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रजत
रक्तस्त्राव
४४६ रक्तस्राव पुं० [सं.] लोही वहेवू- आंख फरकवी; अनिष्ट थवानी बीक नीकळवू ते
थवी
[नस रक्तार्श पुं० दूझता हरस
रगजा स्त्री० [फा.] सौथी मोटी-धोरी रक्तालु पुं० [सं.] रताळु
रगड़ स्त्री० रगडव, चूंटवू के घसq ते रक्ति स्त्री० [सं.] प्रेम; अनुराग (२)
(२) रगड; भारे महेनत (३) रगडो; रती; 'रक्तिका'
झघडो; पंचात (४) घसावाथी थतुं रक्तिका [सं.] रती वजन
चिह्न; उझरडो.-खाना धक्का खावा; रक्ष पुं० [सं.] रक्षा (२) रक्षक (३) राक्षस रगडपट्टी थवी. -देना = तंग करवं. रक्षक पुं० [सं.] रक्षा करनार (२) रखेवाळ -पड़ना = खूब महेनत पडवी रक्षण पुं०, रक्षा स्त्री० [सं.] बचावq ते; रगड़ना स० कि० रगडवू; घस, के पालन
चूंटवु (२) खूब महेनतपूर्वक करवु (३) रक्षागृह पुं० [सं.] प्रसूतिगृह (२) चोकी हेरान करवू (४) अ० क्रि० खूब रक्षित वि० [सं.]रक्षा पामेलु (२) आश्रित महेनत करवी रक्स पुं० [अ.] नृत्य. रक्से ताउस-मोर रगड़ा पुं० जुओ ‘रगड़'. ०झगड़ा जेवो नाच
पुं० लडाई; टंटो. -देना = रगडवू; रखना सक्रि० राखवू. रख छोड़ना= - घस राखी मूक
एब; दोष रगड़ान स्त्री० 'रगड़ा'; रगडवं ते रखना पुं० [फा.] बारी (२) खलेल (३) रगदना सक्रि० खदेडवू; दोडावq रखना-अंदाज वि० [फा.]विघ्न नांखनालं; रगबत स्त्री० [अ.] रुचि; चाह; इच्छा
अडचणकर्ता (नाम, -जी स्त्री०) रग-रेशा पुं० पांदडानी नसो (२) रखनी स्त्री० रखात
शरीरनी रगेरग-अंदरनां बधां अंग रखला पुं० जुओ 'रहँकला'
रचना स०वि० रचवू (२) स्त्री० [सं.] रखवाई,-ली स्त्री० रखेवाळी रचयू के रचायेलं ते; बनावट; कृति रखवार,-ला पुं० रखेवाळ
रचनात्मक वि० [सं.] रचनाने लगतं; रखवाली, रखाई स्त्री० जुओ 'रखवाई' जेमां रचवानुं करवानुं होय एवं; रखाना सक्रि० रखावq (२) रक्षा करवी
रचयिता पुं० [सं.] रचनार; निर्माता रखे (-ख)ली स्त्री० रखात . रचित वि० [सं.] रचेलं; बनावेलु रग स्त्री० [फा.] रग; नस (शरीर के रज पुं० [फा.] अंगूर पाननी). -उतरना = जिद के क्रोध रज पुं० [सं.] रजोगुण (२) स्त्रीनो ऊतरवो. -चढ़ना=जिदे के क्रोधे मासिक अटकाव (३) पराग (४) स्त्री० चडवू (२) रग चडवी- आधी पाछी रज; धूळनो कण थवी. -दबना दबावू; मानवं; कह्यामां रजक पुं० [सं.] धोबी.-की स्त्री० धोबण के प्रभाव तळे आवq. -फड़कना = रजत स्त्री० [सं.] चांदी (२) वि० धोळं
अमल
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