________________
८-नौकारसी एवं स्वामिवत्सल में रात्रिके समय खाण्ड, गुड़
नहीं गालना। ९-पर्युषणके आदि और अन्तमें नौकारसी व स्वामिवत्सलके लिये यत्न पूर्वक भट्टी खोदना पर्युषण में नहीं ।
उक्त नौ कलमें अनेक स्थानों में श्रीसंघके प्रतिबन्धसे पाली जारही हैं । आपके सदुपदेशसे अनेक जिनमंदिरों में सुधार हुए तथा प्रतिष्ठाएं करवाई एवं कितने ही उद्यापन, स्वामीवत्सल, नौकारसियें हुई । आपके प्रत्येक चातुर्मासमें ग्यारह २ पन्द्रह २ तीस २ स्वामिवत्सल एवं अन्य अनेक सुकृत-कार्य भी हुए। कतिपय वर्षों से पड़े हुए दलगत मनमुटावों को मिटाकर आपने अनेक नगर तथा ग्रामों में सुधार कराया। उदाहरण रूप में हरजी में कितने ही वर्षों से श्रीसंघमें विषमय कुसंप का वातावरण प्रचण्ड रूपसे विद्यमान था । कितने ही महानुभावोंने इसे हटाने का यथावत् प्रयत्न भी किया परन्तु सब असफल रहे, आपकी ही सफल नीति एवं मधुर वाणी वहाँ सफल हुई। यह किस श्रीसंघके व्यक्तिसे अज्ञात है ? किन्तु सर्वत्र जगत्प्रख्यात है।
आपमें प्रधान गुण यह है कि आप स्थिति की प्रकृतिके अनुकूल चलते हैं, अपने लक्ष्य-सिद्धि के अनुकूल वातावरण बनाने में आप बड़े कुशल हैं, वातावरण अनुकूल उत्पन्न कर 'सिद्धि कर ही लेते हैं । ऐसा किया हुआ सुधार-जनता को भी प्रिय एवं ग्राह्य होता है । आप सकळ धैर्यशाली सुधारक हैं,