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स ० ( 'यह' नुं ब०व० ) आ बधा येई स० (प.) जुओ 'यही' येऊ, -हू स० ( प. ) आ पण; 'यह भी ' येतो वि० ( प. ) जुओ 'एतो'; 'इतना ' यों अ० आम; आ प्रमाणे
यही अ० आम ज ( २ ) व्यर्थ ; विना खास प्रयोजन
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योग पुं० [सं.] मेळाप (२) योग दर्शन योगरूढ़ि स्त्री० [सं.] खास अर्थमां प्रचलित समास. उदा० चंद्रभाल योगी पुं० [सं.] योग साधनार; जोगी योग्य वि० [सं.] उचित; वाजबी योजन पुं० [ सं . ] योजवुं ते; (२) चार
गाउ
कवि० [सं.] गरीब, निर्धन (२) कंजूस रंग पुं० [सं.] कलाई; 'रांग' (२) रंगभूमि (३) रंग (वर्ण वगेरे अर्थ मां . ) [ फा . पण ] --चूना या टपकना=भरजुवानीमां होवूं. - निखरना = चहेरो साफ ने चमकतो होवो. - मारना - जीतबुं - रलना = लहेर करवी. - लाना = प्रभाव के गुण देखाडवो रंगढंग पुं० हाल; दशा; स्थिति (२) वर्तन रंगत स्त्री० रंग (२) मजा;आनंद (३) दशा रंगतरा पुं० संतरुं रँगना स०क्रि० रंगवुं
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रंगबिरंगा वि० रंगबेरंगी रंगभवन पुं० [सं.] जुओ 'रंगमहल' रंगभूमि स्त्री० [ सं . ] नाटकशाळा, अखाडो के युद्धक्षेत्र (२) मंच [ जगा रंगमहल पुं० आनंद उल्लास माणवानी
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रंगीनी
योजना स्त्री० [सं.] गोठवण; व्यवस्था; आयोजन
योद्धा पुं० [सं.] योद्धो
योनि स्त्री० [सं.] देव, पशु इ० जाति (२) उत्पत्तिनुं स्थान (३) स्त्रीनी योनि योम पुं० जुओ 'यौम' यौं अ० ( प. ) आम; आ रीते
यौत (तु) क पुं० [सं.] लग्ननी पहेरामणी; देज पैठण इ०
यौन वि० [सं.] योनि संबंधी यम पुं० [अ.] दिवस यौमिया पुं० [ अ ] रोजी (२) वि० रोजनुं (३) अ० रोज यौवन पुं० [सं.] जुवानी
रंगर ( -रे) ली स्त्री०मजा; लहेर; रंगरस रंगरूट पुं० लश्करमा दाखल थनार रँगरेज पुं० [फा.] रंगरेज ( स्त्री० - जिन)
रंगरेली स्त्री० जुओ 'रंगरली' रंगशाला स्त्री० [सं.] नाटकशाळा रंगसाज पुं० [फा.] रंगारो ( मकान इ०नो) (२) रंग बनावनार. -जी स्त्री० तेनो धंधो के काम [ मजूरी रँगाई, - , - वट स्त्री० रंगवानुं काम के तेनी रंगारंग वि० [फा.] रंगबेरंगी रंग ( - ) या पुं० 'रंगसाज'; रंगारो रंगी वि० [सं.] रंगीलुं; मोजीलुं रंगीन वि० [फा.] रंगवाळु रंगित ( २ ) रंगीलुं (३) मजेदार, रसिक. -नी स्त्री० 'रंगीन' होवुं ते (२) सजावट; शणगार
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