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ब्योंत
भंडारी ब्योंत स्त्री० वेत; व्यवस्था; वेतरण ब्रह्मभोज पुं० ब्राह्मणोने अपातुं भोजन ब्योंतना सक्रि० (कपडु) वेतर ब्रह्मर्षि पुं०[सं.] ब्राह्मण ऋषि (उत्तम ब्योपार पुं० वेपार. -री पुं० वेपारी कोटिनो) म्योरना स०क्रि० (प.) वाळ ओळवा । ब्रह्मसमाज पुं० (राजा राममोहन राये ब्योरा पुं० विवरण; वर्णन. -रेवार अ० चलावेलो) एक नवो संप्रदाय सविस्तर; विगतवार
ब्रह्मांड पुं० [सं.] विश्व; आखी सृष्टिनो ब्योहर पुं० व्याजवटावनो व्यवहार गोळो ग्योहरिया पुं० व्याजवटुं करनार ब्रह्मास्त्र पुं० [सं.] एक अमोघ अस्त्र न्यो (-ब्यौ)हार पुं० व्यवहार ब्राह्म वि० [सं.] ब्रह्म संबंधी ब्रज पुं० व्रज
ब्राह्मण पुं०[सं.] चारमांनो पहेलो वर्ण ब्रह्म पुं० [सं.] मूळ सत्य; परमात्मा ब्रिगेड पुं० [ई.] सेनानी अमुक संख्यानी ब्रह्मचर्य पुं० [सं.] ब्रह्मचारीनुं व्रत; पूरो पलटण इंद्रियनिग्रह
ब्रिटिश वि० [इं.] ब्रिटन देशरों के ते संबंधी ब्रह्मचारी पुं० [सं.] कुंवारो; ब्रह्मचर्य । ब्रुश पुं० [ई.] ब्रश [चावी पाळनारो; प्रथम आश्रममा रहेनार- ब्रेक पुं० [ई.] गाडीनी ब्रेक - रोकवानी विद्यार्थी
ब्लाक पुं० [ई.] ब्लॉक
मंग पुं० [सं.] भांगवू तूटq ते (२) नाश; सिक्को वटाववो (३) भांगवू; वळ देवो पराजय (३) टुकडो; भाग (४) बाधा; भंटा पुं० भट्टो; गोळ मोटुं वेंगण हरकत (५) तरंग (६) स्त्री० भांग भंड पुं० [सं.] भांड (२) वि० पाखंडी भंगड़ वि० भांगनो व्यसनी; 'भँगेड़ी' भंड़फोड़ पुं० भांगफोड हाटियु भंगरा पुं० भांगरो
भंडरिया स्त्री० दीवाल- भंडारियंभंगार पुं० कूवो खोदवा करेलो खाडो भंडा पुं० भांड; वासण (२) मर्म; भेद. (२) घास इ० कचरो
__-फूटना = भेद खूलवो; घडो फूटवो भंगी पुं० भंगी - एक नात के तेनो। भंडार पुं० [सं.] भंडार; कोठार (२)
माणस (२) वि० भांगवाळो पेट (३) रसोडु (४) खजानो भंगुर वि० [सं.] भांगी जाय एवं (२) भंडारा पुं० भंडारो (साधुनो) (२) भंडार
नाशवंत (३) वांकुं; वळांकवाळं (३) समूह (४) पेट भंगड़ी वि० भांगनो व्यसनी [नाश भंडारी पुं० भंडारी; कोठारी (२) भंजन पुं० [सं.] भांग, ते (२) ध्वंस; खजानची (३) रसोइयो (४) स्त्री० भैजना अ०क्रि० भंगावं; तूटवू(२) मोटो नानुं भंडारियुं - हाटियु
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