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संकोची
चंड,- पुं० [सं.] पंढ; हीजडो षड्यंत्र पुं० [सं.] कावतरं (२) जाळ; षट् वि० [सं.] ६; छ संख्या
फांदो षटक पुं० [सं.] छकडु; छनो समूह षड्रस पुं० [सं.] खाटुं, खारुं इ० छ रस षट्कर्म पुं०[सं.] खटकर्म (ब्राह्मणोना) षड्पुि पुं० [सं.] काम, क्रोध, लोभ, षट्चक्र पुं० [सं.] शरीरना छ चक्र (२) मोह, मद, मत्सर ए छ शत्रुओ षड्यंत्र; कावतरं
षडानन पुं० [सं.] कार्तिकेय षट्तिला स्त्री० [सं.] महा वद एकादशी । षष्टि वि० [सं.] ६०; साठ बट्पद पुं० [सं.] भमरो. -दी स्त्री० षष्ठ वि० [सं.] छर्छ. -ठी स्त्री० छठ
भमरी (२) छप्पो; छ चरगर्ने पद (२) जन्म पछी छछो दिवस (३) षड् वि० [सं.] छ (समासमां) छठ्ठी विभक्ति षडग पुं० [सं.] वेदनां छ अंग षामासिक वि० [सं.] छमासिक वड्ज पुं० [सं.] संगीतनो 'स' स्वर षोडश वि० [सं.] सोळमुं(२) सोळ; १६ षड्दर्शन पुं० [पं.] छ शास्त्र (सांख्य, ष्ठीवन पुं० [सं.] थूकवू ते (२) थूक योग, न्याय इ०)
संइतना सक्रि० लींपवू; अबोट करवो संकट पुं० [सं.] दु:ख; विपत्ति; आफत
(२) खीणतो के सांकडो रस्तो संकर पं० [.] भेळ खेळ; मिश्रण संकरा दि० सांकडं (२) मुं० सांकड; कष्ट संकराना सक्रि० संकडाव संकल स्त्री० साकळ के सांकळी संकलन पुं० [सं.] संग्रह; एकठं करवं ते संकलित वि० [सं.] एकटं करेलं संकल्प पुं० [सं.] इरादो; निश्चय; ठराव संकीर्ण वि०[सं.] संकुचित (२) संकीर्ण; । मित्र (३) क्षद्र (४) पं० मिश्र राग (५) संकर
संकीर्तन पुं० [सं.] गुणगान(२)वर्णवq ते संकुचना अ०क्रि० संकोचाववं संकुचित वि० [सं.] संकोच पामेलं (२)
सांकडं; नान; क्षुद्र संकुल वि० [सं.] परिपूर्ण; भरपूर (२)
पुं० समूह संकेत पुं० [सं.] इशारो (२) चेष्टा (३) चिह्न संकेलना सक्रि० संकेलवं; समेटवू संकोच पुं० [सं.]अचकावू ते; लज्जा; शरम संकोचना सक्रि० संकोचवू संकोची वि० [सं.] संकोचायेलू (२) संकोचवाळु; शरमाळ
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