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पाटवी वि० पटराणीनो (पुत्र); युवराज (२) रेशमी
पाटसन पुं० जुओ 'पटसन'
पाटा पुं० पाटलो (२) खेडूतनो समार पाठी स्त्री० परिपाटी; रीत (२) श्रेणी; पंक्ति (३) पाटीगणित (४) पुं० पाटी; स्लेट (५) खाटलानी ईस ( ६ ) लेसन पाठ पुं० [सं.] वांचवं ते के तेनो विषय (२) पाठ; बोध [(३) उपदेशक पाठक पुं० [सं.] वांचक (२) शिक्षक पाठशाला स्त्री० [सं.] विद्यालय; निशाळ पाका वि० पठ्ठु हृष्ट-पुष्ट पाठी पुं० [सं.] जुओ 'पाठक' पाठ्य वि० [सं.] पठन करवा योग्य पाड़ पुं० किनार (२) मांडो (३) फांसीनो मांडो (४) कूवा परनी जाळी पांड़ा पुं० पाडो; महोल्लो (२) भेंसनो पाडो
पाढ़ पुं० सोनी इ०नी पाड (२) खेडूतनो चोकी करवा बेसवा माटेनो माळो पाच पुं० [सं.] वेपार (२) दाव; बाजी (३) पाणि; हाथ
पाणि पुं० [सं.] हाथ. ० ग्रहण पुं० लग्न. ०ज पुं० आंगळी (२) नख पात पुं० [सं.] पतन (२) नाश ( ३ ) ( प. ) पान; पत्र [ पापी पातक पुं० [सं.] पाप गुनो. - की वि० पातर, -ल स्त्री० पतराळं (२) वेश्या (३) वि० पातळं
पातशाह पुं० पादशाह
पाताबा पुं० [फा.] पगनां मोजां (२) जोडानी सखतळी
पाताल पुं० [सं.] पाताळ
. पातिव्रतस्य पुं० [सं.] पतिव्रतापणुं हि- २१
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पाती स्त्री० (प.) चिठ्ठीपत्र (२) झाडनां पान (३) लाज शरम
पातुर, ०नी स्त्री० पातर; वेश्या पात्र पुं० [सं.] वासण (२) नवीनुं पात्र - पट (३) नाटकनुं पात्र (४) वि० ( नाम साथ समासमा ) -ने योग्य पाथ पुं० ( प. ) पथ; मार्ग [ पीटवुं पाथना स०क्रि० घडवुं (२) थापवुं (३) पाथर पुं० ( प. ) पथ्थर पाथेय पुं० [ सं . ]
भाथं; वटेसरी
पाद पुं० [सं.] पग (२) चोथो भाग (३) खंड भाग (४) पुं०; स्त्री० पाद [ करवी पावना अ०क्रि० पाद; वाछूट थवी के पादप पुं० [सं.] झाड पादरी पुं० ख्रिस्ती धर्मगुरु; पादरी पावशाह पुं० [फा.] बादशाह; राजा पादाति, ०क पुं० [सं.] पायदळ सैनिक पादुका स्त्री० [सं.] पावडी ( २ ) जोडा पादोदक पुं० [सं.] चरणामृत पाद्य पुं० [सं.] पग धोवा माटे पाणी पाधा पुं० उपाध्याय (२) पंडित पान पुं० पान; पर्ण (२) खावानुं पान (३) [सं.] पीवुं ते (४) पीणुं - पाणी, दारू इ० (५) शस्त्रने पाणी चडाववुं ते. ० गोष्ठी स्त्री० दारू पीनारी मंडळी. ०दान पुं० पाननो डबो पान - पत्ता पुं० पानपट्टी (२) जुओ 'पानफूल' [ पांखडी पान-फूल पुं० फूल नहि तो फूलनी पाना स०क्रि० प्राप्त करवुं; पामवु पानी पुं० पाणी. का बतासा या बुलबुला = पाणीनाप रपोटा जेवुं क्षणभंगुर ते. - छूना झाडे फ़री पाणी
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