावं (२) पियक्कड़ वि० (दारू तमाकु इ०) खूब थाकीने लोथ थई जवं
पीनार-व्यसनी [-राई पिसर पुं० [फा.] पुत्र पियर वि०, -राई स्त्री० जुओ 'पिअर, पिसवाना सक्रि० पिसाव पिया पुं० (प.) जुओ 'पिय' पिसाई स्त्री० पीसवं ते के तेनी मजूरी पियाज पुं० जुओ 'पिआज'
(२) कडी महेनत पियादा पुं० [फा.] प्याकुं-शेतरंजन (२) पिसान पुं० आटो; लोट
पेदल सिपाई (३) (अदालतनो)सिपाई पिसौनी स्त्री० जओ 'पिसाई' पियादा-पा अ० 'पदल'; पगपाळू पिस्तई वि० पिस्ताना रंगर्नु पियार पुं० एक झाड (२) प्यार (३) पिस्ता पुं० [फा.] पिस्तुं
वि० प्यारं. -रा (प.) वि० प्यारं पिस्तौल स्त्री० पिस्तोल पियाल पुं० 'पियार' झाड
पिस्सू पुं० डांस पिरकी स्त्री० फोल्ली
पिहकना, पीकना अ.क्रि० टहुकवू पिराना अ०क्रि० पीडावं; कष्टावं पिहित वि० [सं.] ढांकेलं; छू' पिरोजा पुं० पीरोज-एक रत्न पींजना स० क्रि० पीजवं पिरोना सक्रि० परोव,
पीक स्त्री० पानवाळू थूक. दान पुं० पिलना अ०क्रि० एकसाथे कशा पर पीकदानी तूटी पडवू (२) पिलावू
पोकना अ०क्रि० जुओ 'पिहकना' .. पिलपिला वि० अंदरथी नरम ने भीन पीका पुं० कूपळ; नवं कोमळ पान पिलपिलाना सक्रि० दबाववू; घोळवं पीच स्त्री० भातनुं ओसामण (जेम के केरी)
पीछा पुं० पाछलो भाग (२) पीछो पिलाना सक्रि० पिवडाववं (२) पीवाने (३) पछीनो समय.. -करना = केडे
माटे आपq (३) अंदर भरवू पडवू; पीछो पकडवो. -पकड़ना= पिल्ला पुं० कुरकुरियं
पाछळ लागवं; केडो पकडवो -
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पी
पीछू (प.), पीछे अ० पाछळ (२) पछीथी.
पीछे छोड़ना, - डालना = पाछळ मोकलवं (२) (धन) बचावी संघर पीटना स०क्रि० पीटवुं (२) टीपवुं पीठ पुं० [सं.] आसन; स्थान (२) केन्द्र (३) स्त्री० शरीरती पीठ. -ठोकना = पीठ थाबडवी; शाबाशी के हिंमत आपवी. तोड़ना = नाहिमत करवं पीठा पुं० एक वानी
पीठी स्त्री० पलाळीने पीसेली दाळ पीडक वि० [सं.] पीडा करनार; पीडनार न पुं० पीडवं ते (२) दबाववुं ते
पीडा स्त्री० [सं.] दुःख; व्यथा. -ड़ित वि० पीडायेलु; पीडामां आवेलुं पीढ़ा पुं० बेसवानो पाटलो पीढ़ी स्त्री० पेढी ( २ ) नानो पाटलो पीत वि० [सं.] पीलुं (२) पुं० पीळो रंग पीतम पुं० ( प. ) प्रीतम; पति पीतल पुं० पित्तळ धातु पीतांबर पुं० [सं.] पीळं वस्त्र (२) रेशमी पीतांबर ( ३ ) श्रीकृष्ण पीदड़ी स्त्री० जुओ 'पिदड़ी' पीन वि० [सं.] जाडु; हृष्टपुष्ट पीनक स्त्री० अफीणियानुं अडबडियं (२) झोकां खावां ते [ पीनस रोग पीनस स्त्री० पालखी (२) पुं० [सं.] पीना स० क्रि० पीवुं (२) दबाववुं; रोक; अंदर राखवु, जेम के वात,
गुस्सो इ० (३) दारू पीवो
[लींडी-पीपर
पीप ( ब ) स्त्री० परु पीपर (-ल) पुं० पीपळो (२) स्त्री० पीपा पुं० पीप (पाणी इ०नुं) पीब स्त्री० 'पीप'; परु
३२७
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पीयूष पुं० [सं.] अमृत (२) दूध पीर स्त्री० (प.) पीडा; दुःख; दरद पीर पुं० [फा.] पीर; सिद्ध; महात्मा (२) वृद्ध; बुझुर्ग (३) सोमवार. ० जादा पुं० पीरनुं संतान. ० नाबालिग वि० साठे बुद्धि नाठी एवं वृद्ध. ० मुरशिद पुं० गुरुमहाराज; पूज्य गुरुजन पीरी स्त्री० [फा.] पीरपणुं (२) बुढापो (३) चेला मूंडवानो धंधो
पील पुं० [फा.] हाथी. ०खाना पुं० हाथीखानुं. ०पाँव, ०पा पुं० हाथीपगो रोग. ०बान, व्वान पुं० महावत पीलसोज पुं० ( प. ) दिवेट पीला वि० पीळं (२) फीकुं ( ३ ) पुं० पीळो रंग. पीली चिट्ठी = कंकोतरी. पीली फटना= पोह फाटवो; सवार थवुं पीलिया पुं० कमळो
पीलू पुं० एक कांटाळु झाड (२) इयळ (३) एक राग [ 'पीवर' पीव स्त्री० परु; पाच (२) जुओ वि० पीवर वि० [सं.] जाडुं; स्थूल; हृष्टपुष्ट पीसना स० क्रि० पीस (२) कडी
महेनत करवी (३) पुं० दळणं पीहर पुं० पियेर; 'मँका' पंख पुं० [सं.] तीरनो छेडानो पीछांवाळो भाग. •खित वि० पछांवाळु (तीर) पुंगव पुं० [सं.] सांढ (२) (समासना नामने अंते) तेमां श्रेष्ठ, जेम के नरपुंगव
पुंगीफल पुं० [सं.] सोपारी
पुंछार पुं० (प.) मोर पुंछाला पुं० जुओ 'पुछल्ला' पुंज पुं० [सं.] राशि; ढगलो पुंड पुं० टीलुं; तिलक
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पुंडरीक
३२८
पुनरागमन पुंडरीक पुं० [सं.] धोळू कमळ (२) पुटी स्त्री० नानो दडियो के कटोरी (२) रेशमनो कीडो (३) टीलं; तिलक पडीकी (३) लंगोटी [माट) लापी (४) खांड; साकर
पुटीन पुं० (काच इ० बारणामां जडवा पुंलिंग पुं० [सं.] नरजाति (व्याकरण) पुट्ठा पुं० थापानो उपरनो भाग (२) पुंश्चली स्त्री० [सं.] वेश्या
पुस्तकनी बांधणीनी पटी पुंस पुं० (प.) पुरुष; नर [(२) दूध पुठवार अ० पूठे; पाछळ पुंसवन पुं० [सं.] सोळमांनो एक संस्कार । पुठवाल पुं० मददगार; सागरीत पुंस्त्व पुं० [सं.] पुरुषत्व (२) वीर्य पुड़ा पुं० पडो; मोटुं पडीकुं पुआ पुं० मालपूडो
पुड़िया स्त्री० पडीकुंके पडीकी.-बाँधना पुआल पुं० ‘पयाल'; पराळ
पडीकुं वाळवू पुकार स्त्री० पोकार (बूम के फरियाद) पुण्य पुं० [सं.] सुकृत; सारं काम के पुकारना सक्रि० पोकारवं __ तेनुं शुभफळ (२) वि० पवित्र; शुभ. पुखराज पुं० पोखराज मणि [पुख्तगी)
०वान वि० पुण्यशाळी. ०श्लोक वि० पुख्ता वि० [फा.] दृढ; मजबूत (नाम. पवित्र जीवनवाळं (२) पुं० तेवो पुचकार,-री स्त्री० बचकारो
आदर्श पुरुष पुचकारना सक्रि० प्रेमथी बचकार पुण्याई स्त्री० पुण्यनुं फळ के पुण्यता पुचारा पुं० पोतुं के कूचडो (२) भीनुं पुण्यात्मा पुं० [सं.] पवित्र पुरुष; धर्मात्मा पोतुं फेरवq ते (३) पातळो लेप । पुण्याह पुं० [सं.] शुभ दिन; मंगळ दिवस (४) खुशामत (५) उत्तेजन पुतरा पुं०, -री स्त्री० (प.) जुओ पुच्छ पुं० [सं.] पूंछडी; 'दुम' 'पुतला,-ली' पुच्छल वि० पूंछडियु, पूंछडीवाळं. पुतला पुं० नर-पूतळी;ढींगलो.(किसीका) ०तारा पुं० पूंछडियो तारो
पुतला बाँधना=बदनामी करवी पुछल्ला पुं० लांबु पूंछडु (२) पूंछडा पुतली स्त्री० ढींगली. ०घर पुं०
जेम साथे लागेलं ते (३) आश्रित कारखान; मिल पुजना अ०क्रि० पूजावं; 'पूजना' न कर्मणि पुताई स्त्री० पोतना' परथी नाम पुजवाना, पुजाना सक्रि० पूजाववं पुत्तली,-लिका स्त्री० [सं.] पूतळी पुजाई स्त्री० पूजव ते के तेनी मजरी पुत्र पुं० [सं.] दीकरो. ०वती स्त्री० पुजापा पुं० पूजापो
पुत्रवाळी स्त्री. ०वधू स्त्री० पुत्रनी पुजा(-जे)री, पुजैया पुं० पूजारी
वह. -त्रिका,-त्री स्त्री० दीकरी. पुट पुं० पट; पास (२) [सं.] ढांकण -वेष्टि स्त्री० पुत्रप्राप्ति माटेनो यज्ञ
(३) दडियो (४) औषधिनो संपुट पुदीना पुं० फुदीनो पुटकी स्त्री० पोटकी (२) अकस्मात् पुनः अ० [सं.] फरी (२) उपरांत मृत्यु (३) शाकमा घलातो चणानो पुनरपि अ० [सं.] फरी पण पुनर्जन्म लोट. -पड़ना=गजब थवो
पुनरागमन पुं० [सं.] फरी आवq ते (२)
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पुनरावृत्ति
पुलसरात पुनरावृत्ति स्त्री० [सं.] फरी करवू के पुरस्कार पुं० [सं.] इनाम; भेट पढवू के आवq ते
पुरा अ० [सं.] पहेला; प्राचीन काळमां पुनरुक्ति स्त्री० [सं.] फरी कहेवू ते (२)स्त्री०पूर्व दिशा (३) नानुं पुर; गाम पुनर्जन्म पुं० [सं.] फरी जनमवू ते पुराण वि० [सं.] प्राचीन; जूनुं (२) पुननिर्माण पुं० [सं.] नवरचना पुं० पुराण ग्रंथ [विद्या पुनर्भू स्त्री० [सं.] फरी परणेली विधवा पुरातत्त्व पुं० [सं.] प्राचीन काळ संबंधी पुनि (-नी) अ० (प.) पुनः; फरीथी। पुरातन वि० [सं.] प्राचीन; जूनुं पुनीत वि० पवित्र; पुनित
पुराना वि० पुराणुं(२) सक्रि० पुराव. पुर वि० [फा.] पूर्ण; भरेलु. (समासमां -घाघ = भारे चालाक; अनुभवी पहेला पद तरीके पण. जेम' के पुर- पुरिखा,-षा पुं० जुओ 'पुरखा' असर = असरकारक; पुर-जोश इ०) पुरी स्त्री० [सं.] पुरी; नगरी (२) (२) पुं० [सं.] नगर; गाम (३) देह जगन्नाथ (३) [फा.] पूर्णता; पूर के (४) घर [(स्त्री०-खिन) भरवू ते (समासमां) पुरखा पुं० पूर्वज (२) घरनो वृद्धजन पुरीष पुं० [सं.] विष्टा; मळ पुरचक स्त्री० 'पुचकार'; बचकारो (२) पुरुष पुं० [सं.] नर; माणस (२) आत्मा
उत्तेजन(३)उश्केरणी (४) समर्थन; पक्ष पुरुषार्थ पुं०[सं.] पुरुषना उद्देश के ते पुरजा पुं० [फा.] टुकडो (२) अवयव अर्थेनो उद्यम (२) सामर्थ्य; बळ. (३) अंश; भाग (चलता पुरजाचालाक -र्थी वि० उद्यमी; महेनतु पाको माणस) [पूर्वजन्मनुं पुरोग,-गामी वि० [सं.] अग्रेसर; नायक पुरब(-बि,-ब)ला वि० पूर्व- (२) । पुरोध,-धा,-हित पुं०[सं.] गोर; कुलगुरु पुरबिया वि०पुरबियुं; पूर्व-(स्त्री० ०नी) पुरोहिताई स्त्री० पुरोहितनुं काम पुरबि (-बु)ला वि० जुओ 'पुरबला' । पुर्जा पुं० जुओ 'पुरजा' पुरवट पुं० पाणीनो कोस
पुर्तगाल पुं० पोर्तुगल देश पुरवना सक्रि० (प.) पूर; भरवं; पूरुं पुल पुं० [फा.] पुल; सेतु. -टूटना खूब
करवं (२) अ.क्रि० पूरुं होवू (३)पूरतुं वधवं. (किसी बातका)-बाँधना= के जोईतुं होवू [पवन (३) कुलडी __ अतिशयता करवी पुरवा पुं० नानुं पुर - गाम (२) पूर्वनो पुलक पुं० [सं.] अति आनंद; रोमांच. पुरवाई, पुरवैया स्त्री० पूर्वनो वायरो -कित वि० रोमांचित पुरश्चरण पुं० [सं.] कार्यसिद्धि माटे पुलटिस स्त्री० पोटीस
करातुं अनुष्ठान के विधि इ० पुलपुला वि० अंदरथी नरम ने पोचुं पुरसां वि० [फा. पूछनार
पुलपुलाना सक्रि० नरम चीज दबाववी; पुरसा पुं० माथोडं माप (२) [फा.] घोळवू (२) घोळीने चूसवं जुओ 'ताज़ियत'
पुलसरात पुं० [फा.] बहिश्तमां जवानो पुरसिश स्त्री० [फा.] पुरसीस; पूछपरछ बारीक पुल
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पुलाव
३३० पुलाव पुं० मांस साथे थती चोखानी पुस्तक स्त्री० [सं.] चोपडी; 'किताब'. एक वानी
-कालय पुं० ग्रंथालय. -की, पुस्तिका पुलिंदा पुं० बंडल; थोकडो
स्त्री० नानी चोपडी; चोपानियं पुलिन पुं० [सं.] रेताळ नदीकिनारो (२) पुह (-४)प पुं० (प.) पुष्प
पाणी हठीने थती कांपवाळी जमीन पुहुमी स्त्री० (प.) पृथ्वी; भूमि पुलिस स्त्री० [इं.] पोलीस. ०मैन पुं० पूछ स्त्री० पूंछडी (२) पछवाडेनो भाग.
पोलीसनो सिपाई परंपरानी) ०ड़ी स्त्री० पूंछडी । पुश्त स्त्री० [फा.] पीठ (२) पेढी (वंश- पंजी स्त्री० पंजी: धन (२) मडी. ०पति प्रश्तक स्त्री० [फा.] घोडा गधेडानी पं० मूडीदार; धनवान. ०वाद पुं० पाछला पगनी लात
मूडीवाद पुश्तनामा पुं० [फा.] वंशावळी पूआ पुं० पूडो के मालपूओ पुश्त-पनाह पुं० [फा.] मददगार; टेको पूग पुं० [सं.] सोपारी के तेनुं झाड
आपनार. -ही स्त्री० मदद; टेको (२) पुंज; ढगलो (३) फणस के तेनुं पुश्ता पुं० [फा. पुस्तो; बांध (२) झाड. -गी स्त्री० सोमारी के तेनं झाड
जुओ 'पुट्ठा' (२) [एटलो भार पूछ स्त्री० पूछवं ते (२) तपास; खोळ पुश्तारा पुं० [फा.] पीठ पर लेवाय (३) कोई पूछे ते; आदर; गणना पुश्ती स्त्री० [फा.] टेको (२) मदद पूछता (-पा)छ स्त्री० पूछपरछ (३) तरफदारी (४) तकियो पूछना सक्रि० पूछवू [पूछताछ' पुश्तैन स्त्री० वंशपरंपरा; पेढी दर पेढी पूछपाछ, पूछता(-पा)छी स्त्री० जुओ पुश्तैनी वि० [फा.] वंशपरंपरा चालतुं पूजक पुं० [सं.] पूजा करनार आवेलु के चालनालं
पूजन पुं० [सं.] पूजा; पूजवू ते पुष्कर पुं० [सं.] कमळ (२) तळाव (३) पूजना सक्रि० पूजवं; सेवा करवी (२)
पाणी. -रिणी स्त्री० तळावडी लांच आपवी (३) अ.क्रि० पूरुं थर्बु पुष्कल वि० [सं.] पुष्कळ; खूब (२) (४) भरावं; बरोबर थवं . उत्तम (३) परिपूर्ण; भरपूर
पूजनीय वि० [सं.] पूज्य; पूजाने पात्र पुष्ट वि० [सं.] खाईपीने ताजु माजु पूजा स्त्री० [सं.] पूजा; उपासना; अर्चन
(२) पोषायेलं (३) दृढ; मजबूत (२) लांच (३) मार; मेथीपाक पुष्टई स्त्री० ताकात के पुष्टिनी दवा पूज्य वि० [सं.] पूजनीय पुष्टि स्त्री० [सं.] पोषण (२) पुष्ट पूड़ा पुं० मालपूडो
थवं ते (३) दृढता (४) समर्थन पूड़ी स्त्री० पूरी पुष्प पुं० [सं.] फूल (२) आंखमां फूल । पूत वि० [सं.] पवित्र; शुद्ध (२) पुं० पुत्र पडे ते (३) स्त्रीनी रज
पूतड़ा पुं० बळोतियुं पुसाना अक्रि० (प.) पूरुं पडवू के । पूति स्त्री० [सं.] पवित्रता (२) दुर्गंध . ठीक लागवं; पोसावं
पूती स्त्री० गांठ (२) लसण- जीडवू
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पुनी
३३१
पूनी स्त्री० पूणी पूनव, पूनिउँ, पूनो, न्यो स्त्री० पूनम पूप पुं० [सं.] मालपूडो पूय पुं० [सं.] पर; पाच । पूर पुं० पूर; भरती (२) पूरण (कचोरी इ० नुं) पूरक वि० [सं.] पूर्ति करनारुं (२) पुं०
एक प्राणायाम [पूरवं ते पूरण पुं० [सं.] पूरुं थQ के करवू ते; पूरण,-न वि० (प.) पूर्ण; पूरुं पूरनपूरी स्त्री० पूरणपोळी पूरनमासी स्त्री० पूर्णिमा । पूरना सक्रि० पूर; भरवू (२) पूरुं
करवू (३) अ.क्रि० पूरुं थ; भरावं पूरब पुं० (२) वि० पूर्व. ०ल पं० (प.)
पूर्वजन्म (२) प्राचीन जमानो. ०ला वि० (प.) प्राचीन; पुराणु (३) पूर्व- जन्मनु. -बी वि० पूर्वपूरा वि० पूरुं; पूर्ण भरेलु (२) पूरतुं; बधुं पूरी स्त्री० पूरी-एक वानी पूर्ण वि० [सं.] पूरु (२) परितृप्त (३)
भरपूर(४)बधुं. ०मासी स्त्री० पूर्णिमा; पूनम. विराम पु० वाक्यनुं (.)चिह्न पूर्णाहुति स्त्री० [सं.] यज्ञनी पूर्णाहुति
(२) समाप्ति पूर्णिमा स्त्री० सं.] पूनम पूर्ति स्त्री० [सं.] पूरुं थq ते; समाप्ति
(२) भरपाई; खूटतुं पूरुं करवू ते पूर्व वि० [सं.] पहेलां- (२) पुराणुं; जून (३) पूर्व (४) पुं० पूर्वदिशा (५) अ० पूर्वे; पहेला । पूर्वक वि० [सं.] ते साथे; सहित (नाम
साथे समासमां) [मोटो भाई पूर्वज पुं० [सं.] पूर्व पुरुष; वडवो (२)
पेचा पूर्वापर वि० [सं.] पूर्व अने अपर; आगळ पाछळनं (२) अ० आगळ पाछळ. (नाम,-र्य पुं०) [पहेलो भाग पूर्वाह,-पुं० [सं.] दिवसनो पूर्व : । पूर्वी वि० पूर्व- [अगाउ कहेलं पूर्वोक्त वि० [सं.] पहेलां- उपर के पूला पुं० पूळी (स्त्री० -ली) पूस पुं० पोष मास पृच्छक वि० [सं.] पूछनारं; जिज्ञासु पृच्छास्त्री० [सं.] प्रश्न; सवाल; जिज्ञासा पृथक् वि० [सं.] जुईं; छूटुं; अलग.
-क्करण पुं० अलग करवू के पाडवं ते पृथिवी, पृथ्वी स्त्री० [सं.] धरती; दुनिया पृथु वि० [सं.] मोटुं; विशाळ; विस्तृत (२) अगणित पृष्ठ पुं० [सं.] पीठ (२) उपरनी सपाटी
(३) पाछळनो भाग (४) चोपडी, पान पेंग स्त्री० हींचकानो हेल्लो. -मारना
=हींचकाने हेल्लो मारवो; हींचवें। पेंडुकी स्त्री० होलो (२) जुओ 'गुझिया' पेंदा पुं०, पेंदी स्त्री० तळियु पेंशन स्त्री० [इं.] पेनशन; निवृत्ति. ०र
पुं० निवृत्त थयेलो . पेंसिल स्त्री० [इं.] पेनसिल पेखना सक्रि० (प.) देखवू; जोवू पेच पुं० [फा.] पेच (स्क्रू, आंटो, युक्ति वगेरे).-घुमाना = पेच मरडवो; युक्ति करी पलटी नांखवू पेचक स्त्री० [फा.] दोरनी गूंचळी (२)
पुं० [सं.] घुवड पेचकश पुं० [फा.] पेचियुं पेचताब पुं० [फा.] दाझ; मननो गुस्सो पेचदार वि० जुओ 'पेचीदा' पेचा पुं० 'पेचक'; घुवड.
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पेचिश
३३२
पेशकारी पेचिश स्त्री० [फा.] मरडानो रोग पेटेंट वि० [इ.] पेटंट करावेलुं (२) पेचीदा(-ला) वि० [फा. (नाम, दगी) पुं० कोई चीज इ० सरकारमा पेटंट
पेचवाळं (२) कठण; आंटीचूंटीवाळं कराववी ते पेट पुं० पेट (२) गर्भ (३) पेटं अंदरनो पेट्रन पुं० [इ.] संरक्षक; समर्थक भाग (४) मन.-काटना=बचत करवा पेट्रोल पुं० [इं.] मोटर- पेट्रोल ओछु खावं. -का पानी न पचना= पेठा पुं० भूराकोळू (२) तेनी एक मीठाई रही के रोकाई न शकावं. का हलका पेड़ पुं० झाड. -लगना = झाड' ऊगवू के =हलका पेटर्नु; क्षुद्र.-गिरना=गर्भपात थर्बु के रोपाईं थवो. -चलना-दस्त थवा. -छूटना पेड़ा पु० पेंडो (२) कणकनो लूओ दस्त थवो (२) पूंछडु छुटवं. -जलना पेड़ी स्त्रो० झाडन थड (२) धड =भूख लागवी (२) गुस्सो आववो. पेड़ पुं० पेढुं (२) गर्भाशय -जारी होना-झाडा थवा. -देना= पेन स्त्री० [इं.] कलम मननी वात बताववी. -पानी होना पेनी स्त्री० [इ.] पेन्स पातळो झाडो थवो (२) डर. पेन्शन स्त्री० [इ.] नोकरीमाथी निवृत्त -पालना-जम तेम गुजारो चलाववो; __ थये मळतुं वेतन. ०र पुं० ते पामनार पेटियु पूरुं करवू. -पीटना=पेट कूटवू; पेन्सिल स्त्री० [इ.] सीसापेन बेचेन थq. -में चूहे कूदना या दौड़ना पेन्हाना अ०क्रि० पाहो मूकवो = खूब भूख लागवी. -में दाढ़ी होना। पेय पुं० [सं.] पीj (२) पाणी (३) =बचपनथी होशियार होवू. -में पाँव दूध (४) वि० पीवा योग्य होना=पाकुं, पहोंचेल होवू. -में पानी पेरना सक्रि० पीलवू (२) पीडq (३) न पचना-पेटमां वात न रहेवी. -में प्रेरवु (४) मोकलq पानी होना-गभरावं; चिंतामां पडq. पेलना सक्रि० घुसाडq (२) धकेलतुं -में बल पड़ना हसवाथी पेट दुखवू. पेला पुं० झघडो; तकरार (२) गुनो; -लगना = भूखथी पेट चोटी जq. -से कसूर (३) हल्लो; चडाई (४) घुसाडवू होना = गर्भवती होवू
के धकेलतुं ते पेटक पुं० [सं.] पेटी; पटारो (२) 'ढेर' । पेवस पुं०, -सी स्त्री० करेटुं; तरतना पेटल वि० मोटा पेटवाळु; दुंदाळं वियायेला ढोरनुं दूध पेटवाली स्त्री० सगर्भा स्त्री
पेश अ०[फा.] सामे; आगळ. -आना% पेटा पुं० पेटुं; अंदरनो भाग (२) नदीनो थq; बनवू (२) व्यवहार के वर्तन
पट (३) हिसाब- पेटुं (४)घेराव;सीमा करवू. -चलना, जाना = जोर चालवू पेटार,-रा पुं० पटारो
पेश-कब्ज स्त्री० [फा.] कटारी पेटार्थी,-y वि० खाउधरूं; पेटूडु पेश-कश स्त्री० [फा. भेट; बक्षिस पेटी स्त्री० पटो (२) नानी पेटी पेशकार पुं० [फा.] अदालतनो शिरस्तेपेटू वि० जुओ 'पेटार्थी'
दार. -री स्त्री० तेनुं काम के पद
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पेशखेमा
पेशमा पुं० [फा.] फोजनी आगळ जती टुकडी के आगळ रवाना थतो तेनो
सामान
३३३
पेशगी स्त्री० [फा.] कोई काम माटे अगाउथी अपाती रकम; बानुं पेशतर अ० [फा.] पहेलां पेशबंद पुं० [फा.] घोडानी छाती परनो पटो, जेथी जीन पाछळ सरे नहि पेशबंदी स्त्री० [फा.] अगमचेती; पहेलेथी सावधानी [ मदद करनार मजूर पेशराज पुं० पथ्थर लावी आपी कडियाने पेशवा. पुं० [फा.] नेता; सरदार ( २ ) मराठा राज्यनो पेशवा. ०ई स्त्री० तेनुं पद के कार्य (२) जुओ 'अगवानी' पेशवा स्त्री० [फा.] जुओ 'पिशवाज़' पेशा पुं० [फा.] पेशो; धंधो पेशानी स्त्री० [फा.] माथु (२) कपाळ (३) नसीब - पर बल लाना = मगज गुमाव; गुस्से थवुं
पेशाब पुं० पेशाब; मूत्र ( २ ) वीर्य . ०खाना पुं० मुतरडी पेशावर पुं० [फा.] पेशावाळो; धंधादार. पेशी स्त्री० [फा.] रजूआत ( २ ) सुनावणी (३) [सं.] पेशी; 'टिश्यु ' पेशीन - गोई स्त्री० [फा.] भविष्य कहे ते पेश्तर अ० [फा.] जुओ 'पेशतर ' पंग स्त्री० जुओ 'पेंग'
पंजना पुं०, ती स्त्री० पगनुं एक घरेणुं पैंठ स्त्री० पेंठ; बजार पेड़ पुं० डगलुं (२) रस्तो
पैड़ा पुं० रस्तो (२) तबेलो (३) प्रणाली पैंत स्त्री० युक्ति; पेंतरो; दाव पैंतालीस वि० पिस्ताळीस; ४५ पैंतीस वि० पांत्रीस; ३५
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पेना
दी स्त्री० जुओ 'पेंदा, - दी '
पंदा पुं०, पैंसठ वि० पांसठ; ६५
पै प्रत्यय - ( सातमीनो) उपर ( २ ) (त्रीजीनो) द्वारा (३) अ० प्रति; तरफ (४) पासे (५) पछी (६) पण पैक पुं० [फा.] खेपियो पैकर स्त्री० [फा.] चहेरो; सिकल पैकार पुं० [फा.] फेरियो के परचूरण मालनो नानो वेपारी पैखाना पुं० पायखानुं
पैग़म्बर पुं० [फा.] पेगंबर. - वि० पेगंबरनुं (२) स्त्री० पेगंबरनुं कार्य पैग पुं० (प.) पग; कदम पैग़ाम पुं०[फा.] पेगाम; संदेशो. मी पुं० दूत; संदेशवाहक
पैज स्त्री० (प.) प्रतिज्ञा; पण (२ ) होड पैजामा पुं० पायजामो पंजार स्त्री० [फा.] पेजार; जोडा पैठ स्त्री० पेस; प्रवेश (२) गति; पहोंच पैठना अ०क्रि० पेसवुं
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पैड़ी स्त्री० सीडी (२) कूवानुं ओलण पैंतरा पुं० पेंतरो; पवित्रा (२) पगलुं पैत ( - थ ) ला वि० छछरुं पैतृक वि० [सं.] पितानुं के तेमना संबंधी पै-दर-पै अ० [फा.] क्रमश: (२) लगातार पैदल वि० (२) अ० पगे चालतुं; पगपाळं (३) पुं० पायदळ पैदा वि० [फा.] पेदा; उत्पन्न पैदाइश स्त्री० [फा.] पेदाश; उत्पत्ति; [ स्वाभाविक पैदाइशी वि० जनम साथेनुं ( २ ) पैदावार,र, -री स्त्री० [फा.] खेतीनी पेदाश पैना वि० [सं. पैण] तीक्ष्ण; तेज (२) पुं० बळद हांकवानो परोणो
जन्म
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पैनाना
३३४
पोढ़ाना पैनाना सक्रि०धार काढवी (जमीन) पैसना अ०क्रि० (प.) पेसवं पैमाइश स्त्री० [फा.] मापq ते (जेम के पैसा पुं० पैसो (२) धन पैमाना पुं० [फा॰] धोरण
पैसेवाला पुं० पैसादार (२) सराफ पैयां स्त्री० पग
पैसिंजर पुं० [इ.] पेसेंजर; उतारु । पैया पुं० पोचो दाणो; खोखं ... पैहम अ० [फा.] जओ 'प-दर-पै' पैर पुं० पेर; फ्ग (२) पगलं (३) खळं. पहारी वि० पय - दूध ज पीने रहेनार -डालना=दखल करवी; हाथ घालवो. __ (साधु) -तोड़ना= टांगा तोडवा;थाकवू.-भर पों स्त्री० फूंकानो के पादवानो अवाज. जाना = पग भराई जवा-थाकवू. -बोलना-हारी जq (२) देवाळं काढवू -भारी होना = गर्भ रहेवो. पैरों चलना पोंकना अ०क्रि० छेर, (२) डरQ (३)
= पगे चालवू [साइकल पुं० छेरवानो (पशुनो) रोग पैर-गाड़ी स्त्री० पगनी गाड़ी; जेवी के __पोंगा पुं० नळी (वांस के धातुनी) (२) पैरना अ०क्रि० तरवू
वि० पोल (३) मूर्ख पैरवी स्त्री० [फा.] अनुसरण (२) । पोंछ स्त्री० पूंछ; पूंछडी
आज्ञापालन (३) पेरवी. ०कार पुं० । पोंछना स० क्रि० घस; लोहवू (२) 'पैरवी' करनार
पुं० तेने माटे, कपडं पैरा पुं० पगलं (२) पगनुं एक घरेणुं पोआ पुं० सापनो कणो (३) [इ.] पॅरो; फकरो
पोइया स्त्री० [फा. पोयः] घोडानी पैराई स्त्री० तर ते के तेनी कळा जोरदार रवाल पैराक पुं० तारो; तरनारो
पोइस स्त्री० सपाटाबंध दोडवू ते (२) पैराव पुं० तरीने जवाय एवं ऊंडं पाणी अ० पोईस; हठो; खसो पैराशूट पुं० [इ.] ऊंचेथी ऊतरवा
पोई स्त्री० पोईनी वेल (२) घउं बाजरी विमानी छत्री
इ०नो नानो छोड (३) शेरडीनी आंख परी स्त्री० खळामां एकठां करेला पोखर(-रा) पुं० तळाव (स्त्री० -री)
डूंडांनो ढग के खळू करवं ते पोच वि० [फा. पूच] तुच्छ (२)अशक्त पैरो वि० [फा. अनुयायी
पोट स्त्री० पोटली (२) ढेर पैरोकार पुं० जुओ 'पैरवीकार' पोटला पुं० मोटुं पोटलं पैवंद पुं० [फा.] थींगडू (२) झाडनी पोटली स्त्री० पोटली; नानुं पोटलं कलम (३) मित्र; सगो
पोटा पुं० पेट (२) आंखy (उपलु) पैवंदी वि० कलमी (२) वर्णसंकर पोपचुं (३) छाती; जोर(४)(चकलीनो) पैवस्त वि० [फा.] (प्रवाहीथी) तरबोळ पोटो-बच्चुं पैशाच,-चिक वि० [सं.] घोर; राक्षसी; पोढ़ा वि० [सं. प्रौढ़] दृढ (२) कठण
पिशाच जेवू [चुगली; दुष्टता पोढ़ाना अ०क्रि० दृढ के कठण थर्बु (२) पैशुन, न्य पुं० [सं.] पिशुनता; चाडी- सक्रि० दृढ के कठण करवू
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पोत
पोत पुं० जमीनमहेसुल; 'पोता' (२) [सं.] पशुपक्षीनं बच्चुं (३) नानो छोड पोतड़ा पुं०' पूतड़ा' ; बळोतियुं. पोतड़ोंके अमीर या रईस = अमीर खानदाननो; गर्भश्रीमंत
पोतदार पुं० महेसूल जमा राखनार (२) खजानामां रूपिया पारखनार पोतना स०क्रि० धोळवु; लींपवुं ( २ ) पुं० पोतुं कूचडो पोतला पुं० 'पराँठा'; चोपडुं पोता पुं० पौत्र ( २ ) महसूल ( ३ ) पोतुं पोती स्त्री० पौत्री
पोथा पुं० मोटुं पोथुं (२) कागळनी थोकडी. -थी स्त्री० चोपडी पोदना पुं० वामन ( २ ) एक नानुं पक्षी पोदीना पुं० [फा.] फुदीनो पोना स०क्रि० ( रोटलो) हाथे घडवो (२) परोववुं (३) गूंथवुं
पोप पुं० [इं.] सौथी मोटो ख्रिस्ती धर्मगुरु पोपला वि० दांत वगरनुं; बोखलुं (२) पोपलं; पोचकण [ के होवु पोपलाना अ०क्रि० बोखुं के पोपलुं थ पोया पुं० सापनुं बच्चु कणो (२) नानो छोड के बच्च [(२) पेराई पोर स्त्री० आंगळ के आंगळीनो वेढो पोल पुं० पोलाण (२) अंदरनुं पोल पोला वि० पोलुं; खाली पोश पुं० [फा.] ( समासमां ) ढांकण. उदा. मेजपोश (२) पोशाक पोशाक, पोशिश [फा.] स्त्री० पोशाक; पहेरवेश. पोशाक बढ़ाना = कपडां उतारवां
पोशीदा वि० [फा.] गुप्त; ढंकायेलं. दगी स्त्री० गुप्तता; ढांक के छुपावनुं ते
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३३५
पौआ
1. पोषक वि० [सं.] पोषनारुं ( २ ) सहायक पोषण पुं० [सं.]पोषवं ते; पालन; सहायता पोष ( स ) ना स०क्रि० पोषवुं ; पालन करवु पोष्य वि० [सं.] पालनपोषण करवा योग्य. ०पुत्र पुं० दत्तक पुत्र पोस पुं० पालणपोषण करवा माटेनो आभार - कृतज्ञता. ०पूत पुं० दत्तक पुत्र पोसना स०क्रि० पोषवुं; पाळवं पोस्ट स्त्री० [इं.] जगा; नोकरी (२) टपाल पोस्ट आफिस पुं० [इं.] डाकघर पोस्ट कार्ड पुं० [इं.] टपालनुं पत्तुं; कार्ड पोस्ट मार्टम पुं० [इं.] मरण बाद कराती मदानी चीरफाड के ते तपास पोस्ट मास्तर पुं० [इं.] पोस्ट ऑफिसनो ast
पोस्टमैन पुं० [इं. ] टपाली पोस्टर पुं० [इं.] जाहेरात माटे मोटो कागळ छपाय छे ते पोस्टेज पुं० [इं. ] टपालखर्च पोस्त पुं० [फा.] छोडुं (२) पोस; अफीणनो दोडो (३) जुओ 'पोस्ता ' पोस्ता पुं० अफीणनो छोड पोस्ती पुं० [फा.] पोस्ती; पोस उकाळी पीनार (२) आळसु पोस्तीन पुं० [फा.] चामडानो (रुवांटीवाळी) कोट के अमुक पोशाक पोहना स०क्रि० 'पिरोना' (२) छेदवुं (३) अंदर घूसवुं
पौंडा, पौंड्रक पुं० [सं.] जाडी मोटी शेरडी पौरना अ०क्रि० 'पैरना'; तरबुं पौ स्त्री० परब (२) रमतनुं पो ( ३ ) पोह; पो. - बारह होना=पो पडवुं (२) लाभनो लाग मळवो पौआ (वा) पुं० पाशेरो
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पौगंड पौगंड पुं० [सं.] बाल्यावस्था (पांचथी
दसेक वर्ष उमरनी) पौडर स्त्री० पाउडर पौढ़ना अ०क्रि० जुओ 'झूलना' (२)
पोढवू; सूर्बु (प्रेरक पौढ़ाना) पौत्र पुं० [सं.] पुत्रनो पुत्र. (२) वि० पुत्र संबंधी. -त्रिकेय पुं० पुत्रीनो पुत्र. -त्री स्त्री० पुत्रनी पुत्री पौद स्त्री० छोड (२) धरु । पोदर स्त्री० पगदंडी (२) रेंट के कोस
या कोलुना बळदथी पडी जती वाट पौदा,-धा पुं० छोडवो पौन वि० पोj (२) मुं०, स्त्री० पवन (३) प्राण (४) भूत. -चलाना या मारना = जादु के टुचको करवो. -बिठाना = भूत वळगाड पौना पुं० पोणाना आंक (२) झारो पौनार,-रि स्त्री० कमळनी दांडी पौनी स्त्री० वसवायां (२) नानो 'पौना' - झारो पौने वि० पोj [[सं.] पुरनुं पौर स्त्री० जुओ 'पौरि' (२) वि० पौरा पुं० पगलं; 'पैरा' पौराणिक वि० [सं.] पुराणुं (२) पुराणोनु के ते संबंधी (३) पुं० पुराणी; पुराणवेत्ता [(३) पावडी पौरि,-री स्त्री० सीडी (२) डेली; खडकी पौरि(-लि) या पुं० पोळियो; द्वारपाळ पौरुष पुं० [सं.] पुरुषत्व(२) बळ; पराक्रम
(३) उद्यम'; पुरुषार्थ [तेनुं करेलु पौरुषेय वि० [सं.] पुरुष के ते संबंधी के पौर्णमासी स्त्री० [सं.] पूनम पौल पुं० पोळ; मोटो दरवाजो. -लिया पुं० जुओ 'पौरिया'
प्रकाशक पौली स्त्री० 'पौरी'; डेली (२) पगलं पौवा पुं० जुओ 'पोआ' पौष पुं० [सं.] पोष मास पौष्टिक वि० [सं.] पुष्टि आपे एवं पौसर(-रा,-ला) पुं० परब पौहारी वि० जुओ 'पहारी' प्याऊ पुं० परब प्याज पुं० पियाज; डुंगळी प्याजी वि० प्याजना रंगनुं आर्छ गुलाबी प्यादा पुं० [फा.] पायदळ सिपाई;
प्या, (२) दूत; खेपियो प्यार पुं० प्रेम; वहाल. -रा वि०
प्यारु; वहालं प्यालापुं० [फा.] वाडको. -देना-शराब पीवा आपवो. -पीना या लेना-शराब
पीवो.-बना गर्भपात थवो.-भरना __ = आयुष पूरुं थq. -ली स्त्री० वाडकी प्यास स्त्री० तरस (२) प्रबल इच्छा. -बुझाना= तरस छिपाववी. -लगना = तरस लागवी प्यासा वि० तरस्युं; पिपासु प्यून पुं० [इ.] पटावाळो; सिपाई प्योसर पुं० करेटुं (गायन) प्योसार पुं० (प.) पियर प्रक(-ग)ट वि० [सं.] प्रगट; प्रत्यक्ष;
खुल्लं; जाहेर प्रकरण पुं० [सं.] पुस्तक- प्रकरण; - अध्याय (२) विषय; प्रसंग (३) चर्चा; वृत्तांत
[जात; भेद प्रकार पुं० [सं.] रीत; तरेह (२) प्रकाश पुं० [सं.] तेज; अजवाळू (२) विकास; स्फोट; साफ समज (३) प्रसिद्धि प्रकाशक पुं० [सं.] प्रकाश करनार
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प्रणवना
प्रकीर्ण प्रकीर्ण वि० [सं.] मिश्रित (२) छूटुंछवायुं (३) विविध; परचूरण (४) फेलायेलं; विस्तृत प्राकृतिक; स्वाभाविक प्रकृत वि० [सं.] असली; खरं (२) प्रकृति स्त्री० [सं.] स्वभाव; मिजाज (२) । कुदरत; निसर्ग (३) जगतनी मूळ शक्ति; माया प्रकोप पुं० [सं.] अधिक कोप (२)
रोगनु के कोई वस्तुनुं वधारेपडतुं। जोर थर्बु ते- अतिशयता प्रकोष्ठ पुं० [सं.] मुख्य दरवाजा पासेनी
ओरडी (२) आंगण; वाडो प्रक्रिया स्त्री० [सं.] क्रिया के तेनी
रीत-युक्ति; विधि प्रक्षालन पुं० [सं.] धोवं ते । प्रक्षिप्त वि० [सं.] फेंकेलं (२) क्षेपक;
पछीथी घसाडेलु के नांखेलु प्रक्षेप,०ण पुं० [सं.] फेंक, ते (२) प्रक्षिप्त होवू ते; क्षेपक (३) भागीदारे नांखेली मुडी प्रखर वि० [सं.] उग्र; तीव; तीक्ष्ण प्रख्यात वि० [सं.] प्रसिद्ध; मशहूर.
-ति स्त्री० कीर्ति प्रगट वि० जुओ 'प्रकट'. ना अ.क्रि०
प्रगट के जाहेर थवं प्रगल्भ वि० [सं.] प्रतिभावान; चतुर (२)
साहसिक; निर्भय (३) उदंड; अमर्याद प्रगाढ़ वि० [सं.] बहु गाईं (२) खूब; बहु प्रचंड वि० [सं.] तेज; उग्र; प्रखर (२)
प्रबळ; जोरदार (३) भयंकर प्रचलन पुं० [सं.] चलण; रिवाज; चाल प्रचलित वि० [सं.] चालु; रिवाज पडेलु प्रचार पुं० [सं.] फेलावो (२) चाल; रिवाज हिं-२२
प्रचारक वि० (२) पुं० प्रचार करनार प्रचारना सक्रि०फेलाव;प्रचार करवो प्रचुर वि० [सं.] बहु; खूब प्रच्छन्न वि० [सं.] छूफु; ढांकेलं; गुप्त प्रजनन पुं० [सं.] प्रजोत्पत्ति (२) जणवू
के जणावq (दाईए) ते (३) पिता प्रजा स्त्री० [सं.] संतान; परिवार (२)
रैयत प्रजातंत्र पुं० [सं.] प्रजा द्वारा-तेना प्रतिनिधिथी चालतुं राज्यतंत्र; लोकशाही राज्यव्यवस्था [(३) पिता प्रजापति पुं० [सं.] ब्रह्मा (२) राजा प्रजावती स्त्री० [सं.] बहु प्रजावाळी
स्त्री (२) सगर्भा (३) भाभी प्रजासत्ता स्त्री० [सं.]प्रजातंत्र. ०क वि० प्रज्ञ वि० [सं.] विद्वान; जाणकार । प्रज्ञा स्त्री० [सं.] बुद्धि; विवेकशक्ति.
चक्षु वि० ज्ञानी (२) अंध प्रज्वलन पुं० [सं.] बळवू के सळगq ते प्रज्वलित वि० [सं.] बळतुं; धगधगतुं प्रण पुं० पण; प्रतिज्ञा प्रणत वि० [सं.] नमेलु के नमन करतुं (२) नम्र (३) पुं० दास; भक्त. ०पाल पुं० दास के भक्तनो पाळनार प्रणति स्त्री० [सं.] नमन; प्रणाम (२)
नम्रता (३) विनंती । प्रणय पुं० [सं.] प्रेम (२) प्रेमपूर्वक विनंती (३) विश्वास; श्रद्धा (४) मोक्ष (५) प्रसव; छुटकारो प्रणयन पुं० [सं.] रचना; निर्माण प्रणयी वि० [सं.] प्रेमपात्र; प्रेमी (२) पुं० पति (स्त्री० -यिनी) प्रणव पुं० [सं.] ओमकार (२) परमेश्वर प्रणवना सक्रि० प्रणामवं; नमवू
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प्रणाम
प्रणाम पुं० [सं.] नमस्कार. -मी वि० प्रणाम करनार
प्रणाली स्त्री० [सं.] प्रथा, परंपरा, रिवाज (२)शैली; रीत (३) पाणी जवानी नीक; 'नाली' [ अर्पण; भक्ति
प्रणिधान पुं० [ सं . ] एकाग्रता; ध्यान ( २ ) प्रणिपात पुं० [सं.] प्रणाम; पगे लागवुं प्रणीत वि० [ सं . ] रचित; बनावेलुं (२)
मंतरेलुं (३) पुं० मंतरेलुं पाणी प्रणेता पुं० [सं.] रचनार; कर्ता प्रताप पुं० [सं.] प्रभाव; तेज; बळ; वीरता ०वान, - पी वि० प्रतापवाळं प्रतारक वि० [सं.] ठगनार; छेतरनार प्रतारण पुं०, -णा स्त्री० ठगवुं के छेतर ते
प्रतिचा स्त्री० धनुषनी प्रत्यंचा प्रति अ० [ सं . ] भणी; तरफ (२) स्त्री० प्रत; नकल
प्रति ( - ती ) कार पुं० [सं.] सामनो; बदलो [विरुद्ध (२) उपाय; इलाज प्रतिकूल वि० [सं.] प्रतिकूळ; नामाफक; प्रतिकृति स्त्री० [ सं . ] छबी ; प्रतिमा ( २ ) नकल (३) प्रतिबिंब ( ४ ) प्रतिकार; बदलो
प्रतिक्रिया स्त्री० [सं.] प्रतिकार ( २ ) सामेथी परिणमती क्रिया; प्रत्याघात प्रतिग्रह पुं० [सं.] ग्रहण करवुं ते ( २ ) पाणिग्रहण; विवाह (३) सामे थवुं के जवाब आपको [ रुकावट प्रतिघात पुं० [ सं . ] प्रत्याघात (२) बाधा; प्रतिच्छाया [ सं . ], प्रतिछाँई (ह, ही ), प्रतिछाया स्त्री० पडछायो ( २ ) प्रतिबिंब प्रतिज्ञा स्त्री० [ सं . ] पण; वचन; शपथ; एकरार
३३८
प्रतियोगी
प्रतिदान पुं० [सं.] परत करवुं ते (२) बदलो प्रतिदिन अ० [सं.] रोज; नित्य प्रतिद्वंद्वी पुं० [ सं . ] सामेवाळो; शत्रु (२) बरोबरियो -द्विता स्त्री० विरोध; सामनो
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प्रतिध्वनि स्त्री० [ सं . ] पडघो प्रतिनिधि पुं० [सं.] प्रतिमा (२) ने बदले काम करवाना अवेज - अधिकारवाळो प्रतिपक्ष पुं० [सं.] विरोधपक्ष ( २ ) विरोधी प्रतिवादी; शत्रु -क्षी पुं० विरोधी; शत्रु
प्रतिपत्ति स्त्री० [ सं . ] प्रतीति; ज्ञान (२) प्रतिपादन; समर्थन; निरूपण
و
प्रतिपदा स्त्री० [सं.] पडवो प्रतिपन्न वि० [सं.] प्रतीत; जाणेलुं (२) साबित के नक्की थयेलुं (३) शरणे आवेलुं
प्रतिपादन पुं० [सं.] प्रतिपत्ति; समज (२) समर्थन; साबित के सिद्ध करवुं ते प्रतिपालक पुं० [ सं . ] पालक; रक्षक. -न पुं० पालन; रक्षण [ परिणाम; फळ प्रतिफल पुं० [ सं . ] छाया ; प्रतिबिंब ( २ ) प्रतिबंध पुं० [सं.] मनाई ( २ ) रुकावट; बाधा (३) प्रबंध; बंदोबस्त. ०क वि० प्रतिबंध करनाएं
प्रतिबंधु पुं० [सं.] भाई समान ते प्रतिबिंब पुं० [सं.] पडछायो ( २ ) प्रतिमा; छबी (३) अरीसो
प्रतिभा स्त्री० [ सं . ]असाधारण बुद्धिशक्ति प्रतिभू पुं० [सं.] जामिन प्रतिमा स्त्री० [सं.] मूर्ति ( २ ) प्रतिबिंब प्रतियोगिता स्त्री० [सं.] हरीफाई; होड (२) विरोध [ भागीदार प्रतियोगी पुं० [सं.] शत्रु हरीफ (२) साथी;
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प्रतिलिपि प्रतिलिपि स्त्री० [सं.] नकल; 'कॉपी' प्रतिलोम वि० [सं.] ऊलटा क्रमवाळं
(२) प्रतिकूळ (३) हलकुं प्रतिवाद पुं० [सं.] सामे वाद - खंडन के तेनी चर्चा या जवाब. -दी पुं० प्रतिवाद करनार (२) प्रतिपक्षी प्रतिवास पुं० [सं.]पडोश.-सी पुं० पडोशी प्रतिवेश पुं० [सं.]पडोश. -शी पुं० पडोशी प्रतिशब्द पुं० [सं.] पडघो । प्रतिशोध पुं० [सं.] बदलो; वेर प्रतिषिद्ध वि० [सं.] निषिद्ध; मना; वयं प्रतिषेध पुं० [सं.] निषेध;मनाई (२)खंडन प्रतिष्ठा स्त्री० [सं.] स्थापना (२) मतिनी
स्थापना (३)यश आबरू(४)स्थान;जगा प्रतिष्ठान पुं० [सं.] स्थापq ते (२) देव इ० नी प्रतिष्ठा (३) स्थान; जगा प्रतिष्ठित वि० [सं.] प्रतिष्ठा थयेलु के
पामेलं [-धी पुं० हरीफ प्रतिस्पर्धा स्त्री० [सं.] स्पर्धा; हरीफाई. प्रतिहत वि० [सं.] पार्छ पडेलु; रोकायेखें
(२) निराश [प्रतिहारी प्रतिहार पुं० [सं.] दरवाजो; द्वार (२) प्रतिहारी पुं० [सं.] द्वारपाळ प्रतीक वि० [सं.] ऊलटुं (२) विरुद्ध (३)
पुं० चिह्न (४)प्रतिरूप (५) अंग;अवयव प्रतीकार पुं० [सं.] जुओ 'प्रतिकार' प्रतीक्षा स्त्री० [सं.] राह; वाट (२)
परिपालन; भरणपोषण प्रतीची स्त्री० [सं.] पश्चिम दिशा. ०न, ।
-च्य वि० पश्चिमनुं प्रतीत वि० [सं.] विदित; ज्ञात; समजायेलं.
-ति स्त्री० ज्ञान; समज (२) विश्वास प्रतीप वि० [सं.] ऊलटं; सामेनुं पक्षी प्रतुद पुं० [सं.] चांचथी तोडीने खानार
प्रदीप्ति प्रतोली स्त्री० [सं.] नानी सडक; गली प्रत्न वि० [सं.] प्राचीन, पुराणुं प्रत्यंचा स्त्री० [सं.] धनुषनी दोरी प्रत्यक्ष वि०सं.] आंखो सामेनं: उघाडं
(२) पुं० प्रत्यक्ष प्रमाण प्रत्यय पुं० [सं.] प्रतीति; विश्वास (२)
पतीज (३) व्याकरणनो प्रत्यय प्रत्यागत वि० [सं.] पार्छ आवेलुं प्रत्यागमन पुं० [सं.] पार्छ आवq ते प्रत्याघात पुं० [सं.] प्रतिक्रिया; टक्कर प्रत्यावर्तन पुं० [सं.] पार्छ आवq ते प्रत्याशा स्त्री० [सं.] आशा; भरोसो प्रत्युत अ० [सं.] बल्के; ऊलटुं प्रत्युत्तर पुं० [सं.] उत्तरनो उत्तर; पडउत्तर
[उपकार प्रत्युपकार पुं० [सं.] उपकार सामे प्रत्यूष पुं० [सं.] सवार (२) सूर्य प्रत्येक वि० [सं.] दरेक प्रथम वि० [सं.] पहेलु (२) मुख्य. पुरुष पुं० पहेलो पुरुष (व्याकरणमां) प्रथा स्त्री० [सं.] रिवाज; रीत प्रदक्षिण पुं०, -णा स्त्री० [सं.] भक्तिथी
चारे तरफ फरवू ते प्रदर पुं० [सं.] एक स्त्री-रोग प्रदर्शक पुं० [सं.] देखाडनार (२) जोनार; प्रेक्षक. -न पुं० देखाडवं ते (२) जुओ 'प्रदर्शनी' प्रदर्शनी स्त्री० प्रदर्शन; 'नुमाइश' प्रदान पुं० [सं.] दान; भेट (२) विवाह प्रदायक वि० [सं.] देनार; दाता प्रदाह पुं० [सं.] दाह; बळतरा प्रदीप पुं० [सं.] दीवो (२) प्रकाश प्रदीप्त वि० [सं.] प्रकाशित; उज्ज्वळ प्रदीप्ति स्त्री० [सं.] प्रकाश (२) चमक
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प्रदेश
प्रदेश पुं० [सं.] देशनो विभाग ; प्रांत (२) स्थान (३) वें माप
प्रदोष पुं० [सं.] सूर्यास्त; संध्याकाळ प्रद्योत पुं० [सं.] किरण ( २ ) दीप्ति, चमक प्रधान वि० [सं.] मुख्य (२) उत्तम (३) पुं० सचिव, वजीर (४) सृष्टिनुं प्रधान के मूळतत्त्व
३४०
प्रध्वंस पुं० [ सं . ] ध्वंस; नाश प्रपंच पुं० [सं.] सृष्टिनो विस्तार; जंजाळ (२) झंझट; बखेडो (३) ढोंग; छळ. - ची वि० प्रपंचवाळु
प्रपत्ति स्त्री० [ सं . ] अनन्य भक्ति ( २ ) शरण ले [ शरणागत प्रपन्न वि० [सं.] प्राप्त; पहोंचेलुं (२) प्रपात पुं० [ सं . ] धोध (२) ऊभी भेखड प्रपितामह पुं० [ सं . ] पडदादा; दादाना पिता प्रफुल्ल वि० [सं.] खीलेलं (२) फूलेलुं - फालेलुं (३) प्रसन्न [ निबंध प्रबंध पुं० [ सं . ] व्यवस्था; बंदोबस्त ( २ ) प्रबल वि० [सं.] प्रबळ; बळवान (२) उग्र; जोरदार [(३) प्रफुल्ल प्रबुद्ध वि० [सं.] जागेलुं; चेतेलुं (२) ज्ञानी प्रबोध, ०न पुं० [ सं . ] ज्ञान; चेतना; जागृति (२) सांत्वन; दिलासो ( ३ ) चेतवणी प्रबोधना स०क्रि० ( प. ) जगाडवुं; चेतववुं (२) दिलासो आपको [ अगियारश प्रबोध ( - धि)नी स्त्री० [सं.] देवऊठी प्रभव पुं० [ सं . ] जन्म; उत्पत्ति (२) सृष्टि प्रभा स्त्री० [सं.] तेज; चमक, प्रकाश प्रभाकर पुं० [सं.] सूर्य, चंद्र के अग्नि प्रभाकीट पुं० [सं.] आगियो प्रभात पुं० [सं.] सवार ती स्त्री० प्रभातियुं
प्रभाव पुं० [सं.] महिमा ; प्रताप ( २ )
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प्रयुत
शक्ति (३) दोरदमाम ( ४ ) असर प्रभावित वि० [ सं . ] प्रभावमां आवेलुं प्रभास पुं० [ सं . ] तेज; ज्योति प्रभु पुं० [सं.] स्वामी; अधिपति ( २ ) परमेश्वर
प्रभृति अ० [सं.] वगेरे; इत्यादि प्रमत्त वि० [सं.] मस्त; नशामा चकचूर (२) पागल
प्रमदा स्त्री० [ सं . ] युवती; प्रेमदा प्रमाण पुं० [सं.] साचा ज्ञाननुं साधन (२) पुरावो; साबिती (३) परिमाण; माप; मर्यादा
प्रमाणपत्र पुं० [सं.] खातरीपत्रक
योग्यता इ०नुं
[ प्रमाणवाळु प्रमाणित वि० [सं.] साबित; सिद्ध; प्रमाद पुं० [सं.] सुस्ती, आळस ( २ ) भूल; भ्रांति; गफलत ( ३ ) मद; नशो. -दी वि० प्रमादवाळूं प्रमीला स्त्री० [सं.] तंद्रा (२) शिथिलता प्रमुख वि० [सं.] मुख्य; प्रधान ( २ )
मान्य; अग्रेसर (३) अ० इत्यादि प्रमेय वि० [सं.] जेनुं ज्ञान के माप मळी शके एवं
प्रमेह पुं० [सं.] एक मूत्ररोग प्रमोद पुं० [ सं . ] मजा; आनंद; मनोरंजन प्रयत्न पुं० [ सं . ] महेनत; कोशिश प्रयागवाल पुं० प्रयागतीर्थनो पंडो प्रयाण पुं० [ सं . ] जवुं के ऊपडवुं ते (२)
आक्रमण (३) आरंभ
प्रयास पुं० [सं.] प्रयत्न; महेनत प्रयुक्त वि० [सं.] जोडायेलं; लागेल (२) काममां आणेलुं; प्रयोजायेलुं प्रयुत वि० [सं.] सहित (२) मळेलुं (३) पुं० दस लाख; 'मिलियन'
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प्रयोग
३४१
प्रसुप्ति प्रयोग पुं० [सं.] काममा लेवु-वापरतुं ते प्रवाही वि०[सं.] वहेतुं के वहे एवं (२) (२) अजमावी के वापरी जोवू ते (३) स्त्री० रेती दाखलो; दृष्टांत (४) मंत्रनो प्रयोग प्रविसना अ० क्रि० (प.) प्रवेशवं (५) व्याजे धीरवू ते
प्रवीण वि० [सं.] कुशळ; होशियार प्रयोजक पुं० [सं.] प्रयोग करनार प्रवृत्त वि० [सं.] (काममां) लागेलं के प्रयोजन पुं० [सं.] अर्थ; हेतु (२) मतलब;
लगाडेलु; रोकायेखें गरज (३) उपयोग
प्रवृत्ति स्त्री० [सं.] वलण; रुचि; झुकाव प्रलंब वि०[सं.] अति लांबु (२) लटकतं; (२) कामकाज (३) संसारनुं कामकाज टींगावेलु (३) सुस्त; ढीलु (४) पुं०
के तेमां लागq ते [पहोंच लटकवू ते (५) डाळी
प्रवेश पुं०[सं.] दाखल थq ते (२) गति; प्रलय पुं० [सं.] लय थर्बु ते (२) संसारनो । प्रवज्या स्त्री० [सं.] संन्यास सर्वनाश. -यंकर वि० प्रलयकारी
प्रशंसा स्त्री० [सं.] वखाण; तारीफ.-सक प्रलाप पुं० [सं.] नकामो बकवाद; लवारो. पुं० वखाणनार (२) खुशामतियो. -पी वि० ते करनार
-सनीय वि० वखाणने पात्र प्रलेप,न पं०[सं.लेप, मलम इ० के ते प्रशस्त वि०[सं.]वखणायेलं;उत्तम.-स्ति ___ चोपडवू ते
स्त्री० प्रशंसा. -स्य वि० प्रशंसनीय प्रलोभ,०न पुं० [सं.] लोभ, लालच । प्रशाखा स्त्री० [सं.] शाखानी शाखा; प्रवंचना स्त्री० [सं.] वंचना; ठगाई।
डाळखी प्रवचन पुं० [सं.] स्पष्ट निरूपण के प्रश्न पुं० [सं.] सवाल. -श्नोत्तर पुं० विवरण(२)धर्म के नीति पर व्याख्यान सवाल-जवाब (२) पूछपरछ प्रवर वि० [सं.] श्रेष्ठ; मुख्य (२) पुं० ।
प्रश्रय पुं० [सं.] आश्रय (२) टेको संतान (३) अगरबत्ती (४) गोत्रना
प्रसंग पुं० [सं.] अवसर; मोको (२) मेळ; प्रवर्तक मुनि
___ लाग (३) बनाव (४) प्रकरण; विषय प्रवर्तक पुं० [सं.] संचालक (२) प्रथम प्रसन्न वि० [सं.] राजी; खुशी (२) स्वच्छ प्रवर्तावनार-चलावनार (३) मध्यस्थ; प्रसव पुं० [सं.] जनमवू ते; प्रसूति (२) पंच
संतान के फलफल प्रवर्तन पुं० [सं.] प्रवर्तQ के प्रवर्तावq ते प्रसाद पुं० [सं.] कृपा; महेरबानी (२) प्रवाद पुं० [सं.] वातचीत (२) कूथली; प्रसन्नता(३)निर्मळता (४)देवनो प्रसाद
निंदा (३) अफवा; ऊडती वात प्रसादी स्त्री० प्रसाद (२) वि० कृपाळु प्रवास पुं० [सं.] परदेश के त्यां निवास. (३) निर्मळ [संचार; गमन -सी वि० परदेशवासी. -सित वि० प्रसार पुं० [सं.] पसारो; फेलावो (२) देशनिकाल थयेलं
प्रसिद्ध वि० [सं.] जाणीतुं (२) शणगारेलं. प्रवाह पुं० [सं.] (पाणी इ०) वहेवू ते; -द्धि स्त्री० ख्याति (२) शणगार (२) वहेतुं पाणी (३) क्रम; प्रघात प्रसुप्त वि० [सं.] ऊंघेलं.-प्ति स्त्री० ऊंघ
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३४२
प्रसू
प्राणी प्रसू स्त्री० [सं.] जणनारी (२) माता प्रांत पुं० [सं.] प्रदेश; इलाको (२) सीमा प्रसूत पुं० प्रसूति बाद थतो स्त्री-रोग; (३) किनारो; छेडो
सुवारोग (२) संतान; प्रजा (३) प्रांतर पुं० [सं.] बे स्थानो के वच्चेनो वि० प्रसवेलुं खाट लावश स्त्री लांबो झाडपान वगरनो रस्तो के प्रसूता,-तिका स्त्री० [सं.] प्रसवथी वेरान प्रदेश [तेने लगतुं प्रसूति स्त्री० [सं.] जणवू ते; प्रसव (२) प्रांतिक, प्रांतीय वि० [सं.] प्रांतनु के उत्पत्ति (३) संतान; प्रजा
प्रांश वि० [सं.] ऊंचं प्रसून पुं० [सं.] फळ के फूल प्राइवेट वि० [इ.] खानगी; निजी प्रसेद पुं० (प.) प्रस्वेद; परसेवो प्राका (-ची)र पुं० [सं.] कोट; किल्लो प्रस्ताव पुं० [सं.] प्रसंग; अवसर (२) प्राकृत वि० [सं.] स्वाभाविक (२) चर्चा; प्रकरण; विषय (३) दरखास्त; भौतिक; प्राकृतिक (३) सामान्य; चर्चा माटेनो ठराव (४) प्रस्तावना । __ लौकिक; मामूली (४) स्त्री० प्राकृत प्रस्तावना स्त्री० [सं.] आरंभ के ते माटेगें। भाषा लखाण इ०; उपोद्घात ।
प्राकृतिक वि० [सं.] जुओ 'प्राकृत' प्रस्तुत वि० [सं.] प्रासंगिक; प्रसंगोचित; प्राक् वि० [सं.] पहेलं; पूर्व उपस्थित
प्राक्कथन पुं० [सं.] शरूना बे बोल; प्रस्थ पुं० [सं.] पहाड परनो सपाट प्रदेश; प्रस्तावना
'टेबल-लॅन्ड' (२) पहोळो विस्तार प्राक्तन पुं० [सं.] नसीब (२) वि० प्रस्थान पुं० [सं.] जq के ऊपडवू ते; प्राचीन; पहेलांनुं [मत-पद्धति प्रयाण (२) विजययात्रा
प्राक्सी स्त्री० [ई.] प्रॉक्सी; अवेजप्रस्वेद पुं० [सं.] परसेवो [भाग प्राङ्मुख वि० [सं.] पूर्वाभिमुख प्रहर पुं० [सं.] पहोर; दिवसनो ८ मो प्राची स्त्री० [सं.] पूर्व दिशा प्रहरी पुं० [सं.] दर पहोरे टकोरा प्राचीन वि० [सं.] पुराणुं; जूनूं; पूर्व
मारनार चोकीदार; पहेरावाळो प्राचीर पुं० [सं.] जुओ 'प्राकार' प्रहसन पुं० [सं.] हांसी; मश्करी (२) प्राचुर्य पुं० [सं.] प्रचुरता; बाहुल्य; एक प्रकारचें नाटक
अधिकता प्रहार पुं० [सं.] घा; मार
प्राच्य वि० [सं.] पूर्वन ; प्राचीन प्रहारना स०क्रि० (प.) प्रहार करवो प्राज्ञ वि० [सं.] बुद्धिमान; विद्वान
(२) अस्त्र फेंकवं [कोयडो; समस्या प्राण पुं० [सं.] वायु; हवा (२) जीव प्रहेलिका स्त्री० [सं.] जुओ 'पहेली'; (३) शक्ति; बळ. ०दंड पुं० मोतनी प्रांगण (--) पुं० [सं.] आंगणु; चोक सजा. ०दान पुं० जीवन आपq ते प्रांजल वि० [सं.] सीधु; सरळ (२) साचु; (२) मोतथी कोईने बचावq ते • प्रामाणिक; सालस [हाथवाळं प्राणांत पुं० [सं.] मोत प्रांजलि वि० [सं.] दीनताथी जोडेला प्राणी पुं० [सं.] जीव (२) जंतु
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प्रातः
प्रातः[ सं . ], प्रात ( प. ) पुं० सवार (२) अ० सवारे [ परवारबुं ते प्रातः कर्म पुं० [सं.] सवारमा शौचादिथी प्रातःकाल पुं० [सं.] सवार प्रातःस्मरण पुं० [ सं . ] सवारनुं ईश्वरस्मरण. -णीय वि० पूज्य [आदि प्राथमिक वि० [सं.] प्रारंभिक; शरूनुं; प्रादुर्भाव पुं० [सं.] अस्तित्वमा आव के प्रगट थवुं ते (२) उत्पत्ति प्रादुर्भूत वि० [सं.] प्रगट थयेलुं; हयातीमां आवेलुं (२) उत्पन्न प्रादेशिक वि० [सं.] प्रदेशनुं के ते संबंधी प्राधान्य पुं० [ सं . ] मुख्यत्व (२) श्रेष्ठता प्रापना स०क्रि० ( प. ) पामवुं; प्राप्त थवं प्राप्त वि० [ सं . ] मळेलुं के मेळवेलुं (२) पेदा थयेलुं के आवी मळेलं. ०काल पुं० उचित समय ( २ ) मरणकाळ प्राप्तव्य, प्राप्य वि० [सं.] मेळवावा योग्य प्राप्ति स्त्री० [ सं . ] प्राप्त थवुं ते ( २ ) आवक; मळतर (३) भाग्य प्राबल्य पुं० [ सं . ] प्रबळता; जोर प्रामाणिक वि० [सं.] प्रमाणसिद्ध ( २ ) मानवा जेवुं (३) ठीक; साचुं प्रामिसरी नोट पुं० [इं.] हूंडी के चलणी नोट [ घणुं करीने प्रायः अ० [ सं . ] लगभग ( २ ) बहुधा ; प्राय ( -यो ) द्वीप पुं० [सं.] द्वीपकल्प प्रायशः अ० [सं.] प्रायः; घणुं करीने प्रायश्चित्त पुं० [ सं . ] पाप धोवा करातुं कर्म [सामान्य प्रायिक वि० [सं.] प्रायः थाय एवं; प्रायोगिक वि० [सं.] नित्य प्रयोग के उपयोगमां आवतुं
प्रायद्वीप पुं० [सं.] जुओ 'प्रायद्वीप'
३४३
प्रियंवद
प्रायोपवेश, ०न पुं० [सं.] प्राणांतक अनशनव्रत - शी वि० ते करनार प्रारंभ पुं० [सं.] शरूआत ( २ ) उपाडेलुं काम - भिक वि० शरूनुं; आदि प्रारब्ध पुं० [सं.] नसीब (२) वि० शरू थयेलुं के करायेलुं
प्रार्थना स्त्री० [सं.] विनंती; नम्र निवेदन (२) याचना; मागणी (३) उपासना; ईश्वर - स्तुति (४) स० क्रि० ( प. ) प्रार्थना करवी. ०पत्र पुं० निवेदन-पत्र; अरजी [ याचनार; उमेदवार प्रार्थी वि० [सं.] प्रार्थना करनार; इच्छुक; प्रालेय पुं० [सं.] जुओ ' पाला प्राविट ( प. ), प्रावृट्, -, -षा [सं.] [स्त्री० वर्षाऋतु
"
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सदस्य
प्राशन पुं० [सं.] अशन; खावुं ते प्राशी वि० [सं.] खानार; प्राशन करनार प्राश्निक पुं० [सं.] प्रश्नकार (२) सभानो [ लगतुं के ते विषेनुं प्रासंगिक वि० [सं.] प्रसंग पूरतुं के ते प्रासाद पुं० [ सं . ] महेल प्रासादिक वि० [सं.] दयाळु कृपाळु (२) सुंदर; सरस; प्रसन्न प्रासीक्यूटर पुं० [इं.] प्रोसिक्यूटर; केस कोर्ट आगळ मूकनार वकील प्रास्पेक्टस पुं० [इं.] प्रॉस्पेक्टस संस्था के मंडळीनुं निवेदन के बोधपत्र प्राण, ०क पुं० [सं.] परोणो; महेमान प्रिंटिंग स्त्री० [इं.] छपाई; छापकाम.
• प्रेस पुं० छापखानुं . ० मशीन स्त्री० छापवानुं यंत्र; प्रेस प्रिंसिपल पुं० [इं.] प्रिन्सिपाल; आचार्य (२) मुद्दल
प्रियंवद वि० [ सं . ] प्रिय लागे एवं बोलनार
O
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प्रिय
प्रिय वि० [सं.] वहालुं; प्यारुं (२) पुं० स्वामी (३) जमाई (४) भलुं; हित प्रिया स्त्री० [ सं . ] स्त्री ( २ ) पत्नी (३) [स्त्री० प्रीति
माशक
पुं०,
अति प्रिय
प्रीत वि० [सं.] प्यारुं; प्रिय ( २ ) प्रीतम पुं० पति (२) वि० प्रीति स्त्री० [सं.] प्रेम; स्नेह ( २ ) खुशी; प्रसन्नता. oभोज पुं० प्रीतिभोजन; जमण [ प्रूफ प्रूफ पुं० [इं.] साबिती (२) छापखानानुं प्रूम पुं० दरियानी ऊंडाई मापवानी दोनो सीसानो गठ्ठो
प्रेक्षक पुं० [ सं . ] 'दर्शक '; जोनार प्रेक्षण पुं० [सं.] आंख ( २ ) जोवुं ते प्रेक्षा स्त्री० [सं.] जोवुं ते (२) नजर (३) प्रज्ञा
प्रेत पुं० [सं.] मरेलो जीव (२) भूत (३) पहोंचेल ने पूरो कंजूस के स्वार्थी
माणस
प्रेतकर्म पुं० [सं.] अंत्येष्टि; मरण पछीनो बधो विधि
३४४
प्रेतगृह पुं० [ सं . ] श्मशान के कबरस्तान के दखमं इ०
प्रेतनी, प्रेता [सं.] स्त्री० पिशाचणी; भूतडी
प्रेताशौच पुं० [सं.] सूतक; शोक प्रेती पुं० प्रेतपूजक
प्रेम पुं० [सं.] प्रीति; वहाल; स्नेह प्रेमिक वि० प्रेमी. का स्त्री० प्रिया; माशूक [ ( २ ) आशक प्रेमी वि० [सं.] प्रेम राखनार के करनार प्रेय ( ०स्) वि० [सं.] प्रिय; मनपसंद प्रेयसी स्त्री० [ सं . ] प्यारी स्त्री; 'प्रेमिका' प्रेरक पुं० [सं.] प्रेरनार; प्रेरणा देनार
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प्लीहा
प्रेरणा स्त्री० [सं.] कार्यमा लगाडवुं ते (२) प्रोत्साहन; उत्तेजना; उश्केरणी (३) दबाण; धक्को प्रेरित वि० [सं.] प्रेरायेलुं
प्रेषक पुं०[सं.] मोकलनार ( २ ) प्रेरक प्रेषण पुं० [सं.] मोकलबुं ते ( २ ) प्रेरणा प्रेस पुं० [इं.] छापखानुं के तेनुं यंत्र प्रेसिडेन्ट पुं० [इं.] प्रमुख; सभापति प्रोक्त वि० [सं.] कहेवायेलुं; उक्त प्रोग्राम पुं० [इं.] कार्यक्रम के तेनो पत्र प्रोटेस्टेन्ट पुं० [इं.] प्रोटेस्टन्ट ख्रिस्ती प्रोत वि० [सं.] ओतप्रोत (२) छुपायेलुं प्रोत्साह पुं० [सं.] उत्साह; उमंग. ०न पुं० उत्साह के उत्तेजना आपवां ते प्रोफेसर पुं० [इं. ] कॉलेजनो अध्यापक प्रोबेशन पुं० [इं.] नोकरीनो हंगामो प्रोमोशन पुं० [इं.] नोकरी के वर्गमां उपर चडवुं ते
प्रोषित वि० [सं.] 'प्रवासी'; परदेश गयेलुं प्रौढ़ वि० [सं.] आधेड उमरनुं; पीढ (२) परिपक्व पूरुं अनुभवी; समजु; ठरेल
प्लक्ष पुं० [सं.] पीपलानुं झाड प्लवंग,०म पुं०[सं.]वांदरुं (२) हरण; मृग प्लाट पुं० [इं.] प्लॉट; जमीननो टुकडो, (२) नाटकनुं वस्तु प्लान पुं० [इं.] नकशो; योजना प्लावन पुं० [ सं . ] पाणीनी रेल (२) खूब धोवुं ते (३) तरखुं ते oावित वि० [सं.] तरबोळ (२) पुं० रेल प्लास्टर पुं० [इं.] मकाननुं प्लास्टर ( २ ) दाक्तरी प्लास्टर
प्लीडर पुं० [इं.] वकील
हा स्त्री० [ सं . ] बरोळ; 'तिल्ली '
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प्लुत
प्लुत पुं० [सं.] 'पोई'; घोडानी एक रवाल ( २ ) प्लुत स्वर (३) वि० प्लावित; तरबोळ
फंक स्त्री० फांक; चीरी फंका पुं० फाको (२) फांक; चीरी फंकी स्त्री० फाकी
देना,
फंग (प.), फंद, दा पुं० फंद; बंधन; जाळ; कपट [ फसावुं फंदना अ० क्रि० ( प. ) फंदमां पडवु फंदवार वि० फंदामां नांखनार फंदा पुं० जुओ 'फंद'. - छुड़ाना = फंदामांथी मुक्त करवुं. - लगाना = फंदामां फसाववुं पड़ना, लगना = फंदामां पडवूं के फसावुं फंदाना स०क्रि० फंदमां नांखबुं फँसना अ०क्रि० फसावुं (प्रेरक फँसाना) फँसिहारा वि० फसावनार ( स्त्री०, - रिन ) फ़क़ वि० [ अ ] फग; सफेद (२) विवर्ण फक्किका स्त्री० [सं.] कोयडो; प्रश्न (२) फसामणी
फ़क़त अ० [ अ ] फक्त; केवळ; मात्र फ़क़ीर पुं० [ अ ] फकीर साधु ( २ ) भिखारी (३) गरीब- निर्धन माणस. -री स्त्री० फकीरपणुं
फ़क्र स्त्री० [ अ ] दीनता (२) फकीरी (३) जरूर पूरती ज कामना होवी ते फ़खर, फ़ा [फा.] पुं० घमंड; शेखी फ़ख़ीर वि० [ अ ] घमंडी; शेखी [अ० गर्वपूर्वक फ़ा पुं० [फा.] जुओ 'फ़खर - स्त्रिया
मारनार
३४५
फ
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फटका
प्लेग पुं० [इं.] कोगळियु; प्लेग रोग प्लैटफार्म पुं० [इं. ] प्लॅटफॉर्म फलाट प्लैटिनम पुं० [इं.] एक कीमती धातु
फगुआ पुं० होळी (२) फाग. - खेलना या मनाना = होळी रमवी. रंग गुलाल वगेरे नांखवां फगुहारा पुं० फगवो; घेरैयो फ़ज ( - जि) र स्त्री० [अ] सवार फ़जल पुं० जुओ 'फ़ज़्ल ' फ़जा स्त्री० [अ.] खुल्लुं मेदान ( २ ) शोभा
फ़जिर स्त्री० जुओ 'फ़जर'
फ़जिता पुं०, ती स्त्री० फजेतो; 'फ़ज़ीहत'
फ़ज़ीलत स्त्री० [अ०] मोटाई; श्रेष्ठता. -की पगड़ी = विद्वत्तानुं आदरमान फ़जीहत, ती स्त्री० [अ०] फजेती; दुर्दशा के बदनामी
फ़जूल वि० जुओ 'फुजूल' ० खर्च वि० उडाउ. ०खर्ची स्त्री० अपव्यय;
उडाउ
फ़ज्ल पुं० [अ०] अधिकता ( २ ) कृपा; दया फट ( - टि) क पुं० ( प. ) स्फटिक (२) अ० फट दईने; झट
फटकन स्त्री० झटकामण; उपणामण फटकना स०क्रि० झाटकवुं, ऊपणवु. -पछोरना = झाटकीने साफ करवुं (२) बरोबर तपासीने जोवुं फटका पुं० पींजणनो धोको (२) फट अवाज करे एवं ते
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फटकार ३४६
फन्त्री फटकार स्त्री० वढ, ते; झाटकणी; फड़फड़ाना स० क्रि० फफडाव, (२) ठपको. -खाना = तफडवू (२) ठपको अ०क्रि० फफडवू; डरQ (३)आतुर होवू खावो. -बताना= ठपको आपवो फड़बाज पुं० पोताने त्यां बोलावी फटकारना सक्रि० फटकारवू(२)झटको जुगार खेलावनार [फडियो; कणियो मारी खंखेरवु (३) पटकी पछाडीने फड़िया पुं० जुओ ‘फड़बाज़' (२) धोवू (४) मेळवq; काढी लेवु (५) फण पुं०,-णा स्त्री० [सं.] सापनी फेण. झटका साथे दूर फेंक (६) साफ ०धर, -गी पुं० साप । साफ ने सखत वात कही चूप कर; फ़तवा पुं० [अ.] फतवो; धर्मनी आज्ञा झाटकणी काढवी; ठपको आपवो फ़त (-ते)ह स्त्री० [अ. फ़तह] फतेह फटना अ०क्रि० फाटवं पहोंचवं फतिंगा पुं० ऊडनारुं जीवडु (२) पतंगियुं फट पड़ना अ०क्रि० ओचितुं आवी फ़तीलसोज पुं० [फा.] दीवी फटफट स्त्री० फटफट अवाज(२)बकवाद. फतीला पुं० [अ.] पलीतो
-होना=बोलाबोली के तकरार थवी फ़तूर पुं० 'फ़तूर'; फितूर (२) विघ्न; फटफटाना सक्रि० फडफडावQ (२) बाधा (३) दोष; विकार बकवाद करवो
फ़तूरिया वि० फितूरी; उपद्रवी फटसे अ० फट दईने; झट। फ़तूह स्त्री० [अ. 'फ़तह - ब. व.] फतेह फटिक पुं० (प.) स्फटिक (२) संगेमरमर फ़तूही स्त्री० [अ.] सदरो (२) लूट फटा पुं० फाट; छेद (२) स्त्री० [सं.] के लडाईनो माल सापनी फणा (३) गर्व; शेखी (४) फ़ते, ०ह स्त्री० जुओ 'फ़तह' छळ; दगो. फटमें पाँव देना=कोईना फदकना अ०क्रि० फदफदवू; खदखदQ झघडामां वच्चे पडq. फटे हालों फन पुं० फणा; फेण । रहना = बूरी दशामां होवू
फ़न पुं० [फा.] खुबी (२) विद्या; कळाफट्टा,-ट्ठा पुं० वांसजें खपाटियु (२) कौशल्य (३) फंद; छळ सापनो) टाटियु. -उलटना, -लौटना=देवाळ फनकार स्त्री० फू अवाज (जेम के, नीकळवू
फनगना अ० क्रि० फणगो फटवो फड़ स्त्री० जुगारखानु (२) दाव (३) फनगा पुं० फणगो; अंकुर (२) जुओ
सोदा करवान बजार के जगा __ 'फतिंगा' फड़ पुं० जुगारनो अड्डो के तेनो दाँव फनस पुं० फणस फळ (२) दुकानदारनी बेठक
फ़ना स्त्री० [अ.] नाश; खुवारी (२) फड़कना अ०क्रि० फरकवू (२) धबधबवू; । समाधिमां लीन थq ते; तादात्म्य ऊछळवू. फड़क उठना या जाना=राजी फ़ना-फ़ी-अल्लाह पुं० [अ.] ईश्वरमां राजी थई जवं
तन्मय दशा फड़नवीस पुं० (मराठा काळमां) एक फ़नून पुं० ब० व० जुओ 'फुनून' मोटो महेसूली के खजानानो अमलदार फनी स्त्री० फाचर (२) साळनी फणी
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फफदना
३४७
फरहरना फफदना अ०क्रि० फदफदवू (२) जुओ फ़रदा अ० [फा.] आवती काले (२) 'फबकना'
स्त्री० कयामतनो दिन फफसा पुं० फेफसु (२) वि० खाली फूलेलं फरफंद पुं० दावपेच (२) फंद; नखरां
पण अंदरथी पोल (३) फीलं; स्वादहीन फरफराना अ० क्रि० फरफरवू; लहेरवू फफूंदी स्त्री० फूग
फ़रबा वि० [फा.]जाडु; स्थूल शरीरवाळं. फफोला पुं० फोडलो; फफोलो
(नाम, -बही स्त्री०) [फ़रमाँ-रवा' फबकना अ० क्रि० (झाड छोड इ०) फ़रमाँ-गुजार पुं० [फा.] बादशाह; खीलवू; फूटवू; वधवू
फ़रमाँ-बरदार वि० [फा.] फरमान फबती स्त्री० समयने अनुकूळ वात (२) माननार [(२) बादशाह व्यंग; कटाक्ष. -उड़ाना-हांसी करवी. फ़रमां-रवा पुं० [फा.] फरमान करनार
-कसना, -कहना= कटाक्ष कर फरमा पुं० फरमो । फबना अ०क्रि० शोभq (नाम, फबन । फ़रमाइश स्त्री० [फा.] फरमाश; आज्ञा स्त्री०)
[(नाम, -जी) फ़रमाइशी वि० [फा.]फरमाव्या प्रमाणेफ़य्याज वि० [अ.] उदार; दानी; दोलुं । फरमान पुं० [फा.] आज्ञा; हुकम के फ़र पुं० [फा.] शोभा; सजावट तेनी सनद
[करवी फ़रउन पुं० [अ.] मगर (२) मिसरनो । फ़रमाना स० क्रि० फरमाव; आज्ञा एक अभिमानी नास्तिक बादशाह फरलांग पुं० [इ.] फलांग; माईलनो (३) अत्याचारी के घमंडी
आठमो भाग फ़रउनी स्त्री घमंड के दुष्टता [फासलो फरवरी पुं० फेब्रुआरी फ़रक़ पुं० फरक; फेर (२) अंतर; फरवार पुं० खळं. -री स्त्री० खळाफरक (०न) स्त्री० (अंग) फरकवू ते
मांथी वसवायांने अपातुं अन्न .. फरकना अ०क्रि० फरकवू (२) फरफरवू फरवी स्त्री० ममरा फरजंद पुं० [फा.] संतान; पुत्र. -दी फ़रश पुं० [अ.फ़र्श] बिछानु (२) बेसवानी स्त्री० पुत्रभाव
सपाट जमीन (३) फरसबंधी के पाकी फ़रज पुं० जुओ 'फ़र्ज़'
बनावेली जमीन फ़रज स्त्री० जुओ 'फ़र्ज़'
फ़रशबंद पुं० जुओ 'फ़रश' फरजी पुं० [फा. शेतरंजनो वजीर फरशी स्त्री० हूको (२)वि० फरसने लगतुं (२) वि० जुओ 'फ़र्जी
फरसा पुं० फरशी; परशु फरजीबंद पुं० [फा.] शेतरंजमां वजीरथी फरसूदा वि० [फा.] जरी-पुराणुं; रद्दी मात करवानो एक दाव
(२) थाकेलं (३) बेहाल [बुद्धिमत्ता फ़रद स्त्री० [अ. फ़र्द] व्यक्ति; एक फ़रहंग स्त्री० [फा.] शब्दकोश (२) जण (२) यादी (३) खोळ, गलेफ फरह(०त) स्त्री० [अ.] आनंद; खुशी जेवानं कोई एक बाजन कपडु (४) फरहद पुं० एक झाड [फरफरवू वि० अजोड; अद्वितीय
फरहर (-रा)ना अ० क्रि० फरकवू;
Niliilllilli umiliit
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३४८
फ़र्जन् फरहरा पुं० वावटो (२) वि० अलग; फरिश्ता पुं० [फा.] फिरस्तो; देवदूत
छूटुं (३) शुद्ध; चोख्खं (४) खीलेलं फरी स्त्री० ढाल फ़रहाँ वि० [फा.] खुश; आनंदी फरीक पुं० [अ.] टोळी; जथो (२) फरहा पुं० धजा; पताका
झघडानो कोई एक पक्ष ['मुद्दई' फरहाद पुं० [फा.] शिल्पी; पथ्थरफोडो फरीक-औवल पुं० [अ.] केसनो वादी;
(२) एक प्रसिद्ध प्रेमी व्यक्ति फ़रीक-बंदी स्त्री० [फा.] तरफदारी फराक पुं० मेदान; खुल्ली जगा (२) फ़रीक-सानी पुं० [अ.] केसनो प्रतिवादी;
पहेरवानुं फराक(३)वि० जुओ 'फ़राख' _ 'मुद्दा-लेह' फराक्त वि०(प.) जुओ 'फ़राख' (२) फरीकन पुं० 'फ़रीक़' नुं ब० व० स्त्री० जुओ 'फ़राग़त'
फ़रीजा पुं० [अ.] खुदानी फरमायेली फ़राख वि० [फा. विस्तृत; लांबुं पहोळु; । आज्ञा के फरज (नमाज, रोजा इ०)
विशाळ [नहि-छूटा हाथवाळं फरही स्त्री० नानो पावडो फ़राख-दस्त वि० [फा.] खर्चमां कंजूस फरेंद,दा पुं० पारस जांबुं फ़राखी स्त्री० [फा.] फेलावो; विस्तार फ़ोफ्ता वि० [फा.] फरेबमां सपडायेलं
(२) समृद्धि; बहुलता (३) घोडानो तंग (२) आसक्त। फ़रागत स्त्री० [अ.] छुटकारो (२) फ़रेब पुं० [फा.] फरेब; दगो; कपट (२) निश्चितता (३) मळत्याग. -जाना- चालाकी. कार,-बी वि० दगो देनार.
शौच ज.-पाना, होना निश्चित थवं खर्दा वि० छेतरायेलं फरामोश वि० [फा.] भुलायेलु; विस्मृत ___फ़रो अ० [फा. फ़िरो] नीचे; वशमां (२) फ़रायज पुं० [अ. 'फ़र्ज़' नुं ब० व०] वि० नीच (३) शांत; दावमां आवेलं कर्तव्यकर्मो
[नाठेखें फरोख्त स्त्री० [फा. फ़िरोख्त] वेचाण फरार (-री) वि० [अ. फ़िरार] भागेलं; । फ़रोग पुं० प्रकाश; चमक. -पाना = फरासीस पुं० [फा.] फ्रांस देश के तेनो नामना मळवी
निवासी. (वि०,-सी) [-मी-संग्रह) रो-गुजाश्त स्त्री० [फा. उपेक्षा (२) फ़राहम वि० [फा.] एकछं; जमा. (नाम, आनाकानी (३) भूल; त्रुटी फरिया पुं० एक जातनो लेंघो फ़रोद अ० [फा. नीचे (२) पुं० ऊतरवूफरियाना सक्रि० वस्तु प्रथम धोईने ____मुकाम करवो ते [(नाम, -शी) तारवी काढवी-चोख्खा पाणीमां फरी फ़रोश वि० [फा. फ़िरोश] वेचनार झबोळवी के धोवी (२) फैसलो करवो; फ़र्क पुं० [अ.] फरक
योनि 'निबटना' (३) अ.क्रि० फैसलो थवो फ़र्ज स्त्री० [अ.] चीरो; फाट (२) स्त्रीनी (४) वस्तु तारवी कढावी
फर्ज पुं० [अ.] फरज; कर्तव्य (२) फ़रियाद स्त्री० [फा.] अरजी (२) दावो मान्यता; कल्पना; धारणा. - करना (३) जुलम के अन्याय सामे पोकार. =मानवू; धारवं.-पढ़ना-नमाज पढवी -दी पुं० फरियाद करनार फ़र्जन अ० मानीने; मान्यतापूर्वक
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फ़ज़न्द
फ़र्जन्द पुं० [फा.] फरजंद; संतान फ़र्ज़न्दी स्त्री० [फा.] पुत्रपणुं; पुत्रभाव. - में लेना : = दत्तक लेवुं ( २ ) जमाई करवो
फ़र्जीनगी स्त्री० [फा.] बुद्धिमत्ता (२) विद्या ( ३ ) योग्यता; गुण फ़र्जाना वि० [फा.] बुद्धिमान ( २ ) पंडित फ़र्जी वि० [फा.] मानेलुं; कल्पित ( २ ) नामनुं [ 'फ़रद' फ़र्द स्त्री० (२) वि० [फा.] जुओ फ़र्दन् ( ० फ़र्दन्) अ० [फा.] अलग अलग; . दर माणसे
फर्राटा पुं० वेग; तेजी फ़र्रार वि० [अ] जोरथी दोडनाएं फ़र्राश पुं० [ अ ] फरास ( २ ) नोकर फ़र्राश खाना पुं० [अ + फा.] फरासखानुं फ़र्रुख वि० [फा.] सुंदर ; मनोहर ( २ )
सरस
३४९
फ़र्श पुं० [ अ ] जुओ 'फ़रश' फ़र्शी स्त्री० (२) वि० [फा.] जुओ 'फ़रशी' फ़र्शी - सलाम स्त्री० फरस सुधी नमीने करेली सलाम; कुनिश [ फळं फल पुं० [ सं . ] फळ (२) (हथियार इ० फ़लक पुं० [ अ ] फलक; आकाश फलका पुं० फफोलो; छालुं फलदान पुं० [सं.] सगाई करवानो विधि फलदार वि० फळवालुं (२) फळे एवं;
नुं)
फळाउ
फलन पुं० [सं.] फळवुं ते फलना वि० फळवु (२) फलदायी थवुं. –फूलना=फूलबुंफालबुं फलश ( स ) पुं० [सं.] फणस फ़लसफ़ा पुं० [अ०] फिलसूफी; 'फ़ल्सफ़ा ' फ़लसफ़ी पुं० फिलसूफ; 'फ़ल्सफ़ी'
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फ़साहत
फ़लाँ, - लाना वि० [फा.] फलाणुं; अमुक फलाँग स्त्री० फलंग (अ०क्रि०, ०ना) फ़लाकत स्त्री० [अ.] गरीबी (२) कष्ट फ़लातू, तून पुं० प्लेटो; अफलातून फ़लाला वि० फलाणु; 'फ़लाँ' फलार, - हार [सं.] पुं० फलाहार; फराळ फलाली ( - ले, - लै) न पुं० [इं.] फलालीन -गरम कपडुं
फलाहार पुं० [ सं . ] जुओ 'फलार' फ़लासिफ़ा पुं० [अ.] फिलसूफी फ़लाह स्त्री० [अ.] फतेह; सफळता (२) सुख (३) परोपकार; भलाई फ़लाहत स्त्री० [ अ ] खेतीवाडी फलित वि० [सं.] फळेलं; नीपजेलुं (२) पुं० फळझाड. - तार्थ पुं० सार; निचोड फली स्त्री० फळी; सिंग फ़लीता पुं० पलीतो; 'फ़तीला' फलेंदा, फलेंद्र [सं.] पुं० जुओ 'फरेंदा' फ़ल्सफ़ा पुं० [अ.] फिलसूफी; तत्त्वज्ञान फ़ल्सफ़ी वि० फिलसूफ; तत्त्वज्ञानी फ़वायद पुं० [ अ ] 'फ़ायदा' नुं ब० व० फव्वारा पुं० फुवारो; 'फ़ौव्वारा' फ़सकड़ा पुं० पलांठो. - मारना=पलांठो मारवो; पलांठी वाळवी
फसकना अ० क्रि० (कपडु) फसकवुं के बेसी (२) वि० फसके के बेसी जाय एवं फ़सद स्त्री० जुओ 'फ़स्द'
फ़सल स्त्री०, फ़सली वि० जुओ 'फ़स्ल, फ़स्ली' [ (वि०,-दी) फ़साद पुं० [अ.] फिसाद; टंटो; तोफान फ़साना पुं० [फा.] कल्पित कथा ( २ ) विवरण ०नवीस, ० निगार पुं० [ भाषणनी शक्ति
कथाकार
फ़साहत स्त्री० [अ.] सुंदर वर्णन के
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फ़सील
o
फ़सील वि० [ अ ] नगरनो कोट फ़सीह वि० [अ.] सुंदर वक्ता के वर्णनकार फ़यूँ पुं० [ अ ] जंतरमंतर; 'टोटका' फ़सुँगर पुं० [फा.] जादुगर ( २ ) जंतरमंतर करनार ; भूवो
फ़स्ख पुं० [अ.] विचार बदलवो ते (२) तोडवुं के रद करवुं ते
फ़स्द स्त्री० [अ०] फस - नाडी खोलाववी ते . - खोलना, - लेना-फस खोली लोही काढवु (२) गांडपणनी दवा करवी फ़स्ल स्त्री० [अ.] फसल ( ऋतु ) के खेतीनी ऊपज (२) ग्रंथनुं प्रकरण ( ३ ) फासलो (४) छळ; दगो फ़स्ली वि० [ अ ] फसली; मोसमनुं ( २ ) पुं० कॉलेरा. ० कौआ पुं० एक पहाडी कागडो (२) वि० मतलबी; गरजनुं सगं. ०बुखार पुं० मलेरिया. ०सन, ०साल पुं० अकबरे चलावेली एक सन फ़स्ले-गुल, फ़स्ले-बहार स्त्री० [फा.] वसंत ऋतु
फ़स्साद पुं० [अ.] फस खोलनार - तेमांथी
लोही काढवा नस्तर मूकनार फ़हम स्त्री० [ अ ] ज्ञान; समज; विवेक फ़हमाइश स्त्री० [फा.] समजण; बोध;
चेतवणी (२) आज्ञा [(वि०, दा) फ़हमीद स्त्री० [फा.] समज; बुद्धि. फहरना अ०क्रि० फरकवुं; ऊडवुं फहरान स्त्री० फरकाववुं ते. - ना
स०क्रि० फरकाववुं; उडाडवुं फ़हरिस्त स्त्री० जुओ 'फ़ेहरिस्त' फ़श वि० [अ. फ़हरा ] अश्लील (२) फूड फ़हीम वि० [ अ ] 'फ़हमीदा'; समजदार फाँक स्त्री० 'फंक' ; चीरी (२) ककडो फाँकना सक्रि० फाकवुं; फाको मारवो
३५०
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फ़ाजिलबाक़ी
फाँका पुं० फाको. - की स्त्री० फाकी फांट पुं० [सं.] काढो
फाँट स्त्री० वहेंचणी. ०ना स०क्रि०
हेंच (२) फांट के काढो बनाववो फाँड, -ड़ा पुं० कमरनी ओटी; 'फेंट'. - कसना, बाँधना= कमर कसवी; काम माटे तैयार थवु. - पकड़ना - बरोबर पकडवुं
फाँद स्त्री० उछाळो (२) पुं०; स्त्री० फांदो; जाळ; पाश. - मारना=जाळ पाथरवी [कूदी ज; ओळंग फाँदना अ०क्रि० ऊछळवं (२) स०क्रि० फाँस स्त्री० फांस ( २ ) पास; जाळ; फांसो फाँसना सक्रि० फसाववुं फाँसी स्त्री० पाश; फांसो (२) फांसी. - पड़ना, - पाना= फांसीनी सजा थवी; फांसी मळवी
फाइल स्त्री० [इं.] कागळो के सामयिकनी फाईल - एक साथ थयेलो संग्रह फ़ाक़ा पुं० [अ.] फाका; उपवास ( २ ) गरीबी फ़ाक़ा कश वि० [अ. +फा.] भूख्यं (२)
निर्धन. (नाम, -शी स्त्री ० ) फाक़ा ( - ) मस्त वि० [ अ + फा.] भूखे मरतुं छतां बेपरवा
फ़ाख़तई, फ़ारत स्त्री० होला जेवोआछो जांबुडियो रंग [होलो फ़ाखता, फ़ाख़्ता स्त्री० [अ.] एक पक्षी; फाग पुं० होळी के तेनुं गीत फागुन पुं० फागण मास. -नो वि० फागणनुं [-रा वि० स्त्री० फ़ाजिर वि० [अ.] व्यभिचारी; बदमाश. फ़ाज़िल वि० [अ.] वधारेपडतुं; फाजल (२) विद्वान. ० बाक़ी स्त्री० हिसाबे नीकळतुं लेणुं के देणुं
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फाटक
फ़ितूर फाटक पुं० मोटो दरवाजो (२) झाटकण; फ़ाश वि० [फा.] प्रगट; खुल्लं; जाणीतुं झटकामण
फासफरस पुं० [इ.] फॉस्फरस; एक फाटका पुं० सट्टो.-केबाज वि० सट्टाखोर मूळ पदार्थ फासलो; अंतर फाड़न स्त्री०, पुं० फाडेलो टुकडो (२) फ़ास (-सि)ला पुं० [अ. फ़ासिला]
फाडेला दूधनुं पाणी करवं फ़ासिद वि० [अ.] फसाद करनार; फाड़ना सक्रि० फाडवू; चीरवू; अलग 'फ़सादी' (२) खराब; दुष्ट फ़ातिहा पुं० [अ.] प्रार्थना (२) फातियो फास्ट वि० [इं.] तेज; वेगवाळं फ़ानी वि० [अ.] नाशवंत; क्षणभंगुर फाहा पुं० घी तेल अत्तर इ०नु पूमडु फ़ानूस पुं० [फा.] फानस (२) दीवानुं झाड फ़ाहिश वि० [अ.] अनाचारी (२) गंh; फ्राम पुं० [फा. रंग; वर्ण
अश्लील . फायदा पुं० [अ.] फायदो; लाभ; नफो. फाहिशा स्त्री० छिनाळ (३)टोणो
-देमंद वि० फायदावाळू; लाभy फ़िक़रा पुं० [अ.] वाक्य (२) फकरो फ़ायल वि० [अ. फ़ाइल] (व्या.) कर्ता फिकत पुं० ढाल लकडी चलावी फाया पुं० जुओ 'फाहा' [फारगती जाणनार; 'फ़ैकनैत' धर्मशास्त्र फ़ारखती स्त्री० [फा. फारिग़+खती] फ़िक्का स्त्री० [अ. फ़िक़:] मुसलमाननुं फारम पुं० [इं.] फॉर्म
फ़िक्र स्त्री० [अ.]फिकर;चिंता; काळजी. फारमूला पुं० [इ.] सूत्र; गुरुसूत्र; नियम मंद वि० चिंतातुर फारस पुं० [अ.] ईरान; पारसदेश.-सी । फ़िगार वि० [फा.] घायल स्त्री० फारसी भाषा (२) वि० ईरानी । फिचकुर पुं० मोमांथी नीकळतुं फीण फ़ारिग वि० [अ.] फारग; छूटुं (जेम के, मूर्छामां) फ़ारिग-उल-बाल वि० [अ.] सौ रीते। फ़िजूल वि० जुओ ‘फ़जूल' . [शाप सुखी; निश्चित
फिटकार स्त्री० धिक्कार (२) बददुआ; फ़ारूक वि० सारासार- विवेकी फिटकारना स० क्रि० फिटकार फाल स्त्री० हळनी कोस [सं.] (२) । फिटकिरी स्त्री० फटकडी
कापेली सोपारी (३) पुं० फाळ; छलंग फिटन स्त्री० फेटन गाडी कारीगर फ़ाल स्त्री० [फा.]पासाथी जोश जोवा ते । फिटर पुं० [इ.] यंत्र फिट करनार फालतू वि० वधारानु; फालतु (२) नकामुं फिट्टा वि० फिटकार पामेलं फालसई वि० फालसाना रंगनु फिड्डा वि० एडीनो भाग बेठेलो (जोडो) फालसा पुं० [फा.] फालसी के फालसुं फ़ितना पुं० [अ.] झघडो; दंगो; फितनो फ़ालिज पुं० [अ.] लकवो; पक्षाघात फ़ितरत स्त्री० [अ.] स्वभाव; प्रकृति फालूदा पुं० [फा.] एक ठंडु मीठु पीj (२) धूर्तता, ० न अ० स्वभावतः फाल्गुन पुं० [सं.] फागण मास. –नी फ़ितरती वि० [फा.] धूर्त; दगाबाज
स्त्री० एक नक्षत्र नानो पावडो फ़ितरी वि० [फा. स्वाभाविक; कुदरती फावड़ा पुं० पावडो.-डी स्त्री० पावडी; फ़ितूर पुं० जुओ 'फ़तूर'
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फ़िदविया
फ़िदविया स्त्री० दासी; नोकरडी फ़िदवी वि० [ अ ] आज्ञाकारी ( २ ) पुं० दास [ आसक्त; मुग्ध फ़िदा वि० [अ.] खूब खुश (२) गुलतान; फ़िदाई पुं० [ अ ] फिदवी; दास ( २ ) प्रेमी [ जंतुनाशक दवा फिनायल, फिनेल पुं० [इं.] फिनाईल फ़िशार अ० [ अ ] 'जा जहान्नममां' फ़िरंग पुं० चांदीनो रोग (२) युरोप; गोरा फिरंगीनो देश; 'फ़िरंगिस्तान' फ़िरंगी वि० गोराना देशनुं ( २ ) पुं० तेनो वतनी; गोरो -गिस्तान पुं० युरोप; गोराओनो मुलक [थयेलुं फ़िरंट वि० विरुद्ध (२) लडवा सामे फिर अ० फरी (२) पछी (३) तो पछी फ़िरक़ा पुं० [ अ ] फिरको; जमात; संप्रदाय. ०बंदी स्त्री० दळबंधी. ०वार, • वाराना वि० जमातनुं; सांप्रदायिक फिरकी स्त्री० फरकडी (२) फिरकी फिरता पुं० अस्वीकार (२) पार्छु फेरववुं .ते (३) वि० पार्छु फेरवेलु (स्त्री० -ती)
फ़िरदौस पुं० [अ.] बाग (२) स्वर्ग फिरना अ०क्रि० फरवुं (प्रेरक, फिराना) फ़िरनी स्त्री० [फा.] एक प्रकारनी चोखाना लोटनी खीर फिरवाना स०क्रि० फेरवाववुं फ़िराक़ पुं० [अ.] वियोग (२) फिकर; चिंता (३) खोळ; शोध [ संतोष फ़िराग़ पुं० [अ.] छुटकारो (२) खुशी (३) फ़िरार पुं० [ अ ] नासवुं ते; पलायन. - होना = नासी जवुं फ़िरारी वि० [फा.] जुओ 'फ़रार, - ' फ़िरासत स्त्री० [ अ ] बुद्धिमत्ता
३५२
फीलखाना
फ़िरिश्ता पुं० [फा.] फिरस्तो; देवदूत फ़िरोख्त स्त्री० जुओ 'फ़रोख्त ' फ़िक़ पुं० जुओ 'फ़िरक़ा' फ़िल - जुमला अ० [ अ ] ट्रंकमां; सारांश के फ़िलफ़िल स्त्री० मरी
फ़िल - फौर अ० [ अ ] तरत फ़िल - वाक़ा - हक़ीकत अ० [अ.] वस्तुतः; Faraari
फ़िलस्तीन पुं० पेलेस्टाईन देश फ़िल-हक़ीकत अ० [ अ ] हकीकत जोतां; वस्तुतः [ अत्यारे फ़िल - हाल अ० [ अ ] हमणां; आ वखते; फ़िल्ली स्त्री० पगनी पिंडी फिस अ० कांई नहीं; मींडुं; व्यर्थ फिसड्डी वि० काममां मंद; ढीलुं फिसलन स्त्री० लपसवं ते फिसलना अ० क्रि० लपसवुं; ढळी जवुं फ़िसाद पुं० जुओ 'फ़साद' फ़िसाना पुं० जुओ 'फ़साना' फ़िहरिस्त स्त्री० [फा.] यादी; 'फेहरिस्त' फ़ी अ० [अ] दर; प्रति एक. ०कस अ० जण दीठ फीका वि० फीकुं; मोळं
फ़ी - जमाना अ० [अ. + फा.] आजकाल; हालना समयमां
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फ़ीता पुं० फीत कोर ( २ ) ( मापवानी) पट्टी (३) कागळो इ० बांधवानी पट्टी; 'टेप'
फ़ौरनी स्त्री० जुओ 'फ़िरनी' फ़ीरोज वि० [फा.] विजयी; सफळ. - जी स्त्री० विजय
फ़ीरोजा पुं० [फा.] पीरोज रंग. (वि० -जी) [ हाथीखानुं फ़ील पुं० [फा.] हाथी. ०खाना पुं०
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फ्रोलपा ३५३
फुर्सत फीलपा पुं० [फा.] हाथीपगो रोग फुटपाथ पुं० [इ.] पगथी; फूटपाथ फ्रील-पाया पुं० [फा. थांभलो
फुटबाल पुं० [ई.] फूटबॉल दडो फीलवान पुं० [फा.] हाथीनो महावत फुटमत पुं० मतभेद फ़ीला पुं० [फा. शेतरंजनो हाथी फुटेहरा पुं० धाणी जेवा फूलेला शेकेला फोली स्त्री० जुओ 'फिल्ली' [बेसवी चणावटाणा
नसीबफीस स्त्री० [इं.] फी. -लगना = फी । फुट्टेल वि० जुओ 'फुट' (२) फूटेला फ़ो-सदी अ० [अ. + फा.] सेंकडे । फ़्तूर पुं० [अ.] फितूर; झघडो(२)खराबी फी-साल अ० दर साल - वरसे फुतूह स्त्री० [अ.] जुओ 'फ़तूह' । फुकना अ० क्रि० 'फूंकना' नुं कर्मणि; फुत्कार पुं० [सं.] फूफाडो [आवq फूंकावू (२) पुं० फूंकणी (३) फुक्को; फुदकना अ०कि० ऊछळवू (२)उमंगमा मूत्राशय -
फुदकी स्त्री० एक नानुं पक्षी फुकनी स्त्री० फूंकणी (२) धमण फुनगी स्त्री० फणगो; अंकुर फुक (-का)रना अ० क्रि० फूफाडो फनन पुं० [अ.] 'फ़न' नुं ब०व०
मारवो; फू कर (सापy) . फुफॅदी स्त्री० नाडु फुका(-कवा)ना स० क्रि० फूंकावq फुफकार पुं० फुफवाटो (अ०क्रि०-ना) फुकार पुं० फूफाडो
फुफू स्त्री० जुओ 'फफी' फूंकारना स० कि० जुओ 'फुकरना' । फुफेरा वि० फूआतुं (स्त्री-री) फंदना पुं०, फंदिया स्त्री० फूमतुं । फुप्फुस पुं० [सं.] फेफसुं फुसी स्त्री० झीणी फोल्ली | फुर वि० (प.) साचुं; सत्य फुआरा पुं० फुवारो
फरकत स्त्री० [अ.] वियोग फुकना अ०क्रि० (२) पुं० जुओ 'फॅकना' फुरती स्त्री० फूर्ति; स्फूर्ति; तेजी फुकनी स्त्री० जुओ 'फुकनी' फुरतीला वि० फूर्तिलं फुचड़ा पुं० कपडा इ०मांथी नीकळतुं फुरना अ०क्रि० (प.) स्फुरद् (२) साचुं रूंछु, फूमतुं
साबित थवू; सफळ थर्बु फ़जूल वि० [फा. जुओ ‘फ़ज़ल' फुरफुराना अक्रि० फरफरवू (२) फुजूला पुं० [अ.] वस्तु काढी लेतां सक्रि० फफहाव. -हट स्त्री० रहेतो कचरो (२)शरीरमांथी नीकळतो फरफराट; फफडाट
थूक, गळफो, झाडो, पेशाब इ० मळ फुरसत स्त्री० [अ.] फुरसद; नवराश (२) फुट वि० एकाकी (२) अलग (३) रोग मटवो ते; आराम । पुं० [इं.] फूट - १२ इंच
फुरेरी स्त्री० छेडे पूमडुं लपेटेली सळी फुटकर,-ल वि० जुओ 'फुट' (२) (२) रोमांच साथे कंप. -आना, लेना फुटकळ; विविध (३) छटक
= थरथरवू; कांपवू [० ला' फुटका पुं० फोडलो टिप्पणी फुर्ती, स्त्री० ०ला वि० जुओ 'फुरती' फुटनोट पुं० [इ.] पाना नीचे अपाती फुर्सत स्त्री० जुमो 'फुरसत'
• हि-२३
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फुलका
३५४ फुलका पुं० फफोलो (२) फूलको - फूंका पुं० ढोरनुं दूध खेंची काढवानी
रोटली. -की स्त्री० नानो फूलको एक क्रूर युक्ति के ते माटेनी नळी फुलझड़ी स्त्री० दारूखानानी फूलकणी (२) फोल्लो
के तारामंडळ (२) पंचातनी वात फूंद स्त्री०, -दा पुं० 'कुँदिया'; फूमतुं फुलवर पुं० फुलेवर रेशमी कापड फूंद-दारा वि० फूमतांवाळू फुलवार वि० प्रफुल्ल; प्रसन्न
फूंदा पुं० जुओ 'फूंद' फुलवारी स्त्री० बगीचो (२) कागळनी फूई स्त्री० जुओ 'फूही'(२) फूग; ‘फफूंदी' फूलवाडी
फूट स्त्री० फूट; फूटवू ते (२) भेद; तड फुलहारा पुं० माळी
(३) एक जातनी काकडी फुलां वि० जुओ 'फ़लाँ'
फूटना अ० क्रि० फूटवं. फूट फूटकर फुलाना स० कि० फुलाववं
रोना=विलाप करवो. फूटी आंखों फुलाव पु० फूलबुं के फुलावq ते . न भाना= बहु खराब देखावं-लागवं फुलिया पुं० कानमां पहेरवानुं फूल-घरेणु फूत्कार पुं० [सं.] फूफाडो फुलिसकेप पुं० फूल्सकॅप कागळ फूफा पुं० फुओ (स्त्री० -फी) फुलेरा पुं० फूलोनी करेली छत्री फूल पुं० पुष्प (२) अस्थि-फूल (३) फुलेल पुं० (फूलोनू) सुगंधीदार तेल फूल इ०नुं भरतकाम.-झड़ना=मीठा फुलेली स्त्री० फुलेलनी शीशी
शब्दो बोलवा. - पड़ना = बत्तीने फुलौरी स्त्री० एक जातनुं भजियुं . मोगरो थवो फुल्ल वि० [सं.] खीलेलु; प्रफुल्ल फूलगोभी स्त्री० फलावरन शाक फुवा(-हार स्त्री० जुओ 'फुहार' । फूलडोल पुं० हीडोळानो उत्सव फुस स्त्री० फूस एवो धीमो अवाज. फूलदान पुं० फूलदानी ०फुस स्त्री० गुसपुस वात. ०से अ० फूलदार वि० फूल इ०ना शणगारवाळू; धीरेथी; धीमेथी
फूलवाळं फुसफुसा वि० फासफूसियं [बोलवू फूलना अ० क्रि० फूल आववां (२) फुसफुसाना अ० क्रि० गुसपुस धीमे धीमे खीलवु (३) फूल (४) प्रफुल्ल के फुसलाना स० क्रि० फोसलाव, गर्वित थर्बु (५) मों चडाव; रिसावं. हिश वि० [अ.] जुओ 'फ़हश' -फलना= खूब समृद्ध थवू; फूलवू फुहार स्त्री० पाणीनी झीणी छांट; फालवू. -फालना = खुश खुश थर्बु फरफर; फोरु
फूला(०फूला)फिरना = फुलाई जवू; फुहारा पुं० फुवारो (२) झीणी छांट . घमंडमां फरवू के रहेवू (२) प्रसन्न फूंही स्त्री० जुओ 'फुहार'
थई फरवू. फूला न समाना = आनंदनो फूंक स्त्री० फूंक; श्वास; फूंकवु ते. पार न रहेवो -मारना = फूंकवं
फूली स्त्री० आंखमां पडतुं फूल फूंकना सक्रि० फूंकवु (२) फूंकी मारवं फूस पुं० सूकुं घास; खड (२) छाजनुं घास
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फोकस फूहड़,-र वि० फूवड; ठेकाणा वगरनुं. फ़ेल पुं० [अ.] कार्य (२) दुष्कर्म; फेल (२) स्त्री० फवड स्त्री
(३) क्रियापद (४) वि० [] फूही स्त्री० जुओ 'फूही, फुहार'
निष्फळ; नापास फेंक स्त्री० फेंक, ते
फेल-जामिनी स्त्री० सारी चालनी फेंकना सक्रि० फेंक
जामीनगीरी फेंट स्त्री० कमरनी भेट के कमर (२)
फेलन् अ० [अ.] कार्यरूपे [ढोंगी ‘फेंटना' नी क्रिया
फ़ेली वि० [अ.] 'फेल' वाळू (२) फेलबाज; फेंटना सक्रि० फीण; हलावQ
फेहरिस्त स्त्री० यादी; 'फ़िहरिस्त' फेंटा पु० जुओ ‘फेंट' (२) फेंटो
फेकत पु० घा करवामां होशियार; फेंटी स्त्री० सूतरनी आंटी (अटेरण पर
___ 'फिर्कत' उतारेली)
फैक्टरी स्त्री० [इं.] कोठी (२) कारखानुं फेज पुं० एक टोपी (तुर्की घाटनी) फंज पुं० [अ.] फायदो; हित (२) भलाई; फेन पुं० [सं.] फीण
- परोपकार (३) फेज; परिणाम फेनी स्त्री० सूतरफेणी
फैजेआम पुं० [अ.] लोकहित फेफड़ा पुं० फेफसुं
फ़ैयाज वि० जुओ 'फ़य्याज' फेफड़ी,-री स्त्री० तरस के गरमीथी फ़ैयाजी स्त्री० जुओ 'फ़य्याजी' होठ पर वळती पोपडी
फ़र स्त्री० बंदूकनो बार फेर पुं० फेर (चक्कर; तफावत) (२) फैलना अ०नि० फेलावं (प्रेरक फैलाना) दुविधा; झवण (३) संशय (४) फेरफार फैलसूफ़ पुं० [फा.] फिलसूफ (२) (५) उपाय; युक्ति (६) लेवडदेवड;
___'फ़जूलखर्च'; उडाउ (३) दगलबाज फेरफार. -खाना = फेरावामां पडवू.
फेलसूफ़ी स्त्री० अपव्यय (२) दगलबाजी -बाँधना= उपाय के तजवीज करवी.. फैलाव पुं० फेलावो -में आना या पड़ना= गूंचवावं. -में फ़ैशन पुं० [ई.] फॅशन; चाल; रीत डालना=गूंचव,
फैसल पुं० [अ.] न्यायाधीश (२) न्याय; फरना सक्रि० फेरवq (२) पार्छ लेवू
फैसलो के करवू
फैसला पुं० [अ.] फैसलो फेर-पलटा पुं० 'गौना'; आणुं फोक पुं० नकामो कूचो (२) नीरस चीज फेरफार पुं० फेरफार; परिवर्तन; फरक फोकट वि० फोगट; तुच्छ; नकामुं:मफत. (२) आधुपार्छ करवू ते
-का= फोगटियु; मफतनु. -में%3D फेरबदल पुं० फेरफार; बदलवं ते मफतमां फेरा पुं० फेरो; आंटो; चक्कर फोकला पुं० छोतरूं; छोड़ फेराफेरी स्त्री हेरफेर आमतेम फेरफार फ़ोकस पुं० [इं.] दूरबीन; कॅमेरा इ०नुं फेरी स्त्री० फेरी (वेचवा माटे) (२) खास अमुक केन्द्रबिंदु. -लेना-फोकस फेरो; आंटो. ०वाला पुं० फेरियो
मेळवद्
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फोटोग्राफी
३५६
बंदनवार फोटो, ग्राफ पुं० [ई.] फोटो; छबी. फोजदार-अमलदार. -री स्त्री० टंटो; ०ग्राफर पुं० छबी पाडनार. ०ग्राफी झघडो (२) फोजदारी अदालत स्त्री० तेनी कळा के विद्या फौजी वि० [फा.] फोजने लगतुं फोड़ना स० क्रि० फोड
फ़ौत वि० [अ.] गत; मृत (२) स्त्री० फोड़ापुं० फोडलो. -डिया स्त्री० फोल्ली । नाश (३) मृत्यु फोता पुं० [फा.] थेली (२) अंडकोष । फौती स्त्री० [फा.] मृत्यु (२) वि०
(३) महेसूल (४) खजानो; तिजोरी मृत्यु संबंधी फोतेदार पुं० [फा.]खजानची; 'रोकड़िया' फ़ौरन् अ० [अ.] तरत फ़ोश वि० गंदु: बीभत्स
फ़ौरी वि० [अ.] जलदी; तात्कालिक फ़ौआ(-व्वा)रा पुं० फुवारो फ़ौलाद पुं० [फा. पोलाद (वि०-दी) फ़ोक वि० [अ.] उच्च; श्रेष्ठ (२) पुं० । फौवा(-व्वा)रा पुं० [अ. फ़व्वार] फुवारो उच्चता
फ्रांसीसी वि० फ्रांसजें फौकियत स्त्री० [अ.] श्रेष्ठता (२) उन्नति फ्राक पुं० [इं.] पहेरवान फराक फ़ौज स्त्री० [अ.] फोज; लश्कर फ्रेम पुं० [इ.] चोकळु (२) छबीनी फ्रेम फौजदार पुं० [फा.] सेनापति (२) फ्लूट पुं० [इं.] वांसळी जेवू एक वाजें
बंक वि० बंकु; वांकु (२) दुर्गम (३) बँटाना स० क्रि० 'बँटवाना'-वहेंचावq पुं० बॅन्क
.(२) मददमा लागवं. हाथ बँटानाबंकनाल स्त्री० सोनीनी फूंकवानी नळी हाथ देवो बँगला वि० बंगाळी (२) स्त्री० बंगाळी बंडल पुं० [ई.] बंडल; पोटकुं भाषा (३) पुं० बंगलो
बंडा पुं० एक कंद; रताळु (?) बंगाल पुं० बंगाळ देश. -ली वि० । बँडेरी स्त्री० छापरानुं मोभनुं लाकडं
बंगाळी (२) स्त्री० ते भाषा बंद पुं० [फा.] बंधन; केद (२) बांध बंचक पुं० (प.) वंचक; ठग. -ना स्त्री० (३) अंगरखा इ०नी कस (४) कागळनी
ठगाई; वंचना (२) सक्रि० ठगवं लांबी पटी (५) छप्पा जेवी उर्दू बंछना सक्रि० (प.) वांछवं; इच्छवं कविता- चरण (६) वि० बन्ध करेलु बंजर पुं० ऊसर जमीन
के थयेलु; रोकायेलु के रोकेलं; बद्ध बंटना अ०क्रि० 'बाँटना' नुं कर्मणि बंदगी स्त्री० [फा.] गुलामी (२) प्रार्थना बँटवारा पुं० वहेंचणी
(३) सलाम बंटा पुं० गोळ के चोखंडो नानो डबो बंदगोभी स्त्री० करमकल्लो; कोबी बटाई स्त्री० बांटq ते (२) भागनी खेती बंदनवार पुं० तोरण
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बंदना
३५७ बंदना सक्रि० वंदq (२) स्त्री० वंदना बंधेज पुं० कशुं नियमित बांधq के बंधावू बंदर पुं० वांदरो (२) [फा.] बन्दर. ते; बंधामणी; करार (२)बंधी;प्रतिबंध -घुड़की, -भबकी= खाली डराववा पुलिस स्त्री० सार्वजनिक जाजरूनुं माटे धमकावq ते
स्थान बंदरगाह पुं० [फा.] बन्दर
बंब स्त्री० बम बम ध्वनि (२) नगारुं बंदा पुं० [फा.] दास; सेवक (स्त्री० -दी) बंबा [अ. मंबा] बंबो (२) स्रोत; झरj बंदा-नवाज वि० [फा.] दास पर दया। बँबाना अ० क्रि० (ढोरनु) बांघडवू करनार; दीनदयाळ
बंसकपूर, बंसलोचन पुं० वांसकपूर बंदिश स्त्री० [फा.] बांधवं ते (२) प्रबंध बंसरी, बंसी स्त्री० वांसळी; बंसी (३) पेंतरो
बँहगी स्त्री० 'बहँगी', पाणीनो बांगो; बंदी पुं० [फा.] केदी (२) भाट; चारण कावड (३) स्त्री० बंधी घरेणुं (४) दासी ब [फा.] पूर्वग; 'स' जेम, सहित एवा (५) बंधी; केद; बंधन. ०खाना, घर अर्थमां; उदा० बक़ौल, बशर्त इ० पुं० केदखान; जेल. ०वान पुं० केदी. बईद अ० [अ.] दूर ०छोर पु० केदमाथी छोडावनार बक पुं० [सं.] बगलो (२) बकासुर (३) बंदूक स्त्री० [फा.] बंधूक. -चलाना, स्त्री० बकवू ते; बकवाद; लवारो. -छोड़ना, -मारना, -लगाना=बंदूक शक, ०बक स्त्री० बकवाद फोडवी. -भरना=बंदूक भरवी. बक (-कु)चा पुं० [तु. बुक्चः ] जुओ -छतियाना=बंदूक फोडवा तैयार ___ 'बकुचा'; बचको थवं. ०ची पुं० बंदूकवाळो . बकची स्त्री० 'बकुची'; बचकी बंदोबस्त पुं० [फा.] बंदोबस्त; प्रबंध; बकझक स्त्री० बकवाद; 'बक'
व्यवस्था (२) महेमूलनी जमाबंधी बक (-ख)तर पुं० बख्तर; कवच बंध पुं० [सं.]बंधन; बेडी; केद(२)पाणीनो बकना सक्रि० बकवू; बोलवू; बकवाद बंध; बांध (३) बांधण-रसी इ० __ करवो.-झकना व्यर्थ बोलवू; बकवाद बंधक पुं० गीरो मूकेली वस्तु; 'रेहन' । करवो बंधन पुं० [सं.] बांध, ते (२) बंध, बेडी, बकबक स्त्री० बकवाद; लवारो; 'बक'
केद, रस्सी इ० [साधन बकर-ईद स्त्री० जुओ 'बक़ ईद' बंधना अ० क्रि० बंधा, (२) पुं० बांधवानुं बकर-क़साव पुं० बकरांनुं मांस वेचनार बंधान पुं० धारो; बंधी; करार (२) बकरना स० कि० एकला बकवू-बबडवू
पाणीनो बांध (३) सम ताल (२) पोते कबूल करी के कही देवू बंधी स्त्री० नक्की प्रबंध के कार्यक्रम; बकरा पुं० बकरो. -री स्त्री० बकरी
'बंधेज'; बंधावू ते के स्वजन बकरीद स्त्री० जुओ 'बक्र-ईद' बंधु पुं० [सं.] भाई; भांडु (२) भाईबंध बकलस [इं. बकल्स] बकल बंधुआ, -वा पुं० बंधायेलो ते; केदी बकला पुं० वल्कल (२) फळनं छोडूं
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बकवाद ३५८
बगरी बकवाद,-स,-सी स्त्री० बकवाद; टांको. -उधेड़ना= सीवण खोलवू (२)
बकबक. -दी वि० बकवाद करनार वातनो भेद उघाडो करवो बकस पुं० पेटी; 'बॉक्स'
बखियाना सक्रि० बखिया दई सीववं बकसना सक्रि० बक्षवं (२) माफ । बखीर स्त्री० शेरडीना रसमां रांधेलो कर, (प्रेरक बकसाना)
भात
-ली स्त्री०) बकसुआ (-वा) पुं० 'बकलस'; बकल बखील वि० [अ.] बखील; कंजूस (नाम बकायन स्त्री० एक झाड
ब-खुद अ० [फा.] जाते; पोते बकाया पुं० [अ.] बाकी; बचत बखूबी अ० [फा.] खूबीथी; अच्छी तरह बकारी स्त्री० बोल; शब्द; मोमांथी बखेड़ा पुं० बखेडो; झघडो; (२) पंचात; नीकळतो ध्वनि. -फूटना= बोल के झंझट. -डिया वि० झघडाळु; बखेडो शब्द नीकळवो
करनारु बकावल पुं० [फा.] बबरची
बखेरना सक्रि० विखेर बक्रिया वि० [अ.] शेष; बचेलं; परिशिष्ट ब-खेर अ० [फा.] बरोबर; खूबोथी बकुचा पुं० (स्त्री०-ची) बचको; पोलं बस्त पुं० [फा.] नसीब; भाग्य बकेन (-ना) स्त्री० बाखडी गाय-भेंस बखतर पुं० [फा.] जुओ ‘बकतर' बकैयाँ पुं० चूंटणिये चालवू ते बख्तावर, बख्तियार' वि० [फा.] बकोटना सक्रि० नखथी उझरडो भरवो भाग्यशाळी 'ब-कौल अ० [अ.] कोल प्रमाणे बख्शना सक्रि० बक्षq (२) त्यागवू (३) बक्कल पुं० [सं. वल्कल] 'बकला'; छाल क्षमा करवी (२) छोड़ें
बखिशश स्त्री० [फा.] बक्षिश (२) बक्काल पुं० [अ.] बकाल; वाणियो उदारता (३) क्षमा बक्र-ईद स्त्री० [अ.] बकरी-ईद बग पु० बगलो बक्स पुं० 'बकस'; पेटी
बगई स्त्री० बगाई बखतर पुं० जुओ 'बकतर'
बग-छुट, बगटुट अ० जोरथी; सडसडाट बखरा पुं० [फा.] भाग; हिस्सो बगदना अ०क्रि० बगडवू (२) भूलq (३) बखरी स्त्री० रहेवा लायक (सारु) घर । भ्रष्ट थवं बखशीश, बखसीस (प.) स्त्री० जुओ। बगमेल पु० बराबरी; स्पर्धा 'बख्शिश
बगर पं० महेल के मोटे मकान (२) घर बखान पुं० वर्णन (२) वखाण (३) आंगणुं बखानना सकि० वर्णवq (२) वखाणवू बगर(-रा) ना अ०क्रि० (प.) फेलावू; (३) गाळो भांडवी
वीखरा बखार पुं० अनाजनो कोठार के वखार बगराना अ०क्रि० जुओ 'बगरना' (२) (स्त्री० -री= नानी वखार) सक्रि० फेलावq; विखेरवू बखिया पुं० [फा.] बखियो; सिलाईनो बगरी स्त्री० जुओ 'बखरी'
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३५९ बगल स्त्री० [फा.] बगल (२) पासु; पडलुं -उठना= वघार बरोबर थवो. -देना (३) पासेनुं स्थान. -गरम करना = = वधार करवो; वधारदुं । सहवास करवो. -में = पासे (२) एक बघारना सक्रि० वधार, (२) योग्यता बाजु. में ईमान दबाना या रखना = बहारनुं बोलq - छांट बेईमानी करवी. -में मुंह डालना= बच स्त्री० वच औषधि (२) पुं० (प.) शरमावं के शरमावq. -सूंघना = वचन
जिवं पस्तावं. -हो जाना=बाजुए खसी जq.
