Book Title: Sanmatitarka Prakaranam Part 1
Author(s): Sukhlal Sanghavi, Bechardas Doshi
Publisher: Gujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
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आपेलो छे. ज्यां पञ्जिका के कारिका त्रुटित के अशुद्ध जणाई त्यां तेने पूर्ण के शुद्ध करी ते अंश मोटा अक्षगेमां मूकेटो छे. जूओ पृ० १७७ टिप्पण ८, १०. पृ० १८४ टिप्पण १. पृ० २१० टिप्पण १५ पृ० २२१ टिप्पण १२. पृ० २२८ टिप्पण १५ वगेरे.
स्वरेवर आ संमतिटीकार्नु संशोधन तत्वसंग्रह प्रथनुं ऋणी छे पण तस्वसंग्रहना संशोधको ए ऋणने व्याजसहित संमतिटीकाना आ संस्करणमांथी वसूल करी शके.
धारे
तत्त्वसंप्रहनी उपलब्धिथी अनेक अज्ञातपूर्व आचार्योनां तथा तेओनी कृतिओनां नामो बने अनेक अनुपलब्ध प्रथोनां अवतरणो जाणवामां भाव्यां छे तेनो उपयोग यथास्थाने आगम भागोमां थशे.
पाठोने शुद्ध करवामां सरस्वाववामां, अर्थनुं स्पष्ट ज्ञान करवामां अने पूर्वापर प्रसंग समजवामां परिशिष्टमां आपेला प्रथोथी बहु ज कीमती मदद मळी छे. लगभग ए बधा प्रयोनां उपयुक्त स्थळो असे ते ते स्थाने बताव्यां छे.
तत्त्वसंप्रहनी प्राप्ति अने तेना उपयोगना लाभधी अमे बीजा पण नवीन प्रथोनी गवेषणाना लोभमा पड्या जेने लीघे अमने केटलाक अप्राप्तपूर्व ग्रंथो प्राप्त थया अने केटलाक प्राप्त छत अदृष्टपूर्व ग्रंथों अवलोकन करवानी तक मळी:
बौद्धाचार्य धर्मकीर्तिकृत हेतुबिंदुनुं विवरण, जयराशिभट्टकृत तत्त्वोपप्लव अने दिगम्बराचार्य अकलंककृत सिद्धिविनिश्चय ए त्रण मंथो तो अत्यार सुधी सर्वथा अनुपलब्ध ज हता. तेम तत्वोपप्लवनुं तो नाम पण भाग्ये ज ज्ञान हतुं. पहेला वे ग्रंथो ताडपत्र उपर छे. दिगम्बराचार्य प्रभाचंद्रकृत न्यायकुमुदचंद्रोदय अने वादिराजकृत न्यायविनिश्चयालंकार ए वे महान् जैन ग्रंथो मेळवी तेनुं अवलोकन करवानी प्राप्त थल्ली तक आ संमतिना संशोधनने ज आभारी छे.
आ संशोधन करतां मन्त्री आवेली नवीन सामग्री अने तेना उपयोगने लीघे यतो विलम्ब तथा प्रथना कदनुं वर्धा जतुं महत्त्व ए त्रण वाचतो प्रथम भाग प्रकाशित करती वखते ध्यानमां न हनी तेथी ते प्रकाशित करती वेळाए तेना निवेदनमां जणावेलुं के सटीक मूळ प्रथनुं त्रण भागम प्रकाशन कर. पण ए विचार बदली मूळ ग्रंथने पांच भागमां प्रसिद्ध करवानी धारणा राखीए छीए, जेथी प्राइकोने आगला भागो शीघ्रताथी म भने दरेक भागनुं कद पण परिमित रहे
प्रस्तुत भागमां पण प्रवर्तक कान्तिविजयजीना प्रशिष्य विद्याप्रिय सुशील मुनि पुण्यविजयजीए पाठान्तरादिकार्यामां वम्बते वस्वते सहर्ष सहायता आपी ते बदल अमे तेमना कृतज्ञ छीए.
सुम्बलाल अने बेचरदास.