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क्षोणि
क्षोणि, -णी स्त्री० [सं.] धरती; पृथ्वी. ०प पुं० राजा
क्षोभ पुं० [सं.] खळभळाट; व्याकुळता (२) क्रोध; रो
ख० वि०खाली (२) उज्जड; वेरान खार पुं० जुओ 'खखार' खखारना अ०क्रि० खोखारवु; खांसनुं खंग पुं० खड्ग; तरवार
गहा वि० दांत (२) पुं० गेंडो खंगारना, खँगालना स०क्रि० खखाळवं;
घो (२) खाली करवु; खंखेरी लेवु खंचना अ० क्रि० निशान पडवं; अंकावुं बँचाना स० क्रि० आंकवु; निशान पाडवु (२) जलदी जलदी लखवुं
जड़ी, - री स्त्री० बजाववानी खंजरी खंजर पुं० [ अ ] खंजर; कटार खँजरी स्त्री० जुओ 'खँजड़ी' खंड पुं० [सं.] भाग (२) खांड खंडन पुं० [सं.] भांगवं; तोडवं ते खंडनी स्त्री० सांथ; कर खंडर पुं० जुओ 'खँडहर ' खंडवानी स्त्री० खांडनुं पाणी ( २ ) जानैयाओने नास्तो पाणी शरबत इ० मोकल
खंडश पुं० चणाना लोटनुं एक पकवान खंडसार, -ल स्त्री० देशी खांडनुं कारखानुं
खंडसारी स्त्री० एक जातनी देशी खांड खंडहर, खंडर पुं० [खंड + घर] खंडेर खंडित वि० [सं.] भांगेलं; तूटेल; अपूर्ण
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खगना
क्षोम पुं० [सं.] शणियं ( २ ) वस्त्र क्षौर पुं० [सं०] हजामत क्ष्मा स्त्री० [ सं . ] पृथ्वी वेलिका स्त्री० [सं.] मश्करी; गमत
खंडिया स्त्री० नानो खंड - टुकडो खंडौरा पुं० जुओ 'ओला'; एक मीठाई ख़तरा पुं० खाडो; तराड; बखोल खंता पुं० (अल्प ० - ती स्त्री०) कोदाळो; पावडो [(२) खाघरो खंदक स्त्री० [अ.] किल्लानी खाई खंदा पुं० ( प. ) खोदना रो [ हसमुखुं खंदा पुं० [फा.] हास्य. ०रू, ०पेशानी वि० खंदी स्त्री० कुलटा खँधवाना स० क्रि० खाली कराववुं खंधार पुं० (प.) छावणी; डेरो; तंबू खंभ ( - भा) पुं० (स्त्री० - भिया) खंभो; थांभलो [डर (३) शोक खंभार पुं० ( प. ) गभराट; चिंता; (२) खई स्त्री० खई; क्षय (२) लडाई (३) झघडो [अनुभवी माणस खक्खा पुं० जुओ 'कहकहा' (२) खखरा पुं० देगडो (२) वांसनो टोपलो खखार पुं० गलफो, कफ इ० जे खांखारीने कढाय छे
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खखारना अ० क्रि० खोंखारवु; 'खखारना' खग पुं० [ सं . ] पक्षी (२) तीर (३) वादळ (४) चंद्र सूर्य के तारा (५) हवा खगना अ० क्रि० ( प. ) खची जवुं अंदर पेसी जबुं - भोंकावुं (२) मनमां चोंटी जव; असर थवी