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लिखना
लीला लिखना सक्रि० लखवू (प्रेरक,लिखाना) लिवाना सक्रि० लवडावq(२)लेवडाव, लिखाई स्त्री० लखवू ते के तेनी ढब लिवाल पुं० खरीदनार के लेनार; के मजूरी (२) लेख
लेवाल करनार लिखापढ़ी स्त्री० लखापट्टी; पत्रव्यवहार लिहाज पुं० [अ.]ख्याल;कोई वातनं ध्यान
(२) कशाने लखी लई नक्की करवं ते (२) विवेकमर्यादा; अदब लिखावट स्त्री० लखवानी रीत(२)लिपि लिहाजा अ०[अ.] एटला वास्ते; माटे लिखित वि० [सं.] लखेलु; लेखी (२) लिहाड़ा वि० नीच (२) खराब पुं० लखत; लखाण
लिहाड़ी स्त्री० निंदा; हांसी [रजाई लिटाना सक्रि० 'लेटना' नुं प्रेरक लिहाफ़ पुं० [अ.] ओढवानुं गोदडु के लिट्ट पुं०बाटी; (सीधो आग पर शेकेलो) । लीक स्त्री० लीक (रेखा के हद) (२) भाखरो
चीलो(३) पडेली प्रथा; रूढि.-खिचना लिथड़ना अ०क्रि० लदबद थवुरगदोळावं =अटल के दृढ़ निश्चय करवो (२) लिपटना अ०क्रि० लपटावं (२) गळे मर्यादा बांधवी.-खींचकर नक्की (२) वळगq (३) तन्मय थईने कोई काममां जोर दईने. -पीटना = रूढि प्रमाणे पडq (प्रेरक, लिपटाना सक्रि०) चालवं; चीले चालवं लिपना अ०क्रि० लीपावू; धोळावं के लोख स्त्री० (माथानी) लीख
रंगावं; 'लीपना' नुं कर्मणि लीचड़ वि० नकामुं; 'बेकाम' (२) लेणलिपाई स्त्री० लीपवं ते के तेनी मजूरी देणमां ठीक न होय एवं लिपाना सक्रि० 'लीपना' नुं प्रेरक लीची स्त्री० एक झाड के तेनुं फळ लिपि स्त्री० [सं.] अक्षरोनां चिह्न के ते लीझी स्त्री० कूचो (२) वि० नकामुं;
लखवानी रीत. ०बद्ध वि० [सं.] लखेलुं । निस्सार लिप्त वि० [सं.] लींपेलं (२) लेपायेलं; लीडर पुं० [इं.] नेता आसक्त
लोतड़ा (-रा) पुं० जूनो फाटेलो जोडो लिप्सा स्त्री० [सं.] लोभ, लालच लीथो,०ग्राफ पुं० [इं.] शिलाछाप लिफ़ाफ़ा पुं० [अ] परबीडियु (२) उपरनो लीद स्त्री० (पशुनी) लाद
आडंबर (३) देखावडो पहेरवेश.-खुल लीन वि० [सं.] गरक; तल्लीन जाना-भेद उघाडो पडवो. -बनाना= लीपना सक्रि० लींपवू. -पोतना = ठाठ के आडंबर करवो ।
लींपवू गूंपवू. लीप पोतकर बराबर लिफ़ाफ़िया वि० आडंबरी
करना = सत्यानाश वाळवं लिबड़ी स्त्री० कपडालत्तां. ०बरतना, लीम् पुं० लींबु; 'नीम' ___०बारदाना पुं०निर्वाहनी साधनसानग्री लील वि० नील; भूरुं लियास पुं० [अ.] लेबास; पोशाक लोलना स०क्रि० गळवू; गळे उतारवू लियाकत स्त्री० [अ.] लायकात; 'लायक़ी' लीला स्त्री० [सं.] खेल; क्रीडा; नाटक लिल्लाह अ० [अ.] ईश्वरना नामथी (२) वि० नील; भूरुं
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