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भरमाना
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भाई-दूज भरमाना स० क्रि० भरमावर्बु (२) भसना अ०क्रि० पाणी पर तरवू के भमावq; रखडावq (३) अ०क्रि० तेमां डूबवू चकित थवं
भसम पुं० भस्म; राख भरमार स्त्री० खूब होवू ते । भसमा पुं० काळो कलप (२) लोट भरराना अ०क्रि० भडक दईने ओचितुं
भसुंड पुं० हाथी तूटी पडवू
भसुर पुं० स्त्रीनो जेठ भरसक अ० यथाशक्ति; बने तेटलुं । भसूंड़ पुं० हाथीनी सुंढ भरसाई पुं० भाड जानी भठ्ठी; 'भाड़' भस्त्रा, का,-स्त्रिका स्त्री० [सं.] धमण भरा वि० 'भर'; भरेलुं; पूरुं भस्म पुं० [सं.] भस्म; राख भराई स्त्री० भरवानी क्रिया के तेनुं भहराना अ०क्रि० ढसडाई पडवू; एकामहेनता|
एक तूटवू भरापूरा पुं० भर्युभादर्यु; संपन्न भांग स्त्री० भांग - एक केफी पदार्थ भराव पुं० भरावो; जमाव (२) भरवू ते भांज स्त्री० भांगवं ते (२) सिक्का के भरी स्त्री० तोलो; रूपियाभार ।
नोटर्नु परचूरण भरोसा पुं० भरोंसो; विश्वास (२) भांजना सक्रि० भांगवू; तोडवू . आशा (३) आशरो
भांजी स्त्री० काममां फांस मारवी ते भर्ती (०२) पं० [सं.] पति; स्वामी
भाटा पुं० भट्टो; वेंगण भत्संना स्त्री० [सं.] निंदा; तिरस्कार; भांड पं० भांडभवयो(२)मश्करो:विदूषक फिटकार [स्त्री० भलमनसाई भीड़ा पुं० भांड; वासण. भाँड़े भरना= भलमनसत, भलमनसाहत, भलमनसी
पस्ताएं
खजानो भला वि० भलं; सारु (२) पं० कल्याण । भांडागार, भांडार पुं० [सं.] भंडार; भले अ० ठीक; सारी रीते. -ही। भौत, भाँति स्त्री० रीत; प्रकार = भलेने; छोने
भांपना सक्रि० ओळखवं; पारख, भल्लु (-ल्लू)क पुं० [सं.] रीछ
भायें भायें पुं० शून्यकारनो ध्वनि भव पुं० [सं.] जन्म (२) संसार (३) शिव भाँवर स्त्री० परिकम्मा (२) लग्ननी भवदीय वि० [सं.] आपनुं
चोरीमां वरकन्या फेरो फरे ते भवन पुं०[सं.] घर; मकान (२) महेल; भा अ० (प.) या; अथवा (२) स्त्री० मोटे मकान
[सं.] तेज भवनीय वि० [सं.] थनारूं; बननाएं।
भाइ पुं० (प.) भाव; प्रेम (२) स्त्री० भवितव्य पुं० [सं.] अवश्य थनारूं; नसीब 'भाँति'; प्रकार भविष्य वि० [सं.] 'भवनीय'; थनारुं (२) । भाइप पुं० (प.) भाईचारो; भाईबंधी पुं० भविष्यकाळ
भाई पुं० भाई. चारा पुं० भाईचारो; भव्य वि० [सं.] सुंदर; शानदार; भारे दोस्ती शोभावाळ (२) भावी (३) सत्य भाई-दूज स्त्री० भाईबीज
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