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आप प्रज्वलित वति को शान्त करने के लिये खाली दोड़नेवाले बकवादी हमदर्दियों में से नहीं हैं । आप प्रथम साधन की ओर दोड़कर साधन सहित घटना स्थल पर पहुँचनेवाले सच्चे उद्धारकोंमें से हैं । आपकी जिह्वामें इतना रस है कि कठोरसे कठोर प्राणी भी पिगल कर मौम बनजाता है । देव तथा देवियों के स्थलों पर बलि होते होते कतिपय भेषों तथा बकरोंको आपने पत्थर हृदय मानवोंके हाथसे बचाये हैं । प्राणिमात्र इन शुद्ध साधु-व्रतधारी मुनिराज का अपार ऋणी है ।
विद्यानुराग तो आपका ओतप्रोत है, पाठशालाएं स्थापित कराना तथा स्वयं उनका निरीक्षण करना आपके प्राणि-हितकृत्यों में से प्रधान कृत्य है । अपनी अमूल्य रचनाओंसे साहित्यभंडारमें वृद्धि करनेके लिये आपने समय समय पर श्लोकबद्धराजेन्द्रगुणमञ्जरी, मन्दचन्द्रप्रबन्ध, गद्यात्मक-सम्यक्त्वपुष्टिकथा, मुहूर्तराज ( संग्रहरूप ज्योतिष-ग्रन्थ ) आदि गद्यपद्यात्मक कितने ही ग्रन्थोंकी रचनाएं की हैं। इसी प्रकार व्याकरण, सांख्यकौमुदी, कुवलयानन्द, श्रुतबोध-सटीक, अनेक विधिविधानके पत्र, ज्ञानपञ्चमी, शीलवती, कामघटकथा, पर्वकथाएं अनित्यपंचपञ्चाशत, तत्त्वार्थसूत्र, सार्थषड़ावश्यक, रूपसेननृपचरित्रादि ३९ ग्रन्थों का लेखन भी आपने सुचारु रूपसे किया, जो साहित्य संसारमें चिर-स्मरणीय रहेंगे। ...
परिश्रमकी आप प्रतिमूर्ति हैं । समय-परायणता आपकी