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खगोल
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खड़कना खगोल पुं० [सं.] गगन (२) खगोळविद्या खटपाटी स्त्री० खाटलानी पाटी.-लेना खग्रास पुं० पूर्ण ग्रहण (सूर्य के चंद्रन) =(स्त्रीए) रूसणुं लेवू खचना अ० क्रि० (प.) खची जवू; खटबुना पुं० खाटलो भरनारो अंदर जडाई जवं
खटमल पुं० [खाट+मल=मैल] मांकण खचरा वि० वर्णसंकर (२) दुष्ट खटमिट्ठा, खटमीठा वि० खटमधुरं खचाखच अ० खचोखच; ठसोठस खटराग पुं० खटखट; झंझट; बखेडो (२) खचित वि० [सं.] जडेलु; अंकित:
नकामी चीजोनो समूह खच्चर पुं० खच्चर; 'खचरा' खटवाट स्त्री० जुओ 'खटपाटी' खज वि० (प.) खाद्य
खटाई स्त्री० खटाश के खाटी वस्तु. खजला पुं० खाजु-एक पकवान -में डालना = एम- एम अनिश्चित खजानची पुं० [फा.]खचानची;कोशाध्यक्ष पड्युं राखवू. में पड़ना = एमनुं एम खजाना, खज़ोना (प.) [अ.] खजानो; अनिश्चित रहे,
तरत धनभंडार (२) राजभंडार
खटाखट पुं० खटखट अवाज (२) अ० खजुआ,-वा पुं० 'खजला'; खाजु खटाना अ०क्रि० खटाएँ; खाटु थर्बु (२) खजुली, -लाना जुओ 'खुजली, -लाना' नभवं; टकवू [अणबनाव खजूर पु०स्त्री० खजूर के तेनुं झाड (२) खटापट,-टी स्त्री० खटपट; झघडो; एक मीठाई (वि०-री)
खटाव पुं० निभाव; गुजारो खट पुं० खट अवाज. -से = तरत खटास स्त्री० खटाश खटक स्त्री० खटको; डर; चिंता (२) खटिक पुं० काछियो (२)खाटकी(स्त्री० खटकवू ते
खटकिन) खट (-ड) कना अ० क्रि० खटकवू; खट- खदिया स्त्री० खाटली; नानो खाटलो खट थq; मनमा लागवू (२) डर खटोलना, खटोला पुं० 'खटिया' (३) मनमां चिंता थवी (४) रही रहीने खट्टा वि० खाटुं. जी खट्टा होना=दिल पीडा थवी (५) आखडवू; झघडवं ऊतरी जवं; रुचि ना रहेवी खटका पुं० खटको (२) भय (३) चिंता खट्टाचूक वि० खाटुंचरड; खूब खाटुं खटकिन स्त्री० काछियण. (पुं० खटिक) खट्टा-मीठा वि० जुओ 'खटमिट्ठा'. जी खटकीड़ा (-रा) पुं० मांकण; 'खटमल' खट्टामीठा होना=मोंमां पाणी आव; खटखट स्त्री० खटखट (अवाज के ललचायूँ पंचात)(२) झघडो खखडाववू खट्टी स्त्री० खाटु लींबु [कमानार खटखटाना स० कि० खटखटाववं; खटू वि० खाटनार; लाभी जनार; खटना सक्रि० कमावू; खाटवं (२) खट्वा स्त्री० [सं.] खाटलो [छे ते अ.क्रि० कामधंधे लागवं
खडंजा पुं० फरस करवा ऊभी ईटो चणे खटपट स्त्री० खटखट अवाज (२) खड़ पुं० खड; घास अणबनाव; झघडो
खड़(-र)कना जुओ 'खटकना'...
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