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महेरी
मा-कबल महेरी स्त्री० दहीं के छाशमां रांधेला माँझी पुं० मांजी; होडीवाळो (२)
अनाजनी एक वानी (२) वि० अडचण मध्यस्थ; झघडो पतवनार नांखनारुं
माँट, -ठ पुं० (प.) माटलं महेश सिं.1,-स (प.)पं०शिव; महादेव मॉड पुं० भातन ओसामण; मंड महोक, -ख, -खा पुं० एक पक्षी मांडना सक्रि० (प.) मसळवू; गूंदवू महोगनी पुं० [इं.] एक झाड के तेनुं (२) लेप करवो लाकडु
[समारंभ मांडलिक पुं० [सं.] मंडळनो राजा महोत्सव पुं० [सं.] मोटो उत्सव - मांडव पुं० मांडवो; मंडप महोदधि पुं० [सं.] मोटो समुद्र मौड़ा पुं० आंखनो एक रोग; मोतियो महोदय वि० [सं.] महाशय; 'जनाब' (२) जुओ 'पराँठा' (३) मांडवो महोला पुं० (प.) बहानुं (२) दगो माँडी स्त्री० भातनुं ओसामण (२) मह्व वि० [अ.] लीन; गुलतान; गरक कपडाने करातो आर । (२) नष्ट
मांत वि० (प.) मातु; मत्त (२) मात मह्वर पुं० [अ. मिह्वर ] धरी (पैडा थयेलं; हारेलं. ना अ०क्रि० मातg. इत्यादिनी)
-ता वि० मातेलु; मत्त माँ स्त्री० मा. ०जाई स्त्री० सगी मांत्रिक पुं० [सं.] मंत्रवाळो; मंतरनार बहेन. जाया पुं० सगो भाई माँद स्त्री० बखोल; बोड (२) वि० मंद; माँखी स्त्री० माखी; 'मक्खी'
हलकुं; ऊतरतुं (३) पराजित मांग स्त्री० मांग; मागणी (२) वाळनी माँदगी स्त्री० [फा.] बीमारी (२) थाक पांती; सेंथो. -कोखसे सुखी रहना। माँदा वि० [फा.] मांदु; बीमार (२) मंद; = सौभाग्यवती ने संतानवाळी रहेवं. ढीलु (३) थाकेलं -पट्टी करना = सेंथो पाडवो; ओळवू मांद्य पुं० [सं.] मंदता मांगटीका पुं० सेंथा परनुं एक घरेणुं मांस पुं० [सं.] मांसमट्टी; गोस. ०ल माँगन पुं० मांगq ते; भीख (२) मागण;
वि० मांस-भरेलु; तगडु.-साहारी वि० भिखारी
मांस खानार
[मां माँगना सक्रि० मागवं
माँह,-हा,-हि,-हों, है अ० (प.) माही; मांगलिक वि० [सं.] मंगळ; शुभ मा स्त्री० [सं.] मा (२) पुं० [अ.] पाणी मांगल्य पुं० [सं.] शुभ; कल्याण (३) प्रवाही मांजना सक्रि० मांजवं (२) पतंगनी माइका पुं० पियर; 'नेहर' दोरी पावी
माई स्त्री० मा (२) मोटी स्त्री माटे माँझ अ० (प.) मां; अंदर; मोझार (२) आदरवाचक. -का लाल-उदार; दानी पुं० अंतर; आंतरो; गाळो
(२) बहादुर [पौष्टिक सेरवो माँझा पुं० मांजो के तेनी लूगदी (२) मा-उल-लहम पुं० [अ.] मांसनो एक नदी वच्चेनो टापु (३) झाडनुं थड मा-कबल अ० [अ.] आनी पहेलां
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