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व्यय
वीहि
व्यय पुं० [सं.] खपत; खर्च व्याधि स्त्री० [सं.] रोग; बीमारी (२) व्यर्थ वि० [सं.] नकामुं; फोगट पंचात; झंझट व्यलोक वि० [सं.] अप्रिय (२) दुःखद व्यापक वि० [सं.] फेलायेलं
(३) पुं० अपराध (४) दुःख व्यापना सक्रि० व्यापवू; प्रसरवू; फेलावू व्यवधान पुं० [सं.] आंतरो; पडदो (२) व्यापार पुं० [सं.] काम; धंधो (२)
अलग पंडq ते; विच्छेद (३) अंत । वेपार; रोजगार व्यवसाय पुं० [सं.] धंधो; रोजगार (२) व्यापारी पुं० [सं.] वेपारी; सोदागर (२)
अभिप्राय;मतलब. -यी वि० धंधावाळू वि० व्यापार संबंधी व्यवस्था स्त्री० [सं.] प्रबंध; गोठवण (२) व्याप्त वि० [सं.] व्यापेलं; प्रसरेलु. -प्ति नियम
करनार; मॅनेजर स्त्री० प्रसार; फेलावं ते . व्यवस्थापक पुं० [सं.] व्यवस्थानुं काम व्यायाम पुं० [सं.] कसरत [दुष्ट व्यवस्थित वि० [सं.] व्यवस्थावाळु; व्याल पुं० [सं.] साप (२) वाघ (३) वि० नियमित
व्यालू स्त्री०; पुं० वाळु व्यवहार पुं० [सं.] वर्तन (२) धंधो व्यावहारिक वि० [सं.] व्यवहारनुं के
रोजगार (३) प्रथा; रिवाज (४) । ते विषेर्नु (२) वहेवारु केस; मुकद्दमो
समष्टि ) व्यासंग पुं० [सं.] अति संग; व्यसन व्यष्टि स्त्री० [सं.] एकल व्यक्ति (ऊलीं- व्याहार पं० [सं.] वाक्य । व्यसन पुं० [सं.] दुःख; विपत्ति (२) टेव; व्युत्पत्ति स्त्री० [सं.] भाषाना शब्दोनो शोख (३) कुटेव (४) विषयासक्ति. ऊगम के तेनी विद्या -नी वि० व्यसनवाळू
व्युत्पन्न वि० [सं.] विद्वान; पंडित व्यस्त वि० [सं.] जुओ 'व्यग्र' व्यूह पुं० [सं.] वृंद; समूह (२) सेनानी व्याकरण पुं० [सं.] भाषाना शब्दो
खास रचना-मोरचो (३) परिणाम वगेरेना नियमनी विद्या . ___ व्योम पुं० [सं.] आकाश (२) वादळ व्याकुल वि० [सं.] व्यग्र; गभरायेलं व्रज पुं० [सं.] जवू ते (२) समूह; टोळं व्याख्या स्त्री० [सं.] स्पष्टीकरण; टीका (३) व्रज प्रदेश (३) हुमलो व्याख्याता पुं० [सं.] व्याख्यान करनार व्रज्या स्त्री० [सं.] फरवू ते (२) रणभूमि व्याख्यान पुं० [सं.] भाषण; विवेचन व्रण पुं० [सं.] घा; जखम [उपवास व्याघात पुं० [सं.] विघ्न (२) घा; प्रहार. व्रत पुं० [सं.] आचारनो नियम (२) व्याघ्र पुं० [सं.] वाघ
वतिक, वती, वत्य पुं० [सं.] व्रतवाळो; व्याज पुं० [सं.] छळ ; कपट (२) ढील; व्रतधारी (२) ब्रह्मचारी वार (२) मूडीनुं व्याज
वीड़ा स्त्री० [सं.] लज्जा; शरम व्याध पुं० [सं.] शिकारी (२) वि० दुष्ट व्रीहि स्त्री० [सं.] चोखा; डांगर
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