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नाजिरीन
२८८ नाजिरीन पुं० [अ. 'नाजिर' - ब०व०] नातिका पुं० [अ.वाचा . प्रेक्षकगण (२) भणनार [अवतरनारं नाती पुं० (स्त्री॰नतिनी, नातिन)पुत्रनो नाजिल वि० [फा.] नीचे ऊतरनारु- के पुत्रीनो पूत्र । नाजुक वि० [फ..] नाजुक; कोमळ (२) नाते अ० संबंधथी (२) माटे; वास्ते - पातळू; बारीक(३)सूक्ष्म(४) झट कथळे नातेदार वि० सगुं; संबंधी के तूटे एवं (५) जोखमवाळ; दिमारा, नाथ पुं० [सं.] स्वामी; धणी; मालिक
मिजाज वि०जरामां चिडाई जाय एवं (२) स्त्री० ढोरनी नाथ ना-जेब (-बा) वि० [फा.] बेडोळ (२) नाथना स० क्रि० नाथ, अयोग्य
नाद पुं० [सं.] ध्वनि; अवाज नाटक पुं० [सं.] नाटक; रूपक.-किया, नावां, बान वि० [फा.]नादान; अणसमजु.
-की पुं० नट; नाटक करनार. -कीय -दानी स्त्री० अणसमज ... वि० नाटक संबंधी
नादार वि० [फा. गरीब; अकिंचन. नाटना अ०क्रि० प्रतिज्ञाभंग थवू; फरी
-री स्त्री० गरीबाई जवू (२) सक्रि० ना पाडवी; कबूल नादिम वि० [अ. शरमिंद्; लज्जित ना करवू
नादिया पुं० नंदी; पोठियो [उत्तम नाटा वि० नीचु; गटुं [अभिनय नादिर वि० [फा.] अद्भुत; अद्वितीय; नाट्य पुं० [सं] नटविद्या; नृत्य अने
नादिहंव वि० [फा.] (नाम, -दी स्त्री०) नाठना अ० क्रि० नासवू (२) जुओ
लेणुं न देनार-न चूव वनार स्वस्थ 'नाँठना' (३) सक्रि० नाश करवो
ना-दुरस्त वि० [फा.] ठीक नहि एवं; अनाठा पुं० वारस वगरनो माणस
नाधना स० कि० (बेल, घोडो) जोडवू; नाड़ स्त्री० गरदन; नाड
जोतरवू (२) शरू करवू नाड़ा पुं० नाडु (घाघरा इ०नुं के लाल) नान स्त्री० [फा. नान; रोटी 'नाड़ी स्त्री॰ [सं.] शरीरनी नाडी(२)नळी । नानकीन पुं०एक जातनुं सुतराउ कापड नात पुं० (प.) नातो; संबंध (२) संबंधी नान-खताई स्त्री० [फा. नानखटाई ना-तजरबाकार वि० [फा.] बिनअनुभवी नानपाव स्त्री० पाउरोटी नातमाम वि० [अ.+.फा] अधूरुं, अपूर्ण नानबाई पुं० [फा. नानबा] नान-रोटी नातर (-रि,-6) अ० (प.) नहींतर; बनावी वेचनार
नहीं तो; 'नतर' [गमार नाना पुं० नानो; मातामह (२) [अ.] नातराश वि० [फा.] असभ्य; अनघड; फुदीनो (३) अ० [सं.] नाना प्रकारनातवाँ वि० [फा.कमजोर; अशक्त नात- (४) अनेक
वान. -वानी स्त्री० अशक्ति; कमजोरी नानिहाल पुं०नाना, नानी- घर के स्थान नाता पुं० नातो; संबंध के सगाई नानी स्त्री० नानी; मातानी मा-दादी. नाताक़त वि० [फा.] नातवान; ताकात -याव आना, -मर जाना=मोतिया मरी वगरनु. -ती स्त्री० कमजोरी
जवा; दुःखमां के संकटमा फसावं
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