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उपदिशा
उपविशा स्त्री० [सं.] खूणो उपदेश, स पुं० बोध; शिखामण उपदेशक पुं० [सं.] उपदेश आपनार उपदेश ( स ) ना स० क्रि० उपदेश उपद्रव पुं० [सं.] उत्पात; खळभळाट (२) उधमात; दंगोफिसाद; बखेडो उपद्रवी वि० [सं.] उधमातियुं; बखेडो करनाएं [ शरणमा लेव उपधरना स० क्रि० ( प. ) अपनावबुं; उपधा स्त्री० [ सं . ] छळ; कपट ( २ ) उपाधि; पंचात [ तकियो उपधान पुं० [सं.] टेको; आधार (२) उपनना अ० क्रि० (प.) ऊपनवु; ऊपजबु (प्रेरक उपनाना ) उपनय, ०न पुं० [सं.] जनोई के उपवीत संस्कार [ तखल्लुस उपनाम पुं० [सं.] बीजुं नाम ( २ ) उपनिवेश स्त्री० [सं.] वसाहत; 'कॉलोनी' उपन्यास पुं० [सं.] नवलकथा उपपत्ति स्त्री० [ सं . ] साबिती; प्रतिपादन करवं ते (२) हेतु
• उपभोग पुं० [सं.] माणवु, भोगववुं ते उपमा स्त्री० [सं.] तुलना (२) एक अलंकार [स्त्री० धाव उपमाता पुं० [सं.] उपमा देनार ( २ ) उपमान पुं० [सं.] जेनी उपमा अपाय ते उपमाना स० क्रि० ( प. ) उपमा देवी; सरखावबुं
उपमेय पुं० [सं.] जेने उपमा आपवानी ते उपयुक्त वि० [सं.] योग्य;' वाजबी उपयोग पुं० [सं.] खप (२) योग्यता ( ३ ) फायदो; लाभ (४) प्रयोजन; जरूर उपयोगी वि० [सं.] खपनुं (२) लाभदायी (३) माफक ; अनुकूळ
हिं-५
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उपली
उपरत वि० [ सं . ] विरक्त (२) मरेलुं उपरति स्त्री० [सं.] वैराग्य (२) मरण उपरना पुं० उपरणं (२) अ० क्रि० जुओ 'उपड़ना'; ऊखडवुं उपरफट (-हू) वि० फालतु; छूटक (२) ठेकाणा वगरनुं नका [ अर्थ मां ) उपरांत अ० तें पछी ( समयवाचक उपराचढ़ी स्त्री० चडसा - चडसी ; स्पर्धा उपरांना अ० क्रि० उपर आववुं (२) प्रगट थवुं ( ३ ) स० क्रि० उपर करवुं; उठाव [ आराम उपराम पुं० [सं.] उपरति ; वैराग (२) उपराला पुं० उपराळं; पक्ष लेवो ते.. -करना = उपराळं लेबुं
उपरावटा वि० माथुं ऊंचं राखनाएं; गर्विष्ठ; अक्कड
उपरि अ० [सं.] उपर उपरी-उपरा पुं० अहमहमिका; पापडी; स्पर्धा उपरैना पुं० उपरणं
उपरंनी स्त्री० उपरणी; ओढणी उपरोक्त वि० उपर के पहेलुं कहेलुं उपरौंछा पुं० अंगूछो; दुवाल (२) अ० उपरनुं [ ( स्त्री०. -ठी) उपरौठा वि० उपरनुं; उपर आवेलुं उपर्युक्त वि० [सं.] उपरोक्त उपल पुं० [सं.] पथ्थर (२) 'ओला' ; करा (३) रत्न (४) वादळ उपलक्ष, क्ष्य पुं० [सं.] चिह्न (२) उद्देश. - मैं = (अमुक) दृष्टि के विचारथी उपलब्ध वि० [सं.] मळेलुं (२) जाणेलुं उपलब्धि स्त्री० [सं.] प्राप्ति ( २) ज्ञान उपला पुं० [सं. उत्पल] छाणुं; जेरणुं उपली स्त्री० नानुं जेरणुं
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चडसा-चडसी;