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कोश वापरनारने सूचनाओ १. कोशमां वपरायली संज्ञाओनी समजूती आ प्रमाणे छे : पुं० पुंल्लिग (नाम)
(प.) एटले के मुख्यत्वे पद्यमां वपराय छे स्त्री० स्त्रीलिंग (नाम) ब० व० बहुवचन वि. विशेषण
ए० व० एकवचन अ० अव्यय
अ. अरबी स० सर्वनाम
फा. फारसी अ० कि० अकर्मक क्रियापद सं. संस्कृत सक्रि० सकर्मक क्रियापद । तु. तुर्की
इं., अं. इंग्नेजी २. शब्दनो क्रम गोठववामां अनुनासिक के अनुस्वारवाळो अक्षर ते वगरना अक्षरनी अगाउ मकवामां आव्यो छे. एटले, दा०त० कंस, कंद वगेरे 'कई 'नी पहेलां आवे. ते सिवाय बाकीनी गोठवणी कक्कावारीना सामान्य रखाता क्रममां छे.
३. शब्दना पेटामां तेना रूढिप्रयोग तथा तद्भव ने झट समजाय एवा शब्दो मूक्या छे. जेम के, (१) 'केचेरा' नुं स्त्रीलिंग ‘कचेरिन' ते शब्द जोडे (स्त्री० -रिन)
एम करीने बताव्युं छे. (२) 'कान' शब्दमा '-को कोड़ी न होना' एटले के 'कानको
कोड़ी न होना' रूढिप्रयोग आप्यो छे. (३) वि० साथे तेनुं स्त्रीलिंग रूप कौंसमां स्त्री० करीने टांक्यु छे.
जेम के, काहिल वि० [स्त्री० -लो]. मूळ शब्द परथी बनतुं नाम आप्यु छे त्यां कौंसमां [नाम, . . ] करीने आप्यु छे. जेम के, गिड़गिड़ाना [ नाम, -हट ] एटले के, गिड़गिड़ाहट. गिलकार [ नाम, -री]. लँगड़ा वि० [अ० क्रि० -ना] एटले के 'लँगड़ाना' वगेरे. तेम ज क्रियापद, विशेषण- पण समजवं.
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