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क्षेम
क्लर्क
१२४ क्लर्क पुं० [इं.] क्लार्क; कारकुन. -र्की क्षपा स्त्री० [सं.] रात (२) हळदळ. स्त्री० कारकुनी
[थाक ०कर पुं० चंद्र क्लांत वि० [सं.] थाकेलं. -ति स्त्री० क्षम वि० [सं.] (समासमां) -ने योग्य. क्लाक पुं० [इ. क्लॉक] मोटुं घडियाळ ता स्त्री० शक्ति; बळ (२) योग्यता क्लास पुं० [इ.] वर्ग; दरज्जो; श्रेणी क्षमना स० क्रि० (प.) क्षमा करवी क्लिप स्त्री० [इं.] चांप (कागळो इ० क्षमा स्त्री० [सं.] माफी; दरगुजर कर राखवानी)
ते (२) धरती क्लिष्ट वि० [सं.] क्लेश पडे के पाडे व क्षमी वि० [सं.] क्षमावान (२) समर्थ
समजवामां कठण-अस्पष्ट [डरपोक क्षम्य वि० [सं.] क्षतव्य; माफीने लायक क्लीब, व पं० [सं.] नसक (२) वि० क्षय पुं० [सं.] क्षीण थवू ते; ह्रास; क्लेद पुं० [सं.] भेज (२) पसीनो । नाश (२) क्षय रोग (३) घर; मकान . क्लेश पुं० [सं ] कंकास; दुःख; राग- क्षर वि० [सं.] चल; नाशवंत; अनित्य द्वेषादिनी पीडा
क्षात्र वि० [सं.] क्षत्रिय संबंधी (२) पुं० क्लोरोफार्म पुं० क्लॉरोफॉर्म; शस्त्र- क्षत्रिय के तेनुं कर्म (३) थोडं क्रियामां सूंघाडाती दवा
क्षाम वि० [सं.] क्षीण; पातळं (२) दुर्बळ क्वचित् अ० [सं.] कोक ज वार क्षामा स्त्री० [सं.] पृथ्वी [(४) वि० खारु क्वथ, क्वाथ पुं० [सं.] काढो; क्वाथ क्षार पुं० [सं.] खार (२) मीठु (३) भस्म क्वाँरा, क्वारा वि० (स्त्री०-री)कूवारुं क्षिति स्त्री० [सं.] पृथ्वी (२) स्थान; क्वारंटाइन पुं० [इं.] क्वॉरॅन्टीन
जगा. ०ज पुं० दृष्टिमर्यादा (२) झाड क्वार पुं० आसो मास लग्न थवं क्षिप्र वि० [सं.] तरत; जलदी (२) तेज; क्वारपन पुं० कुंवारापj. -उतरना = वेगीलु [गयेलं; पूरुं थयेलं क्विनाइन स्त्री० [इं.] 'कुनैन' दवा क्षीण वि० [सं.] दुबळं; कमजोर (२) घटी संतव्य वि० [सं.] माफ करवा जेवू; क्षम्य क्षीर पुं० [सं.] दूध (२) जळ [(३) कंजूस क्षण पं० [सं.] 'छन'; क्षण - पळ क्षुद्र वि० [सं.]नानु; अल्प (२) तुच्छ; नीच क्षणभंग (प.), ०र वि० [सं.] क्षणमां क्षुधा स्त्री० [सं.] भूख. •तुर, ०र्त वि० नाश पामे तेवू
भूख्यु. ०लु वि० खाउधरु; भुखाळवं. क्षणिक वि० [सं.] क्षण जेटलु; अनित्य -धित वि० भूख्यं अशांत; चंचळ क्षत वि० [सं.] घायल(२) पुं० घा; जखम क्षुब्ध, क्षुभित वि० [सं.] खळभळेल; क्षति स्त्री० [सं.] हानि; नाश; नुकसान क्षुर पुं० [सं.]छरो;अस्तरो(२)पशुनी खरी क्षत्र पुं० [सं.] क्षत्रिय (२) बळ (३) राज्य क्षुरी स्त्री० [सं.] छरी (२) पुं० वाळंद क्षत्राणी स्त्री० क्षत्रियाणी
(३) खरीवाळं पशु . क्षत्रिय, क्षत्री पुं० [सं.] क्षत्रिय जातिनो क्षेत्र पुं० [सं.] खेतर; जमीन (२) कार्यमाणस. -याणी स्त्री०
क्षेत्र (३) तीर्थस्थान (४) देह क्षपणाक पुं० [सं.] (बौद्ध के जैन) संन्यासी क्षेम पुं० [सं.] खेमकुशळ
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