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सबील
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समन्वय सबील स्त्री० [अ.] सडक; रस्तो (२) समंत पुं०[सं.] सीमा; हद (२) वि० : उपाय; युक्ति (३) परब
समस्त; बधु सबू पुं० [फा.] माटीनो घडो
समंद पुं० [फा.] एक उमदा जातनो घोडो सबूचा पुं० [फा.] नानो 'सबू' समं(-मुं)दर पुं० समुद्र सबूत पुं० [अ.] साबूती; संगीनता; सम वि० [सं.] समान; सरखं (२) पुं०. दृढता (२) साबिती; प्रमाण
संगीतनो सम ताल(३)[अ. सम्म] झेर सबेरा पुं० जुओ ‘सवेरा'
समअ पुं० [अ.] कान सम्ज वि० [फा. काचुं ताजु (फळफूल ।
समअ-खराशी स्त्री० [फा. नकामी इ०) (२) लीलं. -बाग दिखलाना=3
वातोथी कान फोडवा के माथु खावू ते पोतार्ने काम काढी लेवा मोटी मोटी समकक्ष वि० [सं.] समान कक्षानु; आशाओ देखाडवी
बराबरियं सब्ज-क़दम वि० अपशुकनियाळ पगलां- समकालीन वि० [सं.] एक ज समयनुं वाळू. -मी स्त्री०
समकोण पुं० [सं.] काटखूणो (२) वि० सब्ज-पा वि० अभागी
सरखा खुणावार्छ सब्ज-बरुत वि० सद्भागी. -ती स्त्री० समक्ष अ० [सं.] सामे; रूबरू सब्जा पुं० [फा. हरियाळी (२) सबजी; समग्र वि० [सं.] कुल; बधं भांग
[जगा समझ स्त्री० समज; बुद्धि. ०दार वि० सब्जा-जार पुं० खूब लीलोतरीवाळी समजणुं. -पर पत्थर पड़ना%3D सब्जी स्त्री० [फा.] जुओ 'सब्जा' (२) समजमां ना ऊतर - ना समजवू लीलु शाक
लखवू समझना सक्रि० समजवू सन्त पुं० [अ.] लेख; खरडो. -करना = समझाना सक्रि० समजाववं सब्बल पुं० कोश; नराज
समझाव,-वा पुं० समजण • सब पुं० [अ.] सबर; धीरज. -आना, समझौता पुं० समजूती; आपसमां
-करना-धीरज धरवी;खामोश रहे. समजीने आणलो निकाल -देना=धीरज आपवी. (किसीका) समतल वि० [सं.] सपाट । -पड़ना= कोकने कष्ट दीधानां फळ । समता स्त्री० [सं.] समानता मळवा. -रखना=खामोशी राखवी समदना अ०क्रि० (प.) प्रेमथी मळवं; सभा स्त्री० [सं.] मेळावडो; संमेलन. . भेटवं (२) भेट करवू; आप .
गृह पुं० सभानु स्थान. ०पति पु० समधियाना पुं० पुत्र के पुत्रीन सासरूं सभानो प्रमुख. ०सद पुं० सभ्य समधी पुं० पुत्र के पुत्रीनो ससरो; वेवाई सभ्य वि०[सं.] सभा संबंधी (२) शिष्ट;, समन पुं० [अ.] मूल्य; किंमत (२)
संस्कारी (३) पुं० सभासद. ०ता स्त्री० [इं.अदालतनो समन्स (३) स्त्री० शिष्टता (२) सुधारो; संस्कारिता [फा. चमेली एकीकरण समंजस वि० [सं.] उचित; ठीक समन्वय पुं० [सं.] संयोग; मिलन;
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