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निछावर - २९३
निनारा निछावर स्त्री० माथे उतारीने दान निथार पुं० नितार; नीतरेलुं साफ कराती वस्तु (२) न्योछावर करेलु- प्रवाही के नीतरीने नीचे बसे ते बलिदान (कोई उपर).-होना=(कोईने निथारना अ०क्रि० नितार माटे) बलिदान थवं-मरवू निदरना सक्रि०(प.) निरादर करवो निछोह (-ही)वि० प्रेमरहित (२) निर्दय निदर्शन पुं०[सं.] दृष्टांत; दाखलो (२) निज (-जी,०का) वि० निज, पोतानुं
प्रदर्शन (२) साचुं; यथार्थ (३) खास; मुख्य.
निदाघ ० सिं.] उनाळो (२) ताप निज करके = अवश्य; जरूर
निदान पुं० [सं.] कारण (२) रीगनुं निजकारी स्त्री० भागमां खेडाती जमीन
कारण के तेनी परख (३) अंत; निजा पुं० [अ.] झघडो; तकरार छेडो (४) वि० नीचेछेल्ली कोटिन निजाम पुं० [अ.] बंदोबस्त (२) निझाम (५) अ० अंते; आखरे [चिंतन-ध्यान निजी वि० जुओ 'निज'
निदिध्यासन पुं० [सं.] निरंतर ऊंडु निज,-जू वि० (प.) निज; खास पोतान निदेश पुं० [सं.] आदेश; आज्ञा निस्व अ० [फा.] पासे (२) सामे
निद्रा स्त्री० [सं.]ऊंघ. ०ल वि० ऊंघणशी. निझरना अ०क्रि० झुडाईने साफ थq;
-द्रित वि० ऊंघेल बधुं खरी पडवू
निधड़क अ० बेधडक निठल्ला (-ल्लू) ९ि० ठालं; कामधंधा
निधन पुं० [सं.] अंत; मरण वगरन
निधन (-नी) वि० निर्धन निठाला पुं० बेकारी; नवराश;ठालापणुं निधान पुं० [सं.] आश्रय-स्थान; आधार निठुर वि० निष्ठुर; निर्दय
(२) निधि; भंडार निठौर पुं० बूरी जगा; कथोल (२) निधि स्त्री० [सं.] भंडार; खजानो(२) दुर्दशा. -पड़ना=हाल थवा
समुद्र (३) कुबेरनां नव रत्न (४) निडर वि० नीडर (२) साहसिक नवनी संख्या निढाल वि० ढीलं; अशक्त (२) उत्साह- निनरा वि० जुओ 'निनारा'
रहित; मंद [(२) ढाळ । निनाद पुं० [सं.] नाद; अवाज नितंब पुं० [सं.] (स्त्रीनो) कुलो; थापो निनानवे वि० नव्वाणु; ९९. -के फेरमें नित अ० नित्य; रोज; सदा
आना या पड़ना=धननी धूनमां पडवू नितराम् अ० [सं.] सदा सर्वदा; नक्की निनार (-रा) वि० (प.) निराळं ; जुदं; नितांत वि० [सं.] अतिशय; खुब (२) अलग; न्यारं बिलकुल; तद्दन
निनावाँ पुं० मों के जीभ आवी जवी नित्य वि० [सं.] सनातन; अमर (२) ते; तेथी थता फोल्ला इ० (२) वि. अ० सदा. कर्म पुं० रोजनां काम __ जे वस्तुनु नाम लेवू खराब गणातुं के तेनो विधि. प्रति, शः अ० रोज होय ते
'ननिहाल' निथरना अ.क्रि० नीतर' निनौरा पुं० नानी- घर; खडमोसाळ;
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