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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुनी ३३१ पूनी स्त्री० पूणी पूनव, पूनिउँ, पूनो, न्यो स्त्री० पूनम पूप पुं० [सं.] मालपूडो पूय पुं० [सं.] पर; पाच । पूर पुं० पूर; भरती (२) पूरण (कचोरी इ० नुं) पूरक वि० [सं.] पूर्ति करनारुं (२) पुं० एक प्राणायाम [पूरवं ते पूरण पुं० [सं.] पूरुं थQ के करवू ते; पूरण,-न वि० (प.) पूर्ण; पूरुं पूरनपूरी स्त्री० पूरणपोळी पूरनमासी स्त्री० पूर्णिमा । पूरना सक्रि० पूर; भरवू (२) पूरुं करवू (३) अ.क्रि० पूरुं थ; भरावं पूरब पुं० (२) वि० पूर्व. ०ल पं० (प.) पूर्वजन्म (२) प्राचीन जमानो. ०ला वि० (प.) प्राचीन; पुराणु (३) पूर्व- जन्मनु. -बी वि० पूर्वपूरा वि० पूरुं; पूर्ण भरेलु (२) पूरतुं; बधुं पूरी स्त्री० पूरी-एक वानी पूर्ण वि० [सं.] पूरु (२) परितृप्त (३) भरपूर(४)बधुं. ०मासी स्त्री० पूर्णिमा; पूनम. विराम पु० वाक्यनुं (.)चिह्न पूर्णाहुति स्त्री० [सं.] यज्ञनी पूर्णाहुति (२) समाप्ति पूर्णिमा स्त्री० सं.] पूनम पूर्ति स्त्री० [सं.] पूरुं थq ते; समाप्ति (२) भरपाई; खूटतुं पूरुं करवू ते पूर्व वि० [सं.] पहेलां- (२) पुराणुं; जून (३) पूर्व (४) पुं० पूर्वदिशा (५) अ० पूर्वे; पहेला । पूर्वक वि० [सं.] ते साथे; सहित (नाम साथे समासमां) [मोटो भाई पूर्वज पुं० [सं.] पूर्व पुरुष; वडवो (२) पेचा पूर्वापर वि० [सं.] पूर्व अने अपर; आगळ पाछळनं (२) अ० आगळ पाछळ. (नाम,-र्य पुं०) [पहेलो भाग पूर्वाह,-पुं० [सं.] दिवसनो पूर्व : । पूर्वी वि० पूर्व- [अगाउ कहेलं पूर्वोक्त वि० [सं.] पहेलां- उपर के पूला पुं० पूळी (स्त्री० -ली) पूस पुं० पोष मास पृच्छक वि० [सं.] पूछनारं; जिज्ञासु पृच्छास्त्री० [सं.] प्रश्न; सवाल; जिज्ञासा पृथक् वि० [सं.] जुईं; छूटुं; अलग. -क्करण पुं० अलग करवू के पाडवं ते पृथिवी, पृथ्वी स्त्री० [सं.] धरती; दुनिया पृथु वि० [सं.] मोटुं; विशाळ; विस्तृत (२) अगणित पृष्ठ पुं० [सं.] पीठ (२) उपरनी सपाटी (३) पाछळनो भाग (४) चोपडी, पान पेंग स्त्री० हींचकानो हेल्लो. -मारना =हींचकाने हेल्लो मारवो; हींचवें। पेंडुकी स्त्री० होलो (२) जुओ 'गुझिया' पेंदा पुं०, पेंदी स्त्री० तळियु पेंशन स्त्री० [इं.] पेनशन; निवृत्ति. ०र पुं० निवृत्त थयेलो . पेंसिल स्त्री० [इं.] पेनसिल पेखना सक्रि० (प.) देखवू; जोवू पेच पुं० [फा.] पेच (स्क्रू, आंटो, युक्ति वगेरे).-घुमाना = पेच मरडवो; युक्ति करी पलटी नांखवू पेचक स्त्री० [फा.] दोरनी गूंचळी (२) पुं० [सं.] घुवड पेचकश पुं० [फा.] पेचियुं पेचताब पुं० [फा.] दाझ; मननो गुस्सो पेचदार वि० जुओ 'पेचीदा' पेचा पुं० 'पेचक'; घुवड. For Private and Personal Use Only
SR No.020375
Book TitleHindi Gujarati Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganbhai Prabhudas Desai
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1956
Total Pages593
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationDictionary
File Size22 MB
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