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पानीदार
३२२ लेवं. -टूटना = पाणी खूब खूटवू. पायचा पुं० [फा.] 'पार्यंचा'; लेंघा के (जळाशयमां).-देना=पाणी पावू (२) पायजामानी बांय पितृओने अंजलि आपवी. -पड़ना= पायजामा पुं० जुओ ‘पाजामा' वरसाद पडवो (२)(किसी पर)-पड़ना पायजेब पुं० जुओ 'पाजेब' = शरमि, थर्बु. -पानी होनाखूब पायतस्त पुं० [फा.] राजधानी शरमा.-मरना-दोष के वांक होवो. पायताबा पुं० [फा.] पगर्नु मोजें -लगना-(पाणीनी के बीजी खराब) पायदार वि० [फा.] टकाउ; मजबूत असर थवी; पाणी लागवू
(नाम, -री) पानीदार वि० पाणीदार
पायपोश पुं० जुओ 'पापोश' पानीदेवा वि० अंजलि आपनार-तर्पण पायबंद वि० [फा. जुओ 'पाबंद' करनार वारस
(नाम, -दी स्त्री०) पाप पुं० [सं.] पाप; कुकर्म. -कटना-पाप पायमाल वि०, -ली, स्त्री० जुलो टळवू - नाश थर्बु (२) झघडामांथी ___ 'पामाल', '-ली' छटवं. -पड़ना = मश्केल के कठण पायल स्त्री० नूपुर (२) जनमतां पहेला पडq.-मोल लेना-जाणीजोईन कशा पग बहार आव्या होय तेवू बाळक . झघडामां पडवू
पायस स्त्री०, पुं० [सं.] खीर; दूधपाक पापड़ पु.० खावानो पापड (२) वि० पाया पुं० [फा.] खाटला इ० नो पायो
पातळं. -बेलना-खूब महेनत करवी - (२) स्तंभ (३) दरज्जो पापाचार पुं०[सं.]पापी आचार; दुराचार पायाब वि० [फा.] चालीने पार करी पापात्मा, पापिष्ठ, पापी वि० [सं.] शकाय एवं छछरुं (पाणी) पापी; दुराचारी
पारंगत वि० [सं.] निपुण; निष्णात पा(य)पोश पुं० [फा.] जोडा पार पुं० [सं.] छेडो; अंत (२) सामो पाप्मा पुं० [सं.] पाप (२) वि० पापी किनारो पा-प्यादा अ० [फा.] पगवाळू; 'पैदल' पारखी पुं० पारेख; परखनार पाबंद वि० [फा.] (नाम, -बी) बद्ध; । पारचा पुं० [फा.] टुकडो (२) कपडु (३)
केद (२) नियमित (३) नियमबद्ध कवाना मों पर मुकातुं लाकडानुचोकळं पामर वि० [फा. क्षुद्र; नीच (२) पापी पारतंत्र्य पुं० [सं.] परतंत्रता; गुलामी पा(व्य)माल वि० [फा.] (नाम,-ली) पारद पुं० [सं.] पारो पायमाल; बरबाद
पारदर्शक वि० [सं.] आरपार जोई पायें पुं० (प.) पग. ०चा पुं० जुओ शकाय एवं 'पायचा'. ०ता, पुं०, ती स्त्री० पारदर्शी वि० [सं.] दूरनुं के छेवटनुं खाटलानी पांगत; 'पाँयता'
जोनार; चतुर; दूरदर्शी पायंदाज पुं० जुओ 'पा-अंदाज' पारधी पुं० शिकारी (२) हत्यारो पायखाना पुं० [फा.] 'पाखालाः जाजरू पारना सक्रि० पाडवू
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