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अहेर
अहेर पुं० [ सं . आखेट] शिकार के तेनो भोग थार प्राणी
अहेरी पुं० शिकारी ( ते जातनी के शिकार करनारो माणस ) अहोर - बहोर अ० फरी फरी; वारंवार
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आ
आँक पुं० अंक (२) चिह्न (३) अंश; भाग
आँकड़ा पुं०आँकड़ो; संख्या आँकना स०क्रि० आंकवु; परीक्षा करवी आँकर वि० [सं. आकर ] ऊंड (२) घणुं . ( ३ ) [ सं . अय्य] मोधुं आँकु पुं० अंकुश आँकू पुं० आंकनारो
आँख स्त्री० आंख (२) दृष्टि; नजर; ध्यान (३) विचार; विवेक (४) परख; पिछान ( ५ ) कृपादृष्टि ( ६ ) संतान ; बालक. -आना या उठना = आंख आववी. -उठाना = जो बुं; ताकबुं (२)बूरं ताकवु. -उलट जाना = ( मरती वखते) आंखनी पुतळीओ ऊंचे चडी जवी. - खुलना = आंख ऊघडवी (२) भ्रम टळवो; समजवं. -गड़ना = आंख दुखवी (२) टक टक ताक (३) इच्छाथी आंख चोटवी. आँखें चार करना, चार आँखें करना
=
आंख सामे आववुं . - आँखें चुराना या छिपाना = आंख आडी करवी; सामे न जोवुं आँखें डबडबाना = अ० क्रि० आंखमां आंसु आववां.
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आँच
अहोरा - बहोरा पुं० विवाहनी एक रीत (जेमा कन्या सासरे जई ते ज दहाडे पाछी पियर आवे छे ) (२) अ० ( प. ) वारंवार
= आंख
बचाना =
(२) आंखमां आंसु लाववां. - निकालना काढवी. सामे न आव; कतरावु. आँखें बिछाना = प्रेमथी स्वागत करवुं (२) वाट जोवी. - भर देखना = बरोबर जोवुं. - मारना : आंखो मारवी; इशारो करवो. - मँ चरबी छाना = गर्वथी छकी जवं. आँखों में फिरना=ध्यान पर चडवुं; याद रहेवु. आँखोंमें रात काटना- कष्ट के चिंताथी रात जागवुं. लगना - ऊंघथी आँख मळवी. ( किसीसे ) आँख लगना - प्रेम थवो. - लड़ना - प्रेम थवो. - सेंकना - नेत्रसुख लेवुं - होना =परख होवी; समज के विवेक होवो. आँखड़ी स्त्री० आँख आँखफोड़ टिड्डा पुं० एक लीलुं जीवडुं (२) कृतघ्न आँखमिचौली, आँखमीचली स्त्री० संताकूकडीनी रमत
आँगन पुं० आंगणुं; घरनो चोक आँगी स्त्री० जुओ 'अंगिया' आँधी स्त्री० बारीक कपडे मढ़ेली चाळणी आँच स्त्री० [ सं . अर्चिस् ] आंच; गरमी (२) आग (३) तेज (४) आघात ;
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