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कतराना कतराना सक्रि०कतराव(२)अ०क्रि० कत्ल, कत्लेआम पुं० [अ] जुओ अनुक्रमे
कतराता जq; वांका फंटा __ 'क़तल', 'कतलाम' • कतल पुं० [अ. कल] कतल; हत्या कथंचित् अ० [सं.] कदाच कतलबाज पुं० शिकारी; जल्लाद कथक पुं० [सं.] कथाकार (२) पुरागी कतला पुं० [अ. क़तरा] खाद्यनो टुकडो; (३) जुओ 'कत्थक' फांक (२) एक माछली
कथकीकर पुं० काथानुं झाड कतलाम पुं० [अ. क़त्लेआम सर्वसंहार; कथक्कड़ पुं० कथा कहेनार कतलेआम
वगेरेनो) कथना सक्रि० कहे . [बकवाद कतली स्त्री नानो टुकडो (मीठाई कथनी स्त्री० (प.) कथनी; वात (२) कतवाना स० क्रि० कंताववं [वगेरे कथरी स्त्री. गोदडी; कंथा कतवार पुं० कूडोकचरो; रद्दी घास कथा स्त्री० [सं.] कथा; वार्ता (२) कतहुँ (-हूँ) अ० क्यांय; कोई जगाए । धर्मनी कथा (३) खबर; हाल (४) कता स्त्री० [अ. क़त] बनावट; आकार . . वादविवाद; बोलाबोली
(२) ढंग (३) कपडावें वेतरण; 'कट' कथानक पुं० [सं.] कथा (२) नानी कथा कताई स्त्री० कांतवू ते के तेनी मजूरी कथावस्तु स्त्री० [सं.] वार्ता, वस्तु कता-कलाम पुं० [अ.] वातमां बच्चे कथित वि० [सं. कहेलं; कहेवायेलं कहेवा लागवू-पडवं ते
कथोपकथन पुं० [सं.] वात चीत (२) कताना स० क्रि० 'कतवाना'
वादविवाद कतार स्त्री० [अ] पंक्ति; हार (२) कदंब पुं० एक झाड; 'कदम' (२) ढंगलो समूह; जूय
कद स्त्री० [अ. कद्द] द्वेष (२) हठ (३) कतारा पुं० लाल मोटी शेरडी . अ० [सं. कदा] क्यारे कति(०क,-तेक) वि० केटलं; केवडं। कद पुं० [अ.] कद; ऊंचाई कतिपय वि० [सं.] केटलुक
कद-आवर वि० [अ.+फा. कदावर ऊंचं कतेक वि० जुओ 'कतिक'
कदम पुं० कदंब- झाड कतौनी स्त्री० जुओ 'कताई' कदम पुं० [अ.] कदम; पगलं.-उठाना कत्ता पुं० छरो; वांस फाडवान ओजार = पग उपाडवा; जलदी चालवू. कत्तिनस्त्री० (मजूरी पर)कांतनारी स्त्री -निकालना = (घोडाने) पलोटवो, कत्ती स्त्री० छरी; कटार
केळववो. -फरमाना, रंजा करना=3 कत्थई वि० कथ्थाई (रंग-)
पधार; आववानी के जवानी तस्दी कत्थक पुं० गावा बजावा ने नाचवानुं लेवी. -बढ़ाना=पग उपाडवो (२)
काम करती एक जात [झाड आगळ वधQ. भरना= चालवू; पगलं कत्या पुं० [सं. क्वार्थ] काथो के तेनु मांडवु. -मारना=दोडधाम करवी; कत्बा पुं० [अ.] (मकान मसीद वगेरे (चालवामां) खूब झपाटो मारपो. पर लखातो के कोतरातो) लेख -लेना चरणस्पर्श करवो
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