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चंक्रमण
१६८
चंक्रमण पुं० [सं.] आम तेम फरवू,
आंटा मारवा. ते चंग स्त्री० [फा.] चंग वाजें (२) पतंग (३) पुं० गंजीफानी चंग रमत (४)वि० [सं.] सरस; सुंदर; चंगु. - उमहना, - चढ़ना= चगवू; खूब जोर थवं.-पर चढ़ाना=वातचीत करीने-चगावीने मेळवी लेवं चंगा वि० (स्त्री० -गी) चंग; चंगु चंगुल पुं० चंगूल; पशु-पक्षीनो पंजो (२) । • चुंगल. -में फँसना चुंगलमा फसावं चंगेर (-री,-ली) स्त्री०वांसनी छाबडी के टोपली (२) मशक; पखाल (३) बाळकनुं खोयु चंचरी स्त्री० भमरी (२) एक छंद चंचरीक पुं० [सं.] भमरो। चंचल वि० [सं.] चंचळ; अस्थिर (२)
चपळ. ०ता, ताई (प.), लाई स्त्री० चंचला स्त्री० [सं.] वीजळी (२)लक्ष्मी (३) एक छंद चंचु, (०का, -चू) स्त्री० [सं.] चांच चंट वि० चालाक; पहोंचेल; पाकुं चंड वि० [सं.] उग्र; तीव (२) भयंकर ।
(३) क्रोधी (४) पुं० ताप चंडांशु पुं० [सं.] सूरज चंडाल पुं॰ [सं.]चंडाळ (२) नीच माणस । चंडावल पुं० सेनानो पाछलो भाग; _ 'हरावल'थी ऊलटो (२) पहेरेगीर चंडिका, चंडी स्त्री० [सं.] दुर्गा के काली देवी(२)वढकणी के कर्कशा स्त्री
चंडू पुं० चंडूल; अफीणनी एक मादक
वस्तु. ०खाना पुं० चंडूल पीवानो अड्डो चंडूल पुं० चंडोळ पक्षी चंडोल पुं० एक जातनी पालखी; मेना चंद पुं० [सं.] चंद्र (२) वि० [फा.]
थोडुक (संख्यावाचक) चंदक पुं० [सं.] चंद्र (२) चांदनी (३)
एक घरेणु (४) एक माछली चंदन पुं० [सं.] सुखड के तेनुं झाड चंदनी स्त्री० (प.) चांदनी [अस्थायी चंद-रोजा वि० [फा. थोडा दिवसचें; चंदला वि० 'गंजा'; माथे तालवाळं चॅदवा पुं० चन्दरवो चंदा अ० [फा.] आटलं (२) आटली वार चंवा पुं० चन्दा; चन्द्र (२) [फा॰] फंड; फाळो (३) लवाजम चंदिया स्त्री० खोपरी; तालकुं (२) चानकी; नानो (छेवटे वधेला लोटनो) रोटलो चंद्र पुं० [सं.] चांदो. ०कला स्त्री० चंद्रनी कळा. ०मा पु० चांदो. ०मौलि,
शेखर पुं० शंकर चंद्रिका स्त्री० [सं.] चांदनी [दवा . चंद्रोदय पुं० [सं.] चंद्रनो उदय (२) एक चंपई वि० चंपाना रंगन; पीळू चंपक पुं० [सं.] चंपो पकडवी चंपत बनना, होना = छू थई जवू; चलती चैपना अ०क्रि० दबावं; चांपवू (२) सक्रि० दबाव चंपा पुं० चंपो फूलझाड
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