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घटना
गौरव
१६२ गौरव पुं० [सं.] मोटाई (२) भार; ग्रामीण, ग्राम्य वि० [सं.] गामडा-(२) वजन (३) आदरमान ।
गामडियं; गमार गौरी स्त्री० [सं.] गोरी स्त्री (२) पार्वती मास पुं० [सं.] कोळियो (२) प्रसवं ते गौरया स्त्री० एक जळपक्षी ग्राह पुं० [सं.] ग्रहण (२) मगर गौहर पुं० [फा.] मोती
ग्राहक पुं० घराक (२) ग्रहण करनार ग्यान पुं० (प.) ज्ञान
ग्राही वि० [सं.] कबजियात करे एवं ग्यारस स्त्री० अगियारश
ग्राह्य वि० [सं.] ग्रहण करवा योग्य ग्यारह वि० अगियार; ११ ग्रीष्म स्त्री० [सं.] ग्रीष्म ऋतु: उनाळो ग्रंथ पुं० [सं.] ग्रंथ; पुस्तक. कर्ता, कार ग्रीवा स्त्री० [सं.] गरदन पुं० ग्रंथलेखक
ग्रेज्युएट पुं० [इ.] ग्रॅज्युएट; स्नातक ग्रंथसाहब पुं० शीखोनु धर्मपुस्तक प्रेन पुं० [इं.] ग्रेन वजन [खिन्नता ग्रंथि स्त्री० [सं.] गांठ (२) बंधन ग्लानि स्त्री० [सं.] अरुचि; अभाव; प्रसना स० क्रि० ग्रसवू; पकडवू ग्लास पुं०[इं.काच(२) गिलास'-प्यालो ग्रस्त वि० [सं.] पकडायलं; फसायेलं ग्वार स्त्री० गवार । ग्रह पुं० [सं.] ग्रह तारो (२) ग्रहण ग्वारपाठा पुं० कुंवारपाठे . ग्रहण पुं० [सं.] ग्रह-पकडq के लेवू ग्वारफली, ग्वारी स्त्री० गवारफळी ते (२) सूर्यचंद्रनुं ग्रहण
ग्वाल, -ला पुं० (स्त्री० -लिन) गोवाळ ग्रांडोल वि० [इ. ग्रॅन्जर] ऊंचु ने मोटुं बैंडा पुं० गाम पासेनी जगा ग्राम पुं० [सं.] गाम
ग्वैडे अ० पासे
घेघरा पुं० घघरा'; घाघरो घघरा ०,-री स्त्री०जओ 'घाघरा-री' घंघरी स्त्री० घाघरी
घट पुं० घडो [सं.] (२) शरीर (३) घंघोर(-ल)ना सक्रि०प्रवाही हलावीने स्त्री० घट; कमी (४) वि० घटतु थोडं
तेमां घोळवू (२) डखोळवं घटक पुं०[सं.] मध्यस्थ;पंच (२) दलाल घंटा पुं० [सं.] घंट (२) कलाक (३) (३) घडो (४) एकम; अवयव मोटुं (भीतन) घडियाळ
घटका पुं० छेवटनो श्वास; घोघरो घंटाघर पुं० टावर
बोलवो ते [(३) अप्रतिष्ठा घंटी स्त्री० नानो घंट (२) घूघरी (३) घटती स्त्री० घट; कमी (२) पड़ती गळानो घोघरो(४)गळा वच्चे लटकती। घटना अ०क्रि० घटवू; बनवू; थर्बु (२) पडजीभ
घरं; ऊंडु घटवू; बंधबेसचु; लागु पडq (३) ओर्छ भई स्त्री० (प.) भमरो; बमळ (२) वि० थर्बु (४) स्त्री० घटना; बनाव
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