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कलुवाई
कलुवाई स्त्री० चित्तनी कलुषता कलुषित वि० [सं.] पापी; मलिन; दोषित कलूटा वि० [स्त्री० - टी] काळं कलेऊ पुं० 'कलेवा'; नास्तो कलेजा पुं० कलेजु; काळजुं (२) छाती. - उलटना = : ऊलटी करतां जीव गभरावो. -ठंडा करना = संतोषवु. - निकलना = जीव जवा जेवुं लागवुं. - निकाल कर रखना = सर्वस्व दई देवु. - पक जाना = सहन करी करीने थाकी जवुं मुंहको या मुंह तक आना = आकुळव्याकुळ के बेचैन थवं; गभरावं. कलेजे पर साँप लोटना = hi सांभरी आवतां शोक थवो कलेजी स्त्री० पशुना काळजानुं मांस कलेवर पुं० [सं.] शरीर (२) खोखुं; 'ढांचा' कलेवा पुं० नास्तो; (२)भार्थी (३) कलवा जेवी विवाहनी एक रीत -करना = खाई जवुं (२) मारी नाखवु कलैया स्त्री० गुलांद; गोटम डुं कलोर स्त्री० वाछडी
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कलोल पुं० कल्लोल
बालोलना अ० क्रि० कल्लोलवु ; आनंदबुं कलौंजी स्त्री० एक जातनुं शाक कलौटा वि० जुओ 'कलूटा ' कल्कि पुं० [सं.] कल्कि अवतार कल्प पुं० [ सं . ] ( ब्रह्माना दिवस जेटलो ) . लांब काळ (२) वेदनं (छमांनं) एक अंग कल्प- तर, -द्रुम पुं० [सं.] कल्पवृक्ष कल्पना स्त्री० [सं.] रचना; बनावट (२) मननी कल्पनाशक्ति (३) कल्पी काढेली वात; मान्यता कल्पवास पुं० [सं.] माह महिनामां गंगा पर संयमपूर्वक वास - एक व्रत
हि-७
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कल्पान्त पुं० [सं.] प्रलय कल्पित वि० [सं.] कल्पेलुं
कवच
कल्ब पुं० [अ.] हृदय (२) बुद्धि (३) मध्य भाग (४) खोटी चांदी के सोनुं कल्मष पुं० [सं.] पाप; मेल कल्माष वि० [सं.] काबरचीतरुं (२) काळु कल्य पुं० [सं.] सवार ( २ ) शराब कल्याण पुं० [सं.] कल्याण; भलुं (२) सोनुं (३) एक राग (४) वि० भलुं; सासं कल्लर पुं० 'कल्हर'; खारी माटी; ऊस (२) ऊखर जमीन
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क़ल्लांच वि० जुओ 'क़ल्लाश' (२) शठ; बदमास; गुंडो
कल्ला पुं० अवाज (२) अंकुर ( ३ ) दीवानुं मोढियुं ( ४ ) [फा. कल्ला ] जडबु. (५) गळं; बकरी इ०नुं माथु. -मारना = डिंग मारवी; छांटनुं कल्लातोड़ वि० जडबातोड; जबरदस्त कल्लादराज वि० [फा.] बहु बोलनार; - बकवादी. [नाम -जी स्त्री० ] कल्लाना अ० कि० वागवाथी के कशाथी चामडी बळवी; बळतरा थवी ( २ ) असह्य थवुं
क़ल्लाश वि० [तु.] गरीब; कंगाळ (२) नफट; निर्लज्ज (३) दारूडियो कल्लोल पुं० [सं.] तरंग; मोजु (२) क्रीडा; गमत; आनंद :
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कल्लोलिनी स्त्री० [सं.] नदी कल्ह अ० 'कल'; काले कल्हर पुं० जुओ 'कल्लर' कल्हारना स० क्रि० तळवुं ( २ ) अ० क्रि० 'कराहना'; दुःखनो उद्गार काढवो कवच पुं० [सं.] बखत र (२) ढांकण (३) मोटुं ढोल; डंको