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प्रथम खण्ड कानपुर की ओर कदम | ४७ श्रद्धा जो भक्ति स्व० श्री दिवाकर जी म० के प्रति थी वही पूज्य भक्ति आपके प्रति भी थी और है। अतएव कानपुर स्था० सघ का आवाल वृद्ध गुरु प्रताप के मधुर व्यवहार से भली-भाति परिचित रहा है।
इस प्रकार कुछ ही दिनो मे मुनिमण्डल का कानपुर नगर में पर्दापण हुआ। सैकडो नरनारियो ने आप के स्वागत समारोह में भाग लिया। जहाँ-तहां आप के जाहिर भाषण हुए । अक्षय तृतीय समारोह भी आपके नेतृत्व मे शानदार ढग से सम्पन्न हुआ । इसी शुभावसर पर स्थानीय सघ के अत्याग्रह से आप छहो मनिवरो ने स० २००६ के चातुर्मास की स्वीकृति प्रदान की। सकल सघ के सदस्यो मे आनदोल्लास का वातावरण छा गया ।
___चातुर्माम लगने मे अभी काफी दिन शेप थे। इस कारण सन्तवन्द धर्म-प्रचार-विहार करता हमा लखनऊ आया । यहाँ पर दिगम्बर जैन धर्मशाला मे कई सफल जाहिर प्रवचन, केश लोचन एव सकल जैन समाज की ओर से मुनिवरो के सान्निध्य में 'अहिंसा दिवस' भी मनाया गया। वस्तुत स्थानीय सैकड़ो-हजारो जन-जनेतर नर-नारी लाभान्वित हुए। विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश के विधान सभा के अध्यक्ष श्री ए० जी० खेर की उपस्थिति मे मुनिवरो के अहिंसा और जैन धर्म पर ओजस्वी भापण हुए। जिनकी उपस्थित मानव मेदिनी ने दिल खोल कर प्रशसा की एव दैनिक पत्रो मे भी । इस प्रकार सफल आयोजन की सौरभ को पत्र-पत्रिकाओ द्वारा सुनकर राज्यपाल ने भी श्रद्धा भरा एक आमन्त्रण स्वरूप पत्र मुनिवरो की सेवा मे भेजा, वह निम्न प्रकार था
Governer's Camp
Uttar Pradesh
January 8, 1933 Dear Sir,
With reference to your lether dated Janubary 7, 1953, I am desired to inform you that Shri Rajyapal will be glad to See Jain Muni Shri Pratapmaljı at II A M, on Saturday January 17, 1973 at Raj Bhawan, Lacknow Please inform bım accordingly and acknowledge receiht of this letter
Your's Faithfeelhy For Secrey to the Governer
Uttar Pradesh
To
Shri Pravin la! Pravin Lal & Company Lacknow
उपर्युक्त आमन्त्रणानुसार गुरुप्रवर आदि मुनि श्री उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुन्शी जी के यहाँ राज्य भवन पधारे। 'अहिंसा' पर काफी गहरा विचार विमर्श हुआ।
इस प्रकार लखनऊ की सभ्य जनता ने धर्म-प्रचार मे आशातीत महयोग प्रदान किया कइयो ने नशीली वस्तुओ का परित्याग भी किया। चातुर्मास काल सनिकट आ चुका था। अतएव मन्त मडली