बचकाना वि० बच्चाने योग्य के बच्चा बगलें झांकना=आम तेम भागवा मथ, बचत स्त्री० बचाव; रक्षा (२) बचत; (२) गल्लांतल्लां करवां. बग़लें बजाना बचावेलुं ते; शेष (३) नफो = काखलियो कूटवी; राजी राजी थर्बु बचन पुं० वचन. -डालना=मागवू; बगलगंध पुं० बगलबामणी (२) बगलमां याचवू . [बोलq; कहे,
खराब पसीनो नीकळवानो रोग बचना अ०क्रि० बचq (२)(प.) सक्रि० बग़लबंदी स्त्री० बगलबंडी ।
बचपन पुं० बचपण; नानपण बग(-गु)ला पुं० बगलो. (स्त्री०-ली) बचा पुं० (प.) बचो; छोकरो बगला-भगत पुं० बगभगत
बचाना सक्रि० बचाव, बगलियाना अ.क्रि० बगलमां-पासे बचाव पुं० बचाव; रक्षण थईने नीकळी जवं (२) स०क्रि० अलग बच्चा पुं० [फा.] बच्चु (२) बाळक कर (३) बगलमां मार,
(३) वि० नादान; बालिश बगली स्त्री० बगलानी मादा बचादान पुं० [फा.] गर्भाशय बगली वि० [फा.] बगलनु (२) स्त्री० बच्ची स्त्री० बची; छोकरी
बगलनुं कपडं (३) दरजीनी थेली बच्चेकच्चे पुं० ब० व० बच्चांकच्चां; बगार स्त्री० गायनी गमाण
बाळबच्चां बगारना सक्रि० (प.) जुओ 'बगराना' बच्चेदानी स्त्री० जुओ 'बच्चादान' बनावत स्त्री० [अ.] बळवो (२) राजद्रोह बच्छ पुं० (प.) वत्स; छोकरो (२)वाछडो बगिया स्त्री०, बगीचा पुं०, बगीचो; बच्छा,-छ,-छड़ा पुं० वाछडो नानो बाग
बछड़ी, बछिया स्त्री० वाछडी बगुला पुं० वगलो
बछेड़ा पुं० घोडानो वछेरो बगूला प० वंटोळियो
बजंत्री पुं०(वाजु) वगाडनार-बजावनार बगेरी स्त्री० एक ना- पक्षी बजना अ० क्रि० वागवू; बजq (२) बगर अ० [अ.] वगर; विना
(शस्त्र) चालवू [फीण आवq बग्गी,-ग्घी स्त्री० बगी गाडी
बजबजाना अ०क्रि० सडाथी खदबदवूबघंबर, बघछाला पुं० व्याघ्रचर्म बजरंग वि० वज्र जेवां अंगवाळु (२) बघनहाँ (-हियाँ) पुं० वाघनख पुं० हनुमान. ०बली पुं० हनुमान बघार पुं० वघार के तेनी महेक.-आना, बजरा पुं० एक प्रकारनी मोटी नाव
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बजरी
बड़हार बजरी स्त्री० कांकरेट (२) कोटनो बटाऊ पुं० वटेमाणु; मुसाफर. -होना कांगरो (३) बाजरी
___ = चालवा मांडवू बजा वि० [फा.] उचित; ठीक; स्थाने.
बटिया स्त्री० नानी गोळी -लाना = बजावईं; करवं
बटी स्त्री० गोळी बजा-आवरी स्त्री० [फा.] कर्तव्य के बटुआ (-वा) पुं० जुओ 'बटुवा' . आज्ञानुं पालन
बटुरना अ० क्रि० टोळे वळवू; एकळु थर्बु बजाज पुं० [अ. बज्जाज़] कापडियो बटुवा पुं० वाटवो (२) मोटी वटलोई बजाजा पुं० [फा.] बजाजोगें-कापडिया- बटेर स्त्री० एक पक्षी. ०बाज पुं० ओ- बजार; कापड-बजार
तेने पाळनार बजाजी स्त्री० [फा.] कापडनो वेपारधंधो बटोर पुं० टोळं (२) ढगलो बजाय अ० [फा.] बदले; अवेजमा बटोरना सक्रि० समेटवू; एकळं करवू बजार पुं० (प.) जुओ 'बाजार'. -री, बटोही पुं० मुसाफर; 'बटाऊ'
-रू वि० बजारु (२) सामान्य; मामली बट्टा पुं० [सं. वातप्रा. वाट्ट] दलाली बजाहिर अ० [फा.] देखवामां; उपरथी (२) तोटो; घट (३) खलनो बत्तो जोतां; उघाडु
बट्टा-खाता पुं० डूबेली रकमनुं खातुं बजुज अ० [फा.] सिवाय; (अमुक)छोडीने बट्टाढाल वि० लीसुं अने सपाट बजे अ० वाग्ये
बड़ स्त्री० बडबडाट; बकवाद; बेडशी बज्म स्त्री० [फा. सभा; मंडळी (२) वडनुं झाड (३) वि० 'बड़ा' नुं बझना अ०क्रि० (प.) बंधावू (२) फसावं; समासमां आवतुं रूप,जेम के 'बड़भागी' गूंचवावं
बड़कौला पुं० वडनो टेटो बझाव पुं०, ०ट स्त्री० गूंचवण; फसार्बु ते ।
बड़प्पन पुं० मोटाई; महत्ता बट पुं० वट; वड (२) वडु (३) वजन; बड़बट्टा पुं० वडनो टेटो बाट (४) वळ (५) वाट; रस्तो।
बड़बड़ स्त्री० बबडाट; बकवार बटखरा पु० वजन; बाट
बड़बड़ाना स० क्रि० बबडवू; बकवाद बटन स्त्री० आमळवू ते; वळ (२) पं०
करवो [ई.] बटन [पुं० उपटण बड़बेरी स्त्री० 'झड़बेरी'; जंगली बोर बटना सक्रि० वळ देवो; आमळवू (२) बड़बोल(-ला) वि० बडी बडी वातो. बट-परा,-पार,-मार पुं० वाटपाडु; डाकु हांकनार; बहुबोलुं . [भाग्यशाळी बटला पुं० मोटी वटलोई
बड़भाग (-गी) वि० बडभागी; महा बटली,-लोई स्त्री० वटलोई; तांबडी बड़वा स्त्री० वडवा; घोडी (२) वडवाग्नि बटवार पुं० नाकेदार (२) पहेरेगीर बड़वाग्नि,-नल पुं० वडवानळ बटवारा पुं० वहेंचणी; 'बँटवारा' बड़हन पु० एक जातनुं अनाज बटाई स्त्री० वहेंचणी (२) भागे जमीन बड़हर,-ल पुं० एक झाड आपवी ते. ०दार वि० भागे खेडनार बड़हार पुं० लग्न पछी- महाभोजन
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बड़ा.
बड़ा पुं० वडुं (२) वि० वडुं; मोटं (उमर,
कद, गुण इ० मां)
बड़ाई स्त्री०
वडाई; मोटाई; मान प्रतिष्ठा. - देना=आदर करवो. - मारना = शेखी बकवी
बड़ा घर पुं० केदखानुं बड़ा दिन पुं० २५मी डिसेम्बर बड़ा बोल पुं० गर्वनो बोल (२) डिंग बड़ी स्त्री० वडी (२) वि० स्त्री० मोटी. - बड़ी बातें करना=डिंग मारवी बड़ी बात स्त्री० कठण के अघरं काम बड़ी माता स्त्री० शीतळा; बळिया बड़ेरा पुं०, री स्त्री० 'बँडेरी'; मोभ बढ़ई पुं० सुतार. ०गोरी स्त्री० सुतारी बढ़ती स्त्री० वृद्धि (२) चडती; उन्नति बढ़ना अ०क्रि० वधवुं (२) उन्नति थवी (३) दुकान इ० बंध थबुं के दीवो बुझावो. बढ़कर चलना = फुलावुं; घमंड करवो
बढ़नी स्त्री० सावरणी; बुहारी बढ़ाव पुं० वृद्धि (२) उन्नति बढ़ावा पुं० उत्तेजन (२) उश्केरणी बढ़िया वि० उत्तम
बढ़ोतरी स्त्री० उत्तरोत्तर चडती (२) वेतनमां क्रमिक वधारो बणिक, - , - ज पुं० वणिक; वाणियो; वेपारी बत [ अ ], ०क ( -ख) स्त्री० बतक बत - कहाव पुं०, बतकही स्त्री० वातचीत (२) वादविवाद
बतचल वि० बकवाद करनाएं बतबढ़ाव पुं० वात वधवी ते; झघडो बतरस पुं० वातचीतनो रस बतलाना स०क्रि० ' बताना'; बतलाववुः देखाडवुं
३६१
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बद-ख्वाह
बताऊँ पुं० वेंगण; वंताक
बताना स० क्रि० बताववुं; जणाववुं; कहें [(३) परपोटो बताशा ( - सा) पुं० पतासुं (२) फूलकणी बतिया स्त्री० फळनो मरवो बतियाना अ०क्रि० वातचीत करवी बतियार स्त्री० बातचीत बतीसी स्त्री ० दांतनी बत्रीसी. - दिखाना = हसवु; दांत काढवा. - बजना = खूब टाढवावी [ रीत बतोला पुं० चालाकी के छेतरपिंडीनी बतौर अ० [अ] रीत प्रमाणे; ढंगथी बत्तक ( -ख) स्त्री० बतक; 'बतख' बत्ति (ती) स वि० बत्रीस; ३२ बत्ती स्त्री० वाट; दिवेट (२) दीवो (३) मीणबत्ती (४) पलीतो. - दिखाना = दीवो बताववो. - देना=पलीतो चांपवो. - लगाना = लगाडवुं बत्तीस वि० जुओ ' बत्तिस' -सी स्त्री० जुओ 'बतीसी'
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बन पुं० [अ.] पेट (२) गर्भ बथुआ पुं० बथवो - एक भाजी बद स्त्री० बदलो; अवेज (२) बंद रोग (३) वि० [फा.] खराब
बद-अमली स्त्री० अराजक; अव्यवस्था; अशांति [अव्यवस्था बद- इंतजामी स्त्री० खराब प्रबंध; बदकार वि० [फा.] खराब; कुकर्मी; व्यभिचारी. - री स्त्री० दुराचार; व्यभिचार [स्त्री०) बद-क़िस्मत वि० [फा.] अभागी. ( - ती बद-खू वि० खोटी खो - टेव वाळु बद-वाह वि० [फा.] अशुभ चाहनार; 'खैर-ख्वाह थी ऊलटुं
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बद-गुमान
बद-गुमान वि० [फा.] शक के वमनी दृष्टिवाळं. ( नाम, -नी स्त्री०) बदगो वि० [फा.] निंदक; कूथली करनाएं. ० ई स्त्री० निंदा ; कूथली बद-चलन वि० खराब चालचलगतवाळु. ( नाम, -नी स्त्री ० ) [ ( -नी स्त्री०) बद-जबान वि० [फा.] गाळो बोलनाएं. बदजात वि० [फा.] नीच; हलकुं
जेब वि० [फा.] शोभारहित; कदरूपुं बदतमीज वि० [फा.] असभ्य; अशिष्ट. (- जी स्त्री०) [वि० अति बूरुं बदतर वि० [फा.] वधारे खराब. - रीन बद-तहजीब वि० [फा.] 'बदतमीज़'; असभ्य ( नाम, बी स्त्री० ) बद- दयानत वि० [फा.] खराब दानतवाळु (नाम, ती स्त्री ० ) बद-दुआ स्त्री० [फा.] शाप बदन पुं० शरीर [फा.] ( २ ) वदन; मुख. - चुराना = शरमथी शरीर संकोचबुं. - टूटना = शरीर फाटवु. -फलना = गडगूमड थवां [स्त्री०) बद-नसीब वि० [फा.] कमनसीब (-बी बदना स०क्रि० वदवुं; कहेवुं ( २ ) ठराव (३) शरत के होड बकवी (४) बदवुं; गांठवु [ ( नाम, मी स्त्री ० ) बद- नाम वि० [फा.] कलंकित; बेआबरू बदनीयत वि० [फा.] बददानतवाळु;
बेईमान (नाम, ती स्त्री०) बद-नुमा वि० [फा.] कदरूपुं; बेडोळ बद- परहेज वि० [फा.] परेज न राखनाएं;
अपथ्य करनारुं ( नाम, जी स्त्री० ) बदबत वि० [अ.] कमनसीब; दुर्भागी. ( नाम, -खती स्त्री ० ) [वि० गंधातुं बदबू स्त्री० [फा.] बदबो; दुर्गंध. व्दार
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बदला
बद- मआश [फा.], बदमाश वि० बदमास; दुष्ट (२) लफंगुं दुराचारी. ( - शी स्त्री ० ) बद-मज़गी स्त्री० [फा.] अणबनाव; कडवाश (२) बेस्वादपणुं
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बदमजा वि० [फा.] फीकुं; बेस्वाद; खराब (२) मजा विनानुं बद-मस्त वि० [फा.] नशाथी चकचूर (२) लंपट, कामी. ( नाम, -स्ती स्त्री ० ) बदमाश वि० - शी स्त्री० अनुक्रमे जुओ 'बदमआश, - शी'
बद- मिजाज वि० [फा.] चीडियं; खराब मिजाज के स्वभावनुं (नाम, - जी स्त्री ० ) बद-रंग वि० [फा.] बूरा, बगडी के ऊडी गयेला रंगनुं ( २ ) पुं० पत्तांमां ऊतरथी बीजो रंग. (नाम, गी स्त्री ० ) बदर पुं० [सं.] बोर के बोरडी (२) कपास के कपासियो
बदर अ० [फा.] बहार निकालना = हिसाबमां कोईनी जमाबाकी काढवी बदरनवीस पुं० [फा.] हिसाबनी भूलो काढनार (नाम, -सी स्त्री० ) बदर-रौ स्त्री० [फा.] मोरी बदरा पुं० ( प. ) वादळ (२) स्त्री० [सं.] कपास; वेण
बद-राह वि० [फा.] बदरस्ते चडेलुं; बूरुं बदरि, ०का, -री स्त्री० [ सं . ] बोरडी बदह वि० जुओ 'बदराह' बदल ( - ला ) पुं० [ अ ] बदलो ( २ ) फेरफार (३) अवेज
बद- लगाम वि० [फा.] बेलगाम; निरंकुश बदलना अ०क्रि० बदलावु : फरवुं (२) स०क्रि० बदलवु; फेरववुं (३) फेरबदली के अदलबदलो करवो बदला पुं० जुओ 'बदल'
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बदली
बदली स्त्री० वादळांनी घटा (२) बदली बदलोवल स्त्री० अदलाबदली बद-वज्रा वि० [फा.] रीतभात के ढंगधा विनानुं; कढंगु
बद-शकल, बद-सूरत वि० [फा.] कदरूप बद- शगून वि० अशुभ; अपशकनियुं
( नाम, ती स्त्री ० ) [ ( -क़गी स्त्री० ) बद-सलीक़ा वि० [फा.] कढंगुं; फूवड बदसलूकी स्त्री० [फा.] बूरो खोटो व्यवहार के वर्तन
-दस्त अ० [फा.] हाथे; द्वारा; मारफत बदस्तूर अ० [फा.] दस्तूर मुजब; जेमनुं म; यथापूर्व
बद-हजमी स्त्री० [फा.] अपचो; अजीरण बदहवास वि० [फा.] बेबाकळं; विकळ (२) बेहोश [ बेहाल बद-हाल वि० [फा.] बूरा हालवाळु; बदा वि० नसीबमां लखायेलुं; नियत बदान स्त्री० बदवुं ते (जुओ 'बदना' ) दादी स्त्री० चडसाचडसी; होड बदाम पुं०, - मी वि० जुओ 'बादाम, - मी' बदी स्त्री० वदि; कृष्णपक्ष (२) [फा.] बदी; बुराई [-ने लईने
ब-दौलत अ० [फा.] कृपाथी; कारणथी; बद्दर ( - ल ) पुं० वादळ बद्द पुं० बदमास; दुराचारी
बद्ध वि० [सं.] बांधेलु के बंधायेलं. ० कोष्ठ पुं० बंधकोश
बद्धी स्त्री० रसी; दोरी (२) एक घरेणुं बद्र पुं० [फा.] पूनमनो चांदो बघ पुं० वध बधना सof वध करवो (२) पुं० नाळचावाळं जळपात्र, जेवुं के मुसलमान प्रायः वापरे छे
३६३
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बनाबन
बधाई स्त्री० वृद्धि (२) वधाई; वधामणी (३) आनंदोत्सव (४) धन्यवाद बधाया ( - वा) पुं० वधामणी बधिक पुं० वध करनार (२) जल्लाद (३) शिकारी
बधिया पुं० खस्सी करेलुं पशु बधिर वि० [ सं . ] बहेरुं बघू स्त्री० वधू; बहु [ ( ३ ) नववधू बघूटी स्त्री० पुत्रवधू ( २ ) सधवा स्त्री बध्य वि० वध्य; वधने पात्र बन पुं० वन बनकर पुं० वननी पेदाश बनजर स्त्री० जुओ 'बंजर' बनजारा पुं० वणजारो (२) वेपारी. ( - रन, - री स्त्री०) बनत स्त्री० बनावट (२) मेळ; बनवुं ते बनना अ०क्रि० बनवु बन आना, पड़ना
=
- सुयोग मळवो; लाग खाई जवो. बनकर = बनीठनीने; बरोबर. -ठनना, -संवरना = बनवुंठनवुं बना रहना = कायम रहेवुं (२) जीवतुं रहेवुं बनफ़शा पुं० [फा.] बनफशा; एक औषधिनी वनस्पति - पशई वि० बनफशाना रंगनुं बनबिलाव पुं० रानी बिलाडो बनरा पुं० बनडो (वर; लग्ननुं गीत ) बनरी स्त्री० बनडी; कन्या बनवारी पुं० श्रीकृष्ण बना पुं० बनडो; वर बनात स्त्री० बनात कपडुं बनाना स०क्रि० बनाववुं रचवुं इ० (२) वीणवुं ( ३ ) समारखं बनाबं ( - बन ) त पुं० सगाई करवा माटे जनमोतरी मळवी - बेसती आववी ते
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[ बनातनुं -ती वि०
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बनाम
बनाम अ० [फा.] नामथी विरुद्धमां
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प्रति;
बनाय अ० पूरेपूरुं; अच्छी तरह बनाव पुं० बनावट; रचना (२) शणगार; नवंनवं ते ( ३ ) युक्ति
बनावट स्त्री० बनावट; रचना ( २ ) आडंबर; देखाव. -टी वि० नकली; कृत्रिम
बनावन पुं० विणामण
बनाव- सिंगार पुं० बनवुंठनवं ते बनासपती स्त्री० ( प. ) वनस्पति; शाक, घासपालो इ० [' बनजारा, - ' बनिजारा पुं०, रिन, - री स्त्री० जुओ बनिता स्त्री० वनिता; स्त्री बनिया पुं० वाणियो (२) मोदी बनियान स्त्री० वाणियण ( २ ) [इं. बॅनियन] गंजीफराक [ मुकाबले बनिस्बत अ० [फा.] सरखामणीमां; बनी स्त्री० वनखंड (२) बाग; नानुं वन के वाटिका (३) नववधू (४) जुओ 'बन्नी' (५) पुं० बनियो; वाणियो नोनी स्त्री० 'बनिया'नी स्त्री बनेठी स्त्री० बनेटी
बनला वि० वननुं; जंगली बन्नात स्त्री० जुओ 'बनात ' बन्नी स्त्री० अनाजमां अपाती मजूरी बपतिस्मा पुं० [इं. बॅप्टिझम ] जलदीक्षा au ( - पु) मार वि० बापने मारनार (२) सौने दगो देनार
बपु पुं० (प.) वपु; शरीर बपुरा वि० बापडुं; बीचारुं बपौती स्त्री० बापीकी जायदाद - वारसो बफारा पुं० दवा नांखी बाफथी अपातो नास के ते दवा
३६४
बरकंदाज
बबकना अ० क्रि० भभूकी. ऊठीने बोलवु बबर पुं० [अ.] सिंह
बबुआ पुं० (स्त्री० - ई) पुत्र के जमाई माटे लाडनुं संबोधन; बाबु; बचु बबूल पुं० [सं. बब्बूर] बावळ बबूला पुं० जुओ ‘बगूला' (२ ) परपोटो बभूत स्त्री० भभूत; भस्म
म पुं० बॉम्ब (२) बम बम अवाज. - बोलना या बोल जाना = : ठंठण गोपाळ थवं
बमकना अ०क्रि० शेखी मारवी; बडाई हांकवी (२) जुओ 'बबकना' बमगोला पुं० बॉम्बगोळो बमचख स्त्री० शोरबकोर (२) झघडो
पुलिस पुं० जुओ 'बंपुलिस' ब- मुकाबला अ० [फा.] समक्ष सामे (२) विरुद्धमा ( ३ ) तुलनामां बमूजिब अ० [फा.] मुजब; अनुसार बयस स्त्री० वय; उंमर बयाज स्त्री० [ अ ] नोंध के तेनी चोपडी बयान पुं० [फा.] ब्यान; हेवाल; वर्णन बयाना पुं० [ अ. बैआन: ] बानुं; 'पेशगी' बयाबान पुं० [फा.] बियाबान; जंगल बयार, रि, -री स्त्री० (प.) हवा; पवन. - करना = पंखो के पवन नांखवो बर पुं० वर (२) वरदान (३) बल (४) वि० वर; श्रेष्ठ
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बर अ० [फा.] उपर. - आना, -पाना = बर आववुः सफळ नीवडवुं बर-अक्स अ० [फा.] ऊलटुं बर-आमद वि० [फा.] जुओ 'बरामद ' बरई पुं० तंबोळी (स्त्री० - इन ) बरकंदाज पुं० [फा.] मोटी लाठी के बंदूकवाळो सिपाई; बंदूकची
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बरकत बरकत स्त्री० [अ.] बरकत; आबादी (२) एक बे . . एम गणतरीमा एक माटे वपराय छे (३) समाप्ति (शुभ- सूचक अर्थमां) (४) कृपा. -उठना%3 बरकत न आववी; पडती थवी; घटवू. -देना=बरकत पूरवी. -होना बरकत
आववी बरकती वि० बरकतवाळू बरकना अ० क्रि० मटवू; टळवू(२) हठवू; ।
दूर रहेवू बर-करार वि० [फा.+अ.] कायम (२)
मोजूद बरकाज पुं० विवाह बरखास्त वि० [फा.] (सभा) वीखरायेलं । (२) (नोकरी के काममांथी) दूर करायेलं; बरतरफ (नाम, गी स्त्री०) बरखिलाफ़ अ० [फा. प्रतिकूळ; विरुद्ध बर-खुरदार पुं० [फा.] पुत्र (२) वि०
खाधेपीधे सुखी (नाम, -री स्त्री०) बरगद पुं० वडनुं झाड बरछा पुं० बरछो; भालो बरछत पुं० बरछो चलावी जाणनार बरजना सक्रि० रोकवू; मना करवी बरजबान वि० [फा.] कंठस्थ; याद बर-जस्ता वि० [फा. बरोबर; सचोट बरजोर वि० जोरावर (२) अत्याचारी बरजोरी अ० बळपूर्वक (२) स्त्री० ।
जबरदस्ती बरत पुं० व्रत (२) वरत; दोरडु बरतन पुं० वासण (२) वर्तन; वर्ताव बरतना अ०क्रि० वर्त, (२) स०क्रि०
वापरतुं; काममा लेवू बरतर वि० [फा.] बहेतर; वधारे सारं बरतरफ़ वि० [फा.] काढी मूकेलं (२)
बरमा अ० एक तरफ; किनारे; अलग (नाम, -फी स्त्री०)। बरतरी स्त्री० [फा.] श्रेष्ठता; साराई बरताना सक्रि० बहेंचवं बरताव पुं० वर्ताव; वर्तन बरतोर पुं० बालतोड - फोल्लो बरदा पुं० [तु.] दास; लडाईमां पकडेलो
गुलाम बरदा(-धा)ना सक्रि० मादाने नर देखाडवो (२) अ०क्रि० मादा गाभणी थवी बरदा-फ़रोश वि० [फा.]गुलामनो वेपारी (नाम, -शो स्त्री गुलामी वेपार) बरदार वि० [फा.] वही जनार बरदाश्त स्त्री० [फा.] खमयूँ ते; सहन
करवं ते बरधा पुं० बळद [बरदाना' बरधाना सक्रि० (२) अ०क्रि० जुओ बरन पुं० (प.) वर्ण; रंग (२) अ० बलके बरना सक्रि० वरवं (२)अ०क्रि० बळवू बरपा वि० [फा.] खडु थयेलं; मचेल बरफ़ स्त्री० 'बर्फ़'; बरफ. -फ़ानी वि०
बरफन: बरफवाळ बरफ़ी स्त्री० बरफी मीठाई बरबर पु० बर्बर जातिनो माणस (२) स्त्री० बडबडाट: बकबक. -रियत स्त्री० बर्बरता; जंगलीपर्यु बरबस अ० बळपूर्वक (२) व्यर्थ बरबाद वि० [फा.] खुवार; तबाह; नष्ट. [नाम, -दी स्त्री.] बर-मला अ० [अ.] खुल्लामां;सौनी सामे बर-महल वि० [फा.] योग्य; मोका
परतुं (२) अ० वखत पर; 'बरवक्त' बरमा पुं० (स्त्री० -मी) शारडी
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परमी
बर्खास्त बरमी पुं० बर्मी; ब्रह्मदेशवासी (२) बराबर वि० [फा.] बराबर; समान (२) स्त्री० ब्रह्मदेशनी भाषा (३) वि० तेने सरखं; सपाट (३) अ० लगातार; लगतुं (४) स्त्री० नानी शारडी
सतत (४) हमेश. -करना=पूरुं करवं. बर-वक्त अ० [फा.] बरोबर वखत पर; -से निकलना--नी पासेथी जदूं वखतसर
बराबरी स्त्री० [फा. समानता (२) बरवट स्त्री० प्लीहानो रोग
सरसाई; स्पर्धा; सामनो । बरस पु० वरस. गाँठ स्त्री० वर्षगांठ बरामद वि० [फा.] बहार के सामे बरसना अक्रि० वरसवं. बरस पड़ना आवेलू; उपस्थित (२) स्त्री० जुओ = खूब गुस्से थई वढवू
'गंगबरार; दियारा' (३) आमदानी बरसाइत स्त्री० वटसावित्री व्रत बरामदा मुं० [फा. वरंडो (२) छर्जु बरसात स्त्री० वरसादनी ऋतु बरामीटर पुं० बॅरोमीटर बरसाती वि० वरसादने लगतुं (२) पुं० बराय अ० [फा. वास्ते; माटे. नाम वरसादमां थतो एक जातनो फोल्लो __ = नामनु ; कहेवानु लोढानें कडं (३) छत पर करातो अमुक ओरडो बरायन पुं० विवाहमां वरने पहेरावातुं बरसी स्त्री० वरसी; वार्षिक मृतक्रिया बराव पुं० 'बराना-बचq ते; निवारण बर-हक वि० [फा.] हकनु (२) उचित बरास पुं० एक जात, कपूर (३) साचुं
स्त्री०) बराह पुं० वराह (२) अ० [फा.] तरीके बरहना वि० [फा.] नागु (नाम, -नगी (३) द्वारा; मारफत बरहम वि० [फा. गुस्से थयेलु(२)चकित बरी स्त्री० वडी (२) वरपक्ष कन्याने बरहा पुं० पाणीनो ढाळिमो (२) वरत वस्त्र वगेरे (लग्नविधि बाद) आपे छे (कोसनी)
ते (३) वि० (प.) बली; बळवान बरही पुं० मोर; बी (२) मरघो (३) बरी वि० [फा.] मुक्त; छूट स्त्री० जन्म पछी बारमा दिवसनी बरु अ० (प.) भले; ठीक [उपनयन अमुक क्रिया (४) भारो बांधवानुं बरुआ(-वा) पुं० बडवो; बटुक (२) दोरडु (५) लाकडांनो भारो बरु (-रौ)नी स्त्री० पापण के तेनो वाळ बरांडा पुं० वरंडो; 'बरामदा'
बरेंडा पुं० छापरानो मोभारो। बरांडी स्त्री० ब्रान्डी दारू
बरेखी,-च्छा,-षी स्त्री० सगाई; विवाहबरा पुं० खावानुं वर्ल्ड
संबंध ठराववो ते बराक पुं० [सं. वराक युद्ध (२) वि० बरोक पुं० सगाई कर्यानो चांल्लो कंगाळ; गरीब; बापडं (३) नीच । बरोह स्त्री० वडवाई बरात स्त्री० जान. -ती पुं० जानयो बरौनी स्त्री० जुओ 'बरुनी' तेज बरानकोट पुं० [इं. ब्राउनकोट] बुरानकोट बर्क स्त्री० [अ] वीजळी (२) वि० चपळ; बराना अ०क्रि० बचवं; अलग रहे, बर्कत स्त्री० जुओ 'बरकत' । (२) सक्रि० वरवं; पसंद करवं; चूंट बर्खास्त वि० जुओ 'बरखास्त'
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बर्ग
बर्ग पुं० [फा.] झाडनुं पान बर्छा पुं० जुओ 'बरछा' बर्जना स०क्रि० जुओ 'बरजना' बर्तना अ०क्रि० जुओ 'बरतना ' बर्ताव पुं० जुओ ' बरताव ' बर्दाश्त स्त्री० जुओ 'बरदाश्त ' बर्फ़ स्त्री० [फा.] बरफ बर्फानी, बर्फीला वि० [फा.] बरफनुं बफ़िस्तान पुं० [फा.] बरफनो प्रदेश बर्फ़ी स्त्री० जुओ 'बरफ़ी' बर्बर पुं० [सं.] जुओ 'बरबर' बरं पुं० [अ.] स्थळ; जमीन (२) वन बर्र-ए-आजम पुं० [ अ ] महाद्वीप बक़ वि० [अ.] चमकतुं ( २ ) 'बर्क' ; तेज; चपळ
बर्राना अ० क्रि० बक( २ ) बबडव; लवरी बर्रे पुं० 'तितैया '; भमरी बलंद वि० [फा.] बुलंद (२) बहु ऊंच; श्रेष्ठ (नाम, - दी स्त्री ० )
बल पुं० वळ; आमळ (२) आंटो (३) आंटी; गांठ (४) लचक - झूक ते (५) कमी; कसर (६) [सं.] बल; शक्ति. खाना = वळ खावो, समावो (२) कसर के खोट खावी - खमवी (३) कावुं; 'ऐंठना'
बलकट वि० 'पेशगी'; अगाउथी अपातुं बलक ( ग ) ना अ०क्रि० ऊकळवुं (२) ऊमटवुं
बलग़म पुं० [अ.] कफ (वि० मी) बलद पुं० [सं.] बळद. - दिया पुं० गाय
बळद चरावनार
बलना अ०क्रि० बळवं बलबलाना अ०क्रि० बबडवुं; व्यर्थ बकवुं (२) ऊंटनुं बोलवु . ( नाम, - हट स्त्री० )
३६७
बल्लम
बलभी स्त्री० छत परनी कोटडी; 'बरसाती'
बलवंत वि० ( प. ) बळवान; जबरुं बलवा पुं० [फा.] बळवो बलवाई पुं० बळवाखोर
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बला स्त्री० [ अ ] बला (२) दु:ख; आफत (३) रोग. - का = गजब; भारे बलाक पुं० [ सं . ] बगलो बलात स्त्री० [ अ ] प्रसंगोचित बोलवु ते (२) जुवानी; उमरे पहोंच ते बलाढ्य वि०[सं.]बळवान (२) पुं० अडद बलात्कार पुं० [सं.] जबरदस्ती; अत्याचार बलाय स्त्री० बला
बलि पुं० [सं.] महेसूल; करभार ( २ ) भेट (३) पूजापो (४) वळि; भोग (५) स्त्री० सखी -जाना = वारी जवं बलिदान पुं० [ सं . ] बलिनुं अर्पण; त्याग; कुरबानी
बलि ( - ली ) वर्द पुं० [सं.] बळद बलिष्ठ वि० [सं.] खूब बळवान बली वि० [सं.] बळियुं ( २ ) स्त्री० जुओ 'वली'
बलिहारी स्त्री० वारी जवुं; कुरबान थबुं ते. - जाना=वारी जबुं -लेना = प्रेम बताववो
बलीग़ पुं० [ अ ] सरस वक्ता बलुआ वि० रेतीवाळु रेताळ (स्त्री०-ई) बलूत पुं० [ अ ] एक झाड बले अ० [फा.] हा; ठीक बलैया स्त्री० बला . ( किसीकी) बलैया लेना = धन्यवाद के शुभाशिष बताववी बल्कि अ० [फा.] बल्के (२) परंतु प्रत्युत बलराम पुं० [ अ ] जुओ 'बलग़म ' बल्लम पुं० सोटो;दंडो (२) बरछी (३) छडी
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बल्लमटेर
बल्लमटेर पुं० 'वॉलंटियर'; स्वयंसेवक बल्लम- बर्दा (-रदा) र पुं० अनुचर; छडीदार
३६८
बल्ला पुं० सोटो; लाकडानो वळो (२) हसुं (३) बॉल बॅट [हलेसुं इ० बल्ली स्त्री० नानो 'बल्ला'; वळी, बड़ना अ०क्रि० भटकवुं; रखडवुं बवंडर पुं० वंटोळियो (२) आंधी बवना स०क्रि० ( प. ) वाववुं; 'बोना' (२) विखेरवुं
बवासीर स्त्री० [ अ ] हरसनो रोग बशर पुं० [ अ ] मनुष्य बशारत पुं० [अ.] शुभ समाचार बशाशत स्त्री० [ अ ] खुशी; प्रसन्नता बशीर वि० [अ०] 'बशारत', शुभ समाचार लावनार (२) सुंदर
शाश वि० [अ.] राजी; खुश बसंत पुं० वसंत - ती वि० वसंतनं के ते संबंधी
बसंदर पुं० आग
बस अ० पूरतुं; 'काफ़ी' [फा.] (२) पुं० वश; काबू (३) स्त्री० [इं.] मोटर बस बसन पुं० ' वसन'; वस्त्र बसना अ०क्रि० वसवुं; रहेवुं (२) पुं० वासण ( ३ ) वांसळी; थेली; कांई लपेटीने राखवानुं वस्त्र बसर पुं० [अ.] निर्वाह; गुजारो बसरो-चश्म अ० [फा.] राजीखुशीथी बसवार पुं० वघार
बसवास पुं० वास; वसवाट बसह पुं० वृषभ; बेल बसा - औक़ात अ० [फा.] वारंवार बसारत स्त्री० [अ.] दृष्टि (२) समज बसीक (ग) त स्त्री० वस्ती ( २ ) वसवाट
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बहराना
बसीठ पुं० दूत. -ठी स्त्री० दूतकार्य बसीना पुं० ( प. ) वास; रहेठाण) बसीरत स्त्री० जुओ 'बसारत' बसूला पुं० वांसलो (स्त्री० -ली) बसेरा वि० वसनार ( २ ) पुं० निवास (३) उतारो. री वि० ( प. ) वसनार बसैया वि० ( प. ) वसनार बसौधी स्त्री० बासूदी; 'बड़ी' बस्ट पुं० [इं. ] छाती सुधीनुं बावलुं बस्ता पुं० [फा.] कागळपत्र इ० बांधवानुं कपडुं [ जगा बस्ती स्त्री० वस्ती के तेना वसवाटनी बहँगा पुं० मोटो बांगो; कावड. (स्त्री० गी)
बहकना अ० क्रि० बहेकवुं; वंठी जवुं (२) फुलावुं ( ३ ) बीजी वातमां पडी राजी थवुं (बाळके) (प्रेरक, बहकाना ) बहत्तर वि० बोतेर; ७२
बहन स्त्री० बहेन ( २ ) वहन; वहेवुं ते बहना ० ० वहेवुं (२) वही - बहेकी जवुं बहनापा पुं० बहेनपणां बहनेली स्त्री० बहेनपणी बहनोई पुं० बनेवी [शुभ कार्य बहबूदी स्त्री० [फा.] भलाई; उपकार (२) बहम अ० [फा.] साथे; जोडे (२) ( प. ) वहेम पहुँचाना = आणी आपवुं बहर अ० [फा.] माटे; सारु ( २ ) पुं० [अ. बह्र] समुद्र [कोई रीते बहरहाल अ० [फा.] गमे तेम करीने; बहरा वि० बहेरुं (२) पुं० [फा.] नसीब; (३) हिस्सो
बहराना स०क्रि० बहार काढवु ( २ ) (प.) राजी करवुं, दु:ख भूले एम करवुं (३) फोसलावबुं
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बहरावर
बहरावर वि० [फा.] नसीबदार बहरियाना स०क्रि० 'बहराना'; बहार
बहरी वि० स्त्री० [फा.] बहेरी ( २ ) स्त्री० बाज जेवुं एक पक्षी (३) 'बहर' - समुद्र संबंधी
बहरो वि० ( प. ) बहेरो
बहल, -ली स्त्री० बहेल; रथ बहलना अ०क्रि० चित्त प्रसन्न थ बहलाना स०क्रि० बहलाववुं; 'बहकाना'; चित्त प्रसन्न करवुं
बहलाव पुं० बहलावबुं ते; मनोरंजन बहली स्त्री० वहेल; 'बहल'
O
बहस स्त्री० [अ.] वादविवाद, चर्चा; बोस बहसना अ०क्रि० 'बहस' - चर्चा करवी बहा पुं० [फा.] मूल्य; किंमत बहादुर वि० [फा.] शूरवीर; पराक्रमी; नीडर. - री स्त्री० शूरवीरता बहाना स०क्रि० 'बहना' नुं प्रेरक ( २ ) पुं० [फा.] निमित्त; बहानं. -बनाना= बहानुं काढ
बहार स्त्री० [फा.] बहार; भभको के आनंद; मजा (२) वसंत ऋतु ( ३ ) विकास. - पर आना, - पर होना = बहारमां आवj; खीलवु [ प्रसन्न; स्वस्थ बहाल वि० [फा.] कायम; पूर्ववत् ( २ ) बहाली स्त्री० [फा.] बहाली; कायम
राखवुं ते (२) बहानुं बहाव पुं० प्रवाह; वहेण ['बहनापा' बहिन स्त्री० बहेन - नापा पुं० जुओ बहिरंग वि० [ सं . ] बहारनुं बहिर - रा वि० ( प. ) बधिर; बहेरु बहिराना अ०क्रि० बहार होवुं के धुं (२) स०क्रि० बहार काढवु हि-२४
३६९
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बहिला वि० वांझियुं (ढोर) बहिश्त पुं० [फा.] बहिस्त; स्वर्ग fect पुं० [फा.] भिस्ती ( २ ) स्वर्गमां रहेनार (३) वि० स्वर्ग सम्बन्धी बहिष्कार पुं० [सं.] बहार करवुं के काढवुं ते; 'बायकाट' [ त्यक्त बहिष्कृत वि० [सं.] बहिष्कार करायेलुं; बही स्त्री० वही; चोपडो बहीर स्त्री० जनसमूह; भीड (२) फोज साथेनो मददनीश नोकर वगेरेनो वर्ग के तेमनी सामग्री
बहु वि० [ सं . ]
बहुज्ञ वि० [ सं . ] जाणकार; तद्विद बहुत वि० बहोत; घणुं; अनेक. - करके = घणुं करीने; प्राय:. -कुछ = घणुं; सारी पेठे. - खूब= खुब सरस बहुताई ( -त-यत ) स्त्री० बहुता; अधिकता [रीते बहुतेरा स्त्री० बहोत (२) अ० अनेक बहुतेरे वि० संख्यामां बहु
[सं.] प्रायः घणुं करीने (२)
बहुधा अ० अनेक रीते
बहुश्रुत
घणुं अनेक
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बहुमत पुं० [ सं . ] बहुमती ( २ ) अनेक जुदा जुदा मत
बहुमूत्र पुं० [सं.] पेशाबनो एक रोग बहुमूल्य वि० [सं.] कीमती बहुरना अ०क्रि० पार्छु आवबुं ( २ ) फरी मळवु [वघुम बहुरि अ० ( प. ) फरी ; पुन: ( २ ) उपरांत; बहुरिया स्त्री० नववधू; कन्या बहुरूपिया पुं० बहुरूपी बहुल वि० [सं.] बहु; अधिक बहुला, -ली स्त्री० [सं.] इलायची बहुश्रुत वि० [ सं . ] विद्वान; कुशळ
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३७०
बहू
बहू स्त्री० वहु ( पत्नी के पुत्रवधू) (२) कन्या; वधू
बहेड़ा पुं० बहेडानुं झाड बहेतु वि० भटकतुं; रखडतुं बहेलिया पुं० पारधी; शिकारी बहोरि अ० ( प. ) ' बहुरि '; फरी बह्र पुं० [ अ ] 'बहर'; समुद्र ब -रवाँ पुं० [फा.] जहाज ; वहाण बाँ पुं० ( प. ) वार; वेळा (२) अ० गाय बळदनो रव - बांगरडवुं ते
बाँक पुं० वांक - एक घरेणुं (२) वांकापणुं वळांक [ छेलबटाउ बाँका वि० वांकुं (२) बहादुर (३) बंको; बाँग स्त्री० [फा.] पोकार ( २ ) नमाझनी बांग (३) कूकडानो अवाज बाँगड़ ( - र) पुं० वागड; ऊंचो प्रदेश, जेवो के पंजाबनो हरियाना
बांगड़ वि० मूर्ख; बेवकूफ बाँगर पुं० जुओ 'बाँगड़' बाँगा पुं० कपास
बाँगुर पुं० जाळ; फांदो [ ( ३ ) बाकी रहे बाँचना स० क्रि० ( प. ) वांचवं (२) बचवुं बाँझ स्त्री० वांझणी; वंध्या बाँट स्त्री० वहेंचणी (२) भाग बाँटना स०क्रि० वहेंचवुं ( २ ) भाग पाडवा बाँटा पुं० जुओ 'बाँट' [ असहाय बाँडा वि० बाडुं (पशु) (२) एकलुं; बाँद पुं० [फा. बंदा] सेवक; दास (स्त्री० - दी) [फणगो बाँदा पुं० वांदो - झाडने थतो नकामो बाँदी स्त्री० दासी; लूंडी
बाँध पुं० नदी इ० नो बंध बाँधना स०क्रि० बांधवुं (२) रोकवुं (३) नक्की कर
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बाकला
बाँधनूं पुं० पहेलेथी बांधेली अटकळ ; मनसूबो (२) रंगरेजनी बांधणी बांधव पुं० [ सं . ] बंधु, भाई बाँबी स्त्री० ऊधई के सापनुं घर बाँस पुं० वांस -पर चढ़ना = बदनाम के फजेत थवुं . - बजना = मारपीट थवी; लाकडीओ चालवी. बाँसों उछलना= खूब राजी थ
बाँसली स्त्री०वांसळी (वाद्य के रूपियानी ) बाँसुरी स्त्री० वांसळी
बाँह स्त्री० बांय (हाथ के कपडानी बांय ). - गहना या पकड़ना = मदद करवी (२) परणवुं चढ़ाना=बांयो चडावीने लडवा तैयार थवुं. -टूटना = खरी सहाय जवी. - देना = मदद करवी. - बुलंद होना=साहसिक के उदार होवु बाँह बोल पुं० मदद के रक्षा करवानुं
वचन
बा अ० [फा.] ( पूर्वग ) साथे; सहित. उदा० बा-अदब = = विवेकपूर्वक. बाअसर =असरकारक; प्रभावशाळी बाइबिल स्त्री० बाइबल
बाइस पुं० [अ.] कारण; सबब (२) वि० जुओ 'बाईस'
बाइसिकल स्त्री० [इं.] साइकल बाई स्त्री० वायु (२) बाई
बाईस वि० २२; बावीस. -सी स्त्री० बावीसी; बावीसनो समूह बाउर वि० (प.) बावरुं; गांडु; मूर्ख बाओं अ० जुओ 'बायें"
बाक चाल वि० बहुबोलुं; वाचाळ बाक़र पुं० [ अ ] मोटो विद्वान के धनी बाक़र खानी स्त्री० [अ.] एक जातनी रोटी बाला पुं० [अ.] वटाणा जेवी एक फळी
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बा-क़ायदा
बा-कायदा वि० [फा.] नियम के कायदा मुजब; कायदेसर
बाक़ियात स्त्री० [अ०] बाकी रकमो बाकिरा स्त्री० [अ.] कुमारी बाक़ी वि० [अ] बाकी ( २ ) स्त्री० बाबाकी (३) अ० बाकी; नहि तो बा-ख़बर वि० [फा.] वाकेफ; 'जानकार' बा-खुदा वि० [फा.] ईश्वरनुं भक्त बाग, बागडोर स्त्री० लगाम बारा पुं० [ अ ] बाग; बगीचो, बाग़ होना = खुश खुश थई जवुं बाबा (वा) न पुं० [फा.] माळी. नी स्त्री० माळीकाम
बाग़
बागर पुं० वागड; नदीकांठानो ऊंचो प्रदेश ज्यां कदी नदीनुं पाणी न पहोंच होय
बा-गरज वि० [फा.] गरजु; गरजवाळुं बागा पुं० वाघो; जामो
बाग़ाती स्त्री० [फा.] बागायती ज़मीन बाग़ी पुं० [ अ ] राजद्रोही (२) वि० बाग संबंधी
बाग़ीचा पुं० [फा.] बगीचो; नानो बाग बागुर पुं० जाळ; फांदो
बाघंबर पुं० वाघ-चामडुं (२) एक जानो कामळो
बाघ पुं० वाघ
बाछ स्त्री० होठना बे छेडा. बाछे खिल जाना = खड खड हसवं बाछा पुं० वाछडो (२) वत्स; छोकरो बाज पुं० [फा.] बाज पक्षी ( २ ) वि० नामने लागतां, ते 'वाळू' के '- मां कुशळ' के 'शोखीन' अर्थ बतावतो प्रत्यय ( ३ ) वगरनुं वंचित; रहित (४) [ अ. बअज] थोडंक; केटलुंक;
३७१
बाजूबंद
अमुक. -आना = = पार्छु आववुं ( २ ) वगरनुं थवुं; खोवुं (३) दूर रहेवुं. - करना, - रखना = रोकबुं; मना करवी बाज - गश्त वि० [फा.] पार्छु आवतुं; ऊलटुं बाज - गुजार पुं० [फा.] कर भरनार बाज-दावा पुं० [फा.] दावा- अधिकारनो त्याग; फारगती बांजन पुं० वाजु; वाद्य
बाजना अ०क्रि० वागवुं बजवुं (२) बाझवुं; लडवुं (३) जाहेर थवुं ( ४ ) वागवुं; लागवुं बाजरा पुं० बाजरी
बाजा पुं० वाजुं. ०गाजा पुं० वागतुं गाजतुं ते; अनेक वागतां वाजांनो समूह बा-जाता अ० [फा.] जापताथी; नियमथी (२) वि० नियमवाळं 'बाक़ायदा ' बाजार पुं० [फा.] बजार. - करना = खरीदी करवा बजारमां जवुं. गर्म होना = घराको खूब होवा (२) काम जोरथी चालबुं
बाजारी ( - रू) वि० [फा.] बजार संबंधी (२) बजारु; सामान्य के अशिष्ट बाजिन्दा पुं० [फा.] खेलाडी (२) बाजंदुधूर्त (नाम, न्दगी स्त्री ० ) बाजि, - जी पुं० [सं.] घोडो; वाजी बाजी स्त्री० [फा.] बाजी; शरत; होड; दाव. - मारना = बाजी जीतवी. - ले जाना = फाववुं; आगळ जवुं बाजीगर पुं० [फा.] जादुगर बाजीचा पुं० [फा.] रमकडुं
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बाजु अ० ( प. ) 'बाज'; सिवाय; विना बाजू पुं० [फा.] बाहु; हाथ (२) बाजु; तरफ (३) पक्षीनी पांख. ० बंद पुं० एक घरेणुं
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बाट ३७२
बाधित बाट पुं० वाट; रस्तो (२) तोलवानुं बाद पुं० वाद; बोस (२) वाद; होड; बांट (३) वाटवानो बत्तो
शरत (३) अ० व्यर्थ; 'बादि (४) बाटना सक्रि० वाटq (२)जुओ ‘बटना' वि० बाद; कम (५) पुं० [फा.] वात; बाटिका स्त्री० वाटिका; वाडी
हवा (६) अ० [अ.] बाद; पछी बाटी स्त्री० बाटी-रोटी (२) गोळी बाद-कश पुं० [फा.] धमण झघडवू बाड़ स्त्री० वाड (२) धार
बादना सक्रि० (प.)वादविवाद करवो; बाड़व, -वानल पुं० वडवानळ
बाद-नुमा पुं० [फा.] वायुनी दिशा बाड़ा पुं० वाडो (स्त्री० -ड़ी) बतावनाएं यंत्र [बकबक करनारु बाडिस स्त्री० [इं. विलायती चोळी; बाद-फरोश पुं० [फा. खुशामतियं (२) बॉडिस
बादबान पुं० [फा.] वहाणनो सढ बाड़ी स्त्री० वाडी; वाटिका
बादर,-ल पुं० वादळ. -उठना, चढ़ना बाढ़ स्त्री० वृद्धि (२) रेल (३) लाभ; _ = वादळ चडी आववां नफो (४) सतत शस्त्र चालवं ते बादला पुं० कसबनुं बादलं (५) शस्त्रादिनी धार. -दगना= बादशाह पुं० [फा.] राजा; सुलतान. सतत तोप छुटवी
०त स्त्री० बादशाही; राज्यकाळ. -ही बाढ़ी स्त्री० 'बाढ़'; वृद्धि; लाभ स्त्री० 'बादशाहत' (२) वि० बादशाहनुं बाण पुं० [सं.] तीर
के तेने छाजे एवं [भारे कष्ट बात स्त्री० वात (२) पुं० वात; वायु. बाद-सख्त स्त्री० [फा.] आंधी (२) -का धनी, पक्का या पूरा-प्रतिज्ञा बाद-हवाई अ० [फा.] व्यर्थ; 'फ़जूल' के वचन पाळनार. -का बतंगड़ । बादाम पुं० [फा. बदाम. (वि०, -मी)' करना= रजनुं गज करवं. -खोना= बादि अ० (प) व्यर्थ; नकामं शाख बगाडवी. -पाना = रहस्य । बादियान पुं० [फा. वरियाळी समजी जq. -बनाना = जूठं बोलवू बादी वि० [फा.] वायु संबंधी (२) वायु (२) बहानं काढवू
करनारुं (३) स्त्री० वातविकार बातचीत स्त्री० वातचीत
बादे-सबा स्त्री० [फा.] पूर्वनी हवा बातिन पुं० [अ.] बातेन-अंदरनो भाग बाध पुं० मुंजनुं दोरडं (२)[सं.] अडचण (२) अंतःकरण .
बाधक वि० [सं.] बाध करे एवं बातिनी वि० [अ.] अंदरनुं (२) मननुं बाधना सक्रि०(प.)बाध नाखवो;रोकवू बातिल वि० [अ.] मिथ्या; जूठु; नकामुं बाधा स्त्री० [सं.] विघ्न; अडचण (२) (२) बातल; रदबातल
संकट; भय. -डालना, -देना=रोकवू; बाती स्त्री० बत्ती; वाट
विघ्न आणवू. -पड़ना, -पहुंचना= बातुल वि० [सं. वातुल] वायल; पागल विघ्न आवq बातूनिया, बातूनी वि० वातोडियं बाधित वि० [सं.] बाधमां नंखायेलं; बाथ पुं० बाथ; गोद
रोकायेलु (२) असंगत (तर्क)
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बाध्य ३७३
बारगीर बाध्य वि० [सं.] लाचार; विवश; बाबू पुं० बाबु; सद्गृहस्थ (आदरसूचक) फरजियात
बाभन पुं० बामण; ब्राह्मण बान पुं० बाण (२) वाण; दोरी (३) बाम वि० वाम; डाळ (२) पुं० [फा.] स्त्री० वान; वर्ण के बांधो के रचना घरनी मेडी के छत (३) स्त्री० एक (४) टेव; आदत
जातनी माछली (४) वाम माप बानगी स्त्री० वानगी; नमूनो बा-मजा वि० [फा.] मजेदार; स्वादिष्ट बानबे वि० बाणुं; ९२
बा-मजाक वि० [फा.] रसिक; विनोदी बानर पु० वानर; वांदरुं
बा-मुराद वि० [फा.] सफळ; फळीभूत बा-नवा वि० [फा.] सारा अवाजवाळू
बायँ वि० 'बायाँ'; डाबु (२) दाव के (२) संपन्न (३) समर्थ
__ लक्ष्य चूकेलं बाना पुं० पहेरवेश; पोशाक (२) रीत;
बायकाट पुं० [ई.] बॉयकोट; बहिष्कार ढंग (३) वणाट (४)वाणो (५) पतंगनो बायव अ० [फा. जेम जोईए एम. दोर (६) भाला जेवू एक शस्त्र (७) -व शायद वि० आदर्श; उत्तम सक्रि० पहोळं करवं; खोलवू (जेम बायन पुं० 'बयाना'; बानु (२) 'बैना'; के मोढुं)
वायन; भेट बानिया पुं० (प.) 'वनिया'; वाणियो
बायलर पुं० [इं.] बॉईलर बानिन स्त्री० वाणियण
बायाँ वि० डाबु (२) ऊलटुं (३) विरुद्ध बानी स्त्री० वाणी (२) प्रतिज्ञा (३) (४) पुं० बायुं तबलु. -देना= बची पुं० वाणियो (४) [अ.] प्रवर्तक; नेता
जवू; सरकी जq (२) जाणीने छोडवू बानत पुं० 'बाना' शस्त्र के बाण चलावी
बायु पुं० वायु जाणनार (२) योद्धो वडवो बायें अ० डाबी बाजू (२) विपरीत. बाप पुं० बाप; पिता. दादा पुं० पूर्वज; -होना= विरुद्ध के नाराज थवू बापुरा वि० बापडु; बीचारुं
बारंबार अ० वारंवार; फरी फरी बापू पुं० बापु
बार पुं० [फा.] भार; बोजो (२) बाफ स्त्री० बाफ; वराळ
परिणाम बापता पुं० [फा.]एक जातनुं रेशमी कपडु बार पुं० बार; द्वार (२) स्त्री० बार; बाब पुं० [अ.] प्रकरण; अध्याय वखत; फेरो (३) पुं० (प.) 'बाल'; केश बाबत स्त्री० [अ.] विषय; संबंध (४) बाळ; छोकरो [मकान बाबरची पुं० बबरची; 'बावर्ची' बार (-रि)क स्त्री० बराक; फोजनुं बाबरी स्त्री० वाळनी बाबरी- लांबा बारकश पुं० [फा.] बोजो लई जनार वाळनी जटा
गाडी
[(२) तंबू बाबा पुं० [तु.] बाप (२) दादा (३) बारग(-गा)ह स्त्री० [फा.] दरबार साधु संन्यासी माटे आदरवाचक शब्द बारगीर पुं० [फा.] बोजो उठावनार (४) बाबो; छोकरो (लाडनो शब्द) (२) बारगीर-घोडेसवार सैनिक
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बारजा ३७४
बारोठा बारजा पुं० खडकीनो मेडो के कठेरो बारही स्त्री० 'वरही'; बाळकना जन्म - अटारी अथवा वरंडो
___पछी बारमा दिवसनो उत्सव बारतिय स्त्री० 'वारस्त्री'; वेश्या बाराँ पुं० [फा.] वरसाद बारदान,-ना पुं० [फा.] बारदान (२) बारा वि० बाळ; नानुं (२) पुं० बाळक. फोजनुं सीधुंसामान
-रेते बाळपणथी के, बारेमें बारना सक्रि० वारवू; रोकवू(२)वाळवू बारा पुं० [फा.] विषय; बाबत. जेम बारनिश स्त्री० वार्निश; पालीस बारात स्त्री० 'बरात'; जान; वरयात्रा. करवानो रोगान
-उठना = जान ऊठवी-चालवी बार-बरदार पुं० [फा.] बोजो लई । बारानी वि० [फा.] वर्षा संबंधी (२) जनार; मजूर. (नाम,-री)
स्त्री० चोमासु खेती कराती जमीन (३) बारबधू, बार-मुखी स्त्री० (प.) वेश्या __ वरसादथी बचवा पहेरातुं कपडु बारयाब वि० [फा. मोटा माणस पासे बारामीटर पुं० बॅरोमीटर; 'बैरोमीटर'
जनार-पहोंचनार. -बी स्त्री० पहोंच; बारिक स्त्री० जुओ 'बारक'; बराक प्रवेश; गति
बारिश स्त्री० [फा. वरसाद (२) वर्षाऋतु बारह वि० बार; १२. -बाट करना। बारी स्त्री० वारी; पाळी (२) वाडी;
या घालनाबारेवाट-छिन्नभिन्न करी बगीचो (३) वाड (४) किनार; धार नांखवू.-बाट जाना या होना=छिन्न- (५) शस्त्रादिनी धार (६) घर; मकान भिन्न-रफेदफे थq
(७) वहाण- बारुं (८) नादान छोकरी बारहखड़ी स्त्री० बाराखडी
के युवती (९) पुं० पडिया पतराळां बारहदरी स्त्री० (मंडप जेवी) चारे पास बनावती एक जात. बारीका (ज्वर) खुल्ली बेठक
पाळीथी आवतो (ताव) बारहबान पुं०खरुं उमदा सोनुं. --ना,-नी बारीक वि० [फा.] झीगुं; पातळु; सूक्ष्म; वि० खरं (सोनु)
गूढ. -की स्त्री० बारीकाई बारहमासा पुं० बार महिनानुं गीत । बारीक-बी, -बीन वि० [फा.] बारीकाई बारहमासी वि० बारमासी (२) हमेश जोनार के समजनार.(नाम,-नी स्त्री०) लीलू रहेनार
बारू स्त्री० रेती; धूळ; 'बालू'. ०दानी बारह-वफ़ात स्त्री० [फा.] बारेवफात; स्त्री० रेतदानी महंमद पैगंबरना अंतिम मांदगीना बारूद स्त्री० [फा. बारूत; फोडवानो बार दिवस
दारू. ०खाना पुं० दारूगोळानुं गोदाम बारह-सिंगा पुं० बारसींगु हरण के भंडार बारहाँ पुं० बारमो दिवस (जन्म के बारे अ० [फा.] अंते; छवटे मरणनो)
बारेमें अ० संबंधमां; विषे बारहा अ० [फा.] वारंवार (२) प्रायः; बारोठा पुं० द्वारपूजा; वर द्वारे आवतां घणुं करीने
कराती क्रिया
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बाल ३७५
बाष्प बाल पुं० [सं.] वाळ (२) बाळक बालिरा पुं० [अ.] उमरे पहोंचेल जुवान (३) स्त्री० घउं इ०नुं डूंडं (४) पुं० बालिश स्त्री० [फा.] ओशीकु (२) वि० [फा.] पांख. -खिचड़ी होना=काळा [सं.] अज्ञान, बेसमज करतां धोळा वाळ वधु होवा. -न बालिश्त स्त्री० [फा.] वेत; 'बित्ता' बांकना = वाळ वांको न थवो. -पकना बालिस-ट्रेन स्त्री० बालास गाडी वाळ धोळा थवा. -बालबचना = मांड
बाली स्त्री० काननी वाळी-कडी (२) मांड बचवं
_ 'बाल'; डूंडु (३) वालि वानर । बालक पं० [सं.]वाळक; छोकरुं (२)नादान बालीदगी स्त्री० [फा.] वृद्धि; विकास बालटी स्त्री० डोल [फोल्लो बालीन पुं० [फा.] ओशीकुं बाल-तोड़ पुं० बालतोडो; एक जातनो बालुका स्त्री०, बालू पुं० रेती. -को बालना सक्रि० वाळवू; लगाडq
भीत = क्षणभंगुर वस्तु बालबच्चे पुं० बाळबच्चां; परिवार
बालू-दानी स्त्री० रेतदानी बालबोध वि० बाळक समजे एवं; सरळ
बालसा (-शा)ही स्त्री० एक मीठाई (२) स्त्री० बाळबोध लिपि
बाल्य पुं० [सं.] बाळपण बालम पुं० वहालम; पति; वल्लभ
बाव पुं० वायु (२) अपानवायु. -गोला
पुं० गोळानो रोग बालम-खीरा पुं० एक जातनी 'खीरा'
बा-वज वि० [फा.] सभ्य; शिष्ट - काकडी
बा-वजूद अ० [फा. तोपण बाल-विवाह पुं० [सं.] बाळलग्न
बा-वफ़ा वि० [फा. वफादार बाल-विधु पुं० [सं.] बीजनो चंद्र
बावड़ी स्त्री० वाव बाल-सूर्य पुं० [सं.] ऊगतो सूरज
बावन वि० ५२'. -गजका = पाकुं; बाला स्त्री० [सं.] बाळा; कन्या (२) खंधुं. -तोळे पाव रत्ती = तद्दन ठीक. नवयुवती (३) पत्नी
-वीर बहादुर बाला अ० [फा.] ऊंचे; उपर (२) वि० बावन (-ना) वि० वामन; ठीगणुं उपरतुं; उपलुं. -बाला= बारोबार; बावर पं० [फा. भरोसो; विश्वास उपर उपर
बावर(-रा,-ला)वि० बावलं;घेलु(२)मूर्ख बालाई वि० [फा. उपरतुं (२) स्त्री० । बावरची, बावर्ची पुं० [तु.] बबरची; दूधनी मलाई (३) ऊंचाई
रसोइयो. ०खाना पुं० रसोडु बालाखाना पुं० [फा. मेडो
बावर,-रा,-ला वि० बावलं; गांडु (२) बालापन पु० बाळपण
वायुना रोगवाळं बाला बाला अ० जुओ 'बाला' [फा.] मां बावली स्त्री० वाव (२) ऊंडी तलावडी बाला-भोला वि० भोळु भाछं; सीधुं साईं बावाँ वि० डावू; 'बायाँ' (२) प्रतिकूल बालाबर पुं० [फा.] एक जातनुं अंगरखं बाशिंदा पुं० [फा.] निवासी; रहीश बालार्क पुं० [सं.] बालसूर्य
बाष्प पुं० [सं.] बाफ; वराळ (२) आंसु बालिका स्त्री० [सं.] छोकरी; कन्या (३) लोढुं
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बास
बास पुं० वास; रहेठाण (२) वास, गंध (३) कपडुं (४) स्त्री० वासना ( ५ ) आग बासठ वि० ६२ बासठ
३७६
बासन पुं० वासण बासना स्त्री० वासना; इच्छा ( २ ) स०क्रि० ( प. ) सुवासित कर बासमती पुं० ए नामनी चोखानी जात बासर पुं० वासर; वार; दिवस (२) सवार बासा पुं० वीशी ( २ ) वास; रहेठाण बासिरा पुं० [ अ ] दृष्टि; नजर बासी वि० वासी. -कढ़ीमें उबाल आना = घडपणमा जुवानीनो उमंग थवो (२) कसमये कोई वासना ऊठवी बासी ईद स्त्री० ईदनो बीजो दिवस बासी - तिवासी वि० केटलाय दिवसनुं (वासी)
बासी मुँह अ० नयणे कोठे; खाली पेटे बाना स०क्रि० वही लाववुं (२) हांक (३) खेडवुं ( ४ ) हथियार चलाववुं बाहम, मी० [फा.] आपसमां; अंदरोअंदर बाहर अ० बहार (२) अलग; वेगळे. - करना = दूर करवुं
बाहरी वि० बहारनुं ( २ ) परायुं (३) देखवामात्र; उपरनुं
बाहिज अ० ( प. ) बाह्यत:, बहारथी बाहु पुं० [ सं . ] हाथ बाहुल्य पुं० [ सं . ] बाह्य वि० [ सं . ] बहारनुं
O
बहु होवु ते; अधिकता
बिग पुं० जुओ 'व्यंग्य'; 'कटाक्ष' बिजन पुं० ( प. ) जुओ 'व्यंजन' बिंदा स्त्री० वृंदा गोपी (२) मोटो चांल्लो बिंदी स्त्री० बिंदु मीडुं (२) चांल्लो (३) टपकुं
बिंदु पुं० [सं.] बिंदु मीडुं (२) टपकुं
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बिगरल
विधना अ०क्रि० वधावुं (२) फसावुं बिब पुं० [सं.] पडछायो ; प्रतिबिंब ( २ ) घिलोडु; बिफळ
fier, -बी स्त्री० घिलोडीनो वेलो बिआज पुं० व्याज बिआधि स्त्री० ( प. ) व्याधि; पीडा बिआना स०क्रि० वावुं; जणवं (ढोर माटे) बिओग पुं० ( प. ) जुओ 'वियोग' बिकट वि० 'विकट'; विकराळ बिकना अ०क्रि० वेचावुं बिकरार वि० विकराळ (२) विकळ;
व्याकुळ; 'बेक़रार'
बिकराल वि० 'विकराल'; विकराळ fare fao जुओ 'विकल'. - लाई स्त्री ०
विकलता. -लाना अ०क्रि० अकळावं faraाना स०क्रि० वेचाववुं बिक (ग) सना अ० क्रि० विकसवु खीलवु बिकाऊ वि० वेचाउ; वेचवा माटेनुं बिकार पुं० जुओ 'विकार' बिकारी वि० जुओ 'विकारी' (२) स्त्री० रूपिया इ०नी निशानी बिख, ०म पुं० वख; झेर fast स्त्री० वेचाण; वकरो बिखरना अ०क्रि० वीखरावुं बिखराना, बिखेरना स०क्रि० विखेवुं बिगड़ (-र) ना अ०क्रि० बगडवुं (२)
क्रोधे भरावुं (३) सामे थवुं के न बनवु बिगड़ेदिल पुं० बगडेला दिलनुं; कुमार्गी (२) झघडाळु
बिगड़े ( राइ, - ₹) ल वि० झघडाळु (२) जिद्दी (३) बगडेलुं बिगर अ० ( प. ) वगर; विना बिगरना अ०क्रि० जुओ 'बिगड़ना ' बिगरै ( - राइ ) ल वि० जुओ 'बिगड़ैल'
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बिगल
बिगल पुं० जुओ 'बिगुल ' बिगसना अ० क्रि० ( प. ) विकसबु; खीलबुं बिगहा पुं० वीघुं
बिगाड़ पुं० बगाड (२) खराबी; बूराई (३) अणबनाव. ०ना स०क्रि० बगाडवु बिगाना वि० जुओ 'बेगाना' बिगार पुं० जुओ 'बिगाड' (२) स्त्री० जुओ 'बैगा'
बिगारी स्त्री० जुओ 'बेगारी' बिगुल पुं० [इं.] ब्यूगल. ०र पुं० ते वगाडनार; ब्यूगलवाळो
बिगूचन स्त्री० गूंचवण ; मूंझवण ( २ ) मुश्केली
बिगूचना अ०क्रि० गूंचावुं; मूंझावुं बिगोना स०क्रि० ( प. ) बगाडवुं ( २ ) छुपाववुं (३)विताववुं (४) भ्रममां नांखवु बिन पुं० ( प. ) विघ्न बिच अ० जुओ 'बीच' बिचकना अ०क्रि० वचकवुं (२) भडकवुं बिचकाना अ०क्रि० वचकावुं; चिडावु (२) मों मरडवु [ते; मध्यस्थी बिचबिचाव पुं० झघडामां वच्चे पड बिचरना अ०क्रि० विचर; फरवु बिचलना अ०क्रि० चळवु; डगवुं (२) फरी जवुं
बिचला वि० वचलुं
बिचवई, बिचवान (-नी) पुं० झघडामां मध्यस्थ, वचलो माणस
बिचारना स०क्रि० विचारवं ( २ ) पूछवुं बिचारा वि० बिचारं; 'बेचारा' बिचारी पुं० विचारवान; विचारक बिचेत वि० अचेत ; बेहोश बिच्छू पुं० वींछी बिछना roo बिछावावु; 'बिछाना'नुं
[कर्मणि
३७७
बिट
बिछलन स्त्री० ' फिसलन'; लपसवुं के लोभावुं ते
[लपसवुं बिछल ( - ला ) ना अ० क्रि० 'फिसलना'; बिछा (०व ) ना स० क्रि० बिछाववुं; पाथरवुं (२) मारीने जमीन पर सुवाडी देवुं (३) विखेरवुं बिछावन पुं० बिछानु; 'बिछौना' बिछावना स०कि जुओ 'बिछाना' बिछिआ, या पुं० पगनो वींछियो बिछुआ ( - वा) पुं० वींछियो; पगनी आंगळीनुं घरेणुं (२) चुलेतरुं; सूडो बिछुड़न स्त्री० वछूटवुं ते; वियोग बिछुड़ ( - र) ना अ० क्रि० वछोडावं; वछूटवुं; विखूटुं थवुं बिछुवा पुं० जुओ 'बिछुआ' बिछोई वि० विरही; वियोगी बिछोड़ा पुं० विरह ( २ ) वछूटवुं ते; वियोग बिछोय ( - ह) पुं० 'बिछोड़ा'; वियोग बिछौना पुं० बिछानुं (२) पथारी बिजन विo एकलुं; विजन; एकांत बिजन ( - ना ) पुं० वींझणो; पंखो बिजन पुं० [फा.] कत्लेआम बिजली स्त्री० वीजळी. - कड़कना आकाश गजें
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बिजाती वि० विजातीय; बीजी जातनुं बिजान वि० ( प. ) अज्ञान; अजाण बिजूका (-खा) पुं० (खेतरमां मुकातो) चाडियो [वि० जोर वगरनुं बिजोरा पुं० 'बिजौरा'; बिजोरु ( २ ) बिजौरा पुं० बिजोरुं बिज्जु स्त्री० वीजळी
बिज्जू पुं० रानी बिलाडा जेवुं एक पशु बिट पुं० विट; वैश्य ( २ ) पक्षीनी अघार; बीट
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बिट्ठल ३७८
बिया बिट्ठल पुं० विठ्ठल; प्रभु
ब्रह्मा (३) जमा उधारनो हिसाब. बिटारना सक्रि० वटाळवं; गंदं करवू -मिलाना = हिसाब मेळववो बिटिया स्त्री० बेटी (लाडवाचक) बिधना पं० विधाता; ब्रह्मा (२) अ.क्रि० बिठाना सक्रि० जओ 'बैठाना' (प.) वींधावू; छेदातुं बिड पं० 'बिट'; अघार (२) बिड बिन अ० विना; विण (२) [अ.] पुं० पुत्र लवण -- मीठु
बिनई वि० (प.) विनयी; नम्र बिडर वि० विखरायेलं (२) नीडर बिनऊ स्त्री० (प.) विनय बिडरना अ०क्रि० विखेराई जर्बु(२)डरवं ।। बिनती स्त्री० विनंती; अरज बिड़ाल पुं० [सं.] बिलाडी
बिनन स्त्री० वणवू के वीणq ते (२) बिढ़वना सक्रि० वधार; संघरQ वणाट के विणामण बित पुं० वित्त; धन (२) शक्ति (३) कद बिनना सक्रि० वीणq (२) वणवं बितरना स० क्रि० वहेंचर्बु
बिनय स्त्री० विनय पामवं बिताना स०क्रि० वितावq; गुजारवं बिनस (-सा)ना अ०क्रि० (प.) विनाश बित्त पुं० वित्त; धन-दोलत
बिनसाना सक्रि० विनाश करवो (२) बित्ता पुं० वेंत
अ०क्रि० जुओ 'बिनसना' बिथकना अ० क्रि० चकित थq (२)मोह, बिना अ० विना (२) [अ] स्त्री० पायो बिथरना अ० क्रि० (प) विखेरावं; छूटुं (२) जड; मूळ (३) आरंभ छुटुं थ,
बिनाई स्त्री० 'बिनना' -वणवू के वीण ते बिथा स्त्री० (प.) व्यथा
बिना-बर अ० [फा.] आथी; आ वास्ते बिदकना अ०क्रि० फाटवू; चिरावं (२) बिनावट स्त्री० वणाट घायले थर्रा (३) डरवू
बिनौला पुं० कपासियो बिदकाना स० क्रि० 'बिदकना' नुं प्रेरक । बिपत (-ता,-त्ति,-द,-दा) स्त्री० बिदर पुं० विदर्भ देश (२) एक उपधातु विपत्ति; दुःख बिदरी स्त्री० 'बिदर'नुं धातुकाम. ०साज बिफरना अ०क्रि० वीफरवू पुं० ते करनार कारीगर
बिबर पुं० विवर; काj बिदा स्त्री० [अ. विदाअ] विदाय; जq ते बिबस वि० विवश बिदाई स्त्री० विदाय थq ते के तेनी बिबा(-वा)ई स्त्री० पग फाटवा ते
आज्ञा के ते वेळा कांई आपq ते; बिबाक वि० जुओ 'बेबाक' विदायगीरी
बिबाकी स्त्री० बाकी न रहेQ-चूकते बिदून अ० [फा.] विना; वगर करवं ते (२) समाप्ति बिदेस पुं० विदेश; परदेश
बिबि वि० (प.) द्वि; बे [मन विना बिद्दत स्त्री० [अ. बिदअत] खराबी (२) । बिमन वि० उदास; दु:खी (२) अ०
कष्ट (३) आफत (४) जुल्म (५) दुर्दशा बियर स्त्री० [इ.] 'बीर' दारू बिध स्त्री० रीत; प्रकार (२) विधि; बिया पुं० बियुं; बीज (२) वि० बीजूं
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बियाना
३७९
बिलाई बियाना सक्रि० जुओ 'बिआना' बिलंद वि० बुलंद; ऊंचुं; मोटुं बियाबान पुं० [फा.] जुओ 'बयाबान' बिलंब पुं० विलंब; ढील. ०ना अ०क्रि० बियारी (-रू,-लू) स्त्री० (रातनु) वाळु विलंब करवो; मोडुं करवू बिरंग वि० रंगबेरंगी (२) रंग विनानुं
बिल पुं० [सं.] विवर; काj (२)[ई.] बिरंज पुं० [फा.] बिरंज (२) पीतळ
__ मालनु बिल (३) कायदानुं बिल बिरंजी वि० [फा.] पीतळy
बिलकुल अ० [अ.] तद्दन; पूरुं; साव बिरगिड स्त्री० 'ब्रिगेड'; सेनानी पलटण
बिलखना अ० क्रि० विलाप करवो; रोवू बिर(-रि)छ पुं० (प.) वृक्ष ।
(२) दुःखी थर्बु (३) संकोचावू
बिलग वि० अलग; जुएं (२) पुं० बिरता पु० शक्ति; बळ; ताकात
__'बिलगाव'; जुदाई बिरथा अ० (प.) वृथा प्रसिद्ध
बिलगाना अ० क्रि० अलग थर्बु (२) बिरद पुं० नाम; यश. -दैत वि० नामी;
स० क्रि० अलग करवं बिरध वि० (प.) वृद्ध. -धाई स्त्री०,
बिलगाव पुं० अलगपणुं; जुदाई -धापन पुं० घडपण
बिलटी स्त्री० रेलवे-रसीद बिरमना अ.क्रि० विरमवू; अटकवू (२)
बिलनी स्त्री० माटीना घरवाळी काळी विराम करवो (३) मोहवू
भमरी (२) आंखनी आंजणी बिरयाँ वि० [फा.) शेकेलं
बिलपना अ० क्रि० विलाप करवो बिरयानी स्त्री० [फा.] मांसनी एक वानी बिलफ़ेल अ० [अ. हमणां; अत्यारे (चोखामां शेकेला मांस साथे कराती)।
बिलबिलाना अ० क्रि० कीडा खदबदवा बिरला वि० विरल; कोक
(२) व्याकुळ थईने बकवू के रोवू बिरवा पुं० छोड (२) झाड
बिलम पुं० विलंब; ढील बिरवाही स्त्री० बाग; वाडी
बिलमना अ० क्रि० विलंबवू; रोकावू; बिरह पुं० विरह; वियोग.-हापुं० विरह थोभq के मोडुं करवु वलवलवू
के तेनुं एक गीत. -ही वि० विरही। बिललाना अ० क्रि० विलाप करवो; बिराजना अ०क्रि० बिराजवू; बेसवू(२) बिलल्ला वि० मूर्ख; गमार शोभवं
बिलवाना स० क्रि० नष्ट करवू; विलय बिरादर पुं० [फा.] भाई (२) भाईबंध. करवू के करावq(२) छुपावq; संताडQ
जादा पुं० भत्रीजो. ०जादी स्त्री० बिलसना अ० क्रि० विलस; झळकवू भत्रीजी
बिरादरी, बिला अ० [अ.] वगर; विना; उदा० बिरादराना वि० [फा.] भाई जेवू (२) बिला-नागा= सतत; लगातार. बिलाबिरादरी स्त्री० [फा.] भाईचारो (२) शक = बेलाशक; जरूर. बिला-शर्त = एक जातिनो समूह; नात
वगर शरते बिराना सक्रि० चीडव; सामे मोंथी बिलाई स्त्री० बिल्ली (२) कूवामां
चाळा करवा (२) वि० जुओ 'बेगाना' नांखवानी बिलाडी (३) बारणुं बंध बिरियां स्त्री० समय; वेळा(२)वार; फेरो करवानी आंकडी
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बिलाना
३८०
बिसूरना बिलाना अ० कि० विलय पामवं बिसंभर पं० (प.) विश्वंभर (२) वि० बिला-नागा अ० [अ.] जुओ 'बिला'मां संभाळी न शकाय एवं बिलायत स्त्री० विलायत; परदेश बिसखपरा पुं० घो जेवू एक झेरी प्राणी बिलार पुं०बिलाडो.-री स्त्री० बिलाडी बिसन पुं० (प.)व्यसन.-नी वि० व्यसनी बिला-शक, बिला-शर्त अ. [अ.] जुओ बिसमउ,-य,-व पुं० (प.) विस्मय; 'बिला' मां
आश्चर्य
भूलवं बिलियर्ड पुं० [इं.] एक विलायती रमत बिसमरना सक्रि० (प.) विस्मरण थवं; बिलया स्त्री॰ 'बिल्ली' (२) छीणी बिसमिल वि० जुओ 'बिस्मिल' बिलोड़ना स० क्रि० वलोवQ (२) बिसमिल्ला(ह) पु० जुओ 'बिस्मिल्ला' अस्तव्यस्त करवू
बिसरना सक्रि० वीसर; भूली जवू बिलोन वि० लावण्यरहित; कदरू'
बिसरात पुं० (प.) खच्चर बिलोना सक्रि० वलोवg (२) वि० । बिससना अ०क्रि० विश्वास करवो जुओ 'बिलोन'
बिस (-सा)हना स० क्रि० जुओ बिल [अ.] 'साथे, सहित' अर्थमां शब्दना
'बिसाहना' पूर्वग तरीके. उदा० बिलकुल
बिसायँध वि० सडेलानी गंधवाळं (२) बिल-अक्स अ० [अ.] एथी विरुद्ध-ऊलटुं
स्त्री० सडेलानी गंध; बदबो बिल-इरादा अ० [अ.] इरादापूर्वक;
बिसात स्त्री० [अ.] विसात; गणतरी; जाणी जोईने बिल-उमूम अ० [अ.] साधारणतः
शक्ति (२) शेतरंज के बाजी रमवानुं बिल्-जन अ० [अ.] जबरदस्तीथी
चीतरेलु कपडु (३) पाथरणु; जाजम(४) बिल-जरूर अ० [अ. बिज्ज़रूर जरूर
विसात; पूंजी. खाना पुं० 'बिसाती'बिल्-जुमला अ० [अ.] कुल मळीने ।
____नी दुकान
[दुकानदार बिल-फ़र्ज अ० [अ.] धारो के; मानो के बिसाती पुं० [अ.] फुटकळ चीजोनो बिल-फेल अ० [अ.] आ समये; अत्यारे
बिसारना स० क्रि० विसारवू; भूलवू बिल-मुक़ाबिल अ० [अ.] तुलनामां;
बिसारा वि० विषवाळु; झेरी मुकाबले
बिसास पुं० (प.) विश्वास. -सी वि० बिल्मुक्ता वि० [अ.] अचल; निश्चित विश्वासु (२) पुं० कायमी महेसूल
बिसाह पुं० खरीदी खरीदी; सोदो बिल्ला पु० बिलाडो (२) बिल्लो; पदक। बिसाहना स० क्रि० खरीद, (२) पुं० बिल्ली स्त्री० बिलाडी (२) बारणं बिसाहनी स्त्री०, बिसाहा पुं० सोदो
खुल्लु राखवानी कडी के ठेस वगेरे । बिसियार वि० [फा.] खूब; अधिक बिल्लौर पुं० [फा.] बिलोर (वि०-री)। बिसुनना अ० क्रि० खाधेलं नाकमां जq बिवर (-रा)ना सक्रि० वाळ ओळवा । बिसु(-सू)रना अ० क्रि० (प.) चिंता बिवाई स्त्री० जुओ 'बिलाई
करवी (२) रोतल चहेरो करवो के बिस पुं० विष; झेर
धीमुं रड, (३) स्त्री० चिंता; फिकर
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बिसेसर
३८१
बीभत्स बिसेसर पुं० (प.) विश्वेश्वर बीच-बचाव पुं० जुओ 'बिचबिचाव' बिस्कुट पुं० [इं.] बिस्किट
बीचि स्त्री० वीचि; लहेर; मोजु बिस्तर,-रा पुं० पथारी; बिस्तरो । बीचोबीच अ० वच्चोवच्च बिस्तुइया स्त्री० घरोळी माटे) बीछना सक्रि० वीण; चूंटवू बिस्मिल वि० [अ.] घायल (प्रायः प्रेमी बीछी, -छू पुं० वींछी बिस्मिल्लाह पं० [अ.] श्रीगणेश; आरंभ बीज पुं० [सं.] बी (२) मूळ (३) कारण; बिस्वा पुं० वसो; वीघानो वीसमो भाग हेतु (४) वीर्य; शुक्र [(३) बिजोरुं बिस्वादार पुं० भागियो (२) पेटा- बीजक पुं० [सं.] सूचि; यादी (२) बी जमीनदार
बीजन,-ना पुं० वींजणो बिस्वास पुं० विश्वास
बीजरी स्त्री० (प.) वीजळी बिहंग(०म) पुं० विहंगम; पक्षी बीजा पुं० बीज (२) वि० (प.) बीजूं बिहतर वि० [फा.] बहेतर; सारं बीजी स्त्री० गोटली; मीज बिहतरी स्त्री० [फा. भलाई; हित बीजु (०री) स्त्री० बीजळी बिहरना अ० क्रि० विहरवू; विचरवू . बीजू वि० बीज वाव्ये थतुं; 'कलमी' थी बिहान पुं०वहाणं;प्रभात(२)आवती काल ऊलटुं (२) पुं० 'बिज्जु'; वीजळी बिहाना अ० क्रि० (प.) वहेवू; वीत, बोट स्त्री० अधार; पक्षीनी विष्टा
(२) स० क्रि० छोडवू; त्यागवू बीड़ स्त्री० रूपियानी थोकडी बिहाल वि० बेहाल
बीड़ा पुं० पान- बीडूं. -उठाना = बीडूं बिहिश्त पुं० [फा.] बेहेस्त; स्वर्ग. -का झडप.-डालना,-रखना = बीडु फेरव जानवर मोर. -का मेवा= अनार; बीड़ी स्त्री० पाननी के पीवानी बीडी दाडम. -की हवा = ठंडी सुगंधी हवा (२) दांतनी मसी बिही स्त्री० [फा.] एक झाड. ०दाना बीतना अ०क्रि० वीत; गुजरवं
पुं० 'बिही' ना फळना दाणा बीता पं० जओ 'बित्ता': वेंत बिहीन, बिहन (प.) वि० विहीन; रहित बीती स्त्री० वीतेलं ते; वीतक बोंड़ी स्त्री० उढाणी (२) बेलगाडीमां बीधना अ० क्रि० 'बिँधना'; वींधावू (२) आगळ जोडातो श्रीजो बळद के तेनुं
___ सक्रि० 'बींधना'; वींधवं वाजु दोरडु
बीन स्त्री० बीन वाजु (२) मदारीनू बींधना स० कि० वींधवू; छेद पाडवो बीनना सक्रि० वीण, (२) वणवं बी स्त्री० बीबी; स्त्री
बीनाई स्त्री० [फा. जोवानी शक्ति;दृष्टि बीका वि० वांकु; 'बाँका'
बीनी स्त्री० [फा.] नाक बीधा पुं० वीडूं
बीफ पुं० गुरुवार बीच पुं० वच; मध्य (२) आंतरो; फरक बीवी स्त्री० [फा.] कुलीन स्त्री (२) (३)अ० वच्चे; अंदर. -खेत-खुल्लेखुल्लू पत्नी (३) 'सन्नारी' एवं संबोधन (२) अवश्य. -बीच = वच्चे वच्चे बीभत्स वि० [सं.] गंदु; घृणित; खराब
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बीमा
बीमा पुं० [फा.] वीमो. ०कराई स्त्री० वीमानुं प्रिमियम व्दार पुं० वीमो उतरावनार. - करना = वीमो उतारवो बीमार वि० [फा.] बीमार; मांदु बीमारदार वि० [फा.] बीमारनी बरदास करनार (नाम, -री स्त्री० ) बीमार - पुरसी स्त्री० [फा.] बीमारनी खबर पूछवी
बीमारी स्त्री० [फा.] बीमारी; मांदगी बीर पुं० वीरो; भाई (२) वीर पुरुष (३) स्त्री० ( प. ) साहेबी बीरन पुं० वीरो; भाई बीरबहूटी स्त्री० इंद्रगोप जीवडुं बील वि० पोलु (२) पुं० नीचाणवाळी भूमि
बीवी स्त्री० जुओ 'बीबी'
बीस वि० २०; वीस. - बिस्वे = वीस वसा; घणुं करीने; नक्की बसी स्त्री० वीसनो समूह; वीसी ; कोडी बीहड़ वि० असमान; ऊंचुंनीचुं (२) विकट बुंद स्त्री० बुंद; टीपुं; 'बूंद' बुंदकी स्त्री० टपकुं; 'बिंदी' ( २ ) डाघो बुंदिया, बुंदौरी स्त्री० 'बूंदी'; एक मीठाई बुंदीदार वि० टपकांवाळु [बोली बुंदेली स्त्री० बुंदेलखंडनी ( हिंदीनी एक) बुआ स्त्री० जुओ 'बुआ'
बुक स्त्री० चोपडी [इं.] (२) एक जातनुं कापड. ०सेलर चोपडीओ वेचनार बुक़ ( - ) चा पुं० [तु.] बचको; गांसडी; पोटलं. - ची स्त्री० बचकी; पोटली बुकनी स्त्री० बूकणी; भूकी; चूर्ण बुक्का स्त्री० [ सं . ] हृदय बुखार पुं० [ अ ] ताव (२) बाफ; वराळ (३) शोकक्रोधादिनो आवेग
३८२
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बुद्ध
बुखारात पुं० ब. व. [अ.] बाफ; वराळ बुखल स्त्री० [अ.] कंजूसाई; बखीलता बुराचा, - ची जुओ 'बुक़चा, - ची' बुरादा पुं० [फा.] कसाईनो छरो बुग्ज पुं० [अ.] द्वेष कीनो; वेर बुज स्त्री० [फा.] बकरी. कसाब पुं० साई [ डर; भीरुता बुजदिल वि० [फा.] डरपोक -ली स्त्री० बुजुर्ग पुं० [फा.] बुजरग; वयोवृद्ध ( २ ) वडवो; पूर्वज (३) पूज्य व्यक्ति बुजुर्गवार वि० [फा.] वयोवृद्ध बुजुर्गाना वि० [फा.] वयोवृद्ध वडील के जेवुं के तेने योग्य
बुजुर्गी स्त्री० बुजरगी (जुओ ' बुजुर्ग ) बुझ ( - त) ना अ०क्रि० बुझावुं; ओलाबुं बुझा ( - ता ) ना स०क्रि० बूझववुं ( २ ) बुझवावबुं
बुझारत स्त्री० हिसाबकिताबनी समज बुड़ना अ०क्रि० बूडवुं डूबवुं बुड़बुड़ाना अ०क्रि० मनमां बडबडवु बुड्ढा, बूढ़ा वि० बुढ्ढुं; वृद्ध ( नाम,
बुढ़ाई स्त्री०, पा पुं० घडपण ) बुढ़ाना अ०क्रि० बूढं थवुं बुत पुं० [फा.] मूर्ति प्रतिमा (२) प्रियतम; माशूक. ०खाना पुं० मंदिर. ० परस्त वि० मूर्तिपूजक ०परस्ती स्त्री० मूर्तिपूजा. ० शिकन वि० [फा.] मूर्तिभंजक बुतना अ०क्रि०, बुताना स०क्रि० जुओ अनुक्रमे 'बुझना, बुझाना' बुताम पुं० बटन; बोरियुं बुत्ता पुं० दगो (२) बहानुं बुदबुद ( - दा) पुं० परपोटो बुद्ध वि० [सं.] जाग्रत थयेलं (२) ज्ञानी (३) पुं० भगवान बुद्ध
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बुद्धि
३८३ बुद्धि स्त्री० [सं.] अकल; समज. ०मता, बुर्दबार वि० [फा. सहनशील (२)सुशील. ०मानी स्त्री० समज
(नाम -री स्त्री०) बुद्ध वि० मूर्ख; बाघडं [ग्रह के वार बुर्राक वि० जुओ 'बर्राक़' [महान बुध पुं० [सं.] बुद्धिमान; विद्वान (२) एक बलंद वि० (नाम,-दी) बुलंद; ऊंचु (२) बुनकर पुं० वणकर
बुलबुल स्त्री० [अ.] बुलबुल पक्षी बुनना सक्रि० वण, (२) गूंथवू; भरवू बुलबुला पुं० बुद्बुद; परपोटो बुनाई स्त्री० वणाट के वणकरी बुलाक स्त्री० [तु.]बुलाख-नथ-एक मोती बुनावट स्त्री० वणाटनो प्रकार बुलाना सक्रि० बोलावतुं बुनियाद स्त्री० [फा. जड; पायो (२) बुला (-लौ)वा पुं० नोतरुं असल वात; वास्तविकता
बुलूग पुं० [अ.] 'बालिग़' थर्बु ते; उमरे बुनियादी वि॰ [फा. पायानु; आधाररूप; पहोंचवें ते मूळ; असल
[रोवं
बुल्ला पुं० परपोटो बुबुकना अ०क्रि० जोरथी डसकां भरीने
बुस पुं० अनाजनुं भूसुं; 'भूसी' बुबुकारी स्त्री० जोरथी रडवानो अवाज बुहारना स०क्रि० बहोरवू; वाळवू बुभुक्षा स्त्री० [सं.] भूख
बुहारा पुं० सावरणो बुभुक्षित, बुभुक्षु वि० [सं.] भूख्यु बुहारी स्त्री० सावरणी बुयाम पुं० चीनी माटीनी बरणी द स्त्री० बुंद; टीपुं बुरकना सकि० भभराव,
बूंदाबांदी स्त्री० झरमर वरसतो-छांटा बुरक़ा पुं० बुरखो
जेवो वरसाद; फरफर [टीपुं बुरा वि० बुरुं; खराब. -भला भलंबूरुं बूंदी स्त्री० कळी मीठाई (२) 'बंद'; बुराई स्त्री० बूरापणुं (२) अवगुण (३) बू स्त्री० [फा.] वास; गंध निंदा. भलाई स्त्री० भलुबूलं काम बूआ स्त्री० फोई (२) मोटी बहेन बराक पुं० [अ.] कल्पित घोडो (एम बकना स० क्रि० पीसवं; दळवू (२) मनाय छ के एनी पर बेसी पेगंबर छांटवू; बेडशी हाकवी साहेब आकाशमां गया हता) बूचड़ पुं० कसाई. ०खाना पुं०कसाईवाडो बुरादा पुं० [फा. लाकडानो वेर बूचा वि० कान वगरनुं (२) बूढुं; कदरू' बुरुश पुं० ब्रश; पींछी के कूचडो इ० बूजना पुं० [फा.] वांदरं बु पुं० [अ] जुओ 'बुरक़ा' बूझ स्त्री० बूज; समज (२) पूछq बुर्ज पुं० [अ.] मकान किल्ला इनो बूझना सक्रि० बूझवें; समजवू; जाणवू बुरज (२) राशि; नक्षत्र
बूट पुं० चणानो छोड के लीलो दाणो; बुर्द स्त्री० [फा.] नफो; लाभ (२) होड; पोपटो (२) [इ.] बूट; जोडा शरत (३) शेतरंजमां फक्त राजा रहे बूटा पुं० छोड (२) फूलवेल इ० वेलबुट्टो एवी बाजी. -देना = खोएँ; गुमावq. बूटी स्त्री० जडी बुट्टी (२) भांग (३) -मारना = मफतनी रकम लेवी झीणो वेलबुट्टो
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बेखता
बूड़ना
३८४ बूड़ना अ०क्रि० बूडवू; डूबवू
बे-इंसाफ़ वि० [फा.] अन्यायी. -फ्री बूढ़ा वि०धरडु;वृद्ध. -डी स्त्री०बुढ्ढी स्त्री स्त्री० अन्याय; गेर-इन्साफ बूढ़ा, फॅ(-फू)स वि० अतिवृद्ध बे-इज्जत वि॰ [फा.] 'बेआबरू'; अपमान बूत, बूता पुं० बळ; शक्ति
पामेलुं.-ती स्त्री० अप्रतिष्ठा; अपमान बूदो-बाश स्त्री० [फा.] रहेठाण; निवास बे-इल्म वि० [फा. अभण. -ल्मी स्त्री० बूम पुं० [अ.] घुवड (२) स्त्री॰ [फा.]
अभणता जमीन
बे-ईमान वि० [फा.] अधर्मी (२) बूर स्त्री० लोटनुं चाळण-भूसु. -के अप्रामाणिक; बददानतवाळं; दगाबाज. लड्डू = छेतरपिंडी; दगो
-नी स्त्री० अमिता (२) दगो; जूठ; बूरा पुं० खांडनु बूरुं
बददानत बृहत् वि० [सं.] मोटुं; विशाळ
बे-उज वि० [फा.] कांई करवामां खटको
के बहानुं जेने न नडे एवं बेंग पुं० देडको बेंच स्त्री० [इ.] बेन्च; पाटली (२)
बे-क़द्र, -दर वि० [फा.] बेआबरू न्यायासननी -न्यायाधीशोनी बेन्च
(२) कृतघ्न [-री स्त्री
बे-करार वि० [फा.] बेचेन; अशांत. बेंचना सक्रि० वेचवं; 'बेचना'
बेकल वि० विकल; व्याकुळ (नाम,-ली) बॅट (-3) स्त्री० दस्तो; हाथो; मूठ । बेंत पुं० नेतर के तेनी सोटी; 'बेत'
बेकस वि० [फा. एकलं; असहाय (२)
गरीब; कंगाळ (नाम, -सी स्त्री०) बेंदा पुं० माथा- एक घरेणुं (२) तिलक;
बे-कसूर वि० जुओ 'बे-कुसूर' चांल्लो
बेकहा वि० को न माननार बेंदी स्त्री० माथा- एक घरेणुं
बे-काननी वि० गेरकायदेसर बेवड़ा पुं० बारणानी भुंगळ बे अ० [फा.] 'विना ना अर्थनो पूर्वग ।
बेकाबू वि० [फा.] काबू खोई बेठेलं;
विवश (२) काबूमां न आवे एवं उदा० बेईमान
बेकाम, बेकार वि० नवरु(२)नकाम; रद्दी बे-अंत वि० अनंत; बेहद
बेकायदा मि[फा.] अनियमित; कायदा बे-अक़ल वि० [फा.] अकल वगरनु;
विरुद्ध. (नाम, -दगी स्त्री०) अणसमजु; मूर्ख. -ली स्त्री० मूर्खता
बेकार वि॰ [फा.] काम वगरनु; नवरं (२) वे-अदब वि० [फा.) असभ्य; अविनयी;
व्यर्थ; नकामुं.-री स्त्री० उद्धत. -बी स्त्री० अविनय
बे-कुसूर वि० [फा.] निर्दोष; निरपराध बे-असल वि० [फा.] निराधार (२) जूठं बेख स्त्री० [फा. जड; मूळ. -व बुनियाद बे-आब वि० [फा.] पाणी वगरनू; =जडमूळ निस्तेज
बेखटक, के वि०(२)अ० खटका-संकोच बे-आबरू वि० [फा.] अप्रतिष्ठित;आबरू वगरनु; बेधडक वगरनुं. ०ई स्त्री० बेआबरू; शरम बेखतर वि० [फा.] निर्भय; नीडर बे-इंतहा वि० [फा.] असीम; अपार बेखता वि० बेकसूर; बेगुना; निर्दोष
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[करनार
बेखबर
३८५
बे-तलब बेखबर वि० [फा. अजाण (२) बेपरवा बेजाब्ता वि० [फा.] बेकायदा; नियम (३) भान वगरनु; बेहोश ( नाम, विरुद्ध (नाम, -तगी स्त्री०) -री स्त्री०)
बेजार वि० [फा.] नाराज (२) दुःखी. बेखुद वि० [फा. बेहोश; बेभान; नशामां -री स्त्री० चकचूर (नाम, -दी स्त्री०)
बेजोड़ वि० अखंड (२) अजोड बेखौफ़ वि० [फा.] नीडर; खोफ वगरनुं
बेटा पुं० बेटो; पुत्र. -बनाना= छोकरो बे-ख्वाबी स्त्री० [फा.] अनिद्रा
दत्तक लेवो बेग प० वेग (२) [तु.] बेग; अमीर (३) बेटा-बेटी स्त्री० बाळ-बच्चा; संतान (इं.] बॅग; थेली इ०
बेटी स्त्री० बेटी; दीकरी. ०व्यवहार बेगम स्त्री॰ [तु.]बेगम; राणी; महाराणी. पुं० विवाहसंबंध
-मी वि० बेगम संबंधी (२) उमदा । बेठन पुं० लपेटवा माटेनुं कपडु; वेष्टन बे-ाम वि० [फा.] गम वगरनुं बेठिकाने वि० ठेकाणा वगरनुं (२) व्यर्थ बेगरज़ वि० [फा. गरज वगरनु; बेपरवा
बेड़ा पुं० तरापो (२) वहाणोनो समूह (२) व्यर्थ [(नाम, -नगी स्त्री०)
बेड़ी स्त्री० बेडी; जंजीर (२) नानी बेगाना वि० [फा. परायुं (२) अजाण्यु होडी के तरापो बेगार स्त्री० [फा. वेठ. -टालना = वेठ बेडौल वि० बेडोळ; कदरूपुं। उतारवी
बेढंग, -गा वि० कढंगुं; कदरू' बेगारी स्त्री० [फा.] वेठियो; वेठे काम
बेढ़ना सक्रि० खेतर, छोड इ० ने बेगि अ० (प.) वेगथी; जलदी
वाड वाडोलियुं करवू (२) ढोर बे-गुनाह वि० [फा.] वगर गुनान;
हांकी जवां निरपराध; निर्दोष (नाम,-ही स्त्री०) बे-धर(-रा) वि० घरवार विनानुं
बेढब वि० कढंगुं; ढब वगरनुं बेचक पुं० वेचनार
बेत पुं० नेतर बेचना सक्रि० वेचवू
बे-तकल्लुफ़ वि० [फा.] सरळ; चोख्खाबेचवाना, बेचाना सक्रि० वेचाव,
बोलू; निर्व्याज (२) अ० साफसाफ; बेचारगी स्त्री० [फा.] बीचारापणुं;
बेधडक (नाम, -फ़ी स्त्री०) लाचारी; दीनता
बे-तक़सीर वि० [फा.] बेगुना; निरपराध बेचारा वि० [फा.] बीचारु; असहाय;दीन बे-तमीज़ वि० [फा.] अविवेकी; बेअदबी बे-चिराग़ वि० [फा.] दीवा वगरन; बे-तरतीब वि० [फा.] अव्यवस्थित; क्रम
उज्जड (२) अपुत्र [स्त्री०) रहित (२) अस्तव्यस्त (नाम, -बी बेचैन वि० बेचेन; व्याकुळ (नाम, -नी स्त्री०) बेजड़ वि०जड-मूळ वगरनु; नापायादार बे-तरह अ० [फा. बूरी तरेहथी (२) बेजबान वि० [फा. मूक (२) दीन असाधारण रीते (३) खूब; बेहद बेजा वि० [फा.] ठेकाणा वगरनु (२) बे-तरीक़ा वि० (२) अ० [फा.] अनुचित; अनुचित (३) खराब; बूरुं
नियम विरुद्ध बेजान वि० जान वगरनु; मृत (२)निर्बळ बे-तलब अ० [फा.] विना माग्ये के को हिं-२५
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बे-तहाशा
३८६
बे-बाकी बे-तहाशा अ० [फा.] उतावळथी (२) बे-नमक वि० [फा.] फीकुं; लूण वगरनुं
अधीराईथी (३) विना समज्ये बे-नमूना वि० [फा.] बेनमून; अजोड बेताब वि० [फा.] दुर्बळ (२) बेचेन बे-नवा वि० [फा.] गरीब (२) फकीर (नाम, -बी स्त्री०)
बे-नसीब वि० [फा.] कमनसीब; अभागी बेतार वि० तार विनानुं
बेना पुं० वांसनो पंखो बेतारका तार पुं० 'वायरलेस' तार बेनागा अ० सतत; लगातार बेताल पुं० वैताल (२) भाट; चारण बे-नियाज वि० [फा.] सौथी पर (२)
(३) वि० ताल वगरनु; 'बेताला' बेपरवा (नाम, -जी स्त्री०) बेतुक,-का वि० मेळ के ढंग वगरन; बेनी स्त्री० वेणी (२) त्रिवेणी कढंग; 'बेढब'
बेनुली स्त्री० घंटीनी मांकडी बे-तौर अ० [फा.] जुओ 'बेतरह'; कढंगुं बेपरद, बेपर्व वि० [फा. पडदा वगरनु; बेद स्त्री० 'बेंत'; नेतर [फा.](२)पुं० वेद खुल्लु (२) नग्न (नाम, बेपर्दगी)। बेदखल वि० [फा. कबजो के अधिकार बे-परवा (०ह) वि० [फा.] बेपरवा; रहित (नाम,-ली स्त्री०)
बेफिकर (२) अति उदार (नाम, बेदन,ना स्त्री० वेदना; पीडा
०ई, ही स्त्री०) बेदम वि० [फा.] मरेलु (२) अधमूउं (३) बेपार पुं० वेपार. -री पुं० वेपारी दम वगरनुं
बेपीर वि० बीजानी पीड न समजनारं; बेद-मुश्क पुं० [फा.] एक फूलझाड । निष्ठुर; निर्दय (२) [फा.] पीर के गुरु बेदरद, बेदर्द वि० [फा.] कठोर हृदयनु; वगरनु; नगरुं निष्ठर (नाम, -र्दी स्त्री०)
बेदी वि० तळिया वगर. -का लोटा बेदारा वि० [फा.] डाघ वगरनुं (२) =ढोचका जेम अस्थिर के गबडता निष्कलंक
विचारनुं
[नकामुं बेदाना पुं० सरस काबुली अनार (२) बेफ़ायदा वि० (२) अ० [फा.] व्यर्थ; बेदाणा औषधि (३) वि० [फा.] मूर्ख; । बेफ़िक्र वि० [फा.] बेफिकर (नाम, -क्री बेवकूफ [बदाम स्त्री०)
[निर्भेळ बे-दाम वि० वगर पैसे; मफत (२) पुं० बे-बदल वि० [फा.] अफर; नक्की (२) बेदार वि० जागत; जाग्रत (नाम,-री) बे-बरकत वि० [फा.] बरकत वगरनुं. बेध पुं० वेध; काj
ती स्त्री०
[स्त्री०) बधड़क वि० (२) अ० निःसंकोच (२) । बेबस वि० लाचार; विवश (नाम, -सी नीडर (३) निःशंक .
बेबहा वि० [फा.] भारे किंमत; अमूल्य बेधना सक्रि० वींधवं
बेबाक़ वि० [फा.] चूकते थयेलं (ऋण) बेधर्म,-रम वि० धर्मभ्रष्ट
(नाम, -को स्त्री०) बेनजीर वि० [फा.] अनुपम; अजोड बेबाक वि० निर्भय; नीडर (२) चूकते; बेनट स्त्री० बॅयोनेट; संगीन
बाकी वगरनु. -की स्त्री० नीडरता
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बेबुनियाद ३८७
बेश बेबुनियाद वि० [फा.] पाया वगरनु बे-रोजगार वि० [फा.] बेकार; नवरं निर्मूळ
___ (नाम, -री स्त्री०) बे-ब्याहा वि० कुंवारुं
बे-रौनक वि० [फा.] रोनक के शोभा बेभान वि० बेभान; अचेत
वगरनुं (नाम, -की स्त्री०) बेभाव अ० बेहद; बेशुमार. -की पड़ना । बेल पुं० बीली के बीलु (२) स्त्री० = खूब मार पडवो वगरनुं वेल; वेलो
[निरंकुश बे-मजा वि० [फा.] स्वाद के मजा बे-लगाम वि० [फा.] काबू वगरनु; बे-मन वि० मन विनानु
बेलचा पुं० [फा.] एक जातनी कोदाळी बे-मरम्मत वि० [फा.] जीर्ण; मरामत के पावडो [या मजा वगरनुं वगरनु; तूटयुंफूटयु (नाम,-तीस्त्री०) बे-लज्जत वि० [फा.] लहेजत के स्वाद बे-महल वि० [अ.] कवखतनुं बेलदार पुं० [फा.] पावडो चलावनार बे-मालूम वि० [फा.] अज्ञात; गुप्त मजूर. -री स्त्री० तेनुं काम बे-मिलावट वि० भेळसेळ विनानु; शुद्ध बेलन पुं० रोलर (रस्ता माटे के कोई बे-मिस्ल वि० अजोड; अद्वितीय; बेनमून यंत्रनो) (२) पीजणनो गोटीलो (३) बे-मनासिब वि० [फा.] अयोग्य; अनुचित वेलण ।
[इ० वणवू बे-मुरव्वत वि० [फा.] बेशरम; अविनयी बेलना पुं० वेलण (२) सक्रि० रोटली (नाम, -ती स्त्री०)
बेलपत्र पुं० बिल्व - बीलीपत्र [वखत बे-मेल वि० मेळ वगरनुं
बेला पुं० मोगरा, फूलझाड (२) वेळा; बेमौका वि० कवखत, (२) पुं० मोको बेलाग वि० बिलकुल अलग - नहि न होवो ते; कवखत
लागेलं (२) स्वतंत्र; निष्पक्ष (३) बे-मौके अ० कवखते
साफ; चोखू (४) पवित्र बे-मौत अ० कमोते
बेलौस वि० [फा.] साचुं; खरं. (नाम, बेर पुं० बोर (२) स्त्री० वार; फेरो -सी स्त्री०) [-री स्त्री० बेरस वि० रस के मजा विनानु; नीरस बे-वकर वि० [फा. वक्कर वगरनु; तुच्छ. बेरहम वि० [फा.] निर्दय (नाम,-मी बे-वकूफ़ वि० [फा.] अणसमजु; मूर्ख. स्त्री०)
-फ़ी स्त्री०
[परदेशी बेरा पुं० वेळा; समय (२) सवार (३) बे-वतन वि० [फा.] घरबार विना-; फेरो; वार (४) बॅरर'; चपरासी (५) बेवक्त अ० [फा.] कवखते बेडो; जुओ 'बेड़ा'
बेवफ़ा वि० [फा.] बेवफादार; कृतघ्न; बे-राह वि० [फा.] आडे रस्ते गयेखें; दगाबाज. ०ई स्त्री० कुमार्गी (नाम -ही स्त्री०) बेवरेवार वि० तफसीलवार; विस्तृत बेरुख वि० [फा.] काम पडे त्यारे मों बेवा स्त्री॰ [फा.] विधवा
फेरवी बेसनार (२) गुस्से थयेलं बेश वि० [फा.] वधारे (२) श्रेष्ठ. -शी बेरोक (टोक) वि० रोक वगर; निर्विघ्न स्त्री० अधिकता (२) श्रेष्ठता
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३८८
बैठक
बेशऊर बेशऊर वि० [अ.] मूर्ख; अणसमजु
(नाम, -री) बेशक अ० [फा.] बेशक; जरूर; निःसंदेह बे-शरम, शर्म वि० [फा.] बेशरम; निर्लज्ज. -मर्मी स्त्री० बेशी स्त्री० [फा. जुओ 'बेश' मां बे-शुमार वि० [फा.] खूब; शुमार विनानुं बेस पुं० वेश; 'भेस' बेसन पुं० चणानो लोट. -नी वि० । ___ 'बेसन' नुं (२) स्त्री० 'बेसन' नी पूरी बेसबब वि० [फा.] विना सबब; अकारण बेसबरा, बेसब[फा.] वि० बेसबूर; अधीरु बेसब्री ( -बरी) स्त्री० [फा.] बेसबूरी;
अधीरता बेसबूरी स्त्री० जुओ 'बेसबरी' बेसमझ वि० समज वगरनु; नादान;
मूर्ख. -झी स्त्री० बेसर पुं० खच्चर (२) वेसर; नथ । बेसरोसामान वि० [फा.] गरीब; कंगाळ । बे-सलीक़ा वि० [फा.] अशिष्ट; असभ्य बेसवा, बेसा स्त्री० वेश्या; रंडी बेसाख्ता वि० [फा.] सहज; कुदरती; अकृत्रिम
[खरीदवं बेसाहना सक्रि० जुओ 'बिसाहना'; बे-सिलसिला वि० [फा.] क्रमरहित;
अव्यवस्थित. -ले अ० बे-सुध वि० बेहोश; बेभान. -धी स्त्री० । बेसूर(-रा) वि० बेसूरु (२) कवखतनुं बेसूद वि० [फा.] व्यर्थ; फायदा वगरनुं बेस्वाद वि० स्वाद विनानु; खराब बेहंगम वि० कढंगुं; बेडोळ [सारं बेह पुं० वेह; छिद्र (२) वि० [फा. भलु; बेहतर वि० [फा.]बहेतर(२)अ० ठीक;भले बेहतरी स्त्री० [फा.] उत्तमता (२) भलाई बेहद वि० [फा.] अपार; असीम
बेहना पुं० पीजारो बेहमिय्यत वि० [फा.] बेहया; बेशरम बेहया वि० [फा.] बेशरम; निर्लज्ज; ०ई
स्त्री० [हालवाळं. -ली स्त्री० बेहाल वि० [फा. बेचेन; व्याकूळ; खराब बेहिजाब वि० [फा.] निर्लज्ज.-बी स्त्री० बेहिम्मत वि० नाहिंमत; डरपोक बेहिस वि० [फा.] निश्चेष्ट बेहिसाब वि० [फा.] बेहद; असंख्य बेहुनर,-रा वि० हुन्नर कसब वगरनुं बेहुरमत वि० [फा.]बेआबरू; अप्रतिष्ठित.
-ती स्त्री० बेहूदगी स्त्री० [फा.] बेहूदापणुं बेहूदा वि० [फा.] बेहू; अशिष्ट; असभ्य बेहेफ़ वि० [फा.] बेफिकर; चिंतारहित बेहोश वि० [फा.]बेभान;बेसूध.-शी स्त्री० बैंक पुं० [ई.] बॅन्क बैंगन पुं० वेंगण; वंताक बैंग (-ज)नी वि० वेंगणना रंगनुं बैंड पुं० [ई.] बॅन्ड; वाजांवाळा बै स्त्री० [अ.] वेचाण बैआना पुं० [अ.] बानु; 'बयाना' बैकल वि० पागल; गांडु बैग पुं० [इं.] बॅग; थेली बैगन पुं० जुओ 'बैंगन' बैज (-जयं)ती स्त्री० वैजयंतीमाळा बैज पुं० [इं.] 'बेज'; बिल्लो [अंडकोश बैज 'बैज़ा' - पुं० ब०व० [अ.] ईडां (२) बैजवी वि० [फा.] अंडाकार । बैजा पुं० [फा.] ईंडु (२) अंडकोश बैट पुं० [इं.] रमवानुं बॅट बैटरी स्त्री० [इ.] वीजळीनी बॅटरी (२)
तोपखान बैठक स्त्री० बेठक
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बैठका
बैठका पुं० बेठक; दीवानखानुं बैठकी स्त्री० बेठकनी कसरत बैठन स्त्री० बेसवुं ते के तेनो ढंग बैठना अ०क्रि० बेसवुं
३८९
बैठे बैठे बैठे बैठाए अकारण ( २ ) अचानक त स्त्री० [ अ ] बेत; श्लोक (२) पुं० ( समासमा ) घर; स्थान
बैत-उल्-इल्म पुं० [ अ ]विद्यामंदिर; शाळा बैत-उल्-खला, बैतुलखला पुं० [अ.] पायखानुं; जाजरू बेत-उल-माल, बैतुलमाल पुं० [अ.] सरकारी खजानो (२) बिनवारसी माल बैत-उल्- मुक़द्दस, बैतुलमुक़द्दस पुं० [अ.] जेरुसलेम [ मक्का बैत-उल्-हराम्, बैतुल हराम पुं० [अ.] बैत-उल्ला, बैतुल्लाह पुं० [अ.] काबा; खुदानुं घर
बैतबाजी स्त्री० [फा.] अंतकडीनी रमत बंद पुं० ( स्त्री० - दिन) वैद. ०ई, वाई स्त्री० वैदु
बैन अ० [अ.] वच्चे; मध्ये बैना पुं० विवाह वगेरे शुभ निमित्ते मित्रादिने मोकलाती मीठाई इ० भेट बै-नामा पुं० [अ.] वेचाणखत बैपार पुं० वेपार. -री पुं० वेपारी बैरंग वि० 'बॅरर' नुं; लेनारे नाणां
आपवानां करीने मोकलेलुं (पार्सल इ० ) बैर पुं० वेर; शत्रुता [[इं.] बराक बैरक़ ( -ख) पुं० [अ.] लश्करी झंडो (२) बैरा पुं० [इं. बॅरर] चाकर; दास
राखी स्त्री० स्त्रीनं हाथनुं एक घरेणुं बैराग पुं० वैराग्य. - गी पुं० एक जानो (वैष्णव) साधु बेरिस्टर पुं० [इं.] बॅरिस्टर. -री स्त्री०
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बॅरी वि० वेरी; विरोधी बैरूँ अ० [फा. बेरूँ] बहार बैरूनी वि० [फा. बेरुनी] बहारतुं बैरोमीटर पुं० [इं.] बॅरोमीटर बैल पुं० बेल; बळद (२) मूर्ख. ० गाड़ी स्त्री० बळदगाडी
बोधक
बैलर पुं० जुओ 'बायलर'; बॉइलर बैलून पुं० [इं.] बलून; गुबारो बसंत ( - द ) र पुं० ( प. ) वैश्वानर अग्नि बेस स्त्री० ( प. ) वय; आयु; उंमर; जवानी ( २ ) पुं० वैश्य ( ३ ) एक क्षत्रिय जाति
बैसना अ० क्रि० ( प. ) बेसवुं बैसर स्त्री० फणी
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बैसाख पुं० वैशाख
बैसाखी स्त्री० लंगडानी लाकडी ( बगलमा राखी चालवानी) बैसा ( ०र ) ना स०क्रि० ( प. ) बेसाडवुं बोक ( ०रा) पुं० बोकडो; बकरो बोआई स्त्री० वावणी के तेनी मजूरी बोआना स०क्रि० ववडावबुं बोझ पुं० बोजो
बोझना स०क्रि० बोजो लादवो बोझ ( - झि) ल ल वि० वजनदार; भारे बोझा पुं० 'बोझ'; बोजो. ०ई स्त्री० लादवुं ते के तेनी मजूरी. - झिल वि० जुओ 'बोझल'
बोट स्त्री० [इं.] होडी ( २ ) आगबोट बोटी स्त्री० मांसनो टुकडो बोतल स्त्री० (मोटी ) बाटली बोदा वि० मूर्ख (२) जड; मंद (३) बोदु; फासफसिय [धीरज; संतोष बोध पुं० [सं.] जाणवुं ते; ज्ञान ( २ ) • बोधक वि० [सं.] बोध करावनाएं
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बोधि
[गांसडी
बोधि, ०तरु, द्रुम, ० वृक्ष पुं० [सं.] (गया) पीपळानुं - बोधिवृक्ष बोना स०क्रि० वाववुं बोबा पुं० (स्त्री०, बी) स्तन (२) air स्त्री० बू; गंध बोरना स०क्रि० बोळवुं बोरसी स्त्री० माटीनी सगडी बोरा पुं० थेलो; कोथळो; बोरो बोरिया पुं० [फा.] सादडी (२) बिस्त्रो बोरी स्त्री० नानो कोथळो; थेली बोर्ड पुं० [इं.] नामनुं पाटियुं (२) बोर्ड; समिति; मंडळ
३९०
बोल पुं० बोल; वचन
बोलचाल स्त्री० वातचीत; बोलवु चालवु ते के तेवो संबंध (२) बोलाचाली; झघडो बोलता पुं० प्राण; जीव (२) वि० वाचाळ बोलती स्त्री० बोलवानी शक्ति; वाचा बोलना स०क्रि० बोलवु बोल जाना = खतम थ; हार [चलण होवुं ते बोलबाला पुं० ख्याति; प्रसिद्धि ( २ ) बोलवाना स०क्रि० बोलाववुं बोलसर पुं० बोरसळीनुं झाड बोलावा पुं० 'बुलावा'; नोतरुं बोली स्त्री० बोली; वाणी (२) हराजीनी
मागणीनो बोल (३) मजाक बोली- ठोली स्त्री० मश्करी; मजाक बोलीदार पुं० गणोत के कांई लख्या वगर मोढाना बोलथी जमीन खेडनार बोवना स०क्रि० 'बोना'; वाववुं बोवाई स्त्री० जुओ 'बोआई ' बोवाना स०क्रि० जुओ 'बोआना' बोश पुं० [अ.] दबदबो; दमाम बोसा पुं० [फा.] बोसो; चुंबन [ पुराणुं बोसीदा वि० [फा.] दम वगरनुं; जरी
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ब्याहना
बोसो - कार पुं० [फा.] चूमवुं ने भेटवुं ते बोह स्त्री० डूबकी. - लेना - डूबकी मारवी बोहतान पुं० [अ.] खोटो आरोप; आक्षेप. - जोड़ना = कलंक लगाडवुं बोहनी स्त्री० बोणी; पहेलो सोदो बोहित पुं० (प.) नाव; होडी बड़ स्त्री० (प.) लांबी गयेली शाखा के लता. ०ना अ०क्रि० 'बौंड' पेठे वधवं बड़ी स्त्री० छोड़ के वेलानुं काचुं फल बौखल वि० पागल; गांडु बेबाकळं बौखलाना अ०क्रि० गभराई जवुं; गांडा जेवुं थवं
बौछाड़ ( -र) स्त्री० पाणी, वायु कशानी झडी (२) टाणो; कटाक्ष बौड़म - हा वि० गांडु; धूनी बौद्ध पुं० [सं.] बुद्धधर्मी (२) वि० बुद्ध विषेनुं
बौना पुं० वामन - ठींगणो माणस बौर पुं० आंबानो मोर
बौरना अ०क्रि० मोरवुं; मोर आववो बौरहा, बौरा वि० बावरुं; पागल बौराना अ० क्रि० बावरुं - गांडु थवं बौलाना अ०क्रि० जुओ 'बौखलाना' ब्यवहर पुं० करज; देवु. - रिया पुं० शराफ; साहुकार
ब्याज पुं० व्याज -जू वि० व्याजूकुं ब्याना स०क्रि० वियावुं; जणवुं ब्यापना अ०क्रि० व्यापवुं ब्यारी स्त्री०, ब्यालू पुं० वाळू ब्याल पुं० व्याळ; साप. -ली स्त्री० सापण (२) वि० सापवाळो ब्याह पुं० विवाह; लग्न ब्याहता वि० विवाहित ब्याहना स०क्रि० विवाह करवो
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३९१
ब्योंत
भंडारी ब्योंत स्त्री० वेत; व्यवस्था; वेतरण ब्रह्मभोज पुं० ब्राह्मणोने अपातुं भोजन ब्योंतना सक्रि० (कपडु) वेतर ब्रह्मर्षि पुं०[सं.] ब्राह्मण ऋषि (उत्तम ब्योपार पुं० वेपार. -री पुं० वेपारी कोटिनो) म्योरना स०क्रि० (प.) वाळ ओळवा । ब्रह्मसमाज पुं० (राजा राममोहन राये ब्योरा पुं० विवरण; वर्णन. -रेवार अ० चलावेलो) एक नवो संप्रदाय सविस्तर; विगतवार
ब्रह्मांड पुं० [सं.] विश्व; आखी सृष्टिनो ब्योहर पुं० व्याजवटावनो व्यवहार गोळो ग्योहरिया पुं० व्याजवटुं करनार ब्रह्मास्त्र पुं० [सं.] एक अमोघ अस्त्र न्यो (-ब्यौ)हार पुं० व्यवहार ब्राह्म वि० [सं.] ब्रह्म संबंधी ब्रज पुं० व्रज
ब्राह्मण पुं०[सं.] चारमांनो पहेलो वर्ण ब्रह्म पुं० [सं.] मूळ सत्य; परमात्मा ब्रिगेड पुं० [ई.] सेनानी अमुक संख्यानी ब्रह्मचर्य पुं० [सं.] ब्रह्मचारीनुं व्रत; पूरो पलटण इंद्रियनिग्रह
ब्रिटिश वि० [इं.] ब्रिटन देशरों के ते संबंधी ब्रह्मचारी पुं० [सं.] कुंवारो; ब्रह्मचर्य । ब्रुश पुं० [ई.] ब्रश [चावी पाळनारो; प्रथम आश्रममा रहेनार- ब्रेक पुं० [ई.] गाडीनी ब्रेक - रोकवानी विद्यार्थी
ब्लाक पुं० [ई.] ब्लॉक
मंग पुं० [सं.] भांगवू तूटq ते (२) नाश; सिक्को वटाववो (३) भांगवू; वळ देवो पराजय (३) टुकडो; भाग (४) बाधा; भंटा पुं० भट्टो; गोळ मोटुं वेंगण हरकत (५) तरंग (६) स्त्री० भांग भंड पुं० [सं.] भांड (२) वि० पाखंडी भंगड़ वि० भांगनो व्यसनी; 'भँगेड़ी' भंड़फोड़ पुं० भांगफोड हाटियु भंगरा पुं० भांगरो
भंडरिया स्त्री० दीवाल- भंडारियंभंगार पुं० कूवो खोदवा करेलो खाडो भंडा पुं० भांड; वासण (२) मर्म; भेद. (२) घास इ० कचरो
__-फूटना = भेद खूलवो; घडो फूटवो भंगी पुं० भंगी - एक नात के तेनो। भंडार पुं० [सं.] भंडार; कोठार (२)
माणस (२) वि० भांगवाळो पेट (३) रसोडु (४) खजानो भंगुर वि० [सं.] भांगी जाय एवं (२) भंडारा पुं० भंडारो (साधुनो) (२) भंडार
नाशवंत (३) वांकुं; वळांकवाळं (३) समूह (४) पेट भंगड़ी वि० भांगनो व्यसनी [नाश भंडारी पुं० भंडारी; कोठारी (२) भंजन पुं० [सं.] भांग, ते (२) ध्वंस; खजानची (३) रसोइयो (४) स्त्री० भैजना अ०क्रि० भंगावं; तूटवू(२) मोटो नानुं भंडारियुं - हाटियु
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भंडोआ
३९२ भंडीआ पुं० भांड भवयानुं गीत के तेवी भग पुं० [सं.] भाग्य (२) ऐश्वर्य (३) कविता
स्त्रीयोनि
[भूवो भभाना अ०क्रि० (ढोर - गाय भैसन) । भगत पुं० भक्त; सेवक; उपासक (२) बांगरडवू; आरडवू
भगदड़ (-र) स्त्री० भागवू- नासवू ते भवना अ०क्रि० भमकुं; फरवू; रखडवू भगना अ०क्रि० भागq; नासवू (२) भवर पुं० भमरो (जंतु के पाणीनो) पुं० भाणेज भंवरजाल पुं० भ्रमजाळ; संसारचक्र भगवंत पुं० (प.) भगवान भंवरभीख स्त्री० भीख मागवा फरवू ते भगवती स्त्री० [सं.] देवी (२) स्त्री भंवरी स्त्री० पाणीनो भमरो (२) (आदरसूचक)
शरीर परना वाळनो भमरो (३) फेरी भगवान पुं० भगवान; प्रभु भइया पुं० भाई
भगाना सक्रि० भगाडवू(२)हरण करवू भउजाई स्त्री० भोजाई; भाभी भगिनी स्त्री० [सं.] बहेन. ०य पुं० भाणेज भकभक अ० भगभग. -काना अ०क्रि० भगीरथ वि० [सं.] अति भारे के कठण भगभग थर्बु
(२) पुं० राजा भगीरथ भकुआ(-वा) वि० मूर्ख; अणसमजु भगेडू (-लु), भगोड़ा, भग्गू वि० भागेलं भकुआना अ०कि० गभरावं (२) बनवू (२) कायर
(३) सक्रि० ग राव के बनाव, भगौती स्त्री० (प.) जुओ 'भगवती' भकोसना सक्रि० गळचवू; ठांसवू; खावु । भगौहाँ वि० जुओ 'भगेडू' (२) भगवू; भक्त वि० [सं.] भांगेलं (२) बहेंचेलं गेर (३) अलग भागे करेलु (४) भक्तिवाळू भग्गू वि० जुओ 'भगेडू' (५) पुं० भयत
भग्न वि० [सं.] भांगेलुं (२) हारेलू; निराश भक्ति स्त्री० [सं.] भागवं, वहेंचर्बु ते । भचक स्त्री० लंगडाश; खोडंगावं ते (२) भाग; अंग (३) सेवापूजा (४) भचकना अ०क्रि० लंगडावू;पग लहेकावो श्रद्धा; विश्वास, प्रेमभाव
(२) चकित थQ [तेनी कविता भक्ष पुं० [सं.] भक्षण; खोराक; आहार भजन पुं० [सं.] नामस्मरण; कीर्तन (२) भक्षक वि० [सं.] भक्ष करनार; खानार भजना स०क्रि० भजवू; स्तुति करवी (२) भक्षण पुं० [सं.] खावं ते (२) आहार अ०क्रि० (प.) भागवू भक्ष (-ख)ना सक्रि० (प.) भक्षq; भजनी पुं० भजनिक खावू
भट पुं० [सं.] भट्ट; योद्धो भक्ष्य वि० [सं.] खावा जेवू; खाद्य (२) । भटकना अ०क्रि० भटकवू; रखडवू (२) पुं० खोराक
रस्तो भूलवो; भूलं पडवू भख पुं० (प.) भक्ष; खोराक भटई स्त्री० भाटाई; खोटी खुशामत भखना अ.क्रि० (प.) भक्षवू; खावू भटा पुं० 'भंटा'; भट्टो [अली; सखी भगंदर पुं० [सं.] भगंदर रोग भटू स्त्री० स्त्री माटे एक संबोधन (२
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३९३
भट्ठा भट्टा पुं० ईंट इ० नो भठठो भट्ठी स्त्री० (दारू दवा इ०नी) भठ्ठी भठियारा पुं० धर्मशाळानो व्यवस्थापक (२) मुसलमानोनुं रांधनार-भठियारो भठियाल पुं० समुद्रनी ओट; 'भाटा' भड़क स्त्री० चमक (२) भडक; बीक भड़कदार, भड़कीला वि० चमकतुं (२) . भडकामणु भड़कना अ०कि० भडकवू (२) भडको
थवो; भभकवु (३) गुस्से थर्बु भड़भड़ स्त्री० भड भड अवाज (२)
बड बड वातो [करवो भड़भड़ाना अ०क्रि० भड भड अवाज भड़भड़िया वि० गप्पी भड़भूजा पुं० भाड जो भड़ी स्त्री० खोटी उश्केरणी भड़आ पुं० भडवो भणना सक्रि० (प.) भणवं; कहेवं भतीजा पुं० (स्त्री० -जी) भत्रीजो भत्ता पुं० भथ्थु भदई स्त्री० भादरवानी फसल भदेस,-सिल,भद्दा वि० कुरूप; कढंगुं भद्र वि० [सं.] सभ्य (२) सारुं; भलु (३) पं० कल्याण ऊडती वात भनक स्त्री०भणकारो; धीमो अवाज (२) भनभनाना अ०क्रि० गुंजारव करवो; गणगणq. -हट स्त्री० गुंजारव; गणगणाट भन्नाना अ०क्रि० क्रोधथी भभूकवं भबका पुं० अर्क काढवानुं वासण। भब्भ (-भ)ड़ स्त्री० भीड; धक्कंधक्का भभक स्त्री० ऊभरो; उछाळो भभकना अ.क्रि० ऊकळवू; उछाळो मारवो (२) भभकवं
भरम भभकी स्त्री० खाली धमकी भभरना अ०क्रि० (प.) डर; गभरावं
(२) भ्रममां पडवू; भरमा भभूका पुं० ज्वाळा; झोळ भभत स्त्री० भभूती; भस्म भयंकर वि० [सं.] भयानक भय पुं० [सं.] डर; बीक (२) शंका.
-खाना= डरवू भयभीत वि० [सं.] डरेलु भयाना अ०क्रि० (प.) भय पामवं; बीq (२) सक्रि० डरावq भया क्रि० (प.) 'हुआ'; थयु; बन्यु
(स्त्री० भई,-यो) भयानक, भयावन (-ना), भयावह [सं.) वि० भयामj; भयंकर भर वि० पूरुं; बरोबर. उदा० शेरभर (२) पुं० भार. -पाना = भरपाई थवी (२) तंग थर्बु थाकवं वेतन भरण पुं० [सं.] भरवू -पोषq ते (२) भरत पुं० कांसु (२) कंसारो भरता पुं० भरतनुं शाक भरतार पुं० भरथार; पति भरती स्त्री. भरावं के उमेरावं ते (२)
दाखल थर्बु ते. -होना= दाखल थर्बु भरना सक्रि० भरवू; पूर (२)
अ०क्रि० भरावं; पूरुं थq भरनी स्त्री० 'ढरकी'; साळनो कांठलो भरपाई अ० बरोबर; पूरेपूरु (२) स्त्री०
भरपाई; बाकी पूरी चूकते करवी ते भरपूर वि० परिपूर्ण (२) अ० बरोबर; पूरी रीते भरपेट अ० पेट भरीने भरम पुं० संदेह (२) भेद; रहस्य. -गँवानाभेद खोलवो
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भरमाना
३९४
भाई-दूज भरमाना स० क्रि० भरमावर्बु (२) भसना अ०क्रि० पाणी पर तरवू के भमावq; रखडावq (३) अ०क्रि० तेमां डूबवू चकित थवं
भसम पुं० भस्म; राख भरमार स्त्री० खूब होवू ते । भसमा पुं० काळो कलप (२) लोट भरराना अ०क्रि० भडक दईने ओचितुं
भसुंड पुं० हाथी तूटी पडवू
भसुर पुं० स्त्रीनो जेठ भरसक अ० यथाशक्ति; बने तेटलुं । भसूंड़ पुं० हाथीनी सुंढ भरसाई पुं० भाड जानी भठ्ठी; 'भाड़' भस्त्रा, का,-स्त्रिका स्त्री० [सं.] धमण भरा वि० 'भर'; भरेलुं; पूरुं भस्म पुं० [सं.] भस्म; राख भराई स्त्री० भरवानी क्रिया के तेनुं भहराना अ०क्रि० ढसडाई पडवू; एकामहेनता|
एक तूटवू भरापूरा पुं० भर्युभादर्यु; संपन्न भांग स्त्री० भांग - एक केफी पदार्थ भराव पुं० भरावो; जमाव (२) भरवू ते भांज स्त्री० भांगवं ते (२) सिक्का के भरी स्त्री० तोलो; रूपियाभार ।
नोटर्नु परचूरण भरोसा पुं० भरोंसो; विश्वास (२) भांजना सक्रि० भांगवू; तोडवू . आशा (३) आशरो
भांजी स्त्री० काममां फांस मारवी ते भर्ती (०२) पं० [सं.] पति; स्वामी
भाटा पुं० भट्टो; वेंगण भत्संना स्त्री० [सं.] निंदा; तिरस्कार; भांड पं० भांडभवयो(२)मश्करो:विदूषक फिटकार [स्त्री० भलमनसाई भीड़ा पुं० भांड; वासण. भाँड़े भरना= भलमनसत, भलमनसाहत, भलमनसी
पस्ताएं
खजानो भला वि० भलं; सारु (२) पं० कल्याण । भांडागार, भांडार पुं० [सं.] भंडार; भले अ० ठीक; सारी रीते. -ही। भौत, भाँति स्त्री० रीत; प्रकार = भलेने; छोने
भांपना सक्रि० ओळखवं; पारख, भल्लु (-ल्लू)क पुं० [सं.] रीछ
भायें भायें पुं० शून्यकारनो ध्वनि भव पुं० [सं.] जन्म (२) संसार (३) शिव भाँवर स्त्री० परिकम्मा (२) लग्ननी भवदीय वि० [सं.] आपनुं
चोरीमां वरकन्या फेरो फरे ते भवन पुं०[सं.] घर; मकान (२) महेल; भा अ० (प.) या; अथवा (२) स्त्री० मोटे मकान
[सं.] तेज भवनीय वि० [सं.] थनारूं; बननाएं।
भाइ पुं० (प.) भाव; प्रेम (२) स्त्री० भवितव्य पुं० [सं.] अवश्य थनारूं; नसीब 'भाँति'; प्रकार भविष्य वि० [सं.] 'भवनीय'; थनारुं (२) । भाइप पुं० (प.) भाईचारो; भाईबंधी पुं० भविष्यकाळ
भाई पुं० भाई. चारा पुं० भाईचारो; भव्य वि० [सं.] सुंदर; शानदार; भारे दोस्ती शोभावाळ (२) भावी (३) सत्य भाई-दूज स्त्री० भाईबीज
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भाईबंद
भालक भाईबंद पुं० सगोसंबंधी; नातभाई (२) भादों, -दौं, -द्र, -द्रपद [सं.] पुं० भाईबंध; मित्र
भादरवो महिनो भाई-बिरादर पुं० नातभाई. -री स्त्री० । भान पुं० भानु; भाण; सूर्य (२) [सं.] नात के स्वजननो समूह
प्रकाश (३) भान; खबर; प्रतीति भाउ,-ऊ पुं० (प.) भाव; हेत; प्रेम भानजा पुं० (स्त्री० -जी) भाणेज भाखना सक्रि० (प.) भाखवू; कहेवू भानमती स्त्री० जादुगर स्त्री. -का भाखा स्त्री० (प.) भाषा
पिटारा=नकामी भरकूस भाग पुं० [सं.] भाग;हिस्सो(२)भागाकार। भाना अ०क्रि० भाववू; गमवं (२) भाग पुं० (प.) भाग्य (२) कपाळ (३) मालूम पडQ; लागq (३) शोभq सवार; प्रातःकाल
भानु पुं० [सं.] सूर्य भागड़, भागदौड़ स्त्री० भागवूते;भंगाण; । भाप,-फ स्त्री० वराळ; बाष्प 'भगदर'
भाभी स्त्री० भाभी; भोजाई भागना अ०क्रि० भागवू; दोडवू; नास, भामा,-मिनी स्त्री० [सं.] स्त्री (२) भागनेय, भागिनेय पुं० [सं.] भाणो क्रोधी स्वभावनी स्त्री [मूल्य भागी पुं०[सं.] भागियो; भागीदार (२) । भाय पुं० (प.) भाई (२) भाव; वृत्ति; -नो हकदार; अधिकारी
भायप पुं० भाईचारो भाग्य पुं० [सं.] नसीब [संख्या भाया वि० प्रिय; प्यारं भाजक पुं० [सं.] भागाकारमा भाजक भार पुं० [सं.] बोजो; वजन (२) भाजन पुं० [सं.] वासण; पात्र (२) जवाबदारी -ने योग्य; पात्र (समासमां)
भारत पुं० [सं.] महाभारत ग्रंथ (२) भाज्य पुं० [सं.] भागवानी रकम (२) । हिंद देश. -ती स्त्री० वाणी; भाषा. वि० भागवा योग्य
-तीय वि० भारत देशन के संबंधी भाजी स्त्री० शाकभाजी; तरकारी भारी वि० भारे. -भरकम = मोटुं ने भाट पुं० भाट; चारण (२) खुशामतियो भारे; भारेखम (३) स्त्री० नदी, भालु के किनारो के भार्या,-र्या स्त्री० [सं.] स्त्री; पत्नी तेनो पट
भाल पुं० [सं.] कपाळ (२) (प.) भालो भाटा पुं० ओट; भरतीथी ऊलटुं (३) 'भालू'; रीछ भाड़ पुं० भाडभंजानी भठ्ठी. -झोंकना भालना सकि० भाळवू; बरोबर जोवू;
= नकामा के तुच्छ काममां वखत तपासवू ('देखना' साथे प्रायः वपराय काढवो [(२) नकामुं छे.)
चलावी जाणनार भाड़ा पुं० भा. भाडेका टटू क्षणिक भाला पुं० भालो. ०बरदार पुं० भालो भात पुं० खावानो- रांधेलो भात भाली स्त्री० भालानुं फळ; भालोडियु भाथा पुं० तीरनो भाथो
(२) शूळ; कांटो भाथी स्त्री० धमण
भालु (०क), ल,-लूक पुं० रीछ ।
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भोर
भाव भाव पुं० [सं.] होवू ते; हस्ती (२) मननो भाव-ख्याल, विचार, अभिप्राय मतलब (३) भाव; दर; किंमत (४) हेत; स्नेह; आदरमान भावज स्त्री० भाभी भावताव पुं० भावताल भावना स्त्री० [सं.] भाव; विचार; ख्याल (२) इच्छा (३) (प.) अ.क्रि० भाववं; गमवू; फावQ; 'भाना' भावार्थ पुं० [सं.] सार; मतलब भाविक वि० [सं.] भावनाप्रधान; भावुक भावी स्त्री० [सं.] भविष्य काळ (२)
नसीब (३) वि० थनारु भावुक वि० [सं.] जुओ 'भाविक' भाषण पुं० [सं.] व्याख्यान (२) वात
चीत; बोलवू ते भाषांतर पुं० [सं.] अनुवाद; तरजुमो भाषा स्त्री० [सं.] बोली; वाणी. -धी वि० बोलनार (समासने अंते) भाष्य पुं० [सं.] विस्तृत विवरण के समजूती
कल्पना भास पुं० [सं.] प्रकाश (२) ख्याल; भासना अ०क्रि० भास; लागवू; देखावू
(२) प्रकाश भास्कर पुं० [सं.] सूर्य (२) अग्नि (३)
दिवस (४) वि० प्रकाश भिंगा (-जा)ना सक्रि०जुओ 'भिगाना' भिडी स्त्री० भींडो-शाक भिक्षा स्त्री० [सं.] भीख. ०र्थी पुं० भिखारी. - (०क) पुं० भिखारी
(२) संन्यासी भिखमंगा पुं० भिखारी; भीख मागनार भिखार, -री पुं० भिखारी. -रिणी,
-रिन स्त्री० भिखारण
भिगा(-गो)ना, भिजवना स० क्रि०
भिजाव: पलाळवं भिजवाना सक्रि० मोकलाववं भिजा(-जो)ना सकि०जुओ 'भिगाना' भिड़ स्त्री० भमरी; 'वर' भिड़ना म०कि० टक्कर खावी (२)लडq
(३) भिडावं; साथे सार्थ लागी जवं भितरिया पुं० भितरियो(वैष्णव मंदिरनो) भितल्ला वि० भीतर- (२) ० अस्तर भित्ति स्त्री० [सं.] भीत (२) भूमिका भिदना अ०क्रि० भेदावं; छेदा; घायल __थq (२) घूसी जवू भिनकना अ०क्रि० बमणवू; गगणवं (२) घृणा थवी
[वमणवू भिनभिनाना अ० कि० 'भिनकना'; भिन (-नु) सार पुं० प्रभात; सवार भिनही अ० सवारे [अलग भिन्न पुं० [सं.] अपूर्णांक (२) वि० जुदु: भियना अ०क्रि० (प.) भय पामवू; डर भिलनी स्त्री० भीलडी; भील स्त्री भिलवाँ पुं० भिला, भिल्ल पुं० [सं.] भील भिश्त (-स्त) स्त्री० बेहेस्त; स्वर्ग भिश्ती,-स्ती पुं० भिश्ती भिषक् पुं० [सं.] वैद भिस्त स्त्री० जुओ 'भिश्त' भिस्ती पुं० जुओ 'भिश्ती' भींग(-ज)ना अ०क्रि० जुओ 'भीगना' भी अ० पण. जेम के, 'मैं भी' हुंय, हुँ पण (२) स्त्री० [सं.] भय भीख स्त्री० भीख; मागवू ते भीग(-ज)ना अ०क्रि० भींजावू; पलळवू भीटा पुं० ऊंची टेकराळी जमीन । भीड़ स्त्री० भीड; गिरदी (२) संकट
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भीड़भड़का
भीड़भड़क्का पुं०, भीड़भाड़ स्त्री० भीड; गिरदी
३९७
भीत स्त्री० भींत; दीवाल में दौड़ना =गजा उपरवटनं काम करवुं भीत वि० [ सं . ] डरेलुं; बीनेलुं. -ति स्त्री० डर; श्रीक
भीतर अ० अंदर ( २ ) पुं० अंत:करण (३) जनानखानुं
भीतरका, भीतरी वि० अंदरनुं; गुप्त भीति स्त्री० [सं.] जुओ 'भीत' मां भीनना अ०क्रि० तरबोळ थवुं; भींजवुं; भीनुं थं
भीना पुं० बनेवी (२) वि० भीतुं (३) आछु; हलकं (रंग के वास) भीम वि० [सं.] मोटुं; प्रचंड ( २ ) भयानक भीर स्त्री० (प.) जुओ 'भीड ' (२) वि० भीरु; डरपोक
भीरु वि० [सं.] डरपोक, कायर. ०ता [ सं . ], oताई ( प. ) स्त्री० कायरता भील पुं० भील जातिनो माणस भीलनी स्त्री० 'भिलनी'; भीलडी भीषण, भीष्म वि० [सं.] उग्र; घोर (२)
भयानक
भुँई स्त्री० ( प. ) भोंय; भूमि 'भुइँ' भुँइध ( -ह ) रा पुं० भोंयहं भुंजना अ०क्रि० भूंजावु; शेकावुं भुंडा वि० शींगडां विनानुं (पशु) (२) ( प. ) भूडु; खराब
भुअंग ( ०म ) पुं० ( प. ) भुजंग; साप भुअन पुं० ( प. ) भुवन भुआर ( - ल ) पुं० ( प. ) भूपाल भुइँ स्त्री० ( प. ) जुओ 'भुँई'. ०कंप, ०चाल, ०डोल पुं० भूकंप भुक्खड़ वि० भूख्युं के भुखाळवु (२) दरिद्र
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भुलाना
भुक्त वि० [सं.] भोगवेलुं (२) खाधेलं. - क्ति स्त्री० भोजन (२) उपभोग भुखमरा वि० भूखे मरतुं -री स्त्री० भूखमरो
भुगतना स०क्रि० भोगववुं; सहवुं (२) अ०क्रि० चूकते के पूरुं थवुं (३) वीतवुं भुगतान पुं० चकादो; फेंसलो; पतावट भुच्च ( ० ) वि० मूर्ख भुजंग पुं० [ सं . ] साप
भुज पुं० [सं.] हाथ; भुजा. ०ग पुं० साप भुजा स्त्री० [ सं . ] हाथ; बाहु भुजाली स्त्री० छरो; कूकरी भुजिया पुं० उकाळेली डांगरना चोखा (२) भजियुं; तळेलुं शाक भुजी स्त्री० भाजीनुं तैयार शाक भुट्टा पुं० भुट्टो (२) जुवार बाजरीनुं डूंडुं भुनगा पुं० पतंगियुं
भुनना अ०क्रि० भूंजावु; शेकावुं ( २ ) मोटो सिक्को के नोट वटाववी भुनभुनाना अ०क्रि० ( मनमां चिडाई ) गणगणवुं; बबडवुं
भुनाना स० क्रि० (मोटो सिक्को) वटाववो; परचूरण करवुं भुरकना अ०क्रि० सुकाईने छूटुं पडी जबुं - भभरुं थई जवुं भुरक ( - कु ) स पुं० भूको; चूर्ण. -निकलना = आदो नीकळवो (२) नाश पामबुं [ = खूब मारखं, पीटबुं भुरता पुं० जुओ 'भरता' - कर देना भुरभुरा वि० भभरुं; कण कण छूटुं पडी जाय एवं [स०क्रि० भभराववुं भुरभुराना अ०क्रि० जुओ 'भुरकना' (२) भुलक्कड़ वि० भुलकणुं भुलवाना, भुलाना स०क्रि० भुलावकुं
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भुलावा
भुलावा पुं० भुलावो; भ्रम; भूलमां नाखे एवी युक्ति. - देना = भुलावामां नाखवुं भुवंग ( ०म ) पुं० ( प. ) भुजंग; साप भुव स्त्री० ( प. ) भू; पृथ्वी भुवन पुं० [सं.] जगत; लोक भुवार ( - ल ) पुं० ( प. ) भूपाल भुस पुं०, - सी ( प. ) स्त्री० जुओ 'भूसा ' भूँकना अ०क्रि० ( कूतरानुं ) भसवुं (२) "व्यर्थ बकबुं भूंचाल, भूंडोल पुं० भूकंप भूँजना स०क्रि० शेकवुं (२) तळवुं (३) सतावj; दुख दे
३९८
भूँसना अ०क्रि० ( प. ) भसवुं
भू स्त्री० [सं.] भूमि; जमीन भूआ ( - वा) पुं० रू ( शीमळानं) भूकंप पुं० [सं.] धरतीकंप भूक, -ख स्त्री० भूख (२) इच्छा (३) ताण; तंगी. - मरना, भूखों मरना = भूखे मर
भूखण, - न पुं० ( प. ) भूषण भूखा वि० भूख्युं [भूस्तर भूगर्भ पुं० [ सं . ] पृथ्वीनो अंदरनो भाग; भूगोल पुं० [ सं . ] पृथ्वीनो गोळो के तेनी विद्या - भूगोळ भूचाल, भूडोल पुं० भूकंप भूत वि० [ सं . ] थई गयेलुं (२) पुं० पंचमहाभूत ( ३ ) प्राणी (४) भूतप्रेत (५) भूतकाळ भूतल पुं० [ सं . ] पृथ्वीनी सपाटी; भूतळ. भूति स्त्री० [ सं . ] थवं ते; उत्पत्ति (२) वैभव (३) भभूति; राख भूतिनी स्त्री० भूतडी भूदेव पुं० [सं.] ब्राह्मण भूधर पुं० [सं.] पहाड (२) राजा (३)
[भगवान
भेंट
भूनना स०क्रि० भूजवु; शेकवुं (२) तळवुं भूप, ०ति, - पाल पुं० [सं.] राजा भूभल, भूभुरि (प.) स्त्री० भरसाडना जेवी गरम राख, रेती, धूळ वगेरे भूमि स्त्री० [सं.] जमीन. ०का स्त्री० आमुख प्रस्तावना (२) पार्श्वभूमि. ०जीवी पुं० खेडूत
भूमिया पुं० जमीनदार (२) ग्रामदेवता भूमिहार पुं० उत्तर हिंदनी एक जात भूय ( -र ) सी दक्षिणा स्त्री० भूरसी दक्षिणा [ ( प. ) भूर वि० भूरि; बहु. ०पूर वि० भरपूर भूरा वि० कथ्थई के छींकणीना रंगने मळतुं; 'ब्राउन'
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भूरि वि० [सं.] बहु; खूब भूर्जपत्र पुं० [सं.] भोजपत्र भूल, ०चूक स्त्री० खामी; चूक भूलना स०क्रि० भूलवु; वीसरवुं (२) भूल खावी; भुलावामां पडवुं भूलभुलैयाँ स्त्री० भुलभुलामणी ( २ ) बहु गूंचवाडावाळी वात के घटना भूलोक पुं० [ सं . ] पृथ्वी भूवा पुं० (प.) जुओ 'भूआ'
भूषण पुं० [ सं . ] शणगार; घरेणुं भूषा स्त्री० [सं.] शणगार; सजावट. - बित वि० सज्ज; शणगारेलुं
o
भूसा पुं० भूसुं; घउं, जुवार इ०नां डूंडां के ढूंणसांनुं गोतुं; कुशका भूसी स्त्री० जुओ 'भूसा' (२) कुशकी भृंग पुं० [सं.] भमरो. गी स्त्री० भमरी भृकुटी स्त्री० [ सं . ] आंखनी भमर भूत्य पुं० [सं.] सेवक; नोकर; दास भेंगा वि० बाडुं
भेंट स्त्री० भेट (मुलाकात के उपहार )
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भटना
भेंटना स० क्रि० भटवुं भेइ - उ पुं० ( प. ) भद भेक पुं० [सं.] देडको भेख ( ष, स ) पुं० भेजना स०क्रि० भेजवाना)
भेजा पुं० भेजुः मगज - खाना, पकाना = भेड़ -ड़ी स्त्री० घंटी . ० चाल स्त्री० जुओ 'भेड़िया धसान' भेड़ा पुं० घेटो
भेख; वेश
मोकलवुं
३९९
की स्त्री० देडकी
(प्रेरक
(भेजूं खावुं
भेड़िया पुं० वरु
भेड़िया धसान पुं० गाडरियो प्रवाह भेड़ी स्त्री० 'भेड़'; घेटी
भेद पुं०[सं.] छूटुं करवुं के पडवुं ते (२) रहस्य; मर्म (३) फूट. ०क वि० भेद करे एवं
भेदड़ी स्त्री० राबडी भेदन पुं० [सं.] भेदवुं ते भेदिया, भेदी पुं० भेदु; गुप्तचर भेर, - रि-री स्त्री० भेरी; नगारुं भेली स्त्री० गोळनो (के कोई चीजनो) गोळा (२) सूरणनी गांठ
दवा; औषधि
भेष ( - स ) पुं० भेख; वेश भेष ( - स ) ज पुं० [ सं . ] भैंस स्त्री० भेंस. - सा पुं० पाडो भैक्ष पुं० [सं.] भीख [भाणेज भैन ( - ना, - नी ) स्त्री० बहेन ने पुं० भैया पुं० भाई. चार (-रा) पुं०, ०चारी स्त्री० भाईचारो. ० दूज स्त्री० भाईबीज
भैरव वि० [सं.] भयंकर रुद्र (२) पुं० शिवनो गण ( ३ ) एक राग. वी स्त्री० रागिणी भैषज,
० एक देवी के
- ज्य पुं० [सं.] दवा
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भोर
भोंकना स० क्रि० भोंकवु; खोसवुं भोंगाल पुं मोटो अवाज काढवा माटेनुं भूंगळु भोंचाल पुं० भूकंप
भोंडा वि० भुंडं; बेडोळ; कदरूपुं भोंदू वि० मूर्ख
भोपा - पू पुं० अंजीननी सिसोटी भोक्ता पुं० [ सं . ] भोगवनार भोग पुं० [सं.] भोगववुं ते (२) सुख; विलास (३) संभोग (४) सापनी फणा (५) देवनुं नैवेद्य
भोगना अ०क्रि० जुओ 'भुगतना ' भोगबंधक पुं० गीरो-हक
भोगी पुं० [सं.] भोग भोगवनार ( २ ) साप (३) विषयासक्त [धनधान्य भोग्य वि० [सं.] भोगववा जेवुं (२) पुं० भोज पुं० जमणवार
भोजन पुं० [सं.] जमण (२) खोराक . ०खानी स्त्री० (प.), ०गृह पुं०, ०शाला स्त्री०, -नालय पुं० रसोडुं. ०भट्ट पुं० खाउधरो
भोजपत्र पुं० जुओ 'भूर्जपत्र' भोजपुरी स्त्री० हिंदी भाषानी (बिहार तरफनी) एक बोली
भोजविद्या स्त्री० इंद्रजाळ; बाजीगरी भोज्य वि० (२) पुं० [सं.] खाद्य भोट पुं० भुतान देश
भोटिया पुं० भुतानवासी ( २ ) स्त्री० भुतानी भाषा - बदाम = आलु (२) मगफळी
भोथरा वि० बुठ्ठी धारवाळु भोपा पुं० मिलनुं मूंगळं (२) मूर्ख भोर पुं० सवार; प्रभात (२) (प.) भ्रम (३) वि० (प.) भोळं (४) मुग्ध; चकित
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भोरा
भोरा वि० ( प. ) भोळं; 'भोर' भोला वि० भोतुं सरळ (२) मूर्ख भोलाभाला वि० भोकुंभाळु; साव भोळं भौं स्त्री० जुओ 'भौंह' (२) अ० कूतरानो अवाज
भौंकना अ० क्रि० जुओ 'भूँकना'; भसवुं (२) बक बक करवुं
भतुवा पुं० एक जीवडुं ( २ ) हाथनो एक रोग (३) घाणीनो बेल भौंर पुं० भमरो (२) पाणीनो भमरो भौंरा पुं० भमरो (२) एक रमकडुं (३) भरवाडनो कूतरो (४) भोंयरुं भौंरी स्त्री० 'भाँवर'; चोरीमां वरकन्यानो फेरो (२) वाळनो के पाणीनो भमरो भौंह स्त्री० भमर; भृकुटी - चढ़ाना, - तानना=भमरो चडाववी; गुस्से थवं. - जोहना - खुशामत करवी भौंहरा पुं० ( प. ) भोंयरुं भौगोलिक वि० [सं.] भूगोल विषेनुं भौचक वि० स्तंभित; चकित भौज, भौजाई स्त्री० भोजाई; भाभी भौतिक वि० [सं.] पंचभूत संबंधी; जड; पार्थिव (२) भूतप्रेत संबंधी
मंगता ( - न ) पुं० मागण; भिखारी मँगनी स्त्री० उछीनुं लेवं ते (२) मागुं मंगल पुं० [सं.] कल्याण; शुभ ( २ ) मंगळ ग्रह के वार (३) वि० शुभ मंगलसूत्र पुं० [सं.] मंगळनुं कांडे बंधातुं नाडु (२) स्त्रीनुं मंगळसूत्र मंगलाचरण पुं० [सं.] आरंभे मंगळ करवा गवातुं गीत के स्तुति
४००
मंचक
भौम वि० [सं.] भूमि संबंधी; पार्थिव. •वार पुं० मंगळवार भौमिक पुं० [ सं . ] भूमिपति; जमीनदार (२) वि० भूमि संबंधी
भ्रंश ( - स ) पुं० [सं.] पतन; नाश भ्रम पुं० [सं.] भ्रांति; संदेह; खोटो आभास भ्रमण [ सं . ], न ( प. ) पुं० भमबुं - फरवुं ते भ्रमना अ०क्रि० (प.) भ्रममां के भुलावामां पडवुं (२) भमवुं भ्रमर पुं० [सं.] भमरो भ्रमी वि० [सं.] भ्रमित (२) चकित (३) भमतुं
म
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भ्रष्ट वि० [ सं . ] पतित; खराब भ्रांत वि० [सं.] भ्रममां पडेलं; भूलेलुं (२) गभरायेलु
o
भ्रांति स्त्री० [सं.] भ्रम;संदेह (२) भूल; मोह भ्रात (प.), - ता [ सं . ] पुं० भाई भ्रामक वि० [ सं . ] भ्रम करावे एवं भ्रामर पुं० [ सं . ]
मध भ्रुकुटि, -टी स्त्री० भ्रुकुटी; भमर; भवुं भ्रू स्त्री० [ सं . ] आंखनी भमर. ० कुटि ( - टी) स्त्री० भवु भ्रूण पुं० गर्भमांनुं बाळक
मंगलामुखी स्त्री० वेश्या मंगली वि० मंगळ ग्रहनी कुंडळीवालं मँगवाना, मँगाना स०क्रि० मंगावबुं मँगेतर वि० जेनुं कोईने माटे मागुं
थयुं होय तेवुं; मागुं कराये लुं मंगोल पुं० ( उत्तर एशियानी ) माँगोल जाति
मंच, ०क पुं० मंच; व्यासपीठ
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मंजन ४०१
मंदिर मंजन पुं०दंतमंजन(२)(प.)स्नान; मज्जन मंडल पुं० [सं.] मंडळ; गोळ; चक्र (२) मॅजना अ०क्रि० मंजावू(२)अभ्यास होवो मंडळी; समूह. -लाकार वि० गोळ मंजना सक्रि० (प.) मांजवं मंडलाना अ०क्रि० जुओ 'मँडराना' मंजर पुं० [अ.] दृश्य [मांजर मंडली स्त्री० मंडळी; टोळी (२) पुं० मंजरी स्त्री० [सं.] कूपळ (२) मोर; वडनुं झाड (३) सूर्य मॅजाई स्त्री० मांजवं ते मांजारी मंडलीक पुं० मांडळिक; राजा मंजार पुं०बिलाडो. -री स्त्री० बिलाडी; मॅड़वा पुं० मांडवो; मंडप मंजिल स्त्री० [अ]मजल; उतारो; पडाव मंडित वि० [सं.] सज्ज; शणगारेलु (२) मकाननो खंड. -मारना-दूर मंडी स्त्री० हाट; मोटु बजार. -लगना = मजल करवी (२) भारे मोटुं काम बजार भरा, करवू; मुश्केली पार करवी
मॅडआ पुं० एक जात, धान मंजिलत स्त्री० [अ.] पद; होद्दो मंडूक पुं० [सं.] देडको; 'मेंढक' मंजिष्ठा स्त्री० [सं.] मजीठ; एक औषधि मंत पुं० (प.) मंत्रणा; सलाह (२) मंत्र मंजीर पुं० [सं.] झांझर; नूपुर मंतव्य पुं० [सं.] मत; विचार; मान्यता मंजु,०ल वि० [सं.] सुंदर; रम्य मंतिक पुं० [अ.] तर्कशास्त्र । मंजूर वि० [अ.] स्वीकारेलु; मंजूर. -री मंत्र पुं० [सं.] मंत्रणा; सलाह (२) मंत्र स्त्री० मंजूरी; संमति
(जपनो, वेदनो इ०) मंजूषा स्त्री० [सं.] पेटी; डब्बो(२)मजीठ मंत्रणा स्त्री० [सं.] सलाह; मसलत मँझधार स्त्री० जुओ 'मझधार' मंत्री पुं० [सं.]सलाहकार;मसलत करनार मॅझला वि० मझलु; वच्चेनुं
(२) सचिव; प्रधान. ०मंडल पुं० प्रधानमॅझा पुं० 'माँझा'; मांजो (२) वि० मंडळ; कॅबिनेट
मध्यनु. -देना = दोर पावो मंथन पुं० [सं.] वलोवq ते (२) ऊंडी मॅझा(-झिया)ना सक्रि० चालीने नदी
विचारणा के चिंतन पार करवी
मंथर वि० [सं.] मंद; सुस्त; जड (२) मॅझार(-रि) अ०(प.) वचमां; मोझार पुं० माखण (३) दूत मॅझियाना सक्रि० जुओ 'मँझाना' मंद वि० [सं.] धीमुं (२) ढील (३) ओछं; मंड पुं० [सं.] भातवें ओसामण; 'माँड' नबळू (४) [फा.] -वाळू' अर्थनो प्रत्यय, मंडन पुं० [सं.] मांडवू, सजीने गोठवq ___ जेम के अक़लमंद एक वाजूं ते ('खंडन' थी ऊलटुं)
मॅदरा,-ला वि० ठीगणुं; गटुं (२) पुं० मंडप पुं० [सं.] मंडप; मांडवो मंदा वि० मंद; धीमुं के ढीलु (२) सस्तुं मंडर पुं० (प.) जुओ 'मंडल' । (३) हलकी जातY [आकाशगंगा मंडरना सक्रि०(प.)चारे बाजुथी घेरवं मंदाकिनी स्त्री० [सं.] एक नदी (२) मंडरा (-ला)नाअक्रि० चक्कर चक्कर मंदाग्नि स्त्री० [सं.] मंद पाचनशक्ति घूमवु (२) चोतरफ फरवं
मंदिर पुं० [सं.] घर (२) देवमंदिर हिं-२६
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मंदी ४०२
मक्खन मंदी स्त्री० भावतालनी मंदी; सस्ताई मक़बूल वि० [अ.] कबूलेलं; मानेलं मंद्र पुं० [सं.] त्रण स्वर-सप्तकमांनुं (२) सरस; प्रिय; पसंद करायेलं.
पहेलं सप्तक (२) वि० गंभीर (ध्वनि) -लियत स्त्री० लोकप्रियता मेशा पुं० [अ.] मनीषा; इच्छा (२) आशय मकरंद पुं० [सं.] पराग; फूलनु केसर मंसब पुं० [अ.] पद; होद्दो (२) कार्य -मध (२) भ्रमर मंसा स्त्री० जुओ ‘मंशा'
मकर पुं० [सं.] मगर के ते राशि (२) मंसूख वि० [अ.] रद करेलं; बातल माछली (३) [फा.] जुओ 'मक्र'.०ध्वज मअदिन पुं० [अ.] धातुनी खाण पुं०कामदेव.०संक्रांति स्त्री० उतराण मअदिनियात स्त्री० [अ.] खनिज; धातु मकरूज़ वि० [अ.] करजदार । मअबूद पुं० [अ.] आराध्य; ईश्वर । मकरूह वि० [अ.] घणापात्र; गं, ने मअरूज़ वि० [अ.] अरज करेलु; निवेदित खराब; नापाक मअलूल वि० [अ.] तर्कसिद्ध (२) पुं० मक़बूब वि० [अ.] ऊंधु; ऊलटुं निष्कर्ष; सार [रक्षा करे मक़सद पुं० [अ.] मकसद; मुराद; आशय मआज-अल्लाह श०प्र० [अ.] ईश्वर
मक़सूद वि० [अ.] धारेलू; अभिप्रेत मआनी पं०[अ.] मायनो; अर्थ; उद्देश मक़सम वि० [अ.विभक्त; वहेंचायेलं मआश स्त्री० [अ.] आजीविका; निर्वाह (२) पुं० तगदीर मआशरत स्त्री० [अ.] समूहजीवन मकाद स्त्री० [अ] पूंछडु; गुदा मई स्त्री० मे महिनो
मकान पुं० [अ.] रहेवानुं घर (२) मक (-का)ई स्त्री० मकाई
इमारत. -नात पुं० ब०व० [अ.] मकड़ा पुं० मोटी 'मकड़ी'
मक़ाम पुं० [अ.] मुकाम; स्थान मकड़ी स्त्री० करोळियो
मकाफ़ात स्त्री० [अ.] पापचें फळ (२) मकतब पुं० [अ.] मदरेसा; निशाळ बदलो
[करारनामुं मक़तल पुं० [अ.] कतलनुं स्थान मकाला पुं० [अ.] ग्रंथ (२) प्रकरण (३) मकता पुं० [अ०] मकतो; गझलनी मकु अ० (प.) भले; चाहे छेल्ली कडी
लखेलं ___मकुना पुं० दांत वगरनो हाथी (२) मक्तूब पुं० [अ.] पत्र; लेख (२) वि० मूछ वगरनो- बडमूछो माणस मकतूल वि० [अ.] कतल करायेलु (२) मकूला पुं० [अ.] कहेवत; उखाणो प्रेमी
प्रदेश मकोड़ा पुं० मंकोडो मकदूनिया पुं०(सिकंदरनो मेसिडोनिया)। मकोय स्त्री० एक औषधि मक़दूर पुं० [अ.] मगदूर; शक्ति मक्कर पुं० जुओ ‘मकर, मक्र'; दगो मानातीस पुं० [अ.] चुंबक पथ्थर मक्का पुं० मकाई. (२) मक्का नगरी मकफूल वि० [अ.] गीरो राखेखें मक्कार वि० [अ.] फरेबी; दगाबाज; मक़बरा पुं० [अ.] मकबरो; रोजो मक्करबाज. (नाम, -री स्त्री०) मकबूजा वि० [अ.] कबजे करायेलं; वश मक्खन पुं० माखण
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मक्खी
मक्खी स्त्री० माखी. ० कागज़ पुं० माखो मारवानो एक कागळ ० चूस वि० कंजूस. - छोड़ना हाथी निगलना= नानी भूलथी बचवुं पण क्यांक मोटी करी बेसवुं. - मारना = माखो मारवी; नवरा बेसी रहे
मत्र पुं० [अ०] 'मकर'; फरेब; दगो मक्षिका स्त्री० [ सं . ] माखी मख पुं० [सं.] यज्ञ
मखजन पुं० [अ.] खजानो (२) शब्दकोष मखतूल पुं० काळं रेशम. -ली वि० तेनुं बने मखदूम पुं० [ अ ] शेठ; स्वामी; सेव्य मखदृश वि० [ अ ] जोखम भरेलुं मखन पुं० ( प. ) माखण -निया पुं० माखण वेचनार (२) वि० माखण काढी लीलं (दूध )
Haफी वि० जुओ 'मख्फी' मखमल स्त्री० [अ.] मखमल कपडुं. -ली तेनुं बनेलुं के तेना जेवुं
o
मख़मसा पुं० [अ.] प्रश्न के प्रसंग; झघडो मखमूर वि० [ अ ] नशामां चकचूर मखरज पुं० [अ.] मूळ; ऊगम (२) शब्दनी व्युत्पत्ति (३) मों [सृष्टि मखलूक वि० [अ.] रचेलुं; सृष्ट (२) स्त्री० मखलूकात स्त्री० [अ.] सृष्टिनां जीवजंतु मखलूत वि० [अ.] मिश्र मखसूस वि० [अ] खास; विशेष मखौल पुं० मरकरी; ठठ्ठो मखौलिया पुं० मश्करो मल्फ़ी वि० [अ.] छूपुं; गुप्त मग पुं० (प.) मार्ग; रस्तो मग़ज पुं० मगज (भेजुं; फळनो गर ); - खाना, -चाटना = मगज खावुं; भेजुं
४०३
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मचलना
पकववुं. ०चट वि० मगज खानाएं; बोली बोलीने हेरान करनाएं. ० चट्टी, ० पच्ची स्त्री० मगजमारी; माथाझीक मग़जी स्त्री० मुगजी; गोट [ लाडु मगदल पुं० मगदळ; मगनो के अडदनो मगन वि० मग्न; लीन; डूबेलुं (२) खुश; राजी मग़फ़रत स्त्री० [ अ ] क्षमा; माफी मगर वि० [अ] मृत; स्वर्गस्थ
वि० [अ०] दुःखी ; व्यथित; उदास मगर पु० मगर प्राणी. ०मच्छ पुं० मगर (२) मोटो मच्छ मगर अ० [फा.] पण; परंतु मग़रिब पुं० [ अ ] पश्चिम दिशा की नमाज = सांजनी नमाज - बी वि० पश्चिमनुं
मग़रूर वि० [ अ ] मगरूर; अभिमानी ( नाम, - री)
मग्रलूब वि० पराजित; हारेलुं; दबायेलुं मग स्त्री० [अ०] माखी (२) मधमाख मगस ( - सि) र पुं० मागशर मास मग्ज पुं० [अ०] मगज; भेजूं. ० चट्टी, ०पच्ची स्त्री० मगजमारी. ० रोशन स्त्री० छींकणी
माजी स्त्री० जुओ 'मग़ज़ी' मग्न वि० [ सं . ] तन्मय; लीन (२) डूबेलुं मघवा पुं० [सं.] इंद्र [ पीडा मचक स्त्री० दबाववुं ते के तेथी थती मचकना स०क्रि० जोरथी हलाववुं के दबावj जेथी 'मच मच' थाय मचना अ०क्रि० शोरबकोरवाळु काम शरू थवुं (२) फेलावुं; मचवुं; जामवुं मचल स्त्री० हठ मचलना अ० क्रि० हठ करवी
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मचला
मचला वि० जिद्दी (२) जाणीबूजीने न बोले एवं; मीढुं मचलाना अ०क्रि० ऊलटी थवा जेवुं लागवुं (२) स०क्रि० ' मचलना' नुं प्रेरक मचवा पुं० खाटलो के तेनो पायो (२) मछवो; नाव
मचान स्त्री० शिकारनी मांची के खेतरनो माळो
मचाना स०क्रि० मचाववुं जमाववुं ( कर्मणि, मचना )
मचिया स्त्री० पलंगडी मच्छ पुं० मच्छ, मोटुं माछलुं मच्छड़ (र) पुं० मच्छर. ०दानी स्त्री० 'मसहरी'; मच्छरदानी
मच्छी, मछली स्त्री० माछली मच्छी ( - छली) मार पुं० माछी मछवा पुं० माछीनो मछवो-होडी मछुआ (चा), मछेरा पुं० माछी मजकूर ( - रा), मजकूर ए बाला वि० [अ.] उपरोक्त; आगळ कहेलुं; मजकूर मजकूरी पुं० [फा.] समन्स बजावनार पटावालो के बेलीफ (२) गामनी सामान्य सहियारी जमीन मजदूर पुं० [फा.] मजूर. ०नी - रिनी स्त्री० मजूरण. -री स्त्री० मजूरी मजनूँ वि० [अ.] मजनू; प्रेमघेलुं ( २ ) दुबळा शरीरनुं [वधस्थान मजबह पुं० [ अ ] झबे करवानी जगा; मजबूत वि० [ अ ] दृढ; मजबूत ( २ ) हृष्टपुष्ट; बळवान; तगडुं. - ती स्त्री० मजबूर वि० [अ.] लाचार; अवश. ०न् अ० [अ.] लाचारीथी; नछूटके. - री स्त्री ० लाचारी; नाछूटको मजमा पुं० [ अ ] भीड के भीडनी जगा
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मजाकिया
मजमूआ पुं० [अ] संग्रह ( २ ) वि० संघरेलु. ० जाबिता दीवानी पुं० दीवानी केसना विधिनो कायदो; 'सिविल प्रोसीजर कोड'. ०जाबिता फ़ौजदारी पुं० फोजदारी कामोना विधिनो कायदो; 'क्रिमिनल प्रोसीजर कोड' मजमूई वि० [ अ ] कुल; बधुं मजमून पुं० [ अ ] लेख के तेनो विषय. - बाँधना = गद्यपद्यमां नवं लखवं. -मिलना, लड़ना = बे जणनी कृतिना भाव मळता आववा
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मज़रअ पुं० [ अ ] खेतर ( २ ) गाम मजरिया वि० चालु; जारी मजरूआ वि० [अ.] खेडीने वावेलुं (खेतर) मजरूह वि० [ अ ] घायल; जखमी मजल स्त्री० जुओ 'मंजिल'; पडाव.
-मारना = लांबु चालवु (२) भारे काम करी पाडवुं
मजलिस स्त्री० [अ.] सभा; मंडळी ( २ ) नाचनो जलसो (३) मिजलस. - सी वि० सभा संबंधी ( २ ) पुं० सभासद मजलूम वि० [अ.] जुलमनुं भोग बनेलुं मजहका पुं० [अ.] मजाक ; हांसी मजहब पुं० [ अ ] धर्म; संप्रदाय मजहबी वि० [ अ ] धार्मिक ( २ ) पुं० भंगीकाम करनार शीख
महल वि० [अ.] सुस्त आळसु (२) थाकेलं (३) अप्रसिद्ध (४) [व्या. ] सह्य (भेद ) मजा पुं० [फा.] स्वाद (२) आनंद; सुख (३) मजाक. - चखाना = गुना बदल सजा करवी स्वाद
मजाक़ पुं० [ अ ] मजाक ( २ ) रुचि; मजाक़न् अ० [ अ ] मजाकमां; हांसीमां मजाकिया वि० [ अ ] मजाकी; मश्करुं
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४०५
मड़ई
मजाज मजाज वि० [अ.] बनावटी (२) पुं० मटक स्त्री० चाल; गति (२) मटको; अधिकार; हक
प्रमाणे लटकमटक मजाजन् अ० [अ.] नियमसर; कायदा मटकना अ०क्रि० मटको करीने चालवू मजाजी वि० [अ.] बनावटी (२) (२) आंख मटमटाववी सांसारिक
मटका पुं० मटकुं; माटलं मजार पुं० [अ.] कबर; समाधि के मटको स्त्री० मटकी; माटली (२) मकबरो
मटको; चाळो मजारि, -री स्त्री० (प.) मांजारी; मटकीला वि० लटकमटकवाळू - बिलाडी
बळ; मगदूर मटमॅगरा पुं० वरध जेवो एक लग्नविधि मजाल स्त्री० [अ.] मजाल; ताकत; मटमैला वि० माटीना रंगर्नु मजाहिब पुं० [अ.] 'मज़हब' नुं ब०व० मटर पुं० वटाणा मजिस्टर, मजिस्ट्रेट पुं० [इ.] मॅजिस्ट्रेट मटरगश्त पुं०, -श्ती स्त्री० सहेलमजिस्ट्रेटी स्त्री० मॅजिस्ट्रेटनुं पद के सपाटो (२) फरवू ते; सहेल । तेनी कचेरी
मटियाना सक्रि० माटीथी मांजवू (२) मजीठ स्त्री० मजीठ; एक औषधि. माटीथी ढांक (३) वात टाळवी; -ठी वि० मजीठियु; लाल
ध्यान पर न लेवी मजीद वि० [अ.] पवित्र (२) बडु (३) । मटियाफूस वि० साव फूस - नबळं पुं० कुरान
[अधिक मटियामसान,मटियामेट वि० सत्यानाश; मजीद पुं० [अ.] अधिकता (२) वि०
नष्टप्राय; 'मलियामेट' मजीरा पुं० मंजीरो [-री' मटियाला, मटीला वि० जुओ ‘मटमैला' मजूर पुं०, -री स्त्री० जुओ 'मजदूर, मटुका पुं० मटकुं. -किया, की स्त्री० मजेदार वि० [फा.] मजा- (२)स्वादिष्ट मटकी
(३) सरस. -री स्त्री० स्वाद; मजा मट्टी स्त्री० 'मिट्टी'; माटी मज्ज्न पुं० [सं.] स्नान [मज्जा मट्टर वि० सुस्त; जड मज्जा स्त्री० [सं.] हाडकांनी अंदरनी मट्ठा, मठा पुं० छाश धाम मझधार स्त्री० (नदीनी) मध्य धारा मठ पुं० [सं.] साधु संन्यासीनो निवास(२) मध्य; वच
मठरना पुं० सोनी कंसारानुं एक ओजार मझला वि० मझलं; वच्चे
मठा पुं० जुओ ‘मट्ठा' मझाना अ०क्रि० दाखल थवं; पेसवं मठाधीश पुं० [सं.] मठनो मुख्य - महंत मझार अ० (प.) मोझार; मध्ये । मठिया स्त्री० नानो मठ; 'मठी' मझियारा वि० (प.) मझलुं; वचलं (२) एक जातनी चुडी मझोला वि० मझलं; वचलं (२) मध्यम मठी स्त्री० नानो मठ (२)पुं० मठाधीश कदनुं
मठोर स्त्री० वलोणानी गोळी मझोली स्त्री० एक जातनी बळदगाडी मड़ई स्त्री० नानो मांडवो; पर्णकुटी
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मड़वा
४०६
मदखूला मड़वा पुं० 'मॅड़वा'; मांडवो मतांतर पुं० [सं.] बीजो मत; मतभेद मड़आ पुं० जुओ 'मॅडआ'
मताधिकार पुं० [सं.] मत आपवानो मडैया स्त्री० जुओ ‘मड़ई'
हक. -री पुं० मतदार मढ़ वि० अडियल (२) पुं० मठ मतानत स्त्री० [अ.] दृढता; मजबूती मढ़ना सक्रि० मढवू [प्रेरक मतालिब पुं० 'मतलब' नुं ब० व० मढ़वाना, मढ़ाना स०क्रि० 'मढ़ना' नुं मति स्त्री० [सं.] बुद्धि (२) सलाह (३) मढ़ाई स्त्री० मढामण
इच्छा मढ़ी स्त्री० मढी; झुपडी (२) नानो मठ । मति, -ती अ० (प.) 'मत'; ना मणि स्त्री० [सं.] मणि; रत्न. ०धर पुं० मतीन वि० [अ.] दृढ; पाकुं साप. ०बंध पुं० कांडु
मतीरा पुं० तडबूच मतंग पुं० [सं.] हाथी (२) वादळ. -गी। मतेई स्त्री० (प.) सावकी मा पुं० हाथीनो सवार [पंथ ।
मत्कुण पुं० [सं.] माकण मत पुं०[सं.] मत;अभिप्राय (२) संप्रदाय; मत्त वि० [सं.] मस्त; मदवाळु; छकेल मत अ० ना; नहि (२) स्त्री० (प.) (२) प्रसन्न; खुश [नम, जुओ ‘मति' [दृढ; पाकुं।
मत्था पुं० माथु.-टेकना=माधुं नमावq; मतन पुं० [अ.] मध्य भाग (२) वि०
मत्सर पुं० [सं.] दाझ; ईर्षा (२) क्रोध. मतबख पुं० [अ.] रसोडु
-री वि० ईर्षाळु मतबा पुं० [अ.] छापखानुं
मत्स्य पुं० [सं.] माछरों मतब्ब पुं० [अ.] दवाखान
मथन पुं० [सं.] मंथन; मथर्बु ते मतरूक वि० [अ.] छोडायेलं; त्यक्त मथना सक्रि० मथएँ; वलोवळू (२) नाश मतलब पुं० [अ.] मतलब; आशय (२) करवो (३) श्रमपूर्वक कांई करवू अर्थ (३) स्वार्थ (४) संबंध; लेवादेवा.. मथनी स्त्री० वलोणानी गोळी (२) -गांठना,-निकालना मतलब काढवी, वलोवq ते के तेनुं साधन-वांस ते सरे एम करवू. -हो जाना-मतलब
मथवाह पुं० हाथीनो महावत सरवी (२) बूरा हाल थवा (३) खतम मथानी स्त्री० वलोववानो वांस.-पड़ना, थई जवं. -बी वि० स्वार्थी
-बहना = खळभळाट मचवो मतला पुं० [अ.] पूर्व दिशा (२) गजलनी. मद स्त्री० [अ.] विभाग (२) खातुं (३) पहेली बे कडी. -साफ़ होना-आकाश. पुं० [सं.] मद (४) वि० मत्त; मदवाळू चोख्खं थर्बु (२) मुश्केली दूर थवी मदक स्त्री० अफीणना सत्त्वनो चलममां मतली स्त्री० ऊलटी थाय एवं थq ते पीवानो एक पदार्थ मतलूब वि० [अ.] चाहेलं; इष्ट; अभिप्रेत. मदकची पुं० मदक पीनार -बा वि०स्त्री० माशूक ।
मदक (-ग)ल वि०[सं.] मत्त; 'मतवारा' मतवार (-रा) (प.),-ला वि० मदमस्त; मदखल वि० [अ.] दाखल के जमा करेलु केफथी चकचूर (२) पागल मदखूला स्त्री० [अ.] रखात
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मदद
४०७
मनमौजी मदद स्त्री० [अ०] मदद; सहाय. ०गार स्त्री० भमरी (२) भिक्षा. ०प पुं० वि० सहायक
भमरो. ०पर्क पुं० पंचामृत. ० मक्खी मदन पुं० [सं.] कामदेव
०मक्षिका स्त्री० मधमाख. ०र वि० मदफ़न पुं० [अ.] कबर के कबरस्तान मीठु (२) सुंदर; रुचिर (३) शांत; धीमुं; मदन वि० [अ.] दाटेल; दफनावेलं मंद. राज पुं० भमरो मद (-दी)यून वि० [अ.] देवादार; ऋणी मधुरिमा स्त्री० [सं.] मधुरता मदरसा पुं० मदरेसा; शाळा . मधूक पुं० [सं.] महुडो के महुडुं मदह स्त्री० [अ.] प्रशंसा; तारीफ मध्य पुं० [सं.] वच (२) वि० वचलं. मद-होश वि० मदमत्त (नाम, -शी) म वि० वचलं (२) पुं० म स्वर मदाखिल स्त्री० [अ.] आमदानी (संगीत). ०मा स्त्री० वचली आंगळी. मदाखिलत स्त्री० [अ.]अधिकार जमाववो ०वर्ती वि० वचलं; केन्द्रीय. ०स्थ पुं० ते (२) दखल करवी के रोकवू ते. ०बेजा तटस्थ; पंच (२) वि० मध्यमां आवेलं स्त्री० अनधिकार प्रवेश के दखल मध्याह्न पुं० [सं.] बपोर मदार पुं० आकडो (२) [अ.] मदार; । मध्ये अ० [सं.] जुओ 'मद्धे'
आधार (३) एक पीरनुं नाम मन पुं० मन; चित्त (२) मण (३) (प.) मदारात स्त्री० [अ.] 'मदार' नुं ब०व० ___ मणि (४) स्त्री० कूवानी फरती पाळ मदारी पुं० रीछ वानर इ०नो (सापनो मनका पुं० मणको (२)गरदन- करोडनी नहि) खेल करनार; मदारी
तरत ज उपरनुं हाडकुं मदिरा स्त्री० [सं.] दारू
मनकूला वि०स्त्री० [अ.] जंगम(मिलकत) मदीय वि० [सं.] मारुं
मनकहा वि० [अ.] परणेतर (स्त्री) मदीयून पुं० जुओ ‘मदयून'
मन-गढंत वि० कपोल-कल्पित; कल्पी ज मदीला वि० नशो चडे एQ; केफी लीधेलु (२) स्त्री० कल्पना ज मात्र मदोन्मत्त वि० [सं.] मदथी भरेलु; मदांध मनचला वि० हिंमतवान; नीडर (२) मद्द पुं० [अ.भरती(२)स्त्री० 'मद';खातं; रसिक विभाग. ०व जजर पुं० भरतीओट मनचाहा, मनचीता वि० मनवांछित; मद्देनजर वि० [फा. नजर सामे होय मनज़र पुं० [अ.] दृश्य; देखाव तेवू; लक्षमां लीधेलं
मनन पुं० [सं.] चिंतन; ऊंडो विचार मद्धिम वि० मध्यम; साराथी ऊतरतुं मनफ़ी वि० [अ.] कमी के बाद करेलु (२) मद्धे अ० मध्ये; वचमां (२) (ते) विषे; (व्या.) नकारवाचक [गमतुं; प्रिय बाबतमां, खाते
मनभाया,-वता,-वन दि० (प.) मनने मद्य पुं० [सं.] दारू. ०५ पुं० दारूडियो मनमाना,-नता वि० मनगमतुं; फावतुं मद्रसा पुं० [अ.] जुओ ‘मदरसा' (२) मनमान्यु; खूब मधु पुं०[सं.] मध (२) दारू (३) वि० मनमुटाव पुं० अणबनाव; वैमनस्य मीठं; गळयं. ०कर पुं० भमरो. करी मनमौजी वि० मोजी; लहेरी
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मनशा ४०८
मन्जर मनशा स्त्री० [अ.] जुओ ‘मंशा' मनुसाई स्त्री०(प.) माणसाई; पुरुषार्थ मनसब पुं० [अ.] पद; होहो (२)अधिकार. मनुहार स्त्री० विनंती; प्रार्थना (२) __ ०दार पुं० अधिकारी. -बी वि० पद मनावQ-राजी करवू ते (३) खुशामत
संबंधी [अ० [सं.] मनथी मनेजर पुं० [इ.] मॅनेजर; व्यवस्थापक मनसा स्त्री० जुओ 'मनशा'; इच्छा (२) मनोकामना स्त्री० [सं.] इच्छा; मंछा मनसिज पुं० [सं.] कामदेव
मनोगत वि० [सं.] मनन; दिलमां आवेलं मनसूख वि० [अ.] खोटुं ठरावेलं; रद (२) पुं० इच्छा; विचार (३) कामदेव करेलु (२) त्यक्त; छोडेलु (नाम, -खी)। मनोज पुं० [सं.] कामदेव मनसूबा पुं० [अ.] युक्ति (२) मनसूबो; मनोज्ञ वि० [सं.] मनोहर; सुंदर इरादो. -बाँधना = युक्ति विचारी मनोनीत वि०[सं.] पसंद करेल; जुटेलं; राखवी; मनमां गोठवी राखवी 'निर्वाचित' मनस्वी वि० [सं.] सारा मन के बुद्धिवाळू मनोरंजक वि० [सं.] मनने राजी करे (२) मक्कम मनवाळु (३) मोजीलं; एवं. -न पुं० विनोद; मननो राजीपो 'मनमौजी'
मनोरथ पुं० [सं.] मनसूबो; इच्छा मनहर वि० मनोहर; सुंदर
मनोरम वि० [सं.] रम्य; सुंदर । मनहुँ अ० (प.) मानो के; जेम के मनोरा पुं० गोबरनां भीत-चित्र जेने मनहूस वि० [अ.] अशुभ; अपशुकनियाळ शणगारी दिवाळी बाद स्त्रीओ त्यां
(२) उदास; खिन्न. -सी स्त्री० गीत गाय छे ने खेले छे. ० झूमक पुं० मना वि० [अ.] मना करेल; निषिद्ध. एक प्रकार गीत ०ई, ०ही स्त्री० मनाई
मनोविकार पुं० [सं.] मननो भाव के मनाक (-) वि० [सं.] थोडं वृत्ति या आवेग मनादी स्त्री० जुओ 'मुनादी' मनोविज्ञान पुं० [सं.] मानसशास्त्र मनाना स क्रि० मनावq(२)स्वीकारावq मनोविश्लेषण पुं० [सं.] चित्तना भावोनी मनावन पुं०मनामणी;रूठेलाने मनावq ते समीक्षा; 'साइको-एनेलिसिस' मनाही स्त्री० [अ.] मनाई; निषेध । मनोवृत्ति स्त्री० [सं.] मननी के चित्तनी मनिहार पुं० चुडगर. ०न,-रिन,-री
वृत्ति-भाव स्त्री० चुडगर स्त्री
मनोव्यापार पुं० [सं.] चित्तनुं कामकाज मनी स्त्री० [अ.] वीर्य (२) (प.) मान; । मनोहर, मनोहारी वि० [सं.] मनहर; अहंकार (३) मणि
सुंदर; आकर्षक मनी आर्डर पुं० [इं.] मनी ऑर्डर
मनौती, मन्नत स्त्री० मानता; बाधा. मनीषा स्त्री० [सं.] बुद्धि (२) इच्छा.-षी -उतारना या बढ़ाना= मानता पूरी पुं० बुद्धिमान; पंडित
करवी. -मानना = मानता मानवी के मनुआं (-वाँ) पुं० मन (२) मनुष्य राखवी मनुज,-ष्य पुं० [सं.] माणस
मन्जर पुं० [अ.] जुओ ‘मनज़र'
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मन्नत
मन्नत स्त्री० जुओ 'मनौती' मन्वंतर पुं० [ सं . ] एक मनुनो अधिकारकाल (२) दुकाळ
मन्सूख वि० [ अ ] जुओ 'मनसूख' मन्सूब वि० [ अ ] संबंधवाळु (२) जेनुं मागुं थयुं होय ते
o
मन्सूबा पुं० [ अ ] जुओ 'मनसूबा' मफ़रूर वि० [ अ ] ' फ़रारी'; नासी के भागी गयेलो ( गुनेगार ) मफ़हूम पुं० [ अ ] मुद्दो; वस्तु मम स० [ सं . ] मारुं. ०कार पुं० पोतानी मालमता. ०ता स्त्री०, ०त्व पुं० मारापणु; अहंकार (२) भाव; हेत (३) मोह
ममतून वि० [ अ ] कृतज्ञ; आभारी; 'मश्कूर'
४०९
ममियाना अ० क्रि० (बकरी) बें बें कर ममिया ससुर पुं० मामोससरो ममिया सास स्त्री० मामीसासु ममियौरा पुं० मोसाळ ममेरा भाई पुं० मामानो दीकरो मम्बा पुं० [ अ ] झरणुं (२) ऊगम मयंक पुं० मृगांक ; चंद्र मयंद पुं० मृगेंद्र सिंह
मय अ० [अ] जुओ 'मैं'; साथे (२) स्त्री० [फा.] दारू. ०कदा, ०खाना पुं० दारूनुं पीटुं
मयगल पुं० ( प. ) मेगळ; मदगळतो हाथी मयस्सर वि० [अ] मळेलुं; प्राप्त मया स्त्री० (प.) माया मयार वि० ( प. ) मायाळु दयाळु मयूख पुं० [सं.] किरण (२) प्रकाश मयूर पुं० [सं.] मोर
मरंद पुं० मकरंद; पराग
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मरमर
मरकज पुं० [अ . ] केन्द्र; मध्यस्थान. - जी वि० केन्द्रीय; मध्यस्थ; मुख्य मरकत पुं० [सं.] एक जातनो हीरो मरक़द पुं०[अ.] सूवानो ओरडो (२) कबर मरकना अ०क्रि० दबावु; दबाईने तटबं मरकहा वि० मारकणुं ( ढोर - पशु) मरक़म ( - मा) वि० [अ] लखेलुं मर (-ल) गजा वि० मेलु; गंदु: चूंथायेलं (२) झांखुं
मरगूब वि० [ अ ] प्रिय ( २ ) सुंदर मरगोल ( - ला) पुं० [फा.] संगीतनी गिटकीडी
मरघट पुं० स्मशान [कुटेव मरज पुं० [अ. मर्ज़] मरज; रोग ( २ ) मरजिया, मरजीवा पुं० मरजीवो ( २ ) वि० मृतप्राय; अधमूउं (३) मरतुं बचेलुं मरजी स्त्री० [अ.] मरजी; खुशी (२) आज्ञा (३) स्वीकार
मरण, -त पुं० [सं.] मोत; मृत्यु मरतबा पुं० [अ.] मरतबो; मोभो ( २ ) वारो; फेरो
मरतूब वि [ अ ] भीनुं
मरद पुं० ( प. ) मर्द, पुरुष. ०ई, - दानगी पौरुष. - दाना वि० मरद संबंधी मरदुम पुं० [फा.] माणस. ० शुमारी स्त्री० वस्तीगणतरी. मी स्त्री० मरदानगी मरदूद वि० [ अ ] नीच; तिरस्कृत मरना अ०क्रि० मरबुं मरन पुं०, मरनी स्त्री० मरण मरनी-करनी स्त्री० अंत्येष्टि क्रिया मरफ़ा पुं० [फा.] ढोल; मरफो मरभुक्खा वि० जुओ 'भुक्खड़' मरम पुं० मर्म; रहस्य
मरमर पुं० [ अ ] संगेमरमर; आरसपहाण
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मरम्मत ४१०
मर्मर मरम्मत स्त्री० [अ]मरामत; समारकाम. मरुद्विप पुं० [सं.] ऊंट -करना= ठोकवू; मारवं
मरुद्वीप पुं० [सं.] रणद्वीप मरसा पुं० एक शाक-भाजी मरुधर पुं० मारवाड [भूमि; रण मरसिया पुं० [अ.] मरसियो; राजियो (२) मरुभूमि, मरुस्थ (-थ)ल पुं० [सं.] मरुमरणशोक
मरोड़ पुं० पेटमां मरडावानी पीडा (२) मरहट पुं० (प.) 'मरघट'; स्मशान मरडावं ते (३) क्रोध (४) गर्व. -खाना मरहटा (-ठा) पुं० (स्त्री० -ठिन) __ = चक्कर खावु (२) गूंचवणमां पडवू. मराठो; महाराष्ट्री.-ठी स्त्री० मराठी -गहना= क्रोध करवो भाषा (२) वि० मराठा संबंधी मरोड़ना स०क्रि० मरडवू; आमळवू (२) मरहबा अ० [अ.] शाबाश; वाह वाह दु:ख देवं; पीडवू मर(-ल)हम स्त्री० [अ.] मलम मरोड़ा पुं० मरोड; वळं (२) चूंक; मरडो मरहला पुं० [अ.] जुओ 'मंज़िल'. -तय ___मर्कट पुं० [सं.] मांकडु; वांदरु. -टी करना = कठण काम पूरु करQ स्त्री० वांदरी मरहून वि० [अ.] गीरो मूकेलं मर्ग पुं० [फा.] मरण मरहूम वि० [अ०] स्वर्गस्थ
मराजार पुं० [फा. लील मेदान मराठा पं० मराठो; महाराष्ट्री. -ठी मर्ज पुं० [अ.] रोग; बीमारी स्त्री० मराठी भाषा
मर्जी स्त्री० [अ.] 'मरजी' मरात स्त्री० [अ.] स्त्री
मर्तबा पुं० [अ.] जुओ ‘मरतबा' मरातिब पुं० [अ.] 'मरतबा' नुं व०व० । मर्तबान पुं० अथाणा इ० नी बरणी; (२) क्रमिक अवस्थाओ; पगलां _ 'अमृतबान' [माणस (३) पृथ्वी मराल पुं० [सं.] हंस
मर्त्य वि० [सं.] मरणधर्मी (२) पुं० मरिच पुं० [सं.] काळं मरी. -चा पुं० मर्द पुं० [फा.] मरद; पुरुष, ०क पुं० लाल मरचुं
[मा
मरद (तुच्छकारवाचक). -दर्दानगी मरियम स्त्री० [अ.] कुमारी (२) ईशुनी स्त्री० मरदानगी. -र्दाना वि० मरद मरियल वि० खूब दुर्बळ
विषेर्नु. -र्दी स्त्री० मरदानगी मरी स्त्री० महामारी
मर्दन पुं० [सं.] चोळवं, मालिस करवू मरीचि स्त्री० [सं.] किरण (२) पुं० एक. ते (२) ध्वंस; नाश ऋषि. ०का स्त्री० मृगजळ. -ची पुं० मर्दानगी, मर्दाना, मर्दी जुओ 'मर्द' मां सूर्य (२) चंद्र
मर्दुम पुं० [फा.] माणस. ०शुमारी स्त्री० मरीज़ पुं० [अ.] बीमार; मांदो [फा. वस्तीगणतरी मरीना पुं० मरीनो कापड
मर्दुमी स्त्री० [फा.] मरदानगी मरु पुं० [सं.] रगभूमि [मोभारो। मर्म पुं० [सं.] रहस्य; भेद (२) शरीरनो मरुआ(-वा) पुं० डमरो (२) छापरानो नाजुक भाग. ०ज्ञ वि० मर्म जाणनार मरुत पुं० [सं.] वाय
मर्मर पुं० जुओ 'मरमर'
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४११
मर्मवचन
मवाजी मर्मवचन पुं० [सं.] गूढ वचन (२) मर्ममां मलामत स्त्री० [अ.] वढवू ते (२) वागे एवं वचन
गंदगी; कचरो मर्मी वि० मर्मज्ञ; मर्म जाणनार मलार पुं० मल्हार राग मर्या (--)द (प.), -दा [सं.] स्त्री० मलाल पुं० [अ.] दुःख (२) उदासीनता हद; सीमा (२) आबरू; रीत मलाह पुं० (प.) 'मल्लाह'; नाविक मलंग पुं० [फा.] एक जातनो फकीर मलाहत स्त्री० [अ.] शामळापणुं (२) मल पुं० [सं.] मळ; मेल; विकार चहेरानी कान्ति मलऊन वि० [अ.] निंद्य; शापित मलिंद पुं० (प.) भमरो मलक पुं० [अ.] देवदूत; फिरस्तो। मलिक पुं० [अ.] राजा (स्त्री० -का) मलका पुं० [अ.] प्रतिभा (२) दक्षता (३) मलिन वि० [सं.] मेलं; गं, (२) पापी
स्त्री० महाराणी; बेगम; मलिका (३) धीमुं; म्लान मलखंभ, मलखम पुं०मलखम(कसरतनो) मलियामेट पुं० सत्यानाश; खुवारी मलगजा वि० जुओ 'मरगजा' मलीदा पुं० [फा.] मलीदो; चूरk (२) मल (-ला)गिरी पुं० आछो कथ्थई रंग मुलायम ऊन, एक कापड मलगोबा पुं० [तुर्की] गंदकी; मळ; मेल मलीन वि० (प.) मलिन (२) कचरापटी
मलूल वि० [अ.] दुःखी; शोकातुर; खिन्न मलतम वि० [अ.] आवश्यक; जरूरी (२) मांदूं; बीमार (३) थाकेलं मलना सक्रि० मसळवू; मर्दन करवू; । मलेरिया पुं० [इ.] टाढियो ताव घस,
मलोला पुं० दु:ख (२) चिंता. मलोले मलफूज पुं० [अ.] संतमहात्मा के आना = दु:ख के पस्तावोथवो.-खाना धर्माचार्य- वचन
= सहवू; खम, मलबा पुं० कचरापटी (२) रोडां मटोडु मल्ल पुं० [सं.]मल; कुस्तीबाज पहेलवान.
वगेरे (भागेला मकाननो) काटरडो ०भूमि, ०शाला स्त्री० अखाडो. ० युद्ध मलबूस पुं० [अ.] पहेरवेश; पोशाक पुं० कुस्ती मलमल स्त्री० मलमल वस्त्र
मल्लार पुं० [सं.] मल्हार राग मलमास पुं० [सं.] अधिकमास मल्लाह पुं० [अ.] माछी के होडीवाळो. मलय पुं० [सं.] चंदन (२) केरळ के -हिन स्त्री० माछण. -ही स्त्री० मलबार देश. ०ज पुं० चंदन. -यानिल __ माछीनो धंधो (२) वि० माछी विषेनुं पुं० मलयगिरिनो सुगंधी पवन मल्हराना, मल्हाना, मल्हारना मलवाना सक्रि० चोळावq; घसावq __ सक्रि० मलाव; लाड लडाववां मलहम पुं० जुओ 'मरहम'; मलम मवक्किल पुं० [अ. मुवक्किल] असील मलाई स्त्री० दूधनी मलाई (२) सार; मवाजिब पुं० [अ.] नियमथी मळे ते
तत्त्व (३) 'मलना' परथी नाम -मळतर, जेम के पगार मलाट पुं० जाडो पूठानो (ब्राउन) कागळ मवाजी वि० [अ. मुवाज़ी] कुल
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मवाद
४१२
मसलहतन् मवाद पुं० [अ.] पाच; परु (२) रद्दी मस पुं० मच्छर (२) [अ.] स्पर्श (३) के गंदो भाग
___ स्त्री० ऊगती मूछ. –भोजना=मूछनो मवास पुं० [सं.] आश्रय के रक्षावें स्थान वाळ फूटवो
(२) किल्लो; गढ [किल्लेदार मसक पुं० (२) स्त्री० जुओ 'मशक' मवासी स्त्री० नानो गढ (२) पुं० (३) स्त्री० फसकी के फाटी जवु ते । मवेशी पुं० [अ.] ढोर; जानवर मसकना सकि० जोरथी दबावq जेथी मवेशीखाना पुं० ढोरनो तबेलो वस्तु फसकी-फाटी जाय (२) अ०क्रि० मशक पुं० [सं.] मच्छर (२) स्त्री० [फा.] फसकी जवं; फाटवं पाणीनी मशक. ०कुटी स्त्री० मच्छर मसकरा पुं० मश्करो; 'मस्खरा'
माटेनी चमरी.हरी स्त्री०मच्छरदानी मसकला पुं० -ली स्त्री० मसकलो; मशकूक वि० [अ.] शकवाळु; संदिग्ध 'मिस्कला' मशकूर वि० [अ.] कृतज्ञ; 'मश्कूर' मसका पुं० [फा.] मसको; माखण (२) मशक्क़त स्त्री० [अ.] महेनत; मजूरी; ताजु घी (३) दहींन पाणी तकलीफ; मशागत
मसकीन वि० (प.) जुओ 'मिसकीन' मशग़ला पुं० [अ.] विनोद; मनरंजन मसखरा पुं० जुओ 'मस्खरा'.-री स्त्री० मशगूल वि० [अ.] मशगूल; काममां
मश्करी रोकायेलं-मग्न (नाम, -ली स्त्री०)
मसजिद स्त्री० [अ]. मस्जिद मशरफ़ पुं० [अ.] ऊंचं प्रतिष्ठान स्थान मसनद स्त्री० [अ.] मोटो तकियो (२) मशरिक़ पुं० [अ] पूर्व दिशा (वि० -की)
(अमीरनी) गादी
चीज मशरू पुं० एक जात, कपडुं मसनूअ पुं० [अ.] कारीगरीनी बनावेली मशवरत स्त्री० मशव (-वि)रा पुं० मसनूई वि० [अ.] बनावटी; नकली [अ.] सलाह; मसलत
मसदर पुं० [अ.] मूळ; ऊगम (२) मशहूर वि० [अ.] जाणीतुं; प्रसिद्ध
क्रियापदनो धातु मशा(-सा)न पुं० मसाण; स्मशान मसरफ़ पुं० [अ.] उपयोगिता मशाल स्त्री० [अ.] मशाल. ०ची पुं० मसरूका वि० [अ.] चोरीनु; चोरेलु मशालवाळो [शेखी; गर्व मसरूफ़ वि० [अ.]मशगूल;काममा लागेलं मशीखत स्त्री० [अ.वडीलपणुं (२) । मसरूर वि० [अ.] प्रसन्न; खुश मशीन स्त्री० [इं.] यंत्र; 'कल' मसल स्त्री० [अ.] कहेवत; लोकोक्ति मशीर पुं० [अ.] सलाहकार
मसलख पुं० [अ.] कतलखानुं मश्क स्त्री० [फा.] मशक; पखाल मसलन् अ० [अ.] दाखला तरीके मरत स्त्री० [अ.] महावरो; अभ्यास मसलना सक्रि० मसळवू (२) गूंद, मश्कर वि० [अ.] कृतज्ञ; आभारी; मसलहत स्त्री० [अ.] मसलत; संतलस;
'ममनून' [के अभ्यासवाळू गुप्त सलाह करवी ते मश्शाक़ वि० [अ.] कुशळ (२) महावरा मसलहतन् अ० [अ.] सलाहभेर; समजीने
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मसला
मसला पुं० [अ.] विचारवानो विषय; प्रश्न मसविदा पुं० मसूदो; खरडो; 'मसौदा'. - बाँधना = युक्ति के उपाय रचवो मसहरी स्त्री० मच्छरदानी मसा पुं० मसो (२) मच्छर मसाइब पुं० [अ.] 'मुसीबत' नुं ब०व० मसान पुं० मसाण; श्मशान (२) भूतं - पिशाच. - जगाना = स्मशानमां शवनो विधि करवो. – पड़ना = शून्यकार थ मसाना पुं० [ अ ] मूत्राशय मसानिया पुं० मशाणियो; चंडाळ मसानी स्त्री० डाकण मसाफ़ पुं० [अ.] युद्ध (२) रणक्षेत्र मसाफ़त स्त्री० [अ.] अंतर; फासलो (२) [ रोमकूप मसाम पुं० [ अ ] चामडी परनुं छिद्र; मसायल पुं० [अ.] 'मसला' नुं ब०व० ; प्रश्नो; समस्याओ
श्रम
४१३
मसलहत स्त्री० मेळ के संधि करवी ते मसाला पुं० [फा.] साधनसामग्री ( २ ) मसालो. -लेदार वि० मसालावाळु; स्वादिष्ट [ मापणी (२) मापवुं ते मसाहत स्त्री० [ अ ] मसात; जमीनमसि स्त्री० [ सं . ] शाही (२) काजळ; मेंश. ०दानी स्त्री०, ०पात्र पुं० शाहीनो खडियो. ofबंदु पुं० नजर न लागे ते माटे करातुं मेंशनुं टपकुं
मसिय ( - या ) र पुं० ( प. ) मशाल. - रा पुं० मशालची
मसीत ( द ) स्त्री० मसीद
मसीह ( - हा) पुं० [अ.] ईशु ख्रिस्त ( २ ) जीवनदाता [ 'मसीह' नुं पद के कार्य मसीहाई, मसीही पुं० ख्रिस्ती ( २ ) स्त्री० मसूड़ा ( - रा ) पुं० दांतनुं पेढुं
मह
दाळ
मसूर पुं०, मसूरा स्त्री० [सं.] मसूरनी [ओरी मसूरी ( - रिका, - रिया) स्त्री० बळिया; मसूस, ०न ( प. ) स्त्री० व्यथा; पीडा मसू ( -सो) सना अ० क्रि० मनमां पीडावु; अन्दर व्यथा थवी (२) अमळावुं (३) स०क्रि० आमळवुं (४) निचोववुं मसौदा पुं० मसूदो; खरडो. - गाँठना, - बाँधना= कोई काम करवानी युक्ति के योजना विचारवी मसौदेबाज पुं० युक्तिबाज; चालाक मस्कन पुं० [ अ ] मकान; घर मस्करा ( प. ), मस्खरा पुं० [अ.] मश्करो मस्त वि० [फा.] मग्न; खुश; प्रसन्न (२) मदथी मस्त मस्तक पुं० [ सं . ] मस्ती स्त्री० [ अ ] एक जातनो गुंदर मस्ताना अ०क्रि० (२) स०क्रि० मस्त aj के कर (३) वि० [फा.] मस्तानुं मस्तिष्क पुं० [सं.] भेजु; मगज मस्ती स्त्री० [फा.] मस्त थ के हो ते; मद ( २ ) पशु के वनस्पतिमांथी अमुक जे खाद थाय छे ते मस्तूर वि० [ अ ] गुप्त; छूपुं मस्तूरात स्त्री० [अ.] स्त्रीओ ( २ ) सन्नारीओ मस्तूल पुं० [पो.] वहाणनो कूवास्तंभ; मुख्य स्तंभ
माथु
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मस्सा पुं० मसो के मसानो रोग महँ ( - हूँ ) अ० ( प. ) मां; महीं महँगा वि० मोघुं (नाम, - गाई स्त्री ० ) महँगी स्त्री० मोंघवारी (२) दुकाळ महंत पुं० मठाधीश (२) वि० श्रेष्ठ. - ती स्त्री० महंतनुं पद
मह वि० ( प. ) महा (२) अ० जुओ 'महँ '
o
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महक
[आधीन
महक स्त्री० महेक; वास (अक्रि० महकना; वि० महकदार, महकीला) महकमा पुं० [ अ ] खातुं; विभाग महकीला वि० महेवाळं महकूम ( - मा) वि० [ अ ] हुकममां आवतुं; मह वि० [अ.] शुद्ध (२) अ० मात्र;केवळ महज - क़ैद स्त्री० [ अ ] सादी सजा; आसान केद
सूचनापत्र; नोटिस मोटुं; महान
महजर पुं० [ अ ] महत् वि० [ सं . ] महता पुं० गामनो मुखी ( २ ) महेतो; मुनशी; लखनार
महताब स्त्री० [फा.] चांदनी (२) पुं० चंद्र महताबी स्त्री० [फा.] महताब; एक दारूखानुं (२) चांदनीमां बेसवा जेवो चोतरो ( बाग के तळाव पासेनो ) महतारी स्त्री० माता
महत्त्व पुं०, , - ता स्त्री० मोटाई; श्रेष्ठता महदी पुं० [अ.] मार्गदर्शक ( ईमाम )
वि० [.] हद बांधेलुं; मर्यादित महफ़िल [अ.] महेफिल; जलसो महफ़ूज वि० [अ] सुरक्षित महबस पुं० [अ.] जेल; केदखानुं महबूब वि० [अ.] महेबूब प्यारुं. ( - बा वि०स्त्री०. नाम, -बियत, - बी स्त्री ० ) महमह अ० मघमघ. -हाना अ० क्रि० मघमघवं; महेक. - हा वि० मघमघतुं महमूद वि० [ अ ] स्तुति पामेलुं; प्रशस्त. -दो स्त्री० एक जातनुं मलमल कपडुं (२) एक जूनो सिक्को महमेज स्त्री० [फा. मिहमेज़ ] मिमेज; घोडेस्वारी एडीनी लोढानी रेख महर पुं० मुखी; मोटा ( आदरवाचक शब्द ) ( २ ) [ अ ] मुसलमानोमां वर
४१४
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महाजनी
कन्याने आपे ते देज के पल्लुं (३) वि० ( प. ) महेकतुं; मघमघतुं महरस पुं० [अ.] नजीकनो सगो के मित्र ( २ ) विवाहसंबंध न थई शके एवं सगं (३) स्त्री० स्त्रीना कबजानो छातीनो भाग
महरा पुं० कहार; पालखी ऊंचकनार (२) वि० मुख्य; प्रधान महराज, - जा पुं० महाराज, -जा महराब स्त्री० महेराब; कमान महरी स्त्री० 'महरा' नुं स्त्री० महरू वि० [फा.] चंद्रवदन महरू वि० [.] वंचित ( २ ) कमनसीब. - मी स्त्री०
महर्षि पुं० [सं.] मोटा ऋषि
महल पुं० [ अ ] महेल (२) अंतःपुर (३) मोटो ओरडो (४) अवसर ; मोको (५) पत्नी; बेगम
महलसरा स्त्री० [अ. + फा.] जनानखानुं महली पुं० [ अ ] अंतःपुरनो चोकीदार; व्यंडळ
महल्ला पुं० [अ.] महेल्लो महशर पुं० [अ.] कयामतनो दिवस.. - बरपा करना = भारे आंदोलन कर महसूल पुं० [ अ ] जमीन महसूल ( २ ) कर (३) भाडुं [ पडेलुं महसूस वि० [ अ ] अनुभवेलुं; मालूम महसूसात स्त्री० ब०व० [अ.] जाणी के
अनुभवी शकाय एवा पदार्थो महा वि० मोटु महान; श्रेष्ठ महाजन पुं० [सं.] महापुरुष ( २ ) धनवान (३) शराफ ( ४ ) वाणियो महाजनी स्त्री० शराफनो धंधो ( २ ) शराफना चोपडानी एक लिपि
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महात्मा महात्मा पुं० [सं.] महा मोटो साधु पुरुष
(२) संन्यासी महान वि० [सं.] मोटुं; विशाळ महानिद्रा स्त्री० [सं.] मोत; मृत्यु महानिशा स्त्री० [सं.] मधरात (२)
प्रलयरात्रि महानुभाव पुं० [सं.] महापुरुष; महाशय महापथ पुं० [सं.] राजमार्ग (२) मरण महाप्रसाद पुं० [सं.] जगन्नाथनो प्रसाद- भात (२) मांस [गाळवो ते महाप्रस्थान पुं० [सं.] मरण (२) हिमाळो महाबत पुं० [अ.] भय; डर महाभारत पुं० [सं.] महाभारत के तेवो
कोई मोटो ग्रंथ (२) महान युद्ध महाभूत पुं० [सं.] पंच भूत महामना वि० [सं.] मोटा मनवाळं;
महानुभाव महामांस पुं० [सं.]गाय के मनुष्य, मांस महामारी स्त्री० कोगळियुं, प्लेग इ०
जेवो मोटो रोग महायात्रा स्त्री० [सं.] मरण महार स्त्री० [फा.] ऊंटनी नाथ महारत स्त्री० [अ.] अभ्यास; महावरो
(२) दक्षता महारथ,-थी पुं० [सं.] महान योद्धो महाराज पुं० [सं.] मोटो राजा (२) साधु संत ब्राह्मण इ० माटे आदरनो शब्द. -जी, नी स्त्री० महाराणी महारोग पुं०[सं.] कोढ इ० जेवो भारे
के असाध्य रोग. -गी पुं० तेनो दरदी महार्घ वि० [सं.] मोंधू महाल पुं० [अ. 'महल'मुंब०व०] महेल्लो (२) महाल; परगणुं (३) भाग (४) मधपूडो
महेरा महावट स्त्री० महा महिनानु मावळु महावत पुं० हाथीनो महावत महावर पुं० अळतो (पगे चोपडवानो) महावरा पुं० जुओ 'मुहावरा' महावरी स्त्री० 'महावर' नी गोटी महाशय पुं०[सं.] महानुभाव; सज्जन; 'जनाब' महि स्त्री० [सं.] मही; पृथ्वी(२)महिमा महिमा स्त्री० [सं.] महिमा; मोटाई;
माहात्म्य महिला स्त्री० [सं.] स्त्री महिष पुं० [सं.] पाडो (२) महिषासुर.
-षी स्त्री० भैस (२) राणी मही स्त्री० [सं.] पृथ्वी (२) देश; स्थान
(३) नदी (४) (प.) छाश महीधर पुं० [सं.] पर्वत (२) शेषनाग महीन वि० पातळं; बारीक; झीj (२)
कोमळ; धीमुं (अवाज माटे) महीना पुं० महिनो (२) मासिक पगार (३) रजोधर्म. महीनेसे होना= स्त्री) वेगळं बेसवं महीप, ति,-पाल पुं० [सं.] राजा महुँ अ० (प.) 'महँ'; महीं महुअर पुं० [सं. मधुकर महुवर के ते बजावी करातो एक खेल (२) स्त्री० एक जातनुं घेटुं। महुआ,-वा पुं० महुडो. ०री स्त्री०
महुडानुं जंगल महुवरि पुं० जुओ 'महुअर' महुवा पुं० जुओ 'महुआ' महूरत, -ति पुं० (प.) महुरत महेंद्र पुं० [सं.] विष्णु (२) इंद्र महेर पुं० अडचण; पंचात महेर,-रा पुं० जुओ 'महेरी'
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४१६
महेरी
मा-कबल महेरी स्त्री० दहीं के छाशमां रांधेला माँझी पुं० मांजी; होडीवाळो (२)
अनाजनी एक वानी (२) वि० अडचण मध्यस्थ; झघडो पतवनार नांखनारुं
माँट, -ठ पुं० (प.) माटलं महेश सिं.1,-स (प.)पं०शिव; महादेव मॉड पुं० भातन ओसामण; मंड महोक, -ख, -खा पुं० एक पक्षी मांडना सक्रि० (प.) मसळवू; गूंदवू महोगनी पुं० [इं.] एक झाड के तेनुं (२) लेप करवो लाकडु
[समारंभ मांडलिक पुं० [सं.] मंडळनो राजा महोत्सव पुं० [सं.] मोटो उत्सव - मांडव पुं० मांडवो; मंडप महोदधि पुं० [सं.] मोटो समुद्र मौड़ा पुं० आंखनो एक रोग; मोतियो महोदय वि० [सं.] महाशय; 'जनाब' (२) जुओ 'पराँठा' (३) मांडवो महोला पुं० (प.) बहानुं (२) दगो माँडी स्त्री० भातनुं ओसामण (२) मह्व वि० [अ.] लीन; गुलतान; गरक कपडाने करातो आर । (२) नष्ट
मांत वि० (प.) मातु; मत्त (२) मात मह्वर पुं० [अ. मिह्वर ] धरी (पैडा थयेलं; हारेलं. ना अ०क्रि० मातg. इत्यादिनी)
-ता वि० मातेलु; मत्त माँ स्त्री० मा. ०जाई स्त्री० सगी मांत्रिक पुं० [सं.] मंत्रवाळो; मंतरनार बहेन. जाया पुं० सगो भाई माँद स्त्री० बखोल; बोड (२) वि० मंद; माँखी स्त्री० माखी; 'मक्खी'
हलकुं; ऊतरतुं (३) पराजित मांग स्त्री० मांग; मागणी (२) वाळनी माँदगी स्त्री० [फा.] बीमारी (२) थाक पांती; सेंथो. -कोखसे सुखी रहना। माँदा वि० [फा.] मांदु; बीमार (२) मंद; = सौभाग्यवती ने संतानवाळी रहेवं. ढीलु (३) थाकेलं -पट्टी करना = सेंथो पाडवो; ओळवू मांद्य पुं० [सं.] मंदता मांगटीका पुं० सेंथा परनुं एक घरेणुं मांस पुं० [सं.] मांसमट्टी; गोस. ०ल माँगन पुं० मांगq ते; भीख (२) मागण;
वि० मांस-भरेलु; तगडु.-साहारी वि० भिखारी
मांस खानार
[मां माँगना सक्रि० मागवं
माँह,-हा,-हि,-हों, है अ० (प.) माही; मांगलिक वि० [सं.] मंगळ; शुभ मा स्त्री० [सं.] मा (२) पुं० [अ.] पाणी मांगल्य पुं० [सं.] शुभ; कल्याण (३) प्रवाही मांजना सक्रि० मांजवं (२) पतंगनी माइका पुं० पियर; 'नेहर' दोरी पावी
माई स्त्री० मा (२) मोटी स्त्री माटे माँझ अ० (प.) मां; अंदर; मोझार (२) आदरवाचक. -का लाल-उदार; दानी पुं० अंतर; आंतरो; गाळो
(२) बहादुर [पौष्टिक सेरवो माँझा पुं० मांजो के तेनी लूगदी (२) मा-उल-लहम पुं० [अ.] मांसनो एक नदी वच्चेनो टापु (३) झाडनुं थड मा-कबल अ० [अ.] आनी पहेलां
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माकूल
मादनियात माक़ल वि० [अ.] सयुक्तिक; उचित; मातना अ०क्रि० मातवं (जओ 'माता'मां) योग्य (२) अच्छु (३) समजदार (४) मातबर वि० [अ. मुअतबर] साचं; वादविवादमां निरुत्तर के अनुकूल विश्वासपात्र; इतबार लायक. -री थयेलं के मानी लेनाएं।
स्त्री० विश्वासपात्रता [रोवू वगेरे माकूस वि० [अ.] ऊलटुं; ऊंधुं मातम पुं० [अ.] मरणनो शोक के माखन पुं० माखण; 'मक्खन' मातमदारी स्त्री० शोक पाळवो ते । माखी स्त्री०(प.) माखी (२) सोनामुखी मातमपुर्सी स्त्री० [फा.] शोकमां सांत्वन माखूज वि० [अ.] दोषित; आरोपी देवं ते; दिलासो; खरखरो माखूलिया पुं० [फा.] गांडपण . मातमी वि० [फा.] शोकसूचक माघ ०[सं.] माह महिनो. -घी वि० ते मातहत वि० [अ.] अधीन; ताबान मासन
मातहती स्त्री० [फा.] अधीनता; ताबो माछ पुं० (प.) माछली
माता स्त्री० मा. (२) वि० मातुं; मस्त माछी स्त्री० माखी [प्रसंग (अ.क्रि० मातना) [मामी माजरापुं० [अ.] हाल; वृत्तांत (२) बनाव; मातुल पुं० [सं.] मामा. -लो स्त्री० माजिद पुं० [अ.] बजरग; वडील मातृ स्त्री० सं.] माता. ०का स्त्री० मा माजिया अ० [अ.] पछीथी; आगळथी (२) धाव; आया (३) सावकी मा. माजिरत स्त्री० [अ.] बहानु; उजर । भाषा स्त्री० स्वभाषा; मादरी जबान माजी वि० [अ.] माजी; थयेलु; भूतपूर्व मात्र अ० [सं.] केवळ; फक्त (२) पुं० भूतकाळ
मात्रा स्त्री० [सं.] माप; प्रमाण (२) माजून स्त्री० [अ.] (शक्तिनी दवावाळो) स्वर के सूरनी मात्रा मीठो अवलेह (२) भांगवाळी चासणीनं मात्सर्य पुं० [सं.] मत्सर; द्वेष चकतुं
माथा पुं० माथु. -टेकना-माथु नमाववू; माजूर वि०[अ.] नकामु (२) असमर्थ प्रणाम करवा. -ठनकना-कोई खराब माजूल वि० [अ.] रद करेलु (२) पदभ्रष्ट
बनावनी आगळथी शंका जवी.०पच्ची, माट पुं० मोटुं कूडु (रंगनु) (२) माटलं
पिट्टन स्त्री०माथा झीक; मगजमारी. माटा पुं० लाल मंकोडो
माथे अ० माथा उपर (२) आशरे; माटी स्त्री० (प.) 'मिट्टी'; माटी
भरोसे. -पर बल आना, पड़ना=चहेरा माणिक, क्य पुं० [सं.] माणेक
पर क्रोधनी के दुःख इ०नी करचली मातंग पुं० [सं.] हाथी
पडवी-ते देखावां. -मानना = मात स्त्री० [अ.] मात थq ते; हार (२) ।
स्वीकार; माथे चडावq; अंगीकार वि० मात; हारेलं. -करना, देना = । करवो. -मारना = खूब मथवू मात करवं. -खाना = हार
मादक वि० [सं.] केफी; नशावाळं मातदिल वि० [अ. मुअतदिल] न बहु मावन पुं० [अ.], -नियात स्त्री० जुओ . गरम के ठंडु; समशीतोष्ण
'मअदन', –'नियात' हिं-२७
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मादर ४१८
माफ़ मादर स्त्री० [फा.] मा. ०जाद वि० मानवी स्त्री० [सं.] नारी (२) वि० मानव
[फा.] सहोदर (२) नग्न (३) जन्मनुं संबंधी (३) [अ.] मायना के अर्थ संबंधी मादरी वि० माता संबंधी. -ज़बान= (४) अंदरनुं मातृभाषा
मानस पुं० [सं.] मन; चित्त (२) मानमादा, मादीन स्त्री० [फा. मादा; स्त्री सरोवर (३) वि० मानसिक. शास्त्र जातिनुं प्राणी
पुं० मनोविज्ञान
सरोवर मादूम वि० [अ.] नष्ट; हयाती वगरनुं । मानसर,-रोवर पुं० हिमालयन जाणीतुं माद्दा पुं० [अ.] मूळतत्त्व (२) योग्यता मानसिक वि० [सं.] मानस संबंधी (३) परु; पाच
मानसी स्त्री० मानस पूजा (२) वि० माद्दी वि० [अ.] तात्त्विक(२)स्वाभाविक मानसिक माधव पुं०[सं.] विष्णु (२) वैशाख मास ___ मानसून पुं० [इं.] चोमासु दरियाई हवा,
(३) वसंतऋतु. -वी स्त्री० एक फूलवेल __ जे वरसाद लावे छे माधुरी स्त्री० [सं.] मीठाश; मधुरता (२) मानहुँ अ० (प.) मानो; समजो; जाणो शोभा (३) शराब
मानिंद वि० [फा.] समान; बरोबर माधुर्य पुं० [सं.] मधुरता (२) सुंदरता मानिक पुं० माणेक [सोपारी माधो-धौ पुं० (प.) माधव
मानिकचंदी स्त्री० एक जातनी नानी माध्यम वि० [सं.] वचलं (२) पुं० वाहन; मानित वि० [सं.] आदरमान पामेलं; साधन. -मिक वि० मध्यनुं
मानवंतुं [मानवती (स्त्री) माध्याकर्षण पुं० [सं.] गुरुत्वाकर्षण मानिनी वि०स्त्री० [सं.] अभिमानवाळीमाध्वी स्त्री० [सं.] शराब
मानी स्त्री० [अ.] अर्थ; मायनो; मतलब मान पुं० [सं.] तोल; माप (२) अभिमान ___ (२) वि० [सं.] मानी; अभिमानी (३)
(३) प्रतिष्ठा; आबरू (४) क्रोध; रोष संमानित मानअ पुं० [अ.] मनाई (२) आपत्ति मानुष वि० [सं.] मनुष्य संबंधी (२) पुं० मानचित्र पुं० [सं.] नकशो
माणस. -षिक वि० मानुष. -षी वि० मानता स्त्री० 'मनौती'; बाधा; मानता मानुष (२) स्त्री० स्त्री मानदंड पुं० [सं.] मापवानो गज मानूस वि० [अ.] हळी गयेलं; प्रिय मानना सक्रि० मानवं
माने पुं० [अ.] 'मानी'; अर्थ माननीय वि० [सं.] मानने पात्र आदरपात्र मानों,-नो,-नौ (प.) अ० मानो के; मानमंदिर पुं० [सं.] कोपभवन (२) जाणो के; जेम के वेधशाळा
मनामधूं मान्य वि० [सं.] माननीय; आदरपात्र मान-मनौती स्त्री० मानता(२)रिसामj- माप स्त्री० माप; प्रमाण मानव पुं० [सं.] माणस. ०ता स्त्री० मापना सक्रि० मापवं; 'नापना' माणसाई. ०शास्त्र पुं० मानव विषेर्नु । माफ़ वि० [अ. मुआफ़] क्षमा करायेलं; शास्त्र; 'अॅन्थ्रोपोलॉजी'
जतुं करेलु (नाम, -फ़ी स्त्री०)
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माफ़क़त
[ प्रमाणे
माफ़ ( - फ़ि) क़त स्त्री० माफक होवुं ते; अनुकूलता (२) मेळ; मंत्री माफ़िक वि० [अ. मुवाफ़िक़ ] माफक; माफ़ी स्त्री० माफी; क्षमा (२) महसूल माफ करेली जमीन [ होय ते माफ़ीदार पुं० माफी जमीन जेने मळी मा-बक़ा वि० [ अ ] बचेलुं; अवशिष्ट HT बाद अ० [अ.] ( कशानी) पछी; बाद माबूद पुं० जुओ 'मअबूद' मा-बैन अ० [अ] दरमियान मामलत स्त्री० [अ. मुआमलत] मामलो; झघडो (२) मुद्दो; चर्चानो विषय ०दार पुं० 'तहसीलदार' मामला पुं० [ अ. मुआमला ] कामधंधो ( २ ) व्यवहार के तेनो झघडो ( ३ ) विवादनो प्रश्न ( ४ ) मुकद्दमो. - करना = सोदो के फेंसलो करवो; वात पाकी करवी (२) अदालतमां केस करवो मामा पुं० मामो (२) स्त्री० [फा.] माता (३) नोकरडी; दासी (४) रसोइय
मामाग ( - गी) री स्त्री० [फा.] 'मामा' - दासीनुं काम के पद मामी स्त्री० मामी (२) दोष विषे मा मा - ना कहे - ते ना मानवो. - पीना=पोतानी भूल ध्यानमां न लेवी मामूं पुं० मामा [ मुकरर मासूर वि० [ अ ] पूर्ण ( २ ) नियुक्त; मामूल पुं० [ अ ] रीत; रिवाज मामूली वि० [ अ ] साधारण; सामान्य (२) नियमसरनुं
मायका पुं० पियर [ मिश्रित मायल वि० [अ.] वळेलुं; झूकेलं (२) माह स्त्री० [फा.] धन; पूंजी; मिलकत
४१९
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मारू
माया स्त्री० [सं.] माया; लीला ( २ ) धन ( ३ ) मोह; भ्रम. ० विनी स्त्री०, ०वी पुं० बहु चालाक के ठगाएं; मायावाळं [(२) बनावटी मायिक वि० [सं.] मायावी; ग्रामक मायूब वि० [अ] एबवाळु (२) खराब . मायूस वि० [अ.] निराश (नाम, -सी) मार स्त्री० मार; मारवुं ते (२) पुं० [सं.] मार; सेतान. ०क वि० मारे एवं; घातक [ मोटी घटना मारका पुं० [अ.] लडाई (२) भारे मारका पुं० मारको; निशान. मारकेका = महत्त्वपूर्ण
=
मारकाट स्त्री० लडाई; खूनरेजी मारकीन पुं० नानकीन कपडुं मारखोर पुं० [फा.] एक जातनी बकरी मारग पुं० (प.) मार्ग; रस्तो - मारना = वाट पाडवी, लूटवुं ( रस्ते जतां ) मारण पुं० [सं.] मारखं ते (२) तंत्रविद्यानो एक प्रयोग मारतील पुं० हथोडो मारना स०क्रि० मारवुं
मारपेच पुं० पेच; युक्ति; चालबाजी मार ( - रि ) फ़त अ० (२) स्त्री० जुओ 'मारिफ़त ' [ मारामारी
मारामार अ० जलदीथी (२) स्त्री० मारिफ़त स्त्री० [ अ ] ईश्वरनुं ज्ञान (२) परिचय; ओळखाण (३) साधन; 'ज़रिया' (४) अ० मारफत; द्वारा मारो स्त्री० महामारी
मारुत पुं० [सं.] वायु; मरुत; पवन मारू पुं० मारू राग (२) एक मोटुं नगाएं (३) वि० - मारु; मारनारुं (४) हृदयवेधी; कातिल
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४२०
मारूफ़
मारूफ़ वि० [अ.] जाणीतुं प्रसिद्ध ( २ ) ( व्या.) मूळ (भेद )
मारे अ० - तुं मायुं कारणथी मार्का पुं० 'मारका'; मारको; चिह्न मार्केट पुं० [इं.] बजार मार्ग पुं० [सं.] रस्तो [ मास मार्गशिर, मार्गशीर्ष [सं.] पुं० भागशर मार्च पुं० [इं.] मार्च महिनो ( २ ) सेनानी कूच [स्त्री० सावरणी मार्जन पुं० [सं.] मांज मार्जार पुं० [सं.] बिलाडी मार्तंड पुं० [सं.] सूर्य
ते; सफाई. नी
मार्दव पुं० [सं.] मृदुता नम्रता; कोमळता मार्फ़त अ० 'मारफ़त'; द्वारा [ मर्मज्ञ मार्मिक वि० [सं.] मर्मवाळु मर्मवेधी (२) माल स्त्री० माळा (२) रेंटियानी माळ (३) पुं० [अ.] माल; धनमाल; साधनसामग्री (४) मालमलीदा (५) महसूल. ● अदालत स्त्री० महेसूली अदालत. ● असबाब पुं० सरसामान [ माल माल- ए - मुफ़्त पुं० [ अ. +फा.] मफतियो मालकंगनी स्त्री० मालकांगणी मालकियत स्त्री० [ अ ] मालकी मालखाना पुं० [फा.] वखार; गोदाम; भंडार
मालगाड़ी स्त्री० भारखानुं मालगुजार पुं० [ अ. +फा.] जमीनदार. -री स्त्री० महसूल
माल - गोदाम पुं० स्टेशननी गोदी मालदार वि० [फा.] मालदार; धनिक मालन स्त्री० माळण
मालपु (पू), मालपूवा पुं० मालपूडो मालमता पुं० [अ.] मालमता; धनदोलत माला स्त्री० [सं.] माळा
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मासा
मालामाल वि० खूब मालदार; अमीर मालिक पुं० [अ.] मालिक; धणी; स्वामी (२) प्रभु (३) [सं.] माळी (४) धोबी. - का स्त्री० माळण (२) माळा; हार मालिकाना पुं० [फा.] मालकीहक ( २ ) वि० मालिकनुं
मालिकी स्त्री० मालकी; 'मालकियत ' मालिनी स्त्री० [सं.] माळण (२) एक छंद मालिन्य पुं० [ सं . ] मलिनता; मेलापणुं मालियत स्त्री० [ अ ] संपत्ति ; पूंजी ( २ ) किंमत (३) कीमती चीज मालिया पुं० [फा.] महसूल [ चोळवुं ते मालिश स्त्री० [फा.] मालिस; मर्दन; माली पुं० (स्त्री० - लिन, -लिनी) माळी (२) वि० [फा.] माल संबंधी; आर्थिक मालीदा पुं० [फा.] जुओ 'मलीदा ' मालूम वि० [ अ ] मालूम; जाणेलुं मावस स्त्री० 'अमावस'; अमास मावा पुं० सत्त्व (२) मंड (३) मावो. - निकालना = खूब मारखं माश ( - ष ) पुं० माष; अडद. - मारना = अडद मंतरी कोई पर नांखवा माशा ( - सा ) पुं० मासो; आठ रती माशा अल्लाह श०प्र० [अ] ईश्वर बूरी नजरथी बचावो
माशूक़ पुं० [ अ ] प्रेमपात्र व्यक्ति. -का स्त्री० माशूक स्त्री. - क़ी स्त्री० माशूको भाव. - के हक़ीक़ी पुं० अल्ला; प्रभु मारकी पुं० मशकवाळो; भिस्ती मास पुं० [सं.] महिनो [ कहेलुं मा- सबक़ वि० [ अ ] पूर्वोक्त; पहेलां मा-सलफ़ वि० [ अ ]थई गयेलं; विगत मासा पुं० जुओ 'माशा'
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पत्र
मासिक ४२१
मिट्टी मासिक वि० महिना- (२) पुं० मासिक माहीयत स्त्री० जुओ 'माहियत'
[ते (२) गुनो माहुर पुं० विष; झेर मासियत स्त्री० [अ.] आज्ञा न मानवी माहौल पुं० वातावरण; 'वायुमंडल' मा-सिवा अ० [अ.] सिवाय
मिबर पं० [अ.] मसीदमां ज्यां मुल्ला मासी स्त्री० मासी; 'मौसी'
बेसीने उपदेश करे छे ते जगा मासूम वि० [अ.] निरपराध (नाम, मिअयार पुं० [अ.] कसोटीनो पथ्थर (२) -मियत स्त्री०)
सोनाचांदी तोलवानो कांटो (३) धोरण मास्टर पुं० [इं.] मास्तर; महेताजी. मिक़दार स्त्री० [अ.] परिमाण; माप
-री स्त्री० तेनुं काम के पद मिकनातीस पुं० [फा.] जुओ 'मकनातीस' माह पुं० [फा. चांदो (२) माह; महिनो मिकांडो पुं० जापाननो राजा माहजर वि० [अ.] मोजूद; वर्तमान । मिचकना अ०क्रि० आंखो पलकवीमाहत स्त्री० महत्ता; मोटाई
मटमटाववी
[मिचाएं माहताब पुं० [फा.] 'महताब'; चन्द्र मिचना अ०क्रि० ['मीचना'नुं कर्मणि]
के चांदनी.-बी स्त्री० जुओ 'महताबी' मिचलाना अ.क्रि० 'मचलाना'; ऊलटी माहर वि० जओ 'माहिर'
थवा जेवू थq माह-रू, माह-लका वि० [फा.] चंद्रमुखी । मिजराब स्त्री० [अ] मिजराफ; नखी माहली पुं० जओ 'महली'
मिजाज पुं० [अ.] प्रकृति; स्वभाव (२) माहवार अ०(२)वि० मासिक; माहवारी शरीर के मननी दशा (३) अभिमान. माहवारी स्त्री० [फा. मासिक पगार -आली,-शरीफ-मजामां छो? एवो
(२)वि० मासिक [(३)परिणाम कुशळ प्रश्न. -खराब होना, बिगड़ना माहसल पुं० [अ.] ऊपज (२) प्राप्ति =मनमां क्रोध, नाराजी, के अस्वस्थता माहात्म्य पुं० [सं.] महिमा; गौरव इ० उत्पन्न थq. -न मिलना अभिमाहि (-हीं) अ० (प.) माही; मां; अंदर मानने लईने कोई साथे बोलवू नहि. माहि (-ही) यत स्त्री० [अ.] कोई वस्तुनुं -पाना-स्वभावथी परिचित होवू.
असली तत्त्व [वार, -री' -पूछना-तबियतनी खबर पूछवी माहियाना वि० (२) पुं० जुओ 'माह- मिजाजदार, मिजाजी वि० मिजाजी; माहिर वि० [अ.] माहेर; माहितगार भारे अभिमानी माहिला पुं० (प.) जुओ 'मल्लाह' मिझगां स्त्री० [फा.] 'मिझह' नुं ब०व० माहीं अ० (प.) जुओ 'माहिं' [मासिक मिझह स्त्री० [फा.] आंखनुं पोपचुं माही स्त्री० [ फा.] माछली (२) वि० मिटना अ०कि० मटवू; रद थवं के माही-खवार पुं० [फा.] बगलो
नाश पामq के हयात न रहेवू माहीगीर पुं० [फा.] माछी मिटाना स०क्रि० 'मिटना' नुं प्रेरक माही-मरातिब पुं० [फा.] राजधानी मिट्टी स्त्री० जमीन (२) माटी; धूळ आगळ हाथी पर चालता सात झंडा (३) राख (४) शब; लाश. -करना
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मिट्टीका तेल
४२२
मिलाना =माटी भेगुं-धूळधाणी करवू. -के मिन्नत स्त्री॰ [अ.] मिन्नतजारी आजीजी. मोल = पाणीने भावे; खूब सस्तुं. -मानना = बाधा राखवी [बोलवू -देना = दफनावq.-पलीद या बरबाद मिमियाना अ.क्रि० बकराघेटानु = बें करना=दुर्दशा करवी
मियाँ पुं० [फा.] स्वामी; शेठ के पति (२) मिट्टीका तेल पुं० ग्यासतेल . महाशय (संबोधन)(३)मियां मुसलमान मिट्ठी स्त्री० मीठी; चुंबन [बोलनार मियां मिठ्ठ पुं० जुओ 'मिठ्ठ' (२) मूर्ख मिठू पुं० पोपट (२) मीठु - मधुर मियाद स्त्री० जुओ 'मीआद' । मिठबोला वि० मीठाबोलू
मियान पुं० [फा.] मध्य भाग (२) कमर मिठलोना वि० कम मीठावाळं (३) स्त्री० म्यान मिठाई स्त्री० मीठाई (२) मीठाश मियाना वि० [फा.] मध्यम कदनुं (२) मिठास स्त्री० मीठाश
पुं० म्यानो
भाग मिडिल वि० [इं.] माध्यमिक (शाळा) मियानी स्त्री० [फा.]पायजामानो वच्चेनो मिडिलची पुं० 'मिडिल' पास थयेलो मिरगी स्त्री० [सं. मृगी] वायुथी मूर्छा मित वि० [सं.] परिमित; हदनी अंदरनुं आववानो एक रोग; अपस्मार (२) थोडं. ०भाषी वि० थोडाबोलुं. मिरचा पुं० मरचुं; 'मिर्च' [डगलं -ति स्त्री० माप; सीमा
मिरजई स्त्री० एक जातनुं अंदर पहेरातुं मिती स्त्री० मिति; देशी तारीख मिरजा पुं० [फा.] अमीर-जादो (२) मित्र पुं० [सं.] भाईबंध (२) सूर्य राजकुंवर (३) एक उपाधि मिथुन पुं० [सं.] जोडु; युगल (२) । मिरात स्त्री० [अ.] दर्पण
मैथुन; संभोग (३) एक राशि मिर्च स्त्री० मरचुं (२) मरियु मिथ्या अ० [सं.] फोगट; व्यर्थ (२) मिरीख पुं० [अ.] मंगळ ग्रह असत्य; नाशवंत
मिल स्त्री० [इं.] कारखानुं मिनकार पुं० [अ.] चांच (२) सारडी मिलन पुं० [सं.] मळवू ते स्त्री० मिन-जानिब अ० [अ.] तरफथी; बाजुथी मिलनसार वि० मळताव; सुशील.-री मिन-जुमला अ० [अ.] कुल; बधामांथी मिलना सक्रि० मळवू (प्रेरक मिलाना) मिनट पुं० [इं.] मिनिट समय मिलना-जुलना सक्रि० मळता रहे, मिनती स्त्री० जुओ 'मिन्नत'; विनंती . मिलनी स्त्री० लग्नमां वेउ पक्षना लोके मिनमिन अ० गंगणाते के धीमे अवाजे. . मळवानो एक विधि
-नाना अ०क्रि० तेवे अवाजे बोल, मिला-जुला दि० मिश्रित (२) सुस्तीथी काम करवू मिलान पुं० मळवू के मेळवq ते; मेळाप; मिनवाल पुं० [अ.] वणायेलं कपडु मिलन (२) मळतापणं; मुकाबलो (३)
लपेटवानो साळनो भाग; तर मेळवी के बरोबर छ के केम ते तपासी मिनहा वि० [अ.] कापी लीधेलु; घटाडलं
मिलाना सक्रि० मिलाववं; मेळवq
लेवं ते
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मिलाप
४२३
मीना बाजार मिलाप पुं० मेळाप; मळवू ते (२)मित्रता मिस्तर पुं० [अ.] लखवामां लीटी सीधी मिलाव पुं०, ०ट स्त्री० भेळसेळ; भेग रहे ते सारु कागळ नीचे रखातुं मिलिंद पुं० [सं.] भमरो [मळतियापणुं आंकेलु साधन [कडियो मिली भगत स्त्री० छूपी संतलस के मिस्तरी पुं० मिस्त्री; कारीगर-सुतार, मिल्क स्त्री० [अ.] जागीर(२)जमीनदारी ___मिस्र पुं० [अ.] मिसर; इजिप्त. -स्त्री मिल्कियत स्त्री० [अ.] 'मिल्क' (२) स्त्री० (२) वि० जुओ ‘मिसरी' (२ थी मिलकत
४ अर्थ)
[फाईल मिल्की पुं० [अ.] 'मिल्क' वाळो (जुओ मिस्ल वि० [अ.] बरोबर; समान (२) 'मिल्क')
मिस्सी स्त्री० दांत रंगवानुं एक काळ मिल्लत स्त्री० मेळ (२) मिलनसारपणुं ___ मंजन
[सामग्री (३) [अ.] पंथ; संप्रदाय
मिस्सी-काजल पुं० सधवानी शृंगारमिशन पुं० [इ.] उच्च उद्देश के ते मिहनत स्त्री० [अ.] महेनत
साधनाएं मंडळ. ०री पुं० पादरी मिहना पुं० जुओ 'मेहना'; महे| मिश्क पुं० [फा.] मुश्क; कस्तूरी .
मिहराब स्त्री० [अ.] जुओ 'मेहराब' मिश्र वि० [सं.] भेगुं; सेळ भेळ मिहिर पुं० [सं.] सूर्य मिश्रण पुं० [सं.] मिश्र कर के करेलु ते मोंगी स्त्री० बीनो अंदरनो गर; मीज मिश्रित वि० [सं.] भेळवेलु; भेगवाळू मीज(-ड)ना सक्रि० मसळवू; गूंदवू मिष पुं० [सं.] बहानुं (२) छळकपट मीआ(या)द स्त्री० [अ.] हद ; अवधि. (३) दाझ (४) होड; शरत
(वि०, -दी) मिष्ट वि० [सं.] मीठु; मधुर मीजान स्त्री० [अ.] सरवाळो (२) त्राजवू मिष्टान्न पुं० [सं.] मीठाई; मिष्ट भोजन । मीटर पुं० [इं.] मापवानो मीटर मिस पुं० 'मिष;' बहानुं [-नी स्त्री० मीठा वि० मीठु; मधुर मिसकीन वि०मिस्कीन; गरीबड; निर्धन. मीठा तेल पुं० तलनुं तेल मिसरा पुं० [अ.] मिसरो; तुक; चरण मीठा पानी पुं० पीवानो 'लेमन' मिसरी स्त्री० साकर (२)मिसरनी भाषा मोठी छुरी स्त्री० विश्वासघातक (२) (३)वि० मिसरनुं (४) पुं० मिसरवासी कपटी
तेवो मूढ मार मिस (-सि)ल स्त्री० तुमार; फाईल मीठी मार स्त्री० उपरथी जणाय नहि मिसवाक स्त्री० [अ.] दातण मीत पुं० (प.) मित्र मिसाल स्त्री० [अ.] उपमा (२) उदाहरण मीन पुं० [सं.] माछली (२) एक राशि. (३) कहेवत
-मेख निकालना = दोष काढवो मिसिल स्त्री० जुओ 'मिसल' मीना पुं० [फा. मीनो; मीनाकारी मिस्कल (-ला) पुं० [अ.] मसकलो- मीनाकार पुं० [फा. मीनानो कारीगर. एक ओजार
-री स्त्री० तेनी कारीगरी [बजार मिस्कीन वि० [अ.] जुओ ‘मिसकीन' मीना बाजार पुं० चोकसी- दरदागीनानुं
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मीमांसक
४२४
मुंह-अंधेरे मीमांसक पुं० सं.] मीमांसानो पंडित मुंतजिम वि० जओ 'मुन्तज़िम' मीमांसा स्त्री० [सं.] एक दर्शन (२) मुंतज़िर वि० जुओ 'मुन्तज़िर'
गंभीर मनन ने विवेचन . मुंतही वि० जुओ 'मुन्तही' मीनार स्त्री० [अ. मनार मिनारो। ___ मुंदना अ०क्रि० बुरावं, ढंकावू; बंध थर्बु मीयाद,-दी स्त्री० जुओ 'मीआद,-दी' मुंशियाना वि० [फा.] मुनशीना जेवू मीर पुं० [फा.] अमीर (२) धर्माचार्य (३) मुंशी पुं० [अ.] मुनशी; लखनार समासमा 'सौथी मोटुं, वहुं' ए अर्थमां. मुंसरिम पुं० [अ.] (दफतरनो) मुख्य उदा० -अदल पुं० वडो न्यायाधीश(४)
कामदार; व्यवस्थापक. -मी स्त्री० शरतमां-हरीफाईमां पहेलो आवनार
तेनुं काम के पद (५) पत्तामां राजा
मुंसलिक वि० [अ.] साथे जोडेलु के बीडेलु मीरास स्त्री० [अ.] वारसो (वि०,-सी)
मुंसिफ़ पुं० [अ.] न्यायाधीश; मुनसफ (२) मीरी स्त्री० अमीरी (२) पुं० जुओ
क्रिकेटनो 'अंपायर', -फ़ाना वि० __ 'मीर'
न्याययुक्त
कचेरी मील पुं० माईल
मुंसिफ़ी स्त्री० मुनसफर्नु काम, पद के मुंगरा पुं० मोगरो – मोटी मोगरी
मुँह पुं० मों. -छूना = उपर उपरथी, मुंगरी स्त्री० ठोकवानी मोगरी
विवेकनुं कहेवू.-दर मुँह-सामे; रूबरू. मुंड पुं०[सं.] माथु (२) वि० मूंडेलु; बोडं
-देखेका = उपर उपरनु; देखाव पूरतुं.
-धो रखना, लेना=आशा छोडवी. (३) नीच; अधम [फकीर
-निकल आना-चहेरो ऊतरी-पडी मुंडचिरा पुं० पोता पर घा करी मागतो
जवो (रोग कमजोरी के शरमथी). मुंडन पुं० [सं.] माथु मूंडावं ते
-पड़ना = (कहेवा) हिंमत होवी.-पर मुंड़ना अ०क्रि० माथु मूंडावु (२)
पानी फिर जाना = चहेरा पर पाणी लूटावं के ठगावं
आवq-खुश थq. -पर रखना = मुंडा पुं० तालियो; बोडियो (२) मूंडाईने चेलो थयेलो ते; {डियो (३)वि० बोडु
चाख, (२) तमाचो मारवो. -पर कांई ते; जेम के, मुंडा (शींगड़ा वगरनो)
लाना = मुखथी कहेवू - वर्णववं.
-पाना = रूख-मरजी जोवी. -पेट बैल, (डाळ पान वगरनु) वृक्ष, इ०
चलना = झाडा ऊलटी थवां.-फैलाना%3D मुंडाई स्त्री० मूडामण
(लोभथी) घणुं मागवं, लेवं.-भरके = मुँड़िया पुं० मंडियो; साधु
मनमान्यू; खूब. -भरना = लांच मुंडी स्त्री० बोडी स्त्री; विधवा (२)
आपवी. -मलाहजेका = परिचित. में [सं.] पुं० मूडियो (३) हजाम थूक बिलोना = खाली थूक उडाडवू. मुंडेर स्त्री०, -रा पुं० मकाननी छतनी -लगना = माथे चडी लागवू; मोढे सौथी उपरनी धारनी दीवाल
चडवू. -लगाना = मोढे चडाववं मुंतक़िल वि० जुओ 'मुन्तकिल' मुंह-अँधेरे,-उजाले अ० भरभांखळु थये; मुंतखिब वि० जुओ 'मुन्तखिब' परोढिये
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मुकम्मल
मुंह-अखरी
४२५ मुंह-अखरी वि० (प.) मौखिक मुअय्यन वि० [अ.नक्की करेल; निश्चित मुंहकाला वि० काळं मों करेलं; बेआबरू मुअल्लक वि० [अ.] लटकतुं मुंह-छुट वि० जुओ ‘मुंह-फट'. (नाम, मुअल्ला वि० [अ.] सर्वोच्च (२) मान्य
-टाई स्त्री०) -री स्त्री० मुअल्लिम वि० [अ.] 'इल्म' - ज्ञान मुंहजोर वि० बहुबोलू (२) आखाबोलं. देनार; शिक्षक. -मा स्त्री० शिक्षिका. मुंहतोड़ वि० जडबांतोड (उत्तर) -मी स्त्री० शिक्षकनो धंधो मुंहदिखाई स्त्री० नवी वहुनुं मों जोवानी . मुअस्सिर वि० [अ.] असरकारक;
रीत के त्यारे तेने अपातुं धन • प्रभावयुक्त मुंहदेखा वि० देखाडा पूरत; कृत्रिम मुआफ़ वि० [अ.]माफ (नाम,-फ़ी स्त्री०) मुँहफट वि० आखाबोल
मुआफ़िक वि० [अ.] माफक; अनुकूल मुंहबंधा पुं० जैन साधु (मों पर पट्टी (२) सरखं; बरोबर; जेg; मळतुं. बांधे ते परथी) [एवं (सगुं)
त स्त्री० माफक होवं ते मुंहबोला वि० कहेवानु, खरेखर नहि मुआफ़ी स्त्री० [अ.] माफी मुंहभर अ० सारी पेठे; धराईने मुआमलत स्त्री० [अ] जुओ ‘मामलत' मुंहभराई स्त्री० लांच
मुआमला पुं० [अ.] जुओ 'मामला' मुंहमांगा वि० मोंमाग्यु
मुआयना 'पुं० [अ.] तपास; निरीक्षण मुँहामुंह अ० छलोछल; मों सुधी मुआलिज पुं० [अ.] इलाज करनार मुंहामुंही स्त्री० बोलाबोली; तकरार मुआलिजा पुं० [अ.] इलाज; चिकित्सा मुँहासा पुं० जुवानीमां थतो खील । मुआवजा पुं० [अ.] मुआजेब; बदलो मुअज्ज (-जिन पं० मसीदनो अझान के महेनताणुं या वळतर पोकारनार
(माणस) मुआहदा पुं० [अ.] निश्चय; करार मुअज्जम वि० [अ.] प्रतिष्ठित, मोटुं मुकत्ता वि० [अ.] कापी करीने ठीक मुअज्जिज वि० [अ.] इज्जतदार;
करेलु (२) सभ्य; शिष्ट । प्रतिष्ठित
मुक़द (-६)मा पुं० [अ. मुक़द्दमा) मुअज्जिन पुं० [अ.] जुओ 'मुअज्जन' मुकद्दमो; दावो. -मेबाज वि० दावा मुअतदिल वि० [अ.) जओ 'मातदिल' लडवानुं रसियु. -मेबाजी स्त्री० मुअतबर वि० [अ.] जुओ 'मातबर' मुक़द्दम वि० [अ.] कदमी; प्राचीन मुअत्तल वि० [अ] (दंड रूपे) अमुक पुराणुं (२) जरूरी (३) पुं० मुखी;
समय कामथी बरतरफ करायेलं नेता मुअद्दिब वि० [अ.] अदबवाळ; विनयी मुकद्दमा पुं० [अ.] जुओ 'मुक़दमा' मुअद्दिब पुं० [अ.] अदब शीखवनार मुक़द्दर वि० [अ.] गंदु; मेलं (२) क्षुब्ध मुअन्नस पुं० [अ.] मादा (२) स्त्रीलिंग मुक़द्दर पुं० [अ.] नसीब मुअम्मा पुं० [अ.भेद; रहस्य (२) मुक़द्दस वि० [अ.] पाक; पवित्र गोटाळो
मुकम्मल वि० [अ.] संपूर्ण
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मुख्य
मुकरना
४२६ मुकरना अ०क्रि० मुकरी जवू; कहीने मुखड़ा पुं० मुखडु; चहेरो फरी जवं
मुखतार पुं० [अ.] मुखत्यार;एलची;वकील मुकर्रब पुं० घनिष्ठ मित्र [-मा) मुखतार-ए-आम पुं० [अ.] मुखत्यारमुकर्रम वि० [अ.] संमान्य; पूज्य (स्त्री०
नामावाळो; प्रतिनिधि मुकर्रर अ० [अ.] बीजी वार; फरीथी मुखतारनामा [अ.+फा.]पुं० मुखत्यारनामुं मुक़र्रर वि० [अ.] मुकरर; नक्की थयेलं मुखतारी स्त्री० [फा.] 'मुखतार' नुं काम
(२) नियुक्त (नाम, -री स्त्री०) के पद मुक़रिर वि० [अ.] वक्ता; 'तक़रीर'
मुखन्नस वि० [अ.] नपुंसक संक्षेप के व्याख्यान करनार
मुखफफफ़ वि० [अ.] संक्षिप्त (२) पुं० मुक़ब्वियात स्त्री० [अ.] पौष्टिक दवाओ मुखबंध पुं० [सं.] प्रस्तावना (ग्रंथनी) मुकब्बी वि० [अ.] पौष्टिक
मुखबिर पुं० [अ.] जासूस. -री स्त्री० मुकाबला पुं० [अ.] सामसामा आवी जर्बु जासूसी ते; मुठभेड़' (२)हरीफाई (३)मुकाबलो; मुखर वि० [सं.] बोलकणुं (२) कडवाबोलू तुलना (४) विरोध
मुखलिस वि० [अ.] एकलु(२)अविवाहित मुक़ाबिल पुं० [अ.] हरीफ (२) विरोधी; । मुखलिसी स्त्री० [अ.] छुटकारो; मुक्ति शत्रु (३) अ० सामे; आगळ
मुखशुद्धि स्त्री० [सं.] मुखवास (२) मों मुक़ाम पुं० [अ. मक़ाम] जगा; मुकाम; दांत इ० साफ करवं ते करेलु
उतारो (२) स्थान; अवसर मुखस्थ, मुखाग्र वि० [सं.] कंटस्थ; मोढे मकामी वि० स्थानिक (२) कायम मुखातिब वि० [अ.] कहेवा के सांभळवा मुकिर वि० [अ.] एकरार करनार; साख प्रवृत्त थनार; सन्मुख थनार (२) दस्तावेज लखनार
मुखापेक्षा स्त्री०[सं.] कोईना मों सामे मुकुट पुं० [सं.] मुगट; ताज
ताकवू ते; आश्रितता मुकुर पुं० [सं.] दर्पण
मुखापेक्षी पुं० आश्रित; मुखापेक्षावाळो मुकुल पुं० [सं.] कळी. -लित वि० मुखालिफ़ वि० [अ] विरोधी (२) शत्रु कळीवाळु (२) अर्ध खीलेलं (३) (३) ऊलटुं. ०त स्त्री० विरोध; शत्रुता पलकतुं (नेत्र)
मुखासमत स्त्री० [अ.] शत्रुता । मुक्यद वि० [अ.] केद करायेलं . मुखिया पुं० मुखी; नायक मुक्का पुं० मुक्को; घुम्मो. -क्की स्त्री० - मखिल वि० [अ.] खलेल पाडनारुं; मुक्केबाजी; मुक्कामुक्कीनी लडाई (२) विघ्नकर
[(२) भिन्न धीमी मुक्कीथी शरीरनी चंपी मुख्तलिफ़ वि० [अ.] जुदुं जुदु; विविध मुक्त वि० [सं.] छूटेलं; छूटुं; बंधनरहित । मुख्तसर वि० [अ.] मुखतेसर; ढूंकु (२) मुक्ता स्त्री०, ०फल पुं० [सं.] मोती । थोडं; अल्प. ०न् अ० ढूंकामां मुक्ति स्त्री० [सं.] छूट; छुटकारो; मोक्ष मुख्तार पुं० [अ.] जुओ 'मुखतार' मख पुं० [सं.] मोढुं
मुख्य वि० [सं.] प्रधान;सौथी आगळनु;वडुं
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मुगदर
४२७
मुतअल्लिक मुगदर पुं० [सं. मुद्गर] मगदळियो मुजायका पुं० [अ.] वांधो; हरकत; मुराल पुं० [फा. मोंगलनो वतनी (२) नुकसान
मोगल जाति. ०ई वि० मोगलाई मुजारा वि० [अ.] समान; बराबर मुग्रलाई वि० (२) स्त्री० मोगलाई मुजाव-(वि) र पुं० [अ.मुजावर] 'मज़ार' मुगलानी स्त्री० मोगल स्त्री (२) दासी -कबर जेवां स्थाननो रक्षक के पूजारी (३) कपडां सीवनार स्त्री
मुजाहिद पुं० [अ.] जेहाद लडनार मुगालता पुं० [अ.] छळ; कपट; दगो (२) . मुजिब अ० मुजब; प्रमाणे (२) पुं० भूल; भ्रम
— कारण; हेतु मुग्रीस वि० [अ.] (दावामां) वादी मुजिर वि० [अ.] हानिकारक; खराब मुग्धम वि० मोघम; अस्पष्ट. -रहना= मुझ स० 'मैं' नुं १ली तथा ६ठी
चूप रहेवू (व्यक्तिए) (२) स्पष्ट न थवं विनानी विभक्तिओमां थतुं रूप. मुग्ध वि० [सं.] मोहित (२) भोळं उदा० 'मुझको' मुचलका पुं०[तु.] मुचरको; जामिनखत मुझदा स्त्री० [अ.] शुभ खबर मुछंदर पुं० मोटो मुछाळो (२) कुरूप मुझे स० मने ('मैं'- २जी, ४थीनुं रूप) ने मूर्ख माणस
मुटका पुं० मुकटो; रेशमी अबोटियु मुजक्कर पुं० [अ.] पुंलिंग (२) नर मुटाई स्त्री० स्थूलता; जाडपण (२) मुजतर (०ब) वि० [अ.] बेचेन; व्याकुळ ___ मोटाई; अभिमान मुजदा स्त्री० जुओ 'मुझदा' । मुटाना अ०क्रि० 'मोटा' (शरीरे जाडा मुजफ्फ़र वि० [अ.] विजयी
के अभिमानी) थई जवं मुजबजब वि० [अ.] गोटाळामां पडेलु; मुटासा वि० बेपरवा ने धमंडी अनिश्चित; अस्थिर
मुटिया पुं० मजूर; हेलकरी मुजम्मत स्त्री० [अ.मज़म्मत] बूराई;निंदा । मुट्ठा पुं० मुठ्ठो (२) मूठ; हाथो मुजरा पुं० [अ.] जारी करेलुं ते (२) मुट्ठी स्त्री० मुट्ठी (२)चंपी.-भरना = मुजरे के मजरे करवू ते; मजरो (३) पग दाबवा; चंपी करवी मुजरो; सलाम (४) वेश्यानुं नाच वगरनुं मुठभेड़ स्त्री० झघडो; लडाई; अथडामण सादुं गायन
मुज्यिा स्त्री० दस्तो; हाथो (२) मुठ्ठी मुजरिम पुं० [अ.] आरोपी; गुनेगार मुड़ना अ०क्रि० मोडावं; वळवू; वांकु थq मुजर्रत स्त्री० [अ. मज़र्रत] हानि; नुकसान मड़हर पुं० साल्लानो माथावटीनो भाग मुजर्रद वि० [अ.] कुंवारुं (२) एकलं मुड़िया पुं० मंडियो; माथु मूंडावेलो मुजर्रब वि० [अ.] अजमावेलु; तपासेलु मुतअद्दद वि० [अ.] अनेक; कई मुजल्लद वि० [अ.] 'सजिल्द'-पूंठानी मुतअद्दी वि० [अ.] चेपी (रोग) (२)
बांधणीवाळू (पुस्तक) [मूर्तिमंत (व्या.) सकर्मक मुजस्स (-स्सि)म वि० [अ.] साक्षात्; मुतअल्लिक़ वि० [अ.] 'तअल्लुक़'-संबंध मुजाअफ वि० [अ.] मुजाफत; बमणुं राखतुं (२) अ० ए संबंधे; विषे; बाबत
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मुतअल्लिक़ीन ४२८
मुषा मुतअल्लिक़ीन पुं० [अ.] संबंधी लोको; मुत्तसिल वि० [अ.] पासेनु; संबद्ध सगांसंबंधी; आश्रित लोको
मुतह (-हि)द वि० [अ.] जोडे मळेलं; मुतकल्लिम वि० [अ.] (व्या.) बोलनार संयुक्त - पहेलो पुरुष
[धूर्त मुद पुं० [सं.] हर्ष; आनंद । मुतफन्नी वि० [अ.] पहोंचेल; चालाक; मुदब्बिर पुं० [अ.] सलाहकार; अमात्य मुतफ़रिक वि० [अ.] तफरके-अस्तव्यस्त मुदम्मिग वि० [अ.] अभिमानी
थयेलं (२) विविध; तरेहवार मुरिस पुं० [अ.] शिक्षक. -सी स्त्री० मुतबन्ना पुं० [अ.] दत्तक पुत्र । शिक्षकनुं काम मुतबर्र (-रि)क वि० [अ. मुतबर्रक] मुदल्लल वि० [अ.] दलीलवाळं; तर्कसिद्ध मुबारक (२) पवित्र
मुदल्लिल वि० [अ.] दलील करनार मुतमइन वि० [अ.] संतुष्ट (२) शांत मुदाखलत स्त्री० [अ.] जुओ 'मदाखिलत' मुतमौवल वि० [अ. मुतमविल] धनी; मुदाम अ० [अ.] सदा (२) सतत
अमीर [वादक; तरजुमो करनार मुदामी वि० सदा हयात मुतरज्जिम वि० [अ. मुतरजिम] अनु- मुदारात स्त्री० [अ.] आगतास्वागता मुतरिब पुं० [अ.] गायक (नाम, -बी) मुदित वि० [सं.] राजी थयेलं; प्रसन्न मुतलक अ० [अ.] जरा पण; मुतलग। मुद्गर पुं० [सं.] मगदळ मुतलाशी वि० [अ.] तलाश करनार मुद्दआ पुं० [अ.] मुद्दो; अभिप्राय; मतलब मुतवज्जह वि० [अ.] ध्यान देनार मुद्दई पुं० [अ.] दावो करनार; वादी मुतवातिर अ० [अ.] सतत; लगातार (२) शत्र; मूदई (स्त्री० मुद्देया) मुतसद्दी पुं० [अ.] मुत्सद्दी; मुनशी; महेतो मुद्दत स्त्री० [अ.] मुदत; अवधि (२)
के प्रबंध करनार [सहनशील समय; अरसा मुतहम्म(-म्मि)ल वि० [अ.] सहिष्णु; मुद्दा-अलेह, मुद्दालेह पुं० [अ.] प्रतिवादी मुतहैयर वि० [अ.] आश्चर्यचकित मुद्दया स्त्री० [अ.] जुओ 'मुद्दई' मां मुताबिक़ अ० [अ.] अनुसार; प्रमाणे (२) मुद्रक पुं० [सं.] छापनार
वि० अनुकूल (नाम, मुताबिक़त स्त्री०) मुद्रण पुं० [सं.] छापवं ते मुतालबा पुं० [अ.] बाकी मागती रकम- मुद्रणालय पुं० [सं.] छापखानुं
[स्वाध्याय । मुद्रा स्त्री० [सं.] छाप; महोर (२) वींटी मुताला पुं० [अ] भणq ते; अभ्यास; - (३) टाईप; बीबु (४) अभिनयनी मुद्रा मुतास्सिब वि० [अ.] कट्टर; चुस्त । मुद्राक्षर पुं० [सं.] छापवाना अक्षर; बीबं मुतास्सिर वि० [अ.] असर तळे आवेलुं मुद्रायंत्र पुं० [सं.] छापखानानुं यंत्र मुताह पुं० [अ.] शिया मुसलमानोमां थतो मुद्रिक, का स्त्री० [सं.] वींटी
अमुक अस्थायी विवाह [रखात मुद्रित वि० [सं.] छापेलुं (२) सीलबंध मुताही स्त्री० 'मुताह' करेली स्त्री (२) मुधा अ० [सं.] वृथा (२) वि० व्यर्थ मुत्तफ़िक वि० [अ.] सहमत; एकतावाळं (३) असत्य
लेणं
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मुनकिर
मुनकर वि० [ अ ] इन्कार करनार (२) नास्तिक
मुनक्का पुं० [ अ ] मोटी किसमिस मुनगा पुं० सरगवो [ कोतरका मुनब्बतकारी स्त्री० [अ] पथ्थर परनुं मुनसिफ़ पुं० जुओ 'मुंसिफ़' मुनहनी वि० [अ.] वळेलं; वांकुं (२)सूकलुं मुनहरिफ़ वि० [ अ ] वक्र (२) विरोधी
हसर वि० [ अ ] आश्रित; आधारवाळं मुनाजरा पुं० [अ.] वादविवाद; चर्चा मुनादी स्त्री० [ अ ] ढंढेरो मुनाफ़ा पुं० [अ. मुनाफ़अ ] नफो मुनासिब वि० [अ] मुनासब; योग्य; ठीक (२) अ० प्रमाणे ; अनुसार मुनीब ( - म ) पुं० [ अ ] मुनीम (२)
मददगार
मुनीश, -श्वर पुं० [सं.] श्रेष्ठ मुनि मुन्तलि वि० [अ.] स्थानांतर करेलुं लुं मुन्तखि वि० [अ.] चूंटायेल; 'मनोनीत ' मुन्तजिम वि० [अ] 'इंतज़ाम' करनार मुन्तज़िर वि० [ अ ] इंतेजार मुन्तही वि० [ अ ]
पूर्ण
मुन्ना पुं०, न्नी स्त्री० प्रिय; प्यारा ( नानाने माटे प्रेमनो शब्द ) मुफ़लिस वि० [ अ ] गरीब; रंक. - सो स्त्री० गरीबाई
मुफ़सदा पुं० [अ.] फिसाद; बखेडो (२) दंगो मुफ़सिद वि० [अ.] फिसादखोर; उपद्रवी मुफ़स्सल वि० [अ.] विगतवार; विस्तृत (२) पुं० मुफसिल; मुख्य नगर बहारनो प्रदेश
मुफ़ारक़त स्त्री० [अ.] जुदाई; वियोग मुफ़ीज वि० [अ०] गुणकारक; उपकारक
४२९
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मुम्तहन
मुफ़ीद वि० [अ.] फायदेमंद; लाभकारी
- में - मफत ( २ )
मुफ़्त वि० [अ.] मफतनुं व्यर्थ; नका मुं [ मफतियापणुं मुफ्तखोर पुं० मफतियो. -री स्त्री० मुफ़्ती वि० मफतनुं (२) पुं० [अ.] मुफती; मुसलमान धर्मशास्त्री मुबतला वि० जुओ 'मुब्तला' मुबद्दल वि० [ अ ], बदलायेलुं मुबनी वि० [अ. मबनी] आश्रित मुबर्रा वि० [अ०] पवित्र; साफ (२) निर्दोष मुबलिग़ पुं० [ अ.] रकम ( धननी ) ( २ ) वि० कुल नक्की [ अदलबदल मुबादला पुं० [अ.] मोबदलो; अवेज; मुबादा अ० [फा.] कदाच; रखे ने मुबारक वि० [अ.] शुभ; भलुं; मंगळ. ०बाद (-दी), मुबारकी स्त्री० धन्यवाद मुबाल ( - लि) ग्रा पुं० [अ.] अतिशयोक्ति मुबाह पुं० [अ.] ( कुरानमां) विहीत; शास्त्रविधियुक्त [ 'बहस' मुबाहिसा पुं० [अ.] वादविवाद; चर्चा; मुब्तदी पुं० [अ.] शिखाउ; नवो विद्यार्थी मुब्तला वि० [ अ ] ( रोग के संकटमां ) सपडायेलुं
मुमकिन वि० [ अ ] संभवित; शक्य मुमतहिन पुं० [ अ ] परीक्षक; 'मुम्तहिन' मुमताज वि० [ अ ] माननीय मुमलकत स्त्री० [ अ. मम्लुकत ] राज्य;
सल्तनत
मुमानअत, मुमानिअ ( -य) त स्त्री० [अ०] मुमानियत ; मनाई; निषेध मुमानी स्त्री० मामी
मुमुक्षा स्त्री० [ सं . ] मोक्षनी इच्छा. -क्षु वि० तेनी इच्छावाळु [ उमेदवार मुस्तहन पुं० [अ०] परीक्षार्थी; परीक्षानो
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मुम्तहिन
४३०
मुलम्मासाज मुम्तहिन पुं० [अ.] परीक्षक मुराद स्त्री० [अ.] इच्छा; अभिलाषा. मुरकना अ०क्रि० मरडावू; वळवू; झूकवू -पाना-मुराद बर आववी-मांगना(नाम, मुरक स्त्री०)
मुराद पूरी करवा प्रार्थना करवी मुरगा पुं० [फा. मुर्ग] (स्त्री०-पी) मुरघो मुरादी वि० [अ.] मुरादवाळं मुरगाबी स्त्री० मुरघाबी; जळककडी । मुराफ़ा पुं० [अ.] अपील (अदालतमां) मुरचंग पुं० मोरचंग; मोंथी बजाववान मुरासला पुं० [अ. मुरासिल:] पत्र; कागळ एक वाद्य
मुरासलात पुं० [अ.] 'मुरासला' नुं ब.व. मुरज पुं० [सं.] मृदंग
(२) पत्रव्यवहार मुरझाना अ०क्रि० करमावु (२) सुस्त के मुरीद पु० [अ.] चेली; शिष्य खिन्न थर्बु
मुरेठा पुं० फेंटो; साफो मुरतकिब पुं० जुओ 'मुर्तकिब' मुरौवज वि० जुओ 'मुरव्वज' भरतहिन पुं० जुओ 'मुर्तहिन' मुरौवत स्त्री० जुओ 'मुरव्वत' मुरतिद पुं० [अ.] इस्लाम छोडी देनार मुर्दा पुं० [फा.] मुरघो. –ी स्त्री० मुरघी मुरत्तब वि० [अ.] क्रमबद्ध । मुर्तकिब पुं० [अ.] अपराधी; गुनेगार मुरत्तिब पुं० [अ.] क्रममां गोठवनार मुर्तहन वि० [अ.] गीरो राखेखें मुरदन पुं० जुओ 'मुर्दन'
मुर्तहिन पुं० [अ.] गीरो राखनार मुरदनी स्त्री० जुओ 'मुर्दनी' मुर्दन पुं० [फा.] मरण मुरदा पुं० जुओ 'मुर्दा'
मुर्दनी स्त्री० [फा. मरणनां (मुख परनां) मुरदार वि० [फा.] मुडदाल; मृत (२) चिह्न (२) मरणयात्रा के तेमां जq ते
अपवित्र (३) पुं० लाश; मडईं मुर्दा पुं० [फा.] मडईं मुरब्बा पुं० [अ.] मुरब्बो (२) समचोरस मुर्रा पुं० मरडो (३) वि० वर्ग (संख्यानो)
मरी स्त्री० दोरानी एक सांध (२) मुरब्बी पुं० [अ] वाली; वडील कपडानी कल्ली करी टंगावता पहेलां मुरमुराना अ०क्रि० चूरेचूरा थई जर्बु वळ आपे छे ते (३) आमळीने करेली मुरली,-लिका [सं.], -लिया (प.) स्त्री० । दिवेट के ओटी मोरली; बंसी
मुर्शिद पुं० [अ.] जुओ 'मुरशिद' मुरव्वज वि० [अ.]रिवाज पडेलु; प्रचलित . मुलक पुं० जुओ 'मुल्क' [हसवू मुरव्वत स्त्री० [अ.] सज्जनता; शील; मुलकना अ०क्रि० (प.) मलकवं; धीमेथी
सारमाणसाई (२) जुओ 'लिहाज़' मुलकी वि० जुओ 'मल्की' मुरशिद पुं० [अ.] गुरु (२) पूज्य व्यक्ति मुलजिम वि० [अ.] आरोपी; अपराधी मुरस्सा वि० [अ.] जडाउ; नंग जडेलु. मुलतवी वि० [अ.] जुओ 'मुल्तवी'
०कार पुं० नंग जडनार कारीगर मुलमची पुं० गिलेट चडावनार मुर(-ल)हा वि० मूल नक्षत्रमा जन्मेलं मुलम्मा पुं० [अ.] गिलेट; ढोळ. गर, (२) तोफानी (३) अनाथ
साज पुं० गिलेट करनार
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मुलहा
४३१
मुश्तरिक मुलहा वि० जुओ 'मुरहा' ... मुवाफ़क़त वि० [अ.] जुओ ‘माफ़क़त' मुलाकात स्त्री० [अ.] मेळाप; भेट (२) मुवाफ़िक वि० [अ.] माफक; अनुकूळ(२) मेळ; परिचय .
समान; बराबर (३) योग्य; उचित मुलाक़ाती पुं० मुलाकात लेनार अथवा मुशज्जर पुं० [अ.] एक जातनुं छापेलं
परिचित व्यक्ति [मळनार भातीगर कपडुं मुलाक़ी पुं० [अ.] मुलाकात लेनार; मुशफ़िक़ वि० [अ.] दयावान; महेरबान मुलाजिम पुं० [अ.] नोकर; सेवक (२) दोस्त; मित्र 'मशाबह' मुलाजिमत स्त्री० [अ.] नोकरी; सेवा मुशब्बह वि० [अ.] समान; तुल्य; मुलायम वि० [अ.] मृदु; नाजुक (२) मुशर्रफ़ वि० [अ.] उच्च (२) माननीय मंद; धीमुं.-करना नरम, शांत करवू. मुश (-१)ल पुं० [सं.] भूसळ; सांबेलु -चारा = हलको खोराक (२) सहेजे मुशाइ (-य)रा पुं० [अ.]जुओ 'मुशायरा' बीजानी वातमां फसाय एवं (३) मुशाबह वि० [अ.] मळतुं; समान सुप्राप्य (४) नाजुक शरीरनुं
(नाम, मुशाबहत स्त्री०) मुलायम (-मिय)त [अ], मुलायमी
मुशायरा पुं० मुशायरो; कविसंमेलन स्त्री० मुलायमपणुं
मुशाहदा पुं० [अ.] देखq ते; दर्शन मुलाहजा पुं० [अ.] देखरेख (२) मलाजो; मुशाहरा पुं० [अ.] मुसारो; पगार मर्यादा (३) आदरयुक्त नम्र वर्तन
मुशाहिद वि० [अ.] देखनार; प्रेक्षक मुलेठी स्त्री० जेठीमध
मुशाहीर पुं० [अ. मशाहीर] मशहूर लोक मुलैयन वि० [अ.] रेचक
मुशीर पुं० [अ.] सलाहकार (२) वजीर मुल्क पुं० [अ.] मुलक; देश (२) राज्य.
मुश्क पुं० [फा.] कस्तूरी (२) स्त्री० गीरी स्त्री० बीजा देश जीतवा ते.
भुजा; खभा कोणी वच्चेनो हाथनो ०दारी स्त्री० राज्यवहीवट; शासन. भाग. मुश्के कसना या बाँधना= -ल्को वि० मुलकी;देशी (२)लश्करीथी
___ मुश्केटाट बांधवू ऊलटुं
मोकूफ मुश्किल वि० [अ.] मुश्केल (२) स्त्री० मुल्तवी वि० [अ.] मुलतवी; स्थगित; मुश्केली; मुसीबत. [परमेश्वर मुल्ला पुं० [अ.] मुल्लां (२) शिक्षक मश्किल-कुशा पुं० [अ.+फा.]दुःखभंजन; (मस्जिदनो). ०नी स्त्री० मल्लांनी स्त्री
__मुश्की वि० [फा.] कस्तूरीना रंगनुं; काळ मुवक्किल पुं० [अ] वकीलनो असील
(२) कस्तूरीवाळु मुवज्जह वि० [अ.] तर्कशुद्ध; योग्य
मुश्त पुं० [अ.] मूठी मुवज्जिन पुं० [अ.] अझान के बांग मुश्तबह वि० [अ.] संदिग्ध पोकारनार
मश्तमिल वि०[अ.] भेगं; सामेल थयेलं; मुवना अ०कि०(प.)मरवू (प्रेरक मुवाना) संमिलित; जोडायेलु मुरिख पुं० [अ.] इतिहासकार मुश्तरक,-का वि० [अ.] संयुक्त; भेगुं मुवस्सिर वि० [अ.] असरकारक मुश्तरिक वि० [अ] भागीदार
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मुश्तहर
मुश्तहर वि० [ अ ] प्रसिद्ध; प्रकाशित मुश्तहिर वि० [अ.] प्रकाशक; प्रसिद्धकर्ता मुश्ताक़ वि० [अ] मुस्ताक; इच्छुक; आतुर; भारे कामनावाळु (२) शोखवाळं (३) आशक; प्रेमी
मुल पुं० जुओ 'मुशल' [ सूट मुष्टि स्त्री० [सं.] मूठी (२) मुक्को (३) मुसकराना अ०क्रि० मुस्कावुं; मंद हस मुसकराहट स्त्री० स्मित; मुस्कावुं मुसकाना अ०क्रि० मुस्कावुं; मलकावुं मुसजर पुं० ( प. ) जुओ 'मुशज्जर' मुद्दा वि० [ अ ] तपासेलुं; प्रमाणित मुसद्दस पुं० [ अ ] षट्कोण (२) छप्पो मुसद्दिक पुं० [ अ ] तपासनार मुसना अ०क्रि० चोरावुं
मुझा पुं० [अ.] नकल के पहोंचनुं अधि
[ लेखिका -फ़ा स्त्री०
मुनि पुं० [अ.] लेखक. मुसफ़्फ़ा वि० [ अ ] शुद्ध; साफ मुसब्बर पुं० [ अ ] एक दवा मुसम्मन वि० ( २ ) पुं० [ अ ] अष्टकोण मुसम्मम वि० [ अ ] पाकुं; दृढ मुसम्म वि० [ अ ] नामी; नामवाळु मुसम्मात स्त्री० [अ.] श्रीमतीनी माफक स्त्रीओनां नामनी साथे जोडाय छे. उदा० मुसम्मात हमीदा (२) स्त्री मुसरिफ वि० [ अ ] खर्चाळ; उडाउ मुसर्रत स्त्री० [ अ ] खुशी; आनंद मुसलमान पुं० [फा.] इस्लामनो अनुयायी. -नी वि० ते संबंधी (२) स्त्री० सुन्नत (३) मुस्लिम स्त्री [मुसलमान मुसलमीन पुं० [' मुस्लिम' नुं ब०व० ] मुसलसल वि० [ अ ] क्रमबद्ध; क्रमिक मुसलाधार अ० मूसळधार
४३२
मुस्तक़बिल
मुसलिम पुं० जुओ 'मुस्लिम'. ० लीग स्त्री० ० ए नामनी संस्था. ०लीगी पुं० ते संस्थानो सभ्य
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मुसलि ( - ले ) ह वि० [ अ ] सुधारक मुसल्लम वि० [फा.] मान्य; मंजूर ( २ ) साबूत; अखंड (३) पूरुं; कुल मुसल्लस पुं० [अ.] त्रिकोण मुसल्लह वि० [ अ ] सशस्त्र मुसल्ला पुं० [ अ ] नमाजनो मुसल्लो मुसवद्दा पुं० ' मसविदा'; मुसद्दो मुसव्विर पुं० [ अ ] चित्रकार. -री स्त्री० चित्रकळा
मुसहर पुं० एक जंगली जातनो माणस. -रिन स्त्री० तेनी स्त्री
मुसहिल वि० [ अ ] रेचक
मुसाफ़हा पुं० [ अ ] मळती वखते मित्र जोडे हाथ मेळववो ते मुसाफ़िर पुं० [ अ ] मुसाफर. ०खाना पुं० धरमशाळा. ०गाड़ी स्त्री० रेलवे ट्रेन. ०त, -री स्त्री० [ अ ] मुसाफरी मुसालहत स्त्री० [अ] जुओ 'मसालहत ' मुसावात स्त्री० [अ.] बराबरी; समानता मुसावी वि० [ अ ] बरोबर ; तुल्य ( २ ) समांतर (लीटी)
मुसाह ( - हि ) ब पुं० [अ.] साथी; हजूरमां रहेनार. oत, -बी स्त्री० संग; साथ मुसीबत स्त्री० [ अ ] मुरकेली; कष्ट मुस्कराना अ०क्रि० जुओ 'मुसकराना'.
- हट स्त्री० जुओ 'मुसकराहट' मुस्करात पुं० [ अ ] मादक पदार्थो मुस्तंडा वि० हृष्टपुष्ट (२) बदमाश मुस्तफ़ी वि० [अ] 'इस्तीफ़ा' - राजीनामुं नार
मुस्तकबिल पुं० [अ] भविष्यकाळ
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मुस्तकिल
४३३
मुहाफ़िजखाना मुस्तकिल वि० [अ.] दृढ; स्थिर (२) मुहब्बत स्त्री० [अ] महोबत; प्रेम; मुस्ताक; मजबूत
चाह; दोस्ती. -ती वि० प्रेमी मुस्तकीम वि० [अ.] सीधुं; स्टार मुहम्मद पुं० [अ.] महम्मद पेगंबर (२) मुस्तग्रीस पुं० [अ.] दावेदार; फरियादी वि० अति प्रशंसा पामेलं. -दी वि० मुस्ततील पुं० [अ.] लंबचोरस
पेगंबरने लगतुं (२) मुस्लिम मुस्तनद वि० [अ.] प्रमाणभूत मुहय्या वि० जुओ 'मुहैया' मुस्तफ़ा वि० [अ.] शुद्ध (२) पुं० शुद्ध · मुहर स्त्री० महोर;छाप; सील. -करना
दुर्गुणरहित पुरुष [आशावाळु महोर मारवी मुस्तफ़ीज़ वि० [अ.] लाभ के उपकारनी मुहरा पुं० सामेनो - मोरनो भाग (२) मुस्तफ़ीद वि० [अ.] फायदो चाहतुं [फा.] शेतरंजनुं महोरु. -लेना-सामे मुस्तवी वि० [अ.] समतल; सपाट
आवीने लडवू मुस्तस्ना वि० [अ.] अलग पडतुं; जुदं (२) मुहर्रम पुं० [अ.] मोहरम; अरबी वर्षनो अपवादरूप
[पात्र पहेलो मास. -की पैदाइश-रोतल के मुस्तहक़ वि० [अ.] अधिकारी; हकदार; शोकातुर चहेरानुं माणस मुस्तहकम वि० [अ.] दृढ (२) वाजबी मुहर्रमी वि० मोहरम अंगेनू के लगतुं मुस्तेमल वि० [अ.] उपयोगमा आवतुं- (२) शोकदर्शक; दुःखी. सूरत पुं० . वपरातुं
-दी स्त्री० जुओ 'मुहर्रमकी पैदाइश' मुस्तैद वि० [अ.तत्पर (२) चालाक. मुहरिक वि० [अ.] संचालक (२) नेता मुस्तौजिर पुं० [अ.] ठेकेदार; इजारदार. मुहरिर पुं० [अ.] मुनशी; महेतो; -री स्त्री० ठेको; इजारो ।
कारकुन; लहियो (नाम, -री) मुस्तौफ़ी पुं० [अ.] अन्वेषक; 'ऑडिटर' मुहलत स्त्री० [अ.] फुरसद (२) छुट्टी मुस्बत वि० [अ.] प्रमाणित; सिद्ध (२) (३) अवधि; महेतल (व्या.) हकारवाचक
मुहल्ला पुं० [अ.] महोल्लो मुहकम वि० [अ.] दृढ; पाकुं मुहसिन वि० [अ.] उपकार करनार मुहकमा पुं० [अ.] 'महकमा'; खातुं; मुहस्सिल वि० उघरावनार; वसूल विभाग
ठीक; सारं करनार (२) पुं० पायदल सैनिक महक्कक वि० [अ.अजमावी जोयेलं (२) महाजरत स्त्री० [अ.] अलग थवं ते मुहक्किक पुं० [अ.] परीक्षक;अजमावनार (२) हिजरत करवी ते मुहज्जब वि० [अ.] शिष्ट; सभ्य मुहाफ़जत स्त्री० [अ.] 'हिफ़ाज़त'; मुहतमिम पुं० [अ.] व्यवस्थापक संभाळ; रक्षा मुहताज वि० [अ.] गरीब; कंगाळ (२) । मुहाफ़ा पुं० [अ.] माफो; रथ (स्त्री माटे)
आश्रित (नाम,-जी स्त्री०) [जाणनार । मुहाफ़िज़ वि० [अ.] 'हिफ़ाज़त' करनार; मुहद्दिस पुं० [अ.] 'हदीस'-धर्मशास्त्र संरक्षक; संभाळ लेनार. ०खाना पुं० मुहन्दिस पुं० [अ.] गणिती
दफ्तरखान; कागळ दस्तावेज संभाळी हिं-२८
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मुहाफ़िजत
राखवानुं स्थान. ०त स्त्री० रक्षा;संभाळ. ० दफ़्तर पुं० दफ्तरी; 'रेकर्डकीपर ' मुहार स्त्री० [फा.] ऊंटनी नकेल - नाथ मुहाल वि० [ अ ] असंभव; अघरं मुहावरा पुं० [अ.] महावरो; आदत ( २ ) भाषानो रूढिप्रयोग; कहेवत मुहासरा पुं० [अ.] घेरो
मुहास [अ.] हिसाबनीस (२) अन्वेषक (३) गणिती
४३४
मुहासिरा पुं० जुओ 'मुहासरा' मुहासिल पुं० [फा.] आवक (सरकारी अने बीजी) (२) नफो मुहब्ब पुं० [ अ ] दोस्त मुहिम स्त्री० [ अ ] लडाई (३) चडाई; आक्रमण मुहीत वि० [ अ ] घेरो घालनारुं ( २ ) पुं० घेरो
भारे काम ( २ )
वि० [अ. महब] रामणुं भयानक मुहूर्त पुं० [सं.] शुभ घडी ; महुरत ( २ ) अमुक समय - दिवसनो ३० मो भाग मुहैया वि० [अ.] तैयार; हाजर मूँग स्त्री० पुं० मग मूँगफली स्त्री० मगफळी
सूँगा पुं० परवाळु; एक लाल रत्न मूँछ स्त्री० मूछ. -- उखाड़ना = अभिमान उतारवु. मूँछें नीची होना = मूछ नीची थवी; पाछा पडवुं; आबरू जवी. मूँछों पर ताव देना = मूछ पर ताल देवो; . मूछ मरडव
मूँज स्त्री०; मुंज घास
मूँड पुं० मुंड; माथु. - चढ़ाना = मोढे चडावनुं. - मारना=माथाझीक करवी. -मुँड़ाना = संन्यासी थवुं मूँडन पुं० मुंडन; मूंडावतुं ते
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मूर्छित
मूँड़ना स०क्रि० मूंडवुं
मूँड़ी स्त्री० माथु. ०काटा पुं० 'मूओ' "अर्थनो स्त्रीओनो पुरुष माटे प्रयोग मूँदना स०क्रि० ढांकवुं
मू, म्ए पुं० [फा.] मुवाळो; वाळ मूक वि० [ सं . ] मूगुं (२) विवश; लाचार मूकना स०क्रि० ( प. ) मूकवुं; छोडवु मूका पुं० मुक्को
मूछ स्त्री० 'मूंछ '; मूछ
o
मूजिद वि० [ अ ] शोधक; 'ईजाद' करनार मूजिब पुं० [ अ ] कारण मूजी वि० [ अ ] दुष्ट; पीडा करनार मूठ ( - ठि, ठी) स्त्री० मूठी (२) दस्तो; हाथो (३) मूठनो मंत्रतंत्र मूड़ पुं० मुंड; माथु
मूढ़ वि० [सं.] मूर्ख; जड (२) शूढमूढ मूढगर्भ पुं० [सं.] गर्भमां बगाड - विक्रिया मूत पुं० मूत्र; मूतर मूतना अ०क्रि० मूतरखुं मूत्र पुं० [ सं . ] मूतर; पेशाब मूत्राशय पुं० [सं.] फुक्को; शरीरनी मूतरनी कोथळी
मूनिस पुं० [ अ ] मित्र ( २ ) मददगार मू-ब-मू अ० [ अ ] बारकाईथी ( २ ) सौ वातोमां [ ( २ ) जडीबुट्टी मूर पुं०, मूरि ( - री) स्त्री० मूळी; मूळ मूरख पुं० ( प. ) सूरत स्त्री० ( प. ) मूर्ति
मूर्ख; अज्ञान
मूरि, -री स्त्री० जुओ 'मूर' मूरिस पुं० [ अ ] मृत पूर्वज ; वारसो मूकी जनार
मूर्ख पुं० [सं.] अज्ञान; बेवकूफ मूर्छा, र्छा स्त्री० [सं.] बेभान; बेहोशी मूच्छि ( - छि) त वि० [सं.] मूर्छा पालुं
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मूर्त
४३५
मेड़
मूर्त वि० [सं.] मूर्त; साकार; नक्कर मृणालिनी स्त्री० [सं.] कमळनुं सरोवर मूत्ति स्त्री० [सं.] मूर्ति; आकृति (२) मृण्म(-म)य वि० [सं.] माटीनुं बनेलं शरीर (३) नक्करपणुं
मृत वि० [सं.] मरेलु. ०क पुं० मरेखेंमूत्तिमान वि० [सं.] साक्षात् (२)साकार मड, (२) सूतक मूर्द्ध, - पुं० [सं.] माथु
मृत्तिका स्त्री० [सं.] माटी मूल पुं० [सं.] मूळ (२) पायो (३) मृत्यु स्त्री० [सं.] मरण ।
मुद्दल मूडी (४) एक नक्षत्र मृदंग पुं० [सं.] मृदंग ढोल मूल धन पुं० [सं.] रोकाण; वेपारनी मृदु वि० [सं.] मुलायम;कोमळ; (२) प्रिय;
मूळ मूडी (२) रोकडं धन; पूंजी मधुर (३) नरम मूली स्त्री० मूळो. -गाजर समझना = मृन्मय वि० [सं.] जुओ 'मृण्मय'
भाजीमूळा समजवू; तुच्छ लेखवू मृषा अ० [सं.] व्यर्थ; नकामु (२) मिथ्या मूल्य पुं० [सं.] मूल; किंमत
में 'मां'; सातमीनो प्रत्यय (२) पुं० मूल्यवान वि० [सं.] कीमती.
बकरीनुं मैं बोलवू ते मूष (०क) [सं.], -स पुं० 'मूसा'; उंदर.
मेंगनी स्त्री० लींडी मूसदानी स्त्री० उंदरियुं
मेंड स्त्री० जुओ ‘मेड़' मूसना सक्रि० चोरवं
मेंडक पुं० जुओ 'मेढक' मूसर (-ल) पुं० मुसळ; सांबेलु
मेंधी,-धिका स्त्री० [सं.] मेंदी मूसलचंद पुं० गमार; मूर्ख
मेंबर पुं० [इ.] सभासद; सभ्य मूसल (-ला)धार अ० मुसळधार (वर्षा)
मेअराज पुं० [अ.] सीडी मूसा पुं० उंदर (२) [अ] मूसा पेगंबर.
मेख स्त्री० [फा.] मेख; खीली. -मारना= ०ई पुं० मूसानो अनुयायी; यहूदी
मेख मारवी (२) मकानमां खातर पाडवू मसीकी स्त्री० [अ.] संगीतशास्त्र मेखला स्त्री० [सं.] कंदोरो मृग पुं०[सं.] मृग; हरण (२) जंगली
मेगजीन पुं० [ई.] सामयिक पत्र (२) कोई पशु
'बारूदखाना'; दारूगोळानो भंडार मृगचर्म पुं० [सं.] हरण- चामडं मेघ पुं० [सं.] वादळ मृगजल पुं० [सं.], मृगतृषा,-ष्णा स्त्री० । मेघाडंबर पुं० [सं.] मेघाडंबर; मेघगर्जना [सं.]मृगजळनो आभास; झांझवानां जळ (२) मोटो तंबु मृगनाभि, मृगमद पुं०, मृगमदा स्त्री० मेचक पुं० [सं.] अंधारं (२) वि० काळं [सं.] कस्तूरी
मेज स्त्री० [फा.] मेज; टेबल मृगमरीचिका स्त्री॰ [सं.] मृगतृष्णा मेजबान पुं० [फा. मिजवान; आतिथ्य मृगया पुं० [सं.] शिकार
करनार. -जी स्त्री० आतिथ्य मृगांक पुं० [सं.] चंद्र
मेट पुं० [इं.] मजूरोनो जमादार मृगी स्त्री० [सं.] हरणी (२) 'मिरगी' . मेटना सक्रि० जुओ 'मिटाना' मृणाल,-लिका स्त्री० [सं.] कमळदंड मेड़ पुं० नानो बांध; पाळ
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मेडल
मेहरी मेडल पुं० [इं.] चांद; चंद्रक
मेल स्त्री० [इं.] टपाल (२) मेल गाडी मेडिया स्त्री० मढी; नानुं घर मेल पुं० [सं.] मेळ; मळवू ते (२) एकता; मेढक पुं० मेंडक; देडको
मेळ के बनतुं होवू ते (३) मळतुं होवू मेढ़ा पुं० मेंढो; घेटो
के आवq ते; बराबरी (४) प्रकार; मेढ़ी स्त्री० श्रण लटमां गूंथेली वेणी तरेह (५) मिश्रण; मेळवq ते.-खाना, मेथी स्त्री० [सं.] मेथी भाजी
-बैठना, -मिलना=मेळ खावो; बनवू. मेथौरी स्त्री० मेथीनी भाजी- वडुं। जोल, मिलाप पुं० हेतसंबंध; प्रीति मेद पुं० [सं.] चरबी
मेला पुं० भीड; जमावट (२) मेळो. मेदा स्त्री०[सं.] एक औषधि-मूळियु (२) ०ठेला, तमाशा पुं० मेळो. -लगना [अ. मेअद] पेट; जठर
= मेळो भरावो मेदिनी स्त्री० [सं.] पृथ्वी
मेली पुं० साथी (२) वि० मळतावडु मेध पुं० [सं.] यज्ञ
मेव पुं० एक मुसलसान जाति-जाट मेधा स्त्री० [सं.] बुद्धि; याददास्त मेवा पुं० [फा.] सूको मेवो. ०फ़रोश मेधावी वि० [सं.] बुद्धिशाळी
पुं० मेवो वेचनार मेना सक्रि० मोवू; करमोवq मेष पुं० [सं.] घेटुं (२) एक राशि मेम स्त्री० मडम; गोरी (२) गंजीफानी
मेशीन,०री स्त्री० [इं.] मशीन; यंत्र राणी. साहबा स्त्री० मडम साहेब मेहँदी स्त्री० मेंदी [मेघ; वादळ मेमना पुं० घेटा- बच्चुं
मेह पुं० [सं.] प्रमेह रोग (२)वरसाद (३) मेमार पुं० [अ]कडियो (नाम,-री स्त्री०) मेहतर पुं० [फा. महापुरुष (२) नायक मेमो,०रैन्डम पुं० [इं.] हकीकतनुं टांचण (३) महेतर; भंगी (स्त्री० -रानी)
(याद राखवा) [नामुं; अरजीपत्र मेहनत स्त्री० [अ.] महेनत मेमोरियल पुं० [इं.] स्मारक (२) हकीकत- मेहनताना पुं० [अ.+फा.] महेनताj मेय वि० [सं.] मापी शकाय एवं मेहनती वि० महेनतु मेयर पुं० [इ.] मोटा शहेरनी सुधराईनो मेहमान पुं० [फा.] महेमान; परोणो. प्रमुख
[मिश्रित कर, दार पुं० परोणागत करनार. ०दारी, मेरवना स०क्रि० (प.) मेळवऍ; भेगुं- -नी स्त्री० परोणागत मेरा स० मारु (स्त्री० -री) . __मेहर स्त्री० महेर; कृपा. ०बान वि० मेराउ(-व) पुं० (प.) मेळाप . महेरबान; कृपाळु; के दया मेराज स्त्री० [अ.] (स्वर्गनी) सीडी मेहरबानी स्त्री० [फा.] महेरबानी; कृपा मेराव पुं० जुओ 'मेराउ' ।
मेहरा पुं० स्त्री जेवो माणस; बायलो मेरी स० मारी (२) स्त्री० अहंकार मेहराब स्त्री० [अ.] महेराब; कमान. मेरुदंड पुं० [सं.] करोडरज्जु
०दार,-बी वि० कमानवाळु; कमान मेरे स० 'मेरा' साथे ब०व० शब्द के आकार- [ओरत (२) पत्नी विभक्तिवाळो शब्द आवतां यतुं रूप मेहरारू, मेहरिया, मेहरी स्त्री० स्त्री;
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मेह
४३७
मोटरकार मेह स्त्री० [फा.] महेर; कृपा (२) मैल स्त्री० [सं. मलिन, प्रा. मइल] मेल; सहानुभूति (३) पुं० सूरज. ०बान वि०, गंदकी (२) दोष; विकार ०बानी जुओ अनुक्रमे 'मेहरबान-नी' मैल पुं० [अ.] मन, वलण; झोक (२) मैं स० हुं
___ चाह; प्रेम (३) सुरमो आंजवानी सळी मै स्त्री० [फा.] दारू (२) अ० [अ.] साथे मैलखोरा वि० मेलखाउ मलं; गू मै-कश वि० [फा.] दारूडियो. -शी मैला वि० मेलु; गंदु; अस्वच्छ (२) पुं० स्त्री० शराबखोरी
मैला-कुचैला वि० बहु मेलं रुचि मै-कदा, मै-खाना पुं० [फा.] दारूनुं पीठु मैलान पुं० [अ.] 'मैल'; मननुं वलण; मैका पुं० 'मायका'; पियर
मैहर पुं० (प.) पियेर; महियर मै-वार पुं० [फा. दारूडियो.-री स्त्री० । मों अ० (प.) मां; अंदर (२) स० शराबखोरी
मदगळ 'मैं'-हुँ अर्थमां (' मोंको, मोंपै, मोरा' मैगल पुं० मेगळ; मस्त हाथी (२) वि० जेवां रूपोमां) मंच पुं० [इं.] मॅच (जेम के क्रिकेटनी) मोंछ स्त्री० मूछ मैटर पुं० [इं.] पदार्थ (२) छापवानुं । मोंढा पुं० मूडो; सरकट इ० नुं गोळ लखाण
आसन (२) खभो मैत्री स्त्री० [सं.] दोस्ती भाषा मोस० (प.) मारु (२)जुओ 'मों' २ अर्थ मैथिली स्त्री० [सं.] सीता (२) मैथिली मोकल (-ला) वि० (प.) मोकळं; छूटमैथुन पुं० [सं.] संभोग
वाळं; छुटूं मैदा पुं० [फा.] मेंदो
मोक्ष [सं.], -ख पुं० (प.) मुक्ति मंदान पुं० [फा.] मेदान. -छोड़ना = मोखा पुं० (प.) नानी बारी के जाळियं रणमांथी नासवू.-जाना = जंगल जवं.
मोगरा पुं० मोगरो (फूल) -जीतना, -मारना :- जीतवू; फावq.
मोगल पुं० जुओ 'मुगल' -में आना = लडवा सामे आवी जवू
मोघ वि० [सं.] अफळ; व्यर्थ .. मैदानी वि० मेदान- के मेदान जेवू सपाट
मोच स्त्री० शरीरना अंगनी मचकोड मैन पुं० मीण (२) (प.) मदन; कामदेव.
मोचन पुं० [सं.] छोडवू ते; छुटकारो ०फल पुं० मीढळ
मोचना सक्रि० (प.) छोडQ मैनसिल पुं० एक धातु (दवाना कामनी) मोची पुं० (जोडा सीवनार) मोची मैना स्त्री० [सं. मदना] मेना; सारिका मोछ स्त्री० मूछ (२) पुं० (प.) मोक्ष मैनेजर पुं० [इं.] मॅनेजर; व्यवस्थापक मोज (-जि)जा पुं० [अ. मुअजिज़] मैयत स्त्री० [फा.] मोत (२) मडदं
मोजेजो; अद्भुत करामत; चमत्कार मैया स्त्री० माता
मोजा पुं० [फा.] पगर्नु मोजें। मैयार पुं० [अ.] त्राजवं; कसोटी; धोरण मोजिज्ञा पुं० जुओ 'मोजजा' [कोस (२) अभ्यासक्रम
मोट स्त्री० पोटली (२) पुं० पाणीनो मैर स्त्री० (प.) सापना झेरनुं घेन मोटर,०कार स्त्री० [ई.] मोटर गाडी
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मोटरखाना
मोटरखाना पुं० मोटरनुं 'गॅरेज' मोटरी स्त्री० ( प. ) मोटली; पोटली मोटा वि० जाडुं; स्थूळ (कद के दळमां ). - असामी = मालदार माणस. - झोटा = जाडुं खद्दड ( कपडुं ). - ताजा =: = जाडुं; हृष्टपुष्ट; स्थूल. मोटी बात = साधारण के सामान्य वात. मोटे तौर पर = साधारणतः मोटे हिसाब से = अंदाजथी मोटाई स्त्री० जुओ 'मुटाई'; मोटापणुं (२) गर्व; शेखी (३) दुष्टता - चढ़ना = बदमाश के गर्विष्ठे थवुं मोटाना अ०क्रि० जुओ 'मुटाना' ( २ ) स०क्रि० जाडुं करवुं (बीजाने) मोटिया पुं० जाडुं खद्दड कपडुं (२) मोटियो; कूली
मोठ स्त्री० मठ अनाज मोड़ पुं० वळवुं ते केवळांक मोड़ना स०क्रि० फेरववुं; वाळवुं (२) मोडj; मरडवु के (धार) कुंठित करवी मोड़ी स्त्री० ( मराठीनी) एक लिपि मोदि वि० [अ. मुअतक़िद] विश्वास करनार (२) कोई धर्मनो अनुयायी मोतदिल वि० [ अ ] ( गुणमां) न गरम न ठंडुं ( दवा विषे ); मध्यम मोतबर, मोतमद वि० [अ.] विश्वासपात्र मोतमिद वि० [अ] विश्वास करनार मोताद स्त्री० [ अ. मुअताद] (दवानी )
मात्रा; प्रमाण
मोतिया वि० मोती संबंधी के तेना जेवुं (२) पुं० एक जातनो मोगरो; 'मोती-वेल' मोतियाबिंद पुं० आंखनो मोतियो मोती पुं० मोती; मुक्ता. - ढलकना = रडवुं. - पिरोना=सुंदर बोलवु (२) सुंदर अक्षरे लखवुं (३) रडवुं . - रोलना = वगर
४३८
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मोर
ते बहु कमावु. मोतियों से मुँह भरना = राजी थईने न्याल करवुं मोतीचूर पुं० कळी के तेनो लाडु मोतीझ ( - झि ) रा पुं० छातीए मोती जेवी फोल्ली थाय छे एवो ताव [वेल मोती- बेल स्त्री० 'मोतिया' - मोगरानी मोती-सिरी स्त्री० मोतीनी माळा मोथा पुं० नागरमोथ औषधि मोद पुं० [सं.] खुशी; आनंद (२) सुगंध मोदक पुं० [सं.] लाडु मोदना अ० क्रि० ( प. ) राजी थवुं ( २ ) महेक (३) स०क्रि० राजी करवुं मोदी पुं० मोदी वाणियो. ०खाना पुं० मोदीखानुं; कोठार
मोना स०क्रि० ( प. ) मोवुं; --थी तर करवुं (२) पुं० करंडियो
मोम पुं० [फा.] मीण. - की नाक = अस्थिर मतिनुं; ढोचका जेवुं की मरियम = कोमळ सुकुमार स्त्री मोमजामा पुं० [फा.] मीण- कपड; मीणियुं मोमबत्ती स्त्री० मीणबत्ती
मोमिन पुं० [ अ ] आस्तिक, ईमानदार मुसलमान ( २ ) मुसलमान वणकरनी जात ( मोमनी ? )
मोमिया स्त्री० [फा.] ममी ; दवाओ भरीने राखेलुं मडदुं
मोमियाई स्त्री० [फा.] नकली शिलाजित. - निकालना 1=3 ठूस काढवी (२) खूब
ठोक
मोमी वि० [फा.] मीणनुं
मोयन पुं० मोण. ०दार वि० (बराबर ) मोण नांखेलुं; मोणवाळं मोर पुं० मयूर ( २ ) [ अ.] कीडी (३) स० (प.) मारुं; मोरुं
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मोरचा
मोरचा पुं० [फा.] काट (लोढानो) (२) दर्पण परनो मेल (३) किल्लानी खाई (४) मोरचो. - खाना = काट खावो; बगडवु - जीतना या मारना = शत्रुनो मोरचो जीतवो. - लेना = युद्ध करवुं मोरचाबंदी स्त्री० [फा.] मोरचो बांधवो ते; व्यूह
मोरछल पुं० मोरनां पीछांनी चमर मोरछली पुं० बोरसळी; 'मौलसिरी' (२) 'मोरछल' चमर ढोळनार मोरन स्त्री० जुओ 'शिखरन' मोरनी स्त्री० मोरडी; ढेल मोरपंख, मोरखा (प.) पुं० मोरनुं पीछे मोरमुकुट पुं० मोरना पीछांनो मुगट मोरी स्त्री० मोरी; गटरनी नीक ( २ ) ( प. ) मोरडी
मोल पुं० मूल्य; किंमत. - करना = वधारे भाव कहेवो ( २ ) मूलववु. -लेना = खरीदवुं
मोल तोल, मोल-भाव पुं० भावताल मोलना पुं० ( प. ) मौलाना मोलवी पुं० 'मौलवी'; मुल्लां मोष पुं० ( प. ) मोक्ष; छुटकारो मोह पुं० [सं.] भ्रम; अज्ञान (२) वहाल; आसक्ति; राग
मोहक वि० [सं.] मोह पमाडे एवं मोहड़ा पुं० पात्रनुं मोढुं (२) वस्तुनुं मोढुं - उपरनो के आगलो भाग मोहतमिम पुं० 'मुहतमिम'; व्यवस्थापक मोहताज वि० जुओ 'मुहताज' मोहन वि० [सं.] मोहक (२) पुं० मोहन; कृष्ण (३) मोहमां नांखवुं ते मोहनभोग पुं० एक मीठाई - मोहनथाळ मोहनमाला स्त्री० मोहनमाळा घरेणुं
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मौक्तिक
मोहना अ० क्रि० मोहवुं; मुग्ध थवुं (२) स०क्रि० मोहमां नांखवुं; लोभाववुं मोह ( - हि )नी स्त्री० [ सं . ] माया; मोहिनी; मोहमां नांखवं ते (२) वि० स्त्री० मोहक
मोहफ़िल स्त्री० जुओ 'महफिल' मोहब्बत स्त्री० जुओ 'मुहब्बत'; महोबत मोहमिल वि० [अ. मुहमिल] निरर्थक (२) छोडेलुं; त्यक्त मोहर स्त्री० [फा. सुह] महोर मोहरा पुं० जुओ 'मुहरा' 'मोहड़ा' (२) [फा.] महोरु
मोहरी स्त्री० पग घालवानो पायजामानो भाग ( २ ) नानुं म ( वासणनुं) मोहरिर पुं० जुओ 'मुहर्रिर ' मोहलत स्त्री० जुओ 'मुहलत ' मोहलिक वि० [अ. मुहलिक ] मारी नांखे एवं; जीवलेण (रोग)
मोहसिन वि० जुओ 'मुहसिन' मोहार पुं० द्वार ; दरवाजो (२) मधमाख (मोटी) के नो st मोहिं स० ( प. ) मने
मोहित वि० [सं.] मोह पामेलु मोहिनी स्त्री० (२) वि० स्त्री० [ सं . ] जुओ 'मोहनी'
मोही वि० [ सं . ] मोहनाएं; लोभी मौका पुं० [अ] मोको; समय; लाग.
- तकना, - देखना=मोको जोवो. -देना ==मोको आपवो. - पड़ना=समय आववो; जरूर लागवी. - शर्त है-समय मळे तो मौफ़ वि० [अ.] मोकूफ; बंध पडेलुं (२) रद के बरखास्त करेलुं ( ३ ) निर्भर; आधारवाळं. -फ़ी स्त्री० मौक्तिक पुं० [सं.] मोती
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मौख
मौख पुं० एक मसालो (२) [सं.] मुखथी थतुं पाप – जूठ इ०
-
४४०
मौखिक वि० [सं.] मोढेथी थतुं; 'जबानी' (२) मौखिक परीक्षा - 'ओरल' मौज स्त्री० [ अ ] मोज; मजा (२) मोजुं ( वि० - जी) [ मोजो मौजा पुं० [ अ ] गाम (२) खेतर; वांटो; मौजी वि० मोजी; मनस्वी आनंदी मौजूँ वि० [अ.] तोल करेलुं (२) योग्य; ठीक मौजूद वि० [अ] मोजूद; हयात; हाजर; तैयार. ०गी स्त्री० मौजूद होवुं ते मौजूदा वि० [अ०] वर्तमानकाळनं; प्रस्तुत मौजूदात स्त्री० [ अ ] समस्त सृष्टि मौत स्त्री० [ अ ] मोत; मरण - का तमाचा=मोत याद करावे एवं काम के घटना; मोतनो खेल. - के दिन पूरे करना=गर मोते बहु दुःखमां दहाडा काढवा. ( अपनी ) मौत मरना = मोते मर; स्वाभाविक मरण थवुं मौताद स्त्री० जुओ 'मोताद' मौन पुं० [सं.] मौन, चूपकी; मुनिव्रत ( २ ) वि० मौनी; चूप
मौना पुं० 'मोना'; करंडियो
मौनी वि० मौनवाळु (२) पुं० मुनि (३) नानो 'मौना' - करंडियो
मौर पुं० [सं. मुकुट, प्रा. मउड़] लग्ननो मोड (२) शिरोमणि; सरदार (३) [सं. मुकुल, प्रा. मउल] मोर; मंजरी मौरना स०क्रि० मोर आववो; मोरवु मौरूसी वि० [ अ ] वारसानुं; पैतृक मौर्य पुं० [सं.] मूर्खता मौर्वी स्त्री० [सं.] धनुषनी प्रत्यंचा मौलवी पुं० [ अ ] मोलवी; मुल्लां (२) अरबी फारसीनो पंडित. ० गिरी स्त्री० मोलवीनुं काम
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म्हारा
मौलसिरी स्त्री० बोरसळी; बकुल मौला पुं० [ अ ] मित्र ( २ ) धणी ( ३ ) ईश्वर [ मोलवी मौलाना पुं० [ अ ] मौलाना; मोटो मौलि स्त्री० [ सं . ] जटा (२) माथुं ( ३ ) मुगट. मौलिक वि० [सं.] मूलगत; असली (२) मूळ संबंधी (३) साव नवीन मौली पुं० [सं.] मुगटधारी मौलूद पुं० [ अ ] जन्मेलुं बालक ( २ ) महमद पैगंबरनो जन्मोत्सव मौस ( - सि ) म पुं० जुओ 'मोसिम' मौसा पुं० मासो; मासीनो पति मौसिम पुं० [ अ ] मोसम ऋतु (२) योग्य समय. ०गुल, बहार पुं० वसंत ऋतु मौसिमे ख़िज़ाँ पुं० पानखर ऋतु मौसमी वि० [ अ ] मोसमनुं मौसिया वि० मासी जेवुं (२) पुं० 'मौसा' ; मासा. ०ससुर पुं० मासोससरो. ० सास स्त्री० मासीसासु मौसी स्त्री० मासी
मौसूफ़ वि० [ अ ] वर्णवेलुं; उल्लेखेलुं मौसम वि० [अ] नामवाळु नामे (वि० स्त्री० - मा)
मौसूल वि० [अ] मळेलं; प्राप्त मौसेरा वि० मसियाई; मासीने लगतुं म्याँव, व अ० म्याउं
म्यान पुं० [फा.] तलवार वगेरेनुं म्यान म्युनिसिपल्टी स्त्री० म्युनिसिपालिटी म्यूजियम पुं० [इं.] संग्रहस्थान म्यों अ० जुओ 'म्याँव' म्योंड़ी स्त्री० एक झाड [स्त्री० म्लान वि० [सं.] करमायेलुं (२) मेलुं. - नि म्लेच्छ पुं० [सं.] म्लेच्छ जातिनुं माणस (२) वि० नीच; पापी म्हारा स० ( प. ) अमारु
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४४१
४४१
यत्न
यंत्र पुं० [सं.] यंत्र; मशीन; ओजार(२) यक़ीनन् अ० [अ.] जरूर; खातरीपूर्वक वाजु (३) ताळं
यक़ीनी वि० [अ.] निश्चित; खातरीबंध यंत्रणा स्त्री० [सं.] तकलीफ; पीडा . यकुम वि० [फा.] प्रथम; पहेलुं (२) स्त्री० यंत्रमंत्र पुं० [सं.] जादू; जंतरमंतर पडवो; पहेली तिथि यंत्रालय पुं० [सं.] कारखानु(२)छापखानुं यकृत् पुं० [सं.] काळजु; 'लिवर' यक वि० [फा.] एक
यक्का वि० [फा.] एक्को; अजोड (२) यक-कलम वि० पूरुं; कुल (२) अ० एकलं (३) पुं० एका-गाडी एकसाथे; एकझपट
यक्ष पुं० [सं.] एक देवयोनि यक-जबाँ,-बान वि० [फा.] एकवचनी यक्ष्मा पुं० [सं.] क्षय. -क्ष्मी पुं० क्षयरोगी यकजा अ० [फा.] एकत्र; एकळं . यख पुं० [फा.] हिम; बरफ (२) वि० यकजान वि० [फा.] एकदिल; खूब बहु ठंडु मळेला जीववाळू
यखनी स्त्री० [फा.] मांसनो शेरवो यकतरफ़ा वि० [फा.] एकतरफी यगानगत, यगानगी स्त्री० [फा. यगाँ] यकता वि० [फा.] एक्को; अद्वितीय; __ सगपण; संबंध (२) मेळ; एकता
अजोड. ०ई स्त्री० अद्वितीयता यगाना वि० [फा. सगुंसंबंधी (२) अजोड यक-बयक, यक-बारगी अ० [फा.] यजदान पुं० [फा.] ईश्वर, नाम अचानक; ओनितुं
(वि० -नी) यकमुश्त अ० [फा. एकसाथे यजन पुं० [सं.] होम यज्ञ करवो ते; हवन यक-लरूत अ० [फा.] एकदम; 'यक-कलम' यजमान पुं० [सं.] यज्ञ करनार. -नी यकलौता वि० एकलो ज (पुत्र). -ती स्त्री० पुरोहितनुं काम; गोरपदं वि० स्त्री० एकली ज (पुत्री) यजुर्वेद पुं० [सं.] यजुर् नामे वेद यकस वि० [फा.] एकसरखं यज्ञ पुं० [सं.] होम, हवन यकसू वि० [फा.] एक ज तरफनु (२) । यज्ञसूत्र, यज्ञोपवीत पुं० [सं.] जनोई
एकाग्र (३) स्थिर. ०ई स्त्री० यति पुं० [सं.] साधुसंन्यासी (२) योगी यकायक अ० [फा.] एकाएक; अचानक यतीम पुं० [अ.] अनाथ. ०खाना पुं० यक़ीन पुं० [अ.] विश्वास. - आना 3 _ अनाथालय. -मी स्त्री० अनाथता विश्वास पडवो. -करना, जानना = यतेंद्रिय वि० [सं.] जितेंद्रिय; संयमी विश्वास करवो. -दिलाना = खातरी यत्किचित् वि० [सं.] बहु थोडु; जूज आपवी. -लाना = विश्वास करवो; यत्न पुं० [सं.] प्रयत्न; उद्यम (२) उपाय; मानवं
उपचार
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४४२
यत्र
यत्र अ० [सं.] ज्यां
यथा अ०
[सं.] जेम; जेवी रीते [तेम ज यथातथ्य अ० [सं.] आबेहूब; बरोबर यथापूर्व अ० [सं.] जेमनुं तेम; पहेलां पेठे यथायोग्य अ० [ सं . ] घटारत; जेवुं घटे तेम यथार्थ वि० [सं.] साचुं; वाजबी (२) उचित यथावत् अ० [सं.] योग्य रीते ( २ ) जेमतेम
यथाविधि अ० [सं.] विधिपूर्वक यथाशक्ति यथाशक्य अ० [सं.] बने तेटलुं; शक्ति मुजब
यथासंभव अ [सं.] बने त्यां सुधी यथेच्छ यथेष्ट अ० [सं.] इच्छा मुजब; मनमान्युं
यथोक्त वि० [सं.] कह्या प्रमाणेनुं यथोचित वि० [सं.] योग्य; घटित यदा अ०[सं.] ज्यारे. ०कदा अ० कदी कदी; क्यारेक [ 'यद्यपि ' ; जोके यदि अ० [सं.] जो. ०च, ० चेत् अ० यदृच्छा स्त्री० [सं.] स्वेच्छा (२) सहज के अकस्मात बनवुं ते यद्यपि अ० [सं.] जोके यम पुं० [सं.] निग्रह; काबू (२) जम यमज, यमल पुं० [सं.] जोडकां बाळक मी स्त्री० [ सं . ] यमनी बहेन - यमुना नदी ta fro [.] जणुं ( २ ) पुं० जमणो हाथ (३) कसम, सोगन (४) कस; बळ यरकाना पुं० [अ.] कमळो; पांडुरोग यलगार स्त्री० [ तु.] हुमलो; चडाई यदा स्त्री० [फा.] लांबी अंधारी रात यव पुं० [सं.] जव धान्य यवन पुं० [ सं . ] यूनान -- ग्रीसनो वर्तनी ( २ ) आर्येतर जातिनो माणस; म्लेच्छ यवनिका स्त्री० [सं.] जवनिका; पडदो
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यादगार
यवास पुं० जवासो यश पुं० [सं.] जश; कीर्ति
यशब, - म पुं० [ अ ] एक जातनो पथ्थर; 'संगे - यशब' [ फतेहमंद यशस्वी वि० [सं.] यशवाळं (२) सफळ; यशी, ०ल वि० ( प. ) यशस्वी यष्टि, ०का स्त्री० [सं.] लाकडी यसार पुं० [अ] डाबो हाथ ( २ ) खूब संपत्ति (३) वि० डाबुं
यह स० आ (विभक्तिनां रूपमां 'इस' थाय छे. उदा० 'इसको'. व्रजभाषामां 'या' थाय छे. 'याको') यहाँ अ० अहीं
यही स० 'यह + ही'; आ ज यहूद पुं० पॅलेस्टाईन देश. - दिन स्त्री०
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यहूदी स्त्री. - दी पुं० 'यहूद' नो वतनी याचना स०क्रि० ( प. ) याचवुं; मागवुं या अ० [फा.] वा; अथवा (२) हे ! याकूत पुं० [ अ ] एक जातनो मणि याग पुं० [सं.] यज्ञ
याचक पुं० [सं.] मागनार याचना स०क्रि० मागवुं; याचवुं (२) स्त्री० [सं.] मागवुं ते; मागणी यातना स्त्री० [सं.] पीडा; कष्ट याता स्त्री० देराणी के जेठाणी यातायात पुं० [सं.] आवागमन यात्रा स्त्री० [सं.] प्रवास; सफर ( २ ) जात्रा; तीर्थाटन
यात्रावाल पुं० तीर्थनो पंडो यात्री पुं० [सं.] यात्राळु मुसाफर याथातथ्य, याथार्थ्य पुं० [सं.] यथार्थता;
सत्य
याद स्त्री० [ सं . ] स्मृति; स्मरण यादगार स्त्री० [फा.] स्मारक; स्मृतिचिह्न
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याददाश्त
यूरोपीय याददाश्त स्त्री० [फा.] स्मृति; याददास्त युक्त वि० [सं.] जोडायेलु (२) योग्य (३) (२) याद राखवा लखी के नोंधी -'वाळं'; 'सहित' (समासने अंते) लीधेलं ते
[आक्रमण युक्ति स्त्री० [सं.] उपाय;तरकीब करामत यान पुं० [सं.] वाहन (२) चडाई; (२) तर्क; न्याय यानी (-ने) अ० [अ. यअनी] याने; - युग पुं० [सं.] युग (२) जमानो (३) युगल. अर्थात्; एटले के
- युग-बहु दिवसो सुधी; घणो समय यापन पुं० [सं.] वीतवं-पसार थवं ते युगपत् अ० [सं.] एकीसाथे । याफ्त स्त्री० [फा. प्राप्ति (२) आवक युगल पुं० [सं.] जोडु [युगपलटो याफ्तनी स्त्री० [फा.] बाकी लेणं युगांतर पुं० [सं.] बीजो युग (२) क्रांति; याब [फा. (समासमां) 'प्राप्त करनार' यग्म पुं० [सं.] युगल; जोडं
ए अर्थमां. उदा० काम-याब(नाम.-बी) युत वि० [सं.] युक्त; सहित याबू पुं० [फा.] टट्ट
युद्ध पुं० [सं.] लडाई याम पुं० [सं.] पहोर -त्रण कलाक समय । युनिवर्सिटी स्त्री० [इं.] विश्वविद्यालय यामल पुं० [सं.] जोडकुं
युरोप पुं० [इं.] जुओ 'यूरोप' यामाता पुं० [सं.] जमाई
युरोपियन पुं० जुओ 'यूरोपियन' यामिक पुं० [सं.] चोकीदार
ययुत्सा स्त्री० [सं.] लडवानी इच्छा (२) यामिनी स्त्री० [सं.] रात्रि
शत्रुता. -त्सु वि० लडवा इच्छनार यार पुं० [फा.] यार; दोस्त (२) जार; युवक, युवा (०न) वि० [सं.] जुवान व्यभिचारी [यारवाज; विषयी
M युवती स्त्री० [सं.] जुवान स्त्री
व यार-बाश वि० [फा. मिलनसार (२) ।
युवराज पुं० [सं.] पाटवी कुंवर. -ज्ञी
तेनी पत्नी यार-मार वि० मित्रद्रोही
युवा,०न वि० [सं.] जुओ 'युवक' यारान पुं० [फा.] 'यार'नुं ब०व०; यारो । याराना वि० [फा. मित्रतानं; मित्र
यूँ अ० जुओ ‘यों
यक पुं०, -का स्त्री० [सं.] जू जेवू (२) पुं० मैत्री (३) व्यभिचार
यति स्त्री० [सं.] मेळ; मळवू ते यारी स्त्री० [फा.] मैत्री (२) व्यभिचार
यूथ पुं० [सं.] जूथ; समूह । याल स्त्री० [तु.] गरदन (२) याळ
यूथिका, यूथी स्त्री० [सं.] जूई (घोडा सिंह इ० नी)
यूनान पुं० युनान देश । यावर वि० [फा.] मित्र; सहायक; नानी वि० यूनाननू (२) स्त्री०
मददगार. -री स्त्री० मैत्री; मदद यनाननी भाषा के वैदक-पद्धति यावा वि० [फा.] उटपटांग; ढंगधडा यनिसिटी स्त्री० [इं.] युनिवर्सिटी
वगरनी (वात). -होना = उल्लु बनवू यूर (-रो)प पुं० [इं.] युरोप खंड यास स्त्री० [अ.] निराशा (२) भय; यूरिश स्त्री० [तु.] हल्लो; हुमलो
अंदेशो (३) पुं० [सं.] प्रयास [जूई युरोपीय, यूरोपियन वि० (२) पुं० यासम (-मी)न स्त्री० [फा.] चंपेली (२) युरोपy के तेनो रहेवासी .
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स ० ( 'यह' नुं ब०व० ) आ बधा येई स० (प.) जुओ 'यही' येऊ, -हू स० ( प. ) आ पण; 'यह भी ' येतो वि० ( प. ) जुओ 'एतो'; 'इतना ' यों अ० आम; आ प्रमाणे
यही अ० आम ज ( २ ) व्यर्थ ; विना खास प्रयोजन
1
योग पुं० [सं.] मेळाप (२) योग दर्शन योगरूढ़ि स्त्री० [सं.] खास अर्थमां प्रचलित समास. उदा० चंद्रभाल योगी पुं० [सं.] योग साधनार; जोगी योग्य वि० [सं.] उचित; वाजबी योजन पुं० [ सं . ] योजवुं ते; (२) चार
गाउ
कवि० [सं.] गरीब, निर्धन (२) कंजूस रंग पुं० [सं.] कलाई; 'रांग' (२) रंगभूमि (३) रंग (वर्ण वगेरे अर्थ मां . ) [ फा . पण ] --चूना या टपकना=भरजुवानीमां होवूं. - निखरना = चहेरो साफ ने चमकतो होवो. - मारना - जीतबुं - रलना = लहेर करवी. - लाना = प्रभाव के गुण देखाडवो रंगढंग पुं० हाल; दशा; स्थिति (२) वर्तन रंगत स्त्री० रंग (२) मजा;आनंद (३) दशा रंगतरा पुं० संतरुं रँगना स०क्रि० रंगवुं
४४४
रंगबिरंगा वि० रंगबेरंगी रंगभवन पुं० [सं.] जुओ 'रंगमहल' रंगभूमि स्त्री० [ सं . ] नाटकशाळा, अखाडो के युद्धक्षेत्र (२) मंच [ जगा रंगमहल पुं० आनंद उल्लास माणवानी
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रंगीनी
योजना स्त्री० [सं.] गोठवण; व्यवस्था; आयोजन
योद्धा पुं० [सं.] योद्धो
योनि स्त्री० [सं.] देव, पशु इ० जाति (२) उत्पत्तिनुं स्थान (३) स्त्रीनी योनि योम पुं० जुओ 'यौम' यौं अ० ( प. ) आम; आ रीते
यौत (तु) क पुं० [सं.] लग्ननी पहेरामणी; देज पैठण इ०
यौन वि० [सं.] योनि संबंधी यम पुं० [अ.] दिवस यौमिया पुं० [ अ ] रोजी (२) वि० रोजनुं (३) अ० रोज यौवन पुं० [सं.] जुवानी
रंगर ( -रे) ली स्त्री०मजा; लहेर; रंगरस रंगरूट पुं० लश्करमा दाखल थनार रँगरेज पुं० [फा.] रंगरेज ( स्त्री० - जिन)
रंगरेली स्त्री० जुओ 'रंगरली' रंगशाला स्त्री० [सं.] नाटकशाळा रंगसाज पुं० [फा.] रंगारो ( मकान इ०नो) (२) रंग बनावनार. -जी स्त्री० तेनो धंधो के काम [ मजूरी रँगाई, - , - वट स्त्री० रंगवानुं काम के तेनी रंगारंग वि० [फा.] रंगबेरंगी रंग ( - ) या पुं० 'रंगसाज'; रंगारो रंगी वि० [सं.] रंगीलुं; मोजीलुं रंगीन वि० [फा.] रंगवाळु रंगित ( २ ) रंगीलुं (३) मजेदार, रसिक. -नी स्त्री० 'रंगीन' होवुं ते (२) सजावट; शणगार
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रंगीला
रँगीला वि० आनंदी; रंगीलु; लहेरी (२) सुंदर; खूबसूरत रंगया पुं० जुओ 'रँगिया' रंच ( ०क) वि० रज; थोडुं; जरा रंज पुं० [फा.] दुःख; खेद (२) शोक; अफसोस ; पस्तावो
रंजन पुं० [सं.] रंगवुं ते (२) चित्तनुं रंजन; प्रसन्नता; राजी थवुं ते रंजिश स्त्री० [फा.] रंज पामवुं ते;
४४५
अणबनाव
रंजीदा वि० [फा.] नाराज; रंजाडायेल; दुभायेलु. - दगी स्त्री०
रंडा स्त्री० [सं.] रांड; विधवा डापा पुं० रंडापो; वैधव्य
रंजक पुं० [सं.] रंगरेज; रंगारो ( २ ). (२) अमीर; मोटो माणस
मेंदी (३) वि० रंगनार ( ४ ) रंजन करनार (५) स्त्री० [फा.] तोप बंदूक फोडवा रखातो थोडो दारू (६) [ला.] उकेरनारी वात
रंडी स्त्री० वेश्या; गुणका. ० बाज वेश्यागामी ०बाजी स्त्री० वेश्यागमन रँडुआ ( - वा) पुं० विधुर रंति स्त्री० [सं.] खेल; क्रीडा रँदना स०क्रि० रंदवुं; रंदाथी छोलबुं रंदा पुं० [फा.] रंदो रंधन पुं० [सं.] रांधवुं ते; रांधण रंध्र पुं० [सं.] काणुं; छिद्र (२) दोष रंभा पुं० कोश; नराज (२) स्त्री० [सं.] एक अप्सरा (३) केळ ( ४ ) गायनुं. बांगरडवं ते (५) सुंदर स्त्री (६) वेश्या रंभाना अ०क्रि० ( गायनुं) बांगरडवुं रहचटा पुं० चसको; लोभलालच रअय्यत स्त्री० [ अ ] रैयत; प्रजा ( २ ) सांथियो खेडूत (३) नोकर; अनुचर.
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रक्तबीज
० आजार वि० प्रजापीडक; अत्याचारी. ०दार पुं० हाकेम; राजा. ०वारी स्त्री० एक महसूल - पद्धति इअत स्त्री० जुओ 'रअय्यत'
रई स्त्री० रवैयो; नानी वलोणी (२) रवो रईस पुं० [अ.] जागीरदार; तालुकदार
रउरे स० आप; बीजा पुरुषनुं मानवाचक रऊनत स्त्री० [अ.] अभिमान रयत स्त्री० जुओ 'रअय्यत' रक़बा पुं० [ अ ] क्षेत्रपट रक़म स्त्री० [अ.] लखवुं ते (२) छाप; महोर (३) रकम; दागीना के धन (४) तरेह; प्रकार (५) रकम; संख्या रक़मी पुं० कांईक राहतथी खेडतो साथियो- एक जातनो खेडूत रकाब स्त्री० [अ.] रकाब; पेंगडुं रकाबत स्त्री० [ अ ] 'रक़ीब' होवुं ते; प्रेमनो झघडो [ (३) खवास रकाबदार पुं० [फा.] कंदोई (२) खानसामो काबा पुं० [फा.] मोटी थाळी; 'परात' रका ( - के) बी स्त्री० रकेबी रक़ीक़ वि० [अ.] पाणी जेवुं पातळं (२) कोमळ (३) दयाळु
Rata पुं० [अ.] रकीब; एकनी प्रियानो बीजो आशक
केबी स्त्री० जुओ 'रकाबी' रक्त पुं० [सं.] लोही (२) वि० रातुं; लाल (३) रंगायेलुं (४) अनुरागवाळं रक्तकंठ पुं० [ सं . ] कोयल ( २ ) रींगण रक्तपात पुं० [सं.] लोही रेडावुं ते; खूनरेजी रक्तपित्त पुं० [सं.] पत; कोढ रक्तबीज पुं० [सं.] दाडम (२) एक राक्षस
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रजत
रक्तस्त्राव
४४६ रक्तस्राव पुं० [सं.] लोही वहेवू- आंख फरकवी; अनिष्ट थवानी बीक नीकळवू ते
थवी
[नस रक्तार्श पुं० दूझता हरस
रगजा स्त्री० [फा.] सौथी मोटी-धोरी रक्तालु पुं० [सं.] रताळु
रगड़ स्त्री० रगडव, चूंटवू के घसq ते रक्ति स्त्री० [सं.] प्रेम; अनुराग (२)
(२) रगड; भारे महेनत (३) रगडो; रती; 'रक्तिका'
झघडो; पंचात (४) घसावाथी थतुं रक्तिका [सं.] रती वजन
चिह्न; उझरडो.-खाना धक्का खावा; रक्ष पुं० [सं.] रक्षा (२) रक्षक (३) राक्षस रगडपट्टी थवी. -देना = तंग करवं. रक्षक पुं० [सं.] रक्षा करनार (२) रखेवाळ -पड़ना = खूब महेनत पडवी रक्षण पुं०, रक्षा स्त्री० [सं.] बचावq ते; रगड़ना स० कि० रगडवू; घस, के पालन
चूंटवु (२) खूब महेनतपूर्वक करवु (३) रक्षागृह पुं० [सं.] प्रसूतिगृह (२) चोकी हेरान करवू (४) अ० क्रि० खूब रक्षित वि० [सं.]रक्षा पामेलु (२) आश्रित महेनत करवी रक्स पुं० [अ.] नृत्य. रक्से ताउस-मोर रगड़ा पुं० जुओ ‘रगड़'. ०झगड़ा जेवो नाच
पुं० लडाई; टंटो. -देना = रगडवू; रखना सक्रि० राखवू. रख छोड़ना= - घस राखी मूक
एब; दोष रगड़ान स्त्री० 'रगड़ा'; रगडवं ते रखना पुं० [फा.] बारी (२) खलेल (३) रगदना सक्रि० खदेडवू; दोडावq रखना-अंदाज वि० [फा.]विघ्न नांखनालं; रगबत स्त्री० [अ.] रुचि; चाह; इच्छा
अडचणकर्ता (नाम, -जी स्त्री०) रग-रेशा पुं० पांदडानी नसो (२) रखनी स्त्री० रखात
शरीरनी रगेरग-अंदरनां बधां अंग रखला पुं० जुओ 'रहँकला'
रचना स०वि० रचवू (२) स्त्री० [सं.] रखवाई,-ली स्त्री० रखेवाळी रचयू के रचायेलं ते; बनावट; कृति रखवार,-ला पुं० रखेवाळ
रचनात्मक वि० [सं.] रचनाने लगतं; रखवाली, रखाई स्त्री० जुओ 'रखवाई' जेमां रचवानुं करवानुं होय एवं; रखाना सक्रि० रखावq (२) रक्षा करवी
रचयिता पुं० [सं.] रचनार; निर्माता रखे (-ख)ली स्त्री० रखात . रचित वि० [सं.] रचेलं; बनावेलु रग स्त्री० [फा.] रग; नस (शरीर के रज पुं० [फा.] अंगूर पाननी). -उतरना = जिद के क्रोध रज पुं० [सं.] रजोगुण (२) स्त्रीनो ऊतरवो. -चढ़ना=जिदे के क्रोधे मासिक अटकाव (३) पराग (४) स्त्री० चडवू (२) रग चडवी- आधी पाछी रज; धूळनो कण थवी. -दबना दबावू; मानवं; कह्यामां रजक पुं० [सं.] धोबी.-की स्त्री० धोबण के प्रभाव तळे आवq. -फड़कना = रजत स्त्री० [सं.] चांदी (२) वि० धोळं
अमल
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रजनी
४४७
रफादफ़ा रजनी स्त्री० [सं.] रात्री (२) हळदर रत्ती स्त्री० रती वजन (२) रती;चनोठी रजवाड़ा पुं० रजवाडो; देशी राज्य रत्तीभर वि० रतीभार; बहु थोड़ें। रजस्वला वि० स्त्री० [सं.] वेगळी रत्थी स्त्री० ठाठडी।
बेठेली (स्त्री) [(२) अनुमति रत्न पुं० [सं.] रत्न; मणि रजा स्त्री० [अ.] रजा (मंजूरी; छूटी) रत्नाकर पुं० [सं.] समुद्र रजाइ स्त्री० (प.) आज्ञा; हुकम रथ पुं० [सं.] रथ गाडी. -थी पुं० रथमां रजाई स्त्री० [फा.] ओढवानी रजाई . बेसी लडनार योद्धो रजाकार पुं० [फा.] स्वयंसेवक [स्त्री०) रद पुं० दांत [सं.] (२) वि० 'रद्द' रजामंद वि० [फा.] सहमत. (नाम,दी रदच्छद, रदछद (प.),रदपट [सं.]पुं० होठ रजिस्टर पुं० [इ.] नोंधपत्रक
रदीफ़ स्त्री० [अ.] गजलमां काफिया रजिस्ट्री स्त्री० रजिस्टर कराववं ते बाद वारंवार आवतो शब्द रजील वि० [अ.] रजाळु; नीच; हलकट रदीफ़वार वि० [अ.+फा.] अक्षरक्रममा रजोगुण पुं० [सं.] राजस; प्रकृतिनो आवेल
एक गुण ऋतुधर्म-अटकाव रद्द वि० [अ.] रद करेल (२) खराब; रजोदर्शन, रजोधर्म पुं० [सं.] स्त्रीनो नकामुं; 'रद्दी' (३) स्त्री० ऊलटी रज्जाक़ पुं० [अ.] रोजी आपनार रद्द-बदल पुं० [अ.] रदबदल; फेरफार रज्जु स्त्री० [सं.] दोरडी; रसी (२) रद्दा पुं० [फा.] थर; पड. -जमाना = लगाम
आरोप मूकवो. -रखना = आरोप रज्म स्त्री० [फा.] युद्ध
मूकवो (२) थर उपर थर चडाववो रट स्त्री० रटवू ते; रटन (२) गोखण (३) खाईने वळी फरी खावू रटना स०क्रि० रटर्बु (२) गोखवू रद्दी वि० 'रद्द'(२)स्त्री० कागळनी पस्ती रण पुं० [सं.] युद्ध; जंग
रनबंका, रनबाँकुरा पुं० रणबंको शूरवीर रणसिंघा पुं० रणशिगुं
रन (-नि)वास पुं० रणवास;राणी-वास रत वि० [सं.] लीन आसक्त (२)पुं० मैथुन रपट स्त्री० लपसवं ते (२) ढाळ; उतार रतजगा पुं० जागरण (उत्सवादिन) (३) लांबी दोड; रपेटी (४) रिपोर्ट; रतन पुं० रत्न
सूचना; निवेदन रतनार (-रा) वि० रतूमडुं रपटना अ०क्रि० लपसq (२) रपेटी रतल स्त्री० [अ.] शराबनो प्यालो (२) - झपाटामां चालवू; झपाटवू रतल वजन
रपट्टा पुं० लपस ते (२) रपेटी; झपाटो रतालू पुं० रताळु
रफ़ वि० [इ.] काचुं; खरडारूप (२) रति स्त्री० [सं.] काम आसक्ति(२)संभोग खरबच९ [एक गरम रग रतूबत स्त्री० [अ.] भेज; भीनाश रफ़ल स्त्री० राईफल-बंदूक (२)ओढवानुं रतौंधा पुं०, -धी स्त्री० रतांधळाफ्णुं. रफ़ा, रफादफ़ा वि० [अ.] दूर करेलु (वि० -धिया = रतांधळं)
(२) निवृत्त; शांत
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४४८
रफ़ाह
रमैया रफ़ाह स्त्री० [अ.] सुख; आराम (२) रब्बाब पुं० जुओ 'रबाब' परोपकार
रमक पुं० प्रेमी; यार [सं.] (२) स्त्री० रफ़ीक पुं० [अ.] साथी; सहायक; मित्र लहेर; तरंग रफ़् पुं० [अ.] कपडं तूणq ते रमक स्त्री० [अ.] अंतिम श्वास (२) थोडो रफ़्गर पुं० तूणनार; तूणियो. -री भाग (३) नशानी थोडी असर के
स्त्री० तेनुं काम [भागी गयेखें रमकझमक (४) वि० थोडंक; जराक रफू-चक्कर वि० रफूचक्कर; गेब; रमकना अ०क्रि० हीडोळा पर झूलवू रफ्त वि० [फा.] गयेलं; गत
(२) डोलती चाले चालवू रफ्तनी स्त्री० [फा.] बहार जq ते (२) रमजान पुं० [अ.] हिजरी सननो नवमो. मालनी निकास
रोजानो मास रफ्तार स्त्री० [फा.] चाल; गति रमजानी वि० रमजानने लगतुं के ते रफ़्ता रफ्ता अ० [फा.] रफते रफते; मासमां जन्मेलं (२) भुखाळवू धीरे धीरे; क्रमशः
रमण पुं०[सं.] क्रीडा (२) संभोग (३) रब पुं० [अ]पालनपोषण करनार; ईश्वर
कामदेव (४) पति (५) वि० रमण रबड़ (-र) पुं० [इ.] रबर ।
करनार (६) प्रिय; सुंदर रबड़ना सक्रि० घुमावq; चलाव, (२)
रमणी स्त्री० [सं.] (सुंदर) स्त्री प्रवाहीने घुमरडी खवडाववी (३) रमणीक,-य वि० [सं.] सुंदर; मनोहर अ०क्रि० रवडवू; रखडवू
रमद पुं० [अ.] आंख लाल थई जवानी रबड़ी स्त्री० बासूदी
एक बीमारी रबदा पुं० चालवानो थाक (२) कीचड. रमना अ०क्रि० रमवू; आनंद के भोग
-पड़ना = खूब वरसाद थवो। विलास करवो (२) घूमवं; विचरवु (३) रबा (-वा)ब पुं० [अ.] सारंगी जेवू एक पुं० रमणुं; चोगान के चरो (४) बाग
वाद्य. -बिया पुं० ते वगाडी जाणनार के तेवू रम्य स्थान [एक विद्या रबी स्त्री० [अ. रबीअ] वसंत के ते । रमल पुं० [अ.]पासा नांखी जोष जोवानी ऋतुनी फसल - रवी पाक
रमा स्त्री० [सं.] लक्ष्मी । रबी-उल-अव्वल पुं० [अ.] अरबी वर्षनो रमाना सक्रि० रमाडq (२) मोहित बीजो मास
करवू; लोभाववं रबी-उल-आखिर, रबी-उस्सानी पुं० . रमीदगी स्त्री० [फा.] घृणा; नफरत [अ.] अरबी वर्षनो चोथो मास
रमीम वि० [अ.] जीर्ण; जरीपुराणुं रबीब पुं० [अ.] आंगळियो पुत्र (२) रमूज स्त्री० [अ. 'रम्ज़' नुं ब०व०] पालक-पितानो पुत्र
आंखनो इसारो (२) रहस्य; झीणी वात रब्त पुं० [अ.] रफ्त; महावरो (२) मेळ; रमती स्त्री० खेतीमा संढलनी रीत के संबंध. जन्त पुं० मेळ; खूब संबंध. तेनो दिवस -डालना = महावरो पाडवो; टेवावु रमैया पुं० (प.) राम; ईश्वर
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रसा रम्ज स्त्री० [अ.] जुओ 'रमूज' रवा-रवी स्त्री० जलदी; उतावळ रम्माल पुं० [अ.] रमली; (रमल - रवि पुं० [सं.] सूर्य (२) अग्नि (३) पासाथी) जोष जोनार
आकडो रम्य वि० [सं.] मनोहर; रमणीय रविश स्त्री० [फा.] गति; चाल (२) रम्हाना अ०क्रि० जुओ 'रँभाना' - ढंग; रीत; रवेश (३) क्यारीओमां रयन,-नि स्त्री० (प.) रयणी; रात वच्चे थई जती केडी के नानो रस्तो रया स्त्री० [अ.] दंभ; देखाडो (२) दगो रवैया पुं० [फा.] रवैयो; परिपाटी रयासत स्त्री० जुओ 'रियासत' रशीद वि० [अ.] बोध पामेलु (२) रय्यत स्त्री० जुओ ‘रअय्यत'; रैयत
सभ्य ने शिक्षित, संस्कारी रंकार पुं० रकार; 'र' ध्वनि रश्क पुं० [फा.] ईर्षा; दाझ रर्रा वि० राड पाडे एकुं; झघडाळु (२) । रश्मि पुं० [सं.] किरण (२) दोरी; भारे मांगण
लगाम (३) पापण; 'बरौनी' रली स्त्री० मजा; आनंद; खेल रस पुं० [सं.] स्वाद (२) मजा; आनंद रव पुं० [सं.] अवाज; गुंजारव (३) सार; निचोड (४) धातुनी रवकना अ०क्रि० झपाटवू; दोड, (२)
भस्मनी दवा उमंगमां आववं
रसकोरा, रसगुल्ला पुं० एक मीठाई रवन्ना पं० रवानगीनो भरतिया जेवो रसद वि० [सं.] रसप्रद (२) स्वादिष्ट कागळ (२) नाकेथी जवा देवानो (३) स्त्री० [फा.] भाग; वहेंचणी (४) परवानो - नाकानी रसीद
सीधुंसामान (५) [अ.] वेधशाळा । रवां वि. अ.] वहेतं (२) जारी; चाल रसदार वि० रसवाळू (२) स्वादिष्ट; (३) प्रचलित
मजेदार रवा पुं० दाणो; कण (२) रवो (३) वि०
रसना अ०क्रि० चूq के झमवू या धीरे [फा.] उचित; वाजबी
धीरे झर, (२) रसमग्न के तन्मय रवाज स्त्री० [फा. रिवाज; चाल; रीत.
थर्बु (३) स्त्री० [सं.] जीभ -देना = रिवाज पाडवो; जारी कर.
रसनेंद्रिय स्त्री० [सं.] रसना; जीभ -पकड़ना = रिवाज थवो; जारी के
रसपति, रसराज (-य) पुं० [सं.] चंद्रमा चालु थर्बु
कणकीदार
(२) शृंगार रस (३) पारो (४) रवादार वि० संबंध राखनाएं (२)
वसंत ऋतु विलायती फळ रवानगी स्त्री० [फा.] रवाना थर्बु ते;
रसब (-भ)री स्त्री० [इं. रासबेरी] एक प्रयाण
रसम स्त्री० जुओ 'रस्म' रवाना वि० [फा.] मोकलेलं के गयेलं रसमसा वि० तरबोळ (२) रसमय रवाब,-बिया पुं० जुओ 'रबाब,-बिया' रसराज,-य पुं० जुओ 'रसपति' । रवायत स्त्री० [अ.] कहेवत (२) पुराणी रसा वि० [फा.] 'पहोंचाडनार' ए कथा
अर्थमां शब्दने अंते.दा० त० 'चिट्ठीरसाँ' हिं-२९
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रसा ४५०
रहना रसा स्त्री० [सं.] रसना (२) पृथ्वी (३) रसोई स्त्री० रसोई (२) रसोडु
पुं० रसो (४) वि० [फा.] पहोंचनार रसोईखाना, रसोई-घर पं० रसोड् । रसाई स्त्री० [फा.] पहोंचवू ते(२) पहोंच; रसोईदार पुं० रसोइयो. -री स्त्री०
प्रवेश (३) ओळख (४) धीरज; सबूरी तेनुं काम रसादार वि० रसावाळू (शाक) रसोन पुं० [सं.] जुओ 'रसुन' रसायन पुं० [सं.] रसायण शास्त्र (२) रसौत स्त्री० एक दवा भस्मवाळी औषधि
रसौता पुं०, -ती स्त्री० वरसाद थता रसाल पुं० [सं.] शेरडी (२) आंबो पहेलां कराती वावणी
(३) वि० रसाळ; मीठु के सुंदर रसौर पुं० जुओ 'बखीर' रसाला पुं० जुओ 'रिसाला' (२) स्त्री० रसौली स्त्री० रसोळी [सं.] दहींनी एक वानी; 'सिखरन' रस्ता पुं० जुओ 'रास्ता' (३) द्राक्ष (४) जीभ
रस्म स्त्री० [अ.] 'रसम'; रिवाज (२) रसाव पुं० झमवू के चूq-'रसना'-ते वर्तन; व्यवहार रसावर (-ल) पुं० जुओ 'रसौर'- रस्म-उल्-खत पुं० [अ.] लिपि 'बखीर'
रस्सा पुं० रसो; जाडु दोरडु रसिक वि० [सं.] रस पडे एवं; रसयुक्त रस्सी स्त्री० रसी; दोरडी
(२) रसज्ञ; रसियु (३) प्रेमी; विलासी रहँकला पुं० रेकडी के तेवी (तोप रसिया पुं० रसियो (२) फागणमां
लादवानी) नानी गाडी गवातुं एक प्रकारचें गायन रहें (-ह) चटा पुं० चसको; लालसा रसीद स्त्री० [फा.] पहोंच, ते के तेनी रहॅट पुं० [सं. आरघट्ट रहेंट। पावती. -करना = पहोंचतुं करवु (२) रहँटा पुं० (प.) रेंटियो दई देवू; मारवं. -काटना = रसीद रहँटी स्त्री० लोढवानो चरखो (२) दर फाडवी के आपवी
महिने अमुक हपते आपवाना करीने रसील (प.), -ला वि० रसीलु (२) अपातुं उधार
स्वादिष्ट (३) रसियुं (४)छबीलु; सुंदर रह स्त्री० 'राह' नुं समासमां आवतुं रसु(-सो)न पुं० लसण; 'लहसुन' रूप. दा० त० रहगुजार, रहजन इ० रसूम पुं० [अ. 'रस्म' नुं ब०व०] नियम; रहचटा स्त्री० जुओ 'रहँचटा' धारो (२) धारा प्रमाणे आपवाना रहजन पुं० [फा.] जुओ 'राहजन'. -नी लागानुं धन. उदा० रसूम अदालत स्त्री० डकाटी; लूट अदालतमां केस करवा आप, पडतुं रहन,-नि, नी स्त्री० रहेणी के रहेवं ते धन; कोर्ट-फी .
रहन-सहन स्त्री० रहेणीकरणी । रसूल पुं० [अ.] पेगंबर; ईश्वरनो दूत. रहना अ०क्रि० रहे. रहा जाना-ली वि० रसूल संबंधी
रहेवावु (प्रायः आ प्रयोग नकार साथे). रसोइया पुं० रसोइयो; महाराज रहा-सहा = थोडंधणुं बचेलं; रघुसा
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रहनि
रहनि, ती स्त्री० जुओ 'रहन' रहनुमा वि० [फा.] मार्गदर्शक; राहबर रहनुमाई स्त्री० [फा.] मार्गदर्शन, दोरवणी रहबर वि०, -री स्त्री० जुओ 'राहबर, - री '
रहम पुं०[अ.] रहेम; दया (२) गर्भाशय रहमत स्त्री० [ अ ] रहेमत; दया; महेरबानी रहमान वि० [ अ ] दया करनार ( २ ) पुं० ईश्वर; रहेमान
रहा-सहा वि० जुओ 'रहना' मां रहित वि० [सं.] - विनानुं; हीन रहिला पुं० चणा
४५१
रहल स्त्री० जुओ 'रिहल' [रवाल रहवाल स्त्री० [फा. रहवार ] घोडानी रहस पुं० [सं.] रहस्य; छूपी वात ( २ ) एकान्त (३) आनंद; खेल रहसना अ० क्रि० ( प. ) आनंदवुं राचबुं रहस्य पुं० [सं.] छूपो भेद ( २ ) मर्म सार रहाइश स्त्री० रहेणीकरणी ( २ ) रहेठाण रहाई स्त्री० 'रहन' (२) चेन; आराम रहावन पुं० गामनां ढोरने भेगां थई बेसवानी जगा पादर
रहीम वि० [ अ ] रहेमवाळु; महेरबान; कृपाळु (२) पुं० ईश्वर
रॉक वि० रंक; रांक; गरीब; सालस रंग पुं० 'रंग'; कलाई राँगा पुं० सीसुं
स्त्री० रांड; विधवा (२) रंडी; वेश्या राँध अ० पासे; पडोशमां
- पड़ोस पुं० अडोशपडोश रांधना स०क्रि० रांधवु; पकाववुं भिना अ० क्रि० ( गायनं) बांगरडं राइ (-य) पुं० राय; राजा; दरबार राइ ( - य ) ता पं० राईतुं
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राछ
राइफल स्त्री० [इं.] राइफल बंदूक राई स्त्री० राई तेजानो (२) राई जेटलुं माप. - काई करना = राई जेवडा टुकडा करवा. जोन उतारना = राई मरचां उतारवां-नजर उतारवी. से पर्वत करना = राईनो पर्वत- रजनुं गज करवुं
[वीर
राउ पुं० (प.) राजा; राय राउ ( - ब ) त पुं० ( प. ) क्षत्री; सरदार; राउ ( -व) र पुं० रणवास; जनानो (२) वि० ( प. ) आपनं; 'रावर' राकस पुं० ( प. ) राक्षस. -सिन, सी स्त्री० राक्षसी [-केश पुं० चंद्र राका स्त्री० [सं.] पूनमनी रात. ० पति, राक़िम वि० [ अ ] राकिम; लेखक राक्षस पुं० [सं.] दैत्य. -सी स्त्री० राख स्त्री० रख्या; राखोडी राखना स०क्रि० ( प. ) रक्षवुं; राखवुं (२) रोकवुं
राखी स्त्री० राखडी (२) राख; खाक राखी-पूनो स्त्री० बळेव; राखडीनी पूनम राग पुं० [सं.] गावानो राग (२) मननो राग - प्रेम, चाह (३) लालच; इच्छा (४) ईर्षा; मत्सर (५) लाल रंग. - गिनी स्त्री० रागणी. गी वि० रागवाळु [ इच्छावाळु रागिब वि० [ अ ] 'रग़बत' - रुचि के रागी वि० [सं.] जुओ 'राग' मां राघव पुं० [सं.] रामचंद्र राचना स०क्रि० ( प. ) रचवुं; बनाववुं (२) अ० क्रि० रचावुं; बनवुं (३) राचवुं; माणवुं (४) रंगे रंगावुं राछ पुं० वणकरनुं राच (२) जान के सरघस (३) घंटीनो खीलडो
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राज
४५२
राज्याभिषेक राज पुं० राज्य (२) राजा (३) कडियो राजश्री स्त्री० [सं.] राज्यलक्ष्मी; राजानी राज पुं० [फा.] रहस्य; मर्म
विभूति राजकर पुं० [सं.] जुओ 'राजस्व' राजस वि० [सं.] रजोगुणी (२) पुं० राजकाज पुं० राज्यव्यवस्था; राज्यनुं क्रोध; जुस्सो
[सत्ता कामकाज, नीति इ० [संबंधी राजसत्ता स्त्री० [सं.] राजा के राज्यनी राजकीय वि० [सं.] राजा के राज्य राजसभा स्त्री० [सं.] राजानी सभा; राजकुँअर (प.), राजकुमार [सं.] पुं० दरबार (२) राज्यनी सभा-संसद राजकुंवर; राजपुत्र
राजसूय पुं० [सं.] (सम्राटनो) एक राजगद्दी स्त्री० राजगादी; राजपाट प्रकारनो यज्ञ राजगीर पुं० 'राज'; कडियो.-री स्त्री० राजस्व पुं० [सं.] राजाने आपवानो कर राजत पुं० [सं.] रजत; चांदी (२) वि० राजहंस पुं० [सं.] एक प्रकारनो हंस चांदीनुं
तेनी सजा राजा पुं० [सं.] राजा; नृप..धिराज पुं० राजवंड पुं० [सं.] राज्यनुं शासन के __ महाराजा; सम्राट [(२) राई राजदूत पुं० [सं.] एलची
राजि (-जी) स्त्री० [सं.] पंक्ति; हार राजद्रोह पुं० [सं.] राज्य के राजा सामे राजिक पुं० [अ.] अन्नदाता (२) ईश्वर काम करवू ते
राजिका स्त्री० [सं.] जुओ ‘राजि' (२) राजधानी स्त्री० [सं.] राज्य- पाटनगर अळाई
शोभतुं राजना अ०क्रि० (प.) राजवू; शोभवू राजित वि० [सं.] बिराजेखें (२) राजतुं; (२) बिराजवू [रायण झाड राजी स्त्री० [सं.] जुओ ‘राजि' राजन्य पुं० [सं.] राजा (२) क्षत्रिय (३) राजी वि० [अ.] राजी; संमत (२) राजपथ पुं० [सं.] धोरी रस्तो; राजमार्ग ___नीरोग (३) राजी; खुश (४) सुखी राजपूत पुं० राजपुत्र; रजपूत. -ताना (५) स्त्री० 'रजामंदी'; सहमती. पुं० रजपूताना प्रदेश
०खुशी स्त्री० क्षेमकुशळ राजबाहा पुं० सौथी मोटी-मुख्य नहेर, राजीनामा पुं० [फा.] (वादी प्रतिवादीना) जेमांथी नानी फूटती जाय
झघडानी पतावटनुं सुलेहनामुं राजभक्त पुं० [सं.] राजा के राज्यनुं राजीव पुं० [सं.] कमळ
भक्त, वफादार.-क्ति स्त्री०वफादारी राज्ञी स्त्री० [सं.] राणी राजभवन पुं० [सं.] राजानो महेल राज्य पुं० [सं.] राजानो देश (२) शासन; राजभोग पुं० एक अनाज (२) बपोरनुं हकूमत; सत्ता (ठाकोरजीने धरातुं) नैवेद्य
राज्यतंत्र पुं० [सं.] राज्य-तंत्र शासनप्रथा राजमहल पुं० राजमहेल
राज्यपाल पुं० [सं.] राज्यप्रदेशनो गवर्नर राजमार्ग पुं० [सं.] जुओ ‘राजपथ' । राज्यव्यवस्था स्त्री० [सं.] राजकारभार राजरोग पुं० [सं.] क्षय
राज्याभिषेक पुं० [सं.] राजगादी पर राजर्षि पुं० [सं.] क्षत्रिय ऋषि बेसाडq ते के तेनो विधि
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राहुल
राहु ( - तु) ल पुं० कंपाण; मोटो कांटो राड़ वि० नीच; क्षुद्र (२) कायर राणा (ना) पुं० राणो; राजा रात स्त्री० रात्रि
राता वि० (प.) रातुं लाल (२) रंगेलुं रातिब पुं० [अ.] रातब; रोजनुं बांधेलुं सीधुं ( प्रायः हाथी वगेरे पशुनुं) रातुल पुं० जुओ 'राहुल' रात्रि -त्री स्त्री० [सं.] रात राधना स०क्रि० ( प. ) आराधवुं रान स्त्री० [फा.] जांघ राना पुं० राणो; राजा
रानी स्त्री० राणी (२) शेठाणी;स्वामिनी राब स्त्री० शेरडीना रसने उकाळी मध जेवो करे छे ते पदार्थ राबड़ी स्त्री० ' रबड़ी; बासूदी राता, राबिता पुं० [अ.] मेळ (२) संबंध राम पुं० [सं.] रामचंद्र (२) ईश्वर (३) वि० [फा.] सेवक (४) आज्ञांकित. - करना = ताबे करवुं.. . - शरण होना : साधु थवुं (२) मरी जवुं राम-कहानी स्त्री ० लांबुं रामायण; लांबु वर्णन
=
राम-जना पुं० एक वर्णसंकर जाति. -नी स्त्री० गुणका; वेश्या रामतरोई स्त्री० भींडो
रामतारक पुं० [सं.] 'रां रामाय नमः' ए राममंत्र [ रामजयंती रामनवमी स्त्री० [सं.] चैत्र सुद नोम - रामनामी पुं० रामनाम छापेलुं कपड़े रामनौमी स्त्री० रामनवमी रामरज स्त्री० गोपीचंदन - पीळी माटी रामरस पुं० मीठं (२) भांग राम-राम पुं० प्रणाम (२) स्त्री० भेट;
४५३
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राष्ट्र
मुलाकात. -करके = भारे मुश्केलीथी. - हो जाना = मरी जवुं रामलीला स्त्री० [सं.] रामायणनी कथानुं - रामनी लीलानुं नाटक रामसनेही पुं० एक वैष्णव संप्रदाय रामा स्त्री० [सं.] स्त्री; रमणी - सुंदर स्त्री रामावत पुं० ( रामानंद प्रणीत ) एक वैष्णव संप्रदाय
राय स्त्री० [अ.] मत; अभिप्राय; सलाह. - कायम करना = = ठराववु राय पुं० राजा (२) सरदार (३) भाट रायगाँ वि० [फा.] व्यर्थ; नकामुं राज वि० [अ] प्रचलित; चालु रायता पुं० ' राइता'; रायतुं रायल वि० [इं. रॉयल ] शाही; राजवी (२) स्त्री० रॉयल कद (कागळनुं) रायसा पुं० रासो
रार पुं० राड; झघडो; तकरार
राल स्त्री० [सं.] राळ (२) [सं. लाला ] लाळ, थूक. - गिरना, चूना, टपकना = लाळ गळवी
राव पुं० राजा (२) सरदार; अमीर रावटी स्त्री० नानो तंबू - डेरो (२) नानी छापरी के खुल्ली अडाळी रावत पुं० जुओ 'राउत ' रावर पुं० (२) वि० जुओ 'राउर' रावल पुं० राजा; रावळ (२) (प.) 'रावर'; अंतःपुर
रावी पुं० [अ.] कथावार्ता कहेनार के
लखनार
राशि स्त्री० [सं.] ढगलो ( २ ) नक्षत्रनी राशि
राशी पुं० [अ.] लांचियो; रुशवत लेनार राष्ट्र पुं० [ सं . ] देश; राज्य; 'क़ौम'
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राष्ट्रपति ४५४
रिकाब राष्ट्रपति पुं० [सं.] देशना राज्यनो पकडीने के केडे केडे चालवू (२) थाक अध्यक्ष [चालु एक भाषा
लागवो राष्ट्रभाषा स्त्री० [सं.] आखा राष्ट्रनी राहखर्च पुं० [फा. वाटखरची राष्ट्रीय वि० [सं.] राष्ट्रन के तेने लगतुं राहगीर पुं० [फा.] वटेमाणु; मुसाफर रास पुं० [अ.] भूशिर (२) पशुओनी राहगुजर पुं० [फा.] सडक; रस्तो संख्या जोडे वपराय छे.उदा० 'चालीस राहचलता पुं० 'राहगीर'(२)रस्ते जतोरास बैल' चालीस बळद (३) स्त्री०
त्राहित माणस लगाम (४) वि० [फा. रास्त] अनुकूळ; राहजन पुं० [फा.] लूटारो; डाकु; वाटपाडु ठीक
(२) रासमंडळी राहजनी स्त्री० [फा.] लूट; धाड रास पुं० [सं.] रासक्रीडा के तेनुं गीत राहत स्त्री० [अ.] सुख; आराम रास स्त्री० राशि; ढग (२) नक्षत्र राशि राहदार पुं० [फा. नाकुं लेनार; नाकेदार (३) दत्तक (४) व्याज. ०नशीन वि० राहदारी स्त्री० [फा.] रस्तानो कर; नाकुं दत्तक लीधेलं
राहबर पुं० [फा.] मार्गदर्शक; भोमियो. रासना पुं० जुओ 'रास्ना'
-री स्त्री० मार्गदर्शन रासभ पुं० [सं.]गधेडो. -भी स्त्री० गधेडी - राह व रब्त, राह व रस्म स्त्री० रासायन,-निक वि० [सं.] रसायन संबंधी [फा.+अ.] मेळ; बनाव रासिख वि० [अ] दृढ; पक्कू राह-रस्म पुं०, राह-रीति स्त्री० लेणरासो पुं० रासो-वीररसनुं एक काव्य
देण; व्यवहार; संबंध रास्त वि० [फा.] ठीक; साचुं; वाजबी राहिन पुं० [अ.] गीरो राखनार (२) सीधुं; सरळ (३) अनुकूळ राहिब पुं० [अ.] एकांतवासी; त्यागी रास्तगो वि० [फा.] साचं कहेनार राही पुं० [फा.] वटेमागें । रास्तबाज वि० [फा.] साचं: ईमानदार. राहोरब्त, राहोरस्म पुं० जुओ 'राह -जी स्त्री० सच्चाई; ईमानदारी __ व रब्त', 'राह व रस्म' रास्ता पुं० [फा.] रस्तो (२) उपाय। रिंगना अ०क्रि० जुओ 'रंगना' (३) प्रथा; चाल. -कटना= रस्तो रिद पुं० [फा. नास्तिक (२) स्वच्छन्दी कपावो. -काटना = चालवामां कोईनी (३) वि० मस्त; मदमस्त । आडे ऊतरवू. -देखना = वाट जोवी. रिदा वि० निरंकुश; उद्दाम -बताना= रस्ते पडवानु-जवायूँ कहेवू रिआ (-या)यत स्त्री० [अ.] नरम के (२) दोरवू; मार्गदर्शन करवू दयाभर्यो व्यवहार (२) कमी; छूटछाट रास्ना पुं० [सं.] एक औषधि (३) ख्याल; विचार राह स्त्री० [फा.] राह; रस्तो. -ताकना, रिआयती वि० [अ.] 'रिआयत' वाळं -देखना वाट जोवी.-पड़ना = रस्तो रिआया स्त्री० [अ.] रैयत । पडवो (२) जवू; रस्ते पडq (३) (प.) रिकशा पुं० [ई.] रिक्षागाडी लूट; वाट पाडवी. -लगना=रस्तो रिकाब स्त्री० जुओ 'रकाब'
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४५५
रिकाबी
रीर रिकाबी स्त्री० जुओ 'रकाबी' रिश्ता पुं० [फा. नातो; संबंध रिक्कत स्त्री० [अ.] दया; कृपा रिश्तेदार पुं० [फा.] सगो; संबंधी. -री रिक्त वि० [सं.] खाली; शून्य (२) निर्धन स्त्री० सगाई; संबंध रिच्छ पुं० (प.) रीछ
रिश्वत स्त्री० [अ.] लांचः ०खोर वि० रिजक पुं० [अ. रिक] रोजी; निर्वाह. लांचियुं
-मारना = निर्वाहमां बाधा नांखवी रिस स्त्री रीस; गुस्सो. हा वि० क्रोधी रिजर्व वि० [इ.] खास अंकित . रिसाना अ०क्रि० रिसावं; गस्से थवं रिज्वान पुं० [अ.] स्वर्ग के तेनो दारोगो रिसानी स्त्री० (प.) रीस रिजाली स्त्री० रजाळपणुं; नीचता । रिसाल पुं० राज्यनो कर काम रिझा (व०)ना सक्रि० रीझवप्रसन्न रिसालत स्त्री० [अ.] पेगंबरी (२) दूतनुं के राजी कर
रिसालदार पुं० [फा.] रसालदार रिझाव पुं० रीझवू ते; प्रसन्नता रिसाला पुं० [फा. घोडेसवारोनो रसालो रिटायर वि० [इ.] निवृत्त; 'रिटायर्ड' (२) नानी चोपडी-चोपानियुं, मासिक रिद्धि स्त्री० [सं.] समृद्धि; ऋद्धि . वगेरे जेवू रिपु पुं० [सं.] शत्रु; दुश्मन रिहल स्त्री० [अ.] पुस्तक राखवानी घोडी रिपोर्ट स्त्री० [ई.] हेवाल. ०र पुं० रिहलत स्त्री० [अ.] कूच; रवानगी (२)
खबरपत्री [(३) मोटाई । मरण; परलोकगमन रिफ़अत स्त्री० [अ.] ऊंचाई (२) उन्नति रिहा वि० [फा.] मुक्त; छूटुं रिमझिम अ० झरमर झरमर (वरसवं) रिहाइश स्त्री० जुओ 'रहाइश'
(२) स्त्री० वर्षानी फरफर रिहाई स्त्री० [फा.] छुटकारो; मुक्ति रियह पुं० [अ.] फेफसुं
रीधना सक्रि० 'राँधना'; रांधवं रिया स्त्री॰ [अ.] छळकपट. ०ई, कार री अ० अली (सखीनुं संबोधन) वि० कपटी; धूर्त; दगाबाज
रीछ पुं० रीछ (स्त्री० रीछनी) रियाज पुं०, ०त स्त्री० [अ.] परिश्रम; रोझ स्त्री० रीझवू-राजी थq ते; खुशी
महेनत (२) तप (३) अभ्यास रीझना अ०क्रि० रीझवू; राजी थq (२) रियाजी स्त्री० [अ.] गणित; ज्योतिष मुग्ध थq; मोह पामवं इ० विद्याओ; गणितविद्या
रोठा पुं०, रीठी स्त्री० अरीठी के अरीठे रियायत स्त्री० जुओ 'रिआयत' रीढ़ (-र) स्त्री० करोड़; मेरुदंड रियासत स्त्री० [फा.] राज्य; हकूमत रीत,-ति स्त्री० जुओ 'रीति' (२) वैभव; अमीरी. -ती वि० रीता वि० रिक्त; खाली 'रियासत' संबंधी [शरीरनो वायु रीति स्त्री० [सं.] रीत; ढंग (२) प्रथा; रियाह स्त्री० [अ. 'रीह' नुं ब० व.] रिवाज (३) शैली रिवाज पुं० [अ.] धारो ; प्रथा; चाल रीम स्त्री० [ई.] कागळy रीम (२) परु रिवाल्वर पुं० [इ.] तमंचो; पिस्तोल रीर स्त्री० जुओ रीढ़'
j iijjeljil
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रीस
४५६
हवा
रीस स्त्री० 'रिस'; क्रोध (२) ईर्ष्या; रुचना अ०क्रि० रुचवू; गमवू दाझ (३) स्पर्धा; बराबरी. -करना=3 रुचि स्त्री० [सं.] इच्छा; भाव (२) भूख बराबरी करवी; स्पर्धवं
रुचिकर वि० [सं.] सुंदर; प्रिय (२) भूख रोसना अ०क्रि० रिसावं; गुस्से थर्बु उघाडे एवं
पीडा रोह स्त्री० [अ.] अपानवायु (२) वा; वायु रुज पुं०, रुजा स्त्री० [सं.] भांग (२)रोग; रुंज पुं० एक वाद्य
रुजी वि० बीमार; रोगी लागेलं रुड पुं० [सं.] धड
रुजू वि० [अ.] कशामा प्रवृत्त थयेखेंरुंदवाना सक्रि० 'रौंदना' नुं प्रेरक रुठ पुं० क्रोध; गुस्सो । रुंधना अ०क्रि० रूंधावू ('सँधना' नुं रुठना अ०क्रि० 'रूठना'; रूठवू __ कर्मणि)
रुठाना सक्रि० रूठवq; नाराज करवु रुअब पुं० जुओ 'रोआब'
रुतबा पुं० [अ.] होद्दो; पद (२) प्रतिष्ठा रुआ पुं० (प.) 'रोआँ'; रूवं; रोम
रुदन पुं० [सं.] रोवू ते रुआ(-वा) ब पुं० जुओ ‘रोआब' रुद्ध वि० [सं.] रोकायेलु; बंध; घेरायेलं रुकना अ०क्रि० रोकावू; अटकवू रुद्र वि० [सं.] भयानक (२) पुं० शंकर के रुकाव पुं०, ०८ स्त्री० रोकाण; बाधा; तेना गण (जेनी माळा बने छ) अंतराय; विघ्न
रुद्राक्ष पुं० [सं.] एक वृक्ष के तेनुं बीज रुक्का पुं० [अ.] रुक्को; चिट्ठी रुद्राणी स्त्री० [सं.] पार्वती रुक्न पुं० [अ.] स्तंभ
रुद्री स्त्री० शिवनी स्तुतिनुं एक स्तोत्र रुक्म पुं० [सं.] सोनुं
रुधिर पुं० [सं.] लोही झणकार रुक्ष वि० [सं.] लूखं; शुष्क (२) कठोर रुनझुन, रुनुकझुनुक स्त्री० रूमझूम करतो रुख पुं० [फा.] गाल (२)मों (३) मों पर। रुपना अ०क्रि० रोपावं; 'रोपना'नं कर्मणि जणाती मननी इच्छा (४) कृपादृष्टि
___ रुप(-4)या पुं० रूपियो (२) धन; (५) शेतरंजनुं महोरं - हाथी (६) अ० संपत्ति. पंसा पुं० धन; संपत्ति तरफ; बाजूए
रुपहरा, -ला वि० रूपेरी; चांदी जेवू रुखदार वि० [फा. पडतो; घटतो (भाव) रुबा वि० [अ.] चोथा भागनुं रुखसत स्त्री० [अ.] आज्ञा (२) रवानगी रुबाई स्त्री० [अ.] रुबायत; एक चरण
(३) छुट्टी; रजा [अपातं धन . रुमाल पुं० जुओ 'रूमाल' रुखसताना पुं० [फा.] विदाय देती वेळा रुमाली स्त्री० पट्टीवाळो त्रिकोणाकार रुखसती स्त्री० [अ.] विदाय; वळावq ते लंगोट (२) मगदळनो एक दाव रुखसार पुं० [फा.] गाल; कपोल रुरुआ पुं० एक जातनो मोटो घुवड रुखाई स्त्री० रूक्षपणुं; शुष्कता (२) । रुलाई स्त्री० रोवू ते; रुदन कठोरता
रुलाना सक्रि० रडावq (२) रोवडाववं; रुखानी स्त्री० सुतारनी फरसी नष्ट के खराब कर रुग्ण वि० [सं.] मांदु; बीमार रुवा पुं० शीमळा- रू
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स्वाब
रूबराह रुवाब पुं० जुओ 'रोआब'
रूखासूखा वि० लूटुंसूकुं; साईं साधारण; रुष्ट वि०[सं.] रोषे भरायेलं; नाराज जाडु पातळं (खावानु) रुसवा वि० [फा.] बदनाम (नाम, रूठ (प.), ०न स्त्री० रूठवू ते; क्रोध
रुसवाई स्त्री०) विश्वास रूठना अ०क्रि० रिसावू [वि॰ स्त्री० रुसूख पुं० [अ.] दृढता (२) मेळ (३) । रूड़,-डो (प.) वि० रूडु; सुंदर. -ड़ी रुसूम पुं० ब० व० [अ.] जुओ 'रसूम' रूढ़ वि० [सं.] आरूढ; चडेलु (२) पेदा रसूल पुं० जुओ ‘रसूल'
__ थयेलं (३) रूढ; चालु (४) गमार; जड रुस्त वि० [फा.] ताकातवाळं; मजबूत रूढ़ि स्त्री० [सं.] चडवू ते (२) जन्म;
(२) बहादुर (३) स्त्री० ऊगर्बु ते । उत्पत्ति (३) रूढि; चाल; रिवाज रुस्तम पुं० [फा.] प्रसिद्ध फारसी रूदाद स्त्री० समाचार; हेवाल (२) पहेलवान (२) बहादुर, वीर. छिपा दशा; हाल (३) वर्णन (४) अदालतमा रुस्तम %D देखवामां सीघोसादो पण केसवें कामकाज .. खरेखर रुस्तम जेवो बहादुर; छू' रत्न. रूनुमाँ वि० [फा.] जाहेर; प्रगट; खुल्लुं. रुस्तमका साला = (व्यंग) बडु बहादुर -माई स्त्री० मों बताव, ते; मोंजोj रुस्तमी स्त्री० बहादुरी (२) जबरदस्ती रूप पुं० [सं.] रूप; आकार (२) वेश (३) रुहजान पुं० वलग; रुचि, वृत्ति सूरत; सिकल (४) सुंदरता (५) (प.) रहेला पुं० रोहिला जातनो पठाण. रू'. -भरना-वेष लेवो; रूप धरवं -लखंड पुं० रोहिलखंड
रूपक पुं० [सं.] नाटकनो एक प्रकार (२) रूंगटा पुं० जुओ 'रोंगटा' [करवी एक काव्यालंकार (३) रूप; मूर्ति; रुधना सक्रि० रूंधवं (२) घेरवं; वाड
प्रतिकृति रू पुं० [फा.] मों (२) कारण; सबब. रूपजीविनी स्त्री० [सं.] वेश्या
-से = रूए; अनुसार; मुजब रूपरंग पुं० [सं.] सिकल; चहेरो; रूप रूई स्त्री० रू (२) रू जेवं रूंछु. ०दार रूपरेखा स्त्री० [सं.] खोखं; आकार; वि० रू भरेलु
ट्रंको चितार रूईदगी स्त्री० [फा.] वनस्पति रूपा पुं० रू'; चांदी रूईदार वि० जुओ 'रू' मां रूपोश वि० [फा. छुपुं; गुप्त (२) मों रूए स्त्री० [फा.] 'रू'; चहेरो (२) कारण छुपावतुं; भागी छूटेलं रूएदाद स्त्री० [फा. जुओ 'रूदाद' रूप्य वि० [सं.] रूपाळ; सुंदर (२) पुं० रूक्ष वि० [सं.] जुओ 'रुक्ष'
रूपुं. ०क पुं० रूपियो रूख,०ड़ा पुं० (प.) वृक्ष; झाड रूबकार पुं० [फा.] रूबरू करवू ते (२) रूखा वि० लूखं; रूक्ष; सूकुं (२) नीरस हुकमनामुं. -री स्त्री० केसन काम(३) कठोर (४) उदासीन; वेरागी. काज-सुनावणी -पड़ना,-होना लाजशरम छोडवी; रूबराह वि० [फा. सज्ज; तैयार (२) नफट थर्बु (२) गुस्से थर्बु
दुरस्त: ठीक
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रूबरू
रूबरू अ० [फा.] मोढामोढ; प्रत्यक्ष;
समक्ष
रूबाह स्त्री० [फा.] शियाळ. ०बाजी स्त्री० लुच्चाई, धूर्तता [ओरडी रूम पुं० [फा.] तुर्कस्तान (२) [इं.] रूम; रूमाल पुं० [फा.] मोनो रूमाल ( २ ) ( माथे के केडे बंधातो) रूमाल रूमाली स्त्री० जुओ 'रुमाली' रूमी वि० [फा.] 'रूम' - तुर्कस्ताननुं रूरा वि० रूडु; सरस; सुंदर रू- रिआ ( - या ) यत स्त्री० [ फा . + अ . ] पक्षपात; तरफदारी
४५८
रूल पुं० [इं.] नियम (२) लीटी (३) आंकणी; 'रूलर' स्त्री०)] रू-शनास वि० [फा.] परिचित ( नाम, - सी रूस पुं० [फा.] रशिया ( वि०, सी) रूसना अ०क्रि० रूठवु; रोषावुं रू सफ़ेद वि० [फा.] गोरुं (२) खूबसूरत (३) आबरूदार (४) निर्दोष [ घास रूसा पुं० अरडूसो (२) एक सुगंधीदार रूसियाह वि० [फा.] काळा मोनुं (२) पापी (३) बदनाम ( नाम, - ही स्त्री ० ) रूसी स्त्री० रशियन भाषा (२) माथानो खोडो (३) वि० रशियानं रूसे अ० रूए (जुओ 'रू' मां) रूह स्त्री० [अ.] आत्मा ( २ ) सत्त्व; सार रूहानी वि० [ अ ] आत्मानुं के ते संधी; आध्यात्मिक
रेंकना अ०क्रि० भूकवुं रंगटा पुं० खोलकुं
रेंगना अ०क्रि० धीरे धीरे, कीडीनी जेम, चालबुं (२) पेटे चालवु रेंट पुं० लीट; शेडा रेंड पुं० एरंडो. -ड़ी स्त्री० एरंडी
रेता
रेंरें अ० ऊं ऊं करतो रोवानो अवाज रे अ० ! ओ ! (नाना माटे संबोधन )
रेख स्त्री० रेखा; लीटी (२) निशानी (३) नवी फूटती मूछ. - आना, - भींजना या भीनना = मूछ फूटवी; मूछ आववी रेखता पुं० [फा.] रेखतो; एक प्रकारनी गजल के काव्यनो ढाळ
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रेखा स्त्री० [ सं . ] लीटी ( २ ) आकार. • गणित पुं० भूमिति ० चित्र पुं० 'स्केच'
रेग स्त्री० [फा.] रेती
रेंगजार पुं० [फा.] रण; रेतीनुं मेदान रेगमाल पुं० [फा.] रेतियो कागळ रेगिस्तान पुं० [फा.] रेतीनुं रण रेचक वि० [सं.] रेच करे एवं (२) पुं०
एक प्राणायाम
रेचन पुं० [सं.] रेच; जुलाब के तेनी दवा रेजगारी, रेजगी स्त्री० आनी बेआनी वगेरे परचूरण; खुरदो
जा पुं० [फा.] नानो टुकडो (२) कडियाकामनो मजूर (३) रेजो; सोनीनी धातु गाळवानी नळी रेजिश स्त्री० [फा.] शरदी; सळेखम रेजीमेन्ट स्त्री० [इं.] पलटन; सेनानो एक भाग
रेट पुं० [इं.] भाव; दर (२) गति; चाल रेडियम पुं० [इं. ] एक कीमती धातु रेडियो पुं० [इं.] रेडियो यंत्र के तेनुं काम रेणु, ० ०का स्त्री० [सं.] रज (२) धूळ (३) रेती
रेत स्त्री० रेती : (२) रेतीनुं मेदान (३) पुं० [सं.] वीर्य (४) पारो रेतना स०क्रि० रेतडीथी घसवुं रेता पुं० रेती के रेतीनुं मेदान (२) माटी
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रेती
४५९
रोजीदार रेती स्त्री० रेतडी; कानस (२) नदी के रोंगटी स्त्री० अणची; रमतमां वांकु दरियानो रेताळ किनारो
बोलवू ते रेतीला वि० रेताळ
रोआब पुं० 'रुअब'; रोफ रेफ पुं० [सं.] 'र' नो रेफ - तेनुं चिह्न रोउँ (-३) पुं० (प.) रूQ; रोम रेब पुं० [अ.] दुविधा; शंका (२) शक; रोक स्त्री० रोकवू ते (२) अटकाव; संदेह
रिलगाडी रोकाण (३) मनाई (४) पुं० रोकड रेल स्त्री० [इ.] रेलवे के तेनो पाटो (२) । रोक-टोक स्त्री० रोकवू ते; मनाई; रेल स्त्री० रेलवं-वहेवू ते; प्रवाह (२) - निषेध
भीड, ०ठेल स्त्री० जुओ 'रेलपेल' रोकड़ स्त्री० नगद-रोकडा रूपिया के रेलगाड़ी स्त्री० आगगाडी
धन के पूंजी रेलना सक्रि० धकेलवं (२) खुब खावं रोकड़बही स्त्री०रोकड हिसाबनो चोपडो
(३) अ.क्रि० ठसोठस भरावं रोकड़िया पुं० खजानची; रोकड लेनार रेलपेल स्त्री० खूब भीड (२) भरमार; मुनीम; 'कॅशियर' अधिकता
रेलवे खातुं रोकना सक्रि० रोकवू रेलवे स्त्री० [ई.] रेलनी सडक (२)
रोग पुं० [सं.] बीमारी; व्याधि रेला पुं० रेलो (२) हल्लो (३) धक्कम
रोगन पुं० [फा. रौशन] रोगान धक्का; भीड
रोग़नी वि० रोगानी; रोगान करेलु रेवड़ पुं० बकरां घेटांन टोळं रोगिया, रोगी [सं.]वि० रोगवाळं; मांदु रेवड़ा पुं० रेवडी जेवो मोटो टुकडो । रोचक वि० [सं.] रुचे एवं; गमतुं (२) रेवड़ी स्त्री० खावानी रेवडी.-के फेरमें पुं० भूख (३) केळं
आना-लालचमां पडq; ललचाई जर्बु रोज पुं० [फा.] दिवस (२) अ० रोज रेशम पुं० [फा.] रेशम-एक तंतु. -मी । रोजगार पुं० [फा. धंधो (२) वेपार.
वि० रेशमनुं वि० रेसावाळू -चमकना = धंधामां लाभ थवो रेशा पुं० [फा.] रेसो; तंतु. ० (-शे)दार रोजगारी पुं० [फा.] वेपारी रेह स्त्री० खारी माटी; ऊस
रोज-नामचा पुं० [फा.] डायरी;रोजनीशी रेहन पुं० [फा. गीरो राखनार रोज-ब-रोज अ०[फा. दररोज;प्रतिदिन रेहनदार पुं० [फा.] गीरवीदार; गीरो रोजमर्रा अ० [फा.] रोज; नित्य (२) रेहननामा पुं० [फा.] गीरो-खत वि० व्यवहारमा चालती (भाषा) रेहल स्त्री० जुओ 'रिहल'
रोजा पुं० [फा.] रोजो (२) उपवास रैदास पुं० रहीदास भक्त (२) चमार रोजाखोर पुं० [फा.] रोजो न करनार रैन (-नि) स्त्री० (प.) रात रोजादार पुं० [फा.] रोजो करनार रयत स्त्री० रैयत; प्रजा; 'रिआया' रोजाना अ० [फा.] रोज; हमेश रहर पुं० झघडो; टंटो
रोजी स्त्री० [फा.] रोजी. ०दार पुं० रोंग,०टा पुं० रूवू; रोम
रोजीवाळो
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रोजीना
रौशनी रोजीना पुं० [फा.] दिवस के मासनी वांको न थवो. -पसीजना=दया आववी मजूरी; रोजी के पगार
रोर,-ल स्त्री० रोळ; कळाहोळ (२) रोट पुं० जाडो मोटो रोटलो-भाखरो
धमाल; आंदोलन रोटी स्त्री० रोटली (२) रसोई. -दाल
रोला पुं० रोळ; शोरबकोर (२) घमसाण चलना = निर्वाह थवो [विघ्न पाडवू रोली स्त्री० कंकु रोड़ा पुं० रोईं.-अटकाना,-डालना रोवनी-धोवनी स्त्री० जुओ 'रोनी-धोनी' रोदसी पुं० [सं.] स्वर्ग (२) पृथ्वी । रोवासा वि०(स्त्री० -सी)रडं रडं थयेलं रोदा पुं० धनुष्यनी दोरी (२) [फा.] रोशन वि० [फा. प्रकाशमान (२)
आंतरडु के (आंतरडानी बनेली) तांत । प्रसिद्ध (३) जाहेर; प्रगट रोना अ०क्रि० रोवू; रडवू (२) चिडावू रोशन-चौकी स्त्री० शरणाई के दुःख मानवू (३) वि० रोतल । रोशन-दान पुं० [फा. प्रकाश आववानी (स्त्री० -नी) (४) पुं० दुःख; खेद. बारी -पड़ना= शोक फेलावो; ककळाट थई रोशन-दिमाग़ पुं० [फा.] उत्तम दिमागजवो.-पीटना-खूब रडवं;छाती कूटवी वाळो (२) छींकणी रोनी-धोनी स्त्री० रोवं ते; दुःखशोक रोश (-स)नाई स्त्री० [फा. रुशनाई; रोपना सक्रि० रोपवू; वाव
शाही (२) जुओ 'रोशनी' रोपनी, रोपाई स्त्री० रोपणी रोश (-स)नी स्त्री० [फा.] अजवाळ; रोब पुं० रुआब; रोफ. -जमाना = (कोई प्रकाश. (२) दीवो के तेनो प्रकाश. पर) रोफ मारवो के पाडवो. -में -का मीनार = दीवादांडी आना = प्रभाव के भीतिमां आवी जदूं रोष (-स) पुं० [सं.] गुस्सो ; चीड रोब-दाब पुं० [अ.] प्रभाव; रोफ रोसनाई, रोसनी जुओ अनुक्रमे रोबदार वि० प्रभाव-रोफवाळं . 'रोशनाई, रोशनी' रोम पं० [सं.] रूवं के ते पंथ रोह पुं० [सं.] चडवू ते(२) अंकुर(३) कळी रोमन कैथलिक पुं० [इ.] रोमन कॅथलिक रोहण पुं० [सं.] चडवं ते (२) ऊगq के रोमपाट पुं० [सं.] ऊननुं कपडु अंकुर फूटवा ते | रोमराजी, रोमलता स्त्री० [सं.] रोमनी रोहिणी स्त्री० [सं.] गाय (२) एक नक्षत्र हार (खास करीने पेट परनी) . रोहित वि० (२) पुं० [सं.] लाल रंग रोमहर्ष (०ण), रोमांच पं० [सं.] रूवां रौंद स्त्री० कचडवू ते (२) 'राउन्ड'; खडा थई जवा ते के तेवी ऊर्मि । ___चक्कर रोमांचित वि० [सं.] रोमांच अनुभवतुं; रौंदना सक्रि० पगथी कचडवू पुलकित
रोमराजी' रौ स्त्री० गति; चाल (२) वेग (३) रोमावलि, ली स्त्री० [सं.] जुओ पाणीनो प्रवाह (४) धून (कशी वातनी) रोयाँ पुं० रूवं; रोम. -खड़ा होना= रोगन पुं० [फा.] रोगान; पोलिश. -नी रोमांचित थq.-टेढ़ा न होना = वाळ वि० रोगान करेलु
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४६१
रोजन रोजन पुं० [फा.] छिद्र; बाकुं (२)नानी बारी रोजा पुं० [अ.] रोजो; समाधि(२)बगीचो रोताइन स्त्री० रावनी स्त्री; ठकराणी रौताई स्त्री० रावपणुं; सरदारी रौद्र वि०[सं.] रुद्र; भयंकर (२) पुं० एक काव्यरस रौनक स्त्री० [अ.] रोनक; शोभा
लंबरदार रौप्य वि० [सं.] रूपानु; रूपेरी (२) पुं० रू'; चांदी रौरव पुं० [सं.] एक महा नरक रौरे स०(प.) रउरे';आप (आदरवाचक) रौला पुं० 'रोला'; शोरबकोर; धमाल रोशन वि० [फा. जुओ 'रोशन' रोशनी स्त्री० [फा.] जुओ 'रोशनी' रौहाल स्त्री० (प.) घोडानी रवाल
लंक स्त्री० लंका (२) [सं.] कमर लंगरदार वि० [फा.] भारे लंकलाट पुं० 'लॉन्ग क्लॉथ'; एक जातनुं लंगर पुं० वांदरो के तेनी पूंछडी जाडु कापड
लंगूल पुं० लांगूल; पूंछडी लंग स्त्री० काछडी (२) पुं० [सं.] यार । लँगोट (-टा) पुं० लंगोट; कच्छ लंग पुं० [फा.] लंगडापणुं (२) वि०
लॅगोटबन्द पुं० ब्रह्मचारी लंगडुं. --करना, -खाना= लंगडावू
लँगोटिया यार पुं० लंगोटियो मित्र लँगड़,-ड़ा वि० लंगडु
लँगोटी स्त्री० कौपीन; लंगोटी. -पर लँगड़ा (-रा)ना अ०क्रि० लंगडावू
फाग खेलना-थोडं जोर छतां बहु लंगर पुं० [फा.] वहाणनें लंगर (२) हराया ढोरने गळे बंधायेलुं लाकडं लंघन पुं० [सं.] लांघq ते; उपवास डेरो (३) सदाव्रतनी जगा (शीखोनुं लंठ वि० मूर्ख; जड लंगर) (४) पहेलवाननो लंगोट (५) लँडूरा वि० बांडु (पक्षी) वि० भारे; वजनदार (६) 'लँगड़'; लंतरानी स्त्री० [अ.] शेखी; डिंग; मोटी लंगडुं(७)नटखट; तोफानी.-उठाना = __ मोटी वातो ठोकवी ते लंगर उठाव; वहाण रवाना थq. लंप पुं० 'लॅम्प'; दीवो (२)पुं० यार -करना, -डालना, -फेंकना । लंपट वि० [सं.] कामी; विषयी; दुराचारी लंगर नांखवू; लांगरवं. -बाँधना = लंब पुं० [सं.] लंब रेखा (२) वि० लांब पहेलवाननुं काम करवू (२) ब्रह्मचर्य लंबकर्ण पुं० [सं.] बकरो (२) गधेडो (३) लेवू. -लंगोट कसना या बाँधना = हाथी (४) वि० लांबा कानवाळं लडवा तैयार थQ
लंबग्रीव पुं० [सं.] ऊंट लंगरखाना पुं० [फा. शीख लंगर ___ लंबतडंग वि० लांबु ताड जेवं लंगरगाह पुं० [फा.] लंगर नांखवानी- लंबर पुं० नंबर. ०दार पुं० जुओ लांगरवानी जगा
'नंबरदार'; महालकरी
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लंबा ४६२
लखलुट लंबा वि० लांबु (२) ऊंचं (माणस). हलाववी ते (२) महाकांक्षा (३) दमाम; -करना=(माणसने) रवाना करवू (२) रोब (४) सारसनी बोली जमीन पर लांबु करी देवू
लक-व-दक पुं० [अ.] उज्जड वेरान मेदान लंबाई (-न) स्त्री० लंबाई; लंबाण लकवा पुं० [फा. लकवो रोग. -मारना लंबा-चौड़ा वि० लांबूपहोळु; विस्तृत __ = लकवो थवो लंबाना सक्रि० लंबाववं
लकसी स्त्री० जुओ 'लग्गा' लंबी वि० स्त्री० लांबी.-चौड़ी हाँकना लका पुं० [अ.] चहेरो (२) एक पक्षी =गप मारवी.-तानकर सोना,-तानना लकीर स्त्री०लीटी.-का फ़क़ीर = विना =निरांते लांबा थईने बेफिकर बनीने समज्ये जूनाने वळगो रहेनार; चीलेसू. -साँस भरना, लेना=निसासो __चल. -पर चलना= जूनाने वळगीने नांखवो.
चालवू. -पीटना वगर समज्ये रूढिने लंबू वि० लंबूश (लांबो माणस) वळगवू
'बड़हर' लंबोतरा वि० वधारे लांबू-लंबायेखें लकुच,-ट पुं० एक झाड के तेनुं फळ; लंबोदर पुं० [सं.] गणपति
लकुट (-टी) स्त्री० लाकडी लंबोष्ठ पुं० [सं.] ऊंट (२) वि० लांबा लक्कड़ पुं० लाकडानुं मोटुं डीमचुं; ओठवाळू
'लकड़ा' लअन-तअन स्त्री० [अ.] गाळो ने टोणा लक्का पं० [अ.] 'लक़ा'; एक पक्षी: लक्की लऊक पुं० [अ.] अवलेह; चाटवानी लक्खी वि० लाखी; लाखना रंगनुं (२)
पुं० लखपति लकड़बग्घा पुं० जरख प्राणी लक्त वि० [सं.] लाल [लक्षण; चिह्न लकड़हारा पुं० कठियारो
लक्ष वि० [सं.] लाख (२) पुं० लक्ष्य (३) लकड़ा पुं० लाकडानुं डीम
लक्षण पुं० [सं.] गुण; धर्म (२) चिह्नः लकड़ी स्त्री० लाकडु (२) बळतण; निशानी (३) व्याख्या (४) लक्षण; ईंधण(३)लाकडी.-चलना लाकडीनी आचरण
शब्दशक्ति मारामारी थवी. -देना=मडदुं बाळवं. लक्षणा स्त्री० [सं.] लक्ष्यार्थ बतावती -सा लाकडा जेवू पातळं, दूबळं; सुक- लक्षित वि० [सं.] लक्षमां आवेलु (२) लकडी. -होना= लाकडा जेवू सुकुं चिह्नित (३) धारेलुं के कल्पेलं थई जर्बु
लक्ष्मी स्त्री० [सं.] धन (२) लक्ष्मीदेवी लकदक़ पुं० [फा.] साफ (घास के झाड- लक्ष्य पुं० [सं.] उद्देश; हेतु (२) निशान पान विनानुं) वेरान मेदान
लखन पुं० (प.) लक्ष्मण लक़ब पुं० [अ.] इलकाब; पदवी लखपति,-ती पुं० लक्षाधिपति लक़लक पुं० [अ.] सारस पक्षी; लगभग लखलखा पुं० [फा. मूर्छा दूर करनार
(२) वि० बहु दूबळं पातळ; नाजुक एक सुगंधी वस्तु लक़लक़ा पुं० [फा.] वारंवार जीभ काढी लखलुट वि० उडाउ; अपव्ययी (आदमी)
दवा
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लखेरा लखेरा पुं० लाखनी चूडी इ० बनावनार लखौटा पुं० कंकु वगेरे शृंगारनी सामग्री
राखवानी पेटी के डबो लखौरी स्त्री० जनी नवतेरी ईंट (२)
भमरीनुं (माटीनू) घर लख्त पुं० [फा.] टुकडो लग अ० लगी; सुधी (२) स्त्री० लगनी लगजिश स्त्री० [फा.] लपस, के ठोकर
खावी ते लगढ (-भ)ग अ० लगभग; 'क़रीब' लगन स्त्री० लगनी (२) प्रेम (३) संबंध (४) पं० विवाहनं महरत (५) [फा.] एक जातनी मोटी थाळी; परात. -धरना = लगन नक्की करवू लगनपत्री स्त्री० कन्यानो बाप वरना पिताने लग्नमुहूर्त लखी मोकले ते लगनवट स्त्री० लगनी; प्रेम लगना अ०क्रि० लागवं लगनी स्त्री० नानी थाळी लगभग अ० जुओ 'लगढग' लगमात स्त्री०कानो मात्रा वगेरेनां चिह्न लगलग वि० जुओ 'लकलक' लगव वि० (प.) जूठं; असत्य (२) व्यर्थ;
नका, लगवार पुं० यार; आशक; प्रेमी लगातार अ० सतत; चाल; एक पछी एक लगान पुं० लागवू के लगाडवं ते (२)
महेसूल लगाना सक्रि० लगाववू; लगाडवू लग्राम स्त्री० [फा.] लगाम. -चढ़ाना, -देना = बोलवामां रोक - लगाम राखवी. -लिये फिरना-पीछो पकडवो (काबूमां लेवा)
पर्यन्त लगायत अ० [अ.] लागु; साथे (२) सुधी;
लच्छन लगार स्त्री० (प.) लागो; रिवाज (२) संबंध; 'लगावः (३) लगनी; प्रीति (४) लागलागट थq ते; कम (५) भेदु लगालगी स्त्री० प्यार; स्नेह (२) संबंध;
मेळ [ट स्त्री० प्रेम (२) संबंध लगाव पुं० लागतुं वळगतुं होवू ते; संबंध. लगि अॅ० (प.) लगी; 'लग' लग्गा पुं० लांबो वांस (२) वांसी के तेना जेवू फळ वगेरे पाडवा- साधन (२) काममा लागवू ते. -लगना = कामे लागवू; काम शरू थy लग्गी स्त्री० नानो 'लग्गा'; जुओ 'लग्गा' लग्घड़ पुं० बाज पक्षी लग्घा पुं० जुओ 'लग्गा' लग्न पुं० [सं.] लग्न; विवाह (२) वि० लागेलं; जोडायेलं के जूठी वातो लग्वियात स्त्री० [अ.] नकामी, वाहियात लघड़बग्गा पुं० जुओ 'लग्घड़' लघिमा स्त्री० [सं.]लघुता (२) एक सिद्धि लघु वि० [सं.] ना, (२) थोडं (३) हलकुं. ०मति वि० ओछी बुद्धिन; अणसमजु.
शंका स्त्री० पेशाबनी हाजत । लच, लचक स्त्री० लचकवू- झूक के नमवू ते
झूक लचकना अ०क्रि० लची पडवं; लचकवं; लचकीला वि० जुओ ‘लचीला' लचना अ०क्रि० जुओं ‘लचकना' लचलचा वि० जुओ ‘लचीला' लचार वि०, -री स्त्री० (प.) अनुक्रमे
जुओ 'लाचार,-री' लचीला वि० लची जाय एवं नरम लच्छ पुं० (प.) लक्ष; उद्देश (२) लाख संख्या (३) स्त्री० लक्ष्मी लच्छण,-न पुं० (प.) लक्षण
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लच्छा
लच्छा पुं० दोरनो लच्छो (२) हाथ के पगनुं एक घरेणुं
[लाख लच्छि स्त्री० (प.) लक्ष्मी (२) पुं० लक्ष; लच्छी स्त्री० दोरीनी लच्छी (२) (प.) लक्ष्मी [लच्छावाळी (वानी) लच्छेदार वि० मजेदार (वात) (२) लछमन पुं० लक्ष्मण
लजना अ०क्रि० 'लजाना'; लाजवं लजाना अ०क्रि० लाजवं; शरमावुं (२)
स०क्रि० लजवबुं
लजारू (लू) पुं० लजामणीनो छोड लजीज वि० [अ.] लहेजतदार; स्वादिष्ट लजीला, लोहा, लजीहाँ वि० लज्जाळु लज्जत स्त्री० [ अ ] लहेजत; मजा; स्वादनो आनंद [लाज; मर्यादा लज्जा स्त्री०[सं.] शरम; संकोच ( २ ) लज्जालु पुं०[सं.] लजामणी; 'लजालू'
(२) वि० लज्जाळु स्त्री० माथानी लट (२) गूंचवाये लां लटियां (३) अग्निनी झोळ. - पड़ना =वाळ गूंचावा [(२) लटको लटक स्त्री०, ०न पुं० लटकवुं ते; लचक लटकना अ०क्रि० लटकवुं; लबडवुं (२)
लचकवुं; नमवु; झूकवुं लटका पुं० चाल; हींडछा (२) लटको (३) बोलवामां लहेको इ० करवुं तेतेवी कृत्रिमता (४) नानो मंत्रोपचार के नुसखो
४६४
लटकीला वि० लटकावाळु; लचकतुं लटकौआ ( - वा) वि० लटकतुं लटना अ०क्रि० थाक के कमजोरीथी लटी जवुं; नरम पडवुं (२) (प.) लोभावुं; लट्टु थई जवुं लटपट, -डा वि० लपटुं; ढीलुं (२)
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लड़ना
भांग्युतचुं (शब्द माटे) (३) थाकेलुं (४) अस्तव्यस्त
लटपटाना अ०क्रि० (नाम, लटापटी, लटपटान) लथडावुं के अडबडियां खावां (२) लपटावुं [राण; 'पटसन' लटिया स्त्री० सूतरनी आंटी. ०सन पुं० लटी स्त्री० जूठी वात; गप ( २ ) वेश्या लटूरी स्त्री० वाळनी लट लट्टू पुं० भमरडो. - होना = (कोई पर) लट्टु थवुं; लोभावुं के आसक्त थ लट्ठ पुं० लठ्ठ; मोटी लाठी. ०बाज वि० लाठी चलावी जाणनार - लिये फिरना = लठ्ठ लईने फरी वळवु; सखत विरोध करवो
लट्ठमार वि० लठ मारनार ( २ ) अप्रिय ने कठोर (वात के वचन ) लट्ठा पुं० जाडुं मोटुं लाकडानुं डीमचुं के पाटडो के थांभलो (२) एक जातनुं जाडुं कपडु (३) ५|| वारनुं जमीननुं एक माप
लठैत पुं० लाठी चलावी जाणनार लड़ंत स्त्री० लडाई; सामनो लड़ स्त्री० लटी; सेर; माळा; लट लड़क ( - का) ई स्त्री० छोकरवाद लड़क-खेल पुं० छोकरानो खेल; सहेलुं के साधारण काम लड़क-बुद्धि स्त्री० नादानी; छोकरमत लड़का पुं० छोकरो (२) पुत्र लड़का - बाला पुं० संतान; परिवार लड़की स्त्री० छोकरी (२) पुत्री लड़को (-कौ) री वि० स्त्री० धावणा छोकरावाळी (स्त्री) लड़खड़ाना अ०क्रि० लथडावुं; लडथडावुं लड़ना अ०क्रि० लडवुं
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लड़ाई
लपफ़ाज लड़ाई स्त्री० लडाई; झघडो (२) बोला- लत्ती स्त्री० (पशुनी) लात (२) धजा
बोली; अणबनाव [लडकणुं (३) पतंगर्नु पूंछडं। लड़ाका वि० लडनार (२) लडाकु; लथपथ वि० लदबद; तरबोळ लड़ाकू वि० लइवामां काम लागनार लथाड़ स्त्री० जमीन पर पटकी बरोबर (२) लडाकु
[लडाववां रगडवू ते; पछाड (२) हार. -खाना, लड़ाना सक्रि० लडावq (२) लाड -पड़ना= पटकावू; पछडावं लड़ी स्त्री० लडी; माळा
लथा (-थे)ड़ना स०क्रि० रगदोळवू (२) लडुआ (-चा) पुं० लाडवो; लड्डु जमीन पर पटकी रगडq (३) लताडवू; लडैता वि० लाडकुं; 'लाडला' (२) हेरान करवू (४) वढवू लडनार
लदना अ०क्रि० लदायूँ लड्डू पुं० लाडवो; लड्डु. (मनके) लदाव पुं० लादq ते (२) बोजो लड्डु खाना या फोड़ना-खाली तरंग लदुवा, लद्द वि० बोजो उठावनाएं करवा (शेखचल्ली जेवा)
लद्धड़ वि० सुस्त; आळसु लढ़िया स्त्री० बेलगाडी
लप पुं० पोश; अंजलि लत स्त्री० खराब-जूरी टेव के व्यसन __ लपक स्त्री० आगनी ज्वाळा (२) चमक लतखोर (-रा) वि० लात खातुं (२) । (३) वेग; तेजी
[पडवं नीच; क्षुद्र (३) पुं० पगलुछणियुं लपकना अ०क्रि० वेगथी धसवं; कूदी लतर स्त्री० लता; वेल ।
लपट स्त्री० ज्वाळा (२) आंच (३) महेक लतहा वि० लात मारे एवं
लपटना अ०क्रि० 'लिपटना'; लपटाएं लता स्त्री० [सं.] वेल
लपटा पुं० लही के लापसी जेवी वस्तु लता (-था)ड़ स्त्री० जुओ 'लयाड' । लपलपाना सक्रि० (२) अ०क्रि० लप लता(-था)ड़ना सक्रि० गूंदवं; कचडवू लप करवू के थर्बु (जीभ) (२) चाबुक (२) लताडवू; हेरान करवं
फटफट करवी के थवी (३) चाकु इ० लतापता स्त्री० झाडपान (२) जडीबुट्टी चमक के चमकाव, लताफ़त स्त्री० [अ. सूक्ष्मता; कोमळता लपसी स्त्री० लापसी (२) राब (२) स्वाद (३) उत्तमता
लपेट (०न) स्त्री० लपेटवू ते (२) लपेटो; लतिका स्त्री० [सं.] नानी लता-वेल __ लपेटवानुं चक्कर (३) घेराव (४) लतियर,-ल वि० जुओ 'लतखोर' लपटामण; पंचात लतियाना स०कि० लाताटवं
लपेटना सक्रि० लपेटवू; वाळवं, वींटवू लतीफ़ वि० [अ.] मजेदार; स्वादिष्ट (२) । लफंग(--गा) वि० [फा.] लफंगु; लंपट उत्तम (३) सूक्ष्म; कोमळ
लफ़्ज़ पुं० [अ.] शब्द (२) वात; बोल लतीफ़ा पुं० [अ] लतीफो; टुचको; लफ्जी वि० [अ.] शाब्दिक. ०मानी पुं० मजेदार के गमतनी वात
शब्दार्थ लत्ता पुं० चीथरुं (२) कपडानो टुकडो लफ़्फ़ाज वि० शेखी मारनार (नाम,-जी)
हिं.-३०
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लब लब पुं० [फा.] होठ (२) यूंक; लाळ
(३) किनारो लबड़-धोधों स्त्री० नकामी धमाल (२)
गोटाळो; अंधेर (३) लबाडीपणुं लबरेज अ० [फा.] जुओ 'लबालब' लबलबी स्त्री० बंदूकनो घोडो लब व लहजा पुं० [फा.] बोलवानी रीत । लबादा पुं० [फा.] एक लांबो रुयेल डगलो लबार वि० लबाड; जूठो (२) गप्पी लबारी वि० लबाडी(२)स्त्री०लबाडीपर्यु लबालब अ० [फा.] ठेठ काना सुधी
छलोछल (भरेलु) लबी स्त्री० शेरडीना रसनी राब लबे-गोर वि० [फा.घोर नजीक पहोंचेलं;
मरणने कांठे आवेलु लबेद पुं० वेदमां नहि एवं पण
लोकाचारनुं वचन लबेदा पुं० डंगोरो लब्ध वि० [सं.] प्राप्त; मळेलु के मेळवेलु लब्ध-प्रतिष्ठ वि० [सं.] प्रतिष्ठा पामेलं; प्रतिष्ठित लब्धि स्त्री० [सं.] प्राप्ति (२) भागाकार लब्बैक अ० [अ.] लब्बेक; 'सेवामां हाजर
छु' एवो उद्गार लभ्य वि० [सं.] मेळववा जेवू के मळे एवं लमतडंग वि० जुओ 'लंबतडंग' लमधी पुं० वेवाईनो बाप लमहा पुं० [अ.] क्षण; जरा वार लय पुं० [सं.] लीन थर्बु ते (२) विनाश
(३) स्त्री० संगीतनो लय लरजना अ०क्रि० कंपवू; हालवू(२)डर, लरजा पुं० [फा.] कंप (२) भूकंप ललक स्त्री० प्रबळ के ऊंडी इच्छा; लालच । ललकना अ०क्रि० ललचायूँ
लवाई ललकार स्त्री० पडकार; आह्वान ललकारना सक्रि० पडकारQ ललचना अ०क्रि० ललचावू ललचाना सक्रि० ललचाव ललन पुं० [सं.] लला';प्रिय बाळक के पति ललना स्त्री० [सं.] स्त्री (२) जीभ लला पुं० प्रिय पुत्र के नायक या
पति (संबोधन) (स्त्री०, -ली) ललाई स्त्री० लाली ललाट पुं० [सं.] कपाळ ललाना अ.क्रि० इच्छा के लालच
करवी; मेळववा आतुर बनवू ललाम वि० [सं.] सुंदर (२) लाल (३)
पुं० रत्न ललामी स्त्री० सुंदरता (२) लाली ललित वि० [सं.] सुंदर; मनोहर (२) प्रिय लली स्त्री० 'लला' नुं स्त्री० लल्ला पुं० जुओ 'लला' लल्लो पुं० जीभनो लोलो-जीभ लल्लो-चप्पो,-पत्तो स्त्री० खुशामत लवंग पुं० [सं.] लविंग लव पुं० [सं.] अल्प प्रमाण (२) 'लवा' पक्षी (३) लविंग, जायफळ [सुंदर लवण पुं० [सं.] मीठु (२) वि० खारु (३) लवन पुं० [सं.] लणणी; कापणी लवना सक्रि० लणवं; कापq (२) वि० (प.) जुओ 'लोना' लवनि (-नी) स्त्री० लणणी (२) माखण लवलीन वि० तल्लीन; मग्न लवलेश (-स) पुं० [सं.] जरा पण संबंध
के अंश
लवा पुं० एक पक्षी (२) 'लावा'; धाणी लवाई स्त्री० जुओ 'लुनाई' (२) (प.) तरत वियायेली गाय
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लवाजमा
लवाजमा, लवाज़िम ( - मा, मात) [ अ ] पुं० साथैनो रसालो के सरसामान (२) जरूरी सामग्री
लवारा पुं० वाछडुं लवाहक पुं०[अ.] सगो संबंधी (२) नोकर लशकर पुं० [फा.] लश्कर (२) छावणी (३) खलासीओनी टुकडी. -री वि० फोजी ( २ ) पुं० सिपाई; सैनिक ( ३ ) खलासी
लशु ( - सु) न पुं० [ सं . ] लसण लश्कर, - री जुओ 'लशकर, -री' लस पुं० [सं.] चीकाश के चीकणी वस्तु (२) आकर्षण. ०दार वि० चीकणुं लसना स०क्रि० चोटाडवु; चिपकाव
(२) अ०क्रि० लसवुं शोभवु; चळकवुं लसम वि० खोटं; जूठं; दूषित लसलस वि० चीकणुं
लसी स्त्री० जुओ 'लस' (२) लोभ; फायदानी नजर (३) संबंध ( ४ ) दूध पाणीनुं शरबत
लसीला वि० चीकणुं (२) रसीलुं; सुंदर लसुन पुं० जुओ 'लशुन' लसुनिया पुं० लसणियो हीरो लस्टम पस्टम अ० गमे तेम करीने लस्त वि० थाकेलुं ( २ ) अशक्त सान वि० [अ.] वातोडियं [छाश लस्सी स्त्री० चीकाश; 'लसी' (२) जाडी लहँगा पुं० घेरदार घाघरो
४६७
लहक स्त्री० लहेकवुं ते (२) लळक; चमक लहकना अ०क्रि० लहेकबुं (२) चमकवुं लहकौर ( - रि ) स्त्री० वरकन्या अरसपरस खवडावे ते विधि हा पुं० [अ.] गावा बोलवामां लहेंकोआरोहअवरोह
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लाँघना
लहजा पुं० [ अ ] लहेजो; पळ; क्षण लहजा ब लहजा अ० प्रतिपळ; क्षणे क्षणे लहद स्त्री० [फा.] कबर; घोर लहनदार वि० लेणदार लहना स०क्रि० लहेवुं; मेळववुं (२) पुं० लेणुं
लहबर पुं० एक जातनो मोटो चोगोअंगरखुं (२) झंडो
लहमा पुं० 'लहजा'; क्षण
लहर स्त्री० लहेर; तरंग (२) मजा; उमंग (३) वांकी चूकी चाल (४) चसक के झेर पेठे चडवुं ते. -देना, मारना = चसको मारीने पीडा थवी (२) वांकुचूकुं चालवू. - लेना = समुद्रनी लहेरोमां नाहवुं [ खातुं डोलवु लहर ( - रा ) ना अ० क्रि० लहेरवुं; लहेरो लहर - पटोर पुं०, री स्त्री० रेशमी वस्त्र लहरा पुं० लहेर; मोजुं के मजा लहराना अ०क्रि० जुओ 'लहरना' (२) स०क्रि० लहेराव
लहरि, - री स्त्री० लहेरी; मोजुं. - रिया पुं० लहेरियुं वस्त्र
लहलहा वि० भर्युभादयुं (२) प्रफुल्ल; फूल्युंफाल्युं (अ०क्रि०, ०ना)
लहसुन पुं० [सं. लशुन] लसण लहालोट वि० आनंदमग्न (२) मुग्ध; लट्टु थयेलुं [ ( भाई माटे) लहुरा वि० (स्त्री० - री) लघुः नानुं लहू पुं० लोही. ० लुहान वि० लोहीलुहाण लहेरा पुं० रंगरेज (रेशमनो) लाँक स्त्री० ( प. ) 'लंक'; कटि; कमर लाँग स्त्री० काछडी [ वांदरो
लांगु ( - ) ल पुं० [ सं . ] पूंछडी. -ली पुं० लाँघना स०क्रि० ओळंगी जवुं; लंघवुं
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लाँच
[ निशानी
लाँच स्त्री॰ लांच; 'घूस' लांछन पुं० [सं.] कलंक; डाघो ( २ ) ला अ० [अ.] नकार दर्शावतो पूर्वग.
उदा० लाचार, ला- इलाज
लाइ पुं० लाय; अग्नि
लाइ ( - ) क वि० लायक; योग्य; उचित लाइ ( - य) ची स्त्री० इलायची लाइन स्त्री० [इं.] लीटी (२) हार लाइब्रेरी स्त्री० [इं.] पुस्तकालय ला-इलाज वि० [फा.] असाध्य; निरुपाय;
लाचार
४६८
ला-इल्म वि० [फा.] अज्ञान; अभण लाइसेन्स पुं० [इं.] परवानो लाई स्त्री० जुओ 'लावा' (२) [फा.] एक रेशमी वस्त्र ( ३ ) धाबळी जेवुं एक जातनुं गरम वस्त्र लाई लुतरी स्त्री० चाडीचुगली (२) चुगलीखोर स्त्री
ला-उबाली वि० [फा.] स्वच्छंदी ( २ ) बेफिकर (३) भमतुं; रखडतुं ला-कलाम वि० [अ.] निस्संदेह; निश्चित लाक्षणिक वि० [सं.] लक्षणवाळु के लक्षण संबंधी
लाक्षा स्त्री० [सं.] लाख; 'लाह' लाख वि० (२) पुं० लाख संख्या ( ३ ) स्त्री० लाख. —टकेकी बात = खूब महत्त्वनी वात [ रंगनं लाखो पुं० (२) वि० लाखनो रंग के ते लाग स्त्री० संबंध (२) लाग; आधार
(३) प्रेम (४) लाग; युक्ति ( ५ ) विवाह दापुं (६) जुओ 'लाग- डाँट' लाग - डाँट स्त्री० शत्रुता ( २ ) प्रतिस्पर्धा लागत स्त्री० पडतर खर्च लार वि० [फा.] दुबळं सूकलुं ( नाम, - री)
लाडू
लागि, - अ० (प.) लईने; लीधे; कारणथी (२) लगी; सुधी (३) वास्ते; माटे लागू वि० लागु;
लाघव पुं० [ सं . ] हलकापणुं
लाचार वि० [फा.] विवश; निरुपाय. -री स्त्री०
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लागे एवुं; लागु पडतुं
लघुता; अल्पता;
लाज स्त्री० शरम (२) पुं० [सं.] जुओ 'लाजा' (३) खस; वीरणनो वाळो लाजवर्द पुं० [फा.] एक जातनो नीलभूरो हीरो ( वि० - र्दी) लाजवाब वि० [फा.] अनुपम (२) निरुत्तर ला-जवाल वि० [अ०] अविनाशी; नित्य लाजा स्त्री० [सं.] चोखा (शेकेला) (२) धाणी
लाजिम वि० [अ.] जरूरी; अनिवार्य (२) लाजम योग्य ( ३ ) ( व्या.) अकर्मक ( क्रि० ) ( ४ ) पुं० फरज; कर्तव्य लाजिमा पुं० जुओ 'लवाजमा ' लाजिमी वि० [ अ ] आवश्यक; जरूरी लाट ( - - 3 ) स्त्री० मोटो ऊंचो थांभलो
(२) पुं० लॉट; जथ्थो (३) लाट साहेब लाटी स्त्री० ( प. ) होठ जीभनुं सुकावं ते. - लगना = तेवुं थवुं लाठी स्त्री० लाकडी; डंडो -चलना = लाठी चालवी; मारपीट थवी. - बाँधना = जोडे लाठी लेवी
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लाड़ पुं० लाड; लालन; वहाल; -करना, -लड़ाना=लाड लडाववां लाड़-चाव पुं० प्यार; वहाल लाड़लड़ैता, लाड़ला वि० लाडीलु; प्यारुं लाड़ा पुं० वर. -ड़ी स्त्री ० लाडी; वधू लाडू पुं० लाडु; लाडवो
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लालना लाम-काफ़ पुं० [फा.] मम्मोचच्चो;
अपशब्द लामज,--ज्जक [सं.] पुं० खस; वीरण ला-मजहब वि० [फा.]धर्मरहित;नास्तिक.
-बी स्त्री० लामज्जक पुं० [सं.] जुओ 'लामज' लामा पुं० तिबेटनो लामा-सौथी मोटो
(३)
धर्मगुरु
लात स्त्री० पग के तेनी लात; पाटु. -जाना दूझणा ढोरे लात मारी दूध न देवू. -मारना=(लात मारी) दूर करवू; छोडवू लातर स्त्री० जूनुं जूतियु लातीनी स्त्री० [अ.] लॅटिन भाषा ला-तादाद वि० [फा.] बेशुमार; असंख्य लाद स्त्री० लादq ते (२) पेट (३)
आंतरडु लादना सक्रि० लादq; (वजन) भरवू; खडकवू
[नथी एवं लादवा वि० [अ.] लाइलाज; जेनी दवा लादी स्त्री० लादेडो; लादवानो भार.
-दिया पुं० जेनी उपर लदाय ते (ढोर) लान,तान पुं०, ०त, ०त-मलामत स्त्री० [अ. लअनत] ल्यानत; धिक्कार; तुच्छकार लानती वि० [फा.] ल्यानतने पात्र लाना सक्रि० लावq; लई आव, (२) सामे राखवू; रजू करवू ला-पता वि० पत्ता वगरनु; गुम; गेब लापरवा (०ह) वि० [फा.] बेदरकार लापरवाई,-ही स्त्री० [फा.] बेदरकारी लाफ़ स्त्री० [अ.] आत्मस्तुति; शेखी; डिंग. जन वि० शेखी मारनार.०जनी स्त्री० [फा.] शेखी मारवी ते लाबत स्त्री० [अ.] लावा रस लाबुद्द वि० [अ.] जरूरी; आवश्यक (२) निश्चित; नक्की (३) लाचारीथी; न चाल्ये लाभ पुं० [सं.] प्राप्ति (२) फायदो; नको लाम पुं० [फा.] सेना; लश्कर ला-मकान वि० [फा.] मकान के स्थान वगर- (२) पुं० ईश्वरनुं स्थान; स्वर्ग
ला-मानी वि० [फा. निरर्थक; व्यर्थ ला-मिसाल वि० [फा.] अजोड; अद्वितीय लाय स्त्री० (प.) झोळ (२) लाय; अग्नि लायक वि० [अ.] लायक; योग्य; गुणवान.
-की स्त्री० लायकात लायची स्त्री० जुओ 'लाइची' लार स्त्री० लाळ (२) लार;हार; 'कतार'. -आना, टपकना-मोमां पाणी आवq; लालच थवी. -लगाना = मधलाळ लगाडवी लारी स्त्री० मोटर-बस के लारी (मालगाडी) लार्ड पुं० [इं.] लॉर्ड; अमीर लाल वि० लाल; रातुं (२) क्रोधथी लाल (३) पुं० वहालुं बाळक के माणस; 'लला' (४) पुत्र (५) स्त्री० लाळ; 'लार' (६) (प.) लालच (७) पुं० लाल; माणेक (८) एक पक्षी लालच पुं० लालसा; लोभ; इच्छा लालची वि० लालचु; लोभी लालटेन स्त्री० दीवो; फानस लालड़ी, (-री) स्त्री०, पुं० (नथमां होतुं) एक लाल नंग लालन पुं० [सं.] लाड लडाववां ते (२) प्यारं बाळक लालना सक्रि० (प.) लाड लडाववां
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लाल परी
लाल परी स्त्री०, लाल पानी पुं० शराब; दारू [ काढनार लालबुझक्कड़ पुं० वातनो उटपटांग अर्थ लाल मिर्च स्त्री० लाल मरचुं लालमी पुं० खडबूचुं
लालसा स्त्री० [सं.] लोभ; लालच; इच्छा लाला पुं० [फा.] एक लाल रंगनुं फूल (२) स्त्री० [ सं . ] लाळ लाला पुं० मानवाचक शब्द, जेम के लाला लजपतराय (२) बाळक माटे प्रेमनुं संबोधन [लाडियं लालायित वि० [सं.] ललचायेलुं (२) लालित वि०[सं.]प्यारुं (२)पाळेलुपोषेलुं लालित्य पुं० [सं.] ललितता; सुंदरता लालिमा स्त्री० [सं.] लाली; लालाश लाली स्त्री० लालाश ( २ ) आबरू लाले पुं० लालसा. —पड़ना = (कोई चीजनी ) लालसा थवी - तरसवुं लाव पुं० 'लवा' पक्षी ( २ ) आड राखी अपातुं ऋण ( ३ ) स्त्री० आग; आंच (४) दोरडुं; वरत. - चलाना = = कोस चलावी पाणी पावुं लावक पुं० कोस के ते खेंचवानो (एक वार) समय ( २ ) [सं.] 'लाव' पक्षी लावण वि० [सं.] खारुं (२) पुं० छींकणी लावण्य पुं० [सं.] सुंदरता; मनोहरता (२) खाराश
लावदार वि० पलीतो चांपवाने तैयार (२) पुं० तोपची [ ललणी लावनी स्त्री ० लावणी छंद (२) लाणी; ला-बाली वि० जुओ 'ला-उबाली' (२) पुं० तेवो माणस (३) स्त्री० बेपरवाई; स्वच्छंद [ सामग्री इ० लाव-लश्कर पुं० सेना ने तेनी जोडे रहेती
४७०
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लिखत
race वि० [अ.] निःसंतान ( नाम, -ल्दी ) लावा पुं० 'लाजा'; धाणी (२) [इं.]
लावा रस
लावा परछन पुं० विवाहनो एक विधि ( कन्यानो भाई तेमां होय छे) ला- वारिस पुं० [अ.] वारस वगरनुं माणस (वि० सी)
लाश स्त्री० [फा.] मडदु; शब ला- शरीक वि० [अ.] एक अद्वितीय (प्रभु) लासा पुं० 'लस'; सुंदर के एवो चीकणो पदार्थ
ला-सानी वि० [अ.] अद्वितीय; अजोड लास्य पुं० [ सं . ] नृत्य; नाच लाह स्त्री०लाख (२) पुं० (प.) लाभ; फायदो [ निर्भर; आश्रित
लाह वि० [अ.] जोडायेलुं; संबद्ध (२) ला-हल वि० [ अ ] हल न थाय एवं;
कठण; दुःसाध्य
ला- हासिल वि० [अ.] निरथक; नकार्मु लाहु पुं० (प.) जुओ 'लाह' लाहौल पुं० [अ.] भूतप्रेतादिने भगाडवा बोलता अरबी वाक्यनो पहेलो शब्द. - पढ़ना, - भेजना = ए मंत्र भणवो लिंग पुं० [सं.] चिह्न (२) जाति (३) पुरुषनुं लिंग ( ४ ) शिवलिंग लिंगायत पुं० एक शैव पंथ के तेनो अनुयायी
लिंगी पुं० चिह्नवाळो (२) आडंबरी लिट पुं० [इं.] घा पर बांधवानुं एक जानुं पहुं
लिए अ० माटे; वास्ते
लिक्खाड़ पुं० भारे मोटो लेखक (व्यंगमां) लिक्षा स्त्री० [सं.] लीख लिखत स्त्री० लिखित; लेख
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४७१
लिखना
लीला लिखना सक्रि० लखवू (प्रेरक,लिखाना) लिवाना सक्रि० लवडावq(२)लेवडाव, लिखाई स्त्री० लखवू ते के तेनी ढब लिवाल पुं० खरीदनार के लेनार; के मजूरी (२) लेख
लेवाल करनार लिखापढ़ी स्त्री० लखापट्टी; पत्रव्यवहार लिहाज पुं० [अ.]ख्याल;कोई वातनं ध्यान
(२) कशाने लखी लई नक्की करवं ते (२) विवेकमर्यादा; अदब लिखावट स्त्री० लखवानी रीत(२)लिपि लिहाजा अ०[अ.] एटला वास्ते; माटे लिखित वि० [सं.] लखेलु; लेखी (२) लिहाड़ा वि० नीच (२) खराब पुं० लखत; लखाण
लिहाड़ी स्त्री० निंदा; हांसी [रजाई लिटाना सक्रि० 'लेटना' नुं प्रेरक लिहाफ़ पुं० [अ.] ओढवानुं गोदडु के लिट्ट पुं०बाटी; (सीधो आग पर शेकेलो) । लीक स्त्री० लीक (रेखा के हद) (२) भाखरो
चीलो(३) पडेली प्रथा; रूढि.-खिचना लिथड़ना अ०क्रि० लदबद थवुरगदोळावं =अटल के दृढ़ निश्चय करवो (२) लिपटना अ०क्रि० लपटावं (२) गळे मर्यादा बांधवी.-खींचकर नक्की (२) वळगq (३) तन्मय थईने कोई काममां जोर दईने. -पीटना = रूढि प्रमाणे पडq (प्रेरक, लिपटाना सक्रि०) चालवं; चीले चालवं लिपना अ०क्रि० लीपावू; धोळावं के लोख स्त्री० (माथानी) लीख
रंगावं; 'लीपना' नुं कर्मणि लीचड़ वि० नकामुं; 'बेकाम' (२) लेणलिपाई स्त्री० लीपवं ते के तेनी मजूरी देणमां ठीक न होय एवं लिपाना सक्रि० 'लीपना' नुं प्रेरक लीची स्त्री० एक झाड के तेनुं फळ लिपि स्त्री० [सं.] अक्षरोनां चिह्न के ते लीझी स्त्री० कूचो (२) वि० नकामुं;
लखवानी रीत. ०बद्ध वि० [सं.] लखेलुं । निस्सार लिप्त वि० [सं.] लींपेलं (२) लेपायेलं; लीडर पुं० [इं.] नेता आसक्त
लोतड़ा (-रा) पुं० जूनो फाटेलो जोडो लिप्सा स्त्री० [सं.] लोभ, लालच लीथो,०ग्राफ पुं० [इं.] शिलाछाप लिफ़ाफ़ा पुं० [अ] परबीडियु (२) उपरनो लीद स्त्री० (पशुनी) लाद
आडंबर (३) देखावडो पहेरवेश.-खुल लीन वि० [सं.] गरक; तल्लीन जाना-भेद उघाडो पडवो. -बनाना= लीपना सक्रि० लींपवू. -पोतना = ठाठ के आडंबर करवो ।
लींपवू गूंपवू. लीप पोतकर बराबर लिफ़ाफ़िया वि० आडंबरी
करना = सत्यानाश वाळवं लिबड़ी स्त्री० कपडालत्तां. ०बरतना, लीम् पुं० लींबु; 'नीम' ___०बारदाना पुं०निर्वाहनी साधनसानग्री लील वि० नील; भूरुं लियास पुं० [अ.] लेबास; पोशाक लोलना स०क्रि० गळवू; गळे उतारवू लियाकत स्त्री० [अ.] लायकात; 'लायक़ी' लीला स्त्री० [सं.] खेल; क्रीडा; नाटक लिल्लाह अ० [अ.] ईश्वरना नामथी (२) वि० नील; भूरुं
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लुंगाड़ा
लुंगाड़ा पुं० लफंगो लुंगी स्त्री० पहेरवानी लुंगी (२) हजामनो रूमाल जे पग पर रखाय छे (३) स्त्री० एक पक्षी
लुंचन पुं० [सं.] वाळ टूपी काढवा ते लुंज, ०पुंज वि० हाथपग वगरनुं ( २ ) ठूंठ्ठे (झाड)
लुंड पुं० धड; कबन्ध
लुंडमुंड वि० हाथपग के माथा वगरनुं (२) पान वगरनुं; ठूंठं
लुंडा वि० पांख के पूंछडी वगरनुं (पशु, पक्षी) (२) पुं० सूतरनो पिंडो के कोकडी [उबाडियं लुआठा पुं०, ठी स्त्री० खोरियुं; लुआब पुं०[अ.] जुओ 'लासा' (२) थूक लुक स्त्री० 'लूक'; झोळ (२) पुं० (माटोनां वासण पर कराती) पॉलिश; वार्निश. ०दार वि० 'लुक' - पॉलिशवाळु लुकठी स्त्री० जुओ 'लुआठा' लुकनत स्त्री० [ अ ] तोतडापणुं लुकना अ०क्रि० संतावु, छूपवुं लुकमा पुं० [ अ ] कोळियो. -करना = खाई जवं
लुकसाज पुं० पॉलिश करेलु चामडुं लुकाना अ०क्रि० जुओ 'लुकना' (२) स०क्रि० तेनुं प्रेरक
लुगड़ा ( - रा ) पुं० लूगडुं; कपटुं लुगड़ी ( - री) स्त्री० जुओ 'लुगरी' लुग़त स्त्री० [ अ ] भाषा; बोली ( २ ) शब्दकोश
४७२
लुगदी स्त्री० लूगदी; पिंडो लुगरा पुं० जुओ 'लुगड़ा' ( २ ) वि० चुगलीखोर; निंदक [निंदा, चुगली लुगरी स्त्री० जूनी फाटेली साडी ( २ )
लूकी
लुगाई स्त्री० स्त्री; ओरत लुगात स्त्री० ['लुग़त' नुं ब०व० ] शब्दकोश लुरवी वि० [ अ ] शाब्दिक लुच्चा वि० दुराचारी; लफंगुं; बदमाश लुटना अ०क्रि० लूटा (२) बरबाद थ लुटिया स्त्री० नानी लोटी. - डुबाना = जुओ 'लोटा डुबाना' लुटेरा पुं० लुटारो [ लुढ़काना) लुढ़कना अ० क्रि० गबडवु (प्रेरक, लुतरा वि० चुगलीखोर; निंदक लुत्फ़ पुं० [अ.] मजा; आनंद (२) रुचि; स्वाद (३) दया; कृपा लुना स०क्रि० लण बुं [ लावण्य लुताई स्त्री० लगी के तेनी मजूरी (२) लुनेरा पुं० लणनार [पामेलु लुप्त वि० [सं.] गुप्त; गेब; अदृश्य; लोप लुबरी स्त्री० प्रवाही नीचे ठरतो कचरो लुब्ध वि० [सं.] लोभायेलुं (२) मोहित (३) पुं० लुब्धक
लुब्धक पुं० [सं.] व्याध; शिकारी लुब्बे-लुबाब पुं० [ अ ] सार; सत्त्व लुभाना अ०क्रि० लोभावु; ललचावुं के मोहावुं (२) स०क्रि० लोभाववुं लुरकी स्त्री० कानती वाळी लुरी स्त्री० तरतनी वियायेली गाय लुहार पुं० 'लोहार'; लोढानो कारीगर लुहारिन स्त्री० लुहारण
लू
- लुहारी स्त्री० लुहारण (२) लुहार-काम लू स्त्री० तापनी लू. -चलना, -बहना= वावी. -नगरना, लगना=लू लागवी लूक स्त्री० अग्निनी झोळ (२) लू (३) खरतो तारो - लगाना = आग लगाडवी लूका स्त्री० आगती झोळ (२) खोरियुं. -की स्त्री० तणखी; चिनगारी
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लूगड़ ४७३
लेवाल लूगड़ पुं० लगडु (२) चादर
करना=हिसाब पूरो के चूकते करवो लूगा पुं० लूगडु; वस्त्र
लेखिका स्त्री० [सं.] स्त्री-लेखक लूट स्त्री० लूट. ० खसोट, ०खूद, पाट, लेखित वि० [सं.] लेखी; लखायेलु
०मार स्त्री० लूटफाट; डाको लेख्य वि० [सं.] लखवा जेवू (२) पुं० लूटना सक्रि० लूटवू. लूट खाना=लूटी लेख (३) दस्तावेज खावं. लूट पाटना, लूट मारना-लूट
लेज (-जि)म स्त्री० [फा.] लेजीम फाट करवी
लेटना अ०क्रि० लेटg; सूg (प्रेरक, लूत,-ता [सं.] स्त्री० करोळियो लेटाना) लून पुं० लूण; 'लोन'; मीठे
लेटर पुं० [इं.] पत्र, ०बस पुं० टपालपेटो लूनना सक्रि० 'लुनना'; लणवू लेन पुं० लेवू ते (२) लेणुं. ०दार पुं० लूला वि० ठूलूं; हाथ वगरनुं ।
लेणदार लुलू पुं० [फा. हाउ (२) मूर्ख । लेनदेन पुं० लेणदेण लेड़ पुं० लीडु; बांधेलो नीकळतो मळ लेना सक्रि० लेवु. (आड़े) हाथों लेना लेड़ी स्त्री० [सं. लेंड] लोंडी के लोंडु छूपो टोणो मारी शरमावq-झंखवाणुं लेहड़ (-ड़ा)पुं० समूह; लंगर (पशु माटे) पाडवू. (कान) लेना=सांभळवं. लेना ले अ० लईने; शरू करीने; 'लेकर'
एक न देना दो-कशी लेवादेवा नथी. लेइ अ० सुधी; लगी
लेनेके देने पड़ना लेवाने बदले दे, लेई स्त्री० लाही. पूंजी स्त्री० सर्वस्व
पडवू; लाभने बदले हानि थवी लेकिन अ० [अ.] पण; परंतु
लेप पुं० [सं.] लेप; चोपडवानो मलम लेक्चर पुं० [इ.] भाषण. ०बाजी स्त्री० । लेपन पुं० [सं.] लेप करवो ते भाषण झूडवू ते (२) खूब बोलवू ते;
लेपना सक्रि० लींपy; लेपन करवू बकवाद. -झाड़ना=भाषण झूड, ले-पालक पुं० दत्तक पुत्र लेख पुं० [सं.] लिपि (२) लखाण (३) लेफ्टिनेन्ट पुं० [ई.] मददनीश (२) एक हिसाब; नामुं
लश्करी होद्देदार लेखक पुं० [सं.] लखनार
लेबुल पुं० [इ.] लेबल; नामठामनी चिट्ठी लेखन पुं० [सं.] लखवू ते (२) हिसाब । लेबोरेटरी स्त्री० [इं.] प्रयोगशाळा करवो ते (३) आलेखन
लेनोड पुं० [इं.] लेमन, पोj लेखनी स्त्री० [सं.] कलम; लेखण लेरुआ,-बा पुं० वाछडु [माटी लेखा पुं० हिसाब; नाम (२) स्त्री० [सं.] लेव पुं० लेप (२) कंटेवाळो (३) गार रेखा (३) लिपि (४) लेखं; समज; लेवा पुं० जुओ लेव' (२) कादव (३) गणतरी. ०पत्तर पुं०, ०बही स्त्री० ढोरनुं बावल (४) वि० (समासने हिसाबनो चोपडो. -डेवढ़ करना __ अंते)-लेनार. जेम के, 'नामलेवा' हिसाब बरोबर के चूकते करवो लेवा-देई स्त्री० लेणदेण (२) नाश कर. -पूरा या साफ़ लेवाल पुं० जुओ 'लिवाल'
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४७४
[मृत
लेश
लोढ़ना लेश वि० [सं.] जरा; अल्प (२) पुं० उठावी लेवू; वच्चेथी ज उठावq निशान (३) अणु; सूक्ष्म अंश लोकमत पुं० [सं.] लोकोनो मत लेसना सक्रि० लगाडवू; बाळy (२) लोकसभा स्त्री० [सं.] लोकोना प्रतिलेप करवो; 'पोतना' (३) चोटाडवू
वो. 'पोतना' (३) चोटाडवं निधिनी सभा (४) अहींनं तहीं कहीने लडाडवू; लोकांतर पं.सं.] परलोक. -रित वि० चुगली करवी
लोकाचार पुं० [सं.] लोक-व्यवहार के लेहड़ा पुं० लार; लांबी हार
रूढि-चाल लेहन पुं० [सं.] चाटवं ते
लोकाट पुं० एक फळ के तेनो छोड लेहाजा अ० जुओ 'लिहाजा' लोकापवाद पुं० [सं.] बदनामी; अपकीर्ति लेहाफ़ पुं० जुओ 'लिहाफ़'
लोकायत पुं० [सं.] चार्वाक दर्शन (२) लेह्य वि० [सं.] चाटवा जेवू (२) पुं० आ लोकमां ज माननार चाटण; अवलेह
लोकेषणा स्त्री० [सं.] स्वर्ग के कीर्तिनी लैंप पुं० [ई.] 'लॅम्प'; दीवो
वासना लै अ० (प.) सुधी; लगी; पर्यन्त लोकोक्ति स्त्री० [सं.] कहेवत लैटिन स्त्री० [इं.] लॅटिन भाषा; लातीनी' लोकोत्तर वि० [सं.] अलौकिक असाधारण लैत व लअल, लैतोलाल पुं० [अ.] बहान; लोखर पुं० हजाम के लुहारनां ओजार (वात के कांई) टाळवं ते
लोग पुं०ब०व० लोको लैन स्त्री० [इं. लाईन] लीटी (२) हार लोगाई स्त्री० (प.) जुओ 'लुगाई'
(३) सिपाईओनी रहेवानी बराक लोच स्त्री० लचक (२) कोमळता (३) लैल स्त्री० [अ.] रात्रि रातदिन पुं० अभिलाषा (४) वाळनुं लुंचन लैल व नहार, लैलोनिहार पुं० [अ.]
लोचन पुं० [सं.] आंख. -भर आना= लैसंस पुं० [ई.] लाइसन्स; परवानो ।
___ आंसु आवी जवां लैस वि० [ई.?] तैयार; कटिबद्ध (२) लोट स्त्री० लोटवू-आळोटवू ते पुं० किनार (कपडा पर लगाववानी) लोटना अ०क्रि० लोटवू; आळोटQ (२) लों अ० (प.) जुओ 'लौं'
सूवं; 'लेटना'; आराम करवो. लोट लोंदा पुं० लोंदो; लचको
जाना=बेहोश थq(२)मरी जवू. लोटलोई स्त्री० कणकनो लूओ (२) एक पोट करना='लेटना'; आराम करवो.
जातनी कामळी (३) पुं० (प.) लोक लोट हो जाना, होना=गांडु थई जवं लोकंदा पुं० कन्याने पहेली वळावतां (२) मोही पडवू; आशक होवू साथे दासी जाय ते. -दी स्त्री० तेम
लोटा पुं० लोटो.-डुबाना-बधुं बगाडी जनारी दासी
मूकवू (२) बट्टो लगाडवो .. लोक पुं० [सं.] विश्वनो भाग-भुवन (२) लोटिया, लोटी स्त्री० नानो लोटो; लोटी संसार; पृथ्वी (३) लोको; जनता लोढ़ना सक्रि० लोढवू (२) चूंटवू; लोकना सक्रि० झीलवू (२) अध्धर तोडवू
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लोढ़ा
४७५ लोढ़ा पुं० निशातरो; वाटवानो पथ्थर. लोल वि० [सं.] चंचळ; चपळ(२)अस्थिर;
-डालनाबरोबर सरखं करवं क्षणिक (३) लटकतुं; डोलतुं; झूलतुं लोढ़ाढाल वि० खतम; सत्यानाश (४) आतुर; उत्सुक [लोळियुं लोढ़िया पुं० नानो 'लोढ़ा'
लोलक पुं० [सं.] लटकतुं ते (२) काननुं लोथ स्त्री० लोथ; लाश. -गिरना=लोथ लोला स्त्री० [सं.] जीभ (२) पुं० एक थईने थाकीने के मरीने पडवं; मरवु. रमकडु
[अति उत्सुक -डालना लोथ पाडवी; मारी नांखवू लोलुप वि० [सं.] लोभी; लालचु (२) लोथड़ा पुं० मांसनो लोचो
लोवा स्त्री० लोंकडी (२) 'लवा' पक्षी लोथपोथ वि० थाकीने लोथ थई गयेलं लोष्ट पुं० [सं.] ढे' (२) पथ्थर लोथि स्त्री० (प.) 'लोथ' ___ लोहड़ा पुं० लोढान एक पात्र. -ड़ी लोद (-३) स्त्री० एक झाड
स्त्री० लोढी जेवं पात्र लोन पुं० लूण; मीठु (२) लावण्य लोह पुं० [सं.] लोखंड. ०कार पुं० लुहार लोना वि० मीठावाळं; खारुं (२) लवण; लोहा पुं० लोह; लोढं (२) हथियार सुंदर (३) पुं० दीवालनो लूणो (४) (३) लोढानुं ओजार. -बजना = युद्ध खारी माटी
थवं. (किसीका) -मानना हारवं. लोनार पुं० मीठानो अगर
(किसीसे) -लेना लडवू लोनिया पुं० अगरियो
लोहाना अ०क्रि० लोढानो पास लागवो लोनी स्त्री० लोणीनी भाजी लोहार पुं० लुहार. -रिन स्त्री० लोप पुं० [सं.] लोपावू ते (२) नाश; क्षय लोहार (-रि) न स्त्री० लुहारण लोबत स्त्री० [अ.] पूतळी; ढींगली (२) लोहारी स्त्री० 'लुहारी'; लुहारकाम चित्र. ०बाज पुं० कठपूतळीना नाचनो लोहित वि०[सं.] लाल (२) पुं० लोही तमाशो करनार
(३) मंगळ ग्रह लोबान पुं० [अ.] लोबान; धूप लोहिया पुं० लोढानो वेपारी (२) लोबिया पुं० [फा.] शाकनी एक फळी ___ मारवाडीनी एक जात लोभ पुं० [सं.] लालच
लोहू पुं० लोही लोभना अ.क्रि०(प.) लोभाव; ललचावू लौं अ० (प.) लगी; सुधी लोभित वि० [सं.] लोभायेलं; लुब्ध लौंग पुं० लविंग लोभी वि० [सं.] लोभवाळं; लालचु लौंडा पुं० छोकरो (२) वि० नादान लोम पुं० [सं.] वाळ (२) रोम; रूq (स्त्री०, -डी,-डिया) लोमड़ी स्त्री० लोंकडी; शियाळ लौंडी स्त्री० लूडी (२) छोकरी लोय पुं० (प.) 'लोई'; लोक (२) स्त्री० लौंद पुं० अधिक मास झोळ; आंच
लौंदा पुं० लोंदो; 'लोंदा' लोय (०न) पुं० (प.) लोचन; आंख लौ स्त्री० आगनी झोळ (२) दीवानी लोरी स्त्री० हालरडुं.
शग (३) लगनी; चाह (४) आशा.
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लौआ ४७६
वक़अत -उठना = झोळो नीकळवी. -लगना= लौट-फेर पुं० फेरफार; परिवर्तन लगनी लागवी
लौटाना सक्रि० पाछु आपवू (२) लौआ पुं० जुओ 'कद्द'
उलटाव; फेरव लौकिक वि० [सं.]लोक संबंधी;सांसारिक । लौटानी अ० पाछा फरती वखते लौकी स्त्री० दूधी
लोना पुं० 'लौनी'; लाणी (२) ढोरना लौज पुं० [फा.] बदाम के तेनी बरफी. आगळ पाछळना पग बांधती रसी (३) -जात, -जियात स्त्री० बदामनो (प.) वि० लवण; सुंदर हलवो. -जीना पुं० बदाम पिस्तां- लौनी स्त्री० लणणी; कापणी (२)(प.) वाळी एक मीठाई
माखण लौट स्त्री० पाछु आवq ते
लौलीन वि० (प.) जुओ 'लवलीन' लौटना अ०क्रि० पाछु आवq (२) ऊलटुं लौस पुं० [अ.] संबंध (२) मेल (३) कलंक थर्बु (नाम, लौट स्त्री०)
लौह पुं० [सं.]लोह(२)स्त्री० [अ.]लाकडानुं लौट-पौट स्त्री० ऊलट सुलट करवू ते पाटियु (३) पुस्तक- मुखपृष्ठ (२) बेउ बाजू सर छापकाम ल्यारी पुं० वरु; 'भेडिया'
वंक वि० [सं.] वांकु (२) पुं० नदीनो बांक वंदनीय, वंद्य वि० [सं.] वंदनने योग्य; वंकट वि० वांकु (२) विकट
पूज्य वंकाल पुं०, -ली स्त्री० सुषुम्णा नाडी वंदीगृह पुं० बंदीगृह; जेल वंकिम वि० [सं.] वांकु
वंदीजन पुं० [सं.] बंदीजन वंग पुं० [सं.] बंग; बंगाळ (२) सीसु (३) ।
वंद्य वि० [सं.] जुओ 'वंदनीय' वेंगण (४) कपास
वंश पुं० [सं.] वांस (२) कुल; जाति वंचक वि० [सं.] धूर्त; ठगारु ।
वंशज, वंशधर पुं० [सं.] संतान; ओलाद वंचन पं०, -ना स्त्री० [सं.] ठगाई; वंशलोचन पुं० [सं.] वांसलोचन औषधि छेतर ते
वंशावली स्त्री० [सं.] वंशनी सूचि वंचना सक्रि० वांचq (२) छेतरवू (३) . वंशी स्त्री॰ [सं.] बंसी; वासळी स्त्री० जुओ 'वंचन' मां
वंशीवट पुं० [सं.] वृंदावननो बंसीबट वंचित वि० [सं.] छेतरायेलं (२) रहित; व अ० [फा.] अने ['वरना' विनानुं
[लागतो प्रत्यय व-इल्ला अ० [अ.] नहीं तो; अगर तो; वंद [फा.] 'वाळं' ए अर्थमां शब्दने अंते। वक पुं० [सं.] बक; बगलो वंदन पं०, -ना स्त्री० [सं.] प्रणाम (२) वक़अत स्त्री० [अ.] ताकात (२) शाख; स्तुति (३) पूजन
आबरू (३) किंमत; महत्त्व
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वक़ाया
वक़ाया पुं० ब०व० [अ.] बनावो के तेनी खबरो [मननी स्थिरता वकार पुं० [ अ ] शील; चारित्र ( २ ) anter स्त्री० [अ . ] वकीलात; वकीली (२) प्रतिनिधित्व
वकालतन् अ० [अ.] वकील द्वारा वकालतनामा पुं० [फा.] वकीलातनामुं वक़ीअ वि० [अ] आबरूदार (२) ऊंचुं; बुलंद
वकील पुं० [अ.] वकील (२) राजदूत वकुल पुं० [सं.] बकुलनुं झाड वक़ूअ ( आ ) पुं० [अ.] घटना; बनाव वक़ूफ़ पुं० [ अ ] ज्ञान; समज वक़्त पुं० [ अ ] वखत
वक्तन्- फ़वक्तन्, वक़्त बवक्त अ० [ अ ] कोई कोई वार; वखते वखते वक्तव्य पुं० [ सं . ] जाहेर निवेदन; 'स्टेटमेन्ट' (२) वि० निंद्य; टीकापात्र; कहेवा जेवुं वक्ता पुं० [सं.] बोलनार; व्याख्याता वक्तृता स्त्री० त्व पुं० [सं.] भाषण के तेनी छटा
"
वक्त्र पुं० [ सं . ] मों
वक़्फ़ पुं० [ अ ] वकफ-धर्मादा मालमिलकत. ०नामा पुं० दानपत्र वक़्क़ा पुं० [अ.] छुट्टी; आराम वक्र वि०[सं.]वांकुं (२)पुं० नदीनो वांक वक्रोक्ति स्त्री० [ सं . ] एक अलंकार; व्यंग; टोणो
४७७
वक्ष, -क्षःस्थल पुं० [ सं . ] छाती वगर अ० 'अगर'; यदि; जो वगर-ना अ० नहीं तो; अगर तो वगैरह, वग़ैरा अ० [अ.] वगेरे; इत्यादि वचन पुं० [सं.] बोल ; कथन ( २ ) व्याकरणनुं वचन
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वट
दशा
वजद पुं० [ अ. वज्द] अति हर्षनी मस्त [ वजनवाळु वजन पुं० [अ.] वजन; भार. ०दार वि० वजनी वि० [फा.] वजनदार; भारे वजह स्त्री० [अ.] कारण; हेतु (२) ढंग; रीत वा पुं० [अ.] पीडा; दरद वजा स्त्री० [अ.] बनावट; रचना ( २ ) दशा; हाल (३) ढंग; नीति ( ४ ) प्रसव;
वजादार वि० [फा.] सरस रचनावाऴु; सुंदर (२) फॅशनवाळु (३) नीतिरीतिमां मक्कम वजादारी स्त्री० [फा.] सुंदरता ( २ ) फॅशन ( ३ ) नीतिरीतिमां मक्कमता वजारत स्त्री० [अ.] वजीरपदुं के तेनी कचेरी
वजाहत स्त्री० [अ.] सुंदरता (२) भव्यता (३) मोटाई; आबरू [ कहे ते वजाहत स्त्री० [ अ ] विस्तार करीने वज़ीफ़ा पुं० [ अ ] वजीफो; विद्वान, विद्यार्थी के त्यागी वगेरेने दानमां अपाती वृत्ति ( २ ) जप के पाठ वजीर पुं० [अ.] वजीर; प्रधान (नाम, - री) वजू पुं० [अ. वुजू] वजू; नमाज पहेलां कराती शौचविधि
वजूद पुं० [ अ. वुजूद ] सिद्धि; सफळता (२) अस्तित्व; हयाती (३) देह; शरीर. - पाना=स्थपावु; हयातीमां आववु. में लाना = हयातीमां आणवं; स्थाप वजूहात स्त्री० ['वजह' नुं ब०व०] कारणो वद पुं० [ अ ] जुओ 'वजद' वज्र पुं० [सं.] इंद्रनुं अस्त्र (२) वि० अति कठण के मजबूत
वट पुं० [सं.] वड; 'बरगद '
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afटका
वटी, टिका स्त्री० [सं.] गोळी बटु०क पुं० [सं.] बटुक छोकरो वणिक पुं० [सं.] वाणियो वतन पुं० [ अ ] पोतानुं स्थान - जन्मभूमि वतन परस्ती स्त्री० [फा.] देशभक्ति वतनी वि० [फा.] स्वदेशनुं वतीरा पुं० [अ.] रंगढंग; पद्धति वत्स पुं० [सं.] बाछडो (२) छोकरो वत्सर पुं० [सं.] वरस; साल वत्सल वि० [सं.] वत्स प्रत्ये वहालवाळु वदंती स्त्री० [सं.] वात; कथा वदतोव्याघात पुं० [सं.] कहेली वातथी विरुद्ध पाछु कहे वदन पुं० [सं.] मुख वदान्य वि० [ सं . ] भारे दानी, उदार वदि [सं.], दी अ० वद; कृष्ण पक्षमां वदीअत स्त्री० [ अ ] अनामत वध पुं० [सं.] हत्या; कतल; नाश वधू, ०टी स्त्री० [ सं . ] कन्या ( २ ) वहु (३) पुत्रवधू वध्य वि० [सं.] वधने पात्र वन पुं० [सं.] जंगल
वनचर, वनचरी पुं० [सं.] वनमां फरनार (२) जंगली पशु के माणस
वनमाला स्त्री० [सं.] वननां फूलोनी • माळा. -ली पुं० कृष्ण वनराज पुं० [ सं . ] सिंह वनराज, जी स्त्री० [सं.] वन के वृक्षोनो समूह (२) वननी पगदंडी
बनवास पुं० [सं.] वस्ती छोडी वनमां रहेवा जवं ते. -सी पुं० वनवास करनार वनस्पति स्त्री० [सं.] झाडपान इ० वनिता स्त्री० [सं.] स्त्री
वनी स्त्री० [सं.] नानुं वन
४७८
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वरकी
[बुट्टी
वनेचर पुं० जुओ 'वनचर' वनौषध, -धि स्त्री० [ सं . ] जंगली जडी
वि० [सं.] वन, तेमां थतुं ( २ ) जंगली
o
वपन पुं० [सं.] वाववुं ते (२) मूंड - वतुं
वपु पुं० [सं.] शरीर; देह वफ़ा स्त्री० [अ.] वफा; प्रामाणिकता; ईमानदारी ( २ ) सुशीलता. व्दार वि० प्रामाणिक; ईमानदार (२) स्वामीभक्त (३) राजभक्त. ०दारी स्त्री० वफ़ात स्त्री० [अ.] मरण
पुं० [अ.] प्रतिनिधिमंडळ; डेप्युटेशन aar स्त्री० [ अ ] कॉलेरा, प्लेग जेवी महामारी [ ( ३ ) ईश्वरी कोप वबाल पुं० [अ.] भार; बोजो (२) आफत वमन पुं० [ सं . ] ऊलटी वमनी स्त्री० [सं.] जळो वमि स्त्री० [ सं . ] ऊलटीनो एक रोग वयःक्रम पुं० [सं.] वय; उमर वयःसंधि स्त्री० [सं.] बाळपण ने जवानी वच्चेनो काळ
वय, ०स् [सं.] पुं० उंमर
वयस्क वि० [सं.] उंमरनुं (समासमा) (२) उमरे पहोंचेलुं; सगीर मटेलुं वयस्य पुं० [सं.] सखा; मित्र (२) वि० समान वयनुं; लंगोटियो वयोवृद्ध वि० [सं.] घरडुं वरंच अ० [सं.] बल्के ( २ ) परंतु वर [फा.] वि० 'वाळू' ए अर्थनो प्रत्यय. उदा० 'हुनरवर' ( २ ) पुं० [सं.] वर; पति (३) वरदान (४) वि० उत्तम वरक़ पुं०[अ.] सोनाचांदीनो वरख (२) पुस्तकनुं पानुं. ०साज पुं० वरख बनावनार. - क़ी वि० वरखनं; वरखवाळं
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वरग़लाना
वरग़लाना स०क्रि० बहेकाववु; फटव (२) उकेर [-शी वि० कसरती वरजिश स्त्री० [फा.] व्यायाम; कसरत. वरण पुं० [सं.] वरवुं के पसंद करवुं ते (२) मंगळकार्यमा होता व० ने देवातुं दान वरद, - दाता वि० [सं.] वर देनारुं वरदान पुं० [सं.] वरनुं - इष्ट वस्तुनुं दान. ती वि० वरदाता
वरदी स्त्री० [ अ ] अमलदार वगेरेनो खास पोशाक; 'युनिफॉर्म' वरन् अ० बल्के
वरना अ० [ अ ] नहीं तो; अगर तो वरम पुं० [ अ ] सोजो
वरयात्रा स्त्री० [सं.] वरघोडो (२) जान वरसा पुं० [अ. वर्स: ] वारस वरांगना, वरानना स्त्री० [सं.] सुंदर स्त्री वरासत स्त्री० [अ.] वारसो के वारस होवुं ते. ०न् अ० वारसाहकथी वराह पुं० [सं.]मूंड;सूवर (२) एक अवतार वरिष्ठ वि० [सं.] सर्वोत्तम श्रेष्ठ वरुण पुं० [सं.] एक देव (२) एक ग्रह'नेप्च्यून'
वरुणालय पुं० [सं.] समुद्र वर्ग पुं०[सं.] श्रेणी (२) विभाग (३) गणितनो वर्ग - घात ( ४ ) चोरस वर्गलाना स०क्रि० जुओ 'वरग़लाना' वर्गीकरण पुं०[सं.]वर्गवार तफा पाडवा ते वर्चस् पुं० [सं.] तेज; वर्चस्व [निषेध वर्जन पुं० [सं.] वर्ज वुं ते; त्याग (२) मनाई; वर्जित वि० [ सं . ] छोडेलं; त्यक्त ( २ ) निषिद्ध; मना करायेलुं
वजिश स्त्री० [फा.] जुओ 'वरजिश' वर्ज्य वि० [ सं . ] त्याज्य (२) मना; निषिद्ध वर्ण पुं० [सं.] रंग (२) जाति (३) अक्षर
o
४७९
वलेकिन
वर्णन पुं० [सं.] वर्णववुं ते; बयान वर्तन पुं० [सं.] वर्तवुं ते; व्यवहार ( २ ) 'बरतन'; वासण वर्तमान वि० [सं.] चालु मौजूद वर्तुल वि० [सं.] गोळ (२) पुं० गोळ; वृत्त (३) गाजर ( ४ ) वटाणा वर्त्म पुं० [सं.] रस्तो; मार्ग (२) चीलो वर्दी स्त्री० जुओ 'वरदी'
वर्द्ध ( - ) कवि० [ सं . ] वधारनारुं ( २ ) पुं० सुधार [वृद्धि
वर्द्ध (-र्ध) न पुं० [सं.] वधवुं ते; वधारो; वर्द्ध (-) मान वि० [सं.] वधतुं जतुं (२) पुं० महावीर स्वामी
वृद्धि ( धि ) त वि० [सं.] वलुं वर्म पुं० [सं.] कवच; बखतर [अंते) वर्य, - वि० [सं.] वर; श्रेष्ठ (समासने वर्ष पुं० [सं.] वरस; साल ( २ ) वर्षा. ०गाँठ स्त्री० जन्मगांठ; जयंती. ०फल पुं० वर्षफळ ( जोशी काढे ते) वर्षा स्त्री० [सं.] वरसाद; वृष्टि ( २ ) चोमासुं
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वहीं पुं० [ सं . ] मोर; मयूर [विचलन वलन पुं० [ सं . ] ग्रह आदिनी वक्रगति; वलय पुं० [सं.] कंकण; कडुं (२) घेरो वलवला पुं० [अ.] शोर (२) उत्साह (३) आवेश
वलादत स्त्री० [अ. विलादत ] प्रसव वाहक पुं० [सं.] वादळ ( २ ) पर्वत वलि ( - ली ) पुं० [ सं . ] रेखा; करचली वली पुं० [अ.] मालिक (२) वाली; संरक्षक (३) पीर; फकीर. ० • अल्लाह पुं० मोटो फकीर. ० अहद पुं० युवराज. • अहदी स्त्री० युवराजपद वले, ०क, ०किन अ० [अ.] परंतु; पण
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वल्कल
वल्कल पुं० [सं.] झाडनी छाल के तेनुं वस्त्र. -ली पुं० ते पहेरनार वल्द पुं० [ अ ] पुत्र ( 'वलदे, बिन' ए अर्थमां दस्तावेजमां वपराय छे) afotoत स्त्री० बापनुं नाम दई परिचय आपको ते खानदान
खरेखर
वल्मीक पुं० [सं.] ऊधईनो राफडो वल्लभ वि० [सं.] अति प्रिय ( २ ) पुं० पति (३) प्रिय जन. - स्त्री० पत्नी (२) प्यारी स्त्री वल्लरि, -री स्त्री० [सं.] वेल; लता वल्लाह अ० [अ] ईश्वरना सोगन; [जाणे बल्लाह आलम [अ.] दैव जाणे; कोण वल्ली स्त्री० [सं.] वेल; लता वश पुं० [सं.] काबू ; अधिकार; प्रभुत्व (२) इच्छा. ०वर्ती वि० वशमां रहेनाएं वशा स्त्री० [सं.] स्त्री ( २ ) गाय ( ३ ) वंध्या स्त्री के गाय ( ४ ) नणंद वशिता स्त्री०, त् पुं० [सं.] वश; अधीनता [तेनो मंत्र के जादू इ० वशीकरण पुं० [सं.] वशमां आणवुं ते के वश्य वि० [ सं . ] परवश; आधीन वसंत पुं० [ सं . ] वसंत ऋतु जी वि० आछा पीळा रंगनुं
वसअ०त स्त्री० [ अ ] विस्तार; फेलावो (२) क्षेत्रफळ (३) वसात ; सामर्थ्य वसति, ती स्त्री० [सं.] वास; रहेठाण; घर ( २ ) वस्ती ( ३ ) रात्रि वसन पुं० [सं.] वस्त्र ( २ ) वसवुं ते वसना पुं० [अ.] वाळनो कलफ. - करना = कलफ लगाववो
बसवास पुं० [अ.] वसवसो; भ्रम; आशंका; संदेह - सी वि० शंकावाळु; संशयात्मा
४८०
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वहश
वसह पुं० ( प. ) वृषभ; बेल वसी पुं० [अ.] वारस; जेने नामे वसियत करी होय ते
वसीअ वि० [ अ ] विस्तृत; चोडुं वसीअ ( -य) त स्त्री० [अ.] वसियत; वारसा-व्यवस्था. ०नामा पुं० वारसा
खत
वसी वि० [ अ ] दृढ; मजबूत; टकाउ वसीक़ा पुं० [अ.] वकफनो दस्तावेज वसीला पुं० [अ.] वसीलो; संबंध; सहाय के आशरो (२) रस्तो कार्यसिद्धिनो मार्ग वसुंधरा स्त्री० [सं.] पृथ्वी वसु पुं० [सं.] धन (२) रत्न के सोनुं (३) (आठ) वसु देव. ०दा, ०धा पृथ्वी वसूल वि० [अ.] मळेलं; प्राप्त; चूकते करेलु -नाना = मेळववानुं मळवं वसूली स्त्री० वसूलात; वसूल करवुं के करवानुं ते; प्राप्ति
वस्त पुं० [अ.] मध्यभाग (२) [अ०] वच्चे (वि० -स्ती)
वस्तु; चीज; पदार्थ.
वस्ति स्त्री० [ सं . ] बस्ति; पेडु वस्तु स्त्री० [ सं . ] ०तः अ० खरेखर; साचुं जोतां वस्त्र पुं० [ सं . ] कपडुं वस्फ़ पुं० [ अ ] गुण; विशेषता; खूबी वस्ल पुं० [ अ ] मिलन ( २ ) मृत्यु वस्साफ़ वि० [अ.] प्रशंसक; वखाणनार वह स० ते (२) वि० पेलुं वहदत स्त्री० [ अ ] एकता वहदानियत स्त्री० [ अ ] एकता अद्वितीयता
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वहन पुं० [सं.] वही जवुं - लई जनुं ते वहम पुं० [अ.] वहेम; शंका (वि० - मी) वहश पुं० [ अ ] जंगली जानवर
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वहशत ४८१
वाजिह वहशत स्त्री० [अ.] जंगलीपणुं; असभ्यता वाकिफ़यत स्त्री० [अ.जुओ 'वाक़फ़ियत' (२) गांडपण (३) चंचळता; अधीराई। वाक्य पुं० [सं.] वचन; वाक्य (४) डर; भय; भयंकरता
वागीश पुं० [सं.]ब्रह्मा(२)कवि(३) वक्ता वहशी वि० [अ.] जंगली; असभ्य (२) वागीश्वरी स्त्री० [सं.] सरस्वती _अधीर; चंचळ
वागुरा स्त्री० [सं.] जाळ; फांदो [वडां वहाँ अ० त्यां [तेनो अनुयायी वाग्जाल पुं० [सं.] वातोनी जाळ; वातनां वहाबी पुं० एक मुसलमान संप्रदाय के . वाग्दत्त वि० [सं.] जेने आपवानी वात वहीं अ० त्यां ज
थई होय एवं
[वचन वही स० [वह ही] ते ज (व्यक्ति) (२) ।
वाग्दान पुं०[सं.] कन्यानी सगाई करवानुं स्त्री० [अ.] खुदानो पेगाम
वाग्दोष पुं० [सं.] बोलवामां भूल (२) वहीद वि० [अ.] अनुपम; अजोड
गाळ; निंदा बृहस्पति (३) पंडित वह्नि पुं० [सं.] अग्नि
वाग्मी पुं० [सं.] अच्छु बोलनार (२) वांछनीय वि० [सं.] इच्छवा योग्य वाग्विलास पुं० [सं.] वातोनो आनंद वांछा स्त्री० [सं.] इच्छा; कामना वाङ्मय पुं० [सं.] साहित्य (२) वि० वांछित वि० [सं.] इच्छेलं [ऊलटी वाचा संबंधी वांत वि०[सं.] ऊलटी थयेलं (२) पुं० । वाच, -चा स्त्री॰ [सं.] वाणी [बोलनार वांति स्त्री० [सं.] ऊलटी
वाचक वि० [सं.] सूचक (२)पुं० शब्द (३) वा अ० [सं.] अथवा; या (२) [अ.] हाय; वाचन पुं० [सं.] वांचq ते जगा हा (३) स० (प.) 'वह' नुं व्रज भाषानुं वाचनालय पुं० [सं.] छापां वांचवानी रूप. जेम के 'वाको' 'वाने'
वाचा स्त्री० [सं.] वाणी. ०बद्ध वि० वाइज पुं० [अ.] धर्मोपदेशक; वायेज वचनथी बंधायेलं [बोलनारु वाइदा पुं० [अ.] वायदो; 'वादा' वाचाट, -ल वि० [सं.] वाचाळ; अति वाक् स्त्री० [सं.] वाचा; वाणी वाच्य वि० [सं.] कहेवा जेवू(२) वाचकथी वाक़अ वि०[अ.] बननाएं; थनारुं (२) बतावाय एवं आवेलं; स्थित
वाच्यार्थ पुं० [सं.] शब्दार्थ वाक़ई वि० [अ.] यथार्थ; साचुं (२) । वाज पुं० [अ.] उपदेश (२) धार्मिक कथा
अ० खरेखर; साचे; वस्तुतः वाजा वि० [अ.] बनावनार वाक़फ़ियत स्त्री० [अ] वाकेफगारी;जाण वाजिब वि०[अ.] योग्य; वाजबी (२) (२) परिचय
समाचार पुं० वृत्ति; वेतन [कार्यो वाक़या पुं० [अ. वाक़िअ] बनाव (२) वाजिबात स्त्री० ब०व० [अ.] आवश्यक वाक़ा वि० जुओ वाक़अ'.-होना=बनवू वाजिबी वि० [अ.] वाजबी; योग्य वाक़िफ़ वि० [अ.] वाकेफ
वाजिह वि० [अ.] मालूम; प्रतीत (२) वाक़िफ़कार वि० वाकेफगार; प्रवीण __खुल्लं; स्पष्ट. -होना = मालूम पडवू; वाकियात स्त्री० [अ.] 'वाक़या' मुंब०व० विदित थर्बु
हिं-३१
पत
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वाजी ४८२
वारफेर वाजी पुं० [सं.] घोडो
वाफ़ी वि० [अ.] पूरतुं; जोईए तेटलं वाजीकरण पुं० [सं.] दवाथी शक्ति वाबस्ता पुं० [फा.] वाबस्तं; सगं; संबंधी वधारवी ते - तेवो प्रयोग
वाम वि० [सं.] डावू (२) ऊलटुं; विरुद्ध वाट पुं० [सं.] वाट; रस्तो (२) वाडो (३) वांकुं; खराब (४) सुंदर; प्रिय वाटिका स्त्री० [सं.] वाडी; बगीचो । वामन वि० [सं.] गटुं (२) पुं० गट्टो वाडव,-वाग्नि,-वानल पुं० [सं.] वड- वामा स्त्री० [सं.] स्त्री वानल
वाय अ० [फा.] 'हाय' अर्थनो उद्गार वाणिज्य पुं० [सं.] वेपार
वायव्य वि०[सं.] वाय संबंधी (२) पुं० वाणी स्त्री० [सं.] बोल; वचन; वाचा उत्तर-पश्चिम खूणो कागडी वात पुं० [सं.] वायु
वायस पुं० [सं.] कागडो. -सी स्त्री० वातायन पुं० [सं.] बारी (२) झरूखो
वायु पुं० [सं.] पवन; हवा. ०कोण पुं० वातावरण पुं० [सं.] पृथ्वीनी चोमेर वायव्य खूणो. ०मंडल पुं० वातावरण.
हवानो पट छे ते (२)आसपासनी स्थिति ०यान पुं० अॅरोप्लेन वातुल वि० [सं.] गांडु; पागल वारंट पुं० [ई.] वॉरंट; हुकमनाम. वात्सल्य पुं० [सं.] वहाल; स्नेह गिरफ्तारी पुं० पकडवानुं वॉरंट. वाद पुं० [सं.] शास्त्रीय कोई दलील के
तलाशी पुं० जगा तपासवानुं वॉरंट. मान्यता; 'इझम'
रिहाई स्त्री० छोडवान वॉरंट वादन पुं० [सं.] वाजूं के ते वगाडवू ते । वारंवार अ० [सं.] फरी फरी वादा पुं० [अ.] वायदो; करार; वचन. वार पुं० [सं.] दिवस (२) वखत; वेळा; -खिलाफ़ी करना वायदाथी विरुद्ध वारो (३) वारण; रोकवं ते (४) करवं. -वफ़ाई करना वायदो पूरो नदीनो किनारो करवो
वार पुं० बार; हल्लो; चोट (२) वि० वादित्र पुं० [सं.] वाजु; वाजिंत्र [फा.] अनुक्रम सूचक प्रत्यय. जेम के वादी स्त्री० [अ.] पहाडो वच्चेनी खीण माहवार (३) तेवू के ते वाळु सूचवतो
(२)[सं.] (अदालतमां) वादी; फरियादी प्रत्यय. जेम के सजावार वाद्य पुं० [सं.] वाजु [आश्रम वारण पुं० [सं.] वारवं ते(२)मनाई; निषेध वानप्रस्थ पुं० [सं.] निवृत्तिनो- बीजो (३) हाथ [फिसाद; मारामारी वानर पुं० [सं.] वांदलं.-री स्त्री० वांदरी वारदात स्त्री० [अ.] दुर्घटना (२) दंगोवापस वि० [फा.] पार्छ. -करना-पार्छ वारना सक्रि० ओवारदुं (२) पुं०
आपq. -होनागाछं फरवू (२) पार्छ ओवारj. वारने जाना-वारी जवं अपावू
पार्छ फरवू ते वारनिश स्त्री० [.] वार्निश; रोगान वापसी वि० पार्छ फरतुं-वळतु(२)स्त्री० वारपार पुं० (नदीनी) आ पारथी ते वापी,-पिका स्त्री० [सं.] बाव
पार; पूरो विस्तार (२) अ० पारोपार वाफ़िर वि० [अ.] खूब; पुष्कळ वारफेर स्त्री० बलि; न्योछावर करेलु ते
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वाहित
वारफ्तगी
४८३ वारफ़्ता वि० [फा.] 'बेखुद'; मस्त; वाला पुं० [अ.] रोककळ (२)शोरबकोर __ आत्मामां लीन.-पतगी स्त्री० 'बेखुदी' वाष्प पुं० [सं.] बाष्प; वराळ (२) आंसु वारमुखी, वारवधू, वारस्त्री, वार- वासंती स्त्री० [सं.] जूई वेल
वनिता, वारांगना स्त्री० [सं.] वेश्या वास पुं० [सं.] वास; घर के रहेठाण (२) वारा पुं० करकसर (२) लाभ (३) वि० सुवास; सुगंध सस्तुं (४) (व्रजमां)-वाळ; 'वाला' ए वासक पुं०, -का स्त्री० [सं.] अरडूसी अर्थनो प्रत्यय(५)वारी गयेलु न्योछावर वासकेट पुं० स्त्री० [इ.] जुओ 'वास्कट' वारा-न्यारा पुं० फैसलो; निवेडो वासना स्त्री० [सं.] इच्छा; आशा; चाह वारि पुं० [सं.] पाणी. ०ज पुं० कमळ वासर पुं० [सं.] वार; दिवस वारित वि०[सं.] वारेलु; रोकेलं; मना वासव पुं० [सं.] इंद्र करायलं
वासा स्त्री० [सं.] जुओ 'वासका' वारिद वि० [अ.] आवनार (२) पुं० वासिक वि० [अ.] दृढ; पाकुं
महेमान (३) दूत (४) [सं.] वादळ . वासिल वि० [अ.] वसूल थयेलं; मळेलं. वारिधि पुं० [सं.] समुद्र
०बाक़ी स्त्री० [अ.] वसूल बाकी. वारियाँ स्त्री० वारी जq ते; न्योछावर नवीस पु० वसूल बाकीनो हिसाबवारिस पुं० [अ.] वारस
नीस; वसूलदार वारीफेरी स्त्री० बाधा के अशुभ दूर
वासिलात स्त्री० कुल वसूल करवा माथे फेरवीने उतार ते वास्कट पुं०; स्त्री० [इं.] वासकोट वारुणी स्त्री० [सं.] दारू
वास्तव वि० [सं.] वास्तविक; खरुं; वारे-न्यारे होना = खूब फायदो थवो यथार्थ (२) पुं० वस्तुता; यथार्थ तत्त्व. वार्ड पुं० [इं.] वॉर्ड; विभाग; लत्तो में अ० खरुं जोतां वार्डर पुं० [इं.) (जेलनो) वॉर्डर वास्तविक वि० [सं.] वास्तव; खरुं वार्ता,-र्ता स्त्री० [सं.] वात; खबर (२) वास्ता पुं० [अ.] संबंध; लेवादेवाः-पड़ना
अफवा (३)विषय;प्रकरण (४)वातचीत = काम पडवू; संबंधमां आववं वार्ता (-र्ता)लाप पुं० [सं.] वातचीत वास्तु पुं० [सं.] घर; मकान (२) तेने वार्द्धक्य पुं० [सं.] घडपण (२) वृद्धि
योग्य जगा [विद्या-इजनेरी वार्षिक वि० [सं.] वर्ष- के तेने लगतुं । वास्तुविद्या स्त्री० [सं.] मकान करवानी
(२) दरेक वर्षतुं (३) वर्षा ऋतुनुं वास्ते अ० [अ.] माटे; सारु वाला 'वाळं' अर्थनो प्रत्यय (स्त्री०वाली) वाह अ० [फा.] वाह ! उद्गार वाला वि० [फा. उच्च; श्रेष्ठ वाहक पुं० [सं.] वहन करनार वालिद पुं० [अ.] पिता
वाहन पुं० [सं.] 'सवारी';गाडी इ०साधन वालिदा स्त्री० [अ.] माता
वाहवाही स्त्री० वाहवाह; प्रशंसा वालिदैन पुं० ब० व० [अ.] माबाप वाहिद वि० [अ.] एकमात्र (२) पुं० वालुका स्त्री० [सं.] रेती
ईश्वर (३) (व्या.) एकवचन .
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.
वाहिनी
४८४
विचारना वाहिनी स्त्री० [सं.] सेना (२) नदी विक्री स्त्री० वेचाण (२) वकरो वाहिब वि० [अ.] क्षमाशील; दयाळु विक्रेता पुं० [सं.] वेचनार वाहिम वि० [अ.] वहेम के कल्पना । विक्षिप्त वि० [सं.]फेंकेलं(२)व्यग्र; विह्वळ करनालं; कल्पनाशील
विक्षुब्ध वि० [सं.] क्षोभ पामेलं; अशांत वाहिमा स्त्री० [अ.] कल्पनाशक्ति विक्षेप पुं० [सं.] फेंकवं ते (२) व्यग्रता वाहियात वि० वाहियाद; नकामु (२) (३) विघ्न खराब; बूरुं
विक्षोभ पुं० [सं.] क्षोभ; अशांतता; उद्वेग वाही वि० [अ.] नवरं; नकामु (२) सुस्त; । विख पुं० (प.) वख; झेर (२) वि० ढीलु (३) मूर्ख (४) बेहूदुं (५) [सं.] [सं.] नकटुं; नाक विनानुं वही-लई जनालं; वाहक
विख्यात वि० [सं.] जाणीतुं प्रसिद्ध.-ति वाही-तबाही वि० बेहू, (२) ढंगधडा स्त्री० प्रसिद्धि
वगरनुं (३) स्त्री० तेवी वातो विगंध वि० [सं.] निर्गंध (२) गंधातुं विकट वि० [सं.] कठण; मुश्केल (२) विगत वि० [सं.] गयेलं; वीतेलं; पहेलांन वांकु (३) भयंकर
विगति स्त्री० सं.] दुर्गति; खराबी विकराल वि० [सं.] विकराळ; भयंकर । विगर्हण पुं०, -णा स्त्री० [सं.] निंदा; विकल वि०[सं.] व्याकुळ; बेचेन (२) तुच्छकार
[(२) खराब कलारहित (३) व्यंग; खंडित विहित वि० [सं.] निंदित; तुच्छकारायेलं विकलित वि० [सं.] व्याकुळ (२) दुःखी । विगलित वि० [सं.] पीगळेलं; ढीलु पडेलु विकल्प पुं०[सं.] भ्रांति (२) ऊलटी- विगुण वि. सं.] गुणहीन
विपरीत कल्पना (३) विविध कल्पना विग्रह पुं० [सं.] शरीर (२) युद्ध; झघडो विकसना अ०क्रि० विकसवू; खीलQ विघटन पुं० [सं.] विगठन; संगठन मटी विकार पुं०[सं.] बदलावू के बगडवू ते जq ते
(२) रोग; दोष (३) वासना विघ्न पुं० [सं.] अडचण; खलेल विकास पुं० [सं.] खिलवणी; फेलावो विचक्षण वि० [सं.] चतुर; बुद्धिमान (२) विकीर्ण वि० [सं.] वीखरायेलु(२)विख्यात निपुण; प्रवीण । विकृत वि० [सं.] विकारवाळू; बगडेलं;
विचरना अ०क्रि० विचरवं; हरवु-फरवू दोषित. -ति स्त्री० विकार; दोष विचल,-लित वि० [सं.] अस्थिर; चलित विकेट पुं० [इं.] क्रिकेटनी विकेट विचार पुं० [सं.] ख्याल; समज; मननो विक्टोरिया स्त्री० [इं.] चार पैडांनी एक निश्चय [(२) न्यायाधीश जातनी बगी
विचारक पुं० [सं.] विचार करी जाणनार विक्रम पं०सं.] ताकात; बळ. -नी वि० विचारणा स्त्री० [सं.] विचारवं ते बळवान (२) विक्रमने लगतुं
विचारणीय वि० [सं.] विचारवा योग्य विक्रय पुं० [सं.] वेचाण
के तेम करवानी जरूरवाळं विक्रांत वि० [सं.] पराक्रमी; वीर विचारना सक्रि० विचार,
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४८५
विचारालय विचारालय पुं० [सं.] न्यायाधीशनी
कचेरी; अदालत विचिकित्सा स्त्री० [सं.] शक; संदेह विचित्र वि० [सं.] अद्भुत; आश्चर्य
कारक (२) सुंदर (३) चित्रविचित्र विच्छिन्न वि० [सं.] छेदाईने छूटुं पडेलु
(२) छूटुं; भिन्न; अलग; जुदुं विच्छेद,०न पुं० [सं.] कापq के अलग
करवू के थर्बु ते विछलना अ० क्रि० चळवू; 'फिसलना' विछोह पुं० वियोग; विच्छेद (वि०-ही) विजन वि० [सं.] एकांत; निर्जन (२)
पुं० वींजणो विजना पुं० (प.) 'विजन'; वीजणो विजय स्त्री० [सं.] फतेह; जीत विजया स्त्री० भांग (२) विजयादशमी विजयी वि० [सं.] जीतनार विजात वि० [सं.] कुजात; वर्णसंकर; जारज
जातिनुं विजाति, -तीय वि० [सं.] जुदी-भिन्न विजारत स्त्री० [अ.] जुओ 'वजारत' विजिगीषा स्त्री० [सं]. जीतनी इच्छा.
-षु वि० ते इच्छावाळं विजिट स्त्री० [इं.] मुलाकात विजित वि० [सं.] जितायेलं विजेता पुं० [सं.] जीतनार विजोग पुं० (प.) वियोग विजोर वि० कमजोर (२) पुं० बिजोएं विज्ज स्त्री० वीजळी विज्ञप्ति स्त्री० [सं.] विनंती (२) जाहेरात
(३) नोटिस; सूचना विज्ञान पुं० [सं.] कोई विषय- खास ज्ञान ।
के शास्त्र. -नी पुं० तेनो जाणकार विज्ञापन पुं० [सं.] जुओ 'विज्ञप्ति'
विदारण विट पुं० [सं.] लंपट (२) लुच्चो; धूर्त विटप पुं० [सं.] झाड के तेनी शाखा विडंबना स्त्री० [सं.] मश्करी (२) नकल;
अनुकरण करवू (२) भगाडवू विडारना सक्रि० वेरणछेरण,नष्ट-भ्रष्ट विडाल पं.सं.] बिलाडी. -ली स्त्री० वितंडा स्त्री० [सं.] नकामी-खोटी दलील
के वाद वितत वि० [सं.] फेलायेलु; विस्तृत वितथ,-थ्य वि० [सं.] असत्य; जूळू;मिथ्या वितरण पुं० [सं.] दान (२) बहेंचणी वितरना सक्रि० (प.) वहेंचवू वितरेक, वितरिक्त अ० (प.) सिवाय; 'व्यतिरिक्त'
[शंका वितर्क पुं० [सं.] विशेष के वधु तर्क (२) वितल पुं० [सं.] एक पाताळ वितान पुं० [सं.] फेलावो; विस्तार वितुंड पुं० [सं.] हाथी वित्त पुं० [सं.] धन; संपत्ति विथकना अ०क्रि० (प.) थाकवू; ढीलुं थq
(२) मोह के आश्चर्यथी चूप थई जवू वियकित वि० (प.) थाकेलं विथराना, विथारना स०क्रि०. (प.) बधे
पाथरवू - फेलावq व्यथित विथा स्त्री० (प.) व्यथा. -थित वि० विथारना स०क्रि० जुओ 'विथराना' विदग्ध वि० [सं.] काबेल; चतुर;
होशियार (२) दाझेलु विदरना अ०क्रि० फाटq; चिराई (२)
सक्रि० फाडवू; विदार विदा स्त्री० [अ.] विदाय विदाई स्त्री० विदाय (२) विदायगीरी
के त्यारे अपातुं धन विदारण पुं० [सं.] विदार-चीर, ते
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विवारना
४८६
विनश्वर विदारना सक्रि० विदारवं; चीर विधर्म (-र्म) पुं० परधर्म (२) वि० विदारी स्त्री० एक कंठरोग (२) एक धर्म के गुण विनानु; खोटुं. -मी वि० जातनुं कंद (३) वि० [सं.] विदारे- परधर्मी (२) धर्मभ्रष्ट फाडे एवं
विधवा स्त्री० [सं.] रांडेली स्त्री विदाही वि० [सं.] दाही; दाहक विधाता पुं० [सं.] ब्रह्मा (२) व्यवस्थापक; विदित वि० [सं.] ज्ञात ; जाणेलं प्रबंधक विदिश,-शा स्त्री० [सं.] बे दिशा वच्चेनो ।
विधान पुं० [सं.] विधि; क्रिया (२) खूणो
[नष्ट कथन; उक्ति (३) नियम; कायदो. विदीर्ण वि० [सं.] फाटेलं; चीरेलु (२) परिषद् स्त्री० उपली धारासभा. विदुर वि० [सं.] चतुर; दक्ष (२) पुं० सभा स्त्री० नीचली धारासभा तेवो पुरुष
विधायक वि० [सं.] विधान करनार; विदुषी स्त्री० [सं.] विद्वान स्त्री रचनार; नियामक विदूर वि० [सं.] घणुं दूर
विधि स्त्री० [सं.] रीत; ढंग (२) विदूषक पुं० [सं.] अति विषयी माणस. शास्त्रोक्त व्यवहार (३) पुं० ब्रह्मा (४) (२) मश्करो
दैव. -बैठना = मेळ खावो; फावq विदूषना सक्रि० दोष देवो (२) सतावQ विधु पुं० [सं.] चंद्र (२) ब्रह्मा (३) अ.क्रि० दुःखी थवं
विधुर वि० [सं.] दुःखी; व्याकुळ (२) विदेश पुं० [सं.] परदेश [जनक राजा पुं० रांडेलो
[योग्य विदेह वि० [सं.] देह वगरनुं (२) पुं० विधेय वि० [सं.] कहेवा के करवा विद्ध वि० [सं.] वींधायेलं
विध्वंस पुं० [सं.] नाश (२) घृणा; विद्यमान वि० [सं.] हयात; मोजूद __ अनादर (३) शत्रुता; वेर. -सी पुं० विद्या स्त्री० [सं.] (कोई खास) ज्ञान; नाश करनार जाणकारी
विध्वस्त वि० [सं.] नाश थयेलं विद्यार्थी पुं० [सं.] विद्या भणनार; छात्र विनत वि० [सं.] वळेलं; वांकु (२) विद्यालय पुं० [सं.] शाळा
विनीत; नम्र (३) शिष्ट विद्युत् स्त्री० [सं.] वीजळी (२) संध्या. विनति,-ती,-तड़ी स्त्री० विनंती (२)
मापक पुं० वीजळी मापवानुं यंत्र नमवं-झुकवं ते विद्रुम पुं० [सं.] कूपळ (२) परवाळं विनम्र वि० [सं.] अति नम्र; विनयी विद्रोह पुं० [सं.] बळवो; सामे थर्बु ते विनय स्त्री० [सं.] नम्रता; सभ्यता; विद्वत्ता स्त्री० [सं.] पंडिताई
शिष्टता (२) शिक्षण (३) विनंती; विद्वान् पुं० [सं.] पंडित; ज्ञानी [वेरी अनुनय. -यी वि० विनयवाळं विद्वेष पुं० [सं.] द्वेष; वेर. -बी,-ष्टावि० विनश(-स)ना अ०क्रि० (प.) वणसवू; विधना स०क्रि० मेळवq (२) पुं० नाश पाम विधि; भावी
विनश्वर वि० [सं.] नाशवंत
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विनष्ट
विनष्ट वि० [ सं . ] नाश पामेलुं; मृत; भ्रष्ट विनसना अ०क्रि० (प.) जुओ 'विनशना' वितसाना अ० क्रि० ( प. ) 'विनसना' (२)
o
स०क्रि० वणसाडवं विना अ० [सं.] वगर; सिवाय विनाथ वि० [सं.] अनाथ [ बरबादी विनाश पुं० [ सं . ] खुवारी; नाश; हानि; विनासना स०क्रि० ( प. ) जुओ 'विनसाना' विनिमय पुं० [ सं . ] बदलो; आप-ले (२) गीरो विनियोग पुं० [सं.] उपयोग; खपमां लेवुं ते (२) प्रवेश [सुशील विनीत वि० [सं.] विनयी; सभ्य; नम्र; वि अ० ( प. ) विना
विनोद पुं० [ सं . ] कौतुक,गमत; हांसी-खेल. -दी वि० विनोदवाळं [गोठवणी
•
विन्यास पुं० [सं.] रचना; सजावट; विपक्ष पुं० [ सं . ] सामेनो - विरुद्ध पक्ष (२) वि० सामेनुं ; विरुद्ध. - श्री पुं० सामावाळियो
४८७
विपत्ति स्त्री० [ सं . ] संकट; आफत ( २ ) दुःखदशा (३) मुश्केली; पंचात . - ढहना = दुःख आवी पडवुं
विपथ पुं० [ सं . ] कुमार्ग; आडो रस्तो विपद, - दा स्त्री० [सं.] विपत्ति; आफत विपन्न वि० [ सं . ] दु:खी; विपत्तिमां आवेलुं विपरीत वि० [ सं . ] ऊलटुं; ऊंधु; अवळं; प्रतिकूल
विपर्यय, विपर्यास पुं० [सं.] ऊलटुं; अवळुसवळं थवुं ते (२) भ्रम [अस्तव्यस्त विपर्यस्त वि० [सं.] विपर्यय पामेलुं (२) विपाक पुं० [सं.] परिपक्व दशा; फळ (२) दुर्दशा (३) स्वाद विपात पुं० [ सं . ] विनिपात; नाश विपादिका स्त्री० [ सं . ] पगनो एक रोग
विभ्राट्
विपिन पुं० [सं.] वन; जंगल ( २ ) उपवन; बाग
विपुल वि० [सं.] खूब; पुष्कळ ( २ ) अगाध विपुला स्त्री० [ सं . ] धरती; पृथ्वी विप्र पुं० [सं.] ब्राह्मण विप्रलंभ पुं० [सं.] वियोग (२) छळ, धोखो विप्लव पुं० [सं.] बळवो; उत्पात ( २ ) पाणीनी रेल (३) नाश
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विफल वि० [सं.] फळरहित; व्यर्थ; नका विबुध पुं० [ सं . ] विद्वान (२) चंद्र (३) देव विबोध पुं० [सं.] जागरण ( २ ) होंशमां आववुं ते; सावधानी (३) ज्ञान; बोध विभक्त वि० [सं.] छूटुं; भाग पाडेलुं के बहॅचेलुं विभक्ति स्त्री० [सं.] वहेंचणी; विभाजन (२) व्या०नी विभक्ति; कारक विभव पुं० [सं.] वैभव, साहेबी; ऐश्वर्य (२) मुक्ति [ राजा विभाकर पुं० [सं.] सूर्य (२) अग्नि ( ३ ) विभाग पुं० [सं.] हिस्सो; खंड (२) खातुं विभाजन पुं० [सं.] विभाग करवा ते ( २ )
वहेंचणी (३) भाजन; पात्र विभात पुं० [सं.] प्रभात; सवार विभाति स्त्री० [सं.] शोभा; प्रभा विभावरी स्त्री० [सं.] रात (२) खराब स्त्री विभिन्न वि० [सं.] भिन्न; जुदुं (२) विविध विभु वि० [सं.] सर्वव्यापक ( २ ) पुं० प्रभु विभूति स्त्री० [ सं . ] ऐश्वर्य; वैभव, समृद्धि विभूषण पुं० [ सं . ] भूषण; शणगार; शोभा विभेद पुं० [सं.] भेद; अंतर; फरक (२) छेद; काणुं
विभ्रम पुं० [सं.] भ्रम; संदेह (२) गभराट (३) भ्रमण; चक्कर विभ्राट् पुं० [सं.] वखेडो; झघडो
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विमत
विमत पुं० - ति स्त्री० [सं.] विरुद्ध मत (२) असंमति
[खिन्न
४८८
विमन, ०स्क वि० [सं.] अनमनुं; उदास; विमर्श, ०न पुं० [सं.] विचार; विवेचन; समीक्षा
विमल वि० [सं.] निर्मळ; स्वच्छ विमाता स्त्री० [सं.] सावकी मा विमान पुं० [सं.] हवाई वाहन (२) रथ विमुक्त वि० [सं.] मुक्त; स्वतंत्र; छूटुं (२) रहित
विमुक्ति स्त्री० [सं.] मुक्ति; स्वतंत्रता विमुख वि० [ सं . ] विरुद्ध; सामेनुं; प्रतिकूळ विमुद वि० [सं.] अप्रसन्न; उदास विमूढ़ वि० [ सं . ] मूढ; अति मोहमां पडेलुं; जड [(२) रहित वियुक्त वि० [सं.] विखूट; छूटुं; अलग वियोग पुं० [सं.] छूटुं पडवुं ते (२) विरह वियोगान्त वि० [सं.] अशुभान्त (नाटक इ० ) [ रंगोनुं विरंग वि० [सं.] खराब रंगनुं (२) विविध विरंचि पुं० [सं.] ब्रह्मा विरक्त वि० [सं.] वैराग्य वाळु निवृत्त (२) विमुख; अलग
o
विरक्ति स्त्री० [सं.] वैराग्य; उदासीनता विरचित वि० [सं.] रचायेलुं; बनेलुं विरत वि० [सं.] विशेष रत - लीन ( २ ) विरतिवाळु विरक्त
विरद पुं० [सं. विरु] विरद; ख्याति विरदावली स्त्री० बिरदावली; यशोगान विरल वि० [सं.] अलग अलग; छूटं (२) दुर्लभ (३) अल्प
विरस वि० नीरस; फीकुं; अप्रिय विरसा पुं० 'वारसा'; वारसो विरह पुं० [सं.] जुदाई; वियोग के तेनुं
विलगाना
दुःख - हिणी स्त्री० विरहवाळी स्त्री. - ही पुं० विरहवाळो
विराग पुं० [ सं . ] वैराग्य. गी वि० वेरागी विराजमान वि० [सं.] शोभीतुं (२) हयात विराजना अ०क्रि० विराजवुं; शोभवुं (२) विराजवं; बेसवं (३) हाजर होवु विराट वि० [सं.] बहु मोटुं (२) पुं० विश्वरूप; विभु [ आराम विराम पुं० [सं.] विरमवु, थोभवुं ते; विरासत स्त्री० [ अ ] जुओ 'वरासत' विरुद पुं० [ सं . ] ख्याति; प्रशस्ति fararaat स्त्री० [ सं . ] जुओ 'विरदावली' विरुद्ध वि० [सं.] सामे; प्रतिकूळ विरूप वि० [सं.] ऊलटुं (२) कदरूपुं विरेचक वि० [सं.] रेचक; ' दस्तावर.' -न पुं० रेच के तेनी दवा विरोचन पुं० [सं.] सूर्य (२) चंद्र (३) अग्नि (४) प्रकाश; चमक विरोध पुं० [सं.] अणबनाव; प्रतिकूळता (२) सामे होवुं के थवुं ते; शत्रुता विरोधाभास पुं० [सं.] विरोधनो आभास; एक अर्थालंकार [सामेवाळं; शत्रु विरोधी वि० [सं.] सामेनुं प्रतिकूळ ( २ ) विर्द स्त्री० [ अ ] नित्यनुं कार्य; दैनिक कार्य विलंब पुं० [सं.] ढील; मोडुं थवुं ते (२) लटकवुं ते [ लटकवुं विलंबना अ०क्रि० विलंब करवो (२) विलंबित वि० [सं.] लटकतुं (२) ढीलमां पडतु; विलंबवाळं विलक्षण वि० [सं.] अपूर्व; असाधारण विलखना अ०क्रि० जुओ 'बिलखना' विलग वि० (२) पुं० जुओ 'बिलग' विलगाना अ० क्रि० (२) स०क्रि० जुओ 'बिलगाना'
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विलपना
४८९
विश्लिष्ट विलपनाअक्रि० विलाप करवो;विलपवू विवाद पुं० [सं.] वाग्युद्ध (२) सामो वाद विलाप पुं० [सं.] रोवू ककळq ते के मत (३) झघडो विलायत पुं०; स्त्री० [अ.] पारको के विवाह पुं० [सं.] लग्न.-हित वि० परणेलं
दूरनो देश. -ती वि० परदेशी विवाहना सक्रि० परणवू; 'ब्याहना'. विलायती बैंगन पुं० टोमेटो
विविक्त वि० [सं.] एकलुं; एकांत (२) विलास पुं० [सं.] लहेर; मजा (२) । शुद्ध; पवित्र एशआराम; सुखभोग (३) शृंगारना विविध वि० [सं.] अनेक जातवें हावभाव के चेष्टा (२) वेश्या । विवृत वि० [सं.] खुल्लं; पहोळं; विस्तृत विलासिनी स्त्री०[सं.] युवती; कामिनी विवेक पुं० [सं.] सारानरसानी समज के विलासी वि० [सं.] विलासप्रिय; कामी; ।
तेनी शक्ति. -की वि० विवेकवाळू एशआरामी
विवेचन पुं० [सं.] अवलोकन, परीक्षा, के विलीन वि० [सं.] लीन; अलोप थयेलं
__मीमांसा; सारासार- निरूपण (जेम के ओगळीने के मळी जईने) विशद वि० [सं.] स्पष्ट; साफ (२) विलेप,०न पुं० [सं.] लेप के ते करवो ते चोख्खं; स्वच्छ (३) सफेद विलोकन पुं० [सं.] जोवं, तपासवू के
विशारद वि० [सं.] प्रवीण; दक्ष; कुशळ निहाळवं ते
विशाल वि० [सं.] विशाळ; मोटुं विलोचन पं० [सं.] आंख (२) विघ्न विशिष्ट वि० [सं.] विशेष; खास; विलोप,०न पुं० [सं.] लोप करवू ते; नाश असाधारण विलोम वि० [सं.] ऊलटुं; सामेनुं (२) पुं० विशुद्ध वि० [सं.] शुद्ध; निर्मळ; चोखं; साप
पवित्र. -द्धि स्त्री० शुद्धता; पवित्रता विलोल वि० [सं.] लोल; अस्थिर; चंचळ विचिका स्त्री० [सं.] कॉलेरा रोग विल्व पुं० [सं.] बिल्व; बीलु के बीली. विशंखल वि० [सं.] क्रम के बंधन विनानुं ०पत्र पुं० बिल्वपत्र
विशेष वि० [सं.] वधु (२) खास (३) विवक्षा स्त्री० [सं.] बोलवानी इच्छा (२) असाधारण (४)पुं० भेद; तफावत (५) __अर्थ; मतलब; आशय
अधिकता; वधारो (६) खास गुण । विवक्षित वि० [सं.] अभिप्रेत; अपेक्षित विशेषश वि० [सं.] खास जाणनार; तज्ज्ञ
(२) पुं० प्रयोजन; उद्देश; आशय विशोक वि० [सं.] शोकरहित (२) पुं० विवर पुं० [सं.] काj (२) गुफा (३) बोड अशोक वृक्ष विवरण पुं० [सं.] विस्तारथी कहेवू ते; विश्रंभ पुं० [सं.] विश्वास (२) प्रेम वर्णन; बयान
रहित विश्रांति स्त्री०, विश्राम पुं० [सं.] आराम; विवर्ण वि० [सं.] वर्ण (रंग के जाति) थाक [स्त्री० प्रख्याति विवर्त पुं० [सं.]आकाश(२)समूह(३)भ्रम विश्रुत वि० [सं.] विख्यात; प्रसिद्ध. -ति विवश (-स) वि०[सं.] लाचार; अवश विश्लिष्ट वि० [सं.] पृथक्; छुटुं (२) विवस्त्र वि० [सं.] वस्त्ररहित; नागुं खीलेलं (३) ढीलु
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४९०
विश्लेषण
विहार विश्लेषण पुं० [सं.] छूटुं करवू ते; विषुव (त्) रेखा पुं० [सं.] विषुववृत्त पृथक्करण
विषेला वि० झेरी विश्वंभर पुं० [सं.] भगवान; प्रभु विष्टा,-ष्ठा स्त्री० [सं.] गू. विश्व पुं० [सं.] सृष्टि; ब्रह्मांड विष्टि स्त्री० [सं.] वेठ (२) मजूरी विश्वविद्यालय पुं०युनिवर्सिटी;विद्यापीठ विष्ठा स्त्री० जुओ 'विष्टा' विश्वसनीय, विश्वस्त वि० [सं.] विश्वास- विष्ण पं० सं.] एक हिंदु देव. ०पदी पात्र
[ब्रह्म __ स्त्री० गंगा नदी [(२) दगो विश्वात्मा, विश्वाधार पुं० [सं.] ईश्वर; विसंवाद पुं० [सं.] असंगतता; विरोध विश्वास पुं० [सं.] भरोसो; श्रद्धा; यकीन. विसदृश वि० [सं.] असमान; ऊलटुं; जुहूं
-जमाना,दिलाना विश्वास पेदा करवो विसर्ग पुं० [सं.] त्याग (२) दान (३) विश्वासघात पुं० [सं.] दगो; धोखो शौच; मळत्याग (४) मोक्ष (५)लिपिनो विश्वासी पुं० [सं.] विश्वास करनार (२) (6) विसर्ग विश्वासपात्र
विसर्जन पुं० [सं.] छोडवू ते (२) बरखास्त विश्वेदेव पुं० [सं.] अग्नि
करवं ते; अंत विश्वेश,-श्वर पुं० [सं.] ईश्वर विसर्प पुं०[सं.] एक जातनो ताव (खस विश्वकोश पुं० [सं.] एन्साइक्लोपीडिया'; खुजली साथे) सर्वसंग्रह
विसी वि० [सं.] चेपी [ मृत्यु विष पुं० [सं.] वख; झेर. -को गाँठ विसाल पुं० [अ.] संयोग (२) संभोग (३)
=उपद्रवकारी के पंचातनुं घर विसूचिका स्त्री० [सं.] कॉलेरा विषण्ण वि० [सं.] खिन्न; दुःखी विस्तार पुं० [सं.] फेलावो । विषधर पुं० [सं.] साप
विस्तीर्ण, विस्तृत वि० [सं.] फेलायेलं; विषमंत्र पुं० [सं.] झेर उतारवानो मंत्र विस्तारवाळू
[फोल्लो विषम वि० [सं.] असमान (२) कठण; विस्फोट पुं०[सं.] फूटवू ते (२) झेरी
मुश्केल (३) पुं० संकट [वासना विस्फोटक वि०[सं.] फूटे एवं (२) पुं० विषय पुं० [सं.] बाबत; वस्तु (२) काम- तेवो पदार्थ विषयक वि० [सं.] (समासमां) अमुक विस्मय पुं० [सं.] आश्चर्य; अचंबो विषय संबंधी
विस्मरण पुं० [सं.] वीसरवं ते विषयी वि०[सं.] कामी; भोग-विलासी । विस्मित वि० [सं.] आश्चर्ययुक्त; चकित विषाक्त वि० [सं.] विषयुक्त विस्मृत वि० [सं.] वीसरायेलं. -ति विषाण पुं० [सं.] शींगडु (२) हाथीदांत स्त्री० विस्मरण विषाद पुं० [सं.] शोक; खेद; दुःख । विहंग (०म), विहग पुं० [सं.] पक्षी विषालु वि० [सं.] झेरी
विहान पुं० सवार; प्रभात । विषुव,त् पुं०[सं.] रात दिवस बरोबर विहार पुं० [सं.] विचर-फरवू ते (२) होय ते समय
रति-क्रीडा (३) बौद्ध विहार - मठ
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वेश
विहित
४९१ विहित वि० [सं.] निश्चित के निर्देश वृत्तांत पुं० [सं.] वृत्त; खबर; हेवाल करायेलं
वृत्ति स्त्री० [सं.] जीविका; धंधो (२) विहिन वि० [सं.] रहित; विनानुं __ मननी वृत्ति, वलण; मनोव्यापार विह्वल वि० [सं.] बेचेन; गभरायेलं; वृथा अ० [सं.] व्यर्थ; फोगट व्याकुल
वृद्ध वि० [सं.] घरडु [(३) अभ्युदय वीक्षण पुं० [सं.] जोवं ते ।
वृद्धि स्त्री० [सं.] वधवं ते (२) व्याज वीचि,-ची स्त्री० [सं.] मोजु; तरंग ।
वृश्चिक पुं० [सं.] वींछी वीज पुं० [सं.] बीज
वृषभ पुं० [सं.] सांढ के बळद वीजन [पुं०] वींजणो; पंखो।
वृषल पुं० [सं.] शूद्र (२) पापी वीणा स्त्री० [सं.] एक वाद्य. ०पाणि
वृष्टि स्त्री० [सं.] वरसाद स्त्री० सरस्वती (२) पुं० नारद वेग पुं० [सं.] त्वरा; झडप वीत वि० [सं.] वीतेलं; निवृत्त; रहित
वेणि,-णी स्त्री० [सं.] चोटलो (२) वीथि,०का,-थी स्त्री० [सं.] हार; पंक्ति
प्रवाह; धारा (२) रस्तो (३) सूर्यमार्ग योद्धो वेणु पुं० [सं.] वांस (२) वासळी वीर वि० [सं.] बहादुर(२)पुं० भाई (३) वेतन पुं० [सं.] मजूरी; पगार वीरगति स्त्री० [सं.] युद्धमां मरनारनी वेताल पुं० [सं.] वैताळ; भूत (उत्तम) गति; स्वर्ग .
वेत्ता पुं० [सं.] जाणकार वीरशय्या स्त्री० [सं.] युद्धक्षेत्र वेत्र पुं० [सं.] नेतर [चारनो संकेत वीरान वि० [फा.] वेरान; उज्जड वेद पुं० [सं.] वेद ग्रंथ (२) ज्ञान (३) (नाम, -नी स्त्री०)
वेदना स्त्री० [सं.] पीडा; दुःख वीराना पुं० [फा.] वेरान जगा; जंगल वेदवाक्य पं०[सं.] वेदनं प्रमाणभूत वाक्य वीर्य,-र्य पुं० [सं.]वीरता; शौर्य(२) शुक्र । वेदांग पुं० [सं.] वेदनां छ अंग वुअ,-आ पुं० [अ.] जुओ 'वक़्अ' ।
वेदांत पुं० [सं.] अंतिम ज्ञान; एक दर्शन वुफ़ पुं० [सं.] जुओ 'वकूफ़'
वेदि,०का,-दी स्त्री० [सं.] यज्ञनी वेदी वुजू पुं० [अ.] जुओ 'वजू'
वेध पुं० [सं.] वींधवू ते (२) काणुं (३) वुजूद पुं० जुओ 'वजूद' [वसअत' । खगोळनां ग्रह नक्षत्रादि जोवां ते. वुसअ, वुसअत स्त्री० [अ.] जुओ 'वसअ', शाळा स्त्री० खगोळ निहाळवानी वुसूल वि०,-ली स्त्री०जुओ 'वसूल,-ली' प्रयोगशाळा वंत पुं० [सं.] डीटें (२) स्तननी डीटडी वेपथु पुं० [सं.] कंप; ध्रुजारी वृंताक पुं० [सं.] बंताक; रीगण वेला स्त्री० [i.] वेळा; समय (२) वृंद पुं० [सं.] टोळं
समुद्रकिनारो (३) मर्यादा वृक पुं० [सं.] वरु
वेल्लि,-ल्ली स्त्री० [सं.] वेली; लता वृक्ष पुं० [सं.] झाड [(३) गोळ; वर्तुल वेश पुं० [सं.] पहेरवेश; पोशाक (२) वृत्त पुं० [सं.] वृत्तांत;चरित (२) समाचार 'भेस'; रूप
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वेशभूषा
व्यभिचारी वेशभूषा स्त्री० [सं.] पहेरवेश वैरि,-री पुं० [सं.] वैरी; शत्रु वेश्म पुं० [सं.] घर; मकान वैवाहिक वि० [सं.] विवाह संबंधी (२) वेश्या स्त्री० [सं.] गुणका; रंडी पुं० ससरो वेष्टन पुं० [सं.] लपेटवानु-बांधवानुं वैशाख पुं० [सं.] वैशाख मास कपडु; बांधण (२) पाघडी; फेंटो वैशेषिक पुं०[सं.] छमांगें एक दर्शनशास्त्र वैकल्पिक वि० [सं.] अनिश्चित (२) वैश्य पुं० [सं.] चारमांनो एक वर्ण
आ के ते विकल्पवाळू; मरजियात वैश्वानर पुं० [सं.] अग्नि वैकुंठ पुं० [सं.] विष्णुलोक; स्वर्ग वैषम्य पुं० [सं.] विषमता; असमानता वैगन पुं० [इ.] भारखानानो डबो वैष्णव पुं० [सं.] विष्णुपंथी वैचित्र्य पुं० [सं.] विचित्रता
वैसा वि० तेवू; ते जात,. -से अ० वैज्ञानिक वि० [सं.] विज्ञान संबंधी (२) तेम; ते रीते
मतदार पुं० विज्ञानवेत्ता
वोट पुं० [इं.] मत. ०दाता, ०र पुं० वैतनिक पुं० [सं.] पगारदार; नोकर व्यंग,-ग्य पुं० [सं.] कटाक्ष वैताल,-लिक पुं० [सं.] बंदीजन; स्तुति व्यंजन पुं० [सं.] क, ख इ० अक्षर (२) __ करनार
निशानी (३) खानपाननी वानी के वैद पुं० वैद्य (२) [सं.] विद्वान शाक अथाणुं चटणी इ० वैदक पुं० आयुर्वेद; वैदु-वैदनी विद्या । व्यंजना स्त्री० [सं.] प्रगट करवानी शक्ति वैदग्ध्य पुं० [सं.] विदग्धता; चातुरी । व्यक्त वि० [सं.] प्रगट वैद्य पुं० [सं.] वैद; वैदु करनार. ०क व्यक्ति पुं० [सं.] जण; कोई एक (२)
पुं० जुओ 'वैदक' [ठीक; रीतसरनुं ___ कोई व्यक्त पदार्थ [लीन; उद्यमी वैध वि० [सं.] विधि के कानून मुजबर्नु; व्यग्र वि० [सं.] व्याकुल (२) काममा वैधव्य पुं० [सं.] रंडापो
व्यजन पुं० [सं.] वींजणो; पंखो वैनतेय पुं० [सं.] गरुड (२) अरुण व्यतिक्रम पुं० [सं.] ऊलटो क्रम (२) विघ्न वैपार पुं० वेपार. -री पुं० वेपारी व्यतिरिक्त अ० सिवाय, 'अलावा' (२) वैभव पुं० [सं.] ऐश्वर्य; महिमा (२) वि० [सं.] भिन्न; सिवायन धनदोलत
शत्रुता ।
व्यतिरेक पुं०[सं.] अतिरेक; वृद्धि (२) वैमनस्य पुं० [सं.] अणबनाव (२) वेर; भेद; जुदाई; ऊलटापर्यु वैमात्र (-त्रेय) वि० [सं.] सावकुं; सौतेला' व्यतीत वि० [सं.] वीतेलं; गत वैर पुं० [सं.] वेर; झेर; द्वेष [बदलो । व्यतीपात पुं० [सं.] भारे उत्पात (२) वैरशुद्धि स्त्री० [सं.] वेर लेवू ते; वेरनो ज्योतिषमां एक खास योग वैयाकरण पुं० [सं.] व्याकरण-शास्त्री व्यथा स्त्री० [सं.] पीडा; दुःख वैरागी पुं० वैराग्यवाळो (२) एक । व्यथित वि० [सं.] दुःखी; व्यथा पामेलु जातनो साधु
व्यभिचार पुं० [सं.] दुराचार; छिनाळवं. वैराग्य पुं० [सं.] वैराग; विरक्ति -री वि० व्यभिचार करनार
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व्यय
वीहि
व्यय पुं० [सं.] खपत; खर्च व्याधि स्त्री० [सं.] रोग; बीमारी (२) व्यर्थ वि० [सं.] नकामुं; फोगट पंचात; झंझट व्यलोक वि० [सं.] अप्रिय (२) दुःखद व्यापक वि० [सं.] फेलायेलं
(३) पुं० अपराध (४) दुःख व्यापना सक्रि० व्यापवू; प्रसरवू; फेलावू व्यवधान पुं० [सं.] आंतरो; पडदो (२) व्यापार पुं० [सं.] काम; धंधो (२)
अलग पंडq ते; विच्छेद (३) अंत । वेपार; रोजगार व्यवसाय पुं० [सं.] धंधो; रोजगार (२) व्यापारी पुं० [सं.] वेपारी; सोदागर (२)
अभिप्राय;मतलब. -यी वि० धंधावाळू वि० व्यापार संबंधी व्यवस्था स्त्री० [सं.] प्रबंध; गोठवण (२) व्याप्त वि० [सं.] व्यापेलं; प्रसरेलु. -प्ति नियम
करनार; मॅनेजर स्त्री० प्रसार; फेलावं ते . व्यवस्थापक पुं० [सं.] व्यवस्थानुं काम व्यायाम पुं० [सं.] कसरत [दुष्ट व्यवस्थित वि० [सं.] व्यवस्थावाळु; व्याल पुं० [सं.] साप (२) वाघ (३) वि० नियमित
व्यालू स्त्री०; पुं० वाळु व्यवहार पुं० [सं.] वर्तन (२) धंधो व्यावहारिक वि० [सं.] व्यवहारनुं के
रोजगार (३) प्रथा; रिवाज (४) । ते विषेर्नु (२) वहेवारु केस; मुकद्दमो
समष्टि ) व्यासंग पुं० [सं.] अति संग; व्यसन व्यष्टि स्त्री० [सं.] एकल व्यक्ति (ऊलीं- व्याहार पं० [सं.] वाक्य । व्यसन पुं० [सं.] दुःख; विपत्ति (२) टेव; व्युत्पत्ति स्त्री० [सं.] भाषाना शब्दोनो शोख (३) कुटेव (४) विषयासक्ति. ऊगम के तेनी विद्या -नी वि० व्यसनवाळू
व्युत्पन्न वि० [सं.] विद्वान; पंडित व्यस्त वि० [सं.] जुओ 'व्यग्र' व्यूह पुं० [सं.] वृंद; समूह (२) सेनानी व्याकरण पुं० [सं.] भाषाना शब्दो
खास रचना-मोरचो (३) परिणाम वगेरेना नियमनी विद्या . ___ व्योम पुं० [सं.] आकाश (२) वादळ व्याकुल वि० [सं.] व्यग्र; गभरायेलं व्रज पुं० [सं.] जवू ते (२) समूह; टोळं व्याख्या स्त्री० [सं.] स्पष्टीकरण; टीका (३) व्रज प्रदेश (३) हुमलो व्याख्याता पुं० [सं.] व्याख्यान करनार व्रज्या स्त्री० [सं.] फरवू ते (२) रणभूमि व्याख्यान पुं० [सं.] भाषण; विवेचन व्रण पुं० [सं.] घा; जखम [उपवास व्याघात पुं० [सं.] विघ्न (२) घा; प्रहार. व्रत पुं० [सं.] आचारनो नियम (२) व्याघ्र पुं० [सं.] वाघ
वतिक, वती, वत्य पुं० [सं.] व्रतवाळो; व्याज पुं० [सं.] छळ ; कपट (२) ढील; व्रतधारी (२) ब्रह्मचारी वार (२) मूडीनुं व्याज
वीड़ा स्त्री० [सं.] लज्जा; शरम व्याध पुं० [सं.] शिकारी (२) वि० दुष्ट व्रीहि स्त्री० [सं.] चोखा; डांगर
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शंकना
४९४
____
शजर
शंकना अ.क्रि० (प.) शंका करवी शंकर पुं० [सं.] महादेव; शिव शंका स्त्री० [सं.] संशय; डर. -कित वि० शंकावाळं शंकु पुं० [सं.] खोली; खूटी (२) शंकु
आकार शंख पुं० [सं.] शंखलो. -फूंकना = जाहेर करवं. -बजना = जीत थवी. -बजाना = राजी थर्बु (फाववाथी)। शंजरफ़ पुं० [फा.] 'शिंगरफ़'; हिंगळोक । शंठ पुं० शंढ; हीजडो (२) बेवकुफ । शंड (-ढ) पुं० [सं.] शंढ; नपुंसक(२)सांढ शंबर पुं० [सं.] युद्ध शंभु पुं० [सं.] शिव [मास शअबान पुं० [अ.] शाबान; अरबी ८ मो। शऊर पुं० [अ.] शहर; अकल; आवडत (२) काम करवानी रीत, पहोंच शऊरदार वि० शहरवाळ; काबेल शकट पुं० [सं.] गाडु (२) भार; बोजो शकर स्त्री० [फा.] 'शक्कर'; खांड । शकरकंद पुं० शकरियु शकरपारा, -ला पुं० शकरपारो, एक वानी (२) एक फळ [कलह शकररंजी स्त्री० मीठो झघडो; प्रेम- शकल स्त्री० [अ. शक्ल] सिकल; चहेरो;
रूप (२) उपाय; रस्तो शकाब्द पुं० [सं.] शालिवाहननो शक संवत
[सिकलवाळू शकील वि० [फा.] रूपाळं; सुंदर शकुंत पुं० [सं.] पक्षी
शकुन पुं० [सं.] शुकन; शुभ घडी(२)पक्षी.
-देखना, -विचारना = शुकन जोवा शकुनि पुं० [सं.]पक्षी(२)दुर्योधननो मामो शक्क पुं० [अ.] चीरो; फाट शक्कर स्त्री० खांड शक्को वि० शकवाळं; शंकाशील शक्त पुं० [सं.] सशक्त; समर्थ शक्ति स्त्री० [सं.] बळ; ताकात (२) देवी शक्तु पुं० [सं.] सक्तु; साथवो शक्य वि० [सं.] बनी शके एवं; संभवित शक्र पुं० [सं.] इंद्र शक्ल स्त्री० [अ०] जुओ ‘शकल' शख्स पुं० [अ.] शखस; माणस; व्यक्ति शख्सियत स्त्री० [अ.] व्यक्तित्व . शरसी वि० [अ.] एक जण-; व्यक्तिगत शग़ल पुं० [अ. शरल] बेपार; कामधंधो (२) विनोद; मनोरंजन । शगाल पुं० [अ.] शृगाल; शियाळ शगुन पुं० शुकन (२) सगाई थयानो चांल्लो इ० करवानो विधि. -लेना = शुकन जोवा शगुनियाँ पुं० शुकन जोई खानार साधारण जोवी शगुफ्ता वि० [फा.] खीलेलं; प्रफुल्ल (नाम, -फ़्तगी) शगून, शगूनियाँ जुओ 'शगुन, शगुनियाँ शगूफ़ा पुं० कळी (२) फूल (३) विलक्षण कोई नवी घटना शचि, -ची स्त्री० [सं.] इंद्राणी शजर (-रा) पुं० [अ.] वृक्ष; झाड
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शजरा ४९५
शब्द शजरा पुं० [अ.] वृक्ष (२) वंशवृक्ष लाली. -का टुकड़ा = खूब सुंदर.
(३) तलाटीनो खेतरोनो नकशो -फूलना =ए लाली फेलावी शठ पुं० [सं.] पाको, खंधो लुच्चो माणस शफ़क़त स्त्री० [अ.] कृपा; महेरबानी शण (-न) पुं० शण; 'सन'
शफ़ा स्त्री० [अ. शिफ़ा] तंदुरस्ती; शत वि० [सं.] सो; १०० [(२) सैकुं आरोग्य. खाना पुं० दवाखान। शतक पुं० [सं.] सोनो समूह; सेंकडो । शफ़ी वि० [अ. शफ़ी] वच्चे पडी शतधा अ० [सं.] सो रीते; सेंकडो प्रकारे पतावट करनार शतरंज स्त्री० [फा.] शेतरंज शफ़ीक़ वि० [अ.] दयाळु; महेरबान शतरंजी स्त्री० [फा.] शेतरंजी (२) शफ्फ़ाक़ वि० [अ.] स्वच्छ (२) पारदर्शक शेतरंज रमवानां खानांनु कपडु (३)पुं० शब स्त्री० [फा.] रात -री) सरस शेतरंज रमी जाणनार
शब-कोर वि० [फा.] रतांधळं (नाम, शताब्दी स्त्री० [सं.] सैकुं; सो वरस । शबनम स्त्री० [फा. झाकळ; ओस (२) शतायु वि० [सं.] सो वरसन; चिरंजीव पातळा बारीक मलमलनी एक जात शतावधान पुं० [सं.] सो अवधान के शबनमी स्त्री० [फा.] मच्छरदानी तेनी शक्तिवाळो माणस. -नी पुं० शब-बरात स्त्री० [फा.] एक इस्लामी तेवो माणस (२) स्त्री० शतावधान- __ तहेवार
[खूबसूरती काम के शक्ति
शबाब पुं० [अ.] यौवन; जुवानी (२) शत्रु पुं० [सं.] दुश्मन; सामेवाळो शबाहत स्त्री० [अ.] सूरत; सिकल शदीद वि० [अ.] भारे; खूब; सखत । शबिस्तान पुं० [फा.] सूवानो ओरडो; शह पुं० [अ] जोर; भार (२) तशदीद'- अंतःपुर अक्षरनुं द्वित्व. ०व मद, -हो मद पुं० । शबीना वि० [फा.] रातर्नु; वासी (२) ठाठमाठ; धामधूम
पुं० रातमां पूरुं करवानुं काम, दा०त० शद्दा पुं० [अ.] ताबूतनो झंडो कुराननो पाठ शनवा वि० [फा.] सांभळनार; सुणनार. शबीह स्त्री० [अ.] चित्र; छबी
०ई स्त्री० सुनावणी परिचय शबेक़द्र स्त्री० [फा.+अ.] रमजान मासनी शनाख्त स्त्री० [फा. शिनाख्त] पिछान; २७मी तारीखनी रात (एम मनाय छे शनास वि० [फा. शिनास] पिछाननार के त्यारे खुदा जुए छे के कोण मारी (समासने अंते). -सा वि० पिछाननार. बंदगी करे छे) -साई स्त्री० पिछान
शबे-तार, शबे-तारीक स्त्री० [फा.] शनि पुं० [सं.] एक ग्रह (२) एक बार __ अंधारी रात चांदनी रात के दिवस (३) कमनसीब
शबे-माह, शबे-माहताब स्त्री० [फा.] शनैः अ० [सं.] धीमे
शबोरोज अ० [फा.] रातदिवस; हरदम शपथ पुं० [सं.] सोगन
शब्द पुं० [सं.] अवाज; ध्वनि (२) शब्द; शफ़क़ स्त्री० [अ.] संध्या के उषानी वचन; बोल; वाणी
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शब्बीर
शराबखोरी शब्बीर वि० [फा. ?] नेक; भलं (२) शरफ़ पुं० [अ.] मोटाई (२) उत्तमता सुंदर; खूबसूरत
(३) मान; महत्ता शम पुं० [सं.] शांति; शमवू के शमावq। शरबत पुं० [अ.] ठंडं मीठं एक पीj ते (२) मननो संयम
शरबती वि० आछा पीळा रंगनुं (२) शमन पुं० [सं.] शमवू-शमावq ते रसदार (३) पुं० एक जातनुं लींबु शमबा पुं० जुओ 'शम्बा'
के मलमल शमला पुं० [अ.] पाघडी के फेंटानो तलो शरम स्त्री० [फा.] 'शर्म'; लाज; मर्यादा. शमशेर स्त्री० [फा.] तलवार
-से गड़ना या पानी पानी हो जाना शमस पुं० जुओ 'शम्स'. -सी वि० शरमना मार्या मरी ज; खूब शरमावं जुओ 'शम्सी'
शरमसार वि० [फा.] शरमाळ; शरमिदं शमा स्त्री० [अ. शमअ] मीणबत्ती (२) शरमाऊ (-लू) वि० शरमाळ दीवो. ०दान पुं० दीवी
शरमाना अ०क्रि० शरमावू; संकोच शमी स्त्री० [सं.] समडानुं झाड
पामq (२) सक्रि० शरमाव, शम्बा पुं० [फा.] शनिवार
शरमाशरमी अ० शरमे शरमे; शरमथी शम्मा वि० [अ.] जराक; 'तनिक' (२) शरमिंदा वि० [फा. शरमिंदु; शरमायेलं. पुं० मृदु-जरा सुवास
-- दगी स्त्री० शरमाळपणुं; लाज शम्स पुं० [अ.] सूर्य. -म्सी वि० सौर; शरमीला वि० शरमाळु
सूर्य संबंधी [जुओ 'शैतानी' शरर पुं० [अ.] चिनगारी शयतान पुं० जुओ 'शैतान'. -नी वि० शरह स्त्री० [अ.] टीका; भाष्य; स्पष्टीशयन पुं० [सं.] सूq ते (२) शय्या; पथारी करण (२) भाव; दर शय्या स्त्री० [सं.] पथारी (२) पलंग
शरह-लगान स्त्री० 'लगान' नो दर; शर पुं०; स्त्री० [अ.] दुष्टता (२) पुं०
विघोटी [सं.] बाण
शराकत स्त्री० [फा. शरीक थर्बु ते; शरअ स्त्री० [अ.] शर; कुराननी आज्ञा हिस्सेदारी; सामेलगीरी; सहयोग (२) मुसलमान, धर्मशास्त्र (३) दीन; शरा (-र्रा)टा पुं० सुसवाट (हवानो) (२) मजहब
मोटो अवाज शरई वि० [अ.] शर-धर्मशास्त्र प्रमाणेनुं . शराफ़त स्त्री० [अ.] शरीफपणुं; (२) धर्मने अनुसरी चालनार
भलमनसाई; सुजनता शरको वि० जुओ 'शी'
शराब स्त्री० [अ.] दारू. -खींचना, शरण स्त्री० [सं.] आशरो; ओथ; शरण -डालना,-पीना-दारू ढींचवो-पीवो शरणागत वि० [सं.] शरणे आवेलं शराबखाना पुं० [फा.] दारूनुं पीठं शरणार्थी वि० [सं.] शरण चाहतुं शराबखोर, शराबरूवार, शराबी पुं० शरण्य वि० [सं.] शरणदाता
दारूडियो
दारूनी लत शरत्, - स्त्री० [सं.] शरद ऋतु शराबखोरी, शराबसवारी स्त्री० [फा.]
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शराबोर
शराबोर वि० [फा.] तरबोळ; बिलकुल पलळीने लदबद थयेलुं
शरायत स्त्री० [अ. शर्तनुं ब०व०] शरतो शरार पुं० [ अ ] 'शरर'; चिनगारी शरारत स्त्री० [ अ ] दुष्टता; 'शर' शरारतन् अ० [अ.] दुष्टताथी शरारा पुं० [ अ ] चिनगारी शरासन पुं० [ सं . ]
धनुष
शरीअत स्त्री० [ अ ] शरियत; 'शरअ' शरीक वि० [अ.] सामेल (२) पुं० भागीदार ( ३ ) मददगार शरीफ़ पुं० [ अ ] खानदान के भलो माणस ( २ ) वि० पवित्र ( माणस ) शरीफ़ा पुं० सीताफळ के सीताफळी शरीर वि० [अ.] दुष्ट; शरारतवाळु (२) पुं० [सं.] शरीर; देह [शरीरधारी शरीरी पुं० [सं.] देही; आत्मा (२) वि० शर्फ़ पुं० [अ.] सूर्योदय (२) पूर्व दिशा शर्करा स्त्री० [सं.] साकर शक़ वि० [फा.] पूर्वनुं शर्ट स्त्री० [इं.] खमीश
o
शर्त स्त्री० [ अ ] शरत; होड. - बदना, . - बाँधना = शरत मारवी
शर्तबंद वि० [फा.] शरतथी बंधायेलुं शर्तिया अ० [ अ ] शरत साथ; नक्की (२) वि० निश्चित
शर्तों वि० शरती; शरतवाळं शर्फ़ पुं० [अ.] जुओ 'शरफ़ ' शर्बत, ती जुओ अनुक्रमे 'शरबत, ती ' शर्म स्त्री० [फा.] जुओ 'शरम' शर्मसार वि० [फा.] शरमाळ (२) शरमिंदु शर्माऊ, लू वि० जुओ 'शरमाऊ - लू' शर्माशर्मा अ० जुओ 'शरमाशरमी' शर्मिंदा वि०, दगी स्त्री० जुओ हिं- ३२
४९७
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शहंशाह
अनुक्रमे 'शरमिंदा, दगी' शर्मीला वि० जुओ 'शरमीला' शर्राटा पुं० जुओ 'शराटा' शर्व पुं० [सं.] शिव के विष्णु शर्वरी स्त्री० [ सं . ] रात्रि (२) सांज (३) स्त्री
शलगम, शलजम पुं० [फा.] सलगम; गाजर जेवुं एक कंद
शलभ पुं० [सं.] तीड ( २ ) पतंगियुं शलाका स्त्री० [सं.] सळियो (२) तीर (३) हाडकुं [ जातनो कबजो शलका पुं० [फा.] ( स्त्रीओनो) एक शल्य पुं० [सं.] नस्तर; वाढकाप ( २ ) एक जातनुं बाण
शव पुं० [सं.] शब; मडदुं [छः ६ शश पुं० [सं.] ससलुं (२) वि० [फा.] शशक पुं० [सं.] शश; ससलुं शशदर पुं० [फा.] छ बाजूओ (२) वि० चकित; दिग
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शशधर पुं० [सं.] चंद्र
शश -माही वि० [फा.] छमासिक शश -व- पंज पुं० [फा.] जुओ 'शशो-पंज' शशांक पुं० [सं.] चंद्रमा शशा पुं० शशः ससलुं शशि, -शी पुं० [सं.] चंद्र शशो-पंज पुं० [फा.] 'शश-व-पंज'; छक्कोपंजो; जूगटुं (२) गडमथल; विमासण शस्त स्त्री० जुओ 'शिस्त' शस्त्र पुं० [सं.] हथियार. ०क्रिया स्त्री० वाढकाप; नस्तर [जगा शस्त्रागार पुं० [सं.] शस्त्रो राखवानी शस्य पुं० [सं.] घास, फळ, फूल इ० (२) अनाज ( ३ ) फसल; पाक शहंशाह पुं० [फा.] शहेनशाह
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प्रह
४९८ शह पुं० [फा.] शाह; बादशाह (२) अचंचल (३) ढीलुं; थाकेलं (४) तृप्त; वरराजा (३) वि० श्रेष्ठ; उत्तम (४) संतुष्ट; ठंडी प्रकृतिवाळं स्त्री० शेह; प्रभाव
शांति स्त्री० [सं.] शांतता शहजादा पुं० [फा. शाहजादो; राजकुंवर शाइस्तगी स्त्री० [फा.] शिष्टता; शहजोर वि० [फा.] बळवान ।
सभ्यता (२) सारमाणसाई शहतीर पुं० [फा. लांबो पाटडो शाइस्ता वि० [फा.] शिष्ट; सभ्य (२) शहतूत पुं० [फा. एक फळझाड - शेतूर भलं; नम्र शहद पुं० [अ.] मध. -लगाकर चाटना शाक पुं० [सं.] 'साग'; शाकभाजी = मध मूकीने चाटवू
शाक (-का) वि० [अ.] कठण; मुश्केल शहना पुं० [अ.] कोटवाळ (२) खेती- - (२) असह्य एक शाखा वाडीनो रखेवाळ
शाकल पुं० [सं.] टुकडो (२) ऋग्वेदनी शहनाई स्त्री० [फा. शरणाई; नफेरी शाकाहार पुं० [सं.] मांसनो नहि, शहबाला पुं० [फा.] वर जोडे जतो शाकपान अनाजनो आहार. -री वि० नानो छोकरो
ते ज आहार करनार के ते विषेनं शहमात स्त्री० [फा. शेहमात करवं ते शाकिर वि०[अ.] कृतज्ञ (२) संतोषी शहर पुं० [फा.] शहेर; नगर शाको वि० [अ.]फरियादी(२)चुगलीखोर शहर-पनाह स्त्री० [फा.] कोट; शहेर-कोट शाक्त वि० [सं.] शक्ति संबंधी (२) शहर-बदर वि० [फा.] शहेर बहार पुं० शक्ति-पूजक काढेलु; बहिष्कृत
शाख स्त्री० [फा.] शाखा (२) शींग. शहरयार पुं० [फा.] एक मोटो बादशाह -निकालना = दोष काढवो (२) एक(२) शहेरनो रक्षक ने सहायक
मांथी बीजं काम काढवू शहराती वि० शहेरी शहेरीपणुं शाखदार वि० [फा.] शाखा के शींगवाळू शहरियत स्त्री० [फा.] नागरिकता; शाख-साना पं० अणबनाव के झघडो या शहरी वि० [फा. शहेरी; नागरिक पंचात (२) शक; संदेह (३) कलंक; एब शहवत स्त्री॰ [अ.] शहेवत; कामातुरता शाखा स्त्री० [.] डाळी (२) अंग; शहादत स्त्री॰ [अ.] साक्षी (२) साबिती विभाग; फांटो
(३) साक्षी थq ते (४) शहीदी शाखामृग पुं० [सं.] वानर शहाना वि० [फा.] शाही; राजवी (२) । शाखी पुं० [सं.] झाड (२) वि० शाखाउत्तम (३) पुं० एक राग
वाळं; शाखा -र्दी स्त्री०) शहाब पुं० [फा.] एक जातनो घेरो शागिर्द पुं॰ [फा.] शिष्य; चेलो (नाम, लाल रंग (वि० -बी)
शाज वि० [अ.] विलक्षण; अनोखं शहीद पुं० [अ.] धर्म अर्थे प्राण आपनार शाज-व-नादिर अ० [अ.] कदी कदी; शांकर वि॰ [सं.] शंकर संबंधी
क्यारेक क्यारेक [कसोटीनो पथ्थर शांत वि० [सं.] चूप; मुगुं (२) स्थिर; शाण पुं० [सं.] जुओ ‘सान'; सल्ली (२)
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शार्दूल
शातिर शातिर वि० [अ.] दक्ष; निपुण (२) करना - आखी रात जागवू. -सुबह पुं० शेतरंज रमी जाणनार
करना=सवारनी सांज करवीशाद वि० [फा.] खुश; राजी (२) पूर्ण; टाळवू; ढील करवी भरेलु
शाबाश शामत स्त्री० [अ.] कमनसीब (२)दुर्दशा शाद-बाश अ० [फा.] राजी रहो (२) (३) आफत; विपत्ति. -का घेरा या शादमान वि० [फा.] राजी; खुश मारा = दुर्दशामां सपडानार-आवेलं शादाब वि० [फा. भर्युभादर्यु शामत-जदा वि० [फा.] कमनसीब; शादियाना पुं० [फा.] खुशीनां वाजां __ अभागियुं वागे ते (२) मबारकबादी के तेने शामती वि० कमनसीब [तंबू अंगे अपाती भेट
लग्न शामियाना पुं० [फा.] शमियानो; मोटो शादी स्त्री० [फा. खुशी; आनंद (२) शामिल वि० [फा.] सामेल; साथे शाद्वल वि० [सं.] हरिया; लीलु (२) मळेलं. हाल वि० सुखदुःखनु साथी पुं० लीलू घास
शामी स्त्री० दस्ता के हाथाने छेडे शान स्त्री० [अ.] ठाठमाठ; भपको; छटा पहेरावाती खोळी (२) वि० सीरिया (२) भव्यता (३) शक्ति; वैभव (४) देशन. ०कबाब एक जातनो कबाबप्रतिष्ठा. (किसीकी) शानमें = कोई मांसनी वानी मोटाना संबंधमा
शाम्मा पुं० [अ.] सूंघवानी शक्ति शानदार वि० [फा.] भव्य; भभकदार शायक पुं० [सं.] सायक; बाण(२)तलवार 'शान'वाळु [भपको; ठाठ शायक वि० [अ.] शोखीन शान-शौक़त स्त्री० [अ.] शानसोगात; शायद अ० [फा.] कदाच शाना पुं० [फा.] कंधो;खभो (२) कांसकी शायर पुं० [अ. शाइर) कवि. -रा स्त्री० शाप पुं० [सं.] श्राप; बददुवा
स्त्री-कवि. -री स्त्री० कविता शापित वि० [सं.] शाप पामेलं शाया वि० [अ.] प्रगट; जाहेर (२) शाफ़ा पुं० [फा.] दवावाळी दिवेट के । छपावेलु; प्रकाशित [पोडनार बत्ती, घामां मुकाय छे ते
शायी वि० [सं.] (समासमां अंते) सूनार; शाफ़ी वि० [फा.] 'शका'-आरोग्य । शारंग पुं० [सं.] सारंग
आपनाएं [आधेड वयनो पुरुष । शारंगी स्त्री० [सं.] सारंगी शाब पुं० [अ.] २४थी ४० उमरनो- शारद वि० [सं.] शरद ऋतु संबंधी शाबाश अ० [फा.] धन्य ! वाह ! (२) पुं० वर्ष (३) वादळ शाब्द,-ब्दिक,-दो वि० [सं.] शब्द शारदा स्त्री॰ [सं.] विद्यादेवी; सरस्वती
संबंधी (२) शब्दोमां कहेलं; मौखिक शारदीय वि० [.] शरद संबंधी शाम स्त्री० [फा.] सांज (२) अंतकाळ (३) शारिका स्त्री॰ [सं.] मेना पुं० सीरिया देश. -का फूलना= शारीर,-रिक वि० [सं.] शरीर संबंधी संध्यानी लाली फेलावी. -की सुबह शार्दूल पुं० [सं.] सिंह (२) वाघ
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शाल
५००
शिखर शाल पुं० [सं.] साल, झाड (२) स्त्री० शिबी धान्य पुं० [सं.] द्विदळ; दाळ [फा.] ओढवानी शाल करनार शिकंजा पुं० [फा. सकंजो. शिकंजमें शालदोज पुं० [फा.] शाल पर भरतकाम खिचवाना = खूब कष्ट देवडावq शालबाफ़ पुं० [फा.] शाल वणनार (२) शिकन स्त्री० [फा.] दबावाथी के बीजी एक जात, रेशमी वस्त्र. -फ़ी स्त्री० रीते पडती गडी शाल, वणाटकाम स्थान; जगा शिकम पुं० [फा.] पेट (२) अंदरनो भाग शाला स्त्री० [सं.] शाळा; निशाळ (२) शिकमी वि० [फा.] पेटर्नु (२) पेटा; शालि पुं० [सं.] डांगर [सदाचारी अंदरनु. ०काश्तकार पुं० [फा.] सांथियो शालीन वि० [सं.] नम्र विवेकी(२)शिष्ट; शिकरा पुं० [फा. शकरो बाज शावक पुं० [सं.] पशु- बच्चुं शिकवा पुं० [अ.] शिकायत; फरियाद शाश्वत वि० [सं.] नित्य; सनातन शिकस्त स्त्री० [फा.] हार; पराजय. शासक पुं० [सं.] हाकेम; राज्यकर्ता -खानाहार खावी; हार. -देना% शासन पुं० [सं.] राज्य; हकूमत (२)
हराव, शास्त्र; आज्ञा (३) दंड; सजा शिकस्ता वि० [फा.] तूटयु-फूटयु; भागलं शासित वि० [सं.] शासन पामेलु
(२) घसडी नांखेलुं (लखाण). -स्तगी शास्ति स्त्री० [सं.] शासन (२) शिक्षा स्त्री० तूटयु-फूटयु होवु ते । शास्त्र पुं० [सं.] धर्मशास्त्र (२) कोई ।
शिकायत स्त्री० [अ.] फरियाद (२) विषय- प्रमाणबद्ध ज्ञान
चाडीचुगली (३) रोग; बीमारी शास्त्री पुं० [सं.] शास्त्र जाणनार । शिकायती वि० 'शिकायत' करनार (२) शास्त्रीय वि० [सं.] शास्त्र संबंधी (२) जेमा 'शिकायत' होय तेवू शास्त्रशुद्ध
शिकार पुं० [फा.] पशुपंखी खेलमां शाहंशाह, शाहन्शाह पुं० [फा.] शहेनशाह मारवां ते; मृगया (२) शिकारनुं शाहंशाही स्त्री० शहेनशाहपणुं (२) पशुपंखी (३) भक्ष; भोग
शाहवट; चोख्खो वहेवार बहु मोटुं शिकारी पुं०; वि० शिकार करनार शाह पुं० [फा.] राजा; बादशाह (२)वि० शिकेब पुं० [फा. संतोष शाहजादा पुं० [फा.] शाहजादो; राज- शिक्षक पुं० [सं.] भणावनार; मास्तर कुंवर. -दी स्त्री० राजकुंवरी शिक्षण पुं०[सं.] भणतर; केळवणी (२) शाहराह पुं० [फा.] राजमार्ग
भणाव ते; अध्यापन [पाठ; सजा शाहाना वि० (२) पुं० जुओ 'शहाना' । शिक्षा स्त्री० [सं.] शिक्षण (२) बोध; शाहिद पुं० [अ]शाहेद;साक्षी(नाम,-दी) शिक्षार्थी पुं० [सं.] विद्यार्थी शाही वि० [फा.] बादशाही; बादशाहने । शिक्षित वि० [सं.] केळवायलं; भणेलं लगतुं
शिखंड पुं० [सं.] मोरनुं पीछु (२) शिखा शिंगरफ़ पुं० हिंगळोक (वि० -फो) शिखंडी पुं० [सं.] मोर (२) बाण शिबी स्त्री० [सं.] शिंग; फळी शिखर पुं० [सं.] टोच; शृंग
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शिखरन ५०१
शीतल शिखरन स्त्री० दही खांड इ०नुं एक पेय शिलालेख पुं० [सं.] पथ्थर पर कोतरेलो शिखा स्त्री० [सं.] चोटली; 'शिखंड' लेख
एक सिक्को शिखी पुं० [सं.]. जुओ 'शिखंडी' शिलिंग पुं० [इं.] विलायती नाणानो शिगाफ़ पुं० [फा.] चीरो; नस्तर (२) । शिलीमुख पुं० [सं.] भमरो (२) बाण फाट (३) काणु; छेद
(३) मूर्ख (४) युद्ध । शिगुफ्ता वि०, शिगूफ़ा पुं० जुओ अनुक्रमे शिल्प पुं० [सं.] हुन्नरकळा; कारीगरी. 'शगुफ्ता', 'शगूफ़ा'
०कार, -ल्पी पुं० कारीगर शित वि० [सं.] क्षीण; दूबळ (२) धार- शिव पुं० [सं.] भलु; कल्याण (२) शंकर दार; तेज
[तरत
शिवरानी, शिवा, शिवानी स्त्री० पार्वती शिताब अ० [फा.] सिताबीथी; जलदी; शिवालय, शिवाला पुं० शिवालय; शिताबदार वि० उतावळु
महादेव (२) मंदिर शिताबी स्त्री० [फा.] उतावळ शिविका स्त्री० [सं.] डोळी; पालखी शिथिल वि० [सं.] ढीलं; पोचुं (२) धीमुं; शिविर पुं० [सं.] शिबिर; छावणी; डेरो __ मंद (३) आळसु (४) थाकेलं .
(२) कोट; किल्लो शिद्दत स्त्री० [अ.] तेजी; जोर (२) शिशिर पुं० [सं.] ठंडी के तेनी ऋतु; अधिकता
[पारख शियाळो. कर पुं० चंद्रमा शिनाख्त स्त्री० [फा.] जुओ 'शनाख्त';
शिशु पुं० [सं.] बाळक; बच्चुं शिनास (-सा) वि० [फा.] जुओ ‘शनास' शिश्न पुं० [सं.] पुरुषनी गुयेद्रिय शिफर पुं० [फा. सिपर] ढाल शिष्ट वि० [सं.] सभ्य; सुशील. मंडल शिर पुं० [सं.] माथु (२) मथाळं (३) पुं० प्रतिनिधि-मंडळ; डेप्युटेशन शिखर शराकत'; भागीदारी
शिष्टाचार पुं० [सं.] शिष्ट ने उचित शिरकत, शिराकत स्त्री० [अ.] जुओ __ के सभ्य गणातो आचार शिरहन पुं० ओशीकुं
शिष्य पुं० [सं.] चेलो (२) विद्यार्थी शिरा स्त्री० [सं.] लोहीनी नस; नाडी शिस्त पं० नियमबद्ध वर्तन: डिसिप्लिन शिराकत स्त्री० जुओ 'शिरकत' शिस्त स्त्री० [फा.] माछली पकडवानो शिरीष पुं० [सं.] एक वृक्ष के तेनुं फूल कांटो (२) निशान; लक्ष्य शिरोधार्य वि० [सं.] माथे चडाववा जेवू; ।
शिहाब पुं० [अ.] ज्वाळा(२)खरतो तारो पूज्य; मान्य
शीआ(-या) पुं० [अ.] मुसलमानोनो शिरोमणि पुं० [सं.] श्रेष्ठ व्यक्ति शिया संप्रदाय शिरोज,-रुह पुं० [सं.] माथाना वाळ
शीकर पुंगसिं.] सीकर; पाणीनी फरफर शिर्क पुं० [अ.] ईश्वर जेवू बीजाने शीघ्र वि० [सं.] तरत; जलदी; झडपी
मानवं ए पाप (इस्लाममां) शीत वि० [सं.] ठंडु (२) पुं० शियाळो शिला स्त्री० [सं.] पथ्थरनी छाट; पथरो कर पुं० चंद्र शिलाजित पुं०;स्त्री० शिलाजित औषधि शीतल वि० [सं.] शीतळ; ठंडु
ilililitii
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शीतला
५०२ शीतला स्त्री० [सं.] शीतळा; बळिया शुंडी पुं० [सं.] हाथी (२) दारूवाळो शीर पुं० [फा.] दूध; क्षीर. -व-शकर= शुआअ स्त्री० [अ.] सूर्यकिरण
दूध अने साकर पेठे खूब मळेलु शुक पुं० [सं.] पोपट. -की स्त्री० मेना शीर-खिश्त स्त्री० [फा. एक युनानी शुकराना पुं० [फा.] शुक्राना; कृतज्ञता; दवा-रेच
आभार शीरखोर(-रा), शीरवार [फा.] वि० शुको स्त्री० [सं.] मेना
दूध पीतुं - धावणुं (बाळक) शुकोह पुं० [अ.] दबदबो; प्रताप शीर-गर्म वि० [फा. साधारण गरम; शुक्ता पुं० [अ.] शाही फरमान कोकरवायं
शुक्ति स्त्री० [सं.] छीप शीर-बिरंज स्त्री० [फा.] खीर; दूधपाक शुक्र पुं० [सं.] शुक्र तारो के वार (२)वीर्य शीरमाल स्त्री० [फा] एक जातनी
शुक्र (-क्रिया) पु० [फा.] आभार; खमीरनी रोटी
_ 'धन्यवाद'
[-री) शीरा पुं० [फा. शरबत (२) चासणी शुक्रगुजार वि० आभारी; कृतज्ञ (नाम, शीराजा पुं० [फा.] पुस्तकनी बांधणीनी । शुक्रिया पुं० जुओ 'शुक्र'. -अदा करना
पट्टी के त्यांनुं सीवण(२)व्यवस्था; प्रबंध = आभार मानवो शोरी वि० [फा.] शीरीन; मीठु (२)प्यारं शुक्ल वि० [पं.] धोळं; ऊजळु (२) पू० शीरीनी स्त्री० [फा. मीठाश (२) मीठाई अजवाळियु (३) चांदी (४) माखण शीर्ण वि० [सं.] तूटेलु फूटेलं; जीर्ण
शुग़ल पुं० [अ.] जुओ 'शग़ल' । शीर्ष पुं० [सं.] शिर; माथु
शुगु(-) न पुं० शुकन शीर्षक पुं० [सं.] मथाळू (२) माथु ।
शुरल पुं० [अ.] जुओ 'शुग़ल', 'शग़ल' शील पुं० [सं.] वर्तन; चारित्र्य (२) । शुचि वि० [सं.] शुद्ध; पवित्र (२) साफ; स्वभाव; प्रकृति
चोख्खं शोश पं० माथु
शुजा,अ वि० [अ.वीर; बहादुर शीशस पुं० [फा.] सीसम
शुजाअत स्त्री० [अ.] वीरता शीशमहल पुं० [फा. काचथी जडेलो शुतुर पुं० [फा.] उष्ट्र; ऊंट
महेल. -का कुत्ता = पागल; गांडु शुदनी स्त्री० [फा. भविष्यनी वात; भावी शीशा पुं० [फा. काच (२) दर्पण (३) शुदबुद स्त्री० [फा.] कोई विषयन थोडंक काचनी बनेली वस्तु; शीशो. बाशा ज्ञान के समज-सूधबूध वि० अति कोमळ, नाजुक
शुदा वि० [फा.] थई चूकेलं; गयुगुजर्यु (२) शीशी स्त्री० शीशी; बाटली.-सुंघाना थयेलु (समासमां) उदा० 'तयशुदा' क्लॉरोफॉर्म आप
शुद्ध वि० [सं.] चोख्खु; साफ; निर्दोष शुंठि-ठी स्त्री० [सं.] झूठ [मद शुद्धि स्त्री० [सं.] चोख्खाई (२) साफ शुंड पुं० [सं.] हाथीनी सूढ के तेने गळतो के पवित्र थवं ते शुं स्त्री० [सं.] सूढ (२) शराब शुफा पुं० [अ.] पडोस
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शुबहा
शैतनत शुबहा पुं० [अ.] शक (२) वहेम; भ्रम शृंग पुं० [सं.] टोच; शिखर (२) शींगडुं शुभ वि०(२)मुं० [सं.] सारं; भलं; कल्याण शंगार पुं० [सं.] शणगार; सजावट शुभा पुं० जुओ ‘शुबहा' (२) स्त्री० [सं.] शंगारना स०क्रि० शणगार; सजवू शोभा
शृंगारहाट स्त्री० वेश्यावाडो शुभ्र वि० [सं.] सफेद; धोळं
शृंगारित वि० [सं.]शणगारेलं; शृंगारवाळु शुमार पुं० [फा.] गणतरी; लेखं; हिसाब । शृंगारिया पुं० देवना शणगार सजनार (२) संख्या (३) शुमार; अंदाज (२) बहुरूपियो शुमाल स्त्री०; पुं० [अ.] उत्तर दिशा. शृगाल पुं० [सं.] शियाळ -ली वि० उत्तरतुं
शेख पुं० मुसलमाननी एक जात (२) शुमूल वि० [अ.] पूरुं; कुल; बधुं पीर; इस्लामनो धर्माचार्य शुरू पुं० [अ.] शरूआत;आरंभ(२) ऊगम शेखचिल्ली पुं० [फा.] शेखचल्ली; मूर्ख शुल्क पुं० [सं.] मूल्य; फी
शेखर पुं०[सं.] शिखर; टोच (२) शीश; शुभूषा स्त्री० [सं.] सेवाचाकरी; बरदास माथु (३) मुगट शुष्क वि० [सं.] सूकुं; नीरस; लूखं शेखी स्त्री० [फा.] बडाई; अभिमान; शुस्त-व-शू स्त्री० [फा.] नाहधुंधोवू ते (२) । घमंड. -बघारना,-सारना, -हाँकना धोई करी शुद्ध करवू ते
=शेखी मारवी
[गप्पी शुस्ता वि० [फा. धोयेलु (२) स्वच्छ शेखीखोर, शेखीबाज वि० [फा.] घमंडी; शहदा पुं० [अ.] बदमाश (२) गुंडो शेषता वि० [फा.] आसक्त; आशक शुहरत स्त्री० [अ], शुहरा पुं० जुओ (नाम, -फ्तगी) 'शोहरत', 'शोहरा'
शेयर पुं० [इं.] शर (कंपनीनो) शूकर पुं० [सं.] सूवर; भंड; वराह शेर पुं० [फा. वाघ (२) भारे बहादुर; शूद्र पुं० [सं.] चोथो वर्ण के तेनो माणस ___ साहसिक माणस. ०दिल पुं० बहादुर शून्य पुं० [सं.] मीडु (२) आकाश (३) शेरनी स्त्री० वाघण वि० खाली
शेरपंजा पुं० वाघनखनुं शस्त्र शूप पुं० [सं. शूर्प] सूपडु; 'सूप' शेर-बबर पुं० [फा.] सिंह शूम वि० [अ.] खराब (२) अभागी शेरवानी स्त्री० उत्तर हिंदनी अमुक (३) सूम; कंजूस
ढबनो कोट शूर,०वीर वि० [सं.] बहादुर; वीर शेवा पुं० [फा.] रीत; ढंग (२) दस्तूर; प्रथा शूल पुं० [सं.] शूळ; कांटो (२) शूळी शेवाल पुं० सेवाळ; 'सेवार' (३) पीडा; चूंक (४) त्रिशूळ शेष पुं०[सं.] बाकी; बचत (२) शेषनाग शूलपाणि पुं० [सं.] शिव
(३) वि० बाकी रहेलं शूली पुं० [सं.] शिव (२) स्त्री० शूळी (३) शै स्त्री० [अ.] चीज; वस्तु (२) भूतप्रेत शूळ; पीडा (२) क्रम; श्रेणी शैख पुं० [अ.] जुओ 'शेख' (२) सरदार शृंखल पुं०,-ला स्त्री० [सं.] सांकळ:बेडी शैतनत स्त्री० [अ.] शेतानियत
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शैतान ५०४
शौक्रिया शैतान पुं० [अ.] शेतान (२) भूतप्रेत शोबदा पुं० [अ. शअबदः] जादु (२) (३) दुष्ट माणस (४) क्रोध, खोटाई दगोफटको इ० दुर्गुण. -का बच्चा नीच दुष्ट शोबा पुं० [अ. शुअबः] खातुं; शाखा माणस. -की आंत = बहु लांबी वस्तु शोभन वि० [सं.] शोभतुं; सुंदर (२) (नाम के वि०, -नी)
शुभ; मंगळ [(प.) शोभq शैथिल्य पुं० [सं.] शिथिलता; ढीलाश शोभना स्त्री० [सं.] सुंदरी (२) अ०क्रि० शैदा वि० [फा.] शयदा; आशक
शोभा स्त्री० [सं.] कांति; संदरता । शैल पुं० [सं.] पर्वत (२) वि० पथ्थरनुं शोभायमान वि० [सं.] शोभीतुं; सुंदर
(३) कठण. ०जा स्त्री० पार्वती शोभित वि० [सं.] शोभावाळु; सुंदर शैली स्त्री० [सं.] ढब; रीत
शोर पुं० [फा. क्षार (२) शोरबकोर. शैलेन्द्र पुं० [सं.] हिमालय
गुल पुं० शोरबकोर; घोंघाट शैलेय वि० [सं.] पथ्थरनुं (२) पहाडी शोरबा पुं० [फा.] सेरवो शव वि० [सं.] शिव विषेनुं (२) पुं० शोरा पुं० एक खार (सूरोखार). शोरेकी शिवनो भक्त के तेना धर्मनो अनुयायी पुतली बहु गोरी स्त्री शवलिनी स्त्री० [सं.] नदी
शोरापुश्त वि० [फा.] झघडाळु । शैवाल पुं० [सं.] सेवाळ
शोरिश स्त्री० [फा.] शोरबकोर (२) शैशव पुं० [सं.] बाळपण
झघडो (३) खळभळाट शोक पुं० [सं.] खेद; दुःख
शोरीदा वि० [फा.] व्याकुळ; विकळ शोख वि० [फा. धीट; धृष्ट(२) नटखट शोरीदा-सर वि० [फा. पागल (३) चपळ (४) (रंगमां) चटकदार शोला पुं० [अ.] आगनी झोळ; शोलो (नाम,-खी)
शोक शोला-खू वि० उग्र स्वभावनुं शोच पुं० [सं.]चिंता; विमासण (२) दुःख: शोला-रू वि० बहु संदर शोचनीय वि० [सं.] दुःखद; चिंताजनक । शोशा पुं० [फा.] अद्भुत वात (२) शोण वि० [सं.] लाल (२) पुं० लाल रंग व्यंग्य. -छोड़ना= झघडो खडो करे शोणित पुं० [सं.] लोही
एवी वात करवी शोथ पुं० [सं.] सोजो
शोष पुं० [सं.] सोस; तरस शोध पुं० [सं.] शुद्धि (२) दुरस्ती (३) शोषण पुं० [सं.] शोषवू ते पतावट; अदा करवं ते (४) शोध;
शोहदा पुं० व्यभिचारी; लफंगो (२) गुंडो तपास; खोळ
शोहरत स्त्री० [अ.], शोहरा पुं० ख्याति; शोधक पुं० [सं.] शोधनार(२)सुधारनार प्रसिद्धि (२) अफवा झोक शोधन पुं० [सं.] शुद्ध-साफ करवू ते (२) शौक़ पुं० [अ.] शोख; होंस (२) वलण;
शोधq ते; तपास; खोळ (३) विरेचन शौकत स्त्री० [अ.] शान; ठाठ (२) शोधना सक्रि० शुद्ध करवू (२) शोधq ताकत (३) रोफ; प्रभाव शोब पुं० [फा. धोवु ते के तेनी मजूरी शौकिया वि० शोखवाळू (२)अशोखथी
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शौकीन ५०५
श्वेत शौकीन वि० शोखीन (नाम,-नी स्त्री०) श्रावण पुं० [सं.] श्रावण मास. -णी शौच पुं० [पं.] शुद्धता; पवित्रता (२) स्त्री० बळेव जंगल जवू ते; प्रातःकर्म स्त्रिी श्राव्य वि० [सं.] श्रव्य; सांभळवा योग्य शौत स्त्री० 'सौत'; शोकः पतिनी बीजी श्री स्त्री० [सं.] लक्ष्मी (२) शोभा (३) शौर्य पुं० [सं.] शूरवीरता
विभूति; ऐश्वर्य शौहर पुं० [फा.] स्वामी; मालिक श्रीखंड पुं० [सं.] चंदन (२) शिखंड श्मशान पुं० [सं.] मसाण
श्रीफल पुं० [सं.] नारियेळ [आभूषण श्मश्रु पुं० [सं.] दाढी मूंछ
श्रीमंत वि० धनिक (२) पुं० माथा- एक श्याम वि० [सं.] काळ (२) पुं० श्रीकृष्ण श्रुत वि० [सं.] सांभळेलं श्यामल वि० [सं.] काळु; शामळू
श्रुति स्त्री० [सं.] वेद (२) कान श्यामा स्त्री० [सं.] युवती (२) कोयल
श्रेणी स्त्री० [सं.] पंक्ति; हार(२)परंपरा (३) अंधारी रात [बनेवी ।
श्रेय पुं०(२)वि० [सं.] भलुं; कल्याण श्याल पुं० शियाळ (२) [सं.] साळो के
श्रेयस्कर वि० [सं.] भलं करे एवं; शुभ श्येन पुं० [सं.] बाज पक्षी आस्था
श्रेष्ठ वि० [सं.] उत्तम श्रद्धा स्त्री० [सं.] निठा; विश्वास;
श्रेष्ठी पुं० [सं.] शेठ श्रद्धालु वि० [सं.] श्रद्धालु
श्रोता पुं० [सं.] सांभळनार श्रद्धेय वि० [सं.] पूज्य; श्रद्धापात्र
श्रोत्र पुं० [सं.] कान (२) वेद श्रम पुं० [सं.] महेनत (२) थाक
श्रौत वि० [सं.] श्रुति संबंधी श्रम-कण पुं० [सं.] परसेवान टी'
इलथ वि० [सं.] ढीलं; नरम श्रमजल पुं० [सं.] परसेवो
श्लाघा स्त्री० [सं.] तारीफ श्रमजीवी वि० [सं.] महेनत मजूरी
श्लील वि० [सं.] सारुं; शुभ करीने जीवनार (२) पुं० मजूर ।
श्लेष पुं० [सं.] संयोग (२) आलिंगन श्रमग पुं० [सं.] बौद्ध साधु; यति
(३) एक अलंकार-द्विअर्थी शब्दप्रयोग श्रमित वि० [सं.] थाकेलं
श्लेष्मा पुं० [सं.] श्लेष्म; कफ श्रमी वि० [सं.] महेनतु (२) श्रमजीवी
श्लोक पुं० [सं.] संस्कृत पद्यनी कडी श्रवण पुं० [सं.], -न पुं० (प.) कान (२)
(२) कीति; प्रशंसा सांभळवू ते
श्वपव पुं० [सं.] चंडाळ श्रव्य वि० [सं.] सांभळवा योग्य श्वशुर पुं० [सं.] ससरो श्रांत वि० [सं.] थाकेलं (२) शांत; संयमी श्वभू स्त्री० [सं.] सासु श्रांति स्त्री० [सं.] थाक; विश्राम श्वान पुं० [सं.] कूतरो श्राद्ध पुं० [सं.] पितृओनुं तर्पण
श्वास स्त्री० [सं.] श्वास; दम (२) प्राण श्राप पुं० शाप
श्वासकास पुं० [सं.] दम अने खांसी श्रावक पुं० [सं] जैन के बौद्ध धर्मी (२) श्वेत वि० [सं.] सफेद (२) पुं० सफेद वि० सांभळनार
रंग (३) चांदी
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संकोची
चंड,- पुं० [सं.] पंढ; हीजडो षड्यंत्र पुं० [सं.] कावतरं (२) जाळ; षट् वि० [सं.] ६; छ संख्या
फांदो षटक पुं० [सं.] छकडु; छनो समूह षड्रस पुं० [सं.] खाटुं, खारुं इ० छ रस षट्कर्म पुं०[सं.] खटकर्म (ब्राह्मणोना) षड्पुि पुं० [सं.] काम, क्रोध, लोभ, षट्चक्र पुं० [सं.] शरीरना छ चक्र (२) मोह, मद, मत्सर ए छ शत्रुओ षड्यंत्र; कावतरं
षडानन पुं० [सं.] कार्तिकेय षट्तिला स्त्री० [सं.] महा वद एकादशी । षष्टि वि० [सं.] ६०; साठ बट्पद पुं० [सं.] भमरो. -दी स्त्री० षष्ठ वि० [सं.] छर्छ. -ठी स्त्री० छठ
भमरी (२) छप्पो; छ चरगर्ने पद (२) जन्म पछी छछो दिवस (३) षड् वि० [सं.] छ (समासमां) छठ्ठी विभक्ति षडग पुं० [सं.] वेदनां छ अंग षामासिक वि० [सं.] छमासिक वड्ज पुं० [सं.] संगीतनो 'स' स्वर षोडश वि० [सं.] सोळमुं(२) सोळ; १६ षड्दर्शन पुं० [पं.] छ शास्त्र (सांख्य, ष्ठीवन पुं० [सं.] थूकवू ते (२) थूक योग, न्याय इ०)
संइतना सक्रि० लींपवू; अबोट करवो संकट पुं० [सं.] दु:ख; विपत्ति; आफत
(२) खीणतो के सांकडो रस्तो संकर पं० [.] भेळ खेळ; मिश्रण संकरा दि० सांकडं (२) मुं० सांकड; कष्ट संकराना सक्रि० संकडाव संकल स्त्री० साकळ के सांकळी संकलन पुं० [सं.] संग्रह; एकठं करवं ते संकलित वि० [सं.] एकटं करेलं संकल्प पुं० [सं.] इरादो; निश्चय; ठराव संकीर्ण वि०[सं.] संकुचित (२) संकीर्ण; । मित्र (३) क्षद्र (४) पं० मिश्र राग (५) संकर
संकीर्तन पुं० [सं.] गुणगान(२)वर्णवq ते संकुचना अ०क्रि० संकोचाववं संकुचित वि० [सं.] संकोच पामेलं (२)
सांकडं; नान; क्षुद्र संकुल वि० [सं.] परिपूर्ण; भरपूर (२)
पुं० समूह संकेत पुं० [सं.] इशारो (२) चेष्टा (३) चिह्न संकेलना सक्रि० संकेलवं; समेटवू संकोच पुं० [सं.]अचकावू ते; लज्जा; शरम संकोचना सक्रि० संकोचवू संकोची वि० [सं.] संकोचायेलू (२) संकोचवाळु; शरमाळ
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संक्रमण ५०७
संचय संक्रमण पुं० [सं.] एकमाथी बीजामा संग-साज पुं० [फा. लीथोना पथ्यरने जवू ते; प्रवेश; गमन
ठीक करनार संक्रांति स्त्री० [सं.] (एकमांथी बीजी संग-सार पं०, -री स्त्री० [फा. राशिम) प्रवेश; गमन
'संगसारी'-पंचईंटाळीनी सजा संक्रामक वि० [सं.] चेपी (रोग) संग-सुरमा पुं० [फा.] सुरमो बनाववानो संक्षिप्त वि० [सं.] ट्रॅकु; सारभूत. लिपि पथ्थर स्त्री० लघुलिपि
संगाती पुं० संगाथी (२) दोरत संक्षेप पुं० [सं.] ट्रॅकाण; सार संगो पुं० साथी; सोबती (२) स्त्री० संखिया पुं० सोमल के तेनी भस्म एक जातवें कपड़े (३) वि० [फा.] संख्या स्त्री० [सं.] आंकडो; गणतरी पथ्थरनु; संगीन संग अ० साथे; संगाथे (२) पं[फा.] संगीत पुं० [सं.] गायन, वादन इ०
पथ्यर (३) [सं.] सोबत; मिलन संगीन वि० [फा.] (नाम,नी) पथ्थरनुं संगठन पुं० अलग होय तेने एकत्र बांधवं (२) संगीन; मजबूत; टकाउ (३)
ते के तेम करी तैयार करातुं तंत्र विकट; अटपटुं (४) पुं० बंदूकन संगीन संगठित वि० संगठन करायेलं; एक- संगृहीत वि० [सं.] संघरायेलं त्रित करीने रचायेलं [साधुनो मठ । संग-असवद पुं० [फा.+अ.] काबानो संगत स्त्री० संग; संगति (२) उदासी पवित्र काळो पथ्थर संगतरा पु० संतर
संगे-पारस पुं० पारसमणि संग-तराश पुं० [फा. पथ्थरफोडो संग्रह पुं० [सं.] संघरो; संचय संगति स्त्री० [सं.] संग; सोबत संग्रहणी स्त्री० [सं.] एक रोग संगतिया, संगती पुं० गवयानो साजिदो संग्रहालय पुं० [सं.] संग्रहस्थान -साथी
संग्राम पुं० [सं.] युद्ध; लडाई संग-दिल वि० [फा.] कठण दिलन; संघ पुं० [सं.] समूह; जूथ (२) मंडळ
क्रूर; कठोर (नाम, -ली स्त्री०) संघटन पुं० संगठन (२) [सं.] मेळाप; संग-पुश्त पुं० [फा. काचबो
संयोग
[संहार संगम पुं० [सं.] मळवू ते; मिलन संघ (-घा)रना सक्रि० (प.) संघार; संग-मर्मर पुं० [फा.] संगमरमर; संघर्ष,०ण पुं० [सं.] झपाझपी; अथडामण आरसपहाण
संघात पुं० [पं.] समूह (२) संघ; जूथ संगमूसा पुं० [फा. एक जातनो काळो (३) आघात
लीसो कीमती पथ्थर पथ्थर संघाती पुं० [सं.] साथी संग-यशव पुं० [फा. एक लीलो कीमती ___ संघार पुं० (प.) संहार संगरेजा पुं० [फा. नानो पथ्थरो; रोड़ें। संघारना स०क्रि०(प.) जुओ ‘संघरना' संग-लाख पुं० [फा. पहाडी स्थान (२) संघाराम पुं० [सं.] बौद्ध मठ के बिहार वि० कठण; कठोर
संचय पुं० [सं.] ढेर; ढगलो (२) संग्रह
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संचरना
संचरना अ०क्रि० (प.) जवुं; नीकळवुं संचार पुं० [सं.] जवं ते; गति; प्रवेश संचालक पुं० [सं.] संचालन करनार; नियामक [प्रबंध; व्यवस्था संचालन पुं० [सं.] चलाववुं ते (२) संचित वि० [सं.] एकटुं थयेलुं के करेलुं संजात वि० [सं.] पेदा थयेलुं; जन्मेलुं संजाफ़ स्त्री० [फा.], संजाब पुं० संजाप; झूल, कोर ( २ ) मगजी; गोट. फ़ी वि० कोर के गोटवाळं
५०८
संजीदा वि० [फा.] गंभीर; धीर; शांत (२) समजु (नाम, - दगी)
संजीवन पुं० [सं.] फरी जीवतुं थवुं के करवुं ते. ती स्त्री० तेम करे एवी एक औषधि
सँजोइल वि० सुसज्ज ( २ ) एकत्रित संजोउ, संजोग पुं० ( प. ) संयोग संज्ञा स्त्री० [ सं . ] नाम (२) चेतना; होश संज्ञा स्त्री० संध्या [खूब जाडुं संड पुं० सांढ मुसंड वि० सांढ जेवुं, सँड़सा पुं० साणसो (स्त्री०, सी) संडा वि० जुओ 'संड-मुसंड' संडास पुं० डटणजाजरू संत पुं० साधु पुरुष; महात्मा संतत वि० [सं.] फेलायेलुं (२) अ० सतत; लगातार (३) स्त्री० ( प. ) संतति संतति स्त्री० [ सं . ] संतान; बाळबच्चां संतप्त वि० [सं.] खूब तपेलुं (२) दुखी संतरा पुं० संतरुं; नारंगी संतरी पुं० संत्री; पहेरेगीर [वंश संतान पुं०; स्त्री० [सं.] संतति; औलाद; संताप पुं० [सं.] पीडा; कष्ट (मानसिक) संतापना स०क्रि० पीडवु; सताववुं संती अ० (प.) बदले; वती
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संन्यासी
संतुष्ट वि० [सं.] संतोष पामेलुं; धरायेलुं; राजी
संतोष पुं० [सं.] तृप्ति; धरपत - बी वि० संतोषवाळं
संत्री पुं० जुओ 'संतरी' संथा स्त्री० पाठ; लेसन संदर्भ पुं० [सं.] निबंध; लेख; कृति संदल पुं० [फा.] चंदन संदली वि० चंदनना रंगनं; आछु पीळं संदिग्ध वि० [सं.] संदेह के शंकाबाळं संदीपन पुं० [सं.] उद्दीपन; उत्तेजित करवुं ते (२) वि० उत्तेजक संदूक़ पुं० [अ.] संदूक; पेटी संदूक़चा पुं०, संदूकची ( -ड़ी) स्त्री० नानी पेटी
संदूर पुं० सिंदूर
संदेश पुं० [सं.] संदेश (२) एक बंगाळी मी ई. -शा पं० संदेशो संदेसा पुं० संदेशो; कहेवडावेली खबर सँदेसी पुं० संदेशो लई जनार; दूत संदेह पं० [सं.] शंका; संशय संदेह - दोल ((-ला) पुं० संशयनो हींडोळो; दुविधा
संदोह पुं० [सं.] समूह; टोळं संधना अ०क्रि० संधावुं; जोडावं संधान पुं० [सं.] सांधवं ते; संधाण (२) खोज; तपास
संधानना स०क्रि० (बाण) सांधवुं संधाना पुं० संधानुं; अथाणुं संधि स्त्री० [सं.] जोडावुं के जोडवं ते (२) कोलकरार [ संध्या पूजा संध्या स्त्री० [सं.] सांज; सायंकाळ ( २ ) संन्यास पुं० [ सं . ] संसारत्याग. - सी पुं० त्यागी; वेरागी; बावो
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संपत्ति
संपत्ति स्त्री० [सं.] धनदोलत ( २ ) ऐश्वर्य (३) पूर्णता संपद्, - दा स्त्री० [ सं . ] संपत्ति; वैभव संपन्न वि० [सं.] –वाळं; युक्त ( २ ) संपत्तिवाळु (३) सिद्ध; पूर्ण संपर्क पुं० [सं.] स्पर्श; संबंध (२) संसर्ग; मिलाप (३) मिश्रण
संपा स्त्री० [सं.] वीजळी संपात पुं० [ सं . ] एकसाथे के उपराउपर पडवुं ते; संगम; संसर्ग
५०९
संपादक पुं० [सं.] छापानो तंत्री (२) मेळवनार के तैयार या पेदा करनार संपादन पुं०[सं.] छापुं चलाववुं ते (२) करवुं ते; प्राप्ति [करेल संपादित वि० [सं.] संपादन थयेलुं के संपुट पुं० [सं.] पात्राकार वस्तु ( २ ) पडियो (३) डब्बो (४) खोबो; अंजलि (५) फूलनी पांदडी वच्चेनो पात्राकार भाग (६) बे शकोरांनो संपुट संपूर्ण वि० [सं.] बधुं; पूरेपूरुं ( २ ) पूरुं; समाप्त. ०तः, तया अ० बरोबर; पूरेपूरी रीते [ - रिन ) सँपेरा पुं० सापनो मदारी ( स्त्री०, सँपोला पुं० सापोलियं. - लिया पुं० 'सँपेरा'; मदारी
संप्रति अ० [ सं . ] अत्यारे; हालमां संप्रदानपुं० [सं.] आपवुं ते; दान; भेट; दीक्षा (२) ( व्या०मां ) चोथी कारक विभक्ति
संप्रदाय पुं० [सं.] पंथ; धर्म ( २ ) रीत; चाल; प्रथा
संप्राप्त वि० [सं.] ठीक मेळवेलुं के मळेलुं संबंध पुं० [सं.] नातो; संपर्क; जोडाण (२) संयोग; मेळ (३) सगाई, सगपण
संमति
संबंधी वि० [सं.] संबंधवाळं; विषेनुं ( २ ) पुं० स
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संबत् पुं० संवत; साल [संयक्त संबद्ध वि०[सं.] संबंधवाळु; जोडायेलं; संबल पुं० वटेशरी [सं.] ( २ ) सोमल संबोधन पुं० [सं.] संबोध - जगावं के पोकावुं ते के तेनी उक्ति (२) ( व्या० ) आठमी विभक्ति [कर्मणि संभर ( -ल) ना अ०क्रि० 'सँभालना' नुं संभव पुं० [सं.] शक्यता (२) जन्म. ०तः अ० कदाच [ शक्य हो संभवना अ०क्रि० (प.) संभववुं; बनवु संभार पुं० [सं.] संचय; ढेर (२) साज; सामग्री [जाळवणी संभार पुं० ( प. ) संभाळ; देखरेख; संभारना स०क्रि० जुओ 'सँभालना'
(२) संभारवु; याद करवुं संभाल स्त्री० संभाळ; देखरेख सँभालना स०क्रि० भार उपाडवो (२) पडतुं रोकj; टेकववुं (३) संभाळवु संभावना स्त्री० [सं.] संभव; शक्यता (२) आदरभाव
संभावित वि० [सं.] सन्मानित ( २ ) कल्पेलुं; विचारेलुं; अनुमान करेलुं संभाषण पुं० [सं.] वार्तालाप; वातचीत संभूय अ० [सं.] साथे; भागमां संभूय- समुत्थान पुं० [सं.] भागीदारीथी थतुं काम
संभोग पुं० [सं.] उपभोग (२) मैथुन संभ्रम पुं० [सं.] गभराट (२) भ्रम; भूल संभ्रांत वि०[सं.] गभरायेलुं (२) भ्रममां पडलुं [मतवाळु संमत वि० [सं.] अनुकूळ; साथमां संमति स्त्री० [सं.] अनुकूळ मत; मंजूरी
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५१०
समान
संस्कृति संमान पुं० [सं.] आदर; मान
रचना (३) बंधारण. सभा स्त्री० संमेलन पु० भेगा मळवू ते; सभा बंधारणसभा संयत वि० [सं.] काबू के संयममां संवेद,०न पुं० [सं.] सुखदुःख इ० नो राषेलं (२) संयमी
अनुभव (२) ज्ञान; प्रतीति संयम पुं० [सं.] काबू; वश; दमन संशय पुं० [सं.] शंका; संदेह संयमी वि० [सं.] संयम राखनालं; संशयालु वि० [सं.] शंकाशील; वहेमीलं संयमवाळं
संशयित वि०[सं.] शंकावाळं; संदिग्ध संयुक्त,-त वि० [सं.] जोडायेलु (२) संशयी वि० [सं.] शंका करनाएं
सहित; समन्वित जोग; लाग संशोधन पुं० [सं.] शुद्धि; सफाई (२) संयोग पुं० [सं.] मेळ; मिलाप (२) सुधारो (जेम के ठरावमां) (३) (ऋण संयोजक पुं० [सं.] जोडनार (२) (सभा आदि) अदा करवं ते
इ० नु) आयोजन करनार; प्रबंधक संशोधित वि० [सं.] सुधारेलु संयोजन पुं० [सं.] जोडवं ते (२) संशोधी वि० [सं.] सुधारनारुं आयोजन; प्रबंध
संश्रय पुं०[सं.] आश्रय; शरण; सहाय संरक्षक पुं० [सं.] रक्षण करनार; वाली संस,०६,०य, संसा पुं० (प.) संशय संरक्षण पुं० [सं.] रक्षा; संभाळ; देखरेख संसर्ग पुं० [सं.] स्पर्श; संबंध; संग संरक्षित वि० [सं.] संभाळेलं; रक्षामां संसा पुं० जुओ 'संस'; संशय लीधेलु के राखेखें
संसार पुं० [4.] दुनिया; जगत (२) संलग्न वि० [सं.] साथै लागेल; संबद्ध घरसंसार (३) प्रपंच; माया । संलाप पुं० [सं.] वार्तालाप; 'संभाषण' संसारी वि० [सं.] संसारनुं के तेने संवत्, संवत्सर पुं० [सं.] वर्ष; साल लगतुं; लौकिक [मरणना फेरा संवरना अ०क्रि० 'सँवारना' - कर्मणि __ संसृति स्त्री० [सं.] संसारचक्र; जन्मसंवरिया वि० (प.) शामळं; कृष्ण संसृष्ट वि०[सं.] साथेनु; मिश्रित (२) संवर्द्ध (-)क वि० [सं.] वधारे एवं __ संबद्ध (३) सामेल संवर्द्ध (-)न पुं० [सं.] वधारो; वृद्धि संस्करण पुं० [सं.] सुधारवं के ठीक संवाद पुं० [सं.] वातचीत (२) खबर; ___ करवं ते (२) पुस्तकनी आवृत्ति समाचार. दाता पुं० खबरपत्री
संस्कार पं० [सं.] मन पर पटती छाप संवादी वि० [सं.] मेळवाहुँ; मळतुं
के असर के ते द्वारा थती केळवणी (२) (संगीतमा)
शुद्धि; सुधारो (३) (सोळ) धार्मिक संवारना सक्रि० सजवू (२) समार; आचार
केळवायेलं ठीक करवं (३) बरोबर क्रमथी राखवं संस्कारी वि० [म.] संस्कारवालं; संवाहन गुं० [सं.]वही जवु के पहोंचाडq ते संस्कृत वि० [सं.] संस्कार पामेलं; शुद्ध संविदा स्त्री० [सं.] ठेको; कंट्राक्ट (२) स्त्री० संस्कृत भाषा संविधान पुं० [सं.] व्यवस्था; प्रबंध (२) संस्कृति स्त्री० [सं.] सुधारो; सभ्यता
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त
संस्था ५११
सखा संस्था स्त्री० [सं.] स्थिति (२) व्यवस्था सकलात पुं० रजाई (२) भेट (३) मंडळ; तंत्र
सकाना अ०क्रि० (प.) शंका आणवी; संस्थान पुं० [सं.] स्थिति; मुकाम; निवास वहेमा (२) संकोच के डरमां पडवं (२) हयाती
[प्रवर्तक सकाम वि० [सं.] कामनावाळं संस्थापक पुं० [सं.] स्थापना करनार; सकारना सक्रि० स्वीकार (२) संस्थापन पुं० [सं.] स्थापq ते शिकार
दलाली संस्मरण पुं० [सं.] संभार|
सकारा पुं० हूंडीनी शिकारणी-तेनी संहत वि० [सं.] संयुक्त; एक(२) सकारे अ० सवारे स क़ील) संपवाळं
सकालत स्त्री० [अ.] भारेपणुं (जुओ संहति स्त्री०[सं.] समूह (२) संप; मेळ सकिलना अ०क्रि० सरकवू; लपस (२) संहरना अ०क्रि० नाश थर्बु (२) संकडावं; संकोवा (३) थवू; बनवं सक्रि० संहारQ
सकील वि० [अ.] पचवामां भारे (२) संहार पुं० [सं.] नाश; वध; अंत वजनदार (नाम, सकालत) संहारक वि० [सं.] संहार करनार सकुच,-चाई स्त्री० संकोच; शरम संहारना सक्रि० संहार; नाश करवो सकुचना अक्रि० संकोच करवो; संहिता स्त्री० [सं.] वेद संहिता (२) शरमावं संग्रह (३) संहति; संप
सकुचाई स्त्री० संकोच; शरम सआदत स्त्री० [अ.] सद्भाग्य सकुन पुं० शकन (२) पक्षी सई स्त्री० [अ.] प्रयत्न
सकुनी स्त्री० पक्षी सईद वि० [अ] शुभ; सारं
सकून पु० जुओ 'सुकून' [निवास सऊबत स्त्री० [अ.] मुश्केली; आफत सकूनत स्त्री० [अ.] 'सुकूनत'; रहेठाण; सकट पुं० शकट; गाडी
सकृत् अ० [सं.] एक वार (२) सदा; सकता पुं० [अ.] मूर्छानो रोग; मृगी (२) सर्वदा (३) तरत . कवितामा यतिभंग. -पड़ना = यति
सकेलना सक्रि० एकत्र कर; संकेलq भंग थवो
सकोरा पुं० शकोरुं; 'कसोरा' सकना अ०क्रि० शकवं
सक्का पुं० [अ.] भिस्ती सकपकाना अ०क्रि० अचरज पाम, (२) सक्त वि० [सं.] आसक्त (२) संलग्न अचकावू (३) शरमावं
सक्ति स्त्री० (प.) शक्ति; बळ सकरकंदी स्त्री०, सकरकन पुं० सक्तु,०क पुं० सत्तु शक्करियं; सकरकंद
सक्फ पुं० [अ.] मकाननी छत सकरना अ०क्रि० 'सकारना' नुं कर्मणि सक्रिय वि० [सं.] क्रियावाळू सकरपाला पुं० सकरपारो
सखरा पुं०, सखरी स्त्री० सखडी; सकरिया पुं० शक्करियं।
बोटाय एवी रसोई दाळभात जेवी सकल वि० [सं.] सकळ; बधुं सखा पुं० [सं.] मित्र
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सखावत
सच्चिदानंद सखावत स्त्री० [अ.दान (२) उदारता सगल,-ला वि० (प.) सघर्छ; बधुं सखी स्त्री० [सं.] साहेली
सगा वि० सगुं; संबंधी (२) सहोदर सखी वि० [अ.] सखी; दानी; उदार सगाई स्त्री० सगाई; वेविशाळ (२) सखुआ पुं० शाल वृक्ष; 'साखू'
सगानो संबंध (३) नातरा जेवू सखुन पुं० [फा.] वातचीत (२) बोल; ऊतरतुं मनातुं लग्न वचन; सुखन (३) काव्य
सगीर वि० [अ.] नानु. सगीर-सिन सख्खन-चीन वि० [फा.] चुगलीखोर सगीर; नानी उमरखें सखुन-तकिया पुं॰ [फा. जुओ 'तकिया । सगुण वि० [सं.] गुणियल (२) पुं० कलाम'
[-दानी) साकार (ब्रह्म) सखुन-दाँ वि० काव्यरसिक (नाम, सगुन पुं० (प.) शुकन (२) सगुण सखुन-परवर वि० [फा. वचन पाळनार सगुनिया पुं० शुकन जोनार-जोशी (२) हठीलं; मूढाग्रही
सगुनौती स्त्री० शुकन जोवा ते सख्खन-शनास, सखुन-संज पुं० [फा.]
सगोत,-तो, सगोत्र [सं.] पुं० एक गोत्रनुं 'सखुन'-काव्य के वातचीतनो मर्म
(२) सगुं समजनार; मर्मज्ञ
सग्गड़ पुं० भार खेंचवानुं गाडु सस्नुन-साज पुं० [फा.] काव्य रचनार
सघन वि० घन; गीच (२) बनावीने जूठी वात कहेनार.
सच वि० साचु (नाम, -चाई) (नाम, -जी स्त्री०)
सचमुच अ० खरेखर; साचे; साचमाच
[कठण सखत वि० [अ.] सखत; कडक; कठोर;
सचराचर वि० [सं.] स्थावर अने जंगम; सख्ती स्त्री० सखताई; कडकाई (२)
__ बधुं (२) पुं० विश्व
सचाई स्त्री० सच्चाई; सत्यता तंगी (३) जुलम सख्य पुं० [सं.] मैत्री; दोस्ती
सचान पुं० सींचाणो; बाज संग पुं० [फा.] कूतरो
सचित वि० [सं.] चिंतावाळु;फिकर करतुं सगड़ी स्त्री० नानी गाडी
सचिक्कण वि० खुब चीकj सग(-गा)पन पुं० सगपण; सगा होवु ते ।
सचिव पुं० [सं.] मित्र (२) मंत्री (३) सगपहती स्त्री० शाकपांदडुं नांखीने
अमात्य; प्रधान; वजीर करेली दाळ
सचिवालय पुं० [सं.] सचिव- दफतरसगबग वि० (प.) लथपथ; तरबोळ । __ कार्यालय
[खबरदार सगबगाना अ०क्रि० तरबोळ थर्बु (२) । सचेत वि० जीवतुं जागतुं (२) सावध; गभरावं
सचेतन वि० [सं.] चेतनवंतु; जीवतुं सगरा,-ल,-ला वि० (प.) सघळं सच्चा वि० साचु (२) साचुं बोलनार; सगर्भ वि० [सं.] सगुं; सहोदर (२) ०ई स्त्री० सत्य; 'सचाई' ।
पुं० सगो भाई [बहेन सच्चिदानंद पुं० [सं.] सत्, चित्, सगर्भा स्त्री० बेजीव स्त्री (२) सगी आनंद रूप परमात्मा
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५१३
सज स्त्री० सजावट
शोभा
सजम वि० सावधान; जाग्रत; सचेत सजदार वि० सुंदर सजधज स्त्री० सजावट; ठाठमाठ सजन पुं० स्वजन ( २ ) प्रीतम; पति सजना अ० क्रि० सजावु; शणगारवुं (२) शोभवं (३) स० क्रि० सजवुं सजनी स्त्री० सखी (२) प्रिया सजल वि० [सं.] जळ सहित; भीनुं ( आंसुथी) [ के तेनी मजूरी सजबाई स्त्री० सजाई; सजवुं सजाववुं ते सजा [फा.], सजाइ स्त्री० सजा; शिक्षा सजाति, -तीय वि० [सं.] एक जातितुं सजाना स०क्रि० सजाववं; बरोबर ठीक करीने गोठव
सजायाफ्ता वि० [फा.] सजा पामेलं सजायाब वि० [फा.] सजापात्र ( २ ) सजा पालुं
सजाव पुं० खूब उकाळेला दूधनुं दहीं (२) सजावट; सजाववुं ते सजावट स्त्री० सजावट; शोभा (२) सज्जता; तैयारी
सजावल पुं० [तु. सजावुल ] कलेक्टर;
कर उघरावनार अमलदार
सजावर वि० [फा.] सजावर; योग्य ( २ ) सजावार; सजापात्र सजीला वि० छेलबटाउ ( २ ) सुंदर ehta वि० [ सं . ] जीवतुं (२) पुं० जीव; प्राणी
सजीवन पुं०, -नी स्त्री० संजीवनी सजूरी स्त्री० एक मीठाई सज्ज वि० [सं.] सज्ज; तैयार सज्ज्न पुं० [सं.] सारो माणस सज्जा स्त्री० शय्या ( २ ) सजावट
हिं-३३
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सकता
सज्जादा पुं० [अ.] मुसल्लो; नमाजनी चटाई (२) फकीरनो तकियो सज्जित वि० [सं.] सज्ज' थयेलुं के करायेलुं सज्जी स्त्री०, ०खार पुं० साजीखार सज्ञान वि०[सं.] समजणुं (२) बुद्धिमान सटक स्त्री० सटको जवुं ते; छटक (२) लांबी वळी शके तेवी हूकानी नेह (३) चाबुक जेवी पातळी सोटी; साटको सटकना अ०क्रि० सटकवुं; छटकी जवुं सटका पुं० साटको; चाबुक सटकाना स०क्रि० सटकाववुः सोटी के 'सटका' (साटका ) थी मारवुं सटकारा वि० लांबा सुंवाळा (वाळ) सटकारी स्त्री० पातळी सोटी; साटको टक्का पुं० साटको (२) सपाटो, झपट. -मारना = झपाटो मारवो सटना अ०क्रि० बे चीजोनां पडखां बरोबर साथे बंधबेसवां के गोठवावां सटपट स्त्री० दुविधा; गूंचवण; सपटामणी सटपटाना अ०क्रि० गूंचवावुं; सपटावुं सटर-पटर वि० तुच्छ; मामूली ( २ ) स्त्री० सटरपटरियुं के नकामुं काम
सटसट अ० झट झट; चप चप
सटाना स०क्रि० जोडवुं; बंध बेसाडवु सटीक वि० टीका सहित [ सं . ] ( २ ) बरोबर ठीक
सटोरिया पुं० सटोडियो; 'सट्टेबाज' सट्टा पुं० सट्टो (२) सोदो; करार सट्टा बट्टा पुं० युक्ति; चालबाजी (२) मेळ सट्टी स्त्री० हाट बजार - मचाना = शोरबकोर मचाववो. -लगाना = बधुं
रमण भ्रमण कर
सट्टेबाज पुं० सटोडियो
सठ पुं० शठ. ०ता शठता
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सठियाना
सठियाना अ०क्रि० साठ वर्षना थवुं (२) साठे बुद्धि नासवी
सठेरा पुं० साठी; 'संठी' सड़क स्त्री० सडक; रस्तो सड़न स्त्री० सडवुं ते; सडो सड़ना अ०क्रि० सड़बुं; बगडवुं सड़सठ वि० सडसठ; ६७ सड़ाई ( - ) ध स्त्री० सडेलानी दुर्गंध सड़ास अ० सडासड; उपराछापरी सड़ियल वि० सडेलुं (२) रद्दी (३) तुच्छ सत वि० ( प. ) शत; सो सत पुं० सच्चाई. - पर चढ़ना = सती थवं. - पर रहना = पतिव्रता रहेवुं सतत वि० [ सं . ] चालु; लगातार सतनजा पुं० सात अनाजनो खीचडो सतप ( - पु ) तिया स्त्री० एक शाक के तेनो वेलो
सतरा पुं०, सतपदी, सतभौरी स्त्री० सप्तपदी, विवाहना सात फेरा सतमासा पुं० गर्भाधानने सातमे मासे थतो विधि (२) सात महिने अवतरेलो ते सतरंज स्त्री० शेतरंज रमत सतरंजी स्त्री० शेतरंजी
५१४
सतर स्त्री० [अ.] लीडी (२) हार; कतार (३) वि० [सं] वांकुं (४) क्रोधे भरायेल सत ( - त) रह वि० सत्तर; १७ सतराना अ०क्रि० चिडावं; गुस्से थवं सतर्क वि० [सं.] सावध; जाग्रत ( २ ) तर्कयुक्त सतसई स्त्री० सतसाई; सप्तशती सतह स्त्री० [अ०] सपाटी; तल; क्षेत्रफळ सतहत्तर वि० सित्तोतेर; ७७ सतही वि० [फा.] 'सतह' नुं; सपाट सताइश स्त्री० [फा. सिताइश ] प्रशंसा सता (०व) ना स०क्रि० सताववुः पजववुं
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सन
सता ( - ता) सी वि० ८७; जुओ 'सत्तासी': सती स्त्री० [सं.] सती स्त्री (२) मृतः पति साथ सती थनारी स्त्री सतुआ पुं० सत्तु; साथवो सतून पुं० [फा.] स्तंभ; थांभलो सतोगुण पुं० सत्त्वगुण
सत् पुं० [सं.] सत्य; ब्रह्म (२) वि० सत्य; नित्य ( ३ ) सारुं सत्कर्म पुं० सारं पुण्य काम सत्कार पुं० [सं.] सन्मान; आदर सत्त पुं० सत्त्व; सार सत्तर वि० सित्तेर; ७० सत्तरह वि० सत्तर; १७ सत्ता स्त्री० [सं.] हयाती ( २ ) अधिकार (३) पुं० गंजीफानो सत्तो सत्ताईस वि० सत्तावीस; २७ सत्तानवे वि० सत्ताणुं; ९७ सत्तार पुं० [ अ ] ईश्वर सत्तावन वि० ५७ सत्तासी वि० सित्यासी; ८७ सत्तू पुं० सत्तु; साथवो. - बांधकर पीछे पड़ना = कशा पाछळ लागी जबुं - मंडवु सत्त्व पुं० [सं.] सत्त्व; सार सत्य पुं० [ सं . ] साच (२) वि० साधुं सत्यवाद पुं० [सं.] साधुं बोलवु के तेने वळगीने चालवुं ते. -दी वि० सत्यवादी; साचु
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सत्यसंध वि० [सं.] सत्य वचनी सत्याग्रह पुं० [सं.] सत्यने खातर आग्रह राखी झूझबुं ते
सत्यानास पुं० सत्यानाश; खुवारी सत्यानासी वि० सत्यानाश करनार सत्र पुं० [ सं . ] यज्ञ (२) अन्नक्षेत्र ( ३ ) टर्म भणतरनुं सत्र
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सत्रह
समक्षत सत्रह वि० 'सतरह'; सत्तर; १७ सवात स्त्री० [अ.] सत्य ... सत्वर वि० [सं.] जलदी; तरत सदाचरण, सदाचार पुं० [सं.] सारं शुभ सत्संग पुं० [सं.] सारी के साधुजननी वर्तन
[धर्मिष्ठ सोबत
सदाचारी वि० [सं.] सारा वर्तनवाळं; सथरी स्त्री० साथरो; बासनी पथारी सदाफर,-ल वि० सदा फळतुं (२) पुं० सथिवा पुं० साथियो (२) शस्त्रवैद उमरडो (३) नारियेळी (४) बीली : सद वि० (प.) ताजु (२) अ० सद्यः । सदाबरत, सदावर्त पुं० सदावत; अन्नक्षेत्र
तरत (३) स्त्री० आदत; टेव सदा-बहार वि० हमेश खीलेलं रहे एवं सद वि० [फा. सो; शत; १०० (२) सदा लीलू रहेतुं सदका पुं० [अ.] दान (२) कोईने माथे सदारत स्त्री० [अ] सदरपणुं; सभापतित्व उतारीने रस्ते मुकाय ते; उतार. सदावर्त पुं० सदावत; अन्नक्षेत्र -उतारना,-करना=(दाणा इ०)माथे सदाशय वि० [सं.] शुभ आशयवाळू उतारवं. सदके जाना= वारी जवू; सदा-सुहागिन स्त्री० देश्या (व्यंग्य) कुरबान थवं
सदी स्त्री० [फा.] सैकुं; शताब्दी सदन पुं० [सं.] धाम; स्थळ; घर
सदृश वि० [सं.] मळतु; जेवं; समान सदा स्त्री० [अ.] मोतीनी छीप सदेह वि० [सं.] देह सहित सदमा पुं० [अ.] आघात; धक्को (२) सदैव अ० [सं.] सदाय; हमेश दुःख. -उठाना= दुःखनो घा वेठवो. सदोष वि० [सं.] दोषवाळ (२) गुनेगार -पहुंचना=आघात लागवो
सद्गति स्त्री०[सं.] शुभ गति(मरण बाद) सदय वि० [सं.] दया सहित; दयाळु सद्गुण पुं० [सं.] सारो गुण के लक्षण सदर वि० [अ. सद्र] प्रधान; मुख्य; प्रमुख सद्द अ० (प.) सद्य; तरत; हमणां (२) (२)पुं० केन्द्रस्थान(३)कशानो आगलो __ स्त्री० [अ.] आड; दीवाल भाग (४) सभानो प्रमुख. ०आला पुं० सधर्म पुं० [सं.] सारो धर्म (२) बौद्ध नानो न्यायाधीश. ०दरवाजा पुं० के जैन धर्म [अस्तित्व खास दरवाजो. नशीन पुं० सभापति. सद्भाव पं०[सं.] सारो भाव; मेळ (२) ०बाजार पुं० मोटुं के खास बजार सद्य अ० [सं.] हमणां; तरत .... सदरी स्त्री० [अ.] सदरो; बंडी
सद्र पुं० [अ.] जुओ सदर सदसत्,- वि० [सं.] सत्य असत्य; सारं सधना अ०क्रि० सधावं (प्रेरक सधाना) नरसु के साचं जूळू
सधर्म वि० [सं.] समान धर्म के गुणवाळू सदस्य पुं० [सं.] सभ्य; सभासद सधवा स्त्री० [सं.] सौभाग्यवती स्त्री सदहा वि० [फा. सेंकडो; अनेक
सन पुं० शण (२) वि० स्तब्ध; सूम सदा स्त्री० [अ.] प्रतिध्वनि; पडघो (२) (३) [अ.] सन; साल
अवाज; शब्द (३) पोकारनो शब्द सनअत स्त्री० [अ.] कारीगरी; कळासदा अ० [सं.] हमेश
कौशल्य (२) उद्योग; धंधो
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सनक
सनक स्त्री० धून; मननुं घेलुं (२) झनून. - चढ़ना, - सवार होना = धून आववी; घेलुं लागवुं सनकना अ०क्रि० पागल थवुं [करवो सनकारना स०क्रि० सनकारवुं; इशारो सनद स्त्री० [ अ ] प्रमाणपत्र के प्रमाण. -दी वि० प्रमाणवाळ [प्रमाणित सनद-याफ़्ता वि० [फा.] सनद पामेलु; सनदी वि० [फा.] सनदवाळं सनना अ० क्रि० पलळीने एक सरखं थवुं (जेम के, आटो) (२) कशा मां मी के लीन थई जव; तरबोळ थवं (३) गंदु थवुं
सनम पुं० [ अ ] मूर्ति (२) प्रिय पुरुष सनसनाना अ०क्रि० सणसणवं; सणसण अवाज करवो [ 'सनसनी' सनसनाहट पुं० सणसणाट (२) जुओ सनसनी स्त्री० झझणाट (२) सनसनाटी सनहकी स्त्री० [अ.सनहक] (मुसलमानोमां
प्रायः वपरातुं ) माटीनुं एक वासण सना स्त्री० [ अ ] वखाण; स्तुति ( २ ) जुओ 'सनाय'
सनाअत स्त्री० जुओ 'सनअत सनातन वि० [सं.] हंमेशनं; चिरंतन. नी पुं० सनातन धर्मनो माणस
सनाथ वि० [सं.] साधार; नाथ के धणीवाळु
"
सनाय स्त्री० सोनामुखी
सनाह पुं० कवच बखतर सनीचर पुं० शनिश्चर; शनिवार सनीचरी स्त्री० शनिनी दशा सनेह पुं० ( प. ) स्नेह, प्रेम; हेत. - ही वि० स्नेही [सरुनुं झाड सनोबर पुं० [ अ ] सनूबर; चीडनुं के
५१६
सपुर्दगी
- एकदम
सन्न वि० सूम; शून्य; 'सन' सन्नाटा पुं० शून्यता; नीरवता ( २ ) एकांत ( ३ ) स्तब्धता ( ४ ) हवानो सणसणाट ( ५ ) वि० नीरव (६) एकांत. - खींचना या मारना = चूप थई जवं. सन्नाटे में आना = स्तब्ध थई जवुं [ पासे होवुं ते सनिधि स्त्री० [ सं . ] पडोश; निकटता; सन्निपात पुं० [सं.] एकसाथ पडवुं के अफळावं ते (२) त्रिदोष रोग सन्निविष्ट वि० [सं.] साथे बेठेलु; एकठ (२) स्थापेलुं (३) दाखल थयेलुं सन्निवेश पुं० [सं.] संनिवेश; समीप ( २ ) आसन; जगा
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सनिहित वि० [सं.] पासेनुं (२) पासे राखेलुं (३) तत्पर; तैयार सन्मान पुं० [सं.] आदर-सत्कार सन्मुख वि० [ सं . ] सामे; मोढामोढ सपक्ष वि० [सं.] पक्षनुं; सहायक ( २ ) पुं० मित्र [पत्नी सहित पत्नी स्त्री० [सं.] शोक (स्त्री). ०क वि० सपथ पुं० शपथ; सोगन [थबुं सपन, ना पुं० स्वप्तुं - होना = दुर्लभ सप ( - फ) राई पुं० नाचनारी साथेना साजनो माणस; साजिदो सपरना अ०क्रि० पूरुं थई शकवुं सपराना स०क्रि० पूरुं करवु; आटोप सपरिकर वि० [सं.] अनुचरो इ० ना ठाठ साथ
सपाट वि० सपाट; एकसरखुं सपाटा पुं० सपाटो; झपाटो पिंड वि० [सं.] एक गोत्रनुं - सगोत्र सर्व स्त्री० [फा. सिपुर्द ] सुपरत; सोंपण सपुर्दगी स्त्री० सोंपवुं ते; सुपरत करवुं ते
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सपूत ५१७
सबात सपूत पुं० सुपुत्र. -सी स्त्री० सपूतनी सफ़ोना पुं० [अ.] अदालती समन्स (२) मा (२) सपूत होवो ते
___ नोंधपोथी (३) होडी सपेत (-द) वि० सफेद
सफीर स्त्री० पक्षीनो कलरव के तेने सपेरा पुं० सापनो मदारी बच्चुं बोलाववानी सीटी सपेला, सपोला पुं० सापोलियं; सापन सफ़ीर पुं० [अ.] एलची; राजदूत' सप्त वि० [सं.] सात; ७
सफ़्फ़ पुं० [अ. सुफूफ़] चूर्ण; भूको सप्तक पुं० [सं.] सातनुं जूथ
सफ़ेद वि० [फा. सुफ़ेद] सफेद; धोळं सप्तपदी स्त्री० [सं.] लग्ननी सप्तपदी- (२) कोरु; कशुं लख्या वगरन एक विधि
सातम सफ़ेद-पोश पुं० सफेद कपडांवाळो (२) सप्तम वि० [सं.] सातमुं. -मी स्त्री० - शिष्ट माणस; बाबु सप्तर्षि पुं० [सं.] सात ऋषिन मंडळ (२) सफ़ेदा पुं० [फा.] सफेदो (२) एक जातनी एक नक्षत्र तेटलुं व्रत इ०
केरी (३) धोळी छालवाळु एक झाड सप्ताह पुं० [सं.] सात दिननी मुदत के सफ़ेदी स्त्री० सफेदी; धोळाश(२)चूनाथी सफ़ स्त्री० [अ.] पंक्ति; हार (२) फरस धोळवू ते. -आना= घरडं थq; वाळ सफगोल पुं० इसपगोळ
धोळा थवा [स्त्री० क्रूरता सफ़दर वि० [अ.] वीर; योद्धो सफ़्फ़ाक वि० [अ.] क्रूर; घातकी. -को सफ़र पुं० [अ.] सफर; मुसाफरी (२) । सब वि० सौ; बधु (२) पूरुं; सारं अरबी बीजो मास
सबक पुं० [अ.] पाठ; शिखामण (२) सफरवाई पुं० जुओ 'सपरदाई' शिक्षा-देना,-पढ़ाना = पाठ शीखववो सफर-मैना स्त्री० [इ.सॅपर अॅन्ड माईनर (२) शिक्षा करवी. -पढ़ना, -पाना, सेनानी आगळ रस्ता इ० करनार
-लेना=धडो लेवो । सिपाहीवर्ग
सबक़त स्त्री० [अ.] बीजाथी आगळ के सफ़रा पुं० [अ.] पित्त
विशेष होवू ते. -करना, -ले जाना सफ़री वि० [अ.] सफरमा कामनुं (२) । = आगळ वधी जवू; टपी जवू पुं० सफर-खर्च कामियाब सबका सब वि० बधुं ज; पूरेपूरुं सफल वि० [सं.] फळवाळं; सार्थ; सब कुछ वि० एकएक; बधु ज सफ़हा पुं० [अ.] सफो; पार्नु सबत करना=(कागळ दस्तावेज पर) सफ़ा वि० [अ.] साफ (२) पाक; पवित्र सही दस्कत (के महोर) करवां (३) लीसुं; सपाट
सबद पुं० (प.) शब्द; वाणी सफाई स्त्री० सफाई; स्वच्छता (२)माम- ____ सबब पुं० [अ.] कारण; हेतु (२) साधन
लानी पतावट; तोड सत्यानाश . सबर पुं० सबूर; सब्र' (२)वि०(प.) सबळ सफ़ाया पुं० सफाचट-पूरुं थई जq ते(२) सबल वि० [सं.] सबळ (२) सेनायुक्त सफो वि० [अ.] साफ (२) पवित्र (३) सबा स्त्री० [अ.] (सवारनी) पूर्वनी हवा पुं० एक फारसी फकीर
सबात पुं० [अ.] स्थिरता; दृढता .
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सबील
५१८
समन्वय सबील स्त्री० [अ.] सडक; रस्तो (२) समंत पुं०[सं.] सीमा; हद (२) वि० : उपाय; युक्ति (३) परब
समस्त; बधु सबू पुं० [फा.] माटीनो घडो
समंद पुं० [फा.] एक उमदा जातनो घोडो सबूचा पुं० [फा.] नानो 'सबू' समं(-मुं)दर पुं० समुद्र सबूत पुं० [अ.] साबूती; संगीनता; सम वि० [सं.] समान; सरखं (२) पुं०. दृढता (२) साबिती; प्रमाण
संगीतनो सम ताल(३)[अ. सम्म] झेर सबेरा पुं० जुओ ‘सवेरा'
समअ पुं० [अ.] कान सम्ज वि० [फा. काचुं ताजु (फळफूल ।
समअ-खराशी स्त्री० [फा. नकामी इ०) (२) लीलं. -बाग दिखलाना=3
वातोथी कान फोडवा के माथु खावू ते पोतार्ने काम काढी लेवा मोटी मोटी समकक्ष वि० [सं.] समान कक्षानु; आशाओ देखाडवी
बराबरियं सब्ज-क़दम वि० अपशुकनियाळ पगलां- समकालीन वि० [सं.] एक ज समयनुं वाळू. -मी स्त्री०
समकोण पुं० [सं.] काटखूणो (२) वि० सब्ज-पा वि० अभागी
सरखा खुणावार्छ सब्ज-बरुत वि० सद्भागी. -ती स्त्री० समक्ष अ० [सं.] सामे; रूबरू सब्जा पुं० [फा. हरियाळी (२) सबजी; समग्र वि० [सं.] कुल; बधं भांग
[जगा समझ स्त्री० समज; बुद्धि. ०दार वि० सब्जा-जार पुं० खूब लीलोतरीवाळी समजणुं. -पर पत्थर पड़ना%3D सब्जी स्त्री० [फा.] जुओ 'सब्जा' (२) समजमां ना ऊतर - ना समजवू लीलु शाक
लखवू समझना सक्रि० समजवू सन्त पुं० [अ.] लेख; खरडो. -करना = समझाना सक्रि० समजाववं सब्बल पुं० कोश; नराज
समझाव,-वा पुं० समजण • सब पुं० [अ.] सबर; धीरज. -आना, समझौता पुं० समजूती; आपसमां
-करना-धीरज धरवी;खामोश रहे. समजीने आणलो निकाल -देना=धीरज आपवी. (किसीका) समतल वि० [सं.] सपाट । -पड़ना= कोकने कष्ट दीधानां फळ । समता स्त्री० [सं.] समानता मळवा. -रखना=खामोशी राखवी समदना अ०क्रि० (प.) प्रेमथी मळवं; सभा स्त्री० [सं.] मेळावडो; संमेलन. . भेटवं (२) भेट करवू; आप .
गृह पुं० सभानु स्थान. ०पति पु० समधियाना पुं० पुत्र के पुत्रीन सासरूं सभानो प्रमुख. ०सद पुं० सभ्य समधी पुं० पुत्र के पुत्रीनो ससरो; वेवाई सभ्य वि०[सं.] सभा संबंधी (२) शिष्ट;, समन पुं० [अ.] मूल्य; किंमत (२)
संस्कारी (३) पुं० सभासद. ०ता स्त्री० [इं.अदालतनो समन्स (३) स्त्री० शिष्टता (२) सुधारो; संस्कारिता [फा. चमेली एकीकरण समंजस वि० [सं.] उचित; ठीक समन्वय पुं० [सं.] संयोग; मिलन;
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समन्वित
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समीचीन समन्वित वि० [सं.] संयुक्त; भेगुं समाधान पुं० [सं.] निवेडो; पतावट (२) समय पुं० [सं.] काळ; वखत (२) युग; शांति; संतोष जमानो
समाधि स्त्री० [सं.] तल्लीनता (२) समर पुं० [सं.] युद्ध
योगर्नु एक अंग (३) अंतिम क्रियानी समर(-रा) पुं० [अ.] परिणाम; जगा पर करातुं स्मारक मकान; रोजो फळ (२) लाभ; बदलो
समान वि०[सं.] सरखं; बरोबर (२) समर्थ वि० [सं.]बळवान; सशक्त(२)योग्य
पुं० शरीरना पांच वायुमांनो एक समर्यक वि० समर्थन के टेको आपनार समाना अ०क्रि० समावं (२) सक्रि० समर्थन पुं० [सं.] टेको; पुष्टि
समावq; भरवू समर्पण पुं० [सं.] आपq के सोंपी देवं ते समापक वि० [सं.] समाप्त-पूरुं करनार समर्पित वि० [सं.] निवेदित:समर्पण थयेलं समापन पुं० [सं.] समाप्त के पूरुं समवाय पुं० [सं.] निकट संबंध (२) करवं ते
स्त्रिी० अंत समूह; टोळं
समाप्त वि० [सं.] पूरुं; खतम. -प्ति समवेत वि० [सं.] एकळु थयेलं; एकत्रित समारंभ पुं० [सं.] (धामधूम साथे) समष्टि स्त्री० [सं.] कुल समूह आरंभ; उत्सव समसाम स्त्री० [अ.] नागी तलवार समारोह पुं० [सं.] समारंभ . समस्त वि० [सं.] बधुं; कुल (२) संयुक्त समालोचक पुं० [सं.] गुणदोषनी समीक्षा समस्या स्त्री० [सं.] कोयडो; मुश्केल प्रश्न करनार; अवलोकनकार. -न पुं०,
(२) काव्यपूर्ति माटेनी छेल्ली कडी । -ना स्त्री० समीक्षा; अवलोकन समां पुं० समय; समो; जमानो; ऋतु. समावर्तन पुं० [सं.] परवारीने पार्छ -बँधना=(संगीत वगेरे) एवं थर्बु के फरवं ते. जेम के, विद्या पूरी करीने लोक छक थई जाय
समाविष्ट वि० [सं.] समावायेलं समा पुं० [अ.] आसमान; आकाश (२) । समावी वि० [अ.] आसमानी; आकाशीय जुओ 'समाँ' (३) स्त्री० [सं.] साल समावेश पुं० [सं.] अंदर समावq ते; समाअत स्त्री० [अ.] सांभळवू ते समास
शब्दोनो समास समाई स्त्री० समावेश; गुंजाश (२) समास पुं० [सं.] संग्रह; भेगुं थर्बु ते (२) वि० [अ.] सांभळेलं; कोईन कहेलं समाहार पुं० [सं.] समूह; ढग (२)मिलन समागत वि० [सं.] आवेलं; पधारेलु; समिति स्त्री० [सं.] कमिटी; नानुं . एकळु मळेलं
-मंडळ के सभा समागम पुं० [सं.] मळवू ते; भेट; साथ समिध,-धा स्त्री० [सं.] (यज्ञर्नु) ईंधण समाचार पुं० [सं.] खबर. ०पत्र पुं० समीकरण पुं० [सं.] समान करवू ते (२) वर्तमानपत्र; छापुं
गणित- समीकरण विवेचन समाज पुं० [सं.] समुदाय (२) मंडळ; संघ समीक्षा स्त्री॰ [सं.] समालोचना; सम्यक् समादर पुं० [सं.] आदरमान
समीचीन वि० [सं.] योग्य; ठीक
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समीप
समीप अ० [सं.] पासे; निकट •वर्ती वि० पासेनुं
समीर, ०ण पुं० [सं.] वायु; पवन समुंदर पुं० समुद्र; 'समंदर' समुचित वि० [सं.] वाजबी; योग्य समुच्चय पुं० [सं.] ढग; समूह समुझ स्त्री० ( प. ) समज. ०ना स०क्रि० (प.) समजवुं
समुदाय पुं० [सं.] समूह; जथो समुद्र पुं० [सं.] दरियो. ०गा स्त्री० नदी समुहा वि० सामेनुं (२) अ० सामे; सन्मुख [थवुं समुहाना अ०क्रि० सामे आववुः सन्मुख समूचा वि० समूचुं; बधुं
समूम स्त्री० [ अ ] लू; ऊनो-गरम वा समूर पुं० [सं.] साबर हरण ( २ ) [ अ ] शियाळ जेवुं एक पशु के तेन रुवांटीदार चामडुं [सकारण समूल वि० [सं.] मूळ साथ; समूळगुं (२) समूह पुं० [सं.] टोळं; समुदाय (२) ढगलो समृद्ध वि० [सं.] मातबर; मालदार (२) भर्युभादर्यु. -द्धि स्त्री० संपत्ति समेटना स०क्रि० समेट; एकठं कर समेत अ० [सं.] सहित; साथे समै ( ०या ), -मो पुं० ( प. ) समय समोना स०क्रि० पाणी समोववुं समौरिया वि० समोवडिय; समान उमरनं [ संमति सम्मत वि० [सं.] संमत. -ति स्त्री० सम्मान पुं० [सं.] सन्मान आदर सम्मिलन पुं० [ सं . ] संमिलन; मेळाप सम्मिश्रण पुं० [सं.] संमिश्रण; भेगुं करवुं ते
सम्मुख अ० [सं.] सन्मुख सामे
५२०
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सरखत
सरकट
सम्मेलन पुं० [सं.] संमेलन; मेळावडो सम्मोह पुं० [सं.] संमोह; मोह; भ्रम सम्यक् वि० [सं.] बरोबर; योग्य सम्राज्ञी स्त्री० [सं.] सम्राटनी महाराणी सम्राट पुं० [सं.] चक्रवर्ती राजा; बादशाह सयानपत स्त्री०, सयानप, ०न पुं० शाणपण (जुओ 'सयाना' ) सयाना वि० शाणुं; समजु; चतुर ( २ ) चालाक; पहोंचेल (३) उमरे पहोंचेलं सरंजाम पुं० [फा.] प्रबंध; तैयारी (२) सामान; असबाब (३) छेवट; अंजाम सर पुं० [फा.] शिर (२) टोच (३) पत्तांनो सर (४) वि० सर-ताबे करेलु; पराजित (५) अ० उपर (६) सामे सर-अंजाम पुं० [फा.] जुओ 'सरंजाम' सरकंडा पुं० सरपट जेवी एक वनस्पति; [दारूनो नशो सरक स्त्री० 'सरकना' - परथी नाम (२) सरकना अ०क्रि० सरकवूं; खसवुं (२) नियत समयथी मोडुं थवं - मुहूर्त खसवुं (३) काम नभवु के चालवु [एवं सरकश वि० [फा.] उद्धत (२) सामे थाय सरका पुं० [अ.] चोरी; तफडंची. ● बिलजन पुं० काटी सरकार स्त्री० [फा.] राजसत्ता; हकूमत (२) पुं० सूबो; जिल्लो (३) मालिक. -करना, - चढ़ना = कोरट कचेरीए चडवुं ने फरियाद करवी सरकारी वि० सरकारनं के तेने लगतुं सरकारी काग़ज़ पुं० सरकारी कागळियं (२) पैसानी नोट [(२) शिक्षा; दंड सरकोबी स्त्री० [फा. सर + कोब] दमन सरखत पुं० [फा.] भाडाचिट्ठी (२) ऋण चूकते कर्यानी पहोंच
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सरग
[फा.] नेता; आगेवान
सरग पुं० ( प. ) स्वर्ग सरगना पुं० सरगम पुं० संगीतनी सारीगम सरगरवाँ वि० [फा.] गभरायेलुं; हेरान सरगरम, सरगर्म वि० [फा.] जोशीलुं (२) उत्साही ( ३ ) तत्पर; चालाक. ( नाम, मी, र्मी स्त्री ० ) सरगरता वि० [फा.] दुर्दशामां सपडायेलं; बेहाल ( नाम - श्तगी) सर-गुजरत स्त्री० [फा.] आपवीती ( २ ) वर्णन (३) जीवनचरित
सरगोशी स्त्री० [फा.] कानफूसियां सरधा स्त्री० [ सं . ] मधमाख सर-चश्मा पुं० [फा.] नदीनो उगम (२) पाणीनो झरो
सरजद वि० प्रगट; जाहेर
सर जमीन स्त्री० [फा.] देश (२) जमीन सरजा पुं० सिंह ( २ ) सरदार
"
1
सरजोर वि० [फा.] जबरु (२) शिरजोर (३) जुओ सरकश ( नाम, -री )
सरणी स्त्री० [सं.] रस्तो ( २ ) पगदंडी सरताज पुं० [फा.] सर्वश्रेष्ठ; शिरताज सरतान पुं० [अ.] करचलो सर-ता-पा अ० [फा.] माथाथी पग लगी; आदिथी अंत लगी
सरता बरता पुं० वहेंचणी. -करना = सहकारथी काम करवुं
सरद वि० जुओ 'सर्द' सरवई वि० जुओ 'सर्दई ' सर-वर अ० सरासरी (२) एक छेडेथी सर-दर्द पुं० माथानुं दरद; पीडा सरदा पुं० [फा.] एक जातनुं खडबूचुं सरदार पुं० [फा.] नायक ( २ ) अमीर
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सरमा
(३) शीख माटे मानवाचक शब्द- स्त्री० सरदारपणुं सरदी स्त्री० जुओ 'सर्दी' सरन पुं० ( प. ) शरण; आशरो सर-नविश्त स्त्री० [फा.] नसीब; तकदीर सरना अ० क्रि० सरवु; चालबुं (२)
निपटवुं (३) नभवं; चाली जवुं सरनाम वि० [फा.] नामीचुं; प्रख्यात सरनामा पुं० [फा.] ( लेखनुं ) मथाळु शीर्षक (२) सरनामुं सरपंच पुं० पंचायतनो प्रमुख सरपट अ० पूरपाट; पुरजोश सरपत ( - ता) पुं० [सं. शरपत्र] सरपट; कुश जेवुं छाजनुं घास सरपरस्त वि० [फा.] संरक्षक (नाम-स्ती) सरपें ( - पे) च पुं० शिरपेच, कलगी; तोरो सरपोश पुं० [फा.] थाळी इ० ढांकवानो रूमाल के ढांक [ ( नाम, -जी) सरफ़राज वि० [फा.] प्रतिष्ठित; मोटुंसरफ़ा पुं० जुओ 'सफ़' सरबंधी पुं० बाणावळी
सर-बराह ( ० कार ) पुं० [फा.] सरभरा करनार; व्यवस्थापक (२) मुकादम सर-बराही स्त्री० [फा.] सरभरा; बंदोबस्त सरबस पुं० ( प. ) सर्वस्व; बधुं सर-ब-सर अ० [फा.] पूरुं; आद्यन्त सर-बस्ता वि० [फा.] छूपुं; गुप्त सर-बाज वि० [फा.] जानना जोखमथी वर्तनार; वीर; बहादुर [ नसीबदार सर- बुलंद वि० [फा.] प्रतिष्ठित ( २ ) सरमद वि० [ अ ] शास्वत; नित्य सरमस्त वि० [फा.] मस्त; मदमत्त सरमा स्त्री० [सं.] देवनी कूतरी (वेदोमां) (२) कूतरी (३) पुं० [फा.] शियाळो
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सरमाया
५२२
सरासर सरमाया पुं० [फा.] मूडी(२)संपत्ति.०दार सरसिज,-रह पुं० [सं.] कमळ
पुं० मूडीवाळो. ०दारी स्त्री० मूडीवाद सरसी स्त्री० [सं.] तळावडी सरल वि० [सं.] सरळ; सीधुं; सहेलुं सरसेटना सक्रि० वढवू; झाटकवू सरवत स्त्री० [अ.] समृद्धि; वैभव सरसों स्त्री० सरसव सरवर पुं० सरदार [फा. (२) (प.) । सरस्वती स्त्री० [सं.] विद्यादेवी (२) वाणी सरोवर (३) तुलना
सरह पुं० तीड (२) पतंगियुं सरवरि स्त्री० (प.) तुलना ।
सरहंग पुं० सैनिक (२) सेनापति (३) सरवरी स्त्री० [फा. सरदारी
कोटवाळ (४) वि० उदंड सरवरे-कायनात पुं० [फा.] सृष्टिनो। सरहज स्त्री० साळावेली सरवर-नेता (२) महंमद पेगंबरनो । सरहटी स्त्री० एक छोड एक इलकाब
सरहद स्त्री० [फा.+अ.] सरहद; सीमा. सरवाक पुं० कोडियुं; शकोरुं -दो वि० सरहद- के ते संबंधी सरवान पुं० तंबू
सरहरी स्त्री० एक छोड [चिता सरविस स्त्री० [इ.] नोकरी (२) सेवा सरा स्त्री० 'सराय'; धर्मशाळा (२) (प.) सरये पं० [इं.जमीननी मापणी
सराई स्त्री० शकोरं सरशार वि० [फा.] नशाथी चकचूर । सराध पुं० श्राद्ध (२) मदमत्त (नाम, -री)
सराप पुं० शाप.ना सक्रि० शाप देवो सरस वि०[स.] रसवाळु (२) भानु (३) सरापा अ० [फा.] जुओ 'सर-ता-पा'
सारुं; सुंदर (४) रसिक; मजेदार सराफ़ पुं० [अ. सर्राफ़] शराफ; नाणावटी सरसई स्त्री० मरवा जेम बेसतुं नान
... (२) सोना चांदीनो वेपारी. खाना फळ (२) (प.) सरसता; सौंदर्य (३) पुं० बॅन्क
(३) बॅन्क सरस्वती नदी
सराफ़ा पुं० सराफी (२) सराफ-बजार सरसठ वि० सडसठ; ६७
सराफ़ी स्त्री० सराफनो धंधो; व्याजवटं सरसना अक्रि० लीलू थवं; फूटवं।
सराब पुं० [अ.] मृगजळ सरसब्ज वि० [फा.] हरिया; भर्युभादयु
__ सराबोर वि० तरबोळ; साव पलळेलु सरसर पुं० सरसर गतिनो ध्वनि (जेम
सराय स्त्री० [फा. सराई; धर्मशाळा. __ के हवा, साप इ० नो)
-ए-फानी स्त्री० फानी दुनिया. -का सरसराना अ०क्रि० सरसर जवं के
कुत्ता-मतलबी स्वार्थी.-को भठियारी वहेवं. -हट स्त्री० तेनी क्रिया = झघडाळु-बेशरम स्त्री सरसरी अ० सरसर; झटझट
सरायत स्त्री० घूस ते; प्रवेश (२) सरसाई स्त्री० सरसता; सुंदरता (२) __ असर; प्रभाव सरसाई; चडियातापणुं
सराव पुं० शकोरं सरसाम पुं० [फा.] सन्निपात; मूंझारो । सरावग(-गी) पुं० श्रावक; जैन सरसार वि० मग्न (२) चकचूर सरासर अ० [फा.सरार; सराधरा; हरार
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सरासरी ५२३
सी सरासरी स्त्री० [फा. जलदी; उतावळ सरे-नौ अ० [फा. तद्दन शरूआतथी (२) सरेराश; अंदाज (३) अ० जलदी सरे-बाजार अ० [फा. छडेचोक; सरेतोरे (४) सरासरी; अंदाजथी ।
सरेराह पुं० [फा.] धोरी रस्तो (२) अ० सराह स्त्री० (प.) स्तुति; प्रशंसा रस्ता उपर . [एक झाड सराहत स्त्री० [अ.] टीका (२) स्पष्टता सरो पुं० [फा.] बागमां शोभा माटे होतुं सराहना स्त्री० सराह; स्तुति (२) सरोकार पुं० [फा.] संबंध; लेवादेवा सक्रि० सराहवू;वखाण.-नीय वि० । सरोज पुं० [सं.] कमळ स्तुतिपात्र
सरोजना सक्रि० (प.) प्राप्त करवू सरि वि० सरखं; समान (२) स्त्री० [सं.] सरोद पुं० [फा.] एक तंतुवाद्य (२)
झरj (३) नदी; सरिता समुद्र गानतान सरित्,-ता स्त्री० [सं.] नदी.-स्पति पुं० सरोरुह पुं० [सं.] कमळ सरियाना सक्रि० ठीकठाक करीने ।
सरोवर पुं० [सं.] तळाव एकळु करवं; 'समेटना'
सरोश पुं० [फा.] पेगंबर; फिरस्तो सरिश्त स्त्री० [फा.] स्वभाव (२) गुण । सरोष वि० [सं.] जुओ 'सरुष' (३) वि० मिश्रित
सरो-सामान पुं० सरसामान सरिश्ता पुं० [फा. सरेरिश्तः] कचेरी । सरीता पुं० सरोतो; सूडी (२) कार्यालयतुं खातुं; दफतर सर्कस पुं० [इं.] सरकस खेल सरिश्तेदार पुं० शिरस्तेदार (२) खातानो
सा पुं० [अ.] जुओ 'सरका' मोटो अमलदार. -री स्त्री० तेनुं काम सर्किट हाउस पुं० [इ.] सरकारी उतारो सरिस वि० (प.) सदृश; समान सकिल पुं० [इं.] गामोनू मंडळ; 'सर्कल' सरीअ वि० [अ.] जलदी करनार उतावळं सप्लर पुं० [इं.] परिपत्र सरीखा वि० सरखं; समान
सर्ग पुं० [सं.] अध्याय; प्रकरण (२) सरीफा पुं० जुओ 'शरीफा' गादी सर्जन; सृष्टि (३) त्याग (४)(प.) स्वर्ग सरीर पुं० (प.) शरीर (२) [अ.] तख्त; सर्गुन वि० (प.) सगुण [शस्त्रवैद सरीह वि० [अ.] स्पष्ट; खुल्लु सर्जन पुं० [सं.] निर्माण; उत्पत्ति (२) [ई.] सरोहन अ० [अ.सरेतोरे;जाहेर; छचोक सर्जन्ट, सर्जेन्ट पुं०६.] सारजंट पोलीस सरुज वि० [सं.] रोगी
सर्जरी स्त्री० [इं.] शस्त्रवैदं सरुष वि० [सं.] रोषमां आवेलु सर्टिफिकेट पुं० [इ.] प्रमाणपत्र सरूप वि० [सं.] साकार (२) रूपवान । सर्व वि० [फा.] ठंडु; शीतळ (२) ढीलं; सरूर पुं० जुओ 'सुरूर' [सरियाम मंद (३) नामरद; निर्वीर्य सरेआम अ० [फा.] जाहेर; खुल्लखुल्ला; सर्द-मिजाज वि० ठंडु; उत्साह वगरनुं सरेख,-खा वि०(प.) लायक; समजणुं (२) शुष्क; सहानुभूति वगरनुं सरे-दस्त अ० [फा.] हमणां ज; अबघडी सर्दी स्त्री॰ [फा.] 'सर्द' परथी नाम (२) (२) हाल पूरतुं; 'फ़िलहाल'
शरदी; सळेखम (३) शियाळो
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सर्प
सर्प पुं०[सं.] साप. ०काल पुं० गरुड सर्पिणी स्त्री० [सं.] सापण (२) एक वेल सपि, ०स् पुं० [सं.] घी
सर्फ़ पुं० [अ.] व्यय; खरच (२) व्याकरण सफ़ पुं० [अ.] खरच; वापर; व्यय सफ़ वि० [अ०] वैयाकरणी
सर्बस वि० ( प. ) सर्वस्व सर्राफ़ पुं० [अ.] जुओ 'सराफ़' सर्राफा पुं० जुओ 'सराफ़ा' सर्व वि० [सं.] बघुं
सर्वकाम पुं० [सं.] सौ कामनाओ पूरी करनार (२) शिव
सर्वग्रास पुं० [सं.] खग्रास ग्रहण सर्वजनीन वि० [सं.] सार्वजनिक सर्वज्ञ वि० [सं.] बधुं जाणनार ( २ ) पुं० प्रभु
सर्वतंत्र वि० [सं.] बधां शास्त्रोने मान्य सर्वतः अ०[सं.] बधी तरफथी के रीते सर्वतोभाव, -वेन अ० [सं.] 'भली भाँति ' ; सौ रीते; बरोबर
सर्वत्र अ० [सं.] बधे सर्वथा अ० [सं.] बधी रीते सर्वदा अ० [सं.] सदा सर्वरी स्त्री० ( प. ) शर्वरी; रात्रि सर्वशः अ० [सं.] बधी - पूर्ण रीते सर्वस्व पुं० [सं.] बधुं; कुल मालमत्ता सर्वप पुं० [सं.] सरसव सर्सी पुं० 'सरसों'; सरसव सलई स्त्री० चीडनुं झाड के तेनो गुंदर सलग ( - ज ) म पुं० जुओ 'शलग़म ' सलज्ज वि० [सं.] लज्जावाळु सलतनत स्त्री० [अ.] सल्तनत (२) प्रबंध; गोठवण (३) आराम; निरांत सलना अ०क्रि० साल पडवुं; बींधावुं
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सलीब
सलफ़ वि० [ अ ] गत; व्यतीत सलब वि० [अ. सल्व] बरबाद; नष्ट सलमा पुं० सोनाचांदीनो तार सलवात स्त्री० [अ.] रहेम; शुभेच्छा (२) गाळ [पायजामो
सलवार स्त्री० [फा.] एक जातनो' सलहज स्त्री० जुओ 'सरहज '
सला स्त्री० [ अ ] नोतरु; आमंत्रण सलाई स्त्री० पातळी सकियो (२) दीवासळी
सलाख स्त्री० सळियो [एक भाजी सलाद पुं० [इं.] कचुंबर तरीके खवाती सलाबत स्त्री० [ अ ] दृढता; मजबूती सलाम पुं० [अ.] सलाम वंदन. - देना = सलाम करवी. -लेना = सामे सलाम करवी; सलाम झीलवी [रक्षा सलामत वि० [अ.] सुरक्षित. ती स्त्री० सलामत - रवी स्त्री० [ अ. +फा.] मध्यम मार्ग (२) मापसर खरच सलामी स्त्री० सलामनी रीत; सलाम करवी ते
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सलार पुं० एक पक्षी
सलाह स्त्री० [अ.] भलाई; सदाचार (२) सलाह सूचना (३) इच्छा; विचार. ०कार, - ही पुं० सलाह आपनार. -- हि ( ही ) यत स्त्री० भलाई; योग्यता सलिल पुं० [सं.] पाणी सलीक़ा पुं० [अ.] ढंग; रीत ( २ ) कुशळता; होशियारी (३) सभ्यता (४) वर्तन; रीतभात. ०दार, मंद वि० ' सलीका' वाळु सलीता पुं० एक जातनुं गजिया जेवुं कपड सलीपर पुं० स्लीपर जोडा सलीब स्त्री० [अ.] शूळी (२) ख्रिस्ती क्रॉस
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सलीम ५२५
सहन सलीम वि० [अ] ठीक; सारं (२) तंदुरस्त सविता पुं० [सं.] सूर्य कानूनभंग
(३) साफ दिलन (४) शांत; धीर सविनय अवज्ञा स्त्री० [सं.] सविनय सलीम-उत्तवा वि० [अ.] कोमळ दिलनुं सवेरा पुं० सवार; प्रभात (२) धीर; गंभीर (३) बुद्धिमान सर्वया पुं० सवा शेरनुं वजन(२) सवाना सलीस वि० [अ.] सुगम; सरळ
आंक (३) सवैया छंद सलूक पुं० [अ.] वर्तन; रीतभात (२) मेळ सव्य वि०[सं.] डाबु (२) जमणुं (३)विरुद्ध (३) भलाई; नेकी
सशंक वि० [सं.] साशंक सलोतर पुं० सालोत्रीनी विद्या; ढोर-वैदूं ससि,०धर पुं० (प.) शशी; चंद्र सलोतरी पुं० सालोत्री सुंदर ससुर पुं० ससरो सलोना वि० लूण-मीठावाळू(२) सलूणुं; ससुराल स्त्री० सासरी सलोनो पुं० बळेव; रक्षाबंधननो तहेवार सस्ता वि० सस्तुं. सस्ते छूटना थोडामां सल्स स्त्री० [अ.] सुद बीज |
के थोडी महेनते पतवू [सस्तुं करवू सल्तनत स्त्री० जुओ 'सलतनत' सस्ताना अ०क्रि० सस्तुंथq(२) सक्रि० सल्ब वि० [अ.] जुओ 'सलब' ।
सस्ती स्त्री० सस्तापणुं सल्लम पुं० जाडु कपडु-गजियु सस्त्रीक वि० [सं.] साथे पत्नी के स्त्रीवाळू सवत (-ति)स्त्री० 'सौत'; शोक; सपत्नी सस्य पुं० [सं.] धान्य; अन्न सवन पुं० [सं.] प्रसव [उमरखें
सहंगा वि० (प.) सोंधू; सस्तुं सवयस,-स्क वि० [सं.] समवयस्क;सरखी। सह वि० [सं.] साथे; सहित सवया स्त्री० [सं.] सखी; साहेली सहकार पुं० [सं.] आंबो (२) साथे मळी सवर्ण वि० [सं.] सरखा वर्ण के जातिनुं __ काम करवू ते; साथ (३) मददगार सवा वि० एक उपर पा
सहकारी पुं० [सं.] साथी; मददनीश. सवाई वि० सवायु (२) स्त्री० साया -रिता स्त्री० साथ; मदद [थq ते व्याजनो दर
सहगमन पुं० [सं.] साथे जq ते (२) सती सवाद पुं० (प.) स्वाद
सहगामिनी स्त्री० [सं.] सती थनार स्त्री सवाब पुं० [अ.] पुण्य. (२) भलाई सहगामी पुं० [सं.] साथै जनार; अनुयायी सवार पुं० [फा. घोडेसवार (२) वि० सहगौन पुं० (प.) सहगमन आरूढ; उपर चडेलु
सहचर पुं० [सं.] साथी; मित्र (२) सेवक सवारी स्त्री० [फा.] सवार थq ते के सहचरी स्त्री० [सं.] सखी (२) पत्नी तेनुं वाहन (२) वरघोडो (३) वाहनमा सहज वि०[सं.] स्वाभाविक (२) सहेलु बेसनार व्यक्ति
(३) पुं० सगो भाई; सहोदर सवाल, पुं० [अ.] प्रश्न (२) मागणी. सहत पुं० 'शहद'; मध ।
-लात पुं० ब०व० [अ.] सवालो सहदानी स्त्री० (प.) निशानी; चिह्न सवाली पुं० [फा. मागणी करनार सहधर्मिणी स्त्री० [सं.] पत्नी [आंगणुं सविकल्प वि० [सं.] संशय के दुविधावाळू सहन पुं० [सं.] सहेवं ते (२) [अ.] चोक;
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सहना
सहना स०क्रि० सहवुं; वेठवुं; भोगववुं
सहनीय वि० [सं.] सह्य सहपाठी पुं० [सं.] सहाध्यायी सहभोजन पुं० सहभोजन सहभोजी पुं० सहभोजन करनार सहम पुं० [फा.] भय; डर ( २ ) संकोच. ०नाक वि० भयानक
सहमत वि० [सं.] संमत; सरखा मतवाळु सहमना अ०क्रि० डरवुं (प्रेरक सहमाना) सहयोग पुं० [ सं . ] सहकार सहर पुं० [ अ ] सवार ; प्रभात ( २ ) [ अ. सिंह] जादु (३) अ० धीमे धीमे ; मंद गतिए
सहर खेज वि० [अ + फा.] चोर; उठावगीर सहर - गही स्त्री० 'सहरी'; सरगी सहरा पुं० [अ.] खाली मेदान (२) जंगल (३) रण. ०ई वि० जंगली
सहरी स्त्री० शफरी माछली (२) सरगी; रोजामा करातो मळसकानो नास्तो सहल वि० [ अ ] सहेलुं सहलाना स०क्रि० थाबडवु; धीरेथी पंपाळ या घस के हाथ फेरववो (२) गलीपची करवी (३) अ०क्रि० गली थवी के वलूर आववी
सहवास पुं० [सं.] साथ रहेवं ते (२) मैथुन सहस - वि० [सं.] हजार सहसा अ० [ सं . ] एकदम सहस्र वि० [ सं . ] हजार
सहाइ ( - ई, - उ ) पुं० सहाय; मददगार सहाध्यायी पुं० [सं.] साथ भणनार सहानुभूति स्त्री० [सं.] हमदर्दी; सामाना दुःखी दुःखी थवं ते सहाब पुं० [अ.] वादळं सहाबा पुं० [ अ ] मित्र; दोस्त
५२६
सहोकर
सहाय पुं० [ सं . ] मदद ( २ ) सहायक सहायक वि० [सं.] सहाय के मदद करनाएं सहायता स्त्री० [सं.] मदद सहायी वि० [सं.] सहायक सहार पुं० सहन ( २ ) सहनशीलता सहारना स०क्रि० सहवुं; खमवं सहारा पुं० सहाय; मदद (२) आशरो; हूंफ सहालग पुं० लगनगाळो सहाबल पुं० 'साहुल'; ओळंबो सहिजन पुं० [सं. शोभांजन ] सरगवो सहित अ० [सं.] साथ [निशानी सहिदान, नी स्त्री० ( प. ) 'सहदानी'; सहिष्णु वि० [सं.] सहनशील; वेठी जाणे एवं [शुद्ध (२) स्त्री० सही; दस्कत सही वि० [अ. सहीह ] साचुं; प्रामाणिक; सही भरना = मानी लेवुं सहीफ़ा पुं० [ अ ] पुस्तक ( २ ) सामयिक सही-सलामत वि० [ अ ] सारी हालतवाळु; स्वस्थ; नीरोग [ सलामत सही-सालिम वि० बरोबर; पूरुं (२) सहीसहीह वि० [ अ ] स्वस्थ; दुरस्त सहूलत [ अ ], सहूलियत स्त्री० सहेलाई (२) अदब, विनय; विवेक सहृदय वि० [सं.] भली लागणीवाळु; दया; हमदर्द
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सहेजना स०क्रि० संभाळीने तपास के जोई लेवुं (२) कही समजावीने सोंपवु सहेट, -त पुं० प्रेमीओने मळवानुं संकेत-स्थान
सहेतुक वि० [सं.] हेतुयुक्त
सहेली, - लरी स्त्री ० ( प. ) साहेली; सखी सहैया वि० सहनार (२) पुं० ( प. ) सहायक सहो पुं० [ अ. सहव] भूल; चूक सहोदर पुं० [सं.] सगो भाई
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सह्य ५२७
साँसमा सह्य वि० [सं.] सही शकाय एवं ... सांत्वन पुं०, -ना स्त्री० [सं.] दिलासो; सह्वन् अ० [अ.] भूलथी
संतोष; शांति सांधq (३) सांधवं साँई पुं० स्वामी (२) प्रभु (३) फकीर साधना सक्रि० (प.)निशानी करवी(२) सांकड़ पुं० सांकळ (२) सांकळं (३) वि० । साँप पुं० साप. (स्त्री०साँपिन)-उतारना सांकडु; तंग
=सापर्नु झेर उतारवं. कलेजे पर, सांप सांकड़ा पुं० पगनुं सांकछं
लोटना=भारे दुःख थq. -का पांव सांकर,-ल स्त्री० सांकळ .
देखना=अशक्य माटे मथवू. के मुंहमें सांग वि० [सं.] अंग सहित
= जोखम के खतरामां. -सूंघ जाना = सांग स्त्री० बरछी जेवू एक शस्त्र मरी जq (साप करडवाथी) सांगी स्त्री० जुओ 'साँग' (२) गाडीना सांप्रत अ० [सं.] अत्यारे; हमणां (२) हांकनारने बेसवानी जगा के तेनी वि० अर्वाचीन; अत्यारनुं नीचे कांई मूकवा रखाती झोळी सांप्रदायिक वि० [सं.] संप्रदायन के ते सांगोपांग वि० [सं.] पूरेपूरुं
संबंधी साँच वि० साच; सत्य
सांबरी स्त्री० जादूगरी साँचला वि० साचकलं; सत्यवादी साँभर पुं० सांभर सरोवर के तेमांथी सांचा पुं० सांचो; बीबुं; फरमो. साँचेमें पकवातुं मीठु (२) वटेसरी; भा) ढालना=बहु सुंदर बनावq
सांमुहे अ० सामे साँची पुं० पोथी आकारनी छपाई साँवत पुं० (प.) सामंत; योद्धो साँझ स्त्री० (प.) सांज; संध्या सांवत्सरी स्त्री० [सं.] संवत्सरी; वार्षिक साँझला पुं० एक हळे सांज सुधीमां मरणतिथि खेडी शकाय एटली जमीन
साँवर वि० (प.) शामळं सांझी स्त्री० देवमंदिरमा कराती फूलनी सांवला,-लिया वि० शामळं; काळाश सजावट
पडतुं (२) पुं० श्रीकृष्ण सांट स्त्री० सोटी के कोयडो या तेनो सोळ साँवाँ पुं० सामो धान्य साँटा पुं० सोटो (२) सांठो (शेरडीनो) साँस स्त्री० सास; श्वास(२) दमनो रोग. साँटिया पुं० ढोल पीटनार
-उखड़ना, -टूटना = श्वास ऊपडवो सांटी स्त्री० सोटी (२) मेळ (३) बदलो के तूटवो (मरती वेळा). -चढ़ना, साँठ पुं० सांठो (२) पगर्नु सांकळं -फूलना = श्वास चडवो. -लेना = सांठ-गाँठ स्त्री० गांठ; मेळाप (२) सास खावो; विराम लेवो अनुचित गुप्त संबंध
साँसत स्त्री० श्वास लेवानी मुश्केली साँड़ पुं० सांढ; गोधो
(२) सांसता; सांसा; मुश्केली . .. साँड़नी स्त्री० साढणी
साँसत-घर पुं० जेलनी काळी कोटडी; साँड़ा पुं० सांढो . [सवार अंधेरी .
पीडवू सांडिया पुं० वेगवाळू ऊंट (२) सांढणीनो सांसना स०क्रि० (प.) शासन करवू
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३२८
पुंडरीक
पुनरागमन पुंडरीक पुं० [सं.] धोळं कमळ (२) पुटी स्त्री० नानो दडियो के कटोरी (२) रेशमनो कीडो (३) टील; तिलक पडीकी (३) लंगोटी [माटे) लापी (४) खांड; साकर
पुटीन पुं० (काच इ० बारणामां जडवा पुंलिंग पुं० [सं.] नरजाति (व्याकरण) पुट्ठा पुं० थापानो उपरनो भाग (२) पुंश्चली स्त्री० [सं.] वेश्या
पुस्तकनी बांधणीनी पटी -पुंस पुं० (प.) पुरुष; नर [(२) दूध पुठवार अ० पूछे; पाछळ पुंसवन पुं० [सं.] सोळमांनो एक संस्कार पुठवाल पुं० मददगार; सागरीत पुंस्त्व पुं० [सं.] पुरुषत्व (२) वीर्य पुड़ा पुं० पडो; मोटु पडीकु पुआ पुं० मालपूडो
पुड़िया स्त्री० पडीकुं के पडीकी.-बाँधना पुआल पुं० 'पयाल'; पराळ।
=पडीकुं वाळवू पुकार स्त्री० पोकार (बूम के फरियाद) पुण्य पुं० [सं.] सुकृत; सारं काम के पुकारना स०क्रि० पोकार
तेनुं शुभफळ (२) वि० पवित्र; शभ. पुखराज पुं० पोखराज मणि [पुख्तगी)
०वान वि० पुण्यशाळी. ०श्लोक वि० पुख्ता वि० [फा.] दृढ; मजबूत (नाम. पवित्र जीवनवाळू (२) पुं० तेवो पुचकार,-री स्त्री० बचकारी
आदर्श पुरुष पुचकारना सक्रि० प्रेमथी बचकार पुण्याई स्त्री० पुण्यनुं फळ के पुण्यता पुचारा पुं० पोतुं के कूचडो (२) भीनुं पुण्यात्मा पुं० [सं.] पवित्र पुरुष; धर्मात्मा पोतुं फेरवq ते (३) पातळो लेप पुण्याह पुं० [सं.] शुभ दिन; मंगळ दिवस (४) खुशामत (५) उत्तेजन पुतरा पुं०, -री स्त्री० (प.) जुओ पुच्छ पुं० [सं.] पूंछडी; 'दुम' _ 'पुतला,-ली' पुच्छल वि० पूंछडियं, पंछडीवाळं. पुतला पुं० नर-पूतळी;ढींगलो.(किसीका) ___०तारा पुं० पूंछडियो तारो
पुतला बाँधना=बदनामी करवी . पुछल्ला पुं० लांबु पूंछडु (२) पंछडा पुतली स्त्री० ढींगली. घर पुं०
जेम साथे लागेलं ते (३) आश्रित कारखानु; मिल पुजना अ०क्रि० पूजावं; 'पूजना' नं कर्मणि पुताई स्त्री० 'पोतना' परथी नाम पुजवाना, पुजाना सक्रि० पूजाववं . पुत्तली,-लिका स्त्री० [सं.] पूतळी पुजाई स्त्री० पूजव ते के तेनी मजरी पुत्र पुं० [सं.] दीकरो. ०वती स्त्री० पुजापा पुं० पूजापो
पुत्रवाळी स्त्री. ०वधू स्त्री० पुत्रनी पुजा(जे), पुजैया पुं० पूजारी वहु. -त्रिका,-त्री स्त्री० दीकरी. पुट पुं० पट; पास (२) [सं.] ढांकण -त्रेष्टि स्त्री० पुत्रप्राप्ति माटेनो यज्ञ
(३) दडियो (४) औषधिनो संपुट । पुदीना पुं० फुदीनो पुटकी स्त्री० पोटकी (२) अकस्मात् पुनः अ० [सं.] फरी (२) उपरांत मृत्यु (३) शाकमां घलातो चणानो पुनरपि अ० [सं.] फरी पण पुनर्जन्म लोट. -पड़ना=गजब थवो
पुनरागमन पुं० [सं.] फरी आवq ते (२)
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साजिदा ५२९
सानना साजिदा पुं० [फा. साजिदो; 'सपरदाई' साथरा पुं० साथरो; सादडी साजिश स्त्री० [फा.] मेळ; संप (२) साथी पुं० सोबती; मित्र. (स्त्री० -थिन) दावपेच; षड्यंत्र
सादगी स्त्री॰ [फा.] सादाई (२) सरळता; साझा पुं० भाग; हिस्सो
निष्कपटता साझी, साझेदार पुं० भागियो; हिस्सेदार सादा वि० [फा.] सादु (२) एकलं; निर्भेळ साट पुं० जुओ 'साँट'
(३) सरळ सादीसीधी रचना के साटन पुं० साटीन कपडु
बनावट- (४) निष्कपट (५) भोळं; पूर्ख साटना सक्रि० जुओ 'सटाना'
सादिक़ वि० [अ.] साचं (२) सत्यनिष्ठ. साटमार पुं० हाथीनी साठमारी -आना= साबित थर्बु नीकळनारं करावनार
सादिर वि॰ [अ.] जारी;चालु होनारुं (२) साठ वि० ६० संख्या
सादृश्य पुं० [सं.] समानता; बरोबरी साठा पुं० सांठो (२) वि० साठ उमरनं साठी पुं० एक धान
साध पुं० साधु (२) सज्जन (३) स्त्री०
इच्छा साड़ी स्त्री० साल्लो
साधक पुं० [सं.] साधना करनार; योगी; साढ़े (-) साती स्त्री० साडा सात वर्ष,
तपस्वी(२)मंत्रतंत्र करी जाणनार;भूवो मास के दिवसनी (अशुभ) दशा साढ़ी स्त्री० अषाढ- वावेतर (२) दूधनी
साधन पुं० [सं.] ओजार; उपकरण (२) कावरी (३) साडी
उपाय (३) साधq ते साढ़ पुं० साढु; साळीनो वर
साधना स्त्री० [सं.]साधq ते(२)आराधना साढ़े वि० साडा. उदा० साढ़ेचार
(३) स०क्रि० साधq [ओजार साढ़ेसाती स्त्री० जुओ ‘साढ़साती'
साधनी स्त्री० सपाटी जोवानुं 'लेवल' सात वि० ७. -परदेमें रखना खूब
साधारण वि० [सं.] सामान्य (२) सहेलं;
मामूली संभाळीने के संताडीने राखq. -पांच - चालाकी;धूर्तता.-राजाओंकी साक्षी
साधु वि० [सं.] सारु (२)पुं० संत; सज्जन;
भलो माणस (३) बावो; मुनि देना- कोई वातनी सत्यता पर खूब
साधुवाद पुं० [सं.] 'साधु साधु' कही जोर देवू. - समुद्र पार = अति दूर.
शाबाशी आपवी ते सातों भूल जाना =होशकोश न रहेवा; बेभान थ,
साधू पुं० जुओ ‘साधु' सात-फेरी स्त्री० लग्नना सात फेरा साध्य वि० [सं.]साधी शकाय के सधे एवं सातला पुं० एक जातनो थुवेर साध्वी स्त्री० [सं.] साधु स्त्री सात्त्विक वि० [सं.] सत्व गुण संबंधी सानंद वि० [सं.] आनंदपूर्वक (२) सत्य (३) पवित्र
सान पुं० सल्ली; अस्त्रो घसवानी पथरी.' साथ पुं० साथ; संघात (२) मेळ; संबंध -देना, धरना= पथरी पर अस्त्रो (३) अ० साथे. -ही-एनी साथे; चडाववो; धार काढवी [सनना') उपरांत. -ही साथ = साथे साथे सानना सक्रि० 'सनना'नुं प्रेरक (जुओ हिं.-३४
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५३०
साया
सानि सानिअ पुं० [अ.] रचनार (२) कारीगर सानिहा पुं० [अ.] दुर्घटना; माठो बनाव सानी स्त्री० पाणीमां पलाळी पशुने अपातुं खाण(२)वि० [अ.] बीजु; दूसरा' (३) जोडियु; समान; साथी सानु पुं० [सं.] शिखर; टोच (२) अंत सान्निध्य पुं० [सं.] पासे होवू ते; निकटता साप पुं० (प.) शाप निर्दोष साफ़ वि० [अ.] चोख्खं (२) स्पष्ट (३) साफल्य पुं० [सं.] सफळता; कृतार्थता साफ़ा पुं० [अ.] साफो; फॅटो (२) पाघडी (३) पहेरवानां कपडां धोवां । ते. -देना= भूख्यं राखq (कोई हेतुने लईने पशुने) साफ़ी स्त्री० [अ.] हाथरूमाल (२) साफी; चलम पीवानो कपडानो ककडो (३) भांग गाळवानो रूमाल साबक़ा पुं० जुओ 'साबिक़ा' साबत वि० साबूत साबिक़ वि० [अ.] पूर्व-; पुराणुं साबिक़-दस्तूर अ० पूर्ववत्; यथापूर्वम् साबिक़ा पुं० [अ.] पिछान (२) लेवादेवा; संबंध (३) वि० जुओ ‘साबिक़'.
-पड़ना= संबंधमां आवq साबित जि० [अ.] साबूत; आखू पूरुं (२) ठीक; बरोबर (३) [फा.] साबित साबिर वि० [अ.] सबूर करनार; खामोश साबु(-बू)न पुं० [अ.] सानु साबूत वि० [फा.] अखंड; पूरेपूरु (२) स्थिर; कायम साबूदाना पुं० साबुचोखा साबून पुं० जुओ 'साबुन'. ०साजी स्त्री० साबुकाम - तेनो धंधो मेळ सामंजस्य पुं० [सं.] योग्यता; औचित्य(२)
सामंत पुं० [सं.] सरदार; मांडळिक (२)
योद्धो मानो एक-समजावट साम पुं० [सं.] सामवेद (२) चार उपायसामग्री स्त्री० [सं.] सरसामान (२)साधन सामना पुं० सन्मुख थर्बु के आवq ते(२)
सामनो; सामे थq ते (३) सामेनो भाग सामने अ० सामे; सन्मुख सामयिक वि० [सं.] समयसरन (२)
समय संबंधी के अमुक समयनुं सामर्थ्य पुं० [सं.] समर्थता; शक्ति; ताकत सामा पुं० [अ.] श्रोता सामाजिक वि० [सं.] समाज विषेनुं सामान पुं० [फा] सामान; साधनसामग्री. -करना = तैयारी करवी. -बनना = तैयारी थवी पं० समानता सामान्य वि० [सं.] साधारण; मामूली(२) सामिष वि० [सं.] आमिष-मांस साथेनुं सामीप्य पुं० [सं.] समीपता; निकटता सामदायिक वि० [सं.] समुदाय-समूहनं
के तेने लगतुं सामुहाँ,-हे अ० (प.) सामे; सन्मुख सामहिक वि० [सं.] समूहने लगतुं साम्य पुं० [सं.] समता; सरखापणुं साम्राज्य पुं० [सं.] शहेनशाही; सल्तनत सायंकाल पुं० [सं.] सांज; संध्या सायक पुं० [सं.] बाण (२) तलवार सायत पुं० जुओ 'साअत' [वाछंटियु सायबान पुं० [फा. सायःबान] सायबान; सायर वि० [अ. साइर] बधुं; कुल (२)
अवशिष्ट; बाकी (३) पुं० जकात सायल पुं० [अ.] प्रश्नकर्ता (२) मागण साया पुं० [फा.] छाया; छांयडो (२) भूतप्रेत (३) असर; छाया (४) [इं. शेमीज़] स्त्रीओनुं घाघरा जेवू एक वस्त्र
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सायुज्य
सायुज्य पुं० [सं.] एक-विलीन थई जवं ते; तेवुं जोडाण
५३१
सारंग पुं० [ सं . ]. मृग (२) एक राग (३) एक धनुष्य (४) कमळ (५) वि० (प.) सरस; सुंदर
सारंगिया पुं० सारंगीवाळो
सारंगी स्त्री० एक तंतुवाद्य
सार पुं० [सं.] निचोड; सत्त्व (२) वि० सारवाळु; मुख्य [जमादार सारजं ( - जें ) ट पुं० [इं.] (गोरो ) पोलीस सारटिफिकट पुं० [इं.] प्रमाणपत्र सारथि पुं० [सं.] रथनो हांकडु सारना स०क्रि० ( प. ) सारवुं; साधवुं; पूरुं करवुं ( २ ) शोभाववुः सजवुं सारबान पुं० [फा.] ऊंट पर बेसनार सारभाटा पुं० ओट (समुद्रना पाणीनी ) सारमेय पुं० [ सं . ] कुतरो सारल्य पुं० [सं.] सरळता सारस पुं० [सं.] एक पक्षी ( २) कमळ. - सी स्त्री० सारसनी मादा सारस्वत वि० [सं.] सरस्वती संबंधी सारांश पुं० [सं.] सार; निचोड सारा वि० सारं; बधु; पूरुं (स्त्री० - री) सारिका स्त्री० [सं.] मेना पक्षी सारूप्य पुं० [ सं . ] एकरूपता सार्जन्ट पुं० [इं.] जुओ 'सारजंट' सार्टिफिकेट पुं० [इं.] सर्टिफिकेट सार्थ वि० [सं.] अर्थवाळं [गुणकारी सार्थक वि० [सं.] सार्थ (२) सफळ (३) सार्द्र वि० [सं.] आर्द्र; भीनुं सार्वजनिक वि०[सं.] सौ कोईनं; जाहेर सार्वत्रिक वि० [सं.] सर्वत्र होय एवं सार्वभौम पुं० [सं.] चक्रवर्ती राजा ( २ ) वि० बधी भूमिने लगतुं
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सालू
सार्वराष्ट्रीय वि० [सं.] अनेक राष्ट्रो साथ संबंधवाळु आंतरराष्ट्रीय साल स्त्री० वींधवुं ते (२) साल; छेद (३) सालबुं ते; पीडा (४) पुं० [फा.] साल; वर्ष
सालक वि० साले एवं पीडक साखुर्दा वि० [फा.] पुराणुं; जूनुं (२) घरडुं सालगिरह स्त्री० [फा.] सालगरेह; वर्षगांठ [स्त्री० वार्षिक हेवाल साल-तमाम पुं० [फा.] वर्षनो अंत. -मी सालन पुं० मसालेदार शाक (मांसवाळूं ) सालना अ०क्रि० सालबुं (२) स०क्रि० साले तेम करवुं (३) सालववुं साल-नामा पुं० [फा.] पत्रनो वार्षिक अंक साल-ब- साल अ० [फा.] हर साल सालरस पुं० [सं.] राळ
सालस पुं० [ अ ] 'सालिस' ; पंच ( २ ) वि० [सं.] आळसु सालसी स्त्री० लवादी; पंचायत सालहा - साल अ० [फा.] वर्षो सुधी; घणा वखत सुधी [स्त्री० शाळा साला पुं० साळो (२) सालो (गाळ) (३) साला ( - लिया ) ना वि० [फा.] वार्षिक सालार पुं० [फा.] नेता. ० जंग पुं० सेनापति सालिक पुं० [ अ ] यात्राळु (२) धर्मिष्ठ
माणस
सालिम वि० [ अ ] संपूर्ण ; पूरुं (२) तंदुरस्त सालियाना वि० जुओ 'सालाना' सालिस वि० [ अ ] त्रीजुं (२) पुं० पंच; मध्यस्थ; 'सालस'
साली स्त्री० साळी (२) दर साल गणोतथी अपाती जमीन (३) दर साल अपातो अमुक लागो [वपरातुं)
सालू पुं० एक लाल वस्त्र (मंगळ कार्यमा
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सालेह ५३२
सिंघ सालेह वि० [अ. सालिह] नेक; भलं (२) cकार पुं० साहित्य रचनार. -त्यिक
सदाचारी (३) नसीबदार (स्त्री० -हा) । वि० साहित्य संबंधी सालोक्य पुं० [सं.] एक लोकमां साथे साहिनी स्त्री० जुओ ‘साहनी'
रहेवं तेवी एक प्रकारनी मुक्ति साहिब पुं० [अ.] जुओ 'साहब' सावंत पुं० सामंत
साहिर पुं० [अ.] जादुगर साव पुं० जुओ 'साहु'
साहिल पुं० [अ.] किनारो; तट सावकाश वि० [सं.] अवकाश सहित (२) साही स्त्री० साहुडी
पुं० अवकाश; फुरसद (३) अवसर साहु,-हू पुं० साधुपुरुष (२) साहुकार सावचेत वि० सावध; खबरदार. -ती। साहुल पुं० ओळंबो; 'सहावल'
स्त्री० सावधानी [खबरदार साहू पुं० जुओ ‘साहु' सावधान वि० [सं.] सावचेत; होशियार; साहूकार पुं० साहुकार; मोटो वेपारी सावन पुं० श्रावण (वि० -नी) साहूकारा पुं० साहुकारी; शराफी (२) साष्टांग वि० [सं.] आठे अंग सहित साहुकारोनुं बजार सास स्त्री० सासु
साहेब पुं० जुओ 'साहब' सासनलेट पुं० एक जात, कपड़ सिकना अ०क्रि० सेका सासा स्त्री० (प.) संशय (२) श्वास सिंकोना पुं० [इं.] एक वृक्ष (जेमांथी सासु स्त्री० (प.) जुओ ‘सास' क्विनाईन बने छे) [सिंगडानुं पात्र सासुर पुं० ससरो (२) सासरी सिंगड़ा पुं० फोडवानो दारू राखवानुं साह पुं० शाह; शेठ (२) 'साहु' । सिंगरफ पुं० हिंगळोक. -फी वि० तेना साहचर्य पुं० [सं.] साथ; सोबत
रंगनुं साह (--हि)नी स्त्री०(प) सेना(२)साथी । सिंगल पुं० रेलवेनो हाथ; 'सिगनल' साह (-हि)ब पुं० मित्र (स्त्री० साहिबा) सिंगा पुं० रणशिंगू (२) मालिक (३) ईश्वर (४) साहेब; सिंगार पुं० शृंगार (२) शणगार(३)शोभा गोरो (५) सन्माननुं संबोधन सिंगारना सक्रि० (प.) शणगारवं साहब-सलामत स्त्री० [सं.] सामसामे सिंगारदान पुं० शणगार सजवानी जय जय - प्रणाम
वस्तुओनी पेटी साहबी वि० साहेब, (२) स्त्री० साहेबी । सिंगार-हाट पुं० वेश्यावाडो साहस पुं० सं.] हिंमत (२) उतावळ सिंगारिया, सिंगारी पुं० देवना शणगार करीने कूदी पडq ते; 'जल्दबाज़ी' (३) __ सजनार; पूजारी व्यभिचार, लूट जेवं कुकर्म. -सिक, सिगिया पुं० एक झेरी मूलियुं -सी वि० साहस करे एवं
सिंगी पुं० जुओ 'सिंगा' (२) स्त्री० साहा पुं० लग्नमुहूर्त के तेनी पत्रिका ___खराब लोही चूसीने खेंचवानी नळी साहाय्य पुं० [सं.] सहाय; मदद सिंगौटी स्त्री० जुओ "सिंगारदान' साहित्य पुं० [सं.] वाङ्मय (२) मिलन. सिंघ पुं० (प.) सिंह
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सिंघाड़ा
सिंघाड़ा पुं० [सं. शृंगाटक] शिंगोडुं -डी स्त्री० शिंगोडीनुं तळाव सिंचन पुं० [सं.] पाणी छांट के पाव सिँचाई स्त्री० खेतरने पाणी पावुं ते सिँचाना स०क्रि० खेतर पवडाववुं सिंजाफ़ पुं० [फा. संजाफ़ ] संजाप; कपडानो गोट, ओटेली किनार सिंदूर पुं० [सं.] कंकु जेवो लाल भूको ०दान पुं० लग्नविधिनी एक रीत . - रिया - री वि० सिंदूरना रंगनुं सिदो (-धो ) रा पुं० जुओ 'सिंधोरा' सिंधी स्त्री० सिंघनी भाषा (२) वि० सिंध ( ३ ) पुं० सिंधनो वतनी सिंधु पुं० [सं.] दरियो सिंधुर पुं० [ सं . ] हाथी सिंधूरा पुं० सिंधुडो राग सिंधोरा पुं० (सिंदूर राखवानी) कंकावटी सिबी स्त्री० [सं.] 'छीमी'; फळी सिंह पुं० [सं.] केसरी (२) एक राशि.
•द्वार पुं० मुख्य दरवाजो. ०नी, - ही स्त्री० सिंहण
[आसन
सिंहल पुं० [ सं . ] लंका. -ली स्त्री० लंकानी भाषा (२) वि० लंका विषेनुं सिंहावलोकन पुं० [सं.] सारांशनी समालोचना सिंहासन पुं० [सं.] तख्त; देव के राजानुं सिंही स्त्री० [ सं . ] सिंहण सिअरा वि० ( प. ) शीतळ (२) पुं० छांयो (३) शियाळ ['सिलाना' सिआ (-या) न. स०क्रि० ( प. ) सिवडावबुं सिआ (-या) र पुं० शियाळ (स्त्री० - री) सिकंजबीन स्त्री० [फा.] लींबू के सरकानुं एक शरबत सिकंदरा पुं० रेलवेनो हाथ; सिग्नल
५३३
सिगरो
सिकड़ी स्त्री० बारणानी सांकळ ( २ ) गळानी सांकळी - एक घरेणुं
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सिकता स्त्री० [सं.] रेती के रेताळ जमीन सिकत्तर पुं० सेक्रेटरी; मंत्री सिक्कली स्त्री० [ अ. सैक़ल] सराणियानुं काम. ०गर पुं० सराणियो सिकहर पुं० [सं. शिक्य + घर] शकुं सिकुड़न स्त्री० संकडावं ते; संकोच (२) गडी; 'शिकन'
सिकुड़ (र) ना अ० क्रि० संकडाव; संकोचावुं (२) गडी पडवी [संकडाव सिकोड़ना स०क्रि० तंग के भंगु करवु सिकोरा पुं० 'सकोरा'; शकोहं सिकोली स्त्री० टोपली सिकोही वि० पराक्रमी वीर सिक्का पुं० [ अ ] सिक्को. ०जन पुं० सिक्का पाडनार कारीगर -जमना या बैठना = अधिकार स्थापित थवो (२) रोफ पडवी
सिक्ख, सिख स्त्री० शीख ; 'सीख' ( २ ) पुं० शिष्य ( ३ ) शीख; नानकपंथी सिक्त fro [सं.] भीनुं; भींजायेलुं सिख पुं० (२) स्त्री० जुओ 'सिक्ख' सिखरन स्त्री० 'शिखरन'; दहीं खांडनी. एक मीठी प्रवाही वानी सिखलाना, सिखाना स०क्रि० शिखवाडवं सिखावन पुं० शिखामण; शीख सिखी पुं० ( प. ) 'शिखी'; मोर सिगड़ी स्त्री० सगडी (२) चूलो सिगनल पुं० [इं. ] 'सिग्नल'; हाथ सिगरा ( -रो) वि० (प.) सघळं; बधुं (स्त्री० री)
सिगरेट पुं० [इं.] विलायती बीडी सिगरो वि० ( प. ) सघळं
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सिगार
सिगार पुं० [इं.] विलायती मोटी बीडी; 'चिरूट'
सिचान पुं० ( प. ) शकरोबाज सिजदा पुं० [अ] सिजदो; प्रणाम; वंदन सिजल वि० सुंदर; देखावडुं सिझना अ०क्रि० सीझवुं; चडवु; पाकबुं सिझाना स०क्रि० सीझववं; चडववुं; रांधवुं [इस्टापडी सिटकिनी स्त्री० कमाड बारीनी सिटपिटाना अ०क्रि० सपटावु दबावुं (२) धीमुं पडवं (३) मूंझाव; सपटावु सिट्टा पुं० जुवारनुं डूंड सिट्टी स्त्री० वाचाळपणं. -भूलना = सपटावं; गंभरावं
सिठनी स्त्री० लग्ननुं फटाणुं सिठाई स्त्री० फीकापणुं; 'सीठापन' सिड़ स्त्री०, ०पन ( - ना) पुं० गांडपण; उन्माद (२) धून. ० बिल्ला वि० गांडु (२) मूर्ख. सिड़ सवार होना = गांडपण धावुं सिड़ी वि०पागल ( २ ) धूनी (स्त्री० - डिन ) सितंबर पुं० सप्टेम्बर मास सित वि० [सं.] श्वेत; धोळं (२) पुं० शुक्ल पक्ष (३) चांदी (४) खांड
सितम पुं० [फा.] जुलम; अत्याचार. ०गर पुं० जुलमी; सिमत गुजारनार. ०कश, ०जदा, ०रसीदा वि० [फा.] सितमनुं भोग बनेलुं. सितम ढाना, तोड़ना = जुलम करवो
सिताइश स्त्री० [फा.] धन्यवाद; शाबाशी (२) आभार; 'शुक्रिया' सिताब अ० [फा. शिताब] जलदी ; झट. - बी स्त्री० शीघ्रता
सितार पुं० सतार वाद्य ०बाज पुं० सितारियो. ०बाजी स्त्री० तेनी विद्या के कळा
५३४
सिन- बुलूग़त
सितारा पुं० [फा.] सितारो; तारो (२) सोना चांदीनी बिंदी-टीलडी (३) नसीब; भाग्य चमकना, -बुलंद होना = नसीब ऊघडवु. -भारी होना = दशा बेसवी सितारा-दाँ पुं० [फा.] जोशी सितारिया पुं० सितारियो; सतार वगाडी
जाणनार
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सितुई, ही स्त्री० छीप; सीप सितून पुं० [फा.] स्तंभ ( २ ) मिनारो सिदक़ा पुं० जुओ 'सदक़ा'; खेरात सिदरी स्त्री० त्रण दरवाजा के कमानवाळो ओरडो के वरंडो सिदिक् वि० जुओ 'सिद्दीक़ ' सिक़ पुं० [ अ ] सत्यता सिद्दीक़ वि० [ अ ] सत्यनिष्ठ सिद्ध fro [सं.] सधायेलुं; सफळ पुरवार के साबित थयेलं; पाकुं साधनानुं फळ पालुं [एवं स्थान सिद्ध-पीठ पुं० [सं.] ज्यां साधना झट फळे सिद्धरस पुं० [सं.] पारो
सिद्धांत पुं० [ सं . ] सिद्ध- पाकी प्रमाणित वात, वस्तु के निर्णय
सिद्धाई स्त्री० सिद्ध होवुं ते; सिद्ध दशा सिद्धि स्त्री० [सं.] सिद्धता; साधना फळवी ते
सिधाई स्त्री० सीधापणुं [मर सिधारना अ०क्रि० सिधाववुं; जवुं (२) सिन पुं० [ अ ] उंमर; अवस्था (२) साल (३) [सं.] शरीर (४) पोशाक (५) वि० सफेद (६) का
सिनक स्त्री० लीट; नाकनो मेल सिनकना अ०क्रि० नाक नसीकवुं सिन- बुलूरात पुं० [अ.] उमरे पहोंचवं ते (२) युवानी
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सिन-रसीदा
सियाहत सिन-रसीदा वि० [फा.] वृद्ध; घरडु सिफ़ा स्त्री० 'शिफ़ा'; आरोग्य सिनान पुं० [फा. भालो, तीर इ० नी । सिफ़ारत स्त्री० [फा.] ‘सफ़ीर'-राजदूतनुं अणी
[मंडळ काम सिनेट स्त्री० [इं.] युनिवर्सिटीन नियामक । सिफ़ारिश स्त्री० [फा.] सिफारस सिनेमा पुं० [इ.] चलचित्र
सिफ़ारिशी वि० सिफारसवाळ (२) सिन्नी स्त्री० मीटाई (प्रायः खुशीमां के जेनी सिफारस करी होय तेने लगतुं.
देवना प्रसाद तरीके वहेचाय ते) oटट्ट पुं० सिफारसथी ज पद पर सिपर स्त्री० [फा.] आड; ओथ (२) ढाल. पहोंचेल माणस ०दारी स्त्री० रक्षण
सिम (-मि)टना अ० क्रि० समेटाएँ; सिप (-पा)ह स्त्री० [फा.] सेना निपटावं (२) संकडा; संकोचावू (३) सिप(-पा)हगरी स्त्री० [फा.] सिपाईगीरी गडी के करचोली पडवी सिपह-सालार पुं० [फा.] सेनापति सिमरन पुं० (प.) स्मरण सिपाई,-ही पुं० [फा.] सैनिक (२) सिमरना सक्रि०(प.)समरवं; सुमिरना' चपरासी (३) पोलीस
सिमिटना अ०क्रि० जुओ 'सिमटना' सिपारस स्त्री०,-सी वि० जुओ अनुक्रमे । सिमेन्ट पुं० [ई.] (चणवानो) सिमेंट ‘सिफ़ारश,-शी' [अध्याय के खंड सिम्त स्त्री० [अ.] दिशा; बाजू सिपारा पुं० [फा. सीपार] कुराननो सिय,-या स्त्री० (प.) सीता सिपा(-फा)रिश स्त्री० सिफारस सियरा वि० (प.) शीतळ (वि० स्त्री०, सिपास स्त्री० [फा.] धन्यवाद; आभार -री. नाम, -राई स्त्री०) सिपाह,गरी स्त्री० [फा. जुओ अनुक्रमे सिया स्त्री० (प.) सीता। 'सिपह,गरी'
सियादत स्त्री० [अ.] सरदारी; आगेवानी सिपाहियाना वि० [फा.] सिपाही जेवं
(२) हकूमत सिपाही पुं० [फा. जुओ 'सिपाई' सियाना वि० शाणुं; समजणुं (२) सिपुर्द वि० [फा.] सोंपेलं. ०गी स्त्री० सक्रि० जुओ 'सिआना'
सुपरत; हवालो. ०नामा पुं० तेनुं खत सियापा पुं० स्त्रीओनुं रोवू कूटवू ते सिप्पा पुं० युक्ति; उपाय (२) प्रभाव. सियार(-ल) पुं० शियाळ (स्त्री०
-भिड़ाना, लड़ाना = युक्ति लगाववी -रिन,-री) सिप्रा स्त्री० [सं.] भेंस (२) एक नदी सियाला पुं० शियाळो सिफ़त स्त्री० [अ.] विशेषता (२) लक्षण; सियासत स्त्री० [अ] राजव्यवस्था
गुण; स्वभाव (३) (व्या०मां) विशेषण सियासी वि० राजद्वारी; राजकीय सिफ़र पुं० [इं. साइफ़र] शून्य; मीडं सियाह वि० [फा.] काळं (२) अशुभ. सिफ़लगी स्त्री० [फा.] 'सिफ़ला' मां जुओ कार वि० बदकार; खराब; दुराचारी. सिफ़ला,-ली वि० [अ.] सिफल; हलकुं; ०कारी स्त्री० दुराचार; पाप । क्षुद्र (२) छीछरुं (नाम, -लगी)। सियाहत स्त्री० [अ.] सफर; मुसाफरी
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५३६
सियाहा सियाहा पुं० [फा.] हिसाबनो चोपडो; रजिस्टर (गणोत इ० नु). नवीस पुं० ते लखनार के राखनार [काळापणुं सियाही स्त्री० शाही; रोशनाई (२) सिर पुं० शिर; माथु. -आँखों पर बैठाना = आदर करवो. -आँखों पर होना = माथे चडाववू; मानवं. --आना = भूत आवq. -ओखलीमें देना= मुश्केलीमां पडवू. -करना, बाँधना= (स्त्रीन) माथु ओळवं. -के बल जाना= आदरथी कोई पासे जq. -खपाना= खूब महेनत - माथाझीक करवी. -खाना= माथु खावू; खाली माथाकूट कराववी. -खाली करना = खाली नकामी माथाकूट करवी. -जोड़ना=एक बनवू; संप करवो. -थोपना= माथे मार के ओढ डवू. -नंगा करना=बेआबरू करवं. -पर छप्पर रखना = माथे बाबरी वधारवी (२) माथे बोजो-जवाबदारी नांखवी. -पर पाँव रखकर भागना=जीव लईने नासवं.-पर पाँव रखना= उद्धत बनवू. -पर हाथ फेरना = वश करवं. -मुंडाते ही ओले पड़ना=प्रारंभमां ज विघ्न नड. -से कान बाँधना= जान हथेळीमां लेवो. -से खेलना=जओ 'सिर आना'. -से पानी गुजरना= मुसीबतनी - सहवानी हद आववी.
-होना = पीछो पकडवो सिरकटा वि० शिर कपायेलुं के कापनाएं सिरका पुं० [फा. सरको । सिरकी स्त्री० सरकटनी सोटी के तेनी
बनेली सादडी के छज सिरजनहार पुं० सर्जनहार; प्रभु
सिरोपाव सिरजना स०कि० (प.) सर्ज; रचर्चा सिरताज पुं० मुगट (२) सरदार; शिरोमणि सिरतान पुं० जमीनदार सिर-ता-पा अ० जुओ 'सर-ता-पा' सिरदार पुं०(प.) सरदार. -री स्त्री०
सरदारी सिरधरा (-रू) पुं० आगेवान; नायक सिरनामा पुं० जुओ 'सरनामा' । सिरनेत पुं० पाघडी (२) कलगी सिरपाव पुं०सरपाव; भेट अप.तो पोशाक सिर (-पे) च पुं० पाघडी सिरपोश पुं० माथा- ढकण-टोप इ० सिरफूल पुं० माथा- एक घरे| सिरबंद पुं० साफो; फेंटो सिरबंदी स्त्री० माथान एक घरेणुं सिरमौर पुं० जुओ 'सिरताज' । सिरवा पुं० खळ मां वावलवा माटेनें
वस्त्र. -मारना= ते वडे वावलवू सिरस पुं० एक झाड सिरहाना पुं० पथारीनो माथानो भाग सिरा पुं० छेडो; अंत (२) (शरूना
के अंतना) छेडानो भाग (३) अणी (४) शिरा; नाडी(५)पाणीनो ढाळियो. सिरेका = अवल दरज्जानु सिरा (०व)ना सक्रि० ठंडं करवू (२) त्यतीत करवू (३) अ क्रि० ठंडु के
निरुत्साह थर्रा (४) वीतयु; पसार थर्बु सिरावन पु० (खेडूतनो) समार सिरावना सक्रि० (२) अक्रि० (प.)
'सिराना' सिरिश्ता, सिरिश्तेदार ओ 'सरिश्ता,
सरिश्तेदार' सिरोपाउ (प.), व पुं० जुओ 'सिरपाव'
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सीक
सिरोही सिरोही पुं० शिरोही प्रदेश (२) तलवार
(३) स्त्री० एक पक्षी सिर्का पुं० जुओ 'सिरका' (एकलुं सिर्फ़ अ० [अ.] फक्त; केवळ (२) वि० सिल स्त्री० शिला; प थर (२)निशातरो (३) पुं० शिलोंछ; खेतरमा वेरायला दाणा वीणी निर्वाह करवो ते (४) [अ.] क्षयरोग सिलगना अ०कि० सळगवं सिलपट वि० बरोबर; सपाट (२)
'चौपट'; सत्यानाश सिलफ़ (-ब)ची स्त्री० हाथमों धोवानुं
वासण; 'चिलमची' पथ्थर सिलबट्टा पुं० निशातरो ने वाटवानो सिलवट स्त्री० गडी; 'सिकुड़न' सिलवाना स किसिवडाव; सिलाना' सिलसिला पुं० [अ.] सिलसिलो; क्रम;
परंपरा (२) सांकळ (३) व्यवस्था (४) वंशपरंपरा (५) वि० भीनु (६) लपसणुं सिलसिलेवार वि० ऋमिक; क्रम प्रमाणे;
सिलसिलाबंध; व्यवस्थित सिल (-ला)ह पुं० [अ.] हथियार. ०खाना पुं० शिलेखानु; शस्त्रागार. ०पोश, ०बंद वि० शस्त्रसज्ज सिलहार,-रा पुं० शिलोंछ वृत्तिवाळो सिलहिला वि० 'सिलसिला'; लपसणुं;
चीक' कादववाळु [शिलोंछ; सिला स्त्री० शिला (२) पुं० 'सिल'; सिला पुं० [अ.] बदलो; अवेज (२) इनाम सिलाई स्त्री० सीवणकाम के तेनी ढब
के .जूरी सिलाना सक्रि० जुओ 'सिलवाना' सिलावट पुं० सलाट [जुओ 'सिलह' सिलाह,खाना,पोश,०बंद पुं० [अ.
सिलाहबाज पुं० [फा.हथियार बनावनार सिलाही पुं० [अ.] सैनिक; सिपाही सिलि (-लो)पट पुं० (रेलनो) सलेपाट सिलिया स्त्री० एक जातनो इमारती
पथ्थर सिलेट स्त्री० स्लेट; पाटी सिलौट (-टा) पुं० 'सिल'; निशातरो.
-टी स्त्री० नानो निशातरो सिल्ली स्त्री० सल्ली; अस्त्रानी पथरी सिवई स्त्री० घउंनी सेव; 'सिवैयाँ' सिवा (०६,०य) अ० [अ.] सिवाय सिवान' पुं० हद; सीमा (२) भागोळ सिवार स्त्री० शेवाल; लील सिवाल पुं०; स्त्री० 'सिवार'; सेवाळ सिवाला पुं० शिवालय; महादेव सिविल वि० [इं.] मुलकी (२) नागरिक संबंधी (३) सभ्य. -लियन पुं० मोटो मुल्की अमलदार; 'आइ. सी. एस.' सिसकना अक्रि० डूसकां भरवां (२)
छाती धडकवी; जीव गभरावो (३) कशा माटे तलसवं सीत्कार सिसकारना अ०क्रि० सिसकारो भरवो; सिसकारी,सिसकी स्त्री० डुसकुं (२) सिसकारो. -भरना, -लेना= डसकुं भरवं सिहर (-रा)ना अ.क्रि० थथरव (डर
के ठंडीथी) (२) रूवां खडां थवां सिहरी स्त्री० ध्रुजारी; कंप (२) रोमांच सिहाना अ० कि० ईर्षा करवी (२) हरीफाई करवी (३) स० क्रि० आतुर भावे जोवू; लालच करवी सीक स्त्री० ताड मुंज वगरेनु सकतुं के पातळी डूंख के सळेखडु (२) नाकनुं एक घरेणुं
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सीका
सीनियर सीका पुं० पातळी सळी जेवी डूंख सीटी स्त्री० सिसोटी. -देना= सीटी सींकिया वि० सळेखडा जेवं पातळं,सूकलं वगाडवी । (२)पुं० एक जात, बारीक कपडु
सीठना पुं०, सीठनी स्त्री० फटाणु सींग पुं० शिंगडुं. -कटाकर बछड़ोंमें । सीठा वि० फीकुं; नीरस मिलना = मोटा छतां बाळकोमा भळवू. सोठी स्त्री० कूचो; रस काढया पछीनो -समाना= ठेकाणे पडवू
रहेतो डूचो; निःसत्त्व चीज सोंगरी स्त्री० (शाकनी) एक फळी सीड़ स्त्री० भीनाश के भीनाशभूमि सींगी स्त्री० शिंगडु वाद्य (२) खराब सीढ़ी स्त्री० सीडी; निसरणी
लोही चूसवानी भंगळी(३)एक माछली सीतलपाटी स्त्री० एक उमदा जातनी सींच स्त्री० सींचq ते
सुंवाळी चटाई (२) एक जात- कपड़े सींचना सक्रि० पाणी पावू (२) सिंचवें सोतल बुकनी स्त्री० सत्तु (२) संतवाणी सींचाई स्त्री० (झाड इ० ने) पाणी सीताफल पुं० [सं.] सीताफळ; 'शरीफा' पावू ते
जोर बतावq। सीत्कार पुं० [सं.] सिसकारो सीव, सीव पुं० (प.) सीमा; हद. -चरना । सीथ पुं० (प.) भातनो दाणो सी वि० स्त्री० 'सा' नुं स्त्री०; जेवी सीद पुं०[सं.] व्याज खावं ते; व्याजवटुं सीकर पुं० [सं.] छांटो; फरफर सोदना अ०क्रि० दुःखी थवं सीकल स्त्री० जुओ ‘सैकल' (२) पं० सीध स्त्री० सीधुं होवू ते (२) निशानी
आंबा पर पाकेली केरी; साख सीधा वि०(२)पुं० सीधुं. सीधी उँगलियाँ सीकस पुं० ऊषर; खारी जमीन घी नहीं निकलता =ढीलाशथी काम सीकाकाई स्त्री० शिकाकईन झाड नथी सरतं. सीधी सुनाना=सीधेसी, सीकुर पुं० घउं मकाई वगेरेना डूंडाने -रोकडं संभळावq
छेडे होय छे ते फूमताना रेषा सीधा-सादा वि० भोळु; सरळ सीख स्त्री० शीख; सलाह; शिखामण. सीधे अ० सीधी रीते; सीधुं
-लेना= शीखवू पातळो सळियो सीन पं०[ई.]दृश्य. सीनरी स्त्री० नाटक सीख स्त्री० [फा.] लोढानी शीख - नी रंगभूमिनो शणगार, सजावट इ० सीखचा पुं० [फा. सळियो
सीना सक्रि० सीववं. -पिरोनासीखना सक्रि० शीखवं पुरुष सिलाई के भरतकाम वगेरे करवू सोगा पुं० [अ.] भाग; खातुं (२) (व्या.) सीना पुं० [फा.] सीनो; छाती सोज (-झ) स्त्री० सीझवू ते. (जुओ। सीना-जोर वि० [फा.] शिरजोर; 'सीजना')
(२) सधावू जबरदस्त (नाम, -री) सोज (-झ)ना अक्रि० सीझवू; चडवू सोना-बंद पुं० [फा.] स्त्रीनी चोळी सीट स्त्री० गप्पु मारवं ते (२) [इ.] बेटक सोना-सिपर अ० [फा.] सामी छातीए सीटना सक्रि० गप्पु मारवं; ठोक सीनियर वि० [इं.] मोटुं; उपरनुं सीटपटाँग स्त्री० गप; डिंग
(दरज्जा के वयमां)
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सोनी
सुक्कान सीनी स्त्री० [फा. थाळी; तासक सीसम पुं० शीशम लाकडु सीप पुं० छीप के तेनी अंदर रहेतो जंतु सीसमहल पुं० जुओ 'शीशमहल' सीप-सुन, सीपिज पुं० मोती सीसा पुं० सीसु (२) (प.) शीशा'; काच सीपी स्त्री० सीप; छीप
सीसी स्त्री० सीसको सीमंत पुं० [सं.] स्त्रीनो सेंथो; पांती (२) सीसों पुं० 'सीसम'; शीशम अधरणी (8) सीमानी लीटी (४) सीह पुं० जुओ 'साही' प्रत्यय शरीरनां हाडकांनो सांधो. -तिनी सु (प.) 'सों'; ३जी के ५मी विभक्तिनो स्त्री० स्त्री; नारी धनदोलत सुंघनी स्त्री० छींकणी प्रेरक सीम स्त्री० [फा.] रू'; चांदी (३) सुंघाना सक्रि० सूंघाडवू; 'सूंघना'नुं सीम,-मा स्त्री० सीमा; हद. -काँड़ना, सुंडभुसुंड पं० (प.) हाथी -चरना,-चाँपना=पारकानी जमीननं सुंडा स्त्री० सूंढ. ०ल पुं० हाथी दबाण करवू
सुंदर वि० [सं.] रूपाळं (२) सारुं. सीमाब पुं० [फा. पारो
-री स्त्री० सुंदर स्त्री सीमित वि० सीमावाळं; मर्यादित सुंधिया स्त्री० सूंढिय जार सीमी वि० [फा.] 'सीम'-चांदीनुं
सुंबा पुं० वादळी (२) तोपनी नळी सीमोल्लंघन पुं० [सं.] सीमा के हद पर वींटाळातुं कपडु (३) लोढामां ओळंगवी ते
काणुं पाडवानुं ओजार सीय स्त्री० 'सिय'; सीता
सुअ(-व)न पुं० (प.) सुत; पुत्र सीर स्त्री० सहियारी के जेमां जमीनदार
सुअर पुं० 'सूअर'; सूवर; भूड पोते जाते खेती करतो होय एवी सुआ पुं० सूआ'; सूडो पोपट (२) जमीन (२) रक्तशिरा (३) पुं० [सं.] सोयो; मोटी सोय हळ. -में = एकसाथे मळीने
सुआमी पुं० (प.) स्वामी सीरत स्त्री० [अ.] प्रकृति; टेव (२) गुण; सुआ(-वा) र पुं० (प.) रसोइयो विशेषता. ०न् अ० स्वभाव के गुणथी। सुआसिन (-नी) स्त्री० (प.) सुवासण सीरनी स्त्री० 'शीरीनी'; मीठाई सुई स्त्री० 'सूई'; सोय सीरा पुं० [फा. शीरः] चासणी (२) शीरो सुकड़ना अ०क्रि० जुओ 'सिकुड़ना' सील स्त्री० 'सीड'; जमीननी भीनाश(२) सुकर वि० [सं.] सहेलु; सुसाध्य पुं० [इं.] सील; महोर ।
सुकरात पुं० सॉक्रेटीस सीला पुं० 'सिला'; शिलोंछ(२)वि० भीनू सुकूत पुं० [अ.] मौन; ख मोशी(२)शांति सीवक पुं० [सं.] सीवनार; सई सुकून पुं० [अ.] स्थिरता(२)मननी शांति सीवन पुं०,स्त्री० [सं.] सीववं ते; सिलाई सुकूनत स्त्री० [अ.] जुओ ‘सकूनत' सीवनी स्त्री० [सं.] सोय
सुकृत, --त्य पुं०. -ति स्त्री० [सं.] सोस पुं० शीश; माथु (२) [सं.] सीसुं पुण्य; शुभ कर्म । सीस (०क) [सं.], सीसा पुं० सीसु धातु सुक्कान पुं० [अ.] सुकान; 'पतवार'
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सुखंडी
सुखंडी वि० सुकलकडी (२) पु० जेमां
बाळक सुकाई जाय एवो एक बाळरोग सुख पुं० [सं.] सुख; चेन; आराम. ०कर, ०६ वि० सुख करे के आपे एवं सुखदास पुं० एक अनाज सुख (-खु)न पुं० जुओ ‘सखुन' सुखमन स्त्री० (प.) सुषुम्णा नाडी सुखलाना, सुखाना सक्रि० सुकावq सुखारा,-री वि० (प.) सुखी सुखाला वि० (प.) सुखदायी सुखावह वि० [सं.] सुखद सुखिआ, -या, सुखी वि० सुखियुं । सुखुन पुं० जुओ 'सखुन' सुगंध पुं० [सं.] सुवास; खुशबो सुगंधि,-धी पुं० [सं.] सुगंध (२) दि०
सुगंधीदार सुगंधित वि० [सं.] सुगंधीदार सुगंधी वि० (२) पुं० जुओ 'सुगंधि' सुगत पुं० [सं.] बुद्ध भगवान सुगति स्त्री० [सं.] सारी शुभ गति सुगना, सुग्गा पुं० तोतो; पोपट सुगम वि० [सं.] सहेलं; आसान सुगुरा पुं० सद्गुरु पासेथी मंत्र पामेल । सुग्गा पुं० पोपट; शुक सुसाध्य सुघट वि० [सं.] सुंदर (२) सुकर; सुघटित वि० [सं.] सुंदर; सुघड सुघड़(-र) वि० सुघड; सुंदर (२) । निपुण. ०ता स्त्री० सुघड़ा (-रा) ई, स्त्री० सुघड़ापा पुं०
सुघडता; सुंदरता (२) निपुणता सुचाना सक्रि० ('सोचना' नुं प्रेरक)
विचारवा प्रेरवू (२) सूचव सुचाल स्त्री० सदाचार (वि०, -लो)
सुथरा सुचित (प.), -त्त [सं.] वि० निश्चित;
शांत (२) निरांतवाळु (३) एकाग्र सुचेत वि० सचेत; सावध सुजन पुं० [सं.] सज्जन (२) (प.) स्वजन सुजनी स्त्री० [फा. सोज़नी] एक जातवें बिछानुं सुजातिया वि० (प.) स्वजातिर्नु सुजान वि० सुजाण; शाणुं (२) पुं० (प.) प्रभु (२) पति के प्रेमी सुज्ञ वि० [सं.] समजणुं (२) विद्वान सुझाना सक्रि० सुझाडवू; बतावq सुझाव पुं० सुझाडवू ते; सूचना; सलाह सुठ,-ठार,-ठि वि० (प.) सुष्ठु; सुंदर सुड़कना अ०क्रि० सड अवाजनी साथे खेंचवू, ले, पीवू वगेरे सुड़सुड़ाना अ०क्रि० सड सड करवू (जेम के नाक- के हूकान) सुडौल वि० सुंदर; सुघटित सुढंग पुं० सारो ढंग (२) वि० 'सुढंग'वाळं; ढंगील सुढर वि० (प.) दयाळु (२) सुंदर सुढार,-रु वि० (प.) सुंदर; सुघड सुत पुं० [सं.] पुत्र सुतरां अ० [सं.] तेथी (२) अति; खूब सुतरी (-ली) स्त्री० सूतळी; दोरी सुत (-तु)ही स्त्री० जुओ 'सुतुही' सुता स्त्री० [सं.] पुत्री सुतार पुं० सुथार (२) सगवड (३) वि० अच्छु; उत्तम' [सुतारकाम सुतारी स्त्री० मोचीनो सोयो (२) सुतुही स्त्री० सीप सुतून पुं० स्तंभ; थांभलो सुथना पुं०, सुथनी स्त्री० जुओ ‘सूथन' सुथरा वि० सूथरुं; स्वच्छ; साफ
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सुदर्शन
सुदर्शन पुं० [सं.] सुदर्शन चक्र ( २ ) वि० सुंदर
सुदि, दी स्त्री० अजवाळियुं सुदूर वि० [सं.] घणुं दूर सुद्दा पुं०, सुद्दी स्त्री० [अ. सुद्दः ] पेटनो जूनो सूको मळ
सुद्धा ( -द्धां) अ० सुध्धां; समेत साथ सुध स्त्री० सूध. सुधबुध - सूधबूध; भान सुधरना अ०क्रि० सुधरवं सुधराई स्त्री० सुधरवुं ते; सुधारो (२) सुधारवानी मजूरी [ धार्मिक सुधर्मा, र्मी वि० [सं.] धर्मपरायण; सुधवाना अ०क्रि० सुधराववुं सुधा स्त्री० [सं.] अमृत ( २ ) पाणी ( ३ ) पृथ्वी (४) दूध (५) पुत्री के पुत्रवधू (६) घर (७) मध (८) चूनो सुधाई स्त्री० सीधापणुं
सुधाकर पुं० [सं.] चंद्र [छोनार) सुधाकार पुं० [सं.] कडियो ( चूनाथी सुधार पुं० सुधारो.
०क पुं० सुधारो
करनार
[(प.) सुधारनार सुधारना स०क्रि० सुधारखं (२) वि० सुधारा वि० ( प. ) सीधुं; निष्कपट सुधी पुं० [सं.] विद्वान पंडित सुन वि० जुओ 'सुन्न' [मर्मभेद सुन-गुन स्त्री० ऊडती वात; अफवा (२) सुनति स्त्री० ( प. ) सुन्नत सुनना स०क्रि० सुणवु; सांभळवु सुनबहरी स्त्री० हाथीपगानो रोग सुनवाई स्त्री० सांभळवु ते (२) सुनावणी सुन (-न्न ) सान वि० सूमसाम; निर्जन
के उज्जड (२) पुं० ‘सन्नाटा'; सूमसाम सुनहरा ( - री, - ला ) वि० सोनेरी सुनहा पुं० (प.) श्वान; कूतरो
५४१
सुपैदा
सुनाई स्त्री० जुओ 'सुनवाई ' सुनाना स०क्रि० संभळाववुं सुनार पुं० सोनी (स्त्री० - रिन, - री) सुनारी स्त्री० सोनारण ( २ ) सोनीकाम (३) [सं.] सारी सुंदर स्त्री सुनावनी स्त्री० मृत्युनी खबर आववी ते के ते आव्ये करातुं सनान सुन्न पुं० शून्य; मीडुं (२) वि० निश्चेष्ट; अचेत [ धर्मक्रिया सुन्नत स्त्री० [अ०] एक मुसलमानी सुन्नसान वि० जुओ 'सुनसान' सुना पुं० शून्य; मीडुं [ संप्रदाय सुन्नी पुं० [ अ ] एक मुसलमान धर्मसुपक वि० (प.) जुओ 'सुपक्व' सुपक्व वि० [सं.] सारी रीते पक्व (२) पुं० पाकी केरी
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सुपच पुं० ( प. ) श्वपच; चांडाळ सुपत वि० (प.) सारी पतवाळं; प्रतिष्ठित सुपथ पुं० [सं.] सारी रस्तो; सदाचार सुपन ( - ना) पुं०सपनं. -नाना अ०क्रि० ( प. ) स्वप्नं आवबुं सुपरडेंट, सुपरिटेंडेंट [इं.] पुं० कचेरी के खातानो अध्यक्ष अमलदार सुपात्र पुं० [ सं . ] योग्य व्यक्ति सुपारी स्त्री० सोपारी सुपास पुं० आराम; सुख; निरांत सुपुत्र पुं० [ सं . ] ( सारो) पुत्र; सपूत (२) वि० सुपुत्रवाळं
सुपुर्द, सुपुर्दगी जुओ 'सपुर्द, सपुर्दगी' सुपूत पुं० सपूत ती स्त्री० सपूत
होवुं ते (२) सपूतवाळी स्त्री सुपेत, - द वि० सफेद - ती, दी स्त्री० सफदी पैदा पुं० सफेदो
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५४२
सुप्त
सुरना सुप्त वि० [सं.] सूतेलु; ऊंघेलं. -प्ति सुभाषित पुं० [सं.] सारो बोल के वचन स्त्री० ऊंघ; शयन
सुभिक्ष पुं० [सं.] सुकाळ सुफरा पुं० [अ.] दसतरखान (२) 'ट्रे'; __ सुभीता पुं० सरळता; सहेलाई (२)
मोटी परात ['सुपेद, -दी' सुयोग; सवड; अनुकूळता सुफेद वि०, -दी स्त्री० जुओ अनुक्रमे सुम पुं० [फा.] पशुनी खरी; 'टाप' सुफ़फ़ पुं० [अ.] जुओ 'सफ़फ़'; चूर्ण सुमति स्त्री० [सं.] सारी बुद्धि सुबह स्त्री० [अ.] सवार; प्रातःकाळ. सुमन पुं० [सं.] फूल ०दम, ०सवेरे, ०सुबह अ० वहेली सुम (-मि)रन पुं० (प.) स्मरण सवारे
सुम (-मि) रना सक्रि० (प.) स्मरवू सुबहा स्त्री० जपमाळा
सुम (-मि) रनी स्त्री० नानी (२७ सुबहान वि० [अ.] पवित्र. -अल्ला,
दाणानी) जपमाळा -तेरी कुदरत = हर्ष के अचंबो प्रगट सुयश पुं० [सं.] सारी कीर्ति, नामना करनारुं संबोधन - वाह ! धन्य !
सुयोग पुं० [सं.] सारो मोको, लाग सुबास (०ना) स्त्री० सुवास; सुगंध
सुरंग वि० [सं.] सुंदर; सारा रंगवाळू सुबि (-वि)धा स्त्री० सगवड;अनुकूळता
(२) पुं० सारो रंग (३) हिंगळोक सुबिस्ता, सुबीता पुं० जुओ 'सुभीता' (४) स्त्री० फूटती के फोडवानी सुरंग सुबुक वि० [फा.] हलकुं; कम वजननुं (५) चोरनुं खातर (२) सुन्दर; रूपाळं
सुर पुं० [सं.] देव सुबुक-दस्त वि० [फा.] फूर्तिलु; चपळ सुर पुं० सूर; अवाज. -में सुर मिलाना= सुबुकी स्त्री० [फा. हलकापणुं (२) अप- __ हाजी हा करवू; गायु गावं
मान; तुच्छकार घडो (शराबनो) सुरअत स्त्री० [अ.] तेजी; स्फति; जल्दी सुबू स्त्री० जुओ ‘सुबह' (२) पुं० [फा.] सुरकना सक्रि० सीसका साथे खेंचर्चा सुबूत पुं० जुओ 'सबूत'
सुरख,-खा वि० जुओ 'सुर्ख' सुबोध वि० [सं.] सुबुद्धिवाळू (२) समजवू सुरखाब पुं० [फा.] 'चकवा'; चातक. __ सहेल (३) पुं० सारो बोध के समज -का पर लगना=विशेषता होवी सुभग वि० [सं.] सुंदर; मनोरम (२) सुरखी स्त्री० ईंटनो चूरो- झिकाळो भाग्यवान (३) सुखद
(२) जुओ 'सुर्ची' सुभट पुं० [सं.] मोटो योद्धो
सुरज पुं० (प.) सूरज; सूर्य सुभाइ (-उ,-य,-व) पुं० (प.) स्वभाव सुरत पुं० [सं.] रतिक्रीडा सुभाग,-गी,-ग्य [सं.] सारा भाग्य'वाळु; । सुरत (-ता) स्त्री० ध्यान; सरत नसीबदार
सुरती स्त्री० खावानो जरदो-तमाकु सुभान, अल्ला जुओ 'सुबहान,०अल्ला' सुरदार वि० सुरीलं; सुस्वर सुभाय,-व पुं० (प.) स्वभाव सुरधुनी स्त्री० सुरनदी; गंगा सुभाष,-षी वि० [सं.] सारु मीठु बोलनार । सुरना पुं०; स्त्री० [फा.] नफेरी
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सुरपुर सुरपुर पुं० [सं.] देवलोक; स्वर्ग सुरबहार पुं० एक तंतुवाद्य सुरभि पुं० [सं.] वसंत ऋतु (२) स्त्री० गाय (३) सुगंध (४) वि० सुवासित (५) सुंदर. ०त वि० सुगंधीदार सुरभी स्त्री० [सं.] सुगंध (२) गाय सुरमई वि० [फा.] सुरमाना रंगk; भूखरं; नील (२) स्त्री० एक पक्षी (३) पुं० 'सुरमई' रंग सुरमचू पुं० सुरमो आंजवानी सळी सुरमा पुं० [फा.] आंबनो सुरमो.
-देना,-लगाना=सुरमो आंजवो सुरमादानी स्त्री० सुरमो राखवानी
शीशी के तेनुं पात्र सुर (०व)स पुं० ताणो करवानी पातळी
लाकडी (जेनाथी जोग नंखाय छे) सुरसती स्त्री० (प.) सरस्वती सुरसरि, ०त, ता, -री स्त्री० गंगानदी सुरसुराना अ.क्रि० सरसर (इयळ इ० पेठे) चालवू (२) खंजवाळ आववी. (नाम, -हट स्त्री०) सुरा स्त्री० [सं.] मद्य; दारू. ०कर पुं० दारूनी भठ्ठी. ०कार पुं० दारू गाळनार; कलाल सुराख पुं० छेद; का| सुराग पुं० [तु.] भाळ; पत्तो सुराग-रसाँ वि० भाळ काढनार सुराज,-ज्य पुं० [सं.] सारं राज्य (२) स्वराज्य सुराप,-पी वि० दारू पीनार सुराही स्त्री० [अ.] भोटवो; सुराई.
दार वि० सुराईना घाटनुं सुरीला वि० सुरीलं; मधुर सुरुख वि० प्रसन्न; राजी (२) 'सुर्ख'
सुलेमानी सुरुखरू वि० जुओ 'सुर्खरू' सुरूर पुं० [फा. आनंद (२) नशानी
आछी लहेर- लहेजत सुरैत (-तिन) स्त्री० रखात सुर्ख वि० पुं० [फा.] लाल (२) लाल रंग
(३) रती सफळ (३) प्रतिठित सुर्खरू वि०[फा. तेजस्वी (२) यशस्वी; सुखी स्त्री० [फा. लाली (२) लेख
वगेरेनुं मथाळू (३) लोही सुर्ता वि० समजु; होशियार सुलग अ० पासे सुलगाना) सुलगना अ० क्रि० सळगQ; लागवू (प्रेरक सुलझन स्त्री० सूझ; उकेल (गूचनो) सुलझना अ०क्रि० रस्तो सूझवो; गूंच ऊकलवी. (प्रेरक सुलझाना) सुलझाव पुं० जुओ 'सुलझन' सुलटा वि० सूलटुं सुलतान पुं० [अ.] महाराजा; बादशाह. -ना स्त्री० सुलताननी बेगम के माता. -नी वि० सुलतान- (२) स्त्री० बादशाही (३) एक रेशमी वस्त्र सुलफ वि० नरम; मुलायम; 'लचीला' सुलफ़ा पुं० [फा.] सुल्फो; नशावाळी
तमाकु (२) चडस सुलफ़ेबाज़ वि० गांजो या चडस पीनार सुलभ वि० [सं.] सहेलाईथी मळे एवं (२) सुगम; सरळ सुलह स्त्री० [अ.] सुलेह; संधि. ०नामा पुं० सुलेहनामु; कोलकरार सुलाना स० क्रि० 'सोना'नु प्रेरक;
सुवडावq सुलेमान पुं० [अ.] यहूदीओनो प्रसिद्ध राजा सॉलोमन. –नी वि० सुलेमान संबंधी (२) पुं० एक जातनो घोडो
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सुवन ५४४
सूआ सुवन,-नारा पुं० (प.) जुओ 'सुअन' सुस्थ वि० सं.] स्वस्थ; तंदुरस्त (२) सुखी सुवर्ण पुं० [सं.] सोनुं (२) वि० सारा सुहँगा वि० सों; सस्तं के सोनेरी रंगनुं
सुहबत स्त्री० सोबत; 'सोहबत' सुवा पुं० सूडो; पोपट
सुहबती पुं० सोबती; मित्र सुवार पुं० (प.) जुओ 'सुआर' सुहाग पुं० सुहाग; सौभाग्य (२) लग्न सुवास पुं० [सं.] सुगंध (२) सुंदर घर प्रसंगनुं वरनुं वस्त्र के वरपक्षनी सुवासित वि० [सं.] सुगंधीदार
स्त्रीओनुं गीत. -उतरना=सौभाग्य सुवासिनी स्त्री० सुवासण स्त्री (२) टळवं; विधवा थवं पियेर रहेती युवती स्त्री
सुहाग (-गि)न स्त्री० सुहागण; सुविधा स्त्री० जुओ 'सुबिधा'
सौभाग्यवती सुशील वि० [सं.] शीलवान चारित्र्यवान सुहागा पुं० टंकणखार (२) 'सोहागा'; सुश्रूषा स्त्री० [सं.] सेवाचाकरी
समार सुषमना,-नि स्त्री०(प.) सुषुम्णा नाडी
सुहागिन (-नी) जुओ 'सुहागन' सुषमा स्त्री० [सं.] परम शोभा
सुहाता वि० खमाय एवं; सह्य (२) सुषुप्ति स्त्री० [सं.] निद्रानी दशा
मजेदार (३) कोकरवरj (पाणी) सुषुम्ना स्त्री० [सं.] एक नाडी
सुहाना अ०क्रि० सोहावं; शोभवं (२) (योगमा)
फाववं; सारं लागवू सुष्ट वि० दुष्ट नहि एवं; भलं; नेक । सुहाया वि० (प.) सोहीतुं; शोभीतुं सुष्ठु अ० [सं.] ठीक; सारी रीते सुहारी स्त्री० पूरी सुसंग पुं० [सं.] सत्संग; सारी सोबत सुहाल पुं० एक पकवान सुसंगत वि० [सं.] बरोबर संगत; सुहावना वि० सोहामणुं; सुंदर (२) सयुक्तिक. -ति स्त्री० सारी सोबत __ अ.क्रि० जुओ 'सुहाना' (२) संगतता
सुहृद् पुं० [सं.] मित्र सुस,-सा स्त्री० (प.) बहेन । सुहेला वि० सोह्यलु; शोभीतुं; सारुं सुसकना अ०क्रि० (प.) जुओ 'सिसकना' सूंघना सक्रि० संघवं सुसताना अ०क्रि० श्वास के थाक सूंघा पुं० पाणी-सूंघो; सूंघीने जमीननुं खावो; आराम करवो ।
पाणी बतावनार (२) जासूस सुसर(-रा) पुं० ससरो
सूंठ स्त्री० 'सोंठ'; सूंठ सुसराल स्त्री० 'ससुराल'; सासरी । सूंड स्त्री० हाथीनी सूंढ सुसा स्त्री० जुओ ‘सुस'
सँस स्त्री० जुओ 'सूस' सुस्त वि० [फा.] कमजोर; दुर्बळ (२) सू अ० [फा.] तरफ; भणी; बाजु मंद; आळसु; ढीलं
। सूअर पुं० सूवर; शूकर; अॅड. दी, सुस्ताना अ०क्रि० जुओ 'सुसताना' -री स्त्री० तेनी मादा; मुंडण सुस्ती स्त्री० [फा.] सुस्तपणुं सूआ पुं० सोयो (२) शूक; सूडो
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सूई
सूई स्त्री० सोय (२) घडियाळना जेवो कोई पण कांटो का फावड़ा या भाला बनाना = रजनुं गज करवुं. सूइयों नाज पिरोना = बहु कंजूसी करवी सुकर पुं० [सं.] सूअर; मूंड. - री स्त्री० सुका पुं० पावली (२) वि० सूकुं. की स्त्री० लांच
o
सूक्त पुं० [सं.] वेदनं सूक्त - मंत्रोनुं जूथ (२) सुवाक्य (३) वि० सारी रीते कहेलुं सूक्ति स्त्री० [सं.] सुवाक्य; सारो बोल सूक्ष्म वि० [सं.] बारीक; झीणं. ०दर्शक यंत्र पुं० सूक्ष्म पदार्थ जोवानुं यंत्र. ०दर्शी वि० तीणुं जोई शकनार; कुशाग्रबुद्धि सूखना अ०क्रि० सुकावुं सुखा वि० सूकुं; शुक; लखुं (२) पुं० सुकवणुं; दुकाळ (३) सूको; जरदो (४) पाणी वगरनी सूकी जगा
सूचक वि० [सं.] सूचवतुं बतावतुं (२) पुं० सोय (३) दरजी [ चेतवणी सूचना स्त्री० [ सं . ] सूचववुं ते; नोटिस; सूचि स्त्री० [ सं . ] सोय (२) इस्टापडी; कडी (३) यादी
[सूंढ
सूचिका स्त्री० [सं.] सोय (२) हाथीनी सूचित वि० [सं.] सूचवाये लुं सूची पुं० [सं.] चाडियो के गुप्तचर (२) स्त्री० सोय ( ३ ) यादी सूच्यार्थ पुं० [सं.] व्यंग्यार्थ
सूजन ( - गी) स्त्री० सूज; सोजो. -ना अ०क्रि० सूज, फूलबुं
सूजा पुं० 'सूआ'; सोयो सूजाक पुं० [फा.] एक मूत्ररोग सूजी स्त्री० रवो; जाडो लोट (२) सोय (३) पुं० दरजी
सूझ-बूझ स्त्री० समज; सूझ हिं. ३५
५४५
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सूफ़
सूझना अ० क्रि० सूझवुं; देखावुं सूट पुं० [इं.]पहेरवानुं 'सूट' - कोटपाटलून सूत पुं० सूतर (२) दोरो सूतक पुं० [सं.] प्रसव; जन्म ( २ ) अशौच (जन्म-मरणनुं ). - की वि० सूतकवाळं सूतना अ०क्रि० ( प. ) सूवुं सूता पुं० 'सूत'; सूतर (२) स्त्री० [ सं . ] प्रसूता स्त्री
सूतिका स्त्री० [सं.] सुवावडी. ०गार, ०गृह, ०भवन पुं० प्रसूतिगृह सूती वि० सूतरनुं (२) स्त्री० सीप सूत्र पुं० [सं.] सूतर; दोरो (२) ट्रंक वचन के वाक्य (३) तंत्र; व्यवस्था सूत्रकार पुं० [सं.] सूत्र रचनार ( २ ) सुथार (३) वणकर [ मुख्य नट सूत्रधार पुं० [सं.] नाटकनो नायक; सूत्रपात पुं० [सं.] शरूआत सूथन ( - नी ) स्त्री० स्त्रीओनी सूंथणी सुथार पुं० सुथार
सूद पुं० [फा.] लाभ (२) व्याज दर सूद = व्याजनुं व्याज सूदी वि० व्याजुकुं सूषा वि० ( प. ) सीधुं सूधे अ० ( प. ) जुओ 'सीधे' सून पुं० [सं.] प्रसव (२) पुत्र, फळ, कळी इ० ( ३ ) ( प. ) शून्य ( ४ ) वि० सूनुं. ०सान वि० जुओ 'सुनसान' सूना वि० सूनुं (२) पुं० एकांत जगा (३) स्त्री० [सं.] पुत्री
सूप पुं० सूपडुं (२) [सं.] सूप - एक पेय वानी. ०क, ०कार पुं० रसोइयो. oड़ा पुं० सूपडुं
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सूफ़ पुं० [अ.] ऊन के गरम कपडुं (२) काळी शाहीना खडियामां रखातुं कपडुं
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५४६
सूफ़ियाना
से धिया सूफ़ियाना वि० [फा.] जुओ 'सोफ़ियाना' सूर्य पुं० [सं.] सूरज. -र्यास्त पुं० सूर्य सूफ़ी पुं० [अ.] सूफीवादी माणस (२) आथमे ते. -र्योदय पुं० सूर्य ऊगे ते सादो साधु माणस
सूल पुं० शूळ; सूळ सूबा पुं० [फा. प्रांत; देशनो भाग (२) । सूली स्त्री० शूळी (२) फांसी सूबो; सूबेदार. -बेदार पुं० सूबो (२) । सूस (०मार) पुं० 'तूंस'; एक जलचर अमुक दरज्जानो पोलीस के सैनिक सूहा पुं० एक जातनो लाल रंग (२) एक सूम,०ड़ा वि० कंजूस
संकर राग (३) वि० लाल सूर पुं० सूरदास (२) वि० शूर (प.) (३) । सृगाल पुं० [सं.] शियाळ (२) डरपोक के पुं० सूवर (४) [अ.] क्यामतने दिवसे दुष्ट माणस वागनारुं एक वाजें (५) [फा.] खुशी; सृजक वि० (प.) सर्जक; पेदा करनार आनंद (६) लाल रंग
सृजन पुं० (प.) सृष्टि; सर्जन. हार पुं० सूरज पुं० सूर्य. ०मुखी पं० एक फूल सर्जनहार (२) एक जातनुं दारूखानु. -को सृजना सक्रि० (प.) सरजवू ; पेदा करवू दीपक दिखाना = स्वयं जे प्रसिद्ध के सृष्ट वि० [सं.] सरजेलं; रचेलं (२)त्यजेलं गुणी होय तेनो परिचय कराववो. सृष्टि स्त्री० [सं.] जगत; विश्व (२) -पर थूकना या धूल फेंकना=निर्दोष । __ सर्जन (३) त्याग के पवित्रने लांछन लगाडवू सेक स्त्री० शेक; शेकवं ते सूरत स्त्री० [अ.] शिकल; रूप (२) रस्तो; से कना सक्रि० शेकवं उपाय (३) हाल; दशा. -दिखाना=मों। सेंगर पुं० शाकनी एक फळी के तेनो एक बताव; सामे आववं. -बनाना= रूप . छोड (२) बावळनो परडो (३) एक काढवं; वेश बदलवो (२) मों मरडवं. अनाज (४) एक रजपूत जात -बिगड़ना=चहेरो फीको पडवो; सेत स्त्री० खर्च वगर-मफत थर्बु ते निस्तेज थवं
बाह्यतः से तमें, सेत-मेत अ० मफत (२) व्यर्थ सूरतन् अ० [अ.] देखवामां; उपरथी; ___ से दुरा वि० सिंदूरियु (२) पुं० सिंदूरनी सूरत-परस्त वि० [फा.] सौंदर्य-पूजक(२) डबी
[फूल झाड बुत-परस्त [पण उपरथी देखावडु ____ से दुरिया वि० सिंदूरियु (२) पुं० एक सूरत-हराम वि० [फा.] अंदरथी निस्सार से दूर पुं० सिंदूर. -चढ़ना=स्त्रीए सूरति स्त्री० (प.) सूरत (२) स्मृति परणवू सूरन पुं० सूरण
सेध स्त्री० दीवालमां खातर पडे ते; सूरमा (-वाँ) पुं० शूर; वीर; योद्धो बाकुं.-लगाना=कोचीने खातर पाडवू सूरा पुं० सूरदास; अंध (२) अनाजमां से धना अ०क्रि० भीतमां खातर पाडवू पडतुं एक जीवथु (३) [अ.] कुराननं सेंधा पुं० सिंधव प्रकरण
से धिया वि० खातर-पाडु (चोर) (२) सूराख पुं० [फा.] सुराख; छिद्र पुं० ग्वालियरनो सिंधिया
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से वई
५४७
सेसरिया से वई स्त्री० घउंनी शेव
सेरा पुं० खाटलानुं माथा आगळy से हुड़ पुं० जुओ 'सेहुँड'
लाकडु (२) पायेली जमीन सेकंड पुं० [इं.] पळ; मिनिटनो ६०मो भाग सेराना अ.क्रि० (प.) ठंडु थ; ठरवू सेक पुं० [सं.] सींचq - छांटq ते (२) मरवू सेक्रेटरी पुं० [इं.] मंत्री कचेरी सेराब वि० [फा.] पाणीथी तरबोळ; सेक्रेटेरियेट पुं० [ई.] सरकारी मंत्रीओनी
पाणी पीधेलं सेख पुं० (प.) शेष (२) शेख
सेरी पुं० (प.) शेरी; रस्तो (२) स्त्री० सेगा पुं० 'सीग़ा'; विभाग
[फा. तृप्ति; संतोष सेज,-ज्या स्त्री० (प.) शय्या; पथारी सेल पुं० बरछो; भालो सेजपाल पुं० शयनगृहनो रक्षक .
सेला पुं० सेलु; शेलं सेटना सक्रि० गणतरीमा लेवू; मानवं
सेली स्त्री० नानो 'सेल'-भालो (२) सेठ पुं० शेठ (स्त्री० -ठानी)
योगी साधु इ. नी गळानी एक माळा सेढ़ पुं० (वहाण-) सढ
सेव पुं० चणानी सेव(२) सेब'; सफरजन सेढ़ा पुं० शेडा; लीट
(३) स्त्री० (प.) सेवा सेतु पुं० [सं.] पुल; बंध
सेवई स्त्री० जुओ 'सवई' सेन पुं० श्येन; बाज (२) स्त्री० (प.) सैन्य ।
सेवक पुं० [सं.] सेवा करनार सेना स्त्री० [सं.] सैन्य. ०नी, पति पुं०
सेवकाई स्त्री० सेवा सेनाधिपति
सेवती स्त्री० [सं.] धोळा गुलाबनो छोड सेना सक्रि० (प.) सेववं
सेवन पुं० [सं.] सेवq - सेवा करवी ते सेनी स्त्री० [फा.] अमुक थाळी के रकाबी। सेवा स्त्री० [सं.] चाकरी (२) पूजा सेनी स्त्री०(प.) बाजनी मादा (२) श्रेणी सेवा-टहल स्त्री०सेवा; चाकरी; खिदमत सेनेट स्त्री० [इं.] जुओ 'सिनेट' सेवाधारी पुं० पूजारी सेफ पुं० [इं.] तिजोरी
सेवा-बंदगी स्त्री० पूजापाठ; सेवापूजा सेब पुं० [फा.] सेप; सफरजन; 'सेव' । सेवार(-ल) स्त्री० शेवाळ सेम पुं० पापडी के वालोळ
सेविंग (-ग्स) बैंक पुं० [ई.] बचत सेमई स्त्री० 'सेवई'; सेव (घउंनी) राखवानी बॅन्क (२) वि० आछा लीला रंगनुं सेविका स्त्री० [सं.] सेवक स्त्री सेमर पुं० कळण भूमि (२) (प.) ।
सेवी वि० [सं.] सेवन करनार जुओ 'सेमल'
सेवैयाँ-स्त्री० सेवोनो दूधपाक सेमल पुं० शाल्मली झाड
सेव्य वि० [सं.] सेवापात्र सेमा पुं० मोटी पापडी के वालोळ सेशन पुं० [इं.] अधिवेशन; बेठक (२) सेर पुं० शेर (वजन) (२) शेर; सिंह । सत्र (३) सेशन कोरट-कचेरी (३) वि० [फा.] तृप्त; संतुष्ट सेसर पुं० पत्तांनी एक बाजी (२) जाळ सेरवा पुं० 'सेरा'-खाटलानुं नानु लाकडं सेसरिया पुं० जाळमा फसावनार; कपटी
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सेह
सेह वि० [फा.] त्रण ( प्रायः समासमां . ) ०खाना पुं० त्रण माळनं मकान. ०पाई स्त्री०, ०पाया पुं० तिपाई सेहत स्त्री० [अ.] आरोग्य (२) रोगमांथी मुक्ति ( ३ ) सुखचेन; राहत ( ४ ) (भूलोनी) शुद्धि
सेहत - खाना पुं० पायखानुं सेहत-नामा पुं० शुद्धिपत्रक सेह-माही वि० त्रैमासिक
सेहर पुं० [ अ. सिहर ] जादु; इंद्रजाळ सेहरा पुं० वरराजानो खूप. -रे जलवेकी वि० परणेतर
सेहरांबा पुं० [फा. सिहरांब : ] मंगळवार सेही स्त्री० [ सं . सेधा ] ' साही'; साहुडी सेड पुं०, सेहुँड़ा स्त्री० 'सेंहुड़ '; थोर सेहुआं पुं० एक चर्मरोग; करोळिया सैंगर पुं० बावळनो परडो संतना स०क्रि० ( खंतथी) एकठं करवुं संतालिी ( - ली ) स वि० सुडताळीस; ४७ सैंति ( - तो ) स वि० साडीस; ३७ सेंदूर वि० [सं.] सिंदूरना रंगनं संघव पुं० [सं.] सिंधव (२) सिंघनो निवासी के घोडो (३) वि० सिंधनुं के सिंधु- समुद्रनुं
सं पुं० [सं. शत, प्रा. सय] गुजराती 'सें' - सो जेम वपराय छे. उदा. 'सोरह से इकतीस '
संकड़ा पुं० सेंकडो; सैको सैकड़े अ० सेंकडे; 'प्रति शत' सैकड़ों वि० सेंकडो; अनेक सो (२) घणुं संकत वि० [सं.] रेताळ; रेतीनुं [काम संक़ल पुं० [अ.] सिकलीगर - सराणियानुं संकलगर पुं० [अ.] सराणियो; सिकलीगर संवी स्त्री० बरछी; भालो
4
५४८
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सैलानी
सेब पुं० शिकार ( २ ) [ अ ] संयद सैदानी स्त्री० सैयद स्त्री
संन स्त्री० (प.) इशारो (२) सैन्य (३) श्येन; बाज
संभोग पुं० मंदिरोनो शयनभोग सैनासैनी स्त्री० सामसामे इशारा
करवा
सैनिक पुं० [सं.] योद्धो; सिपाही (२) वि० सेना विषेनुं [ ( प. ) सैन्य (२) स्त्री०
सैनी पुं० 'नाई'; वाळंद सैनू पुं० एक जातनुं कपडुं सैन्य पुं० [सं.] सेना; फोज सैफ़ स्त्री० [ अ ] तलवार सैफ़ा पुं० [फा.] कागदीनुं एक ओजार सैयद पुं० [अ] नेता; सरदार ( २ ) पेगंबरनो वंशज; ते जातिनो माणस. -दा, दानी स्त्री० सैयद स्त्री संयाँ पुं० स्वामी सैयाद पुं० [ अ ] शिकारी [करनारो संयार पुं० [फा.] खूब सेर - सहेल संयारा पुं० [अ.] ( आकाशनी) ग्रह संयाल वि० [ अ ] प्रवाही; पाणी जेवुं संयाह वि० [ अ ] यात्री सफर करनार सैयाही स्त्री० [ अ ] सफर ; यात्रा सैर स्त्री० [फा.] सेर; मोज खातर फरवुं ते; सहेल (२) मजा; आनंद (३) मोज खातर पर्यटने जवुं ते सैरगाह पुं०; स्त्री० सहेल करवानी
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मजानी सुंदर जगा सैर-सपाटा पुं० सहेलसपाटा संल पुं०; स्त्री० [अ.] प्रवाह; वहेण संला पुं० फाचरो (२) फाचर के चीर (३) दंडो; दस्तो सैलानी वि० सहेलाणी; लहेरी
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सैलाब
सोमवारी सैलाब पुं० [फा.] रेल (पाणीनी) सोजिश स्त्री० [फा. सोजो (२) जुओ सैलाबा पुं० पाणीमां डूबी गयेलो पाक 'सोज़' सैलाबी स्त्री० [फा.] भीनाश (२) नदीनी सोश (-झा) वि० (प.) सीधुं; सरळ रेलथी सींचाती जमीन (३) रेल (४) सोडा पुं० [इं.] सोडा क्षार. ०वाटर पुं० वि० रेल संबंधी
सोडा, एक पेय सैली स्त्री० नानो 'सैला' (जुओ 'सैला') सोढर वि० मूर्ख; ढ सों प्रत्यय 'सें' या 'से'नुं पद्यनुं रूप । सोत (ता) पुं० स्रोत; झरj साँचर-नमक पुं० संचळ छडीदार । सोदर वि०(२)पुं० [सं.] सहोदर (भाई) साँटा पुं० सोटो; लाठी. ०बरदार पुं० । सोष,०न पुं० (प.) शोध; तपास (२) साँठ स्त्री० सूंठ. -ठौरा पुं० सुवावडमां चूकते, अदा थवं ते
खवाती सूंठ वसाणांनी एक वानी सोन पुं० (प.) सोनुं (२) शोण नदी सेधि (-धा) वि० सुगंधीदार (२) पुं० सोनकेला पुं० सोनेरी केळं। एक सुगंधी पदार्थ (तेलमां नंखातो) सोनचिरी स्त्री० नटी; नर्तकी सोपना सक्रि० सोंपवू; 'सौंपना' सोनहरा (-ला) वि० सोनेरी सो स० ते (२) अ० तेथी; अतः सोना पुं० सोनुं (२) अ०क्रि० सू; ऊंघर्चा सोआ (-या,-वा) पुं० एक शाक; सुवा (३) अंगे झराणी चडवी. सोनेका घर सोई स० (प.) 'वही'; ते ज; 'सोय' । मिट्टी होना= खेदानमेदान थई जवं. सोखना सक्रि० शोषी लेवं; चुसवं . सोनेकी चिड़िया = धनिक; मालदार. सोल्तनी स्त्री० [फा.] सूकुं लाकडं सोनमें घुन लगना=असंभव वस्तु सोखता पुं० [फा. शाहीचूस कागळ (२) बनवी. सोनमें सुगंध = उत्तम चीजमां वि० [फा.] बळेलं; दग्ध
वळी उत्तमता
माक्षिक सोगंद स्त्री० जुओ 'सौगंद'
सोनामक्खी स्त्री० एक उपधातु-सुवर्णसोग पुं०(प.) शोक. -गी वि० शोकमां सोनार, सोनी पुं० 'सुनार'; सोनी
पडेलु; शोकवाळू (स्त्री० -गिनी) सोपान पुं० [सं.] सीडी सोच पुं० विचारवं ते (२) चिता (३) सोपारी स्त्री० जुओ 'सूपारी' शोक; पस्तावो
सोफता पुं० एकांत; अलग जगा (२) सोचना अ०क्रि० विचारवं ते (२) चिंता फुरसद
के आसन करवी (३) खेद करवो
सोफ़ा पुं०[इ.] गादीवाळी एक खुरशी सोचविचार पुं० 'समझ-बूझ'; बधी सोफ़ियाना वि० सुफी संबंधी (२) सादु रीतनो-पूरो विचार
पण सारं लागतुं; सुफिया| सोज पुं० [फा.] बळतरा (२) दुःख सोम पुं० [सं.] चंद्र (२) सोमवार (३) सोज स्त्री० सोज; सोजो
सोमरसनी वेल (४) अमृत (५) पाणी सोजन स्त्री० [फा.] सोय
सोमवारी वि० सोमवार- (२) स्त्री० सोजां वि० [फा.] दुःखद; करुण सोमवती अमास
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सोय
५५०
सौगंद
सोय स० (प.) वही'; 'सोई' (२) 'सो'; ते सोहाग पुं० जुओ 'सुहाग' सोयम वि० [फा.] त्रीजें
सोहागा पुं० जुओ 'सुहागा' (२) सोया, -वा पुं० 'सोआ'; सवा खेडूतनो समार सोर पुं० (प.) शोर; कोलाहल (२) सोहागिन, -नी, -ल स्त्री० जुओ स्त्री० जड; मूळ
[राग _ 'सुहागिन' सोरठा पुं० सोरठो छंद. -ठी स्त्री० एक सोहाता (-या) वि० सुंदर; सोहातुं सोरनी स्त्री० सावरणी
सोहा (०व)ना सक्रि० (प.) सोहावg; सोरह वि० (प.) 'सोलह'; सोळ
शोभावQ सोर (-ल)ही स्त्री० सोळ कोडीथी सोहाया वि० जुओ ‘सोहाता'
रमाती एक बाजी-जुगार सोहारी स्त्री० पूरी सोलह वि० सोळ; १६. -ही स्त्री० जुओ सोहावना सक्रि० जुओ ‘सोहाना' 'सोरही'. सोलहो आने = सोळे आना; । सोहिल पुं० अगस्त्य तारो पूरेपूरुं टोपीमां वपराय छे ते । सोहिला पुं० जुओ 'सोहला' सोला पुं० जे झाडनां छोडां सोला। सोही, -हैं अ० (प.) सामे; आगळ सोलाना सक्रि० 'सुलाना'; सुवाडवू
सौंचना स० क्रि० शौच जवं के जईने सोलिसिटर पुं० [ई.] अमुक काम माटेनो
धोवू के त्यार बाद हाथपग धोवा एक वकील
सौंचर,नमक पुं० संचळ; 'सोंचर-नमक' सोवड़ पुं० सुवावडनी ओरडी; प्रसूतिगह सौंचाना सक्रि० 'सौंचना' न प्रेरक सोवना अ.क्रि० (प.) 'सोना'; सूवं सौड़, डा पुं० रजाई इ० जेवू ओढवानं ते सोवा पुं० जुओ 'सोआ'
सौंदन स्त्री० खारमा मेलां कपडां धोबी सोसनी वि० (प.) जांबुडियु .. पलाळे छे ते. -ना सक्रि० तेम कपडां सोसाइ (-य)टी स्त्री० [इं.] समाज (२) पलाळवां
सोबत; संग सौभाग्यनी चीजो सौंदर्य पुं० [सं.] सुंदरता सोहगी स्त्री० लग्ननी एक रीत (२) सौध स्त्री० सुगंध (२) पुं० महेल; 'सौध' सोहन वि० शोभीतं; सून्दर. (स्त्री० -नी) सौंपना सक्रि० सोंपवं ०पपड़ी स्त्री० एक मीठाई. हलवा । सौंफ़ स्त्री० वरियाळी. -फ़िया, -फ़ी पुं० एक जातनो हलवो
वि० वरियाळीवाळं (२) स्त्री० तेQ सोहना अ०क्रि० सोहवू शोभq(२)नींदवू पेय (दारू इ.) [सन्मुख सोहनी स्त्री० झाडु; सावरणी (२) सौंह स्त्री०(प.) सोगन (२) अ० सामे; नींदामण (३) वि० स्त्री० सुन्दर सौ वि० सो; १००. -बातकी एक सोहबत स्त्री० [अ.] सोबत (२) संभोग बात = सारांश; ट्रंकमां; तात्पर्य के सोहबती पुं० [फा. सोबती; साथी सौक (०न) स्त्री० 'सौत'; शोक; सपत्नी सोह (-हि)ला पुं० मंगळ गीत सौख, सौख्य पुं० [सं.] सुख सोहाई स्त्री० नींदामण
सौगंद (-ध) स्त्री० [फा.] सोगंद; कसम
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स्टाक
सौगंध
५५१ सौगंध पुं० [सं.] अत्तरियो (२) सुगंध सौभाग्य पुं० [सं.] सद्भाग्य (२) (३) वि० सुगंधीदार (४) स्त्री० जुओ सधवापणुं (३) शुभ; भलं. ०वती 'सौगंद'
स्त्री० सधवा [(३) चांद्र सौगात स्त्री० [तु.] सोगात; भेट सौन्य वि० [सं.] सुंदर (२) कोमळ; मृदु सौगाती वि० भेट तरीके शोभे एवं; . सौर वि० [सं.] सूर्य संबंधी (२) पुं० उत्तम; नमनेदार; विरल
[अ.] बळद के सांढ (३) स्त्री० (प.) सौधा वि० (प.) सोंधु; सस्तुं
सोड; चादर वि० सुगंधीदार सौच पुं० (प.) शौच
सौरभ पुं० [सं.] सुगंध (२) केरी (३) सौचि,०क पुं० [सं.] दरजी
सौरी स्त्री० प्रसूतिघर; प्रसवस्थान सौज स्त्री० (प.) साज; सामग्री । सौरीय, सौर्य वि० [सं.] सूर्य संबंधी; सौजन्य पुं० [सं.] सज्जनता; भलमनसाई सूर्यन सौजा पुं० शिकारनुं प्राणी; शिकार सौवर्चल पुं० [सं.] संचळ; 'सोंचर-नमक' सौड़ पुं० जुओ 'सौंड'
सौष्ठव पुं० [सं.] उत्तमता (२) सुंदरता सौत (न, नि,-तिन) स्त्री० सपत्नी; (३) चातुर्य शोक; 'सवत'; 'सौक'
सौसन पुं० [फा.] एक फूलझाड सौतिया डाह स्त्री० शोको वच्चेनी सोसनी वि० [फा. 'सोसनी'; जांबुडिया ईर्षा (२) भारे ईर्षा
रंगनुं सौतेला वि० सावकुं; शोकन; शोक
सौह स्त्री० (प.) सोगन (२) अ० सामे; संबंधी (स्त्री० -ली)
सन्मुख; 'सौंह'
सौहार्द, -र्य पुं० [सं.] मित्रता; दोस्ती सौदा पुं० [अ.] सोदो (२) सोदानी चीज; माल (३) वेपार (४) पागलपणुं;
सौहीं अ० (प.) 'सौहँ'; सामे गांडपण (५) धून (६) वि० काळं
सौहृद पुं० [सं.] मित्रता (२) सुहृद
स्कंध पुं० [सं.] खभो (२) थड (३) सौदाई पुं० पागल; गांडो; धूनी
अध्याय; खंड (ग्रंथनो)(४) समूह; जूथ सौदागर पुं० [फा. सोदागर वेपारी
स्कंभ पुं० [सं.] थंभ (२) प्रभु (नाम, -री)
स्कालर पुं० [इं.] छात्र; विद्यार्थी सौदाम (-मि)नी स्त्री० [सं.] वीजळी
स्कीम स्त्री० [इं.] योजना सौदा-सुलुफ़, सुल्फ़ पुं० सोदो करवानी
स्कल पुं०[इं.] शाळा. -लो वि० शाळानुं
के ते संबंधी सौदा-सूत पुं० व्यवहार
स्क्रू पुं० [इं.] पेचवाळो खीलो सौध पुं० [सं.] महेल; भवन (२) चांदी स्खलित वि० [सं.] पडेलुं (२) पतित सौनन पुं० जुओ 'सौंदन'
स्टांप पुं० [इं.] स्टॅम्प; टिकिट (२) सौभग पुं० [सं.] सद्भाग्य (२) सुख छाप; महोर (३) धनदोलत (४) सौंदर्य । स्टाक पुं० [इ.] स्टॉक; मालनो जथो सौभागिनी स्त्री० [सं.] सौभाग्यवती (२) शेरनी मूडी (३) भंडार; गोदाम
चीजो
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स्टाफ़
वयोवन..
५५२
स्पर्धा स्टाफ़ पुं० [इ.] संस्था के संगठनमां स्थविर वि० [सं.] स्थिर; दृढ (२)
काम करतो कुल सेवक समूह वयोवृद्ध; घरडु [(३) शिव स्टीमर पुं० [इं.] आगबोट
स्थाणु वि० [सं.] स्थिर; दृढ (२)पुं० स्तंभ स्टेज पुं० [इं.] रंगभूमि [इ० मुं) स्थान पुं० [सं.] जगा; स्थळ; ठाम (२) स्टेशन पुं० [इं.] मथक (रेल, मोटर पवित्र स्थान; मंदिर; धाम स्तंभ पुं० [सं.] थंभ (२) थड स्थानापन्न वि० [सं.] अवेजी; कामचलाउ स्तनधय वि० (२) पुं० [सं.] धावतुं, स्थानिक, स्थानीय वि० [सं.] स्थानने धावणुं (बाळक के वाछडु)
लगतुं; 'लोकल' स्तन पुं० [सं.] धाई. -पीना =धावq स्थापक वि० [सं.] स्थापनार स्तन्य पुं० [सं.] दूध [मंद; धीमुं स्थापत्य पुं० [सं.] शिल्पकळा; बांधस्तब्ध वि० [सं.] स्थिर; जड; निश्चल(२) कामनी विद्या स्तर पुं० [सं.] थर; पड (२) सेज; पथारी स्थापन पुं०, -ना स्त्री० स्थापq ते स्तव, न पं० [सं.] स्तुति (२) स्तोत्र स्थापित वि० [सं.] स्थपायेलु; जमावेलू स्तुति स्त्री० [सं.] प्रशंसा; गुणगान (२)
स्थायी वि० [सं.] स्थिर; कायम स्तोत्र
प्रशंसनीय । स्थाली स्त्री० [सं.] थाळी (माटीनी) स्तुत्य वि० [सं.] स्तुतिने लायक; (२) हॉल्ली स्तूप पुं० [सं.] ढेर; ढगलो (२) बौद्ध स्थावर वि० [सं.] स्थिर; अचळ (२) स्तूप- स्मारक इमारत
पुं० पर्वत (३) स्थावर मिलकत । स्तेन पुं० [सं.] चोर
स्थित वि० [सं.] ऊभेलु (२) स्थिर (३) स्तेय पुं० [सं.] चोरी
बेठेलं ते (२) दशा; अवस्था स्तोक पुं० [सं.] बंद; बिंदु (२) वि० थोडु स्थिति स्त्री० [सं.] रहेवू; टकवू के होवू स्तोत्र पुं० सं.] स्तुतिनं गीत के ग्रंथ स्थिर वि० [सं.] दृढ; अडग; अचळ स्त्री स्त्री० [सं.] नारी (२) पत्नी । (२) कायम; नक्की [भारे स्त्रीवत पुं० पत्नीव्रत; अव्यभिचार स्थूल वि० [सं.] स्थूळ; जड (२) जाडु; स्त्रण वि० [सं.] स्त्री संबंधी (२) पुं० स्नातक . [सं.] ग्रॅज्युएट
स्त्रीत्व; स्त्री जेवी कोमळता स्नान पुं० [सं.] नाहq ते स्थगन पुं० [सं.] स्थगित करवं के स्नायु स्त्री० [सं.] नस; रग ढांकतुं छुपावq ते
स्निग्ध वि० [सं.] चीक[; चीकटवाळं स्थगित वि० [सं.] ढांकेलं (२) रोकेलं (२) सुंदर; प्रिय स्थल पुं० [सं.] स्थळ; जगा; स्थान. स्नेह पुं० [सं.] प्रेम (२) चीकट पदार्थ
०चर, चारी वि० थळचर (प्राणी) स्नेही वि० [सं.] स्नेहवाळ (२) पुं० मित्र स्थलांतर पुं० [सं.] बीजी जगा स्पंद, ०न पुं० [सं.] कंपवू, हालवु के स्थला,-ली स्त्री० [सं.] सूकी ऊंची धडकवू ते [(वि०, -द्धी) जमीन
स्पर्धा स्त्री० [सं.] स्पर्धा; हरीफाई
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स्वजन
स्पर्श
५५३ स्पर्श पुं० [सं.] अडकवू ते; संपर्क स्पंदन पुं० [सं.] रथ (२) वि० वहेतुं; स्पर्शी वि० [सं.] स्पर्शनार
सरकतुं स्पष्ट वि० [सं.] साफ; चोख्खं; उघाडं. स्यात् अ० [सं.] कदाच; 'शायद'
-ष्टीकरण पुं० चोखवट [अध्यक्ष स्यानप(०न) पुं० शाणपण; डहापण स्पीकर पुं० [इं.] वक्ता (२) पार्लमेन्टनो
स्याना वि० शाणुं; डाहयु (२) उमरे स्पृश्य वि० [सं.] अडकी शकाय एवं पहोंचेलं; 'वयस्क' स्पृष्ट वि० [सं.] स्पर्शायेलं
स्यापा पुं० जुओ 'सियापा'. -पड़ना= स्पृहणीय वि० [सं.] स्पृहा करवा जेवू ___ रडवू कूटवू (२) सूमसान थई जवू स्पृहा स्त्री० [सं.] इच्छा; कामना
स्याम वि० (प.) श्याम; काळु (२) पुं० स्पृही वि० [सं.] स्पृहा करनारुं सियाम देश. ०ल वि० शामळं. लिया स्प्रिंग स्त्री० [इं.] कमान. ०दार वि० पुं० शामळियो; कृष्ण कमानवाळं
स्यार(-ल) पुं० शियाळ; 'सियार' स्फटिक पुं० [सं.] बिलोरी काच (२) । स्याल पुं० जुओ 'श्याल' (२) [सं.] साळो.
एक जातनो मणि (३) फटकडी -ली स्त्री० साळी स्फुट वि० [सं.] खीलेलं (२) स्पष्ट; खुल्लु स्याह वि० जुओ 'सियाह'
(३) फुटकळ के स्फुरदुं ते स्याही स्त्री० शाही (२) श्यामता स्फुर, ०ण पुं०, ०णा स्त्री० [सं.] कंपवू स्यों, स्यो अ० (प.) साथै; जोडे . स्फुलिंग पुं० [सं.] तणखो; चिनगारी सक,-ग,-ज पुं०; स्त्री० फूलमाळा स्फूर्ति स्त्री० [सं.] स्फुरदुं ते (२) उत्साह; लव,०ण पुं० [सं.] स्रवद्-झरवू के चूq
आवेग [(२) फूटq ते (३) फोल्लो के टपकवू ते स्फोट पुं० [सं.] स्फुट थर्बु ते; खुलासो स्रष्टा पुं० [सं.] सर्जनहार; प्रभु स्फोटक पुं० [सं.] फोल्लो
नाप पुं० (प.) शराप; शाप गर्भपात स्फोटन पुं० [सं.] फूटवू के फाटवं ते स्त्राव पुं० [सं.] स्रवद् के स्रवे ते (२)
(२) स्फूट करवू ते ते; जप सावक, स्रावी वि० [सं.] स्रव करावनाएं स्मरण पुं० [सं.] याददास्त (२) स्मर, स्रोत पुं० [सं.] प्रवाह; धारा. ०स्वती, स्मरणीय वि० [सं.] याद करवा जेवू स्विनी स्त्री० नदी स्मशा (-सा)न पुं० मशाण; स्मशान स्लीपर पुं० [ई.] सलेपाट(२) अमुक जोडा स्मारक वि० [सं.] याद करावतुं (२) पुं० स्लेट स्त्री० [इ.] पथ्थरपाटी
तेवी वस्तु तेनुं अनुयायी । स्व वि०[सं.] पोतानू (२) पुं० मिलकत स्मार्त वि० [सं.] स्मृतिशास्त्र संबंधी के । स्वक,-कीय वि० [सं.] पोता- (२) पुं० स्मित पुं० [सं.] मंद हास्य याद मिलकत (३) मित्र; सगुं स्मृत वि० [सं.] स्मरण करेलु (२) पुं० । स्वच्छ वि० [सं.] चोख्खं; साफ स्मृति स्त्री० [सं.] स्मरण (२) स्वजन पुं० [सं.] पोतानु, सगुं के संबंधी स्मृतिशास्त्र
माणस
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५५४
स्वास्थ्य
स्वतंत्र स्वतंत्र वि० [सं.] स्वाधीन; मुक्त स्वस्तिक पुं० [सं.] साथियो स्वतः अ० [सं.] आपमेळे; स्वयम् स्वस्थ वि० [सं.] तंदुरस्त (२) शांत; स्थिर स्वतोविरोधी पुं० [सं.] पोते ज पोतानी स्वांग पुं० स्वांग; बनावटी वेश (२)
वस्तुनो विरोध करनार; वदतो- तमाशो; खेल. -बनाना, -भरना, व्याघातवाळं
-लाना=वेश लेवो स्वप्न पुं० [सं.] स्वप्नुं (२) सूर्यु ते स्वांगी पुं० बहुरूपी; स्वांग काढी पेट स्वभाव पुं० [सं.] प्रकृति; तासीर भरनारो स्वयं अ० [सं.] जाते; पोते
स्वांत पुं० [सं.] अंतःकरण (२) मरण स्वयंभू पुं० [सं.] जाते थनार (प्रभु, स्वागत पुं० [सं.] आवकार कामदेव, ब्रह्मा इ०)
स्वातंत्र्य पुं० [सं.] आझादी; स्वतंत्रता स्वयंवर पुं० [सं.] इच्छापूर्वक परणवू ते; । स्वाति,-ती स्त्री० [सं.] एक नक्षत्र , लग्ननो एक प्रकार
स्त्री स्वाद पुं०[सं.] जीभनो रस (२) लहेजत; स्वयंवरा स्त्री० [सं.] स्वयंवरथी परणनार मजा (३)(प.) इच्छा. -दिष्ट, -दिष्ठ स्वयंसिद्ध वि० [सं.] आपमेळे सिद्ध वि० अति स्वादवाळं स्वयंसेवक पुं० [सं.] स्वेच्छाए-खुशीथी स्वादी वि० [सं.] स्वाद माणनाएं; रसिक सेवा करनार
स्वादु वि० [सं.] स्वादवाळं स्वर पुं० [सं.] सूर; अवाज (२) अक्षरनो । स्वाधीन वि० [सं.] पोताना काबुन; एक प्रकार
स्वतंत्र; स्वायत्त स्वराज्य पुं० सं.] स्वराज
स्वाध्याय पुं० [सं.] अभ्यास; मनन स्वरित वि० [सं.] स्वरयुक्त (२) पुं० स्वान पुं० (प.) श्वान; कूतरुं (२) [सं.] त्रणमांथी वचला उच्चारनो स्वर
.. अवाज स्वरूप पुं० [सं.] आकार; रूप (२) आत्मा स्वाप पुं० [सं.] ऊंघ स्वरोद पुं० एक तंतुवाद्य
स्वापन पुं० [सं.] ऊंघाडवं ते (२) तेवू स्वर्ग पुं० [सं.] देवलोक. ०वास पुं०
एक अस्त्र
[कुदरती मरण. ०वासी वि० मृत; मरहूम.
स्वाभाविक वि० [सं.] स्वभाव मुजबर्नु; -गीय वि० स्वर्गवासी (२) स्वर्ग
स्वामित्व पुं० [सं.] धणीपणुं; मालकी जेवू - उत्तम
स्वामिनी स्त्री० [सं.] धणियाणी स्वर्ण पुं० [सं.] सोनुं. कार पुं० सोनी स्वामी पुं० [सं.] धणी; मालिक; पति स्वधुनी स्त्री० [सं.] गंगा नदी स्वायत्त वि० [सं.] स्ववश; स्वतंत्र. स्वल्प वि० [सं.] अति थोडं
शासन पुं० स्थानिक स्वराज स्वसा स्त्री० [सं.] बहेन
स्वार्थ पुं० [सं.] वाच्यार्थ (२) पोतानी स्वसुर पुं० ससरो.-राल स्त्री० सासरी मतलब के गरज के हेतु (२) वि० स्वस्ति अ० [सं.] 'भलं थाओ' एवं स्वार्थी. -र्थी वि० [मननी) आशीर्वचन
स्वास्थ्य पुं० [सं.] स्वस्थता (तन के
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स्वाहा स्वाहा अ०[सं.] हवन करवानो उद्गार
(२) स्त्री० अग्निनी पत्नी स्वीकार पुं० [सं.] अंगीकार; मानवू के कबूल करवू-स्वीकार ते. -4 वि० स्वीकारवा जेवू [स्वीकार स्वीकृत वि० [सं.] स्वीकारेलु. -ति स्त्री० स्वेच्छा स्त्री० [सं.] मरजी; पोतानी
हंसी इच्छा. चार पुं० स्वच्छंद. ०सेवक पुं० स्वयंसेवक स्वेद पुं० [सं.] परसेवो [(२)स्वच्छंदी स्वर वि० [सं.] मनमोजीलं; मनपसंद स्वैरिणी स्त्री० [सं.] कुलटा स्त्री स्वैरी वि० [सं.] स्वैराचारी; स्वच्छंदी. -रिता स्त्री० स्वच्छंदता
ho
हॅक स्त्री० हांक; पोकार [बोलवू हंडा पुं० हांडो; देगडो हंकड़(-र)ना अ०क्रि० पडकारीने हंडिया, हंडी स्त्री० हांडी; हांल्ली हकराव,-वा पुं० होकारो; पोकारीने- हंत अ० [सं.] खेद, अफसोसनो उद्गार
हांक मारीने बोलावq ते (२) नोतरुं हंता पुं० [सं.] हणनार [खावो हॅकवा पुं० वाघने हांकाहांक करी । हॅफनि स्त्री० हांफ. -मिटाना=थाक शिकारी पासे लाववो ते
हंस पुं० [सं.] हंस पक्षी (२) सूर्य (३) हंकाई स्त्री० हांक ते के तेनी मजूरी जीवात्मा हंकाना सक्रि० हांक मारवी (२) हांकवं हसतामुखी पुं० हसमुखो आदमी हंकार स्त्री० होकारो; ताणीने बोलावयूँ हँसन स्त्री० हसवू ते; हास्य ते; बूम. -पड़ना=होकारो पडवो;हांक हँसना अ०क्रि० (२) सक्रि० हसवू वागवी
पडकार हसनि स्त्री० (प.) हसवू ते हंकार पुं० (प.) अहंकार (२) हंकार; हंसनी स्त्री० हंसणी; हंस मादा हंकारना सक्रि० जोरथी बोलाववू; हंसमुख वि० हसमुखं (२) विनोदी;
पोकारवू (२) आह्वान करवू टीखळी [ हाडकुं के घरेणुं हंकारना अ०क्रि० होकारो करवो; गर्जवं हसली स्त्री० गळानी हांसडी-ते नामनुं हंकारा पुं० होकारो (२) नोतरुं; आमंत्रण हँसाई (-य) स्त्री० हसवू ते (२) हांसी हंगाम पुं० [फा.] वखत; मोसम (२) । हँसाना सक्रि० हसाव
जुओ 'हंगामा' [(२) भीड हँसाय स्त्री० (प.) जुओ 'हँसाई' हंगामा पुं० [फा.] हंगामो; हल्लो; तोफान हंसिनी स्त्री० हंसणी; हंसी हजार पुं० [फा.] मार्ग (२) ढंग; रीत हँसिया स्त्री० दातरडं हंटर पुं० [इ.] एक जातनी चाबुक. हंसी स्त्री० [सं.] हंस मादा
(-जमाना, -मारना, -लगाना) हंसी स्त्री० हास्य (२) हांसी. -छूटना= हंडल पं० 'हॅन्डल'; हाथो
हसवं आव
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हँसुआ ५५६
हजर हसुआ(-वा) पुं० जुओ 'हँसिया' हकीम पुं० [अ.] विद्वान; ज्ञानी (२) हँसोड़(-र) वि० हांसीखोर; मजाकी तबीब; युनानी वैद. -मी स्त्री० हंसो(-सौ)हाँ वि० हसमुख (२) हकीमन काम के विद्या हांसीखोर
हनीयत स्त्री० जुओ 'हक्कियत' हक पुं० हृदय धडकवू ते. ०वक वि० हक़ीर वि० [अ.] दुबळं (२) तुच्छ
चकित. ०बक वि० 'हक्का-बक्का' हकूक पुं० ब० व० [अ.] हको; हक़ (-क) वि० [अ.] हक; योग्य; अधिकारो वाजबी (२) साचुं (३) पुं० अधिकार हकूमत स्त्री० जुओ 'हुकूमत' (४) फरज (५) न्यायी के वाजबी
हक्क पुं० जुओ 'हक़' वात के पक्ष (६) खुदा
हक्का अ० [अ.] ईश्वरना सोगन हक़तलफ़ी स्त्री० [अ.] अन्याय
हक्कान पुं० [अ] हीरा पर जडावकाम हक़ताला पुं० [अ.] परमेश्वर; खुदा करनार हकदक वि० जुओ 'हक' मां । हक्कानी वि० [अ.] ईश्वर संबंधी (२) हकदार वि० [फा.] हकवाळू; अधिकारी ___ खुदा परस्त. -नि (नी)यत स्त्री० हक़नाहक अ० हकनाक; नाहक; वगर- अध्यात्म फांसु (२) फरजियात; बळजोरीथी हक्का-बक्का वि० गभरायेलं; चकित (३) पुं० न्यायान्याय; सत्यासत्य हक्कियत स्त्री० [अ.] हकदारी; हक - हकबक वि० जुओ 'हक' मां
अधिकार होवो ते हकबकाना अ०क्रि० गभरावं
हक्के-तस्नीफ़ पुं० [अ.+फा.] 'कॉपीराईट'; हकला (व्हा) वि० तोतडं बोलतुं
लेखकनो अधिकार हकलाना अ०क्रि० तोतडावू
हगना अ०क्रि० अघg; झाडे फरवू हकलाहा वि० जुओ 'हकला'
हगास स्त्री० अघवानी हाजत; अघण. हक़श (-शु)फ़ा पुं० [अ.] कोई जमीन -लगना = हाजत थवी जायदाद वेचाण पर होय तो तेने । हगोड़ा वि० वारे वारे अघतुं खरीदवानो पहेलो हक कोईने होवो ते हचकना अ०क्रि० आंचको, उछाळो, हक-शिनासी वि० [फा.] कदरदान (२)
हेल्लो इ० लागवं न्यायी (३) आस्तिक (नाम, -सी) हचका, हचकोला पुं० आंचको; धक्को; हनशुफ़ा पुं० [अ.] जुओ ‘हक़शफ़ा' उछाळो (गाडी खाटलो वगेरेमां बेसतां हकारत स्त्री० [अ.] घृणा (२) बेआबरू ___ लागे छे ते) हक़ीक़त स्त्री० [अ.] हकीकत; असल हज पं० मक्कानी हज के साची वात; तथ्य
हज पुं० [अ.] सद्भाग्य (२) खुशी (३) हकीकतन् [अ.,हक़ीक़तमें अ० वस्तुताए; __ मजा; लहेजत
खरु जोतां [सगुं; पोतानुं __हजम पुं० (२) वि० जुओ 'हज्म' हकीक़ी वि० [अ.] असली; मूळ (२) हजर पुं० [अ.] पथ्थर
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हजरत
हड़बड़िया हजरत पुं० [अ.] महात्मा के महापुरुष ____ हटना अ०कि० हठवू; खसवू माटे संबोधन (२) (व्यंग्यमां) दुष्ट हटवा पुं० हाटवाळो; दुकानदार के पाजी माणस. ०सलामत पुं० [अ.] हटवाई स्त्री० (प.)दुकानदारी बादशाहनु 'हुजूर' जेवं संबोधन हटवार पुं० (प.) दुकानदार हजरे-असवद पुं० [अ.] काबानो पथ्थर हटाना सक्रि० हठाववं हजा स० [अ.] आ; 'यह'
हट्ट पुं० [सं.] हाट; बजार हजाब पुं० जुओ 'हिजाब'
हट्टा-कट्टा वि० हृष्टपुष्ट; स्थूल हजा (-ज्जा)म पुं० जुओ ‘हज्जाम' हट्टी स्त्री० दुकान हजामत स्त्री० [अ.] मूंडावq ते. -बनाना हठ पुं० [सं.] हठ; जिद्द हजामत करवी (२) [ला.] लूटq (३) हठना अ०क्रि० (प.) हठ करवी (२) मारवं झूडवू
दृढ प्रतिज्ञा लेवी हजार वि॰ [फा.] हजार; १००० (२) हठी (०ला) वि० हठीलं; जिद्दी (२)
हजारो; अनेक (३) अ० गमे तेटलं दृढप्रतिज्ञ; टेकील हजार-पा पुं० [फा.] कानखजूरो हड़ स्त्री० हरड हजारहा वि० [फा.] हजारो; बहु ज हड़कंप पुं० खळभळाट हजारा पुं० [फा. हजारीगोटो (२) फुवारो हड़क स्त्री० हडकवा (वि० -हड़काया) हजारी पुं० [फा.] हजार सिपाईनो -उठना-हडकवा लागवो नायक-सरदार. ०बजारी वि० सर्व- हड़कना अ० क्रि० हडकवा लागवो; साधारण; मामूली
कशा माटे खूब तलस हजीमत स्त्री० [अ.] हार; पराजय हड़काना सक्रि० हडकायुं के रघवायु हजूम पुं० जुओ 'हुजूम'
के आतुर करवू; तरसावq हजूर पुं० हजूर (जुओ 'हुजूर') हड़गाया वि० हडकायुं एक पक्षी हजूरी पुं० हजूरियो; अनुचर (२) वि० हड़गिल्ल, हड़गीला पुं० (बगला जेवू) हजूर-दरबारने लगतुं
हड़ताल स्त्री० पाकी हजो स्त्री० [अ.] निंदा
हड़प वि० गब दईने खाधेलु के गेब हज्ज पुं० [अ.] हज; मक्कानी यात्रा करेलु. -करना हजम करी जवू; हज्जाम पुं० [अ.] हजाम (नाम,-मी) उडावी जदूं।
करना' हल्म वि० [अ.] हजम; पचेलं (२) पुं० हड़पना सक्रि० हप करी जवू; 'हड़प पाचन; हजमियत
हड़फूटन स्त्री० हाडकांमां थतुं कळतर हट (-3) स्त्री० हठ; जिद्द
हड़बड़ स्त्री० उतावळनो रघवाट हटक, न स्त्री० मनाई; रुकावट हड़बड़ाना अ०क्रि० हडबडवू; उतावळ हटकना स० कि० अटकावq; रोक; करवी; रघवावं (२) सक्रि० उतावळ मना करवी
करवा कहेवं हट (-1)ताल स्त्री० हडताल; पाकी हड़बड़िया वि० उतावळियु; रघवाटियु
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हड़बड़ी
हड़बड़ी स्त्री० जुओ 'हड़बड़ ' हड़ावरि, -ल स्त्री० ( प. ) हाडकानी माळके माळ
५५८
हड्डा पुं० भमरी; 'बरं'
O
est स्त्री० हाडकुं (२) (ला.) कुळ; खानदान. - उखड़ना = हाडकुं ऊतरी जवुं हत वि० [सं.] हणायेलुं; घायल हतक, हतक-इज्जती स्त्री० बेआबरू; मानभंग; बदनक्षी
हतना स०क्रि० ( प. ) हणवुं; मारवु हता अ० क्रि० (प.) हतुं ('होना' नो भूतकाळ) हताश वि० [सं.] निराश; नाउमेद हत्ता अ० [अ] त्यां सुधी; एटली हदे के हत्थ पुं० ( प. ) हाथ
हत्था पुं० हाथो; दस्तो (२) केळांनु घोड. - मारना = हाथ मारवो; चोरवु हत्थि पुं० ( प. ) हाथी हत्थी स्त्री० हाथो; दस्तो
हत्थे अ० हाथमां. -चढ़ना = हाथमां आव; हाथे चढवुं [पंचात ; झघडो हत्या स्त्री० [ सं . ] खून; घात; वध ( २ ) हत्यारा पुं० हत्यारो [घातकी हत्यारी स्त्री० हत्यानुं पाप ( २ ) वि० स्त्री० हथ पुं० समासमा वपरातुं 'हाथ' नुं रूप हथउधार पुं० जुओ 'हथफेर' अर्थ ३ हथकंडा पुं० हाथचालाकी हथकड़ी स्त्री० हाथकडी [एवं हथछूट वि० हाथनुं छूटुं -झट मारी बेसे हथनाल स्त्री० हाथी पर रखाती तोप हथनी स्त्री० हाथणी हथफेर पुं० वहालमा हाथ फेरववोपंपाळबुं ते (२) हाथ मारी जवानी चालाकी (३) थोडा दिवस माटे उचक लेवाती के देवाती रकम
हनोज
हथलेवा पुं० लग्ननो हस्तमेळाप हथवाँस पुं० नाव चलाववानो बधो
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सरसामान
हथवासना स०क्रि० कोई चीजनो प्रथम वापर शुरू करवो
हथसार स्त्री० हाथीखानुं; हस्तीशाळा हथिनी स्त्री० हाथणी
हथिया पुं० हाथियो; हस्त नक्षत्र हथियाना स०क्रि० हाथमां - कबजामां
लेवुं (२) हाथ मारी जवुं; उडावी लेवुं हथियार पुं० शस्त्र (२) ओजार बंद
वि० हथियार बंध; सशस्त्र हथेरी ( - ली ) स्त्री० हथेळी (२) टियानो हाथो
होटी स्त्री० हथोटी; हस्तकौशल्य ( २ ) कशामा हाथ नाखवो ते हथौड़ा पुं० हथोडो ( स्त्री० हथौड़ी) हद स्त्री० [ अ ] सीमा ( २ ) अंत.
• समाअत स्त्री० जुओ 'हद्दे समाअत ' हदफ़ पुं० [ अ ] निशान; लक्ष्य हदिया पुं० [ अ ] भेट; उपहार हदीस स्त्री० [ अ ] हजरत महमदनां वचनो तथा कार्यंनो संग्रह. - खींचना = सोगन खावा
हदूद स्त्री० [ अ ] 'हद्द' नुं ब०व० हद्द स्त्री० [अ०] हद; सीमा et समाअत स्त्री० [अ.] कचेरीमां दावो दाखल करी देवानी नक्की अवधि et सियासत स्त्री० [ अ ] न्यायाधीशना अधिकारनी हद
हनन पुं० [सं.] हणवुं ते; वध हनना स०क्रि० ( प. ) हणवुं; मारखुं हनु स्त्री० [सं.] दाढी; हडपची हनोज अ० [फा.] अत्यार सुधी
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हफ़-नज़र
हफ़ - नजर [फा.] श० प्र० = ईश्वर करे ने नजर न लागे
हफ़्त वि० [फा.] सप्त; सात हफ़्त - इक़लीम [फा. + अ.] स्त्री० साते देश; आखो संसार [ शनिवार हफ़्ता पुं० [फा.] हफ्तो; सप्ताह ( २ ) हफ़्ताद वि० [फा.] सत्तर; १७ हबकना अ०क्रि० करडवा के बचकुं भरवा मों फाडवु (२) स०क्रि० करडवु बन्न वि० [ अ ] मूर्ख; बेवकूफ हबर - द ( - ह ) बर अ० झटझट; जलदी हबश, -शा पुं० जुओ 'हब्श' -शी पुं० जुओ 'हब्शी'
हबीब पुं० [ अ ] मित्र ( २ ) प्रियजन हबूब पुं०ब०व० [अ.] दाणा (२) गोळीओ हब्बा पुं० [अ.] अनाजनो दाणो; कण (२) दाणा जेटलुं जराक; चपटी हब्बा- डब्बा पुं० उटांटियुं - एक बाळरोग हब्श पुं० [ अ ] आबिसीनिया देश हब्शी पुं० [ अ ] 'हब्श' देशनो रहेवासी; हबसी [ होवाथी थतो घाम
हब्स पुं० [अ.] केद; बन्धन ( २ ) पवन न हम स० अमे (२) आपणे (३) पुं० हमडी; अहंता (४) अ० [फा.] साथ (५) समान (समासमा उदा० हमदर्दी; हमदीन)
हम-असर वि० [फा.] समकालीन
- आग वि० [फा.] एकसाथे बधानी जोडे बोलनारुं (नाम, गी) हम उम्र वि० [फा.] समान उमरनुं हम-बम वि० [फा.] साथे चालनार; साथी हम - कलामी स्त्री० [फा.] वातचीत हम-चश्म वि० [फा.] सरखा दरज्जावाळं हमजिन्स वि० [फा.] सजातीय
५५९
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हमाक़त
हम - जुल्फ़ पुं० [फा.] साबु हमजोली पुं० समोवडियो; साथी हमदम पुं० [फा.] दिलोजान, घनिष्ठ मित्र हमदर्द पुं० [फा.] सहानुभूति राखनार. -दीं स्त्री० सहानुभूति
हम - नफ़्स, हम - नशीन वि० [फा.] साथी हम-निवाला वि० [फा.] साथ खानारपीनार [ जोडीदार
हम - पल्ला वि० [फा.] बरोबरियुं; हम-पाया वि० [फा.] बरोबरियुं; सरखा पदवाळु
हम पियाला वि० [फा.] एक प्याले पीनार; साथ खानारपीनार
हम- पेशा वि० [फा.] एक धंधावाळं हम - मकतब वि० [फा.] सहाध्यायी हमराह अ० [फा.] साथे; संगाथे हमल पुं० [अ.] हमेल; गर्भ हमला पुं० [ अ ] हुमलो (२) आघात;
प्रहार
हमला- आवर वि० [फा.] हुमलो करनाएं;
आक्रमणकारक
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हमवतन पुं० [फा.] देशबंधु; देशभाई हमवार वि० [फा.] सपाट; समतल हमशीर ( - रा ) स्त्री० [फा.] बहेन हम सबक़ पुं० [फा.] सहाध्यायी हमसर वि० [फा.] समान; जोडीदार; बरोबरियुं ( नाम, - री) हम - साज पुं० [फा.] मित्र हमसायगी स्त्री० [फा.] पडोशी होवु ते हमसाया पुं० [फा.] पाडोशी हम सिन वि० [फा.] समोवडियं हमहमी स्त्री० जुओ 'हमाहमी' हमा वि० [फा.] कुल; बधुं; पूरुं हमाक़त स्त्री० [ अ ] मूर्खता; अणसमज
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हमा-तन
५६०
हरबराना हमा-तन अ० पगथी माथा सुधी (२) हरगिज अ० [फा.]कदी; कदापि; हरगिज आखं; बधुं
हरचंद अ० [फा.] जोके; यद्यपि (२) हमाम पुं० जुओ 'हम्माम' [पराई अनेक वार हमाम-दस्ता पुं० हमामदस्तो; खांडणीहमारा स० अमाएं (२) आपणुं हरजाई वि० [फा. ज्यां त्यां भटकतुं हमाल पुं० जुओ 'हम्माल'
(२) स्त्री० कुलटा; भटकण स्त्री हमा-शुमा वि० [फा.] मारा तमारा हरजाना पुं० [फा.] नुकसाननी भरपाई जेवा सामान्य (लोक)
हरण पुं० [सं.] हरवू-लई लेवू ते (२) हमाहमी स्त्री० पोतपोताना स्वार्थनी (गणितमां)भागाकार खेंचताण; अहमहमिका
हरता-धरता पुं० कर्ताहर्ता; पूर्ण हमें स० 'हमको'; अमने (२) आपणने __ अधिकारी हमेल स्त्री० जुओ 'हुमेल'
हरताल स्त्री० एक उपधातु. -फेरना, हमेव पुं० (प.) अहम; अहंता -लगाना = खतम करवू; बगाडी नांखवू हमेशा अ० [फा. हमेशां (नाम, हमेशगी)
हरद,-दी स्त्री० हळदळ; 'हल्दी' हम्द स्त्री० [अ.] ईश्वरस्तुति
हर-दिल-अजीज वि० [फा.] हरेकने प्रिय; हम्माम पुं० [अ.] 'हमाम'; स्नानगृह;
सर्वप्रिय; लोकप्रिय नावणियु (२) गरम पाणीनो बंबो
हरना सक्रि० हरव; लई लेवं (२) हम्माल पुं० [अ.] 'हमाल'; कुली पुं० (प.) हर[; 'हिरन' हय पुं० [सं.] घोडो करवो
हरनी स्त्री० हरणी; मृगली । हयना स०कि० (प.) वध करवो; नाश हरफ़ पुं० 'हर्फ़'. (किसी पर)हया स्त्री० [अ.] लाज; शरम
आना=(कोई पर) एक अक्षर पण हयात स्त्री० [अ] हयाती (२) जिंदगी । आववो; कसूर नीकळवी. -उठाना= हयादार, हयामंद वि० [फा.] शरमवाळं;
अक्षर वांचतां आवडवू. -बनाना= लज्जाळु
सरस अक्षर काढवा (२) दस्तावेजमां हर पुं० [सं.] शिव (२) वि० (समासने कपटथी फेरफार करवो. -बैठाना =
अंते) हरनारुं (३) [फा. दरेक बीबां गोठववां हरकत स्त्री० [अ.] गति (२) चेष्टा; हरफ़गीर पुं० टीकाखोर; दोषदृष्टिवाळं वर्तन; व्यवहार (प्रायः अनि ट) (३) हरफ़गीरी स्त्री० खणखोद; टीकाखोरी; स्वर के तेनां झबर, झेर, पेश इ० चिह्न दोष देख्या करवा ते हरकारा पुं० [फा.] हलकारो; कासद हरफ़त स्त्री० जओ 'हिरफ़त' (२) टपाली
हर-फ़न-मोला पुं० हरेक काममा हरख पुं० (प.) हर्ष; आनंद. ०ना __ आवडतवाळो - होशियार [फळ अ०कि० हरखावं. -खाना अ०क्रि० हरफा रेवडी स्त्री० एक झाड के तेनुं हरखावं (२) सक्रि० हरखाववं हरबराना अ०क्रि० जुओ 'हड़बड़ाना'
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हरा
.
हरवा हरबा पुं० [अ.] हथियार; शस्त्रास्त्र (२) हरामी वि० व्यभिचारथी उत्पन्न (२)
चडाई; हुमलो पुं० अंधेर; अराजक हरामी; बदमास हरबोंग वि० गमार (२) मूर्ख; जडसु (३) । हरारत स्त्री० [अ.] गरमी (२) धीकडी; हरम पुं० [अ.] जनानो; अंतःपुर (२) जीर्ण ज्वर [आगलो भाग स्त्री० रखात (३) लंडी; दासी. खाना हरावल पुं० तु.] 'हरोल'; सेनानो पुं० जुओ 'हरमसरा'
हरास पुं० [फा. हिरास] डर; आशंका हरमजदगी स्त्री० हरामजादापणुं; (२) खेद; दुःख (३) निराशा दुष्टता; बदमाशी
खानुं हरासत स्त्री० जुओ 'हिरासत' हरमसरा स्त्री० [अ.] अंतःपुर; जनान- हरासाँ वि० जुओ 'हिरासाँ' लीलू हरवल स्त्री० खेडूतने उधार के उछीनी हरि पुं०[सं.] विष्णु (२) वांदरो (३)वि० - अपाती रकम (२) (प.) पुं० जुओ हरिआ(-या)ली स्त्री० हरियाळी (२) 'हरावल'
झाड, छोड इ० लीलोतरीनो विस्तृत हरवली स्त्री० सेनानी आगेवानी समूह. -सूझना = बधे आनंद आनंद हरवाह (-हा) पुं० खेडूत; 'हलवाह'. देखावो
-ही स्त्री० तेनुं काम के मजूरी हरिजन पुं० [सं.] प्रभुभक्त (२) अस्पृश्य हरसिंगार पारिजातकनुं झाड मनाती एवी जातिनो माणस हरहट, हरहा वि० हरायु
हरिण (-न) पुं० [सं.] हरण. -णी हरहाई वि० स्त्री० हराई (गाय) (-नी) स्त्री० हरणी हरा वि० लीलु (२) ताजु (३) काचुं हरित वि० [सं.] लीलु (२) पुं० लीलो रंग (फळ, दाणो इ०) (४) पुं० लीलो । हरिद्रा स्त्री० [सं.] हळदर रंग. -बारा = खोटी आशा आपती- हरिन पुं०, -नी स्त्री० जुओ अनुक्रमे खाली वात हारवं ते हरिण, -णी' हराई स्त्री० हळनो चास (२) हार; हरियाली स्त्री० जुओ 'हरिआली' हराभरा वि० लील; ताजु (२) हरियाळू हरिवासर पुं० [सं.] रविवार (२) हराम वि० [अ.] हराम; निषिद्ध (२) एकादशी पुं० निषिद्ध वस्तु (३) अधर्म; पाप हरि(-री)स स्त्री० [सं. हलीषा] हळनं (४) व्यभिचार. -करना-कशुं करवान लांबु लाकडं जेणे धूसरी बंधाय छे करण करी मकवं. -होना = मश्केल हरीकेन पुं० [इं.] एक जातनुं फानस थ, करनार (२) व्यभिचारी हरीतकी स्त्री० [सं.] हरडे हरामकार वि० [फा.] हराम कामहरीफ़ पुं० [अ.] शत्रु; सामावाडियो हरामखोर वि० [फा.] आळसु; हरामन हरीरा पुं० [अ.] राबडी जेवू एक पेय खानार (२) कृतघ्न
हरीस स्त्री० जुओ 'हरिस' (२) वि. हराम-जादा पुं० वर्णसंकर (२) हरामी; अ.] लालचु (३) ईर्षाळ बदमास (स्त्री० -दी)
हरुअ(-आ) वि० (प.) हलकुं हिं-३६
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हरुए ५६२
हलाकान हरुए अ० (प.) हळवे; धीमेथी के हलका पुं० [अ.] गोळाकार; वृत्त (२) चुपचाप
हरफो परिघ (३) मंडळ; समूह (४) गामोना हरूफ़ पुं० [अ. 'हर्फ़' नुं ब० व०] अक्षरो; खास समूह; गोळ [कंटाळेलु हरें,-रे अ० (प.) 'हरुए'; हळवे; धीमे हलकान वि० जुओ 'हैरान'; हलाक; हरेक वि० 'हरएक'; दरेक
हलकाना सक्रि० हेल्ले चडावq (२) हरो(-रौ)ल पुं० हरोल; जुओ 'हरावल' अ.क्रि० हलकुं थर्बु हर्ज पुं० [अ.] अडचण; विघ्न (२) हानि; हलकारा पुं० जुओ 'हरकारा' नुकसान
हलकोरा पुं० हेलकारो; तरंग हर्जाना पुं० जुओ 'हरजाना'
हलचल स्त्री० खळभळ; उपद्रव.-पड़ना, हर्ता पुं० [सं.] हरनार [अव्यय -मचना-धांधळ मचवी; खळभळवू हर्फ़ पुं० [अ.] हरफ; अक्षर (२) नामयोगी
हलद-हात स्त्री० पीठी चोळवानो हर्फ़गीर वि० दोषदर्शी [अक्षर विवाहनो विधि हर्फ़-ब-हर्फ़ अ० [अ.] अक्षरशः; अक्षरे- हलदिया पुं० कमळानो रोग हर्ब स्त्री० [अ.लडाई
हलदी स्त्री० हळदर. -उठना, -चढ़ना हर्र (-) स्त्री० हरड
=पीठी चढवी.-लगना= विवाह थवो. हर्रा पुं० मोटी हरड
-लगे न फिटकरी=मफत; वगर खरचे हर्राफ़ वि० [अ.] पाकुं; चालाक; पहोंचेल हलफ़ पुं० [अ.] कसम; सोगन. -उठाना हरे स्त्री० हरडे हरखायेलं; राजी =सोगन खावा हर्ष पुं० [सं.] आनंद; हरख. -षित वि० हलफ़न् अ० [अ.] सोगनथी हल पुं० [सं.] हल
हलफा पुं० लहेर; मोज; हेलारो हल पुं० [अ.] उकेल; फैसलो. -करना =
हलफ़ी वि० [फा. सोगनपूर्वक फैसलो करवो; उकेलq (२) भळे के
हलब (-भ)ल स्त्री० जुओ 'हलचल' मळी जाय एम करवू. -होना= हलराना स०कि० (बाळकने) हाथ पर उकेलाएँ (२) भळवू; मळी जवू . __ लई झुलावq हलकंप पुं० हिलचाल; आंदोलन हलवा पुं० [अ.] शीरो. हलवे मांडेसे (२) खळभळाट
काम = केवळ पोतानी मतलब हलक पुं० हलक; कंठ; गळं.-के नीचे हलवाई पुं० [अ.] कंदोई (स्त्री० -इन) उतरना= पेटमा जर्बु (२) गळे ऊतरवू; हलवाह (-हा) पुं० [सं.] हळजोडु; खेडूत समजावू
हलहलाना सक्रि० जोरथी हलाववू; हलकई स्त्री० हलकाश; हलकापणुं (२) हचमचाव वि० नीचापणुं; वट के शोभाने हानि हलाक वि० [अ.] मरेलु (२) थाकेलं हलकना अक्रि० हेलारे चडवू; लहेरो (३) नाश पामेलु [नाश
खावी हलकुं पाडवू; अपमानवू हलाकत, हलाको स्त्री० [अ.] मोत (२) हलका वि० हलकुं (२) नीचुं. -करना= हलाकान वि० जुओ 'हलकान'
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हलाकानी
हलाकानी स्त्री० हेरानगत; 'परेशानी' हलाकी ( - कू) वि० मारो; घातक; अत्याचारी
५६३
हला-भला पुं० तोड; निकाल हलाल वि० [अ.] कुरानथी विहित ( २ ) पुं० खावा माटे विहित पशु (३) बीजनो चन्द्र. - करना = झबे करवु; हणवु हलाल का वि० 'हरामनुं' थी ऊलटु; वाजबी रीते मेळवेलुं के मळेलु हलालखोर पुं० प्रामाणिकताथी महेनत - मजूरी करनार (२) भंगी
हलीम वि० [अ.] सहनशील; शांत (२) पुं० मोहरममा करातुं एक मांसनुं भोजन हली ( -ले) सा पुं० हलेसुं; 'चप्पू' हलूक स्त्री० 'हुलकी'; ऊलक हलोरना स०क्रि० हेलारे चडाववुं (२) ऊपणवुं (३) संघरवुं; एक कर हलोरा पुं० हेलारो; मोजूं; 'हिलोरा' हल्क़ पुं० [अ.] गळं; (२) गरदन हल्द, -ल्दी स्त्री० जुओ 'हलदी'. ० हात स्त्री० जुओ 'हलद- हात' हल्ला पुं० शोर; कोलाहल (२) लडाईनी हाक (३) हल्ली हुमलो
हवन पुं० [सं.] होम; यज्ञ हवन वि० जुओ 'हबन्नक' हवलदार पुं० हवालदार [तृष्णा हवस स्त्री० [फा.] लालच (२) इच्छा; हवा स्त्री० [ अ ] हवा; वायु (२) भूतप्रेत (३) आंट; शाख (४) इच्छा; चाह (५) वासना - उखड़ना = शाख जवी. - उड़ना = खबर फेलावी. -करना = पंखो नांखवो. बंधना = नामना थवी (२) शाख होवी. बताना = उडावी देवु टाळवं; डिंगो बताववो.
हवि
- बिगड़ना = चेपी रोग फेलावो (२) चाल बगडवो के खराब विचार फेलावा. ( किसीकी) - लगना = संगनो प्रभाव पडवो. - हो जाना = झट जता रहेवुं; ऊडी जवुं
t
हवाई वि० हवानुं, हवा संबंधी ( २ ) तरंगी; अध्धर (३) स्त्री० एक दारूस्वानुं . ( मुँह पर ) हवाइयाँ उड़ना = चहेरो फीको पडी जवो हवाई अड्डा पुं० विमानमथक; ॲरोड्रोम हवाई जहाज पुं० विमान; अॅरोप्लेन हवाखोरी स्त्री०हवा खावा जवं ते; सहेल हवागीर पुं० दारूखानुं बनावनार हवाचक्की स्त्री० पवनचक्की हवादान पुं० हवा आववा रखाती जाळी हवादार वि० [फा.] हवावाळं; खुल्लुं (२) इच्छावाळं (३) प्रेमी वापरस्त वि० [ अ. +फा.] इंद्रियारामी हवापानी पुं० आबोहवा हवारी पुं० [ अ ] ईशुना (बार) साथी हवाल पुं० हाल; दशा ( २ ) खबर: हेवाल हवालदार पुं० (अमुक दरज्जानो) फोजी पोलीस सिपाई
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हवाला पुं० [अ.] साबिती; प्रमाण ( २ ) उदाहरण; दाखलो (३) हवालो; सुपरत हवालात स्त्री० [ अ ] हवाले करवुं ते (२) काची केद; हाजतमां राखवुं ते के तेनी जेल
हवाली स्त्री० [ अ ] आसपासनी जगा हवास पुं० [ अ ] इंद्रियो (२) होश; भान. - गुम होना = होशकोश ऊडी जवा हवास- बाखता वि० [अ. +फा.] जुओ 'हक्का बक्का'
हवि पुं० [सं.] यज्ञनी - हवननी सामग्री
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हवेली
हवेली स्त्री० [अ.] हवेली (२) स्त्री; पत्नी हव्वा स्त्री० [अ.] बावा आदमनी स्त्री; 'Eve' (२) पुं० हाउ [वैभव हशमत स्त्री० [अ.] गौरव; मोटाई (२) हशर पुं० जुओ 'हश्र '
हश्त वि० अष्ट; आठ हश्तुम वि० आठमुं
ह पुं० [ अ ] कयामतनो दिन; हशर (२) शोक; आक्रंद (३) शोरबकोर हरशाशवि० [ अ ] खूब प्रसन्न ; राजी.
५६४
- बश्शाश = खूब खुश हसद पुं० [ अ ] ईर्षा; झेर हसन पुं० [सं.] हसवुं ते (२) हांसी; विनोद सब पुं० [ अ ] 'नसब' थी ऊलटं (मातृपक्षनुं ) कुळ; वंश [खानदान हसब - नसब पुं० [ अ ] माबापनं कुळहसरत स्त्री० जुओ 'हस्रत' हसीन वि० [अ.] सुंदर; खूबसूरत हसूल पुं० जुओ 'हुसूल' हस्त पुं० [सं.] हाथ (२) सूंढ (३) एक [(२) जिंदगी हस्त ( - स्ती) स्त्री० [फा.] हस्ती; हयाती हस्तक्षेप पुं० [सं.] दखल हस्तगत वि० [ सं . ] हाथ मां आवेलं; मळेलं हस्ताक्षर पुं० [सं.] दस्कत; सही हस्तामलक पुं० [सं.] मेळववं; हस्तगत करवुं सहेलुं ते
नक्षत्र
हस्ती स्त्री० [फा.] जुओ 'हस्त' ( २ ) पुं० [सं.] हाथी
हस्ते अ० द्वारा; मारफत हस्व अ० [ अ ] अनुसार; प्रमाणे हस्रत स्त्री० [ अ ] हसरत ; शोक; अप्राप्तिनुं दुःख (२) कामना; लालच हर स्त्री० कंपारी (२) डर
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हाजमा
हहरना अ० क्रि० कांपवु ; थथरवुं (२) डरवुं (३) चोंकवुं (४) अदेखाई करवी हाँ अ० हा. - करना = हा कहेवी ( २ ) संमत थ. - में हाँ मिलाना = हाजियो भणवो; हाजी हा करवु हाँक स्त्री० हांक; बोलाववा माटे बूम. - देना, मारना, लगाना = हांक मारवी. - पुकार कर कहना = बधा सामे भय संकोच वगर कहेवुं
हाँकना स०क्रि० हing (२) हांक मारवी हाँगा पुं० हांजा; शरीरनी ताकात ( २ ) जबरदस्ती. - छूटना - हांजा वछूटवा; कमजोर के नाहिंमत थई जवुं हाँगी स्त्री० 'हामी'; हा; संमति - भरना = हा पाडवी
हाँड़ी स्त्री० हांल्ली (२) दीवानी हांडी हाँप ( - फ) ना अ० क्रि० हांफ हाँफा पुं०, फी स्त्री० हांफ हाँसी स्त्री० 'हँसी'; हास्य (२) हांसी हाइड्रोजन पुं० [इं.] एक वायु
फन पुं० [.] एक विरामचिह्न ( - ) हाई स्त्री० दशा; हाल (२) ढंग; रीत (३) वि० [इं.] ऊंचं; मोटं. (दा० त० हाई कोर्ट पुं०, -स्कूल पुं०) हाऊ पुं० हाउ; 'हौवा' हाकिम पुं० [ अ ] हाकेम; अमलदार हामी वि० (२) स्त्री० हाकेमी; हकूमत हाजत स्त्री० [ अ ] हाजत; जरूर ; ( २ ) चाह (३) पहेरो; केद; 'हवालात '. - में देना या रखना = पहेरामा राखबुं हाजती स्त्री० पेशाबपाणी माटे रोगी पासे रखातुं वासण ( २ ) वि० हाजतवाळं [पाचनक्रिया हाजमा पुं० [ अ ] पाचनशक्ति के
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हाज़ा
हाजा स० [ अ ] आ; 'यह' हाजिम वि० [ अ ] पाचक; पचावे एवं हाजिर वि० [अ.] हाजर; उपस्थित (२) हयात विद्यमान (३) (व्या) बीजो (पुरुष) [ ( नाम, बी) हाजिर-जवाब वि० [अ.] हाजरजवाबी. हाजिरी स्त्री० [अ.] हाजरी (२) बपोरनी हाजरी - नास्तो [ आवेल हाजी पुं० [फा.] हज करनार के करी हाट स्त्री० हाट; बजार के दुकान. - करना = दुकान काढवी (२) बजार करवा जे
हाटक पुं० [सं.] सोनुं (२) वि० सोनेरी हाड़ पुं० हाडकुं
हाता पुं० [ अ. इहातः ] वाडो; आंगणुं (२) प्रांत; 'सूबा' (३) सीमा (४) वि० (स्त्री० - ती ) ( प. ) अलग; दूर करेलुं हातिम पुं० [ अ ] चतुर आदमी ( २ ) उस्ताद; तज्ज्ञ (३) हातिमताई के तेना जेवो दानी [ (३) हाथो हाथ पुं० शरीरनो हाथ (२) दाव (रमतनो) हाथपाँव फूलना=डर के शोकथी गभरा हाथपान पुं० हाथपहोंचियुं - एक घरेणुं हाथा पुं० हाथो (२) हाथनो थापो हाथापाई, हाथाबाही स्त्री० हाथपगथी
मारामारी; धोलधापट
हाथी पुं० गज हस्ती; हाथी हाथीखाना पुं० हाथीखान् हाथीपांव पुं० हाथीपगानो रोग हाथीवान पुं० महावत हाथोंहाथ अ० हाथोहाथ ( २ ) जोत
जोता मां. - लेना = बहु आदरमान करवु हाव ( - दि) सा पुं० [अ. हादिसा] दुर्घटना; आपत्ति ( २ ) अकस्मात
५६५
हालडोल
हाविस वि० [ अ ] नवं- (२) नश्वर हाविसा पुं० [अ] जुओ 'हादसा' हादी पुं० [ अ ] नेता; मार्गदर्शक हानि स्त्री० [ सं . ] नुकसान (२) नाश हाफ़िज पुं० [ अ ] कुरान कंठस्थ होय एवो मुसलमान हाफ़िजा पुं० [ अ ] स्मरणशक्ति हामिद वि० [ अ ] प्रशंसक; गुणगान
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करनार
हामिल वि० [ अ ] हमाल; बोजो ऊंचकनार के वही जनार [वती हामिला वि० [अ.] स्त्री० भारेवाई; गर्भहामी स्त्री० हा; स्वीकार ( २ ) वि० [ अ ] हिमायती; समर्थक - भरना = हा पाडवी; स्वीकारव
हाय स्त्री० दु:ख के पीडा (२) अ० तेनो उद्गार [-देना हराववं हार स्त्री० पराजय. -खाना = हारवुं. हारना अ० क्रि० हारवं; पार्छु पडबुं हारमोनियम पुं० [इं.] पेटीवाजुं हारसिंगार पुं० जुओ 'हरसिंगार' हारे दर्जे अ० विवश - लाचार थईने हार्द पुं० [सं.] प्रेम; दया (२) मर्म (३) वि० हृदय संबंधी हार्दिक वि० [ सं . ] हृदय संबंधी; दिली हाल स्त्री० हालवुं ते; हलन ( २ ) पुं० पैडानी लोढानी वाट (३) [इं.] हॉल हाल पुं० [ अ ] हाल; दशा (२) खबर; समाचार ( ३ ) विवरण; वर्णन ( ४ ) कथा; चरित्र ( ५ ) ( व्या.) वर्तमान काळ (६) ईश्वरमा तल्लीनता ( ७ ) अ० हाल; हमणां
हालका वि० नवुं; ताजु; हालनुं हालडोल पुं० हालवुं ते (२) हिलचाल
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हालत
५६६
hiineinteilij intuiti
हिन हालत स्त्री० [अ.] दशा;हालत;परिस्थिति हाहाकार पुं० [सं.] (शोक, जुलम हालमें अ० थोडा वखतथी; हालमां इ० नी लागणीथी) हाहा करवं ते हालरा पुं० हींचोळो के हीचको हाहाठीठी, हाहाहीही स्त्री० हाहाहीही हालांकि अ० [फा.] जोके; यद्यपि हाही स्त्री० कांई मेळववा हाय हाय हाला पुं० [अ.] कुंडळ; वर्तुल (२) चंद्रनी करवं ते. -पड़ना= हाय हाय थवी चारेकोर देखातो गोळ (३) स्त्री० हाहू पुं० हाहो; शोर [सं.] दारू
समाचार । हिकरना अ० क्रि० हणहणवू हालात पुं० [अ.] 'हाल' न ब०व०; हिकार पुं० वाछडाने बोलाववा गाय हालाहल पुं० हळाहळ; झेर
बांगरडे ते के वाघनो अवाज हाली अ० [अ.] जलदी; तरत (२) वि० हिंग, -गु [सं.] पुं० हींग के तेनुं झाड
हालन; वर्तमान (३)पुं० चलणी नाणुं हिंडोरा (प.),-ल, -ला पुं० हिंडोळो हाव पुं० [सं.] चेष्टा; नखरं (शृंगारन) (२) पारj (३) चगडोळ हावन स्त्री० [फा.] लोढानी खांडणी हिंदवाना पुं० तडबूच हावन-दस्ता पुं० [फा.] खांडणी पराई; हिंदवी स्त्री० [फा.] हिंदीभाषा 'हमामदस्ता'
हिंदसा पुं० [अ.] गणित (२) रेखागणित हाव-भाव पुं० [सं.] चेष्टा; नखरां (३) रकम; संख्या (४)(ब०व०)आंक हावला-बावला वि० हावरु बावरु; घेलुं हिंदी वि० [फा.] हिंदन के तेने लगत हावी वि० [अ.] कुशळ; दक्ष (२) बधी (२) पुं० हिंदनो वतनी (३) स्त्री० तरफथी वशमां राखनालं
हिंदी भाषा हाशिया पुं० [अ.] कोर; धार (२) गोट; हिन्दुस्तानी वि० [फा.] जुओ 'हिंदी' मगजी (३) हांसियाम करेली नोंध. हिंदू पुं० हिंदु -चढ़ाना = मरचुं मीठु भमराव; । हिंदोल पुं० [सं.] हिंडोळो (२) एक राग रसिक करवा वातने वधारवी हिंदोस्तान पुं० [फा. हिंदुस्तान हास पुं० [सं.] हास्य (२) उपहास; मजाक हिमत स्त्री० 'हिम्मत'; बहादुरी; धैर्य. हासिद वि०[अ.] 'हसद'-ईर्षा करनारु -पड़ना=हिंमत होवी हासिल वि० (२) पुं० [अ.] हांसल; हिमती वि० हिंमतवान मळेलु; लाभ (३) वद्दी (गणितमां) । हिंयाँ अ० (प.) अहीं; 'यहाँ हासिल कलाम अ० [अ. सारांश के; हिंव,-वार पुं० हिम; बरफ तात्पर्य के
हिंस स्त्री० (प.) घोडानो हणहणाट हासिल-जमा पुं० [अ.] सरवाळो हिंसक वि० [सं.] घातक; हिंसावाळं हासिल-जर्ब पुं० [अ.] गुणाकार; गुणनफल हिंसना अ०क्रि० (प.) हणहणवू (२) हासिल-तकसीम पुं० [अ.] भागाकार सक्रि० हिंसा करवी; मार, हास्य पुं० [सं.] हसवू ते (२) मजाक हिंसा स्त्री० [सं.] घात; वध; नाश (३) वि० हसवा जेवू; हास्यजनक हिंस्र वि० [सं.] हिंसक
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हिअ ५६७
हिरफ़त हिअ (-आ) पुं० 'हिय'; हृदय हिदायत स्त्री० [अ.] शिखामण (२) हिकमत स्त्री० [अ.] विद्या; कळा (२) आदेश; आज्ञा ।
हिकमत:युक्ति(३)हकीमी; युनानीवैदक हिनहिनाना अ०क्रि० हणहणवू हिकमत-अमली स्त्री० [अ.] चालाकी; हिना स्त्री० [अ.] मेंदी होशियारी (२) कूटनीति
हिनाई वि० [अ.] हिनाना-मेंदीना रंगनुं; हिकमती वि० हिकमतवाळं
लाल (२) मेंदीवाळू देखरेख हिकायत स्त्री० [अ.] कहाणी; वात
हिफ़ाजत स्त्री० [अ.] जाळवणी; संभाळ; हिकारत स्त्री० जुओ ‘हक़ारत' हिफ़्ज़ अ० [अ.] कंठस्थ; मोढे (२) पुं० हिक्का स्त्री० [सं.] हेडकी
हिफाजत; संभाळ (२) अदब हिचक स्त्री० आनाकानी; घडभांज; हिफ़्जे-सेहत पुं० [अ.] स्वार यनी रक्षा खमचावं ते
हिब्बा पुं० [अ.] इनाम (२) दान हिचकना, हिचकिचाना अ० क्रि० हिम पुं० [सं.] बरफ (२) ठंडी के तेनी ऋतु
अचकावू; आनाकानी करवी (२) (३) चंद्र (४) चंदन. ० उपल, ०कण पुं० हेडकी आववी
करा [राखवानी वांसळी हिचकिचाहट स्त्री० जुओ 'हिचक' हिमयानी स्त्री० [अ.]रूपिया कमरे बांधी हिचकी स्त्री० हेडकी
हिमाकत स्त्री० [अ.] मूर्खता; बेवकूफी हिजड़ा,-रा पुं० हीजडो
हिमाद्रि पुं० [सं.] हिमालय हिजरी पुं० [अ.+फा.] वियोग; 'हिन' हिमामदस्ता पुं० हमामदस्तो; खांडणीहिजरी पुं० [अ.] मुसलमानी संवत पराई; 'हावनदस्ता' हिजाब पुं० [अ.] पडदो (२) शरम हिमायत स्त्री० [अ.] तरफदारी; पक्ष हिज्जे पुं० [अ.] जोडणी. -करना= करवो ते (२) रक्षण; वालीपणुं; वादविवाद के नुक्तेचीनी करवी. देखरेख (वि० -ती) [-ती' -पकड़ना= भूल काढवी
हिम्मत स्त्री०, ती वि० जुओ 'हिंमत, हिज्र पुं० [अ.] वियोग
हिय (-या,रा) पुं० हृदय; हैयु (२) हिज्र (-जर)त स्त्री० [अ.] हिजरत छाती.-हारना=हिंमत हार.हियेका हित पुं० [सं.] लाभ; फायदो (२) भलं अंधा हैयाफूटुं; मूर्ख; अज्ञान (३) मित्र (४) हेत (५) अ० –ने हियां अ० जुओ 'हिंयाँ माटे; सारुं हितकारी होवू हिया,व पुं० हिंमत; छाती हितवना अ०क्रि० (प.) हेत होवू; हिरण्य स्त्री० [सं.] सोनुं [जवू हिताई स्त्री० नातो; संबंध
हिरन पुं० हरण. -हो जाना= नासी हिताना अ०क्रि०(प.) जुओ 'हितवना' हिरनौटा पुं० हरण- बच्चुं हितेच्छु, हितैषी वि० [सं.] हित चाहनार; । हिरफ़त स्त्री० [अ.] हाथकारीगरी (२)
'हिती' [मित्र (३) संबंधी हुन्नरकळा (३) धंधोरोजगार (४) हिती (-तु,-तू) पुं० हितेच्छु (२) स्नेही; चालाकी (५) चालबाजी
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हिरमजी
हीरा-कसीस हिरमजी स्त्री० [अ.] लाल माटी; रंगी हिसका पुं० ईर्षा (२) देखादेखी इच्छा हिराना अ०क्रि० गेब थवं; खोवावं (२) थवी ते; स्पर्धा
मटवू; टळवू (३) सक्रि० भूली जq हिसका-हिसकी स्त्री० स्पर्धा हिरास स्त्री० [फा.] जुओ 'हरास' हिसाब पुं० [अ.] गणना (२) गणितनो हिरासत स्त्री० [अ.] चोकी; पहेरो दाखलो (३) नामु (४) रीत; ढंग (२) नजरकेद
(५) लेखं; ख्याल हिरासाँ वि० [फा. भयभीत (२) निराश । हिसाब-किताब पुं० [अ.] हिसाबकिताब; हिर्फ़त स्त्री० जुओ 'हिरफ़त'
आवक खरचनो हिसाब (२) ढंग; हिर्स स्त्री० [अ.] लालच; लोभ (२) चाल; वर्तन इच्छानो आवेग (३) स्पर्धा. -करना, हिसाब-बही स्त्री० नामानो चोपडो - छूटना = ललचावं
हिसाबी वि० हिसाबवाळं (२) हिसाब हिर्साहा वि०. लालचु [चडी जईने राखीने चालनारं किल्लो; गढ हिििहर्सी अ० देखादेखी; स्पर्धा पर। हिसार पुं० [अ.] शहेरनो कोट (२) हिर्सी वि० [फा. लालच मोजं हिस्सा पुं० [अ.] हिस्सो; भाग; अंग; अंश हिलकोर(-रा) पुं० हेलकारो; हेलारो; हिस्सा-रसद अ० [फा.] हिस्सा प्रमाणे हिलकोरना सक्रि० हेलकारो मारवो हिस्सेदार पुं० [फा.] भागियो; भागीदार हिलग स्त्री० संबंध (२) ओळख (३) हिहिनाना अ०क्रि० जुओ 'हिनहिनाना' प्रेम; मेळ
ही ग स्त्री० हिंग हिलगना अ०क्रि० टंगावं; लागी रहे होंस स्त्री० हिसारव; हींसारव;हणहणाट (२) फसावू; बाझवू (३) हळी जवु; ही सना अ०क्रि० हींसारवू; हणहणवू
ओळखावं (प्रेरक हिलगाना) ही अ० ज (२) (प) अ.क्रि० 'होना' नुं हिलना अ० कि० हालQ (२) हळवू;
भूतकाळ स्त्री० रूप (व्रज भाषा) गोठवू. -मिलना-हळवूमळवू
हीक स्त्री० हेडकी (२) सूक्ष्म दुर्गंध हिलाना सक्रि० हलावत; डोलाव होठना अ०क्रि० (प.) पासे जq (२) हिलाल पुं० [अ.] बीजनो चंद्र
पहोंच हिलोर,-रा-ल पुं० हिलोळो; हेलारो. हीन वि० [सं.] हीणु; नीच; हलकुं (२)
-लेना-हेलारा खावा [चडाववं रहित; विना- (३) त्यक्त हिलोरना सक्रि० हिलोळवं; हिलोळे हीन पुं० [अ.] समय; वखत हिलो (-ल्लो)ल पुं० जुओ हिलोर' हीन-हयात अ० [अ.] आजन्म; उमरभर हिल्म पुं० [अ.] सहनशीलता (२) नम्रता (२) स्त्री० जीवनकाल [०रा-या' हिल्लोल पुं० [सं.] जुओ 'हिलोर,-ल' हीय,रा,-या पुं० (प.) जुओ 'हिय, हिवंचल, हिवर पुं० 'हिंवार'; बरफ हीर पुं० हीरो [सं.] (२) हीर; सत्त्व; सार हिस स्त्री० [अ.] होश; भान (२) हीरा पुं० हीरो गति; चेष्टा
हीरा-कसीस पुं० हीराकसी
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हीलतन् हीलतन् अ० [अ.] युवितथी; बहानाथी; हुक्मी वि० [अ.] अचूक; अटल (२) छेतरीने
आज्ञाकारी (३) अ० सदा । होला पुं० [अ] बहान; मिष (२)निमित्त; हुचकी स्त्री० हेडकी; 'हिचकी' कारण. हवाला पुं० बहानुं
हुजरा पुं० [अ.] हुजरो; ओरडी (२) होला-गर,-बाज,-साज वि० चालाक; ___ मसीदनी एकांत ध्यान माटेनी ओरडी फरेबी; बहान काढनार
हुजूम पुं० [अ.] 'हजूम', भीड; 'मजमा' हीला-हवाला पुं० [अ.] बहानुं हुजूर पुं० [अ.] 'हजूर'-एवं संबोधन हुंकार पुं० हुंकारो; पडकार; गर्जना (२) हजूर; हाजरी; समक्षता (३) हुंकारना अ०क्रि० होकाटवु; ठपको देवो दरबार; कचेरी (२) हुंकारो करवो; गर्जवं
हुजूर-वाला पुं० [अ.] जनाब; श्रीमान हुंकारी स्त्री० हंकारो; हा कहेवू ते । हुजूरी पुं० [अ.] हजूरियो; नोकर (२) हुंडा भाड़ा पुं० महेसूल इ० बधुं आपीने दरबारी (३) वि० सरकारी; हजूरन माल पहोंचाडवानो ठेको
हुज्जत स्त्री० [अ.] खाली तर्कबाजी; हुँडार पुं० वरु
दलीलबाजी (२) झघडो; तकरार हुंडा (-डिया)वन स्त्री० हूंडियामण (वि० -ती) हुंडी स्त्री० हूंडी. -करना हूंडी लखवी हुड़कना अ.क्रि० टळवळवं; दुःखी थq; हु अ० (प.) 'भी'; पण; सौ. जेम के बीवं (बाळक एकल पडे तेथी) राम हु=राम पण
हुड़दंग पुं० धमाकडी; धांधल हुआना अ०कि० शियाळन बोलवू हुत अ०क्रि० (प.) हतुं (२) वि० [सं.] हुकुम पुं० हुकम
होमायेलं हुकूक पुं० [अ.] 'हक़' नुं ब०व०; जुओ हुताशन पुं० [सं.] अग्नि 'हकूक'
हुति (-ते) अ० (प.) द्वारा; थी (२) हुकूमत स्त्री० [अ.] हकूमत; सत्ता; शासन । तरफथी (त्रीजी ने पांचमी विभक्तिना हुक्का पुं० [अ.] हूको (तमाकुनो). ०पानी अर्थमां) हूकापाणीनो वहेवार; संबंध
हुदहुद पुं० [अ.] एक पक्षी हुक्काम पुं० [अ. 'हाकिम' नुं ब०व०] हुदूद स्त्री० [अ.] 'हदूद'; 'हद्द'नें ब० व० हाकेम - अमलदार - वर्ग
हुदूद-अरबा स्त्री० [अ.] चतुःसीमा; हुक्म पुं० [अ.] हुकम
चारे बाजूनी हद हुक्म-उदूली स्त्री० [अ.] हुकमनी । हुन पुं० [सं. हून] सोनामहोर (२) सोनुं अवगणना
[फरमान हुनर पुं० [फा.] हुन्नर; कारीगरी (२) हुक्म-नामा पुं० [अ.+फा.] हुकमनामु; कौशल; चातुरी (३) गुण [कुशल हुक्म-बरदार वि० [अ.+फा.] आज्ञाकारी हुनर-मंद वि० [फा.] हुन्नरी; कसबी; हुक्म-रॉ वि० [अ.+फा.] हुकम देनार; हुनूद पुं० [अ.]'हिंदू' नुं ब०व० [मरजी
हुब स्त्री० प्रेम (२) दोस्ती (३) इच्छा;
ना
शासक
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हेका
हुबाब हुबाब पुं० [अ.] 'हबूब'; परकोटो हूँठा पुं० [हि. हूँठ = साडा त्रण] ऊठांना हुब्ब पुं० [फा.] प्रेम; मैत्री; 'हब' आंक ते (३) गोद; टोक्या करवू ते हुब्बुलवतन, हुब्बे-वतन स्त्री० [अ.] हूँस स्त्री० ईर्षा (२) बुरी नजर लागवी देशप्रेम
हूँसना सक्रि० नजर लागे एम करवू; हुमक (-ग)ना अ.क्रि० ऊछळवू (२) टोकवं (२) टोकवं; 'कोसना'
छलंग मारवा पग पर जोर देवू हूक स्त्री० हृदयनी पीडा; शूळ हुमा स्त्री० [फा.] हुमा नामर्नु एक हूकना अ०क्रि० दुखवू (२) शूळ जेवी
काल्पनिक पक्षी [हुमायु बादशाह पीडाथी चोंकवृं हुमायूं वि० [फा.] शुभ; मुबारक (२)पुं० हूठा पुं० डिंगो; टिक्को. -देना= डिंगो हुमेल स्त्री० [अ. हमाइल] 'हमेल'; ___ करवो; टिक्को बताववो । सिक्का वगेरेनी गळानी एक माळा हूदा वि० [फा. वाजबी; ठीक हुरदंग (-गा) पुं० जुओ 'हुड़दंग' हूबहू अ० [अ.] आबेहूब; बिलकुल मळतुं हुरमत स्त्री० [अ.] मान; आबरू हूर स्त्री० [अ.] हरी; अप्सरा (२) वि० हुलकना अ०क्रि० ऊलक थवी; ओक खूब सुंदर हलकी स्त्री० ऊलक (२) कॉलेराहूल स्त्री० अणीदार कशुं भोंक-हुलावी हुलसना अ०क्रि० हूलवू; उल्लस (२) देवं ते (२) शूळ; पीडा । ऊलसवू; ऊभरावू; ऊमटQ हूलना सक्रि० हुलावी देवं; खोसवं हुलसी स्त्री० 'हुलास'; उल्लास; उमंग हूश वि० असभ्य; जंगली हुलास पुं० उल्लास (२) ऊलट (३) । हूहा स्त्री० होहा; शोरबकोर स्त्री० छींकणी
हृत वि० [सं.] हरायेलं; लई लीधेलं हुलिया पुं० [अ.] चहेरो; रूप; आकार हृदय पुं० [सं.] शरीरन हृदय (२) के तेनुं वर्णन. -कराना, -लिखाना = अंतःकरण; दिल पोलीसमां माणसनी ओळख माटे हृद्य वि० [सं.] प्रिय; गमतुं (२) हार्दिक; तेनुं वर्णन आपq दंगो दिली
जाडु; लठ्ठ हुल्लड़ पुं० हल्लो; होहा (२) तोफान; हृष्ट वि० [सं.] खुश; राजी. पुष्ट वि० हुवैदा वि० [फा.] स्पष्ट; जाहेर; 'रोशन' हू हू पुं० आग भडभड बळे तेनो अवाज हुश अ० चूप करवा माटेनो एक उद्गार हेगा पुं० 'पाटा'; समार (खेतीनो) हुस्न पुं० [अ.] उत्तमता; खूबी (२) हे अ० [सं.] हे एवो उद्गार ।
हुसन; कांति; खूबसूरती __ हेकड़ वि० हृष्टपुष्ट; स्थूल (२) जबलं हुस्ने-महफ़िल पुं० एक जातनो हुक्को (३) 'उदंड; उजड्ड' (नाम -डी) हूँ अ० हा (२) अ०क्रि० छु; 'होना' नुं हेच वि० [फा. नजीवं; पामर (२)
पहेला पुरुष- ए० व० नुं रूप नकामुं; असार (३) हिचकाएं हूँकना अ०क्रि० हुंकारो करवो; गर्जq हेचकारा वि० [फा.] नकामुं; निरर्थक (२) डूसकुं भरवू
हेठा वि० हेटुं; तुच्छ के नीचुं
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हेठी
हेठी स्त्री० हेठं पडवुं ते; मानहानि हेतु पुं० [सं.] इरादो प्रयोजन ( २ ) कारण. ०वाद पुं० तर्कविद्या (२) नास्तिकवाद हेत्वाभास पुं० [सं.] तर्कदोष हेमंत पुं० [सं.] छमांनी एक ऋतु हेम पुं० [सं.] सोनुं (२) हिम; बरफ हेय वि० [सं.] त्याज्य; खोटं; खराब हेरंब पुं० [सं.] गणपति
हेना स०क्रि० ( प. ) ढूंढवुं; खोळवुं (२) हेरवु; निहाळवं (३) समजवुं; विचारवं हेरना - फेरना स०क्रि० हेरफेर करवी;
बदल के अहनुं तहीं कर हेरफेर पुं० चक्कर (२) वात लांबी लांबी करवी ते (३) दावपेच (४) हेरफेर; फेरफार (अने आपले बेउ अर्थमा) हेराना स०क्रि० 'हेरना' नुं प्रेरक ( २ ) अ०क्रि० गेब थवु; न रहेवुं; अभाव होवो के नष्ट थवं (३) फीकुं के मंद
पडवुं ( ४ ) लीन - तन्मय थवुं हेराफेरी स्त्री० हेरफेर; अदलबदल हेल पुं० छाणां वगेरेनी हेल हेलना अ०क्रि० हांसीखेल करवा ( २ )
स०क्रि० हेलवु; अवगणवुं
हेलमेल पुं० मेळ; मित्राचारी (२) संग; साथ (३) परिचय
हेला पुं० हल्ला; चडाई (२) हेल्लो; धक्को (३) एक वार लई जवाय एटली खेप (४) भंगी (५) रु० [ सं . ] अवज्ञा ( ६ ) केलि; खेल
हेलिन, - नी स्त्री० भंगी स्त्री हेली स्त्री० ( प. ) हे अली ! (सखी) हैं अ० हें ! (२) अ०क्रि० 'होना' नं ब० व०, वर्तमानकाळनुं रूप हैंडिल पुं० [इं. ] 'हॅन्डल'; हाथो
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है अ०क्रि० 'होना' नुं ए० व०, वर्तमानकाळनं रूप
हैकड़ वि० जुओ 'हेकड़' हैकल स्त्री० [अ.] घोडाना गळानी माळा (२) तावीज (३) जुओ 'हुमेल' (४) चहेरो; सिकल
हैज पुं० [अ] स्त्रीनो रजोधर्म हैजा पुं० [अ.] कॉलेरा हैफ़ अ० [ अ ] हाय; अफसोस हैबत स्त्री० [ अ ] हेबत; हबक; धास्ती हैबत - जदा वि० [फा.] हेबताई गयेलु
- नाक वि० [फा.] भयंकर ; भीषण हैम वि० [सं.] सोनेरी; सोनानुं के ते संबंधी (२) वरफवाळं. ०वती स्त्री० पार्वती (२) गंगा हैयत स्त्री० [ अ ] खगोलविद्या हैरत स्त्री० [ अ ] हेरत; अचंबो हैरत अंगेज वि० [फा.] आश्चर्यकारक हैरान वि० [ अ ] हेरान; 'परेशान' ( २ ) आश्चर्यचकित ( नाम, नी) हैवान पुं० [ अ ] हेवान; पशु (२) गमार हैवानियत स्त्री० [ अ ] हेवानियत ; पशुता हैवानी वि० हेवान; पशु जेवुं; पाशव हैसर्बस पुं० [अ.] 'बहस'; विवाद; चर्चा हैसियत स्त्री० [अ] हेसियत; योग्यता;
शक्ति ( २ ) आर्थिक दशा; धनसंपत्ति (३) दरज्जो; कक्षा हों अ०क्रि० 'होना' नुं ब०व०, विध्यर्थ होंठ पुं० होठ. - काटना, -चबाना = होठ करडवा; क्रोध प्रगट करव हो अ० हे; अहो (२) अ०क्रि० होत; 'होना' नुं त्रीजो पुरुष, विध्यर्थ, के बीजो पुरुष, ब०व०, वर्तमानकाळनं
रूप
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होटल
होटल पुं० [इं.] होटेल; वीशी के नास्तापाणीनी दुकान
होड़ स्त्री० होड; शरत ( २ ) स्पर्धा (३) हठ. - बदना, —लगना = होड बकवी होड़ाबादी, होड़ाहोड़ी स्त्री० चडसा
चडसी; होड होतब ( - ब्य) पुं०, -ब्यता स्त्री० ( प. ) थनाएं; भावी; 'होनहार'
होता पुं० [ सं . ] हवन करनार; पुरोहित होनहार वि० होनार ; भावी (२) श्रेष्ठ नीवडनारुं; सारां लक्षणवाळं (३) पुं० भावी; नियत
=
होना अ०क्रि० होवु; थवुं होकर रहना: जरूर थवु. हो बैठना = थई पडवु; बनी बेसवुं (२) स्त्रीनं दूर बेसवुं होनी स्त्री० पेदाश; उत्पत्ति (२) हाल; वृत्तांत (३) भावी के संभवित घटना होम पुं० [ सं . ] हवन यज्ञ होमना स०क्रि० होमवं; यज्ञमां नाखवं होरसा पुं० ओरसियो होरहा पुं० चणानो छोड के पोपटो होरा ( -ला) पुं० [ सं . होलक] चणानो ओळो (२) 'होरहा'; पोपटो होरिल पुं० तरत जन्मेलुं बाळक होरी, -ली स्त्री० जुओ 'होली' होला स्त्री० ( शीखोनी) होळी (२) पुं० जुओ 'होरा'
होली, -लिका [सं.] स्त्री० होळी के तेनुं गीत
होल्ड-ऑल पुं० [इं. ] 'होल्डॉल' - बिस्तरो होल्डर पुं० [इं.] कलम होश पुं० [फा.] होश ; चेतन (२) याद; सूधबूध (३) समज की दवा करना - होश ठेकाणे आणवा. -दंग होना =
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हौसला
आश्चर्यथी दंग थवं. - दिलाना = याद देवडाववुं
होशमंद वि० [फा.] समजदार होश (०व) हवास पुं० [ फा . +अ . ] होशकोश होशियार वि० [ अ ] समजु; चालाक; अकलवाळं (२) सावध; सजाग (नाम, -री स्त्री० )
होस्टल पुं० [इं. ] 'हॉस्टेल'; छात्रालय हौं अ०क्रि० छं; 'होना' नुं पहेलो पुरुष, ए०व०, वर्तमानकाळनं रूप (२) स० (व्रज) हुं
ही अ०क्रि० छे; 'होना' नुं बीजो पुरुष, ए० व०, वर्तमानकाळनुं रूप हौआ ( - वा) पुं० हाउ; 'हव्वा' हौज ( - द ) पुं० [ अ. हौज़ ] होज हौदा पुं० होद्दो; अंबाडी हौल पुं० [ अ ] डर; दहेरात. - पैठना, - बैठना = दहशत लागवी; डर पेसवो हौलजौल पुं० उतावळ के तेथी थतो रघवाट के गभराट
हौल-दिल पुं० [फा.] दिल धडकवुं ते के तेनो रोग (२) वि० डरी गयेलुं के डरपोक (३) गभरायेलुं; व्याकुळ हौल-दिला वि० 'हौलदिल'; डरपोक के गरायेलं
हौलनाक वि० [फा.] भयानक होली स्त्री० दारूनी दुकान [एवं हौलू वि० 'हौलदिल'; डरपोक; झट डरे हौले अ० धीरेथी; आस्ते (२) हलके हाथे हौवा स्त्री० जुओ 'हव्वा' हौस स्त्री० [ अ. हवस ] प्रबळ इच्छा (२) होंस; उमंग, उत्साह हौसला पुं० [ अ ] होंस; उत्साह; उमंग (२) साहस : हिंमत. -निकालना =
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५७३
हौसला-मंद होंस पूरी थवी. -पस्त होना=होस
शमी जवी; जोर ठंडु पडवू हौसला-मंद वि० [फा.] होसीलं; उत्साही
के साहसी; उमंगी हद पुं० [सं.] तळाव के सरोवर (२) ध्वनि हंदिनी स्त्री० [सं.] नदी हस्व पुं० [सं.] वामन; ठीगणो (२) वि०
लघु; टुंकु
ह्वेल हास पुं० [सं.] क्षय; पडती (२) कमी, न्यूनता ही स्त्री० [सं.] शरम; लज्जा ह्लाद,०न पुं० [सं.] आह्लाद; आनंद हाँ अ० (प.) 'वहाँ'; त्यां ह्विस्की स्त्री० [इ.] 'विस्की' दारू ह्वेल पुं० [इ.] वहेल माछली
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हमारी परीक्षोपयोगी पुस्तकें
हिन्दी बालकहानियां नौ सुन्दर और शिक्षाप्रद बालकहानियोंका संग्रह । की० ०-४-०
डाकखर्च ०-२-० हिन्दी बालपाठावली सरल और सुबोध भाषामें छपी बालोपयोगी पुस्तक। अन्तमें कठिन शब्दोंके गुजराती, मराठी व बंगलामें अर्थ दिये गये हैं। की० ०-६-०
डाकखर्च ०-२-० बातचीत--१
लेखक : गिरिराजकिशोर अिस पुस्तिकाका अद्देश्य हिन्दी सीखनेवालोंके सामने बोलचालकी हिन्दी भाषा रखना है। अिसके अन्तमें रोज अपयोगमें आनेवाले हिन्दी शब्दोंके गुजराती पर्याय भी दिये गये हैं। की० ०-४-०
डाकखर्च ०-२-० बातचीत--२
लेखक : गिरिराजकिशोर अिस पुस्तकका अद्देश्य पाठकोंके सामने बोलचालकी सीधी-सादी लेकिन मुहावरेदार हिन्दी भाषा रखना है। अिसके अन्तमें हिन्दी शब्दोंके गुजराती पर्याय भी दिये गये हैं। की० ०-४-०
डाकखर्च ०-२-० संवाद
लेखक : गिरिराजकिशोर अिसका अद्देश्य भी पाठकोंके सामने बोलचालकी हिन्दी रखना है। लेकिन यह पुस्तक विषय और वाक्यरचनाकी दृष्टिसे ‘बातचीत -- २' से आगे बढ़ी हुी है। की० ०-६-०
डाकखर्च ०-२-० हिन्दी पाठावली--पहली किताब बालोपयोगी गद्य-पद्य-संग्रह । जिसमें भी अन्त में कठिन शब्दोंके अर्थ गुजराती, मराठी व बंगलामें दिये गये हैं। की० ०-९-०
डाकखर्च ०-३-०
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हिन्दी पाठावली-- दूसरी किताब
संपा० गिरिराजकिशोर, नरेन्द्र अंजारिया यह संग्रह हिन्दीकी तीसरी परीक्षाके लिओ है । अिसमें पाठों और काव्योंकी पसन्दगीमें भाषाकी सरलता और चलतेपनका खास खयाल रखा गया है। की० १-४-०
. डाकखर्च ०-५-० हिन्दी पाठावली-- तीसरी किताब
संपा० गिरिराजकिशोर, नानुभाी बारोट हिन्दी भाषाका अच्छा अभ्यास करनेवालोंके लिओ यह गद्य-पद्य-संग्रह बड़ा अपयोगी सिद्ध होगा। अिसमें हिन्दी-भाषी और अहिन्दी-भाषी दोनों लेखकों और कवियोंकी हिन्दी - वनाओं दी गी हैं। की० १-८-०
डाकखर्च ०-६-० गद्य-संग्रह संपा० गिरिराजकिशोर, अम्बाशंकर नागर यह संग्रह 'हिन्दी सेवक' की परीक्षाके लिअ तैयार किया गया है। हिन्दीके प्रसिद्ध लेखकोंके सिवा गुजराती और मराठी-भाषी लेखकों और विचारकोंके लेख भी अिसमें शामिल किये गये हैं। की० २-८-०
डाकखर्च ०-१३-० हिन्दी कहानी संग्रह--भाग १
संपादक : गिरिराजकिशोर चुनी हुी आठ कहानियोंका संग्रह, कठिन शब्दोंके अर्थके साथ । की० ०-४-०
__ डाकखर्च ०-२-० हिन्दी कहानी संग्रह--भाग २
संपा० गिरिराजकिशोर, नरेन्द्र अंजारिया हिन्दीकी सात सुन्दर कहानियोंका संग्रह, कठिन शब्दोंके अर्थके साथ । की० ०-९-०
डाकखर्च ०-३-० हिन्दी कहानी संग्रह -- भाग ३
संपा० गिरिराजकिशोर, नरेन्द्र अंजारिया यह संग्रह हिन्दी विनीत परीक्षाके लिओ है। अिसमें छः प्रसिद्ध कहानीलेखकोंकी अत्तम रचनायें ली गी हैं। की० ०-१०-०
डाकखर्च ०-४-० नाटक खेलें संपा० गिरिराजकिशोर, नरेन्द्र अंजारिया ये अकांकी नाटक पाठकोंको हिन्दी सीखनेमें बड़े मददगार होंगे। अिनकी भाषामें प्रवाह और चलतापन है। सरलता अिनका खास गुण है। की० ०-६-०
डाकखर्च ०-२-०
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मुनाजाते बेवा
संपा० गिरिराजकिशोर यह अर्दूके प्रसिद्ध कवि मौलाना अल्ताफहुसेन हालीके काव्यका नागरी रूपान्तर है। अिसमें भारतीय विधवाकी व्यथाका अितना सच्चा और मार्मिक चित्रण है, मानो किसी विधवाने ही अिसे लिखा हो। की० ०-५-०
डाकखर्च ०-२-० चुपकी दाद
संपा० गिरिराजकिशोर __ यह मौलाना हालीकी दूसरी सुन्दर पुस्तक है। अिसमें अन्होंने लोगोंको समझाया है कि स्त्रियोंका समाजमें क्या स्थान है, अनकी कितनी बड़ी जिम्मेदारियां हैं और अिन्हें वे पूरा कर सकें जिसके लिओ अन्हें शिक्षा देना कितना जरूरी है।। की० ०-३-०
डाकखर्च ०-२-० आधुनिक हिन्दी कविता __ संपा० नानुभाी बारोट, गिरिराजकिशोर अिस पुस्तकमें नागरी और अर्द लिपिमें लिखी गऔं 'खड़ी बोली 'की आधुनिक कविताओंका संग्रह किया गया है। हिन्दी-अर्दूकी मिलीजुली आसान शैलीमें लिखनेवाले आधुनिक युगके लगभग सभी प्रतिनिधि कवियोंकी रचनाओंके नमुने अिसमें आ गये हैं। की० १-०-०
डाकखर्च ०-४-० प्राचीन हिन्दी कविता ___ संपा० --गिरिराजकिशोर, अम्बाशंकर नागर यह संग्रह राष्ट्रभाषाके अभ्यासके खयालसे तैयार किया गया है। कवियों और अनकी रचनाओंके चुनावमें यह बात ध्यानमें रखी गी है कि असे कवियों और काव्योंको लिया जाय जो समाज पर अपना असर छोड़ गये हैं। कुछ प्रसिद्ध अहिन्दी-भाषी सन्तोंकी रचनायें भी अिसमें ली गी हैं। की० १-१०-०
डाकखर्च ०-५-० भल-सुधार लेखक : गिरिराजकिशोर, अम्बाशंकर नागर अिस पुस्तकके नामसे ही पता चलता है कि यह गुजरातमें हिन्दी सीखनेवालोंको बोलने और लिखनेकी भूलोंसे बचानेके लिअ तैयार की गी है। भाषाशास्त्रकी दृष्टिसे अिसका लाभ गुजरातीके सिवा अन्य भाषा-भाषियोंको भी मिलेगा। ... की० १-०-०
डाकखर्च ०-४-० प्राप्तिस्थान --- नवजीवन कार्यालय, अहमदाबाद-१४
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