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वेशभूषा
व्यभिचारी वेशभूषा स्त्री० [सं.] पहेरवेश वैरि,-री पुं० [सं.] वैरी; शत्रु वेश्म पुं० [सं.] घर; मकान वैवाहिक वि० [सं.] विवाह संबंधी (२) वेश्या स्त्री० [सं.] गुणका; रंडी पुं० ससरो वेष्टन पुं० [सं.] लपेटवानु-बांधवानुं वैशाख पुं० [सं.] वैशाख मास कपडु; बांधण (२) पाघडी; फेंटो वैशेषिक पुं०[सं.] छमांगें एक दर्शनशास्त्र वैकल्पिक वि० [सं.] अनिश्चित (२) वैश्य पुं० [सं.] चारमांनो एक वर्ण
आ के ते विकल्पवाळू; मरजियात वैश्वानर पुं० [सं.] अग्नि वैकुंठ पुं० [सं.] विष्णुलोक; स्वर्ग वैषम्य पुं० [सं.] विषमता; असमानता वैगन पुं० [इ.] भारखानानो डबो वैष्णव पुं० [सं.] विष्णुपंथी वैचित्र्य पुं० [सं.] विचित्रता
वैसा वि० तेवू; ते जात,. -से अ० वैज्ञानिक वि० [सं.] विज्ञान संबंधी (२) तेम; ते रीते
मतदार पुं० विज्ञानवेत्ता
वोट पुं० [इं.] मत. ०दाता, ०र पुं० वैतनिक पुं० [सं.] पगारदार; नोकर व्यंग,-ग्य पुं० [सं.] कटाक्ष वैताल,-लिक पुं० [सं.] बंदीजन; स्तुति व्यंजन पुं० [सं.] क, ख इ० अक्षर (२) __ करनार
निशानी (३) खानपाननी वानी के वैद पुं० वैद्य (२) [सं.] विद्वान शाक अथाणुं चटणी इ० वैदक पुं० आयुर्वेद; वैदु-वैदनी विद्या । व्यंजना स्त्री० [सं.] प्रगट करवानी शक्ति वैदग्ध्य पुं० [सं.] विदग्धता; चातुरी । व्यक्त वि० [सं.] प्रगट वैद्य पुं० [सं.] वैद; वैदु करनार. ०क व्यक्ति पुं० [सं.] जण; कोई एक (२)
पुं० जुओ 'वैदक' [ठीक; रीतसरनुं ___ कोई व्यक्त पदार्थ [लीन; उद्यमी वैध वि० [सं.] विधि के कानून मुजबर्नु; व्यग्र वि० [सं.] व्याकुल (२) काममा वैधव्य पुं० [सं.] रंडापो
व्यजन पुं० [सं.] वींजणो; पंखो वैनतेय पुं० [सं.] गरुड (२) अरुण व्यतिक्रम पुं० [सं.] ऊलटो क्रम (२) विघ्न वैपार पुं० वेपार. -री पुं० वेपारी व्यतिरिक्त अ० सिवाय, 'अलावा' (२) वैभव पुं० [सं.] ऐश्वर्य; महिमा (२) वि० [सं.] भिन्न; सिवायन धनदोलत
शत्रुता ।
व्यतिरेक पुं०[सं.] अतिरेक; वृद्धि (२) वैमनस्य पुं० [सं.] अणबनाव (२) वेर; भेद; जुदाई; ऊलटापर्यु वैमात्र (-त्रेय) वि० [सं.] सावकुं; सौतेला' व्यतीत वि० [सं.] वीतेलं; गत वैर पुं० [सं.] वेर; झेर; द्वेष [बदलो । व्यतीपात पुं० [सं.] भारे उत्पात (२) वैरशुद्धि स्त्री० [सं.] वेर लेवू ते; वेरनो ज्योतिषमां एक खास योग वैयाकरण पुं० [सं.] व्याकरण-शास्त्री व्यथा स्त्री० [सं.] पीडा; दुःख वैरागी पुं० वैराग्यवाळो (२) एक । व्यथित वि० [सं.] दुःखी; व्यथा पामेलु जातनो साधु
व्यभिचार पुं० [सं.] दुराचार; छिनाळवं. वैराग्य पुं० [सं.] वैराग; विरक्ति -री वि० व्यभिचार करनार
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