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(८)
बान्धव इसको पढकर शिक्षा एवं कार्य रूपमें इसे परिणत कर कृत कृत्य करेंगे और प ठक गगों से प्रार्थना है कि इसमे अशुद्ध ।। जोकुछ है उस पर क्षमा कर ध्यान नदे और सारको ग्रहणकरे किउंकि ये एक अत्यंतहा प्राचिन समय की विद्या है और पहली बार की छपाइ है ।।
क्षात्र जातिका लुछ सेवक
रावराजा गुलाब सिंह
जोधपुर
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