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कोनसाब
- १११ कीनखाब पुं०जुओ कमखाब'; किनखाब कुंची (-जी) स्त्री० कूची कोना पुं० [फा.] कीनो; वेर. ०वर कुंज पुं० [सं.] कुंज; लतामंडप (२) [फा. वि० कीनाखोर .
. खूणो] शालना खूणा परतुं भरतकाम कोप, कोफ़ [फा. स्त्री० नाळचुं कुंजड़ा पुं० [स्त्री०-डिन,-ड़ी] शाकभाजी कीमत स्त्री० [अ.] किंमत (वि० -ती) वावनार वेचनार जातनो आदमी; क्रीमा पुं० [अ.] मांसनो खीमो कुंजडो
ते वर्गमां श्रेष्ठ कीमिया पुं० [फा.] रसायणी क्रिया कुंजर पुं० [सं.] हाथी (२)(समासने अंते)
२)कामया करा. जाणनार कुंजा पुं० कूजो; 'कूजा' कोमियागर पुं० [फा.] रसायणी क्रिया कुंजी स्त्री० कूची; चावी (२) टीकानी कीमुहत पुं० [फा. गधेडा के घोडान - चोपडी
चामडं (लीलुं दाणादार होय छे ते) कुंठ वि० [सं.] बुर्छ; मूरख कीर पुं० [सं.] कीर; पोपट (२)काश्मीर कुंठित वि० [सं.] 'कुंठ'; मूरख (२)
(३) व्याध; शिकारी [कीर्तनकार रूंधायलं; रोकायेलं कीर्तन पुं० [सं.]गुणगान; भजन.-नियापुं० कुंड पुं० [सं.] पाणीनो कुंड; होज (२) कोति स्त्री० [सं.] यश; ख्याति (अग्निनो) कुंड कील स्त्री० [सं.] खीली के कांटो (२) कुंडरा पुं० कुंडाळू (२) ऊढण कुंभारना चावडानी के घंटीनी वचली कुंडरा पुं० कुंडु (२) माटलं खीली-खीलडो
कुंडल पुं० [सं.] कुंडळ (काननू) कीलक पुं० [सं.] खूटी (२) खीलो कुंडलिया पुं० कुंडलियो छंद
(ढोर बांधवानो)(३)मंत्रनो मुख्य भाग कुंडली स्त्री० जन्मकुंडली (२) जलेबी कोलना सक्रि० खीली मारवी (२) (३) पुं० [सं.] साप (४) मोर । • वश करवू (३) मंत्रनुं मारण कर कुंडा पुं० कुंडु (२) कमाडनी सांकळनो कोला पं० खीलो; खूटो खीली नको कोली स्त्री० धरी (२)कीली; कूची(३) कुंडी स्त्री० पथ्थर के माटी- कुंडी जेवू कोश पुं० [सं.] वानर
वासण (२) कमाडनी सांकळ (३) कोसा पुं० [फा. थेली (२) खिस्सुं . सांकळनो आंकडो कुँअर(-रेटा) पं० [स्त्री० -रो]'कुँवर'; कुंत पुं० [सं.] भालो (२) जू पुत्र (२) राजपुत्र
कुंतल पुं० [सं.] वाळ कुंआ(-बा)रा धि० कुंवारुं (स्त्री०-री) कुंद पु०[सं.] कुंद फूलझाड के फूल (२) कुंई स्त्री० कुमुदिनी; 'कुई ___ नवती संख्या (३) वि० [फा.] कुंठित; कुंकुम पुं० [सं.] कंकु (२) केसर ___ बुर्छ (४) मंद कुंकुमा पुं० होळी मां गुलाल भरी नंखातो कुंदाजेहन वि० मंदबुद्धि
लाखनो गोळो (वाळ) · कुंदन पुं० [सं.] चोख्खं सोनू कुंचित 'वि० [सं.] वांकु (२) वांकडिया कुंदरू पुं० घिलोडूं- शाक -
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