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उंचास
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उगलाना उंचास वि० ..४९; ओगणपचास; उकाब पुं० [अ.] गरुड पक्षी के गीध 'उनपचास'
. उका(के)लना सक्रि० (छोडु के पड) उंछ,०वृत्ति स्त्री० खळं थया पछी खोलवं; उखाडवू (२) चोटेलू उखाडवू
खेतरमां पडेला दाणा निर्वाहने माटे उकासना सक्रि० (प.)उपर करवू (२) वीणी लेवा ते
उश्केर उजेरा,-ला पुं० जुओ 'उजाला' उकेलना स० क्रि० जुओ. 'उकालना' उँडेलना स० क्रि० जुओ 'उड़ेलना' । उकौना पुं० गर्भवतीनो दोहद उंदुर पुं० [सं.] उंदर
उक्त वि०[सं.]कहेलं; बोलेलं कहेवत उह अ० 'ना' सूचवतो उद्गार (२) । उक्ति स्त्री० [सं.] कथन; वचन (२) दुःखनो उद्गार
उक्दा पुं० [अ] गांठ (२) कोयडो; समस्या, उऋण वि० [सं. उत्+ऋण] ऋणमुक्त उखड़ना अ०क्रि० ऊखडq (२) घोडानी उकटना सक्रि० वारंवार कहे चालमां भंग पडवो (३) संगीतमा उकटा वि० (स्त्री० -टी) वारंवार ताल के सूर बगडवो (४) हठवू; अलग (अपराध के उपकार) कही बतावनार
थर्बु (५) तूटी जq. उखड़ी उखड़ी बातें उकटा पुरान पुं० गईगुजरी के दवाई
करना=विरक्तिथी वातो करवी. पैर रहेली वातोनुं विस्तारथी कहेवू ते या पांव उखड़ना-एक जगाए ठरीउकठना अ० क्रि० सुकावू; सुकाईने । ठाम न थQ लाकडा जेवू थवं
उखम पुं० (प.) उष्मा; गरमी उकठा वि० सूकुं
उखल पुं०, उखली स्त्री० [सं. उत्खल उकई पुं० [सं. उत्कृतोरु ] एडी पर खांडणियो
[एक दाव अदूगडु के उभडक बेस ते
उखाड़ पुं० उखाडवू ते (२) कुस्तीनो उकताना अ०क्रि० अधीरुं थवू; गभरावं उखाड़ना सक्रि० उखाडq ('उखड़ना' नुं (२) ऊबना'; कंटाळी जवू प्रेरक). गड़े मुर्दे उखाड़ना= गईगुजरी उकबा पुं० [अ.] प्रलय (२) परलोक पाछी काढवी. पैर उखाड़ देना= पग उकलना अ०क्रि० छूटुं- अलग पडवू; काढवो; हठाव . .. गूंचायेलं के चोडेलं ऊखडवू-ऊकलवू उखारी स्त्री० शेरडीनं खेतर उकलाई स्त्री० ऊलटी; वमन उगटना सक्रि० जुओ 'उकटना' उकलाना अ०क्रि० ऊलटी करवी; ओक उगना अ०कि. ऊगवं . . उकसना अ.क्रि० ऊभरावू; उपर आवq उगलना - स०कि० [प्रा. उग्गिलन] (२) अंकुर नीकळवा
ओकलै (२) यूंकी काढवू. उगल उकसानां स० कि० ('उकसना'नं प्रेरक)
पड़ना-बहार नीकळी आव. जहर उपर करवू (२) उश्केर (३) दीवानी । उगलना-झेर जेवू लांगे एवं बोलवू बत्ती वधारवी' [फूटतुं; खीलतुं उगलवाना, उगलाना सक्रि० 'उगउकसौहा वि० ऊभरातुं: उपर ऊठतुं (२) लना नुं प्रेरक
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