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सूई
सूई स्त्री० सोय (२) घडियाळना जेवो कोई पण कांटो का फावड़ा या भाला बनाना = रजनुं गज करवुं. सूइयों नाज पिरोना = बहु कंजूसी करवी सुकर पुं० [सं.] सूअर; मूंड. - री स्त्री० सुका पुं० पावली (२) वि० सूकुं. की स्त्री० लांच
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सूक्त पुं० [सं.] वेदनं सूक्त - मंत्रोनुं जूथ (२) सुवाक्य (३) वि० सारी रीते कहेलुं सूक्ति स्त्री० [सं.] सुवाक्य; सारो बोल सूक्ष्म वि० [सं.] बारीक; झीणं. ०दर्शक यंत्र पुं० सूक्ष्म पदार्थ जोवानुं यंत्र. ०दर्शी वि० तीणुं जोई शकनार; कुशाग्रबुद्धि सूखना अ०क्रि० सुकावुं सुखा वि० सूकुं; शुक; लखुं (२) पुं० सुकवणुं; दुकाळ (३) सूको; जरदो (४) पाणी वगरनी सूकी जगा
सूचक वि० [सं.] सूचवतुं बतावतुं (२) पुं० सोय (३) दरजी [ चेतवणी सूचना स्त्री० [ सं . ] सूचववुं ते; नोटिस; सूचि स्त्री० [ सं . ] सोय (२) इस्टापडी; कडी (३) यादी
[सूंढ
सूचिका स्त्री० [सं.] सोय (२) हाथीनी सूचित वि० [सं.] सूचवाये लुं सूची पुं० [सं.] चाडियो के गुप्तचर (२) स्त्री० सोय ( ३ ) यादी सूच्यार्थ पुं० [सं.] व्यंग्यार्थ
सूजन ( - गी) स्त्री० सूज; सोजो. -ना अ०क्रि० सूज, फूलबुं
सूजा पुं० 'सूआ'; सोयो सूजाक पुं० [फा.] एक मूत्ररोग सूजी स्त्री० रवो; जाडो लोट (२) सोय (३) पुं० दरजी
सूझ-बूझ स्त्री० समज; सूझ हिं. ३५
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सूफ़
सूझना अ० क्रि० सूझवुं; देखावुं सूट पुं० [इं.]पहेरवानुं 'सूट' - कोटपाटलून सूत पुं० सूतर (२) दोरो सूतक पुं० [सं.] प्रसव; जन्म ( २ ) अशौच (जन्म-मरणनुं ). - की वि० सूतकवाळं सूतना अ०क्रि० ( प. ) सूवुं सूता पुं० 'सूत'; सूतर (२) स्त्री० [ सं . ] प्रसूता स्त्री
सूतिका स्त्री० [सं.] सुवावडी. ०गार, ०गृह, ०भवन पुं० प्रसूतिगृह सूती वि० सूतरनुं (२) स्त्री० सीप सूत्र पुं० [सं.] सूतर; दोरो (२) ट्रंक वचन के वाक्य (३) तंत्र; व्यवस्था सूत्रकार पुं० [सं.] सूत्र रचनार ( २ ) सुथार (३) वणकर [ मुख्य नट सूत्रधार पुं० [सं.] नाटकनो नायक; सूत्रपात पुं० [सं.] शरूआत सूथन ( - नी ) स्त्री० स्त्रीओनी सूंथणी सुथार पुं० सुथार
सूद पुं० [फा.] लाभ (२) व्याज दर सूद = व्याजनुं व्याज सूदी वि० व्याजुकुं सूषा वि० ( प. ) सीधुं सूधे अ० ( प. ) जुओ 'सीधे' सून पुं० [सं.] प्रसव (२) पुत्र, फळ, कळी इ० ( ३ ) ( प. ) शून्य ( ४ ) वि० सूनुं. ०सान वि० जुओ 'सुनसान' सूना वि० सूनुं (२) पुं० एकांत जगा (३) स्त्री० [सं.] पुत्री
सूप पुं० सूपडुं (२) [सं.] सूप - एक पेय वानी. ०क, ०कार पुं० रसोइयो. oड़ा पुं० सूपडुं
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सूफ़ पुं० [अ.] ऊन के गरम कपडुं (२) काळी शाहीना खडियामां रखातुं कपडुं