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ओनचना
ओहो ओनचना स कि 'ओनचन' खेंचवी ओल वि० [सं.] भीनु (२) पुं० सूरण ओना पुं० तळाव, पाणी नीकळवानो (३) स्त्री० गोद (४) आड (५) मार्ग-गरनाळं. -लगना = तळाव ओथ; शरण (६) बहानुं . एटलं भरावं के 'ओना'थी पाणी . ओलती स्त्री० छापरानुं ने नीकळवा लागे .
ओला पुं० 'ओरा'; करा (२) एक ओनामासी स्त्री० [ॐ नमः सिद्धमभण- मीठाई (३) वि० खूब ठंडु वरनो आरंभ (२) प्रारंभ; मंगळाचरण
ओलाहना पुं० जुओ 'उलाहना' ओप स्त्री० ओप (चमक; शोभा; ढोळ) ।
ओलियाना अ० क्रि० गोदमां भरवू (२) ओपची पुं० बखतरवाळो योद्धो रक्षक
स० क्रि० घुसाडवू; ठांसवू; हुलावी देवू ओपचीखाना पुं० चोकी .
ओली स्त्री० 'ओल'; गोद (२)पालव ओपना सक्रि० (२) अ०क्रि० ओपवं.
... (३) झोळी
ओषधि, -धी स्त्री० [सं.] औषध ; दवा ओफ़ अ० जुओ 'उफ़'
ओष्ठ पुं० [सं.] होठ मोबरी स्त्री० नानुं घर; कोटडी..
ओस स्त्री० झाकळ. -पड़ना या पड़ बोरंगोटंग पुं०(मलाया ओरंग-मनुष्य+ . जाना चीमळावं (२) उमंग जतो ऊटन = वन) उरांगउटांग
रहेवो (8) शरमिंदा पडQ [भेस ओर स्त्री० [सं. अवार] बाजु; तरफ ओसर(-रिया) स्त्री० जोटडु; जुवान (२) पक्ष (ज्यारे आनी पूर्वे संख्यावाचक ओसरा पुं०,-री स्त्री० वारी; अवसर वि. आवे छे त्यारे पुं०मां उपयोगथाय ओसाई स्त्री० फटकथी अनाज ऊपण छ. उदा० घरके चारों ओर) (३) ते के तेनी मजूरी ऊपणवू अंत ; आरों. -निभाना या निबाहना ओसाना स० क्रि० फटकथी 'अनाज = अन्त सुधी पोतानुं कर्तव्य पूरुं करवु ओसार पुं० फेलावो; विस्तार; पहोळाई ओरहा पुं० 'होरहा', चणानो छोड के ओसारा पुं० ओसारो; मोटी ओसरी पोपटो
ओसारी स्त्री० ओसरी , . . ओरा पुं० (प.) 'ओला;' करा ओसीसा पुं० 'उसोसा'; ओसीकुं ओराना अ० क्रि० पूरुं थQ
ओह अ० आश्चर्य, दुःख इ० नो उद्गार; ओराहना पुं० जुओ 'उलाहना' ओह ! अरे! ओरी स्त्री० 'ओती'; नेवू
ओहदा पुं० [अ.] होद्दो ओलंदेज (जी) वि० होलॅन्डन; फिरंगी; ओहदेदार पुं० [फ.] होद्देदार [-पडदो । पलंदानुं
ओहार रथ पालखी वगेरेनो ओढो ओलंबा,-भा, पुं० उपालंभ; महे| ओहो अ० आश्चर्य के आनंदनो उद्गार
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