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कछुआ
कटिबंध कछुआ, -वा पुं० काचबो
कटघरा पुं० लाकडानुं (जq के,-कठेराकछुई स्त्री० काचबी
वाळू साक्षी माटे कोर्ट मां होय छ) पांजरुं कछोटा, कछौटा पुं० 'कछनी'; काछडो; __ कटड़ा पुं० भेंसनुं पाडु कछोटो
दोष; खोड कटती स्त्री० वेचाण; खपत कज पुं० [फा. वक्रता; वांकापणुं (२) कटना अ०क्रि० कपाq (२) वीतमु (३) कजरा पुं० काजळ (२) वि० काळी शरमावू; झंखवाणु पडq ('जाना' नी आंखवाळो (बळद)
साथे). कटती कहना= कोईनु कापतुं कजरारा वि० काजळवाळं (२) काळं -तेने घसातुं कहे कजलाना अ०कि० [हिं.काजल] काळू कटनी स्त्री० कापवानुं ओजार के पडवू (२) (देवता) कजळावो; बुझावं. कापणी.-काटना=आमतेम नाशभाग (३) स०कि० मेश आंजवी
करवी.-मारना=वैशाख जेठमां घास कजली स्त्री० मेश(२)गंधक ने पारानी झांखरां खोदी काढवां (खेडवा पहेलां)
कजली (३) एक प्रकारनु (वर्षा) गीत कटरा पुं० नानु बजार (२) पाडु कजलोटा पुं० काजळनी डबी . कटवाँ वि० कपातुं के कपायेलं.-व्याज
जा स्त्री० [अ.] मरण (२) नसीब पुं० कापतुं व्याज (३) नमाज के रोजानो समय चूकवो कटवाना स० क्रि० कपाव, ते. -करना = मरवू
कटसरैया स्त्री० कांटासरियो क्रजा(-जा)क पुं० [तुर्की] लूटारु; कटहरा पुं० जओ 'कटघरा' कजाक. -की स्त्री० लूट (२) दगो; कटहल पुं० [सं. कंटकि फल] फणस . छळकपट
कटहा वि० [स्त्री० -ही] ‘कटखना'; कजावह [फा.,कजावा पुं० ऊंटनो काठडी करडे एवं
[के मजूरी नजिया पुं० [फा.] कजियो; झघडो कटाई स्त्री० कापवान् - कापणीनुं काम (२) कोर्टनो झघडो. -पाक होना
कटाकट पुं० कटकट अवाज (२) लडाई; कजियो पतवो दोष; खोड कटाकट कजी स्त्री० [फा.] 'कज'; वक्रता (२) कटाकटी स्त्री० मार-काट; कापाकापी कज्जल पुं० [सं.] काजळ; मेश कटाक्ष पुं० [सं.] वक्र दृष्टि (२) कटाक्ष; कजान पुं०, की स्त्री० जुओ 'कज़ाक़'. . व्यंग्य कंटक पुं० [सं.] फोज; सेना (२) कडु कटान स्त्री० काटq ते (२) कापणी कंकण (३) चटाई; सादडी कटाना स० क्रि० कटावq; कपावq कटकई स्त्री० (प.) फोज; कटक कटार, -री स्त्री० कटार हथियार कटकट स्त्रो० दांतोनो कटकट अवाज कटाव पुं० काप के कापेलं ते (२) (२) कचकच; झवडो
कापी करीने बनावेल वेलबुट्टा । कटकटाना अ०क्रि० दांत कटकटाववा कटि स्त्री० [सं.] केड; कमर [कटिबंध कटखना वि० करडे एवं (२) पुं० युक्ति कटिबंधे पुं० कमरपटो (२) पृथ्वीनो
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