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ऐहिक ऐठ वि० मिजाजी;अभिमानी;ऐंठ'वाळ ऐब-गो वि० [फा.] निंदक; एब कहेनाएं ऐड पुं० 'ऐठ'; ठसकी; गर्व (२) ऐब-गोई स्त्री० [अ.+फा. निंदा पाणीनो भमरो (३) वि० नकामं ऐब-जो वि० [अ.+ फा.] दोषदृष्टिवाळं; ऍडदार वि० घमंडी
एब-दोष जोया करनारं; छिद्रान्वेषी ऐड़ना अ०क्रि० 'एठना' अ०क्रि० जुओ।
ऐब-जोई स्त्री० [अ.+फा.] दोषदृष्टि;
छिद्र. जोवां ते • (२) स०क्रि० आमळवू (३) अंगड़ाना';
ऐब-पोश स्त्री० [अ.+ फा.] एब ढांकनारं आळस काढवी (४)आळसु पड्या रहेवू
ऐबी वि० [अ.] एबवाळं (२) काj ऐड़बड़ वि० (प.) वांकुचूकुं; 'ऐडाबड़ा' । के बीजी रीते खोडवाळू ऐडा वि० (स्त्री०-ड़ी) वांकुं . ऐमाल पुं० [अ.] काम; करणी ऐड़ाना अ० क्रि० आळस खावी (२) ऐया स्त्री० डोसी के दादीमा एंट देखाडवी
ऐयाम पं० [अ.] समय; वखत.' से ऐडा-बड़ा वि० वांकुचकुं
होना स्त्रीने अटकाव आववो ऐम० ए; है; अयि
ऐयार . [अ.] चालाक ; उस्ताद ऐक्य पुं० [सं.] एकता
ऐयारी स्त्री० चालाकी; पक्काई; उस्तादी ऐगुन पुं० (प.) अवगुण
ऐयाश वि० [अ.] आरामी; विलासी (२) ऐच्छिक वि० [सं.]इच्छानुसार;मरजियात विषयी; कामी . ऐजन वि० [अ.] एजन; एन ए ज;
ऐयाशी स्त्री० भोगविलास; एशआराम उपर मुजब
ऐरा-रा वि० [अ.] अजाण्यु (२) ऐजाज पुं० [अ.इअजाज] आदर; सन्मान तुच्छ; हीन ऐतिहासिक वि० [सं.] इतिहास संबंधी । ऐराब पुं० [अ.] झेर, झबर, पेश इ०संज्ञा
के तेमां मळतुं (२) इतिहास जाणनार ऐरावत पुं० [सं.] ऐरावत हाथी (२) ऐबाद स्त्री० [अ. अअदाद 'अदद' वीजळी के तेथी चमकतुं वादळ (३) ब०व०; संख्या; गणना . इंद्रधनुष . [करवू ते ऐन पुं० अयन; घर (२) [अ.] आंख ऐलान पुं० [अ. इ-अलान] घोषणा; प्रगट (३) वि० [अ.] योग्य; ठीक (४) ऐवान पुं० [फा.] महेल (२) मोटो बरोबर; पूरेपूरुं
ओरडो-हॉल ऐनक स्त्री० [अ. ऐ = आँख] चश्मा ऐश, आराम पुं० [अ.] एशआराम; चेन ऐपन पुं० चोखा ने हळदर भेगां वाटीने ऐश्वर्य पुं० [सं.] वैभव; संपत्ति (२)प्रभुत्व करातुं एक पीठी जेवू लेपन (पूजामां । ऐसा वि० (स्त्री०,-सी) आवं; आवो वपराय छे.)
जातनुं. -तैसा, वैसा= सामान्य; ऐब पुं० [अ.] एब; दोष; कलंक. मामूली. ऐसी तैसी करना खराब -निकालना= कशामां दोष बताववो. के बेआबरू करवू .... -लगाना= कलंक लगाड,
ऐसे अ० आम; आ रीते संसारन ऐषक पुं० [फा.] दास; गुलाम ऐहिक वि० [सं.] आ लोकन; दुन्यवी;
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