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स्वजन
स्पर्श
५५३ स्पर्श पुं० [सं.] अडकवू ते; संपर्क स्पंदन पुं० [सं.] रथ (२) वि० वहेतुं; स्पर्शी वि० [सं.] स्पर्शनार
सरकतुं स्पष्ट वि० [सं.] साफ; चोख्खं; उघाडं. स्यात् अ० [सं.] कदाच; 'शायद'
-ष्टीकरण पुं० चोखवट [अध्यक्ष स्यानप(०न) पुं० शाणपण; डहापण स्पीकर पुं० [इं.] वक्ता (२) पार्लमेन्टनो
स्याना वि० शाणुं; डाहयु (२) उमरे स्पृश्य वि० [सं.] अडकी शकाय एवं पहोंचेलं; 'वयस्क' स्पृष्ट वि० [सं.] स्पर्शायेलं
स्यापा पुं० जुओ 'सियापा'. -पड़ना= स्पृहणीय वि० [सं.] स्पृहा करवा जेवू ___ रडवू कूटवू (२) सूमसान थई जवू स्पृहा स्त्री० [सं.] इच्छा; कामना
स्याम वि० (प.) श्याम; काळु (२) पुं० स्पृही वि० [सं.] स्पृहा करनारुं सियाम देश. ०ल वि० शामळं. लिया स्प्रिंग स्त्री० [इं.] कमान. ०दार वि० पुं० शामळियो; कृष्ण कमानवाळं
स्यार(-ल) पुं० शियाळ; 'सियार' स्फटिक पुं० [सं.] बिलोरी काच (२) । स्याल पुं० जुओ 'श्याल' (२) [सं.] साळो.
एक जातनो मणि (३) फटकडी -ली स्त्री० साळी स्फुट वि० [सं.] खीलेलं (२) स्पष्ट; खुल्लु स्याह वि० जुओ 'सियाह'
(३) फुटकळ के स्फुरदुं ते स्याही स्त्री० शाही (२) श्यामता स्फुर, ०ण पुं०, ०णा स्त्री० [सं.] कंपवू स्यों, स्यो अ० (प.) साथै; जोडे . स्फुलिंग पुं० [सं.] तणखो; चिनगारी सक,-ग,-ज पुं०; स्त्री० फूलमाळा स्फूर्ति स्त्री० [सं.] स्फुरदुं ते (२) उत्साह; लव,०ण पुं० [सं.] स्रवद्-झरवू के चूq
आवेग [(२) फूटq ते (३) फोल्लो के टपकवू ते स्फोट पुं० [सं.] स्फुट थर्बु ते; खुलासो स्रष्टा पुं० [सं.] सर्जनहार; प्रभु स्फोटक पुं० [सं.] फोल्लो
नाप पुं० (प.) शराप; शाप गर्भपात स्फोटन पुं० [सं.] फूटवू के फाटवं ते स्त्राव पुं० [सं.] स्रवद् के स्रवे ते (२)
(२) स्फूट करवू ते ते; जप सावक, स्रावी वि० [सं.] स्रव करावनाएं स्मरण पुं० [सं.] याददास्त (२) स्मर, स्रोत पुं० [सं.] प्रवाह; धारा. ०स्वती, स्मरणीय वि० [सं.] याद करवा जेवू स्विनी स्त्री० नदी स्मशा (-सा)न पुं० मशाण; स्मशान स्लीपर पुं० [ई.] सलेपाट(२) अमुक जोडा स्मारक वि० [सं.] याद करावतुं (२) पुं० स्लेट स्त्री० [इ.] पथ्थरपाटी
तेवी वस्तु तेनुं अनुयायी । स्व वि०[सं.] पोतानू (२) पुं० मिलकत स्मार्त वि० [सं.] स्मृतिशास्त्र संबंधी के । स्वक,-कीय वि० [सं.] पोता- (२) पुं० स्मित पुं० [सं.] मंद हास्य याद मिलकत (३) मित्र; सगुं स्मृत वि० [सं.] स्मरण करेलु (२) पुं० । स्वच्छ वि० [सं.] चोख्खं; साफ स्मृति स्त्री० [सं.] स्मरण (२) स्वजन पुं० [सं.] पोतानु, सगुं के संबंधी स्मृतिशास्त्र
माणस
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