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कंचनी गुणकानुं काम करे छे. -का कौर कंट्रक्ट पुं० कंट्राक्ट; ठेको खिलाना-खूब प्रेमथी राखवू.-बरसाना कंठ पुं० [सं.] गळू (२) अवाज (३)
= खूब धन मळवू : विश्या कांठो; तट. -करना = मोढे करवू. कंचनी स्त्री० कंचन जातनी स्त्री (२) -खुलना-गळं खूलवू; अवाज बरोबर कंचुक पुं० [सं.] जामो (२) वस्त्र (३) नीकळवो. -फूटना = गळं खूलवू(२)
बखतर (४) सापनी कांचळी हैडियो फूटवो. -बैठना = गलू के कंचुको स्त्री० [सं.] चोळी (२) पुं० अवाज बेसवो ।
अंतःपुरनो रक्षक (३) साप कंठमाला स्त्री० [सं.] कंठमाळनो रोग कंचुरि,-ली स्त्री०(प.) सापनी कांचळी कंठा पुं० कांठलो (२) कपडानो कॉलर कचेरा पुं० [स्त्री० -रिन] काचकाम (३) कंठो; मोटी कंठी करनारो
- कंठान वि० कंठस्थ; मोढे कंज पुं० [सं.] कमळ (२) ब्रह्मा कंठी स्त्री० की.-देना या बाँधना= कंजई वि० राखोडी रंगनुं
कंठी बांधवी; चेलो करवो.-लेना= कंजड़(-र) पुं० एक रानीपरज(दोरडां वैष्णव थवू; मद्य-मांस छोडवू
भागवां वगेरे काम करे छे) . कंडरा पुं० एक शाक (२) स्त्री० [सं.] कंजा पुं० [सं. करंज ] एक जातनी धोरी नस . कांटाळी झाडी (२) वि० राखोडिया . फंडा पुं० छाj. -होना= सुकावं; दुबळं रंगनुं (३) ते रंगनी आंखवाळ; भूखरी पडद् (२) मरी जq आंखवाळु
[कंजूसाई कंडाल पुं० एक वाद्य; तूरी (२) [सं. कंजूस वि० कृपण; पाजी. -सी स्त्री० कंडोल] धातु, पाणीनु एक वासण कंटक पुं० [सं.] कांटो (२) विघ्न (३) कंडी स्त्री० नानु छाणुं रोमांच
कंडील स्त्री० [अ. कंदील] दीवो (२) कंटकित वि० [सं.] कांटावाळु (२) . (दिवाळीमां) शोभानो करातो पुलकित; रोमांचित
कागळनो दीवो कंटर पुं० [ई. डिकेन्टर] सुंदर (दारू । कंडीलिया स्त्री० दीवादांडी 'वगेरेनो) शीशो
कंत (-2) पुं० (प.) कथ; स्वामी कंटाइन स्त्री० भूतडी; डाकण (२) कंथा स्त्री॰ [सं.] गोदडी वढकणी स्त्री; कर्कशा
कंथी पुं० कथावाळो; साधु कॅटिया स्त्री० खीली (२). माछली . कंद पुं० [सं.] कंदमूळ (२) [फा. साकर पकडवानो आंकडो (३) कुवामां नांख- कंदरा स्त्री० [सं.] गुफा वानी बिलाडी (४) माथा- एक घरेणुं कंदर्प पुं० [सं.] कामदेव . कंटीलो वि० कांटावाळू
कंवला पुं० सोनाचांदीनी चीप के तार कंटूनमेन्ट स्त्री० [इ.] छावणी; कॅम्प कंदा पुं० कंद (शकरियु के अळवी) कंटोप पुं० कानटोपी .
कंदील स्त्री० [अ.'कंडील'; दीयो
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