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पुंडरीक
पुनरागमन पुंडरीक पुं० [सं.] धोळं कमळ (२) पुटी स्त्री० नानो दडियो के कटोरी (२) रेशमनो कीडो (३) टील; तिलक पडीकी (३) लंगोटी [माटे) लापी (४) खांड; साकर
पुटीन पुं० (काच इ० बारणामां जडवा पुंलिंग पुं० [सं.] नरजाति (व्याकरण) पुट्ठा पुं० थापानो उपरनो भाग (२) पुंश्चली स्त्री० [सं.] वेश्या
पुस्तकनी बांधणीनी पटी -पुंस पुं० (प.) पुरुष; नर [(२) दूध पुठवार अ० पूछे; पाछळ पुंसवन पुं० [सं.] सोळमांनो एक संस्कार पुठवाल पुं० मददगार; सागरीत पुंस्त्व पुं० [सं.] पुरुषत्व (२) वीर्य पुड़ा पुं० पडो; मोटु पडीकु पुआ पुं० मालपूडो
पुड़िया स्त्री० पडीकुं के पडीकी.-बाँधना पुआल पुं० 'पयाल'; पराळ।
=पडीकुं वाळवू पुकार स्त्री० पोकार (बूम के फरियाद) पुण्य पुं० [सं.] सुकृत; सारं काम के पुकारना स०क्रि० पोकार
तेनुं शुभफळ (२) वि० पवित्र; शभ. पुखराज पुं० पोखराज मणि [पुख्तगी)
०वान वि० पुण्यशाळी. ०श्लोक वि० पुख्ता वि० [फा.] दृढ; मजबूत (नाम. पवित्र जीवनवाळू (२) पुं० तेवो पुचकार,-री स्त्री० बचकारी
आदर्श पुरुष पुचकारना सक्रि० प्रेमथी बचकार पुण्याई स्त्री० पुण्यनुं फळ के पुण्यता पुचारा पुं० पोतुं के कूचडो (२) भीनुं पुण्यात्मा पुं० [सं.] पवित्र पुरुष; धर्मात्मा पोतुं फेरवq ते (३) पातळो लेप पुण्याह पुं० [सं.] शुभ दिन; मंगळ दिवस (४) खुशामत (५) उत्तेजन पुतरा पुं०, -री स्त्री० (प.) जुओ पुच्छ पुं० [सं.] पूंछडी; 'दुम' _ 'पुतला,-ली' पुच्छल वि० पूंछडियं, पंछडीवाळं. पुतला पुं० नर-पूतळी;ढींगलो.(किसीका) ___०तारा पुं० पूंछडियो तारो
पुतला बाँधना=बदनामी करवी . पुछल्ला पुं० लांबु पूंछडु (२) पंछडा पुतली स्त्री० ढींगली. घर पुं०
जेम साथे लागेलं ते (३) आश्रित कारखानु; मिल पुजना अ०क्रि० पूजावं; 'पूजना' नं कर्मणि पुताई स्त्री० 'पोतना' परथी नाम पुजवाना, पुजाना सक्रि० पूजाववं . पुत्तली,-लिका स्त्री० [सं.] पूतळी पुजाई स्त्री० पूजव ते के तेनी मजरी पुत्र पुं० [सं.] दीकरो. ०वती स्त्री० पुजापा पुं० पूजापो
पुत्रवाळी स्त्री. ०वधू स्त्री० पुत्रनी पुजा(जे), पुजैया पुं० पूजारी वहु. -त्रिका,-त्री स्त्री० दीकरी. पुट पुं० पट; पास (२) [सं.] ढांकण -त्रेष्टि स्त्री० पुत्रप्राप्ति माटेनो यज्ञ
(३) दडियो (४) औषधिनो संपुट । पुदीना पुं० फुदीनो पुटकी स्त्री० पोटकी (२) अकस्मात् पुनः अ० [सं.] फरी (२) उपरांत मृत्यु (३) शाकमां घलातो चणानो पुनरपि अ० [सं.] फरी पण पुनर्जन्म लोट. -पड़ना=गजब थवो
पुनरागमन पुं० [सं.] फरी आवq ते (२)
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