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विवारना
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विनश्वर विदारना सक्रि० विदारवं; चीर विधर्म (-र्म) पुं० परधर्म (२) वि० विदारी स्त्री० एक कंठरोग (२) एक धर्म के गुण विनानु; खोटुं. -मी वि० जातनुं कंद (३) वि० [सं.] विदारे- परधर्मी (२) धर्मभ्रष्ट फाडे एवं
विधवा स्त्री० [सं.] रांडेली स्त्री विदाही वि० [सं.] दाही; दाहक विधाता पुं० [सं.] ब्रह्मा (२) व्यवस्थापक; विदित वि० [सं.] ज्ञात ; जाणेलं प्रबंधक विदिश,-शा स्त्री० [सं.] बे दिशा वच्चेनो ।
विधान पुं० [सं.] विधि; क्रिया (२) खूणो
[नष्ट कथन; उक्ति (३) नियम; कायदो. विदीर्ण वि० [सं.] फाटेलं; चीरेलु (२) परिषद् स्त्री० उपली धारासभा. विदुर वि० [सं.] चतुर; दक्ष (२) पुं० सभा स्त्री० नीचली धारासभा तेवो पुरुष
विधायक वि० [सं.] विधान करनार; विदुषी स्त्री० [सं.] विद्वान स्त्री रचनार; नियामक विदूर वि० [सं.] घणुं दूर
विधि स्त्री० [सं.] रीत; ढंग (२) विदूषक पुं० [सं.] अति विषयी माणस. शास्त्रोक्त व्यवहार (३) पुं० ब्रह्मा (४) (२) मश्करो
दैव. -बैठना = मेळ खावो; फावq विदूषना सक्रि० दोष देवो (२) सतावQ विधु पुं० [सं.] चंद्र (२) ब्रह्मा (३) अ.क्रि० दुःखी थवं
विधुर वि० [सं.] दुःखी; व्याकुळ (२) विदेश पुं० [सं.] परदेश [जनक राजा पुं० रांडेलो
[योग्य विदेह वि० [सं.] देह वगरनुं (२) पुं० विधेय वि० [सं.] कहेवा के करवा विद्ध वि० [सं.] वींधायेलं
विध्वंस पुं० [सं.] नाश (२) घृणा; विद्यमान वि० [सं.] हयात; मोजूद __ अनादर (३) शत्रुता; वेर. -सी पुं० विद्या स्त्री० [सं.] (कोई खास) ज्ञान; नाश करनार जाणकारी
विध्वस्त वि० [सं.] नाश थयेलं विद्यार्थी पुं० [सं.] विद्या भणनार; छात्र विनत वि० [सं.] वळेलं; वांकु (२) विद्यालय पुं० [सं.] शाळा
विनीत; नम्र (३) शिष्ट विद्युत् स्त्री० [सं.] वीजळी (२) संध्या. विनति,-ती,-तड़ी स्त्री० विनंती (२)
मापक पुं० वीजळी मापवानुं यंत्र नमवं-झुकवं ते विद्रुम पुं० [सं.] कूपळ (२) परवाळं विनम्र वि० [सं.] अति नम्र; विनयी विद्रोह पुं० [सं.] बळवो; सामे थर्बु ते विनय स्त्री० [सं.] नम्रता; सभ्यता; विद्वत्ता स्त्री० [सं.] पंडिताई
शिष्टता (२) शिक्षण (३) विनंती; विद्वान् पुं० [सं.] पंडित; ज्ञानी [वेरी अनुनय. -यी वि० विनयवाळं विद्वेष पुं० [सं.] द्वेष; वेर. -बी,-ष्टावि० विनश(-स)ना अ०क्रि० (प.) वणसवू; विधना स०क्रि० मेळवq (२) पुं० नाश पाम विधि; भावी
विनश्वर वि० [सं.] नाशवंत
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