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समीप
समीप अ० [सं.] पासे; निकट •वर्ती वि० पासेनुं
समीर, ०ण पुं० [सं.] वायु; पवन समुंदर पुं० समुद्र; 'समंदर' समुचित वि० [सं.] वाजबी; योग्य समुच्चय पुं० [सं.] ढग; समूह समुझ स्त्री० ( प. ) समज. ०ना स०क्रि० (प.) समजवुं
समुदाय पुं० [सं.] समूह; जथो समुद्र पुं० [सं.] दरियो. ०गा स्त्री० नदी समुहा वि० सामेनुं (२) अ० सामे; सन्मुख [थवुं समुहाना अ०क्रि० सामे आववुः सन्मुख समूचा वि० समूचुं; बधुं
समूम स्त्री० [ अ ] लू; ऊनो-गरम वा समूर पुं० [सं.] साबर हरण ( २ ) [ अ ] शियाळ जेवुं एक पशु के तेन रुवांटीदार चामडुं [सकारण समूल वि० [सं.] मूळ साथ; समूळगुं (२) समूह पुं० [सं.] टोळं; समुदाय (२) ढगलो समृद्ध वि० [सं.] मातबर; मालदार (२) भर्युभादर्यु. -द्धि स्त्री० संपत्ति समेटना स०क्रि० समेट; एकठं कर समेत अ० [सं.] सहित; साथे समै ( ०या ), -मो पुं० ( प. ) समय समोना स०क्रि० पाणी समोववुं समौरिया वि० समोवडिय; समान उमरनं [ संमति सम्मत वि० [सं.] संमत. -ति स्त्री० सम्मान पुं० [सं.] सन्मान आदर सम्मिलन पुं० [ सं . ] संमिलन; मेळाप सम्मिश्रण पुं० [सं.] संमिश्रण; भेगुं करवुं ते
सम्मुख अ० [सं.] सन्मुख सामे
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सरखत
सरकट
सम्मेलन पुं० [सं.] संमेलन; मेळावडो सम्मोह पुं० [सं.] संमोह; मोह; भ्रम सम्यक् वि० [सं.] बरोबर; योग्य सम्राज्ञी स्त्री० [सं.] सम्राटनी महाराणी सम्राट पुं० [सं.] चक्रवर्ती राजा; बादशाह सयानपत स्त्री०, सयानप, ०न पुं० शाणपण (जुओ 'सयाना' ) सयाना वि० शाणुं; समजु; चतुर ( २ ) चालाक; पहोंचेल (३) उमरे पहोंचेलं सरंजाम पुं० [फा.] प्रबंध; तैयारी (२) सामान; असबाब (३) छेवट; अंजाम सर पुं० [फा.] शिर (२) टोच (३) पत्तांनो सर (४) वि० सर-ताबे करेलु; पराजित (५) अ० उपर (६) सामे सर-अंजाम पुं० [फा.] जुओ 'सरंजाम' सरकंडा पुं० सरपट जेवी एक वनस्पति; [दारूनो नशो सरक स्त्री० 'सरकना' - परथी नाम (२) सरकना अ०क्रि० सरकवूं; खसवुं (२) नियत समयथी मोडुं थवं - मुहूर्त खसवुं (३) काम नभवु के चालवु [एवं सरकश वि० [फा.] उद्धत (२) सामे थाय सरका पुं० [अ.] चोरी; तफडंची. ● बिलजन पुं० काटी सरकार स्त्री० [फा.] राजसत्ता; हकूमत (२) पुं० सूबो; जिल्लो (३) मालिक. -करना, - चढ़ना = कोरट कचेरीए चडवुं ने फरियाद करवी सरकारी वि० सरकारनं के तेने लगतुं सरकारी काग़ज़ पुं० सरकारी कागळियं (२) पैसानी नोट [(२) शिक्षा; दंड सरकोबी स्त्री० [फा. सर + कोब] दमन सरखत पुं० [फा.] भाडाचिट्ठी (२) ऋण चूकते कर्यानी पहोंच
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