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विश्लेषण
विहार विश्लेषण पुं० [सं.] छूटुं करवू ते; विषुव (त्) रेखा पुं० [सं.] विषुववृत्त पृथक्करण
विषेला वि० झेरी विश्वंभर पुं० [सं.] भगवान; प्रभु विष्टा,-ष्ठा स्त्री० [सं.] गू. विश्व पुं० [सं.] सृष्टि; ब्रह्मांड विष्टि स्त्री० [सं.] वेठ (२) मजूरी विश्वविद्यालय पुं०युनिवर्सिटी;विद्यापीठ विष्ठा स्त्री० जुओ 'विष्टा' विश्वसनीय, विश्वस्त वि० [सं.] विश्वास- विष्ण पं० सं.] एक हिंदु देव. ०पदी पात्र
[ब्रह्म __ स्त्री० गंगा नदी [(२) दगो विश्वात्मा, विश्वाधार पुं० [सं.] ईश्वर; विसंवाद पुं० [सं.] असंगतता; विरोध विश्वास पुं० [सं.] भरोसो; श्रद्धा; यकीन. विसदृश वि० [सं.] असमान; ऊलटुं; जुहूं
-जमाना,दिलाना विश्वास पेदा करवो विसर्ग पुं० [सं.] त्याग (२) दान (३) विश्वासघात पुं० [सं.] दगो; धोखो शौच; मळत्याग (४) मोक्ष (५)लिपिनो विश्वासी पुं० [सं.] विश्वास करनार (२) (6) विसर्ग विश्वासपात्र
विसर्जन पुं० [सं.] छोडवू ते (२) बरखास्त विश्वेदेव पुं० [सं.] अग्नि
करवं ते; अंत विश्वेश,-श्वर पुं० [सं.] ईश्वर विसर्प पुं०[सं.] एक जातनो ताव (खस विश्वकोश पुं० [सं.] एन्साइक्लोपीडिया'; खुजली साथे) सर्वसंग्रह
विसी वि० [सं.] चेपी [ मृत्यु विष पुं० [सं.] वख; झेर. -को गाँठ विसाल पुं० [अ.] संयोग (२) संभोग (३)
=उपद्रवकारी के पंचातनुं घर विसूचिका स्त्री० [सं.] कॉलेरा विषण्ण वि० [सं.] खिन्न; दुःखी विस्तार पुं० [सं.] फेलावो । विषधर पुं० [सं.] साप
विस्तीर्ण, विस्तृत वि० [सं.] फेलायेलं; विषमंत्र पुं० [सं.] झेर उतारवानो मंत्र विस्तारवाळू
[फोल्लो विषम वि० [सं.] असमान (२) कठण; विस्फोट पुं०[सं.] फूटवू ते (२) झेरी
मुश्केल (३) पुं० संकट [वासना विस्फोटक वि०[सं.] फूटे एवं (२) पुं० विषय पुं० [सं.] बाबत; वस्तु (२) काम- तेवो पदार्थ विषयक वि० [सं.] (समासमां) अमुक विस्मय पुं० [सं.] आश्चर्य; अचंबो विषय संबंधी
विस्मरण पुं० [सं.] वीसरवं ते विषयी वि०[सं.] कामी; भोग-विलासी । विस्मित वि० [सं.] आश्चर्ययुक्त; चकित विषाक्त वि० [सं.] विषयुक्त विस्मृत वि० [सं.] वीसरायेलं. -ति विषाण पुं० [सं.] शींगडु (२) हाथीदांत स्त्री० विस्मरण विषाद पुं० [सं.] शोक; खेद; दुःख । विहंग (०म), विहग पुं० [सं.] पक्षी विषालु वि० [सं.] झेरी
विहान पुं० सवार; प्रभात । विषुव,त् पुं०[सं.] रात दिवस बरोबर विहार पुं० [सं.] विचर-फरवू ते (२) होय ते समय
रति-क्रीडा (३) बौद्ध विहार - मठ
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