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पिजियमा पाव पुं० पा-चोथो भाग (२) पाशेर पासना अ० क्रि० ढोरे पाहो मूकवो; पावक वि० [सं.] शुद्ध के पवित्र करे एवं 'पेन्हाना'
(२) पुं० अग्नि (३) सदाचार (४) सूर्य पास-पड़ोस पं० पासेनी जगा; पडोश पावती स्त्री० पहोंच; रसीद
पासबान पुं० [फा.] पहेरेगीर (२)स्त्री० पावदान पं० पग मकवानी के चडवा रखात. -नी स्त्री० पहेरो; रक्षा; __ माटे टेकववानी सवड के वस्तु चोकी पावन वि० [सं.] पवित्र; पावक (२) पासा पुं० पासो. -उलटना,-पलटना पुं० अग्नि (३) शुद्धि (४) पाणी = बाजी बगडवी; कथळQ. -पड़ना पावना सक्रि० (प.) जुओ 'पाना' (२) = फाववं; पोबार पडवू पुं० ले|
पासी पुं० [सं. पाशी ताड छेदनारी पावर पुं० [इ.] बळ; शक्ति. स्टेशन, एक अस्पृश्य गणाती जात (२) स्त्री० हाउस पुं० वीजळीघर
पाश पावली स्त्री० चारआनी
पाहें अ० (प.) जुओ ‘पाहि” पावा पुं० पायो (खुरशी इ० नो) पाहन पुं० (प.) पाषाण; पथ्थर पावस पुं० वरसाद
पाहरू पुं० (प.) पहेरेगीर; रक्षक पाश पुं० [फा.] कपडं जरी जवू ते पाहि,-हों अ० (प.) पासे (२) प्रत्ये (२) टुकडो (३) [सं.] बंध; बंधन पाहि [सं.] 'रक्षण करो'; 'बचावो' (४) फांसो (५) जाळ; फांदो पाहुना पुं० परोणो; महेमान (२)जमाई. पाशव वि० [सं.] पशु संबंधी के तेनं -नी स्त्री० स्त्री-महेमान (२) के तेना जेवं
परोणागत पाशा पुं० तुर्की सरदारनो इलकाब। पाहुर पुं० भेट; नजराणुं (२) चांल्लो पाशुपत वि० [सं.] पशुपति -शिवन; पिंग वि० [सं.] लालाश पडतुं पीळं (२) शैव
[(२) पछी- छींकणी रंगनुं (३) पुं० पाडो (२) पाश्चात्य वि० पश्चिमन के त्यां आवेल कोळ; उंदर पाषंड पुं० [सं.] पाखंड; मिथ्याधर्म; पिंगल वि० [सं.] 'पिंग'; पिंगळ (२)
दंभ. -डी वि० दंभी; पाखंडी पुं० कपि (२) नोळियो (३) पिंगळ; पाषाण पुं० [सं.] पथ्थर
छंदशास्त्र के तेना ऋषि पासंग पुं० [फा.] धडो; पाशंग. पिंगला स्त्री० एक नाडी (योगविद्या)
(किसीका) पासंग भी न होना= पिंजड़ा पुं० पांजरुं; पिंजर मुकाबले बहु ऊतरतुं होवू पिजन पुं० [सं.] पीजण पास पुं० पास; बाजु (२) समीपता पिंजर [सं.], -रा पुं० पांजरुं (३) अ० पासे (४) पुं० [फा.] पहेरो; पिंजरापोल पुं० पांजरापोळ चोकी (५) तरफदारी; शरम (६) पिंजिका स्त्री० [सं.] पूणी ख्याल; 'लिहाज'
पिंजियारा पुं० पीजारो
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