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शब्दी आ वेळाय नथी लीधा. आजनी मोंघवारीथी भामेय किंमत तो सारी पेठे वधी ज छे, जेने माटे तो कशी उपाय नथी.
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गई आवृत्तिमा 'राष्ट्रभाषानुं स्वरूप' ए मथाळे पू. गांधीजीना विचाराने आमुख तरीके आपेला. आ वेळा तेमणे खास 'बे बोल '* लखी आप्या होवाथी ते भाग जतो कर्यो छे. गांधीजीना विचारो जाणवा माटे हवे तेमनुं 'राष्ट्रभाषा विषे विचार ' ए नामनुं स्वतंत्र पुस्तक प्रसिद्ध थयुं छे, ते वाचक जुए.
छेवटमा एक वात : हिंदुस्तानी भाषाना प्रचारने अंगे एक गेरसमज थती जोवामां आवे छे, ते ए के, तेमां फारसी अरबी ने संस्कृत शब्दोनो अदलोबदलो के आघापाछी करवानी होय छे. पण, भाग्ये ज कोई एम माने छे. आ तो एक अवळी दलील ज छे. आ कोशनी पाछळ एवी कोई दृष्टि न मानवा विनंती छे. आजनी स्थितिमां हिंदी + उर्दू बेउ शब्दोनुं भंडोळ चालवानुं. लेखक पोतानां रुचि भने शिक्षण प्रमाणे सहेजे अहींथी के तहींथी शब्दो लखशे. जे शब्दो ने जे शैली सामान्य जनताने वधु समजाशे ने गमशे, ते वधु चालशे. आ मोटी कसोटीने जो लेखको अनुसरे, तो आपोआप तेओ सरळ लोकभाषा तरफ वळशे. ते हिंदी हशे तो सरळ हिंदी बनशे ने उर्दू हशे तो सरळ उर्दू बनशे अने ए दिशामां जतां बेउ शैलीओ एक प्रचलित लोकभाषा, जेने हिंदुस्तानी नामथी कहेवामां आवे छे, तेनी वधुमां वधु नजीक, आपोआप पहोंचो. आ काम कोशनुं नथी. कोशे तो चालु स्थितिमा काम दे एवो शब्दसंग्रह आपवानो छे. एथी ज एम केटलाक कहे छे के, भाजे तो उर्दू शब्दकोश + हिंदी शब्दकोश = पूरी हिंदुस्तानी शब्दसागर गणाय.
एक भी ऊलटी विचार-दिशा पण प्रवर्ते छे. अने ते ए के, पायानी हिंदुस्तानी जेवुं एक रूप संशोध अने तेने माटे जरूरी एवं नानुं पायारूप शब्द-भंडोळ खोलवु आवा प्रयत्नो पण एक बे जाणमा छे. राष्ट्रभाषाना खेडाण भने वृद्धिने अर्थे आवा भावा विविध अभ्यासो थवा जोईए; प्रांतीय भाषाओ भने हिंदुस्तानीमां एकसरखा शब्दोनी यादीओ थवी जोईए. भा बधुं खूब उपयोगी काम छे. ने तेमां अभ्यासीओ लागशे तो ज एक राष्ट्रभाषा निर्माणना महान कामने सारु वैज्ञानिक मदद पण मळी शकशे.
भा कोश तैयार करवा माटे शब्द - पसंदगी लोकमां प्रचलितताने धोरणे करवानी नेम राखी छे. एने पायानी के संपूर्ण हिंदुस्तानीनो कोश मानवानी भूल न करवामां भावे. एनी नेम एटली ज छे के, आजे आपणे त्यां हिंदुस्तानी प्रचारनी जे प्रगति छे तेने तेणे पहोंची वळवा मथवु. ते भर्थं जेटलो सरे तेटलो एनी कृतार्थता छे. एने वापरनाराओ ए दृष्टिए एने भागळ उपर सुधारवावधारवा सक्रिय मदद करता रहे ए विनंती छे.
१२-३-२४६
म० प्र० देसाई
* आ ' बे बोल' मा निवेदन पछी भाप्या छे ते जुभो.
